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जर्रा जर्रा, टूट टूट कर बिखरता अखिल भारतीय कोली समाज संस्था रजिस्टर्ड नई दिल्ली?? आज का राशिफल व पंचांग नरसी मेहता की जयंती आज। ३२ साल के युवक के सीने में दर्द और मौत:कॉम्पीटिशन की तैयारी में लगा था, अलवर दोस्तों के पास आया था सड़क हादसे में एक की मौत, लगा जाम:जयपुर-अजमेर हाइवे पर अनबैलेंस होकर ट्रक ने दूसरे चालक को मारी टक्कर आज का राशिफल व पंचांग नरसी मेहता जयंती कल।
रुपये की तुलना ज्यादातर डॉलर से ही होती है। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर भी हुआ है। इसे लेकर आए दिन खबरें भी आती रहती हैं कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कम हुई। जब किसी देश की करेंसी की कीमत कमजोर होती है तो उसके कई नुकसान भी होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा कौन सी है। वहीं इस करेंसी की तुलना में रुपये की वैल्यू कितनी है ?
ये है दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा। |
१) सुमित अपने दोस्त राहुल को ६% प्रति वर्ष की दर से ७५०० का उधार देता है। यदि राहुल उधार आठ वर्ष बाद चुकता है तो साधारण ब्याज कितना होगा ?
२) बिलाल एक साहूकार से ५००० का उधार ३ वर्षों के लिए लेता है। यदि साहूकार ८% प्रति वर्ष की दर से ब्याज जोड़ता है तो बिलाल तीन वर्षों के बाद कितना ब्याज चुकाएगा ?
३) विजन बाइक खरीदने के लिए बैंक से ५०,००० का लोन लेता है। बैंक ६ % की वार्षिक दर से साधारण ब्याज जोड़ता है। तो बताए विजन को दो वर्षों बाद कितनी धन राशि चुकानी पड़ेगी ?
४) मोतीलाल ३ वर्षों के लिए १०००० एक साहूकार से उधार लेता है। यदि साहूकार ८% की वार्षिक दर से साधारण ब्याज जोड़े तो ३ वर्ष बाद मोतीलाल कुल कितने रुपया साहूकार को देना होगा ?
५) जामील खेती के लिए १०००० बैंक से लोन लेता है। बैंक की वार्षिक ब्याज दर ६% है। यदि जामील ९ महीने में ही लोन चुकाना चाहता है तो बैंक उससे कितना ब्याज लेगा ?
६) शुभम १८ महीने के लिए एक साहूकार २००० उधार लेता है। यदि साहूकार वार्षिक रूप से ६% का ब्याज जोड़े तो शुभम कितने रूपए अतिरिक्त रूप से देगा ?
७) विजय ४८०० का उधार चमनलाल से लेता है। चमनलाल इस पर १०% का ब्याज वार्षिक रूप से जोड़ता है लेकिन विजय १२० बाद ही उधार चुकाने को आता है। तो ज्ञात करें विजय ने ब्याज के स्वरूप कितना अतिरिक्त धन चुकाया ?
८) किस ब्याज दर १०० की राशि २०० हो जाएगी, यदि समय १० वर्ष का हो ?
९) वार्षिक ब्याज की दर ज्ञात करें, यदि ५००० की राशि ५ वर्षों में ८००० हो जाती है ?
१०) ५०००० की राशि कितने वर्षों में ८०००० हो जाएगी, यदि यह ६% की वार्षिक दर से बढ़े ?
११) सूरज ८५०० का उधार पूनम से लेता है तथा ३ वर्ष बाद वह पूनम को मूलधन से ५१०० अधिक भुगतान करता है। तो ज्ञात करें पूनम ने किस वार्षिक दर से साधारण ब्याज ली ?
१२) देना बैंक का ब्याज दर ५% वार्षिक रूप से है। यदि एक आदमी ३००० जमा करता है और उससे १२00 ब्याज प्राप्त करता है। तो बताइए उसने पूँजी को कितने समय के लिए बैंक में रखा ?
१३) एक बैंक की ब्याज दर २% है। एक निश्चित राशि विवेक उस बैंक में जमा की थी तथा २ वर्ष बाद उसे 1२48 मिला। तो दो वर्ष पूर्व उसका मूलधन क्या था ?
१४) रोहित की पूँजी ६ वर्ष में ४9६ हो जाएगी, यदि उसे ४% की वार्षिक दर से ब्याज मिले तो बताइए रोहित के पास वर्तमान में मूल पूँजी कितना है ?
१५) एक किसान साहूकार से १०००० उधार लेता है। साहूकार उसे १५% की वार्षिक ब्याज दर उधार देने को तैयार होता है। २ वर्ष बाद किसान ब्याज स्वरूप १८०० तथा एक बकरी देता है। तो बकरी की कीमत क्या है ?
१६) रंजन ने रहीम को साधारण ब्याज की दर से कुछ रुपय उधार देता है जो दो वर्ष बाद २२४० और ५ वर्ष बाद २६०० हो जाता है। तो ज्ञात करें मूलधन कितनी थी ?
१७) साधारण ब्याज की दर से एक राशि ४ वर्ष में ५००० तथा १० वर्ष बाद ६५०० हो जाती है तो ज्ञात करें राशि किस दर से बढ़ रही है ?
१) राजू और संता ने क्रमशः १0000 और ८००० लगा कर एक व्यापार शुरू किया। वर्ष के अंत तक ४००० का लाभ हुआ। बताए संता को लाभ का हिस्सा कितना है ?
२) भोलू ने ५००० लगा कर एक व्यापार शुरू किया तथा चिंटू २000 लगा कर इसका हिस्सेदार बन गया। साल के अंत तक व्यापार में ७०० का लाभ प्राप्त हुआ तो लाभ में भोलू का हिस्सा ?
३) राम, रहीम और जुएल ने क्रमशः ५००० , ५००० और १०००० लगाकर दूध का व्यापार शुरू किया। साल भर बाद व्यापार में 8५००० का लाभ प्राप्त हुआ। तो लाभ में जुएल का हिस्सा कितना होगा ?
४) एक व्यापार में बिल्लू ने २५०००, कार्तिक ने ३००००, आयुष ने १२५०० और बिलाल ने २०००० की पूँजी लगाकर एक व्यापार शुरू किया। वर्ष के अंत में लाभ का अनुपात क्रमशः क्या होगा ?
५) नफ़ीज़ा, माधुरी और पूनम तीनो ने मिलकर एक पॉर्लर खोला। पॉर्लर में नफ़ीज़ा ने ५000, माधुरी ने ३००० और पूनम ने ४००० लगाया। वर्ष के अंत में १४४०० के लाभ में नफ़ीज़ा को कितना मिलेगा ?
६) एक हीरे के व्यापार में धनीराम, जेठा और बिपुल के पूँजी का अनुपात ३:४:७ है। यदि व्यापार में वार्षिक लाभ २१०००० हो तो बिपुल का हिस्से में कितना धन आएगा ?
७) रोहित, चम्पक और रहीम ने क्रमशः 2७000, ८१००० और ७2000 लगा कर एक बिज़नेस शुरू किया। साल के अंत में चम्पक को लाभ के रूप में ३६००० मिला, तो बिज़नेस में कुल कितना लाभ हुआ ?
८) चमनलाल और गिरोड़ीमल ने क्रमशः ४५००० और ७२००० की पूँजी लगा कर एक व्यापार आरंभ किया तथा एक साल बाद चमनलाल को ५००० का लाभ मिला तो गिरोड़ीमल को कितना लाभ मिला होगा ?
९) नफ़ीज़ा ने १२५०० लगाकर एक व्यापार शुरू की। उसकी सहेली प्रिया २५००० लगा कर हिस्सेदार बन गयी। वर्ष के अंत में यदि नफ़ीज़ा को लाभ के रूप ३००० मिले तो प्रिया को कितना मिल सकता है ?
१०) सुखीराम ने ८५००० लगा कर बिज़नेस शुरू किया। दुखीराम १५००० लगाकर उसमें हिस्सेदार बना। दो साल बाद २०००० का लाभ हो तो दुखीराम को लाभ से कितनी राशि मिलेगी ?
११) दो दोस्त राजू और बिरजू १५००० -१५००० लगा कर व्यापार शुरू किया। छह महीने बाद तौसीफ २०००० लगा कर व्यापार का हिस्सेदार बन गया। वर्ष के अंत में लाभ किस अनुपात में बांटेगा ?
१२) अजय ५००० से एक व्यापार शुरू किया। दिनेश तीन माह बाद १०००० लगा कर हिस्सेदार बना। यदि वर्ष ख़त्म होने तक ५००० का लाभ हुआ हो तो दिनेश का हिस्सा कितना होगा ?
१३) रेहमान और विकास ने २५-२५ हजार लगा कर एक व्यापार शुरू किया लेकिन छह माह बाद रेहमान ५००० व्यापार से निकाल लेता है। वर्ष के अंत में लाभ किस अनुपात में बांटा जाएगा ?
१४) शुभम और विनय ने क्रमशः ५०००० ५०००० पूँजी लगा कर एक बिज़नेस शुरू किया। नौ माह बाद विनय ने २५००० निकल लिया जबकि शुभम ने ५०००० ओर लगाया। यदि २ साल बाद ५०००० का लाभ हुआ हो तो विनय और शुभम में लाभ का अनुपात क्या होगा ?
१५) राजनंदनी और उत्पल ने एक दुकान खोला। इसमें राजनंदनी ने २५००० और उत्पल ने २०००० निवेश किया। ६ माह बाद राजनंदनी ने निवेश से ५००० निकाल ली जबकि उत्पल ने ५००० और निवेश किया। वर्ष के अंत में यदि ८५०० का लाभ हुआ हो तो राजनंदनी को कितना लाभ मिला ? |
जीआरए के आदेशों का पालन आज तक नहीं हुआ है, ऐसे विस्थापित परिवारों को तत्काल लाभ दिया जाये।
६० लाख रू व १५ लाख रू की पात्रता वाले विस्थापितों को तत्काल भुगतान किया जाये।
२५ प्रतिशत से कम जमीन गई ऐसे परिवारों के खातेदार व वयस्क पुत्रों को ६० क्स ९० फीट के पृथक भूखण्ड आवंटित किये जाये।
नर्मदा घाटी विभाग द्वारा ०५ जून २०१७ से ०५ फरवरी २०१८ तक के प्रकाशित आदेशों का तत्काल पालन किया जाए एवं पात्र विस्थापितों को लाभ दिया जाये।
नर्मदा घाटी विभाग के ०५ जून २०१७ के आदेश के अनुसार कुम्हार,केवट, मछुआरे, भूमिहीन परिवारों को आजीविका का साधन देना था,जिसका तत्काल क्रियान्वयन करवाया जाये।
नर्मदा घाटी विभाग ०१ अगस्त 2०१7 के आदेश अनुसार ५.८० लाख के पैकेज में से ५ लाख रू एक मुश्त देना था,इस आदेश का पालन आज तक नहीं हुआ है ।
जिन विस्थापित परिवारों के द्वारा भूखण्ड के बदले नगद राशि ली गई है,ऐसे परिवारों को १८० वर्गमीटर का भूखण्ड दिये जाने का प्रावधान था, जो आज तक नही दिया गया है।
जो विस्थापित परिवार पहले से पात्र है,ऐसे परिवारों को ६० ९० का भूखण्ड आवंटित किया जाये।
शिकायत निवारण प्राधिकरण के आदेश, दिनांक २८/११/२०१७, के अनुसार एक समय सीमा में सभी मूलभूत सुविधाओं का काम होना था,जो अभी तक संपूर्ण नहीं हुआ है। उदाहरणस्वरूप :- ३१ दिसंबर २०१७ तक ८३ पुनर्वास स्थलों पर चरनोई की जमीन उपलब्ध कराना था, जो आज तक नहीं किया गया है। ३१ जनवरी २०१८ तक ८३ पुनर्वास स्थलों के भूखंडो का समतलीकरण करके देना था, जिनके टेन्डरों का काम अभी शुरू हुआ हैं। ३१ मार्च २०१८ तक ८३ पुनर्वास स्थलों के भूखंडो की रजिस्ट्री करके देना था, जो आज तक नहीं दिया गया है। ३० अप्रैल २०१८ तक ८३ पुनर्वास स्थलों पर नर्मदा पाईप लाईन बिछा के देनी थी, जिसके टेन्डर अभी हुए है एवं कुछ जगह कार्य शुरू तक नहीं हुआ है | ३१ मई २०१८ तक बरसात के पानी के निकासी के लिए नालियों का निर्माण करना था जो आज तक पूरा नहीं हो पाया हैं, इसके कारण इस साल की पहली बरसात में जामदा, सोंदुल, अवल्दा, अमलाली, बीजासन, मोरकट्टा, पिछोड़ी, राजघाट, भीलखेड़ा, कसरावद, बोरलाय १, बोरलाय २, बोरलाय ३, छोटा बड़दा, दतवाडा, मोहिपुरा, केसरपुरा, पान्या इत्यादि पुनर्वास स्थलों पर कई मकान टूटे व धसे एवं कई आवासीय भू-खण्डों में पानी जमा रहा| ३१ मई तक पूरा कार्य हो जाता तो इन विस्थापितों का इतना नुकसान नहीं होता| इस प्रकार से कई अलग अलग मुददे थे, जिस पर अभी तक संपूर्ण कार्य नहीं हुआ है।
नौड़ता के अनुसार जैसा मूलगांव है,उसी प्रकार से पुनर्वास स्थल पर गाँव को बसाना था, जो अभी तक नहीं हुआ है।
पुराने एटीआर, नये एटीआर, राजपत्र इत्यादि सूंचियो में बहुत ज्यादा अंतर है, जोकि एक बड़े भ्रष्टाचार को दर्शाता हैं।
आवासीय भूखंडों की रजिस्ट्री करके तत्काल दिया जाये।
नर्मदा जलविवाद अवार्ड,राज्य की पुनर्वास नीति व नर्मदा घाटी विभाग के द्वारा २०१७ से २०१८ तक प्रकाशित आदेशों के अनुसार संपूर्ण पुनर्वास किया जाये।
मुख्यमंत्रीजी की घोषणा के अनुसार हर पट्टेधारी को ५.८० लाख रू. की पात्रता मिलनी थी, ऐसा धरातल पर नहीं किया गया है।
सभी भूमिहीन परिवारों को आजीविका का साधन दिया जाये।
जिन विस्थापितों के मकानों का पूर्व में भू-अर्जन नहीं हुआ है,ऐसे परिवारों को नये भू-अर्जन कानून के तहत सर्वे कर लाभ दिया जाये।
५ घंटे के धरने के बाद भू अर्जन पुनर्वास के उपस्थित अधिकारी द्वारा सभी मुद्दों को उच्च अधिकारियों तक पहुँचाने का आश्वासन दिया गया है। |
आज इन २ राशियों को मिलेंगे शुभ समाचार, तो किसी की होगी बेराजगारी दूर आपके ग्रहों में होने वाले परिवर्तन आपके लिए बेहद खास रहेंगे। आपके जीवन में आने वाले सभी प्रकार के दुख दर्द समाप्त हो जाएंगे। अचानक आपको अपने जीवन में सफलता मिलेगी। पैसो से संबंधित कुछ क्षेत्रों में आप कोई सकारात्मक निर्णय लेंगे। इस राशि के जातक एक सफल और कामयाब जीवन एन्जॉय कर सकते हैं। अपने प्रेमी की सफलताओं से आपको खुशी मिल सकती है।
जितना आप दूसरों की भलाई के लिए कार्य करेंगे। अपने जीवन में उतनी ही तेजी से प्रगति करने में कामयाबी हासिल करेंगे। आपके जीवन में आने वाले सभी दुखों का अंत होगा।
मित्रों के सहयोग से आप अपने रुके हुए काम काज पूरे कर पाएंगे. घर परिवार का वातावरण शांतिपूर्ण रहेगा। माता-पिता का आशीर्वाद मिलेगा, सोचे हुए कार्य पूरे हो सकते हैं, जिससे आप व्यापार के क्षेत्र में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करते हुए नजर आएंगे।
आप सभी भक्त लोग महादेव का आशीर्वाद पाने के लिए कमेंट में सच्चे मन से जय महादेव अवश्य लिखें। सिंह, कुम्भ, भाग्यशाली राशि है।
सबसे ज्यादा बेवफा होते है इन राशियों के लोग, भूलकर भी ना बनाएं रिलेशन !!
१२ राशियों में से इस राशि के पुरुष सबसे अच्छे हसबैंड बनते हैं! |
सोमवार को सर्ट कम्पस बादश्हितऑल टिहरी के सात दिवसीय नस स्पेशल कैंप का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ समापन हो गया है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक श्री किशोर उपाध्याय ने छात्रों को शिक्षा की गुणवत्ता एवं वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता, देश एवं प्रदेश के विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं रोजगार परक शिक्षा एवं दुर्गम क्षेत्रों के छात्रों के बौद्धिक विकास एवं सुविधाओं आदि पर स्वयंसवियों का ध्यान आकृष्ट किया।
वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ० एल०आरओ डंगवाल और कार्यक्रम अधिकारी डॉ० यू एस नेगी एवं डॉ० प्रेग बहादुर के निर्देशन में स्वयं सेवियों द्वारा विभिन्न रास्कृतिक कार्यक्रम एवं वाद-विवाद प्रतियोगितायें प्रस्तुत की गयी।
कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथियों का स्वागत डॉ० एल.आर. डगवाल द्वारा किया गया साथ ही वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी द्वारा राष्ट्रीय सेवा योजना के सात दिवसीय विशेष शिविर की प्रगति आख्या अतिथियों के सम्मुख प्रस्तुत की गयी ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता एवं सम्पन्न होने की घोषणा परिसर के कार्यकारी निदेशक प्रो० डी०के० शर्मा द्वारा की गयी जिसमें प्रो० शर्मा ने छात्रों के बौद्धिक विकास, नैतिकता, समाज के प्रति उत्तरदायित्वों का निर्वहन एवं जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दो।
विशेष शिविर में उत्कृष्ट कार्यों के लिए आयुष वर्मा प्रो० एनओअग्रवाल एवं शीतल रावत का पदक देकर परिसर निदेशक द्वारा सम्मानित किया गया, साथ ही एकल नृत्य में प्रिया डबराल, शीतल रावत, योगिता सलोनी गला, आदि को पुरस्कृत किया गया। इसके साथ ही सभी समूहों स्वयं सेवियों के प्रमुखों एवं उनकी टीम को विभिन्न उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कृत किया गया।
इस अवसर पर प्रो० एन० ॐ अग्रवाल विभागाध्यक्ष प्राणि विज्ञान, द्र.रवीन्द्र सिंह, अनिल बधानी, द्र. मित्रेश भट्ट, अजय कठत पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष नवजीत चडियाल, सोहन वीर सजवाण, अक्षत बिल्जवान अंकित सजवान, अंकित बहुगुणा समाज सेवी जगदम्बा प्रसाद ममगाई, श्री रवीन्द्र सिंह नेगी, मानवेन्द्र सिंह मनाई, सावित्री भट्ट आदि मौजूद रहे। |
कई बार देखा जाता है की आप अपने फोन मे कोई एप डाउनलोड तो कर लेते है और जैसा की आप सभी जानते ही है की किसी भी आप्प पर खुद का अकाउंट बनाना बेहद आसान है लेकिन जब बात उसे डेक्टीवते करने की आती है तो यह उतना आसान नहीं होता है. यदि बात करे ग्रोव आप्प की तो यह एक स्टोक मार्केट से रिलेटेड आप्प है जहां पर आप अपना पैसा इन्वेस्ट करते है और बहुत सर प्रॉफ़िट कमा लेते है. लेकिन इसे खेलना थोड़ा दिमागी काम जिसमे हर कोई कामयाब नहीं हो पता है. और बहुत परेशान होने के बाद वह फिर अपने अकाउंट को डेक्टीवते करना चाहता है. तो यदि आपका भी यही सवाल है की ग्रोव एकाउन्ट डेक्टीवते कैसे करे या हॉ तो डेक्टीवते ग्रोव एकाउन्ट तो आज हम आपको यही जानकारी देने जा रहे है।
१- सबसे पहले अपने फोन मे ग्रोव आप्प को ओपन करे।
२- अब यहाँ नीचे दिए गए उसर लोगों पर क्लिक करे।
३- अब यहाँ नीचे आए और हेल्प & सपोर्ट पर क्लिक करे।
४- इसके बाद आपके सामने यहाँ सर्च करने का एक विकल्प मिलता है, क्लिक करे।
६- इसके बाद आपके सामने पहला ही लिंक आता है, क्लिक करे।
७- अब यहाँ आपको सबसे नीचे रायसे टिकट पर क्लिक करे।
८- इसके बाद एक नया पेज ओपन होगा यहाँ फिर से रायसे टिकट पर क्लिक करे।
१०- ऐसे लिख करके सेंड बटन पर क्लिक करे।
अब इसके बाद आपका मेल ग्रोव आप्प के कार्यकर्ताओ के पास चला जाएगा. इस प्रोसेस मे २ से ३ दिन लग सकते है. आपके पास एक मेल आएगा जिसमे आपसे पूछा जा सकता है की आप ग्रोव एकाउन्ट को डेक्टीवते करना क्यूँ चाहते है. आप कोई भी रीज़न दे सकते है. उसके बाद आपका ग्रोव अकाउंट डेक्टीवते कर दिया जाएगा। |
बलिया ।। ददरी मेला में नगर पालिका के अधिकारियों कर्मचारियों ने जमकर धांधली की है एक तरफ स्थानीय स्तर पर दुकानदारों को दुकान आवंटित करने के लिए एक फार्म छपवाया गया है,जिसके लिये ५० रुपये की वसूली की गई है । यःफॉर्म भरने के बाद दुकानदारों को वापस नगर पालिका को जमा करना पड़ा है । इस फॉर्म के लिये जो धनराशि वसूली गयी है, उसके लिये दुकानदारों को कोई रसीद भी नही दी गयी है ।
बता दे कि नगर पालिका द्वारा अगर १ रुपये की भी वसूली की जाती है तो वह राजकीय प्रेस प्रयागराज से छपी रसीद पर ही होगी । वही अगर पिछले साल के मेले में निर्धारित शुल्क से अधिक शुल्क की वसूली करनी हो तो इसके लिये पहले बोर्ड से अनुमति लेनी होती है, फिर वसूली की जा सकती है ।
लेकिन इस बार अधिशाषी अधिकारी व इनकी टीम द्वारा न सिर्फ बिना बोर्ड की अनुमति के अधिक शुल्क की वसूली की गई है बल्कि ५० रुपये की वसूली के लिये स्थानीय स्तर पर फॉर्म छपवाकर दुकानदारों को दिया गया है । इस फॉर्म पर छापने वाले प्रेस का नाम और छापे गये प्रतियों की संख्या भी नही छपी है । शुरुआती दौर में ५० रुपये देने के बाद, जो फार्म हमारे हाथ लगा है उसका क्रमांक ६४१ है । यह फॉर्म छपकर आने के बाद स्टोर कीपर के पास भी जमा नही किया गया है । जबकि इसको स्टोर कीपर के रजिस्टर में दर्ज होने के बाद ही वसूली के लिये जिस कर्मचारी को दिया जाता है, उसका नाम लिखा होता है ।
वही इन लोगो द्वारा दुकानदारों के यहां से उधारी में हजारो रुपये का सामान भी लेकर उनको पैसे के लिये अब दौड़ाया जा रहा है । जिन दुकानदारों को गाड़ियों पर सामान लदने के बाद अपने घर जाना चाहिये था, वो दुकानदार अब नगर पालिका कार्यालय का चक्कर लगा रहे है । इनका पैसा तो फंसा ही है अब इनको गाड़ियों को अतिरिक्त किराया भी देना पड़ेगा । ददरी मेला २०२१ की बलिया एक्सप्रेस पहली कड़ी प्रकाशित कर रहा है । शीघ्र ही अन्य कड़ियों में दूसरे घोटाले भी प्रकाशित किया जायेगा । |
चेन्नई (आईएएनएस)। राजनीति में आने की योजना को लेकर सुर्खियों में बने हुए अभिनेता व फिल्मकार कमल हासन का कहना है कि वह देश सेवा करते हुए मरने के लिए तैयार हैं। कमल ने यह टिप्पणी रियेलिटी शो 'बिग बॉस' के तमिल संस्करण के फिनाले में की। शनिवार को इस शो का समापन हो गया।
इस मौके पर कमल ने राजनीति में प्रवेश संबंधी बातों को स्पष्ट किया। कमल ने दर्शकों की ओर इशारा करते हुए कहा, "मैं निश्चित तौर पर वहां आ रहा हूं।" उन्होंने कहा, "मैं इस मंच का फायदा नहीं उठा रहा हूं। मैं अपने दिल से ये बातें कह रहा हूं। अगर आपको लगता है कि मुझे अभिनय जारी रखना चाहिए तो यह खुलकर कहें और अगर आपको लगता है कि मुझे समाज की सेवा करनी चाहिए और बदलाव लाना चाहिए, तो अभी कहें। मैं देश सेवा में मरने के लिए तैयार हूं।"
उन्होंने शो के सभी प्रतिभागियों को बधाई दी। शो के विजेता आरव को ईनाम के तौर पर ५० लाख रुपये मिले। स्टार विजय चैनल पर २५ जून को १९ प्रतिभागियों के साथ शो का प्रसारण शुरू हुआ था। कमल ने यह भी खुलासा किया कि शो को कुल सात करोड़ से ज्यादा वोट मिले। उन्होंने कहा, "अगर इनमें से १० फीसदी वोट भी सही तरीके से दिए जाएं, तो हम हमारे समाज में महत्वपूर्ण बदलाव देख सकते हैं।" |
अष्टावक्र गीता : १९९१ में रिकॉर्ड की गई, अष्टावक्र गीता प्रवचनों की एक असाधारण श्रृंखला है, जहां गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने ऋषि अष्टावक्र और राजा जनक से हुई गहन बातचीत के बारे में टिप्पणी की है - जो स्व और वास्तविकता के बारे में है।
राजा के जीवन की भव्यता और भव्यता के बावजूद, राजा जनक एक आध्यात्मिक साधक थे। एक दिन अदालत में उसने दर्जनों सपने देखे और उसने सपना देखा कि वह सब कुछ खो चुका है। उसके पास भोजन के कुछ ही दल थे जो एक बाज ने झपट्टा मारा और उसके हाथ से छीन लिया। बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है और अब वह जोर से चिल्लाया, उठा और अपने आप को अपने सिंहासन पर पाया, अदालत में। उसे अचानक सपने की असली जैसी अनुभूति हुई। वह अभी भी भूख को महसूस कर सकता था। तो असली क्या था? उसने आश्चर्य किया। क्या वह जिस जीवन को जी रहा था, उससे कहीं अधिक जीवन था? वह सत्य को जानना चाहता था, परम सत्य को। लेकिन उसे कौन बता सकता था? राजा जनक को एक दोहरी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए-एक राजा और एक पिता अपनी प्रजा के लिए। समृद्धि और प्रचुरता से घिरे रहने के कारण उनके पास कुछ भी नहीं था। लेकिन उसने फिर भी टुकड़ी मांगी। उसे कौन रास्ता दिखा सकता था? जनक एक साधक थे जैसे आपमें से कई हैं। आप सभी की अपनी ज़िम्मेदारियाँ हैं, जैसा कि उन्होंने किया था और साधक के साथ-साथ जीवित रहे जैसा कि आप में से कई में है। निकट जीवन के बावजूद, जनक के पास सवाल थे। सभी दरबारियों ने अष्टावक्र के बारे में बहुत अधिक बातें कीं, ऋषि जिनका 'शरीर आठ स्थानों पर झुका था'। हम में से अधिकांश पुस्तक को उसके आवरण से देखते हैं। लेकिन यहाँ एक विकृत व्यक्ति था जो एक ब्राह्मणी था। बाहरी दिखावट हमारे लिए इतनी महत्वपूर्ण है कि हम इससे परे जाने के लिए दर्द नहीं उठाते, जैसा कि कुछ दरबारियों ने किया जब अष्टावक्र ने अदालत में कदम रखा। लेकिन राजा जनक ने ब्रह्मऋषि में ज्ञान की चमक को पहचान लिया। यह पुस्तक राजा जनक, सीता के पिता और मिथिला के सम्राट और ऋषि अष्टावक्र के बीच एक सुंदर संवाद है। |
क्या आप अपने पैशन को फॉलो करने के लिए एक नई वेबसाइट या ब्लॉग शुरू करने की सोच रहे हैं? अपनी वेबसाइट को होस्ट करने के लिए सर्वश्रेष्ठ लो कोस्ट वेब हॉस्टिंग प्रोविडर की तलाश में हैं।
तो आपको परेशान होने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं आप बिल्कुल सही जगह पर हैं!!
एक नई वेबसाइट या ब्लॉग शुरू करते समय, कभी-कभी आप होस्टिंग खरीदने पर बहुत पैसा खर्च नहीं करना चाहते हैं। जैसा कि आपने अभी एक नया ब्लॉग शुरू किया है और आप उसमें बहुत सारी कैटेगरी के बारे में बताने वाले हैं।
लेकिन आपको पता नहीं है की शुरुआत में आपका ब्लॉग पॉपुलर होगा की नहीं, इसलिए आप हमेशा अपनी नई वेबसाईट शुरू करने के लिए सबसे सस्ते वेब-होस्टिंग प्रदाताओं की तलाश करते हैं।
एक सस्ती वेब होस्टिंग खरीदने का मतलब यह नहीं है कि आपको अपनी वेबसाइट को होस्ट करने के लिए आवश्यक सेवाओं के साथ समझौता करना होगा।
कुछ बेहतरीन वेब होस्टिंग सेवा प्रदाता उपलब्ध हैं जो सभी प्रकार के व्यवसाय के लिए बहुत सस्ती और सर्वोत्तम हैं। बेस्ट चेप वेब हॉस्टिंग सेवाओं का मतलब है की आपको फास्ट स्पीड, मक्सिमम उप टाइम, अधिक सुरक्षा सुविधाएँ, उपयोग में आसान और २४/७ ग्राहक सहायता प्रदान करनी चाहिए।
तो चलिए जानते हैं की आपको होस्टिंग खरीदते समय किन-किन बातों को ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि वेब होस्टिंग ही आपकी वेबसाईट के विकास का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
वेब होस्टिंग क्या है?
वेब होस्टिंग वह जगह है जहां आपकी वेबसाइट की सभी फाइलें रहती हैं। जिसकी मदद से इन सभी फाइल्स को यूजर तक पहुचाने में मदद मिलती है।
इसको समझने का एक अच्छा तरीका यह है कि यदि डोमेन नाम आपके घर का पता था, तो वेब होस्टिंग वास्तविक घर है जो पता बताता है। इंटरनेट पर सभी वेबसाइटों को वेब होस्टिंग की आवश्यकता होती है।
जब कोई आपके डोमेन नाम को ब्राउज़र में लिखकर सर्च करता है, तो डोमेन नाम आपकी वेबसाइट को इप एड्डरेस में ट्रांसलेट करके सर्वर के पास रीक्वेस्ट भेजता है।
फिर सर्वर उस इप एड्डरेस को खोज कर आपके वेब ब्राऊजर पर रेसल्ट दिखाता है। जिसके परिणाम स्वरूप आप उस वेबसाईट को एक्सेस कर पाते हैं।
वेब होस्टिंग कंपनियां वेबसाइटों को स्टोर करने और सेवा प्रदान करने में विशेषज्ञ हैं। वे अपने ग्राहकों को विभिन्न प्रकार की होस्टिंग योजनाएँ प्रदान करते हैं।
तो चलिए अब जानते हैं की वेब होस्टिंग काम कैसे करती है।
वेब होस्टिंग काम कैसे करती है ?
वेब हॉस्टिंग लेने के लिए बहुत सी कम्पनिया जो लो कोस्ट वेब हॉस्टिंग प्रोविडर देती हैं। जो की वेबसाइट ओनर्स को अपने सर्वर पर वेबसाइट को होस्ट करने की सुविधा प्रदान करते हैं और जिसके बदले में हर महीने आपसे कुछ पैसे लेते हैं।
अब इस सर्वर पर आप अपने वेबसाइट की सारी हत्मल पगाज, इमेगाज, विदियोस आदि को अपलोड करते हैं। जिससे की यदि कोई भी यूजर आपकी वेबसाईट के डोमेन को इंटरनेट पर कही से भी सर्च करता हैं तो यह सर्वर आपकी वेबसाईट को ब्राऊजर को उपलब्ध कराता है। जिससे आपकी वेबसाईट की सभी फाइल्स, इमेज इत्यादि यूजर को दिखाई देने लगती है।
स्टोराज की तरह, बंडविडत की जरूरत सायट-बाय-सायट अलग-अलग होती है। क्योंकि कुछ वेबसाइट ऐसी होती हैं जिनमें रोजाना के हजारों विजिटर होते हैं जिनकी तुलना में १०० विजिटर्स वाली वेबसाईट को कम बंडविडत की जरूरत पड़ती है।
यहाँ पर कई शर्ड वेब होस्टिंग सेवाएं उनलिमिटेड बैंडविड्थ का देने का दावा करती हैं, यह आमतौर पर इस तथ्य पर आधारित होता है कि अधिकांश वेबसाइटें कभी भी बैंडविड्थ सीमा को पार करने के करीब नहीं आती हैं, खासकर जब वे नई होती हैं।
इसलिए यदि आप बुसिनेस वेबसाइट बना रहे हैं तो आपको बंडविडत पर खास ध्यान देकर होस्टिंग लेनी चाहिए। ताकि आपके वेबसाईट पर विजिटर को कोई कठिनाई ना हो।
डिस्कस्पेस भी उतना जरूरी है जितना की बंडविडत। इसमें सर्वर में केवल फाइलों को संग्रहीत करने की इतनी क्षमता होती है, जितनी की आपने अपने होस्टिंग प्लान में खरीदा है।
उदाहरण के लिए, शर्ड होस्टिंग आमतौर पर कुछ हल्की साइटों के लिए पर्याप्त होती है,जिन पर बहुत अधिक इमेज और फाइल्स उपलोड नहीं होते हैं।
एक अच्छा वेब हॉस्टिंग प्रोविडर यह सुनिश्चित करता है कि उसके सर्वर लगभग १०० प्रतिशत के करीब चलते रहे हैं। उप्टाइम जितना अच्छा होगा आपकी वेबसाईट उतनी अच्छी परफॉर्म करेगी।
कोई भी कंपनी से होस्टिंग खरीदने से पहले कम्पनी रेवीव भी देख लेना चाहिए। वहाँ पर आपको पता चलेगा की आप जिस कंपनी से होस्टिंग खरीदने जा रहे हैं वो होस्टिंग सर्विस कैसी देती है।
जब पैसे की बात आती है तो एक और बात यह है कि आपके होस्टिंग की रेनेवाल प्राइस कितनी होगी। क्योंकि कुछ कम्पनिया बहुत कम दाम पर होस्टिंग डे तो देती हैं लेकिन जब रेनेवाल की बात आती तो पैसे दोगुना हो जाता है। इसलिए प्राइस देख कर ही होस्टिंग खरीदे।
किसी भी वेब होस्टिंग कंपनी से सर्विस लेने से पहले उसका कस्टमर सपोर्ट कैसा ये भी देख लेना चाहिए। ताकि आपको अपने होस्टिंग सर्विस में कोई परेशानी होने पर जल्द से जल्द आपकी समस्या का समाधान हो सके।
वेब होस्टिंग प्रदाता आमतौर पर फोन, चैट या टिकट-आधारित ग्राहक सहायता प्रदान करते हैं। लेकिन वास्तव में यह मायने रखता है कि वे कितनी जल्दी प्रतिक्रिया दे सकते हैं और उनकी सहायता टीम कितनी जानकार है।
एक लो कोस्ट वेब हॉस्टिंग प्रोविडर ढूँढना आपकी वेबसाइट बनाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बाजार में इतने सारे होस्टिंग प्रदाताओं के साथ सही और रिलेबल होस्टिंग खोजना मुश्किल हो सकता है।
इसलिए होस्टिंग लेने से पहले आवश्यक कारकों पर विचार करना याद रखें। उम्मीद है की आपको इस पोस्ट की मदद से अपने वेबसाइट के लिए सही होस्टिंग चुनने में बहुत अधिक सहायता मिलेगी। यदि इस पोस्ट से संबंधित कोई सवाल पूछना हो तो आप मुझे पूछ सकते हैं।
आइये जानते है ब्बा कोर्स क्या है। |
मौके पर पहुंची पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर हत्यारे की तलाश में जुट गई है।
सुल्तानपुर में आज दिनदहाड़े बिल्डिंग मटेरियल व्यापारी को बदमाशों ने गोली मार कर हत्या कर दी। घटना के बाद बाइक सवार तीनों बदमाश मौके से फरार हो गये। घटना की सूचना मिलते ही हड़कम्प मच गया। आनन फानन में मौके पर पहुंची पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर हत्यारे की तलाश में जुट गई है।
दरअसल ये मामला है गोसाईंगंज थानाक्षेत्र के ऊघरपुर चौराहे का। जहाँ इसी थानाक्षेत्र के जासापारा गांव के रहने वाले भूपेंद्र सिंह उर्फ पिंटू की ऊघड़पुर चौराहे पर बिल्डिंग मेटेरियल की दुकान है। आज शाम करीब ५ बजे बाइक सवार तीन बदमाश इसकी दुकान पर पहुंचे और जैसे ही भूपेंद्र दुकान से बाहर निकले बदमाशों ने इन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।जब तक कोई कुछ समझ पाता तब तक बाइक सवार तीनों बदमाश मौके से फरार हो गए। गोली मारने की घटना से पूरे इलाके में हड़कम्प मच गया। आनन फानन उसे जिला अस्पताल भिजवाया गया। जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
वहीँ हत्या की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन में हड़कम्प मच गया। आनन फानन में मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दिया है। वहीँ हत्यारों की तलाश शुरू कर दिया गया है। एसपी सुल्तानपुर की माने तो करीब डेढ़ साल पहले भी इनके यहाँ विवाद हुआ था। उसे भी जोड़कर देखा जा रहा है। फ़िलहाल पूरे मामले की बारीकी से जांच की जा रही है। |
जबलपुर . कोरोना संक्रमण से मुक्त होने की दृष्टि से जबलपुर के लिए आज का दिन अच्छा रहा । यहां आज बुधवार को कोरोना से स्वस्थ हुए १७ व्यक्तियों को डिस्चार्ज कर दिया गया ।
इनमें सुखसागर मेडिकल कॉलेज स्थित कोविड केयर सेंटर से ११ लोग और मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किए गए छह लोग शामिल हैं । इनके अलावा १२ मई की रात को दिलीप चौरसिया को सुखसागर मेडिकल कॉलेज से छुट्टी दे दी गई थी ।
सुखसागर कोविड केयर सेंटर से आज जिन्हें डिस्चार्ज किया गया है उनमें रोहित काशवानी, कृष्णा रावत, सतीश झारिया, सिद्धार्थ शंकर पांडे, गोपाल प्रसाद सेन, हेमन्त पाल, शिवा राय एवं गिन्दू सिंह शामिल हैं। इन्हें आज सुबह डिस्चार्ज किया गया। जबकि देर शाम सोनिया लालवानी, मोहम्मद गौस और नुसरत अंसारी को यहां से स्वस्थ होने पर छुट्टी दी गई ।
इसके पहले मंगलवार १२ मई की रात को दिलीप चौरसिया को सुखसागर कोविड केयर सेंटर से छुट्टी दे दी गई थी । इस तरह सुखसागर कोविड केयर सेंटर से कोरोना से स्वस्थ हुए १२ लोगों को छुट्टी दी गई है ।
मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल से डिस्चार्ज छह लोगों में सुशील राठौर, अनुजा यादव, नविता राठौर, मनोज चौरसिया, नईमुद्दीन और रौनक सोनकर शामिल हैं । इस तरह जबलपुर में कोरोना से स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़कर अब ६५ हो गई है । |
वाशिंगटन, २९ जून (ऐजेंसी/अशोक एक्सप्रेस)। अमेरिका की संघीय अदालत ने संघीय व्यापार आयोग (एफटीसी) और राज्य के अटॉर्नी जनरल के एक गठबंधन द्वारा फेसबुक के खिलाफ चलाए गए अविश्वास के मुकदमे सोमवार को खारिज कर दिए, जो दिग्गज तकनीकी कंपनियों पर लगाम लगाने के नियामकों के प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका है।
अमेरिकी जिला जज जेम्स बोसबर्ग ने सोमवार को फैसला सुनाया कि मुकदमे में पेश किए गए सबूत यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे कि फेसबुक का बाजार पर एकाधिकार है। यह फैसला शिकायत को खारिज करता है लेकिन मामले को खारिज नहीं करता, जिसका अर्थ है कि एफटीसी फिर से शिकायत दर्ज करा सकता है।
अमेरिका सरकार और ४८ राज्यों एवं जिलों ने दिसंबर २०२० में फेसबुक के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जिसमें कंपनी पर छोटे प्रतिस्पर्धियों को कुचलने के लिए सोशल नेटवर्क के बाजार पर अपने कब्जे का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था और इंटाग्राम एवं व्हाट्सऐप को जबरन अलग करने के लिए कदम उठाए जाने का अनुरोध किया गया था।
एफटीसी ने आरोप लगाया था कि फेसबुक बाजार में प्रतिस्पर्धा समाप्त करने के लिए एक व्यवस्थित रणनीति के तहत काम कर रहा है और इसी के तहत उसने २०१२ में इंस्टाग्राम और २०१४ में व्हाट्सऐप जैसे छोटे और उभर रहे प्रतिद्वंद्वियों को खरीदना शुरू कर दिया। बोसबर्ग ने राज्य के अटॉर्नी जनरल द्वारा दर्ज एक अन्य शिकायत भी खारिज कर दी। |
प्रतिज्ञा २ : एपिसोड की शुरुआत होती है। कृष्णा, प्रतिज्ञा से कहता है,कि वह हमेशा चाहता है,कि शक्ति को अपनी गलती का एहसास हो और अच्छे काम करें लेकिन अंत तक उसे एक बार भी समझ नहीं आया कि उसने जो कुछ भी किया वह गलत था। प्रतिज्ञा कृष्णा से कहती है,कि वह समझती है,कि दिन के अंत में जो कुछ भी हुआ उससे तुमने अपने भाई को खो दिया है, इसलिए उसे उसके लिए शोक करने के लिए कहती है,कि उसमें कुछ भी गलत नहीं है। तब कृष्णा प्रतिज्ञा से कहते हैं कि सुमित्रा को भी समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हुआ वह हमें भी दोष दे रही है। प्रतिज्ञा कृष्णा से कहती है,कि समय सब कुछ बदल देगा, सुमित्रा को यह समझाने का सही समय नहीं है,कि क्या सही है और क्या गलत है, उसे शोक करने दो।
कृष्णा उन सपनों के बारे में बात करती है जो केसर ने शक्ति की पत्नी के रूप में घर में आने पर देखे होंगे और कहते हैं कि आज कृति को बचाने के लिए उसने अपने पति को मार डाला। प्रतिज्ञा बताती है,कि वे कुछ नहीं कर सकते लेकिन केसर के लिए आभारी हैं, वह केसर को जल्द ही जेल से बाहर लाने का भी वादा करती है। कृष्णा तब प्रतिज्ञा के साथ समर के बारे में अपनी चिंताओं को साझा करता है और गिरी जो छात्रावास में है, वह भी शक्ति की मौत के बारे में नहीं जानता है और उनकी मां भी जेल में है। प्रतिज्ञा कृष्णा से कहती है,कि वे समर और गिरी को अच्छी परवरिश देंगे और उन्हें अपने बच्चों की तरह मानेंगे।
मीरा,गर्व और कृति के पास जाती है और उन्हें रोना बंद करने के लिए कहती है और कहती है,कि जब कोई व्यक्ति गलत काम करता है तो उसे उसकी खुद की दवा मिल जाएगी फिर उसे खाना खाने के लिए कहती है लेकिन वे दोनों मना कर देते हैं। वह उन्हें बताती है,कि अगर उनके पास नहीं है तो वह जगह नहीं छोड़ेगी और जब वह बच्चों को अपनी ओर देखती है तो वह कहती है,कि वह जानती है,कि वे सोच रहे होंगे कि वह इतनी अच्छी क्यों है, यहां तक कि वह जानती है,कि उसने बहुत सारे गलत काम किए लेकिन उसे एहसास हुआ गलती फिर गर्व और कृति दोनों को खिलाती है। आदर्श अपने कमरे में आता है और कोमल को खाना खाने के लिए कहता है लेकिन वह उसे गले लगा लेती है और रोती है।
अगले दिन कृष्णा,सुमित्रा के पास जाते हैं और कहते हैं कि उन्होंने पुजारी को शक्ति का अंतिम संस्कार करने के लिए बुलाया। फिर वह सुमित्रा से शक्ति का अंतिम संस्कार करने की अनुमति मांगता है और वह उसे इससे आगे बढ़ने के लिए कहता है। सुमित्रा कृष्णा से पूछती है,कि उसने अपनी पत्नी के साथ शक्ति को मार डाला और अब वह अंतिम संस्कार करना चाहता है। यदि उसने शक्ति को घर से बाहर नहीं निकाला होता तो वह क्रोधित नहीं होता और अब वह जीवित होता। कृष्णा सुमित्रा से कहते हैं कि अगर वह उसे शाप देना चाहती है तो उसे दोष दें कि वह उसे हरा सकती है लेकिन वह वास्तव में शक्ति का अंतिम संस्कार करना चाहता था।
सुमित्रा,कृष्णा से कहती है,कि अगर वह वास्तव में शक्ति का अंतिम संस्कार करना चाहता है तो उसे प्रतिज्ञा को घर से बाहर करना होगा। कृष्णा सुमित्रा से पूछते हैं कि वह हर चीज के लिए प्रतिज्ञा को दोष क्यों दे रही है जिसने गलत किया और फिर कहती है,कि अगर वह चाहती थी कि प्रतिज्ञा चली जाए तो वह भी घर छोड़ देगा। सुमित्रा कृष्णा से कहती है,कि वह न तो अपनी मां के लिए बेटा है और न ही भाई बल्कि अपनी पत्नी के लिए पति है। बाद में पुजारी पूछते हैं कि अनुष्ठान कौन करने जा रहा है। कृष्णा उसे बताते हैं और जाकर बैठ जाते हैं। समर वहाँ आता है और कहता है,कि जब मृत व्यक्ति का पुत्र जीवित है तो पुत्र को ही यह सब करने की आवश्यकता है।
कृष्णा,समर से बात करने की कोशिश करता है लेकिन वह यह कहते हुए नज़रअंदाज़ कर देता है,कि वह उन लोगों के साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता जिन्होंने उसके पिता को मार डाला। फिर वह पूजा में बैठता है। सुमित्रा पुजारी से कृष्णा और शक्ति दोनों का अंतिम संस्कार करने के लिए कहती है। पूजा के बाद कृष्णा समर से पूछते हैं कि वह उनसे इतनी नफरत क्यों कर रहा है लेकिन समर बताता है,कि वह अपनी दादी की बात सुनेगा तभी वहां से निकल जाएगा।
कृष्णा अपने कमरे में प्रतिज्ञा से कहते हैं कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है,कि सुमित्रा ऐसा कर सकती है। प्रतिज्ञा उस समय के बारे में सोचने के लिए कहती है जब गर्व खतरे में है,कि उसने उससे झूठ बोला और बहुत सारे गलत काम किए क्योंकि सुमित्रा ने अपने बेटे को खो दिया, इसलिए यह पूरी तरह से सामान्य है लेकिन कृष्णा ने यह कहते हुए घर छोड़ने का फैसला किया कि वह इन सब को बर्दाश्त नहीं कर सकता। प्रतिज्ञा कृष्णा से कहती है,कि सुमित्रा को छोड़ना उचित नहीं है और इस अवस्था में वह कृष्णा से वादा करती है,कि वह समर को स्थिति को समझाएगी। वह फिर समर के पास जाती है और कहती है,कि भले ही वह उसे समझाने की कोशिश करे कि वह कुछ भी समझने की स्थिति में नहीं है। समर प्रतिज्ञा से उसे यह बताने के लिए कहता है,कि उसके पिता के साथ ऐसा क्यों हुआ।
प्रतिज्ञा,समर को बताती है,कि शक्ति ने उसकी बहन कृति को सबके सामने अपमानित करने की योजना बनाई थी। समर प्रतिज्ञा को बताता है,कि उसकी कोई बहन नहीं है, फिर उससे पूछता है,कि क्यों न वह सीधे कह रही है,कि जब उसकी बेटी के साथ कुछ बुरा होने वाला है तो उसने सभी को उसके पिता के खिलाफ कर दिया और उसे मार डाला। प्रतिज्ञा समर से पूछती है,कि वह इस तरह क्यों बात कर रहा है लेकिन समर बताता है,कि वह अपने पिता के हत्यारे के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहता है, फिर जगह छोड़ देता है। प्रतिज्ञा चिंता से समर को देखती है।
अगले एपिसोड में: मीरा यह कहकर घर छोड़ देती है,कि उसे एक नई नौकरी मिल गई है इसलिए उसे छोड़ना होगा। बाद में प्रतिज्ञा केसर को घर ले आती है। केसर को देखकर सुमित्रा कहती है,कि केसर को घर के अंदर मत आने दोगी यह उसके मरने के बाद ही होगा। सब चौंक जाते हैं।
इन "टीवी सीरियल"
यर्क्ख : अक्षरा और अभिमन्यु दोनो एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार करने वाले है?
घ्क्कम: गुम है किसी के प्यार में, सई चव्हाण निवास में प्रवेश करेगी। |
हरफनमौला हार्दिक पांड्या न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की टी२० सीरीज में टीम इंडिया की अगुवाई करेंगे। यह पहली बार नहीं है, कि हार्दिक कप्तानी की टोपी पहनेंगे, जैसा कि उन्होंने इस साल की शुरुआत में आयरलैंड के खिलाफ दो मैचों की टी२० सीरीज के दौरान नेतृत्व किया था। पहले टी२० अंतरराष्ट्रीय की पूर्व संध्या पर, न्यूजीलैंड दौरे के लिए मुख्य कोच, वीवीएस लक्ष्मण हार्दिक की तारीफ करते हुए कहा कि उनके पास अच्छा क्रिकेट दिमाग है और दूसरे खिलाड़ी उनकी ओर देखते हैं।
पहले टी२०ई की शुरुआत से कुछ घंटे पहले, टीम इंडिया के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री विश्व कप विजेता कप्तान का उदाहरण दिया कपिल देव नेता के रूप में हार्दिक के लिए मामला बनाने के लिए।
रोहित शर्मा की पसंद, विराट कोहली तथा केएल राहुल न्यूजीलैंड के खिलाफ सफेद गेंद की श्रृंखला के लिए आराम दिया गया है, जिसमें तीन टी२०ई और तीन एकदिवसीय मैच शामिल हैं।
ये तीनों खिलाड़ी बांग्लादेश के खिलाफ दिसंबर में होने वाली वनडे और टेस्ट सीरीज के लिए वापसी करेंगे।
टीम इंडिया के प्रमुख खिलाड़ियों का रास्ता खत्म? |
गृह मंत्री अमित शाह अब चार और पांच अक्तूबर को प्रदेश दौरे पर आएंगे। इससे पहले तीस सितंबर से दो अक्तूबर तक उनका दौरा प्रस्तावित था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जम्मू-कश्मीर के दौरे में बदलाव की जानकारी सामने आई है। सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्री अब चार और पांच अक्तूबर को प्रदेश दौरे पर आएंगे। इससे पहले तीस सितंबर से दो अक्तूबर तक उनका दौरा प्रस्तावित था। एक अक्तूबर को जम्मू संभाग के राजोरी जिले और दो अक्तूबर को कश्मीर संभाग के बारामुला जिले में रैलियां की जानी थी। जिसमें अब बदलाव किया गया है।
इससे पहले सोमवार को राजोरी में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना ने दौरा किया। उन्होंने इस दौरान कहा कि राजोरी-पुंछ के पहाड़ी लोगों को उनका अधिकार मिलेगा। पहाड़ी नेताओं, पंचायत प्रतिनिधियों, भाजपा पदाधिकारियों समेत अन्य लोगों के साथ रैली की तैयारियों पर बैठक में रैना ने कहा, गृह मंत्री की रैली में एक लाख लोग जुटाने का लक्ष्य है। हम मिलकर इस ऐतिहासिक रैली को सफल बनाएंगे।
राजोरी पहुंचे रैना ने भाजपा जिला इकाई की ओर से की जा रही तैयारियों की समीक्षा करने के साथ ही राजोरी और पुंछ जिलों के प्रतिनिधियों से चर्चा की। कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में पूर्व एमएलसी एवं प्रदेश महासचिव विबोध गुप्ता, जिला प्रधान राजिंद्र गुप्ता के साथ राजोरी-पुंछ के विभिन्न इलाकों से कार्यकर्ता, मंडल प्रधान, ब्लाक प्रधान, व्यापार मंडल प्रधान आदि मौजूद रहे। पत्रकारों से बात करते हुए रवींद्र रैना ने कहा कि यह भाजपा की ऐतिहासिक रैली होने जा रही है। इस रैली से राजोरी-पुंछ के लोगों की तकदीर बदलेगी।
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आज किसी से लंबी चौड़ी बात हुई, उनके धर्म और आस्था के बारे में सहज उत्सुकता थी मन में, और उनके विश्वास और अभिव्यक्ति के प्रति सरल समर्थन भी.. पर अचानक वे मंदिरों और पूजा पाठ की सभी विधियों पर ऊँगली उठाने लगी.. जबकि हिन्दू धर्म के बारे में उनकी जानकारी मुझे बेहद उथली लगी फिर भी केवल अपने पंथ को ऊपर दिखाने की कोशिश में येन केन प्रकारेण, सदियों पुरानी आस्था पर चोट करते जाना, विस्मित कर गया क्यों भाई, जियो और जीने दो, के एक पलड़े में तो हम भी आते हैं.. जर्जर होती रूढ़ियां खुद ही दम तोड़ देतीं हैं उनके लिए पूरे धर्म पर, करोड़ों लोगों की सदियों पुरानी परम्पराओं को नीचा दिखाने की ज़रूरत क्यों भला क्या हम दूसरों की आस्था को उनके मन की स्वतंत्रता मानकर सहज स्वीकार भी नहीं कर सकते? |
उन्होंने कहा,ये नफ़रत ही बेरोज़गारी के लिए भी ज़िम्मेदार है। देशीय व विदेशी उद्योग बिना सामाजिक शांति के नहीं चल सकते। रोज़ अपने आस-पास बढ़ती इस नफ़रत को भाईचारे से हराएँगे- क्या आप मेरे साथ हैं। उन्होंने कहा कि देश में औद्योगिक विकास और सामाजिक समरसता के लिए भाईचारा जरूरी है और भाईचारे को नफरत की राजनीति को हराकर ही घोषित किया जा सकता है।
मैं भी यही मानता हूँ कि भाजपा की नफ़रत भरी राजनीति देश के लिए बेहद हानिकारक है।
और ये नफ़रत ही बेरोज़गारी के लिए भी ज़िम्मेदार है। देशीय व विदेशी उद्योग बिना सामाजिक शांति के नहीं चल सकते।
पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए पंजाब कांग्रेस ने ८६ सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। पार्टी ने मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को चमकौर साहिब सीट से मैदान में उतारने का फ़ैसला किया है, जबकि नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर ईस्ट में चुनाव लड़ेंगे।
प्रदेश के मौजूदा उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा डेरा बाबा नानक सीट से मैदान में उतरेंगे। वहीं हाल में पार्टी में शामिल हुई सोनू सूद की बहन मालविका सूद को पार्टी ने मोगा से चुनाव लड़ाने का फ़ैसला किया है।
पंजाब की सभी ११७ विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में १४ फरवरी को वोटिंग होनी है। वहीं वोटों की गिनती १० मार्च को होनी है। इधर विधानसभा चुनाव से पहले, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर मतदान की तारीख को कम से छह दिन आगे बढ़ाने की गुज़ारिश की है।
अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि १६ फरवरी को गुरु रविदास जयंती है, इस दिन बड़ी संख्या में दलित बनारस में मौजूद गुरु रविदास जन्मस्थान मंदिर जाते हैं। मुख्यमंत्री ने लिखा है कि १० से १६ फरवरी के बीच राज्य के २० लाख से अधिक दलित मतदाता बनारस जा सकते हैं और ऐसे में वो अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकेंगे, इसलिए मतदान की तारीख को कुछ दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया जाए। |
स्प की ओर से पुलिस अफसरों को दिए गए निर्देशों के अंतर्गत अब मतदान वाले दिन पोलिंग बूथों पर पता भी नहीं खड़क सकेगा।
मुजफ्फरनगर। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल पुलिस अफसरों व कर्मचारियों के साथ गुफ्तगू करते हुए खतौली विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को शांति से संपन्न कराने के प्रयासों में लगे हुए हैं। आज हुई बैठक में एसएसपी की ओर से पुलिस अफसरों को दिए गए निर्देशों के अंतर्गत अब मतदान वाले दिन पोलिंग बूथों पर पता भी नहीं खड़क सकेगा।
शुक्रवार को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल द्वारा आदर्श आचार संहिता के पूर्णतः अनुपालन एवं चुनाव की तैयारियों के दृष्टिगत चुनाव सेल में मीटिंग की गयी। जिसमें चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की गयी। इस दौरान पुलिस अधीक्षक नगर अर्पित विजयवर्गीय, पुलिस अधीक्षक देहात अतुल कुमार श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक अपराध प्रशान्त कुमार प्रसाद, पुलिस अधीक्षक यातायात कुलदीप सिंह उपस्थित रहे।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुजफ्फरनगर के निर्देशन में चलाये जा रहे अभियानों के अन्तर्गत जनपदीय पुलिस द्वारा धारा १०७/११६ द०प्र०सं० के अन्तर्गत 1०182 लोगों को नोटिस तामील कराया जा चुका है, नोटिस तामील के उपरान्त धारा १०७/११६ द०प्र०सं० का उल्लंघन करने वाले २३१६ लोगो को धारा ११६(३) द०प्र०सं० के अन्तर्गत मुचलका पाबन्द कराया गया है। धारा ११६(३) द०प्र०सं० के अन्तर्गत मुचलका पाबन्द की कार्यवाही किसी व्यक्ति को चुनाव के दौरान सार्वजनिक शांति भंग न किये जाने हेतु की जाती है, यदि फिर भी किसी व्यक्ति द्वारा इसका उल्लंघन किया जाता है तो १२२ बी द०प्र०सं० की कार्यवाही की जाएगी तथा मुचलके की भारी धनराशि को वसूला जाएगा। जनपद पुलिस द्वारा न्यायालय के आदेशानुसार गैर जमानती वारण्ट निर्गत करते हुए २४२ वारण्टियों को गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया जा चुका है। इसी क्रम में जनपदीय पुलिस द्वारा ६४ लोगो के विरूद्ध गुण्डा एक्ट व १९ लोगो के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट की कार्यवाही अमल में लायी गयी है।
आदर्श आचार संहिता के पूर्णतः अनुपालन हेतु जनपद पुलिस द्वारा अन्तर्राज्यीय एवं अन्तर्जनपदीय बॉर्डरों पर अवैध शराब, मादक पदार्थ, अवैध धन आदि की रोकथात हेतु सघन चौकिंग अभियान चलाया जा रहा है। चौकिंग अभियान के दौरान जनपदीय पुलिस द्वारा अब तक कुल १९६ लीटर अवैध देशी शराब जिसकी कीमत करीब ४१,४०० रूपये बरामद की गई, साथ ही ११ किलोग्राम मादक पदार्थ (गांजा) जिसकी कीमत करीब १,१0,००० रूपये बरामद किया गया।
आगामी विधानसभा उप-चुनाव एवं आदर्श आचार संहिता के पूर्णतः अनुपालन हेतु जनपद मुजफ्फरनगर के खतौली विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले थानाक्षेत्र खतौली, मन्सूरपुर, रतनपुरी, सिखेडा, जानसठ में प्रतिदिन ०५ कम्पनी प्ज्ठच् , ०५ कम्पनी ब्प्ैथ् तथा ०३ कम्पनी च्।ब् द्वारा स्थानीय पुलिस के साथ संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च किया जा रहा है। फ्लैग मार्च का उददेश्य चुनाव को सकुशल सम्पन्न कराना एवं साथ ही आम जन-मानस को भयमुक्त, सुरक्षित एवं शांतिप्रिय वातावरण में मतदान करने हेतु प्रेरित करना है। फ्लैग मार्च के दौरान जनपदीय पुलिस बल द्वारा आम जन-मानस से आदर्श आचार संहिता का पालन करने एवं आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्यवाही करने की चेतावनी भी दी जा रही है। |
शाहजहां के शासनकाल में औरंगज़ेब दो बार दक्षिण सूबेदार रह चुका था। सन् १६५६ में वह बीजापुर और गोलकुण्डा पर विजय प्राप्त कर उनको मुगल साम्राज्य में मिलाने के लिए प्रयत्नशील था किन्तु उत्तराधिकार के युद्ध में कूद पड़ने के कारण उसे अपना विजय-अभियान अधूरा ही छोड़ना पड़ा था। परन्तु उत्तर भारत में अपनी व्यस्तताओं के कारण वह दक्षिण विजय के अपने पुराने स्वप्न को साकार करने के लिए समय नहीं निकाल सका था। शिवाजी के अयोग्य उत्तराधिकारी छत्रपति शम्भाजी ने बागी शहज़ादे अकबर को शरण देकर औरंगज़ेब के दक्षिण अभियान के लिए अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न कर दी थीं । औरंगज़ेब ने सन् १६८२ में दक्षिण के लिए अभियान किया।
१. बागी शहज़ादे अकबर को कैद करना।
२. बीजापुर तथा गोलकुण्डा के शिया राज्यों पर अधिकार कर वहां पर सुन्नी परम्पराओं का प्रचलन करना तथा मुगल साम्राज्य का विस्तार करना।
३. मराठों की शक्ति का दमन करना।
१. शम्भाजी के साथ ५ वर्ष बिताकर शहज़ादा अकबर भारत छोड़कर ईरान चला गया।
२. सन् १६८६ में मुगलों ने बीजापुर पर तथा सन् १६८७ में गोलकुण्डा पर अधिकार कर औरंगज़ेब ने दक्षिण में मुगल साम्राज्य के विस्तार के स्वप्न को साकार किया।
३. सन् १६८९ में संगामेश्वर में छत्रपति शम्भाजी को मुगलों द्वारा गिरफ़्तार कर लिया गया और बाद में उसकी निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी गई।
१. संगमेश्वर में छत्रपति शम्भाजी अपनी गिरफ्तारी के बाद एक नायक के रूप उभर कर सामने आया। अपनी जान बचाने के लिए न तो वह अपना धर्म परिवर्तित करने के लिए तैयार हुआ और न ही मुगलों की आधीनता स्वीकार करने को एक अयोग्य शासक के रूप में कुख्यात शम्भाजी अपनी निर्भीक मृत्यु के बाद एक शहीद का सम्मान प्राप्त करने का अधिकारी बन गया। उसकी निर्मम हत्या कर औरंगज़ेब ने अपने लिए मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर दिया।
२. मराठों ने अपने छत्रपति के बलिदान को व्यर्थ न जाने देने के लिए शम्भाजी के छोटे भाई राजाराम के नेतृत्व में छापामार युद्ध नीति का आश्रय लेकर स्थानीय निवासियों के सहयोग से अपना स्वतन्त्रता आन्दोलन छेड़ दिया। धानाजी जाधव और सन्ताजी घोरपड़े ने मुगलों पर अनेक सफल हमले किए। उन्होंने औरंगज़ेब के शिविर तक पर हमले किए। मुगलों को अनेक बार मराठों के विरुद्ध सफलताए मिलीं किन्तु उनमें स्थायित्व नहीं रहा। विख्यात मुगल सेनानायक ज़ुल्फ़िकार खाँ ने जिन्जी के प्रसिद्ध किले पर अनेक बार विजय प्राप्त की परन्तु हर बार मराठों ने उसे वापस जीत लिया। मराठों ने मुगल सेना की रसद सामग्री को लूटकर अपने संसाधन बढ़ा लिए तथा मुगलों का जीवन दूभर कर दिया। मराठा छापामारों से अपनी जान बचाने के लिए अनेक बार मुगलों को उन्हें रिश्वत तक देनी पड़ती थी। रुस्तम खाँ, इस्माइल खाँ और अलीमर्दान खाँ जैसे अनेक मुगल सेनापतियों को मराठों ने कैद किया और भारी जुर्माना लेकर ही उनको मुक्त किया।
३. औरंगज़ेब को यह समझ आ गई कि साम्राज्य विस्तार हेतु उसने मराठों की गतिविधियों पर नियन्त्रण रखने वाले गोलकुण्डा तथा बीजापुर के राज्यों को समाप्त कर अपनी मुश्किलें बढ़ा ली हैं। राजाराम की सन् १७०० में मृत्यु के बाद भी औरंगज़ेब की कठिनाइयों का अन्त नहीं हुआ। राजाराम की विधवा ताराबाई के कुशल नेतृत्व में मराठा सवतन्त्रता संग्राम पूर्ववत जारी रहा। औरंगज़ेब ने तोरना के किले को छोड़कर मराठों के सभी किलों पर अधिकार तो किया किन्तु उन पर उसकी पकड़ कभी मज़बूत नहीं हो सकी।
दूसरी ओर मराठों द्वारा दक्षिण के छहो मुगल सूबों पर छापे डाले जाते रहे और व्यावहारिक दृष्टि से इन क्षेत्रों पर मराठों का ही अधिकार हो गया।
१. औरंगज़ेब ने सन् १686 में बीजापुर तथा सन् १687 में गोलकुण्डा को मुगल साम्राज्य में मिलाकर दक्षिण में मुगल साम्राज्य का व्यापक विस्तार किया था किन्तु कुछ वर्षों के दक्षिण प्रवास में उसको यह समझ आ गई कि साम्राज्य विस्तार हेतु उसने मराठों की गतिविधियों पर नियन्त्रण रखने वाले इन स्वतन्त्र राज्यों को समाप्त कर अपनी मुश्किलें बढ़ा ली हैं। अब मराठों की शक्ति से उसको अकेले अपने दम पर ही निपटना था।
२. लगातार अपने घरों से दूर रहकर अनजान, दुर्गम एवं अभावग्रस्त क्षेत्र में जन-समर्थन प्राप्त मराठा शत्रुओं की छापामार युद्धनीति का मुगल सेना के पास कोई जवाब नहीं था। सन् १७०७ में अपनी मृत्यु से पूर्व औरंगज़ेब दक्षिण में २6 वर्ष बिता चुका था किन्तु इतने समय में उसने केवल निराशा, हताशा, धन-जन तथा प्रतिष्ठा की अपरिमित हानि ही अर्जित की थी।
३. लगातार २६ वर्ष तक दक्षिण में रहने के कारण अपने साम्राज्य के अन्य क्षेत्रों पर औरंगज़ेब की पकड़ अत्यन्त शिथिल हो गई थी। राजपूताना, बुन्देलखण्ड, पंजाब, उत्तर-पश्चिम सीमा प्रान्त आदि क्षेत्र व्यावहारिक दृष्टि से मुगलों के अधिकार से निकल गए थे। औरंगज़ेब मुगल साम्राज्य के विघटन का एक मूक दर्शक बनकर रह गया था।
५. औरंगज़ेब की असफल दक्षिण नीति प्रशासनिक भ्रष्टाचार, अशान्ति, राजनीतिक अराजकता, गुटबन्दी, षडयन्त्र, आर्थिक संकट, कृषि, उद्योग एवं व्यापार के विकास में बाधा, साहित्य, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में अवनति के लिए ज़िम्मेदार थी। सर जदुनाथ सरकार ने औरंगज़ेब की दक्षिण नीति और नैपोलियन के स्पेन अभियान (स्पेन के नासूर) के विनाशकारी परिणामों में बहुत समानता पाई है। यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि औरंगज़ेब ने अपने दक्षिण अभियान से अपने साम्राज्य की कब्र खुद अपने हाथों से खोदी थी। |
अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (फिडे) ने घोषणा की कि २०२० आनलाइन ओलंपियाड का आयोजन २२ जुलाई से ३० अगस्त तक किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ ने घोषणा की कि २०२० आनलाइन ओलंपियाड का आयोजन २२ जुलाई से ३० अगस्त तक किया जाएगा। महासंघ ने कहा कि आनलाइन ओलंपियाड राष्ट्रीय टीम स्पर्धा है जिसमें फिडे से मान्यता प्राप्त सभी महासंघों को हिस्सा लेने का अधिकार है।प्रत्येक टीम में छह खिलाड़ी होंगे। यह मिश्रित प्रारूप की टीम होगी जिसमें न्यूनतम तीन महिला और दो जूनियर खिलाड़ी होंगे। टीम में छह रिजर्व खिलाड़ी और एक अतिरिक्त टीम कप्तान हो सकता है।यह स्पर्धा टाइम कंट्रोल के आधार पर खेली जाती है जिसमें १५ मिनट और प्रत्येक चाल के लिए पांच सेकेंड का अतिरिक्त समय मिलता है।
इस प्रतियोगिता में दो मुख्य चरण होते हैं: डिविजन चरण और प्ले आफ चरण। प्ले आफ चरण राउंड आफ १६ से फाइनल तक होता है।इस टूर्नामेंट के लिए पंजीकरण फार्म अगले कुछ दिनों में फिडे की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। राष्ट्रीय महासंघों को ईमेल के जरिए आगे के निर्देश दिए जाएंगे और पंजीकरण चार जुलाई तक चलेगा। |
गोरखपुर । चम्पा देवी पार्क में आयोजित दो दिवसीय गोरखपुर महोत्सव २०२१ का समापन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। ,इस अवसर पर उन्होंने कहा गोरखपुर में रोड और एयर कनेक्टिविटी की सुविधाओं में हो रहे विस्तार का जिक्र करते हुए एक बड़ा एलान किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में गोरखपुर एयरपोर्ट से दिल्ली-मुंबई की तीन-तीन समेत विभिन्न शहरों के लिए नौ उड़ाने हो रही हैं। सभी महत्वपूर्ण शहरों के लिए गोरखपुर से एयर कनेक्टिविटी हो गई है। अब जल्द ही रामगढ़ताल में सी प्लेन उतारी जाएगी। इसे लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
इस अवसर पर उन्होंने गोरखपुर महोत्सव स्मारिका अभ्युदय २०२१ का विमोचन किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने महोत्सव/मेला परिसर में लगे स्टाल एवं प्रदर्शनी आदि का अवलोकन भी किया तथा कृषि विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में फार्म मशीनरी बैंक परियोजना के तहत विकास खण्ड भटहट के प्रकाश उत्पादक कृषि समिति भिसवा के अभय प्रताप सिंह तथा गंगा आजीविका स्वंय सहायता समूह की श्रीमती संगीता सिंह को टैक्टर की चाभी प्रदान किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने १०० दिव्यांगों को मोटराइज्ड साइकिल प्रदान किया तथा हरी झण्डी दिखाकर उन्हें रवाना किया। मुख्यमंत्री ने देश एवं दुनिया में गोरखपुर को गौरव दिलाने वाले १० महानुभावों को गोरखपुर रत्न सम्मान से सम्मानित किया। इसके पश्चात उन्होंने रामगढ़ताल के निकट ७५ मीटर (२४६ फीट) ऊंचाई का राष्ट्रीय ध्वज और पैडलेगंज से सर्किट हाउस रोड पर बनाये गये गौतम बुद्ध द्वार का वर्चुअल लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बताया कि मकर संक्रान्ति पर्व के अवसर पर एक १० रूपये का डाक टिकट जारी होगा जो गोरखपुर की पहचान होगा तथा उत्तर प्रदेश सरकार की डिजिटल डायरी का लोकार्पण भी होगा।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री ने महोत्सव के सफल आयोजन पर बधाई देते हुए कहा कि १६ जनवरी को प्रदेश/देश में प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में कोरोना के खिलाफ लड़ाई का अंतिम प्रहार कोरोना वैक्सीन के साथ ही प्रारम्भ हो रहा है इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री को बधाई दी तथा कहा कि पिछले वर्ष का लगभग ८० प्रतिशत भाग हमने कोरोना से लड़ते, जूझते, बचते हुए व्यतीत किया है लेकिन वर्ष २०२१ हमारे लिए शुभ समाचार लेकर आया है कि हम कोरोना के खिलाफ प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में यह लड़ाई मार्च २०२० से आरम्भ हुई और सफलता पूर्वक कोरोना प्रबंधन के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाते हुए एक-एक नागरिक के जीवन को बचाते हुए और उनकी जीविका को भी बचाने और नये अवसरों को प्रदान करने का कार्य किया गया है साथ-साथ कोरोना आने वाले समय में फिर से एक महामारी का रूप न लेने पाये इसको ब्रेक करने के लिए वैक्सीनेशन का कार्यक्रम प्रारम्भ हो रहा है, इस वैक्सीनेशन के कार्यक्रम का समाचार हर एक नागरिक के लिए प्रसन्नता प्रदान करने वाला क्षण है और मकर संक्रान्ति के तत्काल बाद यह कार्यक्रम प्रारम्भ होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले १० महीनों के दौरान हम लोगों ने जो मर्यादा, संयम और अनुशासन का पालन किया यही कोरोना पर हमारी विजय का सबसे बड़ा राज है। उन्होंने कहा कि जब खुशखबरी आती है तो महोत्सव जैसा होता है, गोरखपुर महोत्सव उस खुशखबरी की ही एक पहली मंजिल है जिसका आयोजन करने का गौरव गोरखपुर के प्रशासन को प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर महोत्सव के आयोजन में कोविड-१९ के प्रोटोकाल का पालन किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जीवन, उत्साह व उमंग का नाम है, हताशा और निराश का नही। हमें स्वदेशी आन्दोलन को आगे बढ़ाना है इसके लिए खादी, स्वच्छता एवं स्वावलम्बन को अपनाना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर विकास की ऊंचाई छू रहा है और प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से देश/प्रदेश तरक्की की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री जी ने वर्ष २०१६ में बीमारियों से निजात दिलाने हेतु गोरखपुर को एम्स दिया। उन्होंने बताया कि गोरखपुर में बन्द पिपराइच चीनी मिल प्रारम्भ हुई है, सड़कों का चैड़ीकरण कार्य तेजी से हो रहा है, चौड़ी सड़कों से जहां आवागमन सस्ता, सहज होता है वही विकास को आगे गति मिलती है। सकरी सड़कों के कारण जाम की स्थिति बनी रहती थी और समय, ईधन आदि की बरबादी होती थी। उन्होंने कहा कि कुशीनगर में इंटरनेशनल हवाई अड्डा बन रहा है, गोरखपुर में रामगढ़ताल स्थित है शीघ्र सी-प्लेन उतारा जायेगा यह एक आधुनिक सुविधा है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का प्रयास सकारात्मक होना चाहिए, सकारात्मक प्रयास ही निरन्तर नई प्रेरणा प्रदान करता है। विकास में व्यक्ति को बाधक नही बल्कि सहभागी बनना चाहिए। सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने से सफलता मिलती है।
मुख्यमंत्री आगे कहा कि विकास आज की आवश्यकता है, जीवन में यह परिवर्तन लाता है, सकारात्मक सोच ही जीवन में आगे बढ़ने के लिए सहयोगी होता है। उ०प्र० देश के अन्दर कुछ नया करने को दिखाई देता है, यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन का परिणाम है। उन्होंने बताया कि चैरी चैरा काण्ड ४ फरवरी १९२२ को हुआ था, चौरी चौरा सहित पूरे प्रदेश में हर शहीद स्मारक पर कुछ न कुछ कार्यक्रम शताब्दी वर्ष के अवसर पर मनाये जाने हेतु व्यापक कार्य योजना तैयार की जा रही है, आजादी की लड़ाई में आने वाले महापुरूषों को स्कूल कालेज के पाठ्यक्रम का हिस्सा भी बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि गोरखपुर के गौरव एवं लोक कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने वाले महान विभूतियों की सूची तैयार की जाये ताकि उन्हें सम्मानित किया जाये इससे नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि गोरखपुर जू शीघ्र प्रारम्भ होगा यह प्रदेश का सबसे खूबसूरत ज़ू होगा। उन्होंने बताया कि 2४ फरवरी को उ०प्र० दिवस का कार्यक्रम आयोजित होगा, यह कार्यक्रम वर्ष 2०18 से प्रारम्भ हुआ है, एक जनपद एक उत्पाद योजना संचालित की गयी है और यह योजना आत्मनिर्भर भारत का आधार बन रहा है।
इस अवसर पर मण्डलायुक्त जयन्त नार्लिकर/अध्यक्ष महोत्सव समिति ने मुख्य अतिथि सहित उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि महोत्सव में सभी विभागों की प्रदर्शनी, पूर्वान्चल के महापुरूषों की प्रदर्शनी, स्वदेशी, स्वावलम्बन एवं स्वच्छता पर आधारित प्रदर्शनी लगाई गयी है। गोरखपुर में विकास के अनेक कार्यक्रम हो रहे है, आडिटोरियम का कार्य पूर्ण हो चुका है, एम्स का निर्माण अंतिम चरण पर है, सभी विकास कार्यों को समयबद्ध एवं गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूर्ण कराया जा रहा है, विकास पर निरन्तर ध्यान दिया जा रहा है, विकास के लिए सद्भावपूर्ण वातावरण का सृजन हुआ है।
अंत में जिलाधिकारी के० विजयेन्द्र पाण्डियन ने मुख्य अतिथि सहित सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा० नीलकण्ठ तिवारी, सदर सांसद रविकिशन, सांसद बासगांव कमलेश पासवान, राज्यसभा सांसद जय प्रकाश निषाद, विधायक फतेह बहादुर सिंह, महेन्द्रपाल सिंह, संत प्रसाद, विपिन सिंह, डा० राधामोहन दास अग्रवाल, अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल आदि उपस्थित रहे। |
फ्रीजर और रेफ्रिजरेटर के बीच सबसे बड़ा अंतर रेफ्रिजरेशन तापमान रेंज का है। रेफ्रिजेरेटेड-फ्रीजर रूपांतरण कैबिनेट न केवल ताजा रख सकता है बल्कि त्वरित-फ्रीज भी कर सकता है।
फ्रीजर का तापमान -१६च--२६च होता है। इसका उपयोग जल्दी से जमे हुए भोजन, ठंडे पेय और लंबे समय तक मांस के लिए किया जाता है। इसे फ्रीजर में लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। फ्रीजर भोजन में नमी को ठंढ में संघनित करना आसान है। कुछ हद तक, इसे डीफ़्रॉस्ट किया जाना चाहिए। रेफ्रिजरेटर का तापमान २-१० है, जिससे यह भोजन को शीतदंश नहीं करेगा बल्कि ताजा रखने का भी प्रभाव डालता है। आप कुछ फल, सब्जियां, बियर और पेय डाल सकते हैं। फ्रीजर एक प्रकार का कम तापमान वाला रेफ्रिजरेशन और फ्रीजिंग उपकरण है जो डीप फ्रीजिंग प्रभाव को प्राप्त करता है। आमतौर पर फ्रीजर आदि कहा जाता है। फ्रीजर के कई उपयोग हैं, खाद्य उद्योग से लेकर चिकित्सा उद्योग आदि तक, इसका उपयोग किया जा सकता है। |
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कक्षा १० एनसीईआरटी हिंदी (कृतिका) अध्याय ५ मैं क्यों लिखता हूँ? |
इस साल मेगा ऑक्शन/नीलामी होने के चलते सभी टीमों में कई बड़े बड़े बदलाव हुए। बात पंजाब की करे तो इस टीम में पिछले सीजन की तुलना में काफी अंतर है। इस सीजन टीम के कप्तान मयंक अग्रवाल हैं। इस सीजन टीम की शुरुवात काफी अच्छी रही है। टीम ने आरसीबी के खिलाफ एक बड़ी जीत हासिल की। इस साबित होता है की टीम काफी संतुलन में है। टीम में मयंक अग्रवाल, शिखर धवन ,कागिसो रबाडा जैसे हरफनमौला खिलाड़ी मौजूद है।
पंजाब किंग्स(पक्स) फुल सक्वैड्स:- मयंक अग्रवाल(च) ,अर्शदीप सिंह, शिखर धवन, कगिसो रबाडा, जॉनी बेयरस्टो, राहुल चाहर, शाहरुख खान, हरप्रीत बराड़, प्रभसिमरन सिंह, जितेश शर्मा, लियाम लिविंगस्टोन, ओडियन स्मिथ, संदीप शर्मा, राज बावा, रिषि धवन, प्रेरक मांकड़, वैभव अरोड़ा, अंश पटेल, बलतेज ढांडा, रितिक चटर्जी, नाथन एलिस, अथर्व तायदे, भानुका राजापक्सा, बेन हॉवेल।
केकेआर आईपीएल की सफल टीमों की गिनती में आती है। इस टीम ने अब तक तीन सीजन में फाइनल खेले हैं और दो दफा चैंपियन भी रहे हैं। इस सीजन केकेआर की शुरुवात काफी अच्छी रही। इन्होंने अपने पहले मैच में ,पिछले सीजन के चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स को हराया , परन्तु अगले मैच में रैब के हाथो हर झेलना पड़ा | पिछले सीजन की तुलना में टीम कई बदलाव भी हैं परंतु टीम अब भी उतनी ही दमदार है।
श्रेयस अय्यर टीम की कप्तानी कर रहे हैं जो की पिछले सीजन दिल्ली की तरफ से खेल रहे थे और वहां के कप्तान भी थे। पिछले सीजन श्रेयस अय्यर चोटिल होने की वजह से कुछ मैचों के बाद आईपीएल से बाहर हो गए थे। टीम में श्रेयस अय्यर, वेंकटेश अय्यर, जैसे और भी कई हरफनमौला खिलाड़ी मौजूद है।
कोलकाता नाइट राइडर्स (क्क्र) फुल सक्वैड्स:- श्रेयस अय्यर(च), आंद्रे रसेल, वरुण चक्रवर्ती, वेंकटेश अय्यर, सुनील नरेन, पैट कमिंस, नितीश राणा, शिवम मावी, शेल्डन जैक्सन, अजिंक्य रहाणे, रिंकू सिंह, अनुकूल रॉय, रसिख डार, चमिका करुणारत्ने, बाबा इंद्रजीत, अशोक शर्मा, प्रथम सिंह, अभिजीत तोमर, सैम बिलिंग्स, एलेक्स हेल्स, रमेश कुमार, मोहम्मद नबी, अमन खान, उमेश यादव।
केकेआर और पंजाब ने आईपीएल के सभी सीजन को मिलाकर अब तक एक दूसरे के खिलाफ कुल २९ मुकाबले खेले हैं। जिसमे से केकेआर ने १९ मुकाबले अपने नाम किए हैं। पंजाब किंग्स ने केवल १० मुकाबलों में जीत हासिल की है। केकेआर का एक मैच में अब तक का उच्चतम स्कोर २४५ है। वही पंजाब ने एक मैच में सबसे ज्यादा २१४ रन बनाए हैं। आईपीएल के इतिहास में सबसे ज्यादा रन, एक मैच में आरसीबी ने बनाए हैं।
गेंदबाज :- सुनील नरेन, कगिसो रबाडा, उमेश यादव,
नोट:- खिलाड़ियों को चोट पड़ने , इमरजेंसी या ना उपलब्ध होने पर टीम में बदलाव किया जा सकता है। आईपीएल की ड्रीम ११ फैंटेसी टिप्स की जानकारी के लिए हमारे वेबसाइट रेगुलर विजिट करें। यदि आपके पास कोई अतिरिक्त सुझाव है, तो नीचे कमेंट सेक्शन में बेझिझक उल्लेख करें। साथ ही इसे दूसरों के साथ शेयर भी करें। |
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हम सूक्ष्म उद्यमियों को अंतिम उपयोगकर्ताओं को व्यापक, नवीन और प्रतिस्पर्धी पेशकश देने में सक्षम बनाते हैं। हमारे उद्यमी ग्राहकों को जोड़ने, नवीनतम सौदों को साझा करने और उन्हें ऑनलाइन ऑर्डर देने में मदद करने के लिए मंच का उपयोग करते हैं, जिससे अंतिम मील वितरण कुशल हो जाता है।
ग्रामीण भारत में आकांक्षाएं बढ़ रही हैं और हम इन क्षेत्रों में आवश्यक सेवाओं के प्रभावी वितरण को सुनिश्चित करने के लिए समय के खिलाफ दौड़ रहे हैं। रोजाना.इन का उद्देश्य देश के ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाना और उन्हें सूक्ष्म उद्यमियों के नेटवर्क के माध्यम से ऑनलाइन कॉमर्स से जोड़ना है, और भारत में अग्रणी प२प ग्रामीण वाणिज्य मंच बनने की कल्पना करना है। |
संवाददाता (पटना)। एक्शन हीरो सूरज सम्राट की धमाकेदार पारिवारिक मनोरंजक भोजपुरी फ़िल्म तेरी दुल्हन सजाऊँगी की शूटिंग सुरु हो गयी है। दिसम्बर के महीने में इस फ़िल्म का मुहूर्त किया था और शूटिंग की योजना नए साल में बनाई गई थी। पटना में फ़िल्म के घोषणा के बाद डेहरी ऑन सोन में शूटिंग का शुरुआत की गयी। इस दौरान सूरज सम्राट, तनु श्री, देव सिंह, बालेश्वर सिंह, संजय वर्मा, अरुण सिंह, आर.नरेंद्र, आशुतोष चौबे, कार्यकारी निर्माता संजय कुमार व अन्य मौजूद थे। फ़िल्म की शूटिंग खूबसूरत लोकेशन पर की जाएगी। इसमें भोजपुरी जगत के कई लोकप्रिय व चर्चित कलाकार देखने को मिलेंगे।
नीशू एंटरटेंमेंट प्रस्तुत इस फिल्म के निर्माता मां पार्वती फिल्मस एंटरटेंमेंट हैं,जबकि फिल्म के निर्देशक लाल जी श्रीवास्तव और मुख्य सह निर्देशक चंदन कश्यप हैं। इस फ़िल्म के लेखक रामचन्द्र सिंह, संगीतकार अमन श्लोक, गीतकार राजेश मिश्रा, रामचन्द्र सिंह, पंकज प्रियदर्शी हैं। फिल्म के डीओपी एम नागेंद्र, फाइट मास्टर प्रदीप खरका, आर्ट डायरेक्टर सिकंदर विश्वकर्मा, नृत्य निर्देशक मयंक, संतोष सर्वदर्शी,अशोक व अमन गुप्ता हैं।
फिल्म के कलाकारों में सूरज सम्राट, तनुश्री, मधु सिंह राजपूत, ब्रजेश त्रिपाठी, विनोद मिश्रा, देव सिंह, बालेश्वर सिंह, अरुण सिंह, के के गोस्वामी,श्रद्धा नवल, कल्याणी, अमित पाल बंटी, दिनेश पांडेय, राहुल श्रीवास्तव, धामा वर्मा, आशुतोष चौबे, आर नरेंद्र,सोनी पटेल, माही श्रीवास्तव, विद्या सिंह शामिल हैं।फ़िल्म के प्रचारक रामचंद्र यादव और कुमार युडी हैं।
अर्धांगिनी फेम दी फैमिली एक्शन हीरो सूरज सम्राट की इस साल कई आने वाली हैं।लेकिन सूरज सम्राट तेरी दुल्हन सजाऊंगी को लेकर बेहद ही उत्साहित हैं। बताया जाता है कि फ़िल्म की कहानी बहुत ही खास हैं। अर्धांगिनी की सफलता के बाद रातों रात स्टार का दर्जा पाकर खुशी तो है ही पर इस स्टारडम को बनाएं रखने के लिए बेहतर से बेहतर फ़िल्म करते रहने की जरूरत हैं। सूरज सम्राट ने कहा कि उम्मीद है कि अर्धांगिनी की तरह ही लोगो को यह फिल्म पसंद आएगी और उनकी पूरी कोशिश हैं कि तेरी दुल्हन सजाऊँगी अर्धांगिनी की तरह ही सुपर-डुपर हिट होगी। |
डिजिटल डेस्क, नागपुर। लिफ्ट लेना कभी-कभी बड़ा महंगा पड़ जाता है। लिफ्ट लेकर लूटे जाने की वारदात कई बार सामने आती है। बावजूद इसके लोग लिफ्ट के चक्कर में फंस जाते हैं। ऐसा ही एक वाकया शहर में उस समय सामने आया जब गोंदिया के एक युवक को एक मनोरोगी ने अपने साथी के साथ मिलकर मोटर साइकिल पर लिफ्ट दी और उसे लूट लिया। रास्ते में गाड़ी रोककर एक जगह सभी ने शीतपेय पिया। उसी दौरान युवक के गिलास में बेहोशी की दवा मिला दी। इसके बाद युवक को भांडेवाड़ी में ले जाकर पैसे निकाल लिए और उसे वहीं छोड़ दिया। स्थानीय लोगों ने युवक के घर वालों को फोन कर बुलाया, जिसके बाद पीड़ित को इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) में भर्ती करवाया गया। लूटने वाले आरोपी युवक पीड़ित को मेयो अस्पताल में मिले तो मामला उजागर हो गया। जांच में सामने आया है कि युवक को लूटने वाले मनोरोगी का २०१७ से उपचार मनोरोग विशेषज्ञ के पास चल रहा है।
जानकारी के अनुसार, गोंदिया निवासी एक १९ वर्षीय युवक मोर भवन पर शुक्रवार १९ अप्रैल को गोंदिया जाने का इंतजार कर रहा था। तभी बुधवारी और कलमना निवासी युवक मोटरसाइकिल से वहां पहुंचे। युवक से पूछा-कहां जाना है। उसके बताने पर कुछ दूर तक छोड़ने की बात कहकर उसे गाड़ी पर बैठा लिया। बीच रास्ते में एक जगह गाड़ी रोककर सभी ने पेय पदार्थ पिया। उस दौरान लिफ्ट देने वाले युवकों ने उस युवक को बेहोशी की दवा मिलाकर पिला दी। रास्ते में चक्कर आने से वह युवक बेहोश हो गया। तब तक वे भांडेवाड़ी पहुंच चुके थे। युवक को लूट कर दोनों फरार हो गए।
बाद में बेहोश पड़े युवक की तलाशी लेकर स्थानीय लोगों ने उसके घर के नंबर पर सूचना दी और उसे मेयो में भर्ती करवाया। लूटे गये युवक को अस्पताल परिसर में लूट करने वाला युवक मिल गया। हंगामा करने पर महाराष्ट्र सुरक्षा बल के जवानों ने उसे पकड़ लिया। इसके बाद युवकों को तहसील थाने ले जाया गया और देर रात तक बर्डी और तहसील थाने का विवाद चलता रहा कि यह मामला किस थाना अंतर्गत आएगा। इन सबके बीच यह पेंच फंस गया कि युवक गोंदिया का है और मजदूरी का काम करता है। इस वजह से परिजनों ने लिखकर दिया कि वह आरोपियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं करवाना चाहते है, क्योंकि प्रकरण दर्ज करवाने के बाद उन्हें नागपुर में सुनवाई के दौरान आना पड़ता।
डिजिटल डेस्क, मुंबई। ज्यादातर लोगों के लिए अपना घर होना, उनका सबसे बड़ा सपना होता है। यहां तक कि जब उनके पास पर्याप्त पैसे होते हैं ,और उस स्तर पर पहुंच जाते हैं जहां वे अपने लिए एक अलग घर बना सकते हैं, तो भी घबराहट और संदेह महसूस करते हैं कि चीजें कैसी होंगी।
वे जिस तनाव से गुज़रते हैं, उसके पीछे एक प्रमुख कारण घर बनाने में शामिल जटिल प्रक्रियाएँ हैं | ऐसे में एक कंपनी ने बिना किसी परेशानी या कठिनाई के लोगों के लिए अपना घर बनाना संभव कर दिया है।
हम यह सुनिश्चित करते हैं कि वे किसी भी संकट या असुविधा से न गुजरें जो निर्माण कार्य में शामिल हो , यह ग्राहक तय कर सकता है कि वह परियोजना से संबंधित दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में किस हद तक शामिल होना चाहता है। हम ग्राहक द्वारा प्रदान किए गए संक्षिप्त विवरण के आधार पर परामर्श प्रदान करते हैं और फिर सब कुछ का विश्लेषण करने के बाद उन्हें अनुमान देते हैं।
हम पारदर्शी मूल्य निर्धारण मॉडल पर काम करते हैं और लागत प्रभावी तरीके से काम करने के लिए जाने जाते हैं। एक प्रस्ताव को एक साथ रखते हुए, हम २-ड डिज़ाइन योजना तैयार करते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए ३-आयामी (३ड) डिज़ाइन प्रस्तुत करते हैं कि ग्राहक को इस बारे में अच्छी जानकारी हो कि उनका घर कैसा आकार लेगा ।
यह डिज़ाइन और बिल्ड सॉल्यूशन , सरकारी परेशानियां से निजात के साथ हमारे ग्राहक के लिए इस जगह में वास्तव में एंड-टू-एंड समाधान प्रदान करता है एक बार प्रोजेक्ट को ग्राहक द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद, हम इसके लिए स्पष्ट एवम परिभाषित योजना को संचालित करने की दिशा में काम करना शुरू कर देते हैं। हम अपने विशेषज्ञों के माध्यम से नये प्रस्ताव लाते हैं और फिर, निर्माण परियोजना के उद्देश्य के लिए आवश्यक सरकारी संपर्क, परमिट और प्रमाणन प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू करते हैं।
हमारी टीम में पेशेवर इंजीनियर और आर्किटेक्ट हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि काम सुचारू रूप से चल रहा है और समय पर पूरा हो जायेगा हम यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ निर्माताओं के साथ भी काम कर रहे हैं कि हमें सामग्री पर सर्वोत्तम मूल्य मिले और ग्राहकों को लाभ मिलेएक ही समय में कई ग्राहकों के साथ काम करने के बावजूद हैप्पो यह सुनिश्चित करता है कि काम की गुणवत्ता में तो कोई समझौता नहीं किया जायेगा । हैप्पो द्वारा दिया जाने वाला हर निर्माण प्रोजेक्ट ५ साल की सर्विस वारंटी के साथ आता है। कंपनी अपनी कोर टीम की नींव पर टिकी हुई है जो अत्यधिक अनुभवी और कुशल है। जबकि हैप्पो का मुख्य कार्यालय पुणे में स्थित है, कंपनी ने भारत के विभिन्न शहरों और कस्बों में निर्माण परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
पिताओं को अपने परिवार और बच्चों के साथ अधिक समय बिताने की आवश्यकता है। उनके पास उस प्रेम और देखभाल की कमी है जिसे केवल एक पिता ही प्रदान कर सकता है।
आप अपने रिश्तेदारी में वफ़ादार एवं प्रतिबद्ध होने के कारण दुसरे लोग आप पर निर्भर रहते है और आपसे मदद की अपेक्षा रखते है। ऐसा करते वक्त आप अपने विवेक में रहते है।
आपको जिन रिश्तों से अपने व्यक्तित्व एवं आज़ादी का समर्पण करना पड़े उनसे दूर रहने की सलाह दी जाती हैं। रिश्ता सहज एवं अच्छा लगने के बजाय कैद लगने लगे तो ऐसे रिश्तो से दूर रहना ही बेहेतर होगा। |
सीएम बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने स्वावलंबन और स्वरोजगार की दिशा में अपने कदम बढ़ाए हैं। राज्य सरकार ने गोबर, गोमूत्र की खरीदी शुरू की है। अब तक २० लाख क्विंटल वर्मी कंपोस्ट हम बना चुके हैं।
'गांधी, युवा और नए भारत की चुनौतियां" विषय पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री बघेल ने वाटर रिचार्जिंग के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले व्यक्ति और संस्था को अनुपम मिश्र पुरस्कार देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर के नाम पर भी पुरस्कार दिया जाएगा। कार्यक्रम में बघेल ने आशीष सिंह द्वारा लिखित पुस्तक 'सोनाखान १८५७" और आमिर हाशमी द्वारा लिखित पुस्तक 'जोहार गांधी" का भी विमोचन किया।
राजीव युवा मितान क्लब के लगभग साढ़े तीन हजार युवा सदस्यों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि पूरी दुनिया में जितनी भी क्रांति हुई है, वह युवाओं से हुई है। अन्याय के विरुद्ध प्रतिशोध की भावना जागृत हुई, परिवर्तन की अलख जगी। गांधीजी ने स्वावलंबन, प्रेम, सत्य और अहिंसा का रास्ता दिखाया और आजादी दिलाई। गांधीजी ने वस्त्र त्यागकर हिंदुस्तान की न्यूनतम आवश्यकताओं की परंपरा का निर्वहन किया। अगर आगे बढ़ना है, तो हमें भी न्यूनतम आवश्यकताएं रखनी चाहिए। उन्होंने युवाओं से कहा कि अपना समय और ऊर्जा नए विचारों और कामों के लिए खर्च करें।
गांधीजी चाहते थे कि युवा आत्मनिर्भर बनें, स्वावलंबी बनें, आगे बढ़ें। गांधीजी ने अहिंसा, सत्य और प्रेम से लड़ाई लड़ी। मेहनत और समर्पण से स्व-रोजगार गढ़कर स्वावलंबी बनना ही गांधीजी का रास्ता है। उन्होंने जरूरतमंद और पीड़ित मानवता की सेवा का रास्ता दिखाया। बघेल ने भेंट-मुलाकात के दौरान मिले बालोद के युवा किसान दिव्यांग धुर्वे का उदाहरण देकर युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि मेहनतकश स्व-सहायता समूहों की बहनों के चेहरे पर जो आत्मविश्वास का भाव है, वह हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। मेहनत से आत्मविश्वास आता है, जिससे बड़ी से बड़ी लड़ाई जीती जा सकती है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि आज का दिन महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद करने का दिन है। महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में जिन चीजों का प्रयोग किया, वह सभी वर्धा में स्थित मगन संग्रहालय में हैं। उन्होंने चरखा, कृषि औजारों पर लगातार शोध करवाया। गांधीजी ने कर्म और श्रम का सम्मान किया। वे किसानों के बीच जाकर खेतों में काम करते थे। चरखा चलाकर उन्होंने बुनकर का सम्मान किया। इसी तरह गांधीजी ने मेहनत और श्रम का सम्मान किया। श्रम के सम्मान से लाखों-करोड़ों लोग जुड़े और एकजुट होकर खड़े हुए, जिन्हें हराना मुश्किल था। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सामाजिक और आर्थिक रूप से आजादी प्राप्त करना अभी बाकी हैं। युवा हमारी ताकत हैं। युवा ऊर्जा को दिशा देने की जरूरत है। उन्हें अवसर देने के लिए सामूहिक और संगठित होकर प्रयास करने की जरूरत है।
सीएम बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने स्वावलंबन और स्वरोजगार की दिशा में अपने कदम बढ़ाए हैं। राज्य सरकार ने गोबर, गोमूत्र की खरीदी शुरू की है। अब तक २० लाख क्विंटल वर्मी कंपोस्ट हम बना चुके हैं। पूरे देश में सबसे ज्यादा आठ हजार ५०० खाद बनाने की फैक्ट्री हमारे यहां है। इससे हमारा प्रदेश जैविक राज्य की ओर बढ़ रहा है। नौजवान जैविक कृषि से जुड़कर लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी कई काम हो रहे हैं। हमने वाटर रिचार्जिंग करना शुरू किया। हमने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से बचने के लिए किसानों से पैरा दान की अपील की। इससे जल, जंगल, जमीन की उपयोगिता बढ़ी है। |
नेहा कक्कड़ (नेहा कक्कर) बॉलीवुड की जानी मानी गायिका हैं। आजकल लगभग हर तीसरी चौथी फिल्म में नेहा का गाया गाना होता है। वैसे नेहा सोशल मीडिया पर भी बहुत एक्टिव रहती हैं। यहां वे मस्ती भरे अंदाज में फैंस को दिखाई देती हैं। गाने के अलावा नेहा को नाचने का बड़ा शौक है। हाल ही में वे अपने भाई टोनी कक्कड़ (टोनी कक्कर) के सॉन्ग कुड़ी तू चॉकलेट है (कुड़ी तू चॉकलेट हैं) पर झूमते हुए नजर आई।
अपने भाई के गाने को प्रमोट करते हुए नेहा ने चमचमाती सुनहरी ड्रेस पहन दो चार अदाएं दिखाई। नेहा का यह रूप फैंस को बड़ा पसंद आ रहा है। खासकर उनके चेहरे के एक्सप्रेशंस बहुत सही लग रहे हैं। नेहा के इस वीडियो को महज तीन घंटे में पांच लाख से ज्यादा व्यू मिल गए हैं। इस गाने का वीडियो शेयर कर नेहा ने कैप्शन में लिखा कुड़ी तू चॉकलेट क्या गाना है.. टोनी कक्कड़ भाईयू। शानदार परफॉरमेंस।
इस वीडियो को देखने के बाद नेहा के फैंस ने कमेंट सेक्शन में तारीफ़ों के पूल बांध दिए। हर कोई नेहा के इस वीडियो का दीवाना हो गया।
याद दिला दें कि इसके पहले नेहा डायमंड दा छल्ला (डायमंड डा छल्ला) गाने को लेकर चर्चा में थी। यह सॉन्ग उन्होंने पंजाबी सुपरस्टार परवेश वर्मा के साथ किया था। गाने में दोनों की जोड़ी कमाल की लग रही थी।
नेहा कक्कड़ जल्द ही सनी कौशल (सुननी कौशल) और जुबिन नौतियाल (जुबीन नौतीयल) के साथ तारों का शहर नाम के एक म्यूजिक वीडियो में नजर आएंगी। ये गाना भी जल्द रिलीज होगा जिसका प्रोमो लोगों को पसंद आ रहा है। |
शाहगंज(जौनपुर) मंगलवार को तहसील परिसर में अपर जिलाधिकारी राम प्रकाश के अध्यक्षता में समाधान दिवस का आयोजन किया गया।
आज सम्पूर्ण समाधान दिवस में जन समस्याओं पर सुनवाई के साथजिसमे प्रार्थना पत्रों मौके पर निस्तारण किया गया। एवं अन्य प्रार्थना पत्रों को उपजिलाधिकारी राजेश कुमार वर्मा ने अपने मातहतों को निर्देश देते हुए कहा की समस्त प्रार्थना पत्रों को जल्द से जल्द निस्तारित किया जाय।
उक्त अवसर पर तहसीलदार अभिषेक कुमार, क्षेत्राधिकारी जितेंद्र कुमार दुबे सहित तहसील के कानून गो,लेखपाल आदि उपस्थित रहे। |
देहरादून मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देश में कोविड टीकाकरण की २०० करोड़ डोज का आंकड़ा पार करने की उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पिछले दो वर्षों में हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना महामारी का डटकर मुकाबला किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कोविड वैक्सीनेशन का सबसे बड़ा और सफल अभियान संचालित किया है। भारत ने मानवता का परिचय देते हुए दुनिया भर में भारतीय वैक्सीन बांटने का कार्य भी किया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा कोविड टीकाकरण अमृत महोत्सव का शुभारंभ किया गया है। उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील करते हुए कहा कि १८ वर्ष से ऊपर है सभी नागरिक कोविड प्रीकॉशन डोज अवश्य लगवाएं और अन्य लोगों को भी प्रोत्साहित करें। |
धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने के आरोपी नरसिंहानंद गिरी को जमानत मिल गई। प्रभारी सत्र न्यायाधीश द्वितीय, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश भारत भूषण पांडेय ने सशर्त नरसिंहानंद गिरी की जमानत याचिका स्वीकार की। भविष्य में समाज में भड़काऊ भाषण देकर नफरत न फैलाने की चेतावनी दी।
उत्तरी हरिद्वार के एक आश्रम में आयोजित तीन दिवसीय धर्म संसद में वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी और स्वामी नरसिंहानंद गिरी पर समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप था। इस मामले में नगर कोतवाली क्षेत्र में दोनों के अलावा कई संतों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।
पुलिस ने १५ जनवरी को भड़काऊ भाषण देने के मामले में नरसिंहानंद गिरी को गिरफ्तार कर लिया। जबकि इससे पूर्व रिजवी की गिरफ्तारी हुई। रिजवी की गिरफ्तारी के विरोध में सर्वानंद घाट पर नरसिंहानंद गिरी धरने पर बैठे थे। पुलिस ने उनको वहीं से गिरफ्तार किया।
आरोपी स्वामी नरसिंहानंद की जमानत याचिका पर सोमवार को न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपी की जमानत याचिका स्वीकार कर ली है। स्वामी नरसिंहानंद के खिलाफ एक अन्य मुकदमा भी दर्ज है। जिसमें अभी जमानत नहीं हुई है। |
दयाबेन और नटूकाका के बिना खत्म होगा तारक मेहता का उल्टा चश्मा? डायरेक्टर की पत्नी प्रिया आहूजा ने दी प्रतिक्रिया!
होम/हिन्दी/जिसे सब समझ रहे थे छोटा मोटा एक्टर वो निकला नसीरुद्दीन शाह का बेटा, कर चूका है सुपर हिट फिल्म में काम!
जिसे सब समझ रहे थे छोटा मोटा एक्टर वो निकला नसीरुद्दीन शाह का बेटा, कर चूका है सुपर हिट फिल्म में काम!
दोस्तों बॉलीवुड के जानेमाने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह अपने ज़माने के बहुत ही शानदार अभिनेताओं में से एक हैं। आज नसीरुद्दीन शाह को किसी पहचान की जरूरत नहीं है। २० जुलाई १९४९ को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में उनका जन्म हुआ। शाह की एक्टिंग के कायल सभी लोग हैं।
बता दे की अपनी एक्टिंग के दम पर ही शाह को पद्मश्री पुरस्कार और पद्म भूषण जैसे बड़े पुरस्कारों से नवाजा गया है।आज पूरी दुनिया में उनके करोड़ों फैन हैं। लेकिन आज आपको नसीरुद्दीन शाह के बेटे के बारे में बता रहे है जो हिट फिल्मो में काम कर चूका हैं। बता दे की अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के बेटे का नाम विवान शाह है।
बता दे की विवान शाह देखने में काफी हैंडसम हैं और वह आए दिन अपनी तस्वीरों को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा में रहते हैं बता दें कि विवान शाह ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत फराह खान द्वारा निर्धारित फिल्म, हैप्पी न्यू ईयर से की थी, इस फिल्म में विवान शाह के अभिनय को दर्शकों ने काफी पसंद किया था, और इस फिल्म से विवान शाह को एक अलग पहचान मिली।
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होम/हिन्दी/पत्नी संग फिल्म की प्रमोशन करने रियलिटी शो पहुंचे अजय, ट्रेडिशनल लुक में दिखा काजोल का खूबसूरत अंदाज़!
पत्नी संग फिल्म की प्रमोशन करने रियलिटी शो पहुंचे अजय, ट्रेडिशनल लुक में दिखा काजोल का खूबसूरत अंदाज़!
दोस्तों बॉलीवुड फिल्म जगत के सिंघम अभिनेता अजय देवगन और काजल अपनी अपकमिंग फिल्म तानाजी: द अनसंग वॉरियर को लेकर खबरों में बने हुए है। दोनों सितारे साथ-मिलकर फिल्म जोरो से प्रमोशन लगे हुए है। हाल ही में अजय काजल को टीवी के एक रियलिटी शो में प्रमोशन के लिए पहुंचे। इस दौरान कपल की जबरदस्त बॉन्डिंग देखने को मिली।
इस दौरान दोनों कलाकारों ने इंडियन आइडल सीजन ११ के सेट पर भी शिरकत की और शो में हिस्सा ले रहे सभी प्रतियोगियों का उत्साह वर्धन किया। स्टार्स की ये तस्वीरें टीवी शो इंडियल आइडल के सेट की है। जहां दोनों टीवी शो के जज्स और प्रतियोगियों के साथ बेहद खुश नजर आ रहे हैं। रेड लिपस्टिक, माथे पर बिंदी और बीच से पोर्शन कर बालों का बन एक्ट्रेस के लुक को चार-चांद लगा रहा है।
इस दौरान काजल मैरून कलर की खूबसूरत साड़ी में बेहद गॉर्जियस दिखाई दे रही हैं। साड़ी के साथ काजल ने मैचिंग ज्वेलरी पहनी हुई है। वहीं उनके साथ अजय देवगन ब्लैक जैकेट और ब्लू डेनिम में नजर आ रहे हैं। लुक को कैरी करते हुए कपल कैमरे के सामने जबरदस्त केमिस्ट्री क्रिएट कर रहा है।
बता दें अजय की तानाजी: द अनसंग वॉरियर फिल्म इंडस्ट्री में १००वीं फिल्म है। इस फिल्म के जरिए कपल ११ साल बाद एक एक-साथ काम करते नजर आएंगे। फिल्म में काजल, अजय देवगन के अलावा सैफ अली खान भी अहम किरदार में शामिल है। फिल्म का डायरेक्शन ओम राउत ने किया है।
१७वीं शताब्दी पर बनी यह फिल्म मराठा सरदार और छत्रपति शिवाजी महाराज के पक्के मित्र रहे तानाजी मालसुरे की जिंदगी पर आधारित है। इस फिल्म में सैफ अली खान विलन उदयभान के किरदार में हैं। इसके अलावा फिल्म में शिवाजी महाराज के रोल में शरद केलकर, जीजामाता के रोल में पद्मावती राव नजर आएंगी। डायरेक्टर ओम राउत की यह फिल्म १० जनवरी २०२० को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। बता दें कि यह फिल्म दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक से बॉक्स ऑफिस पर टकराएगी।
प्रेवियस विक्की कौशल और आयुष्मान बने बेस्ट एक्टर, व्हीलचेयर पर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टेस अवॉर्ड लेने पहुंचीं सुरेखा सीकरी!
नेक्स्ट बार्बी डॉल बनने के चक्कर में बुरी तरह बिगाड़ लिया चेहरा, लगवाए १७ एसिड लिप इंजेक्शन!
अरबाज़ से तलाक लेने के एक रात पहले क्या हुआ था मलाइका के साथ, जब तय हो गया था अरबाज खान से तलाक!
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पावरग्रिड असिस्टेंट ऑफिसर ट्रेनी रिक्रूटमेन्ट २०२२ | पावरग्रिड सहायक अधिकारी प्रशिक्षु भर्ती २०२२ ( पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ) के द्वारा भारत के महिला पुरुष अभ्यर्थी से जो नौकरी करने के इच्छुक है राज्यों के अलग-अलग विभागों, राजस्व व निगमों में रिक्त पदों हेतु सीधी भर्ती रोजगार समाचार के लिए ऑनलाइन आवेदन जारी कर दी गयी है सरकारी नौकरी पाने की सपना देख रहे है तो इन पदों के लिए पावरग्रिड सहायक अधिकारी प्रशिक्षु नौकरी २०२२ के लिए पावरग्रिड असिस्टेंट ऑफिसर ट्रेनी नव एम्पलॉयमत न्यूज जॉब्स प्रकाशित किया है नौकरी से जुडी सारी विज्ञापन इस पोस्ट में नीचे दिए हुए जिनके बारे में पढ़ना ना भूले।
इस भर्ती पावरग्रिड असिस्टेंट ऑफिसर ट्रेनी रिक्रूटमेन्ट २०२२ सूचना से सम्बंधित समस्त जानकारी जैसे शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा दक्षता, वेतनमान,परीक्षा शुल्क, तथा चयन प्रक्रिया की जानकारी करेंटक्क्विज़.इन के इस पोस्ट में दी गयी है।
शैक्षणिक योग्यता :- इस पावरग्रिड सहायक अधिकारी प्रशिक्षु भर्ती २०२२ में शैक्षणिक योग्यता उम्मीदवारों को किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से सीए/आईसीडब्ल्यूए (सीएमए) पास होना चाहिए। सम्बंधित समस्त जानकारी लिए कृपया विभाग द्वारा नोटिफिकेशन देखें।
आयु सीमा :- इस पावरग्रिड असिस्टेंट ऑफिसर ट्रेनी जॉब्स २०२२ भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवार की आयु ३१ जनवरी २०२२ को २८ वर्ष तक होना चाहिए। आयु सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए विभाग का ऑफिसियल नोटिफिकेशन देखे।
वेतनमान :- इस पावरग्रिड सहायक अधिकारी प्रशिक्षु भर्ती २०२२ में सैलरी निर्देशित नहीं है। सैलेरी की अधिक जानकारी नोटिफिकेशन से प्राप्त कर सकते है।
आवेदन शुल्क :- इस पावरग्रिड असिस्टेंट ऑफिसर ट्रेनी ऑनलाइन फॉर्म २०२२ भर्ती के लिए आवेदन शुल्क अन्य सभी के लिए ५००/- एससी / एसटी / पीडब्ल्यूडी और पूर्व-एसएम के लिए कोई शुल्क नहीं कोई शुल्क नहीं आवेदन शुल्क सम्बंधित जानकारी के लिए प्रकाशित नोटिफिकेशन जरूर देंखे।
ऐसे करें आवेदन :- इस भर्ती के लिये इच्छुक व पात्र उम्मीदवार जो भर्ती हेतु अहर्ता मापदण्ड की पात्रता रखते है निर्धारित प्रारूप में शैक्षणिक एवं आवश्यक दस्तावेजों की आवेदन ऑनलाइन अप्लाई कर सकते है ऑफिसियल नोटिफिकेशन में दिए गए पते पर निर्धारित तिथि तक आवेदन कर सकते है।
महत्वपूर्ण सूचना :- पावरग्रिड असिस्टेंट ऑफिसर ट्रेनी रिक्रूटमेन्ट २०२२ से जुडी सभी दस्तावेजों और ऑफिसियल विज्ञापन देखना ना भूले सरकारी नौकरी के लिए नियमित रूप से हमारे वेबसाइट पर विजिट करते रहे।
करेंट जीके क्विज में आप प्रतिदिन नए नए तरह की जनरल नॉलेज, सरकारी नौकरी, एडमिट कार्ड, सिलेबस, टाइम टेबल की जानकारी और परीक्षा परीक्षा परिणाम की जानकारी ले सकते है। |
१ परमेश्वर की मनुष्य से, और जो उसका अनुसरण करते हैं उनसे, सही अपेक्षाएँ निम्नानुसार हैं। परमेश्वर की उनसे पाँच अपेक्षाएँ हैं जो उसका अनुसरण करते हैं: सच्चा विश्वास, निष्ठापूर्ण अनुकरण, पूर्ण समर्पण, सच्चा ज्ञान और हार्दिक आदर। परमेश्वर चाहता है कि लोग उससे अब और प्रश्न न करें, और न ही अपनी कल्पना या अस्पष्ट और अमूर्त दृष्टिकोण का उपयोग करके उसका अनुसरण करें; उन्हें किन्हीं भी कल्पनाओं या धारणाओं के साथ परमेश्वर का अनुसरण कतई नहीं करना चाहिए। परमेश्वर चाहता है कि जो उसका अनुसरण करते हैं, वे सभी ऐसा पूरी वफादारी से करें, आधे-अधूरे मन से या बिना किसी प्रतिबद्धता के नहीं करें। जब परमेश्वर तुमसे कोई अपेक्षा करता है, या तुम्हारा परीक्षण करता है, तुमसे निपटता या तुम्हें तराशता है, या तुम्हें अनुशासित करता और दंड देता है, तो तुम्हें पूर्ण रूप से उसके प्रति समर्पण कर देना चाहिए। तुम्हें कारण नहीं पूछना चाहिए, या शर्तें नहीं रखनी चाहिए, और तुम्हें तर्क तो बिल्कुल नहीं करना चाहिए। तुम्हारी आज्ञाकारिता चरम होनी चाहिए।
२ जब उस ज्ञान की बात आती है जो परमेश्वर चाहता है कि लोगों में हो, वह मात्र यह नहीं कहता कि तुम उसे और उसके वचनों को पहचानो, बल्कि यह कि परमेश्वर का तुम्हारा ज्ञान सही हो। भले ही तुम केवल एक वाक्य बोल सको, या केवल थोड़ा सा ही जानते हो, तो यह थोड़ा सा जानना सही और सच्चा हो, और स्वयं परमेश्वर के सार के अनुकूल हो। ऐसा इसलिए क्योंकि परमेश्वर लोगों की अवास्तविक और अविवेकी स्तुति और सराहना से घृणा करता है। उससे भी अधिक, जब लोग उससे हवा की तरह बर्ताव करते हैं तो वह इससे घृणा करता है। जब परमेश्वर के बारे में विषयों की चर्चा के दौरान, लोग तथ्यों की परवाह न करते हुए बात करते हैं, जैसा चाहे वैसा और बेझिझक बोलते हैं, जैसा उन्हें ठीक लगे वैसा बोलते हैं तो वह इससे घृणा करता है; इसके अलावा, वह उनसे नफ़रत करता है जो यह मानते हैं कि वे परमेश्वर को जानते हैं, और उससे संबन्धित अपने ज्ञान के बारे में डींगे मारते हैं, उससे संबन्धित विषयों पर बिना किसी रुकावट या विचार किए चर्चा करते हैं।
३ जो लोग परमेश्वर का अनुसरण करते हैं, परमेश्वर उनसे हार्दिक श्रद्धा की परम अपेक्षा रखता है। जब किसी को परमेश्वर का सही और सच्चा ज्ञान होता है, तो वह परमेश्वर का सच में आदर करने और बुराई से दूर रहने में सक्षम होता है। यह आदर उसके हृदय की गहराई से आता है; यह आदर स्वैच्छिक दिया जाता है, और परमेश्वर द्वारा डाले गए दबाव के परिणामस्वरूप नहीं। परमेश्वर यह नहीं कहता कि तुम उसे किसी अच्छी प्रवृत्ति, या आचरण, या बाहरी व्यवहार का कोई उपहार दो; उसके बजाय, वह कहता है कि तुम अपने हृदय की गहराई से उसका आदर करो और उससे डरो। यह आदर तुम्हारे जीवन स्वभाव में बदलाव, परमेश्वर का ज्ञान और परमेश्वर के कर्मों की समझ प्राप्त करने, परमेश्वर का सार समझने और तुम्हारे द्वारा इस तथ्य को स्वीकार करने के परिणामस्वरूप आता है कि तुम परमेश्वर के प्राणियों में से एक हो।
परमेश्वर की ओर से एक आशीर्वादपाप से बचने और बिना आंसू और दर्द के एक सुंदर जीवन जीने का मौका पाने के लिए प्रभु की वापसी का स्वागत करना। क्या आप अपने परिवार के साथ यह आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं?
कॉपीराइट २०२२ सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया। सर्वाधिकार सुरक्षित। |
नई दिल्ली। इन दिनों आप भी शहर के प्रदूषण से परेशान हो गए हैं और कहीं घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं, तो हम आपको कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताते हैं जहां की हवा बिल्कुल शुद्ध है और सर्दियों को छुट्टियां मनाने जा सकते हैं।
आप यहां पर सर्दियों में घूमने के लिए जा सकते हैं। इस खूबसूरत जगह पर आप बहुत कम खर्च कर यहां की सुंदरता देख सकते हैं। आईजोल में घूमने वाली कई खूबसूरत जगहें हैं जहां पर घूम सकते हैं। आईजोल में खावंगलांग वन्यजीव अभ्यारण्य, वानत्वांग वाटरफॉल्स, तामडील झील, बुर्रा बाज़ार, मिज़ोरम स्टेट म्यूज़ियम, डर्टलांग पहाड़ियां, रेइक हेरिटेज गांव बेहद सुंदर हैं जहां की प्राकृतिक सुंदरता देख सकते हैं।
आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम एक खूबसूरत शहर है। यहां समुद्र किनारे स्थित समुद्री बीच लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां पर भी कई मशहूर जगहें हैं जहां आप घूमने जा सकते हैं।
तमिलनाडु के कोयम्बटूर की हवा भी बिल्कुल शुद्ध है। इस शहर को दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है। यहां पर घूमने वाली कई जगहें हैं। पश्चिमी घाट पर ५०० फीट की ऊंचाई पर मरुधमलाई मंदिर स्थित है जो प्रमुख है। इसके साथ ही कोयम्बटूर में आदियोगी शिव स्टेचू, वैदेही फॉल्स, कोवई कोंडट्टाम, पेरूर पाटेश्वरर मंदिर, सिरुवानी झरना पर घूमने जा सकते हैं।
आंध्र प्रदेश का अमरावती अपनी प्राकृति सुंदरता के लिए मशहूर हैं। यहां पर प्रमुख तीर्थ स्थल और विरासत भवन प्रसिद्ध हैं। यहां पर भीम कुण्ड, अम्बादेवी मंदिर, हरिकेन प्वॉइंट, छत्री तालाब, वडाली तालाब और सतीधाम मंदिर जैसी खूबसूरत जगहों पर घूमने का मजा ले सकते हैं।
कर्नाटक में दावणगेरे स्थित है। यह शहर प्राकृतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के मशहूर है। भारत की सबसे शुद्ध हवा वाली जगहों में यह शहर शामिल है। यहां पर कुंडुवाड़ा केरे, ईश्वर मंदिर, बाथी गुड्डा, बेतुर और बागली जैसी जगहों पर जा घूमने जा सकते हैं। |
राजस्थान चो रिक्रूटमेन्ट २०२२ राजस्थान में सीएचओ के ३५३१ पदों पर निकली बंपर भर्ती, आवेदन ०८ नवंबर से शुरू : राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा राजस्थान में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर भर्ती २०२२ का आधिकारिक विज्ञापन जारी कर दिया गया है। राजस्थान सीएचओ भर्ती २०२२ के अंतर्गत कुल ३५३१ पद रखे गए हैं। राजस्थान कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर भर्ती संविदा आधारित होगी। जिसमें ३०७१ पद नॉन टीएसपी के रखे गए है और ४६० पद टीएसपी रखे के लिए रखे गए हैं। राजस्थान सीएचओ भर्ती २०२२ के लिए ऑनलाइन आवेदन ०८ नवंबर से शुरू होकर ०७ दिसंबर २०२२ तक भरे जाएंगे। राजस्थान सीएचओ भर्ती २०२२ के शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा, आवेदन शुल्क और चयन प्रक्रिया की संपूर्ण जानकारी नीचे दी गई है। अभ्यर्थी आवेदन करने से पूर्व एक बार ऑफिशल नोटिफिकेशन जरूर पढ़ लें।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित राजस्थान सीएचओ भर्ती २०२२ के लिए आवेदन करने हेतु उम्मीदवार की न्यूनतम आयु सीमा २१ वर्ष और अधिकतम ३५ वर्ष तक रखी गई है। इसके लिए आयु की गणना अंतिम तिथि के अनुसार की जाएगी।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित राजस्थान सीएचओ भर्ती २०२२ के लिए आवेदन करने हेतु आवेदन शुल्क इस प्रकार से रखी गई है।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित राजस्थान सीएचओ भर्ती २०२२ के लिए आवेदन करने हेतु उम्मीदवार को सामुदायिक स्वास्थ्य या नर्स (जीएनएम या बीएससी) या आयुर्वेद चिकित्सक (बीएएमएस) के साथ-साथ राजस्थान नर्सिंग काउंसिल में बीएससी होना चाहिए या बोर्ड ऑफ इंडिया मेडिकल राजस्थान में पंजीकृत हो,
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित राजस्थान सीएचओ भर्ती २०२२ के लिए अभ्यर्थियों का चयन लिखित परीक्षा और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन ऑल फाइनल मेरिट लिस्ट के आधार पर किया जाएगा।
राजस्थान सीएचओ भर्ती २०२२ के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें? राजस्थान सीएचओ भर्ती २०२२ के लिए ऑनलाइन आवेदन करने का पूरा प्रोसेस हम नीचे स्टेप बाई स्टेप बता रहे हैं।
सबसे पहले आपको विभाग की ऑफिशल वेबसाइट पर जाना है।
अब आपको होम पेज पर लॉगइन या रजिस्टर करना है।
लॉग इन करने के पश्चात में आपको अप्लाई ऑनलाइन पर क्लिक करना है।
इसके बाद आपको आवेदन फॉर्म में पूछी गई संपूर्ण जानकारी भरनी है।
इसके बाद आपको अपने आवश्यक दस्तावेज फोटो सिग्नेचर अपलोड करने हैं।
अब आपको आवेदन शुल्क का भुगतान करना है।
अंत में सबमिट बटन पर क्लिक करना है, और फॉर्म का प्रिंट आउट निकाल लेना है।
राजस्थान कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर भर्ती २०२२ ऑनलाइन आवेदन ०७ दिसंबर २०२२ तक भरे जायेंगे।
राजस्थान सीएचओ भर्ती २०२२ के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की संपूर्ण विशेष और डायरेक्ट लिंक पर दिया गया है।
राजस्थान हाई कोर्ट लैक एक्सम दते २०२२ राजस्थान हाई कोर्ट एलडीसी एग्जाम डेट २०२२ का इंतजार खत्म, चेक करें एग्जाम डेट यहाँ से, |
मसीहा हुसिंग श्शमे गुजरात गुजरात में कार्य करने वाले मजदूर-वर्ग के हितों को देखते हुये सूबे की सरकार द्वारा मसीहा हाउसिंग स्कीम (मसीहा हुसिंग श्शमे) की घोषणा की गई ३ मार्च, २०२१ को। राज्य सरकार का बजट पेश करते हुये उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल द्वारा इसे घोषित किया गया।
इसका वास्तविक नाम मुख्यमंत्री औद्दौगिक श्रमयोगी एवं इंडस्ट्रियल हाउसिंग आवास योजना है। इसे ही संक्षेप में गुजरात सरकार की मसीहा हाउसिंग योजना कहा जाता है। पीपीपी मॉडल (प्प मॉडल) पर आधारित यह योजना गुजरात में काम करने वाले कामगारों को उनके कार्यस्थल के निकट ही आवास उपलब्ध कराने के लिये है।
गौरतलब है कि अभी कोरोना संकट में लगे लॉकडाउन के दौरान मजदूर-वर्ग में काफ़ी उथल-पुथल देखी गई। इस दौर में मची अफरातफरी में जाने कितने मजदूर अपना काम जैसे का तैसा छोड़कर अपने वतन चले गये थे। इससे न केवल कारखानों का उत्पादन बेहद प्रभावित हुआ, मजदूरों को भी तमाम संकट झेलने पड़े। इसके मद्देनज़र ही गुजरात सरकार द्वारा मसीहा आवास योजना लाई गई। ताकि मजदूरों को उनके काम करने की जगह के नजदीक ही रियायती दर पर आवास प्रदान करने की व्यवस्था की जा सके। शुरुआती तौर पर गुजरात सरकार द्वारा इस योजना के लिये करीब डेढ़ हजार करोड़ रूपये की व्यवस्था की गई।
गुजरात सरकार के मसीहा हाउसिंग योजना के तहत आवास प्राप्त करने के इच्छुक लाभार्थियों को इसके लिये आवेदन करना होता है। आवेदन करने के लिये कुछ ज़ुरूरी अर्हतायें भी निश्चित की गई हैं। इसके लिये सबसे पहले तो आपको गुजरात के श्रम विभाग में एक पंजीकृत (रजिस्टेर्ड) मजदूर होना चाहिये। फिर यह भी अनिवार्य है कि आपको गुजरात में ही स्थित किसी उद्दोग में कार्यरत होना चाहिये। और आपके पास स्वयं अथवा परिवार के नाम कोई मकान नहीं होना चाहिये।
उपरोक्त अर्हतायें या योग्यतायें पूरी करने वाले गुजरात के मजदूर मसीहा आवास योजना के लिये ऑनलाइन (ऑनलाइन) आवेदन कर सकते हैं। इसके लिये ज़ुरूरी दस्तावेज़ों में उनके पास आधार कार्ड, लेबर कार्ड(लबर कार्ड), गुजरात में स्थित किसी उद्दोग में कार्यरत होने संबंधी प्रमाण-पत्र और नया पासपोर्ट साइज़ फोटो होना चाहिये। इसके बाद मसीहा आवास योजना के अंतर्गत ऑनलाइन (ऑनलाइन) आवेदन काफ़ी सहज है, और यह बहुत कुछ प्रधानमंत्री आवास योजना की तरह ही है। जिसमें आपको आवश्यक दस्तावेज़ों को संलग्न कर मांगे गये ज़ुरूरी विवरण भरकर सबमिट (सुब्मित) करने होते हैं।
उपरोक्त जानकारी से स्पष्ट है कि गुजरात सरकार की मसीहा आवास योजना अथवा इसके सिवा मजदूरों के लिये चलाई जाने वाली किसी अन्य जनकल्याणकारी योजना का लाभ पाने के लिये दूसरी सामान्य अर्हताओं के अलावा सबसे ज़ुरूरी है लाभार्थी का श्रम विभाग में पंजीकृत (रजिस्टेर्ड) होना। जिसके बाद आपको लेबर कार्ड (लबर कार्ड) के रूप में एक श्रमिक होने की वैध पहचान हासिल हो जाती है। गुजरात श्रमिक कार्ड या लेबर कार्ड के लिये ऑनलाइन(ऑनलाइन) व ऑफलाइन (ऑफ्लीन) दोनों तरह से आवेदन किया जा सकता है। इसके लिये आयु-सीमा १८ से ४० वर्ष तक है।
पंजीकरण के बाद कोई व्यक्ति सरकार द्वारा मजदूरों के हित में चलाई जा रही तमाम योजनाओं, जैसे मजदूरों को मकान, बिजली कनेक्शन(पॉवर कनेक्शन),चिकित्सीय सेवाओं, दुर्घटना बीमा, महिलाओं संबंधी योजनाओं आदि का लाभ आसानी से उठा सकता है। महिलाओं को इसके तहत प्रसव के समय पंद्रह हजार रूपये की सरकारी सहायता मिलती है।मजदूरों के बच्चों को साइकिल प्रदान की जाती है। अगर कोई मजदूर विकलांगता का शिकार होता है, तो उसे सरकार द्वारा आर्थिक मदद मिलती है। इसके अलावा पंजीकरण के बाद मजदूर द्वारा चलाई जा रही किसी बीमा योजना का भुगतान भी सरकार करती है। और किसी कारणवश यदि मजदूर की मृत्यु हो जाती है, तो सरकार उसके परिवार को डेढ़ लाख रूपये की आर्थिक मदद मुहैया कराती है। कुल मिलाकर श्रमिक अथवा लेबर कार्ड(लबर कार्ड) होने से हर पंजीकृत मजदूर की कमजोर आर्थिक दशा में सुधार होता है।
गुजरात में श्रमिक कार्ड बनवाने के लिये किसी भी क्षेत्र का हर कामगार आवेदन कर सकता है। जैसे राजमिस्त्री, बढ़ई, लोहार, रंगाई-पुताई करने वाले, हथौड़ा चलाने वाले, बांध बनाने वाले, सड़क निर्माण करने वाले, रोलर चलाने वाले, ईंट भट्ठों पर काम करने वाले, भवन निर्माण करने वाले, छप्पर छाने वाले, सेटरिंग(सेटरिंग) का काम करने वाले या फिर नरेगा के मजदूर।
गुजरात श्रमिक कार्ड योजना में आवेदन करने के लिये व्यक्ति के पास कुछ दस्तावेज़ होने चाहिये। इनमें उसका आधार कार्ड, पहचान पत्र, बैंक खाता, जाति प्रमाण-पत्र, राशन कार्ड, मूल निवास प्रमाण-पत्र, पासपोर्ट साइज़ फोटो, मोबाइल नंबर होना चाहिये। और इसके अलावा अभ्यर्थी के पास नरेगा का जॉब-कार्ड(जॉब-कार्ड) या किसी ठेकेदार के पास काम करने का प्रमाण भी होना चाहिये।
गुजरात श्रमिक कार्ड के लिये जैसा कि पहले ही ज़िक्र किया जा चुका है, कि ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों तरह की प्रक्रिया मौज़ूद है। पर जो मजदूर या व्यक्ति ऑफलाइन प्रक्रिया के तहत श्रम विभाग जाकर आवेदन करने के बाद बार-बार दफ़्तरों के चक्कर नहीं लगाना चाहते, उनके लिये ऑनलाइन व्यवस्था भी है।जिस भी व्यक्ति को गुजरात श्रमिक कार्ड या लेबर कार्ड के लिये ऑनलाइन आवेदन करना हो, वह अपने नजदीकी ई-मित्रा'(ए-मित्र) ग्राहक सेवा केंद्र(क्स्क) पर जाकर ऐसा आसानी के साथ कर सकता है। इसके अलावा आप स्वयं भी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इंटरनेट(इंटरनेट) की मदद से लेबर कार्ड'(लबर कार्ड) के लिये आवेदन कर सकते हैं।
श्रम विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट (ऑफिशियल वेबसाइट) पर जाते ही आपके सामने इसका मुख्य पेज खुलकर आता है, यहां आपको नया पंजीकरण (नव रजिस्ट्रेशन) वाले विकल्प पर क्लिक (क्लिक) करना होता है। इसके बाद जो दूसरा पेज आपके सामने खुलकर आता है इसमें आपको अपने कुछ विवरण, जैसे नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि आदि जानकारियां भरनी होती हैं। इसे भरकर ओके'(ओक) कर देने के बाद अगले पेज पर आवेदक को मांगे गये दस्तावेज़ों को अपलोड(उपलोड) करके सबमिट यानी जमा कर देना होता है। इसके बाद फिर आपके सामने खुलकर आये पेज पर कुछ अन्य जानकारियां भरकर ओके'(ओक) करना होता है। और इस तरह गुजरात श्रमिक कार्ड या लेबर कार्ड के लिये आपका आवेदन पूरा हो जाता है।
इस तरह साफ है कि गुजरात सरकार की मसीहा आवास योजना हो अथवा मजदूरों के निमित्त चलाई जाने वाली कोई भी अन्य जनकल्याणकारी योजना, श्रमिक कार्ड बनवाकर उनका आसानी से लाभ उठाया जा सकता है। |
क्रिकेट न्यूज़ डेस्क। टीम इंडिया न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन वनडे मैचों की सीरीज खेलने वाली है । सीरीज का पहला मैच शुक्रवार को खेला जाएगा। न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के तहत शिखर धवन कप्तानी करते हुए नजर आएंगे। शिखर धवन के पास वनडे सीरीज के तहत वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स का बड़ा रिकॉर्ड तोड़ने का मौका रहने वाला है।
शिखर धवन अगर कल ऑकलैंड के मैदान पर न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले वनडे मैच में ५० रन बना लेते हैं तो वह वनडे क्रिकेट में सबस ज्यादा रन बनाने वाले बल्लबाजों की लिस्ट में वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज विवियन रिर्चड्स को भी पीछे छोड़ देंगे।धवन के नाम फिलहाल १६१ वनडे मैचों में ६६७२ रन बनाने का रिकॉर्ड है ।
शिखर धवन अगर ५० रन और बना लेते हैं तो उनके वनडे क्रिकेट में ६,७२२ रन हो जाएंगे।ऐसे में वह वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की लिस्ट में विवियन रिचर्ड्स से आगे निकल जाएंगे। विवियन रिचर्ड्स ने १८७ मैचों में ६721 रन बनाए थे।
शिखर धवन के हाथों में कप्तानी तो रहने वाली ही है , वह न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में सलामी बल्लेबाज की भूमिका निभाते हुए नजर आएंगे।शिखर धवन के हाथों में कप्तानी तो रहने वाली ही है , वह न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में सलामी बल्लेबाज की भूमिका निभाते हुए नजर आएंगे। अगले साल होने वाले वनडे विश्व कप के लिहाज से धवन के लिए न्यूजीलैंड दौरे पर होने वाली सीरीज काफी अहम रहने वाली है। शिखर धवन दमदार प्रदर्शन करते हुए विश्व कप के लिए अपनी दावेदारी को मजबूत करना चाहेंगे।
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टेहरी की शिवरात्रि ?
जय शिव शंभो -- जय शिव शंभो , जय शिव शंभो --हरे हरे ई जय त्रिपुरारि - जय त्रिपुरारि -- जय त्रिपुरारि हरे हरे . किसी आखरी दौर की सर्द सुबह को उठते थे ,तो यही शब्द लाऊडस्पीकर की आवाज बनकर , कानों में गूंजते थे ?
कभी कभी ऐसे लगता है, कि जैसे अभी कल की ही बात है ,सन साथ सत्तर के दशक की या फिर ७०-८० के दशक की ( क्योंकि ८३ में तो टेहरी छोड़ दी थी और नौकरी व छुट्टी की गलत टाईमिंग की वजह से फिर कोई शिवरात्रि और जन्माष्टमी नसीब नहीं हुई ). अपनी बोली -भाषा में, लोग कई दिन पहले से ही यह पूछने लग जाते थे कि ऐंसू बरत / बर्त कब --- अर्थात शिवरात्रि ? अपनी भाषा में हम इस त्यौहार को इसी नाम से जानते -पहचानते या बुलाते थे जबकि कैलेंडरों में लिखा होता था ---महाशिवरात्रि . शहर छोटा हो या बड़ा पर आस्था ,धर्म और भक्ति हम सबकी एक ही थी फिर चाहे टेहरी हो या श्रीनगर या उत्तरकाशी रहा हो ?
तो फिर होते करते बात एक दिन पहले पर आ जाती --- भोळ बरत त फिर लियान कुई साग भुज्जी ---अर भगवान म चढोण का वास्ता कुछ फल फूल ? क्योंकि कल दुकानदारों ने २० प्रतिशत भाव बढ़ा देना था . तो फिर घर के सभी मासूम बच्चों को एकसाथ इकठ्ठा करके या बुलाकर यह सवाल पूछा जाता था कि, भोळ कै- कैकु भाई बर्त ? . लड़कियां थोड़ा भावुक और धार्मिक अधिक होती थी तो बेचारी जल्दी ही हाँ कह देती थी पर कुल दीपक थोड़ी दुविधा में रहते थे कि, हाँ कहें या ना ?
फिर कोई पिता कहता कि, चलो बच्चों के लिए खिचड़ी बना देना ,दिन के लिए क्योंकि रात में तो उस दिन घर में दो चार पकवान तो बनने ही थे हलवा ,रायता, पूरी ,आल्लु के गुटके या साग ,कद्दू की भुज्जी या अगर रायता है तो फिर एक आध पालक या पिंडालु वगैरा की सूखी भुज्जी ? बर्त सालभर का त्यौहार होता है तो उस दिन का मीनू थोड़ा अलग होता था और पास पड़ोस के किसी घर या रिश्तेदार के यहाँ अगर सालभर तक चलनेवाला गम है तो उनके यहाँ भी खाना भेजना होता था ,जिसे स्थानीय भाषा में परोसा कहा जाता था और थोड़ा थोड़ा भेजने के बाद भी उनके बेचारों के यहाँ इतना खाना जमा हो जाता कि, कौन खाता ? यही हमारी ,संस्कृति ,परंपरा और रिवाज था ?
तो शिवरात्रि के दिन स्कूल और दफ्तरों में छुट्टी रहती थी तो माताओं और थोड़ी बड़ी बहनों के दिन की शुरुआत सुबह ४ बजे से शुरू होनेवाले मंगल स्नान अर्थात गंगा में डुबकी लगाने के साथ होती थी ,जो अपनी सुविधा के हिसाब से ५-६-७ बजे तक चलता रहता था . पर्व -त्यौहार के दिन ,गंगा स्नान में साबुन का प्रयोग वर्जित होता है तो फिर नाक कान बंद करके ,कमर तक के पानी में २-३ डुबकी लगाओ या फिर किनारे में पानी में उकडू बैठकर या किसी पत्थर पर बैठकर, किसी तरह साहस करके फटाफट २-४ लोटे पानी डालो और ठंड का भय भगाने के लिए साथ में हर हर गंगे बोलो या महादेव बोलो और लो ,हो गया आस्था का पावन पर्व शुरू ? घर के आँगन में लटकी गीली धोती , सुबह देर से उठनेवालों को ,उनका स्नान हो जाने की सूचना देती थी ? मुझे लगता है कि, टेहरी के शिवमंदिर से जुड़ी ,दिल के किसी कोने में छुपी उन सुनहरी स्मृतियों को ,उस शहर से जुड़ा हर व्यक्ति आज भी याद करता होगा ,जब वो दुनियाँ के किसी भी कोने में हर हर महादेव कह रहा होगा ?
सुमन चौक के शुरू में स्थित सत्येश्वर महादेव का मंदिर और उसका वह स्वयंभू शिवलिंग, कहते हैं कि ,जिसकी जड़ का कोई पता नहीं था ,आज सबकी श्रद्धा ,आस्था ,भक्ति , विश्वास और मनोकामना का केंद्र होता था . सब अपने परिवार की खैर मांगते थे ,हर हर महादेव और जय शिवशंभो कहकर . मंदिर से उठती कीर्तन की स्वर लहरी फिर पूरी भिलंगना नदी की घाटी में ही नहीं तैरती थी बल्कि आसपास की पहाड़ियों में भी गूंजती थी और उसके साथ ही महंत सोमवार गिरीजी का शंखनाद ----हर हर महादेव ? मंदिर के अंदर रंग बिरंगे परिधानों में सजी सुहासिनें ,शिवलिंग पर गंगाजल और बेलपत्र चढ़ाती हुई , जगमग करते दिये ,अगरबत्ती और धूप की महक ,माथे पर चंदन का तिलक और फूलों के बोझ से दबे भोले शंकर ,जिनके मस्तक पर पानी और ढूध की धारा से निरंतर अभिषेक हो रहा है और वह धतूरे का लंबा श्वेत पुष्प और उसके वो गोल फल और कनेर के पीले फूल भी भीग रहे हैं ? और साथ ही चूड़ियों की रुनझुन के बीच एक हाथ से कभी नथ संभाली जा रही है तो कभी लाल साड़ी का माथे पर सजा पल्ला और या फिर लाल पीले नगों से सजी गोल नथ ,जो उनके सुहाग की निशानी है और उनके दूसरे हाथ में पूजा की थाली है. चढ़ावे के बाद फिर मंदिर के अंदर भी परिक्रमा करनी है और बाहर भी और फिर उस शिवलिंग को छूकर बहते जल में हाथ लगाकर उसे अपने बालों से स्पर्शकर स्वयं का भी अभिषेक करना है दुबारा से बाबा का आशिर्वाद लेना है ,स्वयं से स्वयं का और बेटे बेटे को भी कहना है, बाबा नमस्कार कर भगवान को और फिर खुद भी कहना है, बाबा इस पर अपनी दया दृष्टि बनाए रखना ? और क्या मांगता था कोई उस ज़माने में ?
मंदिर के प्रांगण में एक चबूतरा था ,जिसके ऊपर आज टीन का छप्पर होता था और उसके नीचे लाल हरी नीली पीली कागज़ की झंडियाँ ,जो हवा से फड़फड़ाकर नर्तन करती थी और मंदिर के प्रांगण से लेकर सीढियों तक उनकी कतार होती थी . वहां भोले बाबा की एक बड़ी सी तस्वीर रखी है ,आगे फल-फूलों के नैवेद्य की थाली है , धूप और अगरबत्तियां जल रही हैं और थोड़ा सा बाजू में माईक के पीछे हारोनियम और ढोलक लेकर कीर्तनकार बैठे हैं और उनके सामने हाथ जोड़कर भक्त बैठे हैं और बाबा की जयकार गूंज रही है, हारमोनियम पर पहले कीर्तनकार गाता है ,ढोलक पर थाप पड़त तेज हो जाते हैं और कभी मध्यम ,स्वरों के आरोह अवरोह का यह क्रम दिनभर चलता रहता है . माताओं बहनों के लिए चबूतरे के सामने ,पीपल के पेड़ के पीछे स्थित भवन के बरामदे में एक मोटी दरी बिछी होती थी ? |
यदि आप अपनी वेट लॉस जर्नी पर हैं तो कैलोरीज़ को लेकर ज़रूर चिंतित रहती होंगी। मगर अब नहीं, क्योंकि हमारे पास जवाब है आपके कैलोरी काउंट से जुड़े सभी सवालों का।
जब भी वज़न घटाने की बात आती है सारी चर्चा कैलोरी काउंट पर आकार रुक जाती है। फिट चाहे वो एक्सरसाइज़ करने कैलोरी बर्न (कलोरी बर्न) करना हो या दिन भर में सीमित कैलोरीज का सेवन करना। फ़िटनेस से लेकर डाइट तक कैलोरी हर जगह मुख्य भूमिका निभाती हैं और हो भी क्यों न आखिर सारा वेट लॉस सिर्फ कैलोरी इंटेक (कलोरी इन्टके) और बर्न कैलोरी पर ही निर्भर करता है।
स्वस्थ वजन बनाए रखने का तरीका यह है कि आपके द्वारा खाये जाने वाली कैलोरी को आपके शरीर द्वारा बर्न की जाने वाली मात्रा के साथ संतुलित किया जाए। मगर यह कैसे पता चलेगा आपको कितनी कैलोरी चाहिए? वेट लॉस के दौरान कितनी कैलोरीज लेना सही है? एक दिन में कितनी कैलोरी बर्न की जानी चाहिए?
मेयोक्लीनिक के अनुसार भोजन में कैलोरी का मतलब ऊर्जा से है। आपके शरीर को दिनभर कार्य करने के लिए ऊर्जा की ज़रूरत होती है हमें खाने से मिलती है। कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन ऐसे पोषक तत्व हैं जिनमें कैलोरी होती है और ये आपके शरीर के लिए मुख्य ऊर्जा स्रोत हैं। आप जो कैलोरी खाते हैं वह या तो शारीरिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है या शरीर में वसा के रूप में जमा हो जाती है।
ये कैलोरी आपके शरीर में वसा के रूप में तब तक रहेंगी जब तक आप इसका उपयोग नहीं करते। यही कैलोरी मोटापे का कारण बनती है जब बर्न नहीं होती। और यदि आप ज़्यादा फ़िज़िकल एक्टिविटी (फिजिकल एक्टिविटी) कर लेते हैं बजाय खाना खाने के तो वज़न घटने लगता है।
नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ के अनुसार महिलाओं के लिए दैनिक कैलोरी का सेवन प्रतिदिन २,००० कैलोरी और पुरुषों के लिए २,५०० है। दिनभर में इतनी कैलोरी का सेवन करना हमारे लिए पर्याप्त है और हेल्दी भी। मगर जब वज़न कम करने की बात आती है, तो एक्सपर्ट के सुझाव के बाद हम अपना कैलोरी इंटेक कम भी कर सकते हैं।
हेल्दी वेट बनाए रखने के लिए आपको कितनी कैलोरीज की है ज़रूरत. चित्र शटरस्टॉक।
हर व्यक्ति का कैलोरी इंटेक अलग हो सकता है, लेकिन हेल्दी रहने के लिए इतना इंटेक काफी है।
कैलोरी कम करने के लिए क्या किया जा सकता है?
तो वज़न कम करने के लिए कितनी कैलोरीज़ कम करनी चाहिए?
मेयो क्लीनिक के अनुसार यदि आप अपनी नॉर्मल डाइट (नॉर्मल डाइट) से एक दिन में लगभग ५०० कैलोरी कम करते हैं, तो आप प्रति सप्ताह लगभग आधा से १ पाउंड लूज कर सकती हैं। मगर यह आपके शरीर, आप कितना वजन कम करना चाहती हैं, लिंग और एक्टिविटी के स्तर पर निर्भर करता है।
प्रकृति में गंभीर और ख्यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखती हूं।
बस एक क्लिक पर साइन अप कर आप वो सारी सामग्री सुरक्षित रख सकते हैं, जिन्हें आप बाद में पढ़ना चाहें। और एक जरूरी बात, निशुल्क आहार योजना, व्यायाम योजना और मेडिटेशन के खास सेशन यहां आपके इंतजार में हैं। |
काँच, पॉर्सेलेन, प्लास्टिक, नॉयलोन, लकड़ी जैसी अधिकांश अधातुएँ अपने से होकर प्रवाहित होने वाली विद्युत पर उच्च प्रतिरोध लगाती हैं। इन्हें विद्युतरोधी कहते हैं।
जब हम किसी आवेशित वस्तु को पृथ्वी के संपर्क में लाते हैं तो उसका अतिरिक्त आवेश जोड़ने वाले चालक (जैसे हमारा शरीर) में से होते हुए क्षणिक विद्युत धारा उत्पन्न करके भूमि में चला जाता है। आवेशों के भूमि के साथ बंटन की इस प्रक्रिया को भूसंपर्कण (भूसंपर्कित करना) कहते हैं।
भूसंपर्कण विद्युत परिपथों एवं अनुप्रयुक्तियों की सुरक्षा के लिए की गई एक व्यवस्था है। धातु की एक मोटी प्लेट को भूमि में गहराई तक गाड़ा जाता है तथा इस प्लेट से मोटे तारों को निकालकर भवनों में इन तारों का उपयोग मुख्य आपूर्ति के निकट भूसंपर्कण के लिए किया जाता हैं।
एक तीसरी श्रेणी जिसे अर्धचालक कहते हैं, आवेशों की गति में अवरोध उत्पन्न करती है। इस अवरोध का परिमाण चालकों तथा विद्युतरोधियों के मध्यवर्ती होता है। |
हे ईश्वर, मुझे जांच कर जान ले! मुझे परख कर मेरी चिन्ताओं को जान ले!और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर!
परमेश्वर हमें जानते हैं। हम उसके साथ बनावटी बनकर नहीं रह सकते जो हम हैं नहीं। वह हमने अंदर बाहर से, आप पार से जानते हैं । यह हमें उसके साथ एक अनूठे मात्रा की घनिष्टता की छूट देना चाहियें, पर हुमेंसे कई इस प्रकार की करीबी सम्बन्ध अपने पिता के साथ बनाने से बचना चाहते हैं । यदि हमारी चाहत, फिरभी, और अधिक उस के सामान होने की हैं, तो एक मात्र तरीका हैं बदलाव का यह हैं की उस अपने हृदय में, हमारी धारणाएं, और इच्छायें देखने के लिए आमंत्रित करें।
हे परमेश्वर मैं जनता हूँ की आप वो हो जो "दिलों को और मानों को खोजतें हो।" फिरभी क्योकि येशु में जो अनुग्रह आप मुझ पर दिखते हैं, मुझे आत्मविश्वास हैं की आप मुझसे प्यार करते हैं। मेरा हृदय माफ़ी चाहता हैं उन पापों के लिए जो मैंने किये हैं, पर मैं सच में आपकी सेवा आदर से और शुद्धता से करने की कोशिश कर रहा हूँ । कृपया मुझे अपनी आत्मा से भरे की मैं और अधिक मसीह के नाई बन सकू। आपके पवित्र पुत्र के नामसे प्रार्थना करता हूँ। अमिन।
आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है। |
गुम है किसी के प्यार में' की कहानी अब अलग मोड़ लेने वाली है।
सवि और विनायक के बीच कड़वाहट पैदा होने लगी है। सवि हर मामले में विनायक को टक्कर देने की कोशिश कर रही है।
ऐसे में यह बात विराट को परेशान कर रही है। विराट नहीं चाहता है की उसके किसी भी फैसले से सवि और विनायक का भविष्य बर्बाद हो।
ऐसे में विराट चाहेगा की सवि और विनायक एक साथ मिल-जुलकर रहें।
आज के एपिसोड में विराट फैसला लेगा की सवि और विनायक को एक ही स्कूल में पढ़ाया जाए यह बात सुनते ही पत्रलेखा (पाखी) के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी।
पाखी तुरंत सई से अकेले मिलने जाएगी और उसे शहर छोड़कर जाने के लिए कहेगी।
सई ये बात मानने से मना कर देगी। तभी विराट वहां आ जाएगा और पाखी पर अपना गुस्सा निकालने की पूरी कोशिश करेगा।
फिलहाल तो यह देखना दिलचस्प होगा की विराट को अपने पास लाने के लिए पाखी और क्या-क्या प्लानिंग करने वाली है?
'गुम है किसी के प्यार में' के नए एपिसोड में में कई धमाकेदार ट्विस्ट आने वाले हैं।
आज रात विराट ऐसा फैसला लेने वाला है की पाखी खुद को संभाल नहीं पाएगी और वह अकेले में सई से मिलने की प्लानिंग करेगी। |
इस सरकारी नौकरी अधिसूचना गोवत जॉब्स न्यूज पर आवेदन करने की अंतिम तिथि १५-११-२०२२ निर्धारित है। इच्छुक उम्मीदवार जो इंदौर क्ग जॉब्स सरकारी नौकरी २०२३ ऑफिशियल नोटिफिकेशन में दिये गये पात्रताओं को पूर्ण करते हों, वे अंतिम तिथि या उससे पहले तक विभाग को अपना आवेदन ऑनलाइन माध्यम से प्रस्तुत कर सकते हैं। इस म्प व्यापाम वैकन्सी पर अन्य सभी विवरण जैसे शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा, आवेदन प्रक्रिया, अनुभव एवं चयन प्रक्रिया की जानकारी नीचे दी गई है। मध्य प्रदेश जॉब्स की नवीनतम जानकारी के लिए एल्कजॉब्स.कॉम पर प्रतिदिन विजिट करें।
योग्यता, वेतनमान एवं आयु सीमा (एलिगिबिलिटी, सलेरी & आगे लीमित) मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल भर्ती म्प व्यापाम वैकन्सी पर आवेदन करने के लिए आवेदक के पास किसी मान्यता प्राप्त संस्था/विश्वविद्यालय से संबंधित विषय/क्षेत्र में १२त/इति/ग्रेजुएट/समकक्ष होना चाहिए। इस म्प व्यापाम गोवत जॉब के लिए चयनित अभ्यर्थियों को विभाग द्वारा निर्धारित वेतनमान ३४८०० एवं अन्य भत्ते प्रदान किये जाएंगे। म्प व्यापाम म्प्पेब रिक्रूटमेन्ट पर आवेदन करने के लिए आवेदक की आयु ३७ वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
आवेदन कैसे करें (हॉ तो आप्प्ली) म्प व्यापाम रिक्रूटमेन्ट २०२२-२३ पर ऑनलाइन माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। मध्य प्रदेश प्रोफेश्नल एक्समिनेशन बोर्ड वैकन्सी पर आवेदन शुल्क रूपये सामान्य वर्ग के लिए ५००, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए ५०० एवं अजा/अजजा वर्ग के लिए २५० निर्धारित किया गया है। जिसका भुगतान आपको विज्ञापन में दिये गये निर्देशानुसार करना होगा। |
रूप रिक्रूटमेन्ट २०२०-२१- रेल व्हील प्लांट (रेल व्हील प्लांट) ने विभाग में रिक्त पदों के लिए सरकारी नौकरी भर्ती एम्पलॉयमट न्यूज विज्ञापन जारी किया है। इस सरकारी नौकरी अधिसूचना गोवत जॉब अलर्ट पर आवेदन करने की अंतिम तिथि १४-०१-20२१ निर्धारित है। रूप रिक्रूटमेन्ट पर अन्य सभी विवरण जैसे शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा, आवेदन प्रक्रिया, अनुभव एवं चयन प्रक्रिया की जानकारी नीचे दी गई है। रोजगार की नवीनतम जानकारी के लिए एल्कजॉब्स.कॉम पर प्रतिदिन विजिट करें।
योग्यता, वेतनमान एवं आयु सीमा (एलिगिबिलिटी, सलेरी & आगे लीमित) रेल व्हील प्लांट भर्ती रूप वैकन्सी पर आवेदन करने के लिए आवेदक के पास किसी मान्यता प्राप्त संस्था/विश्वविद्यालय से संबंधित विषय/क्षेत्र में डिप्लोमा/ इंजीनियरिंग डिग्री//समकक्ष होना चाहिए। इस रूप रोज़गर समाचार के लिए चयनित अभ्यर्थियों को विभाग द्वारा निर्धारित वेतनमान ९०००/- एवं अन्य भत्ते प्रदान किये जाएंगे। रूप रिक्रूटमेन्ट पर आवेदन करने के लिए आवेदक की आयु नियामानुसर वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
आवेदन कैसे करें (हॉ तो आप्प्ली) रूप रिक्रूटमेन्ट २०२०-२१ पर ऑनलाइन माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। रेल व्हील प्लांट वैकन्सी पर आवेदन शुल्क रूपये सामान्य वर्ग के लिए कोई आवेदन शुल्क नहीं है, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोई आवेदन शुल्क नहीं है एवं अजा/अजजा वर्ग के लिए कोई आवेदन शुल्क नहीं है निर्धारित किया गया है। जिसका भुगतान आपको विज्ञापन में दिये गये निर्देशानुसार करना होगा।
ऑफिशियल नोटिफिकेशन यहां से डाऊनलोड करें (डावनलोड लिंक) रेल व्हील प्लांट वैकन्सी २०२० विज्ञापन से संबंधित पद, योग्यता, निर्देश और आवेदन प्रारूप का विवरण नीचे दिये गये लिंक से रूप पफ डाउनलोड कर देख सकते हैं। |
मेरे पिता, ६६ वर्षीय, गंभीर सिरदर्द का अनुभव कर रहे हैं, विशेष रूप से माथे के किनारों पर और पिछले ६ महीनों से कभी-कभी धुंधली दृष्टि हो जाती है। वह भूख न लगने की भी शिकायत करते है। डॉक्टर को आर्टेराइटिस का शक है और उन्होंने स्टेरॉयड दिया है। क्या यह सही इलाज है? मैं अन्य विशेषज्ञों से राय लेना चाहता हूं। कृपया मदद करें !
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नई दिल्ली: भारतीय सेना ने १०वीं पास युवाओं के लिए कई पदों पर भर्ती की सूचना जारी की है। पश्चिमी कमान के चीफ सिग्नल ऑफिसर (सीएसओ) ने इस भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके अनुसार सिविलियन स्विच बोर्ड ऑपरेटर (क्स्बो ग्रेड ई) के १७ पदों पर भर्ती का आयोजन किया जाएगा।
योग्य उम्मीदवार १९ जून, २०२२ तक ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस पद के लिए उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा, शारीरिक क्षमता परीक्षण और मेडिकल टेस्ट के आधार पर किया जाएगा. आइए जानते हैं इस भर्ती से जुड़ी अहम बातों के बारे में।
वेस्टर्न कमांड की अधिसूचना के अनुसार सिविलियन स्विच बोर्ड ऑपरेटर (क्स्बो) के पद पर भर्ती की योजना है. कुल १७ पदों पर भर्ती की जाएगी। श्रेणी के अनुसार रिक्ति देखने के लिए आपको अधिसूचना देखने की जरूरत है। भर्ती आवेदन के लिए एक ऑफ़लाइन प्रक्रिया चल रही है और उम्मीदवारों को १९ जून २०२२ से पहले आवेदन करना होगा।
भारतीय सेना में इस पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार को किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से १०वीं पास होना चाहिए। इसके अलावा उन्हें प्राइवेट बोर्ड एक्सचेंज (पीबीएक्स) को संभालने का अनुभव होना चाहिए।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप नोटिफिकेशन देख सकते हैं। जहां तक आयु सीमा का सवाल है, पंजीकृत उम्मीदवार की आयु १८ से २५ वर्ष के बीच होनी चाहिए।
ऐसे करे आवेदन? |
गुजरात में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन की ओर बढ़ रही कांग्रेस! गुजरात में भाजपा का दमदार प्रदर्शन, १५०+ पर आगे हिमाचल: भाजपा या कांग्रेस, कौन चल रहा आगे? गुजरात की इस सीट पर ओवैसी की पार्टी ने पहुंचाया कांग्रेस को बड़ा नुकसान क्या हिमाचल में त्रिशंकु विधानसभा के आसार हैं? वीरमगाम: कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हार्दिक पटेल कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं? गुजरात: भाजपा की बहार, कांग्रेस पिछड़ी एमसीडी मतगणना: आप ने बहुमत का आंकड़ा हासिल किया रिश्तों का खून: बाप ने सुपारी देकर कराई बेटे की हत्या! दिल्ली नगर निगम चुनाव: भाजपा ने १०, आप ने ६ सीटों पर जीत दर्ज की रिजर्व बैंक ने रेपो दर ०.३५ प्रतिशत बढ़ाई, यह होगा आपकी जेब पर असर पर कतरने की तैयारी कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद भड़का क्या गुजरात चुनाव परिणामों का कर्नाटक चुनावों पर होगा असर? सिद्दरामैया ने यह कहा एग्जिट पोल: गुजरात की तरह कर्नाटक में भी सत्ता में वापसी कर सकेगी भाजपा? बोम्मई ने दिया यह जवाब कर्नाटक सरकार राज्य के अंदर और बाहर कन्नडिगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध: बोम्मई अफगानिस्तान: सड़क किनारे बम धमाका कर पेट्रोलियम कंपनी के ७ कर्मचारियों को बस समेत उड़ाया भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर, विश्व बैंक ने वृद्धि दर अनुमान इतना बढ़ाया सीमा विवाद: महाराष्ट्र के मंत्रियों के बेलगावी जाने की संभावना नहीं! बाबरी विध्वंस के तीन दशक बाद अब क्या कहते हैं अयोध्या के लोग? जनता की प्रतिक्रिया गुजरात और हिप्र के एग्जिट पोल: भाजपा की सत्ता जारी या कांग्रेस की बारी? बोम्मई ने 'सीएफआई समर्थक' भित्तिचित्रों के जिम्मेदारों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया आर्थिक अपराधों को रोकने वाली प्रौद्योगिकी अपनाने में आगे रहे डीआरआई: मोदी बोम्मई ने सीमा विवाद के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से मंत्रियों को बेलगावी नहीं भेजने के लिए कहा गुजरात विधानसभा चुनाव: दूसरे चरण में ११ बजे तक १९.1७ प्रतिशत मतदान इज़राइल की खुफिया एजेंसी के लिए काम करने वाले ४ लोगों को ईरान ने फांसी दी गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में अब तक कितना मतदान हुआ? अतिथि सत्कार एएससी टोरनेडोज़ ने विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए दिखाया दम केनरा बैंक ने ४ प्रतिष्ठित आईबीए पुरस्कार जीते अब तमिलनाडु में दिव्यांगजन को कितनी पेंशन मिलेगी? सीटी रवि का कांग्रेस पर पलटवार- देशद्रोहियों के लिए मोदी 'भस्मासुर' कर्नाटक में भाजपा की जनसंकल्प यात्रा को मिल रहा है व्यापक समर्थन: बोम्मई भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस शुरू करेगी हाथ से हाथ जोड़ो अभियान पाक में ताबड़तोड़ आतंकी हमले, अब ३ पुलिसकर्मियों को मार गिराया धर्मांतरण के बाद जाति के आधार पर आरक्षण नहीं: उच्च न्यायालय तमिलनाडु: डिंडीगुल ६ घंटे में ६ लाख पौधे लगाकर बनाएगा रिकॉर्ड फैशन जगत में धूम मचाने के लिए आ रही हाई लाइफ प्रदर्शनी व सेल एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बेंगलूरु में सबसे ज़्यादा बढ़ेगा कार्यालयों का किराया: रिपोर्ट मैसूरु में तेंदुए के हमले में जान गंवाने वाली महिला के परिवार को १५ लाख रु. देगी कर्नाटक सरकार भारतीय नौसेना का लक्ष्य 2०४७ तक आत्मनिर्भर बनना है: एडमिरल आर हरि कुमार ये हैं हनुमानजी के मुस्लिम भक्त कांग्रेस ने ख़ुद को गाली देने वाली पार्टी के रूप में स्थापित कर लिया: भाजपा 'पद्म भूषण' पाने के बाद भारत के बारे में क्या बोले सुंदर पिचाई? तमिलनाडु के मंदिरों में मोबाइल फोन का उपयोग नहीं 'बयानवीरों' के तीर दपरे की पिछले वित्त वर्ष की तुलना में राजस्व में शानदार वृद्धि बोम्मई ने मतदाता सूची से अल्पसंख्यकों के नाम हटाने के आरोपों को खारिज किया लादेन के बेटे का दावा: पालतू कुत्तों पर यह खतरनाक प्रयोग कर रहा था आतंकवादी!
क्या बंद हो जाएगा द कपिल शर्मा शो ? |
यह मंदिर काफी मशहूर है। इंटरनेट पर इसकी कई तस्वीरें उपलब्ध हैं। आखिर क्या वजह है कि इस मंदिर में अधिकारियों एवं राजनेताओं का प्रवेश वर्जित है? इस प्रश्न का उत्तर इसके नियमों में छुपा है।
कानपुर। प्राय: लोग देवों में शनिदेव से सबसे ज्यादा डरते हैं। इसकी वजह है उनका स्वभाव। शनिदेव को न्यायदाता कहा जाता है, इसलिए वे प्राणी को उसके अच्छे-बुरे कर्मों का समय-समय पर परिणाम देते रहते हैं। हमारे देश में शनिदेव के हजारों मंदिर हैं जहां श्रद्धालु दर्शन के लिए जाते हैं। उनमें से एक मंदिर अपनी विशेष परंपरा के लिए जाना जाता है। यहां आम नागरिक तो बेहिचक दर्शन-पूजन के लिए आ सकते हैं, परंतु राजनेताओं और अफसरों के प्रवेश की मनाही है।
इस वजह से यह मंदिर काफी मशहूर है। इंटरनेट पर इसकी कई तस्वीरें उपलब्ध हैं। आखिर क्या वजह है कि इस मंदिर में अधिकारियों एवं राजनेताओं का प्रवेश वर्जित है? इस प्रश्न का उत्तर इसके नियमों में छुपा है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित यह मंदिर काफी चमत्कारी माना जाता है। इसका नाम भ्रष्ट तंत्र विनाशक शनि मंदिर है।
इस मंदिर में शनिदेव की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। वहां ब्रह्माजी भी विराजमान हैं। पास ही हनुमानजी की प्रतिमा है। मंदिर में कुछ राजनेताओं, अधिकारियों के चित्र लगाए गए हैं। शनिदेव की उन पर दृष्टि है। इसके पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि शनिदेव इन पर लगातार नज़र रखे हुए हैं, ताकि ये लोग भ्रष्टाचार न करें और करें तो दंड पाएं।
श्रद्धालु कहते हैं कि राजनीति और प्रशासन का उद्देश्य जनता की सेवा करना है। जो व्यक्ति अपने पद के जरिए जनता की सच्चे भाव से सेवा करता है, शनिदेव उसे शक्ति देंगे। यदि कोई पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करता है तो शनिदेव उसे अवश्य दंड देंगे। हालांकि इसमें थोड़ा समय लग सकता है, परंतु ऐसा मनुष्य किसी न किसी रूप में दंड अवश्य पाता है।
माना जाता है कि इस मंदिर की इन्हीं विशेषताओं के कारण नेता और अफसर यहां आने से भी डरते हैं। उन्हें डर रहता है कि कहीं उनके हाथों से कोई गलत कार्य न हो जाए और मंदिर में आने के बाद शनिदेव उनका अनिष्ट न कर दें। इस मंदिर से आम जनता का विशेष जुड़ाव है। शनिवार को काफी संख्या में लोग शनिदेव की पूजा और तेल का दान करने आते हैं। |
पत्रकारिता का सच!
कितना अच्छा रहता नरेन्द्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ भाजपा शासित राज्यों के कम भी हो जाते, हमारे विचार से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इसके लिए संविधान में संशोधन करने की जरुरत पड़े तो वह भी करवा ही लेना चाहिए, क्योंकि ऐसा मौका फिर दुबारा नहीं मिलेगा, लोकसभा में बहुमत और राज्यसभा में भी करीब-करीब वे बहुमत के करीब पहुंच ही गये हैं।
यह मैं इसलिए लिख रहा हूं, क्योंकि कल तक अपने मंत्रियों पर घर-घर रघुवर बोलने का दबाव बनानेवाले सीएम रघुवर को अभी से ही विधानसभा चुनाव में करारी हार तथा सीएम की कुर्सी हाथ से निकलने का भय सताने लगा हैं। तभी तो अचानक उन्होंने अपने सोशल साइट पर मोदी मंत्र का जाप करना शुरु कर दिया, जरा देखिये वे अपने फेसबुक पेज पर क्या लिख रहे हैं?
भारतीय जनता पार्टी के सभी उम्मीदवारों को शुभकामनाएं। झारखण्ड की विकास यात्रा में यह चुनाव ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में झारखण्ड विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ रहा है। आइये, विकास के इस सफर को और आगे लेकर चलें। अबकी बार ६५ पार। अब सवाल उठ रहा है कि प्रधानमंत्री भारत का नेतृत्व कर रहे हैं या झारखण्ड जैसे छोटे राज्य का, और जब झारखण्ड जैसे छोटे राज्य का वे नेतृत्व कर ही रहे हैं, तो क्यों नहीं उन्हें इस झारखण्ड राज्य का मुख्यमंत्री ही बना दिया जाये। क्या रखा हैं प्रधानमंत्री बनने में, उन्हें भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री पद पर भी सुशोभित हो जाना चाहिए।
हद हो गई। अभी कोई ज्यादा दिन नहीं हुआ हैं। कुछ दिन पहले की बात हैं। राज्य के नगर विकास मंत्री सी पी सिंह को जैसे ही पता चला, कि इस बार उनका टिकट कटनेवाला हैं, वे अंदर से हिल गये, क्योंकि उन्हें पता था कि दुनिया तभी तक किसी को सलाम करती हैं, जब तक वह सत्ता में हैं, सत्ता से निकले कि गये काम से, इसलिए उन्होंने दिमाग लगाया, सीएम रघुवर के आगे नतमस्तक हो गये, सीएम रघुवर ने दिशा-निर्देश दिया और ये घर-घर रघुवर अभियान में निकल गये। सी पी सिंह को इसका फायदा भी मिला, इन्हें इस बार टिकट भी मिल गया।
जबकि भाजपा में ही कई ऐसे मंत्री थे, जिन्होंने खुद को घर-घर रघुवर अभियान से अलग रखा और कभी भी सीएम रघुवर के आगे नहीं झूके, हालांकि इसका नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ रहा हैं, ५२ प्रत्याशियों की पहली सूची भाजपा ने जारी भी कर दी, उसमें यौन शोषण, सजायाफ्ता, हत्या व दवा घोटाले के आरोपियों, भ्रष्टाचारियों को टिकट तक थमा दिया गया, पर जिसने लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, उस मंत्री यानी सरयू राय को अभी तक टिकट नहीं दी गई हैं, उन्हें होल्ड पर रखा गया हैं।
स्थिति यह है कि कई दलबदलूओं को टिकट दे दिये जाने से भाजपा में ही एक बड़ा तूफान खड़ा हो चुका हैं, जो कभी भी बवंडर का रुप धारण कर सकता हैं, और इसका परिणाम अबकी बार ६५ पार का नारा देनेवाली भाजपा को २५ पर लाकर पटक सकता है, शायद यहीं कारण है कि सीएम रघुवर ने जिन्हें टिकट दिलवाया, उन्हें बधाइयां तो दी, साथ ही पांच साल खुद को विकास पुरुष के रुप में प्रोजेक्ट करवाने के बावजूद अंतिम समय में सारा श्रेय पीएम मोदी को दे डाला।
जबकि सच्चाई यह है कि विकास को लेकर, यहां के विपक्षी नेताओं ने सीएम रघुवर को कई बार ललकारा, बहस का निमंत्रण दिया, पर सीएम रघुवर हर बार भागते फिरे, अब चूंकि विधानसभा चुनाव में सभी डूबे हैं, क्या जनता पीएम मोदी के नाम पर रघुवर को झेलने को तैयार हैं, क्योंकि हमें तो ऐसा नहीं लगता, क्योंकि जनता ने तो परिवर्तन का मन बना लिया है। |
हादासा होते देख लोगों ने बच्चों को किसी तरह बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया। वहां डॉक्टरों ने अंशू को मृत घोषित कर दिया।
खाली प्लॉट के पास लगा पीपल का पेड़ दीवार पर जा गिरा। हवा तेज होने के कारण जर्जर हो चुकी दीवार वहां खेल रहे बच्चों पर गिर गई।
दूल्हे ने दुल्हन को स्टेज पर किया किस.. लड़की ने लौटाई बारात; लड़के ने कहा- ३ हजार की शर्त लगी थी। |
रींगस। कस्बे के सबसे बडे राजकीय सी.सै. स्कूल के पढने वाले बच्चो के सर पर हर समय मौत का साया रहता है। स्कूल में कभी भी कोई भी बडा हादसा हो सकता हैं। जिसकी जिम्मेदारी लेने के लिये काई भी तैयार नही है। स्कूल में गुरूवार रात्री में भी रसायन विज्ञान की लैब की छत का एक बडा हिस्सा टूटकर गिर गया। रात्री का समय होने के कारण काई बडा हादसा नही हुआ । अगर हादसा स्कूल के समय में होता तो काई भी बडी अन्होनी घटना हो सकती थी। हादसे के बाद स्कूल के बच्चो में भी भय की एक दहसत फैल गयी है। स्कूल का भवन करीब पचास वर्ष पुराना हो गया है जिसकी अधिकांस दिवारो व छत की पटटीयो में दरारे आ गयी है। ये दिवारे व छत कि पटटीया कभी बडे हादसे का कारण बन सकती है। स्कूल के कुल ३४ कमरो में से महज पांच कमरो की हालत ठीक है। स्कूल में कमरो के अभाव के कारण बच्चा को इन जरजर कमरो में ही बैठना पडता है। श्रीमाधोपुर तहसीलदार व एसडीएम ने स्कूल पहूंच कर के स्थिती का मोका मुआयना किया व प्रधानाचार्य को इन कमरो में बच्चो को न बैठाने के निर्देश दिये। घटना वाले कमरे के आस पास के सभी कमरो को सील कर दिया गया। पीडब्ल्यूडी के जेईएन के द्वारा स्कूल भवन का सर्वे किया गया।
जिस स्कूल में हादसा हुआ उसमें एकीकरण के बाद आठ स्कूलो के ओर बच्चे भी आयेगे। स्कूल के मौजूदा बच्चो के बैठने के लिये तो अभी से अभाव चल रहा है। अगर अन्य स्कूलो के बच्चो भी आते है तो अन्य बच्चो को भी जरजर कमरो में बैठना पडेगा।
हल्की सी बारिस आते ही स्कूल के सभी कमरो में पानी गिरना शुरू हो जाता है। बारिस में ना तो बच्चो की पढाइ हो पाती है और ना ही वे बैठ पाते है। बारिस की सीलन के कारण अधिकांस कमरो की दिवारो का पलास्टर गिरने लग गया है।
स्कूल के अधिक खस्ताहाल दस कमरो का दुबारा निर्माण करवाने के लिये पीएचडी को प्रपोजल भेजा हुआ लेकिन स्वीकृति न मिलने के कारण कमरो का निर्माण नही करवाया जा सका।
इनका कहनाः- गुरूवार रात्री को रसायन विज्ञान की लैब की छत का एक हिस्सा टूटकर के गिर गया, जिसकी जानकारी स्टाफ को शुक्रवार को स्कूल खोलने पर चली। घटना को लेकर के विभाग को सूचना दी गयी है।
बनवारी लाल यादव, प्रधानाचार्य रा.सी.सै. स्कूल रींगस।
पेयजल के लिए महिलाओ ने सहायक अभियन्ता जलदाय के कार्यालय को घेरा। |
नई दिल्ली,| भारतीय महिला हॉकी टीम रविवार को अर्जेटीना के लिए रावना हो गई है। इस दौर पर वह १७ जनवरी से ३१ जनवरी के बीच आठ मैच खेलेगी। भारतीय टीम अर्जेटीना (जूनियर महिला) के साथ १७ और १९ जनवरी को दो मैच खेलेगी। इसके बाद अर्जेंटीना बी टीम के साथ २२ और २४ जनवरी को दो मैच खेलेगी। फिर अर्जेटीना के साथ २६, २८, ३०, ३१ को चार मैच खेलेगी।
यह टीम का तकरीबन एक साल बाद पहला दौरा होगा। भारत ने पिछले साल जनवरी में न्यूजीलैंड का दौरा किया था।
हॉकी इंडिया और मेजबान संघ ने अर्जेटीना में बायोबबल बनाई है जिसमें दोनों टीमें रहेंगी।
भारतीय टीम के होटल में उसके लिए अलग कमरे, हॉल, टीम के लिए अलग खाने, टीम बैठक के लिए अलग व्यवास्था की गई है। राष्ट्रीय राजधानी से रवाना होने से ७२ घंटे पहले पूरी टीम का कोविड-१९ टेस्ट किया गया। |
२३.०३.२०२० ०६:३३ क्या अमेरिकी अर्थव्यवस्था वायरस की मार झेल पाएगी?
उस मन्थली ड्यूरेबल गुड्ज़ ऑर्डर्ज़ की घोषणा बुधवार को १४:३० म्त समय पर की जाएगी।
२३.०३.२०२० ०५:५३ यूर के लिए दृष्टिकोण कितना बुरा है?
यूरोपीय फ्लैश विनिर्माण प्मी की घोषणा मंगलवार को ११:०० म्त समय पर की जाएगी।
कनाडा २० मार्च को १४:३० म्त समय पर मुख्य खुदरा बिक्री में बदलाव के बारे में अपडेट पोस्ट करेगा ।
ऑस्ट्रेलिया १९ मार्च को २:३० म्त समय पर रोज़गार के आंकड़ों पर एक अपडेट प्रकाशित करेगा ।
एलिब गुरुवार को १४:४५ म्त समय पर ब्याज दर की घोषणा करेगा और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा ।
०९.०३.२०२० ०७:२८ अमेरिकी क्पी वाइरस के प्रभाव को कैसे प्रतिबिम्बित करता है?
अमेरिकी मासिक मुद्रास्फीति की घोषणा बुधवार को १४:३० म्त समय पर की जाएगी ।
०९.०३.२०२० ०६:४९ क्या औद के लिए कोई मौक़ा है?
ऑस्ट्रेलियाई नाब बिजनेस कॉन्फिडेंस इंडिकेटर की घोषणा मंगलवार को ०२:३० म्त समय पर की जाएगी ।
अमेरिका ६ मार्च को १५:३० म्त समय पर नॉन-फ़ार्म एम्प्लॉयमेंट चेंज, जिसे नॉन-फ़ार्म एम्प्लॉयमेंट चेंज या नप भी कहते हैं प्रकाशित करेगा ।
वेबसाइट फ्ब्स मार्केट्स इंक द्वारा संचालित है; पंजीकरण संख्या ११९७१७; फ्ब्स मार्केट्स इंक को इफ्स्क द्वारा विनियमित किया जाता है, लाइसेंस इफ्स्क/०००१०२/३१०; पता: २११८, गुआवा स्ट्रीट, बेलीज बेलमा फेज १, बेलीज।
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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि भारत इस समय ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बांग्लादेश, यूरोपीय संघ (ईयू), संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों, और इजरायल के साथ कारोबारी समझौते करने की दिशा में बढ़ रहा है।
गोयल ने कहा कि भारत इस समय बड़े कारोबारी समझौते के हिस्से के रूप में ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ शुरुआती कारोबारी समझौते पर काम कर रहा है, वहीं अमेरिका ने संकेत दिया है कि वह भारत के साथ नया कारोबारी समझौता करने को इच्छुक नहीं है।
अमेरिका ने संकेत दिए हैं कि वह भारत के साथ किसी नए कारोबारी समझौते पर विचार नहीं कर रहा है। इसके बजाय दोनों देश बाजार की पहुंच के मसले का समाधान करने पर काम करेंगे, जो निर्यातकों के लिए बेहतर मौका होगा। इसके पहले भारत ने अमेरिका के साथ छोटे कारोबारी समझौते के लिए बातचीत की थी। बहरहाल यह समझौता नहीं हो सका। ऑस्ट्र्रेलिया ने भी इस तरह के समझौते में रुचि दिखाई है और जल्द परिणाम देने वाला समझौता (अर्ली हार्वेस्ट डील) करने को इच्छुक है। जल्द परिणाम देने वाला समझौता एफटीए के पहले होता है, जिसमें कारोबारी साझेदार कारोबार को प्रोत्साहन देने के लिए सीमित वस्तुओं पर कर बाधाएं दूर करते हैं।
पहले के अनुभवों को देखते हुए भारत ने कारोबारी समझौते करने की रणनीति तैयार की है। मंत्री ने कहा कि हमारी कवायद है कि उन देशों पर ध्यान केंद्रित किया जाए, जहां उल्लेखनीय क्षमता है, जहां हम बेहतर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं और जहां बाजार का आकार उल्लेखनीय है। भारत और यूरोपीय संघ के बीच कारोबारी समझौता को अंतिम रूप देने की राह आसान नहीं है, क्योंकि इसमें २७ देश शामिल हैं और ८ साल के अंतराल के बाद बातचीत शुरू हुई है। |
प्रभु दा यानी प्रभु जोशी के इस तरह चले जाने की खबर से दिमाग सुन्न हो गया और मन में उनके कई पोट्रेट तैरने लगे। लगता रहा कि बस अब प्रभु दा का फोन आएगा और वो मुझे फिर कोई नया सबक या सजेशन देंगे। ३४ साल पुराने रिश्ते में उनके कितने ही अलग अलग रंगों और भावों के पोट्रेट भीतर बसे हुए हैं। क्या-क्या लिखूं, कैसे रचूं। समझ नहीं आ रहा..।
प्रभु दा को कहानीकार-चिंतक के रूप में तो मैं पहले से जानता था, लेकिन उनकी बहुआयामी और समंदर की तरह गहरी शख्सियत को मैंने थोड़ा-बहुत तब जाना, जब मैं १९८७ में नईदुनिया (इंदौर) में प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में शामिल हुआ। प्रभु दा तब यूं तो आकाशवाणी में अधिकारी थे, लेकिन नईदुनिया में मैगजीन सेक्शन के प्रभारी भी थे। अखबार के संयोजन में उनकी बौद्धिक और रचनात्मक आभा पूरी प्रखरता के साथ महसूस होती थी। प्रशिक्षु होने के बाद भी उनका व्यवहार हमारे साथ बड़े भाई की तरह हुआ करता था। वो हमे बौद्धिक बहसों के लिए प्रोत्साहित करते और साथ में मार्गदर्शन भी करते थे।
बातों-बातों में दी गई उनकी कई टिप्स मेरी पत्रकारीय यात्रा के पाथेय बन गए हैं। मुझे कई बार लगता था कि प्रभु दा मूलत: चित्रकार ही हैं, कहानीकार, पत्रकार और बौद्धिक बाद में हैं। उनकी बड़ी-बड़ी संवेदनशील गहरी आंखें हर शै में कुछ खोजती-सी लगती थीं। वो आंखें, जो जेनुइन प्रतिभा और छद्म प्रतिभा के अंतर को सूक्ष्मता से भांप लेती थीं। शायद यही कारण था कि वो मुझे बार-बार कहते थे अजय, पत्रकारिता करते-करते अपने भीतर का कहानीकार मरने मत देना। इसी आग्रह के तहत उन्होंने नईदुनिया के दीपावली विशेषांक के लिए दो कहानियां भी लिखवाईं थी।
लेकिन यह इतना महत्वपूर्ण नहीं था। महत्वपूर्ण था उनका बौद्धिक और कलाचिंतक व्यक्तित्व। उनकी समर्थ भाषा, खरापन और अपनी बात रखने का सशक्त तरीका। प्रभुदा का अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन भी तगड़ा था। हिंदी का तो खैर था ही। वो दोनों की तुलनात्मक स्थिति भी सामने रखते थे। कई बार हिंदी के (अधिकांश) लेखकों की बौद्धिक विपन्नता पर क्षोभ भी व्यक्त करते थे। चूंकि प्रभु दा किसी विशेष खेमे से नहीं बंधे थे और अपने सृजनात्मक मानदंड खुद ही तय करते थे, इसलिए उन्हें वैसा सपोर्ट नहीं मिला, जो अमूमन किसी एक झंडे तले खड़े होने से मिलता है, लेकिन उनकी बौद्धिक समझ, तर्क शक्ति, प्राणवान भाषा और जलरंगों पर उनकी पकड़ लासानी है।
पत्रकारीय लेख भी उन्होंने खूब लिखे। सुबह सवेरे जब भोपाल से शुरू हुआ तो उसके सितारा लेखकों में प्रभु जोशी भी थे। पिछले साल उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हें किसानों और खेती पर भी लिखना चाहिए, क्योंकि यह देश की अर्थ व्यवस्था, समाज और संस्कृति का अहम हिस्सा है। जब मैंने किसान आंदोलन पर लिखा तो उन्होंने कहा कि हमे कॉरपोरेट और पूंजीवादी षड्यंत्र को पूरी ताकत से उजागर करना चाहिए। हर विषय पर लिख सकने की क्षमता ही संपूर्ण पत्रकारिता है।
प्रभु दा से बात करते समय एक बात हमेशा महसूस होती थी कि वो वैचारिक अतिवाद से मुक्त थे। उनका जोर इसी बात पर रहता था कि हम चीजों को सम्यक और वस्तुनिष्ठ दृष्टि से देखें फिर निष्कर्ष निकालें। मनुष्य और मनुष्यता, व्यक्ति स्वतंत्रता, लोकतंत्र उनके चिंतन के केन्द्र में दिखता था। अलबत्ता दरबारवाद से उन्हें चिढ़ थी। इसका उन्हें कुछ नुकसान भी उठाना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। प्रभु दा की एक टिप मुझे हमेशा याद रहेगी। एक चर्चा के दौरान मूर्धन्य पत्रकार राजेन्द्र माथुर को कोट करते हुए प्रभु दा ने कहा था कि महत्वपूर्ण यह नहीं है कि हम किस विषय पर क्या लिख रहे हैं, महत्वपूर्ण यह भी है कि हम घटना को किस कोण से देख और समझ रहे हैं। कहने का आशय यह कि आपकी दृष्टि का कोण आपके लेखन की विश्वसनीयता को स्थापित करता है।
प्रभु दा की खूबी यह थी कि जिस विषय में हाथ डालते थे, उसकी गहराई तक जाते थे। लिहाजा उनकी प्रतिभा का दायरा किसी एक माध्यम तक सीमित नहीं था। उन्होंने आकाशवाणी में रहकर भी कई यादगार कार्यक्रम तैयार किए। आकाशवाणी के कई कार्यक्रमों के लिए उन्हें राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। मप्र संस्कृति विभाग ने उन्हें गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप प्रदान की थी। वो यशस्वी कथाकार तो थे ही उन्होंने कला, संस्कृति, समाज, साहित्य जैसे अनेक विषयों पर विद्वत्तापूर्ण लेख लिखे। प्रभु दा मूलत: ग्रामीण परिवेश से आए थे, लिहाजा उसकी सुगंध भी उनके लेखन में साफ महसूस होती है।
हिंदी की तरह मालवी में भी वो पूरी ताकत से लिखते थे। हालांकि पिछले काफी समय से उन्होंने कहानियां लिखना बंद कर चित्रकारी पर ज्यादा ध्यान देना शुरू किया था। जल रंगों में उनके लैंडस्केप अद्भुत हैं। चित्रकारी में उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली। लेकिन उनकी मास्टरी पोट्रेट में थी। प्रभुदा के बनाए कई पोट्रेट तो इतने जीवंत हैं कि शब्दों में उनका वर्णन कठिन है। रंगों में भी पीला, हरा और गुलाबी उनका प्रिय रंग था। उनके जलरंग चित्र गैलरी फॉर कैलिफोर्निया के लिए उन्हें अमेरिका में थामस मोरान अवॉर्ड प्रदान किया गया था। प्रभु दा अक्सर कहते थे- अजय मास्टर आर्टिस्ट वो होता है, जो सेल्फ पोट्रेट (स्वयं का व्यक्ति चित्र) बनाने में माहिर हो।
प्रभु दा का सम्पूर्ण व्यक्तित्व सहज और अहंकार से परे था। उनसे कभी भी और किसी भी विषय पर बात की जा सकती थी। वो तारीफ भी करते थे तो उसका अपना एक अंदाज था। असहमति भी खुलकर जताते थे। करीब एक माह पहले उनसे फोन पर लंबी बात हुई। इस दौरान एक वाक्य उन्होने कई बार दोहराया। बोले- अजय मेरे साथ कई लोगों ने काम किया। लेकिन तुम निरंतर लिख रहे हो, अच्छा लिख रहे हो, यह मेरे लिए गर्व की बात है। तब मुझे समझ नहीं आया था कि प्रभुदा ऐसा बार-बार क्यों कह रहे हैं। शायद कोई आंतरिक उद्वेग उनसे कहला रहा था, क्योंकि प्रभुदा से ऐसी तारीफ की अपेक्षा मुझे कभी नहीं थी। वो मेरे लिए फ्रेंड से ज्यादा फिलासफर और गाइड थे। दूसरों की अच्छाइयां चीन्हने और उसे स्वीकार करने का संस्कार देने में प्रभुदा का बड़ा हाथ था। |
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निहायत घटिया है ये कोविड वैक्सीन पाॅलिटिक्स!
महत्वपूर्ण यह नहीं है कि ये राजनीति कौन कर रहा है, दुखद यह है कि कोरोना वैक्सीन जैसे अत्यंत संवेदनशील और इंसानी जिंदगी को बचाने के मुद्दे पर भी देश में निहायत घटिया राजनीति हो रही है। कोविड संक्रमण के मामले में लगभग शुरू से अब तक लगातार नंबर वन हाॅटस्पाॅट रहे महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने केन्द्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य में कोरोना की बेहद गंभीर स्थिति होने के बाद भी वह महाराष्ट्र को पर्याप्त कोविड वैक्सीन के टीके उपलब्ध नहीं करा रही है। इस गंभीर आरोप में सियासी तड़का यह था कि जो आंकड़े दिए गए, उसमें महाराष्ट्र की तुलना चार अन्य भाजपा शासित राज्यों को की जा रही वैक्सीन सप्लाई से की गई थी।
टोपे ने साफ कहा कि महाराष्ट्र की आबादी और जरूरत के अनुपात में बहुत कम वैक्सीन डोज उसे दी जा रही है। इस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ.हर्षवर्धन ने जवाबी हमला किया कि महाराष्ट्र सरकार कोरोना नियंत्रण करने में विफल है और अफवाह फैलाने का काम कर रही है। उधर खुद अस्पताल में इलाज करवा रहे राज्य की महाआघाडी सरकार के बैक सीट ड्राइवर शरद पवार ने विवाद पर यह कहकर ठंडा पानी डालने की कोशिश की कि कोविड प्रकोप से राज्य और केन्द्र सरकार दोनों को मिलकर निपटना होगा। इसका परोक्ष संदेश यही था कि कम से कम वैक्सीन पर तो राजनीति न हो।
केन्द्र और राज्य सरकारों की आंकड़ेबाजी से दूर जमीनी हकीकत यह है कि महाराष्ट्र में कई कोविड वैक्सीन सेंटर डोज के अभाव में बंद कर दिए गए हैं। ध्यान रहे कि मप्र सहित कई राज्यों में कोविड में जीवनरक्षक रेमडिसिवर इंजेक्शन का टोटा तो पहले से था अब ऑक्सीजन और कोविड वैक्सीन की भी किल्लत हो गई है। इसके पीछे भारी अव्यवस्था और अनियोजन बड़ा कारण दिखता है।
चूंकि यह मुद्दा महाराष्ट्र ने उठाया, इसलिए उसको निशाने पर आना ही था। यह सही है कि कोरोना से निपटने में महाराष्ट्र सरकार का रिकाॅर्ड शायद सबसे खराब रहा है, बावजूद इसके कोरोना इलाज के लिए जरूरी दवाइयों, ऑक्सीजन की समय पर और समुचित मात्रा में आपूर्ति न हो पाने के लिए केन्द्र सरकार भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से हटकर यह डरावनी सच्चाई है कि महाराष्ट्र में समुचित वैक्सीन सप्लाई न होने से कई कोविड टीकाकरण सेंटर बंद हो चुके हैं तो कुछ के पास महज एक या दो दिन का स्टाॅक बचा है।
इसी को मुद्दा बनाते हुए महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने एक चार्ट जारी किया, जिसमें कहा गया कि महाराष्ट्र की आबादी करीब १२ करोड़ है, यहां एक्टिव कोविड रोगियों की संख्या ५ लाख २ हजार से अधिक होने के बाद भी हमें मात्र १७.५0 लाख वैक्सीन डोज दिए गए, जबकि २3 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में महज ३१९८७ एक्टिव कोरोना मरीज होने के बाद भी उसे वैक्सीन के ४० लाख डोज सप्लाई किए गए। टोपे ने अपने आरोप के समर्थन में गुजरात, मध्यप्रदेश व हरियाणा के भी तुलनात्मक आंकड़े दिए।
आशय यही था कि इन राज्यों में रोगी कम होने के बाद भी उन्हें वैक्सीन की सप्लाई ज्यादा की जा रही है और महाराष्ट्र के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इस आरोप में सियासत यह थी कि जिन राज्यों का हवाला दिया गया, वो सभी भाजपा शासित हैं। टोपे के आरोप की स्पष्ट ध्वनि यही थी कि कोरोना वैक्सीन के बंटवारे में भी राजनीतिक आधार पर भेदभाव किया जा रहा है। इस आरोप से भड़के केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्धन ने वैक्सीन कमी के लिए सारा दोष राज्य की अक्षम स्वास्थ्य सेवाओं पर मढ़ दिया।
उन्होंने भी आंकड़ों के हवाले से कहा कि महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब (तीनों गैर भाजपाशासित) की सरकारों ने अपने राज्यों में पहली डोज के तहत क्रमशः ८६, ७२ और ६४ प्रतिशत कर्मचारियों को ही टीका लगाया है, जबकि देश के १० राज्यों व केंद्र शासित राज्यों में यह आंकड़ा ९० प्रतिशत का है। हालांकि बाद में खबर आई कि केन्द्र ने तत्काल १७ लाख वैक्सीन डोज महाराष्ट्र को भिजवाने की व्यवस्था की है।
सवाल यह है कि कोरोना वैक्सीन सप्लाई को लेकर विवाद की यह स्थिति क्यों बन रही है? क्या केन्द्र सरकार इसमें भी अपने-पराए का भेदभाव कर रही है या फिर राज्य सरकारें अपनी नाकामी को छुपाने के लिए केन्द्र पर दोष मढ़ रहे हैं? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि क्या पूरे देश में कोविड वैक्सीन टीकाकरण के वृहद अभियान में मांग और आपूर्ति के संतुलन की बुनियादी बात का भी ध्यान नहीं रखा गया? रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की कमी के पीछे एक तर्क गले उतर सकता है कि कोरोना की दूसरी लहर के अचानक इतना बढ़ जाने से इन दोनो की मांग और आपूर्ति का समीकरण गड़बड़ा रहा है, लेकिन कोविड वैक्सीन टीकाकरण का काम तो तीन माह से और एक निश्चित सिस्टम के तहत चल रहा है, फिर उसमें इतनी अव्यवस्था क्यों?
अगर देश में पर्याप्त वैक्सीन उत्पादन नहीं था तो टीकाकरण के लिए आयु सीमा क्यों घटाई गई? और यदि आयु सीमा घटाई तो इतनी आबादी की गरज से हिसाब से देश में वैक्सीन उत्पादन और सप्लाई की क्या व्यवस्था है? ऐसा लगता है कि टीकाकरण की प्रक्रिया और तेज करने तथा उसे व्यापक बनाने के चक्कर में सरकार ने इस बात को अनदेखा किया कि जब एकदम मांग बढ़ेगी तब क्या उसी अनुपात में वैक्सीन देश भर में सप्लाई हो सकेगी या नहीं? जब मोदी सरकार ने शुरू में वैक्सीन डिप्लोमेसी के तहत मित्र देशों को काफी तादाद में वैक्सीन प्रदाय की थी, तब भी यह सवाल उठा था कि कहीं इससे देश की आंतरिक जरूरतों पर विपरीत असर तो नहीं पड़ेगा।
लेकिन वो शंका तब इसलिए दब गई, क्योंकि सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन के मुताबिक शुरू में कोरोना वाॅरियर्स और ६० साल से ऊपर के बुजुर्गों को ही टीके लगने थे। मोटे तौर पर यह काम ठीक से चला। लेकिन इस आलोचना के बाद कि इधर कोरोना विकराल हो रहा है, उधर सरकार की टीकाकरण की रफ्तार बहुत धीमी है, सरकार ने ४५ वर्ष से ऊपर के लोगों को टीका लगाने की अनुमति दे दी। यह आबादी देश की कुल आबादी का लगभग एक तिहाई से ज्यादा होती है। जब मांग एकदम इतनी बढ़ जाएगी तो क्या हम देश में घरेलू वैक्सीन मांग को पूरा कर पाएंगे या नहीं अथवा किस प्रकार पूरा करेंगे, इसकी कोई ठोस कार्ययोजना बनी है या नहीं, देश में इस वैक्सीन का पर्याप्त उत्पादन तय समय सीमा में हो सकता है या नहीं, इन सवालों का जवाब अभी मिलना बाकी है।
डिस्क्लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं। |
यह पता चला है कि पिछले कुछ दिनों से कोल्हापुर जिले में कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है। हर दिन हजारों रोगियों के निदान के साथ, स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी दबाव पड़ता है। कई को इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं, जो उनके उपचार को सीमित करता है। इन इंजेक्शनों की कमी है और कुछ लोगों की जान जा रही है। इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, पुलिस अधीक्षक शैलेश बलकवडे ने इंजेक्शनों को ब्लैकमेल करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। इसलिए पुलिस कालाबाजारी करने वालों पर नजर रख रही है।
रविवार को, पुलिस को उनकी रिपोर्ट के माध्यम से पता चला कि कोल्हापुर का केवल एक डॉक्टर इंजेक्शन ब्लैकमेल कर रहा था। इसके अनुसार, पुलिस ने एक जाल बिछाया। जाल में एक डॉक्टर सहित तीन लोग पाए गए। प्रणब राजेंद्र खैरे दवा का अध्ययन कर रहे हैं और एक निजी अस्पताल में डॉक्टर के रूप में सेवा दे रहे हैं। अस्पताल कोरोनरी हृदय रोग के रोगियों का इलाज कर रहा है। वह सचिन जोगम और प्रकाश गोटे की मदद से अस्पताल में बचे हुए रेमेडिवर इंजेक्शन बेच रहे थे।
२३,००० रुपये में एक इंजेक्शन बेचते समय, वह रंगे हाथों पकड़ा गया था। उसके पास से तीन इंजेक्शन जब्त किए गए हैं। तीनों को इंस्पेक्टर तानाजी सावंत के नेतृत्व में एक टीम ने गिरफ्तार किया है। उन्हें खाद्य एवं औषधि प्रशासन अधिकारियों द्वारा सहायता प्रदान की गई।
नांदेड़ में कुछ लोग इजेक्शन की कालाबाज़ारी करने की खबर है, नांदेड़ टुडे की टीम इस खबर को सबूतों के साथ पोलिस के सामने लाने का प्रयास कर रही है, हिंगोली,परभणी से कोरोना के कई मरीजों का उपचार नांदेड़ के अलग अलग दवाखानों में किया गया उन में से कुछ मरीजों को रेमेडिसवीर इंजेक्शन तत्काल आव्यशकता पड़ने पर हॉस्पिटल के निकट कुछ लोगों ने १७,०००/- रूपये में रेमेडिसवीर खरीदने पर ज़ोर दिया था!
नांदेड़ समेत नांदेड़ टुडे नागरिकों की हित के लिए देश के अलग अलग रजियों में मानवी अधिकारों के लिए मुफ्त में कार्य करता है! साथ ही अंतराष्ट्रीय मानव अधिकार संघटना के कई पदाधिकारी नांदेड़ टुडे के साथ मिलकर मानव अधिकारों के ख़िलाफ़ उलंघन करने वालों को उनकी सही जगा पहुंचा चुके है! नांदेड़ में रेमेडिसवीर की कालाबाज़ारी को लेकर हम उन मरीजों के परिवारों की तलाश कर रहे है जो रेमेडिसवीर बेचने वालों को जानते पहचानते है!
किनवट तालुक्यात अतिवृष्टी पैनगंगा नदी दुथडी भरून वाहू लागली पिके पाण्याखाली ; शहरातील नागरिकांना सतर्क राहण्याचा इशारा.! |
नव दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बहुत अच्छे दोस्त हैं। पुतिन, पीएम मोदी के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। इसके बारे में कम लोगों को पता होगा। यूक्रेन से युद्ध और अमेरिका से तनाव के बीच रूस के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी की खूब तारीफ की है। पुतिन ने खासकर मोदी सरकार की विदेश नीति की जमकर सराहना की है। उन्होंने कहा कि भविष्य भारत का है, इस पर गर्व हो सकता है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
मॉस्को में एक कार्यक्रम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम नरेंद्र मोदी के बारे में कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी उन लोगों में से एक हैं, जो एक स्वतंत्र विदेश नीति को लागू करने में सक्षम हैं, जो अपने लोगों के हितों के बारे में सोचते हैं और कदम उठाते हैं। भारत पर किसी तरह के प्रतिबंध लगाने के सभी प्रयासों के बावजूद, वह सख्त रहे और उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिसकी भारत को जरूरत है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका बढ़ रही है।
पुतिन ने यह भी कहा कि भारत के साथ हमारे विशेष संबंध हैं। उन्होंने इसे कई दशकों के घनिष्ठ सहयोगी संबंधों के तौर पर रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमारे बीच कभी कोई मुश्किल मुद्दा नहीं रहा और हमने एक-दूसरे का समर्थन किया और अभी यही हो रहा है। मुझे यकीन है कि यह भविष्य में भी होता रहेगा।
रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे बीच आर्थिक सहयोग बढ़ रहा है, हमने व्यापार की मात्रा बढ़ाई है। पीएम मोदी ने मुझे उर्वरकों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कहा है जो भारतीय कृषि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमने इसका वॉल्यूम (मात्रा) ७.६ गुना बढ़ाया है। कृषि में व्यापार लगभग दोगुना हो गया है।
दरअसल, यूक्रेन वॉर के बीच भारत पर रूस से रिश्ता तोड़ने को लेकर अमेरिका समेत पश्चिमी देश लगातार दबाव बनाते आ रहे हैं। लेकिन भारत ने झुकने के बजाय दबाव का बखूबी सामना किया। व्लादिमीर पुतिन ने इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत का सच्चा देशभक्त भी बताया और कहा कि आने वाला समय भारत का है। पुतिन ने कहा कि एक ब्रिटिश उपनिवेश से स्वतंत्र आधुनिक देश बनने तक भारत ने विकास के क्षेत्र में अद्भुत प्रगति की है। पिछले कुछ सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में कई काम हुए हैं। उनका 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम भी आर्थिक तौर पर मायने रखता है।
अनालेसिस: एक जंग ५ महीने से जारी, चीन-ताइवान में तनाव, पश्चिम एशिया के देश भी लड़ रहे; ३र्ड वर्ल्ड वॉर की तरफ बढ़ रही दुनिया?
ब्लैक सी में डूबा 'मोस्कवा युद्धपोत', रूस की सांकेतिक हार, विश्व युद्ध के आसार !
ट्विटर के जरिए पैसा कमाने का मौका देंगे एलन मस्क, यू-ट्यूब से भी ज्यादा होगी कमाई !
द सूत्र का एकमात्र उद्देश्य दबाव मुक्त होकर विश्वसनीय और सरोकारों वाली पत्रकारिता करना है। इस विचार को जीने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। इसी प्रतिज्ञा से जन्मा है हमारा ध्येय वाक्य- हम सिर्फ़ भगवान से डरते हैं।इसीलिए हमने ये भी तय किया है कि हमारा मीडिया प्लेटफ़ॉर्म समाज पोषित होगा।हम हमेशा आम जनता/नागरिकों के पक्ष में खड़े रहेंगे।अपनी प्रतिबद्धता साबित करने के लिए ही हम,सवाल उठाते हैं पालकी नहीं। |
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट सेल (आईपीआर)की ओर से तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन सत्र शुक्रवार को ऑनलाइन किया गया।
कि मानव जीवन कौतूहल और जिज्ञासा से परिपूर्ण होता है। आवश्यकता आविष्कार की जननी है। आप क्या कर रहे हैं, आप क्या खोज रहे हैं वह कैसे सुरक्षित रहेगा। इसी को संरक्षित और सुरक्षित करने का मंच है आईपीआर सेल। उन्होंने कहा कि भारत इस मामले में अपने प्रबंधन के प्रति गंभीर है। इसी के चलते हम विश्व में ४०वें स्थान पर हैं।
बतौर मुख्य अतिथि नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय पलामू झारखंड के कुलपति प्रो.रामलखन सिंह ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार के मामले में हम २१वीं सदी में जागरुक हुए। नीम, हल्दी की लड़ाई देश ने लड़ी। हमने अपनी धरोहर, मेडिसिन, प्लांट का डाटाबेस बनाना शुरू कर दिया। इससे यह पता चलता है कि इस पर किसी ने काम करना तो शुरू नहीं कर दिया। उन्होंने कहा कि आईपीआर का विषय सामयिक है। हम पीजी और पीएचडी के विद्यार्थियों को सुविधा देकर इस कार्य को आगे बढ़ा सकते हैं।
मुख्य वक्ता साइंस और टेक्नोलॉजी मंत्रालय के वैज्ञानिक डॉ अखिलेश मिश्र ने कहा कि आज साइंस को सोसाइटी से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मार्केट के हिसाब से टेक्नोलॉजी होनी चाहिए और इनोवेशन के कारण ही हम बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि साइंस पब्लिकेशन के मामले में हम विश्व में तीसरे स्थान पर हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में छात्रवृत्ति की राशि बढ़ाकर और रिसर्च कार्य को गुणवत्ता पूर्ण बनाकर हम चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
इस अवसर पर बतौर वक्ता बायोनेस्ट बीएचयू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री साईंकेत सेन ने कहा कि हम हमेशा एक बॉक्स के बाहर सोचता है वही इनोवेशन कर सकता है। विश्व स्तरीय शोध से लिए गए डाटा का जिक्र करते हुए बताया कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है इनोवेटिव आइडिया कम होता जाता है लइसके लिए समस्या का सही ढंग से पहचान करना होगा।
उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण कार्यशाला के संयोजक डॉ मनीष कुमार गुप्ता ने किया। संचालन डॉ राज कुमार और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनील कुमार ने किया तकनीकी सहयोग डॉक्टर रामनरेश तथा श्री कृष्ण कुमार यादव जी ने दिया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रो.राजेश शर्मा, डॉ एस पी तिवारी, प्रो.विक्रमदेव शर्मा, डॉ. प्रमोद यादव, डॉ संजीव गंगवार, श्री अशोक कुमार यादव, डॉ.आलोक गुप्ता क्षेत्रीय निदेशक राष्ट्रीय संस्थान ओपन स्कूलिंग तेलंगाना, डॉ. गिरधर मिश्र, डॉ शशिकांत यादव, डॉ.पुनीत धवन, ऋषि श्रीवास्तव आदि ने प्रतिभाग किया। |
हु डन इट का अगर अनुवाद करें तो तो इसका मतलब होगा 'किसने किया' और जो काफी हद तक सही भी होगा। हु डन इट जासूसी साहित्य का एक सब जौन्र(सब-जेनरे) है जिसके अंतर्गत आपको ये पता लगाना होता है कि जो कत्ल हुआ है उसको करने वाला शख्स कौन है।
मुझे जासूसी साहित्य पसंद है। और फिर अगर वो हिंदी में हो तो पढने में मज़ा आ जाता है।
एक हत्या होती है। हत्या करने का शक दो चार लोगों के ऊपर होता है। और हीरो को उन लोगों के बीच से असली कातिल को ढूँढना होता है। तो साहेबान ये होता है एक हु डन इट का स्ट्रक्चर। अपराध कथाओं की बात करें तो उनकी ये श्रेणी सबसे प्रसिद्द श्रेणियों में से एक है। हिंदी पल्प में ये उपन्यास सबसे ज्यादा बिकते हैं।
अगर आप इन्हें पढना पसंद करते हैं या आप साहित्य की इस श्रेणी के विषय में जानना चाहते है तो आपको निम्न डाक्यूमेंट्री जरूर देखनी चाहिए। डाक्यूमेंट्री ए जे के एम आर सी (अज्क मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर, जमिया मिलिया इस्लामिया) के छात्रों ने बनाई है। मैंने ये डाक्यूमेंट्री सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के ऊपर बने एक यू ट्यूब विडियो में देखी थी। उसमे इसका कुछ अंश था। फिर उधर से ढूँढा तो निम्न लिंक मिला और मैंने इसे पूरा देखा।
हिंदी में बनी इस डाक्यूमेंट्री में एक साथ अपराध कथा लेखन के कई पहलुओं को दर्शाया गया है। इन पहलुओं को अलग अलग लोगों के साक्षात्कार के माध्यम से दर्शाया गया है।
इसमें कई लोगों के साक्षात्कार हैं।
अपराध कथा के पाठकों(विशेषतः सुरेन्द्र मोहन पाठक को पढने वाले) के साक्षात्कार हैं। सुरेन्द्र मोहन पाठक हिंदी अपराध कथाओं आज के समय के सबसे महत्वपूर्ण लेखकों में से एक हैं। इसमें उनका साक्षातकार भी है।
हिंदी पल्प संसार में भूत लेखन बहुत होता है। यानी लिखता कोई और है लेकिन उसमे नाम किसी और बंदे का होता है। ऐसे ही एक भूतलेखक से आपकी मुलाकात कराई जाती है।
इसके इलावा हिंदी पल्प के जो कवर होते थे उन्हें बनाने का काम 'शैली' जी करते थे। इन कवर्स की अपनी खूबी होती थी। तो उनका साक्षातकार है। वो कैसे इन कवर्स को बनाते थे और अब क्यों ये काम नहीं कर रहे हैं ? इन सब बातों पर चर्चा होती है।
इसमें साक्षात्कार तो है हीं परन्तु इनके इलावा एक और चीज साथ साथ चलती है वो है एक रहस्यकथा- एक तीर दो निशाने। इमरान और रोज़ी एक क्लब में मिले थे। रोज़ी क्लब में नाचती थी और इमरान एक सस्पेंडेड पुलिस ऑफिसर था। लेकिन दोनों में एक चीज थी जो उन्हें जोड़ती थी और वो था उनका अकेलापन। इसलिए रोज़ी इमरान के साथ उसके कमरे पे आ गयी। लेकिन जब सुबह हुई तो इमरान के पैरों तले जमीन खिसक गयी। रोज़ी उसके बिस्तर पर मरी हुई थी।
कैसे हुआ था रोज़ी का कत्ल? किसने किया था? पुलिस के अनुसार इमरान ही उसका कातिल था। लेकिन इमरान खुद को बेक़सूर बता रहा था और ये साबित करने के लिए उसे असली कातिल को उजागर करना था। क्या वो ये कर पाया?
ये जानने के लिए आपको डाक्यूमेंट्री ही देखनी होगी।
डाक्यूमेंट्री में कमी तो मुझे कोई नहीं दिखी बस हाँ इतना था कि अगर इसमें बाकी दूसरे हिंदी अपराध कथा लेखकों जैसे अनिल मोहन, वेद प्रकाश शर्मा के भी साक्षात्कार होते तो इसमें चार चाँद लग जाते।
खैर, क्योंकि मैं एक आदमी हूँ और उसमे संतुष्टि नहीं होती तो ऊपर वाली बात मैंने कह दी। वरना इसमें कमी कोई नही है। तो इन्तजार किस बात है। जाकर देखिये इस डाक्यूमेंट्री को। और इसके विषय में अपनी राय कमेंट(विडियो के) में जरूर दीजियेगा ताकि उन लोगों का हौसला अफजाई हो सके जिन्होंने इसे बनाया है।
अगर ऐसा कोई विडियो आपकी नज़र में है तो उसका लिंक कमेंट बॉक्स में जरूर दीजियेगा।
आपकी टिपण्णियाँ मुझे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करेंगी इसलिए हो सके तो पोस्ट के ऊपर अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा। |
भगवान श्री राम के पूर्वज सूर्यवंशी राजा सगर थे, वे बड़े ही धर्मपरायण और न्यायप्रिय राजा थे। राजा सगर की दो पत्नियाँ थी, जिनका नाम केशनी और सुमति था। राजा सगर के पास हर तरह का वैभव था, परनतु उन्हें केवल एक ही चिंता सताती रहती थी की उनके कोई संतान नहीं थी। तब राजा सगर ने संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की तपस्या करने का निश्चय किया। राजा सगर अपनी दोनों पत्नियों केशनी और सुमति को साथ लेकर वन में तपस्या करने चले गए। वन में उन तीनों ने मिलकर भगवान शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव उनके सामने प्रकट हो गए। भगवान शिव ने रानी केशनी को वरदान दिया की उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति होगी जो राजा सगर के वंश को आगे बढ़ाएगा। और रानी सुमति को भगवान शिव ने वरदान दिया की उन्हें साठ हजार पुत्रों की प्राप्ति होगी।
भगवान शिव से वरदान प्राप्त होने के के बाद राजा सगर अपनी दोनों पत्नियों के साथ अपनी राजधानी आयोध्या लौट आये, कुछ समय बाद रानी केशनी को एक पुत्र की प्राप्ति हुई, इस पुत्र का नाम असमंजस रखा गया। उसी समय रानी सुमति के गर्भ से पुत्र के स्थान पर एक तुंबा प्रकट हुआ। इस तुंबा में साठ हजार पुत्रों के बीज थे, इस तुंबा को घृत से भरे घड़े में संवर्धित किया गया जिससे साठ हजार पुत्र उत्पन्न हुए। साठ हजार पुत्रों के जन्म लेने पर राजा सगर अत्यंत प्रसन्न हो गए। उन्होंने पुरे राज्य में उत्सव मनाने की घोषणा कर दी। राजकुमारों के जन्म के अवसर पर पुरे राज्य में भव्य उत्सव मनाया गया।
धीरे-धीरे सभी राजकुमार बड़े होने लगे, वे सभी राजकुमार एक से बढ़कर एक विद्याओ में पारंगत और वीर योद्धा हुए। रानी केशनी का पुत्र असमंजस स्वभाव से दुराचारी था, वह प्रजा पर अत्याचार करने लगा। राजा सगर अपने पुत्र असमंजस से बहुत दुखी रहा करते थे, राजा सगर ने राजकुमार असमंजस का यह सोच कर विवाह करवा दिया की शायद वह विवाह के बाद सुधर जायेगा, परन्तु ऐसा नहीं हुआ। असमंजस ने अपना स्वभाव नहीं छोड़ा और वह पहले की ही तरह प्रजा को परेशान करने लगा, इससे दुखी होकर राजा सगर ने राजकुमार असमंजस को अपने राज्य से निर्वासित कर दिया।
समय से साथ राजा सगर के साठ हजार पुत्रों ने दसों दिशाओं में अपने पराक्रम के झंडे गाड़ दिए, उनसे युद्ध करने का साहस किसी में नहीं था। राजा सगर के साठ हजार पुत्र अपने आप में एक विशाल और शक्तिशाली सेना के समान थे। अपने बलशाली पुत्रों को देखकर राजा सगर हर्षित होने लगे। दूसरी तरफ राज्य से निर्वासित होने के बाद राजकुमार असमंजस को अपनी पत्नी से एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम अंशुमान रखा गया। बड़ा होने पर असमंजस का पुत्र अंशुमान सदाचारी और पराक्रमी हुआ।
एक दिन राजा सगर ने अपने राज्य का विस्तार करने के लिए अश्वमेघ यज्ञ करने का विचार किया। इसके बाद राजा सगर ने एक भव्य यज्ञ मंडप का निर्माण करवाया, जहाँ पर उन्होंने अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया। एक तरफ राजा सगर यज्ञ में आहुतियां डाल रहे थे, तो दूसरी तरफ सेना के साथ यज्ञ का घोडा रवाना किया गया। यज्ञ का घोडा कई राज्यों की सीमाओं में से होकर गुजरा, उनमें से किसी भी राज्य के राजा ने यज्ञ के घोड़े को रोकने का साहस नहीं किया, क्योकि यज्ञ के घोड़े को रोकने का अर्थ था अयोध्या की शक्तिशाली सेना से युद्ध करना। कोई भी राजा अयोध्या की सेना से युद्ध नहीं करना चाहता था इसलिए लगभग सभी राजाओं ने अयोध्या के राजा सगर की मित्रता स्वीकार कर ली।
राजा सगर का अश्वमेघ यज्ञ पूरा होने वाला था, तब स्वर्ग के राजा इंद्र को अपना सिंघासन जाने का खतरा सताने लगा। इंद्र ने राजा सगर के अश्वमेघ यज्ञ को पूरा होने से रोकने के लिए रात्रि के अंधकार में यज्ञ के घोड़े को कपिल मुनि के आश्रम में छिपा दिया। अगले दिन सुबह जब यज्ञ का घोडा दिखाई नहीं दिया तब उसकी खोज शुरू की गयी। घोड़े को खोजने के लिए दसों दिशाओं में सेना की टुकड़ियाँ रवाना की गयी। बहुत खोज करने के बाद भी जब यज्ञ का घोडा नहीं मिला तब राजा सगर ने अपने साठ हजार पुत्रो को यज्ञ के घोड़े की खोज में भेजा। राजा सगर के पुत्रों ने भी दसों दिशाओं में घोड़े के खोज की, खोजते-खोजते राजा सगर के पुत्र कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे। कपिल मुनि उस समय साधना में लीन थे। राजकुमारों ने आश्रम में खोज की तो उन्हें वहाँ यज्ञ का घोडा बँधा हुआ दिख गया। राजकुमारों ने सोचा कपिल मुनि ने उनके यज्ञ का घोडा चुराया है और अब वह साधना में लीन होने का ढोंग कर रहें है। यह सोचकर सभी राजकुमार कपिल मुनि को भला-बुरा कहने लगने और उन्हें चोर कहकर सम्बोधित करने लगे। कोलाहल सुनकर कपिल मुनि की साधना भंग हो गयी।
राजकुमारों को कपिल मुनि के तप सामर्थ्य का कोई बोध नहीं था, जैसे ही कपिल मुनि की साधना टूटी सभी राजकुमार उन्हें और अधिक अपशब्द कहने लगे उन्हें चोर-उचक्का कहकर पुकारने लगे, वे सभी कपिल मुनि को दंड देना चाहते थे। यह सब सुनकर कपिल मुनि अत्यंत क्रोधित हो गए। कपिल मुनि ने श्राप देकर उन सभी साठ हजार राजकुमारों को उसी क्षण जलाकर भस्म कर दिया। सभी राजकुमारों के भस्म होने की खबर जब राजा सगर को मिली तो उन्हें बहुत दुःख हुआ, और उनके पूरे राज्य में शोक की लहार छा गयी। तब राजा सगर ने अपने पौत्र अंशुमान को बुलाया और उन्हें कपिल मुनी के पास अपने पुत्रों की तरफ से उनसे क्षमा याचना करने के लिए भेजा।
अंशुमान कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे और उन्हें प्रणाम किया तथा उनसे अपने चाचाओं की तरफ से क्षमा याचना की। साथ ही उन्होंने कपिल मुनि से अपने चाचाओं की मुक्ति का मार्ग भी पूछा। तब कपिल मुनि ने अंशुमान को बताया की केवल गंगाजी के पावन जल से तर्पण करने के बाद ही इन सभी को मुक्ति मिल सकती है। इतना कहकर कपिल मुनि ने अंशुमान को यज्ञ का घोडा लौटा दिया। घोडा लेकर अंशुमान राजा सगर के पास पहुंचे और उन्हें सारी बात कह सुनाई। इसके बाद दुखी मन से राजा सगर ने यज्ञ को पूरा किया। यज्ञ को पूरा करने के बाद राजा सगर ने अपना राज्य अंशुमान को सौंप दिया और स्वयं अपने पुत्रों की मुक्ति के लिए गंगाजी को धरती पर लाने के लिए वन में तपस्या करने चले गए।
राजा सगर ने कई वर्षों तक वन में ब्रह्माजी की घोर तपस्या की, तपस्या करते-करते ही राजा सगर स्वर्ग सिधार गए। जब यह बात राजा अंशुमान को पता चली तो उन्हें बहुत दुःख हुआ। इसके बाद राजा अंशुमान ने अपना राज-पाठ अपने पुत्र दिलीप को सौंप दिया और स्वयं तपस्या करने वन चले गए। अंशुमान ने भी गंगाजी को धरती पर लाने के लिए घोर तपस्या की परन्तु वे भी सफल नहीं हो सके और तपस्या करते-करते उनकी भी मृत्यु हो गयी। जब राजा दिलीप का पुत्र भगीरथ बड़ा हुआ तब राजा दिलीप ने अपना राज्य पुत्र भगीरथ को सौंप दिया और स्वयं घोर तपस्या करने वन चले गए। राजा दिलीप को भी इस कार्य में सफलता नहीं मिली और तपस्या करते-करते उनकी भी मृत्यु हो गयी।
भगीरथ के कोई संतान नहीं थी, इसलिए राजा भगीरथ ने अपना राज्य अपने मंत्रियों को सौंप दिया और स्वयं तपस्या करने हिमालय चले गए। राजा भगीरथ ने भी ब्रह्माजी की कई सालों तक घोर तपस्या की और अंततः ब्रह्माजी राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हो गए। ब्रह्माजी ने राजा भगीरथ से वरदान माँगने को कहा। तब भगीरथ ने कहा हे परमपिता ब्रह्माजी यदि आप मेरी तपस्या से प्रसन्न हैं तो मुझे यह वरदान दीजिये की मेरे पूर्वज महाराज सगर के साठ हजार पुत्रों को गंगाजी के पावन जल के द्वारा मुक्ति प्राप्त हो, साथ ही मुझे संतान प्राप्ति का भी वरदान दीजिये जिससे मेरा वंश आगे बढ़ सके। तब ब्रह्माजी बोले तुम्हारी संतान प्राप्ति की इच्छा अवश्य पूरी होगी परन्तु गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित नहीं हो सकती, इसमें एक समस्या है। राजा भगीरथ ने पूछा गंगाजी के धरती पर अवतरित होने में क्या समस्या है। ब्रह्माजी बोले भगीरथ जब गंगाजी स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर आएँगी तब उनका वेग इतना तीव्र होगा की पृथ्वी उसे संभाल नहीं सकेगी और गंगाजी पृथ्वी को चीरकर पाताल लोक चली जाएँगी। इसलिए गंगाजी के वेग को सँभालने के लिए तुम्हे पहले कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न करना होगा, केवल वे ही गंगाजी के वेग को संभाल सकते है। यह कहकर ब्रह्माजी अन्तर्ध्यान हो गए।
ब्रह्माजी की बात सुनकर राजा भगीरथ ने हार नहीं मानी, उन्होंने उसी समय से उसी स्थान पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या आरंभ कर दी। फिर कई वर्षों की कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव प्रसन्न हो गए, भगवान शिव ने प्रकट होकर राजा भगीरथ से कहा हम तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हैं, इसलिए तुम्हारे मनोरथ को पूरा करने के लिए हम गंगाजी को अपने शीश पर धारण करेंगें। जब गंगाजी को पता चला की उन्हें पृथ्वी पर जाना है, तो वे अत्यंत क्रोधित हो गयी क्योकि वे देवलोक को छोड़कर पृथ्वी पर नहीं जाना चाहती थी। गंगाजी ने निश्चय किया की वे अपने प्रचंड वेग से भगवान शिव को भी बहाकर पाताल लोक ले जायेंगी। वे प्रचंड वेग से भगवान शिव के शीश पर उतरीं। भगवान शिव गंगाजी के अहंकार को भांप गए, भगवान शिव ने गंगाजी के वेग को अपनी जटाओं समेट लिया। गंगाजी पूरा प्रयास करने के बाद भी भगवान शिव की जटाओं से मुक्त नहीं हो सकीं।
जब राजा भगीरथ ने देखा की गंगाजी भगवान शिव की जटाओं में विलीन हो गयीं है, तब गंगाजी को भगवान शिव की जटाओ से मुक्त करवाने के लिए भगीरथ ने पुनः भगवान शिव की तपस्या की। राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगाजी को अपनी जटाओ से मुक्त कर दिया। मुक्त होकर गंगाजी की प्रचंड धारा राजा भगीरथ के पीछे-पीछे चलने लगी। भगीरथ गंगाजी की धारा को लेकर उस स्थान की तरफ बढ़ने लगे जहाँ उनके साठ हजार पूर्वज भस्म हो गए थे। गंगाजी की धरा भी उनके पीछे ही आ रही थी। उनके मार्ग में आने वाले सभी राजा, देव, दानव, यक्ष, किन्नर आदि गंगाजी का स्वागत कर रहे थे। जो भी गंगाजी के जल का स्पर्श करता उसका उद्धार हो जाता।
राजा भगीरथ गंगाजी को लेकर आगे बढ़ रहे थे, मार्ग में जाहनू ऋषि का आश्रम था, ऋषि अपने आश्रम में यज्ञ कर रहे थे, उसी समय गंगाजी की प्रचंड धरा में जाहनू ऋषि के यज्ञ समेत उनका पूरा आश्रम बह गया। यह देखकर ऋषि जाहनू अत्यंत क्रोधित हो गए। जाहनू ऋषि ने अंजलि भरकर गंगाजी का सारा जल पी लिया। जब राजा भगीरथ ने मार्ग में पीछे मुड़कर देखा तो उन्हें गंगाजी की धारा दिखाई नहीं दी। वे पुनः पीछे लौटे और जाहनू ऋषि के पास पहुंचे, उन्होंने जाहनू ऋषि को अपना उद्देश्य बताया और गंगाजी को मुक्त करने की विनती की। भगीरथ की विनती सुनकर जाहनू ऋषि ने आपने कान से गंगाजी की धारा को मुक्त कर दिया, जाहनू ऋषि ने गंगाजी को मुक्त किया था इसलिए गंगाजी को जाह्नवी भी कहा जाता है।
जब गंगाजी देवलोक से भगवन शिव की जटाओं में उतरी थी तब भगवान शिव ने उन्हें हिमालय स्थित गोमुख नाम के स्थान पर मुक्त किया था। गोमुख से भगीरथ गंगाजी को सर्वप्रथम हरिद्वार लाये थे, इसलिए आज भी मुक्ति के लिए हरिद्वार जाया जाता है। हरिद्वार से प्रयागराज, काशी, पाटलिपुत्र होते हुए राजा भगीरथ गंगाजी को कपिल मुनि के आश्रम लेकर आये थे, जहाँ उनके पूर्वजों को भस्म पड़ी थी (वह स्थान आज के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है), भस्म से गंगाजी के पवित्र जल का स्पर्श पाते ही राजा भगीरथ के साठ हजार पूर्वजों को मुक्ति मिल गयी, यह देखकर राजा भगीरथ ने माँ गंगा को कोटि-कोटि नमन किया। महाराज सगर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान करके गंगाजी की पवित्र धारा गंगासागर नाम के स्थान पर समुद्र में समा गयी। आज भी माँ गंगा की यह पवित्र धरा इसी मार्ग से अनवरत बह रही है और पतितों का उद्धार कर रहीं है। हर-हर गंगे। |
कांग्रेस नेता की नई किताब को लेकर भारतीय जनता पार्टी की ओर से कांग्रेस नेता पर जमकर निशाना साधा गया है. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कांग्रेस नेता पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस के सलमान खुर्शीद ने अपनी नई किताब में लिखा है कि हिंदुत्व आईएसआईएस और बीको हराम जैसे जिहादी इस्लामी समूहों के समान है. हम उस व्यक्ति से और क्या उम्मीद कर सकते हैं जिसकी पार्टी ने सिर्फ इस्लामिक जिहाद के साथ समानता लाने और मुस्लिम वोट पाने के लिए भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ा?
देश का ऑटोमोवाइल सेक्टर जल्द ही सवसे वड़े हव के रूम में अपनी पहचान वनाएगा। यह दावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया है। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष में भारत का ऑटोमोवाइल क्षेत्र दुनिया में पहले नंवर पर पहुंच जाएगा। |
झाँसी मीडिया क्लब ने संग्रहालय में सभी पत्रकारों ने धूमधाम से सारे पत्रकारों ने गले से गले मिलकर एकता का प्रतीक दिया हां धूमधाम से होली मिलन समारोह मनाया गया कार्यक्रम का आभार झांसी मीडिया क्लब अध्यक्ष मुकेश वर्मा व संचालन पवन तूफान ने किया। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार राम गोपाल शर्मा, रामकिशन अकेला, दीपचंद्र चौबे, रानू साहू, रवि शर्मा, रोहित झा, पंकज रावत, गुलज़ारीलाल, रिंकू पांडे, इमरान खान, राकेश शर्मा, प्रमेंद्र सिंह, धीरज शिवहरे, नवल किशोर शर्मा, अतुल वर्मा, श्री राम नरवरिया, हर्ष शर्मा, भूपेंद्र रायकवार, मोहम्मद आफरीन, इदरीश खान, विवेक दोहरे, आयुष साहू, राजीव सक्सेना, दीपक चौहान, विवेक राजोरिया, मुकेश झा, राहुल उपाध्याय, मनीष अली, देवेंद्र शुक्ला, राजेश चौरसिया, रोहित कुमार, एम खान, नंदकिशोर, दीप चंद्र चोबे, अख्तर, विजय कुशवाह, प्रभात सहनी, राहुल कोस्टा, बृजेश परिहार, इसरार अहमद, प्रदीप कुमार,सहित सेंकड़ों पत्रकार उपस्थित रहे। |
आप संग्रह करने के भी शौकीन हैं।
पीयूष कुमार गोयल : जी मैं सन १९८२ से संग्रह कर रहा हूँ सबसे पहले मैने डाक टिकटे सँग्रह करना शुरू किया धीरे धीरे और अन्य चीजों का सँग्रह करना शुरू कर दिया माचिस संग्रह,सिगरेट पैकेट संग्रह, डाक टिकट संग्रह,आटोग्राफ संग्रह, पेन संग्रह, प्रथम दिवस संग्रह, सिक्के व नोट संग्रह, मेरे पास हैं इसके अलावा गणित मेरा प्रिय विषय हैं मेरे ३ पेपर इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं।
आप दर्पण छवि के लेखक है आप कौन-कौन सी पुस्तकें लिख चुकें हैं।
पीयूष कुमार गोयल :जी मैं अब तक १७ पुस्तकें दर्पण छवि में लिख चूका हूँ.श्रीमद्भगवद्गीता हिंदी व इंग्लिश भाषा में, मेहंदी कौण से गीतांजलि, कार्बन पेपर से पंचतंत्र, कील से पीयूषवाणी व सुई से मधुशाला को लिखा हैं सुई से लिखी पुस्तक दुनियाँ की पहली पुस्तक जो सुई से लिखी गई हैं।
आपकी कौन-कौन सी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
पीयूष कुमार गोयल :जी मेरी (४+५ अलग -अलग भाषाओं में )पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं पहली पुस्तक गणित एक अध्धयन दूसरी पुस्तक इजी स्पेलिंग तीसरी पुस्तक पीयूषवाणी अभी हाल ही में चौथी पुस्तक सोचना तो पड़ेगा ही।
आपकी चौथी पुस्तक सोचना तो पड़ेगा हीके बारे में बतायें।
पीयूष कुमार गोयल :जी मेरी चौथी पुस्तक सोचना तो पड़ेगा ही मेरे अपने ११० विचारों का सँग्रह हैं ,जो पुस्तक के रूप में आपके सामने हैं .मेरा सोचना ये हैं की मेरे अच्छें विचारो से किसी की जिंदगी में सकरात्मकता आ जाये समझूंगा मेरा प्रयास सफल रहा। मैं अपने प्रिय पाठको से कहना चाहूंगा एक बार अवश्य पढ़े। ऑनलाइन उपलब्ध हैं अंत में यह अवश्य कहना चाहूंगा जिंदगी को जीना हैं सोचना तो पड़ेगा ही और जीनें तो चढ़ने पड़ेंगे।
आपकी पुस्तक का नाम सोचना तो पड़ेगा ही वाकई बड़ा टचिंग हैं।
पीयूष कुमार गोयल :जी आपको बताऊँ पुस्तक का नाम रखने में मुझे १०-१५ दिन लगे .सब कुछ तैयार था नाम की वजह से मुझे अपने कई दोस्तों से बात की उनके बतायें नामों को लिखता रहा अपने आप भी सोचता रहा एक दिन रात को करीब २ बजे एक नाम दिमाग मैं आया और नोट कर लिया अगले दिन सुबह पब्लिशर को ये ही नाम दे दिया.अब जो भी कोई मुझ से मिलता हैं या फ़ोन पर बात करता हैं सबसे पहले ये ही बोलता हैं भाई सोचना तो पड़ेगा ही.।
पुस्तक सोचना तो पड़ेगा ही के कुछ विचार।
जिंदगी को अगर किसी का सहारा लेकर जिओगे एक दिन हारा हुआ महसूस करोगे।
किसी काम को करने की नियत होनी चाहिये टालने से काम नहीं चलने वाला।
आपके सपनों में बहुत के सपने छिपे हैं अपने सपनें पुरे करो। |
नई दिल्ली। कोलकाता के एमरी अस्पताल और इसके तीन डॉक्टरों को चिकित्सकीय लापरवाही के मामले में उच्चतम न्यायालय ने ५.९६ करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया है। १९९८ का यह मामला भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर कुनाल साह की पत्नी की लापरवाही से हुयी हत्या का है। न्यायाधीश एस.जे. मुखोपाध्याय और वी.गोपाल गौड़ा की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान अस्पताल प्रशासन और इसके तीन डॉक्टरों को आठ हफ्तों में ये रकम चुकाने को कहा है।
इतना ही नहीं न्यायालय ने अस्पताल प्रशासन को छह प्रतिशत का ब्याज के साथ इस रकम को चुकाने को कहा है।
कुनाल साह अमेरिका के ओहियो में एड्स के शोधकर्ता हैं। कुनाल की पत्नी अनुराधा साह एक बाल मनोवैज्ञानिक थी। अनुराधा मार्च १९९८ में गर्मी की छुट्टियों में अपने घर कोलकाता आयी थी। तभी उन्हें त्वचा पर कुछ चकत्ते की शिकायत हुयी और उन्होंने २५ अप्रैल को एमरी अस्पताल के डॉ सुकुमार मुखर्जी से सलाह ली। मुखर्जी ने अनुराधा को बिना किसी दवा के बस आराम करने की सलाह दी थी। |
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कूल-कूल रहने वाले प्रदेश के सहृदय, संवेदनशील एवं विनम्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुंह से उल्टा टांग दूंगा वाला वाक्य अचानक नहीं निकला। निश्चित तौर पर कहीं न कहीं प्रशासनिक मशीनरी ने ऐसा कुछ जरूर किया है कि मुख्यमंत्री के मुंह से इतनी कठोर बात निकली। शिवराज सिंह चौहान भाषण जरूर लंबा-चौड़ा देते हैं किन्तु अपने स्वभाव के अनुरूप विवादों से और अनावश्यक कुछ भी बोलने से बचते हैं। लेकिन अचानक उनके मुंह से ये बात अनायास तो नहीं निकली। किसानों के भूमि संबंधी राजस्व मामले, बंटवारा, सीमांकन और नामांतरण के लंबित पड़े मामलों से आहत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गुस्सा भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में फूट पड़ा और उनके मुंह से निकल गया कि उल्टा टांग दंूगा। ये सुभाषित वाक्य मुख्यमंत्री जी के मुखारबिन्द से प्रस्फुटित होते ही विपक्ष ने इसे लपक लिया और बयानों का दौर प्रारंभ हो गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुंह से निकला यह कठोर वाक्य इस बात का संकेत दे रहा है कि कहीं न कहीं नौकरशाही बेलगाम हो चुकी है। कई बार के निर्देशों का भी उस पर कोई असर नहीं हो रहा है। शायद इसीलिए मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे में कड़क भाषा का प्रयोग किया हो। लेकिन शिवराज सिंह चौहान विगत १२-१३ वर्षों से प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। अब उन्हें अच्छा प्रशासनिक अनुभव भी हो चुका है।
कई मुख्य सचिव उनके साथ काम भी कर चुके हैं। मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने तेज-तर्रार मुख्य सचिव विजय सिंह को एक झटके में ही वल्लभ भवन से हटा कर ग्वालियर के मोतीमहल स्थित राजस्व मण्डल का रास्ता दिखा दिया था। फिर अब ऐसी क्या मजबूरी है। उनके हाथ में तो सबकुछ है। बे-लगाम नौकरशाही पर लगाम लगाने के कई हथकण्डे उन्हें पता हैं। दो-चार पर सख्त कार्रवाई कर प्रदेश भर में सख्ती का संदेश जा सकता है। फिर ऐसा करने में सोच-विचार क्यों? उन्हें आदेश ही तो देना है। दो-चार पर हुई सख्ती पूरे प्रदेश का वातावरण ठीक कर देगी। फिर देर किस बात की। यदि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान या उनके सलाहकार इतना कहने मात्र से सबकुछ ठीक होने का मन बनाकर बैठे हों तो यह उनका भ्रम है। क्योंकि प्रदेश की आय ए एस लॉबी इस तरह की पुलिसिया भभकी को समझ चुकी है और उसे डर व भय कहीं दिखाई नहीं देता। इसके पीछे जो कारण समझ में आते हैं उनमें एक तो यह कि मुख्यमंत्री जी के जो खास सिपहसालार हैं और जिनके माध्यम से जो आयएएस जिलों की कमान संभाले हैं वे मुख्यमंत्री के प्रति अपनी निष्ठा न दिखाते हुए उसके प्रति निष्ठावान रहते हैं जिसने उसे कलेक्टरी दिलवाई है। इसीलिए कई जिलों में पदस्थ कलेक्टर जनहितकारी एवं कल्याणकारी योजनाओं से विमुख होकर उन्हें धरातल पर मूर्तरूप देने में आना-कानी कर रहे हैं और तो और श्योपुर से हटाए गए पन्नालाल सोलंकी फिर से श्योपुर पहुंच गए। हरदा से हटाए गए कलेक्टर को दो-चार दिन बाद फिर हरदा का कलेक्टर बनाया गया। दतिया से हटे कलेक्टर प्रकाश जांगड़े कुछ माह बाद फिर कलेक्टरी पा गए। आखिर ये सब क्या है। अत: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को चाहिए कि वह अब सख्त कार्रवाई की बात मंचों से कहने के वजाय मैदान में करके दिखाएं अन्यथा ऐसे बयान न केवल उनकी प्रशासनिक विफलता की ओर इंगित करेंगे बल्कि प्रशासनिक अमला और बेलगाम होगा। |
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के मोर्चें ग्राम स्वराज अभियान के तहत गांव-गांव पहुंचकर हर दर पर दस्तक देंगे। भाजपा का ग्राम स्वराज अभियान ०१ दिसम्बर से प्रारम्भ होकर महात्मा गांधी के निर्वाण दिवस ३० जनवरी तक राष्ट्रपिता के संदेश को लेकर पांव-पांव चलते हुए गांव-गांव तक पहुंचेगा। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह तथा प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल ने ग्राम स्वराज अभियान से जुडे़ मोर्चा प्रमुखों को निर्देशित करते हुए प्रत्येक पदाधिकारी को गांव में प्रवास करने के लिए कहा।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री व अभियान प्रभारी गोबिन्द नारायण शुक्ल ने ग्राम स्वराज अभियान के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह तथा प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल ने ग्राम स्वराज अभियान के श्री गणेश से पूर्व ०१ से ०७ दिसम्बर तक प्रत्येक जिले में कार्यशाला आयाजित करने के निर्देश दिये। जिलों में आयोजित होने वाली कार्यशालाओं में पार्टी के जिलाध्यक्ष, मण्डल अध्यक्ष, मोर्चाें के जिले में निवास करने वाले प्रदेश पदाधिकारी, मोर्चो के क्षेत्रीय पदाधिकारी व जिला पदाधिकारियों के साथ मोर्चों के मण्डल अध्यक्ष उपस्थित रहेंगे। जिले की कार्यशालाओं में प्रदेश से पदाधिकारी पहंुचकर अभियान से जुडे़ विषय को विस्तार से रखेंगे।
श्री शुक्ल ने बताया कि दो माह तक चलने वाले ग्राम स्वराज अभियान में मोर्चो के पदाधिकारी आवंटित गांव के सभी बूथों पर प्रवास करते हुए बूथ समितियों के साथ बैठक करेंगे और गांव के प्रत्येक घर तक केन्द्र सरकार व प्रदेश सरकार की योजनाओं की जानकारी को पहुंचायेंगे तथा लाभार्थियों से भेंट करेंगे। इसके साथ ही भाजपा जन-जन के दर पर पहुंचकर फीडबैक लेने का भी काम करेगी। श्री शुक्ल ने बताया कि ग्राम स्वराज अभियान के तहत पार्टी के प्रवासी पदाधिकारी, युवा, महिला, किसान, प्रबुद्धजन, वरिष्ठजन, जनप्रतिनिधि, शिक्षक, अधिवक्ता सहित सभी वर्गां के साथ बैठकर केन्द्र व प्रदेश सरकार की उपलब्धियों पर चर्चा करेंगे तथा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद ३७० व ३५ए सहित अदम्य राजनैतिक साहस के साथ लिए गये निर्णयों पर भी जनमानस से राय शुमारी की जाएगी। इसके साथ ही स्वच्छता, सेवा, सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति का संकल्प, जल संरक्षण, बेटी बचाओं-बेटी पढाओ, शिक्षा और पर्यावरण जैसे जनसरोकार के विषयों के साथ भाजपा जनता के बीच पहुंचेगी।
पार्टी के प्रदेश महामंत्री गोविन्द नारायण शुक्ल ने बताया कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह व प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल ने मोर्चों के पदाधिकारियों को ग्राम स्वराज अभियान के जिला प्रवासी रूप में जिले आवंटित किये। युवा मोर्चो प्रदेश अध्यक्ष सुभाष यदुवंश नोएडा महानगर, गौतमबुद्धनगर व बस्ती, किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चैधरी राजा वर्मा हापुड़ व बुलन्दशहर, महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती दर्शना सिंह मीरजापुर व सोनभद्र, अल्पसंख्यक मोर्चां के प्रदेश अध्यक्ष हैदर अब्बास चांद को जौनपुर व आजमगढ का अभियान जिला प्रवासी नियुक्त किया गया है।
जिला अभियान प्रवासी के रूप में महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष गिरजा तिवारी ललितपुर, नीरज वर्मा लखनऊ, गोदावरी मिश्रा लखीमपुर, प्रदेश महामंत्री रश्मि रावल रामपुर, अर्चना मिश्रा गाजियाबाद व सीतापुर, क्षेत्रीय अध्यक्ष पश्चिम अंजू वारियर मुजफ्फरनगर व बागपत, क्षेत्रीय अध्यक्ष कानपुर पूनम द्विवेदी कानपुर देहात व औरैया, क्षेत्रीय अध्यक्ष काशी अनीता त्रिपाठी प्रतापगढ़ व प्रयागराज, क्षेत्रीय अध्यक्ष गोरखपुर सुनीता श्रीवास्तव गोरखपुर जिले में अभियान प्रवासी रहेगी।
युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष वरूण गोयल बिजनौर व सहारनपुर, शिव वीर सिंह भदौरिया कन्नौज व फर्रूखाबाद, राहुल राज रस्तोगी अम्बेडकर नगर व बहराइच, प्रदेश महामंत्री हर्षवर्धन सिंह बलरामपुर व उन्नाव, मिथलेश त्रिपाठी गोण्डा व श्रावस्ती, देवेन्द्र पटेल मछलीशहर व चंदौली, कमलेश मिश्रा सुलतानपुर व अमेठी, प्रदेश मंत्री सत्येन्द्र नागर अमरोहा में जिला अभियान प्रवासी रहेंगे। अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश महामंत्री डीवी भारती आंवला व मैनपुरी, शेषनाथ आचार्य देवरिया व मऊ, क्षेत्रीय अध्यक्ष पश्चिम हरेन्द्र जाटव मुरादाबाद, क्षेत्रीय अध्यक्ष ब्रज पंकज पवार आगरा व फिरोजाबाद, क्षेत्रीय अध्यक्ष कानपुर उपेन्द्र पासवान झांसी व हमीरपुर, क्षेत्रीय अध्यक्ष काशी राजेश गौतम भदोही व कौशाम्बी के जिला अभियान प्रवासी रहेंगे।
पिछड़ा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष परमेश्वर सैनी मेरठ व संभल, हीरा ठाकुर मथुरा व कानपुर, राम कैलाश यादव एटा व कासगंज, प्रदेश महामंत्री चिरंजीलाल चैरसिया संतकबीरनगर व महराजगंज, विनोद यादव कुशीनगर व बलिया, पूरन लाल लोधी अलीगढ व बरेली, क्षेत्रीय अध्यक्ष पश्चिम लोकेन्द्र प्रजापति शामली, क्षेत्रीय अध्यक्ष अवध राज किशोर मौर्य शाहजहांपुर व पीलीभीत, क्षेत्रीय अध्यक्ष कानपुर इन्द्र पाल सिंह पटेल फतेहपुर व चित्रकूट के जिला अभियान प्रवासी रहेंगे।
किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष राणा प्रताप वाराणसी व प्रयागराज महानगर, अवधेश यादव इटावा, प्रदेश महामंत्री रामनरेश यादव जालौन, सुधीर सिंह सिद्धदू रायबरेली व हरदोई, क्षेत्रीय अध्यक्ष ब्रज हरमेश गौतम हाथरस व बदायूं, अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री फैजल सिद्धदीकी महोबा व बांदा, इफ्तिकार हुसैन सिद्धार्थनगर व लालगंज, अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष मुन्ना खरवार गाजीपुर, प्रदेश महामंत्री संजय गौड़ बाराबंकी व आयोध्या के जिला अभियान प्रवासी रहेंगे। |
लातूर के स्प निखिल पिंगले को दी गई कंप्लेंट में अभिमन्यु ने कहा कि कौन बनेगा करोड़पति में शुक्रवार को प्रसारित किए गए कर्मवीर एपिसोड में अमिताभ बच्चन द्वारा पूछे गए एक सवाल के लिए उनके खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए. पवार ने पुलिस कंप्लेंट की दो पन्ने की कॉपी को ट्वीट करते हुए लिखा, "हिंदुओं को बदनाम करने की कोशिश की गई है और बुद्ध व हिंदुओं को एक दूसरे से अलग दिखाने का प्रयास किया गया है. जो कि लंबे वक्त से प्रेमपूर्ण तरीके से रह रहे हैं."
जिस एपिसोड का जिक्र शिकायत कॉपी में किया गया है उसमें सोशल एक्टिविस्ट बेजवाड़ा विल्सन और एक्टर अनूप सोनी अमिताभ के सामने हॉटसीट पर बैठे हुए थे. जिस सवाल का जिक्र किया गया है वो ६ लाख ४० हजार रुपये के लिए पूछा गया था. सवाल था- २५ दिसंबर १९२७, डॉ. बीआर अंबेडकर और उनके अनुयायियों ने किस धर्मग्रंथ की प्रतियां जलाई थीं?
इस सवाल के लिए दिए गए विकल्प थे: आ-विष्णु पुराण, ब- भगवत गीता, च-ऋग्वेद, ड-मनुस्मृति. सवाल के बाद अमिताभ बच्चन ने कहा, "१९२७ में अंबेडकर ने प्राचीन हिंदू ग्रंथ मनुस्मृति की वैचारिक रूप से जातिगत भेदभाव और छुआछूत को उचित ठहराते हुए इसकी प्रतियों को जला दिया." |
एक सम्मानित सहयोगी ने एक बार मुझसे कहा था कि शास्त्रीय मनोविश्लेषण एक मूल रीलबैंट और नए, "सबूत-आधारित" चिकित्सा की तरह एक सस्ते अधीक्षक की तरह हैं, जो मूल के बराबर (या इससे भी बेहतर) होने का नाटक करते हैं लेकिन जब सामना करना पड़ता है किसी भी गंभीर जांच। मनोविश्लेषण के लिए बाद में मुझे पेश करने वाले न केवल दवाओं और नए उपचारों के साथ-साथ कई सैकड़ों रोगियों को देखा जा रहा है, मैं यह कह सकता हूं कि यह सादृश्य एक उपयुक्त है।
क्लार्क विश्वविद्यालय में दिमाग की बैठक: सिगमंड फ्रायड, स्टेनली हॉल, सीजी जंग; पिछला पंक्ति: अब्राहम ए। ब्रिल, अर्नेस्ट जोन्स, सैंडोर फेरेनसी।
यदि कोई व्यक्ति १ ९ ५० या १ ९ ६० के दशक में मनोचिकित्सक से परामर्श लेना था, तो उसे पचास मिनट के लिए सप्ताह में तीन या चार बार देखा जा सकता है, सोफे पर झूठ होगा, और अपने सपने, उनकी यादें, उनकी कल्पनाओं को रिले करेंगे उनके दिमाग और जीवन की सबसे अंतर्निहित सामग्री लक्ष्य आत्म-समझ, स्वतंत्रता, स्वायत्तता था। कभी कभी एक दवा निर्धारित की जाएगी, लेकिन यह शासन के बजाय अपवाद था और यह आमतौर पर विश्लेषण की प्रक्रिया में सहायता करने के लिए अल्पकालिक अवधि के दौरान विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग किए जाने वाली एक एकल दवा थी।
मनोविज्ञान और मनोवैज्ञानिक मनोचिकित्सा को मनोचिकित्सा, सामाजिक कार्य और मनोविज्ञान के कुछ कोनों में अभ्यास करना जारी है, और हाल के शोध से पता चलता है कि दीर्घकालिक (स्टीनर्ट, मेडर, रबंग, होयर, और लेचशेनिंग पर संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी से इन दृष्टिकोण अधिक प्रभावी होते हैं , २०१७) मनोविश्लेषण और मनोविश्लेषक चिकित्सा विशेष रूप से उपयोगी है, मेरी राय में, जटिल समस्याओं वाले रोगियों के लिए, जो परिवर्तन में प्रयास के बावजूद स्वयं को वही समस्याग्रस्त व्यवहार में मिलते हैं, और एक सैद्धांतिक रूप से और रोगी-दर्शन से महत्वपूर्ण आत्म-परीक्षा की मांग करने वाले रोगियों के लिए। मुझे रोगियों द्वारा बार-बार कहा गया है कि जो चिकित्सा "कौशल का मुकाबला" पर केंद्रित है और अपनी सोच या व्यवहार को बदलने के लिए रणनीतियां केवल सतही सुधार हैं; वे क्या चाहते थे-और जो अंततः उन्हें मदद करता है जीवन में उनकी समस्याओं की प्रकृति की पूरी समझ है। और यह समझ केवल मनोवैज्ञानिक-सूचित मनोचिकित्सा या मनोविश्लेषण के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।
क्या ट्रम्प का संयम एक व्यक्तित्व विकार है?
क्या मास हत्यारों ने पालतू जानवरों को नुकसान पहुंचाया है?
छोटे, लक्षण-केंद्रित चिकित्सा जैसे दवाओं और सीबीटी की ओर क्षेत्र की प्रवृत्ति के बावजूद मनोवैज्ञानिक विश्लेषण कुछ मामलों में कुछ मानसिक स्थितियों को अवधारणा करने का एकमात्र तरीका है। मनोचिकित्सा में सबसे दिलचस्प समस्या, और संभवत: सभी दवाएं, वह रोगी है जो न्यूरोलॉजिकल लक्षण (जैसे, पक्षाघात, अंधापन, जब्ती, गड़बड़ की दिक्कत) के साथ प्रस्तुत करता है जिसके लिए कोई तंत्रिका संबंधी कारण नहीं है। समस्याएं मनोवैज्ञानिक होती हैं और आंतरिक मनोवैज्ञानिक संघर्षों की अभिव्यक्ति होती है। यह एक ऐसी समस्या है जिसने फ्रायड को बेहोश मन के अपने सिद्धांत को विकसित करने और मनोचिकित्सा और चिकित्सा के पाठ्यक्रम को हमेशा के लिए बदल दिया। एक सौ साल बाद, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के अलावा रूपांतरण विकार के लिए कोई इलाज नहीं रहता है, फ्रायड की स्थायी प्रतिभा के लिए एक वसीयतनामा।
रूपांतरण के अलावा, मनोवैज्ञानिक उपचार अन्य शर्तों जैसे कि व्यक्तित्व विकार और अन्य पुरानी, असंबंधित मनोवैज्ञानिक सिंड्रोम के लिए पसंद का उपचार रहता है। यह कई लोगों की राय में, मनोचिकित्सा उपचार के स्वर्ण मानक-मनोचिकित्सा में उपलब्ध सबसे गहन, सबसे जटिल, और सबसे संपूर्ण उपचार का रूप है। ड्रग्स और डायरेक्टिव थेरेपी के "फिक्स फिक्स" की दिशा में फ़ील्ड की प्रवृत्ति के बावजूद, मनोविश्लेषण अन्य तरीकों की पेशकश करना जारी रखता है जो एक व्यक्ति की मानसिक जिंदगी और आत्म होने की पूरी परीक्षा और समझ है।
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एनसीआर टाईम्स, भिवाड़ी। माडर्न पब्लिक स्कूल भिवाड़ी में शनिवार को देशभक्ति पर आधारित समूहगान व कविता वाचन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में भिवाड़ी, रेवाड़ी, नीमराणा, अलवर व तिजारा सहित आसपास के १७ स्कूलों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। माडर्न पब्लिक स्कूल की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ताप्ती चटर्जी, प्रिंसिपल पीके साजू व वाइस प्रिंसिपल सुनील भार्गव ने दीप प्रज्वलित कर प्रतियोगिता का शुभारंभ किया। इसके बाद रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति ने मन मोह लिया। प्रिंसिपल पी के साजू ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताओं से विद्यार्थियों का ना सिर्फ बौद्धिक विकास होता है बल्कि आपस मे सहयोग की भावना को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि हार जीत इतनी मायने नहीं रखती जितनी कि आगे बढ़कर प्रतियोगिताओं में भाग लेना।
कविता वाचन प्रतियोगिता में कक्षा ६ से ८ व ९ से १० वर्ग में मॉडर्न पब्लिक स्कूल भिवाड़ी ने प्रथम व तृतीय स्थान प्राप्त किया जबकि हॉली चाइल्ड स्कूल को दूसरा स्थान मिला। इसी तरह देशभक्ति समूह गान प्रतियोगिता में माडर्न पब्लिक स्कूल भिवाड़ी प्रथम, आशियाना स्कूल भिवाड़ी द्वितीय व चिनार पब्लिक स्कूल अलवर ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। प्रतियोगिता के अंत में विजयी रही टीमों और विद्यार्थियों को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र दिये गये। इस अवसर पर उपस्थित प्रत्येक विद्यालय ने स्कूल प्रबंधन की भूरी भूरी प्रशंसा की । |
सुन्दर लाल बहुगुणा ' एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम है जिसके पर्यायवाची शब्दों में बहुत से शब्द हैं यथा चिपको आंदोलन,वृक्षों के रक्षक या वृक्षमित्र,शराब के खिलाफ लड़नेवाला अप्रतिम योद्धा,टिहरी राजशाही के कटु विरोधी,टिहरी जैसे बड़े बाँध से होनेवाले पर्यावरण,पारिस्थितिकी, समाज,संस्कृति और देश को होनेवाली अपूरणीय क्षति के सजग उद्घोषक,पर्यावरण के प्रति देश भर के युवाओं के पथप्रदर्शक आदि-आदि । पर्यावरण संरक्षण के प्रति आजीवन अथक जागरूकता और जनजागृति करनेवाला महान मनीषी २१-५-20२१को इस दुनिया को सदा के लिए छोड़कर चला गया। वास्तव में स्वर्गीय सुन्दर लाल बहुगुणा जी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य वृक्षों को बचाकर,पर्यावरण की रक्षा करना था,हाँलाकि अपने प्रारंभिक जीवन में वे राजनीति में भी अपना कैरियर आजमा चुके थे, लेकिन ९ जनवरी 1९27 में टिहरी में जन्मे स्वर्गीय सुन्दर लाल बहुगुणा जी श्रीमती विमला बहुगुणा जी से 1९५6 में शादी के पवित्र बंधन में बंधते ही राजनीति को सदा के लिए तिलांजलि देकर, पूर्णरूपेण अपना जीवन पर्यावरण को,पेड़ों को बचाने तथा अन्य अनेक बुराइयों को इस दुनिया से उखाड़ फेंकने को कृत संकल्पित हो गये,अपने इस पवित्र और पुनीत संकल्प को उन्होंने जीवनपर्यंत पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी से निभाया। चिपको आंदोलन के माध्यम से पेड़ों और वनों को बचाने के सिद्धांत को हम दूसरे शब्दों में यूँ समझ सकते हैं कि इस धरती पर पेड़-पौधे और हरियाली बचेगी,तभी हमारे जीवन के मूलाधार सूर्यदेव अपने प्रकाश के रूप में इस धरती पर उतरकर प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से इस धरती के समस्त जैवमण्डल के लिए खाद्यान्न का उत्पादन कर सकते हैं ।
अपनी शादी के तुरंत बाद ही उन्होंने १९५६ में अपनी पत्नी श्रीमती विमला बहुगुणा जी व अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर अपने मातृ जिले टिहरी-गढ़वाल में पर्यावरण संरक्षण के कार्यों को विधिवत व पुरजोर तरीके से करने के लिए पर्वतीय नवजीवन मण्डल नामक एक आश्रम की स्थापना किए,सबसे पहले वे अपनी जन्मभूमि टिहरी और उसके आसपास के क्षेत्रों में ही शराब जैसी बुराई को समाप्त करने का बीड़ा उठाया,इस पुनीत कार्य में उन्हें काफी सफलता भी मिली,परन्तु १९६० के दशक में उन्होंने अपने आंदोलन की धारा प्रमुख रूप से पेड़ों और जंगलों की सुरक्षा पर केन्द्रित कर दिया,वे पर्वतीय क्षेत्र की ही एक कर्मठ महिला गौरा देवी और अन्य कर्तव्यनिष्ठ,ईमानदार व जुझारू युवाओं व छात्रों की मदद से वहाँ के जंगलों में अवैध या सरकारी संरक्षण में लकड़ी काटनेवाले ठेकेदारों व भूमॉफियाओं के खिलाफ चिपको आंदोलन के रूप में एक बहुत ही सशक्त व मानवीय विरोध या अवरोधक के रूप में चट्टान की तरह डट गये,२६ मार्च १९७४ को स्वर्गीय सुन्दर लाल बहुगुणा जी व श्रीमती गौरा देवी के नेतृत्व में उस पर्वतांचल के हजारों युवक और युवतियों का समूह 'वहाँ के सैकड़ों पेड़ों से,पहले हमें काटो,फिर जंगल को काटो ',नारे के तहत चिपक गये,मजबूर होकर उस समय जंगल काटनेवाले ठेकेदारों व भूमॉफियाओं को पीछे हट जाना पड़ा था। वे इतने विनम्र और और निःस्वार्थ व्यक्तित्व के धनी थे कि उन्होंने चिपको आंदोलन का श्रेय खुद कभी नहीं लिया उसे पहाड़ी अंचल की कर्मठ महिलाओं को इसका सारा श्रेय दे दिया !
संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस वर्ष २०२२ को अक्षय विकास के लिए बुनियादी विज्ञान का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष यानी थे इंटरनेशनल ईयर ऑफ बेसिक साइंस फॉर सुस्तैनेबल डेवलमेंट के रूप में मनाने का निश्चय किया है। अक्षय शब्द का मतलब ही है जिसका कभी क्षय न हो । इस वर्तमान समय की दुनिया के पारिस्थितिकीय पिरामिड के शीर्ष पर बैठे मानवीय समाज के कथन पर कि हम मानव ही इस धरती के संपूर्ण पर्यावरण व प्रकृति के नियंत्रक हैं ! वास्तविकता यह है कि प्रकृति बार-बार अपने कृत्यों यथा महाविनाशकारी तूफानों, सुनामियों,भूकंपों, बाढ़ों और जंगलों में लगी भीषण आग से मानव के इस मिथ्यादंभ को मिनटों में धूलधूसरित करके रख देती है। उन्नतिशील देश बड़े बांधों से होनेवाली अकथ्य पर्यावरण विनाश का आकलन करके उनका निर्माण कार्य लगभग बन्द कर रखा है,परन्तु भारत जैसे देश में इस देश की पर्यावरणीय क्षति को दरकिनार कर के अपनी जेब में खरबों रूपये कमाने के लालच में यहाँ के नेता-ब्यरोक्रेट-ठेकेदार दुष्ट त्रयी अभी भी इस तरह के निर्माण कार्य को लगातार जारी रखे हुए हैं ! बहुगुणा जी इसके सख्त खिलाफ थे ।
उनके द्वारा किए गए इन सद् कार्यों से इस देश और दुनिया के अन्य देशों की सरकारों और संस्थानों ने उन्हें विभिन्न अलंकरणों से सम्मानित व विभूषित किया,उदाहरणार्थ भारत की सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से,अमेरिका की एक संस्था फ्रेंड्स ऑफ नेचर पदक से और स्वीडन सरकार ने उन्हें राइट लाइवलीहुड के पदक से सम्मानित किया । ऐसे विलक्षण प्रतिभा के धनी,पर्यावरण और प्रकृति के सचेतक मनीषी के जन्मदिन पर उन्हें इस पूरे देश के पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्ध और चिंतित करोड़ों नागरिकों की विनम्र,हार्दिक शुभकामनाएं, |
कोलकाता,१९ दिसंबर । आस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज पैट कमिस पर गुरुवार को जारी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल)-२०२० की नीलामी में जमकर पैसा बरसा। कमिंस के लिए दिल्ली कैपिटल्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर की बीच कड़ी टक्कर चली, जिसमें बाद में कोलकाता नाइट राइडर्स भी शामिल हो गई और १५.५० करोड़ रुपये में अपने साथ ले गई। इसी के साथ कमिंस आईपीएल इतिहास में सबसे महंगे विदेशी खिलाड़ी बने। उन्होंने बेन स्टोक्स को पीछे किया। स्टोक्स को १४.५० करोड़ में राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स ने लिया था। कमिंस दो करोड़ की बेस प्राइस के साथ आए थे।
कमिंस के पास युवराज को सिंह को पीछे छोड़ आईपीएल नीलामी में सबसे महंगे खिलाड़ी बनने का मौका आया था लेकिन वह चूक गए। युवराज को दिल्ली डेयरडेविल्स ने १६ करोड़ रुपये में खरीदा था। आस्ट्रेलिया के ग्लैन मैक्सवेल के जेब भी गरम हुई। किंग्स इलेवन पंजाब ने हरफनमौला खिलाड़ी के लिए खूब जद्दोजहद की। इसमें दिल्ली कैपिटल्स भी शामिल थी। अंतत: मैक्सवेल को उनकी पुरानी टीम पंजाब ने १०.७५ करोड़ रुपये में अपने नाम किया। मैक्सवेल दो करोड़ की बेस प्राइस के साथ आए।
पिछले सीजन दिल्ली के लिए खेलने वाले दक्षिण अफ्रीका के क्रिस मौरिस इस सीजन रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के लिए खेलेंगे। बेंगलोर ने उनके लिए १० करोड़ खर्च किए हैं। उनकी बेस प्राइस १.५० करोड़ थी। यह तीनों ही खिलाड़ी अभी तक १० करोड़ रुपये की सीमा पार करने में सफल रहे हैं। उम्मीद थी कि आस्ट्रेलिया के क्रिस लिन के नीलामी में बड़ी जंग देखी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और मौजूदा विजेता मुंबई इंडियंस ने लिन को बेस प्राइस दो करोड़ रुपये में अपने नाम किया। उनके लिए किसी और ने नीलामी में बोली नहीं लगाई।
आस्ट्रेलिया की सीमित ओवरों की टीम के कप्तान एरॉन फिंच एक करोड़ की बेस प्राइस के साथ उतरे थे। उनके लिए कोलकाता और बेंगलोर ने जमकर बोली लगाई और अंतत: विराट कोहली की कप्तानी वाली बेंगलोर ४.४0 करोड़ रुपये में फिंच को अपने साथ लेने में सफल रही।
इंग्लैंड के कप्तान इयोन मोर्गन के लिए जरूर बोली में जंग देखी गई। १.५ करोड़ की बेस प्राइस वाले मोर्गन को अंतत: कोलकाता ने ५.2५ करोड़ में अपने नाम किया। इंग्लैंड के बॉलिंग ऑलराउंडर सैम कुरेन को ५.५0 करोड़ रुपये में चेन्नई सुपर किंग्स ने खरीदा। सैम का बेस प्राइस एक करोड़ रुपये था।
उम्मीद थी कि आस्ट्रेलिया के क्रिस लिन के नीलामी में बड़ी जंग देखी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और मौजूदा विजेता मुंबई इंडियंस ने लिन को बेस प्राइस दो करोड़ रुपये में अपने नाम किया। इंग्लैंड के क्रिस वोक्स को दिल्ली ने १.५० करोड़ रुपये में खरीदा। वहीं हरफनमौला खिलाड़ी युसूफ पठान को कोई खरीददार नहीं मिला। वह पिछले सीजन सनराइजर्स हैदराबाद में खेले थे। कोलिन डी ग्रांडहोम को भी किसी ने नहीं खरीदा।
पिछले सीजन कोलकाता के लिए खेलने वाले रोबिन उथप्पा १.५० करोड़ बेस प्राइस के साथ नीलामी में आए थे और राजस्थान रॉयल्स ने तीन करोड़े देकर उन्हें अपने नाम कर लिया। चेतेश्वर पुजारा और पिछले सीजन दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेलने वाले हनुमा विहारी को कोई खरीददार नहीं मिला। दोनों का बेस प्राइस ५० लाख रुपये था। दिल्ली ने विहारी की जगह इंग्लैंड के बल्लेबाज जेसन रॉय को उनकी बेस प्राइस १.५ करोड़ रुपये में अपने साथ जोड़ा। |
लिक वाया वंदना योजना : प्रधानमंत्री वय वंदना योजना के तहत मिलेंगे १०००० रुपए प्रति माह लाभ लेने के लिए ऐसे करें आवेदन !
भारत सरकार द्वारा लिक वाया वंदना योजना अगर इस योजना में एक बार निवेश करते है तो आपको हर महीने एक निश्चित राशि पेंशन के रूप मिलती रहेगी जिसमें आपको न्यूनतम पेंशन एक हजार रुपये मिलेगी तो वहीं अधिकतम १०,००० रुपये पेंशन मिलेगी।
किसन विकास पत्र : केवीपी स्कीम मे करे निवेश मेच्योरिटी पर पैसा होगा डबल २ लाख का मिलेगा ४ लाख ,ऐसे खुल जाएगा अकाउंट !
किट मकिंग बुसिनेस ईडिया पतंग बनाने का व्यापार शुरू करें और कमाई करें हजारों रुपए का, यह है प्रक्रिया ! |
सीमा पर खड़े जवान और खेती कर रहे किसान दोनों ही देश के लिए महत्वपूर्ण हैं लेकिन इनकी आड़ में अराजकता और आपत्तिजनक घटनाओं का होना अब एक आम बात हो गई है। राजधानी दिल्ली की सभी सीमाओं पर संसद द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के नाम पर अराजकता का तांडव हो रहा है। इन फर्जी किसानों के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो वहां रिपोर्टिंग कर रही महिला पत्रकारों के साथ अश्लील हरकतें कर रहे हैं और उनका यौन उत्पीड़न तक कर रहे हैं,जिसकी पोल इंडिया टुडे की पत्रकार प्रीती चौधरी ने खोली है।
पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से चल रहे तथाकथित किसानों के आंदोलन में अब तक हम सभी ने खालिस्तानी समर्थकों से लेकर कोरोनावायरस के रोकथाम के लिए बने नियमों का खुलकर उल्लंघन करने वाले असमाजिक तत्वों को देखा है, लेकिन कुछ सच्चाईयां ऐसी भी है जो मुख्यधारा के मीडिया चैनल्स अपने सरकार विरोधी एजेंडे के तहत दिखा ही नहीं रहे हैं। ऐसा ही एक खुलासा इंडिया टुडे की पत्रकार प्रीती चौधरी ने किया है और बताया है कि किसान आंदोलन में अराजकतावादी लोग महिला पत्रकारों के साथ अश्लील हरकतें करते हैं।
उन्होंने अपने रिपोर्टरों के हुई घटनाओं को लेकर कहा कि ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए उनकी खुद की टीम के पास कई ऐसे वाकये हैं, जब रिपोर्टर को यौन उत्पीड़न झेलना पड़ा। प्रीती का आरोप सच में किसानों की छवि खराब करने वाली है, लेकिन ये भी समझना होगा कि उन किसानों के बीच अब अराजकतावादी लोगों की संख्या पहले से कही ज्यादा हो चुकी है।
उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा, हमारे किसानों ने पहले ही अपनी इज्जत काफी बर्बाद करवा ली हैलेकिन महिला रिपोर्टरों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाओं के बाद तो वो लोग खुद का ही अपमान कर रहे हैं। मेरे खुद के रिपोर्टरों के साथ भी इस तरह की घटनाएं हुई है जिसके वाकये आसानी से बताए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को खुद एकजुटता दिखाते हुए उन महिला पत्रकारों के साथ अश्लील हरकतें करने वाले असमाजिक तत्वों को सामने लाना चाहिए। प्रीती ने इस मसले पर किसानों की सीधी आलोचना कर दी थी जिसके बाद एक स्वघोषित किसान समर्थक सामने आया जिसे उनके गुस्से का सामना करना पड़ गया।
भूपेंद्र चौधरी नाम के एक शख्स ने पत्रकारों को ही भला बुरा बोलते हुए कहा कि पत्रकार जबरदस्ती किसानों के बीच आकर बाइट मांगने के लिए उन्हें तंग करते हैं। उन्हें भी इस विषय में सोचना चाहिए। इस बेतुके तर्क पर प्रीती का भड़कना लाजमी था और उन्होंने एक और सच्चाई बताते हुए कहा कि अगर किसी को बाइट नहीं देनी है तो न दे; लेकिन कम से कम किसी महिला पत्रकार को गलत तरीके से छुए भी नहीं, और न ही उसे शरीरिक रूप से छेड़ने की हिम्मत करे। उनका ये भी कहना है कि इतनी भीड़ में महिला पत्रकारों को कौन सा व्यक्ति किस तरफ से छू रहा है, ये किसी को नहीं पता होता ऐसे में किस अकेले शख्स के खिलाफ शिकायत की जाए।
ये वो असलियत है जो इस फर्जी आंदोलन में खूब की जा रही हैं। अपुष्ट खबरें ये भी हैं इंडिया टुडे के आलावा रिपब्लिक टीवी और जी न्यूज की महिला पत्रकारों के साथ भी इसी तरह की घटनाएं हुई है जो कि हैरान कर देने वालीं हैं। जी हिंदुस्तान की महिला पत्रकारों की टीम के साथ भी इन फर्जी किसानों ने कुछ ऐसे ही अश्लीलता की थी जो कि इनकी बदनीयती को दर्शाता है।
किसानों के इस तथाकथित आंदोलन की अराजकता अपनी पराकाष्ठा पूर्णतः पार कर चुकी हैं ऐसे में इस पर पत्रकारों की एक जमात भी इनके खिलाफ खड़ी हो गई है। ये इस बात का संकेत है कि इन अराजक तत्वों के खिलाफ अब सरकार द्वारा कुछ सख्त कार्रवाइयां हो। वरना स्थितियां और बिगड़ सकती हैं। |
माई कोचिंग डॉट इन ने आपके ब्राउज़र में जावास्क्रिप्ट अवरोधक का पता लगाया है। कृपया साइट की सामग्री देखने के लिए जावास्क्रिप्ट सक्षम करें।
नॉर्डिक देशों में, नॉर्डिक परिषद औपचारिक अंतर-संसदीय नॉर्डिक सहयोग के लिए आधिकारिक निकाय है। १९५२ में स्थापित, अब इसमें डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और स्वीडन के ८७ सदस्य हैं, साथ ही फरो आइलैंड्स, ग्रीनलैंड और आलैंड के प्रतिनिधि भी हैं। प्रतिनिधि उनके संबंधित संसदों द्वारा चुने जाते हैं और संसद के सदस्य होते हैं। अक्टूबर/नवंबर में नॉर्डिक काउंसिल के सामान्य सत्रों के अलावा आमतौर पर प्रत्येक वर्ष एक विशिष्ट विषय के साथ एक अतिरिक्त सत्र होता है।
इसके अलावा एक और परिषद है जिसे विश्व सीमा शुल्क संगठन कहा जाता है वैध व्यापार को सुविधाजनक बनाने, उचित राजस्व संग्रह हासिल करने और समाज की रक्षा करने में नेतृत्व, मार्गदर्शन और सहायता के साथ सीमा शुल्क प्रशासन का समर्थन करता है। आइए इस ब्लॉग में इनके बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।
कार्यशील भाषाओं के रूप में केवल पारस्परिक रूप से सुगम स्कैंडिनेवियाई भाषाओं-डेनिश, नॉर्वेजियन और स्वीडिश-का उपयोग करने के बावजूद, परिषद की आधिकारिक भाषाएं डेनिश, फिनिश, आइसलैंडिक, नार्वेजियन और स्वीडिश हैं। लगभग ८०% आबादी इन तीन भाषाओं को अपनी पहली भाषा के रूप में बोलती है और २०% उन्हें दूसरी या विदेशी भाषा के रूप में सीखते हैं।
नॉर्डिक मंत्रिपरिषद, एक अंतर-सरकारी मंच, परिषद के पूरक के लिए १९७१ में स्थापित किया गया था। परिषद और मंत्रिपरिषद के बीच जर्मन राज्य श्लेस्विग-होल्स्टीन, बेनेलक्स देशों, बाल्टिक राज्यों और रूस सहित विभिन्न प्रकार के सहयोग चल रहे हैं।
राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों के पूरक के रूप में, १९७३ में नॉर्डिक परिषद में पार्टी समूहों को भी पेश किया गया था। नवंबर १९७५ में, नॉर्डिक निवेश बैंक की स्थापना के निर्णय के बाद नॉर्डिक परिषद ने अपना पहला अतिरिक्त सत्र आयोजित किया।
इसके सदस्यों की संसदों द्वारा कुल ८७ प्रतिनिधि चुने जाते हैं, जो उन संसदों के भीतर राजनीतिक दलों के सापेक्ष प्रतिनिधित्व को दर्शाते हैं। शरद ऋतु के दौरान, यह अपना मुख्य सत्र आयोजित करता है, जबकि एक वसंत सत्र एक विशेष विषय के लिए समर्पित होता है। राष्ट्रीय संसद में प्रत्येक राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का अपना सचिवालय होता है। इसके अलावा, ग्रीनलैंड, फरो आइलैंड्स और भूमि में नॉर्डिक सचिवालय हैं।
विश्व सीमा शुल्क संगठन सीमा शुल्क प्रशासन को नेतृत्व, मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करता है, विश्व सीमा शुल्क संगठन अंतरराष्ट्रीय मानकों को विकसित करता है, सहयोग को बढ़ावा देता है, और वैध व्यापार, उचित राजस्व संग्रह और सामाजिक सुरक्षा के लिए क्षमता बनाता है।
हमारा संगठन ज्ञान और कार्रवाई पर आधारित है।
शासन प्रक्रियाएं पारदर्शी, ईमानदार और लेखापरीक्षा योग्य होनी चाहिए।
एक सदस्य-संचालित संगठन के रूप में, हम अपने सदस्यों, व्यापार में हितधारकों और समग्र रूप से समाज के प्रति उत्तरदायी हैं।
प्रौद्योगिकी और नवाचार का लाभ उठाना हम क्या करते हैं।
समावेशिता, विविधता और सभी के लिए समान अवसरों के सिद्धांत हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं।
मुख्यालय ब्रसेल्स में स्थित है। व्को ने दशकों से सुरक्षित सीमा शुल्क प्रक्रियाओं और प्रणालियों की चर्चा, विकास और कार्यान्वयन का नेतृत्व किया है।
दो संगठनों के बीच एक अंतर है, जो दुनिया भर के सरकारी प्रतिनिधियों से बना है। जिनेवा डब्ल्यूटीओ का स्थान है, जिसमें १६१ देश सदस्य हैं, जबकि ब्रसेल्स डब्ल्यूसीओ का स्थान है, जिसमें १८० देश सदस्य हैं। १९९५ ने विश्व व्यापार संगठन की स्थापना को चिह्नित किया।
व्को सचिवालय के महासचिव को व्को सदस्यता द्वारा पांच साल की अवधि के लिए चुना जाता है। १ जनवरी २००९ को, जापान के कुनियो मिकुरिया को व्को का महासचिव चुना गया, और उन्होंने 202१ तक इस भूमिका में काम किया।
व्यापार इसके अतिरिक्त, नीति और वित्त समितियाँ रणनीतिक और प्रबंधन मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।
सामान्य अध्ययन, इतिहास, कंप्यूटर, जीव विज्ञान, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी, भारत का संविधान, भारतीय अर्थव्यवस्था, भूगोल, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, विश्व का इतिहास और महत्वपूर्ण जानकरी हमारी में प्रीओरिटी होती है। इसलिए इन टॉपिक से रिलेटेड इंफोरमेशन आपको हमारे ब्लॉग पर मिलेगी। हम कॉपीराइट का पूरा सम्मान करते हैं। इस वेबसाइट फ़्री जानकारी द्वारा दी जा रही जानकारी से अगर किसी भी जानकारी के अधिकार क्षेत्र से या अन्य किसी भी प्रकार की दिक्कत है तो आप हमें पर सूचित करें। हम निश्चित ही उस कॉन्टेंट को हटा लेंगे। |
जमुई जिलान्तर्गत झाझा प्रखंड के धमना गांव अवस्थित ऐतिहासिक माँ दक्षिणेश्वर काली मंदिर में वार्षिक सलौनी पूजा ६ जून को कलश स्थापना के साथ शुरू हो गई। यह लगातार नौ दिनों तक विधिवत रूप से जारी रहेगी। इसका समापन १४ जून मंगलवार को होगा।
पूजन कार्य मंदिर के पुजारी आचार्य श्री जयनारायण पाण्डेय जी के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ किया जा रहा है।
संध्या आरती में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। शुक्रवार को भी संध्या आरती में महिलाओं ने दीपक जलाकर माँ की आराधना की। इस मौके पर स्थानीय लोगों की बड़ी संख्या में भीड़ रही।
इस पूजा की शुरुआत सन १६८४ ई. में हुई थी जो तब से अनवरत चली आ रही है। इस मंदिर की स्थापना महाराजा कुँवर वैद्यनाथ सिंह ने की थी। यहां की वार्षिक सलौनी पूजा उसी परम्परागत रीति-रीवाज के अनुसार आज तक होती आ रही है।
यहां की महत्ता है कि माँ काली की आराधना जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से करते हैं उन्हें संतान प्राप्ति होती है। पूजा के विशेष आस्था पर अगर नजर डालें तो लोगों का कहना है कि कलश स्थापना के दिन से ही इस गाँव के निवासियों द्वारा लहसुन, प्याज, माँस-मदिरा का सेवन नहीं किया जाती है। यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे दिल से मन्नत माँगते हैं उनकी मनोकामनाएं माँ काली अवश्य पूरी करती हैं। |
राजस्थान में ८वीं और ५वीं कक्षा के नतीजे 2५ मई तक जारी हो सकते हैं। बोर्ड अभी रिजल्ट को बनाने की तैयारी कर रहा है। पोर्टल पर ही स्टूडेंट्स के अंक अपलोड किए जा रहे हैं। इसी गति से काम चलता रहा तो, 2५ मई इस परीक्षा के नतीजे जारी कर दिए जाएंगे। कुल मिलाकर शिक्षा विभाग जल्द से जल्द रिजल्ट तैयार करने के लिए कमर कसे हुए हैं। इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि नतीजे 2५ मई तक जारी किए जा सकते हैं।
आपको बता दें कि इस बार कक्षा ८ व कक्षा ५ के विद्यार्थियों कक्षा ८ की परीक्षा १७ अप्रैल और कक्षा ५ की परीक्षा २७ अप्रैल से शुरू हो चुकी है, जो १७ मई तक चलेंगी। दोनों कक्षाओं की इस परीक्षा में करीब 2५ लाख छात्रों ने भाग लिया था।
पिछली बार कोरोना के चलते ५वीं और ८वीं के छात्रों की परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं और छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नत करने का फैसला किया गया था। पिछले दो साल से महामारी के कारण छात्रों की परीक्षाएं नहीं हो पा रही थीं, लेकिन इस बार १०वीं, १२वीं के साथ ही राजस्थान बोर्ड ५वीं ओर ८वीं के छात्रों की भी बोर्ड परीक्षाएं आयोजित कराएगा। |
समीक्षा बैठक में स्वतन्त्र प्रभार राज्यमंत्री नरेन्द्र कश्यप ने दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संचालित दिव्यांग भरण पोषण अनुदान, शादी विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना, यूडीआईडी कार्ड योजना, दुकान निर्माण संचालन योजना, कृत्रिम अंग सहायक उपकरण योजना,व निःशुल्क मोटराईज्ड ट्राईसाइकिल योजना आदि एवं पिछडा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा संचालित पूर्व दशम एवं दशमोत्तर छात्रवृत्ति तथा शुल्क प्रतिपूर्ति योजना, ओ लेवल तथा सीसीसी कम्प्यूटर प्रशिक्षण योजना, शादी अनुदान आदि योजनाओं की समीक्षा की।स्वतन्त्र प्रभार राज्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में शत-प्रतिशत प्रगति सुनिश्चित की जायें।
बैठक में उप निदेशक दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग अभय कुमार श्रीवास्तव, उप निदेशक, पिछडा वर्ग कल्याण विभाग प्रेम प्रकाश पटेल, जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी व जिला पिछडा वर्ग कल्याण अधिकारी मुजफ्फरनगर विनित कुमार मलिक, जिला पिछडा वर्ग कल्याण अधिकारी/ जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी सहारनपुर दीपिका परिहार, जिला पिछडा वर्ग कल्याण अधिकारी शामली शिवेन्द्र कुमार एवं जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी शामली अंशुल चौहान उपस्थित रहे। |
हरिद्वार। कांवड मेला में इण्डियन रेड क्रास सचिव, प्रोफेसर (डा०) नरेश चौधरी द्वारा किये गये उत्कृष्ठ एवं सराहनीय कार्यों के लिये स्वास्थ्य विभाग की ओर से मुख्य चिकित्साधिकारी डा० कुमार खगेन्द्र सिंह ने विशेष रूप से सम्मानित किया। डा० कुमार खगेन्द्र सिंह ने सम्मान समारोह में कहा कि कांवड मेले के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्थाई चिकित्सालयों के साथ साथ अस्थाई चिकित्सा शिविरों को भी स्थापित किया गया था। जिसमें नगरीय क्षेत्र हरिद्वार के सभी अस्थाई चिकित्सा शिविरों के सेक्टर प्रभारी का दायित्व इण्डियन रेड क्रास नरेश चौधरी को दिया गया। कांवड मेला अवधि में अस्थाई चिकित्सा शिविरों से एक लाख अठत्तर हजार एक सौ तिरप्पन शिवभक्त कांवडियों ने उपचार करवाकर चिकित्सा लाभ उठाया जिसमें नगरीय क्षेत्र हरिद्वार के अस्थाई चिकित्सा शिविरों में एक लाख बारह हजार पांच सौ तीन शिवभक्त कांवड़ियों की चिकित्सा की गयी। नगरीय क्षेत्र हरिद्वार के सभी अस्थाई चिकित्सा शिविरों में चिकित्सीय मानव संसाधनों की व्यवस्था में भी डा० नरेश चौधरी द्वारा स्वास्थ्य विभाग को भरपूर सहयोग किया गया। जिससे सभी अस्थाई चिकित्सा शिविरों में चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की कोई कमी नहीं रही, जिससे २४७ शिवभक्त कांवडियों का चिकित्सीय उपचार सम्भव हो सका। मुख्य चिकित्साधिकारी डा० कुमार खगेन्द्र सिंह ने कहा कि डा० नरेश चौधरी को जब भी स्वास्थय विभाग की और से कोई दायित्व दिया जाता है तो डा० नरेश चौधरी द्वारा उनको बहुत ही कर्मठता और समर्पण भावना से पूर्ण किया जाता है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा० कुमार खगेन्द्र सिंह ने कहा कि डा० नरेश चौधरी के व्यक्तितव की पहचान समर्पित कार्यशैली है,जिनके लिये वे जन जन में प्रिय हैं। डा० नरेश चौधरी को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सम्मानित किया जाना एक विशेष गौरव है। डा० नरेश चौधरी को सम्मानित करने से समाज में भी एक विशेष संदेश जाता है कि अपने मूल दायित्वों के साथ साथ यदि सामाजिक कार्य करने का सौभाग्य किसी को मिलता है तो उसे अग्रणी रहकर निर्वहन करना चाहिए जिससे समाज में अपनी अलग पहचान बनती है, जिसका सच्चा उदाहरण डा० नरेश चौधरी है। सम्मानित होने पर डा० नरेश चौधरी ने कहा कि मेरे लिये सबसे बडा सम्मान सभी का दिया जाने वाला असीम प्रेम है जिससे मुझे सबसे बडी आत्म संतुष्टि मिलती है और यही मेरे लिये और अधिक समर्पण भावना से कार्य करने के लिये उर्जा का काम करती है। सम्मान समारोह में मुख्य रूप से अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा० एच०डी०शाक्य, डा० आर०के०सिंह, डा० मनीष दत्त, जिला चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डा० सी०पी० त्रिपाठी,मेला चिकित्सालय अधीक्षक डा० राजेश गुप्ता, संयुक्त चिकित्सालय रूडकी के चिकित्सा अधीक्षक डा०संजय कंसल,महिला चिकित्सालय के डा० संदीप निगम ,सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लक्सर के अधीक्षक डा० अनिल वर्मा, डा० तरूण, डा० नलिन्द, डा० शादाब, डा० अंजुम, के साथ साथ अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भी डा० नरेश चौधरी को विशेष रूप से बधाई दी। |
नोएडा(चेतना मंच)। सेक्टर-६, उत्तर प्रदेश में आयोजित किया गया जिसमे पूरे से पार्टी के नेतागण के साथ-साथ सक्रिय कार्यकर्ताओ ने भी शिरकत की।
इस अधिवेशन में अखिल भारतीय परिवार पार्टी की २०२४ के संसदीय चुनाव के लिए आगामी रणनीति के लिए सभी कार्यकर्ताओं के सुझाव के आधार पर लोकतांत्रिक एवम पारदर्शिता को अपनाते हुए पार्टी की कार्यप्रणाली के बारे में विचार विमर्श किया गया। जिसमें नए लीडर्स को जिम्मेवारी देने के साथ साथ ही पुराने लीडर्स के कार्य की समीक्षा की गई।
कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय संगठक वीरेंद्र भारतीय, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमोल मडामे भारतीय (अपरिहार्य कारणों के कारण डिजिटल लाइव माध्यम से), राष्ट्रीय कार्यकारिणी से प्रदीप भारतीय, विरेंद्र धीवर भारतीय, विजय सैनी भारतीय, कपिल पाल भारतीय, मनीष भारतीय, हेमंत कुमार , आशीष वास्तव , अरविंद केसरवानी , अमित , अटल भारतीय, हरीश मदान भारतीय, उदय प्रताप , जावेद खान, डा० दीपक भारतीय, गौरव वास्तव भारतीय, मनोज सिंह भारतीय, प्रशांत वर्मा भारतीय, अनूप वर्मा भारतीय, विजय आर्य , भानू प्रताप , डा० एम० एल० बिशनोई, किशन कुमार जी एवम अन्य बहुत से नेताओ ने पार्टी की नीतियों कार्य-प्रणाली पर अपने विचार साझा किए। साथ ही पार्टी के पदभार की नई ज़िम्मेदारियाँ दी गयी। कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमोल अस्वस्थता के कारण उपस्थित नही थे। |
अमेरिकी फिल्म संस्थान (एएफआई) हॉलीवुड स्टार निकोल किडमैन को अपने ४९वें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित करेगा, संगठन ने घोषणा की है।
किडमैन, ५५, इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाली पहली ऑस्ट्रेलियाई अभिनेत्री हैं, फिल्म में करियर के लिए सर्वोच्च सम्मान, उनके अब तक के करियर की उपलब्धियों का जश्न मनाना।
संस्थान के अनुसार, १० जून, २०२३ को लॉस एंजिल्स में डॉल्बी थिएटर में गाला ट्रिब्यूट में किडमैन को पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
निकोल किडमैन ने अपनी कलात्मकता के साहस और एक स्क्रीन आइकन के ग्लैमर के साथ दशकों तक दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है। वह अपनी पसंद में बहादुर और प्रत्येक प्रदर्शन में साहसी दोनों हैं। एएफआई को उन्हें ४९ वें एएफआई लाइफ अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है। एएफआई बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के अध्यक्ष कैथलीन कैनेडी ने एक बयान में कहा।
स्वतंत्र सिनेमा और स्टूडियो चश्मे के साथ समान रूप से घर पर, किडमैन ने जेन कैंपियन, सोफिया कोपोला, बाज लुहरमन, आरोन सॉर्किन, लार्स वॉन ट्रायर और स्टेनली कुब्रिक सहित सभी शैलियों के निर्देशकों के साथ काम किया है।
उनके कुछ मूवी क्रेडिट डेड कैलम, मौलिन रूज!, डेज़ ऑफ़ थंडर, कोल्ड माउंटेन, आइज़ वाइड शट और एक्वामन हैं।
वह पांच बार अकादमी पुरस्कार नामांकित व्यक्ति हैं, जिन्होंने २००३ में स्टीफन डलड्री के द ऑवर्स में वर्जीनिया वूल्फ के रूप में अपने परिवर्तनकारी मोड़ के लिए प्रमुख भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का ऑस्कर जीता था। किडमैन एक बाफ्टा पुरस्कार, दो एम्मिस के प्राप्तकर्ता भी हैं। बिग लिटिल लाइज़ और छह गोल्डन ग्लोब्स के लिए। उन्होंने २०१० में अपनी प्रोडक्शन कंपनी ब्लॉसम फिल्म्स की सह-स्थापना की।
इस वर्ष अभिनेता ने रॉबर्ट एगर्स के वाइकिंग महाकाव्य द नॉर्थमैन में अभिनय किया।
थिएटर में, किडमैन ने १९९८ के पतन में लंदन में एक अत्यधिक प्रशंसित मंच की शुरुआत की, जिसमें द ब्लू रूम में इयान ग्लेन के साथ अभिनय किया, डेविड हारे द्वारा श्नित्ज़लर के ला रोंडे का आधुनिक रूपांतर किया गया।
अपने प्रदर्शन के लिए, किडमैन ने लंदन का इवनिंग स्टैंडर्ड अवार्ड जीता और उन्हें लॉरेंस ओलिवियर अवार्ड के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में नामांकित किया गया। २०१५ में, किडमैन को अन्ना ज़िगलर की फ़ोटोग्राफ़ ५१ में वेस्ट एंड मंच पर देखा गया था, जिसके लिए उन्हें इवनिंग स्टैंडर्ड अवार्ड मिला था।
उनकी आने वाली परियोजनाओं में अमेज़ॅन के लिए लुलु वांग के एक्सपैट्स और हॉलैंड, मिशिगन और शेरनी (पैरामाउंट +) शामिल हैं। हॉलीवुड के दिग्गज जूली एंड्रयूज पिछले साल के एएफआई लाइफ अचीवमेंट अवार्ड के प्राप्तकर्ता थे।
बर्थडे बॉय अगस्त्य नंदा के लिए, सिस्टर नव्या की ओर से एक नोट (और एक निर्देश)। |
राजस्थान पॉलिटिकल क्रिसिस: जब सचिन पायलट के नेतृत्व २०२० का बगावती घटनाक्रम हुआ था उसमें प्रियंका गांधी ने अहम रोल निभाया था। उनकी एंट्री से पायलट माने थे और हालात बदल गए थे। अब गहलोत खेमे ने विद्रोह किया है। ऐसे में अब फिर प्रियंका गांधी क्या अहम रोल निभा सकती हैं, देखना दिलचस्प होगा।
क्या २०२० की तरह इस बार भी प्रियंका गांधी निभाएंगी अहम रोल?
जयपुर: राजस्थान में अशोक गहलोत के करीबी कई विधायकों ने खुलेआम बगावत (राजस्थान कांग्रेस क्रिसिस) कर दी, जिसके बाद सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व वेट एंड वॉच की रणनीति पर आ गई है। माना जा रहा कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव तक नए अध्यक्ष के बारे में यथास्थिति बनाए रख सकती है। अभी तक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (सोनिया गांधी) की ओर से कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया। राजस्थान पर रणनीति बनाने के लिए सोनिया गांधी, कमलनाथ और प्रियंका गांधी (प्रियंका गांधी) की सोमवार को बैठक हुई। माना जा रहा कि प्रियंका गांधी इस मामले में आगे अशोक गहलोत से बात कर सकती हैं। प्रियंका की एंट्री से राजस्थान में क्या सियासी उठापटक थम सकती है?
अभी तक की जानकारी के मुताबिक, राजस्थान में अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पर्चा दाखिल करने के लिए तैयार थे। उन्हें सचिन पायलट के पक्ष में इस्तीफा देने के लिए तैयार किया गया था। लेकिन उनके समर्थक विधायकों ने रविवार को इसका कड़ा विरोध कर दिया। हालात ये हो गए कि रविवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक को रद्द करना पड़ा। सोनिया गांधी ने प्रदेश प्रभारी अजय माकन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी। सोनिया आवास पर माकन के साथ रविवार की घटनाओं पर एक बैठक में वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और महासचिव, संगठन, के.सी. वेणुगोपाल मौजूद रहे। माकन और खड़गे दोनों ने उन्हें राज्य में घटनाओं के क्रम के बारे में जानकारी दी।
सोनिया गांधी के साथ बैठक के बाद में अजय माकन ने कहा कि मैंने कांग्रेस अध्यक्ष को जानकारी दी है, उन्होंने एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है जो मैं उन्हें भेजूंगा। माकन जयपुर में खड़गे के साथ रविवार को नए सीएम चेहरे का चुनाव करने वाले थे, लेकिन इसके बजाय एक हाई-वोल्टेज ड्रामा का सामना करना पड़ा। उन्होंने सोमवार को मीडिया को बताया कि गहलोत खेमे के तीन सदस्यों ने उनसे तीन प्रस्तावों के साथ मुलाकात की थी, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया क्योंकि इसने हितों के टकराव को जन्म दिया।
इधर, गहलोत के समर्थक मंत्री शांति धारीवाल ने सोमवार को राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी माकन पर गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया। यही नहीं उन्होंने पायलट के लिए पैरवी करने का भी आरोप जड़ दिया। वहीं गहलोत के वफादारों ने रविवार शाम को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफा पत्र सौंप दिया था। मुख्यमंत्री के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की स्थिति में केंद्रीय नेतृत्व पर गहलोत खेमे से किसी को मुख्यमंत्री के रूप में चुनने के लिए दबाव बनाया था। विधायकों ने संकेत दिया कि वे मुख्यमंत्री के तौर पर सचिन पायलट की नियुक्ति के खिलाफ थे, जिन्होंने २०२० में गहलोत के खिलाफ बगावत का नेतृत्व किया था।
गहलोत समर्थक विधायकों की डिमांड के बाद अब पार्टी नेतृत्व पर सभी की निगाहें हैं। सवाल ये कि क्या प्रियंका गांधी एक बार फिर से स्थिति को संभालेंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि जब सचिन पायलट के नेतृत्व २०२० का बगावती घटनाक्रम हुआ था उसमें प्रियंका गांधी ने अहम रोल निभाया था। उनकी एंट्री से पायलट माने थे और हालात बदल गए थे। अब फिर प्रियंका गांधी क्या अहम रोल निभा सकती हैं, देखना दिलचस्प होगा।
कांग्रेस प्रेजिडेंट इलेक्शन : खुद कांग्रेस अध्यक्ष बनें या न बनें लेकिन पायलट को राजस्थान का सीएम नहीं बनने देंगे गहलोत?
देश-दुनिया की बड़ी खबरें मिस हो जाती हैं? |
बलिया(संजय कुमार तिवारी): उभांव थाना अंतर्गत भिन्डकुण्ड गांव के समीप गुरुवार को गौरी पुल पर पुलिस ने १ तमंचा व २ जिन्दा कारतूस के साथ एक संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने पकड़े गए आरोपी को मु०अ०सं० २३/२०२१ धारा ३/२5 आर्म्स एक्ट के तहत चालान कर दिया।
पुलिस ने उसको गिरफ्तार कर सम्बंधित धारा में चालान कर दिया। उधर उभाँव थाना क्षेत्र के बहुताचक उपाध्याय स्थित शिव मन्दिर के पास एसआई राघव राम यादव द्वारा संदिग्ध वाहन/व्यक्ति की चेकिंग के दौरान रात साढ़े आठ बजे धरहरा (हल्दीरामपुर) निवासी छट्ठू साहनी पुत्र स्व० साधूसरण को 1० लीटर अवैध कच्ची शराब के साथ गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने पकड़े गये आरोपी के विरूद्ध मु०अ०सं० २४/2०21 धारा 6० आबकारी एक्ट के तहत पंजीकृत कर वैधानिक कार्यवाही करते हुए न्यायालय भेज दिया गया । गिरफ्तार करने वाली टीम में एसआई दिनेश शर्मा, लालजी पाल व राघव राम यादव के अलावा हे० का० राजेन्द्र सिंह, का० संदीप कुमार, रणजीत सिंह यादव शामिल रहे। |
तस्वीरों में एक बच्चा सुरक्षा घेरा तोड़ता हुआ दिखाई दे रहा है जो प्रशंसकों और अभिनेता के बीच उनके घर के बाहर स्थापित किया गया था और बाउंसरों द्वारा उन्हें वापस पकड़ने के प्रयासों के बावजूद उनकी ओर दौड़ रहा है। युवा प्रशंसक, आधे आँसू में, अमिताभ के चरणों में गिर जाता है और उनसे उस पेंटिंग पर हस्ताक्षर करने के लिए कहता है जो वह ले जा रहा है। अन्य तस्वीरों में अमिताभ बच्चे को सांत्वना देते और उससे बातचीत करते दिख रहे हैं।
बिग बी ने कहा, जब वह घेरा तोड़ता है और दौड़ता है तो उसे दिलासा देंउसे दिलासा दें उसने मेरे लिए जो पेंटिंग बनाईं, उस पर ऑटोग्राफ देना और अपने पिता का एक पत्र पढ़नाशुभचिंतकों की ऐसी भावनायह मैं छोड़ता हूं एकांत में जब पानी सूज रहा हो क्या कैसे कब क्यों मैं!
अभिनेता को हाल ही में सूरज आर. बड़जात्या द्वारा निर्देशित अत्यधिक प्रशंसित फिल्म उंचाई में देखा गया था। एडवेंचर ड्रामा फिल्म में नीना गुप्ता, अनुपम खेर, बूमन ईरानी और डैनी डेन्जोंगपा भी हैं। कहानी तीन दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा पर निकलते हैं। एक साधारण यात्रा एक व्यक्तिगत, भावनात्मक और आध्यात्मिक यात्रा बन जाती है क्योंकि वे अपनी भौतिक सीमाओं को पार करते हैं और स्वतंत्रता और दोस्ती का सही अर्थ खोजते हैं।
क्या हार्दिक पांड्या की यंग ब्रिगेड जीत की लय को आगे बढ़ा पाएगी? |
आज दुनिया भर में सोशल मीडिया छाया पड़ा है हर किसी को सोशल मीडिया के बारे में बेहतर से बेहतर जानकारी है उसी में से एक आता है इंस्टाग्राम (इंस्टाग्रम) जो हर कोई यूज़ कर रहा है और जो यूज़ नहीं भी कर रहे है वो यूज़ करने के लिये सोच रहे है वर्तमान समय में बड़ी से बड़ी हस्तिया इंस्टाग्राम का उपयोग कर रही है चाहे वो क्रिकेटर (क्रिकेटर) फिल्म इंडस्ट्री (फिल्म इंडस्ट्री) या पॉलिटिशियन (पॉलिटीशियन) हो इन सभी हस्तियों के इंस्टाग्राम पर लाखो फोल्लोवर्स फॉलो करते है।
इंस्टाग्रम क्या है और इंस्टाग्राम से पैसे कैसे कमाये इनस्टाग्राम को ६ अक्टूबर २०१० में केविन सिट्रोन (केविन सिस्त्रों) और माइक क्रीगर (मैक क्रिएजर) द्वारा स्टैब्लिश किया गया था लेकिन इसके फेमस को देखते हुए उसको सन २०१२ में फेसबुक (फेसबुक) ने पूरी तरह से खरीद लिया है अब इंस्टाग्राम को फेसबुक द्वारा चलाया जाता है इंस्टाग्राम आज के समय में बहुत ही पॉपुलर सोशल मीडिया फोटो और विडिओ शेयरिंग एप्प्स बन चूका है।
इंस्टाग्राम अकाउंट कैसे बनाये?
इंस्टाग्राम से पैसे कैसे कमाये?
इंस्टाग्राम मोबाइल व डेस्कटॉप और इंटरनेट आधारित फोटो (फोटो) शेयरिंग (शरिंग) एप्लीकेशन है जो कोई भी अपने फ़ोन या डेस्कटॉप में यूज़ कर सकता है इंस्टाग्राम बहुत ही आसान और सिम्पल आप्लिकेशन (आप्लिकेशन) है इस प्लॅटफॉम पर अपना फोटो और विडिओ क्लिप डालकर अपना इंस्टाग्राम फॉलोवर को बढ़ाते है।
जब कोई अपने चहेते फिल्म स्टार या किसी भी फेमस व्यक्ति को फॉलो कर लेता है तो उसके प्रोफाइल पे जितनी फोटोज और विडिओ अपलोड करता है तो फॉलोवर्स तक बहुत ही आसानी से पहुंच जाती है।
फेसबुक क्या है और कैसे यूज़ करते है?
वोविफी क्या है वोविफी से फ्री में बात कैसे करे?
इंस्टाग्राम (इंस्टाग्रम) को यूज़ करने के लिए आपके पास एक फ़ोन या कम्प्यूटर लैपटॉप होना चाहिए इंस्टाग्राम पर अकाउंट बनाना एकदम फ्री है इंस्टाग्राम पे दो प्रकार से अकाउंट बनाया जाता है पहला पर्सनल (पर्सनल) दूसरा बिज़नेस (बुसिनेस) दोनों अकाउंट बनाना फ्री है तथा कोई भी अपना अकाउंट आसानी से बना सकता है अकाउंट बनाने के क्या क्या ज़रुरत पड़ता है।
ये सारा डिटेल्स डाल देने के बाद आपका फुल्ली अकाउंट तैयार हो जायेगा और आप उसे अच्छी तरह से उपयोग कर सकते हो और किसी फॉलो कर सकते हो या किसी को फॉलो करवा सकते है आप अकाउंट इंस्टाग्राम से वेरीफाई (वेरीफी) करवा सकते हो।
इंस्टाग्रम क्या है ये तो समझ आ गया होगा लेकिन अब बात करते की सोशल मीडिया से पैसे कैसे कमाये? आज के समय में हर कोई घर बैठे पैसा कमाना चाहता है जो अगर आप भी घर बैठे कमाना चाहते हो सबसे पहले आपके मन में यूट्यूब (युतुबे) और (फेसबुक) आता होगा है लेकिन इंस्टाग्राम से भी बहुत अच्छा पैसा कमाया जा सकता है।
इंस्टाग्राम से पैसे कमाने की बात की जाये तो आपको लग नहीं रहा होगा की यहाँ से पैसे कमाया जा सकता है लेकिन नहीं दोस्तों इंस्टाग्राम से बहुत ही अच्छा ऑनलाइन पैसा कमाया जा सकता है उसमें आपको कुछ मेहनत करना होगा अगर आपको इंस्टाग्राम से पैसे कमाना तो आपको अपना बिज़नेस अकाउंट (बुसिनेस एकाउन्ट) बनाना होगा तभी आप इनकम कर पाओगे।
एफिलिएट मार्केटिंग से बहुत बड़ी इनकम कर सकते है एफिलिएट मार्केटिंग क्या होता है? एफिलिएट मार्केटिंग एक कमीशन बेस्ड एक प्लान होता है किसी भी कम्पनी के वस्तु को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से प्रमोट यानि प्रचार करना होता है।
ऑनलाइन जॉब्स हिन्दी बिना इन्वेस्टमेंट के घर बैठे महीने कैसे कमाये?
जिस वस्तु (प्रोडक्ट) का कम्पनी को प्रचार करवाना होता है उस वस्तु (प्रोडक्ट) का आपके अकाउंट में उसका लिंक शेयर (शारें) करना होता है ऐसे बहुत सारी कम्पनी जो अपना एफिलिएट लिंक शेयर करती है उनसे आप जुड़कर और उनके लिंक शेयर करके पैसा कमा सकते है।
पेड पार्टनरशिप किसी ब्रांड (ब्रांड) के साथ पार्टनरशिप (पार्टनरशिप) इसके लिए आपका अकाउंट ग्रो होना चाहिये तथा फ़ोल्लोवेर्स (फॉल्वर्स) ज्यादा होने चाहिए तभी आपको स्पोंसरशिप (स्पॉनओर्शिप) मिलता है स्पोंसरशिपन लेने के लिए आपके पास एक अच्छी खासी ऑडियंस होना चाहिये।
ब्रांड पार्टनरशिप किसी प्रोडक्ट की जानकारी किसी दुसरो तक पहुंचना होता है ब्रांड अपने प्रोडक्ट को प्रमोट करने के लिए बहुत अच्छे पैसा देता है ब्रांड का प्रमोट बड़े बड़े सेलिब्रिटी करते है क्योंकी उनके पास एक अच्छी ऑडियंस होती है।
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मैं अपने पाठको का कैचइट में स्वागत करता हूँ ये एक हिंदी ब्लॉग है जहा पर हर रोज बैंकिंग, एजुकेशन, टेक्नोलॉजी, और ब्लॉग्गिंग, से सम्बंधित जानकारी दी जाती है। |
नई दिल्ली (मानवी मीडिया) सुप्रीम कोर्ट ने सपा नेता आजम खान की रामपुर सदर सीट के लिए १० नवंबर को जारी होने वाली उप-चुनाव की अधिसूचना को एक दिन के लिए रोक दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सेशन कोर्ट को आदेश दिया है कि वो सजा के खिलाफ आजम खान की अपील पर गुरुवार यानी १० नवंबर को सुनवाई करे और उसी दिन फैसला करे। कोर्ट के इस फैसले से रामपुर के उप-चुनाव का भविष्य भी तय होगा क्योंकि इसी सजा के आधार पर आजम खान को अयोग्य घोषित करते हुए रामपुर सीट को रिक्त घोषित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वो चाहे तो ११ नवंबर या उसके बाद किसी भी दिन रामपुर में उप-चुनाव की घोषणा कर सकता है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने बुधवार को सुनवाई में कहा कि १० नवंबर को सेशन कोर्ट आजम खान की सजा के खिलाफ अपील पर फैसला करे। उस फैसले के हिसाब से अगले दिन या उसके बाद चुनाव आयोग उपचुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है।
आजम खान को २०१९ में दर्ज भड़काऊ भाषण के एक केस में दोषी करार देते हुए कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई थी। जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत दो साल या उससे अधिक की सजा मिलने पर जनप्रतिनिधि पद से अयोग्य घोषित हो जाता है।
आजम खान सजा के अगले दिन रामपुर सीट रिक्त घोषित करने और उप-चुनाव का कार्यक्रम जारी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। कोर्ट ने यूपी सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। आजम खान ने सजा के खिलाफ जो अपील की है उसमें गुरुवार को सेशन कोर्ट अगर सजा पर रोक लगा देता है तो शायद रामपुर में उप-चुनाव को लेकर भी आजम खान को राहत मिल सकती है। शायद इसलिए कि मामला इतना सीधा नहीं रहा क्योंकि स्पीकर ने सीट रिक्त घोषित की जिसके बाद चुनाव आयोग ने कार्यक्रम बनाया है। आजम को सेशन कोर्ट से राहत बस ये मिल सकती है कि जो तीन साल की सजा सुनाई गई है उस पर रोक लग जाए। इसका असर रामपुर की रिक्त घोषित हो चुकी सीट पर चुनाव को रोकने या कराने पर किस तरह से पड़ेगा, ये देखना होगा। |
साउथम्पटन/वेबडेस्क। भारत और न्यूजीलैंड के बीच यहाँ खेले गए वर्ल्ड टेस्ट फायनल चैम्पियनशिप मुकाबला खेला गया। वर्षा से बाधित ये आज रिजर्व डे के दिन खेला गया भारतीय टीम ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करते हुए २१७ रन बनाए थे। जिसके जवाब में न्यूजीलैंड ने २४९ रन बनाए। इसके बाद दूसरी पारी में टीम इंडिया १७० रन पर ऑलआउट हो गई और न्यूजीलेंड को १३९ रन का लक्ष्य दिया। जिसे न्यूजीलैंड ने २ विकेट गंवाकर पूरा कर लिया।
इस मुकाबले में न्यूजीलैंड ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी करने का निमंत्रण दिया। भारत को पहली पारी में रोहित शर्मा व शुभमन गिल ने अच्छी शुरुआत दिलाते हुए पहले विकेट के लिए ६२ रन जोड़े, काइल जैमिसन ने इस साझेदारी को तोड़ दिया। जैमिसन ने रोहित शर्मा को ३४ रन के स्कोर पर टिम साउथी के हाथों कैच आउट करवा दिया।टीम इंडिया को दूसरा झटका नील वैगनर ने दिया। उन्होंने टीम के युवा ओपनर बल्लेबाज शुभमन गिल को २८ रन के स्कोर पर विकेट के पीछे कैच आउट करवा दिया। चेतेश्वर पुजारा ने ५४ गेंदों का सामना करते हुए ८ रन बनाए। उन्हें ट्रेंट बोल्ट ने पगबाधा आउट करके पवेलियन वापस भेज दिया।
भारतीय कप्तान विराट कोहली ४४ रन बनाकर जैमीसन की गेंद पर एलबीडब्ल्यू आउट हो गए। युवा बल्लेबाज रिषभ पंत अपना दम पहली पारी में नहीं दिखा पाए और वो ४ रन बनाकर जैमीसन की गेंद पर टॉम लाथम के हाथों कैच आउट हो गए। अच्छी बल्लेबाजी कर रहे अजिंक्य रहाणे ४9 रन बनाकर नील वैगनर का शिकार बने। रविचंद्रन अश्विन २२ रन बनाकर टिम साउथी के शिकार बने। ईशांत शर्मा ४ रन बनाकर जैमीसन की गेंद पर आउट हुए।
जसप्रीत बुमराह अपना खाता भी नहीं खोल पाए और आउट हो गए। रवींद्र जडेजा को १५ रन पर ट्रेंट बोल्ट ने आउट कर दिया और भारत की पहली पारी २१७ रनों पर सिमट गई। न्यूजीलैंड की तरफ से पहली पारी में जैमीसन ने ५, वैगनर व बोल्ट ने दो-दो जबकि टिम साउथी ने एक विकेट लिया।
इससे पहले न्यूजीलैंड की पहली पारी २४९ रनों पर सिमट गई और पहली पारी के आधार पर न्यूजीलैंड को ३२ रनों की बढ़त मिली। न्यूजीलैंड की ओर से डेवोन कॉनवे ने बेहतरीन अर्धशतकीय पारी खेलते हुए ५४ रन बनाया, जबकि कप्तान केन विलियमसन ने ४९ रन की पारी खेली। इसके अलावा टॉम लैथम ने ३० रन बनाये। वहीं, काइल जैमीसन ने २१ रनों की तेजी पारी खेली।
आखिरी में टीम साउथी ने ३० रनों की तूफानी पारी खेल न्यूजीलैंड का स्कोर २४९ तक पहुंचाया। अपनी पारी में साउथी ने एक चौका और दो छक्का लगाया। भारत को तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी और ईशांत शर्मा ने मैच में वापसी कराई। शमी ने २६ ओवर में ७६ रन देकर ४ विकेट चटकाये। वहीं ईशांत शर्मा ने २५ ओवर में ४8 रन देकर ३ विकेट लिये। दो विकेट आर अश्विन ने और एक विकेट रवींद्र जडेजा ने लिया।
भारत की दूसरी पारी की शुरुआत खराब रही और सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल २४ के कुल स्कोर पर ०८ रन बनाकर टीम साउथी की गेंद पर एलबीडब्ल्यू आउट हो गए। भारत को दूसरा झटका ५१ रन के स्कोर पर रोहिणी शर्मा के रूप में लगा। रोहित को भी टीम साउथी ने एलबीडब्ल्यू आउट किया। रोहित ने ३० रन बनाए।
इसके बाद आज भारत के लिए खेल का पहला घंटा बेहद खराब रहा। महज ८ रन जुड़ने के बाद ही दो विकेट गिर गए। कप्तान विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा को काइल जेमिसन ने आउट कर दिया। कोहली १३ और पुजारा १५ रन बनाकर वापिस लौट गए। इसके बाद क्रीज पर आए ऋषभ पंत और आजिंक्य रहाणे ने मैच को संभालने का प्रयास किया, लेकिन ५० वें ओवर की आखिरी गेंद पर बोल्ट ने रहाणे को बोल्ड कर दिया।
इसके बाद ऋषभ पंत और रविंद्र जडेजा ने पारी को आगे बढ़ाया। दोनों ने छटवें विकेट के लिए ३३ रन जोड़े। ६३वें ओवर में वाग्नर ने रविंद्र जडेजा को वाटलिंग के हाथों कैच करा दिया। जडेजा १६ रन बनाकर पवेलियन लौट गए। जडेजा के आउट होते ही भारतीय पारी लड़खड़ा गई, निचला क्रम कुछ असर नहीं दिखा सका। २७ रन के अंदर ही शेष ४ विकेट गिर गए। ७० वें ओवर में ऋषभ पंत ४१ रन बनाकर आउट हो गए।उन्हें बोल्ट ने निकोलस के हाथों कैच कराया। इसके बाद अश्विन ७, शमी १३ और बुमराह शून्य पर जल्दी आउट हो गए। इशांत शर्मा १ रन बनाकर नाबाद रहें।
लक्ष्य का पीछा करने उतरी न्यूजीलैंड टीम की शुरुआत बेहद सधी रही। ओपनर बल्लेबाज डेवॉन कॉनवे ने १९ और टॉम लाथम ने ९ रन बनाए।अश्विन ने दोनों को आउट कर पवेलियन भेज दिया। इसके बाद बैटिंग करने आए कप्तान कप्तान केन विलियम्सन ने ५२ और रॉस टेलर ने ४७ रन की नाबाद पारी खेलकर खिताब अपने नाम कर लिया।
पत्रकार प्रशांत सिंह राष्ट्रीय - राज्य की खबरों की छोटी-बड़ी हलचलों पर लगातार निगाह रखने का प्रभार संभालने के साथ ही ट्रेंडिंग विषयों को भी बखूभी कवर करते हैं। राजनीतिक हलचलों पर पैनी निगाह रखने वाले प्रशांत विभिन्न विषयों पर रिपोर्टें भी तैयार करते हैं। वैसे तो बॉलीवुड से जुड़े विषयों पर उनकी विशेष रुचि है लेकिन राजनीतिक और अपराध से जुड़ी खबरों को कवर करना उन्हें पसंद है। |
ओम् शान्ति। सभी ने बापदादा द्वारा पहले तो दृष्टि प्राप्त की, भले देखा तो आपने इन स्थूल नेत्रों द्वारा लेकिन इन नेत्रों में भी बाप की दृष्टि पड़ने से यह दृष्टि भी परिवर्तन हो जाती है। सभी को सारी सभा में कौन दिखाई देते हैं? सभी नम्बरवार ब्राह्मण दिखाई देते हैं। थोड़ा बहुत बीच-बीच में मिक्स तो होता है लेकिन सभी की बुद्धि में बापदादा ही है। हर एक यही सोचते हैं हमारा बाबा आ गया। सभी की बुद्धि में मेरा बाबा, मेरा बाबा आ गया। हर एक के नयनों में यही खुशी की झलक समा गई हैं, मेरा बाबा आ गया। सबके नयनों में कौन? मेरा बाबा। नयनों में भी बाबा दिखाई देता, बुद्धि में भी बाबा ही दिखाई देता इसीलिए आप सबकी आंखों में प्यारा बाबा, मीठा बाबा, मेरा बाबा समा गया है। बाप भी बच्चों को उसी रूप में देखते मेरे बच्चे और बच्चे भी उसी रूप से देख रहे हैं मेरा बाबा। सभी के दिल में क्या दिखाई दे रहा है? मेरा बाबा आ गया। मेरा बाबा, मेरा कहने में कितनी खुशी होती है। मेरा बाबा, भले कितना भी कहें - यह लण्डन के हैं, यह इन्डिया के हैं। कितना भी कहें लेकिन सबसे पहले क्या आता? मेरा बाबा आ गया। बाबा और बच्चे का मिलन हो रहा है। यह मिलन भी विचित्र मिलन है। स्थूल में कोई किस ए॰ज का है, कोई किस ए॰ज का है लेकिन कौन है, तो शार्ट में कहेंगे बाप और बच्चे बैठे हैं। चाहे १०० वर्ष वाला हो, चाहे डेढ़ सौ वर्ष वाला हो लेकिन क्या कहेंगे? सब बाबा के बच्चे बैठे हुए हैं। जब यहाँ बैठते हो आके तो परिचय क्या देंगे? भले किस भी रूप में आये हो लेकिन यहाँ आने से किस रूप में बैठते हो? स्टूडेन्ट रूप में। बाबा के आगे स्टूडेन्ट के रूप में बैठे हैं और बाबा के बच्चे पूरे वर्ल्ड के चारों तरफ के कोई न कोई आये हुए हैं। भले कोई किस देश के, कोई किस देश के हैं लेकिन यहाँ बैठे हुए क्या फील कर रहे हो? गॉडली स्टूडेन्ट हैं और टीचर भी कौन है? स्वयं भगवान हमारे लिए विशेष मिलने आये हैं। भगवान हमसे मिलने आये हैं या हम भगवान से मिलने आये हैं। जो भी आये, पहचानते हैं तो क्या कहेंगे? बाबा के पास जा रहे हैं, बाबा के पास जा रहे हैं और हर एक की शक्ल में मिलने की भावना कितनी दिखाई देती है। सभी की शक्ल में बाप और बच्चों के भावना की सूरत है। सभी की शक्ल में कितना प्यार है, वाह बाबा वाह! सबकी दिल यही गीत गा रही है और कितना प्यार, कैसा बाप और बच्चे के रूप में मिलन, आज की सभा में देखो तो और कोई सम्बन्ध नहीं, बाप और बच्चा। चाहे बुजुर्ग हो, चाहे कोई भी सम्बन्ध में हो लेकिन हैं सब स्टूडेन्ट के रूप में। सभी की बुद्धि में स्टूडेन्ट की भावना समाई हुई है। सभी की बुद्धि में एम आबजेक्ट यही है, अनेक देश अनेक आत्मायें, लेकिन इस ब्राह्मण जीवन में सभी स्टूडेन्ट के रूप में हैं। चाहे बुजुर्ग है, चाहे छोटा बच्चा भी है। वह तो है ही बच्चा लेकिन फिर भी स्टडी करने वाले सब स्टूडेन्ट बैठे हैं।
आज बाबा ने यह कहा, आज बाबा ने यह कहा, आज बाबा ने अशरीरी बनने की बात सुनाई, कितनी अच्छी बातें बाबा सुना रहे हैं। सभी के मन में इस समय अपना रूप भी कौन सा दिखाई दे रहा है? स्टूडेन्ट। चाहे बुजुर्ग है, चाहे छोटा है। काम भी वही कर रहे हैं पढ़ाई और इस पढ़ाई में शक्ति कितनी भरी हुई है। हैं कितने साधारण लेकिन पढ़ाई द्वारा क्या बन रहे हैं? कोई से भी पूछेंगे आज क्या पढ़ने आये हो? तो सब कहेंगे हम मनुष्य से देवता बन रहे हैं और कितने प्यार से पढ़ाई पढ़ते हैं। हर एक ऐसे रूचि से पढ़ रहे हैं लेकिन अगर दूसरी बात बीच में आ गई तो मुख्य बात जो चल रही है वह तो मिस हो जायेगी ना। लेकिन देखा गया मैजारिटी मिक्स तो होता है सबमें लेकिन आये सब पढ़ने के लिए हैं, स्टूडेन्ट रूप में और देखा गया है कि जब सभी स्टडी करने के रूप में आते हैं तो इनकी शक्ल से ही लगता है यह कोई बहुत पढ़ाई में बिजी है और इन्हों को पढ़ाने वाला कौन है? वह अगर ध्यान में रहे तब तो बेड़ा पार हो गया। परमात्मा पढ़ाने वाला है, यह कभी सुना है क्या कि परमात्मा पढ़ाता भी है लेकिन इस पढ़ाई में मैजारिटी सब पास हो जाते हैं क्यों? यहाँ का जो टीचर है, ऐसी विधि से पढ़ाता है जो सुना वह जैसे छपाई हो रही है। भूलता नहीं है। सब खुशी खुशी से पढ़ रहे हैं। अभी भी तो देख रहे हैं ना बहुत थोड़े हैं जो कोई न कोई सरकमस्टांश अनुसार आये पढ़ने के लिए हैं लेकिन कहाँ पढ़ाई के बजाए और कोई सबजेक्ट में अटेन्शन चला जाता है। सबको विशेष जो होमवर्क दिया गया है, कई तो अभी भी उसकी तरफ अटेन्शन दे रहे हैं, अब भी वही याद कर रहे हैं। पढ़ाई से प्यार है, लास्ट टाइम तक भी पढ़ाई में अटेन्शन है। ऐसे स्टूडेन्ट हाल में पौने से भी ज्यादा हैं। यह बापदादा देख रहे हैं कि इस क्लास में बैठे हुए स्टूडेन्ट की विशेषता है और कमाल यह है कि पढ़ाई के तरफ अटेन्शन देने वाले हैं। तो आप कौन हो? वह तो हर एक खुद जानते हैं। लेकिन देखा गया तो अभी के स्टूडेन्ट जो हा॰जर हैं, उन्हों में मैजारिटी पढ़ने के शौकीन हैं। यह देखकरके बाप को भी अच्छा लग रहा है। पढ़ाई के तरफ अटेन्शन अच्छा है। यह रिजल्ट अच्छी है। अभी इसको आगे बढ़ाना है। पढ़ाई में शौक बढ़ाना है। पढ़ने में अटेन्शन देने वाले अच्छे हैं। तो जैसे आज की रिजल्ट में पढ़ाई वाले ज्यादा है और अपनी पढ़ाई शौक से पढ़ रहे हैं। संख्या भी अधिक है। तो देखा गया पढ़ाई पढ़ने वाले भी रूचि वाले हैं और टीचर भी पढ़ाने के शौकीन अच्छे हैं। वह भी हमेशा समझते हैं कि स्टूडेन्ट ज्यादा किसी कारण से फेल न हों, कम मार्क्स न लेवें। यहाँ तो सबने पढ़ाई का फल ले लिया है। सभी पढ़ाई का फल लेने वाले हैं इसीलिए अभी तक बैठे हैं, नहीं तो आधा क्लास तो चला जाता। रूचि की बात होती है, पढ़ाई में रूचि हो तो पढ़ाई छोड़ना बहुत बुरा लगता है। लेकिन देखा गया फिर भी रिजल्ट में यह जो क्लास आया है, इसमें रिजल्ट अनुसार रूचि है पढ़ाई में। ताली बजाओ। पढ़ाई की तरफ अटेन्शन है इसकी बधाई क्योंकि हैं तो स्टूडेन्ट। स्टूडेन्ट और पढ़ाई में रूचि न हो तो यह नहीं शोभता, इसलिए कहा कि सभी स्टूडेन्ट पढ़ाई तरफ अटेन्शन देने वाले हैं। तो जितने हैं उसके अनुसार रिजल्ट अच्छी है इसीलिए इस क्लास को फिर भी कहेंगे पास है और सभी की शक्लें देखो, सभी मुस्करा रहे हैं। हमेशा जो भी करो टाइम तो देते हो ना, चाहे घण्टा हो, चाहे आधा घण्टा हो लेकिन टाइम तो देते हो ना। तो टाइम की वैल्यु है इसलिए आपकी नेचर है जो काम करते होंगे ना, वह पूरा लगाकर ही करते होंगे। तो अभी का क्लास जो है वह अच्छी रिजल्ट देने वाला है और टीचर को कौन से स्टूडेन्ट अच्छे लगते हैं? आप जैसे। भले कहेंगे आज ही हम रेग्युलर हुए हैं लेकिन हुए तो सही ना। रेग्युलर की लिस्ट में आये तो सही ना, एक दिन भी आये। लेकिन यह नहीं सीखना तो एक दिन भी चलेगा, वह तो देखते हैं तो सभी खुश होते हैं। ज्यादा रिजल्ट देख करके खुश होते हैं कि हम भी पास में आ गये। इससे सभी समझ ही गये होंगे। बाकी अटेन्शन देना हमारा फर्ज है क्योंकि देखो टीचर भी मेहनत तो करते हैं ना। तो टीचर्स या स्टूडेन्टस दोनों को ज्यादा पास होने की मुबारक हो, मुबारक हो। अभी कभी भी कोई भी पेपर हो उसमें फेल नहीं होना। यह जो आपको सबक सिखाया, वह यह सिखाया, आज आप पास हो गये हो तो शक्लें देखो और जो फेल हुए हैं वह जैसे कांध नीचे कर लेते, नेचरल हो रहा है। कितना भी चाहें तो भी कांध नीचे हो जाता है। तो जब भी पेपर देने बैठो तो सदा यह दिन याद रखना कि पास होना ही है। टोटल रिजल्ट भी देखी गई, तो हिसाब से भी अच्छी रिजल्ट है। कभी भी जब भी पेपर देने बैठो तो हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि फेल कभी नहीं होना है। फेल होना माना फील करने वाले। सारा साल आपको याद रहेगा कि मैं फेल हुआ, फेल हुआ इसलिए कायदे अनुसार तो बदली हो जायेगी लेकिन यह संकल्प कभी भी नहीं रखना कि जो हुआ सो अच्छा, कभी फेल, कभी पास तो होंगे ही! हमेशा पास तो नहीं होंगे! लेकिन यह शिक्षा तो सबको मिली कि जो पास हुए इसमें, वह कितने हैं और कितने निकले। वह हाथ उठाओ जो पास हुए। हाथ उठाने वाले कम हैं। सभा के हिसाब से कम हैं। हमेशा जब भी पढ़ाई पढ़ते हैं ना, उसमें यह भी लक्ष्य हो कि मुझे पास होके ही दिखाना है। अभी तक जो भी आप लोग पढ़े हैं। पहली से लेकर अब तक जितना भी दर्जे पढ़े हैं उसमें समझो अभी आठवीं का चल रहा है, तो आप कितने पास हुए? पास कितने होने चाहिए? चलो फुल पास नहीं तो थोड़ा कम, एक दो मार्क्स कम हुआ तो ठीक है लेकिन अगर ज्यादा मार्क्स में फेल हुआ तो ठीक नहीं, इसलिए अभी एम क्या रखेंगे? फेल हुआ तो भी एक ही बात है क्या! आप में से भी कोई समझते हैं कि एक दो मार्क्स से पास हुआ तो यह राइट है, या यह भी चलता है...। लक्ष्य यह रखो कि एक भी क्लास मिस नहीं हो क्योंकि स्टूडेन्ट की सदा एम यही रहती है कि मैं पास हो जाऊं। कोशिश करूंगा नहीं, हो जाऊं।
तो आज सभी ने मेहनत की। कितने परसेन्ट ने हाथ उठाया। हाथ तो उठाया लेकिन पास किस नम्बर तक हुए, वह भी तो देखना है ना। पास तो हो गये लेकिन पास ना के बराबर ही हुए, एक दो नम्बर से या ठीक पास जिसको कहते हैं वह हुए। तो हमेशा यह ध्यान रखो किसी भी बात में पास माना पास। फेल का नम्बर आवे, यह अच्छा नहीं। जरूर कोई ऐसी आदत होगी जिसमें बिजी रहते होंगे। फिर भी कितने लोग बैठे हैं यहाँ, जो पास हुए हैं वह हाथ उठाओ। अच्छे हैं, या आगे आगे ही बैठे हैं पास वाले। अच्छा है, जब पास में हाथ उठाते हैं तो नशा कितना चढ़ता है।
सेवा का टर्न महाराष्ट्र ॰जोन का है, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मुम्बई के १५ हजार आये हैं, बाकी सब २२ हजार आये हैं महाराष्ट्र, तो बापदादा भी मुबारक देते हैं क्यों! इम्तहान दिया भी यहाँ हैं और यहाँ के पास भी ज्यादा हुए हैं। तो जो पास हुए हैं उन्हों को बहुत-बहुत बधाई। मेहनत की या लक है तो हो गये हैं। मेहनत किया है? जिसने मेहनत किया है वह हाथ उठाओ। मेहनत कम ने की है जितनी रिजल्ट है। लेकिन फिर भी इतने भी निकले हैं तो यह भी बापदादा को अच्छा लग रहा है। आधे से ज्यादा हैं। अच्छा है।
डबल विदेशी ५० देशों से 5५० भाई बहिनें आये हैं:- अच्छा है फिर भी इतने तो निकले हैं। पुरूषार्थ फिर भी किया है अच्छा है। अच्छा, इन पास वालों के लिए ताली बजाओ। क्योंकि रिजल्ट मिलने से यह प्रभाव पड़ता है कि यह स्टूडेन्ट वैसे थे। पढ़ने के तरफ रूचि थी या और किसी बात में रूचि थी। फिर भी अच्छा है, (रतन दादा, रत्ना बहन, लण्डन के) एक ही घर में दोनों पास हैं! दोनों ही पास हो गये, यह तो बहुत अच्छा। अच्छा आप सबकी तरफ से बाप ही इनको मुबारक दे रहे हैं, इतने तो बोलेंगे नहीं इसलिए सभा के बीच में ही दे रहे हैं। अच्छा है रिजल्ट मिलने से उमंग आता है, तो इतनी रिजल्ट कम क्यों हुआ। हर एक समझेगा कि हम भी स्टडी करते तो नम्बर लेने में थोड़ा और आगे बढ़ जाते। और कर सकते हैं थोड़े अलबेले रहे हैं, हो जायेगा, हो जायेगा, नहीं। होना ही है।
(तीनों स्थानों पर फूलों का श्रंगार कलकत्ता वालों ने किया है) अच्छा है, कलकत्ते वाले बहुत आये हैं। इनसे यह सीखो कि हम भी इसी लाइन में उठें। ऐसे ही सीखते जायेंगे। अच्छा है जिन्होंने हाथ उठाया उनकी तरफ से इनको १०० गुणा ज्यादा मुबारक है। अच्छा है। सब उमंग उत्साह में हैं तो दूसरी बारी फिर नम्बर और आगे होंगे। एक बारी किया है ना, तो अभी उमंग आ गया कि हम भी हो सकते हैं तो दुबारा फिर जीत जायेंगे। तो कोशिश करना नम्बर और आगे हो।
फर्स्ट टाइम बहुत आये हैं:- आधा क्लास तो है। इतनी सभा में इतने थोड़ों ने हाथ उठाया। अगर थोड़ा और ज्यादा हो जाते तो कितना अच्छा होता। हम तो कहेंगे कि यह बहुत उमंग-उत्साह होना चाहिए। यह नम्बर लेना कोई रिवाजी बात नहीं है। नाम तो हुआ ना। सारी क्लास उनके मित्र सम्बन्धी कितने खुश हुए। वह भी अगर गिनती करें तो कितने होंगे। उनके माँ बाप चाचा चाची कितने खुश होंगे। लेकिन अच्छा है जो आपने नम्बर तो ले लिया। फिर भी नम्बर में तो आ गये ना। यह भी अच्छा है। ना से अच्छा है।
अच्छा, जो पहले नम्बर वाले आये हैं उन सभी को, इतनी सारी सभा को मुबारक।
कलकत्ता वालों ने बापदादा को हार पहनाया:- (मुन्नी बहन को देखकर) आप भी तो कलकत्ता से निकली हो ना।
मोहिनी बहन:- (बाबा आपके वरदानों से ठीक हूँ) अभी आगे भी ठीक रहेंगी। वह तो अच्छा है बाबा सभी को वरदान में हाँ हाँ कहता है, सिर्फ याद रखें।
(मधु बहन २० साल से १८ जनवरी को तीनों स्थान फूलों से सजाती हैं) इन्होंने कोशिश की है नम्बरवन जाने की। कोशिश में अभी थोड़े नम्बर आये फिर दूसरे आ जायेंगे। कोई बात नहीं। लेकिन उमंग आयेगा कि हम थोड़ा पीछे रह गये हैं।
नारायण दादा से:- अभी और आगे जाकर दिखाओ। जैसे अभी नजदीक आके दिखाया, ऐसे इसमें भी नम्बर आगे जाके दिखाओ। कर सकता है। अभी कोई बुढ़ा नहीं है, जवान है। यह करना चाहे तो कर सकता है। ले सकता है, बस सिर्फ थोड़ा जोश भरना अपने में। (सबका सपोर्ट है) आपकी सपोर्ट है! पहले आपकी सपोर्ट है? पहले आपकी सबको सपोर्ट चाहिए। अच्छा। |
(१) वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर कर के धामिर्कता के लिये जीवन बिताएं: उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए।
(२) क्योंकि वह अपने चेलों को उपदेश देता और उन से कहता था, कि मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा, और वे उसे मार डालेंगे, और वह मरने के तीन दिन बाद जी उठेगा।
(३) और वे उस को ठट्ठों में उड़ाएंगे, और उस पर थूकेंगे, और उसे कोड़े मारेंगे, और उसे घात करेंगे, और तीन दिन के बाद वह जी उठेगा॥
(४) और वे उस को ठट्ठों में उड़ाएंगे, और उस पर थूकेंगे, और उसे कोड़े मारेंगे, और उसे घात करेंगे, और तीन दिन के बाद वह जी उठेगा॥
(५) परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।
(६) और वह उन्हें सिखाने लगा, कि मनुष्य के पुत्र के लिये अवश्य है, कि वह बहुत दुख उठाए, और पुरिनए और महायाजक और शास्त्री उसे तुच्छ समझकर मार डालें और वह तीन दिन के बाद जी उठे।
(७) वह तैयारी का दिन था, और सब्त का दिन आरम्भ होने पर था।
(८) तीसरे पहर के निकट यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, एली, एली, लमा शबक्तनी अर्थात हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?
(९) और इसलिये कि वह तैयारी का दिन था, यहूदियों ने पीलातुस से बिनती की कि उन की टांगे तोड़ दी जाएं और वे उतारे जाएं ताकि सब्त के दिन वे क्रूसों पर न रहें, क्योंकि वह सब्त का दिन बड़ा दिन था।
(१०) जब संध्या हो गई, तो इसलिये कि तैयारी का दिन था, जो सब्त के एक दिन पहिले होता है।
(११) और उसके पास आ आकर कहने लगे, हे यहूदियों के राजा, प्रणाम! और उसे थप्पड़ भी मारे।
(१२) उस ने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा॥
(१३) तुम जानते हो, कि दो दिन के बाद फसह का पर्व्व होगा; और मनुष्य का पुत्र क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिये पकड़वाया जाएगा।
(१४) दो दिन के बाद फसह और अखमीरी रोटी का पर्व्व होनेवाला था: और महायाजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसे क्योंकर छल से पकड़ कर मार डालें।
(१५) क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है।
(१६) तब यीशु ने कहा; हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं और उन्होंने चिट्ठियां डालकर उसके कपड़े बांट लिए।
(१७) अखमीरी रोटी के पर्व्व के पहिले दिन, जिस में वे फसह का बलिदान करते थे, उसके चेलों ने उस से पूछा, तू कहां चाहता है, कि हम जाकर तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें?
(१८) हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया? तू मेरी पुकार से और मेरी सहायता करने से क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहां है?
(१९) हे महाराज, हमें स्मरण है, कि उस भरमाने वाले ने अपने जीते जी कहा था, कि मैं तीन दिन के बाद जी उठूंगा।
(२०) और फिर किले के भीतर गया और यीशु से कहा, तू कहां का है? परन्तु यीशु ने उसे कुछ भी उत्तर न दिया।
(२१) अखमीरी रोटी का पर्व्व जो फसह कहलाता है, निकट था।
(२२) इसी कारण मैं ने सब से पहिले तुम्हें वही बात पहुंचा दी, जो मुझे पहुंची थी, कि पवित्र शास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया।
(२३) तब सूबेदार और जो उसके साथ यीशु का पहरा दे रहे थे, भुईंडोल और जो कुछ हुआ था, देखकर अत्यन्त डर गए, और कहा, सचमुच यह परमेश्वर का पुत्र था।
(२४) और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करुंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।
(२५) हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया? तू मेरी पुकार से और मेरी सहायता करने से क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहां है?
(२६) क्योंकि कुत्तों ने मुझे घेर लिया है; कुकर्मियों की मण्डली मेरी चारों ओर मुझे घेरे हुए है; वह मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं।
(२७) मेरा परम मित्र जिस पर मैं भरोसा रखता था, जो मेरी रोटी खाता था, उसने भी मेरे विरुद्ध लात उठाई है।
(२८) परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।
(२९) तीसरे पहर के निकट यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, एली, एली, लमा शबक्तनी अर्थात हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?
(३०) इन बातों के बाद अरमतियाह के यूसुफ ने, जो यीशु का चेला था, ( परन्तु यहूदियों के डर से इस बात को छिपाए रखता था), पीलातुस से बिनती की, कि मैं यीशु की लोथ को ले जाऊं, और पीलातुस ने उस की बिनती सुनी, और वह आकर उस की लोथ ले गया।
(३१) जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा पूरा हुआ और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिए॥
(३२) तब यीशु ने अपने चेलों से कहा; यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले।
(३३) क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है।
(३४) मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया।
(३५) और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
(३६) वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर कर के धामिर्कता के लिये जीवन बिताएं: उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए। |
रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के मामलों शनिवार को मामूली सी कमी दर्ज की गई लेकिन इस दौरान मौतों का आंकड़ा बढ़ गया है। प्रदेश में लंबे समय बाद कोरोना से एक दिन में ८ लोगों की मौत हुई। जनवरी में इससे पहले एक दिन में ७ मरीजों की मौत का आंकड़ा दर्ज है। प्रदेश में शनिवार को ५५२५ नए कोरोना संक्रमितों की पहचान हुई है। इस दौरान प्रदेश में कुल ५६ हजार ७1७ सैंपलों की जांच की गई। प्रदेश का औसत पॉजिटिविटी दर ९.७4% रहा।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी ताजा मेडिकल बुलेटिन के अनुसार शनिवार को सामने आए नए मामलों के बाद प्रदेश में कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या १० लाख ५५ हजार ७५३ तक पहुंच गई है। वहीं शनिवार को प्रदेश में ४२४० मरीज स्वस्थ हुए हैं। इसके साथ ही स्वस्थ मरीजों का आंकड़ा १० लाख ९ हजार ९67 तक पहुंच गया है। संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण प्रदेश में सक्रिय मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश में फिलहाल ३२ हजार १४० मरीजों का इलाज चल रहा है। प्रदेश में अब तक कोरोना संक्रमण के कारण १३ हजार ६४७ मरीजों की मौत हो चुकी है।
रायपुर सर्वाधिक संक्रमित जिला,
कोरोना संक्रमण के मामले में राजधानी रायपुर सबसे ज्यादा संक्रमित जिला बना हुआ है। शनिवार को रायपुर से १६९२ नए केस सामने आए। इसके अलावा शनिवार को बालोद में भी केस बढ़े हैं। बालोद में तीसरी लहर के दौरान पहली बार ९० से ज्यादा केस सामने आए। इसके अलावा रायगढ़ से ६६३, दुर्ग से ६५३, कोरबा से ३६६, बिलासपुर से ४४७, राजनांदगांव से २३८, जांजगीर चांपा से २०४, सरगुजा से १७२, कांकेर २३२४, जसपुर से १४६, बालोद से ९६, धमतरी से ९२, सूरजपुर से ९०, कोरिया मुंगेली से ६४-६४, बलौदा बाजार से ६०, दंतेवाड़ा से ५३, बलरामपुर से ४३, महासमुंद से ४८ कबीरधाम ३९, नारायणपुर से २४, सुकमा से २५, बेमेतरा से २०, गौरेला पेंड्रा मरवाही से ३३, बस्तर से २७, कोंडागांव से २८ कोरोना संक्रमण मामले सामने आए। शनिवार को प्रदेश के ७ जिलों की पॉजिटिविटी दर ४% से भी कम रहें। इन जिलों में गरियाबंद, बेमेतरा, बलौदा बाजार, बस्तर, बलरामपुर, कबीरधाम एवं बीजापुर जिले शामिल है। |
कुछ महिलाएं गलती से मानती हैं कि छोटे स्तन का आकार उनकी गलती है। लेकिन हम लड़कियों से यह महसूस करने का आग्रह करते हैं कि एक छोटी सी हलचल बहुत सौंदर्यवादी रूप से सुखदायक और साफ-सुथरी लगती है। आप इन लाभों का पूरी तरह से अनुभव कर सकते हैं, उदाहरण के लिए, स्लिप ड्रेसेस और टॉप पर डालकर, ब्रा का उपयोग नहीं करते हुए, अश्लीलता और बेस्वाद की रेखा को पार नहीं करते हुए। और लघु बिकनी भी चुनते हुए, आप डर नहीं सकते कि थोड़े अजीब आंदोलन में आपके स्तन कप के "बाहर कूद" सकते हैं और आपको एक अजीब स्थिति में डाल सकते हैं।
फ्रिंज, रफल्स, फ्रिल्स।
उतारे हुए कपड़े।
पशुवत और बड़े प्रिंट।
यदि नेत्रहीन, आप छाती क्षेत्र में वॉल्यूम जोड़ना चाहते हैं, तो आपको सजावटी तत्वों जैसे धनुष, तामझाम, फ्रिंज या रफल्स के साथ शरीर को चुनने की आवश्यकता है। इस सीजन में ये बिकिनी ट्रिम्स ट्रेंडी हैं।
उदाहरण के लिए, रिज़ॉर्ट २०२१ संग्रह में ज`अमेम्मे से एक पीला नींबू रंग में एक समुद्र तट पोशाक के लिए एक विकल्प के रूप में। या ज़िम्मर्मान ब्रांड की तरह एक स्विमिंग सूट, नए क्रूज संग्रह २०२१ में प्रस्तुत किया गया, जिसका मुख्य चरित्र इरीना नायक है।
हम एक न्यूनतम टुकड़ा-टुकड़ा बिकनी के बजाय पक्षों पर विभिन्न कटआउट के साथ एक-टुकड़ा स्विमसूट को वरीयता देने की सिफारिश करेंगे। कटआउट ध्यान को विचलित करेगा, जबकि कमर के सुंदर घटता पर जोर देना और छवि में स्त्रीत्व और कामुकता को जोड़ना होगा।
बिकनी के विषम कटौती के लिए भी यही कहा जा सकता है। ऐसे विकल्पों से डरो मत, बेझिझक वन-शोल्डर स्विमवियर खरीदें, एक दिलचस्प कट और विवरण चुनें। अपने इंस्टाग्राम अकाउंट्स में इस तरह के स्विमवियर के उदाहरणों को फ्रैंकीस बिकनीस और सॉलिड एंड स्ट्रिप्ड ने पेश किया था।
बंदो... छोटे स्तनों वाली लड़कियों के लिए आदर्श। ये धारीदार कपड़े के रूप में या बिना पट्टियों के, विक्टोरिया सीक्रेट शैली के मुड़ संस्करण के रूप में हो सकते हैं। ये बिकनी आराम से फिट होती हैं, शानदार दिखती हैं, जिससे फिगर और भी फेमिनिन हो जाता है।
हम आपको पढ़ने के लिए सलाह देते हैं: पेट को छिपाने के लिए पोशाक कैसे चुनें?
एक बड़े प्रिंट और लाइट शेड्स नेत्रहीन छाती क्षेत्र में वॉल्यूम जोड़ने के लिए करेंगे, यदि आपको इसकी आवश्यकता है। इस प्रकार के टॉप्स को चैनेल क्रूज़ संग्रह २०२१ में चित्रित किया गया था।
सामान्य तौर पर, लड़कियों को याद है कि छोटे स्तनों के फायदे हैं कि आप बिकनी के लगभग किसी भी रूप को खरीद सकते हैं, सौंदर्यवादी रूप से प्रसन्न, खूबसूरत और साफ दिख सकते हैं। यह सब आपकी भावनाओं और वरीयताओं पर निर्भर करता है। खुद से प्यार करें और स्टाइलिश बनें!
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खुली पीठ और कंधों वाली पोशाकें बेहद स्त्रैण होती हैं।
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स्विमसूट महिलाओं के वॉर्डरोब का अहम हिस्सा होता है।
सीजन २०२१-२०२२ में महिलाओं के लिए अधोवस्त्र का फैशन ट्रेंड - विभिन्न शैलियों में सबसे अच्छा सेट!
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१९८० का दशक भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव लेकर आया था। रेगर्ड्स सुधारों के इस नए मॉडल को सामान्यतः उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरणमाँडल (एलपीजी मॉडल) के रूप में जाना जाता है। इस मॉडल का मुख्य उद्देश्य दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी से विकसित अर्थव्यवस्था बनाना तथा दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के निकट पहुंचना या उनसे आगे निकलना था।
एक अधिक कुशल स्तर करने के लिए देश की अर्थव्यवस्था को उठाने पर लक्षित व्यापार, विनिर्माण करने का संबंध है, और वित्तीय सेवाओं ने उद्योगों के साथ जगह ले ली है कि सुधारों की श्रृंखला। इन आर्थिक सुधारों को एक महत्वपूर्ण तरीके से देश के समग्र आर्थिक विकास को प्रभावित किया था।
उदारीकरण सरकार के नियमों में आई कमी को दर्शाता है। भारत में आर्थिक उदारीकरण २४ जुलाई १९९१ के बाद से शुरू हुआ जो जारी रखने के वित्तीय सुधारों को दर्शाता है।
निजीकरण के रूप में अच्छी तरह से निजी क्षेत्र के लिए व्यापार और सेवाओं और सार्वजनिक क्षेत्र (या सरकार) से स्वामित्व के हस्तांतरण में निजी संस्थाओं की भागीदारी को दर्शाता है। वैश्वीकरण की दुनिया के विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के समेकन के लिए खड़ा है।
१५ अगस्त १९४७ को अपनी स्वतंत्रता के बाद, भारत गणराज्य समाजवादी आर्थिक रणनीतियों के लिए अटक गया। १९८० के दशक में राजीव गांधी भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री, आर्थिक पुनर्गठन उपायों के एक नंबर शुरू कर दिया। १९९१ में, देश के खाड़ी युद्ध और तत्कालीन सोवियत संघ के पतन के बाद भुगतान दुविधा की एक संतुलन का अनुभव किया। देश स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड और २० टन सोने की ४७ टन की राशि जमा करने के लिए किया था। इस आईएमएफ या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ एक वसूली संधि के तहत जरूरी हो गया था। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष व्यवस्थित आर्थिक पुनर्संगठन के एक दृश्य की कल्पना करने के भारत जरूरी हो। नतीजतन, देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने आर्थिक सुधारों ग्रोउन्द्ब्रेअकीं शुरू की। हालांकि, नरसिंह राव द्वारा गठित समिति आपरेशन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के लिए देखा है, जो सुधारों की एक संख्या नहीं डाली।
डॉ मनमोहन सिंह ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, तब भारत सरकार के वित्त मंत्री थे। उन्होंने कहा कि सहायता प्रदान की। नरसिंह राव और इन सुधार की नीतियों को लागू करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सुरक्षा नियमों में लाना (संशोधित) और रिकॉर्ड और पूंजी बाजार में सभी मध्यस्थों को नियंत्रित करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड को वैध शक्ति प्रदान की गई है, जो १९९२ के सेबी अधिनियम।
दरों और कंपनियों के बाजार में जारी करने वाले थे कि शेयरों की संख्या निर्धारित किया है कि १९९२ में राजधानी मामलों के नियंत्रक के साथ दूर कर रहा है।
देश के अन्य शेयर बाजारों के पुनर्गठन को प्रभावित करने के लिए एक उपकरण के रूप में काम किया है, जो एक कम्प्यूटरीकृत हिस्सेदारी खरीद और बिक्री प्रणाली के रूप में १९९४ में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का शुभारंभ। वर्ष १९९६ तक, नेशनल स्टाक एक्सचेंज का भारत में सबसे बड़ा शेयर बाजार के रूप में सामने आया था।
१९९२ में, देश के शेयर बाजारों में विदेशी कॉर्पोरेट निवेशकों के माध्यम से निवेश के लिए उपलब्ध कराया गया था। कंपनियों के जीडीआर या ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट जारी करने के माध्यम से विदेशी बाजारों से धन जुटाने की अनुमति दी गई।
४० प्रतिशत से ५१ प्रतिशत करने के लिए व्यापार के कारोबार या साझेदारी में अंतरराष्ट्रीय पूंजी के योगदान पर उच्चतम सीमा बढ़ाने के माध्यम से एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) को बढ़ावा देना। उच्च प्राथमिकता वाले उद्योगों में १०० फीसदी इंटरनेशनल इक्विटी अनुमति दी गई थी।
२५ प्रतिशत करने के लिए ८५ प्रतिशत का एक मतलब स्तर से शुल्क घटाए जाने, और मात्रात्मक नियमों को वापस लेने। रुपया या अधिकारी भारतीय मुद्रा व्यापार खाते पर एक विनिमेय मुद्रा में बदल गया था।
३५ क्षेत्रों में एफडीआई की मंजूरी के लिए तरीकों के पुनर्गठन। अंतरराष्ट्रीय निवेश और भागीदारी के लिए सीमाओं का सीमांकन किया गया।
इन पुनर्संगठन के परिणाम विदेशी निवेश की कुल राशि (एफडीआई पोर्टफोलियो निवेश शामिल है, और विदेशी इक्विटी पूंजी बाजार से एकत्र निवेश) तथ्य यह है कि अनुमान के अनुसार एक सूक्ष्म से) ने देश में १९९५-१९९६ में $ ५३०००००००० के लिए गुलाब की जा सकती है अमेरिका १९९१-१९९२ में $ १३२,०००,०००। नरसिंह राव उत्पादन क्षेत्रों के साथ औद्योगिक दिशानिर्देश परिवर्तन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि लाइसेंस की आवश्यकता है, जो सिर्फ १८ सेक्टरों छोड़ने दूर लाइसेंस राज के साथ किया था। उद्योगों पर नियंत्रण संचालित किया गया था।
समानता पर आधारित है और आदमी द्वारा मनुष्य के शोषण को रोकने के - विकास का एक समाजवादी पैटर्न अपनाने।
ध्यान में रखते हुए उक्त उद्देश्यों के साथ, आर्थिक सुधारों के एक हिस्से के रूप में भारत सरकार ने जुलाई १९९१ में एक नई औद्योगिक नीति की घोषणा की।
१. सरकार केवल छह के लिए अनिवार्य लाइसेंस के तहत उद्योगों की संख्या कम हो।
२. विनिवेश कई सार्वजनिक क्षेत्र के औद्योगिक उद्यमों के मामले में किया गया।
३. नीति को उदार बनाया गया था। विदेशी इक्विटी भागीदारी की हिस्सेदारी बढ़ गया था और कई गतिविधियों में १०० फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( एफडीआई) की अनुमति दी थी।
४. स्वत: अनुमति अब विदेशी कंपनियों के साथ प्रौद्योगिकी समझौतों के लिए प्रदान किया गया था।
५. विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को बढ़ावा देने और भारत में विदेशी निवेश छनेलिज़े करने के लिए स्थापित किया गया था।
बाजार अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए बंद कर दिया से भारतीय अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए बहुत बहस और चर्चा की आर्थिक सुधारों को लागू करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए तीन प्रमुख पहल कर रहे थे। ये आम तौर पर रसोई गैस, यानी उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के रूप में संक्षिप्त कर रहे हैं।
उदारीकरण सभी अनावश्यक नियंत्रण और प्रतिबंध से भारतीय व्यापार और उद्योग को उदार बनाने के उद्देश्य से किया गया।
वे लाइसेंस-परमिट - कोटा राज के अंत का संकेत है।
(१) एक संक्षिप्त सूची को छोड़कर उद्योगों में अधिकांश में लाइसेंस की आवश्यकता खत्म,
(३) व्यावसायिक गतिविधियों के विस्तार या संकुचन पर कोई प्रतिबंध नहीं है,
(४) वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही पर प्रतिबंध को हटाने, वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को तय करने में स्वतंत्रता,
(५) अर्थव्यवस्था पर् कर की दरों में कमी और अनावश्यक नियंत्रण के उठाने,
राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र के लिए एक कम भूमिका को बड़ी भूमिका देने के उद्देश्य से आर्थिक सुधारों के नए सेट।
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार १९९१ की नई औद्योगिक नीति में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका को नई परिभाषा दी।
उसी के उद्देश्य, सरकार के अनुसार, वित्तीय अनुशासन में सुधार और आधुनिकीकरण की सुविधा प्रदान करने के लिए मुख्य रूप से किया गया था।
यह भी निजी पूंजी और प्रबंधकीय क्षमताओं को प्रभावी ढंग से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रदर्शन में सुधार करने के लिए उपयोग किया जा सकता है कि मनाया गया।
सरकार ने यह भी प्रबंधकीय निर्णय लेने में उन्हें स्वायत्तता देकर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की दक्षता में सुधार करने का प्रयास किया गया है।
वैश्वीकरण पहले से ही सरकार द्वारा शुरू किए गए उदारीकरण और निजीकरण की नितियों का नतीजा है।
वैश्वीकरण आम तौर पर दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ देश की अर्थव्यवस्था के एकीकरण का मतलब यह समझा जाता है। यह समझने के लिए और व्यवहार में लागू करने के लिए एक जटिल घटना है।
यह अधिक से अधिक निर्भरता और एकीकरण की दिशा में दुनिया को बदलने के उद्देश्य से कर रहे हैं कि विभिन्न नीतियों के सेट का नतीजा है।
यह आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक सीमाओं से परे नेटवर्क और गतिविधियों का निर्माण शामिल है।
वैश्वीकरण वैश्विक अर्थव्यवस्था के विभिन्न राष्ट्रों के बीच बातचीत और परस्पर निर्भरता का एक बढ़ा स्तर शामिल है।
शारीरिक भौगोलिक अंतर या राजनीतिक सीमाओं नहीं रह गया है दुनिया भर में एक दूर के भौगोलिक बाजार में एक ग्राहक सेवा करने के लिए एक व्यावसायिक उद्यम के लिए बाधाओं रहते हैं।
अन्तिम परिवर्तन ०८:३५, १७ अप्रैल २०२२। |
नैनीताल। सरोवर नगरी के कई इलाकों में हो रहे भूस्खलन के कारण यहां रह रही आबादी पर अब खतरा मंडरा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि नैनी झील के किनारे की सुरक्षा दीवारों पर भू-धंसाव, बलियानाला में हो रहे भूस्खलन का कारण नगर में ड्रेनेज सिस्टम की कमी, सुरक्षा दीवारों का कमजोर होना, मृदा क्षरण, चट्टानों का कमजोर होना है। इसके लिए नगर का परीक्षण कर स्थायी उपचार बनाया जरूरी है। यह बातें सोमवार को बलियानाला, पाइंस, नैनीताल-भवाली मार्ग और मल्लीताल बैंड स्टैंड पर लगातार हो रहे भूस्खलन व भू धंसाव की स्थिति का जायजा लेने पहुंचे आपदा सचिव रणजीत सिन्हा ने कहीं।
नैनीताल नगर का दौरा करने पहुंचे आपदा सचिव रणजीत सिन्हा ने लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, नगर पालिका परिषद नैनीताल, जल संस्थान के अधिकारियों के साथ भूस्खलन, भू कटाव की स्थिति का जायजा लिया। इस मौके पर उन्होंने संबंधित अधिकारियों को क्षेत्र में भू-धंसाव, भू कटाव के साथ ही सीवेज संबंधित समस्याओं को लेकर गंभीरता के साथ सर्वे कर योजना बनाने के निर्देश दिए, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में जल्द से जल्द ट्रीटमेंट कार्य शुरू किया जा सके।
उन्होंने बलियानाला क्षेत्र में होने रहे भू-स्खलन पर नजर बनाये रखने के भी निर्देश दिये। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि भूस्खलन से पहले और उसके बाद जो ट्रीटमेंट कार्य किये गये हैं, उसके बाद क्षेत्र की क्या स्थिति है। इन सभी की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी उपलब्ध कराई जाए, जिससे संभावित खतरे का सही आंकलन किया जा सके। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को संपूर्ण क्षेत्र का परीक्षण कर उसके बाद ही योजनायें बनाने के निर्देश दिए हैं, जिससे क्षेत्र में हो रहीं भू-स्खलन जैसी घटनाओं को रोका जा सके। कहा कि भू-स्खलन रोकने के लिए डेनेज सर्पोट, सिस्टम सर्पोट को ठीक करने के साथ ही बायोट्रीटमेंट की भी जरूरत है। तभी क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को स्थायी रूप से रोका जा सकता है।
सिन्हा ने संबधित अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये हैं कि आपदा के तहत जो भी कार्य किये जाने हैं, उन कार्यों का जल्द से जल्द प्रस्ताव तैयार कर आपदा मुख्यालय देहरादून को भेजा जाए, जिससे सुनियोजित ढ़ंग से समय पर आपदा के कार्यों के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा सके। इस दौरान अपर जिलाधिकारी अशोक कुमार जोशी, अधिशासी अभियंता लोनिवि दीपक गुप्ता, एई राजेश, एसडीओ सिंचाई डीडी सती, अधिशासी अभियंता सिंचाई अनिल कुमार वर्मा, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शैलेश कुमार, अधिशासी अभियंता जलसंस्थान विपिन कुमार, ईओ नगरपालिका अशोक कुमार वर्मा आदि मौजूद रहे।
उत्तराखंड पुलिस के १६११ कांस्टेबल को मिली पदोन्नति, बने हेड कांस्टेबल।
नाबालिग बाइक सवार की तेज रफ्तार ने ले ली स्कूटी सवार की जान शादी के लिए शॉपिंग करने जा रहा था नैनीताल। |
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्वभर में नियामकों के साथ मिलकर कार्य करता है। इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों को बेहतर गुणवत्ता वाली औषधियां उपलब्ध हो पाई हैं। उदाहरण के लिए सन् २०१२ में दुनियाभर में करीब ८० लाख लोगों को रीट्रोवायरल उपचार मिला इसमें करीब ६५ लाख महिलाएं शामिल हैं, जिन्हें पहले से तयशुदा दवाइयां प्राप्त हुईं।संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसियों ने विकासशील देशों में वहन कर पाने योग्य औषधियों के मामले में जेनेरिक दवाइयों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आवश्यक औषधियां एवं स्वास्थ्य उत्पाद विभाग एवं यूनिटेड ने ६६वीं विश्व स्वास्थ्य असेंबली के दौरान एक बैठक आयोजित की थी। इसका शीर्षक था, वर्तमान एवं भविष्य में उपचार तक बढ़ती पहुंच बढ़ाने में जेनेरिक औषधियों की भूमिका इसमें भाग लेने वालों का स्वागत करते हुए समन्वयक डॉ. लेंबिट रागो ने कहा कि जेनेरिक औषधियों की भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका है। यूरोपीय देशों में लागू बचत संबंधी कार्यवाही के चलते लागत में कमी की वजह से जेनेरिक पर निर्भरता और उनका उपयोग भी बढ़ेगा। उनका यह भी कहना था कि आने वाले समय में जेनेरिक औषधियां बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती रहेंगी।
अपनी शुरुआती टिप्पणी में यूनिटेड के उप कार्यकारी निदेशक डॉ. फिलिप्पी ड्युनेटोन ने बताया कि किस प्रकार यूनिटेड का व्यापार मॉडल जेनेरिक औषधि निर्माताओं पर स्वयं को केंद्रित कर कम कीमत के माध्यम से जेनेरिक औषधियों तक पहुंच को आसान बनाकर उपचार तक अधिक लोगों को पहुंचाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन कार्यक्रमों के बिना लोगों की क्षमता भी सीमित हो जाएगी। ये कार्यक्रम बहुत ही सहकार की भावना लिए हुए हैं। हमारे सामने आगे बहुत सी चुनौतियां हैं। उदाहरण के लिए जेनेरिक फार्मूलों का निर्माण भी एक चुनौती है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा आज हमारे पास अच्छा अवसर है कि हम भविष्य के कार्यक्रमों की रूपरेखा बना लें।
इसके बाद अनेक वक्ताओं ने सभी के लिए स्वास्थ्य एवं गैर संक्रामक रोगों के संबंध में कार्ययोजना प्रस्तुत की। सभी का मत था कि इन दोनों ही परिस्थितियों से निपटने में अच्छी गुणवत्ता वाली अनिवार्य औषधियों की उपलब्धता और उन तक पहुंच होना जरूरी है। डॉ. रागो का कहना था कि औषधियों की गुणवत्ता आज भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। इस दौरान खराब गुणवत्ता की वजह से होने वाली असमय मौतों पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्वभर में नियामकों के साथ मिलकर कार्य करता है। इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों को बेहतर गुणवत्ता वाली औषधियां उपलब्ध हो पाई हैं। उदाहरण के लिए सन् २०१२ में दुनियाभर में करीब ८० लाख लोगों को रीट्रोवायरल उपचार मिला इसमें करीब ६५ लाख महिलाएं शामिल हैं, जिन्हें पहले से तयशुदा (प्रीक्वालिफाइड) दवाइयां प्राप्त हुईं।
अपनी अंतिम टिप्पणी में डॉ. लेंबिट ने कहा कि पहले से तयशुदा दवाइयां जीवन की रक्षा करती हैं, लेकिन यह किसी प्रकार के राष्ट्रीय नियमन का हिस्सा न होकर गुणवत्ता वाली औषधियों तक पहुंच की प्रक्रिया हो सकती है। गरीब लोगों को खराब गुणवत्ता वाली औषधियों से निजात मिलना ही चाहिए। गरीब लोगों का भी अच्छी औषधियों पर अधिकार है। प्रीक्वालिफिकेशन एवं टीबी परियोजना के प्रबंधक रॉबर्ट माटिस ने एक स्वस्थ बाजार की स्थापना में इनके योगदान पर भी चर्चा की। वहीं पेटेंट के बढ़ते खतरे एवं एड्स की जेनेरिक औषधियों की गुणवत्ता वृद्धि पर भी विस्तार से चर्चा हुई। तंजानिया के खाद्य एवं औषधि निदेशक हैति बी. सिल्लोने तंजानिया में औषधियों के नियमन की गंभीरता पर जोर दिया। इसमें नियमन की आवश्यकता, प्रबंधन का ढांचा, मानव संसाधन क्षमता एवं संसाधन के साथ ही इस क्षेत्र के देशों के मध्य दवाइयों के आयात-निर्यात और बाजार के नियंत्रण जैसे विषयों को शामिल किया गया था।
ईएमपी के औषधि कार्यक्रम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रिचर्ड लाइंग ने इस तथ्य की ओर इशारा किया कि प्रत्येक देश का जेनेरिक औषधियों का अपना एक बाजार है और कोई भी दो देश एक से नहीं हैं। पेटेंट की अवधि बीत जाने के बावजूद कुछ देशों में बड़ी मात्रा में ब्रांडेड दवाइयां बिकती रहती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि औषधियां भले ही जेनरिक हों या ब्रांडेड उन्हें एक सी गुणवत्ता वाली होना चाहिए। जेनेरिक दवाइयों को अपनाने की हर देश की अपनी क्षमता है। उदाहरण के लिए अमेरिका में जेनेरिक औषधियां ६ महीने के भीतर ब्रांडेड दवाइयों की ८० प्रतिशत हिस्सेदारी अपनी तरफ कर लेती हैं।
(जर्मनी में ब्रांड इतनी जल्दी नष्ट नहीं होते, वहां ४-५ वर्षों की अवधि में इनमें 1५-१६ प्रतिशत के मध्य कमी एवं अनुमान है कि ऑस्ट्रिया में यह गिरावट ४-५ वर्षों में करीब ४-५ प्रतिशत ही होती है।
अंत में यही कहा जा सकता है कि उच्च आय वाले देशों के अलावा औषधियों के मूल्य का भुगतान व्यक्ति को अपनी जेब से ही करना पड़ता है। ऐसे देश जहां स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत औषधियों को लाना संभव नहीं हो पाया है वहां जेनेरिक औषधि नीतियां महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी!
लाइंग का कहना है, जहां लोगों को अपनी जेब से भुगतान करना है वहां जेनेरिक औषधियां किसी व्यक्तिगत मरीज द्वारा औषधियों पर किए जाने वाले खर्च में ६० प्रतिशत तक की कमी ला सकती हैं और यही मृत्यु या गरीबी या जीवन के बीच अंतर भी ला सकता है। |
क्या दोबारा हो सकता है प्यार ?
रोचक पुस्तक। आपको भारतीकृष्णातीर्थ महाराज की वैदिक गणित भी पढ़नी चाहिए।
यदि आपने कभी शंकुतला देवी की गणित की पहेलियों की किताब पढ़ी है और आप उनकी तेज अंकगणितीय क्षमता से परिचित हैं तो यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए। इस किताब में कई ऐसे तरीके दिये हुए हैं जिससे आप दूसरों को आश्चर्यचकित कर देंगे।
गणित के विद्यार्थियों को इस पुस्तक को एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए।
यथासंभव और यत्र तत्र सर्वत्र दोनों किताबें उत्कष्ट व्यंग्यों का संकलन हैं। साथ ही हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे के व्यंग्य भी अच्छे लगते हैं। मेरा पसंदीदा व्यंग्य है, वर्जीनिया वुल्फ से सब डरते हैं।
शरद जोशी जी के व्यंग्यों में एक विशेष पैनापन है। काश वे आज भी होते तो उन्हें लिखने का कितना मसाला मिल जाता! यथासंभव के सारे व्यंग्य आज भी हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं। अभिव्यक्ति के इतने तरीके और साधन उपलब्ध हैं कि हर भारतीय मुखर हो उठा है किसी न किसी विषय पर कुछ न कुछ बोलना चाहता है।
जैसे लगता है कि हमारी अपनी कहानी हो। अमृता जी की कहानी हमें अपने मोहजाल में फँसा लेती हैं। मैने कई बार पढ़ी है। उम्दा कहानी।
जीवन की आशाओं, निराशाओँ और हकीकतों का मंजर। कहानी पढ़नी शुरु की तो बस पढ़ती ही चली गई!
चाणक्य नीति या चाणक्य सूत्र के शीर्षकों से हिन्दी पाठकों के सामने कई पुस्तके मुद्रित हुई हैं, परंतु अधिकांश में सतही जानकारी दी जाती है। यह पुस्तक भी प्रामाणिक नहीं मानी जा सकती है। परंत एक सामान्य पाठक के लिए जो कि चाणक्य और उसके विचारों के संबंध में प्राथमिक जानकारी प्राप्त करना चाहता है, यह पुस्तक एक अच्छा आरंभ दे सकती है।
उषाजी की कहानियाँ विदेशों में विशेषकर अमेरिका में रहने वाली भारतीय महिलाओँ की मनःस्थिति का अत्यंत सजीव चित्रण करती है। इनकी 'शेष यात्रा' विशेष पठनीय है।
सत्ता और सेवा, सत्ता और तप, सत्ता और मनीषा इनका परम्पर क्या संबंध है, अनादिकाल से हम इसी प्रश्न से जूझते आ रहे हैं। कितने रुप बदले सत्ता ने। बाहरी अंतर अवश्य दीख पड़ा, पर अपने वास्तविक रुप में वह वैसे ही सुरक्षित रही, जैसे अनादिकाल में थी, अनपढ़ और क्रूर। प्रस्तुत नाटक लिखने का विचार मेरे मन में इन्हीं प्रश्नों से जूझते हुए पैदा हुआ था। जैन वाङ्मय की अनेक कथाओं ने मुझे आकर्षित किया। प्रस्तुत नाटक ऐसी ही कथा का रूपान्तर है भगवान आदिनाथ के दो पुत्र सत्ता के मोह में पड़कर एक-दूसरे को पराभूत करने की भावना ही मानव संस्कृति का अवमूल्यन है। भरत और बाहुबली की यह कहानी तब से आज तक अपने को दोहराती आ रही है। आज सत्ता और सेवा एक-दूसरे के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं। लेकिन वे एक-दूसरे का विकल्प हो ही नहीं सकते। सत्ता का लक्ष्य पाना और छीनना है और सेवा का लक्ष्य देना और अपने को विसर्जित करना है।
आधुनिक युग की प्रायः सभी समस्याएँ मूल रूप में अनादिकाल में भी वर्तमान थीं। उनका समाधान खोजने के लिए लोग तब भी वैसे ही व्याकुल रहते थे जैसे आज। तो कैसी प्रगति की हमनें ? कहाँ पहुँचे हम ? ये प्रश्न हमें बार-बार परेशान करते हैं। भले ही उनका वह समाधान न हो सके जो तब हुआ था, पर शब्दों की कारा से मुक्ति पाने को हम आज भी उसी तरह छटपटा रहे हैं। यह छटपटाहट ही मुक्ति के मार्ग की ओर ले जाती है।
भरत और बाहुबली इसी मुक्ति की चाह के लिए व्याकुल थे और वह तब मिली थी जब वे मैं से मुक्ति पा सके थे और मान गये थे कि कौन मैं कौंन तू सब सबके और यह भी अहंकार से मुक्त होकर ही तप पूर्ण होता है और तप के चरणों में झुककर ही सत्ता पवित्र होती है।
सत्ता के आर-पार का सृजन यशस्वी साहित्यकार श्री विष्णु प्रभाकर की लेखिनी से हुआ है, यह इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि नाटक की कथावस्तु इतनी महत्त्वपूर्ण है कि विष्णु जी इससे आकर्षित हुए और अनेक साहित्यिक व्यस्तताओं के बीच उन्होंने इसके लेखन को प्राथमिकता दी ताकि कर्नाटक में श्रवणबेलगोल तीर्थ की विंध्यगिरि पहाड़ी पर स्थित संसार की सबसे ऊँची और भारतीय कला की भव्यता की प्रतिमान, ५७ फुट ऊँची भगवान गोमटेश्वर बाहुबली की प्रतिमा की प्रतिष्ठापना के सहस्त्राब्दी महोत्सव एवं महामस्तकाभिषेक के अवसर पर २२ फरवरी, १९८१ से पहले इसका प्रकाशन हो सके और संभव हो तो इसका मंचीय प्रस्तुतीकरण भी हो।
स्पष्ट है कि सत्ता के आर-पार में कथा इन्हीं बाहुबली की है, जो जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकरों में सर्वप्रथम ऋषभदेव, अपर नाम आदिनाथ के द्वितीय पुत्र थे। ज्येष्ठ पुत्र थे भरत, जिनके नाम पर हमारा देश भारतवर्ष कहलाता है। अनेक पुराणों में इस तथ्य का उल्लेख है। बाहुबली और भरत के द्वंद्वयुद्ध की कथा इतनी मार्मिक है कि कहानी के रूप में पढ़ते हुए पाठक को रोमांच हो आता है।
तीर्थंकार ऋषभदेव (आदिनाथ) जब युग के आदि में मानव जाति की सामाजिक व्यवस्था को सुदृढ़ आधार दे चुके, समाज को असि (आत्मरक्षा), मसि (लेखन), कृषि, वाणिज्य और विद्या (कलाएँ) आदि में निपुण कर चुके तो आध्यात्मिक उपलब्धि के लिए-संयम और तप की साधना द्वारा केवल ज्ञान तथा निर्वाण के लिए-वन में चले गए। भरत को अयोध्या का राज्य दिया, बादुबली को पोदनपुर (तक्षशिला के अंचल) का। भरत की आयुधशाला में चक्र-रत्न उत्पन्न हुआ, अर्थात् दिग्विजय के लिए प्रयाण करने का संकेत। चक्रवर्ती का कर्तव्य है कि एकच्छत्र शासन के अंतर्गत देश के अन्य सब क्षेत्रों और राज्यों को संगठित करे। चतुरंगिणी सेना का अपार सागर दिग्विजय के लिए प्रवासित हो चला। आगे-आगे चक्रवर्ती का अप्रतिहत विरोध-संहारक चक्र चलता जाता था। एक-एक करके सब राजा और शासक भरत का चक्रवर्तित्व स्वीकार करके उसके अधीन होते गए। विजय के गर्व से उल्लसित सेना जब अयोध्या वापस आई और परकोट के द्वार में प्रवेश करने लगी तो चक्र आगे बढ़ने से रुक गया। सेना की गति अवरुद्ध हो गई।
दिग्विजय अधूरी रह गई, क्योंकि भरत ने और सबके राज्यों को अपने आधीन कर लिया था, किन्तु बाहुबली और अपने अन्य भाइयों के राज्यों की ओर सेना को उन्मुख नहीं किया था। प्रश्न भी नहीं उठता था, क्योंकि भाई तो भाई हैं। उनका अग्रज जब चक्रवर्ती बने तो वे तो उसके सहयोगी हैं। शासन की व्यवस्था भावना पर नहीं, ठोस अधिकार पर चलती है। चक्र के गतिरोध ने भरत को चिंतित किया, किन्तु केवल एक ही क्षण को, उसने अपने मन को आश्वस्त किया- कोई बात नहीं; यह एक औपचारिक बात ही तो है। मैं भाइयों के पास दूत भेजकर उन्हें दिग्विजय के महोत्सव में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित करता हूँ। वे आएँगे ही और चक्रवर्ती भाई को नमस्कार करेंगे ही, बस, चक्र का प्रतिरोध दूर हो जाएगा। दूत गए। भरत के अट्ठानवे भाइयों को चक्रवर्ती की पराधीनता स्वीकार नहीं थी। वे पिता तीर्थंकार आदि नाथ की धर्मसभा (समवसरण) में गए और समस्या का समाधान पूछा। तीर्थंकार ने वही कहा जो शाश्वत सत्य है : राजतंत्र और शासन की समस्याएं भौतिक हैं। एक बहुत बड़ा संसार आध्यात्मिकता का है, जिसमें विजय प्राप्त करने के लिए मानवीय विकारों को, राग-द्वेष, क्रोध-मान-माया-लोभ को वश में करना पड़ता है। तुम सब वही मार्ग साधो, जो श्रेयस्कर है। वे सब पुत्र मुनिधर्म में दीक्षित हो गए। बचे बाहुबली।
वे न तो तीर्थंकार के पास गए, न मंत्रियों से विशेष परामर्श किया। उनका मन स्पष्ट था कि निमंत्रण अग्रज ने नहीं, एक चक्रवर्ती ने अपनी दिग्विजय को संपन्न कराने के लिए दिलाया है। दूत चतुर था और कूटनीति के तर्कों में निपुण। किन्तु बाहुबली स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के लिए कृत-संकल्प रहे। सो, अंत में दोनों भाइयों की सेनाएँ आमने-सामने आकर टकराने को सन्नद्ध हो गई। कैसी विडंबना ! तीर्थंकार पिता संसार को अंहिसा और संयम का उपदेश दे रहे हैं और उनके दोनों पुत्र विपुल रक्तपात के लिए उन्मादग्रस्त हैं। भरत और बाहुबली के प्रमुख मंत्रियों ने आपस में परामर्श किया और निर्णय किया कि दो व्यक्तियों की पारस्परिक प्रतिस्पर्धा में सेनाओं का कोई काम नहीं। दोनों भाई आपस में दृष्टियुद्ध, जलयुद्ध और मल्लयुद्ध द्वारा प्रमाणित करें कि कौन विजयी होता है और कौन पराजित। भरत पराक्रमी और प्रतापी थे, किन्तु बाहुबली तो बाहुबली ही थे। वह संसार के प्रथम कामदेव थे। उन्नत और पुष्ट देह, प्रदीप्त नेत्र, वज्र-मुष्टि। तीनों प्रकार की चुनौतियों में बाहुबली जीत गए। उनकी सेना के तुमुल हर्ष-निनाद ने भरत को अवसाद और लज्जा के गर्त में धकेल दिया। हताशा के अंतर्मुहूर्त में उन्होंने बाहुबली पर चक्र चला दिया। चक्र विपक्षी का सिर उतारकर ही संतुष्ट होता है। चक्र द्रुत वेग से उठा, बाहुबली की ओर बढ़ा-जनता के प्राण कंठ में आ गए। एक स्वर में उन्होंने भरत को धिक्कारा। तभी निमिष मात्र में बाहुबली की तीन प्रदक्षिणाएँ चक्र ने कीं और कीलित-सा स्थिर खड़ा हो गया। भरत अपने विक्षुब्ध उन्माद में भूल गए कि दैवी चक्र बंधु-बांधवों का विघात नहीं करता।
आगे की कथा का संकेत करना उसके मर्म की धार को भोथरा करना होगा। इसलिए पाठकों से मेरा अनुरोध है कि इस कृति को पढ़े, मंच-शिल्पी इसे अभिनीत करें और देखें कि मानवीय विकार जीवन के यथार्थ को किस सीमा तक गर्हित कर सकते है....और आत्मबोध का क्षण जिस उन्मेष को जन्म देता है उसकी चरमसिद्धि की मानवीय प्रक्रिया क्या है।
चरम सिद्धि के इस क्षण को शिल्पी अपनी तक्षण-कला के माध्यम से पाषाण के हृदय में किस प्रकार सजीवता प्रदान करता है, विंध्यगिरि पर स्थित बाहुबली की मूर्ति एक हजार वर्ष से इसका निर्देशन प्रस्तुत कर रही है।
श्री विष्णु प्रभाकर ने भरत-बाहुबली की कथा के भौतिक और आध्यात्मिक आयामों को प्रभावकारी ढंग से उभारा है। यह जानकारी सिद्ध लेखिनी का चमत्कार ही है। हिन्दी में कहाँ है ऐसा नाटक, जिसके संवादों की अपरिहार्य व्याख्यात्मक शैली कथ्य के मर्म का उद्धाटन इतनी रसात्मकता से करती हो।
विष्णु जी की साहित्यिक प्रतिभा अनेक अवसरों पर सार्वजनिक रूप से अभिनंदित हो चुकी है। कहानी, उपन्यास, रेखाचित्र, नाटक, ललित गद्य-सभी विधाओं पर उनका समान अधिकार है।
बाँग्ला भाषा के महान् कथा-शिल्पी शरतचन्द्र की जीवनी आवारा मसीहा लिखकर विष्णु जी ने साहित्यिक अध्यवसाय और उपलब्धि का जो मापदंड स्थापित किया है वह सभी भाषाओं के लिए अनुकरणीय बन गया है।
हमें विश्वास हैं कि सत्ता के आर-पार का सृजन उनके यश का संवर्द्धन करेगा और भारतीय साहित्य के लिए श्लाघनीय अवदान माना जाएगा।
वैदिक और जैन साहित्य दोनों में मानव और उसकी संस्कृति के विकास को रेखांकित करती असंख्य कथाएँ गुथी हुई हैं। आवश्यकता उनके सही अर्थ समझकर उनकी, आधुनिक संदर्भ में, नए सिरे से व्याख्या करने की है। पुराण और इतिहास को सृजन का आधार बनाया जाए या नहीं, इस पर दो मत हैं। एक दल गड़े मुर्दे उखाड़ने में विश्वास नहीं करता। दूसरे पक्ष का कहना है कि हम अपने को महान और गौरवशाली प्रामाणित करने के लिए भूतकाल की ओर नहीं लौटना चाहते, बल्कि अपनी परंपरा और विकास-क्रम को समझने के लिए नाना रूपों और नाना विधाओं के माध्यम से उसका अध्ययन प्रस्तुत करना चाहते हैं। व्यक्ति समाज या चिंतन कोई भी अपनी जड़ से कटकर जीवित नहीं रह सकता, सार्थक भूमिका निभाने की बात तो दूर है। जड़ को पहचानने का प्रयत्न पीछे लौटना नहीं है।
उदाहरण के लिए वैदिक युग की नारी अपाला, पौराणिक और महाकाव्य युग की सीता, कुंती और द्रौपदी से लेकर आज तक की नारी की विकास-यात्रा में वह कितनी बदली, यह अध्ययन करना पीछे लौटना नहीं है, बल्कि इस प्रश्न का उत्तर ढूँढ़ना है कि क्या आदिकाल की नारी और आधुनिक काल की नारी की स्थिति में चिंतन और व्यवहार की दृष्टि से कोई गुणात्मक अंतर आया है ? |