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जो प्यार, करुणा और देखभाल का स्वभाव ईश्वर ने बेटियों को दिया है, वह बेटों को हासिल नहीं है। मां को ब्रेन हैमरेज हो जाने के बाद छह साल की मासूम ने जिस तरह से मां की देखभाल की, उसे देखकर लगता है कि मां असल में बेटी है और बेटी मां है। काई चेंगचेंग जब महज छह साल की थी, तो उसकी मां चेन ली को ब्रेन हैमरेज हो गया था। इसकी वजह से उनकी याददाश्त खराब हो गई। बीते चार साल से अपनी मां को पढ़ना, लिखना और बोलना सिखाना ही काई की दिनचर्या का हिस्सा हो गया है। वह कहती है कि कभी मां ने मुझे पढ़ना, लिखना सिखाया था, अब मेरी बारी है कि मैं अपनी मां को पढ़ना लिखना सिखाऊं। मैं मां के लिए पढ़ाई किसी खेल की तरह सिखाती हूं, ताकि उनके लिए इसे समझना आसान हो जाए। उदाहरण के लिए जब मैं उन्हें एपल के बारे में बताती हूं, तो उन्हें सेब देती हूं, ताकि वह इसे खाकर उसका स्वाद और उसके बारे में जान सकें। जब मैं रैबिट के बारे में बताती हूं, तो उन्हें खरगोश पकड़ने के लिए देती हूं। काई के पिता एक छोटी सी दुकान चलाकर परिवार का पालन-पोषण और पत्नी के इलाज का खर्च निकाल रहे हैं। इसलिए वह पत्नी की देखभाल के लिए ज्यादा समय नहीं निकाल पाते हैं। वहीं, बड़ा भाई काई लिंग ने हाई स्कूल में दाखिला लिया है, जिसकी वजह से वह भी मां की देखभाल नहीं कर पाता है। ऐसे में काई ही अपनी मां की देखभाल करती हैं। वह मां को चीनी भाषा सिखाने के साथ ही उन्हें रोज समय पर दवाएं देना भी नहीं भूलती हैं। इसके साथ ही मां को जल्दी से ठीक करने के लिए वह फीजियोथैरेपी एक्सरसाइज कराती हैं। काई कहती हैं कि मां को हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है और ठीक होने के लिए उन्हें लगातार समय पर दवाएं लेना जरूरी है। यदि कोई उन्हें याद नहीं दिलाए, तो वह दवा लेना ही भूल जाती हैं। बीचे चार साल से काई लगातार कड़ी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद स्कूल में न सिर्फ अच्छे ग्रेड हासिल करती हैं, बल्कि लीडरशिप रोल भी निभाती हैं। मां के प्रति काई के समर्पण को देखते हुए स्थानीय सरकार ने उन्हें पुरस्कृत किया है और स्थानीय सरकारी ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी ने भी उन्हें पहचान दी है। चीन की मीडिया उन लोगों के बारे में अक्सर समाचार दिखाती है, जो इस तरह के काम करते हैं।
गांधी के आदर्श विचार उनके निजी जीवन तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने अपने आदर्श विचारों को आजादी की लड़ाई से लेकर समाज निर्माण जैसे जीवन के विविध पक्षों में भी आजमाया। उस समय लोग कहा करते थे कि आजादी के लक्ष्य में सत्य और अहिंसा नहीं चलेगी और न ही इससे सभ्य समाज का निर्माण होगा। लेकिन गांधी ने दिखा दिया कि सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर भी आजादी और समाज निर्माण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। आजादी के आंदोलन के दौरान गंाधी ने लोगों को संघर्ष के तीन मंत्र दिए-सत्याग्रह, असहयोग और बलिदान। उन्होंने खुद इसे समय की कसौटी पर कसा भी। सत्याग्रह को सत्य के प्रति आग्रह बताया। यानी आदमी को जो सत्य दिखे उस पर पूरी शक्ति और निष्ठा से डटा रहे। बुराई, अन्याय और अत्याचार का किन्हीं भी परिस्थितियों में समर्थन न करे। सत्य और न्याय के लिए प्राणोत्सर्ग करने को बलिदान कहा। अहिंसा के बारे में उनके विचार सनातन भारतीय संस्कृति की प्रतिध्वनि है। गांधी पर गीता के उपदेशों का व्यापक असर रहा। वे कहते थे कि हिंसा और कायरता पूर्ण लड़ाई में मैं कायरता की बजाए हिंसा को पसंद करुंगा। मैं किसी कायर को अहिंसा का पाठ नहीं पढ़ा सकता वैसे ही जैसे किसी अंधे को लुभावने दृश्यों की ओर प्रलोभित नहीं किया जा सकता। उन्होंने अहिंसा को शौर्य का शिखर माना। उन्होंने अहिंसा की स्पष्ट व्याख्या करते हुए कहा कि अहिंसा का अर्थ है ज्ञानपूर्वक कष्ट सहना। उसका अर्थ अन्यायी की इच्छा के आगे दबकर घुटने टेक देना नहीं। उसका अर्थ यह है कि अत्याचारी की इच्छा के विरुद्ध अपनी आत्मा की सारी शक्ति लगा देना। अहिंसा के माध्यम से गांधी ने विश्व को यह भी संदेश दिया कि जीवन के इस नियम के अनुसार चलकर एक अकेला आदमी भी अपने सम्मान, धर्म और आत्मा की रक्षा के लिए साम्राज्य के सम्पूर्ण बल को चुनौती दे सकता है। गांधी के इन विचारों से विश्व की महान विभुतियों ने स्वयं को प्रभावित बताया। आज भी उनके विचार विश्व को उत्प्रेरित कर रहे हैं। लोगों द्वारा उनके अहिंसा और सविनय अवज्ञा जैसे अहिंसात्मक हथियारों को आजमाया जा रहा है। ऐसे समय में जब पूरे विश्व में हिंसा का बोलबाला है, राष्ट्र आपस में उलझ रहे हैं, मानवता खतरे में है, गरीबी, भूखमरी और कुपोषण लोगों को लील रही है तो गांधी के विचार बरबस प्रासंगिक हो जाते हैं। अब विश्व महसूस भी करने लगा है कि गांधी के बताए रास्ते पर चलकर ही विश्व को नैराश्य, द्वेष और प्रतिहिंसा से बचाया जा सकता है। गांधी के विचार विश्व के लिए इसलिए भी प्रासंगिक हैं कि उन विचारों को उन्होंने स्वयं अपने आचरण में ढालकर सिद्ध किया। उन विचारों को सत्य और अहिंसा की कसौटी पर जांचा-परखा। १९२० का असहयोग आंदोलन जब जोरों पर था उस दौरान चैरी-चैरा में भीड़ ने आक्रोश में एक थाने को अग्नि की भेंट चढ़ा दी। इस हिंसक घटना में २२ सिपाही जीवित जल गए। गांधी जी द्रवित हो उठे। उन्होंने तत्काल आंदोलन को स्थगित कर दिया। उनकी खूब आलोचना हुई लेकिन वे अपने इरादे से टस से मस नहीं हुए। वे हिंसा को एक क्षण के लिए भी बर्दाश्त करने को तैयार नहीं थे। उनकी दृढ़ता कमाल की थी। जब उन्होंने महसूस किया कि ब्रिटिश सरकार अपने वादे के मुताबिक भारत को आजादी देने में हीलाहवाली कर रही है तो उन्होंने भारतीयों को टैक्स देने के बजाए जेल जाने का आह्नान किया। विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन चलाया। ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर टैक्स लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा की और समुद्र तट पर नमक बनाया। उनकी दृढ़ता को देखते हुए उनके निधन पर अर्नोल्ड टोनी बी ने अपने लेख में उन्हें पैगंबर कहा। प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन का यह कथन लोगों के जुबान पर है कि आने वाले समय में लोगों को सहज विश्वास नहीं होगा कि हांड़-मांस का एक ऐसा जीव था जिसने अहिंसा को अपना हथियार बनाया। हिंसा भरे वैश्विक माहौल में गांधी के विचारों की ग्राहयता बढ़ती जा रही है। जिन अंग्रेजों ने विश्व के चतुर्दिक हिस्सों में युनियन जैक को लहराया और भारत में गांधी की अहिंसा को चुनौती दी, आज वे भी गांधी के अहिंसात्मक आचरण को अपनाने की बात कर रहे हैं। विश्व का पुलिसमैन कहा जाने वाला अमेरिका जो अपनी धौंस-पट्टी से विश्व समुदाय को उपदेश देता है अब उसे भी लगने लगा है कि गांधी की विचारधारा की राह पकड़कर ही विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। सच तो यह है कि गांधी के शाश्वत मूल्यों की प्रासंगिकता बढ़ी है। गांधी अहिंसा के न केवल प्रतीक भर हैं बल्कि मापदण्ड भी हैं जिन्हें जीवन में उतारने की कोशिश हो रही है। अभी गत वर्ष पहले ही अमेरिका पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ह्वाइट हाउस में अफ्रीकी महाद्वीप के ५० देशों के युवा नेताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि आज के बदलते परिवेश में युवाओं को गांधी जी से प्रेरणा लेने की जरुरत है। गत वर्ष पहले अमेरिका की प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने महात्मा गांधी की अगुवाई वाले नमक सत्याग्रह को दुनिया के सर्वाधिक दस प्रभावशाली आंदोलनों में शुमार किया। याद होगा अभी कुछ साल पहले जाम्बिया के लोकसभा सचिवालय द्वारा विज्ञान भवन में संसदीय लोकतंत्र पर एक सेमिनार आयोजित किया गया जिसमें राष्ट्रमंडल देशों के लोकसभा अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों ने शिरकत की। जाम्बिया की नेशनल असेम्बली के अध्यक्ष असुमा के. म्वानामवाम्बवा ने इस सम्मेलन के दौरान गांधी के सिद्धान्तों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और कहा कि भारत के साथ हम भी महात्मा गांधी की विरासत में साझेदार हैं। उन्होनें बताया कि अहिंसा के बारे में गांधी जी की शिक्षाओं ने जाम्बिया के स्वतंत्रता आन्दोलन को बेहद प्रभवित किया। सच तो यह है कि अब गांधी के वैचारिक विरोधियों को भी लगने लगा है कि गांधी के बारे में उनकी अवधारणा संकुचित थी। उन्हें विश्वास होने लगा है कि गांधी के नैतिक नियम पहले से कहीं और अधिक प्रासंगिक और प्रभावी हैं और उनका अनुपालन होना चाहिए। गांधी जी राजनीतिक आजादी के साथ सामाजिक-आर्थिक आजादी के लिए भी चिंतित थे। समावेशी समाज की संरचना को कैसे मजबूत आधार दिया जाए उसके लिए उनका अपना स्वतंत्र चिंतन था। उन्होंने कहा कि जब तक समाज में विषमता रहेगी, हिंसा भी रहेगी। हिंसा को खत्म करने के लिए विषमता मिटाना जरुरी है। विषमता के कारण समृद्ध अपनी समृद्धि और गरीब अपनी गरीबी में मारा जाएगा। इसलिए ऐसा स्वराज हासिल करना होगा, जिसमें अमीर-गरीब के बीच खाई न हो। शिक्षा के संबंध में भी उनके विचार स्पष्ट थे। उन्होंने कहा है कि मैं पाश्चात्य संस्कृति का विरोधी नहीं हूं। मैं अपने घर के खिड़की दरवाजों को खुला रखना चाहता हूं जिससे बाहर की स्वच्छ हवा आ सके। लेकिन विदेशी भाषाओं की ऐसी आंधी न आ जाए कि मैं औंधें मुंह गिर पड़ूं। गांधी जी नारी सशक्तीकरण के प्रबल पैरोकार थे। उन्होंने कहा कि जिस देश अथवा समाज में स्त्री का आदर नहीं होता उसे सुसंस्कृत नहीं कहा जा सकता। आज के दौर में भारत ही नहीं बल्कि विश्व समुदाय को भी समझना होगा कि उनके सुझाए रास्ते पर चलकर ही एक समृद्ध, सामथ्र्यवान, समतामूलक और सुसंस्कृत विश्व का निर्माण किया जा सकता है। आधुनिक भारतीय चिंतन प्रवाह में गांधी के विचार सार्वकालिक हैं। सच तो यह है कि गांधी भारतीय उदात्त सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के अग्रदूत के साथ-साथ सहिष्णुता, उदारता और तेजस्विता के प्रमाणिक तथ्य हैं। सत्यशोधक संत भी हैं तो शाश्वत सत्य के यथार्थ समाज वैज्ञानिक भी। राजनीति, साहित्य, संस्कृति, धर्म, दर्शन, विज्ञान और कला के अद्भूत मनीषी भी तो मानववादी विश्व निर्माण के आदर्श मापदण्ड भी। सम्यक प्रगति मार्ग के चिंह्न भी तो भारतीय संस्कृति के परम उद्घोषक भी। गांधी के लिए वेद, पुराण एवं उपनिषद का सारतत्व ही उनका ईश्वर है और बुद्ध, महावीर की करुणा ही उनकी अहिंसा है। सत्य, अहिंसा, ब्रहमचर्य, अस्तेय, अपरिग्रह, शरीर श्रम, आस्वाद, अभय, सर्वधर्म समानता, स्वदेशी और समावेशी समाज निर्माण की परिकल्पना ही उनके जीवन का परम लक्ष्य है।
रांची। राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी द्वारा जारी पत्र को फर्जी बताया कि इस तरह के आरोप लगाने वालों को शर्म आनी चाहिए। नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने जानना चाहा कि क्या बाबूलाल मरांडी को महाभारत के संजय की तरह दिव्य दृष्टि प्राप्त हो गई थी। साथ ही बाबूलाल जिस चिट्ठी की बात कर रहे हैं क्या उसकी सत्यता सिद्ध कर पाएंगे। मंत्री ने कहा कि ऐसे में तो कल कोई भी व्यक्ति किसी पर भी कोई भी आरोप लगा दे सकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप लगाने से पहले थोड़ी शर्म जरुर आनी चाहिए। सीपी सिंह ने बाबूलाल मरांडी को चुनौती देते हुए जांच कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि जांच का सामना करने के लिए उनकी पार्टी तैयार है। मंत्री ने कहा कि इस तरह किसी का चरित्र हनन करना उचित नहीं है। हम भी किसी का चरित्र हनन कर सकते हैं मगर ये हमारी पार्टी का संस्कार नहीं है। इस तरह का काम संस्कारहीन व्यक्ति ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि आज की राजनीति में इस तरह के संस्कारहीन लोग हैं जो इस तरह के काम कर रहे हैं।
दाद (रिंगवर्म) एक प्रकार चर्म रोग है। जिसे डर्माटोफायोटासिस या टिनिया भी कहा जाता है। इसका अगर सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह एग्जिमा का रूप ले लेती है। जो कि दाद से ज्यादा खतरनाक त्वचा से जुड़ी बीमारी है। जब मौसम बदलते हैं तो आपको स्किन से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होती हैं। जैसे कि खुजली, दाग और दाद। दाद जिसे रिंगवॉर्म भी कहा जाता है, ये एक प्रकार का फंगल संक्रमण है जो आपकी त्वचा की ऊपरी परत पर विकसित होता है। आमतौर पर यह तीन तरह की फंगस के कारण होता है ट्राइकोफिटन, माइक्रोस्पोरम और एपिडर्मोफिटन। दाद आपके शरीर पर कहीं भी हो सकता है, जैसे चेहरे, हाथ, पैर, जांघ, पीठ, छाती, उंगली आदि। आइए जानते हैं इसके प्रकार, होने के कारण, लक्षण और रोकथाम के कुछ सरल उपाय।
सुजानपुर: भाजपा के चुनावी दृष्टि पत्र पर अमल न करने व कर्मचारियों को अनुबंध कार्यकाल के वरिष्ठता लाभ से वंचित रखने को लेकर सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने जयराम सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी हितैषी होने का ढिंढोरा पीटने वाली जयराम सरकार ने कदम कदम पर कर्मचारियों के साथ छल किया है और वायदे न निभाकर कर्मचारियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने वायदे के विपरीत कर्मचारियों को अनुबंध कार्यकाल की वरिष्ठता लाभ से भी वंचित रखा है, जबकि कमीशन के माध्यम से भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुसार ही भर्तियां की जाती हैं। राजेंद्र राणा ने याद दिलाया कि वर्ष २००७ में भाजपा की तत्कालीन धूमल सरकार ने प्रदेश में ८ साल के अनुबंध कार्यकाल के आधार पर भर्ती करने का निर्णय लिया था तथा वर्ष २००९ में अधिसूचना जारी होते ही अनुबंध आधार पर पहली भर्ती की गई। वर्ष २०१२ में सत्ता से जाते-जाते उन्होंने अनुबंध का कार्यकाल ६ साल करने की घोषणा की थी। उसके बाद कांग्रेस की वीरभद्र सिंह ने सत्ता में आने के बाद वर्ष २०१४ में कर्मचारियों का अनुबंध कार्यकाल ५ साल तथा वर्ष 201६ में इसे घटाकर ३ साल कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपने शासनकाल में कर्मचारियों को छलने व बरगलाने का ही काम किया है। राणा ने कहा कि भाजपा की प्रदेश सरकारों के साथ केंद्र में रहते हुए भी भाजपा नीत एन.डी.ए. सरकारों ने कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात किया है जिसकी शुरूआत वर्ष २००३ में केंद्र की तत्कालीन एन.डी.ए. सरकार ने कर्मचारियों को धोखा देते हुए पैंशन बंद कर काले अध्याय लिखा था। उसके बाद अनुबंध पर नौकरियां देने का फैसला भाजपा सरकार ने ही लिया और अब जयराम सरकार ने ट्रिब्यूनल को बंद कर कर्मचारी विरोधी होने का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने दृष्टि पत्र में कर्मचारियों से अनेकों वायदे किए थे जिनमें पैंशन को लेकर भी एक कमेटी गठित करने की बात कही थी। लेकिन सत्ता के नशे में मदहोश जयराम सरकार अब तक कमेटी गठित करने सहित किसी भी वायदे पर दृष्टि डालने में भी फेल साबित हुई है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि चुनावी दृष्टि पत्र तो सरकार की नजर-ए-इनायत कब होगी और कर्मचारियों से किए वायदों को लेकर कब नींद से जागेगी, यह तो सरकार व मुख्यमंत्री ही जानें। लेकिन अनुबंध कार्यकाल का वरिष्ठता लाभ कर्मचारियों का जायज हक है जिसका लाभ देकर भाजपा की पूर्व केंद्र व प्रदेश सरकारों द्वारा लिए कर्मचारी विरोधी फैसलों के दाग भाजपा के ऊपर से थोड़े बहुत जरूर धुल जाएंगे। उन्होंने कहा कि ४-९-1४ के बारे में भी भाजपा सरकार का कर्मचारियों से किया गया वायदा महज एक छलावा साबित हुआ है। कर्मचारी वर्ग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने अपने दृष्टि पत्र में कर्मचारियों से वायदा किया था कि सत्ता में आने पर कर्मचारियों को ४-९-1४ का लाभ दिया जाएगा। लेकिन अब सरकार के २ साल पूरे होने को है लेकिन कर्मचारी अभी तक सरकार की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों को वेतन आयोग के लाभों से भी वंचित रख रही है।
आईआईटी रुड़की ने दुनिया भर में रहने वाले अपने एलुमनी के साथ एक व्यापक संबंध स्थापित करने के लिए आईआईटी रुड़की एलुमनी का ग्लोबल नेटवर्क लांच किया है। यह संस्थान और उसके एलुमनी के एक व्यापक और सटीक एलुमनी डेटाबेस की जरूरत को पूरा करेगा। इसके अलावा, कई एलुमनी एक ऐसे नेटवर्क की मांग कर रहे थे जो उन्हें एलुमनी को खोजने और उनके साथ जुड़ने में मदद कर सकता हो। साथ ही एक ही प्लेटफॉर्म के माध्यम से संस्थान के साथ संवाद करने की सुविधा भी प्रदान करता हो। ग्लोबल नेटवर्क इस जरूरत को भी पूरा करने की कोशिश करेगा। यह ग्लोबल नेटवर्क, थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग से यूनिवर्सिटी ऑफ रुड़की और अब आईआईटी रुड़की की यात्रा को संजोकर रखने में योगदान देगा। वर्ष १८४७ में स्थापित इस संस्थान के शानदार इतिहास का हिस्सा रहे एलुमनी की पुरानी और नई पीढ़ियों को एक प्लेटफॉर्म पर लेकर आएगा। आईआईटी रुड़की एलुमनी का यह ग्लोबल नेटवर्क एलुमनी वालंटियर्स द्वारा संचालित किया जाएगा। नेटवर्क के कार्यान्वयन में प्रावधान बनाए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सदस्यों की गोपनीयता संबंधी चिंताओं का पूरी तरह से ध्यान रखा जाए। इसके अलावा, सदस्यों के पास अपनी इच्छा के अनुसार संदेशों और सेवाओं की सदस्यता शुरू और समाप्त करने का विकल्प होगा। डेटाबेस की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान रखा जाएगा। नेटवर्क की सदस्यता से कई लाभ मिलेंगे। उदाहरण के लिए, नेटवर्क की लाइफ मेंबरशिप फ्री होगी। सभी सदस्यों को एक पहचान पत्र जारी किया जाएगा। सदस्यों के पास दुनिया भर के लोकल, रीजनल और नेशनल नेटवर्क पर एलुमनी के साथ सोशल और प्रोफेशनल नेटवर्किंग के अवसर होंगे। यह संकट में फंसे किसी एलुमनी या उसके परिवार के लिए, उनके सहयोगी एलुमनी से मदद जुटाने के लिए एक प्रणाली का निर्माण करेगा। सदस्यों के पास स्टूडेंट्स मेंटोरशिप प्रोग्राम्स, इंटर्नशिप और संस्थान की अन्य गतिविधियों जैसी योजनाओं में भाग लेने और योगदान करने के अवसर होंगे। सदस्यों को ई-न्यूजलेटर्स के माध्यम से एलुमनी और अल्मा मेटर के बारे में नियमित अपडेट प्राप्त होगा। नेटवर्क में उत्कृष्ट योगदान देने वाले सदस्यों को उपयुक्त रूप से मान्यता दी जाएगी। पहचान पत्र धारकों के लिए विभिन्न संगठनों के उत्पादों और सेवाओं के लिए विशेष छूट की सुविधा दी जाएगी।पहचान पत्र सदस्यों को परिसर में सुचारू रूप से प्रवेश करने में मदद करेगा। उपलब्धता के अनुसार, सदस्य रियायती दर पर आईआईटी रुड़की के गेस्टहाउस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। सदस्यों को एक ही प्लेटफॉर्म के माध्यम से डीन, हेड ऑफ डिपार्टमेंटध्सेंटर, विशेष क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले फैकल्टी या संस्थान के कार्यालय से जुड़ने का अवसर मिलेगा। जहां भी संभव हो, सदस्यों के लिए पुस्तकालय सेवाओं का विस्तार करने की संभावना का पता लगाया जाएगा। अनुरोध पर, सदस्यों को स्थापना दिवस, स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस के अवसर पर आमंत्रित किया जाएगा। सदस्य रविवार को परिसर के दौरे के लिए अनुरोध कर सकते हैं। परिसर के दौरे में जेम्स थॉमसन बिल्डिंग, हैंगर, इंस्टीट्यूट आर्काइव, मेडलिकॉट म्यूजियम और महात्मा गांधी सेंट्रल लाइब्रेरी के दौरे शामिल होंगे।
इन्दौर । मध्य प्रदेश की आर्थिक रूप से सबसे समृद्ध समझी जाने वाली लोकसभा सीट इन्दौर से भाजपा के शंकर लालवानी ने रिकार्ड जीत दर्ज की है। उन्होंने इन्दौर से ८ बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को २०१४ में मिली ४६६९०१ मतों की जीत के रिकार्ड को तोड़ते हुए अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के पंकज संघवी को ५४७७५४ मतों से हराया है। भाजपा प्रत्याशी लालवानी को कुल 106८569 मत मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 520८15 मत मिले। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी लोकेश कुमार जाटव ने विजयी प्रत्याशी शंकर लालवानी को सांसद निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र दिया। इस मौके पर सुमित्रा महाजन व विधायक रमेश मैंदोला भी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि इन्दौर से ८ बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को इस भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। उनकी जगह ललवानी को पार्टी ने मैदान में उतारा था। हालांकि सुमित्रा महाजन इस सीट पर फिर से चुनाव लड़ने की इच्छुक थीं, लेकिन पार्टी की ओर से उम्मीदवार के नाम के ऐलान में देरी होते देख उन्होंने खुद ही यह ऐलान कर दिया था कि वह इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। इस सीट पर पिछले मुकाबलों की बात करें तो लगातार ८ बार बीजेपी की तरफ से सुमित्रा महाजन कुर्सी पर काबिज रहीं। वहीं, कांग्रेस आखिरी बार 19८4 में यहां से लोकसभा का चुनाव जीती थी। २०१४ के चुनाव में भाजपा की सुमित्रा महाजन को ८54972, कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को 3८८071 व आम आदमी पार्टी के अनिल त्रिवेदी को ३५१२४ मत मिले थे। इस बार २०१९ के लोकसभा चुनाव में इन्दौर सीट पर २० प्रत्याशी चुनावी मैदान होकर मुख्य मुकाबला कांग्रेस के पंकज संघवी और भाजपा के शंकर लालवानी के मध्य था और लालवानी ने यह मुकाबला ५४७७५४ मतों के रिकार्ड अंतर से जीत लिया है। यह भी उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ते हुए बड़ी जीत दर्ज की है। लालवानी ने १९९३ में पहली बार विधानसभा क्षेत्र-४ से भाजपा अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था। इसके बाद १९९६ में नगर निगम चुनाव में वे अपने भाई और कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश लालवानी को हराकर पार्षद बने। वे नगर निगम सभापति भी रहे। इसके बाद वे नगर अध्यक्ष रहे। वे इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे। १९९८ में भाजपा की सुमित्रा महाजन से लोकसभा चुनाव हार चुके पकंज संघवी पर कांग्रेस ने एक बार फिर से भरोसा जताया, लेकिन उन्हें दूसरी बार भी हार का मुंह देखना पड़ा। संघवी १९८३ में पहली बार पार्षद का चुनाव जीते। इसके बाद १९९८ में पार्टी ने लोकसभा चुनाव का टिकट दिया, लेकिन सुमित्रा महाजन ने उन्हें ४९ हजार ८५२ वोट से चुनाव हार दिया। इसके बाद २००९ में महापौर का चुनाव लड़े और भाजपा के कृष्णमुरारी मोघे से करीब ४ हजार वोट से हार गए। २०१३ में वे इंदौर विधानसभा पांच नंबर सीट से करीब १२ हजार ५०० वोट से विधानसभा चुनाव हारे। इन्दौर लोकसभा सीट से १९५२ में कांग्रेस के नन्दलाल जोशी, १९५७ में कांग्रेस के कन्हैयालाल खेड़ीवाला, १९६२ में सीपीआई के होमी दाजी, १९६७ में कांग्रेस के प्रकाशचंद्र सेठी, १९७१ में कांग्रेस के रामसिंह भाई, १९७७ में भारतीय लोकदल के कल्याण जैन, १९८० और १९८४ में कांग्रेस के प्रकाशचन्द्र सेठी ने दो बार जीत हासिल की। इसके बाद सुमित्रा महाजन ने १९८९ के आम चुनाव में पहली बार लोकसभा चुनाव में भाग लिया और उन्होंने कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी को हराया। फिर भाजपा के टिकट पर सुमित्रा ताई ने १९९१, १९९६, १९९८, १९९९, २००४, २००९ और २०१४ में जीत दर्ज की। वो प्रथम महिला हैं जो कभी लोकसभा चुनावों में पराजित नहीं हुई और आठ बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली प्रथम महिला बनी। लालवानी के जीत से अब इन्दौर को ३० साल बाद पुरुष सांसद मिला है। अपनी जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शंकर ललवानी ने कहा जीत का विश्वास तो था, पर इतनी बड़ी जीत की कल्पना नहीं थी। जनता ने इतनी बड़ी जीत दी है, तो मेरे ऊपर शहर की जनता का भार भी काफी रहेगा। बीआरटीएस के विकल्प के रूप में एलिवेटेड ब्रिज होगा, जो शहर की समस्या दूर होगी। ट्रैफिक सुधार और शहर के विकास के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करेंगे। लालवानी ने जीत का श्रेय सबसे पहले नरेंद्र मोदी और अपनी पार्टी को दिया। अपने प्रतिद्वंदी पंकज संघवी को लेकर कहा कि वे टूरिस्ट वीजा लेकर चुनाव के मैदान में आते रहे हैं, जबकि उन्हें लगातार सक्रिय रहकर समाज की सेवा करना चाहिए। जनता के बीच रहना चाहिए, जो उन्होंने नहीं किया और इसके परिणाम सामने हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी पंकज संघवी ने हार के बाद ट्वीट पर भाजपा के शंकर लालवानी को जीत की बधाई दी है। संघवी ने लिखा- हार जीत का फैसला तो भगवान करता है। इंसान कोशिश और मेहनत करता है। भाई शंकर लालवानी को जीत की बधाई। उन्होंने आगे लिखा वल्लभ नगर मेरे निवास पर कई सालों से समाजसेवा जारी थी। आगे भी जारी रहेगी। गरीबों और जरूरतमंद लोगों की मदद आखिरी सांस तक करता रहूंगा।
बिलासपुर | भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा बुधवार की शाम बस स्टैंड में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा ३७० और ३५-ए हटाने के फैसले का स्वागत करते हुए खुशियां मनाई। भारत गणराज्य में जम्मू-कश्मीर के पूर्ण विलय के संबंध में जनमानस को अवगत करते हुए इस मौके पर सांसद अरुण साव का सम्मान किया गया। सांसद साव ने कहा कि भारत के उज्जवल भविष्य के नव निर्माण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने ५ वर्षों में अनेक ऐतिहासिक साहसिक निर्णय लिए। उन्होंने कहा कि जैसे 1५ अगस्त १९४७ को देश आजाद हुआ था उसी तरह ५ अगस्त २०१९ को देश को दूसरी आजादी के रूप में जम्मू कश्मीर का पूर्ण विलय भारतीय गणराज्य में हुआ। इस मौके पर बेलतरा विधायक रजनीश सिंह ने कहा कि देश को आजादी के ७२ वर्षों में आज देश की जनता को महसूस हो रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार लगातार देश के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर रही है। महापौर किशोर राय ने कहा कि जनसंघ के संस्थापक डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं पं.दीनदयाल उपाध्याय ने जो सपना देखा था उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह ने ५ जुलाई २०१९ को पूरा कर दिया। कार्यक्रम में भाजयुमो जिलाध्यक्ष दीपक सिंह ठाकुर ने सांसद अरुण साव का शाल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मान किया। कार्यक्रम में बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, महापौर किशोर राय, भाजपा जिला महामंत्री रामदेव कुमावत का भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम में भाजयुमो जिलाध्यक्ष दीपक सिंह ठाकुर, सुशांत शुक्ला, दुर्गा कश्यप, लोकेशधर दीवान, जयश्री चौकसे, संदीप दास, आदि मौजूद थे। भाजयुमाे के बस स्टैंड में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते भाजपा नेता। बुधवार को भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव ६वीं पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उनके संस्मरणों को विशेष रूप से याद किया गया। इस मौके पर बिलासपुर के सांसद अरुण साव, बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, छतीसगढ़ महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पांडेय, महापौर किशोर रॉय , जिला महामंत्री रामदेव कुमावत , राष्ट्रीय सदस्य सुशांत शुक्ला, युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष दीपक सिंह, राजेश सिंह ठाकुर , राकेश तिवारी , सुनीता मानिकपुरी, जयश्री चौकसे, नंदू सोनी, संजय मुरारका आदि उपस्थित हुए।
शुक्र ग्रह तुला पर शासन करता है। कुलस्वामिनी को तुला राशि का आराध्य माना जाता है। इस राशि के व्यक्ति ठण्डी और सुहावनी रातें वाले मौसम में पैदा होते हैं। इस राशि के रामअविता नाम की लड़कियाँ भोले भाले होते हैं। तुला राशि के रामअविता नाम की लड़कियाँ चर्म रोग और किडनी की समस्याओं से ग्रस्त होते हैं। रामअविता नाम की लड़कियाँ दृष्टिदोष तथा निचले हिस्से में पीठ दर्द की समस्याओं से परेशान रहते हैं। तुला राशि के रामअविता नाम की लड़कियाँ ज़रूरत पड़ने पर किसी भी प्रियजन के लिए त्याग करने से कतराते नहीं हैं। रामअविता नाम का स्वामी शुक्र ग्रह और शुभ अंक ६ है। रामअविता नाम वाली ६ अंक की लड़कियां बहुत आकर्षक व खूबसूरत होती हैं। रामअविता नाम की महिलाओं को स्वच्छता का बहुत ख्याल रहता है और कला के क्षेत्र में हमेशा अच्छा प्रदर्शन करती हैं। रामअविता नाम वाली लड़कियां व्यव्हार से सहनशील और घूमने-फिरने के शौक़ीन होती हैं। ६ अंक वाली लड़कियां दूसरों को बड़ी जल्दी आकर्षित कर लेती हैं। अपने जीवन में परिवार का प्यार और सहयोग भरपूर मिलता है रामअविता नाम की लड़कियों को। रामअविता नाम वाली महिलाओं की राशि तुला है। रामअविता नाम की लड़कियां अक्सर अपने लाभ के बारे में सोचती हैं और इसलिए इनमें संतुलन की कमी होती है। तुला राशि वाली महिलाएं जिनका नाम रामअविता है, वे लोग ज़रूरतों और अपनी चाहतों के मुताबिक सोच बदल लेती हैं। रामअविता नाम की लड़कियों के पास हर बात का तर्क होता है। ये भविष्य के बारे में ज्यादा सोचती हैं। रामअविता नाम की लड़कियों का स्वभाव बहुत अच्छा होता है, लेकिन ये कभी खुद निर्णय नहीं लेती हैं क्योंकि इन्हें जिम्मेदारी लेना पसंद नहीं होता। रामअविता नाम की महिलाएं हमेशा चीजों व लोगों की आपस में तुलना करने लग जाती हैं।
खांदू कॉलोनी में अवैध केबिन हटाते परिषद कर्मचारी। बांसवाड़ा। नगर परिषद ने अतिक्रमण चिन्हित करने के बाद अब इन्हें हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। इसी के तहत सोमवार को खांदू कॉलोनी में स्थित शुभ गार्डन के समीप बिना स्वीकृति लगाए गए एक केबिन हटाया गया। हल्का निरक्षक हेमंत भट्ट ने बताया कि केबिन अतिक्रमण की श्रेणी में था। जिस पर जाहिद खान और कुलदीप निनामा टीम के साथ पहुंचे और हटाने की कार्रवाई की। गौरतल है कि इससे पहले परिषद ने सभी वार्डों में अतिक्रमण चिन्हित कर उन पर लाल रंग से क्रॉस लगाने का अभियान चलाया था। यह प्रक्रिया पूरी होने पर अब चिन्हित अतिक्रमण हटाए जा रहे है।
आंध्र प्रदेश की इलाक़ाई जमातों ने अलाहिदा रियासत तेलंगाना के मसले पर आज मुख़्तलिफ़ सियासी जमातों से सिलसिला वार मुलाक़ातें की। सदर तेलुगु देशम पार्टी एन चंद्राबाबू नायडू ने जहां बी जे पी और जनतादल ( यू) क़ाइदीन से मुलाक़ात की वहीं टी आर एस सरबराह के चन्द्र शेखर राव ने सी पी आई क़ाइदीन से मुलाक़ात की। दोनों पार्टीयों ने आर एलडी सरबराह अजीत सिंह से तीन घंटे के वक़फ़ा से अलहदा मुलाक़ातें कीं। सी पी आई और आर एलडी ने जहां इस बिल की ताईद का यक़ीन दिलाया वहीं जनतादल (यू) ने कहा कि वो किसी फ़ैसले से पहले पार्टी मीटिंग में ग़ौर-ओ-ख़ौज़ करेगी। तेलुगु देशम पार्टी सदर एन चंद्राबाबू नायडू की ज़ेरे सदारत पार्टी वफ़द ने आज सदर बी जे पी राजनाथ सिंह से मुलाक़ात की। चंद्राबाबू नायडू ने रियासत को तक़सीम करने कांग्रेस के फ़ैसले की वजह से पैदा शूदा सूरत-ए-हाल से सदर बी जे पी को वाक़िफ़ किराया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वो दुसरे इलाक़ों के अवाम के साथ मुकम्मिल इंसाफ़ को यक़ीनी बनाए बगै़र बिल को मंज़ूर होने ना दें। इस ज़िमन में वो मर्कज़ पर दबाव डालें। चंद्राबाबू नायडू ने राज नाथ सिंह से मुलाक़ात के बाद मीडीया से बात करते हुए मर्कज़ पर रियासत की तक़सीम के सिलसिले में दस्तूरी क़वाइद की मुबय्यना तौर पर ख़िलाफ़वरज़ी का इल्ज़ाम आइद किया। उन्होंने ये जानना चाहा कि क्या किरण कुमार रेड्डी को इस मसले पर सड़कों पर आना चाहीए या वो सोनिया गांधी के साथ इस मसले को हल करने की कोशिश करें ?। उन्होंने कहा कि किरण कुमार रेड्डी और जगन मोहन रेड्डी के पास ये हौसला नहीं है कि वो सोनिया गांधी के घर के रूबरू धरना दें। बादअज़ां चंद्राबाबू नायडू ने सदर जमहूरीया परनब मुखर्जी से मुलाक़ात की और आंध्र प्रदेश तंज़ीम जदीद बिल २०१३ में ख़िलाफ़ वरज़ीयों को उजागर क्या। दूसरी तरफ़ टी आर एस ने इस यक़ीन का इज़हार किया कि ये बिल पार्लियामेंट में मंज़ूर होजाएगा। ज़राए इबलाग़ के नुमाइंदों से बातचीत करते हुए के चन्द्र शेखर राव ने कहा कि उन्हें बिल की मंज़ूरी का सद फ़ीसद यक़ीन है। वो नहीं समझते कि बी जे पी अपने मौक़िफ़ से पलट जाएगी। उन्होंने सीनीयर बी जे पी लीडर सुषमा स्वाराज के तेलंगाना बिल की ताईद में दिए गए बयान का हवाला दिया।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने घोषणा की है कि बोर्ड पूरे भारत में शरिया कोर्ट स्थापित करना शुरू करने वाला है । यह एक ऐसा असंवैधानिक कदम है जिसे बोर्ड बिना बिचारे अविवेकपूर्ण ढंग से उठाने जा रहा है । उसने यह भी नहीं सोचा कि इससे मुस्लिम समाज का भी को हित है अथवा नहीं । कुछ वर्ष पहले, इस्लामी संगठनों ने केरल में, विशेष रूप से मुस्लिम बहुल जिलों में शरिया कोर्ट शुरू किए थे, लेकिन उन्हें कभी कोई मान्यता नहीं मिली । निश्चित रूप से, काजियों और कठमुल्लाओं द्वारा दिए गए निर्णयों को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया । आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जो भारत में मुस्लिम आबादी का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है और सत्तारूढ़ केंद्र सरकार के समक्ष शक्ति प्रदर्शन पर आमादा है, जब ऐसा कदम उठाये, तब उसके छुपे मकसद को समझकर गंभीरता से लेने की जरूरत है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि मुसलमानों के सिविल मामलों को निबटाने के लिए, पहले से ही भारतीय संविधान में मुस्लिम पर्सनल लॉ निर्मित है, जो लगभग शरिया के आदेशों के अनुरूप ही है। जहाँ तक आपराधिक मामलों का प्रश्न है, वे तो चाहे जितने शरीया कोर्ट बना लो, चलेंगे संविधान के अनुरूप ही | अपराध चाहे हिन्दू करे या मुसलमान, पुलिस कार्यवाही तो एक समान होगी | तो अब सवाल उठता है कि फिर देश में समानान्तर शरिया अदालतों को चलाने की आवश्यकता ही कहां है? किसके लिए होंगे ये शरिया न्यायालय? एआईएमपीएलबी पर मुख्यतः कट्टरपंथी सुन्नीयों का प्रभुत्व है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि हाल ही में, इस्लाम के शिया संप्रदाय के लोगों ने रामजन्मभूमि, ट्रिपल तलाक जैसे विषयों पर, सुन्नी संप्रदाय की राय से अलग राय व्यक्त की हैं | जाहिर है कि वे सुन्नियों द्वारा अपने साथ किये जा रहे भेदभाव को महसूस करते हैं। मुस्लिम संप्रदायों के बीच कई अन्य धार्मिक मतभेद हैं और उन्हें कभी सुलझाया नहीं गया है। खोजा, बोहरा और अन्य जैसे छोटे छोटे संप्रदाय, सुन्नी बहुमत के साथ मतभेद रखते हैं और भेदभाव महसूस करते हैं। इसके बाद भी सुन्नी प्रभुत्व वाला एआईएमपीएलबी, मुस्लिम समुदाय के बीच खिची सांप्रदायिक विभाजन की ओर बिना ध्यान दिए, सभी पर समान रूप से शरिया कोड लागू करने की कोशिश कर रहा है? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या काजियों द्वारा धुर सांप्रदायिक आधार पर दिए गए फैसले, पूरी मुस्लिम आबादी को स्वीकार्य होंगे? क्या मुसलमानों के पासमांडा, असलाट और अर्जल, ताकत के बूते अशरफ द्वारा लगाए गए शरिया को स्वीकार करेंगे? माना जाता है कि शरिया कानून, पवित्र कुरान के आदेशों पर आधारित हैं तथा हदीस कथाओं द्वारा समर्थित हैं | सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात जैसे इस्लामी देशों में और अफगानिस्तान में अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों द्वारा इनका कड़ाई से पालन किया जाता हैं। न्याय, खुले में होता है, जहां अपराधियों को जमीन पर पटक कर उनका सिर या कोई अन्य अंग आदि काटा जाता है । क्या भारत में भी शरिया अदालतें इसी प्रकार आपराधिक मामलों पर विचार करेंगी और उपरोक्त इस्लामी देशों की तर्ज पर फैसले भी लागू करेंगी? इन दंडों को वे कैसे लागू करेंगे ? जो भी न्यायाधीश या उनका अधीनस्थ इस प्रकार के दंड देगा, क्या वह भारतीय संविधान के विरुद्ध नहीं होगा ? ऐसी परिस्थिति में भारतीय न्याय तंत्र क्या चुपचाप तमाशा देखेगा? एआईएमपीएलबी और बोर्ड के सभी सदस्य भी क़ानून के जानकार हैं, तथा वे बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके इस कदम का हर स्तर पर विरोध होगा । और वे चाहते भी यही हैं | उनका एकमात्र उद्देश्य तो मुस्लिम जन के मन में लोकतंत्र के प्रति विरोधी वातावरण बनाना और मुल्लाओं के प्रभुत्व को स्वीकार करने की मानसिकता तैयार करना है। कुल मिलाकर यह आने वाले लोकसभा चुनावों में मुसलमानों के ध्रुवीकरण का प्रयास है | मुस्लिम जनता चुनाव में केवल उसी को वोट करे, जो पिछले दरवाजे से उनके ईश्वरीय शासन को लागू करने का वादा करे | निश्चय ही यह एक भयानक षडयंत्र का खाका खींचा जा रहा है । इसका एक मकसद उन मदरसा स्नातकों को रोजगार मुहैय्या कराना भी है, जो इस्लामी ग्रंथों और अरबी भाषा से परे कुछ भी नहीं जानते । काश मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की उम्मीदें ओंधे मुंह गिरें, क्योंकि इसके पीछे केवल भारत को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करना है। यह मुस्लिम समाज के प्रगतिशील लोगों के लिए सही समय है कि वे मुल्लावाद के विरोध में खुलकर आवाज उठायें, जैसा कि अन्य इस्लामी देशों में भी हो रहा है।
रणवीर सिंह (रणवीर सिंह) लंबे वक्त बाद यश राज फिल्म्स (यश राज फिल्म्स) के साथ फिल्म जय भाई जोरदार (जयेश भाई जोरदार) में नजर आएंगे। इसमें वो एक गुजराती शख्स के किरदार में दिखेंगे। जानिए कब शुरू होगी इसकी शूटिंग। रणवीर सिंह (रणवीर सिंह) ने गल्ली बॉय जैसी बेहतरीन फिल्म से अपनी शुरूआत की थी। इसके बाद वो जल्द ही कबीर खान (कबीर खान) की फिल्म ८३ में नजर आएंगे। ये फिल्म कपिल देव की लाइफ पर बनी है। इसके साथ ही उनकी झोली में करण जौहर की फिल्म तख्त (तख्त) भी है। इन फिल्मों के अलावा अब उनके पास यश राज बैनर की एक और फिल्म आ गई है। लंबे वक्त बाद रणवीर सिंह और ये प्रोडक्शन हाउस एक साथ आ रहे हैं। रणवीर सिंह (रणवीर सिंह मूवीस) इस बैनर के तहत बनने वाली फिल्म जय भाई जोरदार (जयेश भाई जोरदार) में नजर आएंगे। इसमें रणवीर सिंह रामलीला के बाद एक बार फिर गुजराती शख्स के किरदार में दिखेंगे। इसे मनीष शर्मा प्रोड्यूस करेंगे। इस फिल्म की शूटिंग अक्टूबर से शुरू होगी। इसके राइटर और डायरेक्टर हैं दिव्यांक ठक्कर हैं। आपको बता दें कि मनीष शर्मा ने बतौर डायरेक्टर अपना करियर रणवीर सिंह की फिल्म बैंड बाजा बारात से शुरू की थी। जयेशभाई एक बड़े दिल वाली फिल्म है। इसका विचार ही इसका विस्तार है। इसकी कहानी शानदार है। मैं शुक्रगुजार हूं यशराज फिल्म्स का जिन्होंने मेरे लिए इतनी जोरदार कहानी चुनी। अच्छी पटकथा हो तो वो फिल्म लिखते समय ही दिखने लगती है। दिव्यांग ने इस कहानी पर काफी मेहनत की है और उनके टैलेंट को देखते हुए ही मैंने फिल्म के लिए तुरंत हां कर दी। इस फिल्म में मनोरंजन भी है और यह दिल को भी छू लेती है। इतना ही नहीं, रणवीर सिंह ने अपने इंस्टाग्राम पर एक फनी वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में वो इसके डायरेक्टर दिव्यांक ठक्कर के साथ नजर आ रहे हैं। इसमें वो दोनों गुजराती में बात कर रहे हैं। इसमें रणवीर सिंह कुछ मजेदार सवाल दिव्यांक से पूछते हैं और वो इसका जवाब देते हैं। इसमें उन्होंने ये भी जाहिर कर दिया है कि इस फिल्म में वो नजर आने वाले हैं।
मैक पर ऑफिस सक्रिय करने के लिए चाहते हैं? यदि आप ऑफिस स्थापित करते समय आप इंटरनेट से कनेक्ट कर रहे हैं, तो इसे स्वचालित रूप से आपके लिए सक्रिय करना चाहिए। इसे किसी ऑफिस अनुप्रयोग नहीं खुलता है तो, फ़ाइल पर क्लिक करें > खाता > उत्पाद सक्रिय करें । आप इसके बजाय फ़ाइल देख सकते हैं > खाता > में साइन इन करें। युक्ति: जब आप अगलाका चयन करें, तो कुछ नहीं होता है, तो अपने कुंजीपटल पर एन्टर कुंजी का उपयोग करें। ऑफिस सक्रिय करने के लिए विफल हो जाता है, आप कुछ समय के लिए ऑफिस का उपयोग करना जारी रख सकते हैं, लेकिन ऑफिस अंततः दर्ज करता है, तो सीमित कार्यक्षमता मोड। अधिकांश बटन और सुविधाएँ (धूसर) अक्षम किए जाते हैं, और शीर्षक पट्टी में (गैर लाइसेंसीकृत उत्पाद) प्रकट होता है। उपयोगकर्ता व्यवसाय के लिए ऑफिस ३६५ के रूप में, आप सक्रियण की समस्याओं को ठीक करने में मदद करने के लिए समर्थन और पुनर्प्राप्ति सहायक ऑफिस ३६५ के लिए डाउनलोड करें कर सकते हैं। उस उपकरण से आपकी समस्या हल नहीं करता है, तो ऑफिस में गैर लाइसेंसीकृत उत्पाद त्रुटियाँदेखें। सक्रियण विफलताओं के सामान्य समस्या निवारण में मदद के लिए ऑफिस में गैर लाइसेंसीकृत उत्पाद त्रुटियाँ देखें। हम आपकी प्रतिक्रिया मान। कृपया हमें ये चरण वाली विस्तृत टिप्पणी पर सक्रिय ऑफिस ३६५ होम, पर्सनल, यूनिवर्सिटी, ऑफिस २०१३ या ऑफिस २०१६छोड़े हुए मददगार थे, तो बताएँ।
सारा अली खान न्यूज : सारा अली खान जल्दी ही सैफ अली खान की बेटी होने की इमेज से बाहर आ जाएंगी। जिस तरीके से बड़े फिल्म मेकर उनको साइन कर रहे हैं, उससे तो यही लगता है। सारा अली खान न्यूज : सारा अली खान की भले ही अभी पहली फिल्म भी रिलीज नहीं हुई है लेकिन सैफ अली खान की बेटी अभी से ही तमाम बड़े फिल्म मेकर्स की पसंद बन गई है। बता दें कि सारा अली खान की डेब्यू फिल्म केदारनाथ है जो ७ दिसंबर को रिलीज होगी। इसमें वह सुशांत सिंह राजपूत के साथ आ रही हैं। हाल ही में फिल्म का टीजर रिलीज हुआ है और इसमें सारा के काम की काफी तारीफ हो रही है। इसके अलावा, इसी साल के अंत में वह रणवीर सिंह के अपोजिट रोहित शेट्टी की फिल्म सिंबा में दिखेंगी। इस यूनिट की भी यही राय है कि सारा अली खान आने वाले समय की सुपरस्टार हैं। वैसे लगता है कि सारा अली खान की इन ताारीफों से इम्तियाज अली खासे प्रभावित हो गए हैं। सुनने में आया है कि उन्होंने सारा को प्यार का पंचनामा फेम कार्तिक आर्यन के अपोजिट अपनी अगली फिल्म के लिए साइन किया है। डीएनए की एक खबर के मुताबिक, इम्तियाज की तमाम फिल्मों में ट्रैवलिंग कहानी का एक अहम हिस्सा होती है और इस नई कहानी में भी ऐसा ही फ्लेवर है। कार्तिक का चयन फिल्म के लिए पहले ही कर लिया गया था और उनके अपोजिट किसी नए चेहरे की तलाश थी जिसको पर्दे पर ज्यादा दर्शकों ने देखा न हो। जब इम्तियाज ने केदारनाथ और सिंबा के टीजर्स में सारा अली खान का काम देखा तो उन्होंने उनको कास्ट करने का मन बना लिया। खबर के अनुसार, सारा अली खान को भी फिल्म की कहानी पसंद आई है और वह भी इसके लिए हां कर चुकी हैं। फिल्म की शूटिंग अगले साल शुरू करने की प्लानिंग है। बेशक ये सब देखकर तो लगता है कि सारा अली खान को जल्द ही और भी बड़े ऑफर मिलने वाले हैं। देखना ये होगा कि इस दौड़ में क्या वह जान्हवी कपूर से आगे निकल पाती हैं या नहीं !
गूगल ईमेल (गूगल ईमेल ग्मेल) में अब आप सैकड़ों प्रकार के नये वर्चुअल की-बोर्ड, लिप्यंतरण उपकरण, और इनपुट मेथड एडीटर (वर्चुअल कीबोर्ड, ट्रांसलिट्रेशन तूल एंड इनपुट मेथोड़ एडीटर) का प्रयोग कर पायेंगे। अब आपको अपनी भाषा और अपने की-बोर्ड (कीबोर्ड) से और दूर रहने की बात एक पुरानी बात होती नज़र आ रही है। अपनी पसंद की भाषाओं के मध्य किसी एक चुनाव (स्विचिंग बिट्वीन लैंग्वेएज) मात्र एक क्लिक (ओन क्लिक) में किया जा सकता है। अब गूगल कुल ७५ इनपुट भाषाएँ (७५ इनपुट लैंग्वेएज) समर्थित करता है। इस सुविधा को जी-मेल (ग्मेल) पर प्रयोग करने के लिए आपको सेटिंग (सेटिंग्स) विकल्प में भाषा (लैंग्वेएज) विकल्प के नीचे दिये इनेबल इनपुट टूल्स के चेक बॉक्स (चेक बॉक्स) पर क्लिक करके अपनी मनपसंद भाषा का चुनाव करना होगा। एक बार इसे सक्षम कर लेने के बाद आप इनपुट उपकरण (इनपुट तूल) का आइकन (इकन) सेटिंग बटन के बायीं ओर देख पायेंगे। आप यहीं इस उपकरण को ऑन और ऑफ (ऑन & ऑफ) भी कर पायेंगे, और यदि आपने एक से अधिक भाषाओं को इनपुट उपकरण (इनपुट तूल) में चुना है तो उनके मध्य किसी एक का चुनाव भी यहीं से सम्भव होता है। गूगल मेल (गूगल मेल ग्मेल) पर यूँ वर्चुअल की-बोर्ड (वर्चुअल कीबोर्ड) और आइ.एम.इ. (इमें) के ऐसे ज़बरदस्त गठजोड़ के बाद से प्लेटफार्म मुक्त (प्लेटफार्म इंडिपेंडेंट) बेहतर भाषा सहायता सम्भव हो सकेगी। यह तब भी बहुत कारगर साबित होगा जब हम यात्रा के दौरान अपनी भाषा में टाइप करना चाहें। साथ ही साथ यह महँगे बहु-भाषीय की-बोर्ड (एक्सपेसिव मल्टीलींगुअल कीबोर्ड) के लिए एक मुफ्त और कारगर विकल्प है। ३. अब आगे खुलने वाली विंडो में इनपुट टूल्स के आगे दिये ऑफ पर क्लिक करके उसे ऑन कीजिए (स्टेप ५) और चित्रानुसार स्टेप ६, स्टेप ७ व स्टेप ८ को मैनेज कीजिए। स्टेप ९ के अनुसार सब बदलाव सहेज दीजिए। ४. अब आप अपने ग्मेल इनबॉक्स पर नीचे दिखाये गये चित्र के अनुसार गूगल लिप्यंतरण बटन (स्टेप १०) देख पायेंगे। इस पर क्लिक करके आप अपनी चुनी गयी भाषाओं के मध्य टायपिंग के लिए चुनाव कर पायेंगे। आशा है यह पोस्ट आपको पसंद आयेगी और इससे लाभ अर्जित कर पायेंगे।
नई दिल्ली (भाषा)। यूनानी डॉक्टरों की संस्था ऑल इंडिया तिब्बी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यूनानी, आयुर्वेदिक और होमियोपेथिक डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र भी ६५ वर्ष करने की मांग की है। संस्था के महासचिव डॉक्टर सैयद अहमद खान ने कहा कि डॉक्टरों की कमी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा के सभी डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाकर ६५ वर्ष करने के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने संबंधी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गए बयान में यूनानी, आयुर्वेदिक और होमियोपेथिक डॉक्टरों को शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि तिब्बी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर गुजारिश की है कि देश के पारंपरिक डॉक्टरों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। डॉक्टर खान ने पत्र में प्रधानमंत्री से मामले में दखल देने का अनुरोध करते हुए कहा कि देश के स्वास्थ्य क्षेत्र का यूनानी, आयुर्वेदिक और होमियोपेथिक डॉक्टर महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और ये डॉक्टर केंद्र सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी काम करते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस भेदभाव को खत्म करने को कहते हुए यूनानी, आयुर्वेदिक और होमियोपेथिक डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र भी ६५ वर्ष करने का ऐलान २१ जून को मनाए जाने वाले योग दिवस से पहले करने की मांग की है।
भारत में न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने पांच सदस्यीय बेंच बनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। सभी जानते हैं कि भारत की अदालतों में भ्रष्टाचार व्याप्त है आम धारणा यह है कि निचली अदालतों में भ्रष्टाचार बहुत अधिक है और जैसे-जैसे ऊपर की अदालतों में जाते हैं, वह कम होता जाता है। भारतीय इतिहास में पहली बार इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा जज के खिलाफ मामला दर्ज होने जा रहा है। भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा जस्टिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया रंजन गोगोई ने सीबीआई को तत्काल मामला दर्ज करने के लिए कहा है।हाईकोर्ट के जस्टिस एस एन शुक्ला पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। न्यायमूर्ति शुक्ला पर यूपी के मेडिकल कालेज में एमबीबीएस के लिए प्रवेश में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गड़बड़ी करने का आरोप है। कहा गया कि निजी मेडिकल कालेज को लाभ पहुंचाने के लिए न्यायमूर्ति शुक्ला ने सत्र २०१७-१८ में प्रवेश तिथि बढ़ाई थी। यही वजह है कि जस्टिस एस एन शुक्ला के न्यायिक फैसले लेने पर जनवरी 20१८ से रोक लगी हुई है। वहीं चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कार्य स्थल परिवर्तन प्रस्ताव भी ठुकरा दिया। खास बात है कि सीजेआई ने पीएम मोदी को जून माह में पत्र लिखकर संसद में अभियोग लाकर शुक्ला को पद से हटाने की मांग भी की थी। तीस बरसों में ऐसा पहली बार हुआ है कि सीबीआई को किसी सिटिंग जज के मामले में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दी गई है। गौरतलब है कि तीस साल पहले १९९१ में वीरास्वामी केस में किसी भी जांच एजेंसी को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में कार्यरत किसी भी जज के खिलाफ दस्तावेज सीजेआई को दिखाए बिना जांच शुरु करने के लिए एफआईआर दर्ज करने की अनुमति नहीं दी थी। ज्ञात हो कि हाईकोर्ट में कार्यरत किसी भी जज के खिलाफ १९९१ से पहले किसी भी एजेंसी ने किसी भी मामले में हाईकोर्ट में कार्यरत जज के खिलाफ मामले में जांच नहीं की थी। उसके बाद से यह पहली बार है जब कोई जांच एजेंसी को सिटिंग जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दी गई है।
भिन्न को दशमलव में बदलकर । किसी संख्या से अंश में गुणा करें और जो ल. स. और म.स. मिला है उसमें में उसी संख्या से भाग कर दें जिससे पहले गुणा किया गया था । बहुत ही आसानी से काम हो जायेगा। चलिए उदाहरण की सहायता से समझते हैं। उदाहरण : भिन्नों ४ / ५, और ३ / ७ का ल.स. और म.स. बिना भिन्न वाले सूत्र लगायें ज्ञात करने के लिए हम सबसे पहले दोनों भिन्नों के हर का ल.स. निकालना होगा या फिर ऐसी संख्या का गुणा करें दोनों भिन्नों कि हर वाला मान हट जाये । ५ और ७ का ल.स. = ३५ होगा। इसलिए ४ / ५, और ३ / ७ में ३५ का गुणा करने पर, अब २८ और १५ का म.स.और ल.स. आसानी से पता कर सकते हैं। चुँकि हमने २८ और १५ प्राप्त किया है भिन्नों ४ / ५, और ३ / ७ में ३५ का गुणा करने पर । इसलिए अब हमें ३५ से ४20 में भाग करनी पड़ेगी। भाग करने पर, आगे जारी है... दशमलव का ल.स.और म.स. । नोट : भिन्नों को दशमलव में भी बदलकर ल.स.और म.स. निकाला जा सकता है। पर जो भिन्नें पूर्णतः विभाजित होती हैं । उनका ही आसानी से ल.स.और म.स. निकाला जा सकता है । अगर आपके पास कोई सवाल है इससे संबंधित तो बेझिझक कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं। अगर आप इस साइट से जुड़ना चाहते हैं तो निचे दिए सब्सक्राइब बाक्स में अपनी ईमेल आईडी और पासवर्ड डालकर जुड़ सकतें हैं ।
कुछ उपयोगकर्ता यह भी लिखते हैं कि वहां हैऐसे ऑटोक्लिकर्स जो आपके व्यक्तिगत डेटा (पासवर्ड, लॉगिन) को उन स्कैमर को प्रेषित करते हैं जिन्होंने सफलतापूर्वक अपनी कड़ी मेहनत की है। क्या कोई अतिरिक्त द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन कार्यक्रम वास्तव में सार्थक है? फिलहाल, "एसईओप्रिंट" किसी भी ऑटोक्लिकर्स का समर्थन नहीं करता है और दृढ़ता से उन्हें काम करते समय उपयोग करने की सलाह नहीं देता है, अन्यथा वे उपयोगकर्ता को बैंक सूची में भेजते हैं। और आप सेओस्प्रिंट पर कमाई खो देंगे। समीक्षा, हालांकि, इस तरह के कार्यक्रमों के बारे में एक सकारात्मक नस में लिखी गई है, आमतौर पर डेवलपर्स स्वयं या अन्य बेईमान उपयोगकर्ताओं द्वारा लिखी जाती है। एक निर्धारित राशि के लिए उपयोगकर्ता एक महीने के लिए सेवा के लिए उपयोग मिल जाएगा। यह एक बहुत अच्छा सौदा, में निवेश के रूप में है द्विआधारी विकल्प - पूर्वानुमान रोबोट और मेरी सिफारिशों से बस कुछ ही दिनों में खुद के लिए कई बार भुगतान करना होगा। मुद्रास्फीति प्रबंधन में उपायों के एक सेट का उपयोग शामिल है जो कुछ हद तक मदद करता है जो आय स्थिरीकरण के साथ मूल्य वृद्धि (मामूली) को जोड़ता है। पश्चिमी देशों में प्रयुक्त प्रक्रिया प्रबंधन उपकरण मुद्रास्फीति की प्रकृति और स्तर, व्यापार पर्यावरण के विनिर्देशों और आर्थिक तंत्र के विनिर्देशों के आधार पर भिन्न होते हैं। मोरस्ती शहर में भूमध्यसागरीय सागर के तट पर रिबैट एक भव्य ट्यूनीशियाई किले है। यह सबसे पुराना और सबसे महत्वपूर्ण रक्षात्मक काम है जो अरब विजेताओं द्वारा द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन माघरेब तट पर खड़ा हुआ है। इस्लाम। यह ७९६ में स्थापित किया गया था, यह इमारत मध्ययुगीन काल के दौरान, कई पुनर्गठन प्रारंभिक रूप से एक चतुर्भुज की तरह आकार में, इसमें चार आंतरिक आंगनों वाले दो भवन हैं। इसके अलावा, यह माघरेब के सबसे पुराना और सबसे महत्वपूर्ण रिबेट माना जाता है, इसे मोनास्टिर का प्रमुख स्मारक माना जाता है। ग्यारहवीं शताब्दी के दौरान, अन्नालुसियाई भूगोल और इतिहासकार अल बकरी ने मोंस्थिर के रिबेट पर निम्नलिखित विवरण छोड़े: "यह एक बहुत ही उच्च और ठोस रूप से निर्मित किले है। जमीन के ऊपर, पहली मंजिल पर, एक मस्जिद है जहां एक शेख है, जो पुण्य और योग्यता से भरा है, जो खड़ा है, जिस पर समुदाय की दिशा तय है। " दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है । फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐमजॉन के शेयरों द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन में २ फीसदी की बढ़ोतरी से बेजॉस की कुल संपत्ति में ९० करोड़ डॉलर का इजाफा हुआ और वह दुनिया के सबसे अमीर शख्स बन गए हैं। टूर्नामेंट चयन में (गद९१) व्यक्तियों के एक नंबर टूर आबादी से यादृच्छिक पर चयन किया जाता है, और इस समूह से सबसे अच्छा व्यक्ति माता-पिता के रूप में चुने गए हैं. यह प्रक्रिया अक्सर दोहराया है ने कहा कि व्यक्तियों का चयन. इन चयनित माता-पिता वर्दी यादृच्छिक संतान उत्पन्न. टूर्नामेंट के चयन के लिए पैरामीटर टूर टर्नेरिंगटॉरेल्सन है. टूर मूल्यों से लेकर ले जाता है २ - ओसीआर के लिए सिफारिश की (जनसंख्या में लोगों की संख्या). तालिका ५ और चित्रा ९ टूर्नामेंट आकार और चयन के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के शो (बट९५)। बुनियादी तत्व पूरा होने के बादछवि, आप जारी रख सकते हैं। कार्य का अगला तत्व, चरणों में एक ओलंपिक तेंदुए को कैसे आकर्षित किया जाए, छवि के अंगों और विवरणों को चित्रित करने में शामिल हैं। बैंकों ने एल्गोरिदम का लाभ भी लिया है जो कि इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर मुद्रा जोड़े की कीमतों को अपडेट करने के लिए प्रोग्राम किए जाते हैं। ये एल्गोरिदम गति को बढ़ाता है जिस पर बैंक बाजार की कीमतों का उद्धरण कर सकते हैं, साथ ही मैन्युअल कामकाजी घंटों की संख्या को कम कर देते हैं, जो कीमतों का उद्धरण लेते हैं। इस बारे में सोचें कि आप आइटम कैसे बेच सकते हैं। आप अपने व्यक्तिगत सामान को उन लोगों को बेच सकते हैं जिन्हें आप जानते हैं, या अजनबियों, या इंटरनेट पर। आप कहां रहते हैं इसके आधार पर, इनमें से प्रत्येक विधि आपको त्वरित आय ला सकती है। फीफा रैंकिंग में भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम एक स्थान नीचे खिसक कर ९७वें स्थान पर पहुंच गई है. इससे पहले टीम ९६वें स्थान पर थी। संबंध जोड़कर तोड़ना बहुत मुश्किल है, विवाहित होकर के फिर संबंध तोड़ना कठिन कार्य है। मन की वैयावृति मानसिक वैयावृति कैसे होती है, यह जानना बहुत आवश्यक है। मोक्षमार्ग में असंख्यात गुनी निर्जरा होती है, ऐसा चिंतन करना चाहिए। तुमसे मेरे कर्म कटे, मुझसे तुम्हें द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन क्या मिला? तुमने अनेकों गतियों में भ्रमण करके संख्यात या असंख्यात काल पर्यंत बिना विश्राम किए दुख सहे है, तब अति अल्प काल के लिए इस भव में यह थोडा सा दुःख क्यों नही सहते हो? २०१८/०७/२५ मुद्रा बाजार में शांत है: सबसे मुद्राओं संकीर्ण सीमाओं महत्वपूर्ण घटनाओं इस सप्ताह से पहले समेकित - डोनाल्ड ट्रम्प, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्यां क्लाड जंकर और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति की बैठक । यह वास्तव में एक बहुत ही आसान काम है, लेकिन यह आप उपकरण या एक संकेतक के प्रत्येक बिक्री के लिए, क्योंकि प्रत्येक ग्राहक के लिए पैसे की एक सुंदर राशि कमाने का मौका देता है, इस सहबद्ध साइट वे कमीशन मिलता है, मंच करने के लिए देता है। यह इन दिनों में काफी अच्छा कमीशन है। इस प्रक्रिया में लोगों को अभी केवल सौंपा गतिविधियों के प्रचार के लिए बाहर ले जाने के लिए की जरूरत है और कुछ में खुद को शामिल करने की जरूरत नहीं है क्योंकि द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन यह बहुत आसान काम कहा जाता है। यदि आप अधिक इस तरह की पेशकश के मामले में, एक विदेशी मुद्रा व्यापार में रुचि रखते हैं, जो उन लोगों के लिए पैसे की एक सुंदर राशि अर्जित करने के लिए बहुत अच्छा मौका है। सहबद्ध साइटों की मदद से विपणन के लिए सही प्रचार गतिविधियों और सही दृष्टिकोण के साथ, पैसे की एक सुंदर राशि प्रवाह कर सकते हैं। आप से ज्यादा अनुभव नहीं है, द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन तो व्यापार द्विआधारी विकल्प व्यापार और आवश्यकता को स्वीकार किया जा सकता है, एक डेमो व्यापारी खाते का उपयोग करने की कोशिश या जब आप व्यापार करने के लिए कैसे प्रॉपर्ली.तीस मदद कर सकते हैं आप आसानी से उत्कृष्ट ट्रेडों और बुरा ट्रेडों देखने को मिलता है समय की लंबाई के लिए एक मिनी खाते में अपने निवेश को कम सुरक्षित रखते हैं। फिर भी, एक पल के लिए जब आप एक गलती करते हैं, और यहाँ वहाँ एक अनिवार्य नाली हो जाएगा आता है! इस तथ्य को स्पष्ट रूप से समझ जाना चाहिए, ओवरक्लॉकिंग के संभव है, लेकिन यह लगातार और एक स्थिर आधार पर जमा ड्राइव करने के लिए असंभव है! डिज़ाइन परियोजना बाहर ताजा और मूल दिखता है, लेकिन पहले से ही देखा है के रूप में, कई मंचों, उत्पादों की इस तरह उच्च उपज परियोजनाओं के लिए है, न कि केंद्र के लिए की तुलना में सूट करेगा। शामिल जानकारी का एक न्यूनतम राशि संसाधन के पेजों को भरने, पाठ केवल अंग्रेजी भाषा के सामग्री तैयार की। होम प्रदर्शित करता है लाभ का एक कैलकुलेटर गणना के साथ निवेश की योजना, नीचे जमा और भुगतान पर कंपनी के फायदे और हाल ही के लेनदेन को दर्शाता है। अमेरिकी एथलीट मार्क फिलिप शल्ट्ज - ओलंपिक चैंपियन और दो बार विश्व चैंपियन। एक फ्रीस्टाइल पहलवान, वह अमेरिकी लड़ाई के राष्ट्रीय हॉल ऑफ फेम का मानद सदस्य है। गुणा करना। बोनस शेयर जो अगले महीने के भीतर एक निश्चित ट्रेडिंग कारोबार बनाने की योजना बना रहे हैं यह निम्नानुसार कार्य करता है: माह की शुरुआत में ग्राहक बोनस "गुणा" के लिए लागू होता है, जिसमें वे कितने लोगों की योजना बनाते हैं। पहले से, व्यापार संचालन के लिए उन्हें बोनस प्रदान किया जाता है। और अधिक - अधिक बोनस बीआईआर छुट्टी द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन की अवधि बच्चे की देखभाल (३ साल) के मुकाबले कुछ हद तक कम है। इस प्रकार की छुट्टियों की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि उनका उपयोग प्रासंगिक कार्य अनुभव के संचय को निलंबित नहीं करता है।
जीटीबी अस्पताल में मंगलवार को बच्चा बदले जाने के एक मामले को लेकर सुबह से शाम तक गाइनी वार्ड में हंगामे की स्थिति बनी रही। शाम के वक्त पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने बीच-बचाव कर मामले को शांत कराया। जानकारी के मुताबिक, बड़ौत के रहने वाले इमरान ने डिलिवरी के लिए अपनी पत्नी फरजाना को जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया था जहां ऑपरेशन के बाद फरजाना को बच्चा पैदा हुआ। पति इमरान ने बताया कि मेडिकल कारणों से मां और बच्चे के अलग-अलग रखा गया था। सुबह के वक्त अस्पताल की एक महिला स्टाफ फरजाना के पास एक बच्चे को लेकर आई और बोली कि तुम्हें बेटा पैदा हुआ है, इसे अपना दूध पिलाओ। दूध पिलाने के बाद वह फिर बच्चे को लेकर चली गई। वही स्टाफ थोड़ी देर बाद दोबारा आई और बोली कि तुम्हें बेटा नहीं, बेटी हुई है। इसके बाद फरजाना के परिजनों ने बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया। हंगामे को बढ़ता देख मौके पर पुलिस और अस्पताल के अधिकारी पहुंच गए। सुबह से लेकर शाम तक चले हंगामे के बाद अस्पताल प्रशासन ने फरजाना के परिजनों को समझा-बुझाकर मामले को शांत कराया। जब नए सिरे से सारे पेपर चेक किए गए तो पता चला कि फरजाना को बेटा नहीं, बेटी ही पैदा हुई थी। अस्पताल की उस महिला स्टाफ की एक गलतफहमी की वजह से ऐसी अजीब स्थिति बन गई। हंगामे के दौरान दोनों ही मांओं का रो-रोकर बुरा हाल था। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर सुनील कुमार गौतम ने बताया कि इस मामले की जानकारी अभी उन तक नहीं पहुंच पाई है।
मुंबई। महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने से इंकार करने के बाद अब बीजेपी का विपक्ष में बैठना तय माना जा रहा है। वहीँ अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का न्यौता दे सकते हैं। वहीँ इससे पहले महाराष्ट्र में शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस प्रभारी और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है और यही फैसला हमारा है। उन्होंने कहा कि कुछ बयानों में कांग्रेस के शिवसेना को समर्थन देने की बात सामने आ रही है और कुछ इससे इंकार कर रहे हैं लेकिन इन बयानों में कोई सच्चाई नहीं है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में किसी भी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। ऐसे में अकेले सरकार बना पाना किसी भी पार्टी के लिए सम्भव नहीं है। बीजेपी शिवसेना ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों दलों के बीच में मुख्यमंत्री पद को लेकर रार पैदा हो गयी। हालाँकि शिवसेना की तरफ से दावा किया जा रहा है कि उसे महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन मिलेगा। हालाँकि कांग्रेस और एनसीपी ने अभी तक आधिकारिक तौर पर शिवसेना को समर्थन देने की बात नहीं कही है। ऐसे में देखना होगा कि क्या राज्यपाल कोश्यारी शिवसेना को सरकार बनाने का न्यौता देंगे? यदि ऐसा होता है तो शिवसेना को महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस समर्थन देते हैं अथवा नहीं।
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि जो सेवाओं अभी नि:शुल्क हैं २० जनवरी के बाद भी वे फ्री रहेंगी और कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा। बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी डी.बी महापात्रा ने शुक्रवार को संवाददाताओं से चर्चा में यह स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि सभी सरकारी बैंक राष्ट्र सेवा और देशवासियों की सेवा में लगे हुए हैं। इसके मद्देनजर देशवासियों पर बैंकिंग सेवाओं को लेकर कोई भी अतिरिक्त प्रभार नहीं लगाया गया है। सभी सरकारी बैंकों में २० जनवरी से किसी भी नि:शुल्क सेवा को शुल्क में दायरे में नहीं लाया जा रहा है। इस संबंध में वित्तीय मामलों के सचिव राजीव कुमार ने भी बैंकों से जानकारी ली है और उन्होंने भी ट्वीट के जरिये यह साफ किया है कि २० जनवरी से कोई भी सरकारी बैंक नि:शुल्क सेवाओं को समाप्त नहीं कर रहा है और इन सेवाओं पर शुल्क नहीं लगा रहा है।
डेविड कोलमैन हेडली की गवाही के साथ इशरतजहां का मामला फिर से हमारी स्मृति में लौट आया है। इशरतजहां की कहानी में तीन पहलू बेहद अहम हैं। सबसे पहले उन्हीं पर बात। पहला तो यह कि इशरत और जिन अन्य को मारा गया उनके आतंकियों के साथ मजबूत रिश्ते थे, संभवत: लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संग। दूसरा, उनकी हत्या सुनियोजित मुठभेड़ में की गई, जिसका तानाबाना खुफिया ब्यूरो (आईबी) और गुजरात पुलिस ने बुना। तीसरा यह कि भले ही यह मुठभेड़ (१५ जून, २००४) संप्रग राज में हुई और आईबी के अगले छह निदेशक उसी सरकार ने नियुक्त किए लेकिन उसने कई वर्षों बाद मुठभेड़ को तब फर्जी और इशरत को निर्दोष बताना शुरू किया,जब उसके लिए गुजरात से सियासी चुनौती बड़ी होती गई। जब अमेरिका में हेडली से पहली पूछताछ में एनआईए ने उसके ब्योरे को पेश किया तो यह राजनीतिक बवंडर खड़ा हो गया कि इशरत लश्कर से जुड़ी थी और अपना मिशन पूरा नहीं कर पाई। संदर्भ हटा दिए गए, उन्हें निरस्त और खारिज कर दिया गया। अब हेडली अपने २०१० के बयान को ही दोहरा रहा है। हेडली के दावों से तीन विवादित तस्वीरें उभर रही हैं। पहली उसका दावा एकदम खोखला है। वह दोषी है। साथ ही ऐसा दोहरा एजेंट रहा है, जिसने अमेरिकी और भारतीय कानून में टाडा अदालत से माफी के जरिए राहत पाई है। इशरत के बारे में उसका बयान राजग सरकार द्वारा दी गई माफी के बदले एहसान भी हो सकता है। लिहाजा, उनकी मूल धारणा में कोई बदलाव नहीं आया है कि इशरत निर्दोष थी, जो फर्जी मुठभेड़ की भेंट चढ़ गई। दूसरा, अब तमाम सबूत बोलते हैं कि इशरत लश्कर की सक्रिय सदस्य थी और अगर पुलिस ने उन लोगों का उड़ा दिया तो इसमें क्या समस्या है, आपको आतंकियों से सक्रियता के साथ निपटने की दरकार है। तीसरी तस्वीर नागरिक अधिकारवादियों का यह सुविधाजनक पहलू कि अगर वह आतंकी थी भी, तो क्या? क्या इससे फ़र्जी मुठभेड़ को वैधता मिल जाती है? इन सभी तस्वीरों के तर्क भारी पड़ते हैं लेकिन ये तथ्य और नैतिकता के आधार पर दोषपूर्ण भी हैं। चलिए उन शुरुआती तीन पहलुओं के संदर्भ में इन्हें कसौटी पर कसते हैं। पहला यह कि संप्रग शासन के दौरान खुफिया हलकों में यह मान लिया गया था कि इशरत एलईटी की सदस्य थी। उस गिरोह को सुनियोजित मुठभेड़ में मार गिराया गया, जो आतंक से निपटने की कवायद के 'अनुरूप' ही था। असल में संप्रग के दूसरे कार्यकाल में ही यह शुरू हुआ, जब सरकार को गुजरात से चुनौती कड़ी होती दिखी और उसके मोदी, शाह और उनके सक्रिय पसंदीदा पुलिसकर्मियों पर उनके विशेष परिचालन समूहों ने सक्रियता बढ़ा दी और 'फर्जी मुठभेड़' पर मातमपुर्सी का सिलसिला शुरू हुआ। इसके दोहरे मकसद थे। एक तो राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की जड़ें काटना और दूसरा मुसलमानों को पीडि़त के तौर पर पेश कर चुनावी फायदा उठाना। मई, २००४ में सत्ता संभालने के कुछ हफ्तों के भीतर ही संप्रग ने अपना पहला आईबी निदेशक नियुक्त किया और अगले प्रमुख के तौर पर अजित डोभाल जैसे तेजतर्रार शख्स को चुना। तब खुफिया ब्यूरो एमके नारायणन की अगुआई में चल रहा था और करीब एक दशक तक ऐसे ही चला। आईबी में नारायणन की तुलना में कोई भी उतना परिचित, सम्मानित और प्रशंसनीय अधिकारी नहीं हो सकता था और साफ कहूं तो हमने कभी उन्हें इशरत को निर्दोष, मुठभेड़ को फर्जी बताने या आईबी की गुजरात इकाई के प्रमुख संयुक्त निदेशक (पुलिस महानिरीक्षक के समकक्ष) राजेंद्र कुमार के खिलाफ मुकदमा चलाने का समर्थन करते नहीं सुना। हालांकि डोभाल सहित कोई आईबी प्रमुख कितना ही (खुराफाती) यह कुछ अनुपयुक्त अनुवाद है इसे साधन संपन्न और बेहद सक्रिय समझिए, क्यों न हो, कोई नारायणन से आगे नहीं हो सकता। मगर सियासत इस पर हावी हो गई। एक स्तर पर यह सीबीआई बनाम आईबी की लड़ाई बन गई। दूसरी ओर कांग्रेस के विशेष परिचालन समूह के सदस्यों ने नए सिद्धांत गढ़ लिए, जैसे कि कुमार और नरेंद्र मोदी का (नजदीकी याराना) रहा है और जब मोदी हिमाचल में भाजपा के प्रभारी थे तो चंडीगढ़ में आईबी की कमान संभाल रहे कुमार के साथ उनकी करीबी बढ़ी। यह खोज करने में संप्रग को एक दशक, तीन गृह मंत्री और पांच आईबी प्रमुख लग गए। अब यह खुलासा हो चुका है और कांग्रेस को नहीं पता कि उसे कहां मुंह छिपाना है। यह किसी से छिपा नहीं रहा कि सुरक्षा संबंधी सभी खतरों से निपटने में कांग्रेस खासी क्रूर रही है। वर्ष १९८४ से १९९३ के दरमियान उसने बेमिसाल एकनिष्ठता के साथ गुप्त तरीके से पंजाब में अलगाववाद को नेस्तनाबूद किया। अगर विशाल भारद्वाज की 'हैदर' में नब्बे के दशक की शुरुआत के दौरान कश्मीर में आतंक विरोधी गतिविधियों से निपटने की हृदय विदारक तस्वीर ने आपको विचलित किया हो तो याद रखिए कि यह सब नरसिंह राव की 'कमजोर' और अल्पमत वाली कांग्रेस सरकार के दौरान हो रहा था। इसलिए कांग्रेस के लिए सीधा जवाब यही होगा कि देखो इस मसले पर कौन आवाज उठा रहा है। सबसे बेवकूफाना तर्क यह है कि भाजपा ने हेडली को माफी दी और इशरत को लेकर उसका दावा सौदेबाजी का हिस्सा है। हेडली को लेकर सौदेबाजी संप्रग के समय में ही शुरू हुई थी। अगर आपको संदेह है तो तत्कालीन अमेरिकी राजदूत टिम रोमर की नारायणन से बातचीत के लीक अमेरिकी केबल पर गौर कीजिए, जिसमें वह कहते हैं कि भारत खुद को ऐसे पेश नहीं कर सकता कि वह प्रत्यर्पण से पीछे हट रहा है, लेकिन फिलहाल इसे नहीं उठाएगा। स्वाभाविक रूप से रोमर इशारा करते हैं कि अमेरिकी कानून में अगर किसी को दोषी ठहराया जाता है तो जब तक सजा पूरी न हो जाए, उसका प्रत्यर्पण नहीं हो सकता और यह मामला ३५ साल की सजा से जुड़ा है। लिहाजा, भारतीय माफी महज औपचारिकता है। नागरिक अधिकारवादियों का मामला ज्यादा पुख्ता है, खासतौर से जब वे यह कहते हैं कि अगर वह आतंकी थी भी तो क्या। कोई भी कानून फर्जी मुठभेड़ों को वैधता नहीं देता। यह सर्वमान्य है। भाजपा का तर्क है कि आतंकियों को किसी भी सूरत में ठिकाने लगाया जा सकता है, भले ही वह नैतिक और कानूनी रूप से गलत हो। सवाल है कि क्या इशरत मामला फर्जी मुठभेड़ है। फर्जी और वास्तविक मुठभेड़ों (बटला हाउस मुठभेड़ भी संप्रग के दौर में हुई) के अलावा एक तीसरी और प्रचलित श्रेणी है। खुफिया लोगों ने सबसे अशिष्ट चीज के लिए बेहद शिष्ट शब्द गढ़ा है। इसे वे निर्देशित हत्या का नाम देते हैं। इशरत मुठभेड़ न तो वास्तविक थी और न ही फर्जी। मेरे नजरिए ये यह नियंत्रित हत्या थी। अगर आतंकी खतरों के बढऩे से ऐसी और हत्याएं जरूरी हैं तो आपको भी अमेरिका की तरह कानूनी ढांचा बनाना होगा। या फिर स्कैंडेनेवियाई देशों की राह चलना होगा। अगर इस अवैध और अनैतिक कृत्य को लेकर आप असंतोष जताते हैं तो आपको इसकी शुरुआत कुछ पहले से करनी होगी और अगर १९६८-७१ के दौर वाले नक्सली अध्याय से नहीं तो १९८४-९३ के पंजाब से ही सही। आप इशरत पर भी नहीं रुक सकते। क्या संप्रग के राज में किसी आजाद नाम के माओवादी पर कोई हंगामा हुआ, आजाद भारत में किसी अन्य की तुलना में कांग्रेस के राज में ही सबसे ज्यादा नियंत्रित हत्याएं हुईं। असंतोष जताने के लिए सुविधावादी नहीं हुआ जा सकता।
इंदौर में एक सभा को संबोधित करते हुए विजयवर्गीय ने कहा, मेरे घर में हाल ही में निर्माण कार्य चल रहा था। इस दौरान मेरे यहां काम कर रहे मजदूर जब खाना खाने बैठे तो मुझे उनके खाना खाने का तरीका कुछ अजीब लगा। बता दें कि असम में न्र्च के खिलाफ हुए हिंसात्मक प्रदर्शन के दौरान पीएम मोदी झारखंड में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान मंच से उन्होंने कहा था कि देश में आग कौन लोग लगा रहे हैं, यह उनके कपड़ों से पता चल जाता है। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन जारी है। पिछले दिनों पीएम मोदी ने कहा था कि जो लोग देश में आग लगाते हैं, उनके कपड़ों से ही पता चल जाता है कि वे कौन लोग हैं।
दर्शनशास्त्र एक विज्ञान है जिसका जन्म हुआउम्र की गहराई। यह हर समय महत्वपूर्ण और प्रासंगिक था। स्वाभाविक रूप से, दर्शन अभी भी इसकी लोकप्रियता खो नहीं है। और आजकल इसमें मनुष्य के स्थान और उससे संबंधित मामलों में शामिल महान विचारक शामिल हैं। आधुनिक दर्शन में काफी बदलाव आया है, लेकिन इसका अर्थ नहीं खो गया है। आइए सभी सुविधाओं को और अधिक विस्तार से देखें। हमारे समय का दर्शन हैसभी प्रकार के अभ्यास का एक सेट। यह एक अभिन्न दुनियादृश्य नहीं है, लेकिन बारहमासी मुद्दों के लिए विभिन्न दृष्टिकोण हैं। आधुनिक दर्शन पहले की तुलना में अधिक सहनशील है। अब व्यक्ति को चुनने का पूरा अधिकार है। एक आधुनिक व्यक्ति खुद को तय कर सकता है कि दुनिया का क्या विचार है और इसमें किसी व्यक्ति की जगह उसके करीब है। साथ ही, एक व्यक्ति अपनी वैचारिक स्थिति की पसंद के लिए पूरी ज़िम्मेदारी लेता है। आधुनिक दर्शन ने निर्माण करने से इंकार कर दियाकोई सटीक सिस्टम। विचारक दृढ़ निष्कर्ष पर पहुंचे कि न तो मूल पैमाने और न ही पूर्ण संदर्भ प्रणाली मौजूद हो सकती है। हमारे समय के दर्शन ने मनुष्य को पूर्ण स्वायत्तता दी है। अब राज्य, विचारकों और समाज के व्यक्ति में अब तक तथाकथित "शिक्षक" नहीं हैं। नतीजतन, उनके जीवन की ज़िम्मेदारी एक व्यक्ति केवल अपने कंधों पर भालू होती है। आधुनिक दर्शन लगभग पूरी तरह से हैदुनिया और किसी भी सामाजिक संस्थानों को बदलने का विचार छोड़ दिया। विचारकों ने एक और अधिक तर्कसंगत और कुशल तरीके से होने की अपरिपूर्णता को खत्म करने का फैसला किया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि एक व्यक्ति को पहले खुद को बदलना चाहिए, और उसके बाद, पूरी दुनिया अनिवार्य रूप से बदल जाएगी। हालांकि, इस अनुशासन का अपना हैसमस्याओं। कुछ विशेषज्ञ दार्शनिक विचारों के संकट को भी ध्यान में रखते हैं। कारण क्या है? आधुनिक तकनीक हर दिन विकसित हो रही है। जीवन बहुत तेज़ी से बदल रहा है, क्योंकि यह कई क्षेत्रों में वास्तविक सफलता की उम्र है। दर्शनशास्त्र में ऐसी महत्वपूर्ण प्रगति के लिए समय नहीं है। हालांकि, एक व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास इसके सफल गठन पर निर्भर करता है। सभी तकनीकी नवाचारों के साथ, जीवन के अमूर्त पहलुओं के बिना सभ्यता विकसित की जानी चाहिए। यही कारण है कि आधुनिक दुनिया में दर्शन की भूमिका बस विशाल है। आइए संक्षेप में मुख्य समीक्षा करने का प्रयास करेंइस अनुशासन के निर्देश। सबसे पहले, यह एक विश्लेषणात्मक दर्शन है। इसमें भाषाविज्ञान द्वारा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है। विश्लेषणात्मक दर्शन ने भाषा को व्यावहारिक रूप से अपनी नींव बना दी है। यह दिशा जीवन के ज्ञान के लिए एक तर्कसंगत, तार्किक, अनुसंधान दृष्टिकोण का पालन करती है। दूसरा, यह फेनोमिनोलॉजी है। यह दिशा मानव मनोविज्ञान की गहराई में जाती है। इसके अनुसार, प्रत्येक वस्तु और घटना को किसी भी विशेषताओं के साथ भौतिक वस्तुओं के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। यह याद रखना उचित है कि एक वास्तविक जीवन की चीज़ और किसी व्यक्ति के दिमाग में इसकी समझ काफी भिन्न हो सकती है। यह ऐसी घटनाओं और वस्तुओं की छवियां हैं जिन्हें इस प्रवृत्ति को उनके आधार के रूप में माना जाता है और उन्हें तय किया जाता है, जिससे उन्हें घटना कहा जाता है। तीसरा, यह आधुनिकतावाद है। यह एक बहुत ही विविध और विविध दिशा है। हालांकि, यह सामान्य विचार से एकजुट है कि सभी पुराने रूढ़िवादों, दृष्टिकोणों को त्यागना जरूरी है जो अब दार्शनिक विचारों के सफल विकास में बाधा डालना शुरू कर चुके हैं। आधुनिकतावाद पुराने परंपराओं को खारिज कर देता है और दुनिया के ज्ञान के नए रूपों की तलाश में है। अब आप आधुनिक की सभी सुविधाओं को जानते हैंदर्शन। इस अवधि के दौरान, यह अनुशासन एक अस्थिर स्थिति में है, इसलिए इसकी मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट रूप से पहचानना मुश्किल है।
रीवा। रीवा शहर के हृदय स्थल में स्थित अस्पताल चौराहे की पहचान अब संयम कीर्ति स्तंभ से की जाएगी। सफेद संगमरमर का यह स्तंभ न केवल शहरियों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा बल्कि जैन धर्म के बारे में तमाम जानकारियों से भी अवगत कराएगा। संयम कीर्ति स्तंभ को सकल दिगंबर जैन समाज और श्री दिगंबर जैन समाज कल्याण समिति के संयुक्त प्रयाय से स्थापित किया जा रहा है। जैन समाज के महामंत्री राजेश जैन ने बताया कि जैन समाज के संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज की दीक्षा को ५० वर्ष हो गए। इस अवसर पर उनके सम्मान में संयम स्वर्ण महोत्सव मनाया जा रहा है। देशभर के २५६ शहरों में संयम कीर्ति स्तंभ स्थापित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में रीवा में अस्पताल चौराहे पर संयम कीर्ति स्तंभ स्थापित किया गया है। उन्होंने बताया कि इसमें करीब छह लाख रुपए का खर्च आया है जो जैन समाज के लोगों के सहयोग से संभव हुआ है। उन्होंने अस्पताल चौराहे पर स्थापित करने के उद्देश्य के बारे में बताया कि जैन समाज संयमित जीवन जीता है। जैन धर्म यही सिखाता है। संतों की वाणी भी यही कहती है। संयम कीर्ति स्तंभ सभी समाज के लोगों को संयम धारण करने और संयमित जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा देगा। खास बात ये है कि संयम कीर्ति स्तंभ राजस्थान के मकराना से मंगाया गया है। संयम कीर्ति स्तंभ का लोकार्पण जनवरी में पूजा-पाठ और शुद्धिकरण कर किया जाएगा। इसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। स्तंभ के अलावा चौराहे के ग्राउंड का रंग-रोगन और सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। लोकार्पण से पहले कटरा स्थित जैन मंदिर में संतों की मौजूदगी में पूजा-पाठ होगा और स्तंभ शुद्धिकरण किया जाएगा। संयम कीर्ति स्तंभ २१ फीट ऊंचा है। इसमें आचार्य श्री विद्यासागर महाराज द्वारा लिखे ग्रंथो के कुछ अंश लिखे हुए हैं। जैन धर्म के उपदेश उल्लेखित हैं। शिखर पर कलश स्थापित है तो जैन संतों के द्वारा धारण किए जाने वाले पीछी और कमंडल भी अंकित हैं। रीवा में सात जनवरी को गर्ल्स मैराथन, प्रथम आने पर मिलेंगे २०,००० रुपए, जानिए कैसे?
कोलकाता। सिंधु घाटी सभ्यता की समाप्ति के रहस्यों को जानने की कोशिश आज भी हो रही है। कुछ ने सूखे को तो कुछ भयंकर बाढ़ को तो कुछ बाहरी आक्रमण को सिंधु घाटी सभ्यता के खत्म होने की वजह मानते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को भी एक वजह माना है। हाल ही में आइआइटी, खड़गपुर के वैज्ञानिकों ने लगभग ४३५० साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के खत्म होने की वजह बने सूखे की अवधि का पता लगाया है। आइआइटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों को एक शोध में पता चला है कि यह सूखा कुछ साल या कुछ दशक नहीं बल्कि पूरे ९०० साल तक चला था। वैज्ञानिकों ने उस थ्योरी को भी गलत साबित कर दिया, जिसमें सूखे के २०० साल में खत्म हो जाने की बात कही गई थी। आइआइटी, खड़गपुर के भूगर्भशास्त्र और भूभौतिकी विभाग के शोधकर्ताओं ने पिछले लगभग ५००० साल के दौरान मॉनसून के पैटर्न का अध्ययन किया और पाया कि लगभग ९०० साल तक उत्तर पश्चिम हिमालय में बारिश न के बराबर हुई। इस कारण सिंधु और इसकी सहायक नदियां जो बारिश से साल भर भरी रहती थीं, सूख गईं। इन नदियों के किनारे ही सिंधु घाटी सभ्यता अस्तित्व में थी। नदियों में पानी खत्म होने से लोग पूर्व और दक्षिण की ओर गंगा-यमुना घाटी की ओर चले गए जहां बारिश बेहतर होती थी।
बुलंदशहर में हुई हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर समेत दो लोगों की मौत हो गई। इस मामले पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गहरा दुख जताया है। साथ ही दो दिन के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश भी दिए है। दरअसल, बुलंदशहर के चिंगरावठी इलाके में गोवंशीय पशुओं के अवशेष मिलने के बाद भीड़ उग्र हो गई। गुस्साई भीड़ के जरिए हिंसा को अंजाम दिया गया। हिंसा में स्याना के कोतवाल इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और स्थानीय निवासी सुमित की मौत हो गई। जिस पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने गहरा दुख व्यक्त किया है।
हल्द्वानी बिग बाजार पर जिला प्रशासन द्वारा खोलने की पाबंदी लगाने के बाद स्टोर मैनेजर विकास गुप्ता ने बिग बाजार खोलने की मांग की है। बिग बाजार दुर्गा सिटी सेंटर में काफी समय से संचालित हो रहा है जहाँ जनता को कम दामों में घरेलू सामान मिलता है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बिग बाजार में लगातार ४ से ५ बार पूरे मॉल को सेनिटाइजर से साफ करा रहे हैं जिसके कारण कोई भी अप्रिय घटना नहीं होगी। साथ कि बुखार पीड़ित और किसी भी इन्फेक्शन से पीड़ित को पूर्ण रूप मॉल में आने की पाबंदी लगा दी है। जबकि यहाँ पर फल, सब्ज़ी, दूध दही आटा सहित कई ग्रोसरी आइटम्स सस्ते दाम पर जनता को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ऐसे में जनता को बिग बाजार बंद होने से काफी असुविधा हो रही है। गौरतलब है कि देश कोरोना की चपेट में आने के बाद जिला प्रशासन ने मॉल , सिनेमा घर सहित सभी भीड़ भाड़ वाले इलाकों में जनता के एकत्रित होने पर पूर्ण रूप से पाबंदी कर दी है। जबकि बताया जा रहा है कि कई स्टोर अभी भी पाबंदी के बाद खुले हुए हैं। सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्युष सिंह से इस मामले में बातचीत की गई तो उन्होंने जिलाधिकारी से मॉल द्वारा फल सब्जी बेचने के मामले में निर्देश लेने की बात की है।
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को १० रुपये का नया नोट जारी किया है। इससे पहले की आपको नए नोट के बारे में कुछ बताएं, ये जान लेना बेहद जरूरी है कि नए नोट के साथ-साथ पुराने नोट भी बाजर में पहले की तरह ही चलते रहेंगे, ऐसे में नए नोट और पुराने नोट को लेकर किसी भी तरह की उलझन नही होनी चाहिए। आपको बता दें कि नए नोट का रंग चॉकलेटी ब्राउन रंग की तरह है। इसके आगे की ओर पहले वाले नोट की तरह ही गांधी जी की तस्वीर है, जबिक नोट के पिछले हिस्से में कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर की तस्वीर दी गई है। तो वहीं नोट के पिछले हिस्से में स्वच्छ भारत अभियान का लोगो लगाया गया है। इस नोट के सीरियल नंबर बढ़ते क्रम में दिए गए है। जिसका मतलब यह है कि सीरियल नंबर का सबसे पहले नंबर का आकार सबसे छोटा है और सबसे अंतिम वाले नंबर का आकार सबसे बड़ा है। खबरों के अनुसार बैंक ने १० रुपये के नोट में करीब एक अरब रुपये के छपाई की है, ताकि बाजार में नए नोट की उपलब्धता आसानी से हो सके। गौर हो कि १० रुपये के नोट में आखिरी बार २००५ में बदलाव साल हुआ था, इस दौरान १० रुपयें के नोट में काफी सारे बदलाव किए गए थे। आपको बता दें कि ८ नंवबर २०१६ में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जारी किए गए नोटबंदी के बाद से रिजर्व बैंक ने अब तक १०, ५०, ५०0, २००, २००0 के साथ नए नोट बाजार में नए बदलाव के साथ पेश किए गए हैं। जबकि २०० और २००0 रुपये के नोट पहली बार जारी किए गए हैं।
स्पेनिश क्लब एफसी बार्सिलोना से खेलने वाले अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी दुनिया में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले फुटबॉल खिलाड़ी बन गए हैं। मेसी ने इस सूची में पुर्तगाल के करिश्माई खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो, फ्रांस के एंटोनी ग्रीजमैन और ब्राजील के नेमार को पछाड़ा। मेसी लंबे समय से बार्सिलोना के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करते आए हैं। स्पेनिश लीग ला-लीगा में उन्होंने अपने क्लब के लिए ४०० से अधिक गोल किए हैं। टॉप १० में प्रीमियर लीग, ला लिगा, सीरी ए और लीग १ के खिलाड़ी हैं, जबकि जर्मन लीग (बुंदेसलिगा) का एक भी खिलाड़ी इसमें जगह नहीं बना पाया। रियल मैड्रिड के गैरेथ बेल छठे, बार्सिलोना को कोटिन्हो सातवें, मैनचेस्टर यूनाइटेड के एलेक्सिस आठवें, पेरिस सेंट जर्मेन के किलियन एमबाप्पे नौवें और आर्सेनल के मेसुत ओजिल दसवें स्थान पर हैं।
टाइम्स हायर एजुकेशन ने हाल ही में विश्व की टॉप ५०० विश्वविद्यालयों को लेकर एक सर्वे किया है। जिसमे भारत के विश्वविद्यालय भी अपनी जगह बनाने में सफल हुए हैं। आईआईटी कानपुर दुनिया के टॉप ५०० विश्वविद्यालयों की लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराने में सफल रहा है। वर्ल्ड रैकिंग में उसे २०१-२५० की श्रेणी के बीच में रखा गया है। दुनिया के टॉप संस्थानों में एशिया का वर्चस्व रहा है। टॉप विश्वविद्यालयों की लिस्ट में एशिया का शैक्षिक क्षेत्र में दबदबा बरकरार है। इनमें से १३२ संस्थान एशिया के हैं। टॉप १० में भी एशिया के संस्थानों ने स्थान पाया है। १२७ संस्थान अमेरिका, कनाडा आदि देशों से हैं। आईआईटी कानपुर विश्व के विश्वविद्यालों में लगातार अपनी रफ्तार बनाए हुए है। इस रैंकिंग को जारी करते हुए एकेडमिक रेप्युटेशन, एम्प्लॉयर रेप्युटेशन, फैकल्टी, स्टॉफ, पेपर आदि चीजों को ध्यान में रखा गया है। टाइम्स हायर एजुकेशन की इस रैंकिंग में इंजीनियरिंग में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएस), बैंगलोर टॉप १०० में जगह बनाने में कामयाब रहा है। जिसमे इसने ८९वीं रैंक हासिल की है।
नलहाटी शक्ति पीठ हिन्दूओं के एक लिए पवित्र स्थान है जो कि भारत के राज्य, पश्चिम बंगाल (कोलकत्ता) के, बीरभूल जिले के रामपुरहट में स्थित है। यह मंदिर मां नलतेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है। नलहाटी शक्ति पीठ आस पास का इलाका पहाड व सुन्दर वन से घिरा हुआ हैै। यह मंदिर माता के ५१ शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में शक्ति को कालिका के रूप पूजा जाता है और भैरव को योगीश के रूप में पूजा जाता है। पुराणों के अनुसार जहाँ-जहाँ सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाते हैं। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को ५१ भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती का उदर नली इस स्थान पर गिरा था। ऐसा माना जाता है कि २५२ वें बंगाली वर्ष या बोंगापतो, कामदेव (प्रेम और इच्छा के हिंदू देवता) जिन्होंने इस शक्ति पीठ के अस्तित्व के बारे में सपना में देखा था, इस नालाहती जंगल में मां सती के उदर नली की खोज की। ऐसा कहा जाता है कि, मंदिर की मूल मूर्ति के नीचे, माता का नाला व गला है। जिसमें कितना भी पानी डालों न पानी बहता है ना कभी सूखता है। नलहाटी शक्ति पीठ में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा और नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इन त्यौहारों के दौरान, कुछ लोग भगवान की पूजा के प्रति सम्मान और समर्पण के रूप में व्रत (भोजन नहीं खाते) रखते हैं। त्यौहार के दिनों में मंदिर को फूलो व लाईट से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है।
आम आदमी पार्टी (आप) पहली बार एक गैर राजनेता के द्वारा शुरू की गई थी , और इसका किसी भी उम्र के राजनीतिक दल के साथ कोई संबंध नहीं था। पार्टी के संस्थापक इंडिया अगेंस्ट करप्शन (इयाक) आंदोलन का एक हिस्सा थे, जिसका नेतृत्व अनुभवी कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने किया था। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने कार्यकर्ताओं को जन लोकपाल विधेयक के अधिनियमित के लिए प्रेरित किया, जिसमें लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और परीक्षण के प्रावधान थे। आंदोलन ने पूरे देश की सोच को एक नई दिशा दिया । लेकिन पूर्व आईआरएस अधिकारी अरविंद केजरीवाल और उनके तत्कालीन संरक्षक अन्ना हजारे के बीच राजनीतिक रूप से भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चलाने पर मतभेद पैदा हो गए। जबकि अनुभवी गांधीवादी का मानना था कि उनके आंदोलन का राजनीतिकरण करने की आवश्यकता नहीं है, केजरीवाल के चाहने वालों को वांछित बदलाव लाने के लिए राजनीतिक प्रणाली का हिस्सा बनने की आवश्यकता महसूस हुई। इसलिए, उन्होंने सामाजिक आंदोलन से बाहर निकलकर २६ नवंबर, २०१२ को औपचारिक रूप से आप का शुभारंभ किया। इसे मार्च २०१३ में चुनाव आयोग से मान्यता मिली। आप ने भारतीय राजनीति का चेहरा बदल दिया जिससे आम आदमी को गेम चेंजर बनने की उम्मीद थी । पार्टी का नेतृत्व करते हुए, अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी के लिए आम आदमी की लड़ाई को एक महत्वपूर्ण बिंदु में बदल दिया। २०१३ के दिल्ली विधानसभा चुनावों में ७० में से २८ सीटें जीतने के बाद आप ने राजनीतिक सर्किटों में धक्कामुक्की करते हुए सत्ता हासिल करने की ताकत के रूप में उभरी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इनक) से बाहरी समर्थन के साथ अपनी सरकार बनाई। २८ दिसंबर २०१३ को, पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। नई दिल्ली के रामलीला मैदान, अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के उपरिकेंद्र, ने २०११ में एक क्रांति की शुरुआत देखी। एक असामान्य शैली वाले एक आम आदमी ने सरकार को सिर पर लिया और एक अपरंपरागत राजनीतिक लड़ाई शुरू की। अरविंद केजरीवाल, पूर्व नौकरशाह, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (ईत), खड़गपुर से स्नातक हैं। उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम (रती) लागू करने के अपने प्रयासों से कुछ स्तंभों को हिला देने से पहले उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा (इर्स) की सेवा की। इमर्जेंट लीडरशिप के लिए रेमन मैगसेसे पुरस्कार के प्राप्तकर्ता, केजरीवाल ने नई दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपनी सनसनीखेज शुरुआत में आप को एक फ्रिंज खिलाड़ी से विशालकाय हत्यारे में बदल दिया। हालाँकि, उनकी जीत को और अधिक मीठा बनाने वाला तथ्य यह है कि आप के निर्माण में केजरीवाल को सिर्फ एक साल लगा, और पूरे देश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आईआईटीयन ने दिग्गज कांग्रेसी राजनेता और तीन बार नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराया। विधानसभा चुनाव के फैसले के बाद, केजरीवाल ने २८ दिसंबर, २०१३ को दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला। हालांकि, उन्होंने ४९ दिन बाद इस्तीफा दे दिया जब कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उनके सामने प्रस्तावित जन लोकपाल बिल को रोक दिया। आप ने २०१४ के आम चुनावों को बड़े पैमाने पर लड़ने का फैसला किया। पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा यूपी के वाराणसी संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार। लेकिन वह मोदी से बुरी तरह हार गए। अरविंद केजरीवाल द्वारा नेतृत्व की गई, आप की घटना ने कुछ ही समय में भारतीय राजनीतिक स्पेक्ट्रम पर कब्जा कर लिया। सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग और उच्च शिक्षित स्वयंसेवकों को शामिल करने के साथ, आप ने घर-घर जाकर प्रचार किया। आप की राजनीतिक मामलों की समिति में गोपाल राय, कुमार विश्वास, मनीष सिसोदिया, प्रशांत भूषण, संजय सिंह और योगेंद्र यादव शामिल थे। भारतीय राजनीति में इसकी शुरुआत ने विभिन्न क्षेत्रों से कई प्रमुख नामों को आकर्षित किया। कैप्टन गोपीनाथ, एयर डेक्कन के संस्थापक; मल्लिका साराभाई, प्रख्यात डैन्यूज़; मीरा सान्याल, रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड-इंडिया की सीईओ; समीर नायर, स्टार टीवी के पूर्व सीईओ; वी बालकृष्णन, इंफोसिस बोर्ड के सदस्य; और कई और आप के साथ हाथ मिलाया। हालांकि उनमें से अधिकांश अब केजरीवाल के दिमाग की उपज के साथ नहीं हैं। अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने भ्रष्टाचार के देश की सफाई का कठिन काम किया है। इस उद्देश्य के साथ, आप ने अपने आधिकारिक चुनाव चिन्ह के रूप में विनम्र झाड़ू को चुना। उनका नारा झाड़ू चललाओ, भीमना भगाओ (झाड़ू पोंछा, धोखा से छुटकारा) का उद्देश्य भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को उसके भ्रष्ट राजनेताओं से बचाना है। पार्टी एक अधिक पारदर्शी प्रणाली के लिए लड़ रही है, जो देश को अपनी लोकतांत्रिक पहचान को पुनः प्राप्त करने में मदद करेगी। नई दिल्ली में सत्ता में आने के बाद, पार्टी ने सब्सिडी के माध्यम से ४०० यूनिट तक बिजली के बिल को कम कर दिया। इसने घरों में पानी के मीटर (२० किलोलीटर तक) के लिए मुफ्त पानी उपलब्ध कराया। केजरीवाल सरकार ने बहु-खुदरा क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को भी खत्म कर दिया। अपनी मूल दृष्टि से चिपके हुए, आप ने भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों पर रिपोर्ट करने के लिए नागरिकों के लिए एक भ्रष्टाचार-विरोधी हेल्पलाइन की स्थापना की। आप की क्रांति (या आप की क्रांति) आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा शुरू की गई एक परियोजना है जिसका उद्देश्य हर दरवाजे पर कदम रखना है। यह उस हिस्से का एक समाचार पत्र है, जो आप की विचारधाराओं के बारे में आम नागरिकों को सूचित करने और पार्टी की विभिन्न गतिविधियों के बारे में आम आदमी की विभिन्न गतिविधियों को सूचित करने के लिए प्रचार करने पर केंद्रित है। आप आप सदस्य गोपाल राय के सदस्यों में से एक की देखरेख में परियोजना का संचालन किया जा रहा है, जबकि एक अन्य पार्टी सदस्य दीपक पायलट परियोजना के पहलुओं के लिए प्रबंधन और टीम के विस्तार का काम देख रहे हैं। एक पाठक को सिर्फ रु। हर १५ दिनों में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र का एक मुद्दा रखने के लिए १०० सालाना। नागरिकों की किसी भी शिकायत को सिर्फ हेल्पलाइन नंबर ८५८८८३३५५० पर डायल करके पता किया जा सकता है। स्वराज की गांधीवादी अवधारणा को ध्यान में रखते हुए, इसने अपने मिशन के बयानों को व्यक्त करने का सार्वजनिक रास्ता अपनाया और शिकायतों को व्यक्तिगत रूप से सुनने के लिए सार्वजनिक बैठकों में व्यस्त रहा। सीएम के रूप में, केजरीवाल ने सरकारी अधिकारियों या मंत्रियों की कारों पर लाल बीकन पर प्रतिबंध लगाने के अलावा भारत में प्रचलित वीआईपी संस्कृति को समाप्त करने की मांग की, साथ ही उनके लिए विशेष विशेषाधिकार भी प्रदान किए। पार्टी ने एनसीआर में ऑटो रिक्शा के लिए ५,५00 नए परमिट जारी किए। जबकि पार्टी ने काफी सफलता हासिल की है, फिर भी आगे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अभी इसका आर्थिक मॉडल तैयार नहीं किया गया है। इसके अलावा, यह देखते हुए कि पार्टी कांग्रेस और भाजपा के मजबूत प्रतिरोध से निपट रही है, जो केजरीवाल को भगोरा (सरकार चलाने की अपनी जिम्मेदारी से बच गए) के रूप में चित्रित करते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल कितने दूर हैं? सभी अंतर बना सकते हैं। पार्टी ने दिल्ली के सभी ७० विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। पार्टी प्रमुख फिर से नई दिल्ली की सीट से कांग्रेस के किरण वालिया और भाजपा के नूपुर शर्मा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। आप दिल्ली के लिए पूर्ण राज्यत्व पर जोर देगी। बिजली दरों को घटाकर आधा कर दिया जाएगा और सभी को स्वच्छ और मुफ्त पेयजल मुहैया कराया जाएगा। अगर सत्ता में वोट दिया जाता है, तो पार्टी लोगों को आठ लाख नई नौकरियां प्रदान करेगी। ३०,००० बेड शहर के विभिन्न अस्पतालों में जोड़े जाएंगे। दिल्ली में २० नए कॉलेज स्थापित किए जाएंगे। शहर में २०० नए स्कूल बनाए जाएंगे। जरूरतमंद छात्रों को एजुकेशन लोन मिलेगा। अपराध की घटनाओं पर नजर रखने के लिए बसों, भीड़-भाड़ वाले इलाकों और सार्वजनिक स्थानों पर हजारों सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। आप सौर ऊर्जा जैसे ऊर्जा के अक्षय और वैकल्पिक स्रोतों के लिए एक चरणबद्ध बदलाव की सुविधा प्रदान करेगी। सीवर उपचार और नियंत्रण समृद्ध निर्वहन सहित यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। दिल्ली में लगभग दो लाख सार्वजनिक शौचालय स्थापित किए जाएंगे।

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