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ग़रीबी के विषय पर बेहतरीन ग़ज़ल | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/poverty/ghazals
[ "के अभाव की स्थिति है। कविता जब भी मानव मात्र के पक्ष में खड़ी होगी, उसकी बुनियादी आवश्यकताएँ और आकांक्षाएँ हमेशा कविता के केंद्र में होंगी। प्रस्तुत है ग़रीब और ग़रीबी पर संवाद रचती कविताओं का यह चयन।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
ग़रीबी के विषय पर बेहतरीन निबंध | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/poverty/essay
[ "के अभाव की स्थिति है। कविता जब भी मानव मात्र के पक्ष में खड़ी होगी, उसकी बुनियादी आवश्यकताएँ और आकांक्षाएँ हमेशा कविता के केंद्र में होंगी। प्रस्तुत है ग़रीब और ग़रीबी पर संवाद रचती कविताओं का यह चयन।", "प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फ़ोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुर्ता और धोती पहने हैं। कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियाँ उभर आई हैं, पर घनी मूँछें चेहरे को भरा-भरा बतलाती हैं।\r\n \r\nपाँवों में केनवस के जूते हैं, जिनके", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
कौन जात हो भाई - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/kaun-jaat-ho-bhai-bachcha-lal-unmesh-kavita?sort=
[ "कौन जात हो भाई?", "“दलित हैं साब!”", "नहीं मतलब किसमें आते हो?", "आपकी गाली में आते हैं", "गंदी नाली में आते हैं", "और अलग की हुई थाली में आते हैं साब!", "मुझे लगा हिंदू में आते हो!", "आता हूँ न साब! पर आपके चुनाव में।", "क्या खाते हो भाई?", "“जो एक दलित खाता है साब!”", "नहीं मतलब क्या-क्या खाते हो?", "आपसे मार खाता हूँ", "क़र्ज़ का भार खाता हूँ", "और तंगी में नून तो कभी अचार खाता हूँ साब!", "नहीं मुझे लगा कि मुर्ग़ा खाते हो!", "खाता हूँ न साब! पर आपके चुनाव में।", "क्या पीते हो भाई?", "“जो एक दलित पीता है साब!", "नहीं मतलब क्या-क्या पीते हो?", "छुआ-छूत का ग़म", "टूटे अरमानों का दम", "और नंगी आँखों से देखा गया सारा भरम साब!", "मुझे लगा शराब पीते हो!", "पीता हूँ न साब! पर आपके चुनाव में।", "क्या मिला है भाई", "“जो दलितों को मिलता है साब!", "नहीं मतलब क्या-क्या मिला है?", "ज़िल्लत भरी ज़िंदगी", "आपकी छोड़ी हुई गंदगी", "और तिस पर भी आप जैसे परजीवियों की बंदगी साब!", "मुझे लगा वादे मिले हैं!", "मिलते हैं न साब! पर आपके चुनाव में।", "क्या किया है भाई?", "“जो दलित करता है साब!", "नहीं मतलब क्या-क्या किया है?", "सौ दिन तालाब में काम किया", "पसीने से तर सुबह को शाम किया", "और आते जाते ठाकुरों को सलाम किया साब!", "मुझे लगा कोई बड़ा काम किया!", "किया है न साब! आपके चुनाव का प्रचार!”", "kaun jaat ho bhai?", "“dalit hain saab!”", "nahin matlab kismen aate ho?", "apaki gali mein aate hain", "gandi nali mein aate hain", "aur alag ki hui thali mein aate hain saab!", "mujhe laga hindu mein aate ho!", "aata hoon na saab! par aapke chunav mein.", "kya khate ho bhai?", "“jo ek dalit khata hai saab!”", "nahin matlab kya kya khate ho?", "aapse maar khata hoon", "karz ka bhaar khata hoon", "aur tangi mein noon to kabhi achar khata hoon saab!", "nahin mujhe laga ki murga khate ho!", "khata hoon na saab! par aapke chunav mein.", "kya pite ho bhai?", "“jo ek dalit pita hai saab!", "nahin matlab kya kya pite ho?", "chhua chhoot ka gham", "tute armanon ka dam", "aur nangi ankhon se dekha gaya sara bharam saab!", "mujhe laga sharab pite ho!", "pita hoon na saab! par aapke chunav mein.", "kya mila hai bhai", "“jo daliton ko milta hai saab!", "nahin matlab kya kya mila hai?", "zillat bhari zindagi", "apaki chhoDi hui gandgi", "aur tis par bhi aap jaise parjiviyon ki bandgi saab!", "mujhe laga vade mile hain!", "milte hain na saab! par aapke chunav mein.", "kya kiya hai bhai?", "“jo dalit karta hai saab!", "nahin matlab kya kya kiya hai?", "sau din talab mein kaam kiya", "pasine se tar subah ko shaam kiya", "aur aate jate thakuron ko salam kiya saab!", "mujhe laga koi baDa kaam kiya!", "kiya hai na saab! aapke chunav ka parchar!”", "kaun jaat ho bhai?", "“dalit hain saab!”", "nahin matlab kismen aate ho?", "apaki gali mein aate hain", "gandi nali mein aate hain", "aur alag ki hui thali mein aate hain saab!", "mujhe laga hindu mein aate ho!", "aata hoon na saab! par aapke chunav mein.", "kya khate ho bhai?", "“jo ek dalit khata hai saab!”", "nahin matlab kya kya khate ho?", "aapse maar khata hoon", "karz ka bhaar khata hoon", "aur tangi mein noon to kabhi achar khata hoon saab!", "nahin mujhe laga ki murga khate ho!", "khata hoon na saab! par aapke chunav mein.", "kya pite ho bhai?", "“jo ek dalit pita hai saab!", "nahin matlab kya kya pite ho?", "chhua chhoot ka gham", "tute armanon ka dam", "aur nangi ankhon se dekha gaya sara bharam saab!", "mujhe laga sharab pite ho!", "pita hoon na saab! par aapke chunav mein.", "kya mila hai bhai", "“jo daliton ko milta hai saab!", "nahin matlab kya kya mila hai?", "zillat bhari zindagi", "apaki chhoDi hui gandgi", "aur tis par bhi aap jaise parjiviyon ki bandgi saab!", "mujhe laga vade mile hain!", "milte hain na saab! par aapke chunav mein.", "kya kiya hai bhai?", "“jo dalit karta hai saab!", "nahin matlab kya kya kiya hai?", "sau din talab mein kaam kiya", "pasine se tar subah ko shaam kiya", "aur aate jate thakuron ko salam kiya saab!", "mujhe laga koi baDa kaam kiya!", "kiya hai na saab! aapke chunav ka parchar!”", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
अगर हमने तय किया होता कि हम नहीं जाएँगे - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/agar-hamne-tay-kiya-hota-ki-hum-nahin-jayenge-devi-prasad-mishra-kavita-25?sort=
[ "यह कविता लाखों श्रमजीवियों के साथ चार कवियों संजय कुंदन, विष्णु नागर, नवल शुक्ल और धीरेंद्र नाथ तिवारी के लिए जिनके प्रति मैंने फ़ोन पर बेहतरीन कविताएँ लिखने के लिए कृतज्ञता ज़ाहिर की। यह कविता इन कवियों की उन चार उत्कृष्ट कविताओं की संवेदना और समझ में एक और पक्ष को जोड़ने की विनम्रता भर है।अगर हमने तय किया होता कि हम नहीं जाएँगेअगर हमने तय किया होता कि हम वापस नहीं जाएँगेतो हम पूछते कि देश के विभाजन के समय जैसे इस पलायन मेंकौन किस देश से निकल रहा था और किस देश की तरफ़ जा रहा थाहैव और हैवनॉट्स के हैबतनाक मंज़र में।तब हम पूछते कि हम युद्ध के हताहत शरणार्थी थेया स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का वादा करने वालीसंविधान द्वारा प्रदत्त नागरिकता।तब हम पूछते कि सौ करोड़ और पाँच सौ करोड़ केप्रतिष्ठान और स्थापत्य की रक्षा के लिए हमेंगार्ड और गेटकीपर के तौर पर एक दिन के लिएदो और तीन सौ रुपए क्यों दिए जाते थे।अगर हमने तय किया होता कि हम नहीं जाएँगे तो हम बतातेकि मेज़ पर किताब रखकर पढ़ने से कम बड़ा काम नहीं है मेज़ बनाना।तब हम पूछते कि सिर पर ईंट ढोनाएक अच्छे घर में रहने की हक़दारी और दावेदारीको किस तरह कम कर देता है।तब हम बताते कि शहर की रौशनी को ठीक करने के बादअपने घर के अँधेरे में लौटते हुएहमारा दिल कितना फटता थाऔर यही लगता था कि सारे शहर की बत्ती की सप्लाई प्लास से काट दें।तब हम बताते कि घर लौटकर टी.वी. पर हमअंगिया चोली वाला भोजपुरी गाना या सपना चौधरी की कमर नहीं देखना चाहते थेहम भोजपुरी और हरियाणवी में देखना चाहते थे सलीम लंगड़े पे मत रोतब हम बताते कि चैनलों और अख़बारों में प्रियंका-जोनास, शिल्पा शेट्टी-राज कुंद्रा, सोनम कपूर-आनंद आहूजा की निस्सार पेड इंस्टाग्राम प्रेम-कथाओं और तैमूर, रूही और यश की आभिजात्य मासूमियत से हम ऊबे हुए हैं। और क्यों लापता हैं नीम के नीचे खलिहान में किए गए हमारे प्रेम के वृत्तांत और काजल लगे धूल में सने हमारे बच्चों की दरिद्र अबोधताओं के काले-साँवले विवरण, घेरती जाती इस चमकीली गिरावट में।हम अपने चीथड़ों से चमकते परिधानों को लज्जित कर देते।हम सरकार को अनफ़्रेंड कर देते।हम अमिताभ बच्चन से कहतेकि सत्ता की थाली मत बजाओबाजा मत बनो, अकबर बनो, कैंड़ेदार इलाहाबादी बनोइलाहाबादी असहमति की अकड़, मनहूसियत और मातम।तब हम नितिन गडकरी से कहते कि चचा,यह सावरकर मार्ग हमें हमारे विनाश की तरफ़ ले जाता हैहम नहीं जाने वाले इस हेडगेवार पथ पर।अगर हमने तय किया होता कि हम गाँव नहीं जाएँगे तो हम बताते कि हमारे बच्चे स्कूल जा सकते हैं, हमारी पत्नी कहानी पढ़ सकती है, हम छुट्टी ले सकते हैं और हम यमुना के तट पर पिकनिक के लिए जा सकते हैं; अगर उसके काले जल से शाखाई हिंदुत्व के घोटाले की बू न आ रही हो तो।अगर हमने तय किया होता कि नहीं जाएँगे हम तब हम यह गाना गाते :भूख ज़्यादा हैमगर पैसे नहीं हैंसभ्यता हमने बनाईखिड़कियाँ की साफ़ हमनेकी तुम्हारी बदतमीज़ी माफ़ हमनेजान लो ऐसे नहीं वैसे नहीं हैंभूख ज़्यादा है मगर पैसे नहीं हैंडस्टबिन हमने हटाएवह वजह क्या जो हमें कमतर दिखाएक्यों लगे बे, आदमी जैसे नहीं हैंभूख ज़्यादा है मगर पैसे नहीं हैंअगर हमने तय किया होता कि हम नहीं जाएँगे तो हम पूछते कि क्योंअख़बार बाँटने वाले के घर का चूल्हा जल जाए तो ग़नीमतजबकि ख़बर का धंधा करने वाला अरबों के धंधे में लिथड़ा होता हैऔर रोज़ थोड़ा-थोड़ा धीमा-धीमा देश जलाने का काम करता रहता है।अगर हमने तय किया होता कि हम नहीं जाएँगे तो हम नोबेल पाने वाले अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी से पूछते कि सारे मामले को जो है सो है और थोड़ा-बहुत रद्दोबदल वाले अंदाज़ में ही क्यों देखते हो; क्यों सही बात नहीं कहते कि यह ढाँचा खो चुका है अपनी वैधता।", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
पहाड़ पर लालटेन - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/pahad-par-lalten-manglesh-dabral-kavita?sort=
[ "जंगल में औरतें हैं", "लकड़ियों के गट्ठर के नीचे बेहोश", "जंगल में बच्चे हैं", "असमय दफ़नाए जाते हए", "जंगल में नंगे पैर चलते बूढ़े हैं", "डरते-खाँसते अंत में ग़ायब हो जाते हुए", "जंगल में लगातार कुल्हाड़ियाँ चल रही हैं", "जंगल में सोया है रक्त", "धूप में तपती हुई चट्टानों के पीछे", "वर्षों के आर्तनाद हैं", "और थोड़ी-सी घास है बहुत प्राचीन", "पानी में हिलती हुई", "अगले मौसम के जबड़े तक पहुँचते पेड़", "रातोंरात नंगे होते हैं", "सूई की नोक जैसे सन्नाटे में", "जली हुई धरती करवट लेती है", "और एक विशाल चक्के की तरह घूमता है आसमान", "जिसे तुम्हारे पूर्वज लाए थे यहाँ तक", "वह पहाड़ दुख की तरह टूटता आता है हर साल", "सारे वर्ष सारी सदियाँ", "बर्फ़ की तरह जमती जाती हैं निःस्वप्न आँखों में", "तुम्हारी आत्मा में", "चूल्हों के पास पारिवारिक अंधकार में", "बिखरे हैं तुम्हारे लाचार शब्द", "अकाल में बटोरे गए दानों जैसे शब्द", "दूर एक लालटेन जलती है पहाड़ पर", "एक तेज़ आँख की तरह", "टिमटिमाती धीरे-धीरे आग बनती हुई", "देखो अपने गिरवी रखे हुए खेत", "बिलखती स्त्रियों के उतारे गए गहने", "देखो भूख से बाढ़ से महामारी से मरे हुए", "सारे लोग उभर आए हैं चट्टानों से", "दोनों हाथों से बेशुमार बर्फ़ झाड़कर", "अपनी भूख को देखो", "जो एक मुस्तैद पंजे में बदल रही है", "जंगल से लगातार एक दहाड़ आ रही है", "और इच्छाएँ दाँत पैने कर रही हैं", "पत्थरों पर।", "jangal mein aurten hain", "lakaDiyon ke gatthar ke niche behosh", "jangal mein bachche hain", "asamay dafnaye jate hae", "jangal mein nange pair chalte buDhe hain", "Darte khanste ant mein ghayab ho jate hue", "jangal mein lagatar kulhaDiyan chal rahi hain", "jangal mein soya hai rakt", "dhoop mein tapti hui chattanon ke pichhe", "warshon ke artanad hain", "aur thoDi si ghas hai bahut prachin", "pani mein hilti hui", "agle mausam ke jabDe tak pahunchte peD", "ratonrat nange hote hain", "sui ki nok jaise sannate mein", "jali hui dharti karwat leti hai", "aur ek wishal chakke ki tarah ghumta hai asman", "jise tumhare purwaj laye the yahan tak", "wo pahaD dukh ki tarah tutta aata hai har sal", "sare warsh sari sadiyan", "barf ki tarah jamti jati hain niःswapn ankhon mein", "tumhari aatma mein", "chulhon ke pas pariwarik andhkar mein", "bikhre hain tumhare lachar shabd", "akal mein batore gaye danon jaise shabd", "door ek lalten jalti hai pahaD par", "ek tez ankh ki tarah", "timtimati dhire dhire aag banti hui", "dekho apne girwi rakhe hue khet", "bilakhti striyon ke utare gaye gahne", "dekho bhookh se baDh se mahamari se mare hue", "sare log ubhar aaye hain chattanon se", "donon hathon se beshumar barf jhaDkar", "apni bhookh ko dekho", "jo ek mustaid panje mein badal rahi hai", "jangal se lagatar ek dahaD aa rahi hai", "aur ichhayen dant paine kar rahi hain", "patthron par", "jangal mein aurten hain", "lakaDiyon ke gatthar ke niche behosh", "jangal mein bachche hain", "asamay dafnaye jate hae", "jangal mein nange pair chalte buDhe hain", "Darte khanste ant mein ghayab ho jate hue", "jangal mein lagatar kulhaDiyan chal rahi hain", "jangal mein soya hai rakt", "dhoop mein tapti hui chattanon ke pichhe", "warshon ke artanad hain", "aur thoDi si ghas hai bahut prachin", "pani mein hilti hui", "agle mausam ke jabDe tak pahunchte peD", "ratonrat nange hote hain", "sui ki nok jaise sannate mein", "jali hui dharti karwat leti hai", "aur ek wishal chakke ki tarah ghumta hai asman", "jise tumhare purwaj laye the yahan tak", "wo pahaD dukh ki tarah tutta aata hai har sal", "sare warsh sari sadiyan", "barf ki tarah jamti jati hain niःswapn ankhon mein", "tumhari aatma mein", "chulhon ke pas pariwarik andhkar mein", "bikhre hain tumhare lachar shabd", "akal mein batore gaye danon jaise shabd", "door ek lalten jalti hai pahaD par", "ek tez ankh ki tarah", "timtimati dhire dhire aag banti hui", "dekho apne girwi rakhe hue khet", "bilakhti striyon ke utare gaye gahne", "dekho bhookh se baDh se mahamari se mare hue", "sare log ubhar aaye hain chattanon se", "donon hathon se beshumar barf jhaDkar", "apni bhookh ko dekho", "jo ek mustaid panje mein badal rahi hai", "jangal se lagatar ek dahaD aa rahi hai", "aur ichhayen dant paine kar rahi hain", "patthron par", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
प्रार्थना - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/pararthna-navin-rangiyal-kavita?sort=
[ "अगर बे-असर न होतीं बार-बार", "और पूरी होकर लौटतीं प्रार्थनाएँ", "तो मैं सबसे पहले ट‍हनि‍यों की तरह नाज़ुक हड्डि‍यों वाले बच्‍चों के लिए प्रोटीन माँगता", "मैं चाहता कि‍ देश मज़बूत रीढ़वालों के हाथों में सौंपा जाए", "उसके बाद रेल की पटरि‍यों पर अँधेरे में सुबकते", "प्रेमि‍यों के लि‍ए बहुत सारी जगह माँगता", "मैं अपील करता कि शहर का सारा प्‍यार", "अँधेरी गलि‍यों, कॉफ़ी हाउस और होटल के कमरों से बाहर निकाला जाए", "बेवाओं के लिए माँगता लोहे की आरि‍याँ", "पंडि‍त और मुल्‍लाओं के लि‍ए बहुत सारे नेक इरादे", "मैं चाहता कि जवानियाँ हादसों का शि‍कार न हों", "उनके लि‍ए माँगता बूढ़ा होकर मर जाने तक की मोहलत", "मेरी सबसे नाज़ुक माँग बच्‍चों के लि‍ए होती", "मैं इस सूची में शामि‍ल करता एक-एक जोड़ी जूते उन सभी बच्‍चों के लिए", "जो अस्‍पतालों के पीछे सुइयाँ बीनते हैं नंगे पैर", "सरकार के लि‍ए अपनी आग से सड़क की धूप खोदने वाली औरतों के लिए एक-एक रफ़ूगर माँगता", "जो उनके फटे हुए ब्‍लाउज़ और पेटीकोट सि‍लने के बदले नहीं माँगते उनकी देह", "रफ़ूगर उनके प्‍यार में पड़ते", "और बेईमान ठेकेदारों से उन्‍हें दिलाते उनका मेहनताना और पसीने का वाजिब दाम", "नदी के उस तरफ़ रहने वाले तमाम लड़कों के लि‍ए एक पुल की दुआ करता", "कि वे आसानी से आ सकें इस तरफ़ और रख सकें अपने इज़हार सुंदर हथेलियों पर", "मैं इस दुनिया में कुछ बड़े जहाज़ों की उम्‍मीद करता", "जो तमाम शिकायतों और झूठी एफ़आईआर को भरकर कि‍सी बेनाम ट्र‍िचिंग ग्राउंड पर फेंक आते", "मैं माँगता कि दुनिया ज़ालिम और मज़लूम की कहानी भर न हो", "इसमें कुछ सुंदर कविताएँ, कुछ गद्य और पूरी प्रेम-कहानियाँ भी हों", "मैं जिसके प्‍यार में मर चुका हूँ", "उसकी आँखों के किनारे एक नाव रखता", "जो सारे आँसू भरकर दूर कहीं डूब जाए", "फि‍र उसके लि‍ए माँगता एक खि‍ड़की", "खिड़की के बाहर न बदलने वाला एक मौसम", "कुछ बेहद दिलकश शाइर जो उसे प्रतीक्षाओं की कहानियाँ सुनाते", "मेरी ग़ैरहाज़िरी में उसका दि‍ल बहलाते", "उसे गीत सुनाते", "वहीं दूर कहीं अँधेरे में एक सफ़ेद क़ब्र होती", "जि‍स पर मैं अपना नाम लिखा हुआ माँगता", "agar be asar na hotin bar bar", "aur puri hokar lauttin prarthnayen", "to main sabse pahle t‍hani‍yon ki tarah nazuk haDDi‍yon wale bach‍chon ke liye protein mangta", "main chahta ki‍ desh mazbut riDhwalon ke hathon mein saumpa jaye", "uske baad rail ki patari‍yon par andhere mein subakte", "premi‍yon ke li‍e bahut sari jagah mangta", "main appeal karta ki shahr ka sara ‍yar", "andheri gali‍yon, coffe house aur hotel ke kamron se bahar nikala jaye", "bewaon ke liye mangta lohe ki ari‍yan", "panDi‍t aur mul‍laon ke li‍e bahut sare nek irade", "main chahta ki jawaniyan hadson ka shi‍kar na hon", "unke li‍e mangta buDha hokar mar jane tak ki mohlat", "meri sabse nazuk mang bach‍chon ke li‍e hoti", "main is suchi mein shami‍la karta ek ek joDi jute un sabhi bach‍chon ke liye", "jo as‍patalon ke pichhe suiyan binte hain nange pair", "sarkar ke li‍e apni aag se saDak ki dhoop khodne wali aurton ke liye ek ek rafugar mangta", "jo unke phate hue ‍lauz aur petikot si‍lane ke badle nahin mangte unki deh", "rafugar unke ‍yar mein paDte", "aur beiman thekedaron se un‍hen dilate unka mehnatana aur pasine ka wajib dam", "nadi ke us taraf rahne wale tamam laDkon ke li‍e ek pul ki dua karta", "ki we asani se aa saken is taraf aur rakh saken apne izhaar sundar hatheliyon par", "main is duniya mein kuch baDe jahazon ki um‍mid karta", "jo tamam shikayton aur jhuthi efaiar ko bharkar ki‍si benam tr‍iching graunD par phenk aate", "main mangta ki duniya zalim aur mazlum ki kahani bhar na ho", "ismen kuch sundar kawitayen, kuch gady aur puri prem kahaniyan bhi hon", "main jiske ‍yar mein mar chuka hoon", "uski ankhon ke kinare ek naw rakhta", "jo sare ansu bharkar door kahin Doob jaye", "phi‍r uske li‍e mangta ek khi‍Daki", "khiDki ke bahar na badalne wala ek mausam", "kuch behad dilkash shair jo use prtikshaon ki kahaniyan sunate", "meri ghairhaziri mein uska di‍la bahlate", "use geet sunate", "wahin door kahin andhere mein ek safed qabr hoti", "ji‍s par main apna nam likha hua mangta", "agar be asar na hotin bar bar", "aur puri hokar lauttin prarthnayen", "to main sabse pahle t‍hani‍yon ki tarah nazuk haDDi‍yon wale bach‍chon ke liye protein mangta", "main chahta ki‍ desh mazbut riDhwalon ke hathon mein saumpa jaye", "uske baad rail ki patari‍yon par andhere mein subakte", "premi‍yon ke li‍e bahut sari jagah mangta", "main appeal karta ki shahr ka sara ‍yar", "andheri gali‍yon, coffe house aur hotel ke kamron se bahar nikala jaye", "bewaon ke liye mangta lohe ki ari‍yan", "panDi‍t aur mul‍laon ke li‍e bahut sare nek irade", "main chahta ki jawaniyan hadson ka shi‍kar na hon", "unke li‍e mangta buDha hokar mar jane tak ki mohlat", "meri sabse nazuk mang bach‍chon ke li‍e hoti", "main is suchi mein shami‍la karta ek ek joDi jute un sabhi bach‍chon ke liye", "jo as‍patalon ke pichhe suiyan binte hain nange pair", "sarkar ke li‍e apni aag se saDak ki dhoop khodne wali aurton ke liye ek ek rafugar mangta", "jo unke phate hue ‍lauz aur petikot si‍lane ke badle nahin mangte unki deh", "rafugar unke ‍yar mein paDte", "aur beiman thekedaron se un‍hen dilate unka mehnatana aur pasine ka wajib dam", "nadi ke us taraf rahne wale tamam laDkon ke li‍e ek pul ki dua karta", "ki we asani se aa saken is taraf aur rakh saken apne izhaar sundar hatheliyon par", "main is duniya mein kuch baDe jahazon ki um‍mid karta", "jo tamam shikayton aur jhuthi efaiar ko bharkar ki‍si benam tr‍iching graunD par phenk aate", "main mangta ki duniya zalim aur mazlum ki kahani bhar na ho", "ismen kuch sundar kawitayen, kuch gady aur puri prem kahaniyan bhi hon", "main jiske ‍yar mein mar chuka hoon", "uski ankhon ke kinare ek naw rakhta", "jo sare ansu bharkar door kahin Doob jaye", "phi‍r uske li‍e mangta ek khi‍Daki", "khiDki ke bahar na badalne wala ek mausam", "kuch behad dilkash shair jo use prtikshaon ki kahaniyan sunate", "meri ghairhaziri mein uska di‍la bahlate", "use geet sunate", "wahin door kahin andhere mein ek safed qabr hoti", "ji‍s par main apna nam likha hua mangta", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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ग़ायब लोग - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/ghayab-log-aadarsh-bhushan-kavita?sort=
[ "हम अक्षर थे", "मिटा दिए गए", "क्योंकि लोकतांत्रिक दस्तावेज़", "विकास की ओर बढ़ने के लिए", "हमारा बोझ नहीं सह सकते थे", "हम तब लिखे गए", "जब जन गण मन लिखा जा रहा था", "भाग्य विधाता दुर्भाग्यवश हमें भूल गया", "हम संख्याएँ थे", "जिन्हें तब गिना गया", "जब कुछ लोग कम पड़ रहे थे", "एक तानाशाह को", "कुर्सी पर बिठाने को", "बसों में भरे गए", "रैलियों में ठेले गए", "जोड़ा गया जब", "सरकारी बाबू डकार रहे थे", "घटाया गया जब", "देश में निर्माण कार्य ज़ोरों पर था", "हम जहाँ खड़े दिखे", "अदना-सा मुँह लिए", "जिन पर मानो एक साइन बोर्ड लगा हो :", "“कार्य प्रगति पर है;", "असुविधा के लिए खेद है”", "हम खरपतवार थे", "पूँजीवादी खलिहानों में", "यूँ ही उग आए थे", "हमारे लिए कीटनाशक बनाए गए", "पचहत्तर योजनाएँ छिड़क-छिड़क कर मारा गया", "हम फटे हुए नोट थे", "चिपरे सिक्के थे", "चले तो चले", "वरना मंदिरों, मस्जिदों के", "बाहर की दीवारों पर चमकते रहे", "कटोरियों में खनकते रहे", "हम थे कि नहीं थे", "यह भी कहना मुश्किल है", "हम पराई जगहें छोड़कर", "अपनी जगहों के लिए निकले थे", "पहले पौ फटी", "फिर पैर फटे", "फिर आँत फटी", "और आख़िर में", "ज़मीन फटी", "हम आगे बढ़ाए गए", "पिछड़े लोग थे", "मसानों में ज़िंदा थे", "काग़ज़ों पर ग़ायब।", "hum akshar the", "mita diye gaye", "kyonki loktantrik dastawez", "wikas ki or baDhne ke liye", "hamara bojh nahin sah sakte the", "hum tab likhe gaye", "jab jan gan man likha ja raha tha", "bhagya widhata durbhagyawash hamein bhool gaya", "hum sankhyayen the", "jinhen tab gina gaya", "jab kuch log kam paD rahe the", "ek tanashah ko", "kursi par bithane ko", "bason mein bhare gaye", "railiyon mein thele gaye", "joDa gaya jab", "sarkari babu Dakar rahe the", "ghataya gaya jab", "desh mein nirman kary zoron par tha", "hum jahan khaDe dikhe", "adna sa munh liye", "jin par mano ek sain board laga ho ha", "“kary pragti par hai;", "asuwidha ke liye khed hai”", "hum kharpatwar the", "punjiwadi khalihanon mein", "yoon hi ug aaye the", "hamare liye kitanashak banaye gaye", "pachhattar yojnayen chhiDak chhiDak kar mara gaya", "hum phate hue not the", "chipre sikke the", "chale to chale", "warna mandiron, masjidon ke", "bahar ki diwaron par chamakte rahe", "katoriyon mein khanakte rahe", "hum the ki nahin the", "ye bhi kahna mushkil hai", "hum parai jaghen chhoDkar", "apni jaghon ke liye nikle the", "pahle pau phati", "phir pair phate", "phir aant phati", "aur akhir mein", "zamin phati", "hum aage baDhaye gaye", "pichhDe log the", "masanon mein zinda the", "kaghzon par ghayab", "hum akshar the", "mita diye gaye", "kyonki loktantrik dastawez", "wikas ki or baDhne ke liye", "hamara bojh nahin sah sakte the", "hum tab likhe gaye", "jab jan gan man likha ja raha tha", "bhagya widhata durbhagyawash hamein bhool gaya", "hum sankhyayen the", "jinhen tab gina gaya", "jab kuch log kam paD rahe the", "ek tanashah ko", "kursi par bithane ko", "bason mein bhare gaye", "railiyon mein thele gaye", "joDa gaya jab", "sarkari babu Dakar rahe the", "ghataya gaya jab", "desh mein nirman kary zoron par tha", "hum jahan khaDe dikhe", "adna sa munh liye", "jin par mano ek sain board laga ho ha", "“kary pragti par hai;", "asuwidha ke liye khed hai”", "hum kharpatwar the", "punjiwadi khalihanon mein", "yoon hi ug aaye the", "hamare liye kitanashak banaye gaye", "pachhattar yojnayen chhiDak chhiDak kar mara gaya", "hum phate hue not the", "chipre sikke the", "chale to chale", "warna mandiron, masjidon ke", "bahar ki diwaron par chamakte rahe", "katoriyon mein khanakte rahe", "hum the ki nahin the", "ye bhi kahna mushkil hai", "hum parai jaghen chhoDkar", "apni jaghon ke liye nikle the", "pahle pau phati", "phir pair phate", "phir aant phati", "aur akhir mein", "zamin phati", "hum aage baDhaye gaye", "pichhDe log the", "masanon mein zinda the", "kaghzon par ghayab", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
आओ, मिलो और एक बोसा ले लो - कविता | हिन्दवी
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[ "तुम मुझसे मिलना चाहते हो न", "तो आओ, मिलो मुझसे और एक बोसा ले लो", "मिलो उस क़स्बाई गंदगी और ख़ुशबू से", "जिसने मिलकर मुझे जवान किया", "जिसने खेतों से कटते प्लॉट देखे", "मुहल्ले के उसे पुराने जर्जर मकान से मिलो", "जिसका सबसे पुराना व्यक्ति पिछले दिनों मर गया", "घर के पिछवाड़े होते थे मासिक धर्म के कपड़ों के घूरे", "उनके बीच जगह ढूँढ़ कर शौच करतीं उन औरतों से मिलो", "जिनके पिता या पति उम्र भर शराबी रहे या बेरोज़गार", "सँकरी गलियों में टँगे छज्जों पर", "शाम होते ही लटकने लगती थीं घूँघट वाली बहुएँ", "छोटी-छोटी बातों पर करती थीं खिलकौरियाँ", "और कभी बात करते-करते रो उठतीं", "मैं चाहती हूँ तुम उन बहुओं से मिलो", "अभी भी उनकी आँखों के गड्ढों में नमकीन पानी भरा है", "तीन-छह-दस तोले सोने में लदीं", "मेहँदी और महावर से सजीं बीस-बाईस साल की लड़कियाँ", "ससुराल से लौटकर आईं तो पचास की हो गईं", "उन पचास साल की बूढ़ी लड़कियों से मिलो", "कभी-कभार राखी और शादी-ब्याह के मौक़ों पर आती हैं बस", "और आते ही बता देती हैं जाने की तारीख़", "सीलन भरे कमरे में रात भर तड़पती थीं कुछ जवान छातियाँ", "जो सुबह होते-होते सूख जातीं", "कभी उन सूखी छातियों वाली प्रेमिकाओं से मिलो", "देखो कैसे उनके जिस्म बर्फ़ हुए हैं", "पानी की सब्ज़ी में तैरते थे दो-तीन आलू और एक टमाटर", "बासी रोटियों के झुंड पर गिरते थे कई हाथ", "जिनकी रेखाओं में भरी थी बर्तनों के माँजन की राख", "मैं चाहती हूँ तुम उन हाथों से मिलो", "और उनका एक बोसा ले लो।", "tum mujhse milna chahte ho na", "to aao, milo mujhse aur ek bosa le lo", "milo us qasbai gandgi aur khushbu se", "jisne milkar mujhe jawan kiya", "jisne kheton se katte plaॉt dekhe", "muhalle ke use purane jarjar makan se milo", "jiska sabse purana wekti pichhle dinon mar gaya", "ghar ke pichhwaDe hote the masik dharm ke kapDon ke ghure", "unke beech jagah DhoonDh kar shauch kartin un aurton se milo", "jinke pita ya pati umr bhar sharabi rahe ya berozgar", "sankari galiyon mein tange chhajjon par", "sham hote hi latakne lagti theen ghunghat wali bahuwen", "chhoti chhoti baton par karti theen khilkauriyan", "aur kabhi baat karte karte ro uthtin", "main chahti hoon tum un bahuon se milo", "abhi bhi unki ankhon ke gaDDhon mein namkin pani bhara hai", "teen chhah das tole sone mein ladin", "mehandi aur mahawar se sajin bees bais sal ki laDkiyan", "sasural se lautkar ain to pachas ki ho gain", "un pachas sal ki buDhi laDakiyon se milo", "kabhi kabhar rakhi aur shadi byah ke mauqon par aati hain bus", "aur aate hi bata deti hain jane ki tarikh", "silan bhare kamre mein raat bhar taDapti theen kuch jawan chhatiyan", "jo subah hote hote sookh jatin", "kabhi un sukhi chhatiyon wali premikaon se milo", "dekho kaise unke jism barf hue hain", "pani ki sabzi mein tairte the do teen aalu aur ek tamatar", "basi rotiyon ke jhunD par girte the kai hath", "jinki rekhaon mein bhari thi bartnon ke manjan ki rakh", "main chahti hoon tum un hathon se milo", "aur unka ek bosa le lo", "tum mujhse milna chahte ho na", "to aao, milo mujhse aur ek bosa le lo", "milo us qasbai gandgi aur khushbu se", "jisne milkar mujhe jawan kiya", "jisne kheton se katte plaॉt dekhe", "muhalle ke use purane jarjar makan se milo", "jiska sabse purana wekti pichhle dinon mar gaya", "ghar ke pichhwaDe hote the masik dharm ke kapDon ke ghure", "unke beech jagah DhoonDh kar shauch kartin un aurton se milo", "jinke pita ya pati umr bhar sharabi rahe ya berozgar", "sankari galiyon mein tange chhajjon par", "sham hote hi latakne lagti theen ghunghat wali bahuwen", "chhoti chhoti baton par karti theen khilkauriyan", "aur kabhi baat karte karte ro uthtin", "main chahti hoon tum un bahuon se milo", "abhi bhi unki ankhon ke gaDDhon mein namkin pani bhara hai", "teen chhah das tole sone mein ladin", "mehandi aur mahawar se sajin bees bais sal ki laDkiyan", "sasural se lautkar ain to pachas ki ho gain", "un pachas sal ki buDhi laDakiyon se milo", "kabhi kabhar rakhi aur shadi byah ke mauqon par aati hain bus", "aur aate hi bata deti hain jane ki tarikh", "silan bhare kamre mein raat bhar taDapti theen kuch jawan chhatiyan", "jo subah hote hote sookh jatin", "kabhi un sukhi chhatiyon wali premikaon se milo", "dekho kaise unke jism barf hue hain", "pani ki sabzi mein tairte the do teen aalu aur ek tamatar", "basi rotiyon ke jhunD par girte the kai hath", "jinki rekhaon mein bhari thi bartnon ke manjan ki rakh", "main chahti hoon tum un hathon se milo", "aur unka ek bosa le lo", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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आख़िरी रोटी - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/aa-irii-rotii-nehaa-narukaa-kavita?sort=
[ "सुनती आ रही हूँ :", "उसकी और मेरी माँएँ एक ही कुएँ में डूब कर मरी हैं", "कटोरे भर चाय और बासी रोटी का नाश्ता मैंने भी किया था", "इसकी वजह अभाव नहीं, लोभ था", "स्टील के टिफ़िन में होती थीं कई नरम रोटियाँ", "पर उसकी आख़िरी रोटी जो भाप से तर हो जाती,", "मेरी ही थाली में सबसे नीचे रखी जाती", "चाहे मैं सबसे पहले खाऊँ", "मैं हमेशा तीन रोटी खाती थी", "चौथी रोटी कब माँगी याद नहीं", "ऐसा नहीं कि मिल नहीं सकती थी", "घर की हवाओं में क्या मिला था", "कुछ कहा नहीं जा सकता", "पर हक़ीक़त यही थी कि मैं तीन रोटी खाती थी", "मेरा घर रईसों और इज़्ज़तदारों में गिना जाता था", "मेरे लिए रईस और इज़्ज़तदार दूल्हा ढूँढ़ा जाता था", "और मैं थी कि रहती—", "स्वादिष्ट सब्ज़ी और घी चुपड़ी रोटी के जुगाड़ में", "उसकी कहानी मुझसे अलग थी", "उसके पास रोटी के नाम पर कुछ जूठे टुकड़े होते", "जो मेरे जैसे घरों से बासी होने पर हर शाम उसे मिलते", "उसके पास भूख का तांडव था", "उसके घर में तीनों समय अकाल पड़ता था", "भुखमरी की घटनाएँ होती थीं", "मेरे पास अच्छे कपड़े नहीं थे", "उसके पास कपड़े ही नहीं थे", "कपड़ों के नाम पर थी कुछ उतरन", "जो मेरे जैसे घरों से हर त्यौहार की सुबह उसे मिलती", "मैं अपने दाँत सफ़ेद मंजन से माँजती,", "मेरे पास ब्रश और पेस्ट नहीं था", "वह अपने दाँत कोयले या राख से माँजती", "उसके पास मंजन ही नहीं था", "उसके दाँत पीले थे और हल्के भी", "इसलिए शायद मेरा मांस सफ़ेद था और उसका काला", "वह जाती जंगल, खेत, सड़क…", "रोटी के जुगाड़ में", "मुझे बाहर जाने की अनुमति नहीं थी", "मेरे पुरखों को डर था", "कि कहीं बाहर जाते ही मेरे सफ़ेद मांस पर दाग़ न पड़ जाए", "मेरे पुरखों का मानना था कि सफ़ेद चीज़ें जल्दी गंदी होती हैं", "इसलिए मैं भीतर ही रखी जाती", "जल्द ही मेरा सफ़ेद मांस पीला पड़ गया", "मेरे पीलेपन को मेरा गोरापन कहा जाता", "मेरी गिनती सुंदर लड़कियों में की जाती", "और उसकी बदसूरत लड़कियों में", "मेरे घर के नैतिक पुरुष जंगल, खेत, सड़क… पर जाकर उसका बलात्कार करते", "और रसोई, स्नानघर, छत… पर मेरा", "उसका घर हर साल बाढ़ में बह जाता", "और मेरा घर उसी जगह पर पहाड़ की तरह डटा रहता", "मेरे घर के किवाड़ भारी थे, लोहा मिला था उनमें", "और उसके घर के हल्के, इतने हल्के कि हवा से ही टूट जाते", "न मैं उसके घर जा सकती थी, न वह मेरे घर आ सकती थी", "वह सोचती थी मैं ख़ुश हूँ", "और मैं सोचती थी कि वह तो मुझसे भी ज़्यादा दुखी है", "बस एक ही समानता थी", "कि हम अपने-अपने घरों की आख़िरी रोटी खाते थे", "अगर हमारी माँएँ जीवित होतीं तो ये आख़िरी रोटियाँ वे खा रही होतीं।", "suntii a rahii huu.n :", "uskii aur merii maa.n.e.n ek hii ku.e.n me.n Duub kar marii hai.n", "kaTore bhar chaay aur baasii roTii ka naashta mai.nne bhii kiya tha", "iskii vajah abhaav nahii.n, lobh tha", "sTiil ke Tiफ़.in me.n hotii thii.n ka.ii naram roTiyaa.n", "par uskii aaख़.irii roTii jo bhaap se tar ho jaatii,", "merii hii thaalii me.n sabse niiche rakhii jaatii", "chaahe mai.n sabse pahle khaa.uu.n", "mai.n hamesha tiin roTii khaatii thii", "chauthii roTii kab maa.ngii yaad nahii.n", "aisa nahii.n ki mil nahii.n saktii thii", "ghar kii havaa.o.n me.n kya mila tha", "kuchh kaha nahii.n ja sakta", "par haक़.iiक़t yahii thii ki mai.n tiin roTii khaatii thii", "mera ghar ra.iiso.n aur izzatdaaro.n me.n gina jaata tha", "mere li.e ra.iis aur izzatdaar duulha Dhuu.nढ़.a jaata tha", "aur mai.n thii ki rahtii—", "svaadishT sabज़.ii aur ghii chupड़.ii roTii ke jugaaड़ me.n", "uskii kahaanii mujhse alag thii", "uske paas roTii ke naam par kuchh juuThe Tukड़.e hote", "jo mere jaise gharo.n se baasii hone par har shaam use milte", "uske paas bhuukh ka taa.nDav tha", "uske ghar me.n tiino.n samay akaal paड़ta tha", "bhukhamrii kii ghaTnaa.e.n hotii thii.n", "mere paas achchhe kapड़.e nahii.n the", "uske paas kapड़.e hii nahii.n the", "kapड़.o.n ke naam par thii kuchh utran", "jo mere jaise gharo.n se har tyauhaar kii subah use miltii", "mai.n apne daa.nt saफ़.ed ma.njan se maa.njtii,", "mere paas brash aur pesT nahii.n tha", "vah apne daa.nt koyale ya raakh se maa.njtii", "uske paas ma.njan hii nahii.n tha", "uske daa.nt piile the aur halke bhii", "isli.e shaayad mera maa.ns saफ़.ed tha aur uska kaala", "vah jaatii ja.ngal, khet, saड़ka…", "roTii ke jugaaड़ me.n", "mujhe baahar jaane kii anumti nahii.n thii", "mere purkho.n ko Dar tha", "ki kahii.n baahar jaate hii mere saफ़.ed maa.ns par daaग़ n paड़ jaa.e", "mere purkho.n ka maanana tha ki saफ़.ed chiiज़.e.n jaldii ga.ndii hotii hai.n", "isli.e mai.n bhiitar hii rakhii jaatii", "jald hii mera saफ़.ed maa.ns piila paड़ gaya", "mere piilepan ko mera goraapan kaha jaata", "merii gintii su.ndar laड़kiyo.n me.n kii jaatii", "aur uskii badsuurat laड़kiyo.n me.n", "mere ghar ke naitik purush ja.ngal, khet, saड़ka… par jaakar uska balaatkaar karte", "aur raso.ii, snaanaghar, chhat… par mera", "uska ghar har saal baaढ़ me.n bah jaata", "aur mera ghar usii jagah par pahaaड़ kii tarah DaTa rahta", "mere ghar ke kivaaड़ bhaarii the, loha mila tha unme.n", "aur uske ghar ke halke, itne halke ki hava se hii TuuT jaate", "n mai.n uske ghar ja saktii thii, n vah mere ghar a saktii thii", "vah sochatii thii mai.n ख़.ush huu.n", "aur mai.n sochatii thii ki vah to mujhse bhii ज़yaada dukhii hai", "bas ek hii samaanata thii", "ki ham apne-.apne gharo.n kii aaख़.irii roTii khaate the", "agar hamaarii maa.n.e.n jiivit hotii.n to ye aaख़.irii roTiyaa.n ve kha rahii hotii.n।", "suntii a rahii huu.n :", "uskii aur merii maa.n.e.n ek hii ku.e.n me.n Duub kar marii hai.n", "kaTore bhar chaay aur baasii roTii ka naashta mai.nne bhii kiya tha", "iskii vajah abhaav nahii.n, lobh tha", "sTiil ke Tiफ़.in me.n hotii thii.n ka.ii naram roTiyaa.n", "par uskii aaख़.irii roTii jo bhaap se tar ho jaatii,", "merii hii thaalii me.n sabse niiche rakhii jaatii", "chaahe mai.n sabse pahle khaa.uu.n", "mai.n hamesha tiin roTii khaatii thii", "chauthii roTii kab maa.ngii yaad nahii.n", "aisa nahii.n ki mil nahii.n saktii thii", "ghar kii havaa.o.n me.n kya mila tha", "kuchh kaha nahii.n ja sakta", "par haक़.iiक़t yahii thii ki mai.n tiin roTii khaatii thii", "mera ghar ra.iiso.n aur izzatdaaro.n me.n gina jaata tha", "mere li.e ra.iis aur izzatdaar duulha Dhuu.nढ़.a jaata tha", "aur mai.n thii ki rahtii—", "svaadishT sabज़.ii aur ghii chupड़.ii roTii ke jugaaड़ me.n", "uskii kahaanii mujhse alag thii", "uske paas roTii ke naam par kuchh juuThe Tukड़.e hote", "jo mere jaise gharo.n se baasii hone par har shaam use milte", "uske paas bhuukh ka taa.nDav tha", "uske ghar me.n tiino.n samay akaal paड़ta tha", "bhukhamrii kii ghaTnaa.e.n hotii thii.n", "mere paas achchhe kapड़.e nahii.n the", "uske paas kapड़.e hii nahii.n the", "kapड़.o.n ke naam par thii kuchh utran", "jo mere jaise gharo.n se har tyauhaar kii subah use miltii", "mai.n apne daa.nt saफ़.ed ma.njan se maa.njtii,", "mere paas brash aur pesT nahii.n tha", "vah apne daa.nt koyale ya raakh se maa.njtii", "uske paas ma.njan hii nahii.n tha", "uske daa.nt piile the aur halke bhii", "isli.e shaayad mera maa.ns saफ़.ed tha aur uska kaala", "vah jaatii ja.ngal, khet, saड़ka…", "roTii ke jugaaड़ me.n", "mujhe baahar jaane kii anumti nahii.n thii", "mere purkho.n ko Dar tha", "ki kahii.n baahar jaate hii mere saफ़.ed maa.ns par daaग़ n paड़ jaa.e", "mere purkho.n ka maanana tha ki saफ़.ed 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क्या किसी और अनहोनी का इंतज़ार है - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/kya-kisi-aur-anhoni-ka-intzar-hai-naval-shukla-kavita-2?sort=
[ "पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है", "भारतीय सड़कों पर आपदा की आड़ में", "नियोजित यातना को पैदल चलते हुए देख रहा है", "कि लोकतांत्रिक ढाँचे में", "कितनी सहज हो सकती है लोगों की बेदख़ली", "जिसे कुछ घंटों मे रचा जा सकता है।", "सबसे बड़े लोकतंत्र की सड़कों पर", "पहली बार चल रहे हैं इतने पैर", "इतने शरीर और इतने दुख", "पहली बार अपनी भूमि पर पीढ़ियों से अर्जित", "विश्वास, संवेदना और सब्र", "घिसी हुई चप्पलों की तरह टूट रहे हैं, छूट रहे हैं", "गुमसुम और बेदम हैं बाध्यकारी आवाज़ें", "ज़मीन पर पहली बार ऐसा सन्नाटा है।", "प्रतिनिधि निश्चिंत हैं कि सड़कों पर", "पथराए पैरों और फफकते लोगों के नहीं बचते हैं निशान", "वे इत्मीनान में हैं कि कल्पना से अधिक", "सूखे कंठ और फफोले के साथ", "विलाप और आर्तनाद के चेहरे", "महीनों से चुपचाप चले जा रहे हैं", "कुछ समय में ख़ाली हो जाएँगे राष्ट्रीय मार्ग।", "अन्यायी उत्सुकता से देख रहे हैं", "पहली बार प्राप्त इन आँकड़ों को सहेजते हुए", "कि करोड़ों लोगों के संघर्षशील समाज को", "बिना आहट, बिना किसी ख़ूबी के", "विपन्न समाज में बदला जा सकता है", "जिसे जायज़, ज़रूरी और त्वरित कार्रवाई कहते हुए", "दमदारी से हद दर्जे का सच भी कहा जा सकता है।", "मनुष्यों पर प्रयोग के इस नाज़ुक समय में", "जब व्यवस्थाएँ निर्णायक होने की दौड़ में हैं", "मनुष्य की कोशिकाओं में प्रवेश के लिए अधीर", "और स्वाधीन चेतना पर नियंत्रण के लिए तत्पर", "तब करोड़ों लोगों का चुपचाप चलना", "और करोड़ों लोगों का चुपचाप देखते रहना", "किसके हक़ में है?", "यह सहज स्वीकार है या प्रतिरोध", "क्या किसी और अनहोनी का इंतज़ार है?", "pura wishw bharat ki or dekh raha hai", "bharatiy saDkon par apada ki aaD mein", "niyojit yatana ko paidal chalte hue dekh raha hai", "ki loktantrik Dhanche mein", "kitni sahj ho sakti hai logon ki bedakhal", "jise kuch ghanton mae racha ja sakta hai", "sabse baDe loktantr ki saDkon par", "pahli bar chal rahe hain itne pair", "itne sharir aur itne dukh", "pahli bar apni bhumi par piDhiyon se arjit", "wishwas, sanwedna aur sabr", "ghisi hui chapplon ki tarah toot rahe hain, chhoot rahe hain", "gumsum aur bedam hain badhykari awazen", "zamin par pahli bar aisa sannata hai", "pratinidhi nishchint hain ki saDkon par", "pathraye pairon aur phaphakte logon ke nahin bachte hain nishan", "we itminan mein hain ki kalpana se adhik", "sukhe kanth aur phaphole ke sath", "wilap aur artanad ke chehre", "mahinon se chupchap chale ja rahe hain", "kuch samay mein khali ho jayenge rashtriya marg", "anyayi utsukta se dekh rahe hain", "pahli bar prapt in ankaDon ko sahejte hue", "ki karoDon logon ke sangharshshil samaj ko", "bina aahat, bina kisi khubi ke", "wipann samaj mein badla ja sakta hai", "jise jayaz, zaruri aur twarit karrwai kahte hue", "damdari se had darje ka sach bhi kaha ja sakta hai", "manushyon par prayog ke is nazuk samay mein", "jab wywasthayen nirnayak hone ki dauD mein hain", "manushya ki koshikaon mein prawesh ke liye adhir", "aur swadhin chetna par niyantran ke liye tatpar", "tab karoDon logon ka chupchap chalna", "aur karoDon logon ka chupchap dekhte rahna", "kiske haq mein hai?", "ye sahj swikar hai ya pratirodh", "kya kisi aur anhoni ka intzar hai?", "pura wishw bharat ki or dekh raha hai", "bharatiy saDkon par apada ki aaD mein", "niyojit yatana ko paidal chalte hue dekh raha hai", "ki loktantrik Dhanche mein", "kitni sahj ho sakti hai logon ki bedakhal", "jise kuch ghanton mae racha ja sakta hai", "sabse baDe loktantr ki saDkon par", "pahli bar chal rahe hain itne pair", "itne sharir aur itne dukh", "pahli bar apni bhumi par piDhiyon se arjit", "wishwas, sanwedna aur sabr", "ghisi hui chapplon ki tarah toot rahe hain, chhoot rahe hain", "gumsum aur bedam hain badhykari awazen", "zamin par pahli bar aisa sannata hai", "pratinidhi nishchint hain ki saDkon par", "pathraye pairon aur phaphakte logon ke nahin bachte hain nishan", "we itminan mein hain ki kalpana se adhik", "sukhe kanth aur phaphole ke sath", "wilap aur artanad ke chehre", "mahinon se chupchap chale ja rahe hain", "kuch samay mein khali ho jayenge rashtriya marg", "anyayi utsukta se dekh rahe hain", "pahli bar prapt in ankaDon ko sahejte hue", "ki karoDon logon ke sangharshshil samaj ko", "bina aahat, bina kisi khubi ke", "wipann samaj mein badla ja sakta hai", "jise jayaz, zaruri aur twarit karrwai kahte hue", "damdari se had darje ka sach bhi kaha ja sakta hai", "manushyon par prayog ke is nazuk samay mein", "jab wywasthayen nirnayak hone ki dauD mein hain", "manushya ki koshikaon mein prawesh ke liye adhir", "aur swadhin chetna par niyantran ke liye tatpar", "tab karoDon logon ka chupchap chalna", "aur karoDon logon ka chupchap dekhte rahna", "kiske haq mein hai?", "ye sahj swikar hai ya pratirodh", "kya kisi aur anhoni ka intzar hai?", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
2020 में गाँव की ओर - कविता | हिन्दवी
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[ "जैसे आँधी से उठी धूल हो", "लोग शहर से गाँव चले जा रहे हैं", "जैसे 1947 फिर आ गया हो", "लोग चले जा रहे हैं", "भूख चली जा रही है", "आँधी चली जा रही है", "गठरियाँ चली जा रही हैं", "झोले चले जा रहे हैं", "पानी से भरी बोतलें चली जा रही हैं", "जिन्होंने अभी खड़े होना सीखा है", "दो क़दम चलना सीखा है", "जिन्होंने अभी-अभी घूँघट छोड़ना सीखा है", "जिन्होंने पहली बार जानी है थकान", "सब चले जा रहे हैं गाँव की ओर", "कड़ी धूप है", "लोग चले जा रहे हैं", "बारिश रुक नहीं रही है", "लोग भी थम नहीं रहे हैं", "भूख रोक रही है", "लोग उससे हाथ छुड़ा कर भाग रहे हैं", "महानगर से चली जा रही है उसकी नींव", "उसका मूर्ख ढाँचा हँस रहा है", "उसका बेटा चला जा रहा है", "मेरी बेटी चली जा रही है", "आस टूट चुकी है", "आँखों में आँसू थामे", "चले जा रहे हैं लोग", "बदन तप रहा है", "लोग चले जा रहे हैं", "चले जा रहे हैं कि कोई", "उन्हें देख कर भी नहीं देखे", "चले जा रहे हैं लोग", "आधी रात है", "आँखें आसरा ढूँढ़ना चाहती हैं", "पैर थकना चाहते हैं", "भूख रोकना चाहती है", "कहीं छाँव नहीं है", "रुकने की बित्ता भर ज़मीन नहीं है", "लोग चले जा रहे हैं", "सुबह तब होगी", "जब गाँव आ जाएगा", "रोना तब आएगा", "जब गाँव आ जाएगा", "थकान तब लगेगी", "बेहोशी तब छाएगी", "जब गाँव आ जाएगा", "हाथ में बीड़ी नहीं", "चाय का सहारा नहीं होगा", "800 मील दूरी फिर भी", "पार हो जाएगी", "गाँव आ जाएगा", "एक नर्क चला जाएगा", "एक नर्क आ जाएगा", "अपना होकर भी", "जो कभी अपना नहीं रहा", "वह आसमान आ जाएगा", "गाँव आ जाएगा", "एक दिन फिर लौटने के लिए", "गाँव आ जाएगा", "फिर आँधी बन लौटने के लिए", "गाँव आएगा", "मौत आ जाएगी", "शहर की आड़ होगी", "गाँव छुप जाएगा।", "jaise andhi se uthi dhool ho", "log shahr se ganw chale ja rahe hain", "jaise 1947 phir aa gaya ho", "log chale ja rahe hain", "bhookh chali ja rahi hai", "andhi chali ja rahi hai", "gathriyan chali ja rahi hain", "jhole chale ja rahe hain", "pani se bhari botlen chali ja rahi hain", "jinhonne abhi khaDe hona sikha hai", "do qadam chalna sikha hai", "jinhonne abhi abhi ghunghat chhoDna sikha hai", "jinhonne pahli bar jani hai thakan", "sab chale ja rahe hain ganw ki or", "kaDi dhoop hai", "log chale ja rahe hain", "barish ruk nahin rahi hai", "log bhi tham nahin rahe hain", "bhookh rok rahi hai", "log usse hath chhuDa kar bhag rahe hain", "mahangar se chali ja rahi hai uski neenw", "uska moorkh Dhancha hans raha hai", "uska beta chala ja raha hai", "meri beti chali ja rahi hai", "as toot chuki hai", "ankhon mein ansu thame", "chale ja rahe hain log", "badan tap raha hai", "log chale ja rahe hain", "chale ja rahe hain ki koi", "unhen dekh kar bhi nahin dekhe", "chale ja rahe hain log", "adhi raat hai", "ankhen aasra DhunDh़na chahti hain", "pair thakna chahte hain", "bhookh rokna chahti hai", "kahin chhanw nahin hai", "rukne ki bitta bhar zamin nahin hai", "log chale ja rahe hain", "subah tab hogi", "jab ganw aa jayega", "rona tab ayega", "jab ganw aa jayega", "thakan tab lagegi", "behoshi tab chhayegi", "jab ganw aa jayega", "hath mein biDi nahin", "chay ka sahara nahin hoga", "800 meel duri phir bhi", "par ho jayegi", "ganw aa jayega", "ek nark chala jayega", "ek nark aa jayega", "apna hokar bhi", "jo kabhi apna nahin raha", "wo asman aa jayega", "ganw aa jayega", "ek din phir lautne ke liye", "ganw aa jayega", "phir andhi ban lautne ke liye", "ganw ayega", "maut aa jayegi", "shahr ki aaD hogi", "ganw chhup jayega", "jaise andhi se uthi dhool ho", "log shahr se ganw chale ja rahe hain", "jaise 1947 phir aa gaya ho", "log chale ja rahe hain", "bhookh chali ja rahi hai", "andhi chali ja rahi hai", "gathriyan chali ja rahi hain", "jhole chale ja rahe hain", "pani se bhari botlen chali ja rahi hain", "jinhonne abhi khaDe hona sikha hai", "do qadam chalna sikha hai", "jinhonne abhi abhi ghunghat chhoDna sikha hai", "jinhonne pahli bar jani hai thakan", "sab chale ja rahe hain ganw ki or", "kaDi dhoop hai", "log chale ja rahe hain", "barish ruk nahin rahi hai", "log bhi tham nahin rahe hain", "bhookh rok rahi hai", "log usse hath chhuDa kar bhag rahe hain", "mahangar se chali ja rahi hai uski neenw", "uska moorkh Dhancha hans raha hai", "uska beta chala 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यहीं - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/yahin-aharnish-sagar-kavita?sort=
[ "देखो,", "यहीं से मेरे पिता की", "अर्थी उठी थी", "इसी आँगन में", "मेरी बेटियों ने", "अपने बदन पर उबटन मला था", "इस कोलतार के नीचे", "महज़ ज़मीन नहीं", "मेरे बच्चों के खेलने के मैदान हैं", "मेरे पुरखों की देह-गंध है", "इस मिट्टी में", "हमें यहा से मत हटाओ", "यह सड़क बनने से पहले", "हम फुटपाथ पर नहीं थे।", "dekho,", "yahin se mere pita ki", "arthi uthi thi", "isi angan men", "meri betiyon ne", "apne badan par ubtan mala tha", "is koltar ke niche", "mahz zamin nahin", "mere bachchon ke khelne ke maidan hain", "mere purkhon ki deh gandh hai", "is mitti men", "hamein yaha se mat hatao", "ye saDak banne se pahle", "hum footpath par nahin the.", "dekho,", "yahin se mere pita ki", "arthi uthi thi", "isi angan men", "meri betiyon ne", "apne badan par ubtan mala tha", "is koltar ke niche", "mahz zamin nahin", "mere bachchon ke khelne ke maidan hain", "mere purkhon ki deh gandh hai", "is mitti men", "hamein yaha se mat hatao", "ye saDak banne se pahle", "hum footpath par nahin the.", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मेरे अभाव में - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/mere-abhaw-mein-akhilesh-singh-kavita-11?sort=
[ "मेरे अभाव में", "गुंजाइशों के कारोबार होते रहे", "मैं मरा नहीं था", "दुहाई माँग सकने भर को साँसे थीं मुझमें", "और उतनी साँसे हमेशा बरती भी गईं", "ताकि", "देवता रहें, दुहाइयाँ रहें", "तमाम जादू के खेल", "मेरी तालियों पर चलते रहें", "जबकि मैं हमेशा से विस्मित-जीवित था", "उस वक़्त से ही", "जब चंद रेज़गारियों के न होने से", "किराने की दूकान भी जादूई लगती थी", "आज भी यह जादू समझ नहीं पाता हूँ", "कि चंद मुट्ठियाँ इतनी बड़ी हैं कि", "उनमें दुनिया कस उठी है", "या कि", "दुनिया है ही इतनी छोटी", "कि उसे चंद मुट्ठियों में भरा जा सके!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
कुछ परिभाषाएँ - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/kuch-paribhashayen-arun-kamal-kavita?sort=
[ "जो जितना ज़्यादा लोगों का जितना ज़्यादा नुक़सान कर सके", "वो उतना ही बड़ा है", "छोटा है वो जो किसी का नुक़सान न कर सके", "उस हर बात में राजनीति है", "जहाँ दो में से एक को चुनना पड़े", "कम से कम कपड़े अश्लीलता नहीं", "अश्लील है ज़रूरत से ज़्यादा कपड़े", "जो सरकार ऊपर से कुछ न करे", "वो अमीरों का काम सबसे अच्छा करती है", "सितारा बनने से अच्छा है", "गंदी गली का लैंप पोस्ट बनना—कवि की इच्छा है।", "jo jitna zyada logon ka jitna zyada nuqsan kar sake", "wo utna hi baDa hai", "chhota hai wo jo kisi ka nuqsan na kar sake", "us har baat mein rajaniti hai", "jahan do mein se ek ko chunna paDe", "kam se kam kapDe ashlilata nahin", "ashlil hai zarurat se zyada kapDe", "jo sarkar upar se kuch na kare", "wo amiron ka kaam sabse achchha karti hai", "sitara banne se achchha hai", "gandi gali ka lamp post banna—kawi ki ichha hai", "jo jitna zyada logon ka jitna zyada nuqsan kar sake", "wo utna hi baDa hai", "chhota hai wo jo kisi ka nuqsan na kar sake", "us har baat mein rajaniti hai", "jahan do mein se ek ko chunna paDe", "kam se kam kapDe ashlilata nahin", "ashlil hai zarurat se zyada kapDe", "jo sarkar upar se kuch na kare", "wo amiron ka kaam sabse achchha karti hai", "sitara banne se achchha hai", "gandi gali ka lamp post banna—kawi ki ichha hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
अंतिम आदमी - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/antim-adami-rajendra-dhaudapkar-kavita?sort=
[ "इस कविता के लिए कवि को भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार प्राप्त हुआ।", "उस वक़्त सारी कुर्सियाँ ख़ाली हो चुकी थीं", "सबसे अंत में उनके बीच से निकला वह आदमी", "और बीच रात में चलने लगा", "उसके दोनों हाथ अपनी जेबों में थे", "उसकी उँगलियों के इर्द-गिर्द सवाल लिपटे थे", "अंतिम आदमी अकेला था सड़कों पर", "कई सड़कों और गलियों से गुज़रा वह", "उसे रास्ते मालूम थे", "उसे मालूम था कोई रास्ता उसके घर तक नहीं जाता", "अंतिम आदमी का कोई घर नहीं था", "अंतिम आदमी का कोई घर नहीं होता", "उसके पास सिर्फ़ सवाल होते हैं जिन्हें", "हल करते-करते जवाब में और सवाल पाता है वह", "बहुत ठंडी थी वह रात", "कोहरे के समुद्र में एक विशाल गेंद की तरह तैर रही थी पृथ्वी", "जिसे सबसे अंत में छोड़कर गया वह।", "us waqt sari kursiyan khali ho chuki theen", "sabse ant mein unke beech se nikla wo adami", "aur beech raat mein chalne laga", "uske donon hath apni jebon mein the", "uski ungliyon ke ird gird sawal lipte the", "antim adami akela tha saDkon par", "kai saDkon aur galiyon se guzra wo", "use raste malum the", "use malum tha koi rasta uske ghar tak nahin jata", "antim adami ka koi ghar nahin tha", "antim adami ka koi ghar nahin hota", "uske pas sirf sawal hote hain jinhen", "hal karte karte jawab mein aur sawal pata hai wo", "bahut thanDi thi wo raat", "kohre ke samudr mein ek wishal gend ki tarah tair rahi thi prithwi", "jise sabse ant mein chhoDkar gaya wo", "us waqt sari kursiyan khali ho chuki theen", "sabse ant mein unke beech se nikla wo adami", "aur beech raat mein chalne laga", "uske donon hath apni jebon mein the", "uski ungliyon ke ird gird sawal lipte the", "antim adami akela tha saDkon par", "kai saDkon aur galiyon se guzra wo", "use raste malum the", "use malum tha koi rasta uske ghar tak nahin jata", "antim adami ka koi ghar nahin tha", "antim adami ka koi ghar nahin hota", "uske pas sirf sawal hote hain jinhen", "hal karte karte jawab mein aur sawal pata hai wo", "bahut thanDi thi wo raat", "kohre ke samudr mein ek wishal gend ki tarah tair rahi thi prithwi", "jise sabse ant mein chhoDkar gaya wo", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
पैसा पैसा - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/paisa-paisa-naveen-sagar-kavita-48?sort=
[ "साथ पढ़े लड़के बड़े होकर आपस में दयनीय", "हो जाते हैं आँख नहीं मिलाते", "पैसे वालों का कोई कुछ बिगाड़ नहीं पाता", "वे कुछ भी ख़रीद लेते हैं बाज़ार", "उनका आदी है", "सरकार में उनकी दरकार है।", "पैसे वाले सब कुछ जीत लेते हैं", "हारने वालों से", "उनकी सौभाग्याकांक्षिणी का ब्याह", "होता है जहाँ क्वाँरी अधेड़", "लड़कियों का अंधकार भटकता है", "वे दयालु और धर्मात्मा होते हैं उनकी", "आत्मतुष्ट हँसी में", "सोने का दाँत चमकता है।", "हमें पैसे वाला होना है", "हमारे सपनों में पैसा", "अर्रा कर आता है बिल्डिंग बनती है", "दान पुण्य होते हैं बड़े रौशन मकान में", "सामानों के सैलाब उमड़ते हैं", "जिन्होंने अपमान किया था कभी वे", "हा-हा करते हैं कृपाकांक्षी", "हम उन्हें अभय देते हैं सदय!", "बहुत सारा पैसा कहाँ से आए!", "लोगों के पास कहाँ से", "आ जाता है!", "कहाँ घुस पड़ें और दोनों हाथों", "लूट लें! किसे मार डालें!", "कोई धनी विधवा मोहित हो जाए", "इमारतों कारख़ानों फ़ार्महाउसों", "ज़ेवरातों के साथ वह", "समर्पित हो जाए और हम उसकी", "आलीशान बालकनी में", "खड़े होकर वह दृश्य देखें", "जिसमें हम भी हों उझक कर देखते हुए!", "जुआ खेलें अरब के शेख़ों से", "करोड़ों झटक लें", "कहीं से भारी मुआवज़ा मिल जाए", "लॉटरी निकले डरबी की", "ज़मीन से ख़ज़ाना निकल आए।", "एक उम्र होती है प्यारी", "जब हम पैसे को लात मारते हैं", "फिर पता नहीं चलता कब", "आह भरते हैं और कहते हैं", "पैसे ने मार डाला", "कमज़ोरी आ जाती है और चापलूसी", "भरी जेबों पर ध्यान जाता है", "किसी का खुलता पर्स देखकर", "कनपटी लाल हो जाती है", "तिजोरियाँ मज़बूत लगती हैं अगम्य", "हम सोचते हैं किसी अरबपति", "की जान बचाने के लिए कहीं", "जान पर खेल जाएँ", "फिर वह हमें करोड़पति बना दे", "नदी किनारे कंकड़ों में ऐसा हीरा", "मिले कि बंबई के सारे जौहरी", "बिक कर भी उसे ख़रीद न सकें", "फिर वह अमरीका में बिके", "स्वर्णजड़ित नगर के हम स्वामी बनें", "अर्धांगनी हमारी स्वर्ग की अप्सरा हो", "जो इंद्र के मना करने पर भी", "आए और कृतकृत्य हो।", "जब हम कहते हैं कि पैसा ही", "सब कुछ नहीं", "जब हम किन्हीं गहरी चीज़ों में", "ध्यान लगाने का उपदेश देते हैं", "तो बच्चे जो हमारी लालच को", "जानते हैं उनके शर्मसार चेहरे उनके", "चेहरों में छिपते हैं", "ऐसी हमारी ज़िंदगी", "ऐसी हमारी प्यास है", "हम सोचते हैं कोई क्या कहेगा।", "sath paDhe laDke baDe hokar aapas mein dayniy", "ho jate hain ankh nahin milate", "paise walon ka koi kuch bigaD nahin pata", "we kuch bhi kharid lete hain bazar", "unka aadi hai", "sarkar mein unki darkar hai", "paise wale sab kuch jeet lete hain", "harne walon se", "unki saubhagyakankshini ka byah", "hota hai jahan kwanri adheD", "laDakiyon ka andhkar bhatakta hai", "we dayalu aur dharmatma hote hain unki", "atmtusht hansi mein", "sone ka dant chamakta hai", "hamein paise wala hona hai", "hamare sapnon mein paisa", "arra kar aata hai bilDing banti hai", "dan punny hote hain baDe raushan makan mein", "samanon ke sailab umaDte hain", "jinhonne apman kiya tha kabhi we", "ha ha karte hain kripakankshi", "hum unhen abhai dete hain saday!", "bahut sara paisa kahan se aaye!", "logon ke pas kahan se", "a jata hai!", "kahan ghus paDen aur donon hathon", "loot len! kise mar Dalen!", "koi dhani widhwa mohit ho jaye", "imarton karkhanon farmhauson", "zewraton ke sath wo", "samarpit ho jaye aur hum uski", "alishan balakni mein", "khaDe hokar wo drishya dekhen", "jismen hum bhi hon ujhak kar dekhte hue!", "jua khelen arab ke shekhon se", "karoDon jhatak len", "kahin se bhari muawza mil jaye", "lottery nikle Darbi ki", "zamin se khazana nikal aaye", "ek umr hoti hai pyari", "jab hum paise ko lat marte hain", "phir pata nahin chalta kab", "ah bharte hain aur kahte hain", "paise ne mar Dala", "kamzori aa jati hai aur chaplusi", "bhari jebon par dhyan jata hai", "kisi ka khulta purse dekhkar", "kanpati lal ho jati hai", "tijoriyan mazbut lagti hain agamy", "hum sochte hain kisi arbapti", "ki jaan bachane ke liye kahin", "jaan par khel jayen", "phir wo hamein karoDapati bana de", "nadi kinare kankDon mein aisa hira", "mile ki bambai ke sare jauhari", "bik kar bhi use kharid na saken", "phir wo america mein bike", "swarnajDit nagar ke hum swami banen", "ardhangni hamari swarg ki apsara ho", "jo indr ke mana karne par bhi", "aye aur kritakrty ho", "jab hum kahte hain ki paisa hi", "sab kuch nahin", "jab hum kinhin gahri chizon mein", "dhyan lagane ka updesh dete hain", "to bachche jo hamari lalach ko", "jante hain unke sharmasar chehre unke", "chehron mein chhipte hain", "aisi hamari zindagi", "aisi hamari pyas hai", "hum sochte hain koi kya kahega", "sath paDhe laDke baDe hokar aapas mein dayniy", "ho jate hain ankh nahin milate", "paise walon ka koi kuch bigaD nahin pata", "we kuch bhi kharid lete hain bazar", "unka aadi hai", "sarkar mein unki darkar hai", "paise wale sab kuch jeet lete hain", "harne walon se", "unki saubhagyakankshini ka byah", "hota hai jahan kwanri adheD", "laDakiyon ka andhkar bhatakta hai", "we dayalu aur dharmatma hote hain unki", "atmtusht hansi mein", "sone ka dant chamakta hai", "hamein paise wala hona hai", "hamare sapnon mein paisa", "arra kar aata hai bilDing banti hai", "dan punny hote hain baDe raushan makan mein", "samanon ke sailab umaDte hain", "jinhonne apman kiya tha kabhi we", "ha ha karte hain kripakankshi", "hum unhen abhai dete hain saday!", "bahut sara paisa kahan se aaye!", "logon ke pas kahan se", "a jata hai!", "kahan ghus paDen aur donon hathon", "loot len! kise mar Dalen!", "koi dhani widhwa mohit ho jaye", "imarton karkhanon farmhauson", "zewraton ke sath wo", "samarpit ho jaye aur hum uski", "alishan balakni mein", "khaDe hokar wo drishya dekhen", "jismen hum bhi hon ujhak kar dekhte hue!", "jua khelen arab ke shekhon se", "karoDon jhatak len", "kahin se bhari muawza mil jaye", "lottery nikle Darbi ki", "zamin se khazana nikal aaye", "ek umr hoti hai pyari", "jab hum paise ko lat marte hain", "phir pata nahin chalta kab", "ah bharte hain aur kahte hain", "paise ne mar Dala", "kamzori aa jati hai aur chaplusi", "bhari jebon par dhyan jata hai", "kisi ka khulta purse dekhkar", "kanpati lal ho jati hai", "tijoriyan mazbut lagti hain agamy", "hum sochte hain kisi arbapti", "ki jaan bachane ke liye kahin", "jaan par khel jayen", "phir wo hamein karoDapati bana de", "nadi kinare kankDon mein aisa hira", "mile ki bambai ke sare jauhari", "bik kar bhi use kharid na saken", "phir wo america mein bike", "swarnajDit nagar ke hum swami banen", "ardhangni hamari swarg ki apsara ho", "jo indr ke mana karne par bhi", "aye aur kritakrty ho", "jab hum kahte hain ki paisa hi", "sab kuch nahin", "jab hum kinhin gahri chizon mein", "dhyan lagane ka updesh dete hain", "to bachche jo hamari lalach ko", "jante hain unke sharmasar chehre unke", "chehron mein chhipte hain", "aisi hamari zindagi", "aisi hamari pyas hai", "hum sochte hain koi kya kahega", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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अबलक़ सपने, कुम्मैत घोड़ा - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/ablaq-sapne-kummait-ghoda-tribhuvan-kavita-22?sort=
[ "क्या यह सिर्फ़ मेरा सपना था?", "क्या मेरे भीतर एक दिव्य तत्त्व की अनुगूँज थी?", "मुझे पता था कि सपने कभी वैसे नहीं होते, जैसे वे प्रतीत होते हैं", "लेकिन क्या यह सिर्फ़ मेरा सपना था और", "सच नहीं था?", "क्या उस सपने में गति नहीं थी?", "मैंने तुतलाना सीखा और घोड़े की पीठ पर बिठा दिया।", "मैंने बोलने के बजाय हिनहिनाना सीखा और", "घोड़े की पीठ पर झंग की सुंदर ज़ीन के नीचे लटकती", "दोनों खुरजियों में भर लिए ढेर सारे सपने", "मैं अक्सर घोड़े की पीठ पर सो जाता और", "दुलकी दौड़ते घोड़े की खुरजी से सपने गिरने लगते", "जिनकी याद मुझे कुम्मैत घोड़े की अबलक़ माँ बहुत दिनों तक याद दिलाया करती थी।", "घोड़े ने मुझे कई साल रोके रखा स्कूल जाने से", "और कहा, तुम मत चढ़ो विकृति के इस सोपान पर", "घोड़े ने कई दिन तक मेरे बस्ते को बहुत नाराज़गी के साथ फेंका", "घोड़ा मेरे जीवन का हिस्सा था", "पता नहीं, भाई था, मामा था या कोई पुराना दोस्त था।", "घोड़े ने कहा : देखो, मत जाओ स्कूल", "वहाँ वे सब सबसे पहले मुझे तुमसे दूर करेंगे", "और फिर माँ से, जिसने तुम्हें गोद में अंडे की तरह रखा है।", "घोड़े की सभी आशंकाएँ सही थीं।", "मैं जब घोड़े से उतर कर स्कूल गया तो", "सबसे पहले मुझे स्कूल की सबसे लंबी और छरहरी लड़की ने पूछा :", "ये लड़का है या लड़की?", "मैंने कहा : मैं लड़का हूँ, तुम्हें दिखता नहीं?", "वह बोली : मरज्याणे, तू नहीं, वो जिससे तू उतरा है!", "मैंने उसे पूछा : लड़का क्या होता है?", "और सब लड़कियाँ ज़ोर-ज़ोर से तालियाँ पीटकर हँसने लगीं।", "मैं जब भी स्कूल जाता,", "लड़कियों में जैसे बोलने की होड़ लग जाती और कहतीं :", "लो घोड़ा आ गया, घोड़ा आ गया।", "और घोड़े ने रात को मेरे कान में फुसफुसाकर कहा :", "देखो, तुम लड़के हो, घोड़ा नहीं।", "स्कूल में आदमी नहीं लड़के और लड़कियाँ होती हैं,", "जैसे घुड़साल में घोड़े और घोड़ियाँ होती हैं।", "स्कूल में जिन्हें लोग लड़के और लड़कियाँ कहते हैं", "दरअस्ल, वे सब घोड़े और घोड़ियाँ होती हैं।", "घोड़ा मेरे जीवन का हिस्सा था,", "क्योंकि जिस दुनिया में मेरा कोई दोस्त नहीं था", "वहाँ घोड़ा ही मुझसे खेलता और मुझसे रूठता था", "घोड़ा ही मेरे लिए घोड़ा बनता था और घोड़ा ही", "मेरे सपनों, मेरी प्रार्थनाओं और मेरी उदासियों के अर्थ समझता था", "और घोड़ा ही मेरी आँखों से न गिरे आँसुओं में भीगता था", "मैं सोता था तो उसके शयनकक्ष की गंध मेरी नींद को गाढ़ा कर देती थी।", "एक दिन सुबह जब मैं स्कूल की प्रार्थना-सभा से कक्षा में जा रहा था", "मुझसे एक लड़के ने पूछा : तेरी जाति क्या है?", "मैंने कहा : ये क्या होती है?", "और वह लड़का अपने सब दोस्तों के साथ", "ज़ोर-ज़ोर से हँसते हुए गाने लगा : घोड़ा-घोड़ा...।", "घोड़े ने जैसे ये सब सुन लिया और", "लौटते हुए नहर के किनारे दुलकी चलते हुए मुझसे कहा :", "स्कूल में आदमी नहीं, जातियाँ पढ़ती हैं और सबके सब घोड़े-घोड़ियाँ हैं।", "घोड़े की पीठ पर अपने सपनों के साथ मैं ख़ुश होता था", "कभी हँसता और कभी रोता था", "और एक दिन स्कूल में मुझसे एक शिक्षक ने कहा :", "तू गरीबड़ा, घोड़ा चढ़ता है", "ऐसे कैसे पढ़ता है", "मैंने पूछा : ग़रीब क्या होता है?", "शिक्षक ज़ोर से हँसा और बोला : घोड़ा!", "मैं प्रसन्न हो गया और मुझे लगा कि मुझे ग़रीब होना चाहिए", "क्योंकि वह घोड़ा होता है।", "मैं घोड़े को चाहता हूँ और घोड़ा मुझे चाहता है।", "मैं उसके बिना जीवित नहीं रह सकता और वह मेरे बिना साँस नहीं ले सकता।", "मैंने घोड़े के होंठों को अपने गालों और कानों के पास महसूस किया और प्रसन्न हो गया।", "मैं अपनी दोनों नन्हीं बाँहों को उसके गले में लटका कर उसकी अयाल पकड़ककर उसकी गर्दन में झूल गया।", "घोड़ा दौड़ता रहा और मैं झूमता रहा", "मेरी माँ रोती हुई घोड़े के पीछे भागती रही", "बचाओ-बचाओ-बचाओ", "अचानक रुककर घोड़े ने माँ के ओढ़ने में अपनी गर्दन छुपा ली", "और ज़ोर से बैठ गया।", "रोती हुई माँ ने बहुत प्रसन्नता से कहा : दोनों बावले।", "मैंने पू्छा : बावला क्या होता है?", "माँ ने कहा : घोड़ा।", "मैं स्कूल के मैदान में खेलता था", "कितने ही फूल मेरी भुजाओं में मछलियों की तरह मचलते थे", "मेरी कोमल उँगलियाँ उदग्र रहने लगी थीं", "और मेरी आँखों को रूप, रस, गंध और यौवन की बाँण पड़ गई थी", "मैं अक्सर वासना में नहाता और फिर भी कैशोर्य में शांत बना रहता", "लिए अपने हृदय में कितने ही वसंत, हेमंत और शिशिर!", "मैं अपनी भावनाओं को कोई शब्द भी नहीं दे पाता था", "और जब भी मैं कुछ गाने की कोशिश करता :", "ये भी कोई गाना हुआ, न स्वर, न लय और न मिठास", "वे सब कहतीं : ऐसे हिनहिनाता है, जैसे घोड़ा।", "मेरे सपनों के धुँध भरे घेरों में", "कभी सरसों की महक आती और कभी दूब की कोमलता का स्पर्श", "कभी लज्जा के फूल खिलते और कभी हो जाता अंतर्मन पर्वतीय निर्जन", "कभी अँधेरे में दीप्त होने लगती अपार जगर-मगर", "कभी सपनों की धरती पर पाँव धरतीं", "नभ को नाप लेने की कोंपलों-सी कामनाएँ", "मैं रक्तरंजित सपनों की धरा पर", "दौड़ता शिलाएँ फोड़ता", "और मेरी लगाम थाम लेता घोड़ा।", "आपकी सब आशंकाएँ मेरे बारे में बिलकुल सही हैं", "मैं खूँटे तुड़ाकर भागा हुआ घोड़ा हूँ", "मेरे अबलक़ सपने कुम्मैत घोड़े की खुरजी में अब भी हैं", "मैं अब भी स्कूल देखता हूँ तो हिनहिनाता हूँ", "मैं अब भी मंदिर-मसीत के ऊपर से लाँघ जाता हूँ", "मैं लड़ाई लड़ रहा हूँ अश्वशालाओं से", "क्योंकि मैं किसी की अश्वशाला का घोड़ा नहीं हूँ", "आप होंगे कोई ऋषितुल्य मनुष्य", "या कुशल करतार तोपची", "हाँ, मैं तो घोड़ा हूँ और अक्सर हिनहिनाता हूँ अश्वशालाओं के ख़िलाफ़", "लेकिन तुम आदमी हो, फिर भी किसी की घुड़साल में पछाड़ी लगाकर बँधे हो!", "kya ye sirf mera sapna tha?", "kya mere bhitar ek diwy tattw ki anugunj thee?", "mujhe pata tha ki sapne kabhi waise nahin hote, jaise we pratit hote hain", "lekin kya ye sirf mera sapna tha aur", "sach nahin tha?", "kya us sapne mein gati nahin thee?", "mainne tutlana sikha aur ghoDe ki peeth par bitha diya", "mainne bolne ke bajay hinhinana sikha aur", "ghoDe ki peeth par jhang ki sundar zeen ke niche latakti", "donon khurajiyon mein bhar liye Dher sare sapne", "main aksar ghoDe ki peeth par so jata aur", "dulki dauDte ghoDe ki khurji se sapne girne lagte", "jinki yaad mujhe kummait ghoDe ki ablaq man bahut dinon tak yaad dilaya karti thi", "ghoDe ne mujhe kai sal roke rakha school jane se", "aur kaha, tum mat chaDho wikrti ke is sopan par", "ghoDe ne kai din tak mere baste ko bahut narazgi ke sath phenka", "ghoDa mere jiwan ka hissa tha", "pata nahin, bhai tha, mama tha ya koi purana dost tha", "ghoDe ne kaha ha dekho, mat jao school", "wahan we sab sabse pahle mujhe tumse door karenge", "aur phir man se, jisne tumhein god mein anDe ki tarah rakha hai", "ghoDe ki sabhi ashankayen sahi theen", "main jab ghoDe se utar kar school gaya to", "sabse pahle mujhe school ki sabse lambi aur chharahri laDki ne puchha ha", "ye laDka hai ya laDki?", "mainne kaha ha main laDka hoon, tumhein dikhta nahin?", "wo boli ha marajyane, tu nahin, wo jisse tu utra hai!", "mainne use puchha ha laDka kya hota hai?", "aur sab laDkiyan zor zor se taliyan pitkar hansne lagin", "main jab bhi school jata,", "laDakiyon mein jaise bolne ki hoD lag jati aur kahtin ha", "lo ghoDa aa gaya, ghoDa aa gaya", "aur ghoDe ne raat ko mere kan mein phusaphusakar kaha ha", "dekho, tum laDke ho, ghoDa nahin", "school mein adami nahin laDke aur laDkiyan hoti hain,", "jaise ghuDasal mein ghoDe aur ghoDiyan hoti hain", "school mein jinhen log laDke aur laDkiyan kahte hain", "darasl, we sab ghoDe aur ghoDiyan hoti hain", "ghoDa mere jiwan ka hissa tha,", "kyonki jis duniya mein mera koi dost nahin tha", "wahan ghoDa hi mujhse khelta aur mujhse ruthta tha", "ghoDa hi mere liye ghoDa banta tha aur ghoDa hi", "mere sapnon, meri prarthnaon aur meri udasiyon ke arth samajhta tha", "aur ghoDa hi meri ankhon se na gire ansuon mein bhigta tha", "main sota tha to uske shayankaksh ki gandh meri neend ko gaDha kar deti thi", "ek din subah jab main school ki pararthna sabha se kaksha mein ja raha tha", "mujhse ek laDke ne puchha ha teri jati kya hai?", "mainne kaha ha ye kya hoti hai?", "aur wo laDka apne sab doston ke sath", "zor zor se hanste hue gane laga ha ghoDa ghoDa", "ghoDe ne jaise ye sab sun liya aur", "lautte hue nahr ke kinare dulki chalte hue mujhse kaha ha", "school mein adami nahin, jatiyan paDhti hain aur sabke sab ghoDe ghoDiyan hain", "ghoDe ki peeth par apne sapnon ke sath main khush hota tha", "kabhi hansta aur kabhi rota tha", "aur ek din school mein mujhse ek shikshak ne kaha ha", "tu garibDa, ghoDa chaDhta hai", "aise kaise paDhta hai", "mainne puchha ha gharib kya hota hai?", "shikshak zor se hansa aur bola ha ghoDa!", "main prasann ho gaya aur mujhe laga ki mujhe gharib hona chahiye", "kyonki wo ghoDa hota hai", "main ghoDe ko chahta hoon aur ghoDa mujhe chahta hai", "main uske bina jiwit nahin rah sakta aur wo mere bina sans nahin le sakta", "mainne ghoDe ke honthon ko apne galon aur kanon ke pas mahsus kiya aur prasann ho gaya", "main apni donon nanhin banhon ko uske gale mein latka kar uski ayal pakaDakkar uski gardan mein jhool gaya", "ghoDa dauDta raha aur main jhumta raha", "meri man roti hui ghoDe ke pichhe bhagti rahi", "bachao bachao bachao", "achanak rukkar ghoDe ne man ke oDhne mein apni gardan chhupa li", "aur zor se baith gaya", "roti hui man ne bahut prasannata se kaha ha donon bawle", "mainne puxchha ha bawala kya hota hai?", "man ne kaha ha ghoDa", "main school ke maidan mein khelta tha", "kitne hi phool meri bhujaon mein machhaliyon ki tarah machalte the", "meri komal ungliyan udagr rahne lagi theen", "aur meri ankhon ko roop, ras, gandh aur yauwan ki bann paD gai thi", "main aksar wasana mein nahata aur phir bhi kaishory mein shant bana rahta", "liye apne hirdai mein kitne hi wasant, hemant aur shishir!", "main apni bhawnaon ko koi shabd bhi nahin de pata tha", "aur jab bhi main kuch gane ki koshish karta ha", "ye bhi koi gana hua, na swar, na lai aur na mithas", "we sab kahtin ha aise hinahinata hai, jaise ghoDa", "mere sapnon ke dhundh bhare gheron mein", "kabhi sarson ki mahak aati aur kabhi doob ki komalta ka sparsh", "kabhi lajja ke phool khilte aur kabhi ho jata antarman parwatiy nirjan", "kabhi andhere mein deept hone lagti apar jagar magar", "kabhi sapnon ki dharti par panw dhartin", "nabh ko nap lene ki komplon si kamnayen", "main raktranjit sapnon ki dhara par", "dauDta shilayen phoDta", "aur meri lagam tham leta ghoDa", "apaki sab ashankayen mere bare mein bilkul sahi hain", "main khunte tuDakar bhaga hua ghoDa hoon", "mere ablaq sapne kummait ghoDe ki khurji mein ab bhi hain", "main ab bhi school dekhta hoon to hinahinata hoon", "main ab bhi mandir masit ke upar se langh jata hoon", "main laDai laD raha hoon ashwshalaon se", "kyonki main kisi ki ashwashala ka ghoDa nahin hoon", "ap honge koi rishitulya manushya", "ya kushal kartar topchi", "han, main to ghoDa hoon aur aksar hinahinata hoon ashwshalaon ke khilaf", "lekin tum adami ho, phir bhi kisi ki ghuDasal mein pachhaDi lagakar bandhe ho!", "kya ye sirf mera sapna tha?", "kya mere bhitar ek diwy tattw ki anugunj thee?", "mujhe pata tha ki sapne kabhi waise nahin hote, jaise we pratit hote hain", "lekin kya ye sirf mera sapna tha aur", "sach nahin tha?", "kya us sapne mein gati nahin thee?", "mainne tutlana sikha aur ghoDe ki peeth par bitha diya", "mainne bolne ke bajay hinhinana sikha aur", "ghoDe ki peeth par jhang ki sundar zeen ke niche latakti", "donon khurajiyon mein bhar liye Dher sare sapne", "main aksar ghoDe ki peeth par so jata aur", "dulki dauDte ghoDe ki khurji se sapne girne lagte", "jinki yaad mujhe kummait ghoDe ki ablaq man bahut dinon tak yaad dilaya karti thi", "ghoDe ne mujhe kai sal roke rakha school jane se", "aur kaha, tum mat chaDho wikrti ke is sopan par", "ghoDe ne kai din 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mein ghoDe aur ghoDiyan hoti hain", "school mein jinhen log laDke aur laDkiyan kahte hain", "darasl, we sab ghoDe aur ghoDiyan hoti hain", "ghoDa mere jiwan ka hissa tha,", "kyonki jis duniya mein mera koi dost nahin tha", "wahan ghoDa hi mujhse khelta aur mujhse ruthta tha", "ghoDa hi mere liye ghoDa banta tha aur ghoDa hi", "mere sapnon, meri prarthnaon aur meri udasiyon ke arth samajhta tha", "aur ghoDa hi meri ankhon se na gire ansuon mein bhigta tha", "main sota tha to uske shayankaksh ki gandh meri neend ko gaDha kar deti thi", "ek din subah jab main school ki pararthna sabha se kaksha mein ja raha tha", "mujhse ek laDke ne puchha ha teri jati kya hai?", "mainne kaha ha ye kya hoti hai?", "aur wo laDka apne sab doston ke sath", "zor zor se hanste hue gane laga ha ghoDa ghoDa", "ghoDe ne jaise ye sab sun liya aur", "lautte hue nahr ke kinare dulki chalte hue mujhse kaha ha", "school mein adami nahin, jatiyan paDhti hain aur sabke sab ghoDe ghoDiyan hain", "ghoDe ki peeth par apne sapnon ke sath main khush hota tha", "kabhi hansta aur kabhi rota tha", "aur ek din school mein mujhse ek shikshak ne kaha ha", "tu garibDa, ghoDa chaDhta hai", "aise kaise paDhta hai", "mainne puchha ha gharib kya hota hai?", "shikshak zor se hansa aur bola ha ghoDa!", "main prasann ho gaya aur mujhe laga ki mujhe gharib hona chahiye", "kyonki wo ghoDa hota hai", "main ghoDe ko chahta hoon aur ghoDa mujhe chahta hai", "main uske bina jiwit nahin rah sakta aur wo mere bina sans nahin le sakta", "mainne ghoDe ke honthon ko apne galon aur kanon ke pas mahsus kiya aur prasann ho gaya", "main apni donon nanhin banhon ko uske gale mein latka kar uski ayal pakaDakkar uski gardan mein jhool gaya", "ghoDa dauDta raha aur main jhumta raha", "meri man roti hui ghoDe ke pichhe bhagti rahi", "bachao bachao bachao", "achanak rukkar ghoDe ne man ke oDhne mein apni gardan chhupa li", "aur zor se baith gaya", "roti hui man ne bahut prasannata se kaha ha donon bawle", "mainne puxchha ha bawala kya hota hai?", "man ne kaha ha ghoDa", "main school ke maidan mein khelta tha", "kitne hi phool meri bhujaon mein machhaliyon ki tarah machalte the", "meri komal ungliyan udagr rahne lagi theen", "aur meri ankhon ko roop, ras, gandh aur yauwan ki bann paD gai thi", "main aksar wasana mein nahata aur phir bhi kaishory mein shant bana rahta", "liye apne hirdai mein kitne hi wasant, hemant aur shishir!", "main apni bhawnaon ko koi shabd bhi nahin de pata tha", "aur jab bhi main kuch gane ki koshish karta ha", "ye bhi koi gana hua, na swar, na lai aur na mithas", "we sab kahtin ha aise hinahinata hai, jaise ghoDa", "mere sapnon ke dhundh bhare gheron mein", "kabhi sarson ki mahak aati aur kabhi doob ki komalta ka sparsh", "kabhi lajja ke phool khilte aur kabhi ho jata antarman parwatiy nirjan", "kabhi andhere mein deept hone lagti apar jagar magar", "kabhi sapnon ki dharti par panw dhartin", "nabh ko nap lene ki komplon si kamnayen", "main raktranjit sapnon ki dhara par", "dauDta shilayen phoDta", "aur meri lagam tham leta ghoDa", "apaki sab ashankayen mere bare mein bilkul sahi hain", "main khunte tuDakar bhaga hua ghoDa hoon", "mere ablaq sapne kummait ghoDe ki khurji mein ab bhi hain", "main ab bhi school dekhta hoon to hinahinata hoon", "main ab bhi mandir masit ke upar se langh jata hoon", "main laDai laD raha hoon ashwshalaon se", "kyonki main kisi ki ashwashala ka ghoDa nahin hoon", "ap honge koi rishitulya manushya", "ya kushal kartar topchi", "han, main to ghoDa hoon aur aksar hinahinata hoon ashwshalaon ke khilaf", "lekin tum adami ho, phir bhi kisi ki ghuDasal mein pachhaDi lagakar bandhe ho!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मकड़जाल - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/makad-jal-sandeep-tiwari-kavita?sort=
[ "भिनसार हुआ, उससे पहले", "दादा का सीताराम शुरू", "कितने खेतों में कहाँ-कहाँ", "गिनना वो सारा काम शुरू", "'धानेपुर' में कितना ओझास,", "पूरे खेतों में पसरी है", "अनगिनत घास", "है बहुत काम...", "हरमुनिया-सा पत्थर पकड़े", "सरगम जैसा वो पंहट रहे", "फ़रुहा, कुदार, हंसिया, खुरपा", "सब चमक गए", "दादा अनमुन्है निकल पड़े", "दाना-पानी, खाना-पीना", "सब वहीं हुआ...", "बैलों के माफ़िक जुटे रहे", "दुपहरिया तक,", "घर लौटे तो कुछ परेशान", "सारी थकान", "गुनगुनी धूप में सेंक लिए", "अगले पाली में कौन खेत", "अगले पाली में कौन मेड़", "सोते-सोते ही सोच लिए", "खेती-बारी में जिसका देखो यही हाल", "खटते रहते हैं साल-साल", "फिर भी बेहाल", "बचवा की फ़ीस, रज़ाई भी", "अम्मा का तेल, दवाई भी", "जुट न पाया", "कट गई ज़िंदगी", "दाल-भात तरकारी में...!", "ये ढोल दूर से देख रहे हैं", "लोग-बाग़", "नज़दीक पहुँचकर सूँघे तो", "कुछ पता चले", "ख़ुशियों का कितना है अकाल", "ये मकड़जाल", "जिसमें फँसकर सब नाच रहे", "चाँदनी रात को दिन समझे", "कितने किसान", "करते प्रयास", "फिर भी निराश", "ऐसी खेती में लगे आग!", "भूखे मरते थे पहले भी", "भूखे मरते हैं सभी आज", "क्या और कहूँ?", "bhinsar hua, usse pahle", "dada ka sitaram shuru", "kitne kheton mein kahan kahan", "ginna wo sara kaam shuru", "dhanepur mein kitna ojhas,", "pure kheton mein pasri hai", "anaginat ghas", "hai bahut kaam", "haramuniya sa patthar pakDe", "sargam jaisa wo panhat rahe", "faruha, kudar, hansiya, khurpa", "sab chamak gaye", "dada anmunhai nikal paDe", "dana pani, khana pina", "sab wahin hua", "bailon ke mafi jute rahe", "dupahriya tak,", "ghar laute to kuch pareshan", "sari thakan", "gunguni dhoop mein senk liye", "agle pali mein kaun khet", "agle pali mein kaun meD", "sote sote hi soch liye", "kheti bari mein jiska dekho yahi haal", "khatte rahte hain sal sal", "phir bhi behal", "bachwa ki fees, razai bhi", "amma ka tel, dawai bhi", "jut na paya", "kat gai zindagi", "dal bhat tarkari mein !", "ye Dhol door se dekh rahe hain", "log bagh", "nazdik pahunchakar sunghe to", "kuch pata chale", "khushiyon ka kitna hai akal", "ye makaD़jal", "jismen phansakar sab nach rahe", "chandni raat ko din samjhe", "kitne kisan", "karte prayas", "phir bhi nirash", "aisi kheti mein lage aag!", "bhukhe marte the pahle bhi", "bhukhe marte hain sabhi aaj", "kya aur kahun?", "bhinsar hua, usse pahle", "dada ka sitaram shuru", "kitne kheton mein kahan kahan", "ginna wo sara kaam shuru", "dhanepur mein kitna ojhas,", "pure kheton mein pasri hai", "anaginat ghas", "hai bahut kaam", "haramuniya sa patthar pakDe", "sargam jaisa wo panhat rahe", "faruha, kudar, hansiya, khurpa", "sab chamak gaye", "dada anmunhai nikal paDe", "dana pani, khana pina", "sab wahin hua", "bailon ke mafi jute rahe", "dupahriya tak,", "ghar laute to kuch pareshan", "sari thakan", "gunguni dhoop mein senk liye", "agle pali mein kaun khet", "agle pali mein kaun meD", "sote sote hi soch liye", "kheti bari mein jiska dekho yahi haal", "khatte rahte hain sal sal", "phir bhi behal", "bachwa ki fees, razai bhi", "amma ka tel, dawai bhi", "jut na paya", "kat gai zindagi", "dal bhat tarkari mein !", "ye Dhol door se dekh rahe hain", "log bagh", "nazdik pahunchakar sunghe to", "kuch pata chale", "khushiyon ka kitna hai akal", "ye makaD़jal", "jismen phansakar sab nach rahe", "chandni raat ko din samjhe", "kitne kisan", "karte prayas", "phir bhi nirash", "aisi kheti mein lage aag!", "bhukhe marte the pahle bhi", "bhukhe marte hain sabhi aaj", "kya aur kahun?", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
रात दिन को हसरत से देखती है - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/raat-din-ko-hasrat-se-dekhti-hai-sarul-bagla-kavita?sort=
[ "रात दिन को हसरत से देखती", "अगर देख सकती", "कबूतर गिलहरी को प्यार करते हैं", "और समुद्र को नदियाँ अच्छी लगती है", "मैंने कभी-कभी ख़ुद को भोला लगता हूँ", "रास्तों की लंबाई बोर होने से बचाती है", "और थकान रात की ऊब से छुपा कर रखती है", "अख़बारों मे आई हुई ख़बरें बड़े दरवाज़े वाले", "घर से होकर निकलती है", "बहुत से लोग बताते हैं कि ऐसा उन्होंने देखा है", "बग़ावत की कमी का कारण कई बार", "ख़ून में लोहे का कम होना लगता है", "और मैं सोचता हूँ कि यह नमक किसका है", "जब भी घावों में टीस उठती है", "तो कोई न कोई याद जोड़ कर वक़्त काटना अच्छा लगता है", "शहर की ओर आते हुए किसानों की", "एकजुट पदचाप नींद में मेरा पीछा करती है", "और मुझे खेत तालाबों में बदलते दिखते हैं", "कई महीनों से फ़र्क़ नहीं पता चलता है कि", "ख़बर पढ़ी थी या कोई सपना देखा था।", "नींद के भीतर और घर के बाहर दोनों जगह", "डरी-डरी जाती हैं क़स्बाई लड़कियाँ", "और अपना हक़ माँगते हुए उनकी काँपती आवाज़ के पीछे", "खड़ी मेरी आवाज़ पर पीछे से किसी विलुप्त गिद्ध की आत्मा", "रोज़ अपनी चोंच की धार पैनी करके लौट जाती है", "दोस्त जानना चाहता है मैं किस बारे मे बात कर रहा हूँ", "और अक्सर इसका जवाब देने की बजाय मैं घर लौट आता हूँ", "मुझे यह भी याद नहीं रहता यह बात किस दोस्त ने पूछी है", "कभी-कभी जवाब मिल जाता है तो दोस्त ग़ायब हो जाता है", "उसकी माँ बताती है कि उसे आटे की मिल में काम मिल गया है", "और अब उसे जवाब की ज़रूरत नहीं है", "उसके घर शाम की रोटी का बंदोबस्त हो गया है", "दिन लंबे होने लगते हैं तो बेरोज़गारों को सबसे पहले पता चलता है।", "देश की बिगड़ती हालत पर सभा बुलाकर बैठे हुए बंदर", "चुपचाप बैठे हुए हैं", "और मुझे बस इतना पता है कि", "रात दिन को हसरत से देखती", "अगर देख सकती", "कबूतर गिलहरी को प्यार करते हैं", "और समुद्र को नदियाँ अच्छी लगती है।", "raat din ko hasrat se dekhti", "agar dekh sakti", "kabutar gilahri ko pyar karte hain", "aur samudr ko nadiyan achchhi lagti hai", "mainne kabhi kabhi khu ko bhola lagta hoon", "raston ki lambai bor hone se bachati hai", "aur thakan raat ki ub se chhupa kar rakhti hai", "akhbaron mae i hui khabren baDe darwaze wale", "ghar se hokar nikalti hai", "bahut se log batate hain ki aisa unhonne dekha hai", "baghawat ki kami ka karan kai bar", "khoon mein lohe ka kam hona lagta hai", "aur main sochta hoon ki ye namak kiska hai", "jab bhi ghawon mein tees uthti hai", "to koi na koi yaad joD kar waqt katna achchha lagta hai", "shahr ki or aate hue kisanon ki", "ekjut padchap neend mein mera pichha karti hai", "aur mujhe khet talabon mein badalte dikhte hain", "kai mahinon se farq nahin pata chalta hai ki", "khabar paDhi thi ya koi sapna dekha tha", "neend ke bhitar aur ghar ke bahar donon jagah", "Dari Dari jati hain qasbai laDkiyan", "aur apna haq mangte hue unki kanpti awaz ke pichhe", "khaDi meri awaz par pichhe se kisi wilupt giddh ki aatma", "roz apni chonch ki dhaar paini karke laut jati hai", "dost janna chahta hai main kis bare mae baat kar raha hoon", "aur aksar iska jawab dene ki bajay main ghar laut aata hoon", "mujhe ye bhi yaad nahin rahta ye baat kis dost ne puchhi hai", "kabhi kabhi jawab mil jata hai to dost ghayab ho jata hai", "uski man batati hai ki use aate ki mil mein kaam mil gaya hai", "aur ab use jawab ki zarurat nahin hai", "uske ghar sham ki roti ka bandobast ho gaya hai", "din lambe hone lagte hain to berozgaron ko sabse pahle pata chalta hai", "desh ki bigaDti haalat par sabha bulakar baithe hue bandar", "chupchap baithe hue hain", "aur mujhe bus itna pata hai ki", "raat din ko hasrat se dekhti", "agar dekh sakti", "kabutar gilahri ko pyar karte hain", "aur samudr ko nadiyan achchhi lagti hai", "raat din ko hasrat se dekhti", "agar dekh sakti", "kabutar gilahri ko pyar karte hain", "aur samudr ko nadiyan achchhi lagti hai", "mainne kabhi kabhi khu ko bhola lagta hoon", "raston ki lambai bor hone se bachati hai", "aur thakan raat ki ub se chhupa kar rakhti hai", "akhbaron mae i hui khabren baDe darwaze wale", "ghar se hokar nikalti hai", "bahut se log batate hain ki aisa unhonne dekha hai", "baghawat ki kami ka karan kai bar", "khoon mein lohe ka kam hona lagta hai", "aur main sochta hoon ki ye namak kiska hai", "jab bhi ghawon mein tees uthti hai", "to koi na koi yaad joD kar waqt katna achchha lagta hai", "shahr ki or aate hue kisanon ki", "ekjut padchap neend mein mera pichha karti hai", "aur mujhe khet talabon mein badalte dikhte hain", "kai mahinon se farq nahin pata chalta hai ki", "khabar paDhi thi ya koi sapna dekha tha", "neend ke bhitar aur ghar ke bahar donon jagah", "Dari Dari jati hain qasbai laDkiyan", "aur apna haq mangte hue unki kanpti awaz ke pichhe", "khaDi meri awaz par pichhe se kisi wilupt giddh ki aatma", "roz apni chonch ki dhaar paini karke laut jati hai", "dost janna chahta hai main kis bare mae baat kar raha hoon", "aur aksar iska jawab dene ki bajay main ghar laut aata hoon", "mujhe ye bhi yaad nahin rahta ye baat kis dost ne puchhi hai", "kabhi kabhi jawab mil jata hai to dost ghayab ho jata hai", "uski man batati hai ki use aate ki mil mein kaam mil gaya hai", "aur ab use jawab ki zarurat nahin hai", "uske ghar sham ki roti ka bandobast ho gaya hai", "din lambe hone lagte hain to berozgaron ko sabse pahle pata chalta hai", "desh ki bigaDti haalat par sabha bulakar baithe hue bandar", "chupchap baithe hue hain", "aur mujhe bus itna pata hai ki", "raat din ko hasrat se dekhti", "agar dekh sakti", "kabutar gilahri ko pyar karte hain", "aur samudr ko nadiyan achchhi lagti hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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अमीरी रेखा - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/amiri-rekha-kumar-ambuj-kavita?sort=
[ "मनुष्य होने की परंपरा है कि वह किसी कंधे पर सिर रख देता है", "और अपनी पीठ पर टिकने देता है कोई दूसरी पीठ", "ऐसा होता आया है, बावजूद इसके", "कि कई चीज़ें इस बात को हमेशा कठिन बनाती रही हैं", "और कई बार आदमी होने की शुरुआत", "एक आधी-अधूरी दीवार हो जाने से, पतंगा, ग्वारपाठा", "या एक पोखर बन जाने से भी होती है", "या जब सब रफ़्तार में हों तब पीछे छूट जाना भी एक शुरुआत है", "बशर्ते मनुष्यता में तुम्हारा विश्वास बाक़ी रह गया हो", "नमस्कार, हाथ मिलाना, मुस्कुराना, कहना कि मैं आपके", "क्या काम आ सकता हूँ—", "ये अभिनय की सहज भंगिमाएँ हैं और इनसे अब", "किसी को कोई ख़ुशी नहीं मिलती", "शब्दों के मानी इस तरह भी ख़त्म किए जाते हैं", "तब अपने को और अपनी भाषा को बचाने के लिए", "हो सकता है तुम्हें उस आदमी के पास जाना पड़े", "जो इस वक़्त नमक भी नहीं ख़रीद पा रहा है", "या घर की ही उस स्त्री के पास", "जो दिन रात काम करती है", "और जिसे आज भी मज़दूरी नहीं मिलती", "बाज़ार में तो तुम्हारी छाया भी नज़र नहीं आ सकती", "उसे दूसरी तरफ़ से आती रोशनी दबोच लेती है", "वसंत में तुम्हारी पत्तियाँ नहीं झरतीं", "एक दिन तुम्हारी मुश्किल यह हो सकती है", "कि तुम नश्वर नहीं रहे", "तुम्हें यह देखने के लिए जीवित रहना पड़ सकता है", "कि सिर्फ़ अपनी जान बचाने की ख़ातिर", "तुम कितनी तरह का जीवन जी सकते हो", "जब लोगों को रोटी भी नसीब नहीं", "और इसी वजह से साठ-सत्तर रुपए रोज़ पर तुम एक आदमी को", "और सौ-डेढ़ सौ रुपए रोज़ पर एक पूरे परिवार को ग़ुलाम बनाते हो", "और फिर रात की अगवानी में कुछ मदहोशी में सोचते हो", "कभी-कभी घोषणा भी करते हो—", "मैं अपनी मेहनत और क़ाबलियत से ही यहाँ तक पहुँचा हूँ।", "manushya hone ki paranpra hai ki wo kisi kandhe par sir rakh deta hai", "aur apni peeth par tikne deta hai koi dusri peeth", "aisa hota aaya hai, bavjud iske", "ki kai chizen is baat ko hamesha kathin banati rahi hain", "aur kai baar adami hone ki shuruat", "ek aadhi adhuri divar ho jane se, patanga, gvarapatha", "ya ek pokhar ban jane se bhi hoti hai", "ya jab sab raftar mein hon tab pichhe chhoot jana bhi ek shuruat hai", "basharte manushyata mein tumhara vishvas baki rah gaya ho", "namaskar, haath milana, musakrana, kahna ki main aapke", "kya kaam aa sakta hoon—", "ye abhinay ki sahj bhangimayen hain aur inse ab", "kisi ko koi khushi nahin milti", "shabdon ke mani is tarah bhi khatm kiye jate hain", "tab apne ko aur apni bhasha ko bachane ke liye", "ho sakta hai tumhein us adami ke paas jana paDe", "jo is vakt namak bhi nahin kharid pa raha hai", "ya ghar ki hi us istri ke paas", "jo din raat kaam karti hai", "aur jise aaj bhi mazduri nahin milti", "bazar mein to tumhari chhaya bhi nazar nahin aa sakti", "use dusri taraf se aati roshni daboch leti hai", "vasant mein tumhari pattiyan nahin jhartin", "ek din tumhari mushkil ye ho sakti hai", "ki tum nashvar nahin rahe", "tumhein ye dekhne ke liye jivit rahna paD sakta hai", "ki sirf apni jaan bachane ki khatir", "tum kitni tarah ka jivan ji sakte ho", "jab logon ko roti bhi nasib nahin", "aur isi vajah se saath sattar rupae roz par tum ek adami ko", "aur sau DeDh sau rupae roz par ek pure parivar ko ghulam banate ho", "aur phir raat ki agvani mein kuch madhoshi mein sochte ho", "kabhi kabhi ghoshanaa bhi karte ho—", "main apni mehnat aur qabaliyat se hi yahan tak pahuncha hoon.", "manushya hone ki paranpra hai ki wo kisi kandhe par sir rakh deta hai", "aur apni peeth par tikne deta hai koi dusri peeth", "aisa hota aaya hai, bavjud iske", "ki kai chizen is baat ko hamesha kathin banati rahi hain", "aur kai baar adami hone ki shuruat", "ek aadhi adhuri divar ho jane se, patanga, gvarapatha", "ya ek pokhar ban jane se bhi hoti hai", "ya jab sab raftar mein hon tab pichhe chhoot jana bhi ek shuruat hai", "basharte manushyata mein tumhara vishvas baki rah gaya ho", "namaskar, haath milana, musakrana, kahna ki main aapke", "kya kaam aa sakta hoon—", "ye abhinay ki sahj bhangimayen hain aur inse ab", "kisi ko koi khushi nahin milti", "shabdon ke mani is tarah bhi khatm kiye jate hain", "tab apne ko aur apni bhasha ko bachane ke liye", "ho sakta hai tumhein us adami ke paas jana paDe", "jo is vakt namak bhi nahin kharid pa raha hai", "ya ghar ki hi us istri ke paas", "jo din raat kaam karti hai", "aur jise aaj bhi mazduri nahin milti", "bazar mein to tumhari chhaya bhi nazar nahin aa sakti", "use dusri taraf se aati roshni daboch leti hai", "vasant mein tumhari pattiyan nahin jhartin", "ek din tumhari mushkil ye ho sakti hai", "ki tum nashvar nahin rahe", "tumhein ye dekhne ke liye jivit rahna paD sakta hai", "ki sirf apni jaan bachane ki khatir", "tum kitni tarah ka jivan ji sakte ho", "jab logon ko roti bhi nasib nahin", "aur isi vajah se saath sattar rupae roz par tum ek adami ko", "aur sau DeDh sau rupae roz par ek pure parivar ko ghulam banate ho", "aur phir raat ki agvani mein kuch madhoshi mein sochte ho", "kabhi kabhi ghoshanaa bhi karte ho—", "main apni mehnat aur qabaliyat se hi yahan tak pahuncha hoon.", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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2020 - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/2020-sanjay-chaturvedi-kavita-37?sort=
[ "बड़े शहर थे", "फैले डर थे", "एक वबा थी", "सब नश्वर थे", "चंद शजर थे", "घर ही घर थे", "और करोड़ों", "जो बेघर थे", "रस्ते सभी", "उदास बहर थे", "हम कितना", "नाकाम हुनर थे", "baDe shahr the", "phaile Dar the", "ek waba thi", "sab nashwar the", "chand shajar the", "ghar hi ghar the", "aur karoDon", "jo beghar the", "raste sabhi", "udas bahr the", "hum kitna", "nakam hunar the", "baDe shahr the", "phaile Dar the", "ek waba thi", "sab nashwar the", "chand shajar the", "ghar hi ghar the", "aur karoDon", "jo beghar the", "raste sabhi", "udas bahr the", "hum kitna", "nakam hunar the", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
गाँव को विदा कह देना आसान नहीं है - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/ganw-ko-wida-kah-dena-asan-nahin-hai-sandeep-nirbhay-kavita?sort=
[ "मेरे गाँव! जा रहा हूँ दूर-दिसावर", "छाले से उपने थोथे धान की तरह", "तेरी गोद में सिर रख नहीं रोऊँगा", "जैसे नहीं रोए थे दादा", "दादी के गहने गिरवी रखते बखत", "जनवरी की सर्द रात में टहलता रहा", "देखता रहा घरों की जगी हुईं लाइटें", "पर कहाँ दिखी मुझे", "चाँद में चरख़ा चलाती हुई बूढ़ी दादी", "सुनता रहा दूर से आ रही", "सत्संग की मीठी आवाज़", "इस बीच न जानें कब चला गया था", "बुढ़िया की टोकरी में चाँद", "किसान के कंधों पर बैठकर", "उग आया था सूरज धुंध को चीरता हुआ", "किसानों के बच्चे खेतों के बीच", "बनाएँगे भारत का मानचित्र", "सँजोएँगे सरसों के फूल", "धोरों पर लिखेंगे गड़रिए", "अनकही प्रेम-कथा", "गोधूलि बेला में लौट आएँगे सब", "अपने आशियाने", "जैसे रोज़ धोने पर लौट आती है", "मज़दूर की बनियान में पसीने की सुगंध", "गाँव को विदा कह देना आसान नहीं है", "जैसे आसान नहीं है", "रोते हुए बाबा के आँसू पोंछना", "जैसे आसान नहीं है", "बेरोज़गार का कविता करना, गीत गाना", "रोटियाँ, चटनी और कांदों के साथ माँ", "थैले में रख देती है", "दो जोड़ी कपड़ों में तह करके आशा", "पश्चिम की ओर मुँह कर", "करती है तिलक", "लगाती है चावल", "थमा देती है हाथ में दस का नोट", "कलाई पर आशीर्वाद की मोली बाँधती हुई", "आख़िरकार माँ जब दे रही होती है", "मेरे मुँह में गुड़ की डली", "तो कुछेक चावल उतरकर", "आ बैठते हैं फिर से", "ज़िद्दी बच्चे की तरह थाली में", "रह जाते हैं फ़क़त", "दो-तीन चावल तिलक से चिपके हुए।", "mere ganw! ja raha hoon door disawar", "chhale se upne thothe dhan ki tarah", "teri god mein sir rakh nahin rounga", "jaise nahin roe the dada", "dadi ke gahne girwi rakhte bakhat", "january ki sard raat mein tahalta raha", "dekhta raha gharon ki jagi huin laiten", "par kahan dikhi mujhe", "chand mein charkha chalati hui buDhi dadi", "sunta raha door se aa rahi", "satsang ki mithi awaz", "is beech na janen kab chala gaya tha", "buDhiya ki tokari mein chand", "kisan ke kandhon par baithkar", "ug aaya tha suraj dhundh ko chirta hua", "kisanon ke bachche kheton ke beech", "banayenge bharat ka manachitr", "sanjoenge sarson ke phool", "dhoron par likhenge gaDariye", "anakhi prem katha", "godhuli bela mein laut ayenge sab", "apne ashiyane", "jaise roz dhone par laut aati hai", "mazdur ki baniyan mein pasine ki sugandh", "ganw ko wida kah dena asan nahin hai", "jaise asan nahin hai", "rote hue baba ke ansu ponchhna", "jaise asan nahin hai", "berozgar ka kawita karna, geet gana", "rotiyan, chatni aur kandon ke sath man", "thaile mein rakh deti hai", "do joDi kapDon mein tah karke aasha", "pashchim ki or munh kar", "karti hai tilak", "lagati hai chawal", "thama deti hai hath mein das ka not", "kalai par ashirwad ki moli bandhti hui", "akhiraka man jab de rahi hoti hai", "mere munh mein guD ki Dali", "to kuchhek chawal utarkar", "a baithte hain phir se", "ziddi bachche ki tarah thali mein", "rah jate hain fak", "do teen chawal tilak se chipke hue", "mere ganw! ja raha hoon door disawar", "chhale se upne thothe dhan ki tarah", "teri god mein sir rakh nahin rounga", "jaise nahin roe the dada", "dadi ke gahne girwi rakhte bakhat", "january ki sard raat mein tahalta raha", "dekhta raha gharon ki jagi huin laiten", "par kahan dikhi mujhe", "chand mein charkha chalati hui buDhi dadi", "sunta raha door se aa rahi", "satsang ki mithi awaz", "is beech na janen kab chala gaya tha", "buDhiya ki tokari mein chand", "kisan ke kandhon par baithkar", "ug aaya tha suraj dhundh ko chirta hua", "kisanon ke bachche kheton ke beech", "banayenge bharat ka manachitr", "sanjoenge sarson ke phool", "dhoron par likhenge gaDariye", "anakhi prem katha", "godhuli bela mein laut ayenge sab", "apne ashiyane", "jaise roz dhone par laut aati hai", "mazdur ki baniyan mein pasine ki sugandh", "ganw ko wida kah dena asan nahin hai", "jaise asan nahin hai", "rote hue baba ke ansu ponchhna", "jaise asan nahin hai", "berozgar ka kawita karna, geet gana", "rotiyan, chatni aur kandon ke sath man", "thaile mein rakh deti hai", "do joDi kapDon mein tah karke aasha", "pashchim ki or munh kar", "karti hai tilak", "lagati hai chawal", "thama deti hai hath mein das ka not", "kalai par ashirwad ki moli bandhti hui", "akhiraka man jab de rahi hoti hai", "mere munh mein guD ki Dali", "to kuchhek chawal utarkar", "a baithte hain phir se", "ziddi bachche ki tarah thali mein", "rah jate hain fak", "do teen chawal tilak se chipke hue", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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ख़तरा - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/khatra-kumar-ambuj-kavita-2?sort=
[ "क्या तुम्हारे पास कोई गवाही है कि तुम सपरिवार", "अँधरे में दोनों हाथ ऊपर उठाए जंगलों में धकेले गए", "और तुम्हारे सामने ही बच्चियों की अस्मत लूटी गई", "तुम्हारे पिता जब गश खाकर गिर पड़े तो तुम्हें", "उन सबके ऊपर पाँव रखकर जाने को मजबूर किया", "गवाही लाओ कि तुम भूखे-प्यासे रहे और मीलों तक", "पैदल चलकर बमुश्किल तुमने अपनी जान बचाई", "कि तुम पर बिना बात ही बरसाई गईं लाठियाँ", "मारा गया बंदूक़ के कुंदों से", "इस बात की गवाही तो ज़रूर होगी तुम्हारे पास", "कि आधी रात को तुम अकेले आकाश के नीचे बिलखते थे", "तुम क्या कह सकते हो, बस चुप रह जाते हो", "जैसे चुप्पी में ही कहत हो : शर्मिंदगी की,", "यातना की, क्रूरता की गवाही नहीं है मेरे पास लेकिन स्मृति है।", "kya tumhare pas koi gawahi hai ki tum sapriwar", "andhare mein donon hath upar uthaye janglon mein dhakele gaye", "aur tumhare samne hi bachchiyon ki asmat luti gai", "tumhare pita jab gash khakar gir paDe to tumhein", "un sabke upar panw rakhkar jane ko majbur kiya", "gawahi lao ki tum bhukhe pyase rahe aur milon tak", "paidal chalkar bamushkil tumne apni jaan bachai", "ki tum par bina baat hi barsai gain lathiyan", "mara gaya banduq ke kundon se", "is baat ki gawahi to zarur hogi tumhare pas", "ki aadhi raat ko tum akele akash ke niche bilakhte the", "tum kya kah sakte ho, bus chup rah jate ho", "jaise chuppi mein hi kahat ho ha sharmindgi ki,", "yatana ki, krurata ki gawahi nahin hai mere pas lekin smriti hai", "kya tumhare pas koi gawahi hai ki tum sapriwar", "andhare mein donon hath upar uthaye janglon mein dhakele gaye", "aur tumhare samne hi bachchiyon ki asmat luti gai", "tumhare pita jab gash khakar gir paDe to tumhein", "un sabke upar panw rakhkar jane ko majbur kiya", "gawahi lao ki tum bhukhe pyase rahe aur milon tak", "paidal chalkar bamushkil tumne apni jaan bachai", "ki tum par bina baat hi barsai gain lathiyan", "mara gaya banduq ke kundon se", "is baat ki gawahi to zarur hogi tumhare pas", "ki aadhi raat ko tum akele akash ke niche bilakhte the", "tum kya kah sakte ho, bus chup rah jate ho", "jaise chuppi mein hi kahat ho ha sharmindgi ki,", "yatana ki, krurata ki gawahi nahin hai mere pas lekin smriti hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
गली में डाक्टर दंपती और उनकी नई कार - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/gali-mein-daktar-dampti-aur-unki-nai-kar-rituraj-kavita?sort=
[ "रोगी काया के भीतर से निकाली है", "सोने की पिटारी उन दोनों ने", "अपाहिज दुनिया की पीली आँखों से", "चुराए हैं अंतरिक्ष के सपने", "डाक्टर दंपती ने छीना है स्वास्थ्य-लाभ और वैभव", "दु:ख की गाड़ी में फँसे मुसाफ़िर इंतज़ार करते हैं", "उनके ठहरने का", "मैं कोई बुद्ध नहीं था कि मृत्युपूर्व की यंत्रणा देखकर", "सुनकर रौरव का हाहाकार", "दार्शनिक हो जाता", "मेरे घर के सामने का पेड़ तो न जाने कब का", "कुल्हाड़ी की चोट से धराशाई हो चुका था", "फ़िलहाल मैं खड़ा था, स्टेशन पर", "रुकी इस पीड़ा की गाड़ी को देखता", "हर बुढ़िया थी मेरी माँ", "हर बूढ़ा फ़ालिज में चीख़ता मेरा बाप था", "शराब पीकर पीट रहा था औरत को", "वह मेरा भाई था", "चटाई में लपेटे बच्चे की लाश", "चुपचाप लिए जा रहे थे जो लोग", "वे सब मेरे मोहल्ले के लोग थे", "उस डाक्टर दंपती को चाभी मिल गई थी स्वर्ग की", "नरक की गलियों के बीच तैरती उनकी नई कार के", "फाटक पर लिखा था—", "‘अपनी आँखें दान करके मनुष्यजाति की सेवा करें’", "मेरी आँखों, तुम्हें हुआ क्या है?", "संपन्न चतुर लोगों द्वारा प्रयुक्त सेवाभावी भाषा का", "गूढ़ार्थ तुरंत पढ़ लेती हो", "मेरी किडनियों, शुद्धिकरण के लिए तुम कितनी सक्षम हो!!", "मेरी बुद्धि, तुम कितनी प्रखर हो कि अधिक दु:खियों के बीच", "पहचान लेती हो कम दु:खियों को!!", "rogi kaya ke bhitar se nikali hai", "sone ki pitari un donon ne", "apahij duniya ki pili ankhon se", "churaye hain antriksh ke sapne", "Daktar dampti ne chhina hai swasthy labh aur waibhaw", "duhakh ki gaDi mein phanse musafi intzar karte hain", "unke thaharne ka", "main koi buddh nahin tha ki mrityupurw ki yantrna dekhkar", "sunkar rauraw ka hahakar", "darshanik ho jata", "mere ghar ke samne ka peD to na jane kab ka", "kulhaDi ki chot se dharashai ho chuka tha", "filaha main khaDa tha, station par", "ruki is piDa ki gaDi ko dekhta", "har buDhiya thi meri man", "har buDha falij mein chikhta mera bap tha", "sharab pikar peet raha tha aurat ko", "wo mera bhai tha", "chatai mein lapete bachche ki lash", "chupchap liye ja rahe the jo log", "we sab mere mohalle ke log the", "us Daktar dampti ko chabhi mil gai thi swarg ki", "narak ki galiyon ke beech tairti unki nai kar ke", "phatak par likha tha—", "‘apni ankhen dan karke manushyjati ki sewa karen’", "meri ankhon, tumhein hua kya hai?", "sampann chatur logon dwara prayukt sewabhawi bhasha ka", "guDharth turant paDh leti ho", "meri kiDaniyon, shuddhikarn ke liye tum kitni saksham ho!!", "meri buddhi, tum kitni prakhar ho ki adhik duhakhiyon ke beech", "pahchan leti ho kam duhakhiyon ko!!", "rogi kaya ke bhitar se nikali hai", "sone ki pitari un donon ne", "apahij duniya ki pili ankhon se", "churaye hain antriksh ke sapne", "Daktar dampti ne chhina hai swasthy labh aur waibhaw", "duhakh ki gaDi mein phanse musafi intzar karte hain", "unke thaharne ka", "main koi buddh nahin tha ki mrityupurw ki yantrna dekhkar", "sunkar rauraw ka hahakar", "darshanik ho jata", "mere ghar ke samne ka peD to na jane kab ka", "kulhaDi ki chot se dharashai ho chuka tha", "filaha main khaDa tha, station par", "ruki is piDa ki gaDi ko dekhta", "har buDhiya thi meri man", "har buDha falij mein chikhta mera bap tha", "sharab pikar peet raha tha aurat ko", "wo mera bhai tha", "chatai mein lapete bachche ki lash", "chupchap liye ja rahe the jo log", "we sab mere mohalle ke log the", "us Daktar dampti ko chabhi mil gai thi swarg ki", "narak ki galiyon ke beech tairti unki nai kar ke", "phatak par likha tha—", "‘apni ankhen dan karke manushyjati ki sewa karen’", "meri ankhon, tumhein hua kya hai?", "sampann chatur logon dwara prayukt sewabhawi bhasha ka", "guDharth turant paDh leti ho", "meri kiDaniyon, shuddhikarn ke liye tum kitni saksham ho!!", "meri buddhi, tum kitni prakhar ho ki adhik duhakhiyon ke beech", "pahchan leti ho kam duhakhiyon ko!!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
बहनें - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/bahnen-asad-zaidi-kavita?sort=
[ "कोयला हो चुकी हैं हम बहनों ने कहा रेत में धँसते हुए", "ढक दो अब हमें चाहे हम रुकती हैं यहाँ तुम जाओ", "बहनें दिन को हुलिए बदलकर आती रहीं", "बुख़ार था हमें शामों में", "हमारी जलती आँखों को और तपिश देती हुई बहनें", "शाप की तरह आती थीं हमारी बर्राती हुई", "ज़िंदगियों में बहनें ट्रैफ़िक से भरी सड़कों पर", "मुसीबत होकर सिरों पर हमारे मँडराती थीं", "बहनें कभी सांत्वना पाकर बैठ जाती थीं हमारी पत्नियों के", "अँधेरे गर्भ में बहनें पहरा देती रहीं", "चूल्हे के पीछे अँधेरे में प्याज़ चुराकर जो हमें चकित करते हैं", "उन चोरों को कोसती थीं बहनें", "ख़ुश हुई बहनें हमारी ठीक-ठाक चलती नौकरियों में भरी", "संभावनाएँ देखकर", "कहनें बच्चों को परी-दरवेश की कथाएँ सुनाती थीं", "उनकी कल्पना में जंगल जानवर बहनें लाती थीं", "बहनों ने जो नहीं देखा उसे और बढ़ाया अपने", "आन की पूँजी", "बटोरते-बटोरते।", "‘यह लकड़ी नहीं जलेगी किसी ने", "यों अगर कहा तो हम बुरा मान लेंगी", "किसलिए आख़िर हम हुई हैं लड़कियाँ", "लकड़ियाँ चलती हैं जैसे हम जानती हैं तुम जानते हो", "लकड़ियाँ हैं हम लड़कियाँ", "जब तक गीली हैं धुआँ देंगी पर इसमें", "हमारा क्या बस? हम", "पतीलियाँ हैं तुम्हारे घर की भाई पिता", "'माँ देखो हम पतीलियाँ हैं'", "हमारी कालिख धोई जाएगी, नहीं धोया गया हमें तो", "हम बनकर कालिख", "बढ़ती रहेंगी और चीथड़े", "भरती रहेंगी शरीर में जब तक है गीलापन और स्वाद", "हम सूखेंगी अपनी रफ़्तार से", "‘हम सूख जाएँगी", "हम खड़खड़ाएँगी इस धरती पर सन्नाटे में", "मोखों में चूल्हों पर दोपहरियों में", "अपना कटोरा बजाएँगी हम हमारा कटोरा", "भर देना—मोरियों पर पानी मिल जाता है कुनबेवालो", "पर घूरों पर दाना नहीं मिलता", "हमारा कटोरा भर देना", "‘हम तुम्हारी दुनिया में मकड़ी भर होंगी", "हम होंगी मकड़ियाँ", "घर के किसी बिसरे कोने में जाला ताने पड़ रहेंगी", "हम होंगी मकड़ियाँ धूल भरे कोनों की", "हम होंगी धूल", "हम होंगी दीमकें किवाड़ों की दरारों में", "बक्से के तले पर रह लेंगी", "नीम की निबौलियाँ और कमलगट्टे खा लेंगी", "हम रात झींगुरों की तरह बोलेंगी", "कुनबे की नींद को सहारा देती हमीं होंगी झींगुर।’", "कोयला हो चुकी हैं हम", "बहनों ने कहा रेत में धँसते हुए", "कोयला हो चुकीं", "कहा जूतों से पिटते हुए", "कोयला", "सुबकते हुए", "बहनें सुबकती हैः ‘राख हैं हम", "राख हैं हम : गर्द उड़कर बैठ जाएँगी सभी के माथे पर", "सूखेंगी तुम्हारी आँखों में ग्लनि की पपड़ियाँ", "गरदन पर तेल की तह जमेगी, देखना!’", "बहनें मैल बनेंगी एक दिन", "एक दिन साबुन के साथ निकल जाएँगी यादों से", "घुटनों और कोहनियों को छोड़कर", "मरती नहीं पर वे, बैठी रहती हैं शताब्दियों तक घरों में", "बहनों को दबाती दुनिया गुज़रती जाती है जीवन के", "चरमराते पुल से परिवारों के चीख़ते भोंपू को", "जैसे-तैसे दबाती गर्दन झुकाए अपने फफोलों को निहारती", "एक दिन रास्ते में जब हमारी नाक से ख़ून निकलता होगा", "मिट्टी में जाता हुआ", "पृथ्वी में जाता हुआ", "पृथ्वी की सलवटों में खोई बहनों के खारे शरीर जागेंगे", "श्रम के कीचड़ से लिथड़े अपने आँचलों से हमें घेरने आएँगी बहनें", "बचा लेना चाहेंगी हमें अपने रूखे हाथों से", "बहुत बरस गुज़र जाएँगे", "इतने कि हम बच नहीं पाएँगे।", "koyala ho chuki hain hum bahnon ne kaha ret mein dhanste hue", "Dhak do ab hamein chahe hum rukti hain yahan tum jao", "bahnen din ko huliye badalkar aati rahin", "bukhar tha hamein shamon mein", "hamari jalti ankhon ko aur tapish deti hui bahnen", "shap ki tarah aati theen hamari barrati hui", "zindagiyon mein bahnen traffic se bhari saDkon par", "musibat hokar siron par hamare manDrati theen", "bahnen kabhi santwna pakar baith jati theen hamari patniyon ke", "andhere garbh mein bahnen pahra deti rahin", "chulhe ke pichhe andhere mein pyaz churakar jo hamein chakit karte hain", "un choron ko kosti theen bahnen", "khush hui bahnen hamari theek thak chalti naukariyon mein bhari", "sambhawnayen dekhkar", "kahnen bachchon ko pari darwesh ki kathayen sunati theen", "unki kalpana mein jangal janwar bahnen lati theen", "bahnon ne jo nahin dekha use aur baDhaya apne", "an ki punji", "batorte batorte", "‘yah lakDi nahin jalegi kisi ne", "yon agar kaha to hum bura man lengi", "kisaliye akhir hum hui hain laDkiyan", "lakDiyan chalti hain jaise hum janti hain tum jante ho", "lakDiyan hain hum laDkiyan", "jab tak gili hain dhuan dengi par ismen", "hamara kya bus? hum", "patiliyan hain tumhare ghar ki bhai pita", "man dekho hum patiliyan hain", "hamari kalikh dhoi jayegi, nahin dhoya gaya hamein to", "hum bankar kalikh", "baDhti rahengi aur chithDe", "bharti rahengi sharir mein jab tak hai gilapan aur swad", "hum sukhengi apni raftar se", "‘ham sookh jayengi", "hum khaDakhDayengi is dharti par sannate mein", "mokhon mein chulhon par dopahariyon mein", "apna katora bajayengi hum hamara katora", "bhar dena—moriyon par pani mil jata hai kunbewalo", "par ghuron par dana nahin milta", "hamara katora bhar dena", "‘ham tumhari duniya mein makDi bhar hongi", "hum hongi makaDiyan", "ghar ke kisi bisre kone mein jala tane paD rahengi", "hum hongi makaDiyan dhool bhare konon ki", "hum hongi dhool", "hum hongi dimken kiwaDon ki dararon mein", "bakse ke tale par rah lengi", "neem ki nibauliyan aur kamalgatte kha lengi", "hum raat jhinguron ki tarah bolengi", "kunbe ki neend ko sahara deti hamin hongi jhingur ’", "koyala ho chuki hain hum", "bahnon ne kaha ret mein dhanste hue", "koyala ho chukin", "kaha juton se pitte hue", "koyala", "subakte hue", "bahnen subakti haiः ‘rakh hain hum", "rakh hain hum ha gard uDkar baith jayengi sabhi ke mathe par", "sukhengi tumhari ankhon mein glani ki papDiyan", "gardan par tel ki tah jamegi, dekhana!’", "bahnen mail banengi ek din", "ek din sabun ke sath nikal jayengi yadon se", "ghutnon aur kohaniyon ko chhoDkar", "marti nahin par we, baithi rahti hain shatabdiyon tak gharon mein", "bahnon ko dabati duniya guzarti jati hai jiwan ke", "charmarate pul se pariwaron ke chikhte bhompu ko", "jaise taise dabati gardan jhukaye apne phapholon ko niharti", "ek din raste mein jab hamari nak se khoon nikalta hoga", "mitti mein jata hua", "prithwi mein jata hua", "prithwi ki salawton mein khoi bahnon ke khare sharir jagenge", "shram ke kichaD se lithDe apne anchalon se hamein gherne ayengi bahnen", "bacha lena chahengi hamein apne rukhe hathon se", "bahut baras guzar jayenge", "itne ki hum bach nahin payenge", "koyala ho chuki hain hum bahnon ne kaha ret mein dhanste hue", "Dhak do ab hamein chahe hum rukti hain yahan tum jao", "bahnen din ko huliye badalkar aati rahin", "bukhar tha hamein shamon mein", "hamari jalti ankhon ko aur tapish deti hui bahnen", "shap ki tarah aati theen hamari barrati hui", "zindagiyon mein bahnen traffic se bhari saDkon par", "musibat hokar siron par hamare manDrati theen", "bahnen kabhi santwna pakar baith jati theen hamari patniyon ke", "andhere garbh mein bahnen pahra deti rahin", "chulhe ke pichhe andhere mein pyaz churakar jo hamein chakit karte hain", "un choron ko kosti theen bahnen", "khush hui bahnen hamari theek thak chalti naukariyon mein bhari", "sambhawnayen dekhkar", "kahnen bachchon ko pari darwesh ki kathayen sunati theen", "unki kalpana mein jangal janwar bahnen lati theen", "bahnon ne jo nahin dekha use aur baDhaya apne", "an ki punji", "batorte batorte", "‘yah lakDi nahin jalegi kisi ne", "yon agar kaha to hum bura man lengi", "kisaliye akhir hum hui hain laDkiyan", "lakDiyan chalti hain jaise hum janti hain tum jante ho", "lakDiyan hain hum laDkiyan", "jab tak gili hain dhuan dengi par ismen", "hamara kya bus? 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उनके तलुओं में दुनिया का मानचित्र है - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/unke-taluon-mein-duniya-ka-manachitr-hai-pradeep-saini-kavita?sort=
[ "एकवे हमारे सामने थे और पीछे भीवे हमारे दाएँ थे और बाएँ भीवे हमारे हर तरफ़ थेबेहद मामूली कामों में लगे हुए बेहद मामूली लोगजो अपने बेहद मामूली हाथों से दुनिया को किसी गेंद की तरह रोज़ बनाते थे कि हम उससे खेल सकें अपने मन मुताबिक़लेकिन हमने उन्हें ठीक-ठीक कभी नहीं देखाअपनी इन आँखों सेहमारी आँखों और दुनिया के बीच की जगहकैमरे ने हथिया ली थीहम वही देखते हैं जो कैमरे की आँख में होता हैअब उन्हें अचानक दृश्य में प्रकट हुए हैरानी से देख रहे हैं हम जैसे वे किसी दूसरी दुनिया से निकल कर आए होंऔर उन्हें किसी तीसरी दुनिया में जाना हो।दोहमारी सभ्यताओं का स्थापत्य उनके पसीने से जन्मा हैहमारी रोशनियों में चमकता लालउनके लहू का रंग हैकोई चौराहा उन्हें दिशाभ्रमित नहीं करतावे जानते हैं कौन-सा है शहर से बाहर जाने का रास्तावे नहीं पूछेंगे हमसेकौन-सी सड़क जाती है उनके गाँवउन्हें याद है लौट जाने के सभी रास्तेउनके तलुओं में दुनिया का मानचित्र है।तीनइन लंबे और चौड़े रास्तों पर वे नहीं आए थे हक़ीक़त में किसी स्वप्न का पीछा करते हुए एक भरम खींच लाया था उन्हेंअब जो बीच रास्ते किसी चप्पल-सा टूट गया हैवे जान गए हैंइन रास्तों से नहीं पहुँचा जा सकता है कहींये सभी वापिस लौट आने के रास्ते हैं।चारहमारे गोदाम अनाज से भरे थे और दिल बेशर्मी सेहमने तुम्हारी भूख को देखा और अपनी भूख को याद कियाहमनें कितनी ही रेसिपीज़ मंत्रों की तरहखा-पीकर सोई हुई अपनी भूख के कान में फूँकीजब समय दर्ज कर रहा था भूख से हुई तुम्हारी मौतहमनें अपनी पाक-कला के नमूनों को श्रद्धांजलि के तौर पर दर्ज कियाहम भूल गए कि किसी भूखे समय में अपनी थाली की नुमाइश से बड़ी अश्लीलता कोई नहीं है।पाँचजिन्हें नहीं करता है जाते हुए कहीं से कोई विदाऐसे अभागों के पहुँचने काक्या कहीं करता है कोई इंतिज़ार?", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जिस दिन मैंने गाँव को अलविदा कहा - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/jis-din-mainne-ganw-ko-alawida-kaha-sandeep-nirbhay-kavita?sort=
[ "जिस दिन मैंने गाँव को अलविदा कहा", "उस दिन मेरा एक साल का बेटा", "खेल रहा था", "केदारनाथ सिंह की कविताओं के साथ", "और कविताएँ", "गालों पर चिकोटियाँ काटती हुईं", "तितली की तरह चूम रही थीं उसकी हथेलियाँ", "जिस दिन मैंने गाँव को अलविदा कहा", "उस दिन मेरी अंधी माँ की आँखें", "हो गई थीं सजल", "मेरे सिर पर हौले-से हाथ फेरती", "कुंकुम का तिलक लगाती हुई", "ख़ुश रहना, लंबी उम्र का दिया था आशीर्वाद", "जिस दिन मैंने गाँव को अलविदा कहा", "उस दिन तिल-तिल बड़ी होती बहन ने", "मेरे हाथ में रख दी थी", "सतरंगी-राखी", "और अगले बरस ब्याहने की चिंताएँ", "जिस दिन मैंने गाँव को अलविदा कहा", "उस दिन बाबा के छुए थे पाँव", "और उन्होंने", "मेरी पीठ थपथपाते", "खाँसते हुए कहा—", "घर का सारा भार अब तेरे कंधों पर है", "जिस दिन मैंने गाँव को अलविदा कहा", "उस दिन हँसते-खिलते", "चौपालों, धोरों और जोहड़ियों ने", "मेरी जेब रख दी थी", "अपनी चौंसठ कलाएँ, लोकगीत और कथाएँ", "जिस दिन मैंने गाँव को अलविदा कहा", "उस दिन मेरे थैले में थे", "सरसों के फूल, गेहूँ की बालियाँ", "गुड़ की डली, तीन जोड़ी कपड़े और एक किताब", "अब मेरे पास शहर में बचे हैं कुर्ते की जेब में", "पाँच-पाँच के दो सिक्कों के साथ", "टूटी बीड़ियों की तरह दिन", "लीरोलीर सपने", "किताब के कुछेक पन्ने और फटे जूतों का सफ़र", "मेरे प्यारे गाँव!", "मैं अब", "शहर की रची हुई साज़िशों के हत्थे चढ़ गया हूँ", "फिर भी भीतर बचा रखी है घास की तरह आस।", "jis din mainne ganw ko alawida kaha", "us din mera ek sal ka beta", "khel raha tha", "kedaranath sinh ki kawitaon ke sath", "aur kawitayen", "galon par chikotiyan katti huin", "titli ki tarah choom rahi theen uski hatheliyan", "jis din mainne ganw ko alawida kaha", "us din meri andhi man ki ankhen", "ho gai theen sajal", "mere sir par haule se hath pherti", "kunkum ka tilak lagati hui", "khush rahna, lambi umr ka diya tha ashirwad", "jis din mainne ganw ko alawida kaha", "us din til til baDi hoti bahan ne", "mere hath mein rakh di thi", "satrangi rakhi", "aur agle baras byahane ki chintayen", "jis din mainne ganw ko alawida kaha", "us din baba ke chhue the panw", "aur unhonne", "meri peeth thapthapate", "khanste hue kaha—", "ghar ka sara bhaar ab tere kandhon par hai", "jis din mainne ganw ko alawida kaha", "us din hanste khilte", "chaupalon, dhoron aur johaDiyon ne", "meri jeb rakh di thi", "apni chaunsath kalayen, lokgit aur kathayen", "jis din mainne ganw ko alawida kaha", "us din mere thaile mein the", "sarson ke phool, gehun ki baliyan", "guD ki Dali, teen joDi kapDe aur ek kitab", "ab mere pas shahr mein bache hain kurte ki jeb mein", "panch panch ke do sikkon ke sath", "tuti biDiyon ki tarah din", "lirolir sapne", "kitab ke kuchhek panne aur phate juton ka safar", "mere pyare ganw!", "main ab", "shahr ki rachi hui sazishon ke hatthe chaDh gaya hoon", "phir bhi bhitar bacha rakhi hai ghas ki tarah aas", "jis din mainne ganw ko alawida kaha", "us din mera ek sal ka beta", "khel raha tha", "kedaranath sinh ki kawitaon ke sath", "aur kawitayen", "galon par chikotiyan katti huin", "titli ki tarah choom rahi theen uski hatheliyan", "jis din mainne ganw ko alawida kaha", "us din meri andhi man ki ankhen", "ho gai theen sajal", "mere sir par haule se hath pherti", "kunkum ka tilak lagati hui", "khush rahna, lambi umr ka diya tha ashirwad", "jis din mainne ganw ko alawida kaha", "us din til til baDi hoti bahan ne", "mere hath mein rakh di thi", "satrangi rakhi", "aur agle baras byahane ki chintayen", "jis din mainne ganw ko alawida kaha", "us din baba ke chhue the panw", "aur unhonne", "meri peeth thapthapate", "khanste hue kaha—", "ghar ka sara bhaar ab tere kandhon par hai", "jis din mainne ganw ko alawida kaha", "us din hanste khilte", "chaupalon, dhoron aur johaDiyon ne", "meri jeb rakh di thi", "apni chaunsath kalayen, lokgit aur kathayen", "jis din mainne ganw ko alawida kaha", "us din mere thaile mein the", "sarson ke phool, gehun ki baliyan", "guD ki Dali, teen joDi kapDe aur ek kitab", "ab mere pas shahr mein bache hain kurte ki jeb mein", "panch panch ke do sikkon ke sath", "tuti biDiyon ki tarah din", "lirolir sapne", "kitab ke kuchhek panne aur phate juton ka safar", "mere pyare ganw!", "main ab", "shahr ki rachi hui sazishon ke hatthe chaDh gaya hoon", "phir bhi bhitar bacha rakhi hai ghas ki tarah aas", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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मुफ़लिसी में मुग़ालते - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/mufalisi-mein-mughalte-avinash-mishra-kavita?sort=
[ "एक नितांत महानगरीय जीवन था", "और एक खोने-पाने-बचाने का रूढ़ क्रम", "एक अस्तित्व था और एक प्रक्रिया", "कई आदर्श और उदाहरण थे", "संबल और प्रेरणास्रोत बनने के लिए", "लोग थे जाने कहाँ-कहाँ से आकर अपना विरोध दर्ज कराते हुए", "उपेक्षाएँ थीं आत्महीनताएँ थीं और मैं था", "भारतीय राजधानी के कोने लाल करता हुआ", "इसकी दीवारों को नम करता हुआ", "यातायात संबंधी नियमों को ध्वस्त करता हुआ", "बेवजह लड़ता-झगड़ता और बहस करता हुआ", "एक अव्यावहारिक और अवांछित व्यक्तित्व", "समाज बदलने के ठेके नहीं उठाए मैंने", "और यक़ीन जानिए यह सब लिखते हुए मेरी आँखों में आँसू हैं", "ek nitant mahanagriy jiwan tha", "aur ek khone pane bachane ka rooDh kram", "ek astitw tha aur ek prakriya", "kai adarsh aur udaharn the", "sambal aur preranasrot banne ke liye", "log the jane kahan kahan se aakar apna wirodh darj karate hue", "upekshayen theen atmhintayen theen aur main tha", "bharatiy rajdhani ke kone lal karta hua", "iski diwaron ko nam karta hua", "yatayat sambandhi niymon ko dhwast karta hua", "bewajah laDta jhagaDta aur bahs karta hua", "ek awyawaharik aur awanchhit wyaktitw", "samaj badalne ke theke nahin uthaye mainne", "aur yaqin janiye ye sab likhte hue meri ankhon mein ansu hain", "ek nitant mahanagriy jiwan tha", "aur ek khone pane bachane ka rooDh kram", "ek astitw tha aur ek prakriya", "kai adarsh aur udaharn the", "sambal aur preranasrot banne ke liye", "log the jane kahan kahan se aakar apna wirodh darj karate hue", "upekshayen theen atmhintayen theen aur main tha", "bharatiy rajdhani ke kone lal karta hua", "iski diwaron ko nam karta hua", "yatayat sambandhi niymon ko dhwast karta hua", "bewajah laDta jhagaDta aur bahs karta hua", "ek awyawaharik aur awanchhit wyaktitw", "samaj badalne ke theke nahin uthaye mainne", "aur yaqin janiye ye sab likhte hue meri ankhon mein ansu hain", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
गाँव में सड़क - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/ganw-mein-sadak-mahesh-chandra-punetha-kavita?sort=
[ "अब पहुँची हो सड़क तुम गाँव", "जब पूरा गाँव शहर जा चुका है", "सड़क मुस्कुराई", "सचमुच कितने भोले हो भाई", "पत्थर, लकड़ी और खड़िया तो बची है न!", "ab pahunchi ho saDak tum ganw", "jab pura ganw shahr ja chuka hai", "saDak muskurai", "sachmuch kitne bhole ho bhai", "patthar, lakDi aur khaDiya to bachi hai n!", "ab pahunchi ho saDak tum ganw", "jab pura ganw shahr ja chuka hai", "saDak muskurai", "sachmuch kitne bhole ho bhai", "patthar, lakDi aur khaDiya to bachi hai n!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
सड़ रही है ज़िंदगी सागर किनारे - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/sad-rahi-hai-zindagi-sagar-kinare-virendra-mishra-kavita?sort=
[ "शेषशायी विष्णु, लक्ष्मी, क्षीरसागर", "सब पुराणों की कथा तक हैं उजागर", "सड़ रही है ज़िंदगी सागर-किनारे", "जहाँ गहरा जल, जहाँ सपने नए हैं", "जाल लेकर वहाँ मछुआरे गए हैं", "वे वहाँ, हम यहाँ करते श्रम निरंतर", "मौसमों का कहीं कोई नहीं अंतर", "शाम को सब आ मिलेंगे थके-हारे", "ये हमारी मस्त मच्छीमार बस्ती", "रात में भी जागकर चुपचाप हँसती", "माल काला ढो रहीं हम बेबसी में", "ऐश कितना तस्करीवाली हँसी में", "लड़खड़ाते 'बड़े' लोगों के सहारे", "सामने जलदेवता है लाज कैसी", "सुर-सुरा सुंदरी देशी या विदेशी", "हर तरह की गंदगी पर चढ़ी पर्तें", "पेंग भरती ख़ुशबूओं की स्याह शर्तें", "कार्निवालों में चरित्रों के नज़ारे", "sheshashayi wishnu, lakshmi, kshairasagar", "sab puranon ki katha tak hain ujagar", "saD rahi hai zindagi sagar kinare", "jahan gahra jal, jahan sapne nae hain", "jal lekar wahan machhuare gaye hain", "we wahan, hum yahan karte shram nirantar", "mausmon ka kahin koi nahin antar", "sham ko sab aa milenge thake hare", "ye hamari mast machchhimar basti", "raat mein bhi jagkar chupchap hansti", "mal kala Dho rahin hum bebasi mein", "aish kitna taskriwali hansi mein", "laDkhaDate baDe logon ke sahare", "samne jaldewata hai laj kaisi", "sur sura sundri deshi ya wideshi", "har tarah ki gandgi par chaDhi parten", "peng bharti khushbuon ki syah sharten", "karniwalon mein charitron ke nazare", "sheshashayi wishnu, lakshmi, kshairasagar", "sab puranon ki katha tak hain ujagar", "saD rahi hai zindagi sagar kinare", "jahan gahra jal, jahan sapne nae hain", "jal lekar wahan machhuare gaye hain", "we wahan, hum yahan karte shram nirantar", "mausmon ka kahin koi nahin antar", "sham ko sab aa milenge thake hare", "ye hamari mast machchhimar basti", "raat mein bhi jagkar chupchap hansti", "mal kala Dho rahin hum bebasi mein", "aish kitna taskriwali hansi mein", "laDkhaDate baDe logon ke sahare", "samne jaldewata hai laj kaisi", "sur sura sundri deshi ya wideshi", "har tarah ki gandgi par chaDhi parten", "peng bharti khushbuon ki syah sharten", "karniwalon mein charitron ke nazare", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
वही त्रिलोचन है - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/wahi-tirlochan-hai-trilochan-kavita?sort=
[ "वही त्रिलोचन है, वह—जिस के तन पर गंदे", "कपड़े हैं। कपड़े भी कैसे—फटे लटे हैं", "यह भी फ़ैशन है, फ़ैशन से कटे कटे हैं।", "कौन कह सकेगा इसका यह जीवन चंदे", "पर अवलंबित है। चलना तो देखो इसका—", "उठा हुआ सिर, चौड़ी छाती, लंबी बाँहें,", "सधे क़दम, तेज़ी, वे टेढ़ी मेढी राहें", "मानो डर से सिकुड़ रही हैं, किस का किस का", "ध्यान इस समय खींच रहा है। कौन बताए,", "क्या हलचल है इस के रूँधे रूँधाए जी में", "कभी नहीं देखा है इसको चलते धीमे।", "धुन का पक्का है, जो चेते वही चिताए।", "जीवन इसका जो कुछ है पथ पर बिखरा है,", "तप तप कर ही भट्टी में सोना निखरा है।", "wahi tirlochan hai, wah—jis ke tan par gande", "kapDe hain kapDe bhi kaise—phate late hain", "ye bhi faishan hai, faishan se kate kate hain", "kaun kah sakega iska ye jiwan chande", "par awlambit hai chalna to dekho iska—", "utha hua sir, chauDi chhati, lambi banhen,", "sadhe qadam, tezi, we teDhi meDhi rahen", "mano Dar se sikuD rahi hain, kis ka kis ka", "dhyan is samay kheench raha hai kaun bataye,", "kya halchal hai is ke rundhe rundhaye ji mein", "kabhi nahin dekha hai isko chalte dhime", "dhun ka pakka hai, jo chete wahi chitaye", "jiwan iska jo kuch hai path par bikhra hai,", "tap tap kar hi bhatti mein sona nikhra hai", "wahi tirlochan hai, wah—jis ke tan par gande", "kapDe hain kapDe bhi kaise—phate late hain", "ye bhi faishan hai, faishan se kate kate hain", "kaun kah sakega iska ye jiwan chande", "par awlambit hai chalna to dekho iska—", "utha hua sir, chauDi chhati, lambi banhen,", "sadhe qadam, tezi, we teDhi meDhi rahen", "mano Dar se sikuD rahi hain, kis ka kis ka", "dhyan is samay kheench raha hai kaun bataye,", "kya halchal hai is ke rundhe rundhaye ji mein", "kabhi nahin dekha hai isko chalte dhime", "dhun ka pakka hai, jo chete wahi chitaye", "jiwan iska jo kuch hai path par bikhra hai,", "tap tap kar hi bhatti mein sona nikhra hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
संदिग्ध - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/sandigdh-naveen-sagar-kavita-31?sort=
[ "इस शहर में", "जिनके मकान हैं वे अगर", "उनको मकानों में न रहने दें", "जिनके नहीं है", "बहुत कम लोग मकानों में रह जाएँगे।", "जिनके मकान हैं", "वे", "मज़बूती से दरवाज़े बंद करते हैं", "खिड़की से सतर्क झाँकते हैं", "ताले जड़ते हैं", "सूई की नोक बराबर भूमि के लिए", "लड़ते हैं।", "जिनके मकान नहीं हैं", "वे", "बाहर से झाँकते हैं", "दरवाज़ों पर ठिठकते हैं", "झिझकते हुए खिड़कियों से", "हटते हैं", "जिनके मकान नहीं हैं", "वे हर मकान के बाहर संदिग्ध हैं", "वे हर मकान को अपने मकान की याद में देखते हैं।", "is shahr mein", "jinke makan hain we agar", "unko makanon mein na rahne den", "jinke nahin hai", "bahut kam log makanon mein rah jayenge", "jinke makan hain", "we", "mazbuti se darwaze band karte hain", "khiDki se satark jhankte hain", "tale jaDte hain", "sui ki nok barabar bhumi ke liye", "laDte hain", "jinke makan nahin hain", "we", "bahar se jhankte hain", "darwazon par thithakte hain", "jhijhakte hue khiDakiyon se", "hatte hain", "jinke makan nahin hain", "we har makan ke bahar sandigdh hain", "we har makan ko apne makan ki yaad mein dekhte hain", "is shahr mein", "jinke makan hain we agar", "unko makanon mein na rahne den", "jinke nahin hai", "bahut kam log makanon mein rah jayenge", "jinke makan hain", "we", "mazbuti se darwaze band karte hain", "khiDki se satark jhankte hain", "tale jaDte hain", "sui ki nok barabar bhumi ke liye", "laDte hain", "jinke makan nahin hain", "we", "bahar se jhankte hain", "darwazon par thithakte hain", "jhijhakte hue khiDakiyon se", "hatte hain", "jinke makan nahin hain", "we har makan ke bahar sandigdh hain", "we har makan ko apne makan ki yaad mein dekhte hain", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
पीठ - कविता | हिन्दवी
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[ "एकबोझा ढोते-ढोतेइस देश की पीठइतनी झुक गई हैकि पलटकर किए जाने वाले कामस्वतंत्रता या संविधान की तरहमाने जा चुके हैंकिसी पौराणिक गप्प का हिस्सा।दोराजनीति—नियमों के अतिक्रमण का नाम हैजीव-विज्ञान के नियमों का भीमसलनइसमें सबसे पिलपिले आदमीसबसे अधिक तनकर बैठे हुए मिलते हैं।तीनउनके पासक़ानून के लंबे हाथ हैंपुलिस की कुशल लाठियाँऔर लोगों की पीठ तनी रहती हैतबले के मुँह पर कसे चमड़े की तरह…देश का माहौल आजकलबहुत ही संगीतमय है।चारइस देश में अब कोई किसी कोचेहरे से नहीं पहचानतालोग चीन्हे जाने लगे हैंअपनी पीठ सेजो खुजाई जाने लायक़ न होतो उधेड़ दी जाती है।पाँचरीढ़मानव विकास के ताज़ा चरण मेंएक अवशिष्ट अंग है,विकास के इस युग मेंसबसे अधिक ठोंकी गई पीठेंइसका स्कूली उदाहरण बनेंगी।छहइस देश नेउधर से सबसे अधिक पीठ फेरीजिन देहों से चुचुआता रहासबसे अधिक पसीना।सातदेश की ज़रूरत थीएक साहसी नेतृत्वजो पीठ न दिखाता हो,अबोध अहमक़ों नेउसे ख़ूब ताक़त देते हुएउसके आँख दिखाने की संभावनाओं की उपेक्षा की।आठवह इस उन्मादी देश के लिएनिर्भयता का प्रतीक थावह अन्न से अधिकगौरव दिलाने की बात करता थास्वाभाविक से अधिकतनी रहती थी उसकी छातीलोग नहीं जानते थेकि वह केवल प्रतीकों में निर्भय थाउसकी भिंची मुट्ठियाँ पसीजी रहती थींएक सधी हुई दृष्टि सेउसके माथे पर आ जाता था पसीनावह एक सिकुड़ी पीठ वालाकमज़ोर आदमी था।नौआर्थिक महाशक्ति बन चुकेइस देश के बाज़ारों मेंविज्ञान के कई नियम भंग होते हैं—सबसे मज़बूत पीठ वालों की कमरसबसे पहले टूटती हैऔर इस क्रिया कीकहीं कोई प्रतिक्रिया नहीं होती।", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
वापस - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/wapas-vishnu-khare-kavita?sort=
[ "सफ़ेद मूँछें सिर पर उतने ही सफ़ेद छोटे-छोटे बाल", "बूढ़े दुबले झुर्रीदार बदन पर मैली धोती और बनियान", "चेहरा बिल्कुल वैसा जैसा अस्सी प्रतिशत भारतवासियों का", "शहर के बीच सिनेमा के पास वह", "ज़मीन पर नक़्शे, बायोलॉजी, गणित और बारहखड़ी के चार्ट बेच रहा है", "नक़्शे और चार्ट काफ़ी जगह घेरते हैं", "बूढ़े का उन तक हाथ नहीं पहुँचता", "इसलिए उसके पास एक लड़की है दस-ग्यारह बरस की", "घरेलू लड़कियों की तरह दुबली बड़ी-बड़ी सहमी सफ़ेद आँखों", "लेकिन सहज मुस्कानवाली", "वह उसकी नातिन है या धेवती नहीं कहा जा सकता", "मगर इतवार का दिन है और तय है कि उसका दिल", "खेलों और सहेलियों को याद कर रहा होगा", "बूढ़ा उसे ग्राहकों की फ़रमाइश पर", "इस नक़्शे या उस चार्ट को दिखाने को कहता है", "यह नहीं कि नक़्शों में लड़की की कोई दिलचस्पी नहीं है", "लेकिन आदमी औरतों की माँसपेशियों और शिराओंवाले", "बायोलॉजी के चार्टों में दिलचस्पी रखते हैं", "क्या हरयाना का नक़्शा रखते है?", "इंडिया का रेलवे मैप होगा?", "फ़ीमेल एनॉटमी का इन-डैप्थ चार्ट है क्या", "कॉलेज के दो लड़के पूछते हैं", "एक विदेशी लड़की को शहर का नक़्शा मिल गया है", "वह मुस्करा कर एक जगह उँगली रखकर मित्र से कहती है", "वी आर हियर और कुछ समझकर", "छोटी लड़की पंजों के बल खड़ी होकर देखती है कि उसकी दुकान कहाँ है", "दुपहर के तीन बज रहे हैं", "कि दूर नुक्कड़ से जैसे किसी आँधी में बुहारे गए", "रूमाल, पैन, चश्मे, टेरीकॉट और अंडरवियर वाले", "अपनी-अपनी गठरियाँ उठाए इस तरफ़ भागते हुए आते हैं", "मुनिस्पल कमेटी का उड़नदस्ता आ गया है", "इन ग़ैरक़ानूनी दुकानों को पकड़ने के लिए", "दोनों भागते हैं अपनी दुकान लिए सिनेमाघर के पीछे", "कई नक़्शे और चार्ट फिर भी पीछे छूट गए हैं", "उड़नेदस्ते के सिपाही और इंस्पैक्टर उन्हें अपने क़ब्ज़े में लेते हैं", "शहर सूबे मुल्क और संसार", "और मर्दों और औरतों के शरीरों की बनावट के चार्ट", "ज़ब्त कर लिए जाते है एक गठरी में", "और जब दबिश ख़त्म होती है और कारिंदे ट्रक में बैठकर लौटते हैं", "तब उन्हें एक-दूसरे को दिखाते हैं", "बूढ़ा और लड़की अपने आश्रय से गर्दन बाहर निकालते हैं", "वह लड़की को भेजता है कि देखकर आए", "वह लौटकर बताती है कि थोड़ा-सा माल सड़क पर उड़ा पड़ा है", "सरकार कमेटी और दुनिया को गालियाँ बकता हुआ", "बूढ़ा चादर लिए लौटता है अपने ठीए पर", "ग्राहक फिर आ रहे हैं", "कुछ चीज़ें ऐसी हैं तमाम चीज़ों के बावजूद जिनकी ज़रूरत नहीं बदलती", "जैसे नक़्शे इबारत गिनती और आदमी के शरीर की बनावट की तस्वीरें", "जिन्हें बूढ़ा और लड़की फिर बेच रहे हैं", "वापस अपने नक़्शे में अपनी जगह पर", "safed munchhen sir par utne hi safed chhote chhote baal", "buDhe duble jhurridar badan par maili dhoti aur baniyan", "chehra bilkul waisa jaisa assi pratishat bharatwasiyon ka", "shahr ke beech cinema ke pas wo", "zamin par naqshe, bayolaॉji, ganait aur barahakhDi ke chart bech raha hai", "naqshe aur chart kafi jagah gherte hain", "buDhe ka un tak hath nahin pahunchta", "isliye uske pas ek laDki hai das gyarah baras ki", "gharelu laDakiyon ki tarah dubli baDi baDi sahmi safed ankhon", "lekin sahj muskanwali", "wo uski natin hai ya dhewati nahin kaha ja sakta", "magar itwar ka din hai aur tay hai ki uska dil", "khelon aur saheliyon ko yaad kar raha hoga", "buDha use grahkon ki farmaish par", "is naqshe ya us chart ko dikhane ko kahta hai", "ye nahin ki naqshon mein laDki ki koi dilchaspi nahin hai", "lekin adami aurton ki mansapeshiyon aur shiraonwale", "bayolaॉji ke charton mein dilchaspi rakhte hain", "kya haryana ka naqsha rakhte hai?", "inDiya ka railway map hoga?", "female enautmi ka in Daipth chart hai kya", "college ke do laDke puchhte hain", "ek wideshi laDki ko shahr ka naqsha mil gaya hai", "wo muskra kar ek jagah ungli rakhkar mitr se kahti hai", "wi aar hiyar aur kuch samajhkar", "chhoti laDki panjon ke bal khaDi hokar dekhti hai ki uski dukan kahan hai", "duphar ke teen baj rahe hain", "ki door nukkaD se jaise kisi andhi mein buhare gaye", "rumal, pain, chashme, terikaut aur anDarawiyar wale", "apni apni gathriyan uthaye is taraf bhagte hue aate hain", "munispal committe ka uDandasta aa gaya hai", "in ghairqanuni dukanon ko pakaDne ke liye", "donon bhagte hain apni dukan liye sinemaghar ke pichhe", "kai naqshe aur chart phir bhi pichhe chhoot gaye hain", "uDnedaste ke sipahi aur inspaiktar unhen apne qabze mein lete hain", "shahr sube mulk aur sansar", "aur mardon aur aurton ke shariron ki banawat ke chart", "zabt kar liye jate hai ek gathri mein", "aur jab dabish khatm hoti hai aur karinde truck mein baithkar lautte hain", "tab unhen ek dusre ko dikhate hain", "buDha aur laDki apne ashray se gardan bahar nikalte hain", "wo laDki ko bhejta hai ki dekhkar aaye", "wo lautkar batati hai ki thoDa sa mal saDak par uDa paDa hai", "sarkar committe aur duniya ko galiyan bakta hua", "buDha chadar liye lautta hai apne thiye par", "gerahak phir aa rahe hain", "kuch chizen aisi hain tamam chizon ke bawjud jinki zarurat nahin badalti", "jaise naqshe ibarat ginti aur adami ke sharir ki banawat ki taswiren", "jinhen buDha aur laDki phir bech rahe hain", "wapas apne naqshe mein apni jagah par", "safed munchhen sir par utne hi safed chhote chhote baal", "buDhe duble jhurridar badan par maili dhoti aur baniyan", "chehra bilkul waisa jaisa assi pratishat bharatwasiyon ka", "shahr ke beech cinema 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नमक - कविता | हिन्दवी
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[ "एकहमारी पीढ़ियों ने किसका कितना नमक खाया उम्मीद की जाती है कि इसका हिसाब हमारे गुणसूत्रों में लिखा होना चाहिए। दोगांधार के नमक के सफ़ेद दूर तक फैले खेतों में कहते हैं किबहुत सारी कहानियाँ रहती हैं उन अदृश्य पेड़ों पर जो वहाँ होने चाहिए थे लेकिन नहीं हैं जिनके नीचे धुले जाते नमक से सने हुए हाथ थोड़ी देर को सही सीधे करने के लिए फैला लिए जातेनमक से भरेगोपाल पटेल के पाँव।देश के किस गाँव से उठाकरइस वीराने में लाकर पटके गए पाँवजहाँ पर या तो बस दूर-दूर तकमटमैले नीले खेत हैंया सूखे सफ़ेद नमक की चमक से भरेनमक के खेतजिन पर चलते हुए लगता है कि चाँद की रौशनी पर चल रहे हों देवताजिनकी चमक को देखते हुए लगता है किचाँद का चौकोर टुकड़ाधरती मे धँसा पड़ा है वहीं जिन पर चलते हुए ये कहानी बनीये कहानी हक़ीक़त बनी ये हक़ीक़त डर बना जिस नमक पर चलते हुए कहते हैंकि इतने कड़े हो जाते थे पाँव कि जब नमक के खेतों में काम करने वालों को जलाया जाता था तोजिनके सहारे चुकता होता रहा नमक वे हड्डियाँ जल जाती थीं लेकिन नमक के खेतों में काम करने वालों के पाँव नहीं जलते थे एक आदमी के साबुत पाँव नमक में भरे हुए साबुत पाँव और नदारद आदमी गोपाल के पाँव। तीनहमारे शरीर में कुल नमक है जो किसका है और किसका है— शरीर में खारापन। चार नमक बहुत मुश्किल था इसे ज़रा भी कम ज़्यादा नहीं होना था होश में रहने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी नमक था होश खोने में नमक सबसे बड़ी मजबूरी पैदा करता रहता था।", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जन-प्रतिरोध - कविता | हिन्दवी
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[ "जब भी किसी", "ग़रीब आदमी का अपमान करती है", "ये तुम्हारी दुनिया,", "तो मेरा जी करता है", "कि मैं इस दुनिया को", "उठाकर पटक दूँ!", "इसका गूदा-गूदा छींट जाए।", "मज़ाक़ बना रखा है तुमने", "आदमी की आबरू का।", "हम एक बित्ता कफ़न के लिए", "तुम्हारे थानों के थान फूँक देंगे", "और जिस दिन बाँहों से बाँहों को जोड़कर", "हूमेगी ये जनता,", "तो तुम नाक से ख़ून ढकेल दोगे मेरे दोस्त!", "बड़ा भयंकर बदला चुकाती है ये जनता,", "ये जनता तुम वहशियों की तरह", "बेतहाशा नहीं पीटती,", "सुस्ता-सुस्ता कर मारती है ये जनता,", "सोच-सोच कर मारती है ये जनता,", "जनता समझ-समझ कर मारती है, पिछली बातों को।", "जनता मारती जाती है और", "रोती जाती है,", "और जब मारती जाती है तो", "किसी की सुनती नहीं,", "क्योंकि सुनने के लिए उसके पास", "अपने ही बड़े दु:ख होते हैं।", "jab bhi kisi", "gharib adami ka apman karti hai", "ye tumhari duniya,", "to mera ji karta hai", "ki main is duniya ko", "uthakar patak doon!", "iska guda guda chheent jaye", "mazaq bana rakha hai tumne", "adami ki aabru ka", "hum ek bitta kafan ke liye", "tumhare thanon ke than phoonk denge", "aur jis din banhon se banhon ko joDkar", "humegi ye janta,", "to tum nak se khoon Dhakel doge mere dost!", "baDa bhayankar badla chukati hai ye janta,", "ye janta tum wahashiyon ki tarah", "betahasha nahin pitti,", "susta susta kar marti hai ye janta,", "soch soch kar marti hai ye janta,", "janta samajh samajh kar marti hai, pichhli baton ko", "janta marti jati hai aur", "roti jati hai,", "aur jab marti jati hai to", "kisi ki sunti nahin,", "kyonki sunne ke liye uske pas", "apne hi baDe duhakh hote hain", "jab bhi kisi", "gharib adami ka apman karti hai", "ye tumhari duniya,", "to mera ji karta hai", "ki main is duniya ko", "uthakar patak doon!", "iska guda guda chheent jaye", "mazaq bana rakha hai tumne", "adami ki aabru ka", "hum ek bitta kafan ke liye", "tumhare thanon ke than phoonk denge", "aur jis din banhon se banhon ko joDkar", "humegi ye janta,", "to tum nak se khoon Dhakel doge mere dost!", "baDa bhayankar badla chukati hai ye janta,", "ye janta tum wahashiyon ki tarah", "betahasha nahin pitti,", "susta susta kar marti hai ye janta,", "soch soch kar marti hai ye janta,", "janta samajh samajh kar marti hai, pichhli baton ko", "janta marti jati hai aur", "roti jati hai,", "aur jab marti jati hai to", "kisi ki sunti nahin,", "kyonki sunne ke liye uske pas", "apne hi baDe duhakh hote hain", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
थकन - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/thakan-sarul-bagla-kavita?sort=
[ "थक गए हो तुम", "सो जाओ", "लेकिन बहुत सारी वजह हैं कि", "तुम्हें जागना चाहिए", "अभी बहुत थके बदन", "रोटी तलाश रहे हैं", "अपनी नींद को कोसो कि", "अभी बहुत थके बदन", "तलाश रहे हैं बची ऊर्जा", "सो जाओ", "लेकिन बहुत सारी वजह हैं कि", "तुम्हें जागना चाहिए", "thak gaye ho tum", "so jao", "lekin bahut sari wajah hain ki", "tumhein jagna chahiye", "abhi bahut thake badan", "roti talash rahe hain", "apni neend ko koso ki", "abhi bahut thake badan", "talash rahe hain bachi urja", "so jao", "lekin bahut sari wajah hain ki", "tumhein jagna chahiye", "thak gaye ho tum", "so jao", "lekin bahut sari wajah hain ki", "tumhein jagna chahiye", "abhi bahut thake badan", "roti talash rahe hain", "apni neend ko koso ki", "abhi bahut thake badan", "talash rahe hain bachi urja", "so jao", "lekin bahut sari wajah hain ki", "tumhein jagna chahiye", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
आत्महत्या से पहले एक क़र्ज़िया का बयान - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/atmahatya-se-pahle-ek-qarziya-ka-byan-mukesh-nirvikar-kavita?sort=
[ "क़र्ज़ में आकंठ डूबे हुए", "उसने तड़पकर चाहा", "काश! सारी समस्याओं के समाधान", "मुद्रा के रास्ते न जाते!", "काश! वे जाते उसकी हाड़-तोड़ मेहनत की राह,", "काम के प्रति उसके समर्पण की राह,", "उसकी उगाई फ़सल की राह", "उसकी अपनाई नैतिकता और सदाचार की राह", "उसके द्वारा की गईं पूजाओं और प्रार्थनाओं की राह", "किंतु वे जा रहे हैं", "(उसने आह भरी)", "मुद्रा के रास्ते", "साहूकार की बही में", "उसके जीवन को क़ैद करने के लिए", "काश! धरती के गर्भ में ही छुपा रह जाता कोई बीज", "उसकी समस्याओं के समाधान का", "कोई रूखड़ी जिसे चबाकर पा लेता वह निजात", "क़र्ज़ की समस्या से", "जैसे पा लेता है व्याधियों से मुक्ति", "घरेलू नुस्ख़ों को अपनाकर", "वह आहत था यह सोचकर कि", "आख़िर क्यों मुद्रा में उलझकर", "रह गई हैं उसकी साँसें?", "आख़िर क्यों जकड़ लिया है।", "मुद्रा ने उसका जीवन?", "इस क़दर कि जिसके पास नहीं है मुद्रा", "उसके पास नहीं बचता है जीवन", "उसे करनी पड़ती है आत्महत्या", "जबकि धरती पर क़तई निःशुल्क हैं", "देह के संजीवनी तत्त्व", "हवा-पानी-धूप-आकाश-मिट्टी", "मुद्रा के अभाव में", "हल की मूँठ पकड़े किसान के पैरों से", "निकल जाती है उसकी ज़मीन", "खेत में उसकी उगाई फ़सल भी नहीं रह जाती है", "उसकी अपनी", "क्या हम आँकड़ों (मौद्रिक आँकड़ों) की गिरफ़्त में", "फँस गए हैं बुरी तरह", "ईश्वर के साम्राज्य से परे!", "उसने महसूस किया और बुदबुदाया—", "कविता के लिए मैं भले ही प्रिय हूँ", "किंतु मुद्रा के लिए मैं निरा-अपराधी हूँ", "स्वाभाविक है कि संसार और समाज के लिए भी", "मुझे खेद है कि कविता का क़त्ल करके", "जो कि संवेदना की वाहक है,", "कमानी थी मुझे मुद्रा, निष्ठुरतापूर्वक", "जो मुझसे हो न सका", "किंतु कविता में मात्र संवेदना थी", "कविता के पास नहीं थी रोटी!", "मुद्रा के अभाव में क़र्ज़ से दबे हुए", "अब तो उसे मृत्यु ही भली लगती है।", "जब ज़मीर धिक्कारता है", "समाज नकारता है", "चैन पाते हैं उसके आकुल-व्याकुल प्राण", "केवल मृत्यु की कल्पना में", "उसने याद किया कि", "वह भी हँसना चाहता था", "सच्ची हँसी", "लेकिन उसकी हँसी में", "क़र्ज़ की लाचारी थी", "मुद्रा के अभाव में", "सर्वथा विकल्पहीन पाया उसने", "ख़ुद को", "उसने महसूस किया कि", "क़र्ज़दार इंसान को", "नहीं रह जाता है हक़", "इस दुनिया में", "पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश के", "उपभोग का", "धरती पर मुद्रा में बिकने लगे हैं", "जीवन के तमाम अवयव!", "देह के कलेवर में", "छुपे रहो तुम", "कायरतापूर्वक", "डरपोक मेमने की तरह!—", "उसने धिक्कारा", "मुद्रा के भंडारों में छुपे लोगों को", "और जीवन को निहारा", "भरपूर हसरत से", "वह सचमुच जीना चाहता था!", "यह दुनिया कितनी तंग और विकल्पहीन है,", "बेगानी भी", "यह किसी क़र्ज़दार इंसान से पूछो!—", "हम ज़िंदा लोगों के लिए", "मरने से पहले", "यह उसका अंतिम बयान था!", "qarz mein akanth Dube hue", "usne taDap kar chaha", "kash! sari samasyaon ke samadhan", "mudra ke raste na jate!", "kash! we jate uski haD toD mehnat ki rah,", "kaam ke prati uske samarpan ki rah,", "uski ugai fasal ki rah", "uski apnai naitikta aur sadachar ki rah", "uske dwara ki gain pujaon aur prarthnaon ki rah", "kintu we ja rahe hain", "(usne aah bhari)", "mudra ke raste", "sahukar ki bahi mein", "uske jiwan ko qaid karne ke liye", "kash! dharti ke garbh mein hi chhupa rah jata koi beej", "uski samasyaon ke samadhan ka", "koi rukhDi jise chabakar pa leta wo nijat", "qarz ki samasya se", "jaise pa leta hai wyadhiyon se mukti", "gharelu nuskhon ko apnakar", "wo aahat tha ye sochkar ki", "akhir kyon mudra mein ulajhkar", "rah gai hain uski sansen?", "akhir kyon jakaD liya hai", "mudra ne uska jiwan?", "is qadar ki jiske pas nahin hai mudra", "uske pas nahin bachta hai jiwan", "use karni paDti hai atmahatya", "jabki dharti par qati niःshulk hain deh ke sanjiwni tatw", "hawa pani dhoop akash mitti", "mudra ke abhaw mein", "hal ki moonth pakDe kisan ke pairon se", "nikal jati hai uski zamin", "khet mein uski ugai fasal bhi nahin rah jati hai", "uski apni", "kya hum ankaDon (maudrik ankaDon) ki giraft mein", "phans gaye hain buri tarah", "ishwar ke samrajy se pare!", "usne mahsus kiya aur budabudaya—", "kawita ke liye main bhale hi priy hoon", "kintu mudra ke liye main nira apradhi hoon", "swabhawik hai ki sansar aur samaj ke liye bhi", "mujhe khed hai ki kawita ka qatl karke", "jo ki sanwedna ki wahak hai,", "kamani thi mujhe mudra, nishthurtapurwak", "jo mujhse ho na saka", "kintu kawita mein matr sanwedna thi", "kawita ke pas nahin thi roti!", "mudra ke abhaw mein qarz se dabe hue", "ab to use mirtyu hi bhali lagti hai", "jab zamir dhikkarta hai", "samaj nakarta hai", "chain pate hain uske aakul wyakul paran", "kewal mirtyu ki kalpana mein", "usne yaad kiya ki", "wo bhi hansna chahta tha", "sachchi hansi", "lekin uski hansi mein", "qarz ki lachari thi", "mudra ke abhaw mein", "sarwatha wikalphin paya usne", "khu ko", "usne mahsus kiya ki", "qarzdar insan ko", "nahin rah jata hai haq", "is duniya mein", "prithwi, jal, wayu, agni aur akash ke", "upbhog ka", "dharti par mudra mein bikne lage hain", "jiwan ke tamam awyaw!", "deh ke kalewar mein", "chhupe raho tum", "kayartapurwak", "Darpok memne ki tarah!—", "usne dhikkara", "mudra ke bhanDaron mein chhupe logon ko", "aur jiwan ko nihara", "bharpur hasrat se", "wo sachmuch jina chahta tha!", "yah duniya kitni tang aur wikalphin hai, begani bhi", "ye kisi qarzdar insan se puchho!—", "hum zinda logon ke liye", "marne se pahle", "ye uska antim byan tha!", "qarz mein akanth Dube hue", "usne taDap kar chaha", "kash! sari samasyaon ke samadhan", "mudra ke raste na jate!", "kash! we jate uski haD toD mehnat ki rah,", "kaam ke prati uske samarpan ki rah,", "uski ugai fasal ki rah", "uski apnai naitikta aur sadachar ki rah", "uske dwara ki gain pujaon aur prarthnaon ki rah", "kintu we ja rahe hain", "(usne aah bhari)", "mudra ke raste", "sahukar ki bahi mein", "uske jiwan ko qaid karne ke liye", "kash! dharti ke garbh mein hi chhupa rah jata koi beej", "uski samasyaon ke samadhan ka", "koi rukhDi jise chabakar pa leta wo nijat", "qarz ki samasya se", "jaise pa leta hai wyadhiyon se mukti", "gharelu nuskhon ko apnakar", "wo aahat tha ye sochkar ki", "akhir kyon mudra mein ulajhkar", "rah gai hain uski sansen?", "akhir kyon jakaD liya hai", "mudra ne uska jiwan?", "is qadar ki jiske pas nahin hai mudra", "uske pas nahin bachta hai jiwan", "use karni paDti hai atmahatya", "jabki dharti par qati niःshulk hain deh ke sanjiwni tatw", "hawa pani dhoop akash mitti", "mudra ke abhaw mein", "hal ki moonth pakDe kisan ke pairon se", "nikal jati hai uski zamin", "khet mein uski ugai fasal bhi nahin rah jati hai", "uski apni", "kya hum ankaDon (maudrik ankaDon) ki giraft mein", "phans gaye hain buri tarah", "ishwar ke samrajy se pare!", "usne mahsus kiya aur budabudaya—", "kawita ke liye main bhale hi priy hoon", "kintu mudra ke liye main nira apradhi hoon", "swabhawik hai ki sansar aur samaj ke liye bhi", "mujhe khed hai ki kawita ka qatl karke", "jo ki sanwedna ki wahak hai,", "kamani thi mujhe mudra, nishthurtapurwak", "jo mujhse ho na saka", "kintu kawita mein matr sanwedna thi", "kawita ke pas nahin thi roti!", "mudra ke abhaw mein qarz se dabe hue", "ab to use mirtyu hi bhali lagti hai", "jab zamir dhikkarta hai", "samaj nakarta hai", "chain pate hain uske aakul wyakul paran", "kewal mirtyu ki kalpana mein", "usne yaad kiya ki", "wo bhi hansna chahta tha", "sachchi hansi", "lekin uski hansi mein", "qarz ki lachari thi", "mudra ke abhaw mein", "sarwatha wikalphin paya usne", "khu ko", "usne mahsus kiya ki", "qarzdar insan ko", "nahin rah jata hai haq", "is duniya mein", "prithwi, jal, wayu, agni aur akash ke", "upbhog ka", "dharti par mudra mein bikne lage hain", "jiwan ke tamam awyaw!", "deh ke kalewar mein", "chhupe raho tum", "kayartapurwak", "Darpok memne ki tarah!—", "usne dhikkara", "mudra ke bhanDaron mein chhupe logon ko", "aur jiwan ko nihara", "bharpur hasrat se", "wo sachmuch jina chahta tha!", "yah duniya kitni tang aur wikalphin hai, begani bhi", "ye kisi qarzdar insan se puchho!—", "hum zinda logon ke liye", "marne se pahle", "ye uska antim byan tha!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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गुमशुदा - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/gumshuda-manglesh-dabral-kavita?sort=
[ "शहर के पेशाबघरों और अन्य लोकप्रिय जगहों में", "उन गुमशुदा लोगों की तलाश के पोस्टर", "अब भी चिपके दिखते हैं", "जो कई बरस पहले दस या बारह साल की उम्र में", "बिना बताए घरों के निकले थे", "पोस्टरों के अनुसार उनका क़द मँझोला है", "रंग गोरा नहीं गेहुँआ या साँवला है", "वे हवाई चप्पल पहने हैं", "उनके चेहरे पर किसी चोट का निशान है", "और उनकी माँएँ उनके बग़ैर रोती रहती हैं", "पोस्टरों के अंत में यह आश्वासन भी रहता है", "कि लापता की ख़बर देने वाले को मिलेगा", "यथासंभव उचित ईनाम", "तब भी वे किसी की पहचान में नहीं आते", "पोस्टरों में छपी धुँधली तस्वीरों से", "उनका हुलिया नहीं मिलता", "उनकी शुरुआती उदासी पर", "अब तकलीफ़ें झेलने की ताब है", "शहर के मौसम के हिसाब से बदलते गए हैं उनके चेहरे", "कम खाते कम सोते कम बोलते", "लगातार अपने पते बदलते", "सरल और कठिन दिनों को एक जैसा बिताते", "अब वे एक दूसरी ही दुनिया में हैं", "कुछ कुतूहल के साथ", "अपनी गुमशुदगी के पोस्टर देखते हुए", "जिन्हें उनके परेशान माता-पिता जब-तब छपवाते रहते हैं", "जिनमें अब भी दस या बारह", "लिखी होती हैं उनकी उम्र।", "shahr ke peshabaghron aur any lokapriy jaghon mein", "un gumshuda logon ki talash ke poster", "ab bhi chipke dikhte hain", "jo kai baras pahle das ya barah sal ki umr mein", "bina bataye gharon ke nikle the", "postron ke anusar unka qad manjhola hai", "rang gora nahin gehuna ya sanwla hai", "we hawai chappal pahne hain", "unke chehre par kisi chot ka nishan hai", "aur unki manen unke baghair roti rahti hain", "postron ke ant mein ye ashwasan bhi rahta hai", "ki lapata ki khabar dene wale ko milega", "yathasambhaw uchit inam", "tab bhi we kisi ki pahchan mein nahin aate", "postron mein chhapi dhundhli taswiron se", "unka huliya nahin milta", "unki shuruati udasi par", "ab taklifen jhelne ki tab hai", "shahr ke mausam ke hisab se badalte gaye hain unke chehre", "kam khate kam sote kam bolte", "lagatar apne pate badalte", "saral aur kathin dinon ko ek jaisa bitate", "ab we ek dusri hi duniya mein hain", "kuch kutuhal ke sath", "apni gumshudgi ke poster dekhte hue", "jinhen unke pareshan mata pita jab tab chhapwate rahte hain", "jinmen ab bhi das ya barah", "likhi hoti hain unki umr", "shahr ke peshabaghron aur any lokapriy jaghon mein", "un gumshuda logon ki talash ke poster", "ab bhi chipke dikhte hain", "jo kai baras pahle das ya barah sal ki umr mein", "bina bataye gharon ke nikle the", "postron ke anusar unka qad manjhola hai", "rang gora nahin gehuna ya sanwla hai", "we hawai chappal pahne hain", "unke chehre par kisi chot ka nishan hai", "aur unki manen unke baghair roti rahti hain", "postron ke ant mein ye ashwasan bhi rahta hai", "ki lapata ki khabar dene wale ko milega", "yathasambhaw uchit inam", "tab bhi we kisi ki pahchan mein nahin aate", "postron mein chhapi dhundhli taswiron se", "unka huliya nahin milta", "unki shuruati udasi par", "ab taklifen jhelne ki tab hai", "shahr ke mausam ke hisab se badalte gaye hain unke chehre", "kam khate kam sote kam bolte", "lagatar apne pate badalte", "saral aur kathin dinon ko ek jaisa bitate", "ab we ek dusri hi duniya mein hain", "kuch kutuhal ke sath", "apni gumshudgi ke poster dekhte hue", "jinhen unke pareshan mata pita jab tab chhapwate rahte hain", "jinmen ab bhi das ya barah", "likhi hoti hain unki umr", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
धार - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/dhaar-arun-kamal-kavita-1?sort=
[ "कौन बचा है जिसके आगे", "इन हाथों को नहीं पसारा", "यह अनाज जो बदल रक्त में", "टहल रहा है तन के कोने-कोने", "यह क़मीज़ जो ढाल बनी है", "बारिश सर्दी लू में", "सब उधार का, माँगा-चाहा", "नमक-तेल, हींग-हल्दी तक", "सब क़र्ज़े का", "यह शरीर भी उनका बंधक", "अपना क्या है इस जीवन में", "सब तो लिया उधार", "सारा लोहा उन लोगों का", "अपनी केवल धार।", "kaun bacha hai jiske aage", "in hathon ko nahin pasara", "ye anaj jo badal rakt mein", "tahal raha hai tan ke kone kone", "ye qamiz jo Dhaal bani hai", "barish sardi lu mein", "sab udhaar ka, manga chaha", "namak tel, heeng haldi tak", "sab qarze ka", "ye sharir bhi unka bandhak", "apna kya hai is jiwan mein", "sab to liya udhaar", "sara loha un logon ka", "apni kewal dhaar", "kaun bacha hai jiske aage", "in hathon ko nahin pasara", "ye anaj jo badal rakt mein", "tahal raha hai tan ke kone kone", "ye qamiz jo Dhaal bani hai", "barish sardi lu mein", "sab udhaar ka, manga chaha", "namak tel, heeng haldi tak", "sab qarze ka", "ye sharir bhi unka bandhak", "apna kya hai is jiwan mein", "sab to liya udhaar", "sara loha un logon ka", "apni kewal dhaar", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
सृजनकर्ता - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/srijankarta-neha-aprajita-kavita?sort=
[ "वे जो सृजनकर्ता रहे", "संवेदना के", "संतुष्टि के", "शायद इस सृष्टि के भी", "वे इतने बेख़बर रहे", "उन्हें अपनी शक्ति की सीमा का ज्ञान नहीं", "वे पुरुष", "जिनके पुरुषार्थ पर", "इस देश का बहुत कुछ टिका है", "हथेली पर तंबाकू ठोक", "वे बहुत कुछ दे रहे", "इस देश को", "वे महिलाएँ कितनी बेख़बर होंगी", "जो बासी रोटी और नैनू खाकर", "आठ-दस बच्चे जन गईं", "सारे के सारे उन्होंने", "महीने की पहली तारीख़ को जने", "मैं नहीं कहती", "आँकड़ों ने कहा", "संतुष्ट रहे वे", "उन्होंने उतना भी नहीं माँगा", "जितने के वे हक़दार रहे", "वे जो बेख़बर हैं", "उन विद्यार्थियों से", "जो आज उन पर बनी योजनाएँ रट रहे,", "अधिकारी बनेंगे", "फिर इनके अधिकारों के लिए लड़ेंगे", "उनसे भी जो शोधार्थी हैं", "गहन शोध में हैं", "उनका शोधपत्र कहाँ विरोध दर्ज करता है?", "मुझे भी नहीं ज्ञात", "उनसे भी जो", "बुद्धजीवी हैं, घिस रहे हैं बुद्धि", "हल क्या निकल रहा?", "मेरे पास आँकड़ों का संकलन नहीं", "उन्होंने तो निश्छलता बोई थी", "काइयाँपन हमारा", "उनके बोए को", "बैचैनी में बदल रहा", "संवेदना भी बोई थी", "हमारी ही भूख", "हमारी वेदना का कारण है", "संतुष्टि भी बोई थी", "दूसरे का सुख", "हमको उनके छप्पर से भी", "कमज़ोर बना रहा!", "we jo srijankarta rahe", "sanwedna ke", "santushti ke", "shayad is sirishti ke bhi", "we itne beख़bar rahe", "unhen apni shakti ki sima ka gyan nahin", "we purush", "jinke purusharth par", "is desh ka bahut kuch tika hai", "hatheli par tambaku thok", "we bahut kuch de rahe", "is desh ko", "we mahilayen kitni beख़bar hongi", "jo basi roti aur nainu khakar", "ath das bachche jan gain", "sare ke sare unhonne", "mahine ki pahli tarikh ko jane", "main nahin kahti", "ankaDon ne kaha", "santusht rahe we", "unhonne utna bhi nahin manga", "jitne ke we haqdar rahe", "we jo beख़bar hain", "un widyarthiyon se", "jo aaj un par bani yojnayen rat rahe,", "adhikari banenge", "phir inke adhikaron ke liye laDenge", "unse bhi jo shodharthi hain", "gahan shodh mein hain", "unka shodhapatr kahan wirodh darj karta hai?", "mujhe bhi nahin gyat", "unse bhi jo", "buddhjiwi hain, ghis rahe hain buddhi", "hal kya nikal raha?", "mere pas ankaDon ka sanklan nahin", "unhonne to nishchhalta boi thi", "kaiyanpan hamara", "unke boe ko", "baichaini mein badal raha", "sanwedna bhi boi thi", "hamari hi bhookh", "hamari wedna ka karan hai", "santushti bhi boi thi", "dusre ka sukh", "hamko unke chhappar se bhi", "kamzor bana raha!", "we jo srijankarta rahe", "sanwedna ke", "santushti ke", "shayad is sirishti ke bhi", "we itne beख़bar rahe", "unhen apni shakti ki sima ka gyan nahin", "we purush", "jinke purusharth par", "is desh ka bahut kuch tika hai", "hatheli par tambaku thok", "we bahut kuch de rahe", "is desh ko", "we mahilayen kitni beख़bar hongi", "jo basi roti aur nainu khakar", "ath das bachche jan gain", "sare ke sare unhonne", "mahine ki pahli tarikh ko jane", "main nahin kahti", "ankaDon ne kaha", "santusht rahe we", "unhonne utna bhi nahin manga", "jitne ke we haqdar rahe", "we jo beख़bar hain", "un widyarthiyon se", "jo aaj un par bani yojnayen rat rahe,", "adhikari banenge", "phir inke adhikaron ke liye laDenge", "unse bhi jo shodharthi hain", "gahan shodh mein hain", "unka shodhapatr kahan wirodh darj karta hai?", "mujhe bhi nahin gyat", "unse bhi jo", "buddhjiwi hain, ghis rahe hain buddhi", "hal kya nikal raha?", "mere pas ankaDon ka sanklan nahin", "unhonne to nishchhalta boi thi", "kaiyanpan hamara", "unke boe ko", "baichaini mein badal raha", "sanwedna bhi boi thi", "hamari hi bhookh", "hamari wedna ka karan hai", "santushti bhi boi thi", "dusre ka sukh", "hamko unke chhappar se bhi", "kamzor bana raha!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
दस के पाँच नोट - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/das-ke-panch-not-atul-tiwari-kavita?sort=
[ "पहला नोट बिल्कुल ताज़ा है", "किसी बच्चे ने शायद", "इसे गुल्लक में रखा था", "पहली तारीख़ को", "पिता की तनख़्वाह मिलते ही।", "आज उसने अपनी", "गुल्लक फोड़ दी", "और इस नोट का सौंधापन भी", "समाप्त हो गया।", "दूसरा नोट गलने को है", "इसमें गांधी की आँखें", "ओझल है", "हो न हो यह किसी मज़दूर का नोट है!", "इसमें गंध है", "प्याज़, रोटी और नमक की।", "मुट्ठी का भींचा नोट, कह रहा", "इसे जबरन लिया होगा", "थानेदार ने।", "तीसरा नोट अधफटा है", "आटे की बारीक लेई से—", "चिपकाया हुआ-सा", "यह किसी माँ का नोट है", "मुमकिन है आख़िरी भी", "जो दब कर फट गया हो", "आँचल की गाँठ में—", "या खींचातानी से।", "इसकी सिलवटों में छिपे हैं", "धैर्य के अवशेष।", "चौथा नोट", "साधारण नोट नहीं", "प्रेम-पत्र है", "एक पता लिखा है इस पर", "सिगरेट का जला यह नोट", "बयान है—फुँके हुए कलेजे का", "मुझे शक है कि यह", "अधूरा पता है।", "पाँचवें नोट पर लाल धब्बे हैं", "शायद ख़ून के, सिंदूर के!", "यह यात्रा का नोट है", "दानपेटी में रहकर", "किसी भिखारी से होते हुए", "कई बटुओं से बचते-बचाते", "अस्पताल की सैर से लौटकर", "मिल पड़ा मुझसे—लिफ़ाफ़े में", "शायद कोई मर गया हो इसे कमाने में!", "pahla not bilkul taza hai", "kisi bachche ne shayad", "ise gullak mein rakha tha", "pahli tarikh ko", "pita ki tankhwah milte hi", "aj usne apni", "gullak phoD di", "aur is not ka saundhapan bhi", "samapt ho gaya", "dusra not galne ko hai", "ismen gandhi ki ankhen", "ojhal hai", "ho na ho ye kisi mazdur ka not hai!", "ismen gandh hai", "pyaz, roti aur namak ki", "mutthi ka bhincha not, kah raha", "ise jabran liya hoga", "thanedar ne", "tisra not adhaphta hai", "ate ki barik lei se—", "chipkaya hua sa", "ye kisi man ka not hai", "mumkin hai akhiri bhi", "jo dab kar phat gaya ho", "anchal ki ganth mein—", "ya khinchatani se", "iski silawton mein chhipe hain", "dhairya ke awshesh", "chautha not", "sadharan not nahin", "prem patr hai", "ek pata likha hai is par", "cigarette ka jala ye not", "byan hai—phunke hue kaleje ka", "mujhe shak hai ki ye", "adhura pata hai", "panchawen not par lal dhabbe hain", "shayad khoon ke, sindur ke!", "ye yatra ka not hai", "danpeti mein rahkar", "kisi bhikhari se hote hue", "kai batuon se bachte bachate", "aspatal ki sair se lautkar", "mil paDa mujhse—lifafe mein", "shayad koi mar gaya ho ise kamane mein!", "pahla not bilkul taza hai", "kisi bachche ne shayad", "ise gullak mein rakha tha", "pahli tarikh ko", "pita ki tankhwah milte hi", "aj usne apni", "gullak phoD di", "aur is not ka saundhapan bhi", "samapt ho gaya", "dusra not galne ko hai", "ismen gandhi ki ankhen", "ojhal hai", "ho na ho ye kisi mazdur ka not hai!", "ismen gandh hai", "pyaz, roti aur namak ki", "mutthi ka bhincha not, kah raha", "ise jabran liya hoga", "thanedar ne", "tisra not adhaphta hai", "ate ki barik lei se—", "chipkaya hua sa", "ye kisi man ka not hai", "mumkin hai akhiri bhi", "jo dab kar phat gaya ho", "anchal ki ganth mein—", "ya khinchatani se", "iski silawton mein chhipe hain", "dhairya ke awshesh", "chautha not", "sadharan not nahin", "prem patr hai", "ek pata likha hai is par", "cigarette ka jala ye not", "byan hai—phunke hue kaleje ka", "mujhe shak hai ki ye", "adhura pata hai", "panchawen not par lal dhabbe hain", "shayad khoon ke, sindur ke!", "ye yatra ka not hai", "danpeti mein rahkar", "kisi bhikhari se hote hue", "kai batuon se bachte bachate", "aspatal ki sair se lautkar", "mil paDa mujhse—lifafe mein", "shayad koi mar gaya ho ise kamane mein!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मुहावरे - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/muhaware-kavita-kadambari-kavita-6?sort=
[ "एकचलते-चलते चप्पलों का घिस जाना एक मुहावरा हैजो लागू नहीं होता उन पाँवों परजिनमें चप्पलें नहीं हैंहैं बस बिवाइयाँजो घिसती नहीं हैंबस रिसती हैं।दोखिचड़ी का पकना भी एक मुहावरा हैजो लागू नहीं होता उन घरों परजहाँ दाल-चावल कभी एक साथ नहीं जुटता हैपकती-गलती है देहकिसी और की थाली के लिए।तीनगज़ भर की छाती होना भी एक मुहावरा हैजो लागू नहीं होता उन छातियों परजिनमें बिन बारादरी वाले बेहद तंग और अँधेरे दिल बसते हैंजिनमें नहीं रह सकते दो भाई भी एक साथपड़ोसी की फिर बात ही क्या।चारसीने पर मूँग दलना भी एक मुहावरा हैजो लागू नहीं होता उन सीनों परजो सालों की दलन के बाद भी नहीं हुए हैं चाकजिनके पेट पर अभी भी बैठा है लोढ़ा लिए एक भूतऔर पीठ पर गहरे घावों के बावजूदजिन्हें करवट बदलने का ख़याल तक नहीं है।पाँचजल में रहकर मगर से बैर करना भी एक मुहावरा हैजो लागू नहीं होता है उन मछलियों परजिन्होंने खोल दिया है मोर्चाअपने घर पर हुए मगरमच्छ के क़ब्ज़े के ख़िलाफ़।", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
आज भी - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/aaj-bhi-vishnu-khare-kavita?sort=
[ "आज भी होंगे करोड़ों पर अन्याय", "अत्याचार होंगे लाखों पर", "इस शाम भी असंख्य सोएँगे भूखे या आधे पेट", "हज़ारों हज़ार रहेंगे बेआसरा बेसहारा", "औरतें गुज़रेंगी हर संभव असंभव अपमान से", "बच्चे होंगे अनाथ या बेच दिए जाएँगे", "बेशुमार हाथ फैले होंगे दूसरों के आगे", "आज भी वही होगा जो पाँच हज़ार वर्षों से होता आया है", "लोग जारी रखेंगे जन्म या कर्म के कारण ग़ुलामी", "स्वाभावकि कारणों से मरी लाशें मिलेंगी", "जिनकी शनाख़्त करने कोई नहीं आएगा", "आज भी बिताई होगी लोगों ने एक शानदार ज़िंदगी", "हुआ होगा अरबों का धंधा करोड़ों का नफ़ा", "अपने के सिवा किसी की परवाह नहीं की गई होगी", "जो सेवाएँ जिंस जायदादें पहले ही बहुत ख़रीदी जा चुकी हैं", "उन्हें और और ख़रीदा गया होगा", "आज भी लोगों ने पूछा होगा असली ग़रीबी अब है कहाँ", "कहा गया होगा कि पैदाइशी कामचोर ग़लीज़ों को कोई ऊपर ला नहीं सकता", "जात पाँत ऊँच नीच तो कभी के ख़त्म हो चुके", "आज नहीं है तो दस बरस में हो ही जाएगा", "चूड़ों चमारों जंगलियों का राज", "फिर भी हरामख़ोरों का रोना बंद नहीं होगा", "ऐसे शिश्नोदरवादियों के विरुद्ध आज भी बातें हुई होंगी", "कलाओं और संस्कृति की", "सराहा गया होगा धर्म दर्शन परंपरा को", "मुग्ध हुआ गया होगा लोक तथा जनजाति जीवन पर", "उनके हुनरों और शिल्प की बारीकियों में जाया गया होगा", "विश्व के अधुनातन सृजन चिंतन के साथ", "राष्ट्रीय वैश्विकता तथा औदार्य पर", "सतर्क आत्माभिनंदन किया गया होगा", "यथार्थ को स्वीकार करते हुए भी", "शाश्वत मूल्यों पर चिंता प्रकट की गई होगी", "क्योंकि यथार्थ को कितना रोएँ वह तो होता आया है", "कहा गया होगा कि आज भी ऐसे लोग हैं", "जो देश और अस्तित्व के सनातन पहलू समझना नहीं चाहते", "आज भी सिर झुके रहे थे दुख पछतावे कृतघ्नताबोध के साथ", "कि जो किया वह कितना कम था", "हौसला रखा लेकिन काफ़ी न था", "आती जा रही हैं नई निराशाएँ और पराजयें", "आज भी अकारथ जाय हास्यापद होना पड़े या अकेला", "जितना कर सकते थे किया उतने जितना ही करो", "अपनी तरफ़ से एक और क्यों जोड़ते हो उनमें जो", "कल भी होंगे करोड़ों पर अन्याय", "aaj bhi honge karoDon par annyaye", "attyachar honge lakhon par", "is sham bhi asankhya soenge bhukhe ya aadhe pet", "hazaron hazar rahenge beasra besahara", "aurten guzrengi har sambhaw asambhaw apman se", "bachche honge anath ya bech diye jayenge", "beshumar hath phaile honge dusron ke aage", "aj bhi wahi hoga jo panch hazar warshon se hota aaya hai", "log jari rakhenge janm ya karm ke karan ghulami", "swabhawaki karnon se mari lashen milengi", "jinki shanakht karne koi nahin ayega", "aj bhi bitai hogi logon ne ek shanadar zindagi", "hua hoga arbon ka dhandha karoDon ka nafa", "apne ke siwa kisi ki parwah nahin ki gai hogi", "jo sewayen jins jaydaden pahle hi bahut kharidi ja chuki hain", "unhen aur aur kharida gaya hoga", "aj bhi logon ne puchha hoga asli gharib ab hai kahan", "kaha gaya hoga ki paidaishi kamachor ghalizon ko koi upar la nahin sakta", "jat pant unch neech to kabhi ke khatm ho chuke", "aj nahin hai to das baras mein ho hi jayega", "chuDon chamaron jangaliyon ka raj", "phir bhi haramkhoron ka rona band nahin hoga", "aise shishnodarwadiyon ke wiruddh aaj bhi baten hui hongi", "kalaon aur sanskriti ki", "saraha gaya hoga dharm darshan parampara ko", "mugdh hua gaya hoga lok tatha janjati jiwan par", "unke hunron aur shilp ki barikiyon mein jaya gaya hoga", "wishw ke adhunatan srijan chintan ke sath", "rashtriya waishwikta tatha audary par", "satark atmabhinandan kiya gaya hoga", "yatharth ko swikar karte hue bhi", "shashwat mulyon par chinta prakat ki gai hogi", "kyonki yatharth ko kitna roen wo to hota aaya hai", "kaha gaya hoga ki aaj bhi aise log hain", "jo desh aur astitw ke sanatan pahlu samajhna nahin chahte", "aj bhi sir jhuke rahe the dukh pachhtawe kritaghntabodh ke sath", "ki jo kiya wo kitna kam tha", "hausla rakha lekin kafi na tha", "ati ja rahi hain nai nirashayen aur parajyen", "aj bhi akarath jay hasyapad hona paDe ya akela", "jitna kar sakte the kiya utne jitna hi karo", "apni taraf se ek aur kyon joDte ho unmen jo", "kal bhi honge karoDon par annyaye", "aaj bhi honge karoDon par annyaye", "attyachar honge lakhon par", "is sham bhi asankhya soenge bhukhe ya aadhe pet", "hazaron hazar rahenge beasra 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उलटबाँसी - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/ulatbansi-tribhuvan-kavita-24?sort=
[ "इतिहास में ऐसी भी अनहोनी हुई थी", "वही निर्वस्त्र रहा", "जिसने सबसे पहले सूई पिरोई थी।", "itihas mein aisi bhi anhoni hui thi", "wahi nirwastr raha", "jisne sabse pahle sui piroi thi", "itihas mein aisi bhi anhoni hui thi", "wahi nirwastr raha", "jisne sabse pahle sui piroi thi", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
रिक्शाबान - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/rikshaban-balram-shukla-kavita-5?sort=
[ "एकरिक्शाबान की सुंदर हँसीजिसने चौराहे पर दिन में भी चाँदनी बिखेर दी है,उस परपाप की खान जैसीबड़ी बड़ी अटारियों में रहनेवाले अमीरों के अट्टहास निछावर हैं।दोपसीने से बरसाती बना तुम्हारा जीवनदुर्भाग्य पैदा करने वाले दुष्ट धनिकों के जीवन की अपेक्षा बहुत अच्छा हैजो अनैतिक धन से रेगिस्तान बना दिए गए हैं। तीनतुम्हारा झुर्रियों से भरे माथे वाला,टपकते हुए पसीने से मलिनसुर्ती की गंध से व्याप्तमैला-कुचैला मुँहचूम लेने लायक़ है।चारचौराहे पर जब तुमअपनी पथराई अगोरती आँखों सेपैदल चलने वालों की बाट जोहते होउस समय तुम्हारे मुँह पर छाया सूनापनमेरे दिल को दिन रात जलाता रहता है।पाँचनसों को फोड़ते हुएसाँसों को रोक कर,सारी ताक़त झोंक करजब अपने रिक्शे को तुम चढ़ाई की ओर खींचते होतो मेरा जी बिल्कुल डूबने लगता है।छहअपनों नेताओं की प्रवृत्ति जैसेसमता रहित रास्तों परजब तुम ब-मुश्किल रिक्शा खींचते होतो तुम्हारे दुःख से दुःखित होकर मैं सोचता हूँअच्छा होतातुम्हीं बैठ जाते और मैं तुम्हारा रिक्शा खींच लेता। सातअपराधबोध से लजा जाता हूँ मैंकि मनुष्यता कितनी अन्यायग्रस्त हैकोई तोऊँचे आसन पर बैठा हैऔर कोई मशीन की तरह उसे खींच रहा है।", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
अव्यक्त आश्चर्य - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/awyakt-ashchary-avinash-mishra-kavita?sort=
[ "सबसे कम क़ीमत रह गई विचारों की", "जबकि किताबें लगातार महँगी होती चली गईं", "पहुँच से दूर हो गईं कुछ सबसे ज़रूरी चीज़ें", "जबकि बहुत कुछ मुफ़्त में भी बँटता रहा", "अस्पताल इस क़दर महँगे हुए कि माँएँ बेइलाज मर गईं", "इस एक समय में चीज़ें इतनी महँगी और इतनी सारी थीं", "कि समझदार बच्चे बेआवाज़ रोते रहे", "आसान नहीं रह गया पर्यटन और प्रवास", "जो जहाँ था वहीं बना रहा बग़ैर किसी भूमिका के", "एक घर सपनों में ही बनता, बसता और उजड़ता रहा", "माचिस के दाम फिर भी नहीं बढ़े", "बीते हुए कई वर्षों से", "sabse kam qimat rah gai wicharon ki", "jabki kitaben lagatar mahngi hoti chali gain", "pahunch se door ho gain kuch sabse zaruri chizen", "jabki bahut kuch muft mein bhi bantata raha", "aspatal is qadar mahnge hue ki manen beilaj mar gain", "is ek samay mein chizen itni mahngi aur itni sari theen", "ki samajhdar bachche beawaz rote rahe", "asan nahin rah gaya paryatan aur prawas", "jo jahan tha wahin bana raha baghair kisi bhumika ke", "ek ghar sapnon mein hi banta, basta aur ujaDta raha", "machis ke dam phir bhi nahin baDhe", "bite hue kai warshon se", "sabse kam qimat rah gai wicharon ki", "jabki kitaben lagatar mahngi hoti chali gain", "pahunch se door ho gain kuch sabse zaruri chizen", "jabki bahut kuch muft mein bhi bantata raha", "aspatal is qadar mahnge hue ki manen beilaj mar gain", "is ek samay mein chizen itni mahngi aur itni sari theen", "ki samajhdar bachche beawaz rote rahe", "asan nahin rah gaya paryatan aur prawas", "jo jahan tha wahin bana raha baghair kisi bhumika ke", "ek ghar sapnon mein hi banta, basta aur ujaDta raha", "machis ke dam phir bhi nahin baDhe", "bite hue kai warshon se", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
पिता जब निराश होते हैं - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/pita-jab-nirash-hote-hain-yashasvi-pathak-kavita?sort=
[ "पिता जब निराश होते हैं", "तब सिलने बैठते हैं", "अपना सिलन खुला कुर्ता", "टेढ़े-मेढ़े डोभ लगाते", "वह इतना डूब जाते हैं", "कुर्ते का घाव भरने में", "कि उस समय वह सिल सकते हैं सब कुछ", "जहाँ-जहाँ जो कुछ भी कटा-फटा है", "जो फटा-कटा नहीं है वह भी", "वह रफ़ू कर सकते हैं सारी खोंग", "अंदर से लेकर बाहर तक", "दर्ज़ी! किस साँसत का सिला है कि वह", "कुर्ते की खुली सिलन ही सिल पाते हैं।", "pita jab nirash hote hain", "tab silne baithte hain", "apna silan khula kurta", "teDhe meDhe Dobh lagate", "wo itna Doob jate hain", "kurte ka ghaav bharne men", "ki us samay wo sil sakte hain sab kuch", "jahan jahan jo kuch bhi kata phata hai", "jo phata kata nahin hai wo bhi", "wo rafu kar sakte hain sari khong", "andar se lekar bahar tak", "darzi! kis sansat ka sila hai ki wo", "kurte ki khuli silan hi sil pate hain.", "pita jab nirash hote hain", "tab silne baithte hain", "apna silan khula kurta", "teDhe meDhe Dobh lagate", "wo itna Doob jate hain", "kurte ka ghaav bharne men", "ki us samay wo sil sakte hain sab kuch", "jahan jahan jo kuch bhi kata phata hai", "jo phata kata nahin hai wo bhi", "wo rafu kar sakte hain sari khong", "andar se lekar bahar tak", "darzi! kis sansat ka sila hai ki wo", "kurte ki khuli silan hi sil pate hain.", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
रात - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/raat-sharad-bilore-kavita?sort=
[ "कंधे पर टँगे थैले से लेकर", "बिस्तर तक", "कितना कुछ हो गया होता है", "रात देर गए", "जब हम अपने घरों में लौटते हैं", "कितना भारी-भारी हो गया होता है हमारा घर", "तलुओं और पिंडलियों के भीतर", "फड़फड़ाती थकान", "और पोर-पोर से फूटता दर्द", "हमारे ठंडे खाने को कितना गर्म कर देता है।", "हमारे शरीर की चुप्पी", "शहर पर कितनी जल्दी छा जाती है", "और कितनी नींद में होती है हमारी चेतना", "कि जब हमारी मेडिकल रिपोर्टों में", "कुछ भी नॉर्मल नहीं होता", "तो किसी को भी आश्चर्य नहीं होता।", "हमारे भीतर पनप रहे", "किसी गंभीर रोग की चिंता में", "सिर्फ़ हमारी प्रेमिकाएँ कुछ देर सुबकती हैं", "और संबंध तोड़ लेती हैं,", "घर की चिट्ठी", "राशन कार्ड", "और लकड़ी के सपनों को ओढ़कर", "जब हम", "अपनी फटी पैंट को पलटवाने के बारे में", "सोचते हुए", "अचानक सो जाते हैं।", "हमारे भीतर पल रहे रोग का चेहरा", "उतर जाता है", "और हमारे शहर में", "एक सड़क", "हम लोगों को याद करती हुई", "रात भर जागती है।", "kandhe par tange thaile se lekar", "bistar tak", "kitna kuch ho gaya hota hai", "raat der gaye", "jab hum apne gharon mein lautte hain", "kitna bhari bhari ho gaya hota hai hamara ghar", "taluon aur pinDaliyon ke bhitar", "faDfaDati thakan", "aur por por se phutta dard", "hamare thanDe khane ko kitna garm kar deta hai", "hamare sharir ki chuppi", "shahr par kitni jaldi chha jati hai", "aur kitni neend mein hoti hai hamari chetna", "ki jab hamari medical riporton mein", "kuch bhi normal nahin hota", "to kisi ko bhi ashchary nahin hota", "hamare bhitar panap rahe", "kisi gambhir rog ki chinta mein", "sirf hamari premikayen kuch der subakti hain", "aur sambandh toD leti hain,", "ghar ki chitthi", "rashan card", "aur lakDi ke sapnon ko oDhkar", "jab hum", "apni phati paint ko palatwane ke bare mein", "sochte hue", "achanak so jate hain", "hamare bhitar pal rahe rog ka chehra", "utar jata hai", "aur hamare shahr mein", "ek saDak", "hum logon ko yaad karti hui", "raat bhar jagti hai", "kandhe par tange thaile se lekar", "bistar tak", "kitna kuch ho gaya hota hai", "raat der gaye", "jab hum apne gharon mein lautte hain", "kitna bhari bhari ho gaya hota hai hamara ghar", "taluon aur pinDaliyon ke bhitar", "faDfaDati thakan", "aur por por se phutta dard", "hamare thanDe khane ko kitna garm kar deta hai", "hamare sharir ki chuppi", "shahr par kitni jaldi chha jati hai", "aur kitni neend mein hoti hai hamari chetna", "ki jab hamari medical riporton mein", "kuch bhi normal nahin hota", "to kisi ko bhi ashchary nahin hota", "hamare bhitar panap rahe", "kisi gambhir rog ki chinta mein", "sirf hamari premikayen kuch der subakti hain", "aur sambandh toD leti hain,", "ghar ki chitthi", "rashan card", "aur lakDi ke sapnon ko oDhkar", "jab hum", "apni phati paint ko palatwane ke bare mein", "sochte hue", "achanak so jate hain", "hamare bhitar pal rahe rog ka chehra", "utar jata hai", "aur hamare shahr mein", "ek saDak", "hum logon ko yaad karti hui", "raat bhar jagti hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
एक आदमी - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/ek-adami-manmohan-kavita?sort=
[ "एक आदमी", "कम कहता है", "और कम साँस लेता है", "कम सुनता है", "और कम देखता है", "कम हँसता है", "और कम रोता है", "कम चलता है", "और लौट आता है", "कम याद करता है", "और बार-बार भूल जाता है", "छोड़ देता है", "और क्षमा कर देता है", "एक आदमी रहता है", "प्रियजन के बिना", "और रहे जाता है", "ek adami", "kam kahta hai", "aur kam sans leta hai", "kam sunta hai", "aur kam dekhta hai", "kam hansta hai", "aur kam rota hai", "kam chalta hai", "aur laut aata hai", "kam yaad karta hai", "aur bar bar bhool jata hai", "chhoD deta hai", "aur kshama kar deta hai", "ek adami rahta hai", "priyjan ke bina", "aur rahe jata hai", "ek adami", "kam kahta hai", "aur kam sans leta hai", "kam sunta hai", "aur kam dekhta hai", "kam hansta hai", "aur kam rota hai", "kam chalta hai", "aur laut aata hai", "kam yaad karta hai", "aur bar bar bhool jata hai", "chhoD deta hai", "aur kshama kar deta hai", "ek adami rahta hai", "priyjan ke bina", "aur rahe jata hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
भीख माँगते उसी त्रिलोचन को देखा कल - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/bheekh-mangte-usi-tirlochan-ko-dekha-kal-trilochan-kavita?sort=
[ "भीख माँगते उसी त्रिलोचन को देखा कल", "जिस को समझे था है तो है यह फ़ौलादी।", "ठेस-सी लगी मुझे, क्योंकि यह मन था आदी", "नहीं, झेल जाता श्रद्धा की चोट अचंचल,", "नहीं सँभाल सका अपने को। जाकर पूछा,", "‘भिक्षा से क्या मिलता है।’ ‘जीवन।’ ‘क्या इसको", "अच्छा आप समझते हैं।’ ‘दुनिया में जिसको", "अच्छा नहीं समझते हैं करते हैं, छूछा", "पेट काम तो नहीं करेगा।’ ‘मुझे आप से", "ऐसी आशा न थी।’ ‘आप ही कहें, क्या करूँ,", "ख़ाली पेट भरूँ, कुछ काम करूँ कि चुप मरूँ,", "क्या अच्छा है।’ जीवन जीवन है प्रताप से,", "स्वाभिमान ज्योतिष्क लोचनों में उतरा था,", "यह मनुष्य था, इतने पर भी नहीं मरा था।", "bheekh mangte usi tirlochan ko dekha kal", "jis ko samjhe tha hai to hai ye fauladi", "thes si lagi mujhe, kyonki ye man tha aadi", "nahin, jhel jata shardha ki chot achanchal,", "nahin sanbhal saka apne ko jakar puchha,", "‘bhiksha se kya milta hai ’ ‘jiwan ’ ‘kya isko", "achchha aap samajhte hain ’ ‘duniya mein jisko", "achchha nahin samajhte hain karte hain, chhuchha", "pet kaam to nahin karega ’ ‘mujhe aap se", "aisi aasha na thi ’ ‘ap hi kahen, kya karun,", "khali pet bharun, kuch kaam karun ki chup marun,", "kya achchha hai ’ jiwan jiwan hai pratap se,", "swabhiman jyotishk lochnon mein utra tha,", "ye manushya tha, itne par bhi nahin mara tha", "bheekh mangte usi tirlochan ko dekha kal", "jis ko samjhe tha hai to hai ye fauladi", "thes si lagi mujhe, kyonki ye man tha aadi", "nahin, jhel jata shardha ki chot achanchal,", "nahin sanbhal saka apne ko jakar puchha,", "‘bhiksha se kya milta hai ’ ‘jiwan ’ ‘kya isko", "achchha aap samajhte hain ’ ‘duniya mein jisko", "achchha nahin samajhte hain karte hain, chhuchha", "pet kaam to nahin karega ’ ‘mujhe aap se", "aisi aasha na thi ’ ‘ap hi kahen, kya karun,", "khali pet bharun, kuch kaam karun ki chup marun,", "kya achchha hai ’ jiwan jiwan hai pratap se,", "swabhiman jyotishk lochnon mein utra tha,", "ye manushya tha, itne par bhi nahin mara tha", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
सहपाठी - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/poverty/sahpathi-vinod-das-kavita-4?sort=
[ "वह मेरे साथ पढ़ता था", "खाने की छुट्टी में", "अपने डब्बे खोलकर", "टूट पड़ते थे जब भूखे पशु की तरह", "हम सब खाने पर", "हमारी आँखों से बचते हुए", "आहिस्ता-आहिस्ता वह नल के पास जाता था", "और उसमें मुँह लगा देता था", "मैं अक्सर देखता था", "आती थी फ़ीस की तारीख़", "जैसे-जैसे बहुत क़रीब", "उसका ख़ून सूखता जाता था", "किताब नहीं लाने पर", "वह कई दफ़ा कुकड़ूँ-कूँ बोल चुका था", "न जाने फिर भी क्यों", "वह कक्षा में सबसे पहले आता था", "गंदी क़मीज़ पहनने के कारण", "उसे स्कूल से लौटा दिया गया", "एक दिन घर", "उस दिन के बाद स्कूल में", "मैंने उसे फिर कभी नहीं देखा", "एक झुलसती दोपहर में", "वह बैठा दिखाई दिया मुझे", "एक बन रही इमारत के क़रीब", "उसके पास सीमेंट का एक ख़ाली तरल था", "और खरोंच रहा था नाख़ून से वह", "अपनी गदोली में बना काला तिल", "wo mere sath paDhta tha", "khane ki chhutti mein", "apne Dabbe kholkar", "toot paDte the jab bhukhe pashu ki tarah", "hum sab khane par", "hamari ankhon se bachte hue", "ahista ahista wo nal ke pas jata tha", "aur usmen munh laga deta tha", "main aksar dekhta tha", "ati thi fees ki tarikh", "jaise jaise bahut qarib", "uska khoon sukhta jata tha", "kitab nahin lane par", "wo kai dafa kukDun koon bol chuka tha", "na jane phir bhi kyon", "wo kaksha mein sabse pahle aata tha", "gandi qamiz pahanne ke karan", "use school se lauta diya gaya", "ek din ghar", "us din ke baad school mein", "mainne use phir kabhi nahin dekha", "ek jhulasti dopahar mein", "wo baitha dikhai diya mujhe", "ek ban rahi imarat ke qarib", "uske pas siment ka ek khali taral tha", "aur kharonch raha tha nakhun se wo", "apni gadoli mein bana kala til", "wo mere sath paDhta tha", "khane ki chhutti mein", "apne Dabbe kholkar", "toot paDte the jab bhukhe pashu ki tarah", "hum sab khane par", "hamari ankhon se bachte hue", "ahista ahista wo nal ke pas jata tha", "aur usmen munh laga deta tha", "main aksar dekhta tha", "ati thi fees ki tarikh", "jaise jaise bahut qarib", "uska khoon sukhta jata tha", "kitab nahin lane par", "wo kai dafa kukDun koon bol chuka tha", "na jane phir bhi kyon", "wo kaksha mein sabse pahle aata tha", "gandi qamiz pahanne ke karan", "use school se lauta diya gaya", "ek din ghar", "us din ke baad school mein", "mainne use phir kabhi nahin dekha", "ek jhulasti dopahar mein", "wo baitha dikhai diya mujhe", "ek ban rahi imarat ke qarib", "uske pas siment ka ek khali taral tha", "aur kharonch raha tha nakhun se wo", "apni gadoli mein bana kala til", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
गाँव के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/village
[ "था कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। आधुनिक जीवन की आपाधापी में कविता के लिए गाँव एक नॉस्टेल्जिया की तरह उभरता है जिसने अब भी हमारे सुकून की उन चीज़ों को सहेज रखा है जिन्हें हम खोते जा रहे हैं।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जातिवाद के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "में कवि कह गया है : ‘जाति नहीं जाती!’ प्रस्तुत चयन में जाति की विडंबना और जातिवाद के दंश के दर्द को बयान करती कविताएँ संकलित की गई हैं।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जिज्ञासा के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/curiosity
[ "और विविध प्रसंगों के पाठ रचती कविताओं से एक चयन।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
नौकरी के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/job
[ "आर्थिक संघर्ष एक प्रमुख उपस्थिति है और इसी से जुड़ा है फिर रोज़गारी-बेरोज़गारी का उसका अपना विशिष्ट दुख। प्रस्तुत चयन ऐसी ही कविताओं से किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
पूँजी के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/capital
[ "पूँजीवाद के बढ़ते असर के साथ ही उसके ख़तरे को लेकर कविता सजग रही है। कविता जहाँ अनिवार्यतः जनपक्षधरता को अपना कर्तव्य समझती हो, वहाँ फिर पूँजी की दुष्प्रवृत्तियों का प्रतिरोध उसकी ज़िम्मेवारी बन जाती है। प्रस्तुत चयन ऐसी ही कविताओं से किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
बच्चे के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/children
[ "बच्चों के वर्तमान को संसार के भविष्य के लिए समझने की कोशिश की है। प्रस्तुत चयन में ऐसे ही कवियों की कविताएँ संकलित हैं। इन कविताओं में बाल-मन और स्वप्न उपस्थित है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
बनारस के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/banaras
[ "के दिल का नुक़्ता कहना दुरुस्त पाया था जिसकी हवा मुर्दों के बदन में भी रूह फूँक देती है और जिसकी ख़ाक के ज़र्रे मुसाफ़िरों के तलवे से काँटे खींच निकालते हैं। बनारस को एक जगह भर नहीं एक संस्कृति कहा जाता है जो हमेशा से कला, साहित्य, धर्म और दर्शन के अध्येताओं को अपनी ओर आकर्षित करता रहा। इस चयन में बनारस की विशिष्ट उपस्थिति और संस्कृति को आधार लेकर व्यक्त हुई कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
बहन के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/sister
[ "में घर में हमेशा दर्ज रहती बहनें हिंदी कविता का आर्द्र विषय रही हैं। यहाँ प्रस्तुत है—बहन विषयक कविताओं से एक चयन।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
बाज़ार के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/market-1
[ "वह स्थान है जहाँ वस्तुओं का क्रय-विक्रय संपन्न होता है। विशिष्ट अर्थों में यह कभी जगत का पर्याय हो जाता है तो आधुनिक पूँजीवादी संकल्पनाओं में लोक के आर्थिक सामर्थ्य की सीमितता का सूचक। प्रस्तुत चयन में विभिन्न अर्थों और प्रसंगों में बाज़ार का संदर्भ लेती कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
भविष्य के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/future
[ "के वर्तमान के रूप में हमारे जीवन-दृश्यों में उतरता रहता है। इस चयन में ऐसी ही कुछ कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
भाषा के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/language
[ "प्रयुक्त वाचन और लेखन की प्रणाली है जिसका उपयोग वह अपने विचारों, कल्पनाओं और मनोभावों को व्यक्त करने के लिए करता है। किसी भाषा को उसका प्रयोग करने वाली संस्कृति का प्रतिबिंब कहा गया है। प्रस्तुत चयन में कविता में भाषा को एक महत्त्वपूर्ण इकाई के रूप में उपयोग करती कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मज़दूर के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/labour
[ "के प्रसार के साथ वंचित-शोषित तबकों के सरोकार को आवाज़ देना कविता ने अपना प्रमुख कर्तव्य स्वीकार किया है। इस क्रम में अर्थव्यवस्था को अपने कंधे पर ढोते मज़दूर पर्याप्त सहानुभूति और प्रतिरोध कोण से देखे गए हैं। इस चयन में मज़दूरों के संवादों-सरोकारों को विषय बनाती कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मुसलमान के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/muslim
[ "होना भी बहुत जटिलताओं से भरा रहा है। सांप्रदायिकता के उभार ने समय-समय पर भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्षता के मूल्य को क्षतिग्रस्त किया है। इस प्रक्रिया में सबसे अधिक आहत मुस्लिम मन और समाज हुआ है। इस चयन में भारत में मुस्लिम होने की जटिलता और मुस्लिम मन की काव्याभिव्यक्तियाँ शामिल की गई हैं।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
राजनीति के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/politics
[ "में निहित संघर्षों और सहयोगों का मिश्रण है। लेनिन ने इसे अर्थशास्त्र की सघनतम अभिव्यक्ति के रूप में देखा था और कई अन्य विद्वानों और विचारकों ने इसे अलग-अलग अवधारणात्मक आधार प्रदान किया है। राजनीति मानव-जीवन से इसके अभिन्न संबंध और महत्त्वपूर्ण प्रभाव के कारण विचार और चिंतन का प्रमुख तत्त्व रही है। इस रूप में कविताओं ने भी इस पर पर्याप्त बात की है। प्रस्तुत चयन में राजनीति विषयक कविताओं का एक अनूठा संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
व्यंग्य के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/satire
[ "एक प्रमुख शैली है, जो अपने महीन आघात के साथ विषय के व्यापक विस्तार की क्षमता रखती है। काव्य ने भी इस शैली का बेहद सफल इस्तेमाल करते हुए समकालीन संवादों में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। इस चयन में व्यंग्य में व्यक्त कविताओं को शामिल किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
विस्थापन के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/migration
[ "दूसरी जगहों पर मजबूरन, जबरन या आदतन जाना युगों से मानवीय जीवन का हिस्सा रहा है; लेकिन निर्वासन या विस्थापन आधुनिक समय की सबसे बड़ी सचाइयों में से एक है। यह चयन उन कविताओं का है जिन्होंने निर्वासन या विस्थापन को अपने विषय के रूप में चुना है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
शिकायत के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जंगल के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "एक पारितंत्र और जीवन के स्रोत के साथ ही एक प्रवृत्ति का प्रतिनिधि है। इस चयन में जंगल विषयक कविताओं का संग्रह किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जंगल के विषय पर बेहतरीन कहानी | हिन्दवी
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[ "एक पारितंत्र और जीवन के स्रोत के साथ ही एक प्रवृत्ति का प्रतिनिधि है। इस चयन में जंगल विषयक कविताओं का संग्रह किया गया है।", "तुम्हारे पास बहुत सारी स्मृतियाँ हैं। तुम स्मृतियों में सिर से पैर तक डूबे हुए हो पर ये स्मृतियाँ तुमने खोज-खोज कर इकट्ठा की हैं सो तुम नहीं जानते कि इनमें से कितनी चीज़ें वास्तव में तुम्हारे साथ घटी थीं और कितनी दूसरों की स्मृति का हिस्सा हैं! या वे", "एक किसान ने एक साधु की हत्या कर दी और जंगलों में भाग गया। वह भगोड़ा हो गया और उस पर इनाम घोषित कर दिया गया। जंगल में उसकी भेंट एक और भगोड़े से हुई जिस पर मछलियों का जाल चुराने का आरोप था। वह एक बाहरी टापू में रहने वाला मछुआरा था। वे दोनों साथी बन गए", "(एक) \r\n\r\n“बंदी!”\r\n\r\n“क्या है? सोने दो।”\r\n\r\n“मुक्त होना चाहते हो?” \r\n\r\n“अभी नहीं, निद्रा खुलने पर, चुप रहो।” \r\n\r\n“फिर अवसर न मिलेगा।” \r\n\r\n“बड़ा शीत है, कहीं से एक कंबल डालकर कोई शीत से मुक्त करता।” \r\n\r\n“आँधी की संभावना है। यही अवसर है। आज मेरे बंधन शिथिल", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जंगल के विषय पर बेहतरीन नवगीत | हिन्दवी
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[ "एक पारितंत्र और जीवन के स्रोत के साथ ही एक प्रवृत्ति का प्रतिनिधि है। इस चयन में जंगल विषयक कविताओं का संग्रह किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जंगल के विषय पर बेहतरीन ब्लॉग | हिन्दवी
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[ "एक पारितंत्र और जीवन के स्रोत के साथ ही एक प्रवृत्ति का प्रतिनिधि है। इस चयन में जंगल विषयक कविताओं का संग्रह किया गया है।", "यहाँ तुम नहीं हो। इस जगह सिर्फ़ तुम्हारी संभावनाएँ हैं, बिल्कुल पिघले हुए मोम की तरह, जिसमें न लौ बची है और न पिघलने की उष्णता। बस बची है, तो रात की एक आहट और किसी ओझल क्षण में जलते रहने की याद। क्वार", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
प्रेमपत्र - कविता | हिन्दवी
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[ "बादल डाकिए", "पेड़ पहरुए", "जंगल में अभी-अभी लौटी है गीदड़ों की बरात", "धनक के सात रंगों से", "आकाश ने लिखा है", "प्यार", "badal Dakiye", "peD paharue", "jangal mein abhi abhi lauti hai gidDon ki barat", "dhanak ke sat rangon se", "akash ne likha hai", "pyar", "badal Dakiye", "peD paharue", "jangal mein abhi abhi lauti hai gidDon ki barat", "dhanak ke sat rangon se", "akash ne likha hai", "pyar", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
परवाह - कविता | हिन्दवी
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[ "माँ", "एक बोझा लकड़ी के लिए", "क्यों दिन भर जंगल छानती,", "पहाड़ लाँघती,", "देर शाम घर लौटती हो?", "माँ कहती है :", "जंगल छानती,", "पहाड़ लाँघती,", "दिन भर भटकती हूँ", "सिर्फ़ सूखी लकड़ियों के लिए।", "कहीं काट न दूँ कोई ज़िंदा पेड़!", "man", "ek bojha lakDi ke liye", "kyon din bhar jangal chhanti,", "pahaD langhati,", "der sham ghar lautti ho?", "man kahti hai ha", "jangal chhanti,", "pahaD langhati,", "din bhar bhatakti hoon", "sirf sukhi lakaDiyon ke liye", "kahin kat na doon koi zinda peD!", "man", "ek bojha lakDi ke liye", "kyon din bhar jangal chhanti,", "pahaD langhati,", "der sham ghar lautti ho?", "man kahti hai ha", "jangal chhanti,", "pahaD langhati,", "din bhar bhatakti hoon", "sirf sukhi lakaDiyon ke liye", "kahin kat na doon koi zinda peD!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
पहाड़ पर लालटेन - कविता | हिन्दवी
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[ "जंगल में औरतें हैं", "लकड़ियों के गट्ठर के नीचे बेहोश", "जंगल में बच्चे हैं", "असमय दफ़नाए जाते हए", "जंगल में नंगे पैर चलते बूढ़े हैं", "डरते-खाँसते अंत में ग़ायब हो जाते हुए", "जंगल में लगातार कुल्हाड़ियाँ चल रही हैं", "जंगल में सोया है रक्त", "धूप में तपती हुई चट्टानों के पीछे", "वर्षों के आर्तनाद हैं", "और थोड़ी-सी घास है बहुत प्राचीन", "पानी में हिलती हुई", "अगले मौसम के जबड़े तक पहुँचते पेड़", "रातोंरात नंगे होते हैं", "सूई की नोक जैसे सन्नाटे में", "जली हुई धरती करवट लेती है", "और एक विशाल चक्के की तरह घूमता है आसमान", "जिसे तुम्हारे पूर्वज लाए थे यहाँ तक", "वह पहाड़ दुख की तरह टूटता आता है हर साल", "सारे वर्ष सारी सदियाँ", "बर्फ़ की तरह जमती जाती हैं निःस्वप्न आँखों में", "तुम्हारी आत्मा में", "चूल्हों के पास पारिवारिक अंधकार में", "बिखरे हैं तुम्हारे लाचार शब्द", "अकाल में बटोरे गए दानों जैसे शब्द", "दूर एक लालटेन जलती है पहाड़ पर", "एक तेज़ आँख की तरह", "टिमटिमाती धीरे-धीरे आग बनती हुई", "देखो अपने गिरवी रखे हुए खेत", "बिलखती स्त्रियों के उतारे गए गहने", "देखो भूख से बाढ़ से महामारी से मरे हुए", "सारे लोग उभर आए हैं चट्टानों से", "दोनों हाथों से बेशुमार बर्फ़ झाड़कर", "अपनी भूख को देखो", "जो एक मुस्तैद पंजे में बदल रही है", "जंगल से लगातार एक दहाड़ आ रही है", "और इच्छाएँ दाँत पैने कर रही हैं", "पत्थरों पर।", "jangal mein aurten hain", "lakaDiyon ke gatthar ke niche behosh", "jangal mein bachche hain", "asamay dafnaye jate hae", "jangal mein nange pair chalte buDhe hain", "Darte khanste ant mein ghayab ho jate hue", "jangal mein lagatar kulhaDiyan chal rahi hain", "jangal mein soya hai rakt", "dhoop mein tapti hui chattanon ke pichhe", "warshon ke artanad hain", "aur thoDi si ghas hai bahut prachin", "pani mein hilti hui", "agle mausam ke jabDe tak pahunchte peD", "ratonrat nange hote hain", "sui ki nok jaise sannate mein", "jali hui dharti karwat leti hai", "aur ek wishal chakke ki tarah ghumta hai asman", "jise tumhare purwaj laye the yahan tak", "wo pahaD dukh ki tarah tutta aata hai har sal", "sare warsh sari sadiyan", "barf ki tarah jamti jati hain niःswapn ankhon mein", "tumhari aatma mein", "chulhon ke pas pariwarik andhkar mein", "bikhre hain tumhare lachar shabd", "akal mein batore gaye danon jaise shabd", "door ek lalten jalti hai pahaD par", "ek tez ankh ki tarah", "timtimati dhire dhire aag banti hui", "dekho apne girwi rakhe hue khet", "bilakhti striyon ke utare gaye gahne", "dekho bhookh se baDh se mahamari se mare hue", "sare log ubhar aaye hain chattanon se", "donon hathon se beshumar barf jhaDkar", "apni bhookh ko dekho", "jo ek mustaid panje mein badal rahi hai", "jangal se lagatar ek dahaD aa rahi hai", "aur ichhayen dant paine kar rahi hain", "patthron par", "jangal mein aurten hain", "lakaDiyon ke gatthar ke niche behosh", "jangal mein bachche hain", "asamay dafnaye jate hae", "jangal mein nange pair chalte buDhe hain", "Darte khanste ant mein ghayab ho jate hue", "jangal mein lagatar kulhaDiyan chal rahi hain", "jangal mein soya hai rakt", "dhoop mein tapti hui chattanon ke pichhe", "warshon ke artanad hain", "aur thoDi si ghas hai bahut prachin", "pani mein hilti hui", "agle mausam ke jabDe tak pahunchte peD", "ratonrat nange hote hain", "sui ki nok jaise sannate mein", "jali hui dharti karwat leti hai", "aur ek wishal chakke ki tarah ghumta hai asman", "jise tumhare purwaj laye the yahan tak", "wo pahaD dukh ki tarah tutta aata hai har sal", "sare warsh sari sadiyan", "barf ki tarah jamti jati hain niःswapn ankhon mein", "tumhari aatma mein", "chulhon ke pas pariwarik andhkar mein", "bikhre hain tumhare lachar shabd", "akal mein batore gaye danon jaise shabd", "door ek lalten jalti hai pahaD par", "ek tez ankh ki tarah", "timtimati dhire dhire aag banti hui", "dekho apne girwi rakhe hue khet", "bilakhti striyon ke utare gaye gahne", "dekho bhookh se baDh se mahamari se mare hue", "sare log ubhar aaye hain chattanon se", "donon hathon se beshumar barf jhaDkar", "apni bhookh ko dekho", "jo ek mustaid panje mein badal rahi hai", "jangal se lagatar ek dahaD aa rahi hai", "aur ichhayen dant paine kar rahi hain", "patthron par", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
सतपुड़ा के जंगल - कविता | हिन्दवी
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[ "सतपुड़ा के घने जंगल", "नींद में डूबे हुए-से,", "ऊँघते अनमने जंगल।", "झाड़ ऊँचे और नीचे", "चुप खड़े हैं आँख भींचे;", "घास चुप है, काश चुप है", "मूक शाल, पलाश चुप है;", "बन सके तो धँसो इनमें,", "धँस न पाती हवा जिनमें,", "सतपुड़ा के घने जंगल", "नींद में डूबे हुए-से", "ऊँघते अनमने जंगल।", "सड़े पत्ते, गले पत्ते,", "हरे पत्ते, जले पत्ते,", "वन्य पथ को ढँक रहे-से", "पंक दल में पले पत्ते,", "चलो इन पर चल सको तो,", "दलो इनको दल सको तो,", "ये घिनौने-घने जंगल,", "नींद में डूबे हुए-से", "ऊँघते अनमने जंगल।", "अटपटी उलझी लताएँ,", "डालियों को खींच खाएँ,", "पैरों को पकड़ें अचानक,", "प्राण को कस लें कपाएँ,", "साँप-सी काली लताएँ", "बला की पाली लताएँ,", "लताओं के बने जंगल,", "नींद में डूबे हुए-से", "ऊँघते अनमने जंगल।", "मकड़ियों के जाल मुँह पर,", "और सिर के बाल मुँह पर,", "मच्छरों के दंश वाले,", "दाग़ काले-लाल मुँह पर,", "बात झंझा वहन करते,", "चलो इतना सहन करते,", "कष्ट से ये सने जंगल,", "नींद मे डूबे हुए-से", "ऊँघते अनमने जंगल।", "अजगरों से भरे जंगल", "अगम, गति से परे जंगल,", "सात-सात पहाड़ वाले,", "बड़े-छोटे झाड़ वाले,", "शेर वाले बाघ वाले,", "गरज और दहाड़ वाले,", "कंप से कनकने जंगल,", "नींद मे डूबे हुए-से", "ऊँघते अनमने जंगल।", "इन वनों के ख़ूब भीतर,", "चार मुर्ग़े, चार तीतर,", "पाल कर निश्चिंत बैठे,", "विजन वन के बीच बैठे,", "झोंपड़ी पर फूस डाले", "गोंड तगड़े और काले", "जब कि होली पास आती,", "सरसराती घास गाती,", "और महुए से लपकती,", "मत्त करती बास आती,", "गूँज उठते ढोल इनके,", "गीत इनके गोल इनके।", "सतपुड़ा के घने जंगल", "नींद मे डूबे हुए-से", "ऊँघते अनमने जंगल।", "जगते अँगड़ाइयों में,", "खोह खड्डों खाइयों में", "घास पागल, काश पागल,", "शाल और पलाश पागल,", "लता पागल, वात पागल,", "डाल पागल, पात पागल,", "मत्त मुर्ग़े और तीतर,", "इन वनों के ख़ूब भीतर।", "क्षितिज तक फैला हुआ-सा,", "मृत्यु तक मैला हुआ-सा", "क्षुब्ध काली लहर वाला,", "मथित, उत्थित ज़हर वाला,", "मेरु वाला, शेष वाला,", "शंभु और सुरेश वाला,", "एक सागर जानते हो?", "ठीक वैसे घने जंगल,", "नींद मे डूबे हुए-से", "ऊँघते अनमने जंगल।", "धँसो इनमें डर नहीं है,", "मौत का यह घर नहीं है,", "उतर कर बहते अनेकों,", "कल-कथा कहते अनेकों,", "नदी, निर्झर और नाले,", "इन वनों ने गोद पाले,", "लाख पंछी, सौ हिरन-दल,", "चाँद के कितने किरन दल,", "झूमते बनफूल, फलियाँ,", "खिल रहीं अज्ञात कलियाँ,", "हरित दूर्वा, रक्त किसलय,", "पूत, पावन, पूर्ण रसमय,", "सतपुड़ा के घने जंगल", "लताओं के बने जंगल।", "satapuDa ke ghane jangal", "neend mein Dube hue se,", "unghte anamne jangal", "jhaD unche aur niche", "chup khaDe hain ankh bhinche;", "ghas chup hai, kash chup hai", "mook shaal, palash chup hai;", "ban sake to dhanso inmen,", "dhans na pati hawa jinmen,", "satapuDa ke ghane jangal", "neend mein Dube hue se", "unghte anamne jangal", "saDe patte, gale patte,", "hare patte, jale patte,", "wany path ko Dhank rahe se", "pank dal mein play patte,", "chalo in par chal sako to,", "dalo inko dal sako to,", "ye ghinaune ghane jangal,", "neend mein Dube hue se", "unghte anamne jangal", "atapti uljhi latayen,", "Daliyon ko kheench khayen,", "pairon ko pakDen achanak,", "paran ko kas len kapayen,", "sanp si kali latayen", "bala ki pali latayen,", "lataon ke bane jangal,", "neend mein Dube hue se", "unghte anamne jangal", "makaDiyon ke jal munh par,", "aur sir ke baal munh par,", "machchhron ke dansh wale,", "dagh kale lal munh par,", "baat jhanjha wahn karte,", "chalo itna sahn karte,", "kasht se ye sane jangal,", "neend mae Dube hue se", "unghte anamne jangal", "ajagron se bhare jangal", "agam, gati se pare jangal,", "sat sat pahaD wale,", "baDe chhote jhaD wale,", "sher wale bagh wale,", "garaj aur dahaD wale,", "kamp se kanakne jangal,", "neend mae Dube hue se", "unghte anamne jangal", "in wanon ke khoob bhitar,", "chaar murghe, chaar titar,", "pal kar nishchint baithe,", "wijan wan ke beech baithe,", "jhopDi par phoos Dale", "gonD tagDe aur kale", "jab ki holi pas aati,", "sarsarati ghas gati,", "aur mahuwe se lapakti,", "matt karti bas aati,", "goonj uthte Dhol inke,", "geet inke gol inke", "satapuDa ke ghane jangal", "neend mae Dube hue se", "unghte anamne jangal", "jagte angaDaiyon mein,", "khoh khaDDon khaiyon mein", "ghas pagal, kash pagal,", "shaal aur palash pagal,", "lata pagal, wat pagal,", "Dal pagal, pat pagal,", "matt murghe aur titar,", "in wanon ke khoob bhitar", "kshaitij tak phaila hua sa,", "mirtyu tak maila hua sa", "kshaubdh kali lahr wala,", "mathit, utthit zahr wala,", "meru wala, shesh wala,", "shambhu aur suresh wala,", "ek sagar jante ho?", "theek waise ghane jangal,", "neend mae Dube hue se", "unghte anamne jangal", "dhanso inmen Dar nahin hai,", "maut ka ye ghar nahin hai,", "utar kar bahte anekon,", "kal katha kahte anekon,", "nadi, nirjhar aur nale,", "in wanon ne god pale,", "lakh panchhi, sau hiran dal,", "chand ke kitne kiran dal,", "jhumte banphul, phaliyan,", "khil rahin agyat kaliyan,", "harit durwa, rakt kislay,", "poot, pawan, poorn rasmay,", "satapuDa ke ghane jangal", "lataon ke bane jangal", "satapuDa ke ghane jangal", "neend mein Dube hue se,", "unghte anamne jangal", "jhaD unche aur niche", "chup khaDe hain ankh bhinche;", "ghas chup hai, kash chup hai", "mook shaal, palash chup hai;", "ban sake to dhanso inmen,", "dhans na pati hawa jinmen,", "satapuDa ke ghane jangal", "neend mein Dube hue se", "unghte anamne jangal", "saDe patte, gale patte,", "hare patte, jale patte,", "wany path ko Dhank rahe se", "pank dal mein play patte,", "chalo in par chal sako to,", "dalo inko dal sako to,", "ye ghinaune ghane jangal,", "neend mein Dube hue se", "unghte anamne jangal", "atapti uljhi latayen,", "Daliyon ko kheench khayen,", "pairon ko pakDen achanak,", "paran ko kas len kapayen,", "sanp si kali latayen", "bala ki pali latayen,", "lataon ke bane jangal,", "neend mein Dube hue se", "unghte anamne jangal", "makaDiyon ke jal munh par,", "aur sir ke baal munh par,", "machchhron ke dansh wale,", "dagh kale lal munh par,", "baat jhanjha wahn karte,", "chalo itna sahn karte,", "kasht se ye sane jangal,", "neend mae Dube hue se", "unghte anamne jangal", "ajagron se bhare jangal", "agam, gati se pare jangal,", "sat sat pahaD wale,", "baDe chhote jhaD wale,", "sher wale bagh wale,", "garaj aur dahaD wale,", "kamp se kanakne jangal,", "neend mae Dube hue se", "unghte anamne jangal", "in wanon ke khoob bhitar,", "chaar murghe, chaar titar,", "pal kar nishchint baithe,", "wijan wan ke beech baithe,", "jhopDi par phoos Dale", "gonD tagDe aur kale", "jab ki holi pas aati,", "sarsarati ghas gati,", "aur mahuwe se lapakti,", "matt karti bas aati,", "goonj uthte Dhol inke,", "geet inke gol inke", "satapuDa ke ghane jangal", "neend mae Dube hue se", "unghte anamne jangal", "jagte angaDaiyon mein,", "khoh khaDDon khaiyon mein", "ghas pagal, kash pagal,", "shaal aur palash pagal,", "lata pagal, wat pagal,", "Dal pagal, pat pagal,", "matt murghe aur titar,", "in wanon ke khoob bhitar", "kshaitij tak phaila hua sa,", "mirtyu tak maila hua sa", "kshaubdh kali lahr wala,", "mathit, utthit zahr wala,", "meru wala, shesh wala,", "shambhu aur suresh wala,", "ek sagar jante ho?", "theek waise ghane jangal,", "neend mae Dube hue se", 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जंगल - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/jangal-lakshminarayan-payodhi-kavita?sort=
[ "प्रसतुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा सातवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है।", "बादलों का प्यार जंगल", "आदमी का यार जंगल", "फूल-फल देता सभी कुछ", "कर रहा उपकार जंगल", "मूक है, सहता इसी से", "दुश्मनों के वार जंगल", "जब कभी टेसू खिले तो", "दहकता अंगार जंगल", "कारख़ानों के धुएँ से", "पड़ गया बीमार जंगल", "इस तरह कटता रहा तो", "जाएगा बन थार जंगल", "आदमी की पाशविकता", "भोगने को तैयार जंगल।", "badlon ka pyaar jangal", "adami ka yaar jangal", "phool phal deta sabhi kuch", "kar raha upkaar jangal", "mook hai, sahta isi se", "dushmnon ke vaar jangal", "jab kabhi tesu khile to", "dahakta angar jangal", "karkhanon ke dhuen se", "paD gaya bimar jangal", "is tarah katta raha to", "jayega ban thaar jangal", "adami ki pashavikta", "bhogne ko taiyar jangal.", "badlon ka pyaar jangal", "adami ka yaar jangal", "phool phal deta sabhi kuch", "kar raha upkaar jangal", "mook hai, sahta isi se", "dushmnon ke vaar jangal", "jab kabhi tesu khile to", "dahakta angar jangal", "karkhanon ke dhuen se", "paD gaya bimar jangal", "is tarah katta raha to", "jayega ban thaar jangal", "adami ki pashavikta", "bhogne ko taiyar jangal.", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
पेड़ों का अंतर्मन - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/pedon-ka-antarman-hemant-deolekar-kavita?sort=
[ "कल मानसून की पहली बरसात हुई", "और आज यह दरवाज़ा ख़ुशी से फूल गया है", "खिड़की दरवाज़े महज़ लकड़ी नहीं हैं", "विस्थापित जंगल होते हैं", "मुझे लगा, मैं पेड़ों के बीच से आता-जाता हूँ,", "टहनियों पर बैठता हूँ", "पेड़ों की खोखल में रहता हूँ किताबें", "मैं, जंगल में घिरा हूँ", "किंवदंतियों में रहने वाला", "आदिम ख़ुशबू से भरा जंगल", "कल मौसम की पहली बारिश हुई", "और आज यह दरवाज़ा", "चौखट में फँसने लगा है", "वह बंद होना नहीं चाहता", "ठीक दरख़्तों की तरह", "एक कटे हुए जिस्म में", "पेड़ का ख़ून फिर दौड़ने लगा है", "और यह दरवाज़ा बचपन की स्मृतियों में खो गया है", "याद आने लगा है", "किस तरह वह बाँहें फैलाकर", "हज़ारों हथेलियों में समेटा करता था", "बारिश को", "और झूमने लगता था", "वह स्मृतियों में फिर हरा हुआ है।", "kal mansun ki pahli barsat hui", "aur aaj ye darwaza khushi se phool gaya hai", "khiDki darwaze mahz lakDi nahin hain", "wisthapit jangal hote hain", "mujhe laga, main peDon ke beech se aata jata hoon,", "tahaniyon par baithta hoon", "peDon ki khokhal mein rahta hoon kitaben", "main, jangal mein ghira hoon", "kinwdantiyon mein rahne wala", "adim khushbu se bhara jangal", "kal mausam ki pahli barish hui", "aur aaj ye darwaza", "chaukhat mein phansne laga hai", "wo band hona nahin chahta", "theek darakhton ki tarah", "ek kate hue jism mein", "peD ka khoon phir dauDne laga hai", "aur ye darwaza bachpan ki smritiyon mein kho gaya hai", "yaad aane laga hai", "kis tarah wo banhen phailakar", "hazaron hatheliyon mein sameta karta tha", "barish ko", "aur jhumne lagta tha", "wo smritiyon mein phir hara hua hai", "kal mansun ki pahli barsat hui", "aur aaj ye darwaza khushi se phool gaya hai", "khiDki darwaze mahz lakDi nahin hain", "wisthapit jangal hote hain", "mujhe laga, main peDon ke beech se aata jata hoon,", "tahaniyon par baithta hoon", "peDon ki khokhal mein rahta hoon kitaben", "main, jangal mein ghira hoon", "kinwdantiyon mein rahne wala", "adim khushbu se bhara jangal", "kal mausam ki pahli barish hui", "aur aaj ye darwaza", "chaukhat mein phansne laga hai", "wo band hona nahin chahta", "theek darakhton ki tarah", "ek kate hue jism mein", "peD ka khoon phir dauDne laga hai", "aur ye darwaza bachpan ki smritiyon mein kho gaya hai", "yaad aane laga hai", "kis tarah wo banhen phailakar", "hazaron hatheliyon mein sameta karta tha", "barish ko", "aur jhumne lagta tha", "wo smritiyon mein phir hara hua hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जंगल का आत्मकथ्य - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/jangal-ka-atmakathy-poonam-vasam-kavita?sort=
[ "इन दिनों मैं किताब नहीं पढ़ रही हूँ", "इन दिनों मैं पढ़ रही हूँ जंगल", "कहानियों में पता लगा रही हूँ पलाश के मुरझा जाने का कारण", "जंगल अपने आत्मकथ्य में लिखता है", "उसकी प्रेमिका का हाथ पकड़कर पतझर ले गया उस ओर", "जिस ओर लगी थी बड़ी भयानक आग", "पृष्ठ संख्या 2020 पर एक जगह जंगल लिखता है", "पानी की तलाश में भटकता हुआ प्यासा हिरन", "उन्हें और स्वादिष्ट लगता है", "जब जंगल की आग में भूनकर", "बित्ता भर रह जाती है उसकी देह", "हिरन क्या जाने ज़रूरी विमर्श क्या है", "हिरन की प्यास, हिरन की मौत या हिरन का गोश्त", "बीच में कहीं जान-माल की हानि का उल्लेख करते हुए लिखा है", "नुक़सान का क्या है वही पुरानी जड़ी-बूटियों का जल कर राख हो जाना", "नई पौध के लिए फल ने कौवों और कोयलों की आँख से बचा रखा था जो कुछ वह सब बाँस के जलते", "कोपलों के साथ", "पट-पट कर शोक गीत गाते हुए विदा ले रहे हैं अब", "कैसी तो प्रजातियाँ थी गहरे हरे कुएँ में धँसी", "जिनकी देह में 'एक सभ्यता' की अंतिम पंक्तियाँ लिखने भर की हिचकी बाक़ी है", "बच्चों के लिए लिखते हुए जंगल बड़बड़ाने लगता है", "जंगल में आग लगी दौड़ो-दौड़ो", "भागता वही है जिसके पैर के घावों में जंगल की मिट्टी का का लेप लगा हो", "बच्चों को गाते हुए भीड़ में रेलगाड़ी बनाकर भागना अच्छा लगता है", "बच्चे अभी भी इस गीत को खेलते हुए गाना नहीं भूलते", "बच्चे क्या जाने ज़रूरी विमर्श", "जंगल की आग, जंगल की दौड़ या जंगल की मौत", "पृष्ठ संख्या 2021 के अंत में जंगल ने अपने आत्मकथ्य को व्यवस्थित करते हुए लिखा है", "कि ख़रगोश, उल्लुओं, बाघों और चींटीख़ोर की ख़त्म होती प्रजातियों पर कवियों को लिखनी होगी कविताएँ", "कहानियों में जंगल के चरित्र-चित्रण पर कुछ काम किया जा सकता है", "बीज, मिट्टी, फल-फूल, हवा और पानी का अपना भी सृष्टि-विमर्श होता है", "अंतिम पृष्ठ पर बस यही लिखा था", "कि जब कभी लौटकर आना चाहे जंगल के बाशिंदे अपनी जगह", "तो उन्हें निराश मत होने देना", "यह लैपटॉप की स्क्रीन पर लगी आग नहीं है", "यहाँ सचमुच जंगल में आग लगी है दौड़ो-दौड़ो!", "in dinon main kitab nahin paDh rahi hoon", "in dinon main paDh rahi hoon jangal", "kahaniyon mein pata laga rahi hoon palash ke murjha jane ka karan", "jangal apne atmakathy mein likhta hai", "uski premika ka hath pakaDkar patjhar le gaya us or", "jis or lagi thi baDi bhayanak aag", "prishth sankhya 2020 par ek jagah jangal likhta hai", "pani ki talash mein bhatakta hua pyasa hiran", "unhen aur swadisht lagta hai", "jab jangal ki aag mein bhunkar", "bitta bhar rah jati hai uski deh", "hiran kya jane zaruri wimarsh kya hai", "hiran ki pyas, hiran ki maut ya hiran ka gosht", "beech mein kahin jaan mal ki hani ka ullekh karte hue likha hai", "nuqsan ka kya hai wahi purani jaDi butiyon ka jal kar rakh ho jana", "nai paudh ke liye phal ne kauwon aur koylon ki ankh se bacha rakha tha jo kuch wo sab bans ke jalte", "koplon ke sath", "pat pat kar shok geet gate hue wida le rahe hain ab", "kaisi to prjatiyan thi gahre hare kuen mein dhansi", "jinki deh mein ek sabhyata ki antim panktiyan likhne bhar ki hichki baqi hai", "bachchon ke liye likhte hue jangal baDbaDane lagta hai", "jangal mein aag lagi dauDo dauDo", "bhagta wahi hai jiske pair ke ghawon mein jangal ki mitti ka ka lep laga ho", "bachchon ko gate hue bheeD mein relgaDi banakar bhagna achchha lagta hai", "bachche abhi bhi is geet ko khelte hue gana nahin bhulte", "bachche kya jane zaruri wimarsh", "jangal ki aag, jangal ki dauD ya jangal ki maut", "prishth sankhya 2021 ke ant mein jangal ne apne atmakathy ko wyawasthit karte hue likha hai", "ki khargosh, ulluon, baghon aur chintikhor ki khatm hoti prjatiyon par kawiyon ko likhni hogi kawitayen", "kahaniyon mein jangal ke charitr chitran par kuch kaam kiya ja sakta hai", "beej, mitti, phal phool, hawa aur pani ka apna bhi sirishti wimarsh hota hai", "antim prishth par bus yahi likha tha", "ki jab kabhi lautkar aana chahe jangal ke bashinde apni jagah", "to unhen nirash mat hone dena", "ye laptop ki screen par lagi aag nahin hai", "yahan sachmuch jangal mein aag lagi hai dauDo dauDo!", "in dinon main kitab nahin paDh rahi hoon", "in dinon main paDh rahi hoon jangal", "kahaniyon mein pata laga rahi hoon palash ke murjha jane ka karan", "jangal apne atmakathy mein likhta hai", "uski premika ka hath pakaDkar patjhar le gaya us or", "jis or lagi thi baDi bhayanak aag", "prishth sankhya 2020 par ek jagah jangal likhta hai", "pani ki talash mein bhatakta hua pyasa hiran", "unhen aur swadisht lagta hai", "jab jangal ki aag mein bhunkar", "bitta bhar rah jati hai uski deh", "hiran kya jane zaruri wimarsh kya hai", "hiran ki pyas, hiran ki maut ya hiran ka gosht", "beech mein kahin jaan mal ki hani ka ullekh karte hue likha hai", "nuqsan ka kya hai wahi purani jaDi butiyon ka jal kar rakh ho jana", "nai paudh ke liye phal ne kauwon aur koylon ki ankh se bacha rakha tha jo kuch wo sab bans ke jalte", "koplon ke sath", "pat pat kar shok geet gate hue wida le rahe hain ab", "kaisi to prjatiyan thi gahre hare kuen mein dhansi", "jinki deh mein ek sabhyata ki antim panktiyan likhne bhar ki hichki baqi hai", "bachchon ke liye likhte hue jangal baDbaDane lagta hai", "jangal mein aag lagi dauDo dauDo", "bhagta wahi hai jiske pair ke ghawon mein jangal ki mitti ka ka lep 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लाल बेर और मोटा नमक - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/lal-ber-aur-mota-namak-vijaya-singh-kavita?sort=
[ "लाल बेर और मोटा नमक सभ्यता के दायरे में नहीं", "उन्हें अब भी डूँगर और रेत पसंद हैं", "कम पानी वाली जगहों और तमाम कच्चे रास्तों पर", "वे अपने आप उग आते हैं", "सिर्फ़ बकरियाँ और ऊँट उन तक पहुँच पाते हैं", "और वे जो स्कूलों में नहीं", "उमस भरी गर्मियों, मेलों और सरकारी स्कूलों के बाहर", "पार्कों के आवारा और बच्चे", "पानी में भीगे लाल बेर और मोटा नमक", "चटखारे ले-लेकर खाते", "आत्मा के उस छोर की ओर लौटते हैं", "जहाँ बीहड़ अब भी ज़िंदा हैं", "कोई नदी इस आमंत्रण पर उफान में आती है", "उसके किनारे गोता लगाना", "स्फिंक्स की प्रतिमा के ठीक नीचे पहुँचना है", "स्फिंक्स की नाक टूटी है और आँखों में दया नहीं", "है तो सिर्फ़ प्रचंड कौतूहल", "उसकी पहेलियाँ अब भी", "उन रास्तों की ओर धकेलती हैं", "जहाँ घर छोड़ते हुए भी,", "घर ही की ओर लौटना है।", "lal ber aur mota namak sabhyata ke dayre mein nahin", "unhen ab bhi Dungar aur ret pasand hain", "kam pani wali jaghon aur tamam kachche raston par", "we apne aap ug aate hain", "sirf bakriyan aur unt un tak pahunch pate hain", "aur we jo skulon mein nahin", "umas bhari garmiyon, melon aur sarkari skulon ke bahar", "parkon ke awara aur bachche", "pani mein bhige lal ber aur mota namak", "chatkhare le lekar khate", "atma ke us chhor ki or lautte hain", "jahan bihaD ab bhi zinda hain", "koi nadi is amantran par uphan mein aati hai", "uske kinare gota lagana", "sphinks ki pratima ke theek niche pahunchna hai", "sphinks ki nak tuti hai aur ankhon mein daya nahin", "hai to sirf prchanD kautuhal", "uski paheliyan ab bhi", "un raston ki or dhakelti hain", "jahan ghar chhoDte hue bhi,", "ghar hi ki or lautna hai", "lal ber aur mota namak sabhyata ke dayre mein nahin", "unhen ab bhi Dungar aur ret pasand hain", "kam pani wali jaghon aur tamam kachche raston par", "we apne aap ug aate hain", "sirf bakriyan aur unt un tak pahunch pate hain", "aur we jo skulon mein nahin", "umas bhari garmiyon, melon aur sarkari skulon ke bahar", "parkon ke awara aur bachche", "pani mein bhige lal ber aur mota namak", "chatkhare le lekar khate", "atma ke us chhor ki or lautte hain", "jahan bihaD ab bhi zinda hain", "koi nadi is amantran par uphan mein aati hai", "uske kinare gota lagana", "sphinks ki pratima ke theek niche pahunchna hai", "sphinks ki nak tuti hai aur ankhon mein daya nahin", "hai to sirf prchanD kautuhal", "uski paheliyan ab bhi", "un raston ki or dhakelti hain", "jahan ghar chhoDte hue bhi,", "ghar hi ki or lautna hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
चिड़िया को - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/chidiya-ko-sumit-tripathi-kavita?sort=
[ "चिड़िया को", "यह गाते सुना", "कि पृथ्वी डूब रही है", "डूबती हुई पृथ्वी का गीत", "चिड़िया के मन में है", "पृथ्वी क्यों चुप है?", "क्या वह", "अपनी मर्ज़ी से डूबती है?", "चिड़िया जो वन में है", "वन जो वनवास में", "डूबने से पहले", "क्या पृथ्वी उन्हें बुलाएगी?", "chiDiya ko", "ye gate suna", "ki prithwi Doob rahi hai", "Dubti hui prithwi ka geet", "chiDiya ke man mein hai", "prithwi kyon chup hai?", "kya wo", "apni marzi se Dubti hai?", "chiDiya jo wan mein hai", "wan jo wanwas mein", "Dubne se pahle", "kya prithwi unhen bulayegi?", "chiDiya ko", "ye gate suna", "ki prithwi Doob rahi hai", "Dubti hui prithwi ka geet", "chiDiya ke man mein hai", "prithwi kyon chup hai?", "kya wo", "apni marzi se Dubti hai?", "chiDiya jo wan mein hai", "wan jo wanwas mein", "Dubne se pahle", "kya prithwi unhen bulayegi?", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
पृष्ठ के पक्ष में - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/prishth-ke-paksh-mein-amitabh-choudhary-kavita-1?sort=
[ "पृष्ठ के पक्ष में", "यदि घास-फूस बचाया जाए", "तो तुम बता सकते हो : पृथ्वी के इतिहास में", "कितना जंगल अलिखित है? जिसमें", "हमारी कीड़े-मकौड़ों की अगणित प्रजातियाँ", "कहीं की नहीं रहीं।—", "शायद तुम्हें पता हो : जंगलों को काटकर", "आदमी की तरह प्यार करने के लिए", "जो नगर बसाए गए हैं; उनमें छेड़छाड़ होती है,", "इसलिए", "सैंकड़ों किताबें होने के उपरांत", "पुस्तकालय से कितने युगल हाथ पकड़कर", "भाग गए हैं!", "prishth ke paksh mein", "yadi ghas phoos bachaya jaye", "to tum bata sakte ho ha prithwi ke itihas mein", "kitna jangal alikhit hai? jismen", "hamari kiDe makauDon ki agnit prjatiyan", "kahin ki nahin rahin —", "shayad tumhein pata ho ha janglon ko katkar", "adami ki tarah pyar karne ke liye", "jo nagar basaye gaye hain; unmen chheDchhaD hoti hai,", "isliye", "sainkDon kitaben hone ke uprant", "pustakalaya se kitne yugal hath pakaDkar", "bhag gaye hain!", "prishth ke paksh mein", "yadi ghas phoos bachaya jaye", "to tum bata sakte ho ha prithwi ke itihas mein", "kitna jangal alikhit hai? jismen", "hamari kiDe makauDon ki agnit prjatiyan", "kahin ki nahin rahin —", "shayad tumhein pata ho ha janglon ko katkar", "adami ki tarah pyar karne ke liye", "jo nagar basaye gaye hain; unmen chheDchhaD hoti hai,", "isliye", "sainkDon kitaben hone ke uprant", "pustakalaya se kitne yugal hath pakaDkar", "bhag gaye hain!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
हँसी-ख़ुशी - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/hansi-khushi-shailendra-sahu-kavita?sort=
[ "एकइतनी ख़ुशी थीकि होंठ मुस्कुरा कर फैलते हुएचेहरे से बाहर नहीं निकल जाते थेबस यही ग़नीमत।दोहँसते-हँसतेगुब्बारे का दम फूल गयाइतनी ख़ुशी थीकि फूलते-फूलतेगुब्बारा फट पड़ा।तीनजंगल तो बस अब कहने भर को थाफिर भीजब भी कहीं कोई नया अंकुर फूटतातब पूरा जंगलहर हर हर करके हरहराता थाइतनी ख़ुशी थी।", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जंगल को वसंत में बदलते हुए - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/jangal-ko-wasant-mein-badalte-hue-neelabh-kavita?sort=
[ "मैं अब याद नहीं करना चाहता", "वे सारे काम", "जो मुझे करने थे", "जो मैंने नहीं किए", "इस अफरा-तफरी में", "भाग-दौड़ में", "हाँफते-काँपते", "नसों को तारों की तरह अंतहीन खींचते", "मैं अब याद नहीं करना चाहता", "वे सारे नाम", "जो मुझे याद थे", "जिन्हें मैं भूल गया हूँ", "नए नामों की क़तार में डूबते-उतराते", "याद नहीं करना चाहता मैं अब", "कुछ भी", "अकर्मण्यता में डूब कर", "अवकाश-प्राप्त बूढ़ों की तरह", "देखो,", "नए कल्ले फूट रहे हैं", "मेरे खुरदरे जिस्म पर", "अपनी उपस्थिति से", "जंगल को वसंत में बदलते हुए,", "उनकी हरी-हरी आँखों में एक दृढ़ता है", "और दिनों-दिन मज़बूत होती बाँहों में संकल्प।", "main ab yaad nahin karna chahta", "we sare kaam", "jo mujhe karne the", "jo mainne nahin kiye", "is aphra taphri mein", "bhag dauD mein", "hanphate kanpte", "nason ko taron ki tarah anthin khinchte", "main ab yaad nahin karna chahta", "we sare nam", "jo mujhe yaad the", "jinhen main bhool gaya hoon", "nae namon ki qatar mein Dubte utrate", "yaad nahin karna chahta main ab", "kuch bhi", "akarmanyta mein Doob kar", "awkash prapt buDhon ki tarah", "dekho,", "nae kalle phoot rahe hain", "mere khuradre jism par", "apni upasthiti se", "jangal ko wasant mein badalte hue,", "unki hari hari ankhon mein ek driDhta hai", "aur dinon din mazbut hoti banhon mein sankalp", "main ab yaad nahin karna chahta", "we sare kaam", "jo mujhe karne the", "jo mainne nahin kiye", "is aphra taphri mein", "bhag dauD mein", "hanphate kanpte", "nason ko taron ki tarah anthin khinchte", "main ab yaad nahin karna chahta", "we sare nam", "jo mujhe yaad the", "jinhen main bhool gaya hoon", "nae namon ki qatar mein Dubte utrate", "yaad nahin karna chahta main ab", "kuch bhi", "akarmanyta mein Doob kar", "awkash prapt buDhon ki tarah", "dekho,", "nae kalle phoot rahe hain", "mere khuradre jism par", "apni upasthiti se", "jangal ko wasant mein badalte hue,", "unki hari hari ankhon mein ek driDhta hai", "aur dinon din mazbut hoti banhon mein sankalp", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
वह चिड़िया जो - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/wo-chidiya-jo-kedarnath-agarwal-kavita?sort=
[ "प्रसतुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा छठी के पाठ्यक्रम में शामिल है।", "वह चिड़िया जो—", "चोंच मारकर", "दूध-भरे जुंडी के दाने", "रुचि से, रस से खा लेती है", "वह छोटी संतोषी चिड़िया", "नीले पंखोंवाली मैं हूँ", "मुझे अन्न से बहुत प्यार है।", "वह चिड़िया जो—", "कंठ खोलकर", "बूढ़े वन-बाबा की ख़ातिर", "रस उँडेलकर गा लेती है", "वह छोटी मुँह बोली चिड़िया", "नीले पंखोंवाली मैं हूँ", "मुझे विजन से बहुत प्यार है।", "वह चिड़िया जो—", "चोंच मारकर", "चढ़ी नदी का दिल टटोलकर", "जल का मोती ले जाती है", "वह छोटी गरबीली चिड़िया", "नीले पंखोंवाली मैं हूँ", "मुझे नदी से बहुत प्यार है।", "chonch markar", "doodh bhare junDi ke dane", "ruchi se, ras se kha leti hai", "wo chhotabh santoshi chiDiya", "nile pankhonwali main hoon", "mujhe ann se bahut pyar hai", "wo chiDiya jo—", "kanth kholkar", "buDhe wan baba ki khatir", "ras unDelakar ga leti hai", "wo chhoti munh boli chiDiya", "nile pankhonwali main hoon", "mujhe wision se bahut pyar hai", "wo chiDiya jo—", "chonch markar", "chaDhi nadi ka dil tatolkar", "jal ka moti le jati hai", "wo chhoti garbili chiDiya", "nile pankhonwali main hoon", "mujhe nadi se bahut pyar hai", "chonch markar", "doodh bhare junDi ke dane", "ruchi se, ras se kha leti hai", "wo chhotabh santoshi chiDiya", "nile pankhonwali main hoon", "mujhe ann se bahut pyar hai", "wo chiDiya jo—", "kanth kholkar", "buDhe wan baba ki khatir", "ras unDelakar ga leti hai", "wo chhoti munh boli chiDiya", "nile pankhonwali main hoon", "mujhe wision se bahut pyar hai", "wo chiDiya jo—", "chonch markar", "chaDhi nadi ka dil tatolkar", "jal ka moti le jati hai", "wo chhoti garbili chiDiya", "nile pankhonwali main hoon", "mujhe nadi se bahut pyar hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
युवा जंगल - कविता | हिन्दवी
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[ "एक युवा जंगल मुझे,", "अपनी हरी उँगलियों से बुलाता है।", "मेरी शिराओं में हरा रक्त बहने लगा है,", "आँखों में हरी परछाइयाँ फिसलती हैं,", "कंधों पर एक हरा आकाश ठहरा है,", "होंठ मेरे एक हरे गान में काँपते हैं :", "मैं नहीं हूँ और कुछ", "बस एक हरा पेड़ हूँ", "—हरी पत्तियों की एक दीप्त रचना!", "ओ जंगल युवा,", "बुलाते हो", "आता हूँ,", "एक हरे वसंत में डूबा हुआ", "आऽ ताऽ हूँ—", "ek yuwa jangal mujhe,", "apni hari ungliyon se bulata hai", "meri shiraon mein hara rakt bahne laga hai,", "ankhon mein hari parchhaiyan phisalti hain,", "kandhon par ek hara akash thahra hai,", "honth mere ek hare gan mein kanpte hain ha", "main nahin hoon aur kuch", "bus ek hara peD hoon", "—hari pattiyon ki ek deept rachna!", "o jangal yuwa,", "bulate ho", "ata hoon,", "ek hare wasant mein Duba hua", "aऽ taऽ hoon—", "ek yuwa jangal mujhe,", "apni hari ungliyon se bulata hai", "meri shiraon mein hara rakt bahne laga hai,", "ankhon mein hari parchhaiyan phisalti hain,", "kandhon par ek hara akash thahra hai,", "honth mere ek hare gan mein kanpte hain ha", "main nahin hoon aur kuch", "bus ek hara peD hoon", "—hari pattiyon ki ek deept rachna!", "o jangal yuwa,", "bulate ho", "ata hoon,", "ek hare wasant mein Duba hua", "aऽ taऽ hoon—", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जंगल की कविता - कविता | हिन्दवी
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[ "मैंने तो पहले ही कहा था", "जंगल में नहीं जाना", "जंगल तुम झेल नहीं पाओगे", "तुम नामवालों की दुनिया में उपजे हो", "जंगल में सब कुछ निर्नाम है", "पत्र तो आते हैं ढेर-ढेर", "पर कोई पेड़ यह नहीं कहता", "मैं पत्रकार हूँ फलाँ पेड़ पंडित", "फलाँ मुसलमान है।", "तुम शहरी ज़हर के आदी हो", "जंगल को सिर्फ़ प्राण-वायु", "बिखेरना आता है", "कोई हड़ताल नहीं होती मधुछत्तों पर", "प्रेम खुलेआम होता है।", "अलग-अलग मौसम में लिखते हैं", "अलग-अलग कविताएँ—फूल", "मगर ऐसी कोई घोषणा", "होती नहीं जंगल में", "यह कविता सादी है", "यह संस्कृत", "यह कविता शुद्ध जनवादी है", "और तो और", "वहाँ जलन नहीं होती करील को", "ऊँचाई देखकर सागवान की", "सरपत पी जाता है आँधी", "शंकु गिरता धड़ाम से", "रुकती नहीं झमकार तब भी झिल्ली की", "खेल चलता नि:शोक", "खेल तुम खेल नहीं पाओगे", "तुम जंगल झेल नहीं पाओगे", "mainne to pahle hi kaha tha", "jangal mein nahin jana", "jangal tum jhel nahin paoge", "tum namwalon ki duniya mein upje ho", "jangal mein sab kuch nirnam hai", "patr to aate hain Dher Dher", "par koi peD ye nahin kahta", "main patrakar hoon phalan peD panDit", "phalan musalman hai", "tum shahri zahr ke aadi ho", "jangal ko sirf paran wayu", "bikherna aata hai", "koi haDtal nahin hoti madhuchhatton par", "prem khuleam hota hai", "alag alag mausam mein likhte hain", "alag alag kawitayen—phul", "magar aisi koi ghoshana", "hoti nahin jangal mein", "ye kawita sadi hai", "ye sanskrit", "ye kawita shuddh janwadi hai", "aur to aur", "wahan jalan nahin hoti karil ko", "unchai dekhkar sagwan ki", "sarpat pi jata hai andhi", "shanku girta dhaDam se", "rukti nahin jhamkar tab bhi jhilli ki", "khel chalta nihshok", "khel tum khel nahin paoge", "tum jangal jhel nahin paoge", "mainne to pahle hi kaha tha", "jangal mein nahin jana", "jangal tum jhel nahin paoge", "tum namwalon ki duniya mein upje ho", "jangal mein sab kuch nirnam hai", "patr to aate hain Dher Dher", "par koi peD ye nahin kahta", "main patrakar hoon phalan peD panDit", "phalan musalman hai", "tum shahri zahr ke aadi ho", "jangal ko sirf paran wayu", "bikherna aata hai", "koi haDtal nahin hoti madhuchhatton par", "prem khuleam hota hai", "alag alag mausam mein likhte hain", "alag alag kawitayen—phul", "magar aisi koi ghoshana", "hoti nahin jangal mein", "ye kawita sadi hai", "ye sanskrit", "ye kawita shuddh janwadi hai", "aur to aur", "wahan jalan nahin hoti karil ko", "unchai dekhkar sagwan ki", "sarpat pi jata hai andhi", "shanku girta dhaDam se", "rukti nahin jhamkar tab bhi jhilli ki", "khel chalta nihshok", "khel tum khel nahin paoge", "tum jangal jhel nahin paoge", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जंगल का राजा - कविता | हिन्दवी
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[ "हममें से बहुत लोग नहीं जानते", "कि शेर अपने जंगल के बियाबान में कैसे रहता है", "शेर वहाँ हमेशा दम साधे खड़ा रहता है", "क्योंकि शेर बने रहने के लिए", "ज़रूरी है कि वह सबको नज़र में रखे", "पर ख़ुद किसी को नज़र न आए", "फिर भी उसके वहाँ होने का एहसास सबको होता रहे", "और ऐसी बेहिसाब गणनाएँ करनी होती हैं उसे", "अपने रहने की जगह तय करने में", "और इस तरह बे-हिसाब ऊर्जा लग जाती है", "एक शेर को शेर बने रहने में", "शेर बने रहना, यानी आँखों में हर पल ख़ून उतारे रखना", "शेर बने रहना, यानी कंधों की पेशियों को", "पेड़ की जड़ों की तरह जकड़े रखना", "शेर बने रहना, यानी गर्दन की नसों को", "पुल के तारों की तरह ताने रखना", "क्योंकि शेर बने रहना, यानी ज़रूरत से ज़्यादा जगह घेरे रखना", "और लगातार अपने सरमाये पर नज़र गड़ाए रखना", "और लगातार अपने बियाबानों की सीमाएँ फैलाना", "शेर बने रहना यानी शेर ही बने रहना", "जो कि राजा होता है जंगल का", "या किसी भी पब्लिक प्लेस का", "जहाँ रहना उसे पसंद है...", "और जल्दी ही जहाँ वह एक जंगल बना देता है", "सोचो ऐसे में कहाँ वह हमेशा एक शेर बने रह पाता होगा?", "जब-जब कोई पुराना शेर चुकने लगता होगा", "तब-तब कोई नया शेर उगने लगता होगा", "इस आदमी को बचाओ", "सड़क के किनारे पड़ा हुआ", "यह जो धूल में लथपथ आदमी है", "जिसके होंठों से गाढ़ी लाल धारी बह रही है", "इस आदमी को बचाओ!", "इस आदमी की यादों में पसीने की बूँदें हैं", "इस आदमी के ख़्वाबों में मिट्टी के ढेले हैं", "आँखों में तैर रही दहशत की कथाएँ", "यह आदमी अभी ज़िंदा है", "इस आदमी को बचाओ!", "इस आदमी को बचाओ", "कि इस आदमी में इस धूसर धरती का", "आख़िरी हरा है", "इस आदमी को बचाओ", "कि इस आदमी में हारे हुए आदमी का", "आख़िरी सपना है", "कि यही है वह आख़िरी आदमी जिस पर", "छल और फरेब का", "कोई रंग नहीं चढ़ा है", "देखो, इस आदमी की", "कनपटियों के पास एक नस बहुत तेज़ी से फड़क रही है", "पसलियाँ भले चटक गई हों", "उनके पीछे एक दिल अभी भी बड़े ईमान से धड़क रहा है", "ग़ौर से देखो,", "अपनी उँगलियों पर महसूस करो", "उसकी साँसें", "भले ही उखड़ गए हों कंधे", "हो चुकी हों नाकारा बाँहें", "बेतरह कुचल दिए गए हों इसके पैर", "तुम अपने हाथों से टटोल कर देखो", "कि इस आदमी की रीढ़ अभी भी पुख़्ता है", "यह आदमी अभी भी ज़िंदा है", "इस आदमी को बचाओ!", "इस आदमी को बचाओ!", "hammen se bahut log nahin jante", "ki sher apne jangal ke biyaban mein kaise rahta hai", "sher wahan hamesha dam sadhe khaDa rahta hai", "kyonki sher bane rahne ke liye", "zaruri hai ki wo sabko nazar mein rakhe", "par khu kisi ko nazar na aaye", "phir bhi uske wahan hone ka ehsas sabko hota rahe", "aur aisi behisab gannayen karni hoti hain use", "apne rahne ki jagah tay karne mein", "aur is tarah be hisab urja lag jati hai", "ek sher ko sher bane rahne mein", "sher bane rahna, yani ankhon mein har pal khoon utare rakhna", "sher bane rahna, yani kandhon ki peshiyon ko", "peD ki jaDon ki tarah jakDe rakhna", "sher bane rahna, yani gardan ki nason ko", "pul ke taron ki tarah tane rakhna", "kyonki sher bane rahna, yani zarurat se zyada jagah ghere rakhna", "aur lagatar apne sarmaye par nazar gaDaye rakhna", "aur lagatar apne biyabanon ki simayen phailana", "sher bane rahna yani sher hi bane rahna", "jo ki raja hota hai jangal ka", "ya kisi bhi public ples ka", "jahan rahna use pasand hai", "aur jaldi hi jahan wo ek jangal bana deta hai", "socho aise mein kahan wo hamesha ek sher bane rah pata hoga?", "jab jab koi purana sher chukne lagta hoga", "tab tab koi naya sher ugne lagta hoga", "is adami ko bachao", "saDak ke kinare paDa hua", "ye jo dhool mein lathpath adami hai", "jiske honthon se gaDhi lal dhari bah rahi hai", "is adami ko bachao!", "is adami ki yadon mein pasine ki bunden hain", "is adami ke khwabon mein mitti ke Dhele hain", "ankhon mein tair rahi dahshat ki kathayen", "ye adami abhi zinda hai", "is adami ko bachao!", "is adami ko bachao", "ki is adami mein is dhusar dharti ka", "akhiri hara hai", "is adami ko bachao", "ki is adami mein hare hue adami ka", "akhiri sapna hai", "ki yahi hai wo akhiri adami jis par", "chhal aur phareb ka", "koi rang nahin chaDha hai", "dekho, is adami ki", "kanpatiyon ke pas ek nas bahut tezi se phaDak rahi hai", "pasaliyan bhale chatak gai hon", "unke pichhe ek dil abhi bhi baDe iman se dhaDak raha hai", "ghaur se dekho,", "apni ungliyon par mahsus karo", "uski sansen", "bhale hi ukhaD gaye hon kandhe", "ho chuki hon nakara banhen", "betarah kuchal diye gaye hon iske pair", "tum apne hathon se tatol kar dekho", "ki is adami ki reeDh abhi bhi pukhta hai", "ye adami abhi bhi zinda hai", "is adami ko bachao!", "is adami ko bachao!", "hammen se bahut log nahin jante", "ki sher apne jangal ke biyaban mein kaise rahta hai", "sher wahan hamesha dam sadhe khaDa rahta hai", "kyonki sher bane rahne ke liye", "zaruri hai ki wo sabko nazar mein rakhe", "par khu kisi ko nazar na aaye", "phir bhi uske wahan hone ka ehsas sabko hota rahe", "aur aisi behisab gannayen karni hoti hain use", "apne rahne ki jagah tay karne mein", "aur is tarah be hisab urja lag jati hai", "ek sher ko sher bane rahne mein", "sher bane rahna, yani ankhon mein har pal khoon utare rakhna", "sher bane rahna, yani kandhon ki peshiyon ko", "peD ki jaDon ki tarah jakDe rakhna", "sher bane rahna, yani gardan ki nason ko", "pul ke taron ki tarah tane rakhna", "kyonki sher bane rahna, yani zarurat se zyada jagah ghere rakhna", "aur lagatar apne sarmaye par nazar gaDaye rakhna", "aur lagatar apne biyabanon ki simayen phailana", "sher bane rahna yani sher hi bane rahna", "jo ki raja hota hai jangal ka", "ya kisi bhi public ples ka", "jahan rahna use pasand hai", "aur jaldi hi jahan wo ek jangal bana deta hai", "socho aise mein kahan wo hamesha ek sher bane rah pata hoga?", "jab jab koi purana sher chukne lagta hoga", "tab tab koi naya sher ugne lagta hoga", "is adami ko bachao", "saDak ke kinare paDa hua", "ye jo dhool mein lathpath adami hai", "jiske honthon se gaDhi lal dhari bah rahi hai", "is adami ko bachao!", "is adami ki yadon mein pasine ki bunden hain", "is adami ke khwabon mein mitti ke Dhele hain", "ankhon mein tair rahi dahshat ki kathayen", "ye adami abhi zinda hai", "is adami ko bachao!", "is adami ko bachao", "ki is adami mein is dhusar dharti ka", "akhiri hara hai", "is adami ko 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उस दिन का जंगल - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/us-din-ka-jangal-leeladhar-jagudi-kavita?sort=
[ "पिछले पतझर में हम कितने रोशन थे जैसे उजाले के दो पेड़", "घास बड़ी होती है तो आपस में दोस्त हो जाती है", "पेड़ बड़े होते हैं तो अकेले हो जाते हैं", "(अपने-आपमें उलझे हुए)", "पुराने पेड़ों के सान्निध्य में चिड़ियों के घोंसले थे", "पुराने पानी में नए पानी के घुसने का शोर था", "आसमान थोड़े-से बादलों के पीछे पूरा छिपा हुआ था", "और हम दो पेजों की तरह चिपके हुए थे", "समय हमारे बीच चाक़ू की तरह नहीं घुसा था", "हमारे चारों और, हज़ारों वर्ष पुराना जंगल था", "देखकर जिसने महसूस किया आने वाला वसंत", "दूर। उस दिन वह ऐसा जगा", "हमारे लावण्य-भरे चेहरे खाकर", "कि रातों-रात अपनी खाल का रंग बदलने लगा।", "pichhle patjhar mein hum kitne roshan the jaise ujale ke do peD", "ghas baDi hoti hai to aapas mein dost ho jati hai", "peD baDe hote hain to akele ho jate hain", "(apne apmen uljhe hue)", "purane peDon ke sannidhy mein chiDiyon ke ghonsle the", "purane pani mein nae pani ke ghusne ka shor tha", "asman thoDe se badlon ke pichhe pura chhipa hua tha", "aur hum do pejon ki tarah chipke hue the", "samay hamare beech chaqu ki tarah nahin ghusa tha", "hamare charon aur, hazaron warsh purana jangal tha", "dekhkar jisne mahsus kiya aane wala wasant", "door us din wo aisa jaga", "hamare lawanya bhare chehre khakar", "ki raton raat apni khaal ka rang badalne laga", "pichhle patjhar mein hum kitne roshan the jaise ujale ke do peD", "ghas baDi hoti hai to aapas mein dost ho jati hai", "peD baDe hote hain to akele ho jate hain", "(apne apmen uljhe hue)", "purane peDon ke sannidhy mein chiDiyon ke ghonsle the", "purane pani mein nae pani ke ghusne ka shor tha", "asman thoDe se badlon ke pichhe pura chhipa hua tha", "aur hum do pejon ki tarah chipke hue the", "samay hamare beech chaqu ki tarah nahin ghusa tha", "hamare charon aur, hazaron warsh purana jangal tha", "dekhkar jisne mahsus kiya aane wala wasant", "door us din wo aisa jaga", "hamare lawanya bhare chehre khakar", "ki raton raat apni khaal ka rang badalne laga", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
बढ़ई का बेटा - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/badhai-ka-beta-krishna-kalpit-kavita?sort=
[ "एकपूरे जंगल की ख़बर है बढ़ई के बेटे को वह ख़बरनवीस नहीं है वह किसी को नहीं बताएगा वह ख़बर जो छुपी है उसके सीने पर वह थोड़ी देर में चल देगा आरी उठाकर जंगल की ओर एक-एक पेड़ से बतलावण करता वह अचानक धर देगा आरी के दाँतों को किसी सूखी हुई डाल पर पूरा जंगल थिरकता रहेगा आरी की ताल पर वन विभाग की ख़ाकी जीपों से उतरते हैं वे बढ़ई का बेटा पहचानता है एक-एक दुश्मन का चेहरा वह भिड़ जाएगा अपनी घिसी हुई आरी लेकर थोड़ी देर में सुनाई पड़ेगी एक चीख़ वह किसी बढ़ई के बेटे की होगी इसके बाद ही कटता है कोई जंगल!दोलकड़ियाँ चीरता बढ़ई का बेटा कवि नहीं है वह तब भी एक कारीगर है जब उसकी आरी से संगीत जन्मता है एक बढ़ई के बेटे का दुनिया कुछ नहीं बिगाड़ सकती वह चाहे तो बना सकता है इस दुनिया से एक मेज़ वह बेमतलब नहीं होगा नाराज़ बिखेर नहीं लेगा बाल इतनी देर में वह ठोक लेगा दरवाज़े के जोड़ उसने नहीं बनाई कोई किताब लेकिन किताब को गिरने से बचाया है!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जंगल की आग - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/jangal-ki-aag-shubham-negi-kavita?sort=
[ "जब जंगल से धुआँ उठता है", "क्या करता है गाँव?", "घर की ओर कुलाँचें मारती आग को देख", "भेजते हैं कुछ लोग घर की तरफ़ से", "लपटों की दूसरी सेना", "उधर से आती आग", "इधर से जाती आग के आगे", "रख देती है हथियार घर से कुछ दूर", "जंगल सारा जलता है", "जीव जाते हैं सारे मर", "पर सीना ताने खड़ा रहता है", "एक वीरान विजयी घर", "कुछ-कुछ तो भूल जाते हैं", "थ्री-स्टार एसी की ललित लोरियों में", "आग की पत्थर-दिल परिभाषा", "कुछ हैं, जिनकी आँखें", "घुमाकर एड्जस्ट करती हैं लेंस; बनती हैं कैमरा", "ढूँढ़ती हैं माचिस की तीली के निशान", "बारूद की बदबू ओढ़े हाथ", "अपने जलते घर पर फूँक बरसाते बेचारे से", "ख़ुद ही का घर फूँक डालने का कारण पूछती हैं", "ये आँखें करती हैं", "जल-भुन चुके मुर्दों द्वारा", "ख़ुद को जला-भुना देने के पीछे की", "गहरी साज़िश का पर्दाफ़ाश!", "जब जंगल से धुआँ उठता है", "क्या-क्या नहीं करता गाँव!", "पर कुछ हाथ हैं ऐसे", "जो धुएँ की शंखध्वनि पर", "हड़बड़ी में टटोलते हैं हरी टहनियाँ", "उन्हें परचम की तरह लहराते", "लपटों में इधर से उधर भागते हैं", "और वहीं ठोक-पीटकर आग को", "युद्ध का पटाक्षेप करते हैं", "ये हाथ अपना घर जलने के ख़िलाफ़ नहीं", "जलने की समूची प्रक्रिया के ख़िलाफ़ हैं", "मैं चाहता हूँ ऐसा हाथ होना", "ऐसा न भी हो पाया तो", "हे मेरी कविताओ!", "तुम मंचों, पत्रिकाओं, संग्रहों से उतरकर", "हरे पौधों की टहनियाँ बनना", "जलते जंगल की जान बचाते", "किसी निडर हाथ में आ जाने को", "jab jangal se dhuan uthta hai", "kya karta hai ganw?", "ghar ki or kulanchen marti aag ko dekh", "bhejte hain kuch log ghar ki taraf se", "lapton ki dusri sena", "udhar se aati aag", "idhar se jati aag ke aage", "rakh deti hai hathiyar ghar se kuch door", "jangal sara jalta hai", "jeew jate hain sare mar", "par sina tane khaDa rahta hai", "ek wiran wijyi ghar", "kuch kuch to bhool jate hain", "thre star esi ki lalit loriyon mein", "ag ki patthar dil paribhasha", "kuch hain, jinki ankhen", "ghumakar eDjast karti hain lens; banti hain camera", "DhunDhati hain machis ki tili ke nishan", "barud ki badbu oDhe hath", "apne jalte ghar par phoonk barsate bechare se", "khu hi ka ghar phoonk Dalne ka karan puchhti hain", "ye ankhen karti hain", "jal bhun chuke murdon dwara", "khu ko jala bhuna dene ke pichhe ki", "gahri sazish ka pardafash!", "jab jangal se dhuan uthta hai", "kya kya nahin karta ganw!", "par kuch hath hain aise", "jo dhuen ki shankhadhwani par", "haDbaDi mein tatolte hain hari tahniyan", "unhen parcham ki tarah lahrate", "lapton mein idhar se udhar bhagte hain", "aur wahin thok pitkar aag ko", "yudh ka patakshaep karte hain", "ye hath apna ghar jalne ke khilaf nahin", "jalne ki samuchi prakriya ke khilaf hain", "main chahta hoon aisa hath hona", "aisa na bhi ho paya to", "he meri kawitao!", "tum manchon, patrikaon, sangrhon se utarkar", "hare paudhon ki tahniyan banna", "jalte jangal ki jaan bachate", "kisi niDar hath mein aa jane ko", "jab jangal se dhuan uthta hai", "kya karta hai ganw?", "ghar ki or kulanchen marti aag ko dekh", "bhejte hain kuch log ghar ki taraf se", "lapton ki dusri sena", "udhar se aati aag", "idhar se jati aag ke aage", "rakh deti hai hathiyar ghar se kuch door", "jangal sara jalta hai", "jeew jate hain sare mar", "par sina tane khaDa rahta hai", "ek wiran wijyi ghar", "kuch kuch to bhool jate hain", "thre star esi ki lalit loriyon mein", "ag ki patthar dil paribhasha", "kuch hain, jinki ankhen", "ghumakar eDjast karti hain lens; banti hain camera", "DhunDhati hain machis ki tili ke nishan", "barud ki badbu oDhe hath", "apne jalte ghar par phoonk barsate bechare se", "khu hi ka ghar phoonk Dalne ka karan puchhti hain", "ye ankhen karti hain", "jal bhun chuke murdon dwara", "khu ko jala bhuna dene ke pichhe ki", "gahri sazish ka pardafash!", "jab jangal se dhuan uthta hai", "kya kya nahin karta ganw!", "par kuch hath hain aise", "jo dhuen ki shankhadhwani par", "haDbaDi mein tatolte hain hari tahniyan", "unhen parcham ki tarah lahrate", "lapton mein idhar se udhar bhagte hain", "aur wahin thok pitkar aag ko", "yudh ka patakshaep karte hain", "ye hath apna ghar jalne ke khilaf nahin", "jalne ki samuchi prakriya ke khilaf hain", "main chahta hoon aisa hath hona", "aisa na bhi ho paya to", "he meri kawitao!", "tum manchon, patrikaon, sangrhon se utarkar", "hare paudhon ki tahniyan banna", "jalte jangal ki jaan bachate", "kisi niDar hath mein aa jane ko", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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बाघ - कविता | हिन्दवी
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[ "ईश्वर के बारे में सोचते हुए", "मैं बाघ के बारे में सोचने लगता हूँ", "बाघ के बारे में सोचते हुए", "मैं मनुष्यों के बारे में सोचने लगता हूँ", "मनुष्यों के बारे में सोचते हुए", "अचानक मेरी सोच बदल जाती है", "तब सोचने लगता हूँ—", "बाघ मनुष्यों से क्यों दूर रहते हैं।", "ishwar ke bare mein sochte hue", "main bagh ke bare mein sochne lagta hoon", "bagh ke bare mein sochte hue", "main manushyon ke bare mein sochne lagta hoon", "manushyon ke bare mein sochte hue", "achanak meri soch badal jati hai", "tab sochne lagta hoon—", "bagh manushyon se kyon door rahte hain", "ishwar ke bare mein sochte hue", "main bagh ke bare mein sochne lagta hoon", "bagh ke bare mein sochte hue", "main manushyon ke bare mein sochne lagta hoon", "manushyon ke bare mein sochte hue", "achanak meri soch badal jati hai", "tab sochne lagta hoon—", "bagh manushyon se kyon door rahte hain", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
नया करती हुई - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/naya-karti-hui-nand-kishore-acharya-kavita?sort=
[ "बाँज का घना जंगल", "दोपहर सूनी।", "कब से झरे सूखे हुए पत्तों पर", "पक कर नए झरते", "पात की खड़कन :", "जंगल की ख़ामोशी को", "नया करती हुई।", "baanj ka ghana jangal", "dopahar suni.", "kab se jhare sukhe hue patton par", "pak kar nae jharte", "paat ki khaDkan ha", "jangal ki khamoshi ko", "naya karti hui.", "baanj ka ghana jangal", "dopahar suni.", "kab se jhare sukhe hue patton par", "pak kar nae jharte", "paat ki khaDkan ha", "jangal ki khamoshi ko", "naya karti hui.", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
वह नदी और वह जंगल मैंने नहीं देखा है - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/wo-nadi-aur-wo-jangal-mainne-nahin-dekha-hai-somprabh-kavita?sort=
[ "उन दिनों जब हम इस शहर के", "बाशिंदे बने", "तो माँ ने बताया", "पहले यहाँ जंगल था", "और", "‘कुवानो’ जंगल के गहरे हरेपन-सी", "थोड़ी गहरी नदी थी", "कई बरस हुए इस शहर में रहते आए", "यह सुनते हुए उसके बाद", "कई-कई बार", "कई-कई लोगों से", "जब यहाँ जंगल थे", "जब एक नदी थोड़ी गहरी थी।", "un dino.n jab ham is shahar ke", "baashi.nde bane", "to maa.n ne bataaya", "pahle yahaa.n ja.ngal tha", "aur", "‘kuvaano’ ja.ngal ke gahre harepan-sii", "thoDii gahrii nadii thii", "ka.ii baras hu.e is shahar me.n rahte aa.e", "yah sunte hu.e uske baad", "ka.ii-ka.ii baar", "ka.ii-ka.ii logo.n se", "jab yahaa.n ja.ngal the", "jab ek nadii thoDii gahrii thii।", "un dino.n jab ham is shahar ke", "baashi.nde bane", "to maa.n ne bataaya", "pahle yahaa.n ja.ngal tha", "aur", "‘kuvaano’ ja.ngal ke gahre harepan-sii", "thoDii gahrii nadii thii", "ka.ii baras hu.e is shahar me.n rahte aa.e", "yah sunte hu.e uske baad", "ka.ii-ka.ii baar", "ka.ii-ka.ii logo.n se", "jab yahaa.n ja.ngal the", "jab ek nadii thoDii gahrii thii।", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
अभयारण्य - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/abhyaranya-ajanta-dev-kavita?sort=
[ "कहीं बचाए जा रहे हैं बाघ", "हिरण अलग ही कहीं बढ़ रहे हैं", "कहीं सिर्फ़ चिड़ियाँ रह सकती हैं", "मगर कौन-सा वन सुरक्षित है इंसान के लिए?", "कहीं कोई दो एकड़ ज़मीन तक नहीं", "जहाँ पर फैलाकर बैठ सके यह प्राणी", "रोटी और दाल की नियमित सप्लाई हो", "तो यह जीव कितना सुंदर लगेगा", "हज़ारों साल पहले", "सभ्यता गोली की तरह लगी थी इस जीव को", "तब से इसका शिकार जारी है", "पहिए पर चढ़कर पहुँचा था धुआँ", "जो आज तक जमा है फेफड़ों में फफूँद की तरह", "इसकी आँखों का रंग धूसर हो चला है", "रोएँ झड़ गए", "नाख़ून और दाँत भोथरे पड़ गए हैं", "पीठ पर बैठी मक्खी तक उड़ाने को", "इसे चाहिए हथियार", "मच्छर से बचने को", "त्वचा पर मलना पड़ता है रसायन", "हर लिहाज़ से", "अब यह अपनी रक्षा करने में असमर्थ है", "यह अब चिल्लाता नहीं", "रिरिया रहा है बरसों से", "जन्मदर हालाँकि ऊँची है", "पर मृत्यु दर भी कम नहीं", "झुक रही है रीढ़ हर दिन", "किसी को भी याद नहीं", "अंतिम बार कब दिखा था", "एक मज़बूत इंसान", "यह भी सबसे पहले", "वन में ही उत्पन्न हुआ था", "प्राकृतिक संतुलन में इसकी भी भागीदारी है", "दुर्लभ न सही", "ख़तरे में पड़ी नस्ल को भी चाहिए", "एक वातावरण", "kahin bachaye ja rahe hain bagh", "hirn alag hi kahin baDh rahe hain", "kahin sirf chiDiyan rah sakti hain", "magar kaun sa wan surakshait hai insan ke liye?", "kahin koi do acre zamin tak nahin", "jahan par phailakar baith sake ye parani", "roti aur dal ki niymit supply ho", "to ye jeew kitna sundar lagega", "hazaron sal pahle", "sabhyata goli ki tarah lagi thi is jeew ko", "tab se iska shikar jari hai", "pahiye par chaDhkar pahuncha tha dhuan", "jo aaj tak jama hai phephDon mein phaphund ki tarah", "iski ankhon ka rang dhusar ho chala hai", "roen jhaD gaye", "nakhun aur dant bhothre paD gaye hain", "peeth par baithi makkhi tak uDane ko", "ise chahiye hathiyar", "machchhar se bachne ko", "twacha par malna paDta hai rasayan", "har lihaz se", "ab ye apni rakhsha karne mein asmarth hai", "ye ab chillata nahin", "ririya raha hai barson se", "janmdar halanki unchi hai", "par mirtyu dar bhi kam nahin", "jhuk rahi hai reeDh har din", "kisi ko bhi yaad nahin", "antim bar kab dikha tha", "ek mazbut insan", "ye bhi sabse pahle", "wan mein hi utpann hua tha", "prakritik santulan mein iski bhi bhagidari hai", "durlabh na sahi", "khatre mein paDi nasl ko bhi chahiye", "ek watawarn", "kahin bachaye ja rahe hain bagh", "hirn alag hi kahin baDh rahe hain", "kahin sirf chiDiyan rah sakti hain", "magar kaun sa wan surakshait hai insan ke liye?", "kahin koi do acre zamin tak nahin", "jahan par phailakar baith sake ye parani", "roti aur dal ki niymit supply ho", "to ye jeew kitna sundar lagega", "hazaron sal pahle", "sabhyata goli ki tarah lagi thi is jeew ko", "tab se iska shikar jari hai", "pahiye par chaDhkar pahuncha tha dhuan", "jo aaj tak jama hai phephDon mein phaphund ki tarah", "iski ankhon ka rang dhusar ho chala hai", "roen jhaD gaye", "nakhun aur dant bhothre paD gaye hain", "peeth par baithi makkhi tak uDane ko", "ise chahiye hathiyar", "machchhar se bachne ko", "twacha par malna paDta hai rasayan", "har lihaz se", "ab ye apni rakhsha karne mein asmarth hai", "ye ab chillata nahin", "ririya raha hai barson se", "janmdar halanki unchi hai", "par mirtyu dar bhi kam nahin", "jhuk rahi hai reeDh har din", "kisi ko bhi yaad nahin", "antim bar kab dikha tha", "ek mazbut insan", "ye bhi sabse pahle", "wan mein hi utpann hua tha", "prakritik santulan mein iski bhi bhagidari hai", "durlabh na sahi", "khatre mein paDi nasl ko bhi chahiye", "ek watawarn", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
दरवाज़ों के पीछे एक जंगल है - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/darwazon-ke-pichhe-ek-jangal-hai-pankaj-chaturvedi-kavita?sort=
[ "दरवाज़ों के पीछे", "एक जंगल है", "दरवाज़ों के आगे", "और भी बड़ा जंगल है", "जब दरवाज़े", "इस भीषण जंगल में-से", "गुज़रते हैं", "तब उन्हें", "कोई नहीं देखता", "darwazon ke pichhe", "ek jangal hai", "darwazon ke aage", "aur bhi baDa jangal hai", "jab darwaze", "is bhishan jangal mein se", "guzarte hain", "tab unhen", "koi nahin dekhta", "darwazon ke pichhe", "ek jangal hai", "darwazon ke aage", "aur bhi baDa jangal hai", "jab darwaze", "is bhishan jangal mein se", "guzarte hain", "tab unhen", "koi nahin dekhta", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
शेरों की गिनती - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/sheron-ki-ginti-asad-zaidi-kavita?sort=
[ "गिनती में तो वे सिर्फ़ 304 निकले", "और हो सकता है कुछ को दो बार गिन लिया गया हो", "क्योंकि 24 घंटे के अंदर वही शेर", "दोबारा उसी डबरे पर पानी पीने आ जाए तो", "ज़रूरी नहीं कि मौक़े पर मौजूद दूर मचान की", "आड़ में छिपा आदमी उसे पहचान ही ले", "और वह आदमी अब ड्यूटी पर न हो", "जिसने जिसे पहले गिन लिया था", "फिर शेर की भी क्या भरोसा", "दूसरी बार वह दूसरे डबरे पर पानी पीने", "पहुँच जाए और वहाँ छिपे", "गणनानायक को लगे कि लीजिए आया एक नया शेर", "फिर शेरों की वर्तमान गिनती का", "उनकी पिछली गिनती से भी एक ताल्लुक़ होता है", "दो बार तीन बार गिन लिया जाना आम बात है", "अगर पाँच साल पहले किसी ने उन्हें ढाई-तीन", "गुना गिन लिया तो इस साल", "इस साल की सच्ची गिनती गले पड़ जाएगी सरकार के", "सभी पूछेगे : कहाँ गए इतने सारे शेर", "पाँच वर्ष तक बेरोकटोक कौन करता", "रहा है शेरों का संहार?", "कितने करोड़ बच्चों को रोज़ शेरों के क़िस्से", "सुनाए जाते हैं सैकड़ों भाषाओं में", "उनकी कल्पना को रचा जाता है", "शेरों के मुद्रित रूपकों पर सर्फ़ हुई", "स्याही का वज़न तोलने पर", "304 असली शेरों से ज़्यादा ही निकलेगा", "जितने साधन उनकी तस्वीर बनाने और शबीह", "चमकाने में लग जाते हैं उतने से बनाया", "जा सकता है एक घना जंगल", "एक नया देश", "एक नया राज्य", "एक नया धर्म", "असंख्य आज्ञाकारी पेड़", "एक संयमित नदी", "शेरों को बार-बार गिनने", "की राजनीतिक", "ज़रूरत में निहित है एक शेर को", "अनेकों बार गिनने की सामाजिक ज़रूरत।", "ginti mein to we sirf 304 nikle", "aur ho sakta hai kuch ko do bar gin liya gaya ho", "kyonki 24 ghante ke andar wahi sher", "dobara usi Dabre par pani pine aa jaye to", "zaruri nahin ki mauqe par maujud door machan ki", "aD mein chhipa adami use pahchan hi le", "aur wo adami ab duty par na ho", "jisne jise pahle gin liya tha", "phir sher ki bhi kya bharosa", "dusri bar wo dusre Dabre par pani pine", "pahunch jaye aur wahan chhipe", "gannanayak ko lage ki lijiye aaya ek naya sher", "phir sheron ki wartaman ginti ka", "unki pichhli ginti se bhi ek talluq hota hai", "do bar teen bar gin liya jana aam baat hai", "agar panch sal pahle kisi ne unhen Dhai teen", "guna gin liya to is sal", "is sal ki sachchi ginti gale paD jayegi sarkar ke", "sabhi puchhege ha kahan gaye itne sare sher", "panch warsh tak berokatok kaun karta", "raha hai sheron ka sanhar?", "kitne karoD bachchon ko roz sheron ke qisse", "sunaye jate hain saikDon bhashaon mein", "unki kalpana ko racha jata hai", "sheron ke mudrit rupkon par sarf hui", "syahi ka wazan tolne par", "304 asli sheron se zyada hi niklega", "jitne sadhan unki taswir banane aur shabih", "chamkane mein lag jate hain utne se banaya", "ja sakta hai ek ghana jangal", "ek naya desh", "ek naya rajy", "ek naya dharm", "asankhya agyakari peD", "ek sanymit nadi", "sheron ko bar bar ginne", "ki rajnitik", "zarurat mein nihit hai ek sher ko", "anekon bar ginne ki samajik zarurat", "ginti mein to we sirf 304 nikle", "aur ho sakta hai kuch ko do bar gin liya gaya ho", "kyonki 24 ghante ke andar wahi sher", "dobara usi Dabre par pani pine aa jaye to", "zaruri nahin ki mauqe par maujud door machan ki", "aD mein chhipa adami use pahchan hi le", "aur wo adami ab duty par na ho", "jisne jise pahle gin liya tha", "phir sher ki bhi kya bharosa", "dusri bar wo dusre Dabre par pani pine", "pahunch jaye aur wahan chhipe", "gannanayak ko lage ki lijiye aaya ek naya sher", "phir sheron ki wartaman ginti ka", "unki pichhli ginti se bhi ek talluq hota hai", "do bar teen bar gin liya jana aam baat hai", "agar panch sal pahle kisi ne unhen Dhai teen", "guna gin liya to is sal", "is sal ki sachchi ginti gale paD jayegi sarkar ke", "sabhi puchhege ha kahan gaye itne sare sher", "panch warsh tak berokatok kaun karta", "raha hai sheron ka sanhar?", "kitne karoD bachchon ko roz sheron ke qisse", "sunaye jate hain saikDon bhashaon mein", "unki kalpana ko racha jata hai", "sheron ke mudrit rupkon par sarf hui", "syahi ka wazan tolne par", "304 asli sheron se zyada hi niklega", "jitne sadhan unki taswir banane aur shabih", "chamkane mein lag jate hain utne se banaya", "ja sakta hai ek ghana jangal", "ek naya desh", "ek naya rajy", "ek naya dharm", "asankhya agyakari peD", "ek sanymit nadi", "sheron ko bar bar ginne", "ki rajnitik", "zarurat mein nihit hai ek sher ko", "anekon bar ginne ki samajik zarurat", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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मलयगिरि का प्रेत - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/forest/malaygiri-ka-pret-sushobhit-kavita-19?sort=
[ "यह जीवन तो इतने 'शोक' में कटा!", "होने के संताप में।", "वेश के क्लेश में।", "अगले जनम जो अवसर मिले तो बनूँगा 'अशोक' का वृक्ष।", "कि एक 'अशोक' ही है, जिसे कोई शोक नहीं।", "अगले जनम में बनूँगा 'अशोक' का वृक्ष अनाम!", "अगले कल्प में योग बना तो कहलाऊँगा 'तमाल' वृक्ष।", "किसी रक्तपर्णा 'शाल्मली' के समीप खड़ा रहूँगा छतनार,", "अभिसार को फैलाए टहनियों की बाँहें।", "कि मैं बनूँगा 'कल्पद्रुम' और तुहिनमाला का कंठहार पहनूँगा!", "या बनूँगा ब्रज का 'कदंब', कविवर बाण ने जिसके नाम पर", "पुकारा था अपनी नायिका को 'कादंबरी'!", "या पर्वतों के कंधे पर चढ़कर 'पर्जन्य' को पुकारूँगा :", "कभी चीड़, कभी देवदार, कभी शालवृक्ष का वेश धरकर!", "बुद्ध ने 'जातक' उपदेशों में स्‍वयं को कहा है 'वृक्षदेवता'।", "जैसे 'भगवद्गीता' में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था : अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणाम्।", "मैं कृष्ण का 'अश्वत्थ' बनूँगा।", "बुद्ध का 'न्यग्रोध'।", "बरगद और गूलर की भाँति 'गुह्यपुष्पक'।", "पितरों का 'पीपल', जिसे सिंधु सभ्यता के अज्ञातकुलशील भी", "वैसे ही पूजते थे, जैसे गंगातट के आर्य वंशज।", "मैं बनूँगा 'मौलश्री', मैं बनूँगा 'कोविदार'।", "'कंटद्रुम' ही सही, आषाढ़ की वर्षा में करूँगा", "भोर का नहान!", "पतझड़ में जैसे पर्ण का परित्याग करते हैं 'सागौन',", "मैं त्याग दूँगा अपना यह नाम।", "कि इस 'नामसंज्ञा' पर इतने संबोधनों के सूत्र हैं,", "जितने कभी हो नहीं सकते किसी पीपल पर धागे!", "मैं साँची का 'शिरीष' वृक्ष बनूँगा,", "जिसके भीतर विराजे हैं बोधिसत्‍व कृकुच्‍छंद।", "या बनूँगा 'अरिष्ट' का वह वृक्ष,", "'महाभारत' के आख्यान ने जिसे अभिहित तो किया,", "किंतु कोई जानता नहीं कौन पेड़ था वह।", "'सप्तपर्ण' का पेड़ बनूँगा छितवन,", "किसी पथिक को दूँगा छाँह,", "उसकी निष्कलुष निद्रा को निहारूँगा।", "मैं बनूँगा मलयगिरि का प्रेत!", "मैं बनूँगा नीलगिरि का वनदेवता।", "मैं बनूँगा कृष्ण का 'वंशीवन'।", "बुद्ध का 'वेणुवन'।", "सारनाथ का 'मृगदाव', जहाँ पर्णपात का शब्द ही", "हरिण का पाश!", "और 'जेतवन' के दावानल में समिधा की तरह", "देखूँगा अपना दाह!", "'बाँस' के पत्तों-सा बनूँगा विनयी।", "'पलाश' के फूल-सा उदग्र।", "'मलयज'-सा विकल।", "'पारिजात'-सा स्नेही।", "'बिल्व'-सा विगलित!", "मुर्श‍िदाबाद की मुखर्जीबाड़ी में बनूँगा", "'कटहल' का रूख", "या गांगुलीबाड़ी के आम्रकुंज में", "मालदह का गाछ!", "कि अब यह वेश नहीं धारूँगा।", "कि यह नाम नहीं उचारूँगा!", "कितना तो क्लांत करता है यों मनुज होकर जीना!", "मैं शमी का वृक्ष बनूँगा या शीशम।", "बरगद या अमलतास।", "किंतु मनुज न बनूँगा!", "चलता रहा हूँ अब रुकूँगा।", "थकता गया हूँ अब थमूँगा।", "तीन दोष, छह राग, बारह बखेड़े :", "मनुज होकर यही तो साधा!", "मरणपर्यंत धरूँगा मौन।", "पाखियों का बनूँगा साखी!", "वानस्पतिक समर्पणता का", "कहलाऊँगा 'वृक्ष-विग्रह'।", "नगर के सीमांत पर बन जाऊँगा", "नीम का एक पेड़, जो प्रलय से पहले", "और एक जीवन पाया!", "ye jiwan to itne shok mein kata!", "hone ke santap mein", "wesh ke klesh mein", "agle janam jo awsar mile to banunga ashok ka wriksh", "ki ek ashok hi hai, jise koi shok nahin", "agle janam mein banunga ashok ka wriksh anam!", "agle kalp mein yog bana to kahlaunga tamal wriksh", "kisi raktparna shalmali ke samip khaDa rahunga chhatnar,", "abhisar ko phailaye tahaniyon ki banhen", "ki main banunga kalpadrum aur tuhinmala ka kanthhar pahnunga!", "ya banunga braj ka kadamb, kawiwar ban ne jiske nam par", "pukara tha apni nayika ko kadambri!", "ya parwton ke kandhe par chaDhkar parjanya ko pukarunga ha", "kabhi cheeD, kabhi dewdar, kabhi shalwriksh ka wesh dharkar!", "buddh ne jatak updeshon mein ‍wayan ko kaha hai wrikshdewta", "jaise bhagwadgita mein shrikrishn ne arjun se kaha tha ha ashwatthah sarwwrikshanam", "main krishn ka ashwatth banunga", "buddh ka nyagrodh", "bargad aur gular ki bhanti guhypushpak", "pitron ka pipal, jise sindhu sabhyata ke agyatakulshil bhi", "waise hi pujte the, jaise gangatat ke aary wanshaj", "main banunga maulashri, main banunga kowidar", "kantadrum hi sahi, ashaDh ki warsha mein karunga", "bhor ka nahan!", "patjhaD mein jaise parn ka parityag karte hain sagaun,", "main tyag dunga apna ye nam", "ki is namsangya par itne sambodhnon ke sootr hain,", "jitne kabhi ho nahin sakte kisi pipal par dhage!", "main sanchi ka shirish wriksh banunga,", "jiske bhitar wiraje hain bodhisat‍w krikuch‍chhand", "ya banunga arisht ka wo wriksh,", "mahabharat ke akhyan ne jise abhihit to kiya,", "kintu koi janta nahin kaun peD tha wo", "saptaparn ka peD banunga chhitwan,", "kisi pathik ko dunga chhanh,", "uski nishkalush nidra ko niharunga", "main banunga malaygiri ka pret!", "main banunga nilagiri ka wandewata", "main banunga krishn ka wanshiwan", "buddh ka wenuwan", "saranath ka mrigdaw, jahan parnpat ka shabd hi", "harin ka pash!", "aur jetwan ke dawanal mein samidha ki tarah", "dekhunga apna dah!", "bans ke patton sa banunga winyi", "palash ke phool sa udagr", "malyaj sa wikal", "parijat sa snehi", "bilw sa wiglit!", "mursh‍idabad ki mukharjibaDi mein banunga", "kathal ka rookh", "ya gangulibaDi ke amrkunj mein", "maldah ka gachh!", "ki ab ye wesh nahin dharunga", "ki ye nam nahin ucharunga!", "kitna to klant karta hai yon manuj hokar jina!", "main shami ka wriksh banunga ya shisham", "bargad ya amaltas", "kintu manuj na banunga!", "chalta raha hoon ab rukunga", "thakta gaya hoon ab thamunga", "teen dosh, chhah rag, barah bakheDe ha", "manuj hokar yahi to sadha!", "maranparyant dharunga maun", "pakhiyon ka banunga sakhi!", "wanaspatik samarpanta ka", "kahlaunga wriksh wigrah", "nagar ke simant par ban jaunga", "neem ka ek peD, jo prlay se pahle", "aur ek jiwan paya!", "ye jiwan to itne shok mein kata!", "hone ke santap mein", "wesh ke klesh mein", "agle janam jo awsar mile to banunga ashok ka wriksh", "ki ek ashok hi hai, jise koi shok nahin", "agle janam mein banunga ashok ka wriksh anam!", "agle kalp mein yog bana to kahlaunga tamal wriksh", "kisi raktparna shalmali ke samip khaDa rahunga chhatnar,", "abhisar ko phailaye tahaniyon ki banhen", "ki main banunga kalpadrum aur tuhinmala ka kanthhar pahnunga!", "ya banunga braj ka kadamb, kawiwar ban ne jiske nam par", "pukara tha apni nayika ko kadambri!", "ya parwton ke kandhe par chaDhkar parjanya ko pukarunga ha", "kabhi cheeD, kabhi dewdar, kabhi shalwriksh ka wesh dharkar!", "buddh ne jatak updeshon mein ‍wayan ko kaha hai wrikshdewta", "jaise bhagwadgita mein shrikrishn ne arjun se kaha tha ha ashwatthah sarwwrikshanam", "main krishn ka ashwatth banunga", "buddh ka nyagrodh", "bargad aur gular ki bhanti guhypushpak", "pitron ka pipal, jise sindhu sabhyata ke agyatakulshil bhi", "waise hi pujte the, jaise gangatat ke aary wanshaj", "main banunga maulashri, main banunga kowidar", "kantadrum hi sahi, ashaDh ki warsha mein karunga", "bhor ka nahan!", "patjhaD mein jaise parn ka parityag karte hain sagaun,", "main tyag dunga apna ye nam", "ki is namsangya par itne sambodhnon ke sootr hain,", "jitne kabhi ho nahin sakte kisi pipal par dhage!", "main sanchi ka shirish wriksh banunga,", "jiske bhitar wiraje hain bodhisat‍w krikuch‍chhand", "ya banunga arisht ka wo wriksh,", "mahabharat ke akhyan ne jise abhihit to kiya,", "kintu koi janta nahin kaun peD tha wo", "saptaparn ka peD banunga chhitwan,", "kisi pathik ko dunga chhanh,", "uski nishkalush nidra ko niharunga", "main banunga malaygiri ka pret!", 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साहेब! कैसे करोगे ख़ारिज? - कविता | हिन्दवी
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[ "साहेब!", "ओढ़े गए छद्म विषयों की", "तुम करते हो आलंकारिक व्याख्या", "पर क्या होगा उस दिन, जब", "शहर आई जंगल की लड़की", "लिख देगी अपनी कविता में सारा सच?", "वह सच", "जिसे अपनी किताबों के आवरण के नीचे", "तुमने छिपाकर रखा है", "तुम्हारी घिनौनी भाषा", "मंच से तुम्हारे उतरने के बाद", "इशारों में जो बोली जाती है", "तुम्हारी वे सच्चाइयाँ", "तुम्हें लगता है जो समय के साथ", "बदल जाएगी किसी भ्रम में।", "साहेब!", "एक दिन", "जंगल की कोई लड़की", "कर देगी तुम्हारी व्याख्याओं को", "अपने सच से नंगा,", "लिख देगी अपनी कविता में", "कैसे तुम्हारे जंगल के रखवालों ने", "तलाशी के नाम पर", "खींचे उसके कपड़े,", "कैसे दरवाज़े तोड़कर", "घुस आती है", "तुम्हारी फ़ौज उनके घरों में,", "कैसे बच्चे थामने लगते हैं", "गुल्ली-डंडे की जगह बंदूक़ें", "और कैसे भर आता है", "उसके कलेजे में बारूद।", "साहेब!", "एक दिन", "जंगल की हर लड़की", "लिखेगी कविता", "क्या कहकर ख़ारिज करोगे उन्हें?", "क्या कहोगे साहेब?", "यही न", "कि यह कविता नहीं", "समाचार है!", "saaheba!", "oढ़.e ga.e chhadm vishayo.n kii", "tum karte ho aala.nkaarik vyaakhya", "par kya hoga us din, jab", "shahar aa.ii ja.ngal kii laड़kii", "likh degii apnii kavita me.n saara sach?", "vah sach", "jise apnii kitaabo.n ke aavar.n ke niiche", "tumne chhipaakar rakha hai", "tumhaarii ghinaunii bhaasha", "ma.nch se tumhaare utarne ke baad", "ishaaro.n me.n jo bolii jaatii hai", "tumhaarii ve sachchaa.iyaa.n", "tumhe.n lagta hai jo samay ke saath", "badal jaa.egii kisii bhram me.n।", "saaheba!", "ek din", "ja.ngal kii ko.ii laड़kii", "kar degii tumhaarii vyaakhyaa.o.n ko", "apne sach se na.nga,", "likh degii apnii kavita me.n", "kaise tumhaare ja.ngal ke rakhvaalo.n ne", "talaashii ke naam par", "khii.nche uske kapड़.e,", "kaise darvaaज़.e toड़kar", "ghus aatii hai", "tumhaarii फ़.auj unke gharo.n me.n,", "kaise bachche thaamane lagte hai.n", "gullii-Da.nDe kii jagah ba.nduuक़.e.n", "aur kaise bhar aata hai", "uske kaleje me.n baaruud।", "saaheba!", "ek din", "ja.ngal kii har laड़kii", "likhegii kavita", "kya kahkar ख़.aarij karoge unhe.n?", "kya kahoge saaheba?", "yahii n", "ki yah kavita nahii.n", "samaachaar hai!", "saaheba!", "oढ़.e ga.e chhadm vishayo.n kii", "tum karte ho aala.nkaarik vyaakhya", "par kya hoga us din, jab", "shahar aa.ii ja.ngal kii laड़kii", "likh degii apnii kavita me.n saara sach?", "vah sach", "jise apnii kitaabo.n ke aavar.n ke niiche", "tumne chhipaakar rakha hai", "tumhaarii ghinaunii bhaasha", "ma.nch se tumhaare utarne ke baad", "ishaaro.n me.n jo bolii jaatii hai", "tumhaarii ve sachchaa.iyaa.n", "tumhe.n lagta hai jo samay ke saath", "badal jaa.egii kisii bhram me.n।", "saaheba!", "ek din", "ja.ngal kii ko.ii laड़kii", "kar degii tumhaarii vyaakhyaa.o.n ko", "apne sach se na.nga,", "likh degii apnii kavita me.n", "kaise tumhaare ja.ngal ke rakhvaalo.n ne", "talaashii ke naam par", "khii.nche uske kapड़.e,", "kaise darvaaज़.e toड़kar", "ghus aatii hai", "tumhaarii फ़.auj unke gharo.n me.n,", "kaise bachche thaamane lagte hai.n", "gullii-Da.nDe kii jagah ba.nduuक़.e.n", "aur kaise bhar aata hai", "uske kaleje me.n baaruud।", "saaheba!", "ek din", "ja.ngal kii har laड़kii", "likhegii kavita", "kya kahkar ख़.aarij karoge unhe.n?", "kya kahoge saaheba?", "yahii n", "ki yah kavita nahii.n", "samaachaar hai!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]