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बची हुई रोटी के आलू रोल एक लोकप्रिय विश्व व्यंजन है जो पुरे भारत में बहुत ही लोकप्रिय है। इसे आप किसी भी विशेष अवसर पर परोस सकते हैं। किसी भी त्यौहार या पार्टी में बची हुई रोटी के आलू रोल एक प्रभावशाली व्यंजन सिद्ध हो सकता है। बची हुई रोटी के आलू रोल का नाम सुनते ही भूख और भी ज्यादा बढ़ जाती है और कोई भी खुद को इसे खाने से रोक नहीं पाता है। बची हुई रोटी के आलू रोल को खाने पर इसकी हर एक बाईट में आपको एक अनोखा अनुभव मिलेगा। आप घर पर भी रेस्टोरेंट स्टाइल बची हुई रोटी के आलू रोल बना सकते हैं। इसे बनाना बहुत ही आसान है, बेटर बटर के बची हुई रोटी के आलू रोल इन हिंदी में आपको बची हुई रोटी के आलू रोल बनाने की आसान विधि मिल जाएगी जिसकी सहायता से आप इसे कभी भी बना सकते हैं। यह एक बहुत ही झटपट से बनने वाली रेसिपी है, इसकी तैयारी में १५ मिनट मिनट लगता है और पकाने में १५ मिनट लगता है। तो अगली बार जब भी आपके घर पे मेहमान आये तो देखना न भूलें इस रेसिपी को।
देश में इस समय चुनावों का दौर जारी है। आज देश भर में चौथे चरण के लिए मतदान किया जा रहा है। मायानगरी मुंबई में भी आज मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं । कई बॉलीवुड सितारों को मतदान केंद्रों पर देखा गया। महानायक अमिताभ बच्चन से लेकर सलमान खान तक लगभग सभी बॉलीवुड सितारों को पोलिंग बूथ पर देखा गया है। देश में इस समय चुनावों का दौर जारी है। आज देश भर में चौथे चरण के लिए मतदान किया जा रहा है। मायानगरी मुंबई में भी आज मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। कई बॉलीवुड सितारों को सुबह-सुबह ही मतदान केंद्रों पर देखा गया। महानायक अमिताभ बच्चन से लेकर सलमान खान तक लगभग सभी बॉलीवुड सितारों को पोलिंग बूथ पर देखा गया है। अभिनेता अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन एक साथ मतदान के लिए जुहू पहुंचे। पुरे बच्चन परिवार ने जुहू के एक मतदान केंद्र पर मतदान किया। अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन मतदान करने के बाद मीडिया को मतदान निशान दिखाते हुए । बच्चन परिवार पोलिंग बूथ पर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हुए। अमिताभ बच्चन मतदान करते हुए जबकि उनकी बहु ऐश्वर्या और पुत्र अभिषेक और पत्नी अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हुए।
बेंचमार्क एंटरटेनमेंट ने चंडीगढ़ में "पा लावंगा" की शूटिंग पूरी की भाविन भानुशाली & पूरबी भार्गव जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पा मो लवांगा बेंचमार्क एंटरटेनमेंट द्वारा सबसे बहुप्रतीक्षित संगीत वीडियो है जिसमें भाविन भानुशाली और पूरबी भार्गव ने अभिनय किया है। इस गीत की शूटिंग अब चंडीगढ़ में खत्म हो गई है और वे जल्द ही संगीत जारी करने के लिए तैयार हैं। कुछ दिनों पहले भाविन भानुशाली को "पा लवांगा" नाम के आगामी वीडियो गीत की शूटिंग के दौरान सेट पर देखा गया था। बेंचमार्क एंटरटेनमेंट द्वारा प्रस्तुत किया गया। सॉबी द्वारा निर्देशित गीत और वेयेक्रिएट इन्फ्लुएंस द्वारा कलाकार। भविन भानुशाली और पूरबी भार्गव अभिनीत "पा लवांगा" शूटिंग चंडीगढ़ में हुई और अब आखिरकार शूटिंग खत्म हो गई। फैंस गाने के रिलीज होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं क्योंकि वह पहले से ही रिलीज हो चुके अपने म्यूजिक वीडियो से काफी खिल चुका है, जिसे दर्शकों का भरपूर प्यार मिला। इससे पहले उन्होंने कुछ म्यूजिक वीडियो भी किए हैं, जिन्होंने दर्शकों से बहुत प्यार किया है और अब जल्द ही नया म्यूजिक वीडियो जारी किया जाएगा, जिसकी शूटिंग हाल ही में चंडीगढ़ में हुई। वे अब वीडियो पर काम करने के लिए बिल्कुल तैयार हैं और जैसे ही संगीत का संपादन खत्म हो जाएगा, इसे विभिन्न प्लेटफार्मों पर जारी और उपलब्ध किया जाएगा। अंत में, सबसे बहुप्रतीक्षित वीडियो जल्द ही जारी किया जाएगा।
आज पारसी समुदाय का नववर्ष नवरोज़ है। नवरोज़ के दिन को खुशनुमा बनाने के लिए पारसी समुदाय अपनी पारंपरिक गाने व भोजन आदि के साथ दिन गुजारते हैं। आज पारसी समुदाय का नववर्ष नवरोज़ है। नवरोज़ के दिन को खुशनुमा बनाने के लिए पारसी समुदाय अपनी पारंपरिक गाने व भोजन आदि के साथ दिन गुजारते हैं। नवरोज़ के दिन पारसी समुदाय के लोग खास व्यंजन बनाते हैं और लोगों को घर बुलाकर खिलाते हैं। इस दिन खाने पीने की खास व्यवस्था की जाती है। जिसमें परिवार के लोग एक दूसरे की मदद करते हैं। पारसी धर्म ईरान का एक प्राचीन और प्रचलित धर्म है। यह ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ को अपना गुरु ग्रंथ मानते है। पारसी धर्म के संस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र थे इसलिये इसको ज़रथुष्ट्री धर्म भी कहा जाता है। पारसी धर्म की तीन प्रमुख शिक्षा हैं- हुमत, हुख्त और हुवर्श्त है जिसका अर्थ सुज्ञान, सुभाष और सुव्यवहार है। पारसी एक ईश्वर को मानते हैं जिन्हें अहुरा मज़्दा या होरमज़्द कहते हैं। कहा जाता है कि पारसी र्इश्वर वरुण देव से काफी करीब है। पारसी धर्म में भी अग्नि को पवित्र माना जाता है। इसीलिए अहुरा मज़्दा की पूजा अग्नि से की जाती है। पारसी मंदिरों को आतिश बेहराम कहा जाता है। पारसियों का मानना है कि अहुरा मज़्दा का सबसे बड़ा शत्रु अंगिरा मैन्यु उर्फ आहरीमान है। पारसी धर्म में मुख्य रूप से सात पर्व आते हैं। पहला नौरोज़ अथवा नवरोज़ है जो ईरानी नववर्ष का नाम है। इसे फारसी नया साल भी कहा जाता है। दुनिया भर में इसे धूमधाम से मनाया जाता है। पपेटी पर्व के दिन पारसी समुदाय से जुड़े लोग परंपरागत पोशाकों में, अग्नि मंदिर जिसे आगीयारी भी कहते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं। वहीं, जमशोद नौरोज़ पर्व पश्चिमी एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन और बाल्कन में मनाया जाता है। यह ईरानी कैलेंडर में पहले महीने(फर्ववर्ड) के पहले दिन के रूप में मनाया जाता है। यह आम तौर पर २१ मार्च के आसपास आता है। इसके अलावा खोरदादसाल पर्व है जो पारसी धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसके अलावा जरथुस्त्रनो, गहम्बर्स, फ्रावार देगन हैं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : परिषदीय स्कूलों के बच्चों को स्वेटर बांटने में टेंडर को लेकर हो रही किरकिरी के बाद विभाग ने अपने कदम वापस खींचते हुए स्कूलों को यह जिम्मेदारी दे दी है। अब स्कूलों में गठित समितियां स्वेटरों की खरीद कर उनका वितरण करेंगी। छह जनवरी से वितरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विभाग ने बुधवार को इसका शासनादेश जारी कर दिया। हालांकि यह ऐसे समय में लिया गया है, जबकि आधा जाड़ा बीत चुका है और पूरे प्रदेश में शीत लहर चल रही है। जिलों में बच्चों को स्वेटर वितरण की निगरानी जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी। इसमें सीडीओ, जिलाधिकारी द्वारा नामित एसडीएम, महाप्रबंधक उद्योग विभाग, मुख्य कोषाधिकारी सदस्य एवं बीएसए सचिव होंगे। समित यह सुनिश्चित करेगी कि तीस दिन के भीतर स्वेटर का वितरण हो जाए। इसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि दोषपूर्ण जीवनशैली और हानिकारक आहार से बड़ी आंत का कैंसर होने का खतरा होता है। अधिक वसा और कम रेशों वाले भोजन से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में कोलोरेक्टल कैंसर तीसरा सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है। हर साल इसके १४ लाख नए मामले सामने आते हैं और ६.९४ लाख लोगों की इसके वजह से मृत्यु हो जाती है। भारत में इस तरह का कैंसर का मामला बढ़ने लगा है। प्रति तीन कोलोरेक्टल कैंसर मरीजों में एक मरीज में इसका स्थान मलाशय में होता है। आईएमए का मानना है कि अधिक वसा और कम रेशों वाले भोजन से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। -फल, सब्जियां और संपूर्ण अनाज का सेवन करें। -यदि मदिरापान करते हों तो कम ही करें। महिलाओं के लिए प्रतिदिन एक पैग और पुरुषों के लिए दो पैग से अधिक नहीं। -धूम्रपान करते हों तो बंद कर दें और इस कार्य में अपने चिकित्सक की मदद लें। -प्रतिदिन कम से कम ३० मिनट व्यायाम अवश्य करें। -वजन पर नियंत्रण रखें। जो पहले से ही मोटे हैं, वह व्यायाम और संतुलित आहार करें।
नयी दिल्ली : भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने महिला सशक्तीकरण में विशेष योगदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर शुक्रवार को ४४ महिलाओं और संस्थानों को नारी शक्ति पुरस्कार २०१८ से सम्मानित किया। महामहिम राष्ट्रपति जी ने ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया। शिवानी बहन जी वरिष्ठ राजयोग शिक्षक तथा प्रेरक वक्ता हैं। मानव व्यवहार (हमन बेहेवियर) से सम्बंधित विषयों पर आपके कार्यक्रमों ने लाखों लोगों के जीवन बदला। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी भी उपस्थित थी। सभी सम्मानित महिलाओं को प्रशस्ति पत्र दिये गये।
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव वॉ ने स्टीव स्मिथ के खिलाफ हूटिंग कर रहे दर्शकों को शांत करने के लिए विराट कोहली की तारीफ करते हुए कहा कि यह सराहनीय काम था। वॉ को क्रिकेट के महानतम कप्तानों में से एक माना जाता है। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा कि उन्होंने प्रशंसकों की तरफ से स्टीव स्मिथ से माफी मांगी क्योंकि इस पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान को विश्व कप में एक बार फिर से अस्वीकार्य हूटिंग से रू ब रू होना पड़ा था। आस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के कप्तान स्टीव स्मिथ ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा जारी टेस्ट बल्लेबाजों की रैंकिंग में शीर्ष पर अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है।
उदराकर्षासन एक योगासन है | जिसको करने से हमारे बहुत रोग ठीक होते हैं | उदराकर्षासन का अभ्यास स्वच्छ व साफ स्थान पर करें तथा इस आसन के लिए नीचे दरी बिछाकर बैठ जाएं। अब बाएं पैर को घुटने से मोड़कर नितम्ब (हिप्स) के नीचे रखें तथा घुटने व पंजे को फर्श से सटाकर रखें। पहली स्थिति :- सबसे पहले समतल जमीन पर दरी बिछाकर बैठ जाएं। दूसरी स्थिति :- अब बाएं पैर को घुटने से मोड़कर नितम्ब (हिप्स) के नीचे रखें तथा घुटने व पंजे को फर्श से सटाकर रखें। तीसरी स्थिति :- अब दाएं पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी व पंजे को बाएं पैर के घुटने के पास फर्श से टिकाकर रखें तथा घुटने को ऊपर की ओर रखें। चौथी स्थिति :- दोनों पैरों के बीच कम से कम २० से २५ सेंटीमीटर की दूरी रखें। दोनों हाथों को दोनों घुटनो पर रखें। पांचवी स्थिति :- अब ऊपर उठे दाएं घुटने को दाएं हाथ से जोर से दबाकर नीचे बाएं घुटने के पास फर्श के जितना पास हो लाएं और ध्यान रखें कि घुटने को फर्श से एक इंच ऊपर ही रखें। छटवी स्थिति:- दाएं घुटने को नीचे लाते समय मुंह को कंधे की सीध में रखें। सातवीं स्थिति :- आसन की इस स्थिति में कुछ समय रहें और फिर यही क्रिया बाएं पैर से भी करें। ३. स्वास्थ्य फिट रहता है:- इस आसन के अभ्यास से पूरा शरीर फिट और एक्टिव रहता है और व्यक्ति काम से थकता भी नही है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों। ४.कमरदर्द, जोड़ों में किसी भी प्रकार की खराबी आदि में भी इस आसन को करना लाभकारी रहता है। ५. पंजे शक्तिशाली बनते हैं।
काशीपुर। उप जिलाधिकारी जगदीश लाल के नेतृत्व में पूर्ति निरीक्षकों की टीम ने शनिवार को अवैध गैस रिफलिंग के विरुद्ध अभियान चलाया। इस दौरान अलीगंज मार्ग, टांडा उज्जैन, महेशपुरा, कटोराताल, नई सब्जी मंडी, चीमा चौराहा, जसपुर खुर्द एवं मैन बाजार में घरेलू गैस सिलेंडर का व्यवसायिक उपयोग एवं घरेलू गैस सिलेंडरों से लोकल बने छोटे सिलेंडरों में रिफलिंग के १७ घरेलू गैस सिलेंडर तथा आधा दर्जन छोटे लोकल सिलेंडरों को जब्त किया। टीम में पूर्ति निरीक्षक केडी पांडे, काशीपुर गैस एजेंसी प्रभारी एमएच अंसारी, एसएस भाकुनी, धर्मपाल आदि थे।
:- वर्ष १३४७ में, दुनिया में प्युबोनिक प्लेग की बीमारी ब्लैक डेथ ने सबसे अधिक २० करोड़ लोगों की मौत का कारण बना। इसके कारण बीजान्टिन साम्राज्य नष्ट हो गया। भी रहता था। चूहों ने मक्खियों को संक्रमित किया और बीमारी फैल गई थी। आबादी के स्तर तक पहुंचने में २०० साल लग गए। अनुमान है कि अब तक ५.५ करोड़ लोग अपनी जान ले चुके हैं। :- १९ वीं शताब्दी में एक बीमारी थी जो भारत में उत्पन्न हुई थी। बीमारी को हैजा कहा जाता था। अभी भी हर साल १३-१४ लाख मौतें होती हैं। हालांकि, इस साल १.५ लाख तक मौतें होती हैं। :- १९१८-१९ में स्पैनिश फ्लू महामारी पिछले ५०० वर्षों के इतिहास में सबसे घातक महामारी थी। प्रतिशत समान है। ज्यादातर मौतें २० से ४० साल की उम्र के बीच हुईं। जिसे एशियाई फ्लू भी कहा जाता है। कुछ महीनों के भीतर, यह कई देशों में फैल गया था। मरने वालों में से अस्सी प्रतिशत ६५ वर्ष से अधिक आयु के थे।
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न्यूज़ एनसीआर, ०८ मई-फरीदाबाद | केंद्रीय राज्यमंत्री एवं भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर को आज उस समय बड़ा राजनैतिक बल मिल गया, जब बसपा नेता ठाकुर बेदन सिंह ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ पुन: भाजपा में शामिल हो गए। इस दौरान केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने ठाकुर बेदन ठाकुर को पार्टी का पटका पहनाकर उनका स्वागत किया और उन्हें विश्वास दिलाया कि पार्टी में उन्हें पूरा मान सम्मान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ कारणों से वह भाजपा से दूर चले गए थे परंतु आज फिर से वह पार्टी में आए है, उनका स्वागत है। वहीं कल इस्माईलपुर में आयोजित भाजपा विजय संकल्प रैली में फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र से बसपा की टिकट पर चुनाव लड़े सतबीर चंदीला अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा में आस्था जताते हुए पार्टी में शमिल हो गए। केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने चंदीला व उनके समर्थकों को विश्वास दिलाया कि उन्हें पार्टी में पूरा मान सम्मान दिया जाएगा। सरोज वाटिका में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि यह चुनाव देश की सुरक्षा व अखंडता से जुड़ा है, एक तरफ देश का हित रखने वाले नरेंद्र मोदी है, जबकि दूसरी तरफ भ्रष्टाचारियों का भानू मति का कुनबा है, जो देश को बांटने पर तुला हुआ है। अब फैसला जनता को करना है कि वह देश को मोदी जैसे मजबूत हाथों में सौंपना चाहते है या फिर भ्रष्टाचारियों के हाथों में। उन्होंने कहा कि पांच सालों में भारत ने विश्व में जो मुकाम हासिल किया है, उसने हर भारतीय का सिर गर्र्व से ऊंचा हुआ है इसलिए लोग एकजुट होकर देश को मजबूत रखने के लिए भाजपा के पक्ष में मतदान करके मोदी को मजबूत करने का काम करें। इस अवसर पर भाजपा में शामिल हुए ठाकुर बेदन सिंह ने कहा कि भाजपा ने पांच सालों में देश व प्रदेश का समुचित विकास करवाकर एक नया इतिहास रचने का काम किया है। उन्होंने गुर्जर को विश्वास दिलाया कि एनआईटी क्षेत्र से एक-एक कार्यकर्ता स्वयं कृष्णपाल गुर्जर बनकर उनके लिए प्रचार प्रसार उन्हें भारी मतों से विजयी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि पूरे ९ विधानसभा क्षेत्रों में से एनआईटी क्षेत्र में उन्हें सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे। उन्होंने कहा कि आज उनकी पुन: भाजपा में घर वापसी हुई है और अब वह ताउम्र भाजपा में रहकर पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे। इस अवसर पर एनआईटी के विधायक नगेंद्र भड़ाना, पूर्व चेयरमैन सुरेंद्र तेवतिया, हरेंद्रपाल राणा, भाजपा लोकसभा की संयोजक श्रीमती नीरा तोमर, पार्षद बीर सिंह नैन, कुंवर बैजू ठाकुर, धर्मबीर खटाना, क्षत्रिय सभा के प्रधान राजेश रावत, ऋषि चौधरी, मुकेश डागर, ठाकुर अनिल प्रताप सिंह, राजकुमार वोहरा, डा. सुरेंद्र दत्ता, भूपेश रावत, भूरी नैन, दिलीप सिंह, संदीप शर्मा पन्हेडा, सतीश फागना, कौराली के सरपंच खेमी ठाकुर, अंगद चौरसिया, डा. आर.एन. सिंह, मदन जांगड़ा, पाले सिंह रावत, मास्टर कैलाश यादव, कंवर प्रदीप सिंह, ठाकुर बिशम्बर सिंह राणा, बाबूलाल प्रधान, शहीद खान सरपंच, प्रमोद सिंह तोमर, सुरेंद्र शर्मा, धर्मबीर सिंह, विश्राम सिंह, ठाकुर भूदेव सिंह, राकेश यादव सहित अनेकों गणमान्य लोग मौजूद थे।
मोबाइल गेम गेम ऑफ वॉर में नहीं हारने के लिए एक आदमी नें १० लाख डॉलर फूंक डाले। उसने अपनी कंपनी से ४८ लाख डॉलर की चोरी करने की बात स्वीकार की है। इस पैसे को उसने मई २००८ से मार्च २०१५ के बीच चुराया था। गेमिंग के अलावा इन पैसों से उसने लक्जरी कारें और सैनफ्रांसिस्को के लिए सीजन टिकट खरीदा व प्लास्टिक सर्जरी भी कराई। इस गेम में नकली किलों को बनाना और ढहाना होता है। गेम का शौक पूरा करने के लिए उसने यह रकम अपनी कंपनी में चोरी करके जुटाई थी। केविन ली को सैक्रामेंटो में हैवी इक्विपमेंट कंपनी होल्ट कैलिफोर्निया में नियंत्रक के रूप में काम करता था। चर मारो की रिपोर्ट के अनुसार, यह दुनिया का सबसे लाभदायक गेमिंग ऐप है, जो रोजाना करीब १० लाख डॉलर कमा रहा है। एक नियमित खिलाड़ी ने बताया कि यह एक जुआ की तरह है, जिसमें जीतने की कोई संभावना नहीं है। हालांकि, खेल पर १० लाख डॉलर खर्च करना बेहद असामान्य है। न्यूयॉर्क में संघीय अदालत ने केविन को चोरी के मामले का दोषी पाया है। खेल में खिलाड़ी शहरों और सैनिकों को बनाते हैं और फिर दूसरे शहरों पर हमला करते हैं। औसत एक खिलाड़ी खेल के उच्च स्तर के लिए आगे बढ़ रखने के लिए ५५० डॉलर खर्च करता है।
धारणा पर, हम विश्वास और कारण के बीच संबंधों के साथ महान गर्व के साथ खोज करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस २,००० वर्षीय परंपरा में भाग लेने से, आज के छात्र वैज्ञानिकों, कलाकारों, लेखकों और दार्शनिकों की पीढ़ियों में शामिल हो गए हैं जिन्होंने विषयों पर सच्चाई की खोज में लगे हुए हैं। हम मानते हैं कि कैथोलिक बौद्धिक परंपरा हमारे समय के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक और उपयोगी हो सकती है, और एक समावेशी, खुले वातावरण में मन, शरीर और आत्मा के विकास को प्रोत्साहित करती है जहां सभी विश्वास परंपराओं की आवाज़ होती है। हमारे अद्भुत स्नातकों में से एक को बायोकैमिस्ट या पारिवारिक अदालत के न्यायाधीश या किसी अन्य व्यवसाय के रूप में अपने करियर में एक दशक से बात करें और आप पाएंगे कि हम मूल्य-आधारित शिक्षा पर जोर क्यों देते हैं - जो स्नातक को बौद्धिक कौशल और ताकत देता है चरित्र के जीवन के बड़े प्रश्नों को शामिल करने और अधिक अच्छे की ओर काम करने की आवश्यकता है। हम आज के समर्पित संकाय और उनके पूर्ववर्तियों की एक लंबी लाइन का श्रेय देते हैं, हमारे संस्थापक, इमानुअल डी अल्ज़ोन के आह्वान के साथ, जिन्होंने हमें शिक्षाविदों से परे जाने और पूरे व्यक्ति को शिक्षित करने के लिए चुनौती दी। रोम में एक परिसर की स्थापना के लिए आप हमारे गतिशील ऑनर्स कार्यक्रमों के लिए नए रेसिडेंस हॉल के डिजाइन से, जो कुछ भी करते हैं, उसके हर पहलू में, छात्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, और जीवन पर हमारा जोर अच्छी तरह से रहते हैं। हम पूर्व छात्रों, माता-पिता, नींव, और कॉर्पोरेट भागीदारों के प्रति कृतज्ञता का एक बड़ा ऋण भी देते हैं जो एक स्पष्ट धारणा शिक्षा को संभव बनाने में मदद करते हैं। केवल साझा लक्ष्यों और उम्र, संस्कृति, अनुशासन और विश्वास के मतभेदों के साथ मिलकर काम करके, क्या हम वास्तव में रास्ता ला सकते हैं। अस्सुंप्शन कॉलेज , अस्सुंप्शन कॉलेज के अगस्तिनियंस द्वारा प्रायोजित एक कैथोलिक संस्थान और कैथोलिक बौद्धिक परंपरा में निहित, महत्वपूर्ण बुद्धि, विचारशील नागरिकता और करुणामय सेवा के लिए जाने वाले स्नातकों को बनाने का प्रयास करता है। हम उदार कलाओं में आधारित पाठ्यक्रम और व्यावसायिक अध्ययन के क्षेत्र में विस्तार के माध्यम से इन महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का पीछा करते हैं। विश्वास और कारण की सद्भावना के कैथोलिक प्रतिज्ञान से उत्साहित, हमारा लक्ष्य है, सत्य की खोज करके, छात्रों के दिमाग और दिल को बदलने के लिए। धारणा विविधता का पक्ष लेती है और अपने लक्ष्यों को साझा करने वाले सभी का स्वागत करता है। कॉलेज चुनना सबसे महत्वपूर्ण निर्णय हो सकता है जिसे आपने कभी विचार करना है। आप पहले से ही कई अन्य संस्थानों से सामग्री प्राप्त कर चुके हैं, साथ ही परिवार और दोस्तों से विचारों और सिफारिशों को प्राप्त कर सकते हैं। उज्ज्वल, प्रेरित छात्रों ने अनुमान लगाने में कई कारण हैं। जैसे-जैसे आप हमारी वेबसाइट का पता लगाते हैं, आपको हमारे उत्कृष्ट कार्यक्रमों और हमारे करीबी बुनाई समुदाय से संबंधित जानकारी का भरपूर धन मिल जाएगा। अभी के लिए, मैं उन तीन कारणों को साझा करना चाहता हूं जिनकी मैं संभावित छात्रों और उनके परिवारों को धारणा का वर्णन करते समय अक्सर उल्लेख करता हूं। मजबूत व्यापार और पेशेवर कार्यक्रमों के साथ शीर्ष उदार कला कॉलेज। हमारे छात्र ऐसे विषयों की एक श्रृंखला के संपर्क में आते हैं जो उनके दिमाग का विस्तार करते हैं और अपने महत्वपूर्ण सोच कौशल को बढ़ाते हैं क्योंकि वे नए विचारों, दुनिया को देखने के नए तरीके और प्रश्न पूछने के नए तरीकों पर विचार करते हैं। संकाय सदस्य अकादमिक रूप से उत्तेजक वातावरण बनाते हैं जो छात्रों को उनकी पूर्ण क्षमता प्राप्त करने के लिए चुनौती देता है क्योंकि वे अपने मूल्यों और जीवन के माध्यम से सोचते हैं। साथ ही, छात्रों को अनुमान पर सीखने वाले कौशल भी उन्हें सफल और पुरस्कृत करियर के लिए तैयार करते हैं। कैथोलिक बौद्धिक परंपरा, कॉलेजों के बीच अद्वितीय। आकस्मिक परंपरा में हम बौद्धिक, सामाजिक और व्यक्तिगत विकास को प्रोत्साहित करते हैं। हम मानव अनुभव के एक अभिन्न अंग के रूप में धर्म और विश्वास को गंभीरता से लेते हैं। हम ऐसे प्रश्नों का पता लगाते हैं जो मानव हृदय की गहरी इच्छाओं को प्राप्त करते हैं और सत्य की खोज में विश्वास और कारण की भूमिका को पहचानते हैं। हमारे छात्रों को उन विचारों का सामना करना पड़ता है जिन्होंने दुनिया भर में एक ईसाई दृष्टिकोण के गठन में योगदान दिया है जो फ्रे द्वारा कल्पना की गई शिक्षा के प्रकार को दर्शाता है। अस्सुंप्शओनिस्ट के संस्थापक एमानुएल डी अल्ज़ोन। छात्र जो भी विश्वास रखते हैं, हम मानते हैं कि धारणा अनुभव व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास और मूल्यों के एक समूह के विकास के अवसर प्रदान करता है जो छात्रों को दूसरों के लिए सेवा में अपने ज्ञान का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। यह एक ऐसा माहौल है जो बौद्धिक रूप से चुनौतीपूर्ण है, व्यक्तिगत रूप से पुरस्कृत और आध्यात्मिक रूप से पूरा करता है। एक जगह जहां लोग एक-दूसरे के लिए देखते हैं। जब आप धारणा चुनते हैं, तो आप पूरे समुदाय में दयालु, मित्रवत लोगों से व्यक्तिगत ध्यान प्राप्त करने पर भरोसा कर सकते हैं। संकाय, प्रशासक, कर्मचारी, धार्मिक, और छात्र सभी यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करते हैं कि यहां हर कोई मूल्यवान और समर्थित है। धारणा काफी छोटी है ताकि लोग छात्रों को व्यक्तियों के रूप में जान सकें, और छात्रों के लिए विभिन्न अवसरों को ढूंढने के लिए काफी बड़ा हो। कक्षा के अंदर और बाहर के अनुभव छात्रों के "व्यक्तिगत कंपास" को आकार देने में मदद करते हैं और बौद्धिक, सामाजिक और व्यक्तिगत विकास को प्रोत्साहित करते हैं। यदि ये विशेषताएं आप जो खोज रहे हैं उसे प्रतिबिंबित करते हैं, तो मैं आपको हमारी साइट का पता लगाने और हमारे बारे में अधिक जानने के लिए प्रोत्साहित करता हूं। मुझे आशा है कि आप अनुमान के सुंदर परिसर में जाने और उन लोगों से मुलाकात करने पर विचार करेंगे जो हमारे समुदाय को इतना खास बनाते हैं। धारणा में आपकी रूचि के लिए धन्यवाद।
१९८० में हुए लोकसभा चुनाव से पहले भी दिल्ली से कोई भी सिख उम्मीदवार संसद के निचले सदन, लोकसभा में नहीं पहुंचे थे। केंद्र में १९७७ में बनी जनता पार्टी सरकार के गिरने के बाद नई संसद चुनने के लिए १९८० में लोकसभा चुनाव हुए थे। १९८० में दक्षिण दिल्ली से चरणजीत सिंह कांग्रेस की टिकट पर सांसद चुने गए थे। दिल्ली में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अब आमने-सामने हैं। मतदान का दिन करीब आने के साथ चुनाव प्रचार का तापमान भी बढ़ गया है। पूर्वी दिल्ली सीट पर आप और कांग्रेस के उम्मीदवारों ने अपनी टक्कर से जंग को रोचक बना दिया है। आम आदमी पार्टी की आतिशी के सामने खड़े अरविंदर सिंह लवली ने अपने प्रचार का आधार यही बनाया है कि वे पूर्वी दिल्ली के बाशिंदे हैं। उनका कहना है कि पहली बार किसी पार्टी ने पूर्वी दिल्ली को वहां का रहनेवाला उम्मीदवार दिया है। इसलिए मतदाताओं के लिए उन्होंने अपना नारा भी आपका लवली बनाया है। पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस-आप की त्रिकोणीय लड़ाई में अगर अरविंदर सिंह लवली जीते, तब यह ४० साल बाद दिल्ली से किसी सिख के लोकसभा में पहुंचने का इतिहास बनेगा। १९८० में दक्षिण दिल्ली से चरणजीत सिंह कांग्रेस की टिकट पर सांसद चुने गए थे। चरणजीत सिंह ने तब जनता पार्टी के कद्दावर नेता रहे प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा को हराया था। राजनैतिक जानकार मानते हैं करीब १२-१४ फीसद पंजाबी और सिख आबादी वाली दिल्ली में मौजूदा लोकसभा चुनाव में लवली ही एकमात्र सिख उम्मीदवार हैं। पूर्वी दिल्ली के स्थानीय निवासी होने के अलावा इलाके समेत पूरी दिल्ली की पकड़ लवली की दावेदारी को मजबूत करती है। दिल्ली के शिक्षा, राजस्व, शहरी विकास, ट्रांसपोर्ट व पर्यटन मंत्री के रूप में जिम्मेदारी निभा चुके लवली चुनाव प्रचार में भी दिल्ली की राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी साबित हो रहे हैं। पदयात्रा, जनसभा और जनसंपर्क में भीड़ और लोगों में उनसे मिलने का जज्बा काम आ रहा है। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही उनका राजनीति की तरफ रुझान हो गया था। वे भीमराव आंबेडकर कॉलज के अध्यक्ष के अलावा १९९२-९६ तक एनएसयूआइ के महासचिव भी रहे हैं। १९८० में हुए लोकसभा चुनाव से पहले भी दिल्ली से कोई भी सिख उम्मीदवार संसद के निचले सदन, लोकसभा में नहीं पहुंचे थे। केंद्र में १९७७ में बनी जनता पार्टी सरकार के गिरने के बाद नई संसद चुनने के लिए १९८० में लोकसभा चुनाव हुए थे। उस चुनाव में कांग्रेस ने दक्षिण दिल्ली से अपने उम्मीदवार के रूप में चरणजीत सिंह को उतारा था। राजनीतिक हलकों में नया नाम होने के बावजूद चरणजीत सिंह तब जीत दर्ज कर संसद पहुंचे थे। हालांकि १९९९ में सरदार मनमोहन सिंह ने दक्षिण दिल्ली सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। तब वे भाजपा के वीके मल्होत्रा से चुनाव हार गए थे। २०१४ लोकसभा चुनाव में पश्चिमी दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी ने जरनैल सिंह को उम्मीदवार बनाया था। जरनैल सिंह भी चुनाव हार गए थे।
श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा जिले के एक गांव में मंगलवार को घेराव और तलाशी अभियान के दौरान शुरू हुई मुठभेड़ में एक आतंकवादी को मार गिराया गया और भारतीय सेना के दो जवान शहीद हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। रत्नीपोरा इलाके में छिपे आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। अधिकारी ने कहा, शुरुआती गोलीबारी में तीन जवान घायल हो गए। उन्हें तुरंत सेना के अस्पताल में स्थानांतरितकर दिया गया। उन्होंने कहा, हालांकि, राष्ट्रीय राइफल्स के सिपाही बलजीत सिंह और १० पैरा रेजिमेंट के नाइक सईद ने दम तोड़ दिया, जबकि हवलदार चंदर पाल अब भी अस्पताल में हैं। पुलिस अधिकारी ने कहा, अब तक एक आतंकवादी को मारा जा चुका है। उन्होंने कहा कि कम से कम दो और आतंकवादी अब भी छिपे हैं और दोनों तरफ से गोलीबारी जारी है। मुठभेड़ की खबर फैलते ही युवाओं ने अभियान को बाधित करने के लिए सुरक्षाबलों के साथ संघर्ष शुरू कर दिया। जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। जम्मू क्षेत्र के बनिहाल और कश्मीर घाटी के बीच रेल सेवाओं को भी एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है।
दिल्ली सहित नैशनल कैपिटल रीजन (न्क्र) में कंग और कुकिंग गैस के दाम बढ़े गए हैं। नई दिल्ली. दिल्ली सहित नैशनल कैपिटल रीजन (न्क्र) में कंग और कुकिंग गैस के दाम बढ़े गए हैं। जहां कंग के दाम ९० पैसे प्रति किलो बढ़ाए गए हैं, वहीं कुकिंग गैस के दाम १.१5 रुपए बढ़ाए गए हैं। सरकार की तरफ से नेचुरल गैस की इनपुट लागत में बढ़ोत्तरी के बाद ऐसा हुआ है। दिल्ली और एनसीआर में कंग और पाइप्ड कुकिंग गैस आपूर्ति करने वाली कंपनी इग्ल ने जारकारी दी है कि दिल्ली में सीएनजी के दाम अब ४०.६१ प्रति किलो हो गए हैं। वही एनसीआर में यह दाम ४७.०५ रुपए प्रति किलो किए गए हैं। गैस के नए दाम लागू हो गए हैं। इसके अलावा रिवाड़ी में सीएनजी के दाम ९५ पैसे प्रति किलो बढ़ाए गए हैं। यहां पर दाम ५०.६७ रुपए प्रति किलो से बढ़कर ५१.६२ रुपए प्रति किलो हो गए हैं। इग्ल ने कहा है कि वह सीएनजी पर रात में साढ़े बारह बजे से लेकर सुबह साढ़े पांच बजे के बीच दाम में १.५० रुपए प्रति किलो की दर से छूट जारी रखेगी। इस छूट के बाद दिल्ली में सीएनजी ३९.११ रुपए प्रति किलो पर और एनसीआर में ४५.५५ रुपए प्रति किलो पर मिलेगी। घरों में आपूर्ति वाली पाइप्ड गैस भी महंगी हुई है। इसके दाम दिल्ली में २५.९९ रुपए प्रति स्म से बढ़कर २७.१४ रुपए प्रति स्म हो गए हैं। वहीं एनसीआर में यह दाम बढ़कर २८.८४ रुपए प्रति स्म हो गए हैं। रिवाड़ी में यह दाम बढ़कर २८.७८ प्रति स्म हुए हैं।
गुजरात न्यूज, गांधीनगर। अहमदाबाद के बहुचर्चित पीएसआई आत्महत्या कांड (अहमदाबाद: सुसाइड केश ऑफ प्सी) में मृतक की पत्नी की मांग पर पुलिस-प्रशासन की सांस फूल गई है। मृतक पीएसआई के घरवालों ने मांग की है कि सुसाइड करार दिए जाने के दावे से वे संतुष्ट नहीं है, जरूरी है कि इस केस जांच हो। मृतक की पत्नी का कहना है कि उसके पति ने आत्महत्या नहीं की, अब संभावित जांच में जिम्मेदार पाए जाने वाले अफसर को सजा दी जाए। मृतक की पत्नी ने यह भी कहा है कि अगर सरकार या पुलिस विभाग ने उसके पति को परेशान करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, तो वह गांधीनगर में सचिवालय जाकर आत्महत्या कर लेगी। मृतक पीएसआई की पत्नी के इस कथन के बाद पुलिस-प्रशासन के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। बता दें कि, अहमदाबाद के चाणक्यपुरी में पीएसआई देवेंद्र सिंह राठौड़ मृत पाए गए थे। इस मामले में देवेंद्र सिंह राठौड़ के परिवार के सदस्यों ने कहा है कि डीवाईएसपी एनपी पटेल उनकी मौत के लिए जिम्मेदार हैं। इस आरोपी के खिलाफ पिछले पांच महीनों से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अत: हम मांग करते हैं कि इसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। पीएसआई की पत्नी ने कहा कि अगर मेरे पति के मामले में सात दिन के भीतर कार्रवाई नहीं हुई तो मैं सचिवालय जाऊंगी और आत्महत्या कर लूंगी। मृतक पीएसआई की पत्नी डिंपल राठौड़ ने अपने पति के आत्महत्या में मामले की जांच सेंट्रल ब्यूरो आॅफ इंवेस्टिगेशन (सीबीआई) को सौंपने को कहा है। उन्होंने आगे कहा कि हम पिछले पांच महीनों में कई कार्यालयों में भटकते रहे हैं, लेकिन कहीं से हमको कोई जवाब नहीं मिला है। पिछले पांच महीनों में न्यायिक हिरासत में रहे पीएसआई देवेंद्र सिंह राठौड़ की पत्नी ने कहा कि अगर उन्हें सात दिनों के भीतर न्याय नहीं दिया जाता है, तो वह आत्महत्या कर लेगी। इसके साथ ही पीएसआई देवेंद्र सिंह राठौड़ का परिवार भी पुलिस आयुक्त कार्यालय में धरना देगा। डिंपल राठौड़ ने पुलिस अकादमी के डीवायएसपी एनपी पटेल पर अपने पति को प्रताड़ित किए जाने के आरोप लगाए। डिंपल राठौड़ ने कहा कि डीवायएसपी एनपी पटेल ने मेरे पति के साथ होमो-सेक्सुअल रिलेशन की मांग की थी। यह करने के लिये उसने मेरे पति को परेशान किया। मेरे पति ने उनकी मांग को ठुकराया, तो एनपी पटेल ने उन्हें सुसाइड करने के लिए बाध्य कर दिया। मेरे पति देवेंद्र सिंह ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट लिखी थी। मेरे पति लंबे समय से चिंतित थे, जब मैंने मेरी छोटी बेटी की कसम दिलवाई तो उन्होंने मुझे सबकुछ बता दिया। डिंपल ने बताया कि सुसाइड नोट में पति देवेंद्र सिंह राठौड़ ने क्या लिखा था?
मझौलिया थाना क्षेत्र के शेख मंझरिया गांव में मंगलवार की रात एक सात वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करने का मामला आया है। पुलिस ने पीड़िता को इलाज के लिए एमजेके अस्पताल में भर्ती कराया है। घटना के संबंध में बताया जाता है कि मंझरिया की मासूम बच्ची अपनी मां के साथ सोई हुई थी। इसी क्रम में गांव के ही हरेंद्र कुशवाहा का १९ वर्षीय पुत्र मुन्ना कुशवाहा लड़की के पास पहुंचा। जब उसने देखा कि लड़की की मां सो रही है तो उसने लड़की का मुंह दबा दिया अाैर उसे अलग एक धान लगे खेत में ले जाकर दुष्कर्म किया। इसके बाद वह फरार हो गया। लकड़ी कुछ देर तक बेहोश रही। हाेश में अाने पर लड़की जोर-जोर से रोने लगी। उसने किसी तरह अपनी मां के पास पहुंचकर पूरे घटना की जानकारी दी। बच्ची के परिजन ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। इधर, थानाध्यक्ष रणधीर कुमार दलबल के साथ घटना स्थल पहुंचे अाैर मामले की पूरी पड़ताल की। घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने मासूम बच्ची को इलाज के लिए मझौलिया पीएचसी में भर्ती कराया।
बमुश्किल दो साल के भीतर चार बड़े आंदोलन। पहले स्वामी रामदेव, फिर टीम अन्ना, फिर रामदेव और अब यह स्वत:स्फूर्त जनांदोलन.. सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी देने की मांग को लेकर। इसके पहले कभी ऐसी स्थिति नहीं आई कि नई दिल्ली में धारा १४४ लगाई जाए, जगह-जगह बैरिकेडिंग की जाए और शहर को छावनी में तब्दील कर दिया जाए। पर अब स्थिति यहां तक पहुंच गई तो लगता है कि पानी सिर से ऊपर गुजरने लगा है। भारत की जनता आसानी से अपना धीरज नहीं खोती। खराब से खराब स्थितियों में भी इसे अपना धीरज बनाए रखने के लिए जाना जाता है। इसने चरमसीमा तक महंगाई झेली और झेले जा रही है, बेरोजगारी झेल रही है, भ्रष्टाचार झेल रही है, आतंकवाद और अराजकता झेल रही है, लेकिन अब.. यह बहन-बेटियों की इज्जत पर हाथ डालना और उसमें भी दरिंदगी की सारी हदें पार कर जाना.. आखिर कहां तक कोई बर्दाश्त करेगा? बर्दाश्त की सारी हदें जब पार हो गई और नेताओं ने जनता के विश्वास की सारी हदें तोड़ दीं तो लोगों के पास चारा भी आखिर क्या था? वाकई अब तो न केवल सरकार, बल्कि व्यवस्था के साथ-साथ पूरा देश मुश्किल में फंस गया है। युवा भावनाओं के उबाल का यह दौर वास्तव में जिम्मेदार लोगों के धीरज और संयम की परीक्षा का दौर है। विपक्ष से लेकर सरकार तक सभी युवाओं के आक्रोश को सही ठहरा रहे हैं। किसी में इतना साहस नहीं है, जो अपना दामन बचाने के लिए औपचारिक तौर पर भी यह कहने का साहस जुटा सके कि युवाओं का इतना गुस्सा करना गलत है। कोई कहे भी कैसे? यह केवल किसी एक कारण से तो है नहीं। गौर से देखा जाए तो जो दरिंदगी हुई है, उसके पीछे भी केवल एक ही कारण नहीं है। इसके पीछे भी कई कारण हैं और इसके लिए जिम्मेदार सिर्फ वे दरिंदे ही नहीं हैं। यहां तक कि दरिंदों के साथ-साथ केवल पुलिस तक को भी जिम्मेदार ठहराने से काम नहीं चलेगा। असलियत यह है कि इसके लिए हमारी पूरी व्यवस्था जिम्मेदार है। इस व्यवस्था में पुलिस भी शामिल है, परिवहन विभाग, प्रशासन और शासन भी। असल में यह सबकी अनदेखी की प्रवृत्ति का नतीजा है। दिल्ली में दुष्कर्म अब कोई एक दिन की बात नहीं है। यहां आए दुष्कर्म की घटनाएं होती रहती हैं। कभी किसी युवती के साथ तो किसी नाबालिग लड़की के साथ। यहां तक कि अबोध बच्चियां और बुजुर्ग महिलाएं भी यहां सुरक्षित नहीं हैं। रास्ते, सार्वजनिक स्थलों और सुनसान जगहों की तो बात छोडि़ए, खुद अपने घरों में भी स्ति्रयां सुरक्षित नहीं हैं। बेशक, इसके लिए बहुत हद तक हमारे समाज का नजरिया जिम्मेदार है और इसका स्थायी समाधान भी इसके बदलने एवं सुधरने में ही निहित है। इसका यह मतलब भी नहीं कि हमारे समाज का हर पुरुष दुष्कर्मी मनोवृत्ति और स्त्री के प्रति उपभोक्तावादी नजरिया रखने वाला है। वास्तव में ऐसे लोग समाज में बहुत थोड़े से हैं, लेकिन उनके बेहिसाब हल्ले के बीच शरीफ लोगों की आवाज दब जाती है। आम लोगों की आवाज दब इसलिए जाती है, क्योंकि वे उस तरह छल-प्रपंच नहीं कर सकते जैसे असामाजिक तत्व करते हैं। वास्तव में फरेब उनकी ही जरूरत भी है। शरीफ आदमी को न तो इसकी जरूरत होती है और न वह यह सब सीखता है। यही वजह है कि वह अक्सर इनके अत्याचार का शिकार होता रहता है। उसे अराजक तत्वों से बचाने के लिए ही सरकार की जरूरत होती है और सरकार अपना काम ठीक से कर सके, इसके लिए ही पुलिस-प्रशासन और उसके पूरे अमले की जरूरत होती है। अगर यह अमला ठीक से काम नहीं कर रहा है तो यह सरकार की जिम्मेदारी है कि उसे समझा-बुझा कर या सख्ती करके रास्ते पर ले आए। यहां हालात बिलकुल उलट गए हैं। अराजक तत्व तो खुलेआम घूम-घूम कर वारदात कर रहे हैं और बेचारे आम जन डरे-सहमे केवल अपनी जान बचाने में लगे हैं। वह अपने धन-मान की रक्षा के लिए कहां जाएं, किससे गुहार लगाएं। पुलिस सुनती नहीं है, उसके बारे में आम धारणा यह है कि अपराधियों से मिली हुई है। इस धारणा को गलत साबित कर सके, ऐसी कोई घटना जल्दी सामने आती नहीं है। अपराधी कहीं से कुछ भी करके निकल जाते हैं और पुलिस उनका कुछ नहीं करती। यहां तक कि राष्ट्रीय राजधानी की व्यस्त सड़कों पर नियम-कानून की धज्जियां उड़ाती एक बस घंटों चलती रही, उसमें एक लड़की की इज्जत छह दरिंदे मिल लूटते रहे, उसके साथ वे वह सब करते रहे जिससे मनुष्यता तो क्या दानवता तक शरमा जाए और हमारी पुलिस सोती रही। आखिर है किसलिए यह पुलिस? अगर पुलिस की यही सीमा है तो फिर उसकी उपयोगिता और जरूरत क्या है? क्यों हम उसका बोझ उठाएं? वस्तुस्थिति यह है कि पुलिस केवल वीवीआइपी सुरक्षा का एक औजार बन कर रह गई है।
बारिशें नहीं होती इसलिए ये रेगिस्तान है। इसका दूसरा पहलू ये भी है कि ये रेगिस्तान है इसलिए बारिशें नहीं होती। एक ही बात को दो तरीके से कहा जा सके तो हमें ये समझ आता है कि हल कहीं इसी बात में ही छिपा हुआ है। अगर रेगिस्तान में कुछ पेड़ और पौधे बढ़ जाएँ तो यहाँ से गुज़रने वाले बादलों को रुकने के मौका मिल सकता है। वे बरस भी सकते हैं। उनके बरस जाने पर रेगिस्तान जैसी कोई चीज़ बाकी न रहेगी। मुझे ये खयाल इसलिए आया कि बुधवार को संसद में खाद्य सुरक्षा बिल प्रस्तुत कर दिया गया। यूपीए सरकार में इस बिल को लाने के प्रति बड़ी उत्सुकता थी। जिस तरह मनरेगा एक मील का पत्थर और जन कल्याणकारी योजना साबित हुई उसी तरह की आशा इस बिल के लागू होने से भी की जा रही है। इस पर काफी दिनों से चल रही खींचतान ने इसे भी कई लंबित योजनाओं में शामिल कर दिया था। ये आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि गरीब और आम अवाम के लिए लाई जानी वाली योजनाओं पर खूब समर्थन और विरोध की बातें होती हैं। हर कोई भला करने का अधिकार अपने पास रखना चाहता है और दूसरे ये काम करें इसे स्वीकार नहीं करता। मैंने बचपन में कई बार सुना कि फेमीन शुरू होने वाली है। मेरे लिए फेमीन शब्द का अर्थ था कि कोई काम शुरू करना जिससे लोगों को रोज़गार मिल सके। फेमीन का शाब्दिक अर्थ बहुत अरसे के बाद समझ आया। इसका अभिप्राय ये है कि रेगिस्तान के लोगों का और अकाल का वास्ता जन्म जन्मांतर का रहा है। सरकारों ने इस सूखे भू-भाग और देश के ऐसे ही अनेक हिस्सों में अपने नागरिकों को भूख से मरने से बचाने के लिए योजनाएँ बनाई और उनका क्रियान्वयन किया। इस बार जो खाद्य सुरक्षा बिल लाया जा रहा है इससे देश की दो तिहाई आबादी के लाभान्वित होने की उम्मीद है। इस योजना के मुताबिक गरीबों को दो रुपए किलो गेहूं, तीन रुपए किलो चावल और एक रुपए किलो मोटा अनाज राशन दुकानों के माध्यम से दिया जाएगा। एक परिवार को हर माह पच्चीस किलो अनाज मिलेगा। गांवों की पचहत्तर फीसदी और शहरों में करीब पचास फीसदी आबादी तक यह योजना पहुंचेगी। इस योजना को फिलहाल तीन साल के लिए लागू करने की बात कही जा रही है। खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत मिड डे मील, आईसीडीएस भी शामिल हो जाएंगे। अनुमान के मुताबिक इस योजना के लागू होने से सरकार को प्रतिवर्ष एक लाख चौबीस करोड़ रुपए की सब्सिडी देनी होगी। आज के भाव से एक किलो चावल पर साढ़े तेईस और गेहूं पर प्रतिकिलो अट्ठारह रुपए की सब्सिडी देनी होगी। तीन साल में करीब छः लाख करोड़ की सब्सिडी दिए जाने का अनुमान है। योजना के तहत देश की पैंसठ प्रतिशत आबादी को सस्ते दामों में अनाज मुहैया कराया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस योजना के लागू किए जाने का सारा जिम्मा राज्य सरकारों पर डाल दिया है। यह एक तरह से संघीय ढांचे को मजबूत किए जाने हेतु उठाया गया कदम है। केंद्र और राज्यों को मिल कर ही इस तरह की योजनों का क्रियान्वयन करना चाहिए। केंद्र सरकार सब्सिडी दे रहा है और राज्य सरकारें ये तय करे कि इसका फायदा किसको दिया जाना है। चयनित होने वाले लाभार्थी तक जो सस्ता राशन पहुंचेगा उसे उपलब्ध कराने का सारा श्रेय केंद्र सरकार न ले जाए इसलिए कुछ राज्य इसका विरोध कर रहे हैं। वे नहीं चाहते कि किसी भी रूप में उनका सिस्टम केंद्र के लाभ के लिए काम करे। लेकिन ये जो विरोध करने वाली सरकारें हैं वे ही अक्सर केंद्र से कई मामलों में सहायता दिये जाने की गुहार लगाती रहती है। क्या उस वक़्त उनको नहीं लगता कि केंद्र से मिला हुआ धन लाभार्थी को प्रभावित करेगा। या उनके विरोध की वजहें कुछ और हैं। एक वजह ये हो सकती है कि सब राज्यों की सरकारों ने गरीबों के लिए अपने स्तर पर कई योजनाएँ चला रखी हैं। वे इसका क्रेडिट ही चाहती है और केंद्र की भव्य योजना के सामने उन लघु योजनाओं के दम तोड़ देने के भय से घिरी हुई हैं। इधर लोग अक्सर एक ही शिकायत करते हैं कि रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने की जगह सरकारें इस तरह की योजनाएँ लाती हैं जिनसे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता हो। वही सिस्टम और वे ही उसके लाभ उठाने वाले। समाज का बहू संख्यक वर्ग ये मानता है कि आज राजनीति में आने के उत्सुक और आकांक्षी लोगों का पहला लालच यही है कि वे सरकारी योजनाओं में सेंध लगा कर अपने लिए कुछ चुरा सकें। सब्सिडी का खेल ही इसके लिए सबसे अधिक उपयुक्त है। हाल ही में ये तय किया गया है कि रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी को उपभोक्ता के बैंक खाते में जमा करवाया जाएगा। ऐसा निर्णय करने के पीछे का सबक ये है कि आम उपभोक्ता की जगह रसोई गैस का बहुतायत से दुरुपयोग हो रहा है। तो क्या इस खाद्य सुरक्षा बिल के बारे में भी यही संदेह नहीं उभरता है। ये देश की राशनिंग प्रणाली को फिर ज़िंदा करने का काम है और हम सब जानते हैं कि राशन की दुकानों का खेला कैसा है। ज़रूरत इस बात की है सिस्टम को पहले दुरुस्त किया जाए। हम एक नयी सोच से मनुष्य के लिए रोजगार के अवसर बनाएँ। ताकि वह खुद कमा कर खा सके। उसके बच्चों को स्कूल के पोषाहार और बीवी को राशन वाली दुकान की कतार में न खड़ा होना पड़े। अपनी बहार का मुझे आज भी इंतज़ार है ।
बिग बॉस १३ में मिड नाइट एविक्शन का समय अब आ गया है। चर्चा है कि माहिरा शर्मा इस बार घर से बेघर होंगी और उन्हें भूत ले जाएगा। अगर आप बिग बॉस सीजन १३ देख रहे हैं तो जाहिर है कि आपके अंदर इस बात को जानने की चाहत जरूर होगी कि बिग बॉस फिनाले के ४ दिन ही बचे हैं और घर में अभी ७ सदस्य हैं। हालाकि बहुत दिनों से मिड नाइट एविक्शन की चर्चा चल रही है। मगर, अब तक ऐसा देखने को नहीं मिला है। शो के लास्ट वीकेंड के वार में भी किसी का एविक्शन नहीं हुआ। ऐसे में घर वालों और सदस्यों दोनों के ही बीच में बहुत कंफ्यूजन है कि आखिर टॉप ५ फाइनलिस्ट हैं कौन? इस कंफ्यूजन को दूर करने के लिए बिग बॉस एक ट्विस्ट लेकर आ रहे हैं। इस ट्विस्ट में एक भूत घर के अंदर आएगा और माहिरा शर्मा को अपने साथ ले जाएगा। यह भूत कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड एक्टर विक्की कौशल होंगे। विक्की कौशल अपनी फिल्म 'भूत पार्ट-१: द हॉन्टेड शिप' में आने वाले हैं और अपनी इस फिल्म को प्रमोट करने के लिए वह बिग बॉस हाउस में आधी रात में घुस जाते हैं। यह बिग बॉस का ही गेम प्लान होता है। बहुत दिनों से मिड नाइट एविक्शन की बात चल रही है और अब यह एविक्शन १2 फरवरी के एपिसोड में देखने को मिल सकता है। इसे जरूर पढ़ें: बिग बॉस१३ लाटेस्ट उपकेट्स: क्या सच में माहिरा शर्मा को आधी रात में घर से बेघर कर देंगे बिग बॉस ? बहुत दिनों से सोशल मीडिया पर इस बात के चर्चे भी है कि माहिरा शर्मा का मिड नाइट एविक्शन हो रहा है। माहिरा शर्मा की मां से जब इस बारे में पूछा गया था तब उन्होंने इस बात के लिए इंकार कर दिया था कि माहिरा घर से बेघर होने वाली हैं। मगर, अब सोशल मीडिया पर यह बात जोरों से वायरल हो रही हैं कि माहिरा शर्मा को भूत अपने साथ ले जाएगा। यहां भूत से आशय विक्की कौशल से है। माहिरा शर्मा को भी शायद इस बात का अंदाजा है कि वह टॉप-५ फाइनलिस्ट में नहीं हैं क्योंकि बीते कुछ एपिसोड्स में उन्हें यह कहते देखा गया है कि वह इस बार घर से बेघर हो जाएंगे। आपको बता दें कि बिग बॉस को अपने टॉप ४ फाइनलिस्ट पहले ही मिल चुके हैं। सिद्धार्थ शुक्ला, आसिम रियाज, रश्मि देसाई और पारस छाबड़ा बिग बॉस सीजन १३ के ४ फाइनलिस्ट हैं । अब माहिरा के एविक्शन के बाद यह बात क्लीयर हो जाएगी कि आरती सिंह और शहनाज गिल में से कौन टॉप- ५ फाइनलिस्ट होगा।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। ब्सल ने इस साल जुलाई में अपने यूजर्स को बेहतर सर्विस मुहैया कराने के लिए र्स १,१88 वाला 'मारुतम' प्रीपेड प्लान लॉन्च किया था, इसकी वैलिडिटी ३४५ दिन है। वहीं अब कंपनी ने इस प्लान में वैलिडिटी को ९० दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया है। इसके बाद यूजर्स इस प्लान का उपयोग 2१ जनवरी २०२० तक कर सकते हैं। यह कंपनी का प्रमोशनल प्लान है जो कि लॉन्ग टर्म वैलिडिटी की सुविधा प्रदान करता है। इस प्लान को ३४५ दिनों की वैलिडिटी के साथ लॉन्च किया गया था। लेकिन ये प्लान केवल आंध्रप्रदेश और तेलंगाना सर्किल में ही उपलब्ध है। इस प्लान के तहत यूजर्स कुल ५गब डाटा उपयोग कर सकते हैं। टेलीकॉम टाल्क की रिपोर्ट के अनुसार इस साल जुलाई में लॉन्च किए गए 'मारुतम' प्रामेशनल प्रीपेड प्लान की वैधता २३ अक्टूबर २०१९ थी लेकिन इसे ९० दिनों तक बढ़ाने के बाद अब यह प्लान २१ जनवरी २०२० तक वैलिड होगा। कंपनी ने ये फैसला यूजर्स के बीच इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए लिया है। इस प्लान में यूजर्स को कुल ५गब डाटा की सुविधा मिलती है। ब्सल के र्स १,१88 वाले प्रीपेड प्लान के अन्य बेनिफिट्स की बात करें तो इसमें ५गब डाटा खत्म होने के बाद आपको अगल से डाटा प्लान का टॉप-अप लेना होगा। इसके अलावा डाटा समाप्त होने के बाद आपको 2५ पैसे प्रति म्ब के हिसाब से भुगतान करना होगा। वहीं इसमें आपको अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग की भी सुविधा मिलेगी। वहीं अन्य नेटवर्क पर कॉलिंग के लिए आपको 2५0 मिनट मिलेंगे। इस प्लान में 34५ दिनों तक १,२०० स्म्स का लाभ उठा सकते हैं। ब्सल ने हाल ही में अपने यूजर्स की सुविधा के लिए ४२९ रुपये का प्रीपेड प्लान पेश किया है, इसमें आपको एक्स्ट्रा डाटा का बेनिफिट मिलेगा। ७१ दिनों की वैलिडिटी वाले इस प्लान में यूजर्स प्रतिदिन १गब डाटा का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा एक्स्ट्रा डाटा के तौर पर इसमें आपको १.५गब डाटा मिलेगा। वहीं कंपनी आने वाले दिनों में इस प्लान में फिर से बदलाव कर सकती है जिसके बाद यूजर्स को डबल डाटा का लाभ मिलेगा।
लास्ट चेकड:इंजीनियरिंग तिरुवनंतपुरम कॉलेज भारत में एक अग्रणी और प्रमुख व्यावसायिक संस्थान है। इस संस्था त्रावणकोर के महाराजा द्वारा १९३९ में शुरू किया गया था; २१ छात्रों के साथ। अब कैम्पस ताकत के बारे में ४००० के परिसर में १२५ एकड़ जमीन की हरियाली का विस्तार कमांडिंग शहर की सीमा के भीतर कुलथूर में अपने परिसर में स्थित है। जमा विशेषज्ञता और पिछले छह दशकों से अधिक की गुणवत्ता में लगातार सर्वोच्च प्रतिशतक के बीच इस संस्था की स्थिति बनाए रखने के। इंस्टीट्यूशन केरल विश्वविद्यालय से संबद्ध है और मान्यता प्राप्त एआईसीटीई द्वारा और आईएसओ ९००० के मानकों के अनुरूप है। क्यों रोजगारलीवे में कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग त्रिवेंद्रम भर्ती - २०१७? रोजगारलीवे सभी सरकारी नौकरी भर्ती अधिसूचना के लिए एक प्रमुख काम वेबसाइट है। यह पेज कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग त्रिवेंद्रम से नयी भर्ती की अधिसूचना के लिए एक विशेष पेज है। रोजगारलीवे टीम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग त्रिवेंद्रम के लिए इस विशेष भर्ती पेज में कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग त्रिवेंद्रम से सभी भर्ती और नौकरी के उद्घाटन पेश करने के लिए करता है। यह पेज कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग त्रिवेंद्रम से सभी सक्रिय और हाल ही में समाप्त नौकरी के उद्घाटन और भर्ती अधिसूचना में शामिल है।
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भोपाल। (हिन्द न्यूज सर्विस)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में ८ अक्टूबर को आरंभ किये गए सघन मिशन इन्द्रधनुष के प्रथम एवं द्वितीय चरण में १०१ प्रतिशत की उपलब्धि के साथ इंदौर (शहर) देश में द्वितीय स्थान पर रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने यह जानकारी राष्ट्रीय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान दी। कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान श्री नड्डा २४ राज्यों के प्रमुख सचिव एवं संबंधित अधिकारियों से रू-ब-रू हुए और सघन मिशन इन्द्रधनुष की समीक्षा की। प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण गौरी सिंह ने मध्यप्रदेश में किये गए प्रयासों की जानकारी दी। नड्डा ने अक्टूबर और नवम्बर-२०१७ में मिशन के तहत मध्यप्रदेश की टीकाकरण छतरी, टीकाकरण कैप और स्वच्छता मिशन के वाहनों का सघन मिशन इन्द्रधनुष प्रचार के लिए उपयोग की सराहना की। उन्होंने सभी राज्यों से आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, एनसीसी, एनएसएस, एनवायके का उपयोग सामाजिक जागरूकता के लिए बेहतर ढंग से करने के निर्देश दिये। उन्होंने राज्यों से कहा कि वे रोज राज्य एवं जिला-स्तर पर मॉनीटरिंग करने के साथ फीडबैक देते हुए उचित कार्यवाही सुनिश्चित करें। प्रमुख सचिव गौरी सिंह ने केन्द्रीय मंत्री को बताया कि शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करने वाली पंचायतों को राज्य में २ लाख रुपये का पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया है। निर्णय की सराहना करते हुए श्री नड्डा ने अन्य राज्यों से भी इस योजना का अनुसरण करने के निर्देश दिए। सिंह ने बताया कि लक्ष्य की उपलब्धि के लिए आशा, आँगनवाड़ी कार्यकर्ता और एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया है। नड्डा ने कहा कि ४ चरणों में होने वाले इस अभियान की पूर्ति के बाद सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि वाले राज्य एवं जिले को भी पुरस्कृत किया जाएगा। यह पुरस्कार प्रधानमंत्री द्वारा नई दिल्ली में दिया जाएगा। सघन मिशन इन्द्रधनुष देश के २४ राज्यों के २०१ जिलों और १८ शहरों में टीकाकरण से छूटे हुए बच्चों और गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के उद्देश्य से चार चरणों में संचालित किया जा रहा है। अभियान के दो चरण अक्टूबर और नवम्बर में पूर्ण हो चुके हैं। तृतीय चरण ७ से १८ दिसम्बर और चतुर्थ चरण ७ से १८ जनवरी-२०१8 तक होगा। अभियान में डिप्थीरिया, काली खाँसी, टिटनेस, पोलियो, टीबी, खसरा आदि के टीके लगाये जाएंगे। सघन मिशन इन्द्रधनुष में २ वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे और उन गर्भवती माताओं तक पहुँचने का लक्ष्य रखा गया है, जो टीकाकरण कार्यक्रम में यह सुविधा नहीं पा सके हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान स्वास्थ्य विभाग के संचालक डॉ. बी.एन. चौहान, राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. ओ.पी. तिवारी, उप संचालक टीकाकरण विपिन श्रीवास्तव, राज्य कोल्डचेन अधिकारी डॉ. अश्विन भागवत और समन्वयक डॉ. जतिन ठक्कर भी उपस्थित थे।
बीकानेर। कांग्रेस तीन महीनों बाद तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी तय करने के लिए दो और सर्वे करवाने की तैयारी कर चुकी है। इसके लिए दिल्ली की दो एजेन्सियों को काम सौंपा गया है। राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक जिन दो एजेन्सियों को सर्वे का काम सौंपा गया है, उन्होंने रविवार से ही विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के लिए अपनी टीमों के गठन का काम शुरू कर दिया है। जिस एजेन्सी को लोगों से मिलकर राय जानने का कार्य सौंपा गया है, उसके प्रतिनिधि सितम्बर के शुरुआती दिनों में यहां पहुंच जाएंगे। जानकारों ने बताया कि इस बार सर्वे करने वाली एजेन्सियों के प्रतिनिधि टिकट दावेदारों से नहीं मिलेंगे बल्कि उनके क्षेत्रों में पहुंच कर आमलोगों से उनके बारे में राय लेेंगे। इस राय में दोनों पार्टियों के मजबूत प्रत्याशियों का नाम जानने की कोशिश की जाएगी। इन नामों के आधार पर विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं के जातिगत समीकरण के संबंध में फैसला लिया जाएगा। जानकारों ने बताया कि जिस एजेन्सी को गुपचुप रिपोर्ट तैयार करने का कार्य दिया गया है, उस एजेन्सी को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से टिकटों के दावेदारों के नामों की सूची सौंपी गई है और इन दावेदारों के नेगेटिव, पॉजीटिव पॉजीशन जानने तथा विधानसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण के हिसाब से कौन प्रत्याशी भारी रह सकता है, इसकी रिपोर्ट बनाने के लिए कहा गया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस एजेन्सी को यह काम संबंधित विधानसभा क्षेत्र के पूरी तरह से जानकार व्यक्ति से करवाने के लिए कहा गया है। इसमें ऐसे लोगों के चयन की सलाह दी गई है, जो चिकित्सक, इंजीनियर अथवा मीडिया जैसे किसी पेशे जुड़े हुए हों तथा जिन्हें इलाके की राजनीतिक हलचल का पूरी तरह से पता हो। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने अपनी एक विंग को पूरी तरह से सोशल मीडिया पर पैनी निगाहें जमाएं रखने को कह रखा है। सोशल मीडिया पर टिकट के दावेदारों को लेकर हो रही टिप्पणियों को जानने के काम में कांग्रेस ने इस विंग को लगा रखा है। इसके साथ ही यूट्यूब और स्थानीय समाचार पत्रों, न्यूज पोर्टल पर भी निगाहें चौबंद रख कर स्थानीय नेताओं की गतिविधियों और उनसे संबंधित समाचारों के आधार पर भी रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है।
नई दिल्ली। चीन की स्मार्टफोन निर्माता कंपनी श्याओमी ने अपने बहू चर्चित रेडमी ५आ वेरिएंट को भारत में लॉन्च कर दिया है। आपको बताते चले कि ग्राहक इसे ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट औक कंपनी की ऑफीशियल वेबसाइट मी.कॉम से खरीद सकते हैं। रेडमी ५आ के इस नए वेरिएंट को ४,९९९ रुपए की कीमत के साथ लिस्ट किया गया है। कंपनी ने बुधवार को ट्वीट कर रोज गोल्ड वेरिएंट के बारे में जानकारी दी। ट्वीट में लिखा गया कि मैं खूबसूरत हूं मैं दमदार हूं.. मैं सभी की पसंद हूं अंदाजा लगाइए मैं कौन हूं? पर्दा कल हटेगा! इसके अलावा फ्लिपकार्ट ने वेबसाइट पर बैनर लगाकर इस नए वेरिएंट की पुष्टि की। कहा जा रहा है कि वेंलेंटाइंस डे को देखते हुए कंपनी ने यह नया वेरिएंट लॉन्च किया है। रोज गोल्ड कलर होने के कारण ज्यादा से ज्यादा यूजर को यह फोन आकर्षित करेगा।
रोसमंड पाइक दिवंगत युद्ध पत्रकार मैरी कॉल्विन को चित्रित करने के बीच में था जब परिस्थितियां इतनी वास्तविक हो गई थीं कि वह परियोजना को समाप्त कर सकती थी या नहीं। कोल्विन के रूप में, पाइक ने अनगिनत युद्ध क्षेत्रों में जीवित रहने के दौरान कठिन, उलझे हुए रिपोर्टर की भूमिका निभाई, यहां तक कि एक के बाद एक विस्फोटक चोटों ने उसे एक आँख के पैच के साथ छोड़ दिया और पस्ड उसके दिमाग को मारता है। निर्देशक मैथ्यू हेनमैन, ऑस्कर-नामांकित वृत्तचित्र के बाद अपनी कथा की शुरुआत करते हुए; कार्टेल लैंड एंड डिड्को; और इसके फॉलोअप ; सिटी ऑफ घोस्ट्स, ; वास्तविक शरणार्थियों के साथ कई परिदृश्यों में पाईक कास्ट करें। एक दृश्य में, जॉर्डन सीरिया के लिए खड़ा था, और पाइक ने एक सीरियाई शरणार्थी के साथ एक दृश्य में अभिनय किया जिसके भतीजे को होम्स में एक रैली के दौरान उसके कंधों से गोली मार दी गई थी। स्क्रिप्ट ने पुर्ननिर्मित युद्ध क्षेत्र में मृत बच्चे के लिए प्रतिक्रिया करने के लिए आदमी को बुलाया, जबकि पाइक का चरित्र जारी था। पाइक सेट पर वापस आ गया, और उसका बाद का प्रदर्शन इस वर्ष के आश्चर्य की एक घटना है और गिरावट का मौसम है - शारीरिक उथलपुथल और पत्रकारीय कौशल का एक भयावह, दहनशील आंकड़ा जो वर्ष के सर्वश्रेष्ठ में से एक है। ब्रिटिश अभिनेत्री ने मैरी ब्रेनर के ; २०१२ के वैनिटी फेयर लेख को पढ़ने के बाद खुद के लिए इसे मांगा, जिसने कोल्विन के अंतिम क्षणों पर नज़र रखी। हेनमैन, जिन्होंने मूल रूप से परियोजना से बाहर होने से पहले भाग के लिए चार्लीज़ थेरॉन से बात की थी, उन्होंने अभी तक अपनी योजनाओं को अंतिम रूप देने के लिए अंतिम रूप दिया था ; सिटी ऑफ़ घोस्ट्स, ; सीरिया में भूमिगत पत्रकारों का उनका सुरीला-प्रशंसित चित्र। पाइक ने फिल्म निर्माता को सीएए में फिल्म की स्क्रीनिंग के लिए नीचे ट्रैक किया, जो उन दोनों का प्रतिनिधित्व करता है, और कॉल्विन के कुछ लिखित विचारों को साझा किया, जो उसने तैयार किए थे। ; कभी-कभी आप जैसा महसूस करते हैं उससे पहले किसी और के प्रभाव से प्रभावित होते हैं, यह आपके विचारों को नीचे लाने के लिए महत्वपूर्ण है, ; पाइक ने कहा। ; मेरे पास इस तरह की धारा-चेतना थी जो मैरी के बारे में थी। मुझे पता नहीं है कि यह कहां से आया है। ; कुछ दिनों के भीतर हीमैन ने उसे कास्ट कर लिया। आखिरकार, वह हेनमैन के अपरंपरागत दृष्टिकोण में बस गई। हॉम्स-सेट के एक अन्य दृश्य में, उसने तहखाने में एक महिला के साथ बातचीत की, जहां महिलाएं और बच्चे बम से छिपे हुए थे। कैमरे के लुढ़कने के साथ, पाइक ने दृश्य में एक शरणार्थी के साथ बातचीत शुरू की, जिसने कहा कि वह की वजह से स्तनपान नहीं कर सकती थी, क्योंकि वह आघात से ग्रस्त थी। ; मैं एक अनुवादक के साथ थोड़ा जांचा, ; पाइक ने कहा। ; मैंने पूछा कि क्या हुआ था और उसने कहा कि उसका घर एक खोल से चपटा हुआ था और वह भाग कर अपने बच्चों के साथ भाग गई, और तब उसे एहसास हुआ कि उसका एक बच्चा गायब है। ; उसने खुद को रोका और एकत्र किया। ; एक निजी युद्ध ; अब न्यूयॉर्क और लॉस एंजिल्स में खेल रहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर में विदेशी सॉवरिन बॉन्ड के पक्ष में मत देने की संभावना कम है। सरकार के साथ रिजर्व बैंक की १६ अगस्त को बैठक होने वाली है। सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक को डर है कि विदेशी बॉन्डों को हरी झंडी देने से स्थानीय बॉन्डों में हस्तक्षेप खत्म हो जाएगा, जो रिजर्व बैंक द्वारा कड़ाई से नियंत्रित किए जाते हैं और केंद्रीय बैंक सरकार के धन का प्रबंधक होता है। बहरहाल विदेशी बॉन्डों और स्थानीय बॉन्डों को लंबे समय तक अलग अलग खांचे में नहीं रखा जा सकता और इससे अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें प्रबंधित करने की रिजर्व बैंक की स्वतंत्रता उल्लेखनीय रूप से कम हो जाएगी। इस मसले पर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए इस बात पर जोर दिया कि रिजर्व बैंक का जो भी विचार होगा, सरकार को बता दिया जोगा। वहीं सूत्रों का कहना है कि रिजर्व बैंक ने इसे लेकर पहले ही अपनी आपत्तियां जता दी है और १६ अगस्त की बैठक में वह औपचारिक रूप से ऐसा कर देगा। इस समय ग्लोबल यील्ड शून्य करीब, यहां तक कि तमाम अर्थव्यवस्थाओं में यह शून्य से नीचे है और सरकार के लिए धन जुटाना सस्ता होगा, लेकिन केंद्रीय बैंक इसकी जरूरत नहीं महसूस कर रहा है क्योंकि घरेलू बॉन्ड यील्ड जनवरी के बाद से १०० आधार अंकों से भी ज्यादा कम हुआ है। सॉवरिन बॉन्ड की मौजूदगी मुद्रा में नॉन डिलिवरेबल फॉरवर्ड (एनडीएफ) मार्केट की तरह से काम कर सकता है, जिससे घरेलू मुद्रा बाजार की धारणा संचालित होती है। रिजर्व बैंक का एनडीएफ बाजार पर कोई नियंत्रण नहीं होता, यह व्यापक तौर पर अटकलबाजियोंं से संचालित होता है। एनडीएफ बाजार की विनिमय दरें प्राय: स्थानीय दरें निर्धारित करती हैं। संकट के समय में यह कनेक्शन और ज्यादा स्वाभाविक हो जाता है। रिजर्व बैंक की पूर्व डिप्टी गवर्नर उषा थोराट की अध्यक्षता में बने एक कार्यबल ने सुझाव दिया था कि उसी तरह की बुनियादी ढांचा सुविधाएं और ऑनशोर मुक्त कारोबार की सुविधाएं देकर किस तरह से ऑफशोर बाजार को ऑनशोर लाया जा सकता है। बहरहाल मुद्रा के विपरीत से बॉन्डों की मात्रा का संचालन करना आसान नहीं है और ऐसे में इस तरह के अनुचित ऑफशोर प्रभाव की संभावना कम है। लेकिन रिजर्व बैंक को डर है कि इससे जो संकेत जाएगा, वह स्थानीय बाजार में व्यवधान डालने के लिए पर्याप्त होगा। एक और चिंता की बात यह है कि सभी बाजार हिस्सेदारों को डर है कि जब भी सॉवरिन बॉ्ज आएगा क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (सीडीएस) होगा और यह पूरी तरह से सट्टेबाजी पर आधारित होगा। चिंता की बात है कि इन सीडीएस का कारोबार होगा और आगे उसे टुकड़ोंं में विभाजित कर विभिन्न साधनों में समायोजित किया जाएगा। इसकी वजह से संपत्तियोंं का विभिन्न वर्ग बनेगा और इसका सरकार से कोई संबंध नहीं होगा बल्कि यह घरेलू बॉन्ड बाजार में संकेत भेजेगा। इससे साधनों में हेरफेर आसान होगा और इससे स्थानीय बॉन्डों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। पिछले सप्ताह एक नोट में इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में कहा, 'इससे (सीडीएस) से जहां मूल्य की खोज में मदद मिलेगी, विदेशी बॉन्डों से घरेलू बाजार पर विदेशी बाजारोंं की वजह से विपरीत असर पड़ेगा। तमाम हेज फंड व निवेश कंपनियां सीडीएस कॉन्ट्रैक्ट कर सकती हैं, और इसमें सिक्योरिटी की जररूरत नहीं होगी व यह पूरी तरह से अटकलबाजियोंं पर आधारित होगा।' रिजर्व बैंक की चिंता भी कुछ इसी तरह की है, जिसका माना है कि विदेशी सॉवरिन बॉन्ड जारी किए जाने से 'फीडबैक प्रॉसेस' को प्रमुखता मिलेगी और घरेलू ऋण बाजार पर इसका असर पड़ेगा और इससे मौद्रिक नीति का असर कमजोर हो सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस तरह के बॉन्ड जारी करने का प्रस्ताव २०१९-२० के बजट में रखा था और तर्क दिया था कि भारत का बाहरी कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के ५ प्रतिशत से कम है। मार्च २०१९ के आखिर तक कुल विदेशी कर्ज १०३.८ अरब डॉलर था, जो जीडीपी का ३.८ प्रतिशत है। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नरों ने इस कदम पर आपत्ति जताई है। रघुराम राजन ने कहा था कि इस कदम से लाभ होने की कोई संभावना तो नहीं है, लेकिन जोखिम भरपूर है। राजन ने कहा कि कुल १० अरब डॉलर का बॉन्ड हो सकता है,जो सकल उधारी का १० प्रतिशत है, लेकिन समय बीतने के साथ इसके बढऩे का डर है। सॉवरिन बॉन्ड जारी होने से रिजर्व बैंक के कर्ज प्रबंधन का अधिकार कम हो सकता है, जो केंद्रीय बैंंक संभवत: छोडऩा नहीं चाहेगा।
प्रियंका चोपड़ा की हॉलीवुड फिल्म का ट्रेलर देखकर आप भी हो जाएंगे भावुक देखें। बॉलीवुड के साथ-साथ हॉलीवुड में भी अपनी कला कर परचम लहराने वाली अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा एक बार फिर अपनी एक फिल्म के कारण चर्चा में आ गई हैं। हाल ही में प्रियंका की हॉलीवुड फिल्म द किड लाइक जेक का ट्रेलर रिलीज़ हो गया है। फिल्म के ट्रेलर में आप देख सकते है प्रियंका चोपड़ा नजर आ रही हैं। इस फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद आप भी बहुत इमोशनल हो जाएंगे। ट्रेलर देखकर ही आप समझ जाएंगे कि फिल्म की कहानी एक बच्चे और माता-पिता पर आधारित है। फिल्म में प्रियंका चोपड़ा मुख्य भूमिका में नजर आएंगी। प्रियंका के साथ इस फिल्म में जिस पर्सन्स और क्लेयर डांस भी मुख्य किरदार में नजर आएँगे। फिल्म के ट्रेलर में प्रियंका की एक झलक देखने को मिलती है जहां प्रियंका उस बच्चे से उसके बारे में पूछती हुई नजर आती हैं। आपको बता दें इस फिल्म का प्रीमियर साल २०१८ फेस्टिवल में भी हुआ था। इस दौरान प्रियंका ने फिल्म से सम्बंधित कई पोस्ट भी किये थे। जब से लोगों ने फिल्म का प्रीमियर देखा है तब से ही वो इस फिल्म को पसंद कर रहे है। कुछ दिन पहले ही प्रियंका को हॉलीवुड प्रोजेक्ट क्वांटिको सीजन ३ के ट्रेलर में भी देखा गया था।
खलीलाबाद के प्राथमिक विद्यालय गोलारगड़गंज में लगे इंडिया मार्क हैंडपंप बदबूदार पानी देते हैं। संतकबीर नगर: खलीलाबाद के प्राथमिक विद्यालय गोलारगड़गंज में लगे इंडिया मार्क हैंडपंप बदबूदार पानी देते हैं। मगहर स्थित कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय के दोनों इंडिया मार्क हैंडपंपों से एक बूंद पानी नहीं निकलता। जिले के अनेक विद्यालयों का यही हाल है। एक तरफ कानवेंट स्कूल की तर्ज पर परिषदीय विद्यालयों में सुविधा देने की पहल चल रही है, दूसरी तरफ यहां बच्चों के लिए पानी तक बेमानी बन हुआ है। जिले के नौ ब्लाक में १,5१8 विद्यालयों में करीब २,७०० में से २3 फीसद इंडिया मार्क हैंडपंप खराब हैं। माडल प्राथमिक विद्यालय खलीलाबाद प्रथम में २२5 बच्चों के लिए दो इंडिया मार्क हैंडपंप लगे हैं, एक खराब है। कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय मगहर द्वितीय के परिसर में प्राथमिक विद्यालय भी है। दोनों हैंडपंप बेपानी हैं। यहां ९८ बच्चियां पढ़ती हैं। प्राथमिक विद्यालय मैलानी, प्राथमिक विद्यालय रक्शा, देवडीह, कुईपार व उच्च प्राथमिक विद्यालय-मेंहदावल सहित अन्य परिषदीय विद्यालयों के हैंडपंप खराब हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालय जंगलऊन, प्राथमिक विद्यालय मीरगंज द्वितीय में हैंडपंप लगे ही नहीं। विद्यालयों के खराब हैंडपंपों को ठीक कराया जाएगा। यहां सब मर्सीबल पंप लगाने का प्रस्ताव है। दिक्कत दूर कर साफ पानी उपलब्ध कराने की पहल चल रही है।
भोपाल- छिन्दवाड़ा प्रवास के दूसरे दिन राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य व प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने अमरवाड़ा, छिन्दवाड़ा शहर जुनारदेव का दौरा किया। अग्रवाल ने इन तीनो क्षेत्र में पदाधिकारियों की कार्यशाला ली और संगठन में चल रही गतिविधियों पर चर्चा की। कार्यशाला में सभी कार्यकर्ताओ ने संगठन पर अपनी बात रखी। अग्रवाल ने कहा भाजपा कांग्रेस एक है और मिलकर जनता को लूट रही हैं। प्रदेश में विपक्ष के सभी मुद्दे आम आदमी पार्टी उठा रही है, चाहे बिजली दर का मुद्दा हो, पानी का या शराब बंदी का। प्रदेश की जनता यह सब देख रही है और प्रदेश में भी दिल्ली की तरह व्यवस्था परिवर्तन होगा। गरीबो के हक़ मार रही है बीजेपी सरकार: आप राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य व प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल छिन्दवाड़ा के दौरे पर है। इस प्रवास का मुख्य मक़सद संगठन की समीक्षा है। यात्रा की शुरुवात अग्रवाल ने चौराई विधानसभा में समीक्षा बैठक से की। बैठक में चौराई विधानसभा के सभी सेक्टर प्रभारी ने भागीदारी की। तत्पश्चात सौसर विधानसभा में उन्होंने संगठन की समीक्षा की और किसानो से मुलाकात की। बैठक के दौरान अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है। मध्य प्रदेश में भी जनता हमे बहुत पसंद करती है और हमारे साथ जुड़ रही है। बस इन्हे जोड़कर हमे संगठन पूरा करना है। संगठन के माध्यम से ही हम दिल्ली में हो रहे जनता हितैषी कार्यो को जनता के बीच पुहँचा पाएगे। अग्रवाल ने कहा बीजेपी सरकार गरीबो का हक़ मार रही है। बीपील कार्ड गरीबो की जगह उनको मिला है जिन्हें इसकी जरूरत नही है। चौराई नगर पालिका में १३ शासकीय कर्मचारी भी बीपील कार्ड धारक पाए गए है। आम आदमी पार्टी गंभीरता से इस मद्दे पर कार्य कर रही है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल कल छिन्दवाड़ा शहर में कार्यकर्ताओ को सम्बोधित करेगे।
ब्पा का क्या मतलब है? बोर्डगेम प्लेयर्स एसोसिएशन (बीपीए) एक एसोसिएशन है जो बोर्ड गेम खिलाड़ियों के साझा हितों का समर्थन करने के लिए स्थापित है। बिसफेनोल ए (बीपीए) एक कार्बनिक सिंथेटिक यौगिक है। ब्पा का उपयोग मुख्य रूप से कुछ प्लास्टिक और रेजिन जैसे पॉली कार्बोनेट प्लास्टिक और एपॉक्सी रेजिन बनाने के लिए किया जाता है। पॉली कार्बोनेट प्लास्टिक का उपयोग अक्सर पानी की बोतल और खाद्य कंटेनर बनाने के लिए किया जाता है। बीपीए को दो फिनोल के साथ एसीटोन (इसलिए नाम में प्रत्यय) के संक्षेपण द्वारा संश्लेषित किया जाता है। बिजनेस प्रोसेस ऑटोमेशन (ब्पा) लागत, संसाधन और निवेश को कम करने के लिए व्यावसायिक गतिविधियों या सेवाओं की प्रौद्योगिकी-सक्षम स्वचालन है। बोनेविले पावर एडमिनिस्ट्रेशन (ब्पा) एक संघीय एजेंसी है जो कोलंबिया नदी पर स्थित बोनविले डैम से बिजली का उत्पादन करने और संयुक्त राज्य में उस शक्ति को संचारित करने के लिए आवश्यक सुविधाओं का निर्माण करने के लिए बनाई गई है। ब्रिटिश पार्किंग एसोसिएशन (ब्पा) एक व्यापार संघ है जो यूनाइटेड किंगडम में पार्किंग और यातायात उद्योग का प्रतिनिधित्व करता है। बिजनेस प्रोफेशनल्स ऑफ अमेरिका (ब्पा) एक कैरियर और तकनीकी छात्र संगठन है जिसका मुख्यालय कोलंबस, ओहियो, संयुक्त राज्य अमेरिका में है। ब्लडस्टैन पैटर्न विश्लेषण (ब्पा) फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में एक विशेषता है जिसमें रक्त के अध्ययन और विश्लेषण शामिल हैं जो रक्त बहा घटनाओं से संबंधित अपराध दृश्य के पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बांग्लादेश पुलिस अकादमी (ब्पा) एक पुलिस प्रशिक्षण संस्थान है जो सरदा, राजशाही बांग्लादेश में स्थित है। ब्रैडफोर्ड पार्क एवेन्यू (ब्पा) या ब्रैडफोर्ड (पार्क एवेन्यू) एसोसिएशन फुटबॉल क्लब, एक अंग्रेजी फुटबॉल क्लब है जो ब्रैडफोर्ड, वेस्ट यॉर्कशायर, इंग्लैंड, यूनाइटेड किंगडम में स्थित है। इसका नाम ब्रैडफोर्ड में हॉर्टन पार्क एवेन्यू पर क्लब के पुराने स्टेडियम से लिया गया है। ब्रिटिश पैराशूट एसोसिएशन (ब्पा) यूनाइटेड किंगडम में खेल पैराशूटिंग के लिए राष्ट्रीय शासी निकाय है।
अगर आपको ऐसा लग रहा है कि आपका पार्टनर अब पहले जैसा नहीं रहा तो आप परेशान होने की बजाय इन टिप्स को अपनाएं। अगर आपको अपने पार्टनर में बदलाव नजर आ रहे हैं तो उसके लिए पैनिक न हों। दरअसल, कई बार व्यक्ति अपने कामों में इस कदर उलझ जाता है कि उसका स्वभाव थोड़ा बदल जाता है। यह बिल्कुल सामान्य है और इसमें परेशान होने की कोई बात नहीं होती। आप इसे सहजता से लें, अगर आप ऐसा करेंगी तो इससे आपके रिश्ते पर असर नहीं पड़ेगा। अपने पार्टनर के व्यवहार को लेकर परेशान होने या झगड़ा करने से पहले आप खुद से भी सवाल करें और पूछे कि क्या आपका स्वभाव भी अब पहले जैसा ही है। क्या अब भी आप अपने पार्टनर के साथ वैसा ही व्यवहार करती हैं, जैसा पहले किया करती थीं। यकीनन आपको जवाब ना में ही मिलेगा, जिस तरह समय बीतने और जिम्मेदारियों के बढ़ने के बाद आपका स्वभाव बदल गया है, उसी तरह आपके पार्टनर के व्यवहार में परिवर्तन आना स्वाभाविक है। अगर आपको लग रहा है कि आपके पार्टनर के स्वभाव में परिवर्तन के पीछे कोई परेशानी है। मसलन, अगर आपके पार्टनर के चेहरे पर आपको चिंता नजर आती है, उनके खाना खाने का तरीका भी बदल गया है और वह ज्यादातर चुप-चुप रहते हैं तो इसका अर्थ है कि वह मन ही मन किसी बात को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में आप उनसे बात जरूर करें और यह जानने का प्रयास करें कि किस बात की वजह से उनका स्वभाव बदला है। जब आपको कारण पता चल जाए तो आप अपनी परेशानी जरूर साझा करें। जीवन जब एक ही ढर्रे पर चलने लगता है तो उसमें एक बोरियत छा जाती है और इस बोरियत का असर आपके स्वभाव पर भी पड़ता है। ऐसे में अपने रिश्ते में नयापन लाने के लिए आपको ही कुछ कदम उठाने होंगे। जैसे आप अपने पार्टनर के लिए सरप्राइज डिनर डेट या वेकेशन प्लान कर सकती हैं। जब आप दोनों को अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी से छुट्टी मिलेगी तो आपको अपने रिश्ते को रिजुविनेट करने का मौका मिलेगा। कई बार पार्टनर का बदलता स्वभाव आपके रिश्ते के लिए खतरे की घंटी हो सकता है और आपको समय रहते ही इस दस्तक को सुन लेना चाहिए। जैसे अगर आपके पार्टनर का व्यवहार एकदम से काफी बदल गया हो और वह आपसे बातें छिपाने लगें या फिर अपने फोन में लॉक रखें। आपसे छिपकर दूसरों से बात करें। इस तरह के बदलते व्यवहार को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें और अपने पार्टनर से इस बारे में साफ-साफ बात करें।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और डिप्टी स्पीकर माइकल लोबो ने रविवार को कहा कि गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की तबीयत खराब हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता मनोहर पर्रिकर के स्थान पर चयन करेंगे। बैठक सुबह १०.३० बजे से शुरू होनी है। माइकल लोबो ने कहा कि भाजपा ने फैसला किया है कि अगले मुख्यमंत्री को विधायकों में से चुना जाना चाहिए। माइकल लोबो ने यह भी स्वीकार किया कि पार्टी ने शनिवार को एक बैठक में मनोहर पर्रिकर के प्रतिस्थापन पर चर्चा की। "उनका स्वास्थ्य खराब हो गया है। वरिष्ठ नेता आज आ रहे हैं। वे सहयोगी दलों गोवा फॉरवर्ड पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के साथ चर्चा करेंगे। पार्टी के भीतर से किसी का चयन किया जाएगा। पार्टी ने फैसला किया है कि इसे विधायकों में से एक होना चाहिए," माइकल लोबो। उन्होंने कहा कि भाजपा गोवा में अपने सहयोगियों को मनाने की कोशिश करेगी। डिप्टी स्पीकर ने शनिवार को कहा था कि गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की जांच कर रहे डॉक्टर कह नहीं रहे हैं कि वह ठीक हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि जब तक पर्रिकर, जो उन्नत अग्नाशय के कैंसर से पीड़ित हैं, जीवित हैं, तब तक भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा। आज, हालांकि, उन्होंने कहा कि पर्रिकर की बीमारी को देखते हुए मुख्यमंत्री को प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
बारडोली. सूरत जिला एसओजी और कडोदरा पुलिस की टीम ने संयुक्त रूप से छापेमारी कर वरेली गांव की एक बिल्डिंग से दो किलो गांजा के साथ तीन जनों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में रमेश ने यह गांजा सुरेश से मंगवाने की बात कही, जिसके बाद पुलिस ने सुरेश को वांछित घोषित किया। जानकारी के अनुसार सूरत जिला के पलसाना तहसील में वरेली गांव के शांतिनगर निवासी फूलचंद राजमणी पांडे के बिल्डिंग के रूम नंबर ६ में गांजे का जत्था होने की सूचना मिली थी। जिसके बाद सूरत जिला एसओजी और कडोदरा पुलिस ने संयुक्त रूप से छापेमारी कर मौके से वरेली के शांति नगर निवासी और मूल झारखंड के नंदलाल देवेंद्र महंतो (२८), मूल उत्तर प्रदेश निवासी अखिलेश उर्फ मुन्ना राजेंद्रप्रसाद भारती (२५) और मूल एमपी निवासी प्रभु बाबूलाल राजपूत (२७) को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उनके पास से २.१०० किलो गांजा बरामद किया। इसकी कीमत रु 1२ हजार ६०० बताई गई। पुलिस ने उनके पास से चार मोबाइल फोन, नकद १९० रुपया समेत करीब २0 हजार रुपए का सामान जब्त किया। पूछताछ में रमेश ने यह गांजा सुरेश से मंगवाने की बात कही, जिसके बाद पुलिस ने सुरेश को वांछित घोषित किया। तहसील के मोता गांव स्थित देवनारायण धाम में कथाकार प्रफुल शुक्ल के तत्वावधान में शुक्रवार से गणेश कथा शुरू होगी। यह कथाकार शुक्ल की ७५०वीं कथा है। २० सितंबर तक चलने वाले आयोजन में दोपहर २ से ५ बजे तक कथा वाचन होगा। कथा के आयोजक ताराचंद बापू ने बताया कि श्रीनिवास मणिशंकर बोहरा के हाथों दीप प्रज्वलन के साथ कथा शुरू होगी। कथा से पहले प्रतिदिन सुबह ११ बजे १०८ लड्डू से अथर्वशीश गणेश याग किया जाएगा। यह पहला मौका है जब गांव में गणेश कथा का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर सूरत के आईआरएस घनश्याम सोनी, आईटी ऑफिसर मीनाक्षी द्विवेदी, कनू टेलर पद्मश्री समेत दक्षिण गुजरात के अन्य अग्रणी उपस्थित रहेंगे।
लंदन : ब्रिटेन की राजधानी लंदन में संसद परिसर के बाहर हुए आतंकी हमले में बाद सुरक्षा बलों ने बर्मिंगम शहर में छापेमारी मार कर आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएसआईएस ने ली है। आतंकी संगठन ने दावा किया है कि खलीफा के सिपाही ने ब्रिटिश संसद पर हमले को अंजाम दिया। ब्रिटेन की पीएम थेरेसा मे ने कहा कि हमलावर का जन्म ब्रिटेन में हुआ था। कुछ वर्ष पहले उस शख्स का झुकाव आतंकवाद की तरफ था। बता दें कि इस आंतकी हमले में पांच लोगों की मौत हो गई और ४० लोग घायल हो गए। आतंकवाद निरोधी प्रमुख मार्क रॉले ने कहा कि पीड़ित अलग-अलग देशों से हैं। उन्होंने कहा कि घायलों में सात लोग अब भी हॉस्पिटल में हैं और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। इसके आगे उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों ने दुकानों की एक क़तार के ऊपर दूसरी मंजिल के एक फ्लैट में धावा बोला था। जिसके बाद इस लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस छापेमारी का संबंध लंदन में हुए आतंकी हमले से हैं। बता दें कि हमले के बाद सुरक्षाबलों ने इमारत को बंद कर दिया गया है और एक आतंकी को भी मार गिराया है। बताया जा रहा है कि जिस समय संसद के बाहर हमला हा उस समय संसद की कार्यवाही चल रही थी, जिसे स्थगित कर दिया गया। राजनेताओं, पत्रकारों और आगंतुकों को लगभग पाँच घंटे तक संसद से बाहर नहीं जाने दिया गया। संसद से लेकर पास की वेस्टमिंस्टर ऐबे चर्च से सैकड़ों लोगों को सुरक्षित दूसरी जगहों पर ले जाया गया। हमले के बाद वेस्टमिंस्टर अंडरग्राउंड स्टेशन को भी बंद कर दिया गया है। लंदन के मेयर ने कहा कि आनेवाले कुछ दिनों में लंदन की सड़कों पर हथियारबंद और बिना हथियार वाले पुलिसकर्मियों की गश्त बढ़ा दी जाएगी। बुधवार को एक ने संसद के पास टेम्स नदी पर बने पुल वेस्टिमिंस्टर ब्रिज पर तेजी से कार दौड़ा दी और लोगों को कुचल दिया। इस हादसे में कम-से-कम दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। इसके बाद यह कार संसद के बाहर की रेलिंग से जा भिड़ी। इसके बाद हमलावर ने चाकू लेकर संसद परिसर में घुसने कोशिश की तो एक पुलिसकर्मी ने उसे रोका। हमलावर ने उसे भी चाकू मार दिया जिससे उस पुलिसकर्मी की मौत हो गई। उस पुलिसकर्मी के पास कोई हथियार नहीं था। इसके बाद दूसरे पुलिसकर्मियों ने उस हमलावर को गोली मार दी। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने कहा कि उनका देश ऐसे हमलों से डरने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि आतंक के आगे ब्रिटेन कभी नहीं झुकेगा। हमले के बाद हुई आपात बैठक के बाद दिए अपने बयान में उन्होंने कहा कि ये (लंदन) महान शहर रोज की तरह जागेगा। लंदन के लोग हमेशा की तरह बस और ट्रेनों में सफर करेंगे। प्रधानमंत्री मे ने हमले में मारे गए लोगों के परिवारवालों के लिए प्रार्थना की और पुलिस व इमरजेंसी सर्विस को श्रद्धांजलि दी। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर ट्वीट कर इस हमले की निंदा की है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि वह इस हमले से बेहद दुखी है। हमले के शिकार लोगों के लिए संवेदना जताते हुए उन्होंने कहा कि हम उनके व उनके परिवार के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। इस मुश्किल घड़ी में आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत ब्रिटिश सरकार के साथ खड़ा है। विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने भी कहा कि इस हमले में किसी भारतीय के हताहत होने की सूचना नहीं मिली है। मैं लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के लगातार संपर्क में हूं।
मऊरानीपुर/झाॅसी (ब्यूरो)- मढा मौजा स्थित पंचअग्नि अखाडा मन्दिर के जंगल मे अचानक लगी आग से लगभग हजारों रूपये का नुकसान हो गया। मौॅके पर पहुॅची दमकल टीम ने आग पर काबू पाया। जानकारी के अनुसार बुधवार की दोपहर लगभग २ बजे मन्दिर परिसर मे बगल मे खेतीहर भूमि पर लगे बृक्षों मे अचानक आग लग गयी। जिससे आस पास के किसान एकत्र हो गये तथा आग पर काबू पाने के लिए प्रयास किया। लेकिन आग की पलटे इतनी भयानक थी कि आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया। मन्दिर के महन्त सोमेश्वरा नन्द महाराज ने घटना की सूचना केातवाली पुलिस सहित स्थानीय प्रशासन को दी। दो धण्टे बाद मौके पर पहुॅची दमकल टीम ने आग पर काबू पाते जब तक सैकडों वृक्ष आग की चपेट मे आकर जलकर नष्ट हो गये ।तथा खेत मे रखा भूषा भी जलकर खाक हो गया। तथा जडी बूटियाॅ भी जल गयी। वहीं दोपहर बडाबाजार स्थित नायक देवढी के समीप दो दिन पूर्व बदली गयी विधुत केविल मे अचानक आग लग जाने से दुकानदारों मे हडकम्प मच गया। तथा राहगीरो को आवागमन मे परेशानी हुयी। किसी तरह दुकान दारो ने आग पर पानी की मदद से काबू पाया।
श्रीनगर। विचारधारा के स्तर पर विरोधी के सहयोग से गठबंधन सरकार चलाना एक कला है और इसे सफलतापूर्वक चलाना जादू है। आज के जो हालात हैं, उनमें ऐसा लग रहा है कि जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जादूगर नहीं हैं। जम्मू एवं कश्मीर विधानमंडल के दोनों सदनों का अभूतपूर्व हंगामे के बीच निर्धारित समय से छह दिन पूर्व ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होना भले ही विपक्ष के हंगामे का नतीजा लगे, लेकिन इसकी मूल वजह महबूबा की कश्मीर केंद्रित पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और इसकी सहयोगी जम्मू केंद्रित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच के विचारधारात्मक मतभेद हैं। अच्छे से तैयार किए गए एक बयान में महबूबा ने विधानसभा में कहा कि संविधान की धारा ३७० और ३५ को निशाना बनाना कश्मीरियत के नाम से मशहूर राज्य की धर्मनिरपेक्ष और बहुलवादी संस्कृति की जड़ों को काटने के समान है। इसीलिए धारा ३७० पर कोई भी हमला राष्ट्र विरोधी है। ताज्जुब है कि भाजपा के खेमे से किसी ने इसका विरोध नहीं किया। यह बयान सोमवार को दिया गया। मंगलवार को जब विधानसभा की कार्यवाही हुई तब निर्दलीय विधायक पवन गुप्ता ने विधानसभा अध्यक्ष कविंद्र गुप्ता से सदन की कार्यवाही से राष्ट्र विरोधी शब्द को निकालने का आग्रह किया। अब भाजपा सदस्यों ने इस मांग का समर्थन किया। गुप्ता ने कहा कि वह पहले कार्यवाही का रिकार्ड देखेंगे। विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान को निकालने की मांग उनकी ही गठबंधन सहयोगी (भाजपा) द्वारा करना उनमें अविश्वास जताने के समान है और मुख्यमंत्री को इस पर सदन में सफाई देनी चाहिए। सदन को स्थगित कर दिया गया। बुधवार को कार्यवाही शुरू होने पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने रिकार्ड देखा है और मुख्यमंत्री के भाषण में ऐसा कुछ भी नहीं पाया है जिसे निकालने की जरूरत है। इसके बाद ऐसा हंगामा हुआ, जैसा राज्य विधानसभा में कभी देखा नहीं गया। माइक उखाड़ लिए गए, एक-दूसरे पर कुर्सियां फेंकी गईं, वरिष्ठ नेताओं तक के साथ मारपीट की नौबत आई। दो मार्शल घायल हो गए। कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए रोक दी गई। महबूबा ने मंगलवार और बुधवार को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया। पीडीपी ने कहा कि अध्यक्ष के स्पष्टीकरण के बाद मुख्यमंत्री को कोई बयान देने की जरूरत नहीं है। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस टिप्पणी पर बहस के दौरान महबूबा ने यह साफ कर दिया कि वह अपने बयान के हर शब्द पर कायम हैं। भाजपा के साथ पीडीपी के गठबंधन के समय महबूबा के पिता दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा था कि यह उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव का मिलन है। उन्होंने कहा था कि यह गठबंधन राज्य के हर हिस्से के विकास के लिए किया गया है। इसीलिए भाजपा, जो धारा ३७० का खात्मा चाहती है और पीडीपी जो स्वशासन चाहती है, दोनों ने अपने मुद्दों को ठंडे बस्ते में डाल दिया। महबूबा के लिए इस गठबंधन को बनाए रखना आसान नहीं है। उनके पास वह अनुभव और धैर्य नहीं है जो उनके पिता में था और जिसकी जरूरत उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव जैसे दो एक-दूसरे से विचारधारात्मक रूप से उलट नेतृत्व को होती है।
आज पूरे देश में पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर हैं। यानी तेल के दामों में आज कोई बदलाव नहीं है। पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार घट रहे हैं या फिर स्थिर हैं। पिछले ४ दिन से डीजल के दाम स्थिर हैं और पेट्रोल के दाम भी पिछले ३ दिन से स्थिर हैं। तेल की कीमतों में लगातार नरमी आ रही है। इससे महंगाई भी नियंत्रण में रहने की उम्मीद जताई जा रही है। चेक करें अपने शहर में आज का रेट! गुरुवार यानी आज ७ नवंबर को दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया है। दिल्ली में पिछले ३ दिनों से पेट्रोल के दाम स्थिर हैं। पेट्रोल की कीमत ७2.६० रुपये प्रति लीटर है। जबकि डीजल के दाम पिछले ४ दिन से स्थिर हैं। डीजल की कीमत ६५.७5 रुपये प्रति लीटर है। मुंबई में भी पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर हैं। पेट्रोल की कीमत ७८.२८ रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत ६८.९६ रुपये प्रति लीटर है। यानी कल के भाव से ही तेल की बिक्री हो रही है। ऐसे ही कोलकाता में भी पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं है। पेट्रोल के दाम ७५.३२ रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम बिना कोई बदलाव के ६८.१६ रुपये प्रति लीटर है। इसी तरह चेन्नई में भी पेट्रोल ७५.४५ रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम ६९.५० रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिक रहा है। यानी यहां भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं है।
हमारे शिक्षक श्री सत्य प्रकाश जी, यथा नाम तथा गुण। बड़े ही अच्छे अध्यापक और वो भी हिंदी के। कोचिंग चलाते थे वे। प्रधानाचार्य थे वे एक छोटे से कोचिंग संस्थान के। स्वच्छन्द, बड़े ही अनुशासन प्रिय, सरल एवं प्रभावी व्यक्तित्व। लड़कों की पहली पसंद। वे जब भी पढ़ाते तो हमें ऐसा प्रतीत होता जैसे उनके पीछे कोई शक्ति पड़ी हो। कभी-कभी जोर-जोर से चिल्लाने लगते तो कभी इतना धीरे बोलते कि लड़के कूपमंडूक सुना ही करते। सत्य प्रकाश जी हिंदी साहित्य में निष्णात, कवि हृदय पुरुष थे। साहित्यानुराग उनके अन्य गुणों के साथ बोनस की तरह जुड़ा हुआ था। उन्हें अपने विषय पर गहरी पकड़ थी सो बगैर किताब के ही उनका लेक्चर शुरू हो जाता। छोटे से छोटे टॉपिक पर भी घंटों बोला करते। घंटी तो उन्हें सुनाई ही न पड़ती थी। जब बच्चे यह कहते कि गुरूजी कुछ प्रश्न-उत्तर, व्याख्या, जीवनी लिखवा दीजिये तो वे कहते- लिखा तो किताब में है ही, उसे ही पढ़ो। कक्षा में मैं जो बोलूं उसे ध्यान से सुनो। पुराने जमाने में जब किताबें नहीं थी तब मौखिक ही शिक्षण होता था और शुरू हो जाता उनका उपदेश। अब लड़के ठहरे हाईस्कूल/इन्टर स्तर की निचली कक्षाओं के और वो भी ग्रामीण बच्चे। कहाँ से समझ पाते इतनी गहराई की बातें। मेहनत व्यर्थ जाती उनकी लेकिन जी न चुराते पढ़ाने से। शायद इसीलिए संस्थान का रिजल्ट कभी इतना बढ़िया नहीं रहा। उनका शिक्षण सिर्फ पढ़ा देने या अंक दिला कर पास करा देने तक ही सीमित नहीं था। उनका शिक्षण बहुआयामी था। सभी लड़के-लड़कियां उनका बहुत सम्मान करते थे। वे भी उन्हें अपने बच्चों समान मानते थे। सत्य प्रकाश जी आर्थिक दृष्टि से थोड़ा विपन्न थे। वे पुरुषार्थ के बाकी तीन अवयवों का तो बखूबी पालन करने में तत्पर रहे परन्तु एक अवयव यानी की अर्थ से वे विलग ही रहे। उन्होंने कभी अपने या अपने परिवार के लिए धन इकट्ठा नहीं किया। शाहखर्च थे वे। जेब में पैसे हों तो क्या कहने, न हों तब भी कोई गम नहीं। जब लोग उनसे इस बारे में कहते तो वे सुनी सुनाई एक लाइन से सबको निरुत्तर कर देते वे कहते, पूत कपूत तो क्या धन संचे पूत सपूत तो क्या धन संचे। लोगों ने उन्हें मास्टर मस्तराम की संज्ञा दे दी थी। उन पर यह कहावत एकदम सटीक बैठती थी, मस्तराम मस्ती में आग लगे बस्ती में। कोचिंग में लड़कों ने सभी शिक्षकों के कुछ न कुछ नाम रख दिए थे। भौतिकी विषय के शिक्षक काफी मोटे थे उनका नाम गैंडास्वामी रखा गया, केमिस्ट्री के अध्यापक महोदय हमेशा अजीब से शकल लिए रहते थे मानो प्रेशर आया हुआ हो इसलिए उनका नामकरण हुआ- हगासा, कॉमर्स के टीचर क्लास में अक्सर हाथ उठा-उठाकर, ताली बजा बजाकर पढ़ाया करते थे उनका नाम रख गया- किन्नर, बायो के अध्यापक की शकल व बालों की स्टाइल फ़िल्मी हीरो शाहरुख़ खान से मिलती-जुलती थी इसलिए उनका नाम पड़ गया शाहरुख़ खान, गणित विषय के अध्यापक महोदय के चेहरे व शरीर पर सफ़ेद दाग थे सो उनका नाम दिया गया- सफेदा, कंप्यूटर के शिक्षक नाटे कद के थे इसलिए उनका नाम छोटू रखा गया। सभी अध्यापकों के पीठ पीछे हम उन्हें इन्हीं नामों से बुलाया करते। सचमुच वह भी क्या खूब मजे के दिन थे। इन सब बातों से दूर सत्यप्रकाश जी अन्य अध्यापकों से एकदम अलग थे वे लड़कों से कभी खुद ही पूछते- आज पढ़ने की इच्छा नहीं है क्या ! तो वो कभी चाय पिलवाते तो कभी नाश्ता करवाते। कोचिंग के अन्य शिक्षणगण विस्मित होते उनके व्यवहार से। वे छात्र एवं अध्यापक के संबंधों की गरिमा को अच्छी तरह से समझते थे। वे मनोवैज्ञानिक ढंग से बच्चों को डील करते थे। विश्राम करने के लिए सत्य प्रकाश जी कभी-कभी ऑफिस में ही ऊँघ लेते। कोई देखे तो यही कहे शायद देर रात तक जगते हैं। मगर ऐसा कुछ भी नहीं था। ये तो आदत थी उनकी। अब कुर्सी की पीड़ा को कौन झेले तो वही कोचिंग के ऑफिस में एक तखत भी डलवा लिया। जैसे ही थोड़ी फुर्सत/मौका मिलता तो वे उसी तखत पर पसर जाते। कभी-कभी सभी लोग चले जाते और वे छुट्टी के बाद भी घोड़े बेच कर सोया ही करते जब तक घर से उनका लड़का उन्हें बुलाने न आ जाये। बेचारे प्रबंधक जी खिसिया गये, क्या कहते- चुपचाप लौट गये। सत्यप्रकाश जी के विरोधियों को काटो तो खून नहीं। उनके सहज और शांत स्वभाव के कारण संस्थान के वरिष्ठ शिक्षकों की निगाहें उनकी कुर्सी पर लगीं रहतीं और वे मौका पा के प्रबंधक महोदय के कान भरा करते, परास्त होने पर अपनी खीझ बच्चों पर निकालते। हम सब लड़के सब समझते थे। गुप्त रूप से सारी सूचनाएँ गुरूजी के पास पहुँच जातीं। कुल मिलाकर उनका सूचनातंत्र बड़ा सबल था। मेहनत से वे कतराते न थे। समय से पहले ही उनका सब काम पूरा हो जाता। अब इतना बचा समय। करें तो क्या करें तो सोचते कि विश्राम किया जाए। कभी-कभी अपनी तरफ से वे आकस्मिक अवकाश घोषित कर देते या कभी बच्चों से कहते, अब तुम लोग थक गये होगे। चाहो तो अपनी-अपनी बेंचों पर लेट जाओ। कम पड़ें तो ऑफिस से उठा लाओ। मानो कोचिंग नहीं आरामगाह हो। सत्यप्रकाश जी कहा करते, पढ़ो भी, आराम भी करो ! प्रतिरोधक क्षमता/शक्ति बढती है इससे। पता नहीं उनकी इस आरामतलबी के पीछे क्या कारण था। खैर जो भी हो थे बड़े ही अच्छे। एक आदर्श अध्यापक में जो गुण होने चाहिए थे वे सभी उनमें विद्यमान थे। विद्यार्थियों और उनके बीच के भाव कृत्रिम नहीं बल्कि अपनत्व से भरे थे। फीस के लिए तो उन्होंने कभी कहा ही नहीं लेकिन जब उन्हें जरुरत पड़ती तो किसी छात्र विशेष को अकेले में बुलाकर सत्यप्रकाश जी संकोच से कहते, बेटा ! कुछ पैसे हों ज़रा दे देना, बाद में मुझसे ले लेना। मानो उधार मांग रहे हों। मेरा मानना था कि यदि वे आर्थिक रूप से सुदृढ़ होते तो सबकी फीस खुद ही जमा कर देते। बड़े ही नेक इंसान थे सत्यप्रकाश जी ! कुछ समय बाद उनका कोचिंग आना बंद हो गया। अन्य कोई प्रधानाचार्य बना था। मगर आश्चर्य ज्योंही पता चला सत्यप्रकाश जी चले गये हैं एक भी बच्चा कोचिंग न आया। मायूस हो गये सब और कोचिंग बंद हो गयी, हमेशा के लिए। उधर बच्चे उनसे मिलने उनके घर पहुँच गये। विह्वल हो रोने लगे सब। बताने लगे सब अपनी-अपनी व्यथा। मानो अपने गुरु नहीं अपने पिता से बातें कर रहें हों। सत्यप्रकाश जी ने सबको ढाढस बंधाया। पुत्रवत स्नेह से सबको गले लगा लिया। ऐसे थे सत्यप्रकाश जी। मानो वे शिक्षा के लिए और अपने बच्चों के लिए ही बने थे। उनकी हर एक बात याद रहती थी बच्चों को। उनका आदेश वेदवाक्य था शिष्यों के लिए। ऐसे व्यक्ति विरले ही होते हैं और मेरा गुरु विरला ही था जिनके खुद के पसंदीदा व्यक्ति प्रसाद और निराला जैसे बीहड़ व्यक्तित्व के स्वामी थे। गुरुदक्षिणा तो देनी ही होगी उन्हें। जो वे कहेंगे चरणों में डाल दूंगा लाके। बहुत दिन हुए उनसे मिले, न जाने कैसे हों ? अमित ने सोचा। यादों के झरोखे से बाहर आकर अमित ने देखा गाड़ी रुकी हुई थी उसका गंतव्य महादेवपुरम आ चुका था। वह उतरा, बहुत बदला-बदला से लग रहा था उसे चारों ओर। अब तो सीधे दिल्ली से रेलगाड़ी की व्यवस्था है सो कोई ख़ास परेशानी न हुई। उत्कट अभिलाषा थी अपने प्रिय आचार्य से मिलने की और इतने वर्षों बाद जब वे मुझे देखेंगे तो कैसा लगेगा। गुरु शिष्य का दुबारा मिलन, होगी भेंट मज़ा आ जायेगा। अमित को रोमांच हो रहा था, यों सोच मानो उसकी यात्रा की सारी थकान, सारा खुमार उतर गया। अमित ने स्टेशन से बाहर आकर ऑटो किया। पूछते-पाछते, ढूंढते-ढांढते वह उनके पैतृक निवास तक पहुंचा तो देखा वहाँ कुछ न था। यहाँ तो खण्डहर है। अमित ठिठका- कहीं गलत स्थान पर तो नहीं आ गया। उसने इधर-उधर पूछा। वह सही था, शेष नहीं उनका कोई वंशज। मात्र ४८ वर्ष की अल्पायु में क्षय रोग से पीड़ित होकर हमें छोड़कर चले गये। सदा-सर्वदा आराम करने के लिए। परिवार भी भयानक बरसात के फलस्वरूप एक दिन कच्ची छतों के नीचे दबकर कालकवलित हो गया। शेष नहीं बची उनकी कोई कृति, समय ने सबकुछ लील लिया ! निकटवर्ती लोगों ने अमित को ऐसा कुछ बताया। अप्रत्याशित उत्तरों से अमित को झटका सा लगा। वह पता नही क्यों बेचैन सा हो गया। व्यथित हो उलझ गया वह स्वयं से- क्या अर्थ ही है सबकुछ ?? पूछूँ में किससे क्यूँ हो जाता है अंत महामानवों का, इतनी जल्दी ! आज सत्यप्रकाश जी नहीं हैं। बची हैं तो सिर्फ उनकी यादें। आज लोग शिक्षा के आदर्श रूप में उनकी मिसाल देते हैं तो लगता है कि ऐसे मस्तराम जी दोबारा फिर न हो सकेंगे। उनके साथ गुजरा एक-एक क्षण अतीत के चलचित्रों की तरह अमित की आँखों के सामने आ रहा था। मानो कल ही की बात हो। उन जैसे गुरु को पाकर मैं धन्य था। उनकी शिक्षाओं/सिद्धांतों को जिसने जीवन में उतार लिया वह आदमी बन चुका था। खेद है मैं गुरुदक्षिणा न चुका सका। अमित ने सोचा।
केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय समिति की बैठक में असम (२०१७-१८ के दौरान बाढ़ से प्रभावित) हिमाचल प्रदेश (२०१७-१८ के दौरान बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित), सिक्किम (२०१७-१८ के दौरान बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित) और राजस्थान (२०१७ के दौरान खरीफ मौसम में सूखे से प्रभावित) तथा संघशासित प्रदेश लक्षद्वीप (२०१७ के दौरान चक्रवाती तूफान ओखी से प्रभावित) के लिए १,१6१.१7 करोड़ रुपये की केंद्रीय मदद को मंजूरी दी गई। केन्द्रीय मदद के तहत उच्चस्तरीय समिति ने असम के लिए ४८०.८७ करोड़ रुपये की सहायता मंजूर की है। इसके अतिरिक्त समिति द्वारा राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष से हिमाचल प्रदेश के लिए ८४.६० करोड़ रुपये, सिक्किम के लिए ६७.४० करोड़ रुपये तथा संघशासित प्रदेश लक्षद्वीप के लिए २.१६ करोड़ रुपये तथा राजस्थान के लिए 5२6.१४ करोड़ रुपये जारी करने को मंजूरी दी गई। कुल मिलाकर यह केंद्रीय मदद १,१६१.१7 करोड़ रुपये की है। केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, केन्द्रीय गृह सचिव राजीव गाबा, परिव्यय विभाग के केंद्रीय सचिव अजय नारायण झा तथा गृहमंत्रालय, वित्त मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और नीति आयोग के कई वरिष्ठ अधिकारी इस बैठक में मौजूद थे।
विटामिन सी के औषधीय लाभों की विशाल श्रृंखला के साथ, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि यह बाजार पर सबसे लोकप्रिय स्टैंड-अलोन सप्लीमेंट्स में से एक है। २००२ में अमेरिकन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में एक रिपोर्ट से पता चला कि विटामिन सी की खुराक संयुक्त राज्य अमेरिका में मल्टीविटामिन के बगल में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली खुराक थी। विटामिन सी में शरीर में विभिन्न प्रकार के कार्य होते हैं, जिनमें प्रतिरक्षा बढ़ाने, त्वचा के स्वास्थ्य और एंटीऑक्सीडेंट कार्यों शामिल हैं। वर्तमान में वहां विटामिन सी के कुछ रूप हैं, जो इसे चुनना मुश्किल बना सकते हैं। विटामिन का नियमित एस्कॉर्बिक एसिड रूप पर्याप्त है? या हमें अधिक पैसा खर्च करना चाहिए और अधिक "बेहतर" विटामिन सी की खुराक में निवेश करना चाहिए। यहां पर एक नज़र डालें कि आपके दैनिक विटामिन सी को कैसे प्राप्त किया जाए, इस बारे में अधिक सूचित निर्णय लेने में आपकी मदद करने के लिए क्या है। एस्कोरबिक एसिड पूरक पदार्थों में विटामिन सी का सबसे आम रूप है और यह भी रूप है कि यह खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। प्राकृतिक और सिंथेटिक एस्कॉर्बिक एसिड में समान जैव उपलब्धता दिखाई देती है। एस्कोरबिक एसिड में उच्च अम्लता का स्तर होता है और पेट पर काफी कठोर हो सकता है, खासकर अगर उच्च खुराक में लिया जाता है। खनिज एस्कॉर्बेट्स एस्कॉर्बिक एसिड के बफर किए गए रूप होते हैं और इसलिए नियमित एस्कॉर्बिक एसिड की तुलना में पेट पर कम अम्लीय और जैंटलर होते हैं। जो लोग गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल अप्सेट्स से ग्रस्त हैं उन्हें सलाह दी जाती है कि वे एस्कॉर्बिक एसिड पर बफर किए गए खनिज एस्कॉर्बेट्स का चयन करें। हालांकि, अध्ययनों के मुताबिक, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि खनिज एस्कोरबतस पेट पर जैंटलर हैं। खनिज एस्कोरबतस कैल्शियम एस्कॉर्बेट, सोडियम एस्कॉर्बेट, पोटेशियम एस्कॉर्बेट, मैग्नीशियम एस्कॉर्बेट और इतने पर कई रूपों में आते हैं। एस्टर सी विटामिन सी पर एक विशेष रूप के लिए एक ब्रांड नाम है जिसमें ज्यादातर कैल्शियम एस्कॉर्बेट होता है लेकिन अन्य विटामिन सी मेटाबोलाइट्स (जैसे ऑक्सीकरण एस्कॉर्बिक एसिड और कैल्शियम थ्रोननेट) की थोड़ी मात्रा भी होती है। एस्टर सी के आसपास का दावा न केवल पेट पर जैंटलर है बल्कि यह भी कि उत्पाद में थ्रियोनेट इसके अवशोषण और जैव उपलब्धता में वृद्धि में मदद करता है। हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि एस्टर सी एस्कॉर्बिक एसिड से बेहतर अवशोषित है। प्रकृति में, विटामिन सी अन्य पदार्थों के साथ मौजूद है, जिनमें से कुछ हम अभी तक के बारे में भी नहीं जानते हैं, इससे इसकी अवशोषण और जैव उपलब्धता में वृद्धि होती है। बायोफ्लावोनॉयड्स के साथ विटामिन सी के निर्माताओं ने विटामिन सी की प्रभावशीलता में वृद्धि के लिए फल और सब्जियों में पाए जाने वाले इन पॉलीफेनॉलिक संयंत्र रसायनों के साथ जो भी रूप में नियमित रूप से विटामिन सी जोड़ दिया है, लिनस पॉलिंग इंस्टीट्यूट की एक समीक्षा के मुताबिक, १ अलग-अलग अध्ययनों पर एक नज़र डाली गई बायोफ्लेवनोइड्स के साथ नियमित एस्कॉर्बिक एसिड और एस्कॉर्बिक एसिड की तुलना करते समय विटामिन सी जैव उपलब्धता में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं। एसरोला नामक सबसे लोकप्रिय बायोफालावोनॉयड ने विटामिन सी के मूत्र विसर्जन को मापने वाले अध्ययनों के माध्यम से विटामिन सी अवशोषण को बढ़ाने में कुछ वादा दिखाया है। एसरोला सेवन में एस्कॉर्बिक एसिड विसर्जन में कमी आई है, और अधिक विटामिन सी प्रतिधारण का सुझाव दिया है। बायोफालावोनॉयड्स में अतिरिक्त एंटीऑक्सीडेंट लाभ होते हैं और किसी भी घटना में उन्हें आपके विटामिन सी शासन में जोड़ने में कम से कम कोई नुकसान नहीं होता है।
क्या यह संभव है कि दुनिया की नजर में विश्व का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति भी कभी बेबस और लाचार हो सकता है? क्या हम कभी अपनी कल्पना में भी ऐसा सोच सकते हैं कि एक व्यक्ति जो विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के सर्वोच्च पद पर आसीन है, उसके साथ उस देश का सम्पूर्ण सरकारी तंत्र है और विश्व की आधुनिकतम तकनीक से युक्त फौज है, उस व्यक्ति के खिलाफ भी कभी कुछ गलत प्रचारित किया जा सकता है? शायद नहीं? या फिर शायद हाँ? आज जब अमेरिका के राष्ट्रपति गूगल फेसबुक और ट्विटर पर अपने अपने प्लैटफोर्म से जनता के सामने अपने खिलाफ लगातार और बार बार फेक न्यूज़ परोसने का इल्जाम लगाते हैं, आज जब "डोनाल्ड ट्रंप" जैसी शख़सियत कहती है कि गूगल पर "ट्रंप न्यूज़" सर्च करने पर उनके खिलाफ सिर्फ बुरी और नकारात्मक खबरें ही पढ़ने को मिलती हैं, आज जब इंटरनेट पर "इडियट" सर्च करने पर ट्रँप,चाय वाला,फेंकू, सर्च करने पर नरेन्द्र मोदी और पप्पू सर्च करने पर राहुल गाँधी जैसा चेहरा आता है तो क्या कहेंगे आप? "फेक न्यूज़", आज से दो साल पहले तक शायद ही किसी ने इस शब्द का प्रयोग किया हो लेकिन आज यह सम्पूर्ण विश्व के समक्ष एक चुनौती बनकर खड़ा है। अगर इसकी शुरुआत की बात करें तो इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले हिलेरी क्लिंटन ने ८ दिसंबर २०१६ को चुनाव के दौरान अपने एक भाषण में किया था जब उन्होंने सोशल मीडिया में दुर्भावनापूर्ण रूप से झूठी खबरों के प्रचार प्रसार को फेक न्यूज़ और एक महामारी तक कहा था। इसके बाद जनवरी २०१७ में ट्रंप ने सी एन एन की एक पत्रकार को फेक न्यूज़ कहकर संबोधित किया और उसके बाद से यह शब्द दुनिया भर के नेताओं और पत्रकारों से लेकर आम आदमी तक की जुबान पर ही नहीं आया बल्कि उनकी जिंदगी से भी खेलने लगा।खासतौर पर तब, जब इस देश के चालीस बेक़सूर लोग मोब ल्य्न्चिंग के शिकार हो जाते हैं। कहा जा सकता है कि यह दौर सिटीजन जर्नलिस्म का है जहाँ हर व्यक्ति यह मानता है कि उसके पास जो सूचना है चाहे गलत हो या सही वह सबसे पहले उनके माध्यम से लोगों तक पहुँचनी चाहिए। लेकिन हर बार इसकी वजह "सबसे पहले" वाली सोच ही हो यह भी आवश्यक नहीं है कई बार जानबूझकर भी ऐसा किया जाता है। लेकिन अब जब इसके घातक परिणाम देश भुगत रहा हैं तो आवश्यक हो गया है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट को नियंत्रित करने एवं इनका दुरुपयोग रोकने के लिए सरकार कुछ नियम कानून बनाए। इसके लिए उन देशों से सीखा जा सकता है जो अपने देश में इस समस्या को कानून के दायरे में ले आए हैं। फेक न्यूज़ पर लगाम लगाने के उद्देश्य से हाल ही में मलेशिया में एंटी फेक कानून २०१८ लागू किया गया है जिसमें फेक न्यूज़ फैलाने का आरोप सिद्ध होने पर दोषी को छ साल तक के कारावास और अधिकतम एक लाख तीस हजार डॉलर तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा जर्मनी की संसद ने भी इंटरनेट कम्पनियों को उनके सोशल मीडिया प्लैटफार्म पर अवैध,नस्लीय, निंदनीय सामग्री के लिए जिम्मेदार ठहराने वाला कानून पारित किया है। इसके तहत उन्हें एक निश्चित समयावधी में आपत्तिजनक सामग्री को हटाना होगा अन्यथा उन पर ५० मिलियन यूरो तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।यह कानून लोकतांत्रिक देशों में संभवतः अब तक का सबसे कठोर कानून है। खास बात यह है कि वहाँ जब इंटरनेट कम्पनियों ने इस कानून को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया तो जर्मनी के न्याय मंत्री ने यह कहा कि "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वहाँ समाप्त होती है जहाँ आपराधिक कानून शुरु होता है"। तो हमारे देश की सरकार भी इन देशों से सीख लेकर इंटरनेट कम्पनियों पर लगाम लगाकर फेक न्यूज़ जैसी समस्या से जीत सकती है।
१७-अल्फा हाइड्रोक्सी प्रोजेस्टेरोन टेस्ट (१७-ओएच) क्या है? और परिणामस्वरूप व्यक्ति में कोर्टिसोल की कमी हो जाती है। इस स्थिति में रक्त में १७-ओएच प्रोजेस्टेरोन का जमाव हो जाता है। १७-ओएच प्रोजेस्टेरोन के उच्च स्तर का सबसे सामान्य कारण कंजेनिटल एड्रिनल हाइपरप्लासिया (सीएएच) है। यह एक अनुवांशिक स्थिति है इसमें कोर्टिसोल की कमी हो जाती है और एण्ड्रोजन (पुरुष सेक्स हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है। १७-अल्फा हाइड्रोक्सी प्रोजेस्टेरोन टेस्ट सीएएच की पहचान करने में मदद करता है। १७-अल्फा हाइड्रोक्सी प्रोजेस्टेरोन टेस्ट (१७-ओएच) क्यों किया जाता है? १७-अल्फा हाइड्रोक्सी प्रोजेस्टेरोन टेस्ट (१७-ओएच) की तैयारी कैसे करें? टेस्ट से आठ घंटे पहले तक कुछ भी खाने पीने से मना किया जा सकता है। डॉक्टर आपसे कुछ ऐसी दवाएं लेने से भी मना कर सकते हैं जो टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि, यदि यह टेस्ट किसी नवजात शिशु पर किया जा रहा है तो ऐसा करना जरूरी नहीं है। १७-अल्फा हाइड्रोक्सी प्रोजेस्टेरोन के स्तर दिन में हर समय अलग-अलग हो सकते हैं। इसीलिए डॉक्टर यह टेस्ट दिन में किसी निश्चित समय पर करेंगे। यदि बच्चे का टेस्ट किया जा रहा है तो यह जरूरी है कि बच्चे ने टी-शर्ट पहनी हो ताकि टेस्ट आसानी से किया जा सके। १७-अल्फा हाइड्रोक्सी प्रोजेस्टेरोन टेस्ट (१७ -ओएच) कैसे किया जाता है? परीक्षण के लिए ब्लड सैंपल की थोड़ी सी मात्रा ली जाएगी। डॉक्टर बांह की नस में सुई लगाकर नस से पर्याप्त मात्रा में रक्त निकाल लेंगे। जिस जगह इंजेक्शन लगाया जाना है उस जगह को अल्कोहॉल युक्त दवा से साफ किया जाएगा। ऐसा हो सकता है कि सुई लगने से आपको बिलकुल भी दर्द न हो या चुभन जैसी संवेदना भी हो सकती है। उचित सावधानियां बरतने पर इनमें से अधिकतर खतरों को कम किया जा सकता है। १७-अल्फा हाइड्रोक्सी प्रोजेस्टेरोन टेस्ट (१७ -ओएच) के परिणाम का क्या मतलब है? बच्चों, नवजात शिशुओं और वयस्कों में सामान्य और असामान्य वैल्यू अलग होगी। १७-अल्फा हाइड्रोक्सी प्रोजेस्टेरोन टेस्ट (१७ -ओएच) के उच्च स्तर एड्रिनल ग्रंथि के ट्यूमर या सीएएच की तरफ संकेत कर सकते हैं। असामान्यता का सही कारण जानने के लिए आगे अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं।
मसालों के रूप में प्रयोग की जाने वाली दालचीनी चेहरे तथा बालों की समस्ओं को दूर करने के लिये काफी लाभकारी होती है। आप इसके पावडर का इस्तमाल कर सकती हैं। दालचीनी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो आपके चेहरे पर होने वाले मुंहासों को रोकने में सहायक है। अगर आपकी स्किन ऑइली है तो आपको इसे रोजाना प्रयोग करना चाहिये। इससे आपकी स्किन के पोर्स टाइट होंगे तथा चेहरा साफ हो जाएगा। तो अब अपने पैसों की बचत करें और घर पर ही उपलब्ध दालचीनी के पावडर का प्रयोग करें। महीन रेखाओं को मिटाए दालचीनी पावडर के साथ २ चम्मच ऑलिव ऑइल या फिर पिट्रोयिम जैली मिला कर चेहरे पर लगाइये। यह आपके चेहरे से महीन रेखाओं को बिल्कुल साफ कर देगा। सिर के लिये भी अच्छा १ चम्मच दालचीनी पावडर, चम्मच गरम ऑलिव ऑइल और १ चम्मच शहद को मिक्स कर के सिर की मसाज करें। फिर कुछ घंटो के बाद बालों को हल्के शैंपू से धो लें। त्वचा की तकलीफ दूर करे अगर त्वचा में खुजली या जलन है तो १ चम्मच दालचीनी पावडर और शहद मिक्स कर के लगाएं। लेकिन इससे पहले थोड़ा सा पैच टेस्ट कर लें। चोट को ठीक करे दालचीनी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो त्वचा के कट जाने या चोट लग जाने पर बैक्टीरिया को दूर रखता है तथा चोट को जल्दी से जल्दी ठीक करता है। चेहरे की रंगत सुधारे चेहरे को गोरा बनाने के लिये दालचीनी पावडर में थोड़ा सा पका केला, दही और नींबू का रस मिला कर पेस्ट बनाएं। इसे चेहरे तथा गर्दन पर लगा कर सूखने के लिये छोड़ दें और फिर गरम पान से चेहरा धो लें। बॉडी स्क्रब की तरह भी काम आए १ चम्मच दालचीनी पावडर, २ कप दरदरा पिसा कॉफी पावडर, १/२ कप सी सॉल्ट( ३ चम्मच बादाम तेल मिक्स कर के स्क्रब तेयार करें। नहाने से पहले बॉडी पर यह स्क्रब लगाएं और फिर देंखे कि आपके शरीर में कितनी एनर्जी भर उठती है। दाग धब्बे मिटाए चेहरे पर मुंहासे के दाग धब्बे मिटाने के लिये आपको १ चम्मच दालचीनी पावडर में ३ चम्मच शहद मिक्स कर के उस जगह पर लगाना होगा। फिर इसे २० मिनट छोड़ कर हल्के गरम पानी से चेहरा धो लें। इसको नियमित करें।
पोको फ१ को लॉन्च किए जाने के बाद से इस स्मार्टफोन की तारीफ कीमत के साथ कस्टम मीयूआई फॉर पोको रॉम के लिए होती रही है। इस बीच पोको ब्रांड के मुखिया जय मनी ने जानकारी दी है कि पोको फ१ को कम से कम एंड्रॉयड पाई और एंड्रॉयड क्यू का अपडेट ज़रूर मिलेगा। इससे साफ है कि कंपनी दो साल तक बड़े सॉफ्टवेयर अपडेट के वादे को निभाना चाहती है। इसके अलावा मनी ने कुछ और नहीं कहा है जिससे कई लोगों को निराशा होगी। ज़ियाओमी ने पहले ही पुष्टि की थी कि एंड्रॉयड पाई इस साल की चौथी तिमाही तक रिलीज होगी। एंड्रॉयड क्यू के लिए तो लंबा इंतज़ार करना ही होगा। ट्विटर पर एक यूज़र की मांग के जवाब में जय मनी ने लिखा कि पोको फ१ को कम से कम एंड्रॉयड पाई और एंड्रॉयड क्यू अपडेट मिलेगा। यह एक तरह से सभी पोको एफ१ यूज़र के लिए खुशखबरी है। देखा जाए तो पोको ने हाल के दिनों में सक्रियता से अपडेट ज़ारी किया है। इसके अलावा हैंडसेट यूज़र के फीडबैक को भी अमल में लाया है। पोको फ१ कस्टमाइज़्ड मीयूआई फॉर पोको ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलता है। इसमें पोको लॉन्चर और स्टॉक एंड्रॉयड का क्विक सेटिंग्स है। यह आउट ऑफ बॉक्स एंड्रॉयड ९.६ पर चलता है। फोन को जल्द ही मीयूआई १0 ग्लोबल स्टेबल रोम मिलने की संभावना है।
इन्दौर । म.प्र. टेनिस संघ द्वारा इन्दौर टेनिस क्लब में आयोजित ऑल इंडिया टेलेंट सीरिज सब जूनियर टेनिस टूर्नामेंट में अंडर-१२ बालिका एकल का खिताबी मुकाबला मध्य प्रदेश की वेदिका श्रीधर व आन्या चौबे के बीच होगा। वहीं अंडर-१२ बालक एकल का फायनल मध्य प्रदेश के देवांश छाबड़ा और महाराष्ट्र के अमोघ दामले के बीच होगा। फायनल मुकाबले सायं ४ बजे से खेले जायेंगे। गुरूवार को खेले गए अंडर-१२ बालिका एकल सेमीफायनल में म.प्र. की देविका श्रीधर ने अपने ही राज्य की भुविका भल्ला को ६-४, ६-४ से तथा दूसरे सेमीफायनल में म.प्र. की आन्या चौबे ने पहल खरड़कर को तीन गेम के संघर्ष में ६-३, २-६, ७-५ से शिकस्त दी। अंडर-१२ बालक एकल सेमीफायनल में म.प्र. के देवांश छाबड़ा ने महाराष्ट्र के आयुष पुजारी को तीन गेमों में ७-५, १-६, ६-३ से परास्त किया, वहीं दूसरे सेमीफायनल में महाराष्ट्र के अमोघ दामले ने अपने ही राज्य के स्वराज धामदरे को ६-३, ६-४ से शिकस्त दी। अंडर-१२ बालिका युगल के खिताबी मुकाबले में वैदिका श्रीधर-आन्या चौबे और अमिका भल्ला व भुविका भल्ला की जोड़ी आमने-सामने होगी। गुरूवार को स्पर्धा के सेमीफायनल में वैदिका-आन्या की जोड़ी ने वैष्णवी सिंह चौहान व सयाली बासलकर को ६-२, ६-२ से तथा दूसरे सेमीफायनल में अमिका-भुविका की जोड़ी ने विशा ठक्कर व श्रेष्ठी राणा को ६-३, ६-१ से शिकस्त दी। अंडर-१२ बालक युगल खिताब के लिए अमोघ दामले व रूशिल दुबे और आयुष पुजारी-स्वराज घामदरे की जोड़ी के बीच भिड़ंत होगी। गुरूवार को स्पर्धा के सेमीफायनल में अमोघ दामले व रूशिल दुबे की जोड़ी ने अनुष गुप्ता व शब्बीर बड़वानीवाला को सीधे सेटों में ६-०, ६-२ से शिकस्त दी। वहीं दूसरे सेमीफायनल में आयुष पुजारी-स्वराज घामदरे की जोड़ी ने साक्ष्य बजाज व अद्वेय व्यास को ६-२, ६-२ से परास्त किया। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सोमवार को नई दिल्ली में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए।
गाजियाबाद. नागरिकता संशोधन बिल (सिटीजन अमेंडमेंट बिल-२०१९-कैब) के मामले में लगातार विरोध बढ़ता ही जा रहा है। गाजियाबाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जमीयत उलेमा ए हिन्द) ने जिला मुख्यालय के बाहर इस बिल को लेकर प्रदर्शन किया। इसके बाद बिल के खिलाफ प्रशासन को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। गाजियाबाद के सिटी मजिस्ट्रेट (गाज़ियाबाद सिटी मजिस्ट्रेट) ने इस ज्ञापन को लिया। गौरतलब है कि भारी संख्या में संगठन के कार्यकर्ता सुबह से ही जिला मुख्यालय के बाहर जमे हुए थे। प्रदर्शन के बाद मीडिया से मुखातिब जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सदस्यों ने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल (सिटीजन अमेंडमेंट बिल-२०१९-कैब)जो पास किया है। वह न सिर्फ कानून के खिलाफ है, बल्कि यह हिंदुस्तान की तहजीब के भी खिलाफ है। यानी इस बिल के अंदर सभी को बराबर का सम्मान मिलना चाहिए, जो नहीं दिया गया है। इसलिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद इसका पुरजोर विरोध करता है। उन्होंने कहा कि हमने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा है। यदि जल्द ही इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद बड़े स्तर पर आंदोलन करेगा। उधर, इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए सिटी मजिस्ट्रेट शिव प्रताप शुक्ला ने बताया कि नागरिक संशोधन बिल के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सदस्यों के द्वारा एक ज्ञापन राष्ट्रपति के नाम सौंपा गया है, जिसे राष्ट्रपति तक पहुंचा दिया जाएगा।
बर्न- नयी दिल्ली। स्विट्जरलैंड में बीते साल २०१७ में सिर्फ तीन भारतीय जाली नोट पकड़े गए। हालांकि, इससे पिछले साल स्विट्जरलैंड में जाली भारतीय मुद्रा की जब्ती का आंकड़ा चार गुना बढ़ा था। लंबे समय तक स्विट्जरलैंड को कालेधन का पनाहगाह कहा जाता रहा है। स्विस संघीय पुलिस कार्यालय (फेडपोल) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार २०१७ के दौरान १०० रुपये के दो जाली नोट और ५०० रुपये का एक जाली नोट जब्त किया गया। वर्ष २०१६ के दौरान जाली विदेशी मुद्रा के मामले में भारतीय रुपया तीसरे स्थान पर था। यूरो और डॉलर के बाद सबसे अधिक भारतीय जाली मुद्रा जब्त की गई थी। उस साल ५०० और १,००० के जाली नोट जब्त हुए थे। नवंबर, २0१6 में नोटबंदी के तहत इन नोटों को बंद कर दिया गया था। नोटबंदी के बाद २,००० का नोट पेश किया गया था। स्विट्जरलैंड में २००० का कोई जाली नोट जब्त नहीं किया गया है। फेडपोल के आंकड़ों के अनुसार २0१6 में १००० के १,४३७ जाली नोट जब्त किए गए थे जबकि ५०० के पांच जाली नोट जब्त हुए थे। वहीं २0१५ में स्विट्जरलैंड में ३4२ भारतीय जाली नोट जब्त किए गए थे। इनमें से पांच ५०० के , ३३६ १००० के और एक १00 का नोट था। आंकड़ों के अनुसार २0१7 में १990 जाली स्विस फ्रैंक जब्त किए गए जबकि २0१6 में यह आंकड़ा २,३७० था। इसी तरह २0१7 में ३,8२6 जाली यूरो मुद्रा जब्त की गई , जबकि इससे पिछले साल ५,३79 जाली यूरो जब्त किए थे। डॉलर के मामले में यह आंकड़ा १,44३ से बढ़कर १,९७६ हो गया। वहीं २0१7 में २,५०० जापानी येन जब्त किए गए।
निर्भया गैंगरेप के दोषी फांसी से बचने के लिए हर दिन कोई न कोई नया पैंतरा आजमा रहे हैं। इस क्रम में दोषी विनय शर्मा ने पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें उसकी मानसिक स्थिति का हवाला देते हुए समुचित इलाज की मांग की गई है। निर्भया गैंगरेप के दोषी फांसी से बचने के लिए हर दिन कोई न कोई नया पैंतरा आजमा रहे हैं। इस क्रम में दोषी विनय शर्मा ने पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें उसकी मानसिक स्थिति का हवाला देते हुए समुचित इलाज की मांग की गई है। पटियाला हाउस कोर्ट में वकील एपी सिंह ने यह याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि दोषी विनय के सिर और हाथ में चोट लगी है। वह मानसिक बीमारी से ग्रस्त है और किसी को पहचान नहीं पा रहा है। इस पर कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन से तुरंत इलाज उपलब्ध कराने को कहा है। शनिवार दोपहर १२ बजे इस मामले की सुनवाई होगी। अर्जी में कहा गया है कि विनय शर्मा चोट लगने के बाद अपनी मां तक को नहीं पहचान पा रहा है। वकील की तरफ से कहा गया है कि उसे गंभीर मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया हो सकती है। ऐसे में उसका मेडिकल चेक अप करवाया जाए और उसकी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल हो। इस याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट ने तिहाड़ जेल को कहा कि दोषी विनय का ट्रीटमेंट कराया जाए। कोर्ट ने तिहाड़ जेल को निर्देश दिया है कि वो दोषी विनय शर्मा का इलाज कराए। कोर्ट ने कहा है कि शनिवार को इस मामले में वो दोबारा सुनवाई करेंगे। बता दें कि १६ फरवरी को विनय ने तिहाड़ जेल में अपना सिर दीवार पर मार दिया था। इस कारण वह चोटिल हो गया था। हालांकि, उसको मामूली चोट आई थी। गौरतलब है कि दोषियों को ३ मार्च को सुबह ६ बजे फांसी दी जाएगी। इससे पहले भी दो बार डेथ वारंट जारी हो चुका है। इससे पहले कोर्ट ने २२ जनवरी का डेथ वारंट जारी किया था जिसे बाद में रद्द कर दिया गया। कोर्ट ने एक बार फिर १ फरवरी का डेथ वारंट जारी किया। इसे भी कानूनी पेचीदगियों के कारण रद्द करना पड़ा। अब इस मामले में एक बार फिर नया डेथ वारंट जारी किया गया है।
परंपरागत रूप से, केवल औद्योगिक रूप से विकसित राज्य मौलिक रूप से नए हथियारों और उपकरणों के निर्माण में लगे हुए हैं। हालांकि, कई विकासशील देश वर्तमान में इस सिद्धांत को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं और नए, साहसिक प्रोजेक्ट विकसित करने की शुरुआत कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, कई साल पहले, तुर्की उन्नत रेल उपकरणों के निर्माण पर काम में शामिल हो गया। एम्त कार्यक्रम का पहला वास्तविक परिणाम असेल्सन तूफान बंदूक बुर्ज का एक प्रोटोटाइप था। तुर्की रेल तोप विकास कार्यक्रम, विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त, २०१४ वर्ष में लॉन्च किया गया था। एम्त (एलेकत्रोमानातिक टॉप) के नाम से अनुसंधान और विकास कार्य के हिस्से के रूप में, मौजूदा समस्याओं का अध्ययन करना, असामान्य के लिए संभावनाओं का निर्धारण करना था। हथियारोंऔर तैयार प्रणाली की वास्तुकला के लिए सबसे सुविधाजनक विकल्प भी खोजें। इन कार्यों के परिणामों के अनुसार, परीक्षण के लिए बनाना और जमा करना आवश्यक था, पहले बेंच नमूने और फिर वाहक पर बढ़ते हुए उपयुक्त पूर्ण गन सिस्टम। एक प्रमुख तुर्की डेवलपर और सैन्य उत्पादों के निर्माता, असेल्सन ने उन्नत हथियारों के मुख्य अनुसंधान और विकास का कार्य किया है। इसके अलावा, विभिन्न आंकड़ों के अनुसार, कुछ उपठेकेदार काम में शामिल थे, जिनमें से कार्य कुछ सहायक कार्यों को पूरा करना था। आज तक, तुर्की रक्षा उद्योग ने ईएमटी कार्यक्रम के कुछ चरणों को पूरा किया है और यहां तक कि इसे पहले प्रोटोटाइप और नए नमूनों के निर्माण के परीक्षण चरण में लाया है। रिपोर्टों के अनुसार, एक्सएनयूएमएक्स के रूप में, एसेलसन ने पहले परिणाम प्राप्त किए, और कुछ मूल डिजाइनों के लिए पेटेंट भी जारी किए। इसके बाद काम जारी रहा और एक अनुभवी बंदूक का उदय हुआ, जिसे बेंच परीक्षणों के लिए डिज़ाइन किया गया। यह उत्पाद पिछले साल बनाया गया था, और दिसंबर में पहला परीक्षण शॉट बनाया गया था। यह बताया गया है कि सफल परीक्षण बेंच मॉडल काम करना जारी रखेगा और अंततः सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग के लिए उपयुक्त एक तोपखाने प्रणाली का निर्माण करेगा। एसेलसन ईएमटी प्रणाली के पहले प्रोटोटाइप का परीक्षण दिसंबर २०१६ के अंतिम दिनों में किया गया था। कार्यक्रम की मौलिक सफलता को प्रदर्शित करते हुए पांच शॉट्स का प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा, इस चेक ने हमें मौजूदा नमूने की अनुमानित विशेषताओं को स्थापित करने की अनुमति दी। कंपनी-डेवलपर के अनुसार, आगे के विकास के दौरान, तुर्की बंदूक को उच्चतम विशेषताओं को दिखाना था। प्रक्षेप्य का प्रारंभिक वेग २-२,५ किमी / एस तक लाना था, जिसने ३०० किमी के स्तर पर फायरिंग रेंज प्राप्त करने की अनुमति दी। पहली पायलट शूटिंग को अंजाम देने के बाद, परियोजना का विकास जारी रहा। तोपखाने इकाई की तकनीकी उपस्थिति की मुख्य विशेषताओं की पहचान करने के बाद, कंपनी-डेवलपर ने आशाजनक परिसर के अन्य तत्वों को बनाना शुरू किया। आज तक, कम से कम, इस काम का थोक सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। इसके लिए धन्यवाद, एसेलसन पहले सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए उपयुक्त एक प्रोटोटाइप का निर्माण करने में सक्षम था। एक होनहार ईएमटी परियोजना के ऐसे "प्रीमियर" के लिए जगह आईडीईएफ एक्सएनयूएमएक्स प्रदर्शनी थी, जो मई में इस्तांबुल में हुई थी। अंतरराष्ट्रीय सैन्य तकनीकी सैलून के मंडप में, एक नए प्रोटोटाइप रेल उपकरण, जो एक चल रहे कार्यक्रम के हिस्से के रूप में बनाया गया था, प्रस्तुत किया गया था। इस उत्पाद को अपना स्वयं का पदनाम असेल्सन तूफान ("बाढ़" या "बाढ़") प्राप्त हुआ। पिछले मॉडल के विपरीत, इस तरह के आर्टिलरी कॉम्प्लेक्स को टॉवर लेआउट के अपेक्षाकृत कॉम्पैक्ट सिस्टम के रूप में बनाया गया है। यह वास्तुकला सशस्त्र बलों द्वारा हथियारों का उपयोग करने की संभावना को इंगित करता है। सबसे पहले, इस तरह के एक जटिल नौसैनिक बलों के लिए रुचि हो सकती है और युद्धपोतों के हथियार बन सकते हैं। तुफान प्रोटोटाइप की एक जिज्ञासु विशेषता बाहरी भागों और असेंबली का अपेक्षाकृत सरल डिजाइन है जो बाहरी प्रभावों और प्रायींग आँखों से मुख्य उपकरणों को कवर करती है। सभी महत्वपूर्ण उपकरणों को बाड़ों और पतवारों के अंदर रखा गया है, जो, जाहिर है, कवच स्टील से बना हो सकता है और जवाबी गोलाबारी से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इस मामले में, शरीर का आकार तथाकथित में कुछ ज्ञात विकासों के अनुप्रयोग के बारे में बोल सकता है। स्टील्थ तकनीक। ठेठ कटा हुआ बाड़े को ठीक से प्रतिबिंबित करने और रडार संकेतों को फिर से विभाजित करने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है। सामान्य तौर पर, एक रेल बंदूक से लैस तुफान लड़ाकू मॉड्यूल में एक बड़े आकार के तीन मुख्य ब्लॉक होते हैं। पहला सहायक उपकरण है। शायद, एक अपेक्षाकृत बड़ी बहुभुज इकाई को सीधे वाहक जहाज के डेक पर रखा जाना चाहिए। यह एक छोटी ऊँचाई द्वारा प्रतिष्ठित है और इसमें विभिन्न कोणों पर सामने, ओर और पिछाड़ी भागों को स्थापित किया गया है। पक्षों और कठोर पर आंतरिक उपकरणों तक पहुंच के लिए टोपियां हैं। परिसर के समर्थन तत्व की छत में पूर्ण मोड़ टॉवर बढ़ते के लिए कंधे का पट्टा है। जाहिर है, बंदूक के क्षैतिज पिकअप के लिए, पूरे टॉवर को मोड़कर प्रदर्शन किया जाता है, रिमोट कंट्रोल वाले इलेक्ट्रिक ड्राइव का उपयोग किया जाता है। तूफान प्रणाली के टॉवर को एक जटिल आकार की एक टोपी मिली। इसी समय, इसकी उपस्थिति के अनुसार, सभी आवश्यक इकाइयों को इस तरह के एक मामले के अंदर रखा जाता है, और इसके अलावा, उन्हें रखरखाव के लिए काफी आसान पहुंच प्रदान की जाती है। टॉवर के ललाट भाग में कई सतह होते हैं जो विभिन्न कोणों पर अनुदैर्ध्य अक्ष, ऊर्ध्वाधर और एक दूसरे पर स्थापित होते हैं। इस मामले में, रॉकिंग आर्टिलरी यूनिट को माउंट करने के लिए टॉवर के सामने एक बड़ा ऊर्ध्वाधर कट-आउट प्राप्त हुआ। टॉवर के किनारे बड़े पैनलों की एक जोड़ी पर आधारित हैं, और सामने की तरफ एक डबल हैच बढ़ते हुए है। पक्षों के सामने के पैनल को बाहर की ओर पतन के साथ स्थापित किया गया है, जबकि पीछे के पैनल, इसके विपरीत, अभिसरण करते हैं। टॉवर का स्टर्न ऊपर एक मध्यम आकार के आला और एक पच्चर के आकार की निचली इकाई द्वारा बनता है। उत्तरार्द्ध के पैनलों में दो और बड़े हाचस हैं। झूलते हुए तोपखाने इकाइयों के मुख्य तत्व के रूप में सीधे रेल बंदूक। इसके अलावा, इस इकाई की विधानसभा में बन्धन साधन और एक विशेषता आकृति के आवरण शामिल हैं। "ट्रंक" का थूथन सामने के छोर पर त्रिकोणीय खांचे के साथ अंडाकार खंड के आवरण के साथ कवर किया गया है। इस आवरण का पिछला भाग खुला हुआ है। बेवल के पीछे एक कम अनुभाग का अंडाकार आवरण होता है, जिसके पीछे एक बड़ा शरीर होता है। सुरक्षा का यह तत्व ब्रीच से और थूथन कवर तक लगभग सभी बंदूक को कवर करता है। यह बढ़े हुए आकार और अलग-अलग आकार के बहुभुज के रूप में बदलते अनुभाग में भिन्न होता है। ट्रूनियन बढ़ते आर्टिलरी इकाइयां, जाहिरा तौर पर, टॉवर के साइड हैच के स्तर पर हैं। रेल उपकरण के डिजाइन के बारे में विस्तृत जानकारी अभी तक घोषित नहीं की गई है, लेकिन उनके बिना भी हम कुछ निष्कर्ष निकाल सकते हैं। लगभग झूलते हुए भाग की पूरी लंबाई के साथ, दो गाइड रेल गुजरती हैं, जो गोला-बारूद को फैलाने के लिए आवश्यक हैं। जाहिरा तौर पर, टफ़न परियोजना इन भागों के क्षैतिज प्लेसमेंट की पेशकश करती है - "बोर" के ऊपर और इसके तहत। परियोजना की कुछ सामग्री बताती है कि घुमावदार कामकाजी सतह वाली रेल का उपयोग किया जाता है। बुर्ज के स्टर्न में, शायद, बैरल के लिए गोला-बारूद की आपूर्ति की एक निश्चित प्रणाली है। यह संभव है कि एक विकसित फीड आला में गोला-बारूद की स्वचालित आपूर्ति के लिए यंत्रीकृत स्टोव हैं। इस मामले में, उपकरण के संचालन के सिद्धांतों से निम्नानुसार, जटिल को केवल प्रोजेक्टाइल को स्टोर करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार के केमिकल के प्रोपेलिंग चार्ज के साथ किसी कंटेनर की आवश्यकता नहीं होती है। एम्त कार्यक्रम के भाग के रूप में, असेल्सन ने एक होनहार हथियार के लिए एक नया गोला-बारूद विकसित किया है। कई कारणों से तैयार गोले का उपयोग संभव नहीं है, जिसके लिए एक विशेष शॉट के निर्माण की आवश्यकता होती है। रेल बंदूकों की विशेषता के कारण, प्रक्षेप्य के अलावा, इसके सही त्वरण को सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपकरण विकसित करना आवश्यक था। दरअसल, टफान प्रोजेक्टाइल बड़े बढ़ाव का एक धातु "रिक्त" है, जिसकी लंबाई लगभग आधा है जो जीवंत सिर पर गिरता है। शरीर के पिछले आधे हिस्से में एक बेलनाकार आकार होता है। रोटेशन के कारण प्रक्षेप्य का स्थिरीकरण, परिभाषा के अनुसार बैरल की राइफलिंग से जुड़ा हुआ है, असंभव है, जिसके कारण प्रक्षेप्य की पूंछ अनुभाग में छोटे दायरे के विमान-स्टेबलाइजर्स प्रदान करता है। इस तरह के एक प्रक्षेप्य का वजन लगभग ७ किलो होता है। विभिन्न प्रयोजनों के लिए गोला-बारूद बनाना संभव है, एक दूसरे से वारहेड के प्रकार में भिन्न होना। रेल बंदूक के "बैरल" के साथ प्रक्षेप्य के सही मार्ग के लिए, विशेष अग्रणी उपकरणों को विकसित किया गया था। वांछित स्थिति में, गोला बारूद एक विशेष प्लास्टिक ढांकता हुआ ट्रे द्वारा आयोजित किया जाता है। इसमें दो भाग होते हैं, एक साथ बांधा जाता है। पैन को असेंबल करना प्रोजेक्टाइल के तहत आंतरिक गुहा के साथ एक सिलेंडर का आकार होता है, और इसकी बाहरी सतह पर दो आयताकार प्रोट्रूशन होते हैं जो प्रमुख बेल्ट के कार्यों को करते हैं। प्रोजेक्टाइल के पैन के पीछे एक अतिरिक्त पार्ट-पुशर लगाया जाता है, जो शॉट को त्वरण प्रदान करता है। यह उपकरण धातु से बना है और इसमें जटिल आकार है। जब निकाल दिया जाता है, अवतल सतहों को गाइड रेल के साथ बातचीत करनी चाहिए, और सामने के छोर को प्रक्षेप्य के साथ पैन को धक्का देना चाहिए। ऑपरेशन के सिद्धांत के अनुसार, उत्पाद असेल्सन तूफान अपनी कक्षा के अन्य विकासों से अलग नहीं है। स्वचालन की मदद से, कॉम्प्लेक्स को पटरियों पर संग्रह में एक शॉट रखना चाहिए, जिसके बाद रिमोट-नियंत्रित ड्राइव को एक टिप-ऑफ करना चाहिए। शॉट को एक उच्च शक्ति स्रोत से रेल को चालू करके बनाया जाता है। नतीजतन, एम्पीयर बल रेल्स के साथ पुशर को तेज करता है, और बदले में, प्रक्षेप्य के साथ आवेग को फूस तक पहुंचाता है। थूथन से गुजरने के बाद, फूस को अलग किया जाता है, और फिर प्रक्षेप्य को लक्ष्य पर भेजा जाता है। पुशर विस्तार को त्वरण के दौरान आंशिक रूप से जलने की संभावना है और फिर इसके अवशेष जमीन पर या पानी में गिर जाते हैं। यह बताया गया है कि तुर्की विकास का एक आशाजनक उपकरण एक्सएनयूएमएक्स एमजे के स्तर पर थूथन ऊर्जा दिखा सकता है, जो कम से कम आधुनिक टैंक गन की विशेषताओं के रूप में अच्छा है। रिपोर्टों के अनुसार, मौजूदा १४-क्ग प्रोजेक्टाइल ७ किमी / घंटा के क्रम की गति को तेज करता है। ऐसी प्रारंभिक गति के साथ, गोला बारूद कम से कम २ समुद्री मील की दूरी पर लक्ष्य को मारने में सक्षम होगा। इस प्रकार, कई बुनियादी विशेषताओं के संदर्भ में, फ्लडिंग कॉम्प्लेक्स में मौजूदा शिपबोर्न आर्टिलरी सिस्टम पर ध्यान देने योग्य फायदे हैं। रेल बंदूकों और विद्युत चुम्बकीय प्रभावों का उपयोग करने वाली अन्य प्रणालियों की एक विशिष्ट समस्या, बिजली की महत्वपूर्ण खपत है। असेल्सन तूफान परिसर की आवश्यक शक्ति निर्दिष्ट नहीं की गई थी। इस तरह के विदेशी विकास की ख़ासियत को जानने के बाद, यह माना जा सकता है कि इस तरह की प्रणाली के वाहक को पर्याप्त शक्तिशाली जनरेटर प्राप्त करना चाहिए और रेल को आवश्यक विशेषताओं के साथ एक वर्तमान आपूर्ति के लिए आवश्यक अन्य साधन चाहिए। यह संभव है कि इस तरह के उपकरणों के उपयोग से पारंपरिक डिजाइन के मौजूदा आर्टिलरी सिस्टम की तुलना में समग्र आयाम या वजन में ध्यान देने योग्य लाभ नहीं होगा। अपने वर्तमान स्वरूप में, टफ़न गन माउंट जहाज वाहक को कुछ नई सुविधाएँ दे सकता है। उदाहरण के लिए, प्रोपेलिंग चार्ज के साथ गोले के इनकार और तत्काल आसपास के क्षेत्र में टॉवर और तहखाने का पता लगाने की आवश्यकता की अनुपस्थिति के कारण पतवार और अधिरचना के आंतरिक संस्करणों के उपयोग को अनुकूलित करना संभव है। इसके अलावा, गोला-बारूद के एक निश्चित आकार के साथ शुरू करना, एक रेल बंदूक के साथ एक जटिल अधिक कॉम्पैक्ट और आसान है। आग की विशेषताओं के दृष्टिकोण से, जैसे थूथन ऊर्जा या फायरिंग रेंज, रेल बंदूक आधुनिक मॉडलों की सबसे गंभीर "पाउडर" प्रणालियों की तरह दिखती है। इसी समय, इस वर्ग के हथियारों की कई समस्याओं को अभी तक हल नहीं किया गया है, और यह संभावना नहीं है कि वे निकट भविष्य में छुटकारा पाने में सक्षम होंगे। पारंपरिक तोपखाने परिसर से असेल्सन तूफान और उसके जैसे अन्य लोग अधिक जटिल और निर्माण के लिए महंगे हैं। इसके अलावा, उच्च ऊर्जा और उच्च-वेग प्रक्षेप्य के रूप में लाभ कम द्रव्यमान द्वारा मुआवजा दिया जाता है और, परिणामस्वरूप, गोला बारूद की अपर्याप्त शक्ति। तुर्की बंदूकधारियों द्वारा प्रस्तावित शॉट फॉर्म फैक्टर वारहेड के द्रव्यमान पर गंभीर प्रतिबंध लगाता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि प्रक्षेप्य के आगे के विकास का पूरे परियोजना के भविष्य पर एक निर्णायक प्रभाव हो सकता है। शोषण की लागत में वृद्धि और एक व्यक्तिगत शॉट की लागत में वृद्धि के संबंध में, निर्देशित गोला बारूद बनाने में एक भावना है। हालांकि, सीमित आकार और वजन स्वीकार्य अग्नि विशेषताओं को बनाए रखने और वांछित शक्ति प्राप्त करने के दौरान इस समस्या को सफलतापूर्वक हल करने की संभावना नहीं है। परियोजना की मुश्किल स्थिति में आने का खतरा तब होता है जब नियंत्रण की उपलब्धता आग की प्रभावशीलता को कम कर देगी, वॉरहेड बढ़ने से प्रक्षेप्य भारी हो जाएगा और इसकी प्रारंभिक गति कम हो जाएगी, और अंत में यह सब पारंपरिक बारूद तोपखाने पर वास्तविक लाभ का नुकसान होगा। हाल ही में आईडीईएफ २०१७ प्रदर्शनी में प्रस्तुत किया गया है, रेल बंदूक से लैस एसेलसन तूफान आर्टिलरी सिस्टम, आधुनिक और होनहार मध्यम और बड़े विस्थापन युद्धपोतों पर स्थापना के लिए है, जो आवश्यक बिजली आपूर्ति भी कर सकते हैं। क्या परीक्षण जहाजों पर बंदूकें की स्थापना या यहां तक कि पूर्ण संचालन के लिए परियोजना को लाना संभव होगा बेड़ा - अभी के लिए, कोई केवल अनुमान लगा सकता है। इस बीच, एलेकत्रोमानातिक शीर्ष कार्यक्रम का विकास जारी है। असेल्सन और उपमहाद्वीप के विशेषज्ञ विद्युत चुम्बकीय तोपखाने के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करना और इसके विकास के आगे के तरीकों की पहचान करना, साथ ही मौजूदा संरचनाओं के आवश्यक शोधन का निर्धारण करना जारी रखते हैं। इस संदर्भ में तुर्की उद्योग की योजनाओं की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। एम्त प्रोग्राम का वांछित आउटपुट निम्नानुसार है। सेना और उद्योग जमीन या समुद्र में उपयोग के लिए उपयुक्त एक बड़ी कैलिबर रेल बंदूक चाहते हैं। इस प्रणाली को कम से कम २ किमी / सेकंड की गति के लिए गोला-बारूद को तेज करना होगा और इसे ३०० किमी की दूरी पर भेजना होगा। मार्गदर्शन प्रणाली से लैस लोगों सहित विभिन्न प्रयोजनों के लिए नए गोला बारूद बनाने की संभावना को बाहर नहीं किया गया है। क्या तुर्की के इंजीनियर सभी कार्यों को हल करने में सक्षम होंगे और सशस्त्र बलों को मौलिक रूप से नए हथियार दे सकते हैं। हालांकि, ईएमटी कार्यक्रम का बहुत अस्तित्व और हाल ही में शुरू किए गए प्रोटोटाइप तूफान ने कुछ बहुत ही दिलचस्प चीजों को प्रदर्शित किया है। परियोजना और नमूना दिखाते हैं कि अधिकांश औद्योगिक रूप से विकसित देश भी आशाजनक क्षेत्रों का अध्ययन करने में सक्षम नहीं हैं और यहां तक कि कुछ सफलता भी दिखाते हैं। फिर भी, इन सफलताओं के विकास और नए विकास को व्यावहारिक अनुप्रयोग में लाने की संभावना कुछ संदेह का सामना कर सकती है। और फिर भी, अस्पष्ट संभावनाओं के साथ, वर्तमान बहादुर तुर्की परियोजना बहुत रुचि है। पांचवें पैराग्राफ "२-२,५ किमी / घंटा" में त्रुटि को ठीक करें। और फिर आपके पास रेलगन से एक प्रक्षेप्य है जो लगभग ३०० घंटे तक 1५0 किमी की उड़ान भरेगा। और १८ वें पैराग्राफ में। पुनश्च: जैसा कि मैं इसे समझता हूं, २ किमी / सेकंड, जिसका मतलब था (१८ वें पैराग्राफ में), कोई भगवान नहीं है, जब पारंपरिक तोपखाने के साथ तुलना की जाती है, उदाहरण के लिए, टैंक बंदूकों के साथ। और इस "बंदूक" में बारूद और बेकाबू के बिना गोले भी हैं। यहां तक कि तुर्क रेलगनों के प्रोटोटाइप बनाते हैं ... हमारे पास केवल प्रयोगशाला नमूने हैं। बंदूक को इतनी लंबी दूरी बनाने का कोई मतलब नहीं है। शेल को फेंकना सैद्धांतिक रूप से संभव है, लेकिन जहां आवश्यक है, वहां पहुंचना भी सैद्धांतिक रूप से असंभव है। समय आ गया है जब रूस को तुर्क देशों के साथ प्रौद्योगिकी साझा करनी चाहिए। जब आज अन्य देश पश्चिमी देशों के खिलाफ संघर्ष में रूस का समर्थन नहीं करते हैं, न तो चीनी, न ही भारतीय, और न ही फारसी, केवल तुर्क सभ्यता और तुर्क राज्य पास खड़े होते हैं, भले ही वे रूसियों से नफरत करते हैं)) लेकिन यह इस भूमि को बचाने के लिए बहुत महंगा है। राजनीति में दोस्ती नहीं होती। आप अभी भी क्षेत्र और संसाधनों को साझा करने की पेशकश करते हैं। रूस को स्वयं उन्नत तकनीकों को लागू करना चाहिए, और तुर्क देशों के साथ साझा नहीं करना चाहिए। और फिर इतिहास थोड़ा उलट जाएगा और बहुत ही देश बहुत आसानी से रूस के खिलाफ हो जाएंगे, या, पहले से ही ९० के दशक में, वे अपने "जिहाद" और "ख़लीफ़ाओं" के साथ रूसी मुसलमानों के अंदर दिमाग लगाना शुरू कर देंगे। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में व्यावहारिकता और विवेकशीलता होनी चाहिए। पर्याप्त "हमेशा के लिए दोस्ती।" पहले से ही कानों को खाया। और आग के संसाधन गाइड और दर के बारे में क्या? यदि इस प्रणाली की दो मुख्य समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है, तो आपको रेल बंदूकों का उपयोग करने के बारे में भी सोचना होगा। यदि अधिक शक्तिशाली बिजली स्रोत के कारण आग की दर अभी भी बढ़ सकती है, तो ट्रंक के बचे रहने के साथ समस्या अनसुलझे रहती है। यहां तक कि अमेरिकी कई सौ से अधिक शॉट्स के संसाधन के साथ एक बैरल नहीं बना सके, और फिर भी उनकी वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षमता तुर्की की तुलना में बहुत अधिक है। और आप सीखेंगे कि २०० मिमी (एक रेलगाड़ी के लिए लंबी दूरी की ऊर्जा में तुलनीय) के ऊपर एक कैलिबर की आधुनिक बंदूकों के लिए क्या संसाधन उपलब्ध है, यह उसी के बारे में है। २ एमबी के समय से बड़े कैलिबर की जहाज बंदूकों में अधिक संसाधन होंगे, हालांकि वे भी छोटे हैं। बैरल का संसाधन उपयोग किए गए गोले पर अत्यधिक निर्भर है। कवच-भेदी के गोले बैरल को बहुत जल्दी से बाहर निकालते हैं, और लाइनर की जगह के बिना एचई शेल का उपयोग करके एक हजार से अधिक शॉट्स बनाए जा सकते हैं। मैंने लेखक को एक प्लस लगा दिया, हालांकि लेख पंजे के साथ फिर से भरा हुआ है, २ किमी / घंटा पर प्रक्षेप्य गति से शुरू होकर, एक आयताकार बैरल जो चुपके तकनीक का उपयोग करके और बड़ी मात्रा में बिजली का उपभोग करता है। हां, ऐसा लगता है कि रेलगनों के विकास में भी तुर्क हमसे आगे हैं। एक बात जो मुझे समझ में नहीं आती है, वह यह है कि उच्चतम संभव प्रारंभिक गति के साथ एक उपकरण बनाने का प्रयास क्यों किया जाता है? वास्तव में, उदाहरण के लिए, एक रेल रेल मोर्टार सबसे कुशल प्रणाली हो सकती है। जिस पर आप ऐसे समाधान निकाल सकते हैं जो आपको प्रारंभिक गति को लगातार बढ़ाने की अनुमति देते हैं। और यहाँ यह रिकॉर्ड हवाई जहाज की तरह निकलता है, शांत की तरह, लेकिन आप इसे सेवा में नहीं डाल सकते। ठीक है, चलो कहते हैं, एक जनरेटर नहीं, लेकिन कैपेसिटर, कुछ शॉट्स के लिए एक छोटी बैटरी की ऊर्जा पर्याप्त है। लेकिन मैं, निश्चित रूप से, स्व-चालित मोर्टार के बारे में। १२० मिमी में कैलिबर वाणिज्यिक। एक अपेक्षाकृत कम प्रारंभिक गति, जिसे विवेकहीन रूप से नहीं बदला जा सकता है, जैसा कि अभी है, लेकिन सुचारू रूप से, अर्थात्। बहुत प्रभावी ढंग से "प्ले" ट्रैजेटरी की क्षमता। स्वचालित लोडिंग में कोई समस्या नहीं है। केवल रडार की मदद से एक शॉट का पता लगाया जा सकता है, जो बदले में, आरईपी साधनों द्वारा आसानी से दबाया जा सकता है या नष्ट हो सकता है। मैं ऐसा शुरू करूंगा। "परंपरागत रूप से, बजट में कटौती के लिए मौलिक रूप से नए हथियारों और उपकरणों का निर्माण केवल औद्योगिक और सैन्य रूप से विकसित राज्यों द्वारा लागू किया जाता है। हालांकि, वर्तमान में, कई विकासशील देश भी इस पद्धति में महारत हासिल कर रहे हैं और नए बोल्ड प्रोजेक्ट विकसित करने की शुरुआत कर रहे हैं।" रिपोर्टों के अनुसार, मौजूदा ७-किलोग्राम शेल लगभग २ किमी / घंटा की गति को तेज करता है। इस प्रारंभिक गति पर, गोला बारूद कम से कम 3२ समुद्री मील की दूरी पर एक लक्ष्य को मार सकता है। इस प्रकार, कई बुनियादी विशेषताओं के संदर्भ में, फ्लड कॉम्प्लेक्स में मौजूदा नौसैनिक तोपखाने प्रणालियों पर ध्यान देने योग्य फायदे हैं। विद्युतचुंबकीय बंदूकें को विद्युत चुम्बकीय लोगों की तुलना में अधिक आशाजनक माना जाता है। एक प्रणोदक को प्रज्वलित करने के लिए एक शक्तिशाली इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज का उपयोग प्रक्षेप्य के प्रारंभिक वेग को बढ़ा सकता है, और बंदूक के ईटीएक्स का डिजाइन पारंपरिक बंदूकों से बहुत अलग नहीं है। लेख में, लकड़ी या प्लास्टिक का यह "नमूना" अकस्मात बनाया गया है? शायद आप मंच उपयोगकर्ताओं को जानते हैं? लेकिन अच्छा किया। कदम दर कदम, तुर्की रक्षा उद्योग अधिक से अधिक उच्च तकनीक क्षेत्रों का विकास कर रहा है। इस दृष्टिकोण के साथ, आने वाले वर्षों में वे कुछ विशेष प्रकार के नवीनतम हथियारों में विश्व के नेताओं को तोड़ने में सक्षम होंगे। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि तुर्की के इंजीनियर यूएसए या ईयू में अपने सहयोगियों की तुलना में बेहतर और कम पैसे के साथ कुछ भी करने में सक्षम होंगे। लेकिन यह विशेष हथियार अनावश्यक और अप्रभावी दिखता है। क्या यह रॉकेट या बैरल आर्टिलरी से बेहतर है? वास्तव में, एक रेलगन को अपने आयामों का त्याग किए बिना एक टैंक पर नहीं चढ़ाया जा सकता है, लेकिन बेड़े के लिए यह बेहतर नहीं है कि आप इस बिंदु पर गोली न चलाएं कि अगर आप रेगिस्तान में रक्षा प्रणाली का उपयोग करते हैं और इस तरह के हवाई रक्षा तोपखाने का उपयोग संभव है तो रडार पर चमकती है।
रोहतक (दीपक भारद्वाज): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में कुछ बड़े प्रोजेक्ट लॉन्च किए जाएंगे, जिसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकों का दौर भी जारी है। इस बारे में जानकारी देते हुए जिला उपायुक्त आर एस वर्मा ने बताया कि कहा कि रोहतक जिले में कई परियोजनाएं पहले ही चल रही हैं, जिनके काम में गति के लिए अधिकारियों को दिशा निर्देश दे दिए गए हैं। जिला उपायुक्त का कहना है कि मुख्यमंत्री की जो घोषणाएं हैं, उन सभी घोषणाओं को लेकर भी अधिकारियों से विचार विमर्श किया जा रहा है। जिन घोषणाओं का काम अभी चल रहा है उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाए। उनका लक्ष्य अपने जिले में विकास कार्यों को गति देना है। गौरतलब है कि ८ सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीएम मनोहर लाल खट्टर की जन आशीर्वाद यात्रा के समापन पर रोहतक आएंगे। जिसको लेकर जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। उपायुक्त ने बताया कि रोहतक शहर में लगभग ४०० करोड़ रुपए की परियोजनाएं चल रही हैं। इसके अलावा महम, कलानौर व सांपला नगर पालिका क्षेत्र में भी ३ सौ करोड़ रुपए की परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
पटना। भागलपुर स्टेशन के सामने अंबेडकर की प्रतिमा के आगे बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, बांका के सांसद जयप्रकाश व अन्य साथियों के साथ बैठे हैं, प्रशासन ने बुधवार की देर रात उन्हें सर्किट हाउस में ठहराने से इनकार कर दिया। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने अपने अधिकारिक फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में लिखा, मुझे ठहरने के लिए सर्किट हाउस नहीं दिया जा रहा, जिस गेस्ट हाउस में ठहरना था। वहाँ धारा-१४४ लगा दी गई है। डीएम और एसपी फ़ोन नहीं उठा रहे है। भागलपुर सिटी में प्रवेश कर चुका है, एयरपोर्ट के पास हूँ। पता नहीं बिहार सरकार कहाँ ठहरायेगी? मुख्य सचिव भी फ़ोन रिसीव नहीं कर रहे? सुबह ११ बजे भागलपुर में सृजन घोटाले को लेकर मेरी जनसभा निर्धारित थी। घबराकर नीतीश जी ने अभी रात को वहाँ पूरे सभा स्थल मे धारा-१४४ लगा दी है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, हमने स्पष्ट रुप से पहले ही ये कहा था ये पूरी तरह से साजिश रची जा रही है कि हमारा यह भागलपुर का दौरा किसी तरह रद्द किया जाए। तेजस्वी यादव को भागलपुर जाने से किसी न किसी तरीके से रोका जाए। कल सुशील मोदी ने जो पूरी यात्रा को लेकर ड्रामा किया क्योंकि जनादेश अपमान यात्रा चल रही है। हमको छह-छह घंटे एक जिले को पार करने में लग जा रहा है। लोग सड़कों पर आए हुए हैं। आज हम लोग जब भागलपुर जब पहुंचने वाले थे तो हमको जानकारी में प्राप्त हुआ। बकायदा कार्यक्रम का नेता प्रतिपक्ष या हम लोगों के प्रोटोकॉल के हिसाब से हम लोग कार्यक्रम पहले ही प्रशासन को भेज देते हैं। जब पहले से ही ये सारी चीजें तय थी। जब उस विद्यालय से हमें प्रमिशन मिला हुआ है। किसी को आपत्ति नहीं है तो फिर अचानक से रात में क्या हुआ कि रात नौ बजे धारा १४४ लगा दिया गया।
इटारसी २२३७न ७७४५ए / २२.६२न ७७.७५ए अक्षानंस पे स्थित है तथा इसकी समुद्र तल से औसत ऊँचाई ३०४ मीटर है। २००१ के जनगणना के अनुसार इटारसी के कुल आबादी ९९,७८३ रही थी जिसमें से ५२% पुरुष और ४८% महिलाएँ सम्मिलित थी। वर्तमान में इटारसी की जनसंख्या १ लाख १7 हजार के आसपास हो गई है। इटारसी मुख रूप से तहसील के श्रेणी में आती जिसका मुख्यालय होशंगाबाद जिला है। यह होशंगाबाद विधानसभा एवं होशंगाबाद - नरसिंहपुर संसदीय क्षेत्र अंतर्गत आती है। वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमति सुधा अग्रवाल जी है। इटारसी रेल एवं सड़क से जुड़ा हुआ है। इटारसी जंक्शन रेल द्वारा बडी आसानी से पहुँचा जा सकता है। दिल्ली-चेन्नई मेन लाइन एवं मुम्बई-जबलपुर मुख्य मार्ग में इटारसी स्टेशन पड़ता है। दिल्ली से रेल द्वारा १०-१४ घंटे लगते हैं। इटारसी शहर पश्चिम मध्य रेल्वे का मुख्य स्टेशन एवं सबसे बड़ा जंक्शन है। यहां से हर रोज लगभग ३५० गाड़िया गुजरती हैं। इटारसी सड़क द्वारा भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सरकारी और निजी बसें भोपाल के लिये उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग ६९ से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ ईंट और रस्सी बनाई जाती थी। श्री दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर रेलवे स्टेशन के सामने स्थापित वर्ष १९४१ के पूर्व। अन्तिम परिवर्तन १६:१५, १० मई २०१९।
नई दिल्ली ( ५ मार्च ): काला हिरण शिकार मामले में जोधपुर कोर्ट ने सलमान खान को दोषी करार दिया है। सलमान को ५ साल की सजा सुनाई गई है। गुरुवार को जोधपुर की अदालत इस मामले फैसला सुनाया।सजा सुनाते ही सलमान को हिरासत में ले लिया गया। ये मामला २० सालों से चल रहा था। सलमान खान को सजा के साथ ही यह अटकलें तेज हो गई हैं कि उनके प्रोफेशनल प्रोजेक्ट रुक सकते हैं। साथ ही करोड़ों रुपए की रकम भी फंस सकती है। सलमान इस समय कई प्रोजेक्ट से जुड़े हैं या जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। सलमान की सजा से किस तरह बिजनेस प्रभावित होगा जानिए...। -सलमान खान इस समय रेमो डिसूजा के निर्देशन में बन रही फिल्म रेस ३ की शूटिंग कर रहे हैं। इस फिल्म की शूटिंग अभी अधूरी है। इस फिल्म का बजट १०० करोड़ रुपए है। सलमान इसमें मुख्य अभिनेता हैं। यदि सलमान को ५ सला की सजा होने के बाद अटकले लग रही हैं कि ये प्रोजेक्ट अटक सकता है। साथ ही प्रोड्यूसर्स द्वारा फिल्म में लगाई रकम फंस सकती है। -सलमान खान भारत नाम की एक फिल्म में काम कर रहे हैं, जो कि कोरियन फिल्म ऑड टू माय फादर की हिन्दी रीमेक होगी। यदि सलमान को सजा के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि ये फिल्म भी ठंड बस्ते में जा सकती है। इस फिल्म का निर्माण अली अब्बास जफर कर रहे हैं। उनके साथ सलमान पहले सुल्तान और टाइगर जिंदा है बना चुके हैं। सलमान की इस फिल्म की शूटिंग जून में शुरू होनी है। इसकी शूटिंग पंजाब, मुंबई, दिल्ली और अबुधाबी में होनी है। -सुपरहिट सीरीज दबंग ३ में भी सलमान का होना तय है। इस फिल्म की शूटिंग भी साल के अंत में शुरू हो सकती है। सलमान को सजा के बाद ये प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में जा सकता है। -सलमान खान का नाम अब तक बिग बॉस के अगले सीजन के लिए तय है। अक्टूबर में शुरू होने वाले बिग बॉस १२ के लिए सलमान की जगह अन्य होस्ट खोजना पड़ सकता है। बता दें कि सलमान खान इस शो के लिए करीब ११ करोड़ रुपए फीस लेते हैं।
नोएडा ( न्यूज़ नेस्ट)ई जिले के सेक्टर १२५ स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी में काम करने वाले एक हॉस्टल सुपरवाइजर ने बृहस्पतिवार को तड़के सेक्टर ९६ में एक पेड़ से फंदा लगाकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने यह जानकारी दी। थाना सेक्टर ३९ के प्रभारी निरीक्षक प्रशांत कपिल ने बताया कि सेक्टर ३६ में रहने वाले मोहनन (५५ वर्ष) सेक्टर १२५ स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत थे। थाना प्रभारी ने बताया कि आज सुबह पुलिस को सूचना मिली कि सेक्टर ९६ के ग्रीन बेल्ट में स्थित एक पेड़ से फंदा लगाकर उन्होंने आत्महत्या कर ली है। उन्होंने बताया कि घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। मृतक के परिजनों को घटना की सूचना दे दी गई है। थाना प्रभारी ने बताया कि मौके से कोई सूइसाइड नोट नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि पुलिस आत्महत्या के कारणों का पता लगा रही है। सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर मामले की जांच की जा रही है।
मंझनपुर(ब्यूरो)। कौमी एकता सप्ताह के पांचवें दिन शनिवार को वशिष्ठ बालिका इंटर कालेज मंझनपुर में रंगोली, मेहंदी और संगीत प्रतियोगिता हुई। इसमें छात्राओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। रंगोली में उमा प्रजापति, मेहंदी में शालिनी और संगीत में नीतू वर्मा ने बाजी मारी। जिला सूचना अधिकारी ने छात्राओं को पुरस्कृत और उत्साहवर्धन किया। जिला सूचना अधिकारी जेएन यादव ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान रंगोली, मेंहदी और संगीत प्रतियोगिताएं हुईं। सीनियर वर्ग रंगोली प्रतियोगिता में उमा प्रजापति, जूनियर में प्रिया प्रथम रहीं। सीनियर वर्ग मेहंदी में शालिनी और जूनियर वर्ग में साक्षी केसरवानी अव्वल रहीं। संगीत सीनियर वर्ग में नीतू वर्मा और जूनियर वर्ग में निशा ने बाजी मारी। इसी तरह नृत्य में सीनियर वर्ग में अंकिता केसरवानी और जूनियर वर्ग में आकांक्षा मिश्रा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। मुख्य अतिथि जिला सूचना अधिकारी ने कहा कि ऐसे आयोजनों से छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होता है। प्रधानाचार्या पूनम मिश्रा ने स्वागत किया। इस मौके पर प्रबंधक प्रदीप कुमार मिश्रा, संतलाल, अशोक नारायण तिवारी, ओमप्रकाश आदि मौजूद रहे।
पिक्सेल ३ और पिक्सेल ३ ज़्ल की डिटेल्स: लीक हुई जानकारी के मुताबिक, पिक्सेल ३ ज़्ल में ड्यूल सेल्फी कैमरा दिया जा सकता है। वहीं, पिक्सेल ३ में ड्यूल रियर कैमरा सेटअप दिए जाने की उम्मीद है। दोनों पिक्सल मॉडल में दो स्पीकर्स दिए जा सकते हैं जो स्टीरियो ऑडियो आउटपुट को इनेबल करने में मदद करेंगे। पिछले हफ्ते लीक हुई पिक्सेल ३ ज़्ल की फोटोज के मुताबिक, फोन में रियर पैनल पर फिंगरप्रिंट सेंसर और रियर कैमरा सेटअप दिए जाने की उम्मीद है। टिप्सटर इवान ब्लास ने भी पिक्सेल ३ और पिक्सेल ३ ज़्ल के डिजाइन शेयर किए थे। लीक जानकारी के मुताबिक, पिक्सेल ३ ज़्ल में ६.२ इंच का क़द+ डिस्प्ले दिया जा सकता है जिसका पिक्सल रेजोल्यूशन १४४० क्स २880 होगा। वहीं, पिक्सेल ३ मे ५.५ इंच का डिस्प्ले साइज दिए जाने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि गूगल की पिक्सल सीरीज में पिक्सेल ३ ज़्ल में अब तक का सबसे बड़ा डिस्प्ले दिए जाने की उम्मीद है। पिक्सेल ३ और पिक्सेल ३ ज़्ल में वायरलेस चार्जिंग सपोर्ट दिए जाने की उम्मीद है। वहीं, दोनों फोन स्नैपड्रैगन ८४५ प्रोसेसर और ४ जीबी रैम से लैस होने की उम्मीद है। ग्राफिक्स के लिए इनमें एड्रेनो 6३० जीपीयू दिया जा सकता है। साथ ही ये दोनों फोन एंड्रॉइड ९.० पाई पर काम करेंगे। चीन की वेबसाइट ज्द.कॉम के मुताबिक, पिक्सेल ३ की कीमत ४९९९ चीनी युआन यानी करीब ५२,8०० रुपये होगी। वहीं, पिक्सेल ३ ज़्ल की कीमत का अभी तक खुलासा नहीं किया गया है। इसके अलावा इस फोन का मुकाबला अक्टूबर महीने में ही लॉन्च होने वाले वनप्लस ६त से हो सकता है। आपको बता दें कि कंपनी ने फिलहाल इस स्मार्टफोन से जुड़ी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। हालांकि, कुछ दिन पहले लीक हुई तस्वीरों और फीचर्स की बात करें तो यह फोन भी वनप्लस ६ की तरह ही क्वालकॉम स्नैपड्रैगन ८४५ प्रोसेसर के साथ आएगा। इसके आलावा इसमें कई और नए फीचर्स भी जोड़े जा सकते हैं। फोन एंड्रॉइड के लेटेस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉइड ९.० पाई के साथ आ सकता है। इसके अलावा फोन के डिस्प्ले फीचर्स की बात करें तो इसमें ८.४५ इंच का फुल स्क्रीन डिस्प्ले दिया जा सकता है। फोन का स्क्रीन एचडी प्लस ऑप्टिक एमोलेड हो सकता है। इसके आलावा इसमें ३.५ एमएम का ऑडियो जैक नहीं दिया जाएगा। फोन में यूएसबी सी टाइप ईयरफोन दिया जा सकता है जो बैटरी की बचत करेगा। इस स्मार्टफोन में इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर भी दिया जा सकता है। फोन के लॉन्च की तारीख के बारे में भी यह अनुमान लगाया जा रहा है कि फोन १७ अक्टूबर की सुबह ११ बजे लॉन्च किया जाएगा। हालांकि, कंपनी की तरह से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
आप तो हिंदी की बजाय बंगला फिल्मों को लेकर ज्यादा व्यस्त हैं? ऐसी कोई बात नहीं है। मैं तो अब भी हिंदी की फिल्में ज्यादा कर रही हूं। बंगला की तो सिर्फ दो फिल्में हैं, जिनमें से एक ऋतु दा (तुपर्णो घोष) की फिल्म की शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी है। इसमें हम दोनों बहनों ने एक साथ काम किया है। आपको आपकी बहन से ज्यादा प्रतिभाशाली माना जाता है? मैं इस मामले में खुशनसीब हूं कि मैंने अब तक जिन फिल्मों में भी काम किया है, उनमें मेरे काम की तारीफ जरूर हुई है। मगर रिया के साथ ऐसा नहीं हुआ और न ही उसे अच्छे मौके ही मिले। वैसे मुझे पूरा यकीन है ऋतु दा की फिल्म में उसका टैलेंट खुल कर सामने आएगा। शायद इस फिल्म में मुझसे ज्यादा उसकी तारीफ होगी। मैं हमेशा उसे अपने आप से एक कदम आगे देखना चाहती हूं। बतौर हीरोइन आप दोनों की ही इमेज बिल्कुल जुदा रही है? यह तो काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस तरह के कैरेक्टर करने को मिल रहे हैं। रिया को शुरू से ही ग्लैमर लुक वाले कैरेक्टर ज्यादा करने को मिले हैं। जिस दिन रिया को कुछ चैलेंजिंग करने का मौका मिलेगा, वो अपने आपको प्रूव करने में पूरी तरह से सक्षम साबित होगी। दो बहनों के बीच का यह आपसी प्यार आज के दौर में बहुत कम देखने को मिलता है? अलग-अलग मूड के होने के बावजूद हम दोनों इतने करीब हैं कि वास्तव में हम एक लगते हैं। हमारी उम्र में सिर्फ एक साल का फर्क है। मैं उससे एक साल बड़ी हूं, मगर वो हमेशा मुझ पर धौंस जमाती रही है। मुझे उसका यह धौंस जमाना हमेशा अच्छा लगा। आपने टैलेंट की बात कही है, फिर भी आप स्टारडम के दौर में इतना पीछे क्यों रह गयीं? सच कहूं तो इसका जवाब मेरे पास बिल्कुल नहीं है। मुझे जो भी काम दिया गया, उसे मैंने हमेशा मन से किया, कोई शर्त नहीं रखी। मेरे काम की तारीफ भी काफी हुई, पर उस हिसाब से मेरे पास फिल्में नहीं आयीं, जैसी मैंने उम्मीद जोड़ रखी थी। क्या फ्लॉप फिल्मों ने आपकी अच्छी परफॉर्मेस को एक दायरे में कैद कर दिया है? इसके लिए आप आर्टिस्ट को तो दोष नहीं दे सकते। मुझे तो यही लगता है कि यहां तो सिर्फ हिट फिल्म की नायिका की कद्र होती है। इस मामले में हिट फिल्मों ने मेरे साथ दगा की है। फिर भी आप मेरे ख्बावों में जो आये.. जैसी नीरस फिल्मों में काम कर लेती हैं? असल में जब तक कोई फिल्म पूरी नहीं हो जाती, उसके स्तर का सही आकलन करना मुश्किल होता है, जबकि हम सभी फिल्म के सब्जेक्ट और अपने रोल को सुन कर उसमें काम करने का मन बनाते हैं। क्या आपने यह फिल्म अपने प्रिय दोस्त रणदीप हुड्डा की वजह से की थी? यदि ऐसा किया भी तो गलत क्या था। हम दोनों ने ही अपना रोल सुन कर काम करने का मन बनाया था। आपकी माइग्रेशन, जैपनीज वाइफ, सनग्लास, मेरीडियन आदि कई फिल्में रीलिज होने का नाम नहीं ले रहीं? इसका जवाब तो इन फिल्मों के प्रोडय़ूसर ही दे सकते हैं।
लखीमपुर खीरी। पसगवां कोतवाली की नगर पंचायत बरवर के मोहल्ला गांधीनगर में चाय बना रही पत्नी और पति के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया। इससे गुस्साए पति ने चाकू से ताबड़तोड़ प्रहार कर गर्भवती पत्नी की हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार कर हत्या में प्रयुक्त चाकू बरामद किया है। शव पोस्टमार्टम को भेजा है। बरवर नगर पंचायत के मोहल्ला गंधीनगर निवासी बबलू पुत्र बद्रीप्रसाद की पत्नी रेनू देवी (३५) सोमवार की सुबह चाय बना रही थी। उसी समय किसी बात को लेकर पति से विवाद हो गया। इससे नाराज बबलू ने पत्नी पर चाकू से हमला कर दिया, जिससे उसकी मौके पर मौत हो गयी। मृतका के चाचा रामनरेश ने बताया की रेनू ६ माह की गर्भवती थी। हत्या करने के बाद बबलू मौके से फरार हो गया। घटना की सूचना स्थानीय चौकी पुलिस को सुबह सात बजे मिली। पुलिस ने गांव से ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पति बबलू ने पुलिस को बताया कि उसे पत्नी के चरित्र पर शक था। इसी को लेकर आपस मे आये दिन विवाद होता था। मृतका रेनू देवी के तीन बच्चे बादल (६), रक्षा देवी (५) और आयुष (३) है। मृतका के पिता खुसीराम निवासी कचनार कोतवाली मोहम्मदी ने घटना की तहरीर पुलिस को दी है। पुलिस ने तहरीर के आधार पर बबलू के विरुद्ध हत्या का केस दर्ज कर लिया। शव पोस्ट मार्टम के लिए जिला मुख्यालय भेजा है। रेनू देवी की मौत के बाद उसके बच्चों का रो रो कर बुरा हाल है। मृतका के पिता खुशीराम तीनों बच्चों को अपने साथ ननिहाल ले आए हैं।
एमिनो एसिड सबसे बुनियादी पदार्थ हैं जो जीवों में प्रोटीन बनाते हैं और जीवन की गतिविधियों से संबंधित होते हैं, और जीवों में प्रोटीन अणुओं की मूल इकाइयां हैं, जो अमीनो एसिड हैं जो जीवों की जीवन क्रियाओं से निकटता से संबंधित हैं। यह एंटीबॉडी में विशेष शारीरिक समारोह है और जीव में अपरिहार्य पोषक तत्वों में से एक है। एमिनो एसिड उर्वरक संयंत्र की अमीनो एसिड पर आधारित हैं, इसकी विशाल सतह गतिविधि और अवशोषण क्षमता, पोषक तत्वों (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, लोहा, एमिनो एसिड तांबे, मैंगनीज, जस्ता, एल्यूमीनियम, बोरान, इत्यादि) का उपयोग करके जो आवश्यक हैं मानव पौधों के विकास और विकास को जोड़ दिया जाता है, और कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिकों को इसके अतिरिक्त और जटिलता द्वारा गठित किया जाता है। यह उर्वरक केवल बहुत सी तत्वों को धीमी गति से रिलीज और पूर्ण उपयोग नहीं रख सकता, बल्कि ट्रेस तत्वों की स्थिरता और दीर्घकालिक प्रभाव को भी सुनिश्चित कर सकता है। पौधों के श्वसन को बढ़ाने, पौधे की रेडॉक्स की प्रक्रिया में सुधार और पौधों के चयापचय को बढ़ावा देने का इसका अच्छा प्रभाव है। एमिनो एसिड यह प्रकाश संश्लेषण और क्लोरोफिल के गठन और ऑक्साइड की गतिविधि, एंजाइम की गतिविधि, बीज का अंकुरण, पोषक तत्वों का अवशोषण, और जड़ के विकास और विकास के रूप में शारीरिक और जैव रासायनिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा दे सकती है, स्पष्ट रूप से बढ़ावा देने और सक्रिय करने के प्रभाव । विशेष रूप से, पौधों के साथ इसकी आत्मीयता किसी भी अन्य पदार्थ के बराबर नहीं होती है। एमिनो एसिड उर्वरक की प्रभावकारीता ने जैविक उर्वरक का दीर्घकालिक प्रभाव, उर्वरक की त्वरित अभिनय, जैव-उर्वरक की स्थिरता और सूक्ष्म उर्वरक की दक्षता निर्धारित की। यह पत्र मुख्य रूप से इस उर्वरक में कृषि में एमिनो एसिड के आवेदन पर चर्चा करता है। मिट्टी का ढेर मिट्टी संरचना की मूल इकाई है। अमीनो एसिड का उपयोग, मिट्टी के नमक को बहुत अधिक, क्षारीय भी मजबूत, मृदा कण की ऊंचाई फैलाव, मिट्टी संरचनात्मक अंतर के भौतिक और रासायनिक पात्रों को बदल सकता है, मिट्टी का ढेर बनाने के लिए अमीनो एसिड, अमीनो एसिड को मिट्टी के बल्क को लागू करने के बाद बढ़ावा देता है घनत्व में स्पष्ट रूप से कमी आई है, कुल सरंध्रता और जल धारण क्षमता में वृद्धि हुई है, जिससे मृदा जल संरक्षण और निषेचन की क्षमता में सुधार करने में मदद मिली है, इस प्रकार पौधे की जड़ विकास और विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा कर रही हैं। मृदा सूक्ष्मजीव मिट्टी की संरचना में महत्वपूर्ण कारकों में से एक है, मिट्टी के कार्बनिक और अकार्बनिक गुणवत्ता का परिवर्तन, पोषक तत्वों का साइकलिंग और पौधों की जीवन गतिविधि की प्रक्रिया में एंजाइमों का गठन। अमीनो एसिड मिट्टी की सूक्ष्मजीव गतिविधियों को बढ़ावा दे सकती है, मिट्टी की सूक्ष्मजीवों की संख्या में वृद्धि, मिट्टी की एंजाइम गतिविधि बढ़ा सकती है, बड़ी संख्या में घरेलू और विदेशी अनुसंधान के आंकड़ों ने पुष्टि की है कि अमीनो एसिड का प्रयोग एरोबिक बैक्टीरिया, एक्टिनोमायसीट्स, फाइबर की संख्या में विघटन बैक्टीरिया में वृद्धि हुई यह कार्बनिक पदार्थों के खनिज को गति देने और पोषक तत्वों के तत्वों को जारी करने के लिए लाभप्रद है। रासायनिक उद्योग के तेजी से विकास के साथ, रासायनिक उर्वरकों के उत्पादन और आवेदन मात्रा में वृद्धि हो रही है, और रासायनिक उर्वरकों के आवेदन ने कृषि उत्पादन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन उर्वरक आवेदन की वृद्धि जैसे समस्याओं निवेश की लागत और उर्वरक उपयोग की कमी भी धीरे-धीरे प्रतिबिंबित होती है।
रहाणे की जगह रोहित को टीम में शामिल किए जाने पर कप्तान विराट ने ये सफाई दी है । केपटाउन टेस्ट के बाद भारतीय टीम के चयन पर सवाल उठने लगे अहम तौर पर अजिंक्य रहाणे को टीम में जगह नहीं मिली तथा रोहित शर्मा को आखिरी ११ में शामिल किया गया। रोहित शर्मा ने श्रीलंका के खिलाफ पिछले तीन टेस्ट मैचों में अच्छी बल्लेबाजी की थी और बहुत रन बनाए थे। विराट ने रोहित को टीम में चुने जाने पर कहा है कि रोहित की मौजूदा फॉर्म को देखते हुए उन्हें टीम में शामिल किया गया। हमने टीम में खिलाड़ियों की मौजूदा फॉर्म को देखते हुए उन्हें अंतिम ग्यारह में शामिल किया। विराट ने कहा कि हमने अच्छे फॉर्म में चल रहे खिलाड़ियों के साथ मैदान पर उतरने का फैसला किया था। इस दौरे से चार वर्ष पहले जब भारतीय टीम द. अफ्रीका आई थी उस वक्त रहाणे ने टेस्ट सीरीज में अच्छी बल्लेबाजी की थी और भारत की तरफ से सीरीज में रन बनाने के मामले में तीसरे नंबर पर थे।
मुझे उम्मीद है आप सब कुशल मंगल और खुश है। सबसे पहले में मेरे प्यारे पाठकों से माफी चाहता हूँ कि पिछले दो सप्ताह से ज्यादा समय से मैं आप लोगों से दूर रहा। इसके पीछे ट्रेनिंग्स का मेरा बसी स्केजूल मुख्य कारण है। आज की कहानी एक ऐसी महिला मॉडल क बारे में है जिसने दुनिया के नजरिये को नकारा और फिर उसे बदला भी दिया। एक बार अमेरिका में उबेर टैक्सी में सफ़र कर रही बेहद काली महिला (ब्लैक वोमेन) को देखते हुए टैक्सी चला रहे गोरे ने पूछा, अगर तुम्हे कोई $१०,००० (लगभग ६,५०,०००) दे तो क्या तुम अपनी चमड़ी को ब्लीच करवा कर इसे अच्छा बनाना चाहोगी? महिला ने मुस्कान भरते हुए उत्तर दिया, कभी नहीं क्यूंकि मेरी चमड़ी का रंग मेरे लिए भगवान् का एक आशीर्वाद है। इस घटना के बाद से आज वह एक बड़ी पब्लिक फिगर, खूबसूरती का एक इकन तथा महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई। न्याकीम गट्वेच का जन्म एथियोपिआ में हुआ और शुरूआती बचपन साउथ सुडान में गुजरा। चूँकि न्याकीम का बचपन अफ़्रीकी देशों में गुजरा था तो उसे कभी कोई ज्यादा बड़ी परेशानी नहीं उठानी पड़ी थी। क्यूंकि अफ्रीका के देशों में सभी लोगों का रंग सांवला होता था। हालाँकि सभी लोग उस से कम सांवले थे फिर भी समाज में उसे आसानी से अपना लिया जाता रहा था। परेशानी तब शुरू हुई जब १४ वर्ष की उम्र में उसके माता पिता सन २००७ में उसे अमेरिका ले गए और वहां नव यॉर्क के बफेलो शहर में रहने लगे। सबसे पहली परेशानी उसे स्कूल में झेलनी पड़ी जहाँ सभी बच्चे उसे घूर-घूर कर देखा करते थे। बच्चे उसके काले चहरे के बीचोबीच चमक रहे उसके दांतों का मजाक उड़ाते थे। सभी बच्चे उसे से दूर भागते थे। यहाँ तक की लंच तथा क्लास रूम में भी कोई उसके साथ बैठना पसंद नहीं करता था। कुछ बच्चे तो उसे छुकर भाग जाते थे। उसकी पीठ पीछे से जोर में कहते थे की देखो ये कितनी गन्दी है। कुछ बच्चे उसे कहते थे की तुम बन्दर लगती हो। इस सब से परेशां होकर वह अपनी माँ की गोदी में रोटी और पूछती कि आखिर स्कूल में सब उसे गन्दा क्यूँ कहते हैं। उसकी बड़ी बहन ने उसे समझाया कि उसे ब्लीच कर लेना चाहिए ताकि वह भी अपनी बड़ी बहन की तरह अच्छी दिखना शुरू हो जाये जिसने अमेरिका आते ही अपने शारीर को ब्लीच करवा दिया था। कुछ वर्ष तक यह सिलसिला चलता रहा जिसका असर ये हो रहा था की वह अपने आत्मविश्वास खोता जा रही थी और गुमसुम और अकेला रहना शुरू कर चुकी थी। उसके कोई दोस्त भी नहीं थे क्यूंकि वह अपने आप पास के बचों द्वारा अपनाई नहीं जाती थी। कुछ साल बाद न्याकीम और उसका परिवार बफेलो से मिनेसोटा चला गया। वहां जिस स्कूल में उसने पढना शुरू किया वहां काफी अफ्रीकन लोग रहते थे। हालाँकि वहां पर भी सभी लोगों का रंग उसके मुकाबले काफी हल्का था मगर फिर भी वहां उसका मजाक नहीं उदय जाता था। इस नै जगह और नए स्कूल में उसने ऐसे दोस्त बनाने शुरू किये जो उसका मजाक न उड़ाते हों। उसने सिर्फ ऐसे लोगों के साथ रहना और दोस्ती करना शुरू किया जो उसे जैसे के तैसे ही अपनाना चाहते हों। इसके बाद उसने अपने आप को समझाना शुरू किया कि वह जैसी भी वह अपने आप में खुबसूरत है और किसी भी कीमत पर ज्यादा लोगों में अपनाये जाने के लिए अपने आप के रंग को बदलने की कोशिश नहीं करेगी। वह हर रोज आईने के सामने खड़ी होई और अपने आप को देखते हुए कहती तुम बहुत खुबसूरत हो, तुम्हे इस तरह के खुबसूरत रूप में इश्वर ने किसी खास वजह से बनाया है। एक दिन इस नए स्कूल में अफ्रीकन्स के लिए फशन शो आयोजित किया गया। उसकी एक टीचर ने उसे भी उस शो में हिस्सा लाइन के लिए कहा। मगर न्याकीम ने यह कह कर बात को टालना चाह कि वो न तो वह कोई मॉडल है और वह नहीं चाहती कि लोगों के सामने जाए और लोग उसे उसके रंग के बाते करना शुरू करे। उसने कहा कि बड़ी मुश्किल से उसने अपना आत्मविशवास वापिस पाया है और मुश्किल से अपने आप से प्यार करने लगी है। टीचर ने उस से कहा कि वह सच में खुबसूरत है और एक ख़ास ड्रेस है जो उसे पहन लेनी चाहिए। न्याकीम ने उस शो में हिस्सा लिया और हिसा लेने के बाद बहुत खुश भी थी। उस शो के बाद उसे ये महसूस हुआ कि वह मॉडल बन सकती है क्यूंकि वह इस शो को एंजॉय कर रही थी। उसके कुछ दिनों बाद एक लोकल फोटोग्राफर से फोटो शूट करवाया गया। जिसमे से कुछ तस्वीरों को उस ने अपने इंस्टाग्रम पर उपलोड कर दिया। कुछ की सप्ताह में वो फोट्ग्राफ अमेरिका, अफ्रीका और अन्य देशों के सोशल मीडिया में छा गए। लोगों ने उसके नेचुरल बने रहने, अपने आपको पसंद करने और अपने आप से प्यार करने के लिए उसे सराहा और फॉलो करना शुरू कर दिया। तब से न्याकीम गेटऊच ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। विश्वभर में आज वह एक विराल सेन्सशन बन गई है। ऐसा कोई अखबार या मेगइन या कोई लाइफेशैली शो नहीं जिसने इस खुबसूरत मॉडल को जगन न दी हो। दोस्तों, न्याकीम गट्वेच की कहानी से समझा जा सकता है कि इस विश्व में आप के लिए सबसे महत्वपूरण अगर कोई है तो वह आप सवयं हैं। अगर आप अपने आप को पसंद नहीं करेंगे तो यकीं मानिये दुनिया में दूसरा भी कोई नहीं करेगा। आप को भगवान ने इस विशेष रूप में किसी विशेष कारण से भेजा है।अगर आप अपने आप को सिर्फ इसलिए बदलना चाहते हैं ताकि आपको आस-पास के लोग अपनाएं जा तो इस से बड़ी कष्टदायक मनोवृति दूसरी और कोई नहीं हो सकती है। अगर आप ध्यान से सोचें तो समझ सकते हैं कि लोगों की इसी मेंटालिटी (दूसरों की तरह दिखने की चाहत) का फायदा उठा कर न जाने कितने ही लोग आज अरबोंपति बन गए हैं। विश्व की पूरी की पूरी कॉस्मेटिक इंडस्ट्री तथा गरमेंट इंडस्ट्री लोगों की इसी चाहत के ऊपर निर्भर है। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आप अपने में कोई बदलाव न करें या फिर जीवन को बेहतर न बनायें। मेरा मानना तो सिर्फ इतना है किसी की देखा-देखी में अपने आप को न बदलें। आपकी अपनी एक इडेन्टाइटी है या पहचान है। इस पहचान से प्यार करना सीखे, इसे बनाकर रखें। दूसरों की देखा-देखि में इसे नष्ट न करें। सिर्फ इसलिए अपने आप को न बदलें क्यूंकि दुनिया आपको आपके नेचुरल इडेन्टाइटी के लिए एक्सेप्ट नहीं करती है।
समाजवादी कुनबे में ये सिंहासन पर कब्ज़े की लड़ाई है, टीपू ही सुल्तान होगा। बात पार्टी की आगे की रणनीति पर ही हो रही थी। लेकिन बातचीत में ही मुलामय सिंह के संबंधी ने कहा कि २०१७ के चुनाव में मुलायम की चुनौती शिवपाल होंगे। सालों पहले एक स्टोरी के सिलसिले में मुलायम सिंह के संबंधी के साथ बैठा था। बातचीत चल रही थी। पार्टी जीत कर सत्ता में आई थी। लिहाज़ा बात पार्टी की आगे की रणनीति पर ही हो रही थी। लेकिन बातचीत में ही मुलामय सिंह के संबंधी ने कहा कि २०१७ के चुनाव में मुलायम की चुनौती शिवपाल होंगे। अजीब सी बात लगी। और लगा कि शायद उनकी अपनी राजनीति का गणित शिवपाल के गणित से टकरा रहा है शायद इसी लिए ये कहा होगा। लेकिन बात गहरी थी। बात आयी-गयी हो गई। लेकिन जैसे ही अखिलेश और शिवपाल का झगड़ा शुरू हुआ तो लगा कि सालों पहले से ये प्लान मुलायम सिंह के दिमाग में साफ़ था। भाई और लड़के के भविष्य के बीच चुनाव करना है तो हिंदुस्तानी राजनीति और हिंदु्स्तानियों की परंपरा बेटे को ही चुनती है। भले ही भाई की कुर्बानी की तारीफ में नेताजी की ज़ुबान में कितने ही छाले पड़ जाएं। इस बार की सरकार में शिवपाल के लोग काफी थे। ऐसे तमाम विधायक थे जो शिवपाल के इशारे पर इस्तीफा दे भले नहीं लेकिन लंका लगा सकते थे। लिहाजा मुलायम अपने बेटे को समय समय पर भभकियां दे कर लोगों को और उससे भी ज्यादा अपने भाई को बहलाते रहे। सरकार के बीच में टूट जाने से बहुत से लोग शिवपाल के पाले में भी खड़े हो सकते थे। लिहाजा चार साल राम राम करते हुए गुजर गए। मंथराओं से भरे हुए सत्ता तंत्र में षड़यंत्र तो दिमाग तेज करने के काम आते है। लिहाजा षड़यंत्र बुने जाते रहे और लोग आते जाते रहे। मोहरे बदलते रहे और बिसात पर खेलने वाले पिता-पुत्र ही रहे। मुलायम सिंह की जमीनी समझ पर शायद ही किसी को ऐतराज हो। और पाला बदलने की उनकी योग्यता पहलावानी के अखाड़ों से उपजी हुई है। ऐसे में जब चुनाव नजदीक आ गए तो शिवपाल का पहाड़ा पढ़ने का समय भी आ गया। नेताजी की बिगड़ती हुई सेहत इस बात की ओर इशारा कर रही थी कि जल्दी ही अखिलेश का रास्ता निष्कंटक करना होगा नहीं तो चुनाव के बाद संकट शुरू हो सकता है। सरकार को बनाने के लिए विधायकों को जीताना होता है। और विधायकों को जीताने से पहले अपने आदमियों को टिकट देना होता है। टिकट बांटने का अधिकार किसी भी तरह से साझा करना सत्ता में साझा करना होता है। और मुलायम सिंह इसको किसी के साथ साझा नहीं करना चाहते थे। लिहाजा ये पूरा नाटक तैयार किया गया। शिवपाल जमीन पर मजबूत आदमी है। जातिवादी कबीलाई मानसिकता का जीता जागता रूप। अपने आदमी के लिए आखिरी तक लड़ने की मुलायम सिंह की आदत के एक दम अनुरूप। भाई के लिए परछाईयों से भी लड़ जाने वाले शिवपाल में सब कुछ सही था बस इतिहास उनके खिलाफ आ गया। इतिहास गवाह है कि ज्यादातर मौकों पर सत्ता बेटों को दी जाती है भाईयों को नहीं। और यही कारण है कि जातिवादी राजनीति के मसीहा और मुस्लिम यादव एकता के नायक मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल सिंह को धता बता दी। अब टिकट बंटवारे के वक्त अगर शिवपाल बगावत भी करते है तो उनकी आदत खराब बता कर उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएंगा। ये सारा खेल मुलायम सिंह का था और शिवपाल मुलायम की भाषा समझने में सबसे एक्सपर्ट होने के बावजूद दांव खा गए।
दुनिया रफ्ता रफ्ता विकास और विकास शीलता के नाम पर विनाश की ओर बढ़ रही है ,विकास के बाद शान्ति का इमकान होना चाहिए लेकिन जितने भी विकासशील देश हैं वहां से अशांति व हथ्यारों की खरीद ो फरोख्त की आवाज़ें सुनाई देती हैं ।दुनिया के सभी देश मिसाइल और हथ्यारो के नए नए प्रयोग कररहे हैं ।हथयारों के बड़े खरीदारों और बेचने वालों को विकसित देश माना जा रहा है जबकि हथयारों का अंत विनाश है ।कैसी विडम्बना है,इजराइल और अमेरिका दुनिया के बड़े देश हैं जो दुनिया को हथ्यार बेचने का काम करते हैं ,हालांकि नार्थ कोरिया ने अमेरिका पर तंज़ कस्ते हुए उसकी सालगृह पर कोरियाई मिसाइल गिफ्ट करने की बात कही है जिसको अमेरिका और नार्थ कोरिया के बीच जंग के आसार भी कहा जारहा है। इजराइल और अमेरिका दोनों देशों का मुख्य कारोबार हथ्यार पर आधारित है , और हथ्यार अम्न के माहौल में नहीं जंग के माहौल में ही प्रयोग किये जाते हैं ,जिस तरह दवा बनाने वाली कम्पनियांम बीमारियों का इंतज़ार करती हैं बल्कि बीमारियां फैलाती हैं इसी तरह हथयारों की कंपनियां जंगों का इंतज़ार करती हैं या जंग का माहौल बनाती हैं । दुनिया वैचारिक आधारों पर पांच हिस्सों में बंटने जा रही है और किसी हद तक बट भी गयी है ,इस्लामिक दुनिया , यहूदी दुनिया , ईसाई दुनिया , बौद्ध,और कम्मुनिस्ट दुनिया ।फ़िलहाल बौद्ध इस्लाम से रिश्ते बनाये हुए है हालांकि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानो के क़त्ल इ आम को इससे अलग रखकर देखा जारहा है और इसको वयवसायिक जंग के रूप में देखा जारहा है या शहरी अधिकारों के बटवारे की जंग भी कहा जारहा है ।दुसरे यहूद और मुशरिक दुनिया (मूर्ती पूजक ) और आतिश परस्त (आग के पुजारी) आपस में ताल मेल बनाये हुए हैं , ईसाईयों के साथ फिलहाल यहूदी हैं क्योंकि उनके छोटे दुश्मन मुस्लिम वर्ल्ड से उनको निमटना है,मगर वास्तव में यहूद और ईसाई आपस में बड़े दुश्मन हैं जिसके तारीखी दस्तावेज़ मौजूद हैं ।कम्युनिस्ट वर्ल्ड फिलहाल कमज़ोर है वैचारिक रूप से हालांकि चीन में बौद्ध के अनुयायी जनता ज़्यादा मौजूद हैं ,मगर सत्ता पर क़ाबिज़ कम्युनिस्ट लॉबी है ।विश्व भर में एक बात कॉमन पाई जा रही है सत्ता में बैठे लोगों के वहाँ की जनता खिलाफ होरही है फिलहाल यह बात मुस्लिम वर्ल्ड में ज़्यादा पाई जा रही है और रफ्ता रफ्ता दुनिया में देखने को मिल रही है ।
पेइचिंग। चीन में एक एयर होस्टेस को उड़ान के दौरान शादी का प्रस्ताव स्वीकारना महंगा पड़ गया। विमानन कंपनी ने एयर होस्टेज को नौकरी से निकाल दिया। चाइना ईस्टर्न एयरलाइन्स में सफर कर रहे एयर होस्टेस के बॉयफ्रेंड ने घुटनों के बल बैठकर शादी का प्रस्ताव रखा और एयर होस्टेज इस प्रस्ताव को अस्वीकार नहीं कर पाई। खबर सामने आने के बाद विमानन कंपनी ने एयर होस्टेस को १० सितंबर को नौकरी से निकाल दिया। एशिया वन की रिपोर्ट के मुताबिक, विमान के उड़ान भरने के ३० मिनट बाद ही बॉयफ्रेंड उनके सामने आ खड़ा हुआ और घुटने के बल बैठकर उन्हें प्रपोज किया। इससे संबंधित विडियो वायरल हो रहा है। कंपनी ने एयर होस्टेस को निकाले जाने पर दलील दी है कि काम के दौरान रोमांस से यात्रियों में खलबली मच गई और यह सुरक्षा को लेकर बेहद गैर जिम्मेदाराना व्यवहार है।
जिला कांगड़ा से सरकारी कार्यालयों को मंडी शिफ्ट कर प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार सबसे बड़े जिला के साथ विकास में भेदभाव कर रही है। महिलाओं ने जागोरी संस्था की कार्यकर्ता सोनिका के नेतृत्व में एसडीओ आइपीएच विभाग शाहपुर के दफ्तर का घेराव किया और उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत करवाया। जिला सिरमौर में चालू वित वर्ष के दौरान पेयजल सचाई बाढ़ नियंत्रण और हैंड पंप स्थापित करने पर ४५ करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान किया गया है। जाहू पंचायत की दोनों पेयजल योजनाओं का सचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने निरीक्षरण करके स्थिति का जायजा लिया है और योजनाओं की मशीनरी, पाइप लाइन व नलों का विवरण जुटाया है। इससे लंबे समय से योजनाओं के सरकारीकरण की मांग पूरा होने की पंचायत वासियों को उम्मीद बंधी है। हमीरपुर जिला के भोरंज उपमंडल की जाहू पंचायत प्रदेश में ऐसी पहली पंचायत है कि जोकि ग्रामीणों को दो पेयजल योजनाओं जाहू उठाऊ पेयजल योजना एक व उठाऊ पेयजल योजना दो हौड़ के माध्यम अपने स्तर पर लंबे समय से पेयजल मुहैया करवा रही है। पानी व्यर्थ गंवाने पर उपभोक्ता का पेयजल कनेक्शन काटा जाएगा। जिला कुल्लू के आइपीएच आनी मंडल के तहत निथर उपमंडल में जहां पूरा क्षेत्र में पेयजल संकट छाया हुआ है वहीं दुराह स्थित भवन खंडहर में बदल चुका है। दैनिक जागरण के मंडी कार्यालय में हेलो जागरण कार्यक्रम में सैकड़ों लोगों ने आइपीएच अधिकारियों को पानी की समस्या बताई। नयनादेवी के विधायक एवं पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर ने सूखे से प्रभावित इलाकों की रिपोर्ट तलब की।
भुवनेश्वर। हॉकी वल्र्ड लीग फाइनल्स के सेमीफाइनल में भारतीय पुरुष हॉकी टीम का सामना आज (शुक्रवार) शीर्ष विश्व वरीयता प्राप्त अर्जेंटीना से होगा। विश्व रैंकिंग में छठे स्थान पर काबिज भारतीय टीम और अर्जेंटीना दोनों ही टीमें फाइनल में पहुंचने के लिए जीत का भरसक प्रयास करेंगी। उल्लेखनीय है कि दोनों ही टीमें अब तक इस खिताब से वंचित हैं। रायपुर में २०१४-१५ में भारत को इस लीग में तीसरा स्थान हासिल हुआ था। उसने नीदरलैंड्स को तीसरे स्थान के लिए खेले गए मैच में ५-५ से ड्रॉ के बाद पेनाल्टी शूटआउट में ३-२ से मात दी थी। अर्जेंटीना ने अभी तक इस टूर्नामेंट में खिताबी जीत हासिल नहीं की है और न ही वह दूसरा या तीसरा स्थान हासिल कर पाया है। लीग में अब तक के प्रदर्शन को देखा जाए, तो पूल-ए में शामिल अर्जेंटीना को पहले मैच में बेल्जियम से ३-२ से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इसके बाद उसने २01२-1३ की खिताबी विजेता रही नीदरलैंड्स के साथ मैच ३-३ से ड्रॉ किया। स्पेन ने इसके बाद तीसरे मैच में अर्जेंटीना को २-१ से मात दी थी, लेकिन अपनी कोशिशों को जारी रखते हुए अर्जेंटीना ने क्वार्टर फाइनल में २0१२-१३ में तीसरे स्थान पर रही इंग्लैंड को ३-२ से हराया और सेमीफाइनल की राह तय की। पूल-बी में शामिल भारत का अब तक का सफर इस लीग में उतार-चढ़ाव से भरा रहा। आस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत का मैच १-१ से ड्रॉ रहा। हालांकि, दूसरे मैच में उसे इंग्लैंड से २-३ स हार का सामना करना पड़ा।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में हुई हिंसा में एक इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या हो गई। कथित तौर पर सोमवार को गोकशी का विरोध करने वाली एक भीड़ ने इंस्पेक्टर सुबोध की जान ले ली, जिससे शहर में तनाव का माहौल बना हुआ है। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ५० लाख रुपए और सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है। सीएम योगी ने इस पूरी घटना पर आपत्ति जताते हुए शोक प्रकट किया। इसके साथ ही उन्होंने सुबोध के माता-पिता को १० लाख और पत्नी को ४० लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की बात कही। इसके अलावा उन्होंने सुबोध के परिवार को आवास पेंशन और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी घोषणा कर दी। मंगलवार सुबह १० बजे के करीब सुबोध कुमार की श्रद्धांजलि सभा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि बुलंदशहर जिले के एक गांव में गन्ने के खेत में बड़े पैमाने पर गोकशी के अवशेष मिलने से हिंदू संगठनों में आक्रोश फूट गया। आक्रोशित भीड़ और पुलिस के बीच हुई झड़प में गोली लगने से स्याना थाने के इंस्पेक्टर सहित फायरिंग में घायल युवक की मौत हो गई।
दानापुर : भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभावों से हर कोई चिंतित है, जहां सरकार ने भी संदेश जारी किए हैं और लॉकडाउन में सावधानी बरतने के लिए कहा है। दूसरी ओर, ईद-उल-अधा १ अगस्त को मनाया जाना है। ख़ान्क़ाह सजजादिया अबुल उलाइया दानापुर पटना के साजजादा नशीन हज़रत हाजी सैयद शाह सैफ़ुल्लाह अबुल उलाई ने मुसलमानों से ईद-उल-अधा के बजाय अपने घरों में नफ़्ल की नमाज़ अदा करने और अल्लाह से रहम की दुआ करने की अपील की है। शाह साहब ने आगे कहा कि कुर्बानी हर सहेबे न्साब पर अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि इसके बदले रुपया पैसा नहीं दिया जाता। ऐसा करने से कुर्बानी का इनआम नहीं मिलेगा बल्कि गुनाह होगा। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, इसलिए कुर्बानी एक खास जगह पर करें, यदि आप कर सकते हैं तो जरूरतमंदों की मदद करें और मुसीबत के इस समय में उनकी मदद करें, एहतियाती उपाय करें, इस्लामिक निषेधाज्ञा का सख्ती से पालन करें, अपने घरों में दिन में पांच बार नमाज़ जमात से पढ़े। हर समय वजु बना कर रहें, हज़रत इब्राहिम की सुन्नत का एहत्माम करें और उनके सब्र और यक़ीन को याद करके सबक सीखें और अपनी गलती के लिए अल्लाह से मगफ्रत चाहे। स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें, स्वच्छ और पारदर्शी रहें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें।
मैं हाल ही में काफी भाग्यशाली था जो मार्सिले के पास फ्रांस के दक्षिण में वाइन-चखने के लिए गया था। जो कोई भी कभी नहीं रहा है, मैं आपको दृढ़ता से जाने के लिए प्रोत्साहित करता हूं, आंशिक रूप से क्योंकि शराब बिल्कुल स्वादिष्ट है, और आंशिक रूप से क्योंकि दृश्य गंभीर रूप से सुंदर है। लेकिन आश्चर्यजनक स्वादिष्ट मदिरा के बीच, थोड़ा खट्टा नोट था। जब हम पहली वाइनरी के पास पहुँचे, उससे ठीक पहले हमने अपना पहला मनोरम पुआल रंग का मिश्रण आजमाया, तो हमें बताया गया कि ये वाइन अतिरिक्त अच्छी थीं। न केवल वे २५-वर्षीय दाखलताओं से बने थे - जाहिरा तौर पर शराब अंगूर के लिए एक सभ्य उम्र - लेकिन वे कुछ दूर, बेहतर थे। वे जैविक थे। न केवल इसका मतलब यह था कि हम वाइन पी रहे थे जो ग्रह के लिए अच्छा था, हम वाइन भी पी रहे थे जो हमारे लिए अच्छा था। आप देखते हैं, विंटनर ने कहा, ऑर्गेनिक वाइन में वे सभी गंदे रसायन नहीं होते हैं जो ज्यादातर वाइन करते हैं। और रसायनों से मुक्त होने के नाते, न केवल एक गिलास आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है - पीने के खतरों के बारे में उन तथाकथित स्वास्थ्य पेशेवरों से चेतावनी के बावजूद - लेकिन यह शराब इतनी अच्छी थी कि यह आपको सिरदर्द भी नहीं देगा। हैंगओवर भी नहीं! अगर यह सच होने के लिए बहुत अच्छा लगता है, तो, इसके लिए एक अच्छा कारण है। यह कथन शुरू हुआ - जैसा कि ऑर्गेनिक्स के बारे में सभी तर्क करते हैं - इस विचार के साथ कि ऑर्गेनिक्स के बारे में आंतरिक रूप से कुछ अलग है। ऐसा नहीं है कि वे साफ-सुथरे हैं, ठीक है, लेकिन यह है कि जैविक भोजन उगाने वाले किसान उन सभी रासायनिक रसायनों का उपयोग नहीं करते हैं, जिन्हें हम सभी जानते हैं कि वे आधुनिक खेती के ब्रेड-एंड-बटर हैं। यह उन्हें न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि आपके और मेरे लिए सुरक्षित बनाता है। यह पूरा विचार दो धारणाओं पर आधारित है। पहला यह है कि आधुनिक खेती हमारे स्वास्थ्य के लिए खराब है, क्योंकि इसमें ऐसे रसायनों का उपयोग किया गया है जो नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव का कारण बन सकते हैं। जबकि यह आंशिक रूप से सच है - कीटनाशकों का उच्च स्तर मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है - यह इस तथ्य की अनदेखी करता है कि मनुष्यों द्वारा उपभोग किए गए खाद्य पदार्थों में शेष कीटनाशकों का नगण्य स्तर सुरक्षित होने के लिए प्रदर्शित किया गया है। यह धारणा इस विचार में खेलती है कि निर्मित उत्पाद डरावने और बुरे हैं, और यह कि प्राकृतिक चीजें अच्छी होनी चाहिए, इस तथ्य की अनदेखी करते हुए कि प्राकृतिक चीजों में सांप का जहर और महान सफेद शार्क शामिल हैं और निर्मित चीजों में तले हुए अंडे और चॉकलेट केक शामिल हैं। दूसरी धारणा यह है कि जैविक खाद्य पदार्थों में कोई कीटनाशक नहीं होता है, और इसलिए वे परंपरागत रूप से खेती वाले सामानों से बेहतर होते हैं। यह स्पष्ट रूप से असत्य है। अधिकांश जैविक खेत कीटनाशकों का उदारतापूर्वक उपयोग करते हैं। कीटनाशकों की उत्पत्ति में एकमात्र अंतर है: यदि वे 'प्राकृतिक' स्रोतों से आते हैं, तो एक खेत को जैविक प्रमाणित किया जा सकता है और फिर भी उनका उपयोग किया जा सकता है। फिर, यह अनदेखा करता है कि मानव स्वास्थ्य के लिए 'प्राकृतिक' उत्पाद कितने हानिकारक हो सकते हैं। और जब हम कार्बनिक खाद्य पदार्थों के स्वास्थ्य लाभों को देखते हैं, तो, कोई भी नहीं है। मैंने अभी जिस अध्ययन का हवाला दिया, वह लगभग १००,००० अध्ययनों की एक व्यवस्थित समीक्षा है, और साहित्य के उस विशाल संग्रह में वैज्ञानिकों को ऑर्गेनिक्स के बारे में एक भी स्वास्थ्य दावा नहीं मिला जो वास्तव में विज्ञान द्वारा अच्छी तरह से समर्थित था। तो, जैविक शराब के स्वस्थ होने का आधार - कि यह खराब रसायनों से बचा जाता है - बस गलत है। लोग अभी भी क्यों कहते हैं कि यह है? वाइन के बारे में बहुत सारे 'ऑर्गेनिक' तर्क एक आम तौर पर जोड़े गए प्रिजर्वेटिव वर्ग में आते हैं जिसे सल्फाइट्स कहा जाता है। इस वर्ग में कई रसायन शामिल हैं जो शराब में बैक्टीरिया के विकास को रोकने में मदद करते हैं और इसे लंबे समय तक ताजा रखते हैं। एक बहुत ही सामान्य दावा है कि शराब के कारण होने वाले सिरदर्द सल्फाइट्स के कारण होते हैं। यह विचार है कि बहुत से लोगों को सल्फाइट्स से निम्न स्तर की एलर्जी होती है और उन्हें मदिरा में शामिल करना माइग्रेन का प्रमुख कारण है जो कुछ लोगों को पीने के बाद होता है। चूंकि कई जैविक मदिरा अपने उत्पादों में सल्फाइट नहीं जोड़ते हैं, इसलिए विचार यह है कि वे आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं और उन्हें पीने के बाद आपको सिरदर्द नहीं होगा। बेशक, यह पूरी तरह से शराब पीने के मुख्य आकर्षणों में से एक को अनदेखा करता है: शराब। जब तक सल्फाइट एलर्जी अज्ञात नहीं होती है - यह अनुमान लगाया जाता है कि लगभग १% आबादी में सल्फाइट एलर्जी के कुछ रूप हैं - शराब सिर दर्द और मतली सहित किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या का कारण बनने के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है। यह इस तथ्य को भी नजरअंदाज करता है कि कई खाद्य उत्पादों में वाइन की तुलना में सल्फाइट्स के उच्च स्तर होते हैं। यदि आपके पास सूखे फल की प्रतिक्रिया नहीं है, जिसमें लगभग १०क्स सल्फाइट होता है, जो अधिकांश वाइन के रूप में होता है, तो आपको शायद वाइन में सल्फाइट के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। मूल रूप से, वाइन में सल्फाइट्स स्वास्थ्य के मुद्दों का कारण बनने की संभावना नहीं है। और उन्हें जोड़ने वाली जैविक मदिरा किसी भी तरह से वाइन को स्वस्थ नहीं बनाएगी। ऑर्गेनिक वाइन के आस-पास के अन्य स्वास्थ्य संबंधी दावे ऑर्गेनिक मूवमेंट के मूल सिद्धांत पर वापस आते हैं: प्राकृतिक अच्छा है, निर्मित खराब है, इसलिए हमारे उत्पादों को १०क्स के लिए खरीदें। और जब तक यह विश्वास करने के लिए मोहक लगता है कि जैविक शराब पीने से आप स्वस्थ हो सकते हैं, यह सिर्फ मामला नहीं है। शराब आपकी सेहत के लिए खराब है। शराब युक्त उत्पाद आपके शरीर को असंख्य हानि पहुँचाते हैं। यह मानने का कोई कारण नहीं है कि जैविक शराब पीने का कोई स्वास्थ्य लाभ है, और संदेह करने के लिए बहुत सारे कारण हैं। शराब पीने के लिए केवल सही मायने में सुरक्षित राशि नहीं है। अंततः, यह सब एक साधारण तथ्य पर उतरता है: जैविक उत्पाद आपके स्वास्थ्य के लिए कुछ भी नहीं करते हैं। यह कहना नहीं है कि वे बेकार हैं। निश्चित रूप से सबूत हैं कि ऑर्गेनिक्स पर्यावरण के लिए बेहतर हैं, और यदि आप जैव विविधता के बारे में चिंतित हैं तो जैविक फल और सब्जी पर कुछ अतिरिक्त डॉलर खर्च करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। लेकिन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है अगर आपके अंगूर को व्यवस्थित रूप से या पारंपरिक अंगूर के बाग में उगाया जाता है - परिणाम समान है। अगर आपको मज़ा आया, या सिर्फ शराब से प्यार है, तो नीचे दिए गए हाथ के बटन के साथ कुछ क्लैप्स भेजकर मुझे बताएं! आप मुझे यहां या ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं, या मेरे एक अन्य लेख को पढ़ सकते हैं कि क्यों मध्यम शराब पीना अभी भी आपके स्वास्थ्य के लिए बुरा है, कच्चा दूध निश्चित रूप से आपके स्वास्थ्य के लिए बुरा है, या ब्रा शायद ठीक क्यों हैं। आप देख सकते हैं कि मैंने स्वाद के सवाल को स्पष्ट कर दिया है। यह आंशिक रूप से है क्योंकि शराब बनाना एक जटिल कला है, जिसके बारे में मैं बात करने के लिए योग्य नहीं हूं, और आंशिक रूप से इसलिए कि मैं एक प्लीब हूं जो वाइन को पसंद करता है जो "ग्रेपी" है और अधिक जटिल सूक्ष्मता के बारे में कोई विचार नहीं है जो वास्तव में शानदार वाइन में जाते हैं। । ऑर्गेनिक वाइन का स्वाद बेहतर हो सकता है, लेकिन ईमानदारी से मैंने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। मैं कभी-कभी एक दाख की बारी में जाने की सलाह देता हूं, वाइन निर्माताओं से अपनी वाइन पीने के दौरान बात करना एक अद्भुत अनुभव है।
आईएनएक्स मीडिया घूस मामले में आरोपी व पूर्व मीडिया प्रमोटर इंद्राणी मुखर्जी ने सरकारी गवाह बनने के लिए कोर्ट में याचिका दी है। इंद्राणी के पास वकील न होने के कारण इस पर बृहस्पतिवार को सुनवाई नहीं हो सकी। उस पर एक सप्ताह बाद सुनवाई होगी। पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष सीबीआई जज सुनील कुमार राणा के समक्ष इंद्राणी की मुंबई की भायखला जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी हुई। उसने बताया कि वह इसमें सरकारी गवाह बनना चाहती है। कोर्ट के पूछने पर उसने बताया कि उसके पास कोई वकील नहीं है, इसलिये उसे वकील मुहैया करवाया जाए। कोर्ट ने दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को सरकारी पर विचार करने का निर्देश दिया है। सीबीआई व ईडी ने आईएनएक्स मीडिया रिश्वत मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, उनके बेटे कार्ति, सीए भास्कर रमण व इंद्राणी मुखर्जी को आरोपी बनाया है। एजेंसी का आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया समूह में विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (एफआईपीबी) की अनुमति दिलाने के लिए चिदंबरम ने अपने पद का दुरुपयोग किया था और अपने बेटे कार्ति के जरिये ३०० करोड़ से ज्यादा की घूस ली थी। पूछताछ में इंद्राणी बता चुकी है कि वह एफआईपीबी की मंजूरी के सिलसिले में कार्ति चिदंबरम से मिली थी। गौरतलब है कि पी. चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में फैसला सुरक्षित है, जबकि कार्ति जमानत पर बाहर हैं।
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। यो यो हनी सिंह ने हाल ही में सोशल मीडिया पर अपने कमबैक म्यूजिक सिंगल का पहला लुक अपने प्रशंसकों के साथ साझा किया है। पिछले कुछ वर्षों में, हनी सिंह 'ब्राउन रंग ने', 'एंग्रेज़ी बीट' और 'लक २८ कुडी दा' जैसे हिट गानों के साथ दर्शकों का मनोरंजन करते आये है और साल २०१४ में संगीत एल्बम 'देसी कलाकार' में आखिरी बार नजर आये थे। वही, इस साल हनी सिंह ने दिल चोरी साड्डा हो गया, छोटे छोटे पेग, रंगतारी, उर्वशी, बिलिनीयर जैसे सुपरहिट गानों के साथ दर्शकों का दिल जीत लिया है। चार साल के अंतराल के बाद, हनी सिंह अब टी-सीरीज़ के लेबल के तहत अपने एकल संगीत वीडियो के साथ वापसी कर रहे है। अपने प्रशंसकों के साथ इस खुशखबरी को साझा करते हुए हनी सिंह ने ट्वीट किया," यो यो हनी सिंह ने भारतीय संगीत उद्योग में अपने असाधारण संगीत और अक्षम शैली के साथ गहरी छाप छोड़ दी है। सिंगिंग सुपरस्टार ने वापसी कर ली है और एक बार फिर दर्शकों के दिलों पर राज कर रहे है।
राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) के अध्यक्ष श्री राधाकृष्ण गुप्ता ने आज यहां बताया कि चालू खरीफ मौसम के दौरान प्रदेश के किसानों के लिए ६ लाख ५ हजार मीटरिक टन रासायनिक खाद के भंडारण और वितरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें से अब तक ६ लाख ५ हजार ६20 मीटरिक टन खादों का भण्डारण हो चुका है और कप्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों द्वारा लगभग ४ लाख 8४ हजार मीटरिक टन खादों का उठाव कर लिया गया है। श्री गुप्ता ने बताया कि वर्तमान में मार्कफेड के खाते में ७७ हजार ९९० मीटरिक खाद शेष है, जबकि विभिन्न कंपनियों के खाते में ४3 हजार ६17 मीटरिक खाद का स्टाक बचा हुआ है। मार्कफेड अध्यक्ष ने बताया कि वर्ष २०१६-१७ में ७० लाख मीटरिक टन धान खरीदी के लक्ष्य के विरूद्ध ६९ लाख ५९ हजार मीटरिक टन धान की खरीदी की गई। मिलर्स द्वारा सीधे सहकारी समितियों से ४१ लाख २५ हजार मीटरिक टन धान का उठाव किया गया और मार्कफेड के संग्रहण केन्द्रों में २८ लाख ३२ हजार मीटरिक टन धान रखा गया है। सहकारी समितियों में एक लाख १४ हजार मीटरिक टन धान शेष था। उन्होंने बताया कि मार्कफेड द्वारा भारतीय खाद्य निगम में २४ लाख मीटरिक टन चावल रखा गया है और राज्य खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम को २४ लाख टन मीटरिक टन चावल दिया गया। कस्टम मिलरों से अभी १० हजार ८०० मीटरिक टन चावल लेना शेष है। श्री गुप्त ने बताया कि मार्कफेड की सम्पतियों के उपयोग के लिए एक नई कार्य योजना बनाई गई है, जिसके अनुसार राजधानी रायपुर स्थित नूतन किसान राइस मिल परिसर में एक सौ करोड़ रूपए की लागत से मार्कफेड द्वारा व्यवसायिक परिसर बनाने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही मार्कफेड ने दस किसान राइस मिलों को आधुनिक बनाने और उनकी संग्रहण क्षमता बढ़ाने का भी निर्णय लिया है। दुर्ग स्थित पशु आहार संयंत्र में पीपी.पी माडल पर ४० लाख रूपए की लागत से पैलेट प्लांट निर्माण और ८० लाख रूपये की लागत से बायो फर्टिलाइजर एवं बायोपेस्टीसाइड प्रयोगशाला निर्माण की भी योजना बनाई गई है। कवर्धा में एक करोड़ २५ लाख रूपये की लागत से मार्कफेड द्वारा अपने जिला कार्यालय और व्यावसायिक परिसर निर्माण का भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
आज का यह दिन किन राशियों के लिए लेकर आएगा ढेर सारी खुशियां और किन जातकों की बढ़ेगी मुश्किलें? यह सब जानने के लिए पढ़ें अपना दैनिक राशिफल। मेष: आर्थिक मामलों में अतिरिक्त सावधानी बरतें नहीं तो भारी नुकसान हो सकता है। कामकाज के मोर्चे पर दिन आज कुछ ठीक नज़र नहीं आ रहा है। दुश्मन षड्यंत्र करके आपको हानि पहुँचा सकते हैं, बेहतर होगा आप सावधान रहें। मानसिक और शारीरिक लाभ के लिए योग का सहारा लें। संतान पक्ष से कुछ कष्ट मिल सकता है। घर के अंदर और बाहर आप सावधानी बरतें आपको चोट लग सकती है। आज आपके अंदर क्रोध की अधिकता व चिड़चिड़ापन संभव है। परिवार में किसी भी प्रकार के मनमुटाव या झगड़ें से आपको बचना होगा। वृषभ: आज का दिन आपको मिलाजुला परिणाम दे सकता है। आर्थिक मामलों में आप अपने फैसले सोच समझ कर लेंगे तो आज आप अच्छा पैसा बना सकते हैं। नौकरीपेशा जातकों के लिए आज का दिन बहुत ही शुभ रहने वाला है। आपके बेहतरीन काम के चलते आपको प्रमोशन मिलने का योग है। पारिवारिक सदस्यों के साथ कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। यात्रा के लिए दिन अनुकूल है। कार्यक्षेत्र को लेकर आप कोई लंबी यात्रा कर सकते हैं जो आपके लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। व्यर्थ की चिंता छोड़कर आज आप अपने ज़रूरी काम निपटाने की कोशिश करें। मिथुन: परिवार में शान्ति का माहौल बना रहेगा और घर के सदस्यों में एकजुटता व सौहार्द की भावना जागृत होगी। आर्थिक तौर पर आज का दिन आपके लिए लाभ कमाने वाला रहेगा। आप अपने पराक्रम व साहस के बल पर धन अर्जित करने में सफल रहेंगे। दांपत्य जीवन में अनुकूलता बनी रहेगी। जीवनसाथी के साथ किसी रोमांचक स्थल की सैर पर आप मानसिक प्रसन्नता का अनुभव करेंगे। साथ ही आप दोनों का भावनात्मक लगाव भी बढ़ेगा। संयमित दिनचर्या व जीवनशैली अपनाकर आप अपने आपको सेहतमंद रख सकते हैं। आज की गई यात्रा मंगलमय और मनोरंजक रहेगी। अचानक शारीरिक समस्याओं से आपका सामना संभव है। कर्क: घरेलू जीवन के लिए आज का दिन मिलाजुला नज़र आ रहा है। जीवनसाथी का स्वास्थ्य आज थोड़ा ख़राब रह सकता है। सामाजिक कार्यों में आपकी रुचि बढ़ सकती है। दाम्पत्य जीवन में अनुकूलता बनी रहेगी। आपका जीवनसाथी आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा। कार्यक्षेत्र को लेकर आप विदेश यात्रा कर सकते हैं। व्यवसाय से जुड़े जातकों को आज अतिरिक्त सावधानी बरतने की ज़रुरत है। आज आप डर, शंका और लालच जैसे नकारात्मक भावों से घिरे रहेंगे। बेहतर होगा आप पुरानी सारी बुरी यादों को भूल जाएं और एक नयी शुरुआत करें। सिंह: प्रेमी जोड़ों के लिए आज का दिन बहुत ही ख़ास है। अपने प्रेमी के साथ आप कुछ बेहतरीन पल बिता सकते हैं। नौकरी में परिवर्तन होने की सम्भावना है मगर यह परिवर्तन आपके लिए लाभकारी रहेगा। आज आपके बॉस आपकी मेहनत को भी सराहेंगे। माता-पिता का पूर्ण सहयोग प्राप्त होने से आप प्रसन्न रहेंगे। वैवाहिक जीवन आज सामान्य रहने वाला है। धन संबंधी लेन-देन में जल्दबाज़ी करने से बचें। आज चीज़ें आपके पक्ष में नज़र आ रही हैं। आप मेहनत करें और आगे बढ़ें, सफलता आपको ज़रूर मिलेगी। जीवनसाथी को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना होगा। कन्या: दिनचर्या को नियमित कर लेने से आपको कई प्रकार के फायदे होंगे और आप जल्दबाज़ी व हड़बड़ी से बचे रहेंगे। आर्थिक तौर पर आज का दिन अच्छा रहेगा। आप दूसरों पर कुछ ज़्यादा ख़र्चा कर सकते हैं। जीवनसाथी के साथ आज आप अच्छा समय व्यतीत करेंगे। इससे उनका अकेलापन भी दूर हो जाएगा। बेवजह की चिंता सिर्फ आपका कीमती समय बर्बाद करेगी। कामकाज में चली आ रही लम्बे समय से आपकी किसी परेशानी का आज आपको समाधान मिल सकता है। नौकरी में आपको भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। प्रमोशन और आय में वृद्धि संभव है। तुला: पारिवारिक लोगों में मनमुटाव बना रह सकता है। आज छात्रों को शिक्षा में व्यवधानों का सामना करना पड़ेगा। आर्थिक तौर पर आज कुछ सुधार होने से आप आसानी से काफ़ी वक़्त से लंबित बिल और उधार चुका सकेंगे। दोस्तों का साथ राहत देगा। जीवनसाथी के साथ आज कुछ खुशनुमा पल आपकी पुरानी यादों को तरोताज़ा कर देगा। बिज़नेस को लेकर आप लंबी दूरी की यात्रा कर सकते हैं। नौकरी में परिवर्तन या ट्रांसफर भी संभव है। वृश्चिक: वृश्चिक राशि वालों के लिए आज का दिन कुछ ख़ास होने वाला है। भूमि-मकान-वाहन से जुड़ा कोई बड़ा लाभ मिल सकता है। संतान पक्ष से कोई खुशखबरी मिल सकती है, उन्हें पढ़ाई में बड़ी सफलता मिल सकती है। दाम्पत्य जीवन के लिए आज का दिन अच्छा रह सकता है। जीवनसाथी आज आपका कुछ ज़्यादा ही खयाल रखेगा। व्यापार से जुड़े जातकों को अचानक कोई बड़ा फायदा मिलने का योग है। सेहत आपकी एकदम बढ़िया रहेगी। धनु: आर्थिक मोर्चे पर आज का दिन कुछ ठीक नहीं है। प्राप्त हुआ धन आपकी उम्मीद के मुताबिक़ नहीं होगा। साथ ही खर्च में बढ़ोतरी के कारण आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जीवनसाथी का मूड आज अच्छा रहेगा और आप कुछ हसीन पल एक दूसरे के साथ बिताएंगे। नकारात्मक सोच को अपने दिमाग में घर न करने दें। आशावादी बनें। सेहत के प्रति लापरवाही मुश्किलें बढ़ा सकती है। मकर: मकर राशि वालों के लिए आज का दिन संभलकर रहने वाला है। अगर बात आपकी आर्थिक स्थिति की करें तो आज आपके खर्चों में बढ़ोतरी आपको परेशान कर सकती है। दांपत्य जीवन में कुछ मुश्किलें आ सकती है। मुमकिन है आज आप अपने प्रियजन को समझने में गलती कर दें जिसकी वजह से आप दोनों के बीच मनमुटाव हो सकता है। बेहतर होगा आप उनकी बात भलीभांति सुनें और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। अगर आप अपनी ज़ुबान पर क़ाबू नहीं रखेंगे तो आप अपनी प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकते हैं। सेहत से जुड़ी परेशानी आ सकती है जिसका प्रभाव आज आपके काम पर भी पड़ेगा। कुम्भ: बोलते वक़्त अपने शब्दों पर गौर करें और उतना ही बोलें जितना ज़रूरी हो नहीं तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। आपको अपनी महत्वाकांक्षाओं को क़ाबू में रखने की ज़रुरत है। दांपत्य जीवन सामान्य रहने वाला है। आप अपने जीवनसाथी के स्वभाव में एक गंभीरता का अनुभव करेंगे। कोई नया कार्य करने के लिए आज का दिन अत्यधिक शुभ है। आर्थिक मोर्चे पर आज कोई बड़ा लाभ मिलने का योग है। नया घर या वाहन खरीदने की सम्भावना है। सेहत से जुड़ी कुछ समस्या आ सकती है। मीन: आज आपकी शारीरिक समस्याओं में इज़ाफ़ा हो सकता है। शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाकर इससे निजात पाएं। पारिवारिक समस्याओं के कारण आप तनावग्रस्त रहेंगे किसी भी तरह के वाद विवाद में न पड़ें नहीं तो आपकी मुश्किलें बढ़ सकती है। आर्थिक मोर्चे पर आज का दिन अच्छा रहेगा। अगर आप सामूहिक गतिविधियों में हिस्सा लेंगे तो आप नए दोस्त बना सकते हैं। आज की गयी लंबी यात्रा आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। दाम्पत्य जीवन के लिए आज का दिन थोड़ा सावधानी रखने वाला है। जीवनसाथी के साथ कुछ मतभेद उत्पन्न होने की सम्भावना है इसलिए जहां तक हो सके वाणी पर संयम रखें।
दोस्तों छोटे पर्दे की जानी मानी अभिनेत्री अंकिता लोखंडे एक टीवी अभिनेत्री के तौर पर जानी पहचानी जाती हैं। दोस्तों उन्होंने टीवी के कई धारावाहिकों में काम कर घर-घर में अपनी एक अलग पहचान हासिल की हैं। अब वह एक फिल्म अभिनेत्री भी बन चुकी हैं। अंकिता लोखंडे की इस साल रिलीज हुई फिल्म मणिकर्णिका से उन्होंने बॉलीवुड में अपना डेब्यु भी कर लिया है। पहली फिल्म में वह एक महत्वपूर्ण किरदार में नजर आई थी। जिसकी वजह से अंकिता को काफी प्रशंसा भी मिली थी। टीवी जगत की इस अभिनेत्री की लव लाइफ में भी काफी उतार-चढ़ाव रहे हैं। दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि अंकिता लोखंडे पूरे ६ साल तक अभिनेता के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह चुकी हैं। यह अभिनेता और कोई नहीं बल्कि बॉलीवुड के धोनी कहे जाने वाले अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत हैं। कई बॉलीवुड फिल्मों में सुशांत सिंह राजपूत अब काम कर चुके हैं। टीवी सीरियल पवित्र रिश्ता में सुशांत सिंह राजपूत और अंकिता लोखंडे ने एक साथ काम किया था और यह दोनों इस दौरान एक दूसरे को दिल दे बैठे थे। साल २०१० से लेकर साल २०१६ तक यह दोनों रिलेशनशिप में रहे। उसके बाद यह अलग हो गई। सुशांत सिंह राजपूत और अंकिता साथ में एक पार्टी को अटेंड करने पहुंचे थे। बताया जाता है कि वहां देर रात सुशांत सिंह राजपूत नशे में चूर होकर दूसरी लड़कियों के साथ डांस कर रहे थे। जो कि अंकिता को बिल्कुल पसंद नहीं आया। उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत को सबके सामने जोरदार थप्पड़ लगा दिया था। जिसके बाद से ही इन दोनों के बीच दरार आ गई। ब्रेकअप के बाद से सुशांत सिंह राजपूत कई बॉलीवुड फिल्मों में नजर आ चुके हैं। सुशांत सिंह राजपूत भूमि पेडणेकर और सारा अली खान जैसी बॉलीवुड अभिनेत्रियों के साथ अपना नाम जुड़वा चुके हैं। वहीं अंकिता इस समय बिजनेसमैन विक्की जैन को डेट कर रही हैं। इन दोनों ने अपने प्यार को भी कबूला है। उन्होंने इंटरव्यू के दौरान इस बात को कहा था। दोस्तों आपको अंकिता लोखंडे कैसी लगती हैं? हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताइएगा।
भू माफियाओं द्वारा आखिर किसके बल पर लगातार नगर पंचायत की जमीन पर कब्जे हो रहे हैं यह गंभीर एवं जांच का विषय है । यह इसलिए भी जरूरी है कि उक्त भू माफिया गैंग के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही कर नगर पंचायत की जमीनों पर कब्जा होने से बचाया जा सके । आज ऐसे ही एक मामले मे कब्जे की भनक लगते ही ई.ओ. अझुवा सूर्यप्रकाश ने सरकारी जमीन पर नगर पंचायत की जमीन का बोर्ड लगवा दिया । बताते चलें कि नगर पंचायत अझुवा के वार्ड नं २ मे लंबे समय से नगर के कुछ भू माफियाओं का आतंक कायम है । जिनकी सरपरस्ती मे अब तक वार्ड की तमाम बंजर सरकारी जमीनों एवं तालाबों पर कब्जे कराते हुए उसे अच्छे दामों पर बेचकर करोड़ों के वारे-न्यारे कर चुके हैं। इसी क्रम मे भू माफिया द्वारा पुन: आज रात वार्ड नं २ की डूडा कालोनी के पास नहर रोड के बगल मे लाखों रुपये कीमत की दस बिस्वा से भी ज्यादा जमीन पर कब्जा करने के लिए पचासों ट्राली मिट्टी गिरवा दी गयी । जिसकी भनक लगते ही अझुवा के अधिशासी अधिकारी ने अपने कर्मचारी से इस खबर की पुष्टि करवाते हुए खबर सही पाए जाने पर उस जमीन पर नगर पंचायत की भूमि होने का बोर्ड गड़वाया। इस संदर्भ मे जब अधिशासी अधिकारी अझुवा से बात की गई तो उन्होने कहा कि नगर पंचायत की जमीन पर किसी ने कब्जा करने की नीयत से रात में काफी मात्रा में मिट्टी गिरवायी थी । इसकी जानकारी जब मुहल्ले वालों से ली गई तो रात का वक्त होने के कारण किसने ऐसा किया यह जानकारी नही मिल सकी । फिर भी उक्त जमीन पर एहतियात के तौर पर नगर पंचायत की भूमि होने का बोर्ड गड़वा दिया गया है । साथ ही उस पर नज़र रखी जाएगी और किसी को भी नगर पंचायत की जमीन पर नया कब्जा किसी भी हाल मे नही करने दिया जाएगा।
भगवान शनि देव और हनुमान जी को कुंभ राशि का आराध्य देव माना जाता है। कुम्भ राशि के सान्त्वन नाम के लड़कों की उत्तेजना और परिसंचरण को यूरेनस ग्रह द्वारा नियंत्रित किया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी और फरवरी में इस राशि के सान्त्वन नाम के लड़के पैदा होते हैं। सान्त्वन नाम के लड़के स्वभाव से गुस्सैल किस्म के होते हैं। इन सान्त्वन नाम के लड़कों में एलर्जी, सूजन और हृदय सम्बन्धी समस्याओं और गठिया होने की सम्भावना रहती है। सान्त्वन नाम के लड़के अक्लमंद, ऊर्जा से भरपूर और परोपकारी होते हैं। इन्हें दोस्ती करना पसंद होता है। अगर आप अपने बच्चे का नाम सान्त्वन रखने की सोच रहें हैं तो पहले उसका मतलब जान लेना जरूरी है। आपको बता दें कि सान्त्वन का मतलब सांत्वना होता है। सान्त्वन नाम का खास महत्व है क्योंकि इसका मतलब सांत्वना है जिसे काफी अच्छा माना जाता है। अगर आप अपने बच्चे को सान्त्वन नाम देते हैं तो जीवनभर के लिए उसका संबंध इस नाम के मतलब यानी सांत्वना से हो जाएगा। नाम का मतलब सांत्वना होने की वजह से सान्त्वन नाम के लोगों को समाज में भी बहुत पसंद किया जाता है। सान्त्वन नाम के अर्थ यानी सांत्वना का असर आप इनके स्वभाव में साफ़ देख सकते हैं। सान्त्वन नाम की राशि, सान्त्वन नाम का लकी नंबर व सान्त्वन नाम के लोगों के व्यक्तित्व अथवा इस नाम के मतलब जो कि सांत्वना है, आदि के बारे में आगे बताया गया है। सान्त्वन नाम का स्वामी शनि है एवं आपका शुभ अंक ८ होता है। जिन लोगों का नाम सान्त्वन और शुभ अंक ८ होता है, उन्हें धन की कोई कमी नहीं होती। इस अंक के लोगों की सबसे खास बात है कि ये अपने नियम खुद बनाते हैं। सान्त्वन नाम के व्यक्ति को संगीत से काफी लगाव होता है। सान्त्वन नाम के लोग मेहनत और लगन से सफल होते हैं। ये किस्मत पर निर्भर नहीं रहते। अन्य लोगों की तुलना में इस अंक के लोगों में दया भाव ज्यादा होता है। सफलता इन्हें आसानी से नहीं मिलती। सान्त्वन नाम के लोगों की कुंभ राशि होती है। ये लोग आत्मनियंत्रित, प्रतिभाशाली व नरम दिल के होते हैं। सान्त्वन नाम वाले लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं और ये अपनी बुद्धिमता पर गर्व महसूस करते हैं। सान्त्वन नाम के लोगों को समझ पाना सबके बस की बात नहीं होती है। ये वैसे तो बहुत सामाजिक होते हैं, लेकिन अपने दोस्तों को सावधानी से चुनते हैं। सान्त्वन नाम के लोग सबकी मदद करते हैं। ये स्वभाव से दयालु होते हैं।
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फल हमारी अच्छी सेहत बनाने में बहुत ही अहम भूमिका को निभाते हैं। फलों को सेहत का खजाना कहा जाता है। फलों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाएं जाते हैं जब भी कोई व्यक्ति इसका सेवन नियमित रूप से करता है तो वह कई रोगों से दूर रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं फल खाने का सही समय होता हैं। जब भी लोग फल का सेवन किसी गलत समय पर करते हैं तब उनको सर्दी जुकाम जैसी समस्या से गुजरना पड़ता है। इतना ही नहीं वह उस फल का लाभ दोबारा उठाने से भी कतराते हैं। हम आपको बता दें कि फल खाने का सही समय होता है। इसको खाने के कुछ नियम होते हैं। दिन में ऐसा समय होता है जिस समय फल का सेवन आपकी सेहत के लिए लाभकारी होता है। लेकिन जब आप गलत समय पर फल खाते हो तो आपके शरीर को फायदा नहीं बल्कि नुकसान होता है। आपको फल का सेवन किस समय करना चाहिए। यह जानना आपके लिए बहुत ही जरूरी हैं। इसके लिए जानते हैं फल खाने का सही समय क्या है। संतरे का सेवन हमेशा दिन के समय करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि जब भी आप संतरे का सेवन करें वो समय सुबह या रात का न हो। इतना ही नहीं इसका सेवन खाना खाने के एक घंटा पहले या बाद में करें। अंगूर का सेवन शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित करने में सहायता करता है। अगर आप अंगूर का सेवन सुबह के समय में करते हो तो यह आपके शरीर के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। धूप में निकलने से पहले या फिर आने के बाद आप इसका सेवन कर सकते हो। अगर आप अंगूर का सेवन कर रहें हो इस बात का ध्यान रखें कि भोजन और अंगूर के मध्य कुछ समय का अंतर जरुर हो। मौसमी का सेवन हमेशा दोपहर के समय करें कहीं बाहर धूप में जाने से पहले या बाद में भी इसका सेवन बहुत ही अच्छा होता है। सुबह सेब का सेवन बहुत ही उचित माना जाता है। अगर आप सुबह खाली पेट सेब का सेवन करते हो तो इससे शरीर के टोक्सिन आसानी से बाहर निकल जाते हैं। तरबूज का सेवन आप दिन में किसी भी समय कर सकते हो। लेकिन इस बात को ध्यान में जरुर रखें कि जब भी आप तरबूज का सेवन करते हो तो उसके बाद एक घंटे तक आप पानी से दूरी बनाएं रखें। जब भी आप सुबह सो कर उठते हो तो कभी भी खाली पेट खट्टे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। शराब का सेवन करने के बाद कभी भी खट्टे फल नहीं खाने चाहिए। भोजन के दो घंटे बाद ही हमेशा फल खाने चाहिए। जो लोग सोरायसिस की समस्या से गुजरे हुए हो। उन लोगों में फल का सेवन करने से दोवारा यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। खासकर संतरा और अंगूर का सेवन उन्हें बिल्कुल ही नहीं करना चाहिए।
०८/०२/२०१७ | फाइल्ड अन्डर: विविध | पोस्टेड बाय: जगदीश बाली ३० नवंबर को देश की सर्वोच्च अदादल्त की दो सदस्यों वाली न्यायपीठ ने आदेश दिया कि देश के सभी सिनेमा घरों में किसी भी फ़ीचर फ़िल्म दिखाए जाने से पहले राष्ट्र गान चलाना होगा और साथ ही पर्दे पर तिरंगे को फ़हराते हुए दिखाना होगा। हॉल में उपस्थित सभी लोगों को खड़े हो कर राष्ट्रगान को सम्मन देना होगा। इस दौरान हॉल के दरवाज़े बंद रखने होंगे। एक याचिका के प्रत्युत्तर में ९ दिसंबर को सर्वोच्च अदालत ने अपने इस आदेश को निरस्त तो नहीं किया, परन्तु शारीरिक रूप से खड़े रहने में असमर्थ व्यक्ति को खड़े न होने से छूट ज़रूर दी। हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे असमर्थ व्यक्ति को इस दौरान इस तरह से पेश आना होगा जो किसी तरह से राष्ट्र गान का अपमान न लगे। २०११ में उपहार आग त्रासदी मामले में दिये फ़ैसले के संबंध में न्यायपीठ ने स्पष्ट किया कि दरवाजा बंद रखने का मतलब ये नहीं कि इसमें पूरी तरह से कुंडा लगा दिया जाए। इसका मक्सद केवल राष्ट्रगान के दौरान लोगों की आवाजाही को रोकना है। आपको स्मरण होगा कि ३ जून 1९९7 की शाम नई दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमाहॉल में आग लग गयी थी जिसमें 5९ लोग झुलसकर या दम घुटने से मर गए थे जिसके संदर्भ में २०११ में सर्वोच्च अदालत ने सिनेमा घरों के दरवाज़े बंद न रखे जाने के आदेश दिये थे। सर्वोच्च अदालत के इस फ़ैसले से कुछ बुद्धिजिवी इतफ़ाक नहीं रखते। वे मानते हैं कि यह फ़ैसला तंग राष्ट्रवादी सोच की ओर ईशारा करता है और एक तरह से मौलिक आज़ादी को भी चोट पहुंचाता है। ये वो तबका है जो अधिकारों और आज़ादी की बात तो बढ़-चढ़ कर करता है, परन्तु जब कर्तब्य की बात आती है तो कनि काट जाते हैं। मैं कोई न्यायविद तो नहीं हूं, परन्तु इतना ज्ञान ज़रूर रखता हूं कि जिस संविशान ने हमें अधिकार और आज़ादी दी है, उसी संविधान ने हमारे कर्तब्यों का भी ज़िक्र किया है। राष्ट्र गान और राष्ट्र ध्वज का सम्मान उन कर्तब्यों की फ़ेहरिस्त में अव्वल पर आता है। क्या ये कर्तब्य केवल संविधान के किताबी पन्नों में दफ़न रखने के लिए हैं? राष्ट्र गान और राष्ट्र ध्वज के सम्मान का मतलब है आप राष्ट्र का सम्मान कर रहे हैं। राष्ट्र का सम्मान किसी भी तरह की आज़ादी से बढ़कर होता है। अगर देश का नागरिक इस बात के लिए तैयार नहीं तो अफ़सोस ही किया जा सकता है। इस फ़ैसले से इतफ़ाक न रखने वाले दलील देते हैं कि देश प्रेम की भावना नागरिकों के अंतर मन से आनी चाहिए। इस बात से मैं भी सहमत हूं, पर इस देश प्रेम की भावना को जागृत करना भी तो कोई अनुचित बात नहीं खास तौर से उस वक्त जब इसे भुलाया जा रहा है। यदि नहीं, तो कल आप ये भी तो कह सकते हैं कि न्याययालयों में ब्यान देने से पहले गीता पर हाथ रख कर सत्य बोलने की प्रतिज्ञा नहीं होनी चाहिए ल्योंकि सत्य और असत्य बोलना तो अंतर मन की बात है। वास्तव में गीता की सौगंध भी सत्य बोलने के लिए प्रेरित करती है। ऐसा नहीं है कि सरहद पर जाकर दुश्मन से टक्कर लेते हुए शहीद होने से ही अपनी देश भक्ति का परिचय दिया जा सकता हैं, पर इतना ज़रूर है कि देश की शान एवं गौरव के प्रतीक राष्ट्र गान को हम खड़े हो कर सम्मान तो दे ही सकते हैं और राष्ट्र ध्वज को सलाम कर हम जय हिंद तो कह ही सकते हैं। मैं ये तो नहीं कहता कि जो खड़े हो कर राष्ट्र गान का समम्मान नहीं करते, वे देश भक्त नहीं या वे जो खड़े होते हैं, केवल वही देश भक्त हैं, परन्तु जो खड़े नहीं होते वे चाहे अनचाहे राष्ट्र का अपमान का गुनाह ज़रूर करते हैं। कुछ लोग एक दलील ये भी देते हैं कि टैगोर ने जन गण मन किंग जोर्ज के सम्मान में लिखा था जिस वजह से इसलिए यह देश प्रेम की भावना का प्रतीक नहीं। परन्तु इस इल्ज़ाम से क्षुब्ध हो कर टैगोर ने अपने एक पत्र में इस का खंडन करते हुए कहा था: मैं केवल खुद को अपमानित ही करूंगा यदि मुझे उन लोगों को जवाब देना पड़े जो ये मानते हैं कि मैं किसी जॉर्ज चतुर्थ या पंचम की शान में गाउंगा। खैर इस विवाद पर अलग से बहस की जा सकती है। संविधन में इसे राष्ट्र गौरव का प्रतीक माना है, तो फ़िर संविधन की इस पवित्र डोर में बंधना ही होगा। नहीं तो आप कल ये भी कह सकते हैं कि तिरंगा इस लिए तंग राष्ट्रवाद का प्रतीक हैं क्योंकि इसमें केवल तीन ही रंग है। इस बात में संदेह नहीं कि जन गण मन आज़ादी के पहले से आज तक हमारे मन में राष्ट्र चेतना जगाता रहा है।
जबलपुर। जैसा कि विदित है मध्यप्रदेश के शासकीय विद्यालयों के प्राचार्यों को उनके विद्यालय के परीक्षा परिणाम के न्यून रहने को लेकर, संबंधित प्राचार्यों के विरुद्ध, असंचयी प्रभाव से वेतन वृद्धि रोकने जैसा, माइनर पनिशमेंट, आयुक्त लोकशिक्षण, भोपाल द्वारा अधिरोपित किया गया था। इसी क्रम में, श्रीमती सुनीता जैन, प्राचार्य शासकीय हाई स्कूल, ग्वालटोली, जिला सीहोर के विद्यालय का परीक्षा परिणाम कथित रूप से ३० प्रतिशत ,वर्ष २०१८-१९ में रहा। जबकि, राज्य का औसत परिणाम ६२.०५ रहा है। इस आधार पर की, विद्यालय के न्यून परीक्षा परिणाम के कारण, प्रदेश का परीक्षा परिणाम प्रभावित हुआ तथा स्कूल शिक्षा विभाग की छवि धूमिल हुई, आयुक्त लोक शिक्षण, भोपाल द्वारा, श्रीमती सुनीता जैन के विरुद्ध , मध्यप्रदेश सिविल सेवा( वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम१९66 के नियम १६ के तहत , असंचयी प्रभाव से दो वेतन वृद्धियां रोकने का आदेश दिनांक १९/१२/१९ को जारी किया गया था। श्रीमती सुनीता जैन, प्राचार्य ग्वालटोली द्वारा, आदेश दिनाँक से १९/१२/२०१९ को उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष, नियम विरुद्ध होने कारण चुनौती दी गई थी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के पश्चात, उच्च न्यायालय ने दिनाँक २०/०७/२०२० को वेतन वृद्धि रोकने वाले आदेश को स्टे कर, आयुक्त लोकशिक्षण एवं अन्य को नोटिस जारी किया है। श्रीमती सुनीता जैन की तरफ़ से पैरवी करने वाले, उच्च न्यायालय, जबलपुर के वकील श्री अमित चतुर्वेदी के अनुसार, मध्यप्रदेश सिविल सेवा( वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम१९६६ के नियम १६ के अतिक्रमण में दंड का आदेश जारी किया गया था। नियम १६ के अनुसार सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया था। चूँकि पनिशमेंट का आदेश बिना जाँच के किया गया था, उन परिस्थितियों मे यह उल्लेख करना जरूरी होता है कि दंड के पूर्व जाँच क्यों आवश्यक नही है। कारणों का लिखित उल्लेख किया जाना चाहिए। कर्मचारियों की ओर से आरोप का निषेध होने पर, जाँच भी होनी चाहिये। न्यायालय द्वारा, प्रथम दृष्टया, वेतन वृद्धि रोकने वाला आदेश दिनाँक १९/१२/20१९ को नियम विरुद्ध पाया गया है एवं क्रियान्वयन पर रोक लगायी गयी है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के हावड़ा में कुछ डिलीवरी राइडर्स के हड़ताल पर चले जाने के बाद, उन्होंने आरोप लगाया कि उनसे कंपनी जबरन गोमांस और पोर्क के व्यंजन डिलीवर करा रही है। अब ज़ोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल ने इस मामले पर सफाई दी है। उन्होने अपने कर्मचारियों को लिखे पत्र में कहा कि यह विरोध हाल ही में किए रेट कार्ड सुधार से जुड़ा हुआ है। मामला भोजन या धर्म नहीं से जुड़ा हुआ है। गोयल ने कहा कि हावड़ा के एक स्थानीय राजनेता के संपर्क में आने के बाद इस मुद्दे को जानबूझकर गलत दिशा दी गई है। वहींं प्रदर्शन के पीछे राजनीतिक शक्तियों का दखल होने की खबरें सामने आने लगी हैं। गोयल ने लिखे अपने पत्र में कहा है कि, हमने अपने ऑर्डर डेटाबेस को चैक किया है। उस पूरे क्षेत्र में पिछले तीन महीनों में ना तो पोर्क की डिलीवरी हुई है और ना ही किसी स्थानीय द्वारा पोर्क को कोई ऑर्डर दिया गया है। वहीं गोयल ने आगे लिखा कि, उनके पास बीफ डिलीवर करने का एक ऑर्डर आया था। जिसे ग्राहक ने पहुंचाने से पहले की कैंसल कर दिया। यह बीफ का एक मात्र ऑर्डर था। जबकि मैं आपको उस क्षेत्र के परिवारों द्वारा दिए गए ऑर्डर के बारे में फैक्ट दे सकता हूं। ज़ोमैटो ने अपनी कर्मचारियों को चेतावनी देते हुए कहा, यह बहुत साफ तौर पर कहा जा रहा है कि, डिलीवरी पार्टनर अपनी स्वेच्छा से कंपनी के साथ जुड़े हैं, उन्हें अपने इलाके में कस्टमर द्वारा जो भी खाने के ऑर्डर दिए जाएंगे, उन्हें वे पूरे करने होंगे। बता दें दरअसल इस विरोध की शुरुआत हाल ही जोमैटो द्वारा रेट कार्ड में किए गए सुधार के बाद शुरू हुआ था। गोयल ने पत्र में कहा, जब हम किसी शहर मे अपनी सेवाओं की शुरुआत करते हैं तो हम अपने डिलीवरी पार्टनर्स को प्रति ऑर्डर और प्रति दिन एक निश्चित भुगतान देते हैं। जो उन्हें प्रति सप्ताह / महीने में निश्चित आय प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि, कुछ महीनों के बाद जैसा कि हमारे पास ऑर्डर अच्छी संख्या में आने लगते हैं और उनका काम अधिक कुशल हो जाता है। जिससे उनकी मासिक / साप्ताहिक आय बढ़ जाती है। तो हम अपने रेट कार्ड में सुधार करते हैं। गोयल ने कहा कि, रेट कार्ड सुधार एक नियमित प्रक्रिया है। कभी-कभी, कुछ डिलीवरी राइडर्स को रेट कार्ड सुधार को समझ नहीं पाते हैं तो वे बदलाव का विरोध करने लगते हैं।
यह पौराणिक महाकाव्य रामायण के अंदर वर्णित एक विमान हुआ करता था । इस विमान का प्रयोग लंका के राजा रावण करता था । सीता हरण के समय रावण ने इसी विमान का प्रयोग किया था । पुष्पक विमान की अनेक विशेषताएं थी । जिनकी चर्चा हम इस लेख के अंदर करने वाले हैं। रावण को मारने के बाद राम लक्ष्मण और विभिषण इसी विमान के अंदर अयोध्या आए थे । वैसे इस विमान का निर्माण विश्वकर्मा ने ब्रह्मा के लिए किया था । लेकिन रावण के भाई कुबेर ने तपस्या करके इस विमान को प्राप्त कर लिया था ।पुष्पक विमान धन के देवता कुबेर के पास हुआ करता था । लेकिन रावण ने इस विमान को और कुबरे की नगरी लंका पुरी को बलपूर्वक छीन लिया था । पुष्पक विमान का निर्माण अंगिरा ऋषि ने किया था और इसकी सजावट को विश्वकर्मा के द्वारा किया गया था। प्राचीन ग्रंथों के अंदर ऐसे अनेक विमानों का उल्लेख मिलता है। विमान मुख्य रूप से दो प्रकार के होते थे । एक मानव द्वारा बनाए गए विमान जोकि आम होते थे । दूसरे विशेष विमान होते थे । जिनके अंदर कुछ खास ताकते मौजूद होती थी । प्राचीन ग्रंथों के अंदर कई तरह के विमानों के युद्वों का वर्णन भी मिलता है। पुष्पक विमान एक खास प्रकार का विमान हुआ करता था । जिसके अंदर कुछ खास ताकते मौजूद थी । आइए उन खास ताकतों के बारे मे भी इस लेख के अंदर चर्चा कर लेते हैं। पुष्पक विमान के बारे मे यह कहा जाता है कि यह मन की गति से उड़ता इसका स्वामी अपने मन से इस विमान को पूरी तरह से कंट्रोल कर सकता था । इसकी गति को मन से नियंत्रित किया जाता था । पुष्पक विमान के अंदर अनेक विशेषताएं थी । उनमे से एक थी कि वह आकाश के अंदर उड़ने के साथ साथ भूमी पर भी चल सकता था । यह एक गाड़ी की तरह भी काम आता था । पुष्पक विमान केवल एक आकार के अंदर ही नहीं रहता था । वरन उसका आकार भी बदल सकता था । वह विमान आवश्यकता अनुसार बड़ा और छोटा हो सकता था। और उस पर वजन को भी उस हिसाब से कम या ज्यादा किया जा सकता था । रावण के वध के उपरांत पुष्पक विमान को भगवान राम ने कुबेर को वापस लौटा दिया था । पुष्पक विमान की बनावट बहुत ही सुंदर थी यह जब आकाश के अंदर उड़ता था तो स्वर्ण मेघ के समान लगता था । इसके चारों और हीरे और सोना को जड़ा गया था ।इसके आगे एक हंस का चित्र बहुत ही सुंदर ढंग से कोरा गया था ।इस विमान के उपर हाथी के आकार को भी उकेरा गया था । जो देखने मे बहुत सुंदर लगता था ।यह विमान रावण के महल के पास खड़ा रहता था । जिसको देखकर एक बार तो हनुमानजी भी आश्चर्यचकित हो गए थे । पुष्पक विमान के अलावा रावण के पास अन्य कई विमान थे । लेकिन कोई भी विमान पुष्पक का मुकाबला नहीं कर सकता था । एक वेबसाईट की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान की एक गुफा के अंदर एक बहुत पुराना विमान मिला है। यह विमान बहुत पुराना है। यह ५००० साल पुराना विमान है। जोकि एक टाइम वेल के अंदर फंसा हुआ था । टाइमवेल एक विशेष प्रकार का इलेक्ट्रो मैग्नेटिक क्षेत्र होता जिसमे रहने वाली वस्तु सुरक्षित रहती है। और उसके पास जाने वाले हर इंसान गायब हो जाते हैं।रूसी रिपोर्ट दिसम्बर २०१० के अंदर पेश हुई थी जिसके अंदर यह कहा गया था कि विमान के ४ पहिये लगे हुए हैं। इसके अंदर कई सारे घातक हथियार लगे हुए थे । जिनका प्रयोग दुश्मनों पर हमला करने के लिए किया जाता था । जब कमांडों कुछ दूर से इस विमान का निरक्षण किया जा रहा था तो इसका टाइम वेल सक्रिय हो गया और कई कमांडो गायब हो गए । वैज्ञानिकों के मता अनुसार टाइम वेल एक सर्पिलाकार आकाश गंगा की तरह होता है। जिसके संपर्क के अंदर आते ही जानवर ऐसे गायब हो जाते हैं। जैसे थे ही नहीं अब तक यहां पर ४० जर्मन डॉक्स की भी मौत हो चुकी है। इससे पहले कुछ लोगों का दावा है कि चीनियों को संस्क्रत के अंदर कुछ दस्तावेज भी मिले थे । जिनको अनुवाद के लिए चंडीगढ भेजा गया था । उसके बारे मे यह कहा जाता है कि वे इस विमान से संबंधित हो सकते हैं। इंका संभ्यता के खंड़रों के अंदर कुछ ऐसे चित्र भी मिले हैं। जिन मे मनुष्य के उपर पंख दिखाए गए हैं।मध्य अमेरिका के अंदर कुछ ऐसे आक्रति मिले हैं जो विमानों से मिलती हैं। कुल मिलाकर ऐसा कहा जा सकता है की प्रचाीन लोग कुछ ऐसी चीजों के बारे मे जानते थे जो अब तक हम नहीं जानते ।
तीस आर्टियल मई नीद तो बे रेवरिटएन एंडिरेली तो कॉम्प्ली वित विकिपीड़िया'स क्वालिटी स्टैंडर्ड. यू कन हेल्प. थे डिस्कशन पाग मई कॉन्टेन सुएस्टन्स. (अक्टोबर २०१०) एक अनुमान के अनुसार हिंदुओं द्वारा पवित्र मानी जाने वाली नदी में बीस लाख लोग रोजाना धार्मिक स्नान करते हैं। हिन्दू धर्म में कहा जाता है कि यह नदी भगवान विष्णु के कमल चरणों से (वैष्णवों की मान्यता) अथवा शिव की जटाओं से (शैवों की मान्यता) बहती है। इस नदी के आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व की तुलना प्राचीन मिस्र वासियों के लिए नील नदी के महत्त्व से की जा सकती है। जबकि गंगा को पवित्र माना जाता है, वहीं पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित इसकी कुछ समस्याएं भी हैं। यह रासायनिक कचरे, नाली के पानी और मानव व पशुओं की लाशों के अवशेषों से भरी हुई है और गंदे पानी में सीधे नहाने से (उदाहरण के लिए बिल्हारज़ियासिस संक्रमण) अथवा इसका जल पीने से (फेकल-मौखिक मार्ग से) स्वास्थ्य संबंधी बड़े खतरे हैं। इस सेक्शन में विकिपीडिया के गुणवत्ता मापदंडों पर खरे उतरने के लिए सफ़ाई की आवश्यकता है। कृपया इस सेक्शन को सुधारने में यदि आप सहकार्य कर सकते है तो अवश्य करें। इसके संवाद पृष्ठ पर कुछ सलाह मिल सकती है। (मार्च २००९) नदी में प्रदूषण भार को कम करने के लिए १९८५ में श्री राजीव गांधी द्वारा गंगा कार्य योजना या गैप (गप) का शुभारंभ किया गया था। कार्यक्रम खूब धूमधाम के साथ शुरू किया गया था, लेकिन यह १५ वर्ष की अवधि में ९०१.७१ करोड़ (लगभग १०१०) रुपये व्यय करने के बाद नदी में प्रदूषण का स्तर कम करने में विफल रहा। १९८५ में शुरू किए गए जीएपी चरण १ की गतिविधियों को 3१ मार्च २००० को बंद घोषित कर दिया गया। राष्ट्रीय नदी संरक्षण प्राधिकरण की परिचालन समिति ने गैप (गप) की प्रगति और गैप (गप) चरण १ से से सीखे गए सबकों तथा प्राप्त अनुभवों के आधार पर आवश्यक सुधारों की समीक्षा की; इस योजना के अंतर्गत २.०० योजनाएं पूरी हो चुकी हैं। दस लाख लीटर मलजल को रोकने, हटाने और उपचारित करने का लक्ष्य है। भोजपुरीइंग्लिश कड़ी संपादित करें अन्तिम परिवर्तन ०६:५४, ७ अप्रैल 201७।
आइये जानते हैं आत्मविश्वास बढ़ाने के ८ असरदार तरीके। आत्मविश्वास यानी खुद पर भरोसा रखना ये, सिर्फ एक शब्द नहीं है बल्कि हर सफल व्यक्ति के पीछे की हकीकत है। सफलता पाने के लिए जितनी जरुरत हमारी योग्यता की होती है उतनी ही जरुरत हम में आत्मविश्वास की भी होती है। अगर हमारे अंदर आत्मविश्वास की कमी है तो हम योग्यता होते हुए भी निराश और हताश हो जाते है और सफल नहीं हो पाते। अगर आप भी सफल होना चाहते हैं तो खुद में आत्मविश्वास जगाना बहुत जरुरी है और आइये आपको बताते हैं आत्मविश्वास बढ़ाने के ८ असरदार तरीके। १. कपड़े पहनने का तरीका बदलें आपके कपडे पहनने का तरीका आपका आत्मविश्वास बताता है। कपडे वही पहनें जो आप पर सही लगें। जगह के हिसाब से कपडे चुनें, अगर आप ऑफिस में या किसी मीटिंग में जा रहे हों तो फॉर्मल कपडे पहनें और अगर आप किसी पार्टी या शादी में जा रहे हों तो पार्टी के अनुसार ही कपड़े पहने। अगर आपका ड्रेसिंग सेंस बेहतर होगा तो लोग आपकी तारीफ करेंगे और आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। २. आत्मविश्वास से भरे लोगों की आदतें अपनाएं आपने अक्सर अपने आस पास ऐसे लोग देखे होंगे जो आत्मविश्वास से भरे होते हैं वो कभी अपना मत रखने में हिचकिचाते नहीं है। आप ऐसे लोगों को देखें और उनकी आदतें अपनाएं। जैसे क्लास या सेमीनार में आगे की सीट पर बैठना, बेझिझक सवाल पूछना, वो किस तरह चलते और बोलते हैं वो अपनाना, कभी दबी आवाज में ना बोलना और हमेशा दूसरों से नजरें मिला कर बात करना। ३. छोटे-छोटे लक्ष्य बनायें अपने जीवन में छोटे छोटे लक्ष्य बनाएं क्योंकि छोटे लक्ष्य आसानी से हासिल हो सकते हैं और जैसे जैसे ये लक्ष्य हासिल होते जायेंगे आप में आत्मविश्वास बढ़ेगा। अगर आप एक बड़ा लक्ष्य बनाएंगे तो उसे पाने में बहुत समय लगेगा और बीच में कई असफलताएं और मुश्किलें आयेंगी जिनसे आप हताश हो जायेंगे और आप में आत्मविश्वास की कमी होने लगेगी। इससे बेहतर है आप अपने बड़े लक्ष्य को छोटे छोटे लक्ष्यों में तब्दील करें। ४. अपनी उपलब्धियों को याद करें हमेशा सकारात्मक रहें और हमेशा अपने अतीत की उपलब्धियों को याद करें ना की अपने अतीत की नाकामियों को सोचकर दुखी हो वरना ऐसे में आप में नकारात्मकता बढ़ेगी और आत्मविश्वास में कमी आएगी। इसलिए हमेशा अपनी उपलब्धियों को याद करें और खुद को प्रेरित करते रहें। ५. अपनी गलतियों से डरें नहीं गलतियां किये बिना कोई काम सफल नहीं होता गलतियां सभी करते हैं लेकिन सफल लोग उन गलतियों से सीख लेकर आगे बढ़ते हैं और जो लोग अपनी गलतियों से डरकर हताश हो जाते हैं वो कभी सफल नहीं हो पाते। इसलिए कभी अपनी गलतियों से डरें नहीं बल्कि उन गलतियों से सीख लें और उन्हें अनुभव के तौर पर लेकर आगे बढ़ें इससे आप के अंदर नयी ऊर्जा का संचार होगा और आत्मविश्वास बढ़ेगा। ६. जोखिम लेने से ना डरें किसी काम में सफल होने के लिए जोखिम लेना बहुत जरुरी है जब तक आप जोखिम लेकर किसी काम की शुरुआत नहीं करेंगे तब तक आपको अपनी क्षमता और उपलब्धियों के बारे में पता नहीं चलेगा। कोई काम करने के लिए जोखिम उठाने से ना डरें और अपनी सोच सकारात्मक बनायें क्योंकि अगर आप उसमे सफल ना भी हुए तो कम से कम आपको उससे सबक तो मिलेगा और भविष्य में आप वो गलतियां नहीं दोहराएंगे। ७. आत्मविश्वास के लिए अंग्रेजी आना जरुरी नहीं अक्सर हम लोग अपना आत्मविश्वास इसलिए खो देते हैं क्योंकि हमे अंग्रेजी भाषा नहीं आती लेकिन ये सही नहीं है। आत्मविश्वास के लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान ही जरुरी नहीं है। उदाहरण के तौर पर आप हमारे प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी को देख सकते हैं वो हमेशा आत्मविश्वास से भरे रहते है जबकि वो विदेश में भी अपने ज्यादातर भाषण हिंदी में ही देते हैं। ८. आत्मविश्वास के लिए किसी काम को टालें नहीं कभी भी किसी नए काम की शुरआत करने के लिए आलस ना करें और उसे कल पर ना टालें क्योंकि ऐसा ना हो की आप उस काम की शुरआत करने में देर कर दें और उससे मिलने वाले परिणामों से वंचित रह जाएँ। ऐसे में आप में निराशा भर जाएगी और आप अपना आत्मविश्वास खो देंगे। उम्मीद है जागरूक पर आत्मविश्वास बढ़ाने के ८ असरदार तरीके कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी। यात्रा के समय का सही उपयोग कैसे करें?
सेल फोन उद्योग आज बड़े संचार उद्योग में सबसे तेजी से बढ़ता क्षेत्र है। अभी, इंटरनेट उन उद्योगों में से एक है जो विश्व स्तर पर सबसे बड़ी संख्या में लोगों द्वारा उपयोग किए जा रहे हैं। सेल फोन उद्योग मुख्य रूप से मोबाइल फोन हैंडसेट सहित मोबाइल फोन के निर्माण में लगा हुआ है। अब तक, सेल फोन उद्योग पूरी तरह से तकनीकी रूप से आगे बढ़ने पर केंद्रित है। यह दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाले उद्योगों में से एक है, जो आने वाले प्रौद्योगिकियों और नवाचारों के साथ-साथ बढ़ रहा है, "स्मार्टफोन" और अन्य फोन सुविधा और हाल के वर्षों में किए गए क्षेत्रों की प्रगति पर निर्माण कर रहा है। यह केवल १९९४ के बाद से सेल फोन बहुत अधिक लोकप्रिय होने लगा है। वास्तव में, इन उत्पादों का उपयोग उस समय से २४ मिलियन तक बढ़ गया, जब से आज यूएस में १८२ मिलियन उपयोगकर्ता हैं। सैमसंग और एचटीसी जैसी कंपनियों के माध्यम से अमेरिका में हाल के वर्षों में बड़े स्क्रीन वाले स्मार्टफोन उपलब्ध कराए गए हैं। २०१५ में, आपोल ने ४.७- और ५.५-इंच स्क्रीन वाले स्मार्टफोन पेश किए, जिन्हें 'फेबलेट्स' के नाम से जाना जाता है। बाजार में इफोन ६ और इफोन ६+ के प्रवेश ने इस दिशा में उनके पक्ष में गति बढ़ा दी है, और ये उत्पाद अब अमेरिकी स्मार्टफोन बाजार का 8४% हिस्सा है। सांस्कृतिक धारणाओं के बावजूद जो सेलफोन को पश्चिमी दुनिया के साथ जोड़ते हैं, वे वास्तव में आज दुनिया के लगभग हर कोने में पाए जा सकते हैं। वास्तव में, कई विकासशील देशों में, सेल फोन केवल बाहरी दुनिया के लिए उपयोग हैं, और एटीएम जैसे पैसे के लेन-देन का संचालन करने, इंटरनेट का उपयोग करने और व्यावसायिक आदेश रखने के लिए एक साधन के रूप में उपयोग किया जाता है, यहां तक कि उन जगहों पर भी जहां आधुनिक सुविधाएं जैसे जनता के लिए उपलब्ध पानी और बिजली आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। यह सिर्फ सेल फोन की तकनीक नहीं है जो हाल के समय में बदल गई है। उनके भौतिक डिजाइन भी परिवर्तन और बदलाव के कई रोलरकोस्टर से गुजरे हैं। उन्होंने आकार, आकार और वजन में परिवर्तन करते हुए, अपने थोकपन को काफी कम कर दिया है। अब, सेल फोन अभी भी चिकना हो रहे हैं, जिससे उनके उपयोगकर्ता उन्हें ले जाने में बहुत सहज महसूस करते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह माना जाता है कि, भविष्य में, सेल फोन हमारी जैविक सजगता और प्रक्रियाओं के साथ तालमेल बनाने में सक्षम होंगे, जैसे कि आंख की गतिविधियां, विचार प्रक्रिया, और कीनेस्टेटिक आंदोलनों, और यहां तक कि सांस्कृतिक प्राथमिकताएं भी। सेल फोन कई व्यक्तियों के जीवन का एक हिस्सा बन गए हैं, जिसके बिना वे खोए हुए महसूस करेंगे। तकनीकी रूप से, यह कहा गया है कि सेलफोन मानव जाति के लिए सबसे बड़ा उपहार है। १९ वीं शताब्दी के बाद से विभिन्न रूपों में फोन उपलब्ध हैं। हालांकि, जैसा कि शोधकर्ताओं ने अगली शताब्दी के दौरान विभिन्न प्रकार के फोन की खोज की, १९५6 में एरिक्सन कंपनी ने स्वीडन में "एमटीए" नामक एक पूरी तरह से स्वचालित, सेलुलर, फोन प्रणाली जारी की। यह गैजेट काफी भारी था, इसलिए उपयोगकर्ता इसे लंबे समय तक लेने के लिए खुश नहीं थे, क्योंकि इस मोबाइल फोन का वजन लगभग ४० किलोग्राम (८८ पाउंड) था! बाद में, इस अवधारणा का एक बेहतर संस्करण १९6५ में सामने आया, और इसे "एमटीबी" के रूप में जाना गया। १९66 में, "रत्ज - १०" नामक एक मोबाइल फोन पेश किया गया था। सेलुलर फोन के क्षेत्र में आगे के विकास पर, १९71 में फिनलैंड में "ज़ीरो जेनरेशन" मोबाइल नेटवर्क के रूप में जाना जाने वाला सबसे पहला वाणिज्यिक सेलुलर फोन पेश किया गया था। बाद में, वर्ष १९73 में, मोटोरोला को पेश किया गया था, जिसमें ५ की चौड़ाई और ९ की लंबाई थी, और एक प्रबंधनीय २.९ल्ब्स का वजन था। धीरे-धीरे, समय बीतने के साथ, मोबाइल फोन ने छलांग और सीमा में सुधार किया और, मोबाइल संचार के लिए ग्लोबल सिस्टम की शुरुआत के साथ, सेलुलर फोन सिस्टम में रेडियो स्पेक्ट्रोम्स का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सका। अमेरिका में सेल फोन के लिए विनियामक जिम्मेदारियां संघीय संचार आयोग (फक) के साथ हैं, जो प्रमाणित करता है कि ये वायरलेस डिवाइस, और सभी फोन जो यूएस में बेचे जाते हैं, उन्हें उन दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए जो उन्होंने किले को निर्धारित किया है। एफसीसी एफडीए और अन्य स्वास्थ्य एजेंसियों पर निर्भर करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सेलफोन उपयोगकर्ताओं और पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं। संभावित रूप से एक अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से वायरलेस संचार के संपर्क के कारण होने वाले प्रभावों में कई हानिकारक स्वास्थ्य प्रभाव शामिल हो सकते हैं। वायरलेस प्रौद्योगिकियों, जैविक अनुसंधान, विकास मानकों, और दूरसंचार उपकरणों की सुरक्षा से संबंधित संभावनाओं के क्षेत्र में उभरती हुई नई सफलताओं का उपयोग सभी सेल फोन को सुरक्षित और अधिक उपयोगी बनाने के लिए किया जा रहा है।
तकरीबन सात सालों बाद नकोलिया बाध जाने का मौका मिला। इस बाध का न तो कोई ऐतिहासिक महत्त्व है और न ही यह आपको गूगल में मिलने वाला है। दरअसल, हमारे यहाँ बाध उस जगह को कहा जाता है, जहाँ दूर-दूर तक चारों तरफ केवल खेत ही खेत होते हैं। उस बाध में हमारे पूर्वजों के नौ कोले (कोला- खेतों का टुकड़ा) खेत थे। ग्रीष्मावकाश में गाँव गया था, तो अचानक से नकोलिया (नौकोलिया) की याद आई. वर्षों तक वहाँ न जाने का कारण वहाँ की दूरी थी। यह बाध हमारे घर से तकरीबन कोस भर (कोस-२ मील) की दूरी पर है। तिस पर से जाने का कोई सड़क नहीं। बिल्कुल बाधे-बाध। अपने चचेरे भाई दीपक को साथ लेकर मैं चल पड़ा। पसरिया पोखर के पास सड़क से उतरकर खेत के आरों (मेड़) पर चलते हुए पुरना पोखर के महाड़ पर पहुँचा। मैं हैरत में था कि महाड़ कहीं नजर नहीं आ रहा था। मुझे याद है कि इस पोखर की मिट्टी को गाँव की सबसे अच्छी चिकनी मिट्टी कहा जाता थी। चाहे घर साटना हो या मूर्तियाँ बनाना लोगों की पहली पसंद यहीं की मिट्टी होती थी। मिट्टी माफियाओं ने महाड़ों की सारी मिट्टी बेच दी और अतिक्रमणकारियों ने उस जगह को अपना खेत बना लिया है। पहले इस पोखर में कमल खिला करता था। अब तो उसमें पानी ही नहीं है। खैर, हम आगे बढ़े। सामने पैंतु चौधरी का आड़ा था। हालांकि यह निजी संपत्ति है, किंतु फिर भी गाँव के पर्यावरण के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण। यह एक आम का बगीचा है जिसमें अब केवल पचास-साठ पेंड़ बच गए हैं। फिर भी, इसमें तरह-तरह के आम फलते हैं यथा- फैजली, बंबइ, सिनुरिया, भेटरी, सब्जा, मालदह, कृष्णभोग इत्यादि। थोड़ा आगे बढ़ने पर ठुट्ठा बाध आया। कहते हैं यहाँ पर एक बड़ा-सा पेंड़ था जो बाद में ठूँठ हो गया था। इसीलिए इसे यह नाम दिया गया था। इससे आगे पगबन्हा, फिर कदमक कूँड़ के पास हम सरङा धार पार हुए. सामने ही हमारा नकोलिया बाध था। अपना खेत देखा। खेत में पटवा की फसल लहलहा रही थी। खेत की एकाध परिक्रमा कर लौट आया। आते-आते दीपक ने एक पेंड़ के पास बैठकर सुस्ताया और जामून भी तोड़ा। घर आते-आते दीपक ने कहा "कान पकड़ते हैं अमित भैया। फिर कभी यह बाध नहीं आएँगे हम। इतना दूर चलना आदमी का काम है क्या।" अब मैं उसे कैसे समझाऊँ कि यह बाध हमारे परिवार-समाज से लेकर देश तक का धरोहर है। हमारे पूर्वज वहाँ रोज जाया करते थे। मैंने तो दादाजी को दिन में तीन-तीन बार तक वहाँ जाते देखा है। इस पृष्ठ का पिछला बदलाव ६ अक्टूबर २०1६ को ०३:२० बजे हुआ था। यह पृष्ठ ७४ बार देखा गया है।
बिलासपुर। निगम कमिश्नर प्रभाकर पाण्डेय ने जोन ४ के पांच बड़े बकायादारों को टैक्स जमा करने वारंट जारी किया है। वारंट जारी होने के सात दिनों के भीतर बकाया टैक्स जमा नहीं करने पर कुर्की करने की कार्रवाई की जाएगी। पिछले कई वर्षों से टैक्स जमा नहीं करने वाले बड़े व्यापारी व होटल संचालक को टैक्स जमा करने के लिए लगातार नोटिस जारी किया जा रहा है। नोटिस जारी करने के बाद भी बड़े बकायादारों द्वारा प्रापर्टी टैक्स जमा नहीं करने पर वारंट जारी कर कुर्की की कार्रवाई करने के निर्देश कमिश्नर पाण्डेय ने सभी जोन कमिश्नर को दिए हैं। शनिवार को जोन चार क्षेत्र के पांच बड़े बकायादार को नगर पालिक अधिनियम १९५६ की धारा १७५ की उपधारा (एक) के तहत् बकाया राशि वसूल करने के लिए वारंट की कार्यवाही की गई। इनमें हाॅटल नटराज लिंक रोड बिलासपुर भवन स्वामी टीएस ठाकुर बकाया राषि वर्ष १८-१९, एवं १९-२० कुल बकाया. २,५८,४६८, हाटल अजीत तेलीपारा रोड बिलासपुर भवन स्वामी सुरजीत कौर वर्ष १८-१९, एवं १९-२० कुल बकाया ३,००,४९५, महेश चौकसे निरंकारी भवन के पास डीपूपारा बिलासपुर बकाया राशि वर्ष १६-१७ से १९-२० कुल बकाया राशि रुपए ३,९६,७९५, जसपाल सेठी टेलीफोन एक्सचेंज रोड बकाया राशि वर्ष १६-१७ से १९-२० कुल राशि रुपए ३,८६,०९१, मोहम्मद नजीद पिता अब्दुल करीम लिंक रोड बिलासपुर बकाया वर्ष १७-१८ से १९-२० कुल राशि रुपए १,३9,75२ शामिल हैं। वारंट के बाद सात दिनों के अंदर टैक्स जमा नहीं करने की स्थिति में नियमानुसार कुर्की की कार्रवाई की जाएगी।
हर साल ईद का जश्न मुस्लिमों के लिए बड़ा ही ख़ास होता है जिसकी एक वजह सलमान खान की फ़िल्मों का रिलीज़ होना भी है। सबके भाईजान सलमान अपने फैंस के लिए हर ईद एक खूबसूरत फ़िल्म ईदी के रूप में लाते हैं और कई सौ करोड़ की कलेक्शन कर ले जाते हैं। इस साल उनकी फिल्म भारत आ रही है जो देशभक्ति और एक्शन से भरपूर है। उनको टक्कर देने के लिए भोजपुरी सिनेमा के त्रिमूर्ति में से दो सुपरस्टार अपना कमर कस चुके हैं। खेसारीलाल यादव अपने भोजपुरिया फैन्स के लिए लेकर आ रहे हैं काजल राघवानी के साथ कूली नम्बर १ और पवन सिंह ला रहे हैं अपनी बहुप्रतिक्षित भोजपुरी फ़िल्म मैंने उनको सजन चुन लिया। दोनों भोजपुरी फिल्मों की ख़ास बात है कि दोनों की हिरोइन हैं काजल राघवानी। काजल की जोड़ी इन दोनों सुपरस्टार्स के साथ काफी हिट रही है और दर्शकों का भरपूर प्यार इन्हें मिलता रहा है। अब देखना ये है कि सलमान ख़ान की फ़िल्म भारत के सामने ये दोनों भोजपुरी फ़िल्में कितना मुक़ाबला कर पाती हैं। आपको बता दें कि कूली नम्बर १ भारत के ही जैसे पूरे देश मे रिलीज़ हो रही है जबकि पवन सिंह की फ़िल्म केवल बिहार और झारखंड में रिलीज़ हो रही है। कहानी की बात करें तो भारत का ट्रेलर देख कर ये तो पक्का हो गया है कि इसमें सलमान अलग अलग गेटअप में दिखेंगे। फ़िल्म में कई टाइम पीरियड भी दिखाए गए हैं। फ़िल्म में भारत और गल्फ देशों का लोकेशन दिखाया गया है। बात अगर कूली नम्बर १ की हो तो फिल्म में खेसारीलाल अच्छे परिवार से हैं लेकिन एक बार जब वह वृद्धाश्रम आते हैं तो यहीं के हो जाते हैं। उनके पीछे उनकी प्रेमिका का रोल कर रहीं काजल राघवानी भी चली आती हैं। क्लाइमेक्स के बाद वह वृद्धाश्रम स्कूल में बदल जाता है और वहां रहने वाले बुज़ुर्ग अपने घर लौट जाते हैं। यह सब कैसे होता है और खेसारीलाल इस वृद्धाश्रम की ज़मीन पर कब्ज़ा करने वाले गुंडों से कैसे निपटते हैं यह फिल्म में देखने को मिलेगा। पवन सिंह की फ़िल्म मैंने उनको सजन चुन लिया की कहानी एक प्रेमी की है जो अपनी प्रेमिका के लिए पूरी दुनिया से लड़ने को तैयार है और वह कैसे उसके खूंखार भाई, चाचा और बाप से लड़ कर अपना प्यार पाता है यही फ़िल्म का थीम है। तीनों फ़िल्में क्या कमाल दिखाती हैं ये तो इस सप्ताह के अंत तक पता चल जाएगा। बहरहाल, खेसारीलाल यादव भी सलमान खान के जैसे चैरिटी करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार वह सभी धर्म और जाति के ६२ बच्चों की पढ़ाई का ख़र्चा उठाते हैं और उनपर हर महीने लगभग तीन लाख रुपये खरचते हैं। खेसारी हर महीने वृद्धाश्रम में भी जाकर बुज़ुर्गों से मिलते हैं और उनके लिए फल मिठाइयाँ आदि ले जाते हैं। यह सुपरस्टार्स की दरियादिली है कि उनको जैसे भगवान छप्पर फाड़ के देता है वैसे ही वो भी ज़रूरतमंदों पर लुटाते हैं। दर्शकों को लिए यह ईद का त्योहार सच में काफी मनोरंजक होने वाला है उन्हें सलमान खान के साथ पवन सिंह और खेसारी लाल यादव की भी फ़िल्में देखने को मिलेंगी।
बेंगलुरु। अमेरिका की प्रतिष्ठित येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण अध्ययन से यह पता चला है कि जिन कॉलेज विद्यार्थियों ने सुदर्शन क्रिया श्वसन तकनीक का अभ्यास किया, उनके स्वास्थ्य के छः मुख्य क्षेत्रों- अवसाद, तनाव, मानसिक स्वास्थ्य, सचेतन अवस्था, सकारात्मक प्रभाव और सामाजिक जुड़ाव में सुधार देखा गया। फ्रंटियर्स इन साईकिएट्री में रिपोर्ट किए गए और येल यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर उल्लिखित किए गए जांच के परिणामों में यह कहा गया है कि कठिन परिस्थितियों से उबरने के लिए ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम यूनिवर्सिटी कैंपस में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य पर आए संकट को दूर करने में एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित हुए हैं। इस उच्च स्तर के अध्ययन का निर्देशन येल चाइल्ड स्टडी सेंटर एंड येल सेंटर फॉर इमोशनल इंटेलिजेंस, येल यूनिवर्सिटी,सेंटर फॉर कंपैशन एंड अल्ट्रूज्म रिसर्च एंड एजुकेशन, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, लेपजिग यूनिवर्सिटी, लेपजिग, जर्मनी, येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, येल यूनिवर्सिटी एंड मेडिकल रिसर्च काउंसिल कोग्निशन एंड ब्रेन साइंसेज यूनिट, यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के शोधकर्ताओं के द्वारा किया गया। इस महामारी के चलते, जब मानसिक स्वास्थ्य की बात आती है, तो भविष्य को लेकर अनिश्चितताओं, बढ़ते विरोध और वैश्विक तनाव के कारण स्थिति और भी खराब हुई है और एक विशेष आयु समूह के युवा इसकी चपेट में आए हैं। यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण में, येल चाइल्ड स्टडी सेंटर एंड येल सेंटर फॉर इमोशनल इंटेलिजेंस की शोध टीम ने क्लासरूम में हुए तीन वैलनेस ट्रेनिंग प्रोग्राम के आधार पर मूल्यांकन किया। इन सभी प्रोग्राम्स में श्वसन एवं भावनात्मक बुद्धिमत्ता रणनीति शामिल थीं। इन प्रोग्राम्स का परीक्षण ४ हफ्तों तक १३५ अंडरग्रैजुएट विद्यार्थियों पर किया गया और परिणामों कि तुलना उन नियंत्रित अंडरग्रैजुएट विद्यार्थियों के समूह से की गई, जिन्होंने इन तीनों प्रोग्राम्स में से एक भी प्रोग्राम में हिस्सा नहीं लिया था। शोधकर्ताओं ने बताया कि नियंत्रित समूह की तुलना में एस के वाई कैंपस हैप्पीनेस ने बहुत अच्छे सुधार को दर्शाया। उन विद्यार्थियों को अवसाद, तनाव, सचेतन अवस्था, सकारात्मक प्रभाव और सामाजिक जुड़ाव जैसी छः स्थितियों में मदद मिली। आर्ट ऑफ लिविंग का एस के वाई कैंपस हैप्पीनेस प्रोग्राम एक श्वसन तकनीक पर आधारित है, जिसे एस के वाई (सुदर्शन क्रिया योग) कहा जाता है। इसमें श्वसन ध्यान, योगासन, सामाजिक जुड़ाव और सेवा कार्य शामिल हैं। एम्मा सेप्पाला, येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में वूमेंस लीडरशिप प्रोग्राम की फैकल्टी डायरेक्टर और प्रमुख लेखिका ने यह बताया, "शैक्षिक कुशलताओं के साथ - साथ हमें विद्यार्थियों को यह भी सिखाने की आवश्यकता है कि एक संतुलित जीवन किस प्रकार से जिया जाए। पिछले १० वर्षों में विद्यार्थियों का मानसिक स्वास्थ्य खराब हुआ है।" सुदर्शन क्रिया एक शक्तिशाली लयबद्ध श्वसन तकनीक है, जो आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रमों में सिखाई जाती है, जो जीवकोषीय स्तर पर तनाव और भावनात्मक विष को दूर करती है। शोध यह दर्शाता है कि यह तकनीक नींद के चक्र को सुधारने, हैप्पी और फील गुड हार्मोन्स, जैसे- ऑक्सीटोसिन के स्राव को सुधारने, तनाव उत्पन्न करने वाले हार्मोन्स, जैसे- कॉर्टिसोल के स्राव को कम करने, सजगता को बढ़ाने और चिकित्सीय अवसाद लक्षणों को कम करने में मदद करती है।
नींद में चलना (अंग्रेज़ी: सोमनाम्बुलिस) अर्थात् स्लीपवाकिंग एक विचित्र प्रकार की गंभीर मनोवैज्ञानिक बीमारी है जो कि कुछ ही लोगों में पायी जाती है। जिसे सोमनाबुलिज्म (सोमनाम्बुलिस) या स्लीपिंग डिसऑर्डर भी कहा जाता है। इस रोग में रोगी नींद में ही चलने लगता है। इस बीमारी से ग्रसित रोगी रात में नींद से उठकर अपने बिस्तर से चलता है और एक जागे हुए मनुष्य की तरह विभिन्न कार्य को आसानी से कर देता है। उसे पता ही नहीं चलता कि वो रात को क्या कर रहा था। जब रोगी ऐसा कर रहा होता है तब वे अर्धजागृत अवस्था में होता है, लेकिन फिर से सो जाने के बाद जब वह सुबह जागता है तो उसे अपने द्वारा नींद में किए गए कार्य याद नहीं रहते। यह एक विचित्र बीमारी है जो कि स्नायुविक गड़बड़ी से होती है। नींद में चलना एक विकार है। आंकड़ों के अनुसार इससे भारत के लगभग चौदह प्रतिशत किशोर इस रोग से पीड़ित होते है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ४ से ८ वर्ष के बच्चों में सोमनाबुलिज्म की समस्या ज़्यादा देखने को मिलती है। स्लीपवाकिंग स्कूल जाने वाली उम्र के बच्चों में आम रूप से होता है। एक अध्ययन से पता चला है की लगभग १५% तक बच्चे जो कि ५ से १२ साल की उम्र के हैं वो अपनी नींद में कम से कम एक बार चलते हैं। लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में नींद में चलने की बीमारी ज़्यादा पाई जाती है। बार बार स्लीपवाकिंग पुरुषों में आम होती है और बिस्तर में पेशाब करने के साथ होती है। नींद में चलना एक मस्तिष्क रोग के साथ-साथ नींद का भी विकार है। यह तंत्रिका-तंत्र का मस्तिष्क विकार है। उदाहरण के लिए जैसे- जब हम जागृत अवस्था में होते हैं तो मस्तिष्क भी पूर्णतः जागृत अवस्था में होता है, परंतु नींद में चलने वालों के मस्तिष्क का एक हिस्सा तो गतिशील रहता है जबकि दूसरा हिस्सा सुप्त अवस्था में रहता है, जिसके कारण वे नींद में भी उठ कर चलने लगते है। लेकिन यह अवस्था ज़्यादा देर नहीं रहती, सिर्फ उतनी देर ही रहती है जब बच्चा चल रहा होता है। बच्चे नींद में क्यों चलते हैं?
हरियाणा के फतेहाबाद की श्वेता मेहता लोकप्रिय स्टंट बेस्ड रियलिटी शो 'एमटीवी रोडीस राइजिंग' की विनर बन गई हैं। श्वेता मेहता को विनिंग अमाउंट के तौर पर पांच लाख रुपये और एक रेनॉल्ट डस्टर कार मिली। फिटनेस एथलीट में शामिल २८ साल की श्वेता मेहता जेराई वुमेन फिटनेस मॉडल चैंपियनशिप २०१६ भी जीत चुकी हैं और अब रोडिज का खिताब अपने नाम कर वो सातवें आसमान पर हैं। महिला विश्वकप के फाइनल मुकाबले में भारत को नौ रन से हराकर इंग्लैंड ने विश्वकप जीत लिया। आखिरी ओवर तक खिंचे इस रोमांचक मैच में भारत को हार का सामना करना पड़ा। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत को २२८ रन का लक्ष्य दिया।
सभी प्रकार के रंग और विशिष्टता या 'ग्राहकों की आवश्यकता के रूप में. वई चीन में पीपी बुना बैग के एक व्यावसायिक निर्माण कर रहे हैं, विभिन्न आकार के साथ उच्च गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धी मूल्य है। हम एक संयुक्त-स्टॉक उद्यम कर रहे हैं, और मुख्य रूप से विभिन्न प्रकार की पैकिंग और पैकेजिंग फिल्म, के रूप में शेडोंग प्रांत के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में सबसे बड़ी पैकेजिंग उद्यम है। कर रहे हैं ६०० स्टाफ, इंजीनियरों और तकनीशियनों ३०, ३० प्रबंधकों में हमारी कंपनी है। कंपनी आप्प्राइसेड किया गया है के रूप में अबिडिंग अनुबंध और भरोसेमंद उद्यम वर्ष वर्ष के बाद, १५० लाख युआन वार्षिक उत्पादन के साथ. हमारी कंपनी मुख्य रूप से उत्पादन एचडीपीई, लैंपे, एलएलडीपीई, पीपी और अन्य प्रकार की पैकेजिंग बैग है। लंबी अवधि लक्ष्यों, ईमानदार और स्थिर आपरेशन हमारे प्रबंधन के विचार से मिलकर बनता है।
अगर आपका ऑफिस भी चारों तरफ से बंद है और यहां पर नैचरल हवा नहीं आती तो आपके लिए यह चिंता की बात हो सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक-ऑफिस में प्राकृतिक हवा का न आना कर्मचारियों की सेहत पर खराब असर डालता है। ऑफिस में वेंटिलेशन (हवा की आवाजाही) न होने के चलते कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है जिसका दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। एक रिपोर्ट के हवाले से न्यू यॉर्क टाइम्स में कहा गया कि इंसान उसी वातावरण में रह सकता है जहां ज्यादा ऑक्सिजन हो, ताकि हम आसानी से सांस ले सकें। कार्बन डाईऑक्साइड (जिसे हम श्वास के जरिए शरीर से बाहर निकालते हैं) शरीर के लिए नुकसानदेह साबित होती है। कमरे में कार्बन डाईऑक्साइड का बेहद कम स्तर भी दम घोंटू साबित हो सकता है। यह ब्रेन को मिलने वाली ऑक्सिजन को भी बाधित कर सकता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक शरीर के अंदरूनी अंगों में ऑक्सिजन का कम पहुंचना व्यक्ति की बुद्धिमानी पर असर डालता है। इन्वायरनरमेंटल प्रॉटेक्शन एजेंसी (ईपीए) के मुताबिक बंद कमरे में भी प्रदूषण का स्तर २ से ५ गुना तक बढ़ सकता है। ये प्रदूषक हृदय और फेफड़ों में होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं। साथ ही इससे समय से पहले मौत भी हो सकती है। सोनभद्र हिंसा को लेकर प्रियंका गांधी का सियासी ऐक्शन, क्या कांग्रेस का है इंदिरा प्लान?
इंटरनेट डेस्क: सरकारी नौकरी पाने का सुनहरा मौका इंडियन आर्मी में हवालदार के २० पदों पर भर्तियां होने जा रही हैं। इच्छुक अभ्यर्थी इसके लिए ३ नंवबर तक आवेदन कर सकते हैं। इसकी आवेदन प्रक्रिया चालू है। इन पदों के लिए चयन लिखित परीक्षा के साथ साथ फिज़िकल टेस्ट के आधार पर होगा। आवेदन की पूरी प्रक्रिया अधिकारिक वेबसाइट पर दी गई है। जहां से पूरी जानकारी लेने के बाद ही आप अप्लाई कर सकते हैं। इन पदों पर चयन लिखित परीक्षा के साथ साथ फिजिकल टेस्ट के आधार पर होगा। इन पदों के लिए गणित विषय का होना जरूरी है भले ही ये बीए या बीएससी के साथ किया गया हो। साथ ही आवेदक को फिजिक्स, कैमिस्ट्री और गणित विषय में १२वीं उत्तीर्ण किया होना चाहिए।१ अक्टूबर, २०१8 को आवेदक की न्यूनतम आयु २० और अधिकतम आयु २५ साल होनी चाहिए।
लखनऊ,(एजेंसी)२६ अगस्त। नये लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रस्ताव चौथी बार राजभवन से खारिज होने के बाद सरकार अब सारी सच्चाई सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेगी। सरकार के विधि विशेषज्ञों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। उनका मानना है कि न्यायमूर्ति रविन्द्र सिंह को लोकायुक्त नियुक्त करने के लिए भेजा गया उनका प्रस्ताव कानूनी रूप से दुरुस्त है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोकायुक्त की नियुक्ति के प्रयास तेज हुए। समय-समय पर राज्य सरकार की ओर से भेजे गये चार प्रस्तावों पर राजभवन ने न सिर्फ सवाल उठाये बल्कि सोमवार को चौथा प्रस्ताव खारिज करते हुए रविन्द्र सिंह के स्थान पर नया नाम भेजने का निर्देश भी दे दिया। राजभवन के तल्ख रुख के बाद राज्य सरकार ने सब कुछ सुप्रीम कोर्ट को बताने की तैयारी है। सूत्रों का कहना है कि इसमें लोकायुक्त अधिनियम का हवाला देकर यह बताया जायेगा कि लोकायुक्त चयन कमेटी में सतर्कता के विभागीय मंत्री (जो मुख्यमंत्री हैं) व नेता प्रतिपक्ष सदस्य हैं, जिनके द्वारा चयनित नाम पर मुख्य न्यायाधीश से सलाह ली जाती है। दो सदस्यों ने रविन्द्र सिंह के नाम का चयन किया है। ऐसे में राजभवन का ऐतराज जायज नहीं है। सरकार सुप्रीम कोर्ट के सामने सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों का उल्लेख कर अपने प्रस्ताव को सही ठहराने का प्रयास भी करेगी। राज्य सरकार मुख्यमंत्री के विशेषाधिकार का हवाला भी दिया जायेगा। सरकार के सूत्रों का कहना है कि लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार के कैबिनेट के निर्णय मानने की बाध्यता का तर्क भी सुप्रीम कोर्ट में रखा जायेगा।