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उम्र - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/umr-sarul-bagla-kavita?sort=
[ "जिसके पास वक़्त कम हो", "और जीने के लिए कुछ ज़्यादा नहीं हो", "उसे उम्र एक वाजिब सज़ा है", "जो किसी भी निर्दोष को दी जा सकती है", "पेड़ों से पूछो तो वे बताएँगे", "काठ हो जाना किसे कहते हैं?", "और सूखी हुई संवेदनाएँ", "किस तरह ज्वर पर आती हैं?", "jiske pas waqt kam ho", "aur jine ke liye kuch zyada nahin ho", "use umr ek wajib saza hai", "jo kisi bhi nirdosh ko di ja sakti hai", "peDon se puchho to we batayenge", "kath ho jana kise kahte hain?", "aur sukhi hui sanwednayen", "kis tarah jwar par aati hain?", "jiske pas waqt kam ho", "aur jine ke liye kuch zyada nahin ho", "use umr ek wajib saza hai", "jo kisi bhi nirdosh ko di ja sakti hai", "peDon se puchho to we batayenge", "kath ho jana kise kahte hain?", "aur sukhi hui sanwednayen", "kis tarah jwar par aati hain?", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
प्रेम और उदासी - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/prem-aur-udasi-sarul-bagla-kavita?sort=
[ "शब्दों के यातनामय कारागार में", "हर बार तुम कहती हो कि", "यह प्रेम है", "और मेरी रीढ़ टूट जाती है", "मुझे लगता है", "मेरी रीढ़ टूटना", "प्रेम का हिस्सा है", "बुलबुल कहती है कि", "हवा निर्दोष है", "और मेरी साँस घुटती जाती है", "मुझे लगता है कि", "साँस घुटना", "प्रेम का हिस्सा है", "प्रेमियों के शब्दों से ज़्यादा सच", "शराबियों के शब्दों में होता है", "पानी कहता है कि", "तुम हाथ थामे रहोगी और", "मैं नदी में तैरता रहूँगा", "मैं झरने में पानी के साथ", "गुम गई मौत हूँ", "और मुझे लगता है कि", "प्रेम सबसे नैसर्गिक यातनागृह है।", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
अंत में - कविता | हिन्दवी
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[ "एकघंटियों की तरह बजते हैं फूलधोखे की तरह बढ़ती है आसउसके भीतर बसती है धूपउसके बाहर गिरती है परछाईवह जब चाहिए, नहीं रहताहवा रहती है, जब नहीं चाहिएदोसमय से नहीं कटता मेरा समयमेरी ही आँख नहीं देख सकती अपनी आँखदिन क्या नापेंगे पृथ्वी पर मेरे बचे दिनमैं कई शक्लों, कुछ चेहरों का मेहमानमैंने सोचने को जगह माँगीकलाई भर की घड़ी नहींमुझे निर्जन टापू पर छोड़ाकछुए की खोल में जहाँघोंघे-सा समय गुज़रता थाइच्छाएँ डाल पर बैठती थींवर्जनाएँ पात पर बैठती हैंतितलियाँ फूल पर बैठेंगीकोई कैसे बैठ सकता हैनुक्कड़ की दुकान पर?तीन(ऐसे नहीं)ख़ाली हाथ किसी के घर नहीं जातेखाली हाथ किसी को घर से विदा नहीं करतेफिर भी जब तक जलती है लौतब तक रहती है आदमी को उम्मीदआदमी जब नहीं होगाउसके हिस्से की लौदेर तक जलाए रखेगा आदमीलौ जब बुझ जाएगीहर आता-जाता आदमीउसे दिखेगा लौ की तरहजलता, फिर बुझता।", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
व्यवस्थाएँ - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/wywasthayen-avinash-mishra-kavita?sort=
[ "सालों हो गए किसी ख़रगोश को नहीं छुआ", "गिलहरी को देखे भी पता नहीं कितना वक़्त गुज़र गया", "बैल और बाज और बंदरों के बारे में भी मेरे यही विचार हैं", "केवल कुत्ते ही हैं जो अब भी दिख जाते हैं", "—बहुत उदास और ग़ुलाम—", "बिल्लियों के काटे हुए रास्तों पर", "वे चूहों को खा चुकी हैं", "शायद इसलिए मैंने कई रोज़ से चूहे भी नहीं देखे...", "salon ho gaye kisi khargosh ko nahin chhua", "gilahri ko dekhe bhi pata nahin kitna waqt guzar gaya", "bail aur baz aur bandron ke bare mein bhi mere yahi wichar hain", "kewal kutte hi hain jo ab bhi dikh jate hain", "—bahut udas aur ghulam—", "billiyon ke kate hue raston par", "we chuhon ko kha chuki hain", "shayad isliye mainne kai roz se chuhe bhi nahin dekhe", "salon ho gaye kisi khargosh ko nahin chhua", "gilahri ko dekhe bhi pata nahin kitna waqt guzar gaya", "bail aur baz aur bandron ke bare mein bhi mere yahi wichar hain", "kewal kutte hi hain jo ab bhi dikh jate hain", "—bahut udas aur ghulam—", "billiyon ke kate hue raston par", "we chuhon ko kha chuki hain", "shayad isliye mainne kai roz se chuhe bhi nahin dekhe", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
नहीं है कोई समकालीन - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/nahin-hai-koi-samkalin-mona-gulati-kavita?sort=
[ "शहर : अब", "मुझे अपने समकालीनों में होना अच्छा नहीं लगता :", "शहर के दूसरी तरफ़ गाँव हों या गाँवों में खलिहान और पगडंडियाँ हों", "मुझे शहर की ख़लक़त और गाँवों के मोरों में कोई रुचि नहीं है। मेरे", "हाथों में हँसिया पकड़ा दिया गया है और मुझे केवल इतना ज्ञात है", "कि एक दिन उस हँसिए के नीचे तुम्हारी गर्दन होगी और उसे", "रेतने वाले हाथ मेरे होंगे।", "जिस देश के झंडे में हँसिए का निशान होगा वहाँ क़त्ल होंगे", "सरे आम सड़कों पर :", "मुझे अपनी मिट्टी के अतिरिक्त", "किसी दूसरी मिट्टी में जमने की इच्छा नहीं!", "मेरा प्रेमी एक गीदड़ है", "जो अराजकता के कारण हुँआ-हुँआ करता है।", "कभी-कभी", "वह चमेली की लतर की तरह मेरी ओर", "झुक आता है तब", "नासापुटों में भरती महक मुझे अपने होने के", "एहसास से आप्लावित कर देती है।", "पिछले कई वर्षों में मैंने एक नई चीज़ सीखी है : चीज़ों को", "अधूरा छोड़ देने की :", "निष्कर्ष यदि बुद्ध ने लिए :", "या नीत्शे ने या जाँ जेने या सार्त्र ने : या जगदीश चतुर्वेदी ने या", "मैंने : वह हमेशा गोल होकर शून्य में बवंडर मचाएँगे और कुछ लोग", "हवा को सूँघने लगेंगे!", "स्थितियों में व्यतिक्रम करने के लिए चुप हो जाना ही काफ़ी नहीं रहा।", "अपने को अपने पास बुलाने के लिए आवाज़ देना ही काफ़ी नहीं रहा।", "समकालीनों में मुझे केवल", "भुनगे और कीड़े दिखाई देते हैं :", "मैं अपना समकालीन पाने के लिए तरस गई हूँ :", "मैंने अपने अधूरे", "निष्कर्षों को मोहरबंद कर दिया है :", "सील लगाकर;", "कि कोई मेरा समकालीन हो ही नहीं सकता : किसी के हाथों में", "आग की तपिश नहीं है और न ही किसी के दिमाग़ में सामाजिक", "षड्यंत्रों; मानसिक कुटैवों से ऊपर उठने की तिलस्मी समर्थ :", "मैंने चुप होने के बावजूद", "मुस्कराने का निश्चय किया है :", "मैंने अपनी मुट्ठियाँ खोलकर", "कीर्केगार्ड का आह्वान किया है। मुझे", "किसी भैदेसी व्यक्ति के पास नहीं लौटना बार-बार!", "मुझे अब", "अपने समकालीनों में होना अच्छा नहीं लगता!", "shahr ha ab", "mujhe apne samkalinon mein hona achchha nahin lagta ha", "shahr ke dusri taraf ganw hon ya ganwon mein khalihan aur pagDanDiyan hon", "mujhe shahr ki khalqat aur ganwon ke moron mein koi ruchi nahin hai mere", "hathon mein hansiya pakDa diya gaya hai aur mujhe kewal itna gyat hai", "ki ek din us hansiye ke niche tumhari gardan hogi aur use", "retne wale hath mere honge", "jis desh ke jhanDe mein hansiye ka nishan hoga wahan qatl honge", "sare aam saDkon par ha", "mujhe apni mitti ke atirikt", "kisi dusri mitti mein jamne ki ichha nahin!", "mera premi ek gidaD hai", "jo arajakta ke karan huna huna karta hai", "kabhi kabhi", "wo chameli ki latar ki tarah meri or", "jhuk aata hai tab", "nasaputon mein bharti mahak mujhe apne hone ke", "ehsas se aplawit kar deti hai", "pichhle kai warshon mein mainne ek nai cheez sikhi hai ha chizon ko", "adhura chhoD dene ki ha", "nishkarsh yadi buddh ne liye ha", "ya nitshe ne ya jaan jene ya sartr ne ha ya jagdish chaturwedi ne ya", "mainne ha wo hamesha gol hokar shunya mein bawanDar machayenge aur kuch log", "hawa ko sunghne lagenge!", "sthitiyon mein wyatikram karne ke liye chup ho jana hi kafi nahin raha", "apne ko apne pas bulane ke liye awaz dena hi kafi nahin raha", "samkalinon mein mujhe kewal", "bhunge aur kiDe dikhai dete hain ha", "main apna samkalin pane ke liye taras gai hoon ha", "mainne apne adhure", "nishkarshon ko moharband kar diya hai ha", "seel lagakar;", "ki koi mera samkalin ho hi nahin sakta ha kisi ke hathon mein", "ag ki tapish nahin hai aur na hi kisi ke dimagh mein samajik", "shaDyantron; manasik kutaiwon se upar uthne ki tilasmi samarth ha", "mainne chup hone ke bawjud", "muskrane ka nishchay kiya hai ha", "mainne apni mutthiyan kholkar", "kirkegarD ka ahwan kiya hai mujhe", "kisi bhaidesi wekti ke pas nahin lautna bar bar!", "mujhe ab", "apne samkalinon mein hona achchha nahin lagta!", "shahr ha ab", "mujhe apne samkalinon mein hona achchha nahin lagta ha", "shahr ke dusri taraf ganw hon ya ganwon mein khalihan aur pagDanDiyan hon", "mujhe shahr ki khalqat aur ganwon ke moron mein koi ruchi nahin hai mere", "hathon mein hansiya pakDa diya gaya hai aur mujhe kewal itna gyat hai", "ki ek din us hansiye ke niche tumhari gardan hogi aur use", "retne wale hath mere honge", "jis desh ke jhanDe mein hansiye ka nishan hoga wahan qatl honge", "sare aam saDkon par ha", "mujhe apni mitti ke atirikt", "kisi dusri mitti mein jamne ki ichha nahin!", "mera premi ek gidaD hai", "jo arajakta ke karan huna huna karta hai", "kabhi kabhi", "wo chameli ki latar ki tarah meri or", "jhuk aata hai tab", "nasaputon mein bharti mahak mujhe apne hone ke", "ehsas se aplawit kar deti hai", "pichhle kai warshon mein mainne ek nai cheez sikhi hai ha chizon ko", "adhura chhoD dene ki ha", "nishkarsh yadi buddh ne liye ha", "ya nitshe ne ya jaan jene ya sartr ne ha ya jagdish chaturwedi ne ya", "mainne ha wo hamesha gol hokar shunya mein bawanDar machayenge aur kuch log", "hawa ko sunghne lagenge!", "sthitiyon mein wyatikram karne ke liye chup ho jana hi kafi nahin raha", "apne ko apne pas bulane ke liye awaz dena hi kafi nahin raha", "samkalinon mein mujhe kewal", "bhunge aur kiDe dikhai dete hain ha", "main apna samkalin pane ke liye taras gai hoon ha", "mainne apne adhure", "nishkarshon ko moharband kar diya hai ha", "seel lagakar;", "ki koi mera samkalin ho hi nahin sakta ha kisi ke hathon mein", "ag ki tapish nahin hai aur na hi kisi ke dimagh mein samajik", "shaDyantron; 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वसंत - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/vasant-rakesh-ranjan-kavita-1?sort=
[ "टूटता है मौन", "फूलों का", "हवाओं का", "सुरों का", "टूटता है मौन", "टूटती है नींद", "वृक्षों की", "समय के", "नए बीजों की", "सभी की", "टूटती है नींद", "टूटती है देह मेरी", "टूटता वादा", "पुराना।", "tutta hai maun", "phulon ka", "havaon ka", "suron ka", "tutta hai maun", "tutti hai neend", "vrikshon ki", "samay ke", "nae bijon ki", "sabhi ki", "tutti hai neend", "tutti hai deh meri", "tutta vada", "purana.", "tutta hai maun", "phulon ka", "havaon ka", "suron ka", "tutta hai maun", "tutti hai neend", "vrikshon ki", "samay ke", "nae bijon ki", "sabhi ki", "tutti hai neend", "tutti hai deh meri", "tutta vada", "purana.", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
बकवास - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/bakwas-zubair-saifi-kavita?sort=
[ "मैं अपने मनुष्य होने के सारे दावों को ख़ारिज करता हूँ, झुठलाता हूँ—जैसे चमार के लौंडों के साथ एक बर्तन में खाना खाते हुए देखे जाने की शर्मिंदगी से मेरे ख़ुद के घर में मुझे ख़ारिज कर दिया गया, जैसे सरकार ने मेरे नवीन मृत्यु-प्रमाणपत्र की सभी याचिकाएँ ख़ारिज कर दीं; वह भी ऐसे समय में जब हर रोज़ कहीं न कहीं कोई ज़ुबैर, कोई सरमद, कोई सिफ़र अपने नाम और पहचान का बोझ उठाते हुए मर रहा था।", "मैंने अपने रोज़नामचे में चुनाव के दिन को महत्त्वपूर्ण दिन के तौर पर अंकित किया, मगर ऐन चुनाव के दिन नोटा दबा देने की मजबूरी ने उस दर्ज किए गए को कालिख में बदल दिया; जैसे संसार को बदलने की तमाम क्रियाएँ-प्रक्रियाएँ परिवर्तित हो गईं, देश में परिवर्तन के अनवरत क्रम में सारे रंगों की जगह एक रंग ने ले ली—भगवा रोटियाँ, भगवा सिगरेट, भगवा आटा और भगवा साबुन बनाए जाने की फ़ैक्ट्रियों की बुनियाद इस परिवर्तन ने रंग-ग्रहण के राजतिलक की घटना के सफल समापन के बाद की।", "मैं अपने मनुष्य होने के सारे दावों और मनुष्यता को ख़ारिज करने के क्रम में भूल गया कि मुझे मानवाधिकारों को भी ख़ारिज करना था। बलात्कार और मॉब लिंचिग के अतिरिक्त होने वाली हिंसाएँ भी हिंसा के दायरे में रखने का कार्य करने के क्रम में एमनेस्टी और सारी मानवाधिकार संस्थाओं के पेज मैंने अपने फ़ेसबुक पर ब्लॉक कर लिए और दिखाया कि मैंने मानवाधिकार बचाने का स्वाँग दिखाया।", "मैं ख़ारिज करने की सभी सीमाओं में, सारी बनी-बनाई लीकों के पुनर्वास की गौरवमयी गाथा को सरकारी रिकॉर्डों से निकालकर आम जनता के समक्ष लाने और समाज सेवक की भूमिकाओं के परे सोचता था, जिससे मैं कुछ न बच सका। ख़ारिज होने की प्रत्येक प्रक्रिया के बाद, सारे उत्खनन-खनन के बाद मैं कुछ नहीं बचा। मुझे मेरे एक दोस्त ने बताया, जो गणित में मेरे अल्पसंख्यक संस्था वाले स्कूल में सबसे ज़्यादा अंक प्राप्त करता था—कि कुछ न बचने पर शून्य प्राप्त होता है, जिसे कोई ख़ारिज करने के बाद भी ख़ारिज नहीं कर सकता!", "देश और शासन शून्य के ख़ारिज होने की सभी विभिन्नताओं को जीत चुके हैं।", "आप इंतिज़ार कीजिए कि टीवी चैनल पर होने वाली गालगलाफ़ाड़ू डिबेट में आपका पसंदीदा वक्ता कब बैठेगा, कब युद्ध की सामग्री और उसकी आँच आपके घरों तक चली आएगी।", "कवि महोदय! आपके शब्द और आशाएँ ख़ारिज हो चुकी हैं।", "अब हर पाँच बरस बाद वोट दीजिए और ख़ामोश अपने घर में बैठकर ऐसी एक बकवास कविता सुनिए जिसे ख़ारिज कर दिया जाना चाहिए!", "main apne manushya hone ke sare dawon ko kharij karta hoon, jhuthlata hun—jaise chamar ke launDon ke sath ek bartan mein khana khate hue dekhe jane ki sharmindgi se mere khu ke ghar mein mujhe kharij kar diya gaya, jaise sarkar ne mere nawin mirtyu pramanapatr ki sabhi yachikayen kharij kar deen; wo bhi aise samay mein jab har roz kahin na kahin koi zubair, koi sarmad, koi sifar apne nam aur pahchan ka bojh uthate hue mar raha tha", "mainne apne roznamche mein chunaw ke din ko mahattwapurn din ke taur par ankit kiya, magar ain chunaw ke din nota daba dene ki majburi ne us darj kiye gaye ko kalikh mein badal diya; jaise sansar ko badalne ki tamam kriyayen prakriyayen pariwartit ho gain, desh mein pariwartan ke anawrat kram mein sare rangon ki jagah ek rang ne le li—bhagwa rotiyan, bhagwa cigarette, bhagwa aata aur bhagwa sabun banaye jane ki faiktriyon ki buniyad is pariwartan ne rang grahn ke rajatilak ki ghatna ke saphal samapan ke baad ki", "main apne manushya hone ke sare dawon aur manushyata ko kharij karne ke kram mein bhool gaya ki mujhe manwadhikaron ko bhi kharij karna tha balatkar aur maub linchig ke atirikt hone wali hinsayen bhi hinsa ke dayre mein rakhne ka kary karne ke kram mein emnesti aur sari manawadhikar sansthaon ke pej mainne apne fesbuk par blauk kar liye aur dikhaya ki mainne manawadhikar bachane ka swang dikhaya", "main kharij karne ki sabhi simaon mein, sari bani banai likon ke punarwas ki gaurawamyi gatha ko sarkari rikaurDon se nikalkar aam janta ke samaksh lane aur samaj sewak ki bhumikaon ke pare sochta tha, jisse main kuch na bach saka kharij hone ki pratyek prakriya ke baad, sare utkhanan khanan ke baad main kuch nahin bacha mujhe mere ek dost ne bataya, jo ganait mein mere alpsankhyak sanstha wale school mein sabse zyada ank prapt karta tha—ki kuch na bachne par shunya prapt hota hai, jise koi kharij karne ke baad bhi kharij nahin kar sakta!", "desh aur shasan shunya ke kharij hone ki sabhi wibhinntaon ko jeet chuke hain", "ap intizar kijiye ki tiwi channel par hone wali galaglafaDu debate mein aapka pasandida wakta kab baithega, kab yudh ki samagri aur uski anch aapke gharon tak chali ayegi", "kawi mahoday! aapke shabd aur ashayen kharij ho chuki hain", "ab har panch baras baad wote dijiye aur khamosh apne ghar mein baithkar aisi ek bakwas kawita suniye jise kharij kar diya jana chahiye!", "main apne manushya hone ke sare dawon ko kharij karta hoon, jhuthlata hun—jaise chamar ke launDon ke sath ek bartan mein khana khate hue dekhe jane ki sharmindgi se mere khu ke ghar mein mujhe kharij kar diya gaya, jaise sarkar ne mere nawin mirtyu pramanapatr ki sabhi yachikayen kharij kar deen; wo bhi aise samay mein jab har roz kahin na kahin koi zubair, koi sarmad, koi sifar apne nam aur pahchan ka bojh uthate hue mar raha tha", "mainne apne roznamche mein chunaw ke din ko mahattwapurn din ke taur par ankit kiya, magar ain chunaw ke din nota daba dene ki majburi ne us darj kiye gaye ko kalikh mein badal diya; jaise sansar ko badalne ki tamam kriyayen prakriyayen pariwartit ho gain, desh mein pariwartan ke anawrat kram mein sare rangon ki jagah ek rang ne le li—bhagwa rotiyan, bhagwa cigarette, bhagwa aata aur bhagwa sabun banaye jane ki faiktriyon ki buniyad is pariwartan ne rang grahn ke rajatilak ki ghatna ke saphal samapan ke baad ki", "main apne manushya hone ke sare dawon aur manushyata ko kharij karne ke kram mein bhool gaya ki mujhe manwadhikaron ko bhi kharij karna tha balatkar aur maub linchig ke atirikt hone wali hinsayen bhi hinsa ke dayre mein rakhne ka kary karne ke kram mein emnesti aur sari manawadhikar sansthaon ke pej mainne apne fesbuk par blauk kar liye aur dikhaya ki mainne manawadhikar bachane ka swang dikhaya", "main kharij karne ki sabhi simaon mein, sari bani banai likon ke punarwas ki gaurawamyi gatha ko sarkari rikaurDon se nikalkar aam janta ke samaksh lane aur samaj sewak ki bhumikaon ke pare sochta tha, jisse main kuch na bach saka kharij hone ki pratyek prakriya ke baad, sare utkhanan khanan ke baad main kuch nahin bacha mujhe mere ek dost ne bataya, jo ganait mein mere alpsankhyak sanstha wale school mein sabse zyada ank prapt karta tha—ki kuch na bachne par shunya prapt hota hai, jise koi kharij karne ke baad bhi kharij nahin kar sakta!", "desh aur shasan shunya ke kharij hone ki sabhi wibhinntaon ko jeet chuke hain", "ap intizar kijiye ki tiwi channel par hone wali galaglafaDu debate mein aapka pasandida wakta kab baithega, kab yudh ki samagri aur uski anch aapke gharon tak chali ayegi", "kawi mahoday! 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अकेले में शर्म आती है - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/akele-mein-sharm-aati-hai-ramkumar-tiwari-kavita-4?sort=
[ "वह उदास है", "उदासी दूर करने के लिए", "जब भी हँसता है", "और उदास हो जाता है", "उदासी उसमें स्थायी भाव-सी है", "जबकि उसके पास ख़ुश होने के", "वे सब चलन हैं जो चाहिए", "नया से नया सुख", "देखते-देखते इतना बासा हो जाता कि", "वही सुख था मानने के लिए उसे", "अकेले में शर्म आती है", "जीवन में उसके", "यह कैसी अवस्था है", "कि हर चटक में छुपा फीका", "उसे उसी तरह दिखता है", "जैसे सड़क पर लगे बोर्ड में लिखा", "कि यह रास्ता वहाँ जाता है", "नहीं पता उसके अंदर क्या है?", "उसे देखता हुआ मैं", "रोज़ घर लौटता हूँ", "wo udas hai", "udasi door karne ke liye", "jab bhi hansta hai", "aur udas ho jata hai", "udasi usmen sthayi bhaw si hai", "jabki uske pas khush hone ke", "we sab chalan hain jo chahiye", "naya se naya sukh", "dekhte dekhte itna basa ho jata ki", "wahi sukh tha manne ke liye use", "akele mein sharm aati hai", "jiwan mein uske", "ye kaisi awastha hai", "ki har chatak mein chhupa phika", "use usi tarah dikhta hai", "jaise saDak par lage board mein likha", "ki ye rasta wahan jata hai", "nahin pata uske andar kya hai?", "use dekhta hua main", "roz ghar lautta hoon", "wo udas hai", "udasi door karne ke liye", "jab bhi hansta hai", "aur udas ho jata hai", "udasi usmen sthayi bhaw si hai", "jabki uske pas khush hone ke", "we sab chalan hain jo chahiye", "naya se naya sukh", "dekhte dekhte itna basa ho jata ki", "wahi sukh tha manne ke liye use", "akele mein sharm aati hai", "jiwan mein uske", "ye kaisi awastha hai", "ki har chatak mein chhupa phika", "use usi tarah dikhta hai", "jaise saDak par lage board mein likha", "ki ye rasta wahan jata hai", "nahin pata uske andar kya hai?", "use dekhta hua main", "roz ghar lautta hoon", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
घर जाने में - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/ghar-jane-mein-pankaj-prakhar-kavita?sort=
[ "पहले घर में घुसते ही", "एक अजीब-सा उतावलापन होता था", "कि मैं बड़ी तत्परता से नज़र फेर लूँ", "कि सब कुछ यथावत है या नहीं", "और घर भी जैसे मेरी प्रतीक्षा में", "अपना सारा काम-धाम छोड़कर खड़ा हो।", "आँगन में अलगनी पर माँ की साड़ी सूखती रहती", "धुएँ से काले हुए रौशनदान ताकते रहते", "कि जैसे मैं उन्हें पहचान रहा हूँ या नहीं।", "माँ गुनगुनाते हुए चावल बीनती दिख जाती", "गाना गुनगुनाते वक़्त माँ से कुछ कहो तो", "वह बोलती नहीं थी", "कई बार कहो तो वह झुँझला जाती", "माँ का झुँझलाना तब बहुत अच्छा लगता था।", "शाम के वक़्त घर पहुँचो तो", "पिता बाज़ार से सब्ज़ी लाने गए होते", "और कुछ ही क्षण में आ जाते", "यह दृश्य इतना नपा-तुला था", "कि इसमें कुछ भी नयापन", "या अजीब नहीं दिखाई देता", "चाहे जितनी बार बाहर से लौटकर घर जाओ।", "अब चाहे जितनी बार घर जाओ", "माँ चावल बीनते हुए दिखाई नहीं देती", "धुएँ से काले पड़े रौशनदानों को कोई फ़र्क़ नहीं", "कि मैं उन्हें पहचान रहा हूँ या नहीं", "पलस्तर जमी हुई काई के नीचे से", "देखते हैं मुझे और चुप हो जाते हैं।", "बाज़ार से सबज़ी लाने जैसी", "अब कोई प्रक्रिया नहीं", "सब्ज़ीवाला अब ठीक दरवाज़े पर ही आ जाता है।", "लगता है जैसे समूचा घर", "एक सफ़ेद चादर से ढक गया है", "और वे सारी चीज़ें", "जिन्हें मैं बड़े उतावलेपन से ढूँढ़ता हूँ", "उसके नीचे छुप गई हैं।", "घर जाने में अब", "घर जैसा सुख नहीं रहा।", "घर जाने में अब डर लगता है", "कि फिर मुझे लौटकर आना है।", "pahle ghar mein ghuste hi", "ek ajib sa utawalapan hota tha", "ki main baDi tatparta se nazar pher loon", "ki sab kuch yathawat hai ya nahin", "aur ghar bhi jaise meri pratiksha mein", "apna sara kaam dham chhoDkar khaDa ho", "angan mein algani par man ki saDi sukhti rahti", "dhuen se kale hue raushandan takte rahte", "ki jaise main unhen pahchan raha hoon ya nahin", "man gungunate hue chawal binti dikh jati", "gana gungunate waqt man se kuch kaho to", "wo bolti nahin thi", "kai bar kaho to wo jhunjhla jati", "man ka jhunjhlana tab bahut achchha lagta tha", "sham ke waqt ghar pahuncho to", "pita bazar se sabzi lane gaye hote", "aur kuch hi kshan mein aa jate", "ye drishya itna napa tula tha", "ki ismen kuch bhi nayapan", "ya ajib nahin dikhai deta", "chahe jitni bar bahar se lautkar ghar jao", "ab chahe jitni bar ghar jao", "man chawal binte hue dikhai nahin deti", "dhuen se kale paDe raushandanon ko koi farq nahin", "ki main unhen pahchan raha hoon ya nahin", "palastar jami hui kai ke niche se", "dekhte hain mujhe aur chup ho jate hain", "bazar se sabzi lane jaisi", "ab koi prakriya nahin", "sabziwala ab theek darwaze par hi aa jata hai", "lagta hai jaise samucha ghar", "ek safed chadar se Dhak gaya hai", "aur we sari chizen", "jinhen main baDe utawlepan se DhunDhata hoon", "uske niche chhup gai hain", "ghar jane mein ab", "ghar jaisa sukh nahin raha", "ghar jane mein ab Dar lagta hai", "ki phir mujhe lautkar aana hai", "pahle ghar mein ghuste hi", "ek ajib sa utawalapan hota tha", "ki main baDi tatparta se nazar pher loon", "ki sab kuch yathawat hai ya nahin", "aur ghar bhi jaise meri pratiksha mein", "apna sara kaam dham chhoDkar khaDa ho", "angan mein algani par man ki saDi sukhti rahti", "dhuen se kale hue raushandan takte rahte", "ki jaise main unhen pahchan raha hoon ya nahin", "man gungunate hue chawal binti dikh jati", "gana gungunate waqt man se kuch kaho to", "wo bolti nahin thi", "kai bar kaho to wo jhunjhla jati", "man ka jhunjhlana tab bahut achchha lagta tha", "sham ke waqt ghar pahuncho to", "pita bazar se sabzi lane gaye hote", "aur kuch hi kshan mein aa jate", "ye drishya itna napa tula tha", "ki ismen kuch bhi nayapan", "ya ajib nahin dikhai deta", "chahe jitni bar bahar se lautkar ghar jao", "ab chahe jitni bar ghar jao", "man chawal binte hue dikhai nahin deti", "dhuen se kale paDe raushandanon ko koi farq nahin", "ki main unhen pahchan raha hoon ya nahin", "palastar jami hui kai ke niche se", "dekhte hain mujhe aur chup ho jate hain", "bazar se sabzi lane jaisi", "ab koi prakriya nahin", "sabziwala ab theek darwaze par hi aa jata hai", "lagta hai jaise samucha ghar", "ek safed chadar se Dhak gaya hai", "aur we sari chizen", "jinhen main baDe utawlepan se DhunDhata hoon", "uske niche chhup gai hain", "ghar jane mein ab", "ghar jaisa sukh nahin raha", "ghar jane mein ab Dar lagta hai", "ki phir mujhe lautkar aana hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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राजेश शर्मा की आत्महत्या - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/rajesh-sharma-ki-atmahatya-leeladhar-jagudi-kavita-3?sort=
[ "लखनऊ में राजेश की आत्महत्या से पहले", "हम बहुत सारे कवि-लेखक", "पीने-खाने के बाद दरी पर चादर बिछाकर लेटे", "और गपियाते रहे पूरी रात", "हुसैनगंज वाले ग्यारहवीं मंज़िल के फ़्लैट में", "जिसे छोड़कर", "गोमती नगर में उसने शानदार घर बनवा लिया था बाद में", "एक दिन गोमती नगर वाले शानदार घर को भी छोड़कर", "अपना साफ़-सुथरा आकर्षक शरीर लेकर", "चिड़ियाघर और सिविल अस्पताल के बीच", "सूचना-विभाग को छोड़कर", "वही राजेश शर्मा", "हुसैनगंज वाली ग्यारहवीं मंज़िल पर जा पहुँचा", "जहाँ दरी पर चादर बिछाकर", "अच्छे साहित्य से पैदा हुए अच्छे समाज की बाते की थीं", "हमने", "लिफ़्ट पर चढ़कर गया वह", "कूदकर नीचे आने के लिए", "जब दूसरे वह ऊँचाई नहीं देते", "जहाँ आप ख़ुद का घंटाघर बनाए हुए होते हैं", "तो ऊँचाई आपको ढकेल देती है", "अपने को सबसे अलग समझने की", "यह अलग ही कोई चोट है", "जो ख़ुद पर ख़ुद ही मारनी पड़ती है राजेश की तरह", "आत्महंता पद्धति को बहुत बार बहुत से कवियों ने", "आज़माया है डिक्टेटर की तरह", "लेकिन उनकी कविता की भाषा ही आख़िर काम आई", "जो उन्होंने जीवन को चोट पहुँचाने से पहले", "लोक से अपने संवाद के लिए रची थी", "ज़िंदगी बहुत-सी चीज़ों के काम आती है", "इसलिए आत्महत्या के भी काम आई एक दिन", "जैसे अपनी मृत्यु ही सारी चीज़ों पर अंतिम पर्दा हो।", "lucknow mein rajesh ki atmahatya se pahle", "hum bahut sare kawi lekhak", "pine khane ke baad dari par chadar bichhakar lete", "aur gapiyate rahe puri raat", "husainganj wale gyarahwin manzil ke flat mein", "jise chhoDkar", "gomti nagar mein usne shanadar ghar banwa liya tha baad mein", "ek din gomti nagar wale shanadar ghar ko bhi chhoDkar", "apna saf suthra akarshak sharir lekar", "chiDiyaghar aur siwil aspatal ke beech", "suchana wibhag ko chhoDkar", "wahi rajesh sharma", "husainganj wali gyarahwin manzil par ja pahuncha", "jahan dari par chadar bichhakar", "achchhe sahity se paida hue achchhe samaj ki bate ki theen", "hamne", "lift par chaDhkar gaya wo", "kudkar niche aane ke liye", "jab dusre wo unchai nahin dete", "jahan aap khu ka ghantaghar banaye hue hote hain", "to unchai aapko Dhakel deti hai", "apne ko sabse alag samajhne ki", "ye alag hi koi chot hai", "jo khu par khu hi marni paDti hai rajesh ki tarah", "atmhanta paddhati ko bahut bar bahut se kawiyon ne", "azmaya hai dictator ki tarah", "lekin unki kawita ki bhasha hi akhir kaam i", "jo unhonne jiwan ko chot pahunchane se pahle", "lok se apne sanwad ke liye rachi thi", "zindagi bahut si chizon ke kaam aati hai", "isliye atmahatya ke bhi kaam i ek din", "jaise apni mirtyu hi sari chizon par antim parda ho", "lucknow mein rajesh ki atmahatya se pahle", "hum bahut sare kawi lekhak", "pine khane ke baad dari par chadar bichhakar lete", "aur gapiyate rahe puri raat", "husainganj wale gyarahwin manzil ke flat mein", "jise chhoDkar", "gomti nagar mein usne shanadar ghar banwa liya tha baad mein", "ek din gomti nagar wale shanadar ghar ko bhi chhoDkar", "apna saf suthra akarshak sharir lekar", "chiDiyaghar aur siwil aspatal ke beech", "suchana wibhag ko chhoDkar", "wahi rajesh sharma", "husainganj wali gyarahwin manzil par ja pahuncha", "jahan dari par chadar bichhakar", "achchhe sahity se paida hue achchhe samaj ki bate ki theen", "hamne", "lift par chaDhkar gaya wo", "kudkar niche aane ke liye", "jab dusre wo unchai nahin dete", "jahan aap khu ka ghantaghar banaye hue hote hain", "to unchai aapko Dhakel deti hai", "apne ko sabse alag samajhne ki", "ye alag hi koi chot hai", "jo khu par khu hi marni paDti hai rajesh ki tarah", "atmhanta paddhati ko bahut bar bahut se kawiyon ne", "azmaya hai dictator ki tarah", "lekin unki kawita ki bhasha hi akhir kaam i", "jo unhonne jiwan ko chot pahunchane se pahle", "lok se apne sanwad ke liye rachi thi", "zindagi bahut si chizon ke kaam aati hai", "isliye atmahatya ke bhi kaam i ek din", "jaise apni mirtyu hi sari chizon par antim parda ho", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
सुख है - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/sukh-hai-avinash-mishra-kavita?sort=
[ "उजाले लंबे होते जा रहे हैं और अँधेरे बहुत गर्म", "उम्र अभी केवल पैंतीस की है", "लेकिन ऋतुएँ महसूस होना बंद हो गई हैं", "और ख़ुशबुएँ भी और स्त्रियाँ भी", "उँगलियों से जब माथा छुओ तो वहाँ विरक्ति का ज्वर मालूम पड़ता है", "दुःख को इतना नज़दीक से देखा है कि वह दूर चला गया है", "यह एक छल है या दुःख से मोहभंग की शुरुआत", "कि इन लंबे उजालों और बहुत गर्म अँधेरों के बीच उसने", "अपनी दिनचर्या कुछ यूँ निर्धारित कर ली :", "आठ घंटे नींद-महत्वाकांक्षा के लिए", "एक घंटा सेक्स-घृणा के लिए", "एक घंटा संगीत-शराब के लिए", "एक घंटा शौचालय-आत्ममंथन-गायन के लिए", "दो घंटे आवाजाही के लिए", "दो घंटे फ़ाइलों के लिए", "चार घंटे बकचोदी के लिए", "पंद्रह मिनट अनार के जूस के लिए", "पैंतालीस मिनट आहार के लिए", "दो मिनट प्रगतिशीलता-स्त्रीविमर्श के लिए", "दो मिनट धर्मनिरपेक्षता-सांप्रदायिकता के लिए", "दो मिनट सवर्ण-विरोध के लिए", "एक मिनट आज़ादी के लिए", "तीस सेकेंड दलित-विमर्श के लिए", "दो सेकेंड आदिवासियों के लिए", "एक सेकेंड जनवाद के लिए", "और इस सबके साथ-साथ इस सबके बीच बाक़ी बचा वक़्त अवसरवाद के लिए।", "ujale lambe hote ja rahe hain aur andhere bahut garm", "umr abhi kewal paintis ki hai", "lekin rituen mahsus hona band ho gai hain", "aur khushbuen bhi aur striyan bhi", "ungliyon se jab matha chhuo to wahan wirakti ka jwar malum paDta hai", "duःkh ko itna nazdik se dekha hai ki wo door chala gaya hai", "ye ek chhal hai ya duःkh se mohbhang ki shuruat", "ki in lambe ujalon aur bahut garm andheron ke beech usne", "apni dincharya kuch yoon nirdharit kar li ha", "ath ghante neend mahatwakanksha ke liye", "ek ghanta sex ghrina ke liye", "ek ghanta sangit sharab ke liye", "ek ghanta shauchalay atmmanthan gayan ke liye", "do ghante awajahi ke liye", "do ghante failon ke liye", "chaar ghante bakchodi ke liye", "pandrah minat anar ke juice ke liye", "paintalis minat ahar ke liye", "do minat pragatishilta striwimarsh ke liye", "do minat dharmanirpekshata samprdayikta ke liye", "do minat sawarn wirodh ke liye", "ek minat azadi ke liye", "tees sekenD dalit wimarsh ke liye", "do sekenD adiwasiyon ke liye", "ek sekenD janwad ke liye", "aur is sabke sath sath is sabke beech baqi bacha waqt awsarwad ke liye", "ujale lambe hote ja rahe hain aur andhere bahut garm", "umr abhi kewal paintis ki hai", "lekin rituen mahsus hona band ho gai hain", "aur khushbuen bhi aur striyan bhi", "ungliyon se jab matha chhuo to wahan wirakti ka jwar malum paDta hai", "duःkh ko itna nazdik se dekha hai ki wo door chala gaya hai", "ye ek chhal hai ya duःkh se mohbhang ki shuruat", "ki in lambe ujalon aur bahut garm andheron ke beech usne", "apni dincharya kuch yoon nirdharit kar li ha", "ath ghante neend mahatwakanksha ke liye", "ek ghanta sex ghrina ke liye", "ek ghanta sangit sharab ke liye", "ek ghanta shauchalay atmmanthan gayan ke liye", "do ghante awajahi ke liye", "do ghante failon ke liye", "chaar ghante bakchodi ke liye", "pandrah minat anar ke juice ke liye", "paintalis minat ahar ke liye", "do minat pragatishilta striwimarsh ke liye", "do minat dharmanirpekshata samprdayikta ke liye", "do minat sawarn wirodh ke liye", "ek minat azadi ke liye", "tees sekenD dalit wimarsh ke liye", "do sekenD adiwasiyon ke liye", "ek sekenD janwad ke liye", "aur is sabke sath sath is sabke beech baqi bacha waqt awsarwad ke liye", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मन न मिला तो कैसा नाता - कविता | हिन्दवी
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[ "मन न मिला तो कैसा नाता", "चला अकेला ठोकर खाता", "जितने थे, झूठे वादे थे", "सुख पर सभी बिके प्यादे थे", "जाने क्यों मैं समझ न पाया", "जग के नियम बड़े सादे थे", "अपना ही स्वर मैं दुहराता", "चला अकेला ठोकर खाता", "फिर तो जो बाधाएँ आईं", "बढ़कर मैंने गले लगाईं", "उतना ही मैं कुशल हो गया", "जितनी असफलताएँ पाईं", "अपने घाव स्वयं सहलाता", "चला अकेला ठोकर खाता", "man na mila to kaisa nata", "chala akela thokar khata", "jitne the, jhuthe wade the", "sukh par sabhi bike pyade the", "jane kyon main samajh na paya", "jag ke niyam baDe sade the", "apna hi swar main duhrata", "chala akela thokar khata", "phir to jo badhayen ain", "baDhkar mainne gale lagain", "utna hi main kushal ho gaya", "jitni asaphaltayen pain", "apne ghaw swayan sahlata", "chala akela thokar khata", "man na mila to kaisa nata", "chala akela thokar khata", "jitne the, jhuthe wade the", "sukh par sabhi bike pyade the", "jane kyon main samajh na paya", "jag ke niyam baDe sade the", "apna hi swar main duhrata", "chala akela thokar khata", "phir to jo badhayen ain", "baDhkar mainne gale lagain", "utna hi main kushal ho gaya", "jitni asaphaltayen pain", "apne ghaw swayan sahlata", "chala akela thokar khata", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
अवसाद का रंग - कविता | हिन्दवी
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[ "कहाँ हो पाता है उबरनाअवसाद सेतुम्हारी यादों में डूबकर", "अवसाद का रंगनहीं है बारिश का पानीजो ढल जाएकिसी भी रंग और आकार में", "अवसाद का रंगकोई नाटक नहींजिसे दिखाया जाएहर बार यवनिका बदलकर", "अवसाद के रंग सेउपजती नहीं कोई गरमाहटआता नहीं कोई मौसममिलता नहीं कोई संदेशकोई आसरा थाम नहीं लेता हमेंअवसाद का रंग घुल नहीं जाताबीते हुए कल के जल में1   वह तो प्रेमियों की आहों सदृश होता हैजिसका रंग कभी नहीं बदलताहो नहीं जाता उसके अर्थ का विपर्यय।", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
दृश्य बनने तक - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/drishya-banne-tak-malyaj-kavita?sort=
[ "सिर भारी जुनून तारी", "कि वक़्त और वक़्त के दो टुकड़ों के बीच", "मेरी छाया जो खड़ी है बुत", "उसे हिला दूँ जैसे डाल हिलती", "तब भद्द से गिर पड़ते हैं उस पर टँगे हुए", "बहुत पुराने फल...", "दिमाग़ में कितने जाले कितने झंखाड़", "चट्टानें आदिम युगों की संध्याओं की", "आसमानों में रौशनी पोंछ दिए जाने के खुरदुरे निशान", "कितने कितने रुँधे जलों में", "कितनी कितनी गर्दख़ोर यात्राओं के उजाड़ों", "के बिंब छितरे हुए", "काँटों के नुकीले पलों पर थमी हुई", "ढरक ढरक पड़ने को बेताब कितनी अस्मिताएँ", "सिर भारी सलवटों में नक़्शों के पुलिंदे", "जिनमें भविष्य का बुख़ार", "तह-दर-तह घूरता है", "पाँव-तले शीशे के टुकड़ों में चमकता, तमतमाता", "साँसों के आस-पास की हवा को ढकेल कर", "वक़्त का वह निर्लज्ज टुकड़ा", "मेरी खाल पर जलते हुए दिन-सा", "चिपका है", "बेमुरौवत महाजन का ब्याज बन कर", "—कोई छाया, कोई शब्द, ख़ून की कोई मचलती हरकत", "उससे छिपा कर अलग दर्ज नहीं की जा सकती", "अस्तित्व के किसी बहीखाते में", "सिर्फ़ एक अंतराल में शक्लें टूटती हैं", "बनने के पहले आँखें उछलती हैं", "दृश्य बनने तक", "sir bhari junun tari", "ki waqt aur waqt ke do tukDon ke beech", "meri chhaya jo khaDi hai but", "use hila doon jaise Dal hilti", "tab bhadd se gir paDte hain us par tange hue", "bahut purane phal", "dimagh mein kitne jale kitne jhankhaD", "chattanen aadim yugon ki sandhyaon ki", "asmanon mein raushani ponchh diye jane ke khurdure nishan", "kitne kitne rundhe jalon mein", "kitni kitni gardkhor yatraon ke ujaDon", "ke bimb chhitre hue", "kanton ke nukile palon par thami hui", "Dharak Dharak paDne ko betab kitni asmitayen", "sir bhari salawton mein naqshon ke pulinde", "jinmen bhawishya ka bukhar", "tah dar tah ghurta hai", "panw tale shishe ke tukDon mein chamakta, tamtamata", "sanson ke aas pas ki hawa ko Dhakel kar", "waqt ka wo nirlajj tukDa", "meri khaal par jalte hue din sa", "chipka hai", "bemurauwat mahajan ka byaj ban kar", "—koi chhaya, koi shabd, khoon ki koi machalti harkat", "usse chhipa kar alag darj nahin ki ja sakti", "astitw ke kisi bahikhate mein", "sirf ek antral mein shaklen tutti hain", "banne ke pahle ankhen uchhalti hain", "drishya banne tak", "sir bhari junun tari", "ki waqt aur waqt ke do tukDon ke beech", "meri chhaya jo khaDi hai but", "use hila doon jaise Dal hilti", "tab bhadd se gir paDte hain us par tange hue", "bahut purane phal", "dimagh mein kitne jale kitne jhankhaD", "chattanen aadim yugon ki sandhyaon ki", "asmanon mein raushani ponchh diye jane ke khurdure nishan", "kitne kitne rundhe jalon mein", "kitni kitni gardkhor yatraon ke ujaDon", "ke bimb chhitre hue", "kanton ke nukile palon par thami hui", "Dharak Dharak paDne ko betab kitni asmitayen", "sir bhari salawton mein naqshon ke pulinde", "jinmen bhawishya ka bukhar", "tah dar tah ghurta hai", "panw tale shishe ke tukDon mein chamakta, tamtamata", "sanson ke aas pas ki hawa ko Dhakel kar", "waqt ka wo nirlajj tukDa", "meri khaal par jalte hue din sa", "chipka hai", "bemurauwat mahajan ka byaj ban kar", "—koi chhaya, koi shabd, khoon ki koi machalti harkat", "usse chhipa kar alag darj nahin ki ja sakti", "astitw ke kisi bahikhate mein", "sirf ek antral mein shaklen tutti hain", "banne ke pahle ankhen uchhalti hain", "drishya banne tak", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
ऐसे भी तो संभव है मृत्यु - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/aise-bhi-to-sambhaw-hai-mirtyu-jitendra-kumar-kavita?sort=
[ "रात के अँधेरे में एक दिन", "मैं सहसा मर जाऊँगा", "तो लोग घंटियों की आवाज़ें नहीं सुनेंगे", "वे सो रहे होंगे", "वे उदास", "चिंतित व्यथित लोग भी", "जिन्हें रात रात भर नींद नहीं आती", "दिन का उजियारा होने के पहले ही तो", "उन्हें एक झपकी आती है", "फिर दिन भर उनकी आँखें जलती रहती हैं", "मैं खुले आकाश के नीचे मरूँगा", "उस दिन साफ़ खुले आकाश में", "चाँद बहुत छोटा होगा", "और तारे", "अपनी संपूर्ण प्रतिभा से चमक रहे होंगे", "सहसा एक चिलकन", "मेरे बाईं तरफ़ पैदा होगी", "थोड़ी देर मैं", "मृत्यु से बचने के लिए तड़पूँगा", "फिर सब शांत हो जाएगा", "मेरी यह मृत्यु निश्चित है", "पर शायद मरने के पहले", "मैं उनमें से वह नक्षत्र खोजने की", "कोशिश करूँ", "जिसके बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं है", "फिर मैं मर जाऊँगा", "हालाँकि नींद में मरना आसान होता है", "शायद कोई", "मेरी पत्नी को सूचना दे", "शायद थोड़ी देर", "या कभी बाद में", "मेरे बेटे को एक ख़ालीपन महसूस हो", "जिसे उस वक़्त", "वह ठीक से समझ नहीं पाएगा", "शायद कुछ लोग और भी हों", "प्रेम या नफ़रत से भरे हुए", "पर इन क्षेत्रों में भी मैं भिखमंगा ही रहा हूँ", "कुछ भी तो ठीक से मैंने नहीं किया", "इतने सालों में", "जो कुछ भी कर सकने के लिए काफ़ी थे", "न उतना अच्छा बना", "जितना बचपन में सोचता था", "न उतना ओछा", "जितना हो सकता था", "कुछ भी तो नहीं हुआ जैसा वह संभव था", "अपनी मृत्यु के बारे में", "इस तरह सोचना आत्मश्लाघा है", "पर ऐसे", "ऐसे भी तो संभव है मृत्यु!", "raat ke andhere mein ek din", "main sahsa mar jaunga", "to log ghantiyon ki awazen nahin sunenge", "we so rahe honge", "we udas", "chintit wyathit log bhi", "jinhen raat raat bhar neend nahin aati", "din ka ujiyara hone ke pahle hi to", "unhen ek jhapki aati hai", "phir din bhar unki ankhen jalti rahti hain", "main khule akash ke niche marunga", "us din saf khule akash mein", "chand bahut chhota hoga", "aur tare", "apni sampurn pratibha se chamak rahe honge", "sahsa ek chilkan", "mere bain taraf paida hogi", "thoDi der main", "mirtyu se bachne ke liye taDpunga", "phir sab shant ho jayega", "meri ye mirtyu nishchit hai", "par shayad marne ke pahle", "main unmen se wo nakshatr khojne ki", "koshish karun", "jiske bare mein mujhe kuch bhi pata nahin hai", "phir main mar jaunga", "halanki neend mein marna asan hota hai", "shayad koi", "meri patni ko suchana de", "shayad thoDi der", "ya kabhi baad mein", "mere bete ko ek khalipan mahsus ho", "jise us waqt", "wo theek se samajh nahin payega", "shayad kuch log aur bhi hon", "prem ya nafar se bhare hue", "par in kshetron mein bhi main bhikhmanga hi raha hoon", "kuch bhi to theek se mainne nahin kiya", "itne salon mein", "jo kuch bhi kar sakne ke liye kafi the", "na utna achchha bana", "jitna bachpan mein sochta tha", "na utna ochha", "jitna ho sakta tha", "kuch bhi to nahin hua jaisa wo sambhaw tha", "apni mirtyu ke bare mein", "is tarah sochna atmashlagha hai", "par aise", "aise bhi to sambhaw hai mirtyu!", "raat ke andhere mein ek din", "main sahsa mar jaunga", "to log ghantiyon ki awazen nahin sunenge", "we so rahe honge", "we udas", "chintit wyathit log bhi", "jinhen raat raat bhar neend nahin aati", "din ka ujiyara hone ke pahle hi to", "unhen ek jhapki aati hai", "phir din bhar unki ankhen jalti rahti hain", "main khule akash ke niche marunga", "us din saf khule akash mein", "chand bahut chhota hoga", "aur tare", "apni sampurn pratibha se chamak rahe honge", "sahsa ek chilkan", "mere bain taraf paida hogi", "thoDi der main", "mirtyu se bachne ke liye taDpunga", "phir sab shant ho jayega", "meri ye mirtyu nishchit hai", "par shayad marne ke pahle", "main unmen se wo nakshatr khojne ki", "koshish karun", "jiske bare mein mujhe kuch bhi pata nahin hai", "phir main mar jaunga", "halanki neend mein marna asan hota hai", "shayad koi", "meri patni ko suchana de", "shayad thoDi der", "ya kabhi baad mein", "mere bete ko ek khalipan mahsus ho", "jise us waqt", "wo theek se samajh nahin payega", "shayad kuch log aur bhi hon", "prem ya nafar se bhare hue", "par in kshetron mein bhi main bhikhmanga hi raha hoon", "kuch bhi to theek se mainne nahin kiya", "itne salon mein", "jo kuch bhi kar sakne ke liye kafi the", "na utna achchha bana", "jitna bachpan mein sochta tha", "na utna ochha", "jitna ho sakta tha", "kuch bhi to nahin hua jaisa wo sambhaw tha", "apni mirtyu ke bare mein", "is tarah sochna atmashlagha hai", "par aise", "aise bhi to sambhaw hai mirtyu!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
इच्छाओं का कोरस - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/ichchhaon-ka-koras-nikhil-anand-giri-kavita?sort=
[ "मेरी भोली इच्छा थी कि अच्छा बनूँ", "मगर यह अंतिम इच्छा की तरह नहीं था", "और भी इच्छाएँ चलती रहीं साथ-साथ", "समोसे की इच्छा सतत बनी रही", "मगर चटनी या आलू के बिना उन्हें पूरा करना असंभव था", "दारू पीने की इच्छा जितनी रही", "उसका एक अंश भी नहीं पिया मैंने अब तक", "राजा बनने से अधिक", "उसकी आँखों में आँखें डालकर", "बात करने की इच्छा प्रबल रही", "अमेरिका या यूरोप न सही", "किसी ऐसे देश में जाने की इच्छा", "अवश्य रही", "जहाँ लोग हॉर्न की आवाज़ तक से चौंक जाते हैं", "मगर उनका बुरा नसीब", "उन्हें युद्ध के टैंक की आवाज़ों से भर देता है", "उन बच्चों से मिलने की इच्छा", "जिनका बचपन माँ-बाप की लड़ाइयों में नष्ट हुआ", "या सिर्फ़ अस्पतालों में बीत गया", "रोने से अधिक", "उन्हें चुप कराने की इच्छा", "अनंत फ़िल्में देखी इच्छाओं से परे", "तब भी मार-धाड़ की इच्छा नहीं", "प्यार करने की इच्छा पर ही मन ठहरा", "अनंत बार प्यार किया उन लड़कियों से", "जिनसे नहीं मिला", "मिलने की संभावना भी नहीं", "जिनसे मिला जीवन में", "कभी अभाव में", "या समाज के दबाव में", "उनसे क्या अपेक्षा रखता", "किसी बैंक खाते की तरह", "बना रहा रिश्ते में", "भविष्य में काम आने का भ्रम लिए", "रात की इच्छाएँ एक गहरी सुरंग में ले जाती हैं", "जहाँ मैं नींद को चकमा देता हुआ प्रवेश करता हूँ", "उम्र और बेचैनी के हिसाब से", "और फिर न निकलने की इच्छा", "सुबह से पहले दम तोड़ देती है", "इच्छाओं में दिल्ली आना कभी नहीं रहा", "गाँव में जीवन गुज़ारना एक इच्छा थी", "मगर अब गाँव-गाँव नहीं रहे", "और जीवन भी जीवन कहाँ रहा!", "meri bholi ichha thi ki achchha banun", "magar ye antim ichha ki tarah nahin tha", "aur bhi ichhayen chalti rahin sath sath", "samose ki ichha satat bani rahi", "magar chatni ya aalu ke bina unhen pura karna asambhaw tha", "daru pine ki ichha jitni rahi", "uska ek ansh bhi nahin piya mainne ab tak", "raja banne se adhik", "uski ankhon mein ankhen Dalkar", "baat karne ki ichha prabal rahi", "amerika ya europe na sahi", "kisi aise desh mein jane ki ichha", "awashy rahi", "jahan log horn ki awaz tak se chaunk jate hain", "magar unka bura nasib", "unhen yudh ke taink ki awazon se bhar deta hai", "un bachchon se milne ki ichha", "jinka bachpan man bap ki laDaiyon mein nasht hua", "ya sirf asptalon mein beet gaya", "rone se adhik", "unhen chup karane ki ichha", "anant filmen dekhi ichchhaon se pare", "tab bhi mar dhaD ki ichha nahin", "pyar karne ki ichha par hi man thahra", "anant bar pyar kiya un laDakiyon se", "jinse nahin mila", "milne ki sambhawna bhi nahin", "jinse mila jiwan mein", "kabhi abhaw mein", "ya samaj ke dabaw mein", "unse kya apeksha rakhta", "kisi baink khate ki tarah", "bana raha rishte mein", "bhawishya mein kaam aane ka bhram liye", "raat ki ichhayen ek gahri surang mein le jati hain", "jahan main neend ko chakma deta hua prawesh karta hoon", "umr aur bechaini ke hisab se", "aur phir na nikalne ki ichha", "subah se pahle dam toD deti hai", "ichchhaon mein dilli aana kabhi nahin raha", "ganw mein jiwan guzarna ek ichha thi", "magar ab ganw ganw nahin rahe", "aur jiwan bhi jiwan kahan raha!", "meri bholi ichha thi ki achchha banun", "magar ye antim ichha ki tarah nahin tha", "aur bhi ichhayen chalti rahin sath sath", "samose ki ichha satat bani rahi", "magar chatni ya aalu ke bina unhen pura karna asambhaw tha", "daru pine ki ichha jitni rahi", "uska ek ansh bhi nahin piya mainne ab tak", "raja banne se adhik", "uski ankhon mein ankhen Dalkar", "baat karne ki ichha prabal rahi", "amerika ya europe na sahi", "kisi aise desh mein jane ki ichha", "awashy rahi", "jahan log horn ki awaz tak se chaunk jate hain", "magar unka bura nasib", "unhen yudh ke taink ki awazon se bhar deta hai", "un bachchon se milne ki ichha", "jinka bachpan man bap ki laDaiyon mein nasht hua", "ya sirf asptalon mein beet gaya", "rone se adhik", "unhen chup karane ki ichha", "anant filmen dekhi ichchhaon se pare", "tab bhi mar dhaD ki ichha nahin", "pyar karne ki ichha par hi man thahra", "anant bar pyar kiya un laDakiyon se", "jinse nahin mila", "milne ki sambhawna bhi nahin", "jinse mila jiwan mein", "kabhi abhaw mein", "ya samaj ke dabaw mein", "unse kya apeksha rakhta", "kisi baink khate ki tarah", "bana raha rishte mein", "bhawishya mein kaam aane ka bhram liye", "raat ki ichhayen ek gahri surang mein le jati hain", "jahan main neend ko chakma deta hua prawesh karta hoon", "umr aur bechaini ke hisab se", "aur phir na nikalne ki ichha", "subah se pahle dam toD deti hai", "ichchhaon mein dilli aana kabhi nahin raha", "ganw mein jiwan guzarna ek ichha thi", "magar ab ganw ganw nahin rahe", "aur jiwan bhi jiwan kahan raha!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
कौन बताएगा - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/kaun-batayega-pramod-verma-kavita?sort=
[ "ईश्वर से परिचय नहीं", "और अबूझ ही रही चली आई है प्रकृति", "आज तक।", "तब", "कौन बताएगा मुझे", "क्या है तकलीफ़ का मूल कारण—", "गर्भ में खुलने वाली खिड़की", "या अनंत विस्तार में बंद होने वाली", "या इन दोनों के बीच की", "निहायत तंग जगह?", "अनाम पक्षी", "रात भर विलाप करता है।", "उसे उम्मीद थी", "अपने टूटे पत्ते को नाव बनाकर", "उसके समेत", "पार उतर जाना", "संभव कर लेगा वृक्ष।", "चढ़ने से कहीं अधिक व्याप रही है", "उतरने की दहशत।", "पूरी तरह बहुत-बहुत जीना", "फ़क़त इच्छा है", "और इच्छा", "धुन है उस गीत की जो", "अशब्द ही रहा चला आया है", "आज तक।", "ishwar se parichai nahin", "aur abujh hi rahi chali i hai prakrti", "aj tak", "tab", "kaun batayega mujhe", "kya hai taklif ka mool karan—", "garbh mein khulne wali khiDki", "ya anant wistar mein band hone wali", "ya in donon ke beech ki", "nihayat tang jagah?", "anam pakshi", "raat bhar wilap karta hai", "use ummid thi", "apne tute patte ko naw banakar", "uske samet", "par utar jana", "sambhaw kar lega wriksh", "chaDhne se kahin adhik wyap rahi hai", "utarne ki dahshat", "puri tarah bahut bahut jina", "fak ichha hai", "aur ichha", "dhun hai us geet ki jo", "ashabd hi raha chala aaya hai", "aj tak", "ishwar se parichai nahin", "aur abujh hi rahi chali i hai prakrti", "aj tak", "tab", "kaun batayega mujhe", "kya hai taklif ka mool karan—", "garbh mein khulne wali khiDki", "ya anant wistar mein band hone wali", "ya in donon ke beech ki", "nihayat tang jagah?", "anam pakshi", "raat bhar wilap karta hai", "use ummid thi", "apne tute patte ko naw banakar", "uske samet", "par utar jana", "sambhaw kar lega wriksh", "chaDhne se kahin adhik wyap rahi hai", "utarne ki dahshat", "puri tarah bahut bahut jina", "fak ichha hai", "aur ichha", "dhun hai us geet ki jo", "ashabd hi raha chala aaya hai", "aj tak", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
और किसी के नहीं, विकल मन अपने पास रहो - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/aur-kisi-ke-nahin-wikal-man-apne-pas-raho-krishna-murari-pahariya-kavita?sort=
[ "और किसी के नहीं, विकल मन अपने पास रहो", "अपनी चोटें, अपनी चिंता, अपने त्रास सहो", "सबके अपने अलग राग हैं, अपने-अपने सपने", "सब आए हैं अपनी-अपनी राहों मरने-खपने", "सहयोगों के नाम छद्म है, अपनत्वों के पट पर", "हम सब अलग-अलग घायल हैं अपने-अपने तट पर", "अपनी-अपनी क्षमता नापो, अपनी आस गहो", "संबंधों की भाषा अनगढ़, अनबूझी, अनबोली", "इसीलिए अपने अंतस में अपनी-अपनी होली", "अपने हैं उत्ताप और अपने-अपने मरहम हैं", "अपने ही संवेग और अपने-अपने संयम हैं", "अपने कमरे में बैठो, अपने आकाश बहो", "aur kisi ke nahin, wikal man apne pas raho", "apni choten, apni chinta, apne tras saho", "sabke apne alag rag hain, apne apne sapne", "sab aaye hain apni apni rahon marne khapne", "sahyogon ke nam chhadm hai, apnatwon ke pat par", "hum sab alag alag ghayal hain apne apne tat par", "apni apni kshamata napo, apni aas gaho", "sambandhon ki bhasha angaDh, anbujhi, anboli", "isiliye apne antas mein apni apni holi", "apne hain uttap aur apne apne marham hain", "apne hi sanweg aur apne apne sanyam hain", "apne kamre mein baitho, apne akash baho", "aur kisi ke nahin, wikal man apne pas raho", "apni choten, apni chinta, apne tras saho", "sabke apne alag rag hain, apne apne sapne", "sab aaye hain apni apni rahon marne khapne", "sahyogon ke nam chhadm hai, apnatwon ke pat par", "hum sab alag alag ghayal hain apne apne tat par", "apni apni kshamata napo, apni aas gaho", "sambandhon ki bhasha angaDh, anbujhi, anboli", "isiliye apne antas mein apni apni holi", "apne hain uttap aur apne apne marham hain", "apne hi sanweg aur apne apne sanyam hain", "apne kamre mein baitho, apne akash baho", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
ये अषाढ़ के पहले बादल - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/ye-ashadh-ke-pahle-badal-krishna-murari-pahariya-kavita?sort=
[ "ये अषाढ़ के पहले बादल", "मेरा मन है भोर", "बाहर का सन्नाटा तोड़े", "भीतर उठता शोर", "बेबस मन को नींद कहाँ है", "चली गई परदेश", "घटा रात में घुमड़ी जैसे", "उनके कुंचित काश", "दूर-पास के संबंधों का", "कोई ओर न छोर", "तना हुआ मन कई दिनों का,", "पीड़ा से विश्राम", "लेता है रच-रचकर कविता,", "रखकर पूर्ण विराम", "फिर-फिर काग़ज़ को छूती है", "हँसकर निब की कोर", "ye ashaDh ke pahle badal", "mera man hai bhor", "bahar ka sannata toDe", "bhitar uthta shor", "bebas man ko neend kahan hai", "chali gai pardesh", "ghata raat mein ghumDi jaise", "unke kunchit kash", "door pas ke sambandhon ka", "koi or na chhor", "tana hua man kai dinon ka,", "piDa se wishram", "leta hai rach rachkar kawita,", "rakhkar poorn wiram", "phir phir kaghaz ko chhuti hai", "hansakar nib ki kor", "ye ashaDh ke pahle badal", "mera man hai bhor", "bahar ka sannata toDe", "bhitar uthta shor", "bebas man ko neend kahan hai", "chali gai pardesh", "ghata raat mein ghumDi jaise", "unke kunchit kash", "door pas ke sambandhon ka", "koi or na chhor", "tana hua man kai dinon ka,", "piDa se wishram", "leta hai rach rachkar kawita,", "rakhkar poorn wiram", "phir phir kaghaz ko chhuti hai", "hansakar nib ki kor", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
कठ-करेज समय - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/kath-karej-samay-roopam-mishra-kavita?sort=
[ "उनको बाँट-बखरे में जो थोड़ा बहुत बसंत मिल सकता था", "वो भी हाथ में नहीं आया", "हर हिस्से में बड़ी हिस्सेदारियाँ थीं", "जैसे आदम युग से संपत्तियों का बँटवारा", "जिसमें जेठसी और एकलवारिया आरक्षित होते थे", "प्रेम तो उससे भी आदिम था", "उसके यहाँ ये अवस्थाएँ चरम पर थीं", "मैं भी वहीं थी पर उस हाईटेक चलन में मेरी उपस्थित मध्यमा रही तो मेरा दुःख भी मध्यम रहा", "उस गलजोड़ में ख़ूब शकर-मुद्धियाँ थी जिसमें ठहराव से ज़्यादा गला कसने की सहूलियत थी", "मैं वहाँ अड़ीची-सी खड़ी रही", "प्रेम के उस परगने में बहराम कराने की लत थी और इधर मैं नास्तिक हो रही थी", "उन आत्माओं में अलख-सा जगता एक नाम ऐसे चिपका था कि", "दहकती सलाख़ों से ही उसे छुड़ाया जा सकता था", "मन की ये शल्यक्रिया बेहद तकलीफ़देह थी", "तो चुप रहकर एक पीड़ा से समझौता हुआ", "नमक के धेले-सी ग़लती देहों से न पूछना उनके बसंत का मिज़ाज", "हतभागे क्या जाने बसंत का वैभव", "अघान में डूबे बड़भागे बैठते हैं बसंत की अभिजाती गोद में", "अलसी के फूलों जैसा प्रेम अब काला हो गया है", "इस कठ-करेज समय में कहीं कोई बसंत नहीं है", "धरती की देह पर कंक्रीट उग रहा है", "ईंट-भट्ठे का उजाड़पन सारे सिवान पर छा रहा है", "खेतों से रेह उड़ रही है", "गहदूरिया में ही लौटान होता है और साँझ हो गई दिया-लेसान की बेला", "पर अजोर कैसे हो जंगल की तरफ़ गई गिलहरियाँ और गौरैया लौटकर घर नहीं आईं", "हर तरफ़ धुआँ है सारी शाख़ों पर धूल पड़ी है", "तितलियों का दम घुट रहा है।", "unko bant bakhre mein jo thoDa bahut basant mil sakta tha", "wo bhi hath mein nahin aaya", "har hisse mein baDi hissedariyan theen", "jaise aadam yug se sampattiyon ka bantwara", "jismen jethsi aur ekalwariya arakshait hote the", "prem to usse bhi aadim tha", "uske yahan ye awasthayen charam par theen", "main bhi wahin thi par us haitek chalan mein meri upasthit madhyama rahi to mera duःkh bhi maddhyam raha", "us galjoD mein khoob shakar muddhiyan thi jismen thahraw se zyada gala kasne ki sahuliyat thi", "main wahan aDichi si khaDi rahi", "prem ke us paragne mein bahram karane ki lat thi aur idhar main nastik ho rahi thi", "un atmaon mein alakh sa jagta ek nam aise chipka tha ki", "dahakti salakhon se hi use chhuDaya ja sakta tha", "man ki ye shalyakriya behad taklifdeh thi", "to chup rahkar ek piDa se samjhauta hua", "namak ke dhele si ghalati dehon se na puchhna unke basant ka mizaj", "hatbhage kya jane basant ka waibhaw", "aghan mein Dube baDbhage baithte hain basant ki abhijati god mein", "alsi ke phulon jaisa prem ab kala ho gaya hai", "is kath karej samay mein kahin koi basant nahin hai", "dharti ki deh par kankrit ug raha hai", "int bhatthe ka ujaDpan sare siwan par chha raha hai", "kheton se reh uD rahi hai", "gahduriya mein hi lautan hota hai aur sanjh ho gai diya lesan ki bela", "par ajor kaise ho jangal ki taraf gai gilahriyan aur gauraiya lautkar ghar nahin ain", "har taraf dhuan hai sari shakhon par dhool paDi hai", "titaliyon ka dam ghut raha hai", "unko bant bakhre mein jo thoDa bahut basant mil sakta tha", "wo bhi hath mein nahin aaya", "har hisse mein baDi hissedariyan theen", "jaise aadam yug se sampattiyon ka bantwara", "jismen jethsi aur ekalwariya arakshait hote the", "prem to usse bhi aadim tha", "uske yahan ye awasthayen charam par theen", "main bhi wahin thi par us haitek chalan mein meri upasthit madhyama rahi to mera duःkh bhi maddhyam raha", "us galjoD mein khoob shakar muddhiyan thi jismen thahraw se zyada gala kasne ki sahuliyat thi", "main wahan aDichi si khaDi rahi", "prem ke us paragne mein bahram karane ki lat thi aur idhar main nastik ho rahi thi", "un atmaon mein alakh sa jagta ek nam aise chipka tha ki", "dahakti salakhon se hi use chhuDaya ja sakta tha", "man ki ye shalyakriya behad taklifdeh thi", "to chup rahkar ek piDa se samjhauta hua", "namak ke dhele si ghalati dehon se na puchhna unke basant ka mizaj", "hatbhage kya jane basant ka waibhaw", "aghan mein Dube baDbhage baithte hain basant ki abhijati god mein", "alsi ke phulon jaisa prem ab kala ho gaya hai", "is kath karej samay mein kahin koi basant nahin hai", "dharti ki deh par kankrit ug raha hai", "int bhatthe ka ujaDpan sare siwan par chha raha hai", "kheton se reh uD rahi hai", "gahduriya mein hi lautan hota hai aur sanjh ho gai diya lesan ki bela", "par ajor kaise ho jangal ki taraf gai gilahriyan aur gauraiya lautkar ghar nahin ain", "har taraf dhuan hai sari shakhon par dhool paDi hai", "titaliyon ka dam ghut raha hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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देह की मुँडेर पर - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/deh-ki-munder-par-gagan-gill-kavita-20?sort=
[ "देह की मुँडेर पर", "वह करती है उसका इंतज़ार", "बाहर उतना ही अँधेरा है", "जितना भीतर।", "deh ki munDer par", "wo karti hai uska intzar", "bahar utna hi andhera hai", "jitna bhitar", "deh ki munDer par", "wo karti hai uska intzar", "bahar utna hi andhera hai", "jitna bhitar", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
दिल दुखने की बातें - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/dil-dukhne-ki-baten-harjeet-arnest-kavita?sort=
[ "रुक जाते हैं", "नहीं कहते हैं", "दिल दुखने की बातें", "ये मौसम इधर के नहीं दिखते", "खिलता है आँगन", "जैसे खिलती हूँ मैं", "सीख लिया है इधर की हवा ने", "बुहारना किस तरह से है आँसू मेरा", "और तब लगता है", "पीछे झाँक लूँगी", "खो नहीं दूँगी झाँकने में ख़ुद को", "ये कैसी मिली", "मेरी छाया मुझको", "इसमें तो बीनने को काँटे ही काँटे हैं", "वो पेड़ के पीले थे पत्ते", "वो हवा में उड़ता हुआ आता था", "‘मुझे सावन ने ज़रा नहीं भिगोया’", "वो कहता था छुप के", "‘तुझे मौसम नहीं चाहिए", "कि तू लेकर चलती है", "सावन भी और सूखा भी साथ अपने’", "वो कहता था रुक के", "रुक जाते हैं", "नहीं कहते हैं", "दिल दुखने की बातें", "ये मौसम इधर के नहीं दिखते", "इस बार कहाँ से शुरू करें?", "चलो, तुम ही कहानी कहो", "किस दन पे जाकर रुकती है तुम्हारी आँख?", "क्या शरमाना याद आता है", "किसी की भेदती हुई-सी नज़र से", "या छुप-छुप के आँसू का बहना", "एक मौसम की तरह ही", "आन बैठता हथेली पर", "या फिर आँगन में", "सूखे पत्तों की तरह गिरे हैं दिन", "और हाथ नींद में ही रह गए हैं", "जाने दो", "कहने को मौसम-सा ही जाने दो।", "रुक जाते हैं", "नहीं कहते हैं", "दिल दुखने की बातें?", "ये मौसम इधर के नहीं दिखते", "मुँडेर पर बोलता है", "तेरा डूबता हुआ तारा", "कि तून आज फिर रख दी है", "किसी याद में तहा के रख दी है", "सूखी-सूखी-सी आँच अपनी", "क्या हुआ आज?", "दिन भर दुख सेंकती रही", "क्या खो दिया?", "जी भर के दुख छोड़ आई", "ये कैसी मिली", "मेरी छाया मुझको", "इसमें तो बीनने को दुख ही दुख हैं", "रुक जाते हैं", "नहीं कहते हैं", "दिल दुखने की बातें।", "ruk jate hain", "nahin kahte hain", "dil dukhne ki baten", "ye mausam idhar ke nahin dikhte", "khilta hai angan", "jaise khilti hoon main", "seekh liya hai idhar ki hawa ne", "buharana kis tarah se hai ansu mera", "aur tab lagta hai", "pichhe jhank lungi", "kho nahin dungi jhankne mein khu ko", "ye kaisi mili", "meri chhaya mujhko", "ismen to binne ko kante hi kante hain", "wo peD ke pile the patte", "wo hawa mein uDta hua aata tha", "‘mujhe sawan ne zara nahin bhigoya’", "wo kahta tha chhup ke", "‘tujhe mausam nahin chahiye", "ki tu lekar chalti hai", "sawan bhi aur sukha bhi sath apne’", "wo kahta tha ruk ke", "ruk jate hain", "nahin kahte hain", "dil dukhne ki baten", "ye mausam idhar ke nahin dikhte", "is bar kahan se shuru karen?", "chalo, tum hi kahani kaho", "kis dan pe jakar rukti hai tumhari ankh?", "kya sharmana yaad aata hai", "kisi ki bhedti hui si nazar se", "ya chhup chhup ke ansu ka bahna", "ek mausam ki tarah hi", "an baithta hatheli par", "ya phir angan mein", "sukhe patton ki tarah gire hain din", "aur hath neend mein hi rah gaye hain", "jane do", "kahne ko mausam sa hi jane do", "ruk jate hain", "nahin kahte hain", "dil dukhne ki baten?", "ye mausam idhar ke nahin dikhte", "munDer par bolta hai", "tera Dubta hua tara", "ki toon aaj phir rakh di hai", "kisi yaad mein taha ke rakh di hai", "sukhi sukhi si anch apni", "kya hua aaj?", "din bhar dukh senkti rahi", "kya kho diya?", "ji bhar ke dukh chhoD i", "ye kaisi mili", "meri chhaya mujhko", "ismen to binne ko dukh hi dukh hain", "ruk jate hain", "nahin kahte hain", "dil dukhne ki baten", "ruk jate hain", "nahin kahte hain", "dil dukhne ki baten", "ye mausam idhar ke nahin dikhte", "khilta hai angan", "jaise khilti hoon main", "seekh liya hai idhar ki hawa ne", "buharana kis tarah se hai ansu mera", "aur tab lagta hai", "pichhe jhank lungi", "kho nahin dungi jhankne mein khu ko", "ye kaisi mili", "meri chhaya mujhko", "ismen to binne ko kante hi kante hain", "wo peD ke pile the patte", "wo hawa mein uDta hua aata tha", "‘mujhe sawan ne zara nahin bhigoya’", "wo kahta tha chhup ke", "‘tujhe mausam nahin chahiye", "ki tu lekar chalti hai", "sawan bhi aur sukha bhi sath apne’", "wo kahta tha ruk ke", "ruk jate hain", "nahin kahte hain", "dil dukhne ki baten", "ye mausam idhar ke nahin dikhte", "is bar kahan se shuru karen?", "chalo, tum hi kahani kaho", "kis dan pe jakar rukti hai tumhari ankh?", "kya sharmana yaad aata hai", "kisi ki bhedti hui si nazar se", "ya chhup chhup ke ansu ka bahna", "ek mausam ki tarah hi", "an baithta hatheli par", "ya phir angan mein", "sukhe patton ki tarah gire hain din", "aur hath neend mein hi rah gaye hain", "jane do", "kahne ko mausam sa hi jane do", "ruk jate hain", "nahin kahte hain", "dil dukhne ki baten?", "ye mausam idhar ke nahin dikhte", "munDer par bolta hai", "tera Dubta hua tara", "ki toon aaj phir rakh di hai", "kisi yaad mein taha ke rakh di hai", "sukhi sukhi si anch apni", "kya hua aaj?", "din bhar dukh senkti rahi", "kya kho diya?", "ji bhar ke dukh chhoD i", "ye kaisi mili", "meri chhaya mujhko", "ismen to binne ko dukh hi dukh hain", "ruk jate hain", "nahin kahte hain", "dil dukhne ki baten", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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साज़िश - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/depression/sazish-navin-rangiyal-kavita?sort=
[ "मैं कई दिनों तक लिखने के बारे में सोचता रहता हूँ", "और प्रतीक्षा करता हूँ।", "लेकिन एक दिन लिखने के मेरे सारे प्रयत्न ज़िंदा रहने के प्रयत्न में गल जाते हैं।", "दुनिया में बने रहने की मेरी भूख में सड़कर नष्ट हो जाते हैं।", "ख़बरें अक्सर कविताओं का शिकार कर लेती हैं।", "किसी रात जब मैं नींद की आख़िरी तह में डूब चुका होता हूँ :", "जब करवट के लिए भी कहीं कोई जगह नहीं बची होती,", "उसी वक़्त आधी रात को कोई अज्ञात अँधेरी सुरंग चाबुक मारकर मुझे जगा देती है।", "शब्दों का एक पूरा बाज़ार मेरी आत्मा को लालच में लपेट लेता है।", "मैं नींद में उन अक्षरों के सिरे पकड़कर सिरहाने दबोचकर रख लेता हूँ।", "लेकिन शब्दों का एक जादुई सिरा मेरी नींद को मरोड़कर बिस्तर पर ही उसका गला घोंट देता है।", "मेरी नींद एक भूरे कबूतर में तब्दील हो जाती है।", "मेरी रात एक सफ़ेद काग़ज़ का टुकड़ा बन जाती है।", "उस काग़ज़ के टुकड़े पर मैं एक किताब की तरह हो जाना चाहता हूँ।", "एक कविता बनकर बिखर जाना चाहता हूँ।", "चाहता हूँ कि इस रात में एक बोझिल-सा निबंध बन जाऊँ", "या एक अंतहीन, धीमा, ठहरा हुआ-सा उपन्यास।", "मैं सोचता हूँ—", "संसार के महान लेखकों के बारे में!", "इस आधी रात की नींद को धक्का मारकर मैं गहरी खाई में पटक देता हूँ।", "मैं देखता हूँ कि यहाँ पहले से ही सब कुछ लिखा हुआ है :", "सुबह-सुबह कुछ दुकानदार गुलाब के फूल लिख रहे हैं", "और मोगरा और चमेली लिख रहे हैं।", "कुछ लोग जाने के लिए रास्ते लिख रहे हैं", "और कुछ लौटना लिख रहे हैं।", "रात अँधेरा लिख रही और झींगुर आवाज़ें।", "कमरे नींद और करवटें लिखते हैं।", "दुपहरें उबासियाँ लिखती हैं।", "औरतें मसालों की छौंक लिखती हैं।", "बच्चे स्कूल लिखते हैं।", "अख़बार हत्याएँ लिख रहे हैं।", "अँधेरा अपराध लिखता है।", "चौकीदार ऊँघ लिखते हैं।", "कुछ अस्पताल सायरन लिख रहे हैं।", "चहारदीवारी चीख़ें लिखती है।", "देवता आधी रात को आँखें फाड़कर जाग रहे हैं", "और हाथ लकीरें लिख रहे हैं।", "उँगलियाँ की-बोर्ड लिखती हैं।", "मन अतीत,", "आँखें प्रतीक्षा,", "दिल प्रेम,", "देह नष्ट होना लिखती है...", "होंठ प्रार्थनाएँ लिखते हैं।", "उम्र मृत्यु लिख रही है।", "मंदिर धूप-बत्ती लिख रहे हैं", "और मज़ार इत्र-ख़ुशबू...", "मैं देखता हूँ कि ईश्वर दफ़ा 302 के अपराध में बंद है,", "उसे आजीवन कारावास है और", "अधिकतर ख़ुदाओं को दुनिया की क़ैद हो गई है।", "मैं यहाँ उसकी याद लिख रहा हूँ", "वहाँ वह आँखों में सुबह काजल", "और शाम को नमी लिख रही होगी।", "मैं देखता हूँ कि मेरी ज़मानत मुश्किल है।", "सारी दुनिया उसकी लिखी हुई एक साज़िश है।", "main kai dinon tak likhne ke bare mein sochta rahta hoon", "aur pratiksha karta hoon", "lekin ek din likhne ke mere sare prayatn zinda rahne ke prayatn mein gal jate hain", "duniya mein bane rahne ki meri bhookh mein saDkar nasht ho jate hain", "khabren aksar kawitaon ka shikar kar leti hain", "kisi raat jab main neend ki akhiri tah mein Doob chuka hota hoon ha", "jab karwat ke liye bhi kahin koi jagah nahin bachi hoti,", "usi waqt aadhi raat ko koi agyat andheri surang chabuk markar mujhe jaga deti hai", "shabdon ka ek pura bazar meri aatma ko lalach mein lapet leta hai", "main neend mein un akshron ke sire pakaDkar sirhane dabochkar rakh leta hoon", "lekin shabdon ka ek jadui sira meri neend ko maroDkar bistar par hi uska gala ghont deta hai", "meri neend ek bhure kabutar mein tabdil ho jati hai", "meri raat ek safed kaghaz ka tukDa ban jati hai", "us kaghaz ke tukDe par main ek kitab ki tarah ho jana chahta hoon", "ek kawita bankar bikhar jana chahta hoon", "chahta hoon ki is raat mein ek bojhil sa nibandh ban jaun", "ya ek anthin, dhima, thahra hua sa upanyas", "main sochta hoon—", "sansar ke mahan lekhkon ke bare mein!", "is aadhi raat ki neend ko dhakka markar main gahri khai mein patak deta hoon", "main dekhta hoon ki yahan pahle se hi sab kuch likha hua hai ha", "subah subah kuch dukandar gulab ke phool likh rahe hain", "aur mogra aur chameli likh rahe hain", "kuch log jane ke liye raste likh rahe hain", "aur kuch lautna likh rahe hain", "raat andhera likh rahi aur jhingur awazen", "kamre neend aur karawten likhte hain", "dupahren ubasiyan likhti hain", "aurten masalon ki chhaunk likhti hain", "bachche school likhte hain", "akhbar hatyayen likh rahe hain", "andhera apradh likhta hai", "chaukidar ungh likhte hain", "kuch aspatal sayran likh rahe hain", "chaharadiwari chikhen likhti hai", "dewta aadhi raat ko ankhen phaDkar jag rahe hain", "aur hath lakiren likh rahe hain", "ungliyan ki board likhti hain", "man atit,", "ankhen pratiksha,", "dil prem,", "deh nasht hona likhti hai", "honth prarthnayen likhte hain", "umr mirtyu likh rahi hai", "mandir dhoop batti likh rahe hain", "aur mazar itr khushbu", "main dekhta hoon ki ishwar dafa 302 ke apradh mein band hai,", "use ajiwan karawas hai aur", "adhiktar khudaon ko duniya ki qaid ho gai hai", "main yahan uski yaad likh raha hoon", "wahan wo ankhon mein subah kajal", "aur sham ko nami likh rahi hogi", "main dekhta hoon ki meri zamanat mushkil hai", "sari duniya uski likhi hui ek sazish hai", "main kai dinon tak likhne ke bare mein sochta rahta hoon", "aur pratiksha karta hoon", "lekin ek din likhne ke mere sare prayatn zinda rahne ke prayatn mein gal jate hain", "duniya mein bane rahne ki meri bhookh mein saDkar nasht ho jate hain", "khabren aksar kawitaon ka shikar kar leti hain", "kisi raat jab main neend ki akhiri tah mein Doob chuka hota hoon ha", "jab karwat ke liye bhi kahin koi jagah nahin bachi hoti,", "usi waqt aadhi raat ko koi agyat andheri surang chabuk markar mujhe jaga deti hai", "shabdon ka ek pura bazar meri aatma ko lalach mein lapet leta hai", "main neend mein un akshron ke sire pakaDkar sirhane dabochkar rakh leta hoon", "lekin shabdon ka ek jadui sira meri neend ko maroDkar bistar par hi uska gala ghont deta hai", "meri neend ek bhure kabutar mein tabdil ho jati hai", "meri raat ek safed kaghaz ka tukDa ban jati hai", "us kaghaz ke tukDe par main ek kitab ki tarah ho jana chahta hoon", "ek kawita bankar bikhar jana chahta hoon", "chahta hoon ki is raat mein ek bojhil sa nibandh ban jaun", "ya ek anthin, dhima, thahra hua sa upanyas", "main sochta hoon—", "sansar ke mahan lekhkon ke bare mein!", "is aadhi raat ki neend ko dhakka markar main gahri khai mein patak deta hoon", "main dekhta hoon ki yahan 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पूरी तरह प्रेम नहीं - कविता | हिन्दवी
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[ "कहीं एकटक अकेले में", "गुडुप की आवाज़ सुनते हुए याद कर रही हूँ", "अर्धरात्रि की प्रतीक्षा में वह संशय", "जब तुम में डूबते हुए", "मैं अपना अर्थ टटोलती हूँ", "जानती हूँ कि अनुभूति की भाषा में व्याकरण है ही नहीं", "यहाँ प्रेम में कोई नियम नहीं", "केवल उद्दंड अपवादों से भरी एक सूची है", "जिसमें नामकरण के लिए कोई समय नहीं है", "न ही एक भी प्रथा है", "जहाँ तय कर सकूँ अपना और तुम्हारा न्याय", "इस अनुभव को मैं पूरी तरह प्रेम भी नहीं कह सकती", "न ही कर सकती हूँ तुम्हारी दृष्टि को मेरे प्रति सावधान", "बस तुम्हें सोचते हुए मैं", "नींद से भरे तालाब में उतर सकती हूँ", "प्रार्थना करते हुए कि", "मेरे दिन की प्रतीक्षा का कोई पाप", "तुम्हारी किसी रात को न लगे", "और इस प्रार्थना के साथ यह भी", "कि मैं इतनी साधारण बनी रहूँ", "जितना भीड़ का कोई भी आम चेहरा", "जो याद न रह जाता हो", "बना रहे मेरे भीतर अवसाद", "बनी रहे कुछ शिकायतें", "जिनके साथ होने से पनपता रहे दुःख", "बाहर के छिछले अंधकार को मैं देती रहूँ धन्यवाद", "कि भीतर के घटाटोप से कम हो तुम—", "इतने कम कि बाहर कहीं तो तुम्हें छू भी सकती हूँ", "पर अपने भीतर इन दो आँखों से", "मैं देख भी नहीं सकती।", "kahin ektak akele mein", "guDup ki awaz sunte hue yaad kar rahi hoon", "ardharatri ki pratiksha mein wo sanshay", "jab tum mein Dubte hue", "main apna arth tatolti hoon", "janti hoon ki anubhuti ki bhasha mein wyakaran hai hi nahin", "yahan prem mein koi niyam nahin", "kewal uddanD apwadon se bhari ek suchi hai", "jismen namakarn ke liye koi samay nahin hai", "na hi ek bhi pratha hai", "jahan tay kar sakun apna aur tumhara nyay", "is anubhaw ko main puri tarah prem bhi nahin kah sakti", "na hi kar sakti hoon tumhari drishti ko mere prati sawdhan", "bus tumhein sochte hue main", "neend se bhare talab mein utar sakti hoon", "pararthna karte hue ki", "mere din ki pratiksha ka koi pap", "tumhari kisi raat ko na lage", "aur is pararthna ke sath ye bhi", "ki main itni sadharan bani rahun", "jitna bheeD ka koi bhi aam chehra", "jo yaad na rah jata ho", "bana rahe mere bhitar awsad", "bani rahe kuch shikayten", "jinke sath hone se panapta rahe duःkh", "bahar ke chhichhle andhkar ko main deti rahun dhanyawad", "ki bhitar ke ghatatop se kam ho tum—", "itne kam ki bahar kahin to tumhein chhu bhi sakti hoon", "par apne bhitar in do ankhon se", "main dekh bhi nahin sakti", "kahin ektak akele mein", "guDup ki awaz sunte hue yaad kar rahi hoon", "ardharatri ki pratiksha mein wo sanshay", "jab tum mein Dubte hue", "main apna arth tatolti hoon", "janti hoon ki anubhuti ki bhasha mein wyakaran hai hi nahin", "yahan prem mein koi niyam nahin", "kewal uddanD apwadon se bhari ek suchi hai", "jismen namakarn ke liye koi samay nahin hai", "na hi ek bhi pratha hai", "jahan tay kar sakun apna aur tumhara nyay", "is anubhaw ko main puri tarah prem bhi nahin kah sakti", "na hi kar sakti hoon tumhari drishti ko mere prati sawdhan", "bus tumhein sochte hue main", "neend se bhare talab mein utar sakti hoon", "pararthna karte hue ki", "mere din ki pratiksha ka koi pap", "tumhari kisi raat ko na lage", "aur is pararthna ke sath ye bhi", "ki main itni sadharan bani rahun", "jitna bheeD ka koi bhi aam chehra", "jo yaad na rah jata ho", "bana rahe mere bhitar awsad", "bani rahe kuch shikayten", "jinke sath hone se panapta rahe duःkh", "bahar ke chhichhle andhkar ko main deti rahun dhanyawad", "ki bhitar ke ghatatop se kam ho tum—", "itne kam ki bahar kahin to tumhein chhu bhi sakti hoon", "par apne bhitar in do ankhon se", "main dekh bhi nahin sakti", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
अकेलापन के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "के शब्द ‘लोनलीनेस’ और ‘सॉलीट्यूड’ दोनों के अभिप्राय को प्रकट करता है। यह ‘लोनलीनेस’ के अभिप्राय में मन की एकांतिक नकारात्मक मनोदशा और ‘सॉलीट्यूड’ के अभिप्राय में मन की एकांतिक आध्यात्मिक मनोदशा को प्रकट करता है। दोनों मनोदशाएँ काव्य और कला-सृजन की उत्प्रेरक मानी जाती हैं।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
आँख के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "में से एक हैं। दृश्य में संसार व्याप्त है। इस विपुल व्याप्ति में अपने विविध पर्यायों—लोचन, अक्षि, नैन, अम्बक, नयन, नेत्र, चक्षु, दृग, विलोचन, दृष्टि, अक्षि, दीदा, चख और अपने कृत्यों की अदाओं-अदावतों के साथ आँखें हर युग में कवियों को अपनी ओर आकर्षित करती रही हैं। नज़र, निगाह और दृष्टि के अभिप्राय में उनकी व्याप्ति और विराट हो उठती है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
आत्म के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "या मन से है और यह ‘निज’ का बोध कराता है। कवि कई बातें ‘मैं’ के अवलंब से कहने की इच्छा रखता है जो कविता को आत्मीय बनाती है। कविता का आत्म कवि को कविता का कर्ता और विषय—दोनों बनाने की इच्छा रखता है। आधुनिक युग में मनुष्य की निजता के विस्तार के साथ कविता में आत्मपरकता की वृद्धि की बात भी स्वीकार की जाती है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
आत्महत्या के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "स्वयं का जीवन समाप्त कर देने का कृत्य है। प्राचीन युग में गर्व और अस्मिता की रक्षा और आधुनिक युग में मानवीय त्रासदी के रूप में यह कविता का विषय बनती रही है। हाल के वर्षों में किसानों की आत्महत्या ने काव्य-चेतना को पर्याप्त प्रभावित किया है। रोहिता वेमुला की आत्महत्या ने दलित-वंचित संवाद के संदर्भ में इसे व्यापक विमर्श का हिस्सा बनाया। आत्मपरक कविताओं में यह विभिन्न सांकेतिक अर्थों में अभिव्यक्ति पाती रहती है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
आँसू के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "प्रकट चिह्न के रूप में आँसू हमेशा से काव्य के विषय-वस्तु रहे हैं और वृहत रूप से इनके बहाने से कवियों ने विविध दृश्य और संवाद रचे हैं।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
इच्छा के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "सुखद निमित्त की प्राप्ति की मनोवृत्ति है। अभिलाषा, चाह, कामना, ख़्वाहिश, लालसा, आकांक्षा, मनोरथ, उत्कंठा, ईहा, स्पृहा, मनोकामना, आरजू, अरमान आदि इसके पर्यायवाची हैं। इसका संबंध मन की लीला से है, इसलिए नैसर्गिक रूप से काव्य में शब्द, भाव और प्रयोजन में इसकी उपस्थिति होती रहती है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
उम्मीद के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
एकांत के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "शांत, सूना और शोरगुल-रहित स्थान है। मन के आंतरिक जगत का एकांत आध्यात्मिक अर्थ देता है। इस अर्थ में एकांत कविता और कला का एक अनुकूल पारितंत्र भी रचता है। एकाग्रचित्त, समर्पित, ध्याननिष्ठ के अर्थ में भाषा इसका प्रयोग करती रही है। कुछ प्रयोजनों में एकांत एकाकीपन का पर्याय हो उठता है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
कुंठा के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "अथवा निराशाजन्य अतृप्त भावना या ‘फ़्रस्ट्रेशन’ है। स्वयं पर आरोप में यह ग्लानि या अपराध-बोध और अन्य पर दोषारोपण में ईर्ष्या या चिढ़ का द्योतक भी हो सकता है। मन के इस भाव को—इसके विभिन्न अर्थों में कविता अभिव्यक्त करती रही है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
कोरोना के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "में दृश्य में आई कोरोना महामारी ने सारे संसार को प्रभावित और विचलित किया। साहित्य का संसार भी इस आपदा से अछूता नहीं रहा। संसार की कई भाषाओं में इस दरमियान कोरोना-केंद्रित साहित्य रचा गया। हिंदी में भी इसकी प्रचुरता रही। हिंदी कविता के लगभग सभी प्रमुख कवियों ने कोरोना और उससे उपजे असर को अपनी कविता का विषय बनाया।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
चीज़ें के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "तो चीज़ें वे हैं जिनसे हमारी दुनिया बनती है और बर्बाद भी होती है। यहाँ प्रस्तुत है चीज़ों की उपस्थिति-अनुपस्थिति को दर्ज करती कविताओं का यह व्यापक चयन।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जन्म के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "कविताओं का एक चयन।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
जीवन के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/life
[ "कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
डर के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "मनोवृत्ति है जो आशंका या अनिष्ट की संभावना से उत्पन्न होने वाला भाव है। सत्ता के लिए डर एक कारोबार है, तो आम अस्तित्व के लिए यह उत्तरजीविता के लिए एक प्रतिक्रिया भी हो सकती है। प्रस्तुत चयन में डर के विभिन्न भावों और प्रसंगों को प्रकट करती कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
दुख के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/grief
[ "में होती है और जरा-मरण को प्रधान दुख कहा गया है। प्राचीन काल से ही धर्म और दर्शन ने दुख की प्रकृति पर विचार किया है और समाधान दिए हैं। बुद्ध के ‘चत्वारि आर्यसत्यानि’ का बल दुख और उसके निवारण पर ही है। सांख्य दुख को रजोगुण का कार्य और चित्त का एक धर्म मानता है जबकि न्याय और वैशेषिक उसे आत्मा के धर्म के रूप में देखते हैं। योग में दुख को चित्तविक्षेप या अंतराय कहा गया है। प्रस्तुत संकलन में कविताओं में व्यक्त दुख और दुख विषयक कविताओं का चयन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
दर्द के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/pain
[ "की कविता-कल्पना में दर्द, पीड़ा, व्यथा या वेदना को मानव जीवन के मूल राग और काव्य के मूल प्रेरणा-स्रोत के रूप में स्वीकार किया जाता है। दर्द के मूल भाव और इसके कारण के प्रसंगों की काव्य में हमेशा से अभिव्यक्ति होती रही है। प्रस्तुत चयन में दर्द विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
निंदा के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/condemnation
[ "जुगुप्सा, कुत्सा से है। कुल्लूक भट्ट ने विद्यमान दोष के अभिधान को ‘परीवाद’ और अविद्यमान दोष के अभिधान को ‘निंदा’ कहा है। प्रस्तुत चयन उन कविताओं से किया गया है, जहाँ निंदा एक प्रमुख संकेत-शब्द या और भाव की तरह इस्तेमाल किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
प्रतिरोध के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/resistance
[ "को बुनियादी कर्तव्य की तरह बरता है। यह प्रतिरोध उस प्रत्येक प्रवृत्ति और स्थिति के विरुद्ध मुखर रहा है, जो मानव-जीवन और गरिमा की आदर्श स्थितियों और मूल्यों पर आघात करती हो। यहाँ प्रस्तुत है—प्रतिरोध विषयक कविताओं का एक व्यापक और विशिष्ट चयन।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
प्रेम के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "यह कहा जाता हो कि प्रेम में तो आम व्यक्ति भी कवि-शाइर हो जाता है, वहाँ प्रेम का सर्वप्रमुख काव्य-विषय होना अत्यंत नैसर्गिक है। सात सौ से अधिक काव्य-अभिव्यक्तियों का यह व्यापक और विशिष्ट चयन प्रेम के इर्द-गिर्द इतराती कविताओं से किया गया है। इनमें प्रेम के विविध पक्षों को पढ़ा-परखा जा सकता है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मृत्यु के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "‘म’ धातु में ‘त्यु’ प्रत्यय के योग से से हुई है जिसका अभिधानिक अर्थ मरण, अंत, परलोक, विष्णु, यम, कंस और सप्तदशयोग से संयुक्त किया गया है। भारतीय परंपरा में वैदिक युग से ही मृत्यु पर चिंतन की धारा का आरंभ हो जाता है जिसका विस्तार फिर दर्शन की विभिन्न शाखाओं में अभिव्यक्त हुआ है। भक्तिधारा में संत कवियों ने भी मृत्यु पर प्रमुखता से विचार किया है। पश्चिम में फ्रायड ने मनुष्य की दो प्रवृत्तियों को प्रबल माना है—काम और मृत्युबोध। इस चयन में प्रस्तुत है—मृत्यु-विषयक कविताओं का एक अद्वितीय संकलन।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मित्र के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "अधिक व्यक्तियों के बीच का अंतर्वैयक्तिक बंधन है जिसके मूल में आत्मीयता होती है। मित्रता के गुणधर्म पर नीतिकाव्यों में पर्याप्त विचार किया गया है। इस चयन में मित्र और मित्रता-संबंधी अभिव्यक्तियों को शामिल किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मिथक के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "का हिंदी रूपांतरण है। इसका सामान्य अर्थ लोकरूढ़ि या अनुश्रुति है। यह पुरातन को नवीन परिप्रेक्ष्य में रखते हुए सत्य की प्रतिष्ठा करता है। यह प्रतीकों पर आश्रित होता है लेकिन स्वयं प्रतीक नहीं होता है। समाज और साहित्य में मिथकों की अपनी उपयोगिता रही है। प्रस्तुत चयन में मिथकों के प्रयोग से बुनी कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मीडिया के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/media
[ "संचार-माध्यम है। समकालीन संवाद में यह मुख्यतः न्यूज़ मीडिया और सोशल मीडिया को सूचित करता है। मीडिया को लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में देखा जाता है। समय के साथ इसकी छवि सत्ता में अपनी हिस्सेदारी चाहते एक शक्ति-समूह के रूप में भी बनी है। इस चयन में मीडिया के सरोकारों से संबंधित विभिन्न विषयों पर संवाद करती कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मौन के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मौसम के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "दिन-प्रतिदिन की वायुमंडलीय दशा को मौसम कहा जाता है। मौसम का कवि-मन पर प्रभाव पड़ना और प्रभावतः अभिव्यक्तियों का जन्म अत्यंत नैसर्गिक स्थिति है। इस चयन में ऐसी ही कुछ कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
यात्रा के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "के विस्तार के साथ मानव के बौद्धिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। स्वयं जीवन को भी एक यात्रा कहा गया है। प्राचीन समय से ही कवि और मनीषी यात्राओं को महत्त्व देते रहे हैं। ऐतरेय ब्राह्मण में ध्वनित ‘चरैवेति चरैवेति’ या पंचतंत्र में अभिव्यक्त ‘पर्यटन् पृथिवीं सर्वां, गुणान्वेषणतत्परः’ (जो गुणों की खोज में अग्रसर हैं, वे संपूर्ण पृथ्वी का भ्रमण करते हैं) इसी की पुष्टि है। यहाँ प्रस्तुत है—यात्रा के विविध आयामों को साकार करती कविताओं का एक व्यापक और विशेष चयन।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
रंग के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "का खेल कहा गया है। रंग हमारे आस-पास की दुनिया को मोहक और सार्थक बनाते हैं। प्रकृति रंगों से भरी है और इनका मानव जीवन पर सीधा असर पड़ता है; जबकि रंगहीनता को उदासी, मृत्यु, नश्वरता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यहाँ प्रस्तुत है—रंग और रंगों को विषय बनाने वाली कविताओं के विविध रंग।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
रात के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "रूप में दिन और रात आदिम समय से ही मानव जिज्ञासा के केंद्र रहे हैं। कविताओं में रात की अभिव्यक्ति भय, आशंका और उदासी के साथ ही उम्मीद, विश्राम और शांति के रूप में हुई है। इस चयन में उन कविताओं को शामिल किया गया है; जिनमें रात के रूपक, प्रतीक और बिंब से जीवन-प्रसंगों की अभिव्यक्ति संभव हुई है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
रोग के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "के स्थायी विषाद के कारण रहे हैं और काव्य में अभिव्यक्ति पाते रहे हैं। इस चयन में रोग के विषय पर अभिव्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
लंबी कविता के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "की अनिवार्यता की उपज है, जिसमें समकालीनता-बोध एवं यथार्थ के प्रति अतिरिक्त रुझान और समाजेतिहासिक स्थितियों की गहरी समझ ने योगदान किया। इसे कविता की पुरानी प्रबंधात्मकता से मुक्ति की पहली सीढ़ी के रूप में देखा गया है। इस चयन में कुछ चर्चित एवं नई लंबी कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
लोक के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "या संसार है और इसी अभिप्राय में लोक-परलोक की अवधारणाएँ विकसित हुई हैं। समाज और साहित्य के प्रसंग में सामान्यतः लोक और लोक-जीवन का प्रयोग साधारण लोगों और उनके आचार-विचार, रहन-सहन, मत और आस्था आदि के निरूपण के लिए किया जाता है। प्रस्तुत चयन में लोक विषयक कविताओं का एक विशेष और व्यापक संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
लोकतंत्र के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "जनता के लिए, जनता का शासन है। लोकतंत्र के गुण-दोष आधुनिक समय के प्रमुख विमर्श-विषय रहे हैं और इस संवाद में कविता ने भी योगदान किया है। प्रस्तुत चयन ऐसी ही कविताओं का है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
शर्म के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "हया, संकोच आदि है; जबकि एक अन्य अर्थ में यह दोषभाव या ग्लानि का आशय देता है। इस चयन में शर्म विषय से संबंधित कविताओं को शामिल किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
सेक्स के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "का शब्द है जो हिंदी में पर्याप्त प्रचलित है। हिंदी में इसका अर्थात् : रति, संभोग, सहवास, मैथुन, यौनाचार, काम, प्रेमालाप से संबद्ध है। सेक्स एक ऐसी क्रिया है जिसमें देह के माध्यम सुख की प्राप्ति की जाती है या प्रेम प्रदर्शित किया जाता है। सेक्स-केंद्रित कविताओं की प्रमुखता साहित्य में प्राचीनकाल से ही रही है। हिंदी में रीतिकाल इस प्रसंग में उल्लेखनीय है। इसके साथ ही विश्व कविता और भारतीय कविता सहित आधुनिक हिंदी कविता में भी सेक्स के विभिन्न आयामों पर समय-समय पर कविताएँ संभव हुई हैं। यहाँ प्रस्तुत है सेक्स-विषयक कविताओं का एक चयन।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
संघर्ष के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
सृजन के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
स्त्री के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "समाज और साहित्य में उभरे सबसे महत्त्वपूर्ण विमर्शों में से एक है। स्त्री-जीवन, स्त्री-मुक्ति, स्त्री-अधिकार और मर्दवाद और पितृसत्ता से स्त्री-संघर्ष को हिंदी कविता ने एक अरसे से अपना आधार बनाया हुआ है। प्रस्तुत चयन हिंदी कविता में इस स्त्री-स्वर को ही समर्पित है, पुरुष भी जिसमें अपना स्वर प्राय: मिलाते रहते हैं।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
सन्नाटा के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "ख़ामोशी, मौन। यह निर्जनता और एकांत का भी अर्थ देता है। रूपक में सन्नाटा चीख़ का विलोम भी हो सकता है, चीख़ का प्रतिरोध और पर्याय भी। प्रस्तुत चयन में शामिल कविताओं में सन्नाटे की आवाज़ को बख़ूबी सुना जा सकता है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
स्पर्श के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "में से एक है, जो स्पर्श के माध्यम से हमें वस्तुओं का ज्ञान देती है। मानवीय भावनाओं के इजहार में स्पर्श की विशिष्ट भूमिका होती है। प्रस्तुत चयन में स्पर्श के भाव-प्रसंग से बुनी कविताओं को शामिल किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
संबंध के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
स्मृति के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/memory
[ "है, जो अर्जित अनुभव को आधार बनाती है और आवश्यकतानुसार इसका पुनरुत्पादन करती है। इसे एक आदर्श पुनरावृत्ति कहा गया है। स्मृतियाँ मानव अस्मिता का आधार कही जाती हैं और नैसर्गिक रूप से हमारी अभिव्यक्तियों का अंग बनती हैं। प्रस्तुत चयन में स्मृति को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
समय के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
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[ "है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
स्वप्न के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/dream
[ "चरणों में अनैच्छिक रूप से प्रकट होने वाले दृश्य, भाव और उत्तेजना को सामूहिक रूप से स्वप्न कहा जाता है। स्वप्न के प्रति मानव में एक आदिम जिज्ञासा रही है और विभिन्न संस्कृतियों ने अपनी अवधारणाएँ विकसित की हैं। प्रस्तुत चयन में स्वप्न को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
ओड़िया कविता के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/odia-kavita
[ "कवियों की श्रेष्ठ और लोकप्रिय कविताओं से एक चयन।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
ओड़िया कविता के विषय पर बेहतरीन कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/tags/odia-kavita/kavita
[ "कवियों की श्रेष्ठ और लोकप्रिय कविताओं से एक चयन।", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
पलभर के लिए मणिका - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/palbhar-ke-liye-manika-prasann-kumaar-mishr-kavita?sort=
[ "अनुवाद : शंकर लाल पुरोहित", "चाहे पल भर ही सही", "यदि भेंट हो जाती मणिका संग", "तो अच्छा लगता सब कुछ", "फिर लौट आता मैं", "कविता में", "मणिका भी अपने पाले-पोसे", "तोते तो उड़ा देती", "पिंजरा खोलकर", "उस अनूठे पल में", "रहती नहीं दोनों में", "कोई वक्रोक्ति, साँसों में उड़ जाती", "सारी कृत्रिमता", "सारे प्रश्न लील हो जाते अपने-आप", "देखते ही देखते संदेह दूर हो जाता", "मणिका का मन ही नहीं होता पूछने", "—कहाँ थे इतने दिन", "मेरे खोए धन?", "क्योंकि वह ज़रूर जानती है", "कितना अकृतज्ञ है यह समाज!!", "कुछ खोने के पीछे", "जो कारण थे तब", "वे क़ायम हैं अब भी", "युग-युग की छाया लिए खड़ी", "मणिका को देख लेता जी भर", "मुझे लगता, मानो मैं देख रहा", "बार-बार पतझर के बाद", "कोंपलें उगाता", "प्रागैतिहासिक", "फलदार पेड़", "चूम-चूमकर", "नख से शिखा तक", "कहता—मणिका!", "यही है तेरी देह!", "तुम्हारी नाभि!", "तेरे होंठ!", "यही तो... यही है तो!!", "तुम्हीं हो वह पुष्प", "जिसे रंगकर नाचा था फागुन ख़ुशी में !!", "एक गुफ़ा के आदिम ऐश्वर्य में", "अजीब पल में", "पूछता— मणिका", "तुम कभी शतह्रदा थी?", "बोलो, इस बीच टूट गई है", "कुछ कलात्मकता?", "किसी निठुर ने लूटा है?", "पहली-सी भूख", "पहली-सी प्यास", "है तो! है तो !!", "कहती मणिका—", "शतह्रदा सदा शतह्रदा", "बनी रहती अपने प्रिय के लिए", "देखो ना चिबुक!", "देखो ना नख!", "तुम्हारे स्पर्श में हर तरफ़ अग्निकण!!", "सुनो, हृदय में शतह्रदा", "बजा रही अपनी वीणा", "फिर वह कहती— प्रिय,", "क्यों पूछते लूट का इतिहास?", "लुटे बिना रही कोई नारी?", "कौन-सा कला-स्थापत्य", "रहा अभंग?", "कौन पेड़ अटूट बचा?", "देखो, तुम्हारी प्रेमिका", "ऐसा एक कुंभ है", "सौ बार रीत कर भी है", "जो परिपूर्ण प्रिय के लिए", "दोनों के आवेग में", "भींग जाएगी दुपहर", "माप सकोगे नहीं पल का व्यास या परिधि", "मणिका बन जाएगी वह बेहिसाबी पल", "सूखी नदी लौट सकने की तरह", "उसकी वन्या,", "मणिका की छाती में भर जाएगा कल्लोल", "वह समझ जाएगी पल में", "कैसे सिर उठाते बेशुमार पल,", "वृत्त में समा जाता ब्रह्मांड", "वह कह देती— समझी, समझ गई", "प्रिय, कभी झूठा नहीं जीवन", "झूठ नहीं हो सकता प्रेम", "कभी भी व्यर्थ नहीं जाती", "वर्षों की प्रतीक्षा", "तपस्या में बिताया यौवन", "जान सकोगी मणिका", "कि इतने दंशन", "लांछन, प्रतारणा, आघात में", "इस पल भर के चुंबन के लिए", "कैसे बना रहा मधुमय", "मणिका का प्रिय कवि", "मणिका का प्रिय!!", "chahe pal bhar hi sahi", "yadi bhent ho jati manika sang", "to achchha lagta sab kuchh॥", "phir laut aata main", "kawita mein", "manika bhi apne pale pose", "tote to uDa deti", "pinjra kholkar", "us anuthe pal mein", "rahti nahin donon mein", "koi wakrokti, sanson mein uD jati", "sari kritrimta॥", "sare parashn leel ho jate apne aap", "dekhte hi dekhte sandeh door ho jata", "manika ka man hi nahin hota puchhne", "—kahan the itne din", "mere khoe dhan?", "kyonki wo jarur janti hai", "kitna akritagya hai ye samaj!!", "kuch khone ke pichhe", "jo karan the tab", "we kayam hain ab bhi", "manika ko dekh leta ji bhar", "yug yug ki chhaya liye khaDi", "mujhe lagta, mano main dekh raha", "bar bar patjhar ke baad", "komplen ugata pragaitihasik", "phaldar peD॥", "choom chumkar", "kahta manika!", "yahi hai teri deh!", "nakh se shikha tak tumhari nabhi!", "tere honth!", "yahi to yahi hai to!!", "tumhin ho wo pushp", "jise rangkar nacha tha phagun khushi mein !!", "ek gufa ke aadim aishwary mein", "ajib pal mein", "puchhta— manika", "tum kabhi shatahrada thee?", "bolo, is beech toot gai hai", "kuch kalatmakta?", "kisi nithur ne luta hai?", "pahli si bhookh", "pahli si pyas", "hai to! hai to !!", "kahti manika", "shatahrada sada shatahrada", "bani rahti apne priy ke liye", "dekho na chibuk!", "dekho na nakh!", "tumhare sparsh mein har taraf agnikan!!", "suno, hirdai mein shatahrada", "baja rahi apni wina", "phir wo kahti priy,", "kyon puchhte loot ka itihas?", "lute bina rahi koi nari?", "kaun sa kala sthapaty", "raha abhang ?", "kaun peD atut bacha ?", "dekho, tumhari premika", "aisa ek kumbh hai", "jo paripurn priy ke liye", "sau bar reet kar bhi hai", "donon ke aaweg mein", "bheeng jayegi duphar॥", "map sakoge nahin pal ka wyas ya paridhi", "manika ban jayegi wo behisabi pal", "sukhi nadi laut sakne ki tarah", "uski wanya,", "manika ki chhati mein bhar jayega kallol॥", "wo samajh jayegi pal mein", "kaise sir uthate beshumar pal,", "writt mein sama jata brahmanD", "wo kah deti samjhi, samajh gai", "priy, kabhi jhutha nahin jiwan", "jhooth nahin ho sakta prem", "kabhi bhi byarth nahin jati", "warshon ki pratiksha", "tapasya mein bitaya yauwan॥", "jaan sakogi manika", "ki itne danshan", "lanchhan, pratarana, aghat mein", "is pal bhar ke chumban ke liye", "manika ka priy kawi", "kaise bana raha madhumayamanika ka priy!!", "chahe pal bhar hi sahi", "yadi bhent ho jati manika sang", "to achchha lagta sab kuchh॥", "phir laut aata main", "kawita mein", "manika bhi apne pale pose", "tote to uDa deti", "pinjra kholkar", "us anuthe pal mein", "rahti nahin donon mein", "koi wakrokti, sanson mein uD jati", "sari kritrimta॥", "sare parashn leel ho jate apne aap", "dekhte hi dekhte sandeh door ho jata", "manika ka man hi nahin hota puchhne", "—kahan the itne din", "mere khoe dhan?", "kyonki wo jarur janti hai", "kitna akritagya hai ye samaj!!", "kuch khone ke pichhe", "jo karan the tab", "we kayam hain ab bhi", "manika ko dekh leta ji bhar", "yug yug ki chhaya liye khaDi", "mujhe lagta, mano main dekh raha", "bar bar patjhar ke baad", "komplen ugata pragaitihasik", "phaldar peD॥", "choom chumkar", "kahta manika!", "yahi hai teri deh!", "nakh se shikha tak tumhari nabhi!", "tere honth!", "yahi to yahi hai to!!", "tumhin ho wo pushp", "jise rangkar nacha tha phagun khushi mein !!", "ek gufa ke aadim aishwary mein", "ajib pal mein", "puchhta— manika", "tum kabhi shatahrada thee?", "bolo, is beech toot gai hai", "kuch kalatmakta?", "kisi nithur ne luta hai?", "pahli si bhookh", "pahli si pyas", "hai to! 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प्रतीक्षा - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/pratiksha-jagannath-parsad-das-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "जब तुम मेरे सपने से", "किसी दूसरे के सपने में चली जाओगी", "मैं लौट जाऊँगा", "अपने एकांत में", "जहाँ मैं निरंतर प्रतीक्षारत हूँ", "जब तुम मेरे अनुभव से", "किसी दूसरे के अनुभव में चली जाओगी", "मैं लौट जाऊँगा", "अपने सपनों के अमरत्व में", "जहाँ कोई प्रतीक्षा", "नहीं हुआ करती।", "jab tum mere sapne se", "kisi dusre ke sapne mein chali jaogi", "main laut jaunga", "apne ekant mein", "jahan main nirantar pratiksharat hoon", "jab tum mere anubhaw se", "kisi dusre ke anubhaw mein chali jaogi", "main laut jaunga", "apne sapnon ke amratw mein", "jahan koi pratiksha", "nahin hua karti", "jab tum mere sapne se", "kisi dusre ke sapne mein chali jaogi", "main laut jaunga", "apne ekant mein", "jahan main nirantar pratiksharat hoon", "jab tum mere anubhaw se", "kisi dusre ke anubhaw mein chali jaogi", "main laut jaunga", "apne sapnon ke amratw mein", "jahan koi pratiksha", "nahin hua karti", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
चाँदनी रात में रेल यात्रा - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/chandni-raat-mein-rail-yatra-seetakant-mahapatr-kavita-7?sort=
[ "अनुवाद : दिनेश कुमार माली", "सीरियल दुस्वप्नों के बाद उठकर बैठा", "और मुझे नींद नहीं हुई", "द्रुतगामी ट्रेन जा रही थी", "काली देवी की तरह", "डिब्बे के हिचकोले खाते झूलों में", "नींद में सोए हुए थे कुछ आदमी", "भिन्न-भिन्न गाँव के, शहर के, बस्ती के", "जा रहे थे अलग-अलग गाँव को, शहर को", "इधर मेरे दुस्वप्न में भयंकर आततायी", "भाग रहे थे अलग-अलग लक्ष्य-स्थल को", "आह! बाहर रानिफूल-सा चाँद", "कितना सरल जीवन!", "जीवन के दिन-रात में यह धरती कितनी सुंदर", "खिड़की के शीशों से", "पेड़, क्यारी, तालाब, कुमुद", "दौड़कर भाग रहे थे सभी पीछ-पीछे", "हमारे भय, हमारे आँसू", "हमारी व्यथा, अपनों को खोने का दुःख", "हमारी प्रगल्भता, हमारे शून्य, हमारे आँसू और हमारे ख़ून", "दौड़कर भागे जा रहे थे कल के अँधेरे में, अतीत में", "इतिहास के पन्नों में, और वहाँ से मिथक में", "ट्रेन चलती जा रही है, चलती जा रही है", "दिग्वलय पर चंद्रमा दौड़ता जा रहा है, दौड़ता जा रहा है", "मगर मुझे नींद नहीं।", "siriyal duswapnon ke baad uthkar baitha", "aur mujhe neend nahin hui", "drutgami train ja rahi thi", "kali dewi ki tarah", "Dibbe ke hichkole khate jhulon mein", "neend mein soe hue the kuch adami", "bhinn bhinn ganw ke, shahr ke, basti ke", "ja rahe the alag alag ganw ko, shahr ko", "idhar mere duswapn mein bhayankar atatayi", "bhag rahe the alag alag lakshya sthal ko", "ah! bahar raniphul sa chand", "kitna saral jiwan!", "jiwan ke din raat mein ye dharti kitni sundar", "khiDki ke shishon se", "peD, kyari, talab, kumud", "dauDkar bhag rahe the sabhi peechh pichhe", "hamare bhay, hamare ansu", "hamari wyatha, apnon ko khone ka duःkh", "hamari pragalbhata, hamare shunya, hamare ansu aur hamare khoon", "dauDkar bhage ja rahe the kal ke andhere mein, atit mein", "itihas ke pannon mein, aur wahan se mithak mein", "train chalti ja rahi hai, chalti ja rahi hai", "digwlay par chandrma dauDta ja raha hai, dauDta ja raha hai", "magar mujhe neend nahin", "siriyal duswapnon ke baad uthkar baitha", "aur mujhe neend nahin hui", "drutgami train ja rahi thi", "kali dewi ki tarah", "Dibbe ke hichkole khate jhulon mein", "neend mein soe hue the kuch adami", "bhinn bhinn ganw ke, shahr ke, basti ke", "ja rahe the alag alag ganw ko, shahr ko", "idhar mere duswapn mein bhayankar atatayi", "bhag rahe the alag alag lakshya sthal ko", "ah! bahar raniphul sa chand", "kitna saral jiwan!", "jiwan ke din raat mein ye dharti kitni sundar", "khiDki ke shishon se", "peD, kyari, talab, kumud", "dauDkar bhag rahe the sabhi peechh pichhe", "hamare bhay, hamare ansu", "hamari wyatha, apnon ko khone ka duःkh", "hamari pragalbhata, hamare shunya, hamare ansu aur hamare khoon", "dauDkar bhage ja rahe the kal ke andhere mein, atit mein", "itihas ke pannon mein, aur wahan se mithak mein", "train chalti ja rahi hai, chalti ja rahi hai", "digwlay par chandrma dauDta ja raha hai, dauDta ja raha hai", "magar mujhe neend nahin", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मॉनिका : जहाँ भी रहे - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/maunika-ha-jahan-bhi-rahe-prasann-kumaar-mishr-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "काँची में", "या", "साँची में", "जहाँ भी रहे मॉनिका", "सुख से रहे।", "याद करने से", "कहीं उसे ठोकर तो नहीं लगेगी!", "ठोकर लगने से", "वह पुनः जाएगी मदुरै,", "दीप जलाकर देवी मीनाक्षी के आगे", "व्याकुल हो कहेगी —हे माते!", "बता दे मुझे, मेरे प्रिय कवि का पता।", "नहीं, भला क्यों याद करूँ उसे?", "जहाँ भी रहे... सुख से रहे।", "एक दिन 'वह किंवदंती बन जाएगी", "रही अगर वह काँची में।", "शताब्दियों बाद", "लोग कहेंग—कभी", "कावेरी-तट पर आती थी", "एक नारी", "आँखों में उदासी लिए", "जो खो चुकी थी", "अपने प्रिय का पता।", "यदि रहेगी साँची में", "बन जाएगी एक भास्कर्य।", "एक दिन खोई हुई गाय ढूँढ़ते समय", "पेड़ों के झुरमुट से ढूँढ़ निकालेगा बाँसुरी वाला", "देखेगा वाकई सोचते-सोचते", "पत्थर बन चुकी एक नारी", "जिसके गले में लिपटा है एक साँप।", "मूर्ति देखकर", "कहेंगे इतिहासकार", "मॉनिका एक प्रतीक है", "जिसका अर्थ है—चाहना।", "जहाँ भी रहे", "खुश रहे मॉनिका", "बेटी-बेटे का लालन-पालन कर सुखी रहे", "छाती में दर्द उठे तो", "अपने पति के सीने से माथा टिका", "याद करती रहे कवि को", "अपने प्रिय कवि को", "अपने प्रिय को।", "kanchi mein", "ya", "sanchi mein", "jahan bhi rahe maunika", "sukh se rahe", "yaad karne se", "kahin use thokar to nahin lagegi!", "thokar lagne se", "wo punःjayegi madurai,", "deep jalakar dewi minakshi ke aage", "wyakul ho kahegi —he mate!", "bata de mujhe, mere priy kawi ka pata", "nahin, bhala kyon yaad karun use?", "jahan bhi rahe sukh se rahe", "ek din wo kinwdanti ban jayegi", "rahi agar wo kanchi mein", "shatabdiyon baad", "log kaheng—kabhi", "kaweri tat par aati thi", "ek nari", "ankhon mein udasi liye", "jo kho chuki thi", "apne priy ka pata", "yadi rahegi sanchi mein", "ban jayegi ek bhaskarya", "ek din khoyi hui gay DhunDhate samay", "peDon ke jhurmut se DhoonDh nikalega bansuri wala", "dekhega waki sochte sochte", "patthar ban chuki ek nari", "jiske gale mein lipta hai ek sanp", "murti dekhkar", "kahenge itihaskar", "maunika ek pratik hai", "jiska arth hai—chahna", "jahan bhi rahe", "khush rahe maunika", "beti bete ka lalan palan kar sukhi rahe", "chhati mein dard uthe to", "apne pati ke sine se matha tika", "yaad karti rahe kawi ko", "apne priy kawi ko", "apne priy ko", "kanchi mein", "ya", "sanchi mein", "jahan bhi rahe maunika", "sukh se rahe", "yaad karne se", "kahin use thokar to nahin lagegi!", "thokar lagne se", "wo punःjayegi madurai,", "deep jalakar dewi minakshi ke aage", "wyakul ho kahegi —he mate!", "bata de mujhe, mere priy kawi ka pata", "nahin, bhala kyon yaad karun use?", "jahan bhi rahe sukh se rahe", "ek din wo kinwdanti ban jayegi", "rahi agar wo kanchi mein", "shatabdiyon baad", "log kaheng—kabhi", "kaweri tat par aati thi", "ek nari", "ankhon mein udasi liye", "jo kho chuki thi", "apne priy ka pata", "yadi rahegi sanchi mein", "ban jayegi ek bhaskarya", "ek din khoyi hui gay DhunDhate samay", "peDon ke jhurmut se DhoonDh nikalega bansuri wala", "dekhega waki sochte sochte", "patthar ban chuki ek nari", "jiske gale mein lipta hai ek sanp", "murti dekhkar", "kahenge itihaskar", "maunika ek pratik hai", "jiska arth hai—chahna", "jahan bhi rahe", "khush rahe maunika", "beti bete ka lalan palan kar sukhi rahe", "chhati mein dard uthe to", "apne pati ke sine se matha tika", "yaad karti rahe kawi ko", "apne priy kawi ko", "apne priy ko", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
दुखित मलय - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/dukhit-malay-gopal-krishna-rath-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राजेन्द्र प्रसाद मिश्र", "अनुच्चारण से प्रारंभ", "तुम्हारी हमारी बातचीत", "मानो कोई बच्चा दिखाता हो", "अपनी वर्णमाला किसी दूसरे बच्चे को।", "कहाँ था सचमुच", "इतना बादल, इतना अँधेरा", "और फिर इतने चाँद!", "मादकता से भरपूर", "दिख नहीं रही थी राह।", "आघात सह नहीं पाओगी तभी", "गाए नहीं थे गीत मैंने", "साल दर साल,", "कहे नहीं थे तुतलाकर", "अपने भीगे-भीगे अक्षर।", "भाषाएँ अंकुरित होने से पहले ही तो", "आने लगी थी तुम्हारी महक", "भला में कहाँ से लाया होता", "बेणी बंधन का मंत्र!", "अब तो रेगिस्तान के उस पार", "दो फटी आँखें बन", "मैं याद कर रहा हूँ अपनी ग़लती के समय की", "लंबी-लंबी उसाँसों को", "खोई हुई परछाइयों को", "असहाय उद्वेग भरे क्षितिज में।", "अब हम लौट चलें", "भाषाहीन में।", "अब कुछ कहूँगा तभी तो", "तुम कहोगी पहले क्यों नहीं कहा", "बिन कहे लौट जाने पर", "क्या दोष दुर्बलताओं का होगा", "समय द्वारा सहेजी बातों का होगा,", "अपरिचित लहरों का होगा,", "या दुखित मलय का होगा!!", "anuchcharan se prarambh", "tumhari hamari batachit", "mano koi bachcha dikhata ho", "apni warnamala kisi dusre bachche ko", "kahan tha sachmuch", "itna badal, itna andhera", "aur phir itne chand!", "madakta se bharpur", "dikh nahin rahi thi rah", "aghat sah nahin paogi tabhi", "gaye nahin ye geet mainne", "sal dar sal,", "kahe nahin the tutlakar", "apne bhige bhige akshar", "bhashayen ankurit hone se pahle hi to", "ane lagi thi tumhari mahak", "bhata mein kahan se laya hota", "beni bandhan ka mantr", "ab to registan ke us par", "do phati ankhen ban", "main yaad kar raha hoon apni ghalati ke samay ki", "lambi lambi usanson ko", "asahaye udweg bhare kshaitij mein", "ab hum laut chalen", "bhashahin mein", "ab kuch kahunga tabhi to", "tum kahogi pahle kyon nahin kaha", "bin kahe laut jane par", "kya dosh durbaltaon ka hoga", "samay dwara saheji baton ka hoga,", "aprichit lahron ka hoga,", "ya dukhit malay ka hoga!!", "anuchcharan se prarambh", "tumhari hamari batachit", "mano koi bachcha dikhata ho", "apni warnamala kisi dusre bachche ko", "kahan tha sachmuch", "itna badal, itna andhera", "aur phir itne chand!", "madakta se bharpur", "dikh nahin rahi thi rah", "aghat sah nahin paogi tabhi", "gaye nahin ye geet mainne", "sal dar sal,", "kahe nahin the tutlakar", "apne bhige bhige akshar", "bhashayen ankurit hone se pahle hi to", "ane lagi thi tumhari mahak", "bhata mein kahan se laya hota", "beni bandhan ka mantr", "ab to registan ke us par", "do phati ankhen ban", "main yaad kar raha hoon apni ghalati ke samay ki", "lambi lambi usanson ko", "asahaye udweg bhare kshaitij mein", "ab hum laut chalen", "bhashahin mein", "ab kuch kahunga tabhi to", "tum kahogi pahle kyon nahin kaha", "bin kahe laut jane par", "kya dosh durbaltaon ka hoga", "samay dwara saheji baton ka hoga,", "aprichit lahron ka hoga,", "ya dukhit malay ka hoga!!", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
फिर जन्म लूँगी उड़ीसा में - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/phir-janm-lungi-udisa-mein-manorama-biswal-mohapatra-kavita?sort=
[ "अनुवाद : शंकर लाल पुरोहित", "फिर जन्म लूँगी उड़ीसा में", "किसी अख्यात गाँव में कवि बनकर", "समूचा पोखर भरा होगा", "लाल कुंई और सेवार के फूलों में", "धान के कुंठल्ले भरे,", "माट्टी की भीत पर", "मांडणे अंकित होंगे तरह-तरह के", "और धरती पर चित्र खिंचे होंगे,", "बाड़ पर तोरई की बेल", "और कुम्हड़े की लता फैली होगी", "मैं फिर जन्म लूँगी इस उड़ीसा में", "कवि बनकर अगले जन्म में", "कभी कुछ समाप्त होता नहीं यहाँ", "जीवन से", "खिले फूल से मधु,", "नेह-प्रीत भींगे गीत का स्वर,", "ओड़िशी गीत या चंपू और भजन", "सब कुछ है पहले-सा", "फकीर मोहन और राधानाथ के", "अमिट हस्ताक्षर झलमलाते", "मैं जन्म लूँगी उड़ीसा में", "अगले जन्म में कवि बनकर", "हर पल नव कूजन", "दूरागत पक्षी पक्षियों का कलरव", "ओड़िशी छोंक की गंध", "हलदी पत्र या उड़द के ठेकुए", "कुछ भी गुमा नहीं यहाँ", "बूढ़ा पथरिया साही का", "कारीगर और उसकी छैनी", "कतकी ओस में", "अथवा जगन्नाथ के सुवर्ण वेश में", "टिटहरी रट रही", "जगन्नाथ का स्तोत्र", "हर पल यहाँ", "नए-नए सरोकार, गूँजते", "स्वप्नमय जीवन के स्वर", "मैं जन्म लूँगी फिर एक बार", "इस उड़ीसा की धरती पर", "कवि बन अगले जन्म में।", "phir janm lungi uDisa mein", "kisi akhyat ganw mein kawi bankar", "samucha pokhar bhara hoga", "lal kuni aur sewar ke phulon mein", "dhan ke kunthalle bhare,", "matti ki bheet par", "manDne ankit honge tarah tarah ke", "aur dharti par chitr khinche honge,", "baD par torai ki bel", "aur kumhDe ki lata phaili hogi", "main phir janm lungi is uDisa mein", "kawi bankar agle janm mein", "kabhi kuch samapt hota nahin yahan", "jiwan se", "khile phool se madhu,", "neh preet bhinge geet ka swar,", "oDishi geet ya champu aur bhajan", "sab kuch hai pahle sa", "phakir mohan aur radhanath ke", "amit hastakshar jhalamlate", "main janm lungi uDisa mein", "agle janm mein kawi bankar", "har pal naw kujan", "duragat pakshi pakshiyon ka kalraw", "oDishi chhonk ki gandh", "haldi patr ya uDad ke thekue", "kuch bhi guma nahin yahan", "buDha pathariya sahi ka", "karigar aur uski chhaini", "katki os mein", "athwa jagannath ke suwarn wesh mein", "titahri rat rahi", "jagannath ka stotr", "har pal yahan", "nae nae sarokar, gunjte", "swapnmay jiwan ke swar", "main janm lungi phir ek bar", "is uDisa ki dharti par", "kawi ban agle janm mein", "phir janm lungi uDisa mein", "kisi akhyat ganw mein kawi bankar", "samucha pokhar bhara hoga", "lal kuni aur sewar ke phulon mein", "dhan ke kunthalle bhare,", "matti ki bheet par", "manDne ankit honge tarah tarah ke", "aur dharti par chitr khinche honge,", "baD par torai ki bel", "aur kumhDe ki lata phaili hogi", "main phir janm lungi is uDisa mein", "kawi bankar agle janm mein", "kabhi kuch samapt hota nahin yahan", "jiwan se", "khile phool se madhu,", "neh preet bhinge geet ka swar,", "oDishi geet ya champu aur bhajan", "sab kuch hai pahle sa", "phakir mohan aur radhanath ke", "amit hastakshar jhalamlate", "main janm lungi uDisa mein", "agle janm mein kawi bankar", "har pal naw kujan", "duragat pakshi pakshiyon ka kalraw", "oDishi chhonk ki gandh", "haldi patr ya uDad ke thekue", "kuch bhi guma nahin yahan", "buDha pathariya sahi ka", "karigar aur uski chhaini", "katki os mein", "athwa jagannath ke suwarn wesh mein", "titahri rat rahi", "jagannath ka stotr", "har pal yahan", "nae nae sarokar, gunjte", "swapnmay jiwan ke swar", "main janm lungi phir ek bar", "is uDisa ki dharti par", "kawi ban agle janm mein", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
पंद्रह अगस्त - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/pandrah-august-raghunatha-dasa-kavita?sort=
[ "अनुवाद : शंकर लाल पुरोहित", "पंद्रह अगस्त आज—", "पाँवों में स्पर्श लगता अभिनव", "नूतन सोपान!", "इसके नीचे रह गया—", "दो सौ वर्ष लंबा", "आदमी के ख़ून-पसीने,", "सत्याग्रही मुक्त्तिकामी जनता का", "आग्नेय विद्रोह!", "रह गया—", "गोरों का प्राणहीन पूँजीपति लुब्धक कौशल...", "उत्तमाशा अंतरीप... पण्यपोत... कंपनी का समय", "क्लाइव की कूटनीति... व्यापारी का सुनहला-षड्यंत्र", "मीरक़ासिम... पानीपत... हे नवाब,", "हे दुर्दांत सिख, बादशाह, पेशवा!", "संधि करो, नत करो सिर,", "अर्घ्य दो भारत सिंहासन पर", "हाड़-मांस का।", "पद लेही कुत्ते ज़मींदार के पग की लालसा,", "नालिश... क़ुर्क़... नीलाम", "चक्रवृद्धि ब्याज का हिसाब...", "अकाल और सूखा... महमारी", "अंधकार ही... अंधकार,", "कंकाल ही कंकाल आर्त", "कोटि-कोटि कंठ में हाहाकार।", "असहाय ग्रामीण रोते जब,", "जब भी चीख़ते", "तैयार थी लाल आँख, लाल पगड़ी।", "हे लाटसा’ब,", "हे सा’ब, हे हाकिम, हे बाबू!", "इसे कैसा शासन कहें,", "आदमी को करने को क़ाबू", "सारे हैं नागफाँस!", "सुनहला देश हुआ छार-खार, सर्वनाश!", "सर्वहारा हम सब—लूटा है धन, मान, श्रम,", "जीवन का सबल पात्र-प्रिय विश्वास का धर्म,", "सब कुछ दिया बलि,", "धर्म नहीं करें त्याग", "हे सिपाही, धर्म-रण में उठो,", "जाग वीर जाग!", "रह गई—", "गोलियाँ, बर्छे का नोक, लाठी की चोट", "हत्या और फाँसी,", "थाना, जेल, कालापानी, आर्डिनेंस", "हवा तूफ़ान रख गए दाग़...", "चौरी-चौरा और इंचुड़ी,", "दांडी यात्रा, जलियाँवाला बाग़,", "जनता के यात्रापथ में विजय वरमाला वह—", "मुक्त्ति मशाल जला,", "तेज़ होते गाँव पर गाँव,", "कंकाल माँग करता,", "जीने का न्याय अधिकार", "हमारे ख़ून से कब तक रँगा होगा झूठा दरबार?", "चारों ओर क़ानून का जाल,", "दासता की बेड़ियाँ।", "अमंगल का शासन चालू रखता शोषण का कल।", "इलके साथ नहीं कोई सहयोग—", "एकजुट होना भाई, भारत के तीस कोटि लोग।", "तीस कोटि भारतीय अन्नहीन सर्वहारा भाई", "कंकाल हुआ देश,", "मुट्ठी भर नमक, जीने के लिए", "चाहें हम, प्राण रहते खुले न मुट्ठी का कसाव", "बंदूक़ की आवाज़ का छाती दिखाकर देंगे जवाब।", "हे दिरात्मा. बल के उपल से,", "रोक पाया कोई सत्यरथ मिथ्या के अंचल में?", "बंदी कब तक रखेगा तेजस्वी सत्य का स्फुलिंग?", "गरज जब उठता है सुप्त कोई सिंह?", "ऊर्णनाभ शत कोटि विषखोल बाँध पाए उसे?", "हिमाचल नहीं टलता तूफ़ान के प्रखर निश्वास से।", "आलोक का शर भेद करे आछन्न आकाश में,", "भस्म कर देता सारा व्याप्त अंधकार,", "न्याय का तैरता रवि हँस उठे महान, उदार।", "गौरव में और फिर उन्नत", "पावक-पवित्र, दीप्त,", "जीवंत अक्षत,", "स्पर्धा थी उसकी,", "फूँक में बुझा दे शिखा एक प्रदीप की,", "किंतु एक फूँक से तेज़ हो गई सहस्र अंतर की।", "रोष में भर बोया था भूमि पर सत्य बीज एक", "लुप्त नहीं होता, उत्पादन करता कोटि वह एक,", "सत्य और न्याय हेतु भारत की दुंदुभी,", "बंदूक़ की आवाज़ में वह कभी नहीं डूबी।", "वह तो पांचजन्य है", "बज्रस्वर में मुक्ति का वार्तावह... दासता का दैन्य", "कंकाल को आर्शीवाद देता वह, देता जीवन्यास", "दुर्बल को बल देता,", "आत्याचारी प्राणों को त्रास", "इस पुण्य संग्राम में सैन्य नहीं मरते...।", "बरसे गोली वक्ष पर, सिद्ध वह,", "क्या करेगा बिद्ध कोई उसे?", "मर कर ही तो शहीद,", "स्मृतिदीप्त, होता अमर वह!", "पंद्रह अगस्त आज!", "आज", "दीर्घ अमावसी मार्मिक कराल दुःस्वप्न", "आज गया टूट।", "सुनें—", "बज उठे ललित निक्वण", "प्रभात के पदक्षेप में...", "कंठ से झरती शांति सुधा, मधु आशीर्वाद", "जनता के विजयटीका मे शोभित ललाट", "यह शुभ्र प्रभात बंधु युग-युग में विराट!", "कितना सुहाना प्रभात... वायुमंडल...", "लगता है जैसे", "उत्कल ऊषा में हँस उठे अगणित मंगल", "कितनी सुहानी शोभायात्रा, हर्ष जयध्वनि", "आज से लिखी होगी भारत की नई जीवनी।", "कितनी प्रिय यह मुक्ति, यह स्वाधीनता,", "अंधकार युग पर आया है मंगल प्रभात", "भारत उपकूल पर मैं करता हूँ स्वागत।", "यात्रीगण रहना सावधान!", "राह में नहीं यह अंतिम सोपान!", "संग्राम अभी भी पूरा नहीं", "आसपास फिर रहे रक्तमांस लोभी", "गीध फिर रहे, झाँपने श्रमिक के प्राण,", "आज भी बाँटते रोटी उसकी मालिक-साहू", "आज भी भारत का ग्रामीण सोता उपवास में", "कल वह फँसेगा प्राणघाती काल नागपाश में।", "उसके दंशन में जलेगी समाज में आग,", "अतृप्त धरा पर पैदा कर हज़ारों कलह।", "भारत सिंहासन के लिए लालायित कंस के दायाद", "धद्मवेशी लक्षभार पद्म की माँगते सौगात।", "आलोक के सद्यजात शिशु की रुँधने साँस,", "चल रहे कूट कपट,", "रुँधने जीवन विकास।", "अतः यात्रीगण, रहना होशियार!", "जाग्रत जनता मिलजुल चलना", "बंधु रहो सब होशियार", "मुक्ति का निशान ऊँचें नभ में करो,", "खिल रहा सुनहला प्रभात।", "जीवन का अधिकार हम सब", "जितने हैं वंचित कंकाल।", "मुक्त कंठ से गाओ सब जनता की जय।", "यह जीवन हो सत्य, पूर्ण,", "जीवन हो शांतिमय!!", "pandrah august aaj—", "panwon mein sparsh lagta abhinaw", "nutan sopan!", "iske niche rah gaya—", "do sau warsh lamba", "adami ke khoon pasine,", "satyagrahi mukttikami janta ka", "agney widroh!", "rah gaya—", "goron ka pranhin punjipati lubdhak kaushal", "uttmasha antrip panypot kampni ka samay", "cliwe ki kutaniti wyapari ka sunahla shaDyantr", "mirqasim panipat he nawab,", "he durdant sikh, badashah, peshwa!", "sandhi karo, nat karo sir,", "arghy do bharat sinhasan par", "haD mans ka", "pad lehi kutte zamindar ke pag ki lalsa,", "nalish qurq nilam", "chakrwridhdi byaj ka hisab", "akal aur sukha mahmari", "andhkar hi andhkar,", "kankal hi kankal aart", "koti koti kanth mein hahakar", "asahaye gramin rote jab,", "jab bhi chikhte", "taiyar thi lal ankh, lal pagDi", "he latsa’ba,", "he sa’ba, he hakim, he babu!", "ise kaisa shasan kahen,", "adami ko karne ko qabu", "sare hain nagphans!", "sunahla desh hua chhaar khaar, sarwanash!", "sarwahara hum sab—luta hai dhan, man, shram,", "jiwan ka sabal patr priy wishwas ka dharm,", "sab kuch diya bali,", "dharm nahin karen tyag", "he sipahi, dharm ran mein utho,", "jag weer jag!", "rah gai—", "goliyan, barchhe ka nok, lathi ki chot", "hattya aur phansi,", "thana, jel, kalapani, arDinens", "hawa tufan rakh gaye dagh", "chauri chaura aur inchuDi,", "danDiwala, jaliyan wala bagh,", "janta ke yatrapath mein wijay warmala wah—", "muktti mashal jala,", "tez hote ganw par ganw,", "kankal mang karta,", "jine ka nyay adhikar", "hamare khoon qanun ka jal,", "dasta ki beDiyan", "amangal ka shasan chalu rakhta shoshan ka kal", "ilke sath nahin koi sahyog—", "ekjut hona bhai, bharat ke tees koti log", "tees koti bharatiy annhin sarwahara bhai", "kankal hua desh,", "mutthi bhar namak, jine ke liye", "chahen hum, paran rahte khule na mutthi ka kasaw", "banduk ki awaz ka chhati dikhakar denge jawab", "he diratma bal ke upal se,", "rok paya koi satyrath mithya ke anchal mein?", "bandi kab tak rakhega tejaswi saty ka sphuling?garaj jab uthta hai supt koi sinh?", "urnanabh shat koti wishkhol bandh pae use?", "himachal nahin talta tufan ke prakhar nishwas se", "bhasm kap deta sara wyapt andhkar,", "nyay ka tairta rawi hans uthe mahan, udar", "gauraw mein aur phir unnat", "pawak pawitra, deept,", "jiwant akshat,", "spardha thi uski,", "phoonk mein bujha de shikha ek pradip ki,", "kintu ek phoonk se tez ho gai sahastr antar ki", "rosh mein bhar boya tha bhumi par saty beej ek", "lupt nahin hota, utpadan karta koti wo ek,", "saty air nyay hetu bhaarat ki dundubhi,", "banduk ki awaz mein wo kabhi nahin Dubi", "wo to panchjanya hai", "bajraswar mein mukti ka wartawah dasta ka dainy", "kankal ko arshiwad deta wo, deta jiwanyas", "durbal ko bal deta,", "atyachari pranon ko tras", "is punny sangram mein senya nahin marte", "barse goli waksh par,sidhd wo,", "kya karega bidhd koi use?", "mar kar hi to shahid,", "smritidipt, hota amar wah!", "pandrah august aaj!", "aj", "deergh amawsi marmik karal duःswapn", "aj gaya toot", "sunen—", "baj uthe lalit nikwan", "parbhat ke pakshep mein", "kanth se jharti shanti sudha madhu arshirwad", "janta ke wijaytika mae shobhit lalat", "ye shubhr parbhat bandhu yug yug mein wirat!", "kitna suhana parbhat wayumanDal", "lagta hai jaise", "utkal usha mein hans uthe agnit mangal", "kitni suhani shobhayatra, harsh jayadhwani", "aj se likhi hogi bharat ki nai jiwani", "kitni priy ye mukti, ye swadhinata,", "andhkar yug par aaya hai mangal parbhat", "bharat upkul par main karta hoon swagat", "yatrigan rahna sawdhan!", "rah mein nahin ye antim sopan!", "sangram abhi bhi pura nahin", "asapas phir rahe raktmans lobhi", "geedh phir rahe, jhanpane shramik ke paran,", "aj bhi bantte roti uski malik sahu", "aj bhi bharat ka gramin sota upwas mein", "kal wo phansega pranghati kal nagapash mein", "uske danshan mein jalegi samaj mein aag,", "atrpt dhara par paida kar hazaron kalah", "bharat sinhasan ke liye lalayit kans ke dayad", "dhadmweshi lakshbhar padm ki mangte saugat", "alok ke sadyjat shishu ki rundhane sans,", "chal rahe koot kapat,", "rundhane jiwan wikas", "atः yatrigan, rahna hoshiyar!", "jagrat janta miljul chalna", "bandhu raho sab hoshiyar", "mukti ka nishan unchen nabh mein karo,", "khil raha sunahla parbhat", "jiwan ka adhikar hum sab", "jitne hain wanchit kankal", "mukt kanth se gao sab janta ki jay", "ye jiwan ho saty, poorn,", "jiwan ho shantimay!!", "pandrah august aaj—", "panwon mein sparsh lagta abhinaw", "nutan sopan!", "iske niche rah gaya—", "do sau warsh lamba", "adami ke khoon pasine,", "satyagrahi mukttikami janta ka", "agney widroh!", "rah gaya—", "goron ka pranhin punjipati lubdhak kaushal", "uttmasha antrip panypot kampni ka samay", "cliwe ki kutaniti wyapari ka sunahla shaDyantr", "mirqasim panipat he nawab,", "he durdant sikh, badashah, peshwa!", 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button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
महाभारत - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/mahabharat-gopal-krishna-rath-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राजेन्द्र प्रसाद मिश्र", "अनंत प्रसविनी माँ", "नहीं जानती थी", "अपने-जरायु का ऐश्वर्य।", "योजन-योजन रेशम की साड़ियाँ कहाँ से आएँगी,", "कैसे सात महारथी", "पौरुष विसर्जित कर मस्त हो जाएँगे नरसंहार में,", "गर्भ की संतान को भी", "ढाल की तरह बचाएगा सुदर्शन।", "कटा हुआ सिर", "युद्ध देखने की इच्छा पूरी होने पर कहेगा", "कोई नहीं था वीर", "सिर्फ़ एक चक्र के सिवाय।", "लाक्षागृह अभी भी जल रहा है", "अभी भी पाँच-पाँच कटे सिर हैं तंबू में", "सुपारी देकर", "आमंत्रित किया गया है आतंकवाद", "रक्तनदी तैरने में", "पूर्णाहुति पड़ रही है", "विश्व का क्षत-विक्षत है भूगोल।", "धरती को बींधकर बूँदभर पानी दो मुझे", "मेरे उत्तराधिकारियों,", "मैं थकाहारा क्षत-विक्षत", "वाणों की शय्या पर लेटा हूँ।", "व्यासदेव,", "अब प्रस्तुत करो अपना महाकाव्य :", "धर्म संस्थापन के नाम पर", "खून बहाकर :", "और भगवान", "ख़ुद-ब-ख़ुद निकलें जुलूस में", "शव ढोते हुए निरीह निष्पाप शहीदों के।", "एक और सृष्टि के लिए", "पुनः महान इच्छा", "पुनः सृजन के लिए तैयार है वह :", "परम करुणामय", "दिख रहे हैं अत्यंत करुण।", "अहा, अत्यंत करुण।", "anant praswini man", "nahin janti thi", "apne jarayu ka aishwary", "yojan yojan resham ki saDiyan kahan se ayengi,", "kaise sat maharathi", "paurush wisarjit kar mast ho jayenge narsanhar mein,", "garbh ki santan ko bhi", "Dhaal ki tarah bachayega sudarshan", "kata hua sir", "yudh dekhne ki ichha puri hone par kahega", "koi nahin tha weer", "sirf ek chakr ke siway", "lakshagrih abhi bhi jal raha hai", "abhi bhi panch panch kate sir hain tambu mein", "supari dekar", "amantrit kiya gaya hai atankwad", "raktandi tairne mein", "purnahuti paD rahi hai", "wishw ka kshat wikshat hai bhugol", "dharti ko bindhkar bundabhar pani do mujhe", "mere uttradhikariyon,", "main thakahara kshat wikshat par leta hoon", "wyasdew,", "ab prastut karo apna mahakawyah", "dharm sansthapan ke nam par", "khoon bahakrah", "aur bhagwan", "khu ba khu niklen julus mein", "shau Dhote hue nirih nishpap shahidon ke", "ek aur sirishti ke liye", "punः mahan ichha", "punः srijan ke liye taiyar hai wahah", "param karunamay", "dikh rahe hain atyant karun", "aha, atyant karun", "anant praswini man", "nahin janti thi", "apne jarayu ka aishwary", "yojan yojan resham ki saDiyan kahan se ayengi,", "kaise sat maharathi", "paurush wisarjit kar mast ho jayenge narsanhar mein,", "garbh ki santan ko bhi", "Dhaal ki tarah bachayega sudarshan", "kata hua sir", "yudh dekhne ki ichha puri hone par kahega", "koi nahin tha weer", "sirf ek chakr ke siway", "lakshagrih abhi bhi jal raha hai", "abhi bhi panch panch kate sir hain tambu mein", "supari dekar", "amantrit kiya gaya hai atankwad", "raktandi tairne mein", "purnahuti paD rahi hai", "wishw ka kshat wikshat hai bhugol", "dharti ko bindhkar bundabhar pani do mujhe", "mere uttradhikariyon,", "main thakahara kshat wikshat par leta hoon", "wyasdew,", "ab prastut karo apna mahakawyah", "dharm sansthapan ke nam par", "khoon bahakrah", "aur bhagwan", "khu ba khu niklen julus mein", "shau Dhote hue nirih nishpap shahidon ke", "ek aur sirishti ke liye", "punः mahan ichha", "punः srijan ke liye taiyar hai wahah", "param karunamay", "dikh rahe hain atyant karun", "aha, atyant karun", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
अपनी-अपनी राह - कविता | हिन्दवी
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[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "इस चाय के बाद", "जाओगी तुम अपने घर", "सिर पर पल्लू रख", "घसीटते हुए अपना शरीर", "माँ या दादी बनने।", "इस चाय के बाद", "मैं लौट जाऊँगा अपने दफ़्तर", "फ़ाइलों में दूँगा कई निर्देश", "नहीं होगा जिनमें", "किसी बात को बदलने या", "जो कुछ बदल रहा है", "उन्हें रोकने का दम।", "इस जीवन के बाद", "मेरे फेफड़ों के कैंसर से", "मेरी मृत्यु हो जाने के बाद", "उसके कुछ दिन पहले या उपरांत", "आँखें मूँद लेने पर", "अँधेरे का सागर होगा,", "हम उसमें नन्ही-नन्ही मछलियों की तरह", "कहीं रह रहे होंगे,", "समुद्र में जहाँ मैं होऊँगा,", "यदि वहाँ तुम्हारा सौंदर्य पुनः दिखेगा", "तुम्हारे होने की जगह की", "काली-काली दीवारें ढह जाएँगी,", "तारकोल के ज्वार में मेरी याददाश्त", "बहती हुई जाकर रुक जाएगी", "बिछोह के दूरतम सीमांत गाँव में।", "इस चाय के बाद,", "इस जीवन के बाद", "दुनिया की टेढ़ी-मेढ़ी राहों", "और गंदे घरों", "करोड़ों लोगों की आवाजाही", "जीने और मरने के बाद", "क्या सुनाई देता है?", "क्या दिखाई देता है?", "ख़त्म हुए दुखांत नाटक के अंतिम दृश्य में", "नायक-नायिका का संवाद,", "और असंभव शरद ऋतु की भोर में", "आँसुओं से सराबोर", "एक नीली कुमुदिनी तालाब में।", "is chay ke baad", "jaogi tum apne ghar", "sir par pallu rakh", "ghasitte hue apna sharir", "man ya dadi banne", "is chay ke baad", "main laut jaunga apne daftar", "failon mein dunga kai nirdesh", "nahin hoga jinmen", "kisi baat ko badalne ya", "jo kuch badal raha hai", "unhen rokne ka dam", "is jiwan ke baad", "mere phephDon ke cancer se", "meri mirtyu ho jane ke baad", "uske kuch din pahle ya uprant", "ankhen moond lene par", "andhere ka sagar hoga,", "hum usmen nannhi nannhi machhaliyon ki tarah", "kahin rah rahe honge,", "samudr mein jahan main hounga,", "yadi wahan tumhara saundarya punः dikhega", "tumhare hone ki jagah ki", "kali kali diwaren Dah jayengi,", "tarkol ke jwar mein meri yadadasht", "bahti hui jakar ruk jayegi", "bichhoh ke durtam simant ganw mein", "is chay ke baad,", "is jiwan ke baad", "duniya ki teDhi meDhi rahon", "aur gande gharon", "karoDon logon ki awajahi", "jine aur marne ke baad", "kya sunai deta hai?", "kya dikhai deta hai?", "khatm hue dukhant natk ke antim drishya mein", "nayak nayika ka sanwad,", "aur asambhaw sharad ritu ki bhor mein", "ansuon se sarabor", "ek nili kumudini talab mein", "is chay ke baad", "jaogi tum apne ghar", "sir par pallu rakh", "ghasitte hue apna sharir", "man ya dadi banne", "is chay ke baad", "main laut jaunga apne daftar", "failon mein dunga kai nirdesh", "nahin hoga jinmen", "kisi baat ko badalne ya", "jo kuch badal raha hai", "unhen rokne ka dam", "is jiwan ke baad", "mere phephDon ke cancer se", "meri mirtyu ho jane ke baad", "uske kuch din pahle ya uprant", "ankhen moond lene par", "andhere ka sagar hoga,", "hum usmen nannhi nannhi machhaliyon ki tarah", "kahin rah rahe honge,", "samudr mein jahan main hounga,", "yadi wahan tumhara saundarya punः dikhega", "tumhare hone ki jagah ki", "kali kali diwaren Dah jayengi,", "tarkol ke jwar mein meri yadadasht", "bahti hui jakar ruk jayegi", "bichhoh ke durtam simant ganw mein", "is chay ke baad,", "is jiwan ke baad", "duniya ki teDhi meDhi rahon", "aur gande gharon", "karoDon logon ki awajahi", "jine aur marne ke baad", "kya sunai deta hai?", "kya dikhai deta hai?", "khatm hue dukhant natk ke antim drishya mein", "nayak nayika ka sanwad,", "aur asambhaw sharad ritu ki bhor mein", "ansuon se sarabor", "ek nili kumudini talab mein", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मेरी बेटी - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/meri-beti-pratibha-shatpathi-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "अंतस्तल के सभी रंगों को बाँट", "लकदक सफ़ेद साड़ी-सी", "जो फर-फर उड़ती है,", "धूल से उठाई मर्यादा", "अपने सर्वस्व से मढ़कर", "जो सिंहासन गढ़ती है", "वह मेरी बेटी है", "टिप-टिप गिरते समय की ओर", "जो अंजुरी बढ़ाए रहती है", "अपने कलेजे का घाव हाथों से दबाए", "जो हँसमुख रहती है", "सारी रात मोमबत्ती-सी जलती हुई", "चुपचाप चुकती है जो", "आँखों से काजल पोंछते-पोंछते", "गुड़ीमुड़ी हो जाते हैं जिसके सपने", "रोष भरे गर्जन और हुँकार के पिछवाड़े", "जो 'अहा' शब्द लिख देती है", "वह मेरी बेटी है", "आभूषण उतारकर", "बिना विरोध किए", "जो थाल लेकर निकल जाती है", "दुनिया के सारे आक्रोश की नींव पर", "जो आत्मविश्वास का स्तंभ बन जलती रहती है,", "अग्निपरीक्षा से दप-दप दमकता", "निखर आता है नारीत्व जिसका", "बृहस्पति की शब्दगणना को झुठलाकर", "नक्षत्रों को अगोरे रहता है जिसका तेज़", "वह मेरी बेटी है", "कुत्सित, कदाचार के बीच", "जो नारंगी झंडे-सा हाथ उठाए रहती है", "उठे हुए चाकू की धार", "मुट्ठी में जकड़कर रोक लेती है जो", "मिट्टी में मधुर गुंजरण बन", "जो आकाश में सुगंधित चँवर बन", "चुपचाप आती-जाती है,", "सारी दुनिया के मंथन से निकली", "ज़हर की एक बूँद", "जिसके हिस्से में आती है", "वह कोई और नहीं", "मेरी ही बेटी है।", "antastal ke sabhi rangon ko bant", "lakdak safed saDi si", "jo far far uDti hai,", "dhool se uthai maryada", "apne sarwasw se maDhkar", "jo sinhasan gaDhti hai", "wo meri beti hai", "tip tip girte samay ki or", "jo anjuri baDhaye rahti hai", "apne kaleje ka ghaw hathon se dabaye", "jo hansmukh rahti hai", "sari raat mombatti si jalti hui", "chupchap chukti hai jo", "ankhon se kajal ponchhte ponchhte", "guDimuDi ho jate hain jiske sapne", "rosh bhare garjan aur hunkar ke pichhwaDe", "jo aha shabd likh deti hai", "wo meri beti hai", "abhushan utarkar", "bina wirodh kiye", "jo thaal lekar nikal jati hai", "duniya ke sare akrosh ki neenw par", "jo atmawishwas ka stambh ban jalti rahti hai,", "agnipriksha se dap dap damakta", "nikhar aata hai naritw jiska", "brihaspati ki shabdaganna ko jhuthlakar", "nakshatron ko agore rahta hai jiska tez", "wo meri beti hai", "kutsit, kadachar ke beech", "jo narangi jhanDe sa hath uthaye rahti hai", "uthe hue chaku ki dhaar", "mutthi mein jakaDkar rok leti hai jo", "mitti mein madhur gunjran ban", "jo akash mein sugandhit chanwar ban", "chupchap aati jati hai,", "sari duniya ke manthan se nikli", "zahr ki ek boond", "jiske hisse mein aati hai", "wo koi aur nahin", "meri hi beti hai", "antastal ke sabhi rangon ko bant", "lakdak safed saDi si", "jo far far uDti hai,", "dhool se uthai maryada", "apne sarwasw se maDhkar", "jo sinhasan gaDhti hai", "wo meri beti hai", "tip tip girte samay ki or", "jo anjuri baDhaye rahti hai", "apne kaleje ka ghaw hathon se dabaye", "jo hansmukh rahti hai", "sari raat mombatti si jalti hui", "chupchap chukti hai jo", "ankhon se kajal ponchhte ponchhte", "guDimuDi ho jate hain jiske sapne", "rosh bhare garjan aur hunkar ke pichhwaDe", "jo aha shabd likh deti hai", "wo meri beti hai", "abhushan utarkar", "bina wirodh kiye", "jo thaal lekar nikal jati hai", "duniya ke sare akrosh ki neenw par", "jo atmawishwas ka stambh ban jalti rahti hai,", "agnipriksha se dap dap damakta", "nikhar aata hai naritw jiska", "brihaspati ki shabdaganna ko jhuthlakar", "nakshatron ko agore rahta hai jiska tez", "wo meri beti hai", "kutsit, kadachar ke beech", "jo narangi jhanDe sa hath uthaye rahti hai", "uthe hue chaku ki dhaar", "mutthi mein jakaDkar rok leti hai jo", "mitti mein madhur gunjran ban", "jo akash mein sugandhit chanwar ban", "chupchap aati jati hai,", "sari duniya ke manthan se nikli", "zahr ki ek boond", "jiske hisse mein aati hai", "wo koi aur nahin", "meri hi beti hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
प्रार्थना के लिए ज़रूरी शब्द - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/pararthna-ke-liye-zaruri-shabd-harprasad-das-kavita?sort=
[ "अनुवाद : प्रभात त्रिपाठी", "(शुरूआत होगी एक गुहार से)", "हे प्रभु, हे विश्व नियन्ता, हे विधाता", "हे सर्वशक्तिमान्, हे अन्नदाता", "हे दयालु, हे सर्वज्ञाता हे त्राता", "हे करुणाकर, हे कृपानिधान", "हे लीलामय, हे गुणागार, हे विश्वाधार", "हे सुंदर, हे शून्य, हे जादूगर", "ईश्वर के नामकरण की कला में निपुण", "हमारी असहायता", "कम से कम इतना तो जानती है", "कि हम जो चाहते हैं, वह है ही", "उसके किसी न किसी नाम में,", "जैसे ग़लती करने पर", "माफ़ कर देने को बंकिम हँसी", "भूख लगने पर मुट्ठी भर अन्न बढ़ा देने को", "हाथ पत्थर का, और इसीलिए है", "सकर्मक और अकर्मक दोनों विद्याओं में पारंगत", "हमारी असंख्य कविता", "उसके बाद तुम भलभलाकर बकते रहोगे अनर्गल", "कि कैसे उनका शरीर गढ़ा है", "ग्रहों, तारों, नीहारिकाओं से,", "कैसे अपनी क्षुद्रता के बावजूद", "तुम उन्हें पुकार सकते हो", "धूल के साथ धूल होकर खेलने के लिए,", "कैसे वे देख लेते हैं", "स्तुति के हाथी को", "मगर का निवाला बनते,", "और कैसे भूधर को उठाकर", "रख देते हैं यहाँ से वहाँ", "बहा देते हैं नदियाँ, झरने,", "रचते हैं झीलें और सागर", "याद रखना कि उनका गुन गाते समय", "भूल न जाओ अपना अदने से अदना", "नाचीज़ वजूद", "इसके बाद बारी वर माँगने की,", "जहाँ याचना कम चतुराई ही ज़्यादा है", "जो भी देना है दो", "पर जो दे चुके, उसे लौटाओ मत", "देना ही है अगर दयानिधान, तो दो", "कोठियाँ ज़मीन-जायदाद ताक़त और अधिकार", "परिवार को भला-चंगा रखो", "नौकरी लगवा दो बड़े बेटे की", "औरत को दिलवा दो कर्णफूल", "मुक़द्दमे का फ़ैसला करा दो हक़ में", "गाँव की दो एकड़ ज़मीन में", "भाई को न मिले हिस्सा", "गन्ने की क़ीमत बढ़े", "अमराई के आमों के बौर", "झुलसकर झर न जाएँ", "चोरी न हो माटी के गुल्लक से चींटी का संचय", "ब्याज पर लगा मूलधन कम से कम न डूबे", "बहन के ब्याह के समय सस्ता रहे सोना", "भले कुमारग हो पर रास्ता दिखे अँधेरे में", "उसके बाद", "देने के लिए घूस, तुम्हें कहना होगा", "हे अमुक देवता, हे अमुक देवी", "नारियल चढ़ाऊँगा", "तर मलाईदार दूध से नहलाऊँगा", "पहनाऊँगा नई चटख कच्छी", "चाँदी का मुकुट", "नया बनवा दूँगा मंदिर का गुम्बद", "और संगमरमर की सीढ़ियाँ", "सौ रुपयों वाला गजरा पहनाऊँगा", "त्याग दूँगा माँस-मछली", "सोमवार को करूँगा उपवास", "झूठ नहीं बोलूँगा कभी", "और अख़ीर में कहना होगा", "अब", "सोने को चला है चित्रकार", "चला इम्तहान देने को", "चला कचहरी", "चला दूकान खोलने को", "चला बीज बोने", "चला लड़की के लिए वर खोजने", "चला नींव डालने नए मकान की", "चला दरख़ास्त देने", "चला", "चला", "चला", "सदा सहाय रहो हे चितेरों के चितेरे", "प्रार्थना में ज़रूरी शब्दों के इस संक्षिप्त अभिधान की रचना में मेरे सहायक", "रहे हैं जो लोग, जिन्होंने मुझे निर्लज्ज बने रहने की प्रेरणा दी है, जैसे यार-दोस्त,", "भाई-बंद, स्त्री, संतान, माँ-बाप, कुल पुरोहित, पड़ोसी, प्राचीन कवि, स्कूल", "मास्टर, पानी में तैरकर भी न भीगने वाली बत्तख सबको मैं जानता हूँ, अपनी", "कृतज्ञता।", "मेरा अपना अनुभव भी इस मामले में कुछ कम नहीं, लेकिन मैं उसे", "खुल्लम-खुल्ला नहीं कहूँगा, और कहूँ भी तो लोग उसे पतियाएँगे नहीं।", "प्रार्थना के इन ज़रूरी शब्दों को इकट्ठा करने के दौरान, मैं जानता हूँ,", "मेरे अनजाने पता नहीं कब ढीली हो गई है, अभी तक मज़बूत और", "दुरुस्त रही आई, एक पुरानी पृथ्वी की धुरी।", "ट्रेन में अंधा भिखारी गीत गाना बंद कर चुका है, रास्तों पर अटक", "गई हैं असंख्य गाड़ियाँ, विग्रह के सामने सिर झुकाए मंदिर में फँसे रह गए", "हैं अनगिनत लोग, ज़ुबानें बंद हो गई हैं, मूँद गई है सब कुछ देखकर कुछ", "न देखने वाली आँख।", "आरती के वक़्त, दीपमालिका ठहर गई है शून्य में, विश्वास जैसे सब", "का सब हो गया है निर्वाक्।", "देवता जड़ होकर बैठे हैं अपनी-अपनी जगह पर, मेरी तरह असंख्य", "कवि लगे हैं एक प्रार्थना रचने में, प्रार्थना के असंख्य संभाव्य शब्द पैदा हो", "चुके हैं, उनकी खोज जारी है पृथ्वी में, सो वे सब चले गए हैं अज्ञातवास में।", "जिन कुछेक शब्दों को मैं लिपिबद्ध किए जा रहा हूँ वे सचमुच कुछ", "कर सकते हैं इस पर ख़ुद मुझे विश्वास नहीं—", "लेकिन प्रार्थना के लिए शब्द न मिलने के दुर्दिन में ये आ सकते हैं", "काम।", "(shuruat hogi ek guhar se)", "he prabhu, he wishw niyanta, he widhata", "he sarwshaktiman, he anndata", "he dayalu, he sarwagyata he trata", "he karunakar, he kripanidhan", "he lilamay, he gunagar, he wishwadhar", "he sundar, he shunya, he jadugar", "ishwar ke namakarn ki kala mein nipun", "hamari ashayta", "kam se kam itna to janti hai", "ki hum jo chahte hain, wo hai hi", "uske kisi na kisi nam mein,", "jaise ghalati karne par", "maf kar dene ko bankim hansi", "bhookh lagne par mutthi bhar ann baDha dene ko", "hath patthar ka, aur isiliye hai", "sakarmak aur akarmak donon widyaon mein parangat", "hamari asankhya kawita", "uske baad tum bhalabhlakar bakte rahoge anargal", "ki kaise unka sharir gaDha hai", "grhon, taron, niharikaon se,", "kaise apni kshaudrata ke bawjud", "tum unhen pukar sakte ho", "dhool ke sath dhool hokar khelne ke liye,", "kaise we dekh lete hain", "istuti ke hathi ko", "magar ka niwala bante,", "aur kaise bhudhar ko uthakar", "rakh dete hain yahan se wahan", "baha dete hain nadiyan, jharne,", "rachte hain jhilen aur sagar", "yaad rakhna ki unka gun gate samay", "bhool na jao apna adne se adna", "nachiz wajud", "iske baad bari war mangne ki,", "jahan yachana kam chaturai hi zyada hai", "jo bhi dena hai do", "par jo de chuke, use lautao mat", "dena hi hai agar dayanidhan, to do", "kothiyan zamin jayadad taqat aur adhikar", "pariwar ko bhala changa rakho", "naukari lagwa do baDe bete ki", "aurat ko dilwa do karnaphul", "muqaddame ka faisla kara do haq mein", "ganw ki do acre zamin mein", "bhai ko na mile hissa", "ganne ki qimat baDhe", "amrai ke amon ke baur", "jhulaskar jhar na jayen", "chori na ho mati ke gullak se chinti ka sanchay", "byaj par laga muladhan kam se kam na Dube", "bahan ke byah ke samay sasta rahe sona", "bhale kumarag ho par rasta dikhe andhere mein", "uske baad", "dene ke liye ghoos, tumhein kahna hoga", "he amuk dewta, he amuk dewi", "nariyal chaDhaunga", "tar malaidar doodh se nahlaunga", "pahnaunga nai chatakh kachchhi", "chandi ka mukut", "naya banwa dunga mandir ka gumbad", "aur sangamarmar ki siDhiyan", "sau rupyon wala gajra pahnaunga", "tyag dunga mans machhli", "somwar ko karunga upwas", "jhooth nahin bolunga kabhi", "aur akhir mein kahna hoga", "ab", "sone ko chala hai chitrkar", "chala imtahan dene ko", "chala kachahri", "chala dukan kholne ko", "chala beej bone", "chala laDki ke liye war khojne", "chala neenw Dalne nae makan ki", "chala darkhast dene", "chala", "chala", "chala", "sada sahay raho he chiteron ke chitere", "pararthna mein zaruri shabdon ke is sankshipt abhidhan ki rachna mein mere sahayak", "rahe hain jo log, jinhonne mujhe nirlajj bane rahne ki prerna di hai, jaise yar dost,", "bhai band, istri, santan, man bap, kul purohit, paDosi, prachin kawi, school", "master, pani mein tairkar bhi na bhigne wali battakh sabko main janta hoon, apni", "kritagyta", "mera apna anubhaw bhi is mamle mein kuch kam nahin, lekin main use", "khullam khulla nahin kahunga, aur kahun bhi to log use patiyayenge nahin", "pararthna ke in zaruri shabdon ko ikattha karne ke dauran, main janta hoon,", "mere anjane pata nahin kab Dhili ho gai hai, abhi tak mazbut aur", "durust rahi i, ek purani prithwi ki dhuri", "train mein andha bhikhari geet gana band kar chuka hai, raston par atak", "gai hain asankhya gaDiyan, wigrah ke samne sir jhukaye mandir mein phanse rah gaye", "hain anaginat log, zubanen band ho gai hain, moond gai hai sab kuch dekhkar kuch", "na dekhne wali ankh", "arti ke waqt, dipmalika thahar gai hai shunya mein, wishwas jaise sab", "ka sab ho gaya hai nirwak", "dewta jaD hokar baithe hain apni apni jagah par, meri tarah asankhya", "kawi lage hain ek pararthna rachne mein, pararthna ke asankhya sambhawya shabd paida ho", "chuke hain, unki khoj jari hai prithwi mein, so we sab chale gaye hain agyatwas mein", "jin kuchhek shabdon ko main lipibaddh kiye ja raha hoon we sachmuch kuch", "kar sakte hain is par khu mujhe wishwas nahin—", "lekin pararthna ke liye shabd na milne ke durdin mein ye aa sakte hain", "kaam", "(shuruat hogi ek guhar se)", "he prabhu, he wishw niyanta, he widhata", "he sarwshaktiman, he anndata", "he dayalu, he sarwagyata he trata", "he karunakar, he kripanidhan", "he lilamay, he gunagar, he wishwadhar", "he sundar, he shunya, he jadugar", "ishwar ke namakarn ki kala mein nipun", "hamari ashayta", "kam se kam itna to janti hai", "ki hum jo chahte hain, wo hai hi", "uske kisi na kisi nam mein,", "jaise ghalati karne par", "maf kar dene ko bankim hansi", "bhookh lagne par mutthi bhar ann baDha dene ko", "hath patthar ka, aur isiliye hai", "sakarmak aur akarmak donon widyaon mein parangat", "hamari asankhya kawita", "uske baad tum bhalabhlakar bakte rahoge anargal", "ki kaise unka sharir gaDha hai", "grhon, taron, niharikaon se,", "kaise apni kshaudrata ke bawjud", "tum unhen pukar sakte ho", "dhool ke sath dhool hokar khelne ke liye,", "kaise we dekh lete hain", "istuti ke hathi ko", "magar ka niwala bante,", "aur kaise bhudhar ko uthakar", "rakh dete hain yahan se wahan", "baha dete hain nadiyan, jharne,", "rachte hain jhilen aur sagar", "yaad rakhna ki unka gun gate samay", "bhool na jao apna adne se adna", "nachiz wajud", "iske baad bari war mangne ki,", "jahan yachana kam chaturai hi zyada hai", "jo bhi dena hai do", "par jo de chuke, use lautao mat", "dena hi hai agar dayanidhan, to do", 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अनोखा देश - कविता | हिन्दवी
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[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "शून्यता से छुटकारा पाने के लिए", "तट पर खड़े हो", "जब मैंने समुद्र से प्रश्न किया", "मेरे प्रश्न और प्रतिध्वनि", "नीले रंग में", "खो गए", "उत्तर के रूप में सिर्फ़", "लहर मेरे क़दमों के पास", "छोड़ गई", "एक दूसरी निस्तब्धता", "यह एक अनोखा देश है", "जहाँ सारे अनुभव", "शोक में बदल जाते हैं", "सारे स्वर वीराने हो जाते हैं।", "shunyata se chhutkara pane ke liye", "tat par khaDe ho", "jab mainne samudr se parashn kiya", "mere parashn aur pratidhwani", "nile rang mein", "kho gaye", "uttar ke roop mein sirf", "lahr mere qadmon ke pas", "chhoD gai", "ek dusri nistabdhata", "ye ek anokha desh hai", "jahan sare anubhaw", "shok mein badal jate hain", "sare swar wirane ho jate hain", "shunyata se chhutkara pane ke liye", "tat par khaDe ho", "jab mainne samudr se parashn kiya", "mere parashn aur pratidhwani", "nile rang mein", "kho gaye", "uttar ke roop mein sirf", "lahr mere qadmon ke pas", "chhoD gai", "ek dusri nistabdhata", "ye ek anokha desh hai", "jahan sare anubhaw", "shok mein badal jate hain", "sare swar wirane ho jate hain", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
आश्विन की चाँदनी रात - कविता | हिन्दवी
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[ "अनुवाद : शंकर लाल पुरोहित", "जानती हूँ, जानती हूँ", "आश्विन तू आएगा फिर एक बार", "मेरा सारा मुमूर्षु आवेग", "अंकुरा जाता", "तेरे नरम परश में", "पल्लवित और मंजरित", "सपनों में डूब", "आयुष्यमती सारी अह्लाद घड़ियाँ", "कितनी सुंदर विभोर हैं", "अनखिले फूल के होंठ पर", "अनदिखे दुख को", "हाथ थाम पुकार लोगे", "दूर किसी अतीत", "की सपनीली धरा से", "दूर नील रंग व तूलिका से", "अंकित चित्र है तू आश्विन", "तेरे एकांत बग़ीचे में चाँदनी रात", "कितनी सुंदर चित्रित है", "स्मृति भिगो देती चेतना", "नन्हे तोरई फूल", "महकते हरसिंगार की", "मग्न चेतना को", "लहराए शरत की चाँदनी रात में", "सिहरते बिंबित सपने", "स्वयं को बाँट देते कितने!", "चारों ओर श्रद्धा में", "घड़ी भर के लिए", "भीग जाती भला", "चाँदनी में कवित्व की", "उस जच्चाशाला में।", "janti hoon, janti hoon", "ashwin tu ayega phir ek bar", "mera sara mumurshau aaweg", "ankura jata", "tere naram parash mein", "pallawit aur manjrit", "sapnon mein Doob", "ayushyamti sari ahlad ghaDiyan", "kitni sundar wibhor hain", "anakhile phool ke honth par", "anadikhe dukh ko", "hath tham pukar loge", "door kisi atit", "ki sapnili dhara se", "door neel rang wa tulika se", "ankit chitr hai tu ashwin", "tere ekant baghiche mein chandni raat", "kitni sundar chitrit hai", "smriti bhigo deti chetna", "nannhe torai phool", "mahakte harsingar ki", "magn chetna ko", "lahraye sharat ki chandni raat mein", "siharte bimbit sapne", "swayan ko bant dete kitne!", "charon or shardha mein", "ghaDi bhar ke liye", "bheeg jati bhala", "chandni mein kawitw ki", "us jachchashala mein", "janti hoon, janti hoon", "ashwin tu ayega phir ek bar", "mera sara mumurshau aaweg", "ankura jata", "tere naram parash mein", "pallawit aur manjrit", "sapnon mein Doob", "ayushyamti sari ahlad ghaDiyan", "kitni sundar wibhor hain", "anakhile phool ke honth par", "anadikhe dukh ko", "hath tham pukar loge", "door kisi atit", "ki sapnili dhara se", "door neel rang wa tulika se", "ankit chitr hai tu ashwin", "tere ekant baghiche mein chandni raat", "kitni sundar chitrit hai", "smriti bhigo deti chetna", "nannhe torai phool", "mahakte harsingar ki", "magn chetna ko", "lahraye sharat ki chandni raat mein", "siharte bimbit sapne", "swayan ko bant dete kitne!", "charon or shardha mein", "ghaDi bhar ke liye", "bheeg jati bhala", "chandni mein kawitw ki", "us jachchashala mein", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
बिदाई के समय - कविता | हिन्दवी
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[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "बिदाई माँगते समय", "और कुछ नहीं बचता", "समुद्र के बीच डूबते आदमी की", "इच्छा नहीं होती चिल्लाने की", "विदा माँगने वाला सोचता है", "प्रेम से अलग था चाहना", "जीने से कितना अलग था जीवन", "गाने से कितना दूर था संगीत", "डूबने वाला सोचता है", "और स्वयं को सौंप देता है", "लहरों से अलग समुद्र को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते", "ख़ुद को अलग कर लेता है विदा माँगने से", "डूबता हुआ आदमी।", "bidai mangte samay", "aur kuch nahin bachta", "samudr ke beech Dubte adami ki", "ichha nahin hoti chillane ki", "wida mangne wala sochta hai", "prem se alag tha chahna", "jine se kitna alag tha jiwan", "gane se kitna door tha sangit", "Dubne wala sochta hai", "aur swayan ko saump deta hai", "lahron se alag samudr ko DhunDhate DhunDhate", "khu ko alag kar leta hai wida mangne se", "Dubta hua adami", "bidai mangte samay", "aur kuch nahin bachta", "samudr ke beech Dubte adami ki", "ichha nahin hoti chillane ki", "wida mangne wala sochta hai", "prem se alag tha chahna", "jine se kitna alag tha jiwan", "gane se kitna door tha sangit", "Dubne wala sochta hai", "aur swayan ko saump deta hai", "lahron se alag samudr ko DhunDhate DhunDhate", "khu ko alag kar leta hai wida mangne se", "Dubta hua adami", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
ग़लत रास्ता - कविता | हिन्दवी
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[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "तुम्हारे पास जाते समय", "अन्यमनस्क हो", "मैं बार-बार लौट आता हूँ", "ग़लत रास्ते से", "राह भटककर", "इस तरह राह भटकते समय", "अचानक कभी-कभी", "मेरे कंधे पर हाथ रख", "तुम मुझे सतर्क कर देती हो", "राह बदलकर", "पुनः चला जाता हूँ", "एक ग़लत रास्ते पर।", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
हिसाब - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/hisab-shakti-mahanty-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राघु मिश्र", "उठो और देखो, उजाले की साज़िश में", "एक सवेरा आकर हिसाब माँग रहा है", "माँग रहा बिजली का बिल, राशन कार्ड", "सब्ज़ी और अगरबत्ती का ख़र्च, ऑटोवाले का बक़ाया", "ऊपर से कैलेंडर के बाहर खड़ी कई उनींदी रातें", "या रूखे अलार्म की नींद जो टूटी नहीं अब तक", "वह बराबर आता है आधी रात को", "अपनी उस जरीदार झीनी पोशाक में", "बाज़ार में ख़रीददारी के वक़्त मोच खाए", "कंधे को सहला कर उसकी दिपदिपाती", "आँखों से, छाती पर लद जाता", "उसकी भी तो हत्या करके सवेरा", "आता है फिर से और हिसाब माँगता है", "इतनी जल्दी ख़त्म हो गया तेरी देह का अवशेष!", "कितना है फ़ास्टिंग ब्लड सुगर!", "घर की ई.एम.आई.!", "अब भी तू देख रहा हवाई जहाज़ की ओर", "इतनी बेशर्मी से!", "अपनी रिंगटोन भी पहचान नहीं पाता भीड़ में", "ऐसे न जाने कितना कुछ", "जब वह मनिहारी सामान ख़रीदता", "पीठ दिखाकर समुद्र की उत्ताल तरंगों को", "उसके साथ बीती यादों के अनगिनत पल", "ऑवर ग्लास से मेरी छाती के भीतर झरने लगते", "और रेलवे जंक्शन-सी मेरी हथेलियों में से", "कौन-सी रेखा उसकी है, यह हिसाब भी", "माँगता है निर्दयी सवेरा", "ट्रेन लाइन में पिछली रात कटे हुए", "जानवर-सी एक रात की लाश", "कुछ मामूली कविता की पंक्तियाँ", "शराब की दो ख़ाली बोतलें", "जतन से सहेजे गुप्त स्वप्न की सी.डी.", "चू पड़ी इत्र की शीशी", "इन सबको एक काले पॉलीथिन में लपेट कर", "कचरे के ट्रैक्टर में फेंक आता सवेरा", "फिर नए सिरे से हिसाब लिखने को", "डायरी का एक नया पन्ना खोलता।", "utho aur dekho, ujale ki sazish men", "ek savera aakar hisab maang raha hai", "maang raha bijli ka bil, rashan card", "sabzi aur agarbatti ka kharch, autovale ka baqaya", "upar se calendar ke bahar khaDi kai unindi raten", "ya rukhe alarm ki neend jo tuti nahin ab tak", "wo barabar aata hai aadhi raat ko", "apni us jaridar jhini poshak men", "bazar mein ख़ridadari ke vaक़t moch khaye", "kandhe ko sahla kar uski dipadipati", "ankhon se, chhati par lad jata", "uski bhi to hattya karke savera", "aata hai phir se aur hisab mangta hai", "itni jaldi khatm ho gaya teri deh ka avshesh!", "kitna hai fasting blaD sugar!", "ghar ki i. em. i. !", "ab bhi tu dekh raha havai jahaz ki or", "itni besharmi se!", "apni rington bhi pahchan nahin pata bheeD men", "aise na jane kitna kuch", "jab wo manihari saman kharidta", "peeth dikhakar samudr ki uttaal tarangon ko", "uske saath biti yadon ke anaginat pal", "auvar glaas se meri chhati ke bhitar jharne lagte", "aur railway jankshan si meri hatheliyon mein se", "kaun si rekha uski hai, ye hisab bhi", "mangta hai nirdayi savera", "train line mein pichhli raat kate hue", "janvar si ek raat ki laash", "kuch mamuli kavita ki panktiyan", "sharab ki do khali botlen", "jatan se saheje gupt svapn ki si. d.", "chu paDi itr ki shishi", "in sabko ek kale paulithin mein lapet kar", "kachre ke tracktor mein phenk aata savera", "phir nae sire se hisab likhne ko", "Diary ka ek naya panna kholta.", "utho aur dekho, ujale ki sazish men", "ek savera aakar hisab maang raha hai", "maang raha bijli ka bil, rashan card", "sabzi aur agarbatti ka kharch, autovale ka baqaya", "upar se calendar ke bahar khaDi kai unindi raten", "ya rukhe alarm ki neend jo tuti nahin ab tak", "wo barabar aata hai aadhi raat ko", "apni us jaridar jhini poshak men", "bazar mein ख़ridadari ke vaक़t moch khaye", "kandhe ko sahla kar uski dipadipati", "ankhon se, chhati par lad jata", "uski bhi to hattya karke savera", "aata hai phir se aur hisab mangta hai", "itni jaldi khatm ho gaya teri deh ka avshesh!", "kitna hai fasting blaD sugar!", "ghar ki i. em. i. !", "ab bhi tu dekh raha havai jahaz ki or", "itni besharmi se!", "apni rington bhi pahchan nahin pata bheeD men", "aise na jane kitna kuch", "jab wo manihari saman kharidta", "peeth dikhakar samudr ki uttaal tarangon ko", "uske saath biti yadon ke anaginat pal", "auvar glaas se meri chhati ke bhitar jharne lagte", "aur railway jankshan si meri hatheliyon mein se", "kaun si rekha uski hai, ye hisab bhi", "mangta hai nirdayi savera", "train line mein pichhli raat kate hue", "janvar si ek raat ki laash", "kuch mamuli kavita ki panktiyan", "sharab ki do khali botlen", "jatan se saheje gupt svapn ki si. d.", "chu paDi itr ki shishi", "in sabko ek kale paulithin mein lapet kar", "kachre ke tracktor mein phenk aata savera", "phir nae sire se hisab likhne ko", "Diary ka ek naya panna kholta.", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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फेरीवाला - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/feriwala-shakti-mahanty-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राघु मिश्र", "बाबू जी, ये चश्मा लो, सपने इससे अच्छे दिखते हैं", "आँखों में समाया डर, पनियारी आँखों में किसी की", "अनचाही छाँव, सब ओझल हो जाएगा इस चश्मे से", "ये घड़ी पहन कर देखो तो, कलाई पर खूब जँचेगी", "इसकी टिक-टिक उस अदृश्य छिपकिली की सच-सच जैसी", "इस घड़ी को पहन कर समय से बाहर भी जा सकते हो", "इसकी सूई से सलीब पर टाँग सकते हो समय को", "ज़रा इस मुखौटे को लगा कर देखो, अरे वाह तुमको", "अब कोई पहचान कर दिखाए, बस इसके पीछे आँखें मूँद लो", "और ख़ुद को कनिष्क समझ लो", "देखो तो, यह क़लम तुम्हारी छाती पर कितनी सुंदर लगेगी", "कोरे काग़ज़ का पन्ना लेकर बैठो और क़लम से उड़ेल दो अपना ख़ून", "स्याही से नहीं बाबू जी, ख़ून से कविता लिखो", "लो, इस रूमाल में आँसू की हर बूँद खिलती है फूल बनकर", "काफ़ी ताज़ा लगती हैं चुंबन की निशानियाँ", "बाँध कर देखो माथे पर, काफ़िर-से लगोगे", "बाबू जी, चाभी की रिंग भी है, दिखाता हूँ", "अपने सारे राज को गूँथ कर झुला देना कमर में उसके", "जो बार-बार पड़ती है तुम्हारे प्रेम में", "या अतीत के उस कैलेंडर पर लटका देना", "जिसकी हर तारीख़ इतिहास है", "जरा इस आईने को देखो तो, तुम्हारा पीछा", "कर रहीं सारी यादें साफ़-साफ़ दिखेंगी", "फ़ोन पर आवेश की तस्वीरों की भीड़ में गुमशुदा", "तुम्हारा उजला चेहरा भी दिख जाएगा इस आईने में", "ओह, कुछ भी पसंद नहीं आया, ठीक है", "ख़ुद पर दरवाजा मत बंद करो, मैं जा रहा हूँ", "अच्छा, फ़्री में दे रहा हूँ यह चुंबक, रख लो", "यह दिखाता है एक और दिशा, दसों दिशाओं से अलग", "ठीक उस तरफ़, जहाँ तुम होते हो।", "babu ji, ye chashma lo, sapne isse achchhe dikhte hain", "ankhon mein samaya Dar, paniyari ankhon mein kisi ki", "anchahi chhaanv, sab ojhal ho jayega is chashme se", "ye ghaDi pahan kar dekho to, kalai par khoob janchegi", "iski tik tik us adrshy chhipakili ki sach sach jaisi", "is ghaDi ko pahan kar samay se bahar bhi ja sakte ho", "iski sui se salib par taang sakte ho samay ko", "zara is mukhaute ko laga kar dekho, are vaah tumko", "ab koi pahchan kar dikhaye, bus iske pichhe ankhen moond lo", "aur khu ko kanishk samajh lo", "dekho to, ye qalam tumhari chhati par kitni sundar lagegi", "kore kaghaz ka panna lekar baitho aur qalam se uDel do apna khoon", "syahi se nahin babu ji, khoon se kavita likho", "lo, is rumal mein ansu ki har boond khilti hai phool bankar", "kafi taza lagti hain chumban ki nishaniyan", "baandh kar dekho mathe par, kafir se lagoge", "babu ji, chabhi ki ring bhi hai, dikhata hoon", "apne sare raaj ko goonth kar jhula dena kamar mein uske", "jo baar baar paDti hai tumhare prem men", "ya atit ke us calendar par latka dena", "jiski har tarikh itihas hai", "jara is aine ko dekho to, tumhara pichha", "kar rahin sari yaden saaf saaf dikhengi", "phone par avesh ki tasviron ki bheeD mein gumshuda", "tumhara ujla chehra bhi dikh jayega is aine men", "oh, kuch bhi pasand nahin aaya, theek hai", "khu par darvaja mat band karo, main ja raha hoon", "achchha, fre mein de raha hoon ye chumbak, rakh lo", "ye dikhata hai ek aur disha, dason dishaon se alag", "theek us taraf, jahan tum hote ho.", "babu ji, ye chashma lo, sapne isse achchhe dikhte hain", "ankhon mein samaya Dar, paniyari ankhon mein kisi ki", "anchahi chhaanv, sab ojhal ho jayega is chashme se", "ye ghaDi pahan kar dekho to, kalai par khoob janchegi", "iski tik tik us adrshy chhipakili ki sach sach jaisi", "is ghaDi ko pahan kar samay se bahar bhi ja sakte ho", "iski sui se salib par taang sakte ho samay ko", "zara is mukhaute ko laga kar dekho, are vaah tumko", "ab koi pahchan kar dikhaye, bus iske pichhe ankhen moond lo", "aur khu ko kanishk samajh lo", "dekho to, ye qalam tumhari chhati par kitni sundar lagegi", "kore kaghaz ka panna lekar baitho aur qalam se uDel do apna khoon", "syahi se nahin babu ji, khoon se kavita likho", "lo, is rumal mein ansu ki har boond khilti hai phool bankar", "kafi taza lagti hain chumban ki nishaniyan", "baandh kar dekho mathe par, kafir se lagoge", "babu ji, chabhi ki ring bhi hai, dikhata hoon", "apne sare raaj ko goonth kar jhula dena kamar mein uske", "jo baar baar paDti hai tumhare prem men", "ya atit ke us calendar par latka dena", "jiski har tarikh itihas hai", "jara is aine ko dekho to, tumhara pichha", "kar rahin sari yaden saaf saaf dikhengi", "phone par avesh ki tasviron ki bheeD mein gumshuda", "tumhara ujla chehra bhi dikh jayega is aine men", "oh, kuch bhi pasand nahin aaya, theek hai", "khu par darvaja mat band karo, main ja raha hoon", "achchha, fre mein de raha hoon ye chumbak, rakh lo", "ye dikhata hai ek aur disha, dason dishaon se alag", "theek us taraf, jahan tum hote ho.", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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जहाँ भी शाम हो - कविता | हिन्दवी
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[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "जहाँ भी शाम हो", "क्या फ़र्क़ पड़ता है", "चंदनपुर में हो या पाणिकोइली में!", "हर जगह मिलेंगे कुछ मुस्काते चेहरे", "परिचित या अपरिचित", "लालटेन की रोशनी में चमक उठेंगे चिट्ठियों जैसे।", "आएँगे कई लोग स्वागत करने", "छाता लिए हाथ में", "कहेंगे : “रह जाइए न आज रात यहीं,", "काफ़ी दिनों से आए नहीं हमारे गाँव की ओर!", "कुछ लजाते हुए कहेगी एक लड़की", "चिकोटी काट अपनी सहेली से", "‘देखा था अक्षरों में", "देख लिया आज आँखों से!’", "मंजरियों के बोझ से", "झुका जा रहा होगा आम का पेड़", "जा रही होगी चील उड़कर", "दिन-ढले हड़बड़ाकर", "भूमि ने मुँह बा दिया है", "चैत की भीषण गर्मी से,", "होती है बारिश मूसलाधार कभी-कभी", "असमय ही", "लाल दिखाई देता है किंतु", "वीरान मेले का मैदान", "जो था एक माह पहले।", "मैं कहाँ रहूँगा, और कैसे रहूँगा?", "गाड़ी का समय होता जा रहा है", "ट्रेन दौड़ी चली आएगी पूरे इलाक़े को थर्राती", "गेटमैन गेट बंद कर ऊँघता है नशे में", "बड़ी लड़की हिलाती है हरी बत्ती,", "बंद है सारी आवाजाही", "फिर भी जाना होगा", "यह भूमिका क्यों?", "यह ट्रेन दूर-दराज से", "दौड़ी चली आ रही है", "अनेक तीर्थों से लदी", "पाप-पुण्य को, अच्छे को, बुरे को, तोड़-मरोड़ एकाकार कर।", "मेरे ख़ून की हर बूँद के", "कीटाणुओं को थर्राती", "मेरे केंद्र को प्रतिपल ग्रसित करती", "चली आ रही है यह ट्रेन समय से परे", "अतीर्थ अँधेरे में।", "jahan bhi sham ho", "kya farq paDta hai", "chandanpur mein ho ya panikoili mein!", "har jagah milenge kuch muskate chehre", "parichit ya aprichit", "lalten ki roshni mein chamak uthenge chitthiyon jaise", "ayenge kai log swagat karne", "chhata liye hath mein", "kahenge ha “rah jaiye na aaj raat yahin,", "kafi dinon se aaye nahin hamare ganw ki or!", "kuch lajate hue kahegi ek laDki", "chikoti kat apni saheli se", "‘dekha tha akshron mein", "dekh liya aaj ankhon se!’", "manjariyon ke bojh se", "jhuka ja raha hoga aam ka peD", "ja rahi hogi cheel uDkar", "din Dhale haDabDakar", "bhumi ne munh ba diya hai", "chait ki bhishan garmi se,", "hoti hai barish musladhar kabhi kabhi", "asamay hi", "lal dikhai deta hai kintu", "wiran mele ka maidan", "jo tha ek mah pahle", "main kahan rahunga, aur kaise rahunga?", "gaDi ka samay hota ja raha hai", "train dauDi chali ayegi pure ilaqe ko tharrati", "getmain gate band kar unghta hai nashe mein", "baDi laDki hilati hai hari batti,", "band hai sari awajahi", "phir bhi jana hoga", "ye bhumika kyon?", "ye train door daraj se", "dauDi chali aa rahi hai", "anek tirthon se ladi", "pap punny ko, achchhe ko, bure ko, toD maroD ekakar kar", "mere khoon ki har boond ke", "kitanuon ko tharrati", "mere kendr ko pratipal grsit karti", "chali aa rahi hai ye train samay se pare", "atirth andhere mein", "jahan bhi sham ho", "kya farq paDta hai", "chandanpur mein ho ya panikoili mein!", "har jagah milenge kuch muskate chehre", "parichit ya aprichit", "lalten ki roshni mein chamak uthenge chitthiyon jaise", "ayenge kai log swagat karne", "chhata liye hath mein", "kahenge ha “rah jaiye na aaj raat yahin,", "kafi dinon se aaye nahin hamare ganw ki or!", "kuch lajate hue kahegi ek laDki", "chikoti kat apni saheli se", "‘dekha tha akshron mein", "dekh liya aaj ankhon se!’", "manjariyon ke bojh se", "jhuka ja raha hoga aam ka peD", "ja rahi hogi cheel uDkar", "din Dhale haDabDakar", "bhumi ne munh ba diya hai", "chait ki bhishan garmi se,", "hoti hai barish musladhar kabhi kabhi", "asamay hi", "lal dikhai deta hai kintu", "wiran mele ka maidan", "jo tha ek mah pahle", "main kahan rahunga, aur kaise rahunga?", "gaDi ka samay hota ja raha hai", "train dauDi chali ayegi pure ilaqe ko tharrati", "getmain gate band kar unghta hai nashe mein", "baDi laDki hilati hai hari batti,", "band hai sari awajahi", "phir bhi jana hoga", "ye bhumika kyon?", "ye train door daraj se", "dauDi chali aa rahi hai", "anek tirthon se ladi", "pap punny ko, achchhe ko, bure ko, toD maroD ekakar kar", "mere khoon ki har boond ke", "kitanuon ko tharrati", "mere kendr ko pratipal grsit karti", "chali aa rahi hai ye train samay se pare", "atirth andhere mein", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
मेरे अनुज, अग्रज, मित्रगण - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/mere-anuj-agraj-mitrgan-gopal-krishna-rath-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राजेन्द्र प्रसाद मिश्र", "मेरी मृत्यु के बाद", "मत लिखना शोक कविता", "संपादकों का पत्र-स्तंभ", "मत भर देना अक्षरों से।", "क्या अक्षरों ने", "गुमराह किया", "उन्हें क्यों बागी बनाओगे", "झूठ-सच के खेल में", "तुम चाहते तो ओस की नन्हीं-सी बूँद", "उठाकर ला सकते थे सूर्योदय से पहले।", "हमेशा कोहरे में तैरता आदमी", "क्या कभी सोचता है", "बारिश की रात में घर जल सकता है", "तितलियाँ, फूल, आँसू", "भयानक हो सकते हैं", "उजड़ सकते हैं ड्राइंग-खाते का चित्र,", "जन्मदिन की मोमबत्ती", "और दीवार से लटका घास-फूस का घोंसला!", "कर्ण की तक़दीर", "और पार्थ का भोग", "दोनों मेरे नितांत विश्वस्त हैं—", "मुझे जला मत देना", "झूठ-सच के खेल में।", "देखो, मैं हलफ लेकर कहता हूँ,", "श्रीमंदिर का शीर्ष देखते समय मैंने कभी", "सिर से पगड़ी नहीं गिराई", "भींचकर नहीं पकड़ा", "हवा में उड़ते परागों को", "एक 'फू' तक कहने का बड़प्पन मुझमें नहीं है", "गीले गीले स्वर में", "अपने अनुजों, अग्रजों और मित्रों को।", "मैं जकड़े रहूँगा उन्हें हमेशा", "अपने सीने में", "ख़ुद समुद्र तट बनकर", "टूटते चले जाने पर भी", "भींचे रहूँगा उन्हें", "मैं ख़ुद निश्चिंत हो जाने तक", "पूरी तरह विस्तारित हो जाने तक।", "meri mirtyu ke baad", "mat likhna shok kawita", "sampadkon ka patr stambh", "mat bhar dena akshron se", "kya akshron ne", "gumrah kiya", "unhen kyon bagi banaoge", "jhooth sach ke khel mein", "tum chahte to os ki nanhin si boond", "uthakar la sakte the suryoday se pahle", "hamesha kohre mein tairta adami", "kya kabhi sochta hai", "barish ki raat mein ghar jal sakta hai", "titliyan, phool, ansu", "bhayanak ho sakte hain", "ujaD sakte hain Draing khate ka chitr,", "janmdin ki mombatti", "aur diwar se latka ghas phoos ka ghonsla!", "karn ki taqdir", "aur parth ka bhog", "donon mere nitant wishwast hain—", "mujhe jala mat dena", "jhooth sach ke khel mein", "dekho, main halaph lekar kahta hoon,", "shrimandir ka sheersh dekhte samay mainne kabhi", "sir se pagDi nahin girai", "bhinchkar nahin pakDa", "hawa mein uDte paragon ko", "ek phoo tak kahne ka baDappan mujhmen nahin hai", "gile gile swar mein", "apne anujon, agrjon aur mitron ko", "main jakDe rahunga unhen hamesha", "apne sine mein", "khu samudr tat bankar", "tutte chale jane par bhi", "bhinche rahunga unhen", "main khu nishchint ho jane tak", "puri tarah wistarit ho jane tak", "meri mirtyu ke baad", "mat likhna shok kawita", "sampadkon ka patr stambh", "mat bhar dena akshron se", "kya akshron ne", "gumrah kiya", "unhen kyon bagi banaoge", "jhooth sach ke khel mein", "tum chahte to os ki nanhin si boond", "uthakar la sakte the suryoday se pahle", "hamesha kohre mein tairta adami", "kya kabhi sochta hai", "barish ki raat mein ghar jal sakta hai", "titliyan, phool, ansu", "bhayanak ho sakte hain", "ujaD sakte hain Draing khate ka chitr,", "janmdin ki mombatti", "aur diwar se latka ghas phoos ka ghonsla!", "karn ki taqdir", "aur parth ka bhog", "donon mere nitant wishwast hain—", "mujhe jala mat dena", "jhooth sach ke khel mein", "dekho, main halaph lekar kahta hoon,", "shrimandir ka sheersh dekhte samay mainne kabhi", "sir se pagDi nahin girai", "bhinchkar nahin pakDa", "hawa mein uDte paragon ko", "ek phoo tak kahne ka baDappan mujhmen nahin hai", "gile gile swar mein", "apne anujon, agrjon aur mitron ko", "main jakDe rahunga unhen hamesha", "apne sine mein", "khu samudr tat bankar", "tutte chale jane par bhi", "bhinche rahunga unhen", "main khu nishchint ho jane tak", "puri tarah wistarit ho jane tak", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
अकेली रात - कविता | हिन्दवी
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[ "अनुवाद : राजेंद्रा प्रसाद मिश्र", "एक", "आज की इस रात को क्या हो गया?", "आज मन उदास है चाँद का", "फिर भी उसकी रोशनी में गीली अबरख-बिंदु कहती है", "वीरान रेत को देख", "कि उसे जीवन भर कुछ नहीं कहना है", "आज जैसी अकेली रात", "मैंने कभी नहीं देखी", "आज समुद्र नक्षत्र ऋतु चराचर", "सब अकेले हैं", "आज जैसा अकेला मैं नहीं हुआ", "किसी भी रात", "आज मेरा ख़ून मांस नींद और साँसें", "सब अकेली हैं", "आज सारे कोलाहल ख़त्म हो गए", "चिड़ियों का आर्तनाद", "ओस की बूँदें बन गया", "परंपराओं ने पुरानी मिट्टी से सोख लिया अस्थिमज्जा", "नदी का पानी ठोस होकर थम गया", "नारियल की सुदीर्घ रस्सी-सा", "दो", "यह रात नहीं जानती कितनी प्रतिहिंसाएँ हुई है", "फक्क सफ़ेद रेगिस्तानों में", "अनकटे पत्थरों में, दुर्घटना-ग्रस्त मोटरों में", "फिर भी क्यों दीखाती है निर्जन यह सचराचर", "सूखा पत्ता शोर मचाता भागता है सड़क पर", "इस रात में क्या है? बची हुई आँसुओं की कुछ बूँदें", "निचोड़ लेने की बेचैन योजना के सिवा", "इस रात में क्या है? रेत और तारों के ठण्डे बगीचे", "जिसमें आयोजित एक सुनसान मजलिस,", "गायक वादक नहीं, सिर्फ़ एक हार्मोनियम के", "ऊपर लटक रहा एक पनीला गीत", "मैं क्यों मिलता इस रात से", "अकस्मात् एक भूल और जीवन भर उसका पश्चात्ताप", "यह तो मेरी चिंतन कसरत है। न जाने क्या हुआ", "आज मैं हठात् घुस आया इस रात के अंतःकरण में", "(शायद एक ओर से हुई है भूल कोई)", "यह रात न होती तो क्या कभी मैं जान पाता", "इतनी मौतें हुई थीं", "सिर्फ़ एक ही जीवन-अवधि में?", "ek", "aj ki is raat ko kya ho gaya?", "aj man udas hai chand ka", "phir bhi uski roshni mein gili abrakh bindu kahti hai", "wiran ret ko dekh", "ki use jiwan bhar kuch nahin kahna hai", "aj jaisi akeli raat", "mainne kabhi nahin dekhi", "aj samudr nakshatr ritu charachar", "sab akele hain", "aj jaisa akela main nahin hua", "kisi bhi raat", "aj mera khoon mans neend aur sansen", "sab akeli hai", "aj sare kolahal khatm ho gaye", "chiDiyon ka artanad", "os ki bunden ban gaya", "parampraon ne purani mitti se sokh liya asthimajja", "nadi ka pani thos hokar tham hokar tham gaya", "nariyal ki sudirgh rassi sa", "do", "ye raat nahin janti kitni pratihinsayen hui hai", "phakk safed registanon mein", "anakte patthron mein, durghatna grast motron mein", "phir bhi kyon dikhati hai nirjan ye sachrachar", "sukha patta shor machata bhagta hai saDak par", "is raat mein kya hai? bachi hui ansuon ki kuch bunden", "nichoD lene ki bechain yojan ke siwa", "is raat mein kya hai? ret aur taron ke thanDe bagiche", "jismen ayojit ek sunsan majlis,", "gayak wadak nahin, sirf ek harmoniyam ke", "upar latak raha ek panila geet", "main kyon milta is raat ke antःkarn mein", "akasmat ek bhool aur jiwan bhar uska pashchattap", "ye to meri chintan kasrat hai na jane kya hua", "aj main hathat ghus aaya is raat ke antःkarn meine", "(shayad ek or se hui hai bhool koi)", "ye raat na hoti to kya kabhi main jaan pata", "itni mauten hui theen", "sirf ek hi jiwan awadhi mein?", "ek", "aj ki is raat ko kya ho gaya?", "aj man udas hai chand ka", "phir bhi uski roshni mein gili abrakh bindu kahti hai", "wiran ret ko dekh", "ki use jiwan bhar kuch nahin kahna hai", "aj jaisi akeli raat", "mainne kabhi nahin dekhi", "aj samudr nakshatr ritu charachar", "sab akele hain", "aj jaisa akela main nahin hua", "kisi bhi raat", "aj mera khoon mans neend aur sansen", "sab akeli hai", "aj sare kolahal khatm ho gaye", "chiDiyon ka artanad", "os ki bunden ban gaya", "parampraon ne purani mitti se sokh liya asthimajja", "nadi ka pani thos hokar tham hokar tham gaya", "nariyal ki sudirgh rassi sa", "do", "ye raat nahin janti kitni pratihinsayen hui hai", "phakk safed registanon mein", "anakte patthron mein, durghatna grast motron mein", "phir bhi kyon dikhati hai nirjan ye sachrachar", "sukha patta shor machata bhagta hai saDak par", "is raat mein kya hai? bachi hui ansuon ki kuch bunden", "nichoD lene ki bechain yojan ke siwa", "is raat mein kya hai? ret aur taron ke thanDe bagiche", "jismen ayojit ek sunsan majlis,", "gayak wadak nahin, sirf ek harmoniyam ke", "upar latak raha ek panila geet", "main kyon milta is raat ke antःkarn mein", "akasmat ek bhool aur jiwan bhar uska pashchattap", "ye to meri chintan kasrat hai na jane kya hua", "aj main hathat ghus aaya is raat ke antःkarn meine", "(shayad ek or se hui hai bhool koi)", "ye raat na hoti to kya kabhi main jaan pata", "itni mauten hui theen", "sirf ek hi jiwan awadhi mein?", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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रुक जा ओ बारिश रुक जा! - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/ruk-ja-o-barish-ruk-ja-pravasini-mahakud-kavita?sort=
[ "रुक जा ओ बारिश रुक जा!", "मैंने बनाई है नाव", "फाड़ लाई हूँ दीदी की", "एक कॉपी से दो पन्ने", "टेलीफ़ोन के तार से", "सुन पड़ता है पंछियों का गीत", "रसोई घर से माँ की पुकार", "मैं नहीं जाऊँगी।", "आज तिरा दी है मैंने नाव", "बड़ी दीदी की ससुराल", "यहाँ से है दूर बहुत", "साथ में तो ले नहीं गई", "लिखा है क्या—", "आँखों के आँसू", "अब हो गए है सागर जल", "याद आती हूँ मैं ख़ूब", "नैया मेरी! दीदी से कहना", "उसके बिना यहाँ सब कुछ", "लगता है सूना-सूना", "सामने है गणेश पूजा", "परसाल उसने बनाई थी माला", "चाँदनी के फूल पत्तों की!", "सूरज दिखता है कभी", "कभी फिर छिप जाता है बादल", "छाया और उजाले का", "खेल तो चलता ही रहता है", "रुक जा ओ बारिश रुक जा!", "कम होने दे थोड़ा पानी का", "ज़िदख़ोर ज़ोर", "तू नहीं जानती क्या अब मुझे", "दिखाई देता है सिर्फ़", "दीदी का", "देवी जैसा चेहरा?", "ruk ja o barish ruk ja!", "mainne banai hai naw", "phaD lai hoon didi ki", "ek copy se do panne", "telephone ke tar se", "sun paDta hai panchhiyon ka geet", "rasoi ghar se man ki pukar", "main nahin jaungi", "aj tera di hai mainne naw", "baDi didi ki sasural", "yahan se hai door bahut", "sath mein to le nahin gai", "likha hai kya—", "ankhon ke ansu", "ab ho gaye hai sagar jal", "yaad aati hoon main khoob", "naiya meri! didi se kahna", "uske bina yahan sab kuch", "lagta hai suna suna", "samne hai ganesh puja", "parsal usne banai thi mala", "chandni ke phool patton kee!", "suraj dikhta hai kabhi", "kabhi phir chhip jata hai badal", "chhaya aur ujale ka", "khel to chalta hi rahta hai", "ruk ja o barish ruk ja!", "kam hone de thoDa pani ka", "zidkhor zor", "tu nahin janti kya ab mujhe", "dikhai deta hai sirf", "didi ka", "dewi jaisa chehra?", "ruk ja o barish ruk ja!", "mainne banai hai naw", "phaD lai hoon didi ki", "ek copy se do panne", "telephone ke tar se", "sun paDta hai panchhiyon ka geet", "rasoi ghar se man ki pukar", "main nahin jaungi", "aj tera di hai mainne naw", "baDi didi ki sasural", "yahan se hai door bahut", "sath mein to le nahin gai", "likha hai kya—", "ankhon ke ansu", "ab ho gaye hai sagar jal", "yaad aati hoon main khoob", "naiya meri! didi se kahna", "uske bina yahan sab kuch", "lagta hai suna suna", "samne hai ganesh puja", "parsal usne banai thi mala", "chandni ke phool patton kee!", "suraj dikhta hai kabhi", "kabhi phir chhip jata hai badal", "chhaya aur ujale ka", "khel to chalta hi rahta hai", "ruk ja o barish ruk ja!", "kam hone de thoDa pani ka", "zidkhor zor", "tu nahin janti kya ab mujhe", "dikhai deta hai sirf", "didi ka", "dewi jaisa chehra?", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
चरम सत्य - कविता | हिन्दवी
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[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "यहाँ कोई तथ्य", "प्रासंगिक नहीं", "अलावा तुम्हारी तात्कालिक कामना के", "जो एक चरम सत्य है", "यहाँ कोई तत्व", "उपयुक्त नहीं", "अलावा तुम्हारी सक्रिय उदासीनता के", "यह एक दूसरा चरम सत्य है।", "yahan koi tathy", "prasangik nahin", "alawa tumhari tatkalik kamna ke", "jo ek charam saty hai", "yahan koi tatw", "upyukt nahin", "alawa tumhari sakriy udasinata ke", "ye ek dusra charam saty hai", "yahan koi tathy", "prasangik nahin", "alawa tumhari tatkalik kamna ke", "jo ek charam saty hai", "yahan koi tatw", "upyukt nahin", "alawa tumhari sakriy udasinata ke", "ye ek dusra charam saty hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
कवि का विमर्ष भाग्य - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/kawi-ka-wimarsh-bhagya-nrusinha-prasad-tripathi-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "भले ही कुछ न करो,", "भले ही कुछ न दो,", "क्या उसे जीते जी", "केवल एक दिन के लिए", "स्वेच्छा से, जीने का", "अधिकार नहीं दोगे भाई?", "जन्म से ही वह व्याकुल है,", "उसके अंदर निराशा की", "सिगड़ी सुलगी हुई है।", "वह केवल चाहता है,", "एक दिन के लिए,", "सीधा सरल जीवन।", "जो सोचेगा", "वही कहेगा।", "और जो कुछ करेगा", "अपने भीतर के आदमी के अनुमोदन से", "जिसके लिए उसे कभी पछतावा नहीं होगा।", "वह केवल रिश्ते समझता है", "उसके लिए स्खलन नहीं।", "सुनते ही मंदिर की घण्टियाँ", "आरती को उत्सुक व्यक्ति", "जिस तरह उचाट हो जाता है", "और दौड़ पड़ता है", "खेत, बाँध, कीचड़ अनदेखा कर", "दौड़ते-दौड़ते हो जाता है धूल-धूसरित।", "आधी रात को", "पकड़े जाने के भय से, दौड़ रहे चोर के बदन में", "लगी हुई धूल और कीचड़ की निशानी।", "इसलिए वह स्खलन नहीं,", "सब कुछ उड़ेलकर निःशेष होने का", "वह केवल स्थूल प्रमाण है।", "अहंकार क्या है—", "वह नहीं जानता।", "नहीं है उसमें नारियल की", "कठोरता।", "उसके अंदर का पुरुष,", "जन्म देने वाली माँ का विश्वास,", "सांत्वना और आत्म-गरिमा से", "सदा प्रकाशमान है", "अहंकार का नाम देकर उसे", "न करो कभी कलंकित।", "उसका दुःख समझने के लिए", "तुम्हारे पास यंत्र नहीं", "उसकी सिसकियों के लिए", "उसके अलावा और किसी की", "आँखें अथवा दिल नहीं", "उसके संताप-भरे गीतों के लिए", "किसी के पास राग नहीं।", "वह, केवल वह है।", "किस अनजाने अभिशाप से", "इस जन्म में बना है कवि", "अपने भाग्य में ताला लगाकर", "उसने अपनी इच्छा से खो दी है चाबी,", "अपने विमर्ष भरे दिनें में", "ज़रा-सी रोशनी के लिए", "ख़ुद को जलाने के सिवा", "और क्या चारा हो सकता है", "उसके पास??", "bhale hi kuch na karo,", "bhale hi kuch na do,", "kya use jite ji", "kewal ek din ke liye", "swechchha se, jine ka", "adhikar nahin doge bhai?", "janm se hi wo wyakul hai,", "uske andar nirasha ki", "sigDi sulgi hui hai", "wo kewal chahta hai,", "ek din ke liye,", "sidha saral jiwan", "jo sochega", "wahi kahega", "aur jo kuch karega", "apne bhitar ke adami ke anumodan se", "jiske liye use kabhi pachhtawa nahin hoga", "wo kewal rishte samajhta hai", "uske liye skhalan nahin", "sunte hi mandir ki ghantiyan", "arti ko utsuk wekti", "jis tarah uchat ho jata hai", "aur dauD paDta hai", "khet, bandh, kichaD andekha kar", "dauDte dauDte ho jata hai dhool dhusarit", "adhi raat ko", "pakDe jane ke bhay se, dauD rahe chor ke badan mein", "lagi hui dhool aur kichaD ki nishani", "isliye wo skhalan nahin,", "sab kuch uDelkar niःshesh hone ka", "wo kewal sthool praman hai", "ahankar kya hai—", "wo nahin janta", "nahin hai usmen nariyal ki", "kathorta", "uske andar ka purup,", "janm dene wali man ka wishwas,", "santwna aur aatm garima se", "sada prakashaman hai", "ahankar ka nam dekar use", "na karo kabhi kalankit", "uska duःkh samajhne ke liye", "tumhare pas yantr nahin", "uski sisakiyon ke liye", "uske alawa aur kisi ki", "ankhen athwa dil nahin", "uske santap bhare giton ke liye", "kisi ke pas rag nahin", "wo, kewal wo hai", "kis anjane abhishap se", "is janm mein bana hai kawi", "apne bhagya mein tala lagakar", "usne apni ichha se kho di hai chachi,", "apne wimarsh bhare dinen mein", "zara si roshni ke liye", "khu ko jalane ke siwa", "aur kya chara ho sakta hai", "uske pas??", "bhale hi kuch na karo,", "bhale hi kuch na do,", "kya use jite ji", "kewal ek din ke liye", "swechchha se, jine ka", "adhikar nahin doge bhai?", "janm se hi wo wyakul hai,", "uske andar nirasha ki", "sigDi sulgi hui hai", "wo kewal chahta hai,", "ek din ke liye,", "sidha saral jiwan", "jo sochega", "wahi kahega", "aur jo kuch karega", "apne bhitar ke adami ke anumodan se", "jiske liye use kabhi pachhtawa nahin hoga", "wo kewal rishte samajhta hai", "uske liye skhalan nahin", "sunte hi mandir ki ghantiyan", "arti ko utsuk wekti", "jis tarah uchat ho jata hai", "aur dauD paDta hai", "khet, bandh, kichaD andekha kar", "dauDte dauDte ho jata hai dhool dhusarit", "adhi raat ko", "pakDe jane ke bhay se, dauD rahe chor ke badan mein", "lagi hui dhool aur kichaD ki nishani", "isliye wo skhalan nahin,", "sab kuch uDelkar niःshesh hone ka", "wo kewal sthool praman hai", "ahankar kya hai—", "wo nahin janta", "nahin hai usmen nariyal ki", "kathorta", "uske andar ka purup,", "janm dene wali man ka wishwas,", "santwna aur aatm garima se", "sada prakashaman hai", "ahankar ka nam dekar use", "na karo kabhi kalankit", "uska duःkh samajhne ke liye", "tumhare pas yantr nahin", "uski sisakiyon ke liye", "uske alawa aur kisi ki", "ankhen athwa dil nahin", "uske santap bhare giton ke liye", "kisi ke pas rag nahin", "wo, kewal wo hai", "kis anjane abhishap se", "is janm mein bana hai kawi", "apne bhagya mein tala lagakar", "usne apni ichha se kho di hai chachi,", "apne wimarsh bhare dinen mein", "zara si roshni ke liye", "khu ko jalane ke siwa", "aur kya chara ho sakta hai", "uske pas??", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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वर्तमान - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/wartaman-jagannath-parsad-das-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "मेरा सारा इंतज़ार", "अतीत के लिए था", "मेरी सारी यादें", "केवल भविष्य के लिए", "जो कुछ", "बिना याद के है", "बिना इंतज़ार के", "वह मेरा वर्तमान है।", "mera sara intzar", "atit ke liye tha", "meri sari yaden", "kewal bhawishya ke liye", "jo kuch", "bina yaad ke hai", "bina intzar ke", "wo mera wartaman hai", "mera sara intzar", "atit ke liye tha", "meri sari yaden", "kewal bhawishya ke liye", "jo kuch", "bina yaad ke hai", "bina intzar ke", "wo mera wartaman hai", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
धूप का स्टिकर - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/dhoop-ka-sticker-shakti-mahanty-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राघु मिश्र", "फ़ुटपाथ की छाँव में ही मिल जाएगा", "वह तोता, जो हरे शब्द तो बोल नहीं पाता", "पर बता सकता है क़िस्मत का लेखा", "उसके पिंजड़े के चार-पाँच कल में से", "एक को चुनना होगा इस धूप में", "धूप में देखो रफ़्तार में है एंबुलेंस", "उसका कोहराम क्या सुनाई नहीं दे रहा होगा", "उस आदमी को, जो कष्ट में या कोमा में", "घिसटा चला जा रहा है राजपथ पर", "नर्स का सफ़ेद पहनावा भी कफ़न-सा लगेगा उसे", "बदन भी इस धूप में लग रहा होगा बर्फ़-सा", "लू में पलाश-सा दहक रहा ये शहर", "गाड़ी भर आइसक्रीम लिए भी वह आदमी", "पसीना पोंछते, चप्पल घसीटते पहुँच रहा", "प्याऊ में, छाँव उसकी चूर-चूर", "बिखर रही, उबलते कोलतार पर", "चेहरे पर नक़ाब ओढ़े, गुलाबी टॉप की काँख भिगोए", "जो लड़की भागी जा रही चीरकर धूप का शामियाना", "तेज़ धूप की छाती पर उसके चक्के की निशानी", "शायद कल सुबह की पहली ख़बर बने", "सिंदूर से सजे देव-सा लग रहा", "यह पोस्ट बॉक्स, जिसे डस्टबिन समझ", "कभी-कभार कोई प्रेम-पत्र फेंक जाता", "धूप की आँच में नहीं, हथेली के पसीने से भी", "उसका पता भीग जाता, यह बात", "सिर्फ़ डाकिया ही जानता है", "एफ़.एम. रेडियो से कड़ी धूप की ख़बर आ रही", "सारी राहें गुलमोहर की क़तार तक पहुँच रहीं", "देखो उधर, पारे-सी चमकीली मरीचिका", "राह रोक कर बैठ गई और सुंदरी ट्रैफ़िक पुलिस", "इक नए रास्ते की ओर इशारे से बुला रही।", "footpath ki chhaanv mein hi mil jayega", "wo tota, jo hare shabd to bol nahin pata", "par bata sakta hai qimat ka lekha", "uske pinjDe ke chaar paanch kal mein se", "ek ko chunna hoga is dhoop men", "dhoop mein dekho raftar mein hai embulens", "uska kohram kya sunai nahin de raha hoga", "us adami ko, jo kasht mein ya comma men", "ghista chala ja raha hai rajapath par", "nurse ka safed pahnava bhi kafan sa lagega use", "badan bhi is dhoop mein lag raha hoga barf sa", "lu mein palash sa dahak raha ye shahr", "gaDi bhar icecream liye bhi wo adami", "pasina ponchhte, chappal ghasitte pahunch raha", "pyau mein, chhaanv uski choor choor", "bikhar rahi, ubalte koltar par", "chehre par naqab oDhe, gulabi top ki kaankh bhigoe", "jo laDki bhagi ja rahi chirkar dhoop ka shamiyana", "tez dhoop ki chhati par uske chakke ki nishani", "shayad kal subah ki pahli khabar bane", "sindur se saje dev sa lag raha", "ye post box, jise dustbin samajh", "kabhi kabhar koi prem patr phenk jata", "dhoop ki anch mein nahin, hatheli ke pasine se bhi", "uska pata bheeg jata, ye baat", "sirf Dakiya hi janta hai", "ef. em. radio se kaड़i dhoop ki khabar aa rahi", "sari rahen gulmohar ki qatar tak pahunch rahin", "dekho udhar, pare si chamkili marichika", "raah rok kar baith gai aur sundari traffic police", "ik nae raste ki or ishare se bula rahi.", "footpath ki chhaanv mein hi mil jayega", "wo tota, jo hare shabd to bol nahin pata", "par bata sakta hai qimat ka lekha", "uske pinjDe ke chaar paanch kal mein se", "ek ko chunna hoga is dhoop men", "dhoop mein dekho raftar mein hai embulens", "uska kohram kya sunai nahin de raha hoga", "us adami ko, jo kasht mein ya comma men", "ghista chala ja raha hai rajapath par", "nurse ka safed pahnava bhi kafan sa lagega use", "badan bhi is dhoop mein lag raha hoga barf sa", "lu mein palash sa dahak raha ye shahr", "gaDi bhar icecream liye bhi wo adami", "pasina ponchhte, chappal ghasitte pahunch raha", "pyau mein, chhaanv uski choor choor", "bikhar rahi, ubalte koltar par", "chehre par naqab oDhe, gulabi top ki kaankh bhigoe", "jo laDki bhagi ja rahi chirkar dhoop ka shamiyana", "tez dhoop ki chhati par uske chakke ki nishani", "shayad kal subah ki pahli khabar bane", "sindur se saje dev sa lag raha", "ye post box, jise dustbin samajh", "kabhi kabhar koi prem patr phenk jata", "dhoop ki anch mein nahin, hatheli ke pasine se bhi", "uska pata bheeg jata, ye baat", "sirf Dakiya hi janta hai", "ef. em. radio se kaड़i dhoop ki khabar aa rahi", "sari rahen gulmohar ki qatar tak pahunch rahin", "dekho udhar, pare si chamkili marichika", "raah rok kar baith gai aur sundari traffic police", "ik nae raste ki or ishare se bula rahi.", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
भय - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/bhay-jayanta-mahapatra-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राजेंद्रा प्रसाद मिश्र", "मेरी बाड़ी के आम के पेड़ में", "घने पत्तों की आँखों में", "आज प्रतीक्षा है किस अपरिचित की?", "क्या उसे राह नहीं मिलती", "मन के सबेरे", "अचानक हुई बौछार में?", "नहीं मिलती राह उसे", "नशे से पस्त हाथ-पैर के जंगल में?", "या मृत आत्मीय जनों के", "वायु-शून्य अतीत में?", "भय है आज मुझे", "उस अनजान नर्तकी की घुँघरुओं की आवाज़ से", "चंद्रभागा में पड़े अक्षम मुक्त प्रहर से", "भय होता है सिर्फ़", "धूने की ओट से तर्पण की आभा से", "दुःख के लिए कब किसी को भय हो सकता है?", "देखता हूँ जब", "दराज़ में पड़े अपने कुछ पुराने ब्लेड", "निर्जन नदी के बाँध पर खुली हवा के झोकें की धार", "और याद आता है", "मनुष्य को मनुष्य का भय", "लेकिन उसेक बाद जब", "उसी अपरिचित के लिए", "धीरे-धीरे हाथ अपना बढ़ा देता हूँ", "मानिनी के सरल स्तन पर", "और वह", "कुछ मुस्कुराकर", "मुझे लौटा दैती है", "शब्दों से उमड़ पड़ता एक शब्दकोश।", "meri baDi ke aam ke peD mein", "ghane patton ki ankhon mein", "aj pratiksha hai kis aprichit kee?", "kya use rah nahin milti", "man ke sabere", "achanak hui bauchhar mein?", "nahin milti rah use", "nashe se past hath pair ke jangal mein?", "ya mrit atmiy janon ke", "wayu shunya atit mein?", "bhay hai aaj mujhe", "us anjan nartki ki ghungharuon ki awaz se", "chandrbhaga mein paDe aksham mukt prahar se", "bhay hota hai sirf", "dhune ki ot se tarpan ki aabha se", "duःkh ke liye kab kisi ko bhay ho sakta hai?", "dekhta hoon jab", "daraz mein paDe apne kuch purane blade", "nirjan nadi ke bandh par khuli hawa ke jhoken ki dhaar", "aur yaad aata hai", "manushya ko manushya ka bhay", "lekin usek baad jab", "usi aprichit ke liye", "dhire dhire hath apna baDha deta hoon", "manini ke saral stan par", "aur wo", "kuch muskurakar", "mujhe lauta daiti hai", "shabdon se umaD paDta ek shabdkosh", "meri baDi ke aam ke peD mein", "ghane patton ki ankhon mein", "aj pratiksha hai kis aprichit kee?", "kya use rah nahin milti", "man ke sabere", "achanak hui bauchhar mein?", "nahin milti rah use", "nashe se past hath pair ke jangal mein?", "ya mrit atmiy janon ke", "wayu shunya atit mein?", "bhay hai aaj mujhe", "us anjan nartki ki ghungharuon ki awaz se", "chandrbhaga mein paDe aksham mukt prahar se", "bhay hota hai sirf", "dhune ki ot se tarpan ki aabha se", "duःkh ke liye kab kisi ko bhay ho sakta hai?", "dekhta hoon jab", "daraz mein paDe apne kuch purane blade", "nirjan nadi ke bandh par khuli hawa ke jhoken ki dhaar", "aur yaad aata hai", "manushya ko manushya ka bhay", "lekin usek baad jab", "usi aprichit ke liye", "dhire dhire hath apna baDha deta hoon", "manini ke saral stan par", "aur wo", "kuch muskurakar", "mujhe lauta daiti hai", "shabdon se umaD paDta ek shabdkosh", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
देवी - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/dewi-pravasini-mahakud-kavita?sort=
[ "मुझे देवी मत कहो", "साल भर में एक बार मत पुकारो मुझे", "ऐसे ज़िंदा रहती नारी, नारी के नाम की", "रंगीन अभिलाषा में, आसक्ति के अंतरंग स्पर्श से", "मैं हमेशा विराजमान", "किसने बनाया था यह सिंहासन?", "इतना बड़ा साम्राज्य", "जहाँ तक मेरी आँखें नहीं पहुँचती", "वह भी ख़ास मेरे लिए?", "सिर्फ़ संबोधन से ही कोई नहीं बन जाती देवी", "नारी रहती है हमेशा ही नारी", "ख़ुद सृष्टि और ख़ुद ही स्रष्टा", "आवेग मेरा अनाहत रहे", "और भी रहें सारी कामनाएँ", "सपनों के सहारे देवी नहीं आ पाती", "जी नहीं पाती", "ज़िंदगी के रंगीन खेल में", "नहीं रह पाती मगन", "समग्र काल से परे है देवी का परिचय", "रूपकथाओं के काव्य-कविताओं में", "रहस्यभरी, मधुमयी भूमिकाओं में", "देवी बनकर फूलों का नैवेद्य नहीं चाहिए", "मुझे अपने चरणों पर", "इन्हीं हाथों से दे दो", "इसी नातिदीर्घ केशराशि में भर दो", "अनुराग की नीली अपराजिता, श्वेतपद्म, लोहित मंदार", "न बढ़ाओ सोमरस, जायफल की ख़ुशबू से", "महकते डाब का पानी काँसे के बर्तन में", "दे सको तो दो एक प्याली चाय", "मेरा विसर्जन ना करो सात ताल पानी में", "तुम्हारे शहर में रहने का शौक़ मुझे नहीं है", "भक्ति गदगद तुम्हारे चेहरे को देखने की चाह नहीं", "देवी बनने की ख़्वाहिश कभी थी ही नहीं", "देवी बनने से देह के बंधन से मुक्ति मिलती है", "पर यह कैसा विरोधाभास", "मैं वही अश्रुवर्णा नारी", "प्यास और देह की गरमी जिसकी", "बाक़ी इच्छाओं की तरह", "संतुलित और बहुत ही स्वाभाविक।", "मेरे प्यार में अगर है तुम्हारा पुनर्जन्म", "देवी संबोधन कर मत माँगो मोक्ष", "परमप्रिय बन जाओगे मुझे प्यार करके कैसे", "उपाय उसका बताऊँ?", "देवी नहीं", "नारी कहो", "मत रखो बाँधकर कविताओं में", "या सजाकर मंडप में", "जैसी चाही थी ज़िंदगी, आज वहीं पहुँचकर", "माँग लिया है मैंने ख़ुद को ख़ुद से भोग के लिए", "वे सारे के सारे स्पर्श-कातर", "तुरीय मुहूर्त", "अभी मौजूद यहीं पर।", "mujhe dewi mat kaho", "sal bhar mein ek bar mat pukaro mujhe", "aise zinda rahti nari, nari ke nam ki", "rangin abhilasha mein, asakti ke antrang sparsh se", "main hamesha wirajman", "kisne banaya tha ye sinhasan?", "itna baDa samrajy", "jahan tak meri ankhen nahin pahunchti", "wo bhi khas mere liye?", "sirf sambodhan se hi koi nahin ban jati dewi", "nari rahti hai hamesha hi nari", "khu sirishti aur khu hi srashta", "aweg mera anahat rahe", "aur bhi rahen sari kamnayen", "sapnon ke sahare dewi nahin aa pati", "ji nahin pati", "zindagi ke rangin khel mein", "nahin rah pati magan", "samagr kal se pare hai dewi ka parichai", "rupakthaon ke kawy kawitaon mein", "rahasyabhri, madhumyi bhumikaon mein", "dewi bankar phulon ka naiwedy nahin chahiye", "mujhe apne charnon par", "inhin hathon se de do", "isi natidirgh keshrashi mein bhar do", "anurag ki nili aprajita, shwetpadm, lohit mandar", "na baDhao somras, jayaphal ki khushbu se", "mahakte Dab ka pani kanse ke bartan mein", "de sako to do ek pyali chay", "mera wisarjan na karo sat tal pani mein", "tumhare shahr mein rahne ka shauq mujhe nahin hai", "bhakti gadgad tumhare chehre ko dekhne ki chah nahin", "dewi banne ki khwahish kabhi thi hi nahin", "dewi banne se deh ke bandhan se mukti milti hai", "par ye kaisa wirodhabhas", "main wahi ashruwarna nari", "pyas aur deh ki garmi jiski", "baqi ichchhaon ki tarah", "santulit aur bahut hi swabhawik", "mere pyar mein agar hai tumhara punarjanm", "dewi sambodhan kar mat mango moksh", "parmapriy ban jaoge mujhe pyar karke kaise", "upay uska bataun?", "dewi nahin", "nari kaho", "mat rakho bandhakar kawitaon mein", "ya sajakar manDap mein", "jaisi chahi thi zindagi, aaj wahin pahunchakar", "mang liya hai mainne khu ko khu se bhog ke liye", "we sare ke sare sparsh katar", "turiy muhurt", "abhi maujud yahin par", "mujhe dewi mat kaho", "sal bhar mein ek bar mat pukaro mujhe", "aise zinda rahti nari, nari ke nam ki", "rangin abhilasha mein, asakti ke antrang sparsh se", "main hamesha wirajman", "kisne banaya tha ye sinhasan?", "itna baDa samrajy", "jahan tak meri ankhen nahin pahunchti", "wo bhi khas mere liye?", "sirf sambodhan se hi koi nahin ban jati dewi", "nari rahti hai hamesha hi nari", "khu sirishti aur khu hi srashta", "aweg mera anahat rahe", "aur bhi rahen sari kamnayen", "sapnon ke sahare dewi nahin aa pati", "ji nahin pati", "zindagi ke rangin khel mein", "nahin rah pati magan", "samagr kal se pare hai dewi ka parichai", "rupakthaon ke kawy kawitaon mein", "rahasyabhri, madhumyi bhumikaon mein", "dewi bankar phulon ka naiwedy nahin chahiye", "mujhe apne charnon par", "inhin hathon se de do", "isi natidirgh keshrashi mein bhar do", "anurag ki nili aprajita, shwetpadm, lohit mandar", "na baDhao somras, jayaphal ki khushbu se", "mahakte Dab ka pani kanse ke bartan mein", "de sako to do ek pyali chay", "mera wisarjan na karo sat tal pani mein", "tumhare shahr mein rahne ka shauq mujhe nahin hai", "bhakti gadgad tumhare chehre ko dekhne ki chah nahin", "dewi banne ki khwahish kabhi thi hi nahin", "dewi banne se deh ke bandhan se mukti milti hai", "par ye kaisa wirodhabhas", "main wahi ashruwarna nari", "pyas aur deh ki garmi jiski", "baqi ichchhaon ki tarah", "santulit aur bahut hi swabhawik", "mere pyar mein agar hai tumhara punarjanm", "dewi sambodhan kar mat mango moksh", "parmapriy 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अहल्या - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/ahalya-soubhagya-kumar-mishr-kavita?sort=
[ "अनुवाद : शंकर लाल पुरोहित", "वह अनुभव", "अपनी लालसा का", "या दूसरे के बलात्कार का!", "उनका परिचित चेहरा दिख रहा", "सदा जैसे दिखता,", "गंभीर और उज्ज्वल।", "मैंने सिर्फ़ पूछा, याद है—", "इतनी जल्दी आप लौट आए?", "कोई उत्तर न देकर उन्होंने", "धो लिए हाथ-पाँव", "पकड़कर मेरा हाथ", "ले गए मुझे कुश-शैया पर", "संभ्रम में,", "होमाग्नि सजाई हो जैसे", "अविचल कठोर शांति में।", "आँख मुँदने लगी", "मानो मुँद रहा पद्म", "सूरज को ढाँपकर,", "सूर्य की स्मृति को;", "मैं चौंकने लगी बिजली की तरह।", "लहर भरा पानी थिर होने से पहले,", "मैं अपने प्रतिबिम्ब में लीन होने से पहले,", "उन्होंने आवाज़ दी मेरा नाम लेकर मुझे,", "आश्रम के बाहर", "मालती लता की जड़ सूखती देख", "कुछ झिड़क भी दिया।", "कुछ नहीं समझ पाई", "समझ ही न सकी", "कौन-सी पगध्वनि", "कौन-सा स्वर सत्य का है।", "मैं खड़ी रह गई चुपचाप", "लीन हो गया मेरा स्वर", "कुश के तिनके की तरह", "उनके जलते शाप में।", "वह आग क्या मेरी अज्ञता का", "चिराचरित पुरस्कार?", "दक्षिण क्या दक्षिण, उत्तर", "वर्षणोन्मुख मेघ का", "अपेक्षा करते पत्थर का?", "क्या पता किस पाद के आघात में", "फिर मंजरित हो उठूँगी मैं", "अशोक तरु।", "पर वो और न हो,", "खाली पड़ा होगा आश्रम", "उनके अपने अभिशाप-सा,", "सत्य-सा।", "wo anubhaw", "apni lalsa ka", "ya dusre ke balatkar ka !", "unka parichit chehra dikh raha", "sada jaise dikhta,", "gambhir aur ujjwal॥", "mainne sirf puchha, yaad hai—", "itni jaldi aap laut aaye?", "koi uttar na dekar unhonne", "dho liye hath panw", "pakaDkar mera hath", "le gaye mujhe kush shaiya par", "sambhram mein,", "homagni sajai ho jaise", "awichal kathor shanti mein॥", "ankh mundane lagi", "mano mund raha padm", "suraj ko Dhanpakar,", "surya ki smriti ko;", "main chaunkne lagi bijli ki tarah॥", "lahr bhara pani thir hone se pahle,", "main apne pratibimb mein leen hone se pahle,", "unhonne awaj di mera nam lekar mujhe,", "ashram ke bahar", "malti lata ki jaD sukhti dekh", "kuch jhiDak bhi diya॥", "kuch nahin samajh pai", "samajh hi na saki", "kaun si pagadhwani", "kaun sa swar saty ka hai", "main khaDi rah gai chupchap", "leen ho gaya mera swar", "kush ke tinke ki tarah", "unke jalte shap mein॥", "wo aag kya meri agyta ka", "chirachrit puraskar?", "dakshain kya dakshain, uttar", "warshnonmukh megh ka", "apeksha karte patthar ka?", "kya pata kis pad ke aghat mein", "phir manjrit ho uthungi main", "ashok taru", "par wo aur na ho,", "khali paDa hoga ashram", "unke apne abhishap sa,", "saty sa॥", "wo anubhaw", "apni lalsa ka", "ya dusre ke balatkar ka !", "unka parichit chehra dikh raha", "sada jaise dikhta,", "gambhir aur ujjwal॥", "mainne sirf puchha, yaad hai—", "itni jaldi aap laut aaye?", "koi uttar na dekar unhonne", "dho liye hath panw", "pakaDkar mera hath", "le gaye mujhe kush shaiya par", "sambhram mein,", "homagni sajai ho jaise", "awichal kathor shanti mein॥", "ankh mundane lagi", "mano mund raha padm", "suraj ko Dhanpakar,", "surya ki smriti ko;", "main chaunkne lagi bijli ki tarah॥", "lahr bhara pani thir hone se pahle,", "main apne pratibimb mein leen hone se pahle,", "unhonne awaj di mera nam lekar mujhe,", "ashram ke bahar", "malti lata ki jaD sukhti dekh", "kuch jhiDak bhi diya॥", "kuch nahin samajh pai", "samajh hi na saki", "kaun si pagadhwani", "kaun sa swar saty ka hai", "main khaDi rah gai chupchap", "leen ho gaya mera swar", "kush ke tinke ki tarah", "unke jalte shap mein॥", "wo aag kya meri agyta ka", "chirachrit puraskar?", "dakshain kya dakshain, uttar", "warshnonmukh megh ka", "apeksha karte patthar ka?", "kya pata kis pad ke aghat mein", "phir manjrit ho uthungi main", "ashok taru", "par wo aur na ho,", "khali paDa hoga ashram", "unke apne abhishap sa,", "saty sa॥", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
सबसे छोटा बेटा - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/sabse-chhota-beta-pratibha-shatpathi-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "बार-बार सहज ही", "शून्य से उतरे", "नए लोगों के चरणों में", "अदृश्य और दृश्य को सजा", "शून्य को मिट्टी से जोड़", "रक्त मांस का एक सेतु बन गया", "तू तो आएगा रे बबुआ", "जानती हूँ जानती हूँ, अभिमानी-सा", "सबसे अंत में बहुत देर बाद", "तेरे आने तक", "भला और क्या बचा होगा मेरे पास?", "चिपक चुका होगा हड्डी से मांस", "रंगीन तितली", "उड़ चुकी होगी", "होंठों की पतली डाल से,", "छाती का सोता सूख चुका होगा", "एक ठंडी गुड़ी-मुड़ी रोटी-सी", "सूनी पड़ी होगी गोद,", "काजल-सा काला सिर झेल-झेलकर", "धूप-बारिश, ठंड और ओस", "पेड़ की डाल से गिरे", "चिड़िया के घोंसले-सा दिखता होगा", "फिर भी तेरे लिए", "सूने आँगन में बैठी", "अगोरती रहूँगी", "घने आम के पेड़ की डाल से", "लटका होगा अँधेरा", "मरी भैंस-सा,", "पैर की ओर से घिर रही होगी", "घटाटोप ठंडी हवा,", "मधुमक्खियाँ", "छत्ते में ऊँघ रही होंगी", "तू आएगा", "तेरा सुंदर मुखड़ा", "शून्य में झलक उठेगा", "पूनम के चाँद-सा", "गोद में आने के लिए", "पुलकित हो", "जब तू डग बढ़ाएगा—", "टूट चुका होगा", "यह जीर्ण सेतु", "तेरे ही आगे।", "bar bar sahj hi", "shunya se utre", "nae logon ke charnon mein", "adrshy aur drishya ko saja", "shunya ko mitti se joD", "rakt mans ka ek setu ban gaya", "tu to ayega re babua", "janti hoon janti hoon, abhimani sa", "sabse ant mein bahut der baad", "tere aane tak", "bhala aur kya bacha hoga mere pas?", "chipak chuka hoga haDDi se mans", "rangin titli", "uD chuki hogi", "honthon ki patli Dal se,", "chhati ka sota sookh chuka hoga", "ek thanDi guDi muDi roti si", "suni paDi hogi god,", "kajal sa kala sir jhel jhelkar", "dhoop barish, thanD aur os", "peD ki Dal se gire", "chiDiya ke ghonsle sa dikhta hoga", "phir bhi tere liye", "sune angan mein baithi", "agorti rahungi", "ghane aam ke peD ki Dal se", "latka hoga andhera", "mari bhains sa,", "pair ki or se ghir rahi hogi", "ghatatop thanDi hawa,", "madhumakkhiyan", "chhatte mein ungh rahi hongi", "tu ayega", "tera sundar mukhDa", "shunya mein jhalak uthega", "punam ke chand sa", "god mein aane ke liye", "pulkit ho", "jab tu Dag baDhayega—", "toot chuka hoga", "ye jeern setu", "tere hi aage", "bar bar sahj hi", "shunya se utre", "nae logon ke charnon mein", "adrshy aur drishya ko saja", "shunya ko mitti se joD", "rakt mans ka ek setu ban gaya", "tu to ayega re babua", "janti hoon janti hoon, abhimani sa", "sabse ant mein bahut der baad", "tere aane tak", "bhala aur kya bacha hoga mere pas?", "chipak chuka hoga haDDi se mans", "rangin titli", "uD chuki hogi", "honthon ki patli Dal se,", "chhati ka sota sookh chuka hoga", "ek thanDi guDi muDi roti si", "suni paDi hogi god,", "kajal sa kala sir jhel jhelkar", "dhoop barish, thanD aur os", "peD ki Dal se gire", "chiDiya ke ghonsle sa dikhta hoga", "phir bhi tere liye", "sune angan mein baithi", "agorti rahungi", "ghane aam ke peD ki Dal se", "latka hoga andhera", "mari bhains sa,", "pair ki or se ghir rahi hogi", "ghatatop thanDi hawa,", "madhumakkhiyan", "chhatte mein ungh rahi hongi", "tu ayega", "tera sundar mukhDa", "shunya mein jhalak uthega", "punam ke chand sa", "god mein aane ke liye", "pulkit ho", "jab tu Dag baDhayega—", "toot chuka hoga", "ye jeern setu", "tere hi aage", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.", "This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.", "You have remaining out of 5 free poetry pages per month. Log In or Register to become Rekhta Family member to access the full website.", "Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts", "जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।", "Devoted to the preservation & promotion of Urdu", "Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu", "A Trilingual Treasure of Urdu Words", "Online Treasure of Sufi and Sant Poetry", "The best way to learn Urdu online", "Best of Urdu & Hindi Books", "हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश" ]
देवीपीठ - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/dewipith-gayatribala-panda-kavita?sort=
[ "अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र", "एक के बाद एक सीढ़ियाँ चढ़ती", "मनोकामना ही पहले पहुँच जाती है वहाँ।", "मेरी सफ़ेद साड़ी, साफ़ बदन", "हर बार पीछे छूट जाते हैं", "यहाँ-वहाँ छिटके ख़ून से", "पैर बचा-बचाकर चलते समय", "न जाने क्यों मुझे तकलीफ़ हो रही है।", "बलि-स्थल पर है अपार भीड़, धक्कम धुक्का", "नहीं दिख रहा अब मुझे", "उन लाचारों का मुख", "जिनकी गर्दनें कट चुकी हैं और", "जो निर्विकार कर रहे हैं इंतज़ार अपनी मौत का", "खिंचा चला आ रहा कलेजा जिनका अंतस्थल से", "आँखों के कोने से बह रही है आँसुओं की धार", "मुँह में ज़बान होती तो ज़रूर कहते", "वापस ले चलो, वापस ले चलो हमें यहाँ से।", "मुझे नहीं दिख रहा उनका सिर", "नहीं दिख रहा घातक का हाथ", "कुल्हाड़ी, गँड़ासा या हथियार कोई,", "मुझे दिख रहा है सिर्फ़ लाल रंग", "बलि का ख़ून, ख़ून का लाल रंग", "और लाल रंग के महोत्सव में", "खड़ी हूँ मैं अपनी मनोकामना लिए", "सहज, दर्पित।", "कुछ देर बाद यहाँ से", "लौट जाऊँगी मैं अपने घर", "साथ ले जाऊँगी", "अरबी के पत्तों में लपेटकर", "बलि चढ़ा थोड़ा माँस,", "ताज़ा ख़ून थोड़ा,", "मेरा परिवार, मेरे निकट संबंधी", "भाव-विह्वल हो उठेंगे", "सबके ख़ून में समा जाएगी", "उस ख़ून की महक", "मनोकामना पूर्ण होने की", "पुलकित तृष्णा।", "मेरे तमाम सपनों में दिखेगा वह पीठ", "मेरे कानों में गूँजेगा पीठ से माहात्म्य", "मेरी चारपाई से सटकर खड़ा होगा", "वह लाचार बकरा", "जिसके माँस में है मेरी मनोकामना", "पूर्ण होने की संभावना", "जिसके आँसुओं में है", "मेरे विजयी होने का विज्ञापन", "जिसके ख़ून में है", "मेरे उज्वल भविष्य की सुगंध", "वह बकरा मुझसे पूछ रहा होगा", "तुम्हारी महत्वाकांक्षा का रंग", "क्या मेरे ख़ून से है और भी गाढ़ा लाल?", "ek ke baad ek siDhiyan chaDhti", "manokamana hi pahle pahunch jati hai wahan", "meri safed saDi, saf badan", "har bar pichhe chhoot jate hain", "yahan wahan chhitke khoon se", "pair bacha bachakar chalte samay", "na jane kyon mujhe taklif ho rahi hai", "bali sthal par hai apar bheeD, dhakkam dhukka", "nahin dikh raha ab mujhe", "un lacharon ka mukh", "jinki gardnen kat chuki hain aur", "jo nirwikar kar rahe hain intzar apni maut ka", "khincha chala aa raha kaleja jinka antasthal se", "ankhon ke kone se bah rahi hai ansuon ki dhaar", "munh mein zaban hoti to zarur kahte", "wapas le chalo, wapas le chalo hamein yahan se", "mujhe nahin dikh raha unka sir", "nahin dikh raha ghatak ka hath", "kulhaDi, ganDasa ya hathiyar koi,", "mujhe dikh raha hai sirf lal rang", "bali ka khoon, khoon ka lal rang", "aur lal rang ke mahotsaw mein", "khaDi hoon main apni manokamana liye", "sahj, darpit", "kuch der baad yahan se", "laut jaungi main apne ghar", "sath le jaungi", "arbi ke patton mein lapetkar", "bali chaDha thoDa mans,", "taza khoon thoDa,", "mera pariwar, mere nikat sambandhi", "bhaw wihwal ho uthenge", "sabke khoon mein sama jayegi", "us khoon ki mahak", "manokamana poorn hone ki", "pulkit tirishna", "mere tamam sapnon mein dikhega wo peeth", "mere kanon mein gunjega peeth se mahatmy", "meri charpai se satkar khaDa hoga", "wo lachar bakra", "jiske mans mein hai meri manokamana", "poorn hone ki sambhawna", "jiske ansuon mein hai", "mere wijyi hone ka wigyapan", "jiske khoon mein hai", "mere ujwal bhawishya ki sugandh", "wo bakra mujhse poochh raha hoga", "tumhari mahatwakanksha ka rang", "kya mere khoon se hai aur bhi gaDha lal?", "ek ke baad ek siDhiyan chaDhti", "manokamana hi pahle pahunch jati hai wahan", "meri safed saDi, saf badan", "har bar pichhe chhoot jate hain", "yahan wahan chhitke khoon se", "pair bacha bachakar chalte samay", "na jane kyon mujhe taklif ho rahi hai", "bali sthal par hai apar bheeD, dhakkam dhukka", "nahin dikh raha ab mujhe", "un lacharon ka mukh", "jinki gardnen kat chuki hain aur", "jo nirwikar kar rahe hain intzar apni maut ka", "khincha chala aa raha kaleja jinka antasthal se", "ankhon ke kone se bah rahi hai ansuon ki dhaar", "munh mein zaban hoti to zarur kahte", "wapas le chalo, wapas le chalo hamein yahan se", "mujhe nahin dikh raha unka sir", "nahin dikh raha ghatak ka hath", "kulhaDi, ganDasa ya hathiyar koi,", "mujhe dikh raha hai sirf lal rang", "bali ka khoon, khoon ka lal rang", "aur lal rang ke mahotsaw mein", "khaDi hoon main apni manokamana liye", "sahj, darpit", "kuch der baad yahan se", "laut jaungi main apne ghar", "sath le jaungi", "arbi ke patton mein lapetkar", "bali chaDha thoDa mans,", "taza khoon thoDa,", "mera pariwar, mere nikat sambandhi", "bhaw wihwal ho uthenge", "sabke khoon mein sama jayegi", "us khoon ki mahak", "manokamana poorn hone ki", "pulkit tirishna", "mere tamam sapnon mein dikhega wo peeth", "mere kanon mein gunjega peeth se mahatmy", "meri charpai se satkar khaDa hoga", "wo lachar bakra", "jiske mans mein hai meri manokamana", "poorn hone ki sambhawna", "jiske ansuon mein hai", "mere wijyi hone ka wigyapan", "jiske khoon mein hai", "mere ujwal bhawishya ki sugandh", "wo bakra mujhse poochh raha hoga", "tumhari mahatwakanksha ka rang", "kya mere khoon se hai aur bhi gaDha lal?", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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किस वन का फूल है वह - कविता | हिन्दवी
https://www.hindwi.org/kavita/odia-kavita/kis-wan-ka-phool-hai-wo-guru-mohanty-kavita?sort=
[ "अनुवाद : सच्चिदानंद दास", "1", "फिर भी चलते रहने का", "मतलब है अनेक!", "जैसे भेड़ का है", "अपनी जमात से परिचय,", "या कोई त्रिया का अपनी सहेली और", "गाँव के स्नानघाट से।", "कीर्त्तन मंडप पर लाल कपड़ा, चंदोबा और", "मृदंग पर थाप लगाते—", "राधिका की नाईं", "कृष्णगुण गाते मगन हो जाएँगें।", "स्मृति तो एक किंवदंती है,", "कदंब पुष्प की महक,", "हल्की लहर तटिनी की", "चमकती रूपहली मछली—", "ज्योत्स्ना के लंबे जाल में।", "विस्तीर्ण मैदान में", "स्मृति फिर पड़ोस की नई दुल्हन की—", "धीमी चाल, महीन आवाज़", "तीखे नैन, दोधारी अलता।", "वह एक ख़याली मन,", "शीत के अंतिम दोपहर पत्ता झाड़कर", "देह छूते मंद बयार का पहला स्पंदन—", "यादें फिर पुराने घर की छाया की।", "पितरों की वेदिका व कौड़ियाँ,", "शादी की टूटी वेदी—", "मौत के बाद", "छूट जाती है तमाम प्रशस्ति।", "अथवा, वह कौन-सा एक अरण्य,", "सड़क या संकरी पगडंडी।", "पहले पहाड़ी घेरा, अंत में पहाड़", "उसके बीच में अंधेरी सुरंग का अश्लील अँधेरा।", "बूढ़ी राक्षसी का घेरा—", "जवान जहाँ भेड़ बनता है", "सूरज को देख पूरब में;", "और बनता है वीर्यवान—", "उगने पर अँधेरा।", "याद उसी अँधेरे जंगल के—", "पूँछ पटकते महाबल की;", "जलती आँखों की आग", "भालू का काटना,", "सफ़ेद खरगोश की कुलाँचे—", "और तमाम नन्ही चिड़ियों की", "खिचिर-मिचिर।", "2", "यादें—", "उस अरण्य की सीमा में", "बादलों का सागर,", "तूफ़ान का समारोह और", "केकी का नृत्य, प्रणय याचना।", "अरण्य की कँटीली झाड़ियाँ,", "महाद्रुम, नन्ही झरना।", "झरने के किनारे-किनारे", "साँप और बाघ का भय—", "खरगोश की ममता", "और लाजवंती लता।", "हाथों के इशारे से", "आँखें मटकाता है", "झरने के पार नीलकमल,", "नितांत अकेला।", "स्मृति मेरी दाढ़ी बन लंबी हुई,", "पक भी जाती है—", "आँखों में मेरी मोतियाबिंद;", "थुरथुर चाल", "लाठी का सहारा—", "दोहरी चादर।", "मन के तहखाने में पर", "पूषी मेरी आती नहीं नज़र,", "सुनती है बस उसकी", "ममताभरी आवाज़!", "किसी वन के", "अनजाने फूल की महक-सी", "पहाड़ से उतर", "जब घर लौटता हूँ चोट लेकर।", "1", "phir bhi chalte rahne ka", "matlab hai anek!", "jaise bheD ka hai", "apni jamat se parichai,", "ya koi triya ka apni saheli aur", "ganw ke snanghat se", "kirttan manDap par lal kapDa, chandoba aur", "mridang par thap lagate—", "radhika ki nain", "krishngun gate magan ho jayengen", "smriti to ek kinwdanti hai,", "kadamb pushp ki mahak,", "halki lahr tatini ki", "chamakti rupahli machhli—", "jyotsna ke lambe jal mein", "wistirn maidan mein", "smriti phir paDos ki nai dulhan kee—", "dhimi chaal, muhin awaz", "tikhe nain, dodhari alta", "wo ek khayali man,", "sheet ke antim dopahar patta jhaDkar", "deh chhute mand bayar ka pahla spandan—", "yaden phir purane ghar ki chhaya ki", "pitron ki wedika wa kauDiyan,", "shadi ki tuti wedi—", "maut ke baad", "chhoot jati hai tamam prashasti", "athwa, wo kaun sa ek arany,", "saDak ya sankri pagDanDi", "pahle pahaDi ghera, ant mein pahaD", "uske beech mein andheri surang ka ashlil andhera", "buDhi rakshsi ka ghera—", "jawan jahan bheD banta hai", "suraj ko dekh purab mein;", "aur banta hai wirywan—", "ugne par andhera", "yaad usi andhere jangal ke—", "poonchh patakte mahabal kee;", "jalti ankhon ki aag", "bhalu ka katna,", "safed khargosh ki kulanche—", "aur tamam nannhi chiDiyon ki", "khichir michir", "2", "yaden—", "us arany ki sima mein", "badlon ka sagar,", "tufan ka samaroh aur", "keki ka nrity, pranay yachana", "arany ki kantili jhaDiyan,", "mahadrum, nannhi jharna", "jharne ke kinare kinare", "sanp aur bagh ka bhay—", "khargosh ki mamta", "aur lajwanti lata", "hathon ke ishare se", "ankhen matkata hai", "jharne ke par nilakmal,", "nitant akela", "smriti meri daDhi ban lambi hui,", "pak bhi jati hai—", "ankhon mein meri motiyabind;", "thurthur chaal", "lathi ka sahara—", "dohri chadar", "man ke tahkhane mein par", "pushi meri aati nahin nazar,", "sunti hai bus uski", "mamtabhri awaz!", "kisi wan ke", "anjane phool ki mahak si", "pahaD se utar", "jab ghar lautta hoon chot lekar", "1", "phir bhi chalte rahne ka", "matlab hai anek!", "jaise bheD ka hai", "apni jamat se parichai,", "ya koi triya ka apni saheli aur", "ganw ke snanghat se", "kirttan manDap par lal kapDa, chandoba aur", "mridang par thap lagate—", 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chiDiyon ki", "khichir michir", "2", "yaden—", "us arany ki sima mein", "badlon ka sagar,", "tufan ka samaroh aur", "keki ka nrity, pranay yachana", "arany ki kantili jhaDiyan,", "mahadrum, nannhi jharna", "jharne ke kinare kinare", "sanp aur bagh ka bhay—", "khargosh ki mamta", "aur lajwanti lata", "hathon ke ishare se", "ankhen matkata hai", "jharne ke par nilakmal,", "nitant akela", "smriti meri daDhi ban lambi hui,", "pak bhi jati hai—", "ankhon mein meri motiyabind;", "thurthur chaal", "lathi ka sahara—", "dohri chadar", "man ke tahkhane mein par", "pushi meri aati nahin nazar,", "sunti hai bus uski", "mamtabhri awaz!", "kisi wan ke", "anjane phool ki mahak si", "pahaD se utar", "jab ghar lautta hoon chot lekar", "Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.", "Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. 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