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छत्तीसगढ़ में सरकारी शिक्षक बनने का सुनहरा मौक़ा!.शिक्षक भर्ती के लिए कल से फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू, २५ अगस्त को होगी परीक्षा, इस दिन से डाउनलोड कर सकेंगे एडमिट कार्ड क्ग न्यूज२४ ! सीजी न्यूज़ २४ डॉट कॉम
छत्तीसगढ़ में सरकारी शिक्षक बनने का सुनहरा मौक़ा!.शिक्षक भर्ती के लिए कल से फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू, २५ अगस्त को होगी परीक्षा, इस दिन से डाउनलोड कर सकेंगे एडमिट कार्ड
शिक्षा के क्षेत्र में रूचि रखने वाले बेरोजगार युवाओं को शिक्षक बनने का सुनहरा अवसर है, राज्य सरकार प्रदेश में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती करने जा रही है, इच्छुक व्यक्ति आज से सीजी व्यापम के वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते है | आवेदन की प्रक्रिया १६ मई से शुरू हो गई है, जो १६ जून तक चलेगी | वही परीक्षार्थी १६ से २२ अगस्त तक अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते है ।
व्यवसायिक परीक्षा मंडल द्वारा जारी की गई भर्ती कार्यक्रम के अनुसार परीक्षा २५ अगस्त को दो पालियों में आयोजित की जाएगी | ई और टी संवर्ग की होने वाली परीक्षा में ३.१५ घंटे की परीक्षा होगी। सुबह ९ बजे से सहायक शिक्षक साइंस के लिए परीक्षा शुरू होगी, जो दोपहर १२.१५ बजे तक चलेगी।
वही दूसरी पाली में व्यायाम, कृषि, जीव विज्ञान, गणित, अंग्रेजी विषय के शिक्षक के लिए परीक्षा होगी। ये परीक्षा दोपहर बाद २ बजे से शाम ५.1५ बजे तक आयोजित होगी।
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मोदी सरकार की बड़ी सफलता, तीन साल में विदेशों से वापस लाई गईं २४ प्राचीन मूर्तियां | संध्या प्रवाकता
होम सिनेमा देश मोदी सरकार की बड़ी सफलता, तीन साल में विदेशों से वापस लाई...
नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से लेकर अब तक करीब २४ प्राचीन मुर्तियां और कीमती सामान विदेशों से वापस लाया गया है. इनमें चोल शासकों के समय की श्रीदेवी की धातु की मूर्ति और मौर्य काल की टेराकोटा की महिला की मूर्ति शामिल जैसी कीमती चीजें शामिल हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने एक आरटीआई के जवाब में खुलासा करते हुए कहा कि इन २४ प्राचीन वस्तुओं में १६ अमेरिका, पांच ऑस्ट्रेलिया और कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर से एक-एक मूर्ति वापस भारत लाई गईं हैं.
इनमें बाहुबली और नटराज की भी एक-एक मूर्ति शामिल हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक साल २०१४ से २०१७ के बीच इन देशों ने स्वेच्छा से ये मुर्तियां लौटाईं हैं. हालांकि इस बात का अब भी पता नहीं चल पाया है कि ये बेशकीमती विरासत देश से कब और कैसे बाहर गईं थीं. एएसआई से मिली जानकारी के मुताबिक पुरातन काल का १३ बेशकीमती सामान अब भी स्विट्जरलैंड सहित अन्य देशों से लाया जाना है.
वहीं इस मामले में सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत से चोरी करके विदेश ले जाई गईं प्राचीन मूल्यवान सामान को वापस भारत लाने के लिए कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से वापस लाने पर जोर दिया जा रहा है. अमेरिका से जो मूर्तियां वापस लाई गईं हैं उनमें से तमिलनाडु के चोल वंश की श्रीदेवी और बाहुबली की धातु की प्रतिमा शामिल हैं.
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रूप की रानी, चोरों का राजा फिल्म के लिए सतीश कौशिक ने बोनी कपूर...
ग्रामीण स्टेशनों पर भी मिलेगी वाई-फाई सुविधा, आरपीएफ में होगी ५०... |
उच्चारण: गलतफहमी-एक होली ऐसी भी । (डॉ० रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)
गलतफहमी-एक होली ऐसी भी । (डॉ० रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)
मेरे छोटे भाई बरेली के किसी चिकित्सालय में पशुचिकित्सा अधिकारी हैं।
वह सपरिवार होली पर मेरे घर आये हुए थे। कुछ दिन पूर्व उनकी छोटी बेटी को बन्दर
ने काट लिया था। नियमित अन्तराल पर उसको एण्टी रेबीज इंजक्शन लगना था।
उस समय मैंने तीन कुत्ते पाल रखे हैं। उनमें एक अभी छोटा ही था। उसे भी छोटू ही
कहते थे। अचानक मेरे डाक्टर भाई ने कहा कि भइया छोटू को एण्टी-रेबीज का
इंजक्शन लगाना है।
मैंने सोचा कि छोटा भाई पशु चिकित्सक है इसलिए मेरे छोटू के लिए एण्टी-रेबीज
का टीका लाया होगा। अतः मैं छोटू कुत्ते को पकड़ लाया और भाई से कहा कि
इंजक्शन भर कर तैयार कर लो। उसने भी सोचा कि भैया कुत्ते से खेल रहे होंगे।
वह इंजक्शन भर कर ले आया और कहने लगा - भैया थोड़ी रूई और स्प्रिट दे दो।
मैने कहा कि स्प्रिट की क्या जरूरत है। वह संकोच में कुछ नही बोला। मैंने फिर
कहा कि इंजक्शन कुत्ते को ही तो लगाना है। स्प्रिट की क्या जरूरत है। अब उसके
चौंकने की बारी थी। वह बहुत जोर से हँसा।
मैंने कहा कि इसमें इतना हँस क्यों रहे हो। अब उसकी पत्नी भी हँसने लगी। जब
भेद खुला तो पता लगा कि इंजक्शन तो उनकी बेटी छोटू (पल्लवी) को लगना है।
गगन शर्मा, कुछ अलग सा ११ मार्च २००९ को ६:३२ प्म
छोटू को इंजक्शन लगने का सुन, किस छोटू पर क्या बीती होगी?
रावेंद्रकुमार रवि ११ मार्च २००९ को ९:०० प्म
संस्मरण मज़ेदार है!
हंगामा देव ११ मार्च २००९ को ९:4९ प्म
होली के मौके पर संस्मरण सटीक है।
सच्ची बात अच्छी लगती है
यादों में बस जाती है।
गलतफहमी सुन्दर लगी।
श्रीमती अमर भारती ११ मार्च २००९ को ९:५४ प्म
गलतफहमी भी और
वो भी होली पर।
श्रीमती रजनी माहर ११ मार्च २००९ को ९:५६ प्म
छोटू पिल्ला तो इंजक्शन से बच गया।
परन्तु छोटू (पल्लवी) को
इंजक्शन की मार
सहनी ही पड़ी।
गलतफहमी पर बधाई।
संस्मरण अच्छा है।
प्रवीण त्रिवेदी ११ मार्च २००९ को १०:०६ प्म
ताऊ रामपुरिया १२ मार्च २००९ को १०:१९ आम
कुछ संस्मरण बहुत खूबसूरत होते हैं जिनको जिंदगी भर याद करके हंसते रहो पर हंसी खत्म नही होती.
होली की घणी राम राम.
रंजू भाटिया १२ मार्च २००९ को १२:०७ प्म
मजेदार यादें हैं यह |
- मिरहची थानाध्यक्ष को एसएसपी ने हटाया, इता न्यूज इन हिन्दी -अमर उजाला बेहतर अनुभव के लिए अपनी सेटिंग्स में जाकर हाई मोड चुनें।
इता मिरहची थानाध्यक्ष को एसएसपी ने हटाया
एटा। कानून व्यवस्था संतोषजनक नहीं होने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने थानाध्यक्षों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। मिरहची थानाध्यक्ष को हटा दिया है। इससे पूर्व भी एक थानाध्यक्ष का भी तबादला किया था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय मोहन शर्मा ने चार दिन पूर्व जसरथपुर थानाध्यक्ष को हटाया था। इसके बाद मिरहची थानाध्यक्ष को भी एसओ के पद से मुक्त किया है। जिन्हें मिरहची से शिकायत प्रकोष्ठ प्रभारी नियुक्त किया गया। जबकि उनके स्थान पर शिकायत प्रकोष्ठ प्रभारी शौकत अली खां को थानाध्यक्ष मिरहची बनाया गया है। |
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दिलीप १२ पास है आपकी उम्र २२ साल है नौकरी कैसे मिलेगी उम्र की तो...जवाब पढ़िये
या तो दौलत पास है और ८ साल का ज्ञात हो गया है तो आप...जवाब पढ़िये
यह सब क्रिकेटर बन सकते हैं लेकिन क्रिकेटर मन के भावों से नहीं बनेंगे उसके...जवाब पढ़िये
अगर आप में १० बार क्रिकेटर बनने का तो आप जरूर बन सकती है क्रिकेटर...जवाब पढ़िये |
लखनऊ में आयोजित इन्वेस्टर्स सुमित की सजावट में खर्च हो गए ६५ करोड़ १५ लाख रुपये
- २३/०२/२०१८ १०:२७ आम
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित किए गए इन्वेस्टर मीट में सरकार ने ६५ करोड़ १५ लाख रुपये सिर्फ़ सजावट के लिए खर्च किए. लखनऊ के डीएम कौशल राज शर्मा ने दो दिन के समारोह के दौरान हुए खर्च का ब्यौरा देते हुए कहा कि सम्मेलन के दौरान सबसे ज़्यादा २४ करोड़ २५ लाख का खर्च नगर निगम ने सजावट में किए हैं. वहीं लखनऊ विकास प्राधिकरण जिसने कुल १३ करोड़ ८ लाख की रकम खर्च की. इसके बाद पीडब्लूडी विभाग करीब साढ़े १२ करोड़ खर्च किए. कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए बुलाए गए इस सम्मेलन में ६५ करोड़ १५ लाख का खर्च अलग-अलग विभागों ने किया है.
यूपी में अलर्ट, लखनऊ में करणी सेना ने फूल देकर फिल्म न देखने की अपील की
२५/०१/2०१8 ३:२७ प्म
१९ जनवरी से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर सभी गाड़ियों पर लगेगा टोल टैक्स
१६/०१/2०१8 ३:४६ प्म |
झुर्रियों से बेजान दिखती है चेहरे की त्वचा, इन स्किन केयर टिप्स से दूर करें यह समस्या | तेहलथईट हिन्दी
उम्र बढ़ने के लक्षण सबसे पहले आपके चेहरे पर दिखने लगते हैं। इन लक्षणों को चेहरे पर होने वाली झुर्रियों की मदद से पहचाना जा सकता है लेकिन हर बार झुर्रियां होना बढ़ती उम्र के लक्षण नहीं होते हैं। पर्याप्त नींद ना लेना, स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन ना करना, तनाव, व्यस्त जीवनशैली की वजह से भी झुर्रियां आने लगती हैं। साथ ही आपकी त्वचा बेजान दिखने लगती है। चेहरे को झुर्रियों से बचाने के लिए कुछ घरेलू उपायों की मदद ली जा सकती है। झुर्रियों से पाना है छुटकारा तो करें टीस्पून मसाज अलसो रेड - खीरा खाते समय इन बातों का रखें ख्याल, वरना पड़ सकते हैं बीमार |
एक रिसर्च से पता चला है कि अगर व्यक्ति कुदरती वातावरण में रहता है तो उसकी आयु कई साल तक बढ़ सकती है साथ ही वह कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी बचा रहता है।
कुछ विशेष अपवादों को छोड़कर दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान हो, जो लंबी उम्र जीने की इच्छा न रखता हो। आपकी लंबी उम्र जीने की इच्छा पूरी हो सकती है। बशर्ते आपके घर के आसपास अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगे हों। हाल ही में अमेरिका में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि अगर व्यक्ति कुदरती वातावरण में रहता है तो उसकी आयु कई साल तक बढ़ सकती है साथ ही वह विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी बचा रहेगा।
अगर आप भी लंबी उम्र जीने की आकांक्षा रखती हैं और चाहती हैं कि आपके शरीर में किसी प्रकार की शिथिलता न आने पाए तो जहां तक संभव हो आपको शुद्ध हवा में रहने का प्रयास करना चाहिए। अगर आपका आवास खुले वातावरण में है तो फिर कहना ही क्या, लेकिन अगर आपका आवास ऐसी जगह में नहीं है तो आपको थोड़ा सा अतिरिक्त प्रयास करना चाहिए। आपको कोशिश करनी चाहिए न केवल आपको, बल्कि आपके परिवार के अन्य सदस्यों को भी खुली हवा में अधिक से अधिक सांस लेने का मौका मिले। इसके लिए जरूरी है कि अपने घर के आसपास और घर पर विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे अवश्य लगाएं।
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पेड़-पौधों से मिलेगा लंबा जीवन
पेड़-पौधे कुदरत की दी हुई अनमोल नियामत हैं। अगर आपके घर के आसपास और घर में पेड़-पौधे लगे हैं तो आपकी और आपके परिवार के लोगों की उम्र कुदरती रूप से बढ़ जाती है। कारण, वाहन प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण और अन्य प्रकार के विभिन्न प्रदूषणों के कारण हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड व कार्बनडाईऑक्साइड आदि गैसों का अनुपात बढ़ जाता है, जो शरीर के लिए अत्यंत नुकसानदेह होता है। गौरतलब है कि इन गैसों के सूक्ष्म अणु बड़ी संख्या में वायुमंडल में फैल जाते हैं। इस स्थिति में सांस लेने पर शरीर में ऑक्सीजन कम मात्रा में पहुंचती है। इस हाल में शरीर के समस्त अंगों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। नतीजतन वे सुचारु रूप से कार्य नहीं कर पाते। इस स्थिति में आप दीर्घायु की कल्पना कैसे कर सकते हैं?
अमेरिका के हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार हाल के दशकों में अमेरिकी जनता की औसत उम्र में कई साल का इजाफा हुआ है। इसका एक प्रमुख कारण लोगों का अधिक से अधिक वक्त तक शुद्ध हवा में रहना है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि लोगों की औसत उम्र के बढ़ने का एक कारण अमेरिकी गवर्नमेंट द्वारा पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के सार्थक प्रयास भी हैं। |
कलाष्टमी २०१९: २६ अप्रैल को मनाएगी जाएगी कालाष्टमी, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा और पूजा विधि | लेटेस्टली
प्रत्येक माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनाई जाती है. इस दिन भगवान कालभैरव का व्रत रख पूजा आराधना की जाती है. कालभैरव को भगवान शिव का रूद्र अवतार माना जाता है. ये काशी की रखवाली करते हैं. इसलिए उन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है. इस बार कालाष्टमी २६ अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन पूजा आराधना करने से दुःख और भूत पिचास दूर हो जाते हैं. कालाष्टमी का व्रत करने से रोग दूर भागते हैं और सभी कार्यों में सफलता मिलती है. सबसे मुख्य कालाष्टमी जिसे कालभैरव जयंती कहा जाता है. उत्तरी भारत के पुर्णिमांत पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष के महीने में मनाई जाती है. जबकि दक्षिण भारत के अमांत पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने में मनाई जाती है. हालांकि दोनों कालभैरव जयंती एक ही दिन पड़ती है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव भैरव रूप में प्रकट हुए थे.
जिन लोगों पर शनि का प्रकोप है उन्हें काल भैरव की पूजा करनी चाहिए. शनि का प्रकोप उनकी आराधना से ही शांत होगा. पुराणों के अनुसार भैरव अष्टमी का दिन भैरव और शनि को प्रसन्न करने और भैरव जी की पूजा के लिए अति उत्तम माना गया है.
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पौराणिक कथा: शिवपुराण के अनुसार एक बार ब्रम्हा और विष्णु जी में श्रेष्ठ कौन है इस बात को लेकर विवाद छिड़ गया. बात इतनी ज्यादा बढ़ गई कि दोनों में युद्ध होने लगा. इस बात का जवाब जब वेद से पूछा गया तो उन्हें जवाब मिला कि जिनके भीतर चराचर जगत, भूत, भविष्य और वर्तमान समाया हुआ है भगवान शिव ही सर्वश्रेष्ठ हैं. वेद द्वारा की गई भगवान शिव की महिमामंडन ब्रम्हा जी को पसंद नहीं आई. उन्होंने अपने पांचवें मुंह से शिव जी को अपशब्द कहा. उसी समय दिव्य ज्योति के रूप में शिव प्रकट हुए. ब्रह्मा जी ने भगवान भैरव से कहा कि तुम मेरे ही सिर से पैदा हुए हो. अधिक रुदन के कारण मैंने तुम्हारा नाम रूद्र रखा है. इसलिए तुम अब मेरी सेवा में आ जाओ. ब्रम्हा जी की इस बात से शिव को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने उसी समय काल भैरव को प्रकट किया और उन्हें ब्रम्हा जी पर राज करने को कहा. भगवान काल भैरव ने अपनी कानी उंगली के नाखून से ब्रम्हा जी के उस सिर को काट दिया जिसने शिव की बुराई की थी.
पूजा विधि: ऐसा माना जाता है कि बुरी शक्तियां रात में अधिक निकलती हैं और उनका अंत भी रात में ही किया जा सकता है. इसी वजह से कालाष्टमी की पूजा रात में ही की जाती है. इस दिन काल भैरव की पूजा करते समय उनकी कथा जरूर सुनें. यह पूजा रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही पूरी होती है. स्नान करने के बाद भगवान शिव के भैरव रूप पर राख चढ़ाई जाती है. इस दिन काले कुत्ते की भी पूजा की जाती है. व्रत के बाद उड़द, धूप, दीप, काले तिल आदि से पूजा की जाती है.
शिव पुराण में कहा है कि भैरव परमात्मा शंकर के ही रूप हैं, इसलिए कालाष्टमी के दिन "अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!! मंत्र का जाप करना फलदाई होता है.
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रक्षाबंधन पर बहनों ने भाइयों की कलाई पर बांधा प्यार
सुहागनगरी में भाई- बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार उत्साह के साथ मनाया गया। रक्षाबंधन पर बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध कर उनकी दीर्घायु की कामना की। वहीं भाइयों ने बहनों की रक्षा करने का संकल्प लिया।
गुरुवार सुबह होते ही घर-घर में रक्षाबंधन के त्योहार की तैयारियां शुरू हो गईं। घर की रसोई में खीर, सिवइयां, पूड़ी, पकवान बनाए जाने लगे। वहीं परिवार की बुजुर्ग महिलाएं घर आंगन में दरवाजे के दोनों ओर गेरू से नाग देवता की आकृति बनाने में जुट गईं।
तत्पश्चात महिलाओं ने नाग देवता को खीर, सिवइयों की भोग लगा कर पूजा-अर्चना की। नाग देवता से परिवार पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखने की प्रार्थना की गई। साथ ही चूल्हा में अग्यारी कर घर के पुरखों को भोग लगा कर उनकी पूजा-अर्चना की गई। इस के बाद घर के आंगन में उगाई गईं भुजरियों के राखी बांध कर पूजन किया। इधर बहनों ने रोली चावल से अपने भाइयों का तिलक किया। साथ ही भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना की। इस दौरान भाइयों ने अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प दोहराया। साथ ही बहनों को वस्त्र, मोबाइल आदि उपहार प्रदान किए।
रक्षा बंधन पर बच्चों में दिखा काफी उत्साह
रक्षाबंधन के त्योहार पर बच्चों में काफी उत्साह नजर आया। सुबह होते ही बच्चे नहा धोकर तैयार हो गए। नए वस्त्र पहन कर बच्चे इधर से उधर चहकने लगे। अनेक बच्चे अपने दोस्तों के साथ खेल कर मस्ती करने लगे।
मनपसंद गिफ्ट के लिए मचल उठे
रक्षाबंधन पर बड़ों भाइयों से जहां छोटी बहनें मन पसंद गिफ्ट पाने की जिद कर रही थीं। वहीं छोटे भाई अपनी बड़ी बहनों से मन पसंद कार्टून डोरेमोन, मोटू पतलू की राखी बंधवाने के साथ मनचाहे गिफ्ट के लिए मचल रहे थे।
रक्षाबंधन के त्योहार पर बाजार रहे गुलजार
रक्षाबंधन के त्योहार पर बाजार ग्राहकों से गुलजार रहे। बाजार में दिन भर खरीदारी होती रही। राखी और मिठाई की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ जुटी रही। मिठाई की दुकानों पर घेवर की खूब बिक्री हुई। बहनों ने जहां भाइयों के लिए राखी और मिठाई खरीदी। वहीं भाई अपनी बहनों के लिए विविध तरह के उपहार खरीदते रहे।
सोशल मीडिया पर भी रही रक्षाबंधन की धूम
रक्षाबंधन का त्योहार सोशल मीडिया पर भी छाया रहा। व्हाट्स एप, फेसबुक पर रक्षाबंधन के संदेश का खूब आदान-प्रदान किया। जो बहनें अपने भाइयों के पास नहीं आ सकीं, उन्होंने मोबाइल पर व्हाट्स एप और फेसबुक से अपना संदेश भेजा। वहीं भाइयों ने मोबाइल से बात कर बहनों की कुशलता जानी।
नालंदा में बहनों ने भाई की कलाई पर बांधा प्यार का बंधन
बहिनों ने भाइयों की कलाई पर बांधी राखी
भाइयों की कलाई में बंधा बहनों का प्यार
रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाई पर सजेंगे अभिनंदन और तिरंगा
छेड़छाड़ के विरोध पर दबंगों ने भाई-बहन को लहूलुहान किया |
जब निकलने वाले हों बच्चे के दांत ताे इन बाताें का रखें ध्यान
अगर आपके बच्चे के दांत निकल रहे हैं तो उनके मसूड़े फूल जाते हैं और उनमें खुजली होती है जिससे वे अपना हाथ या कोई भी चीज मुंह में डालते हैं
अगर आपके बच्चे के दांत निकल रहे हैं तो जरूरी है कि आप अलर्ट हो जाएं। ये दांत छह महीने से लेकर दो साल तक पूरी तरह से आ जाते हैं। इस समय उनके मसूड़े फूल जाते हैं और उनमें खुजली होती है जिससे वे अपना हाथ या कोई भी चीज मुंह में डालते हैं। ऐसे में परिवार वाले समझते हैं कि दांत निकलने की वजह से उसे दस्त लगे हैं जबकि ऐसा गंदे हाथ या दूषित वस्तु को मुंह में डालने से होता है। ऐसे में आप इन उपायों से अपने बच्चे की देखभाल कर सकते हैं।
चीजें दूर रखें :
माता-पिता बच्चे के आसपास रखी चीजों को व्यवस्थित रखें क्योंकि कई बार बच्चे किसी भी चीज को उठाकर खुद को या मसूड़ों को नुकसान पहुंचा लेते हैं।
ब्रेस्ट फीडिंग या बॉटल से दूध पिलाने के बाद एक अंगुली में साफ, मुलायम और गीला कपड़ा लपेटें और उसके मसूड़े पर हल्का सा रगड़ें। दिन में ऐसा एक बार करें। इससे उसके मुंह से किसी तरह की दुर्गंध नहीं आएगी।
होम्योपैथिक इलाज :
जब बच्चों के दांत निकलने वाले होते हैं तो उन्हें बायोकॉम्बिनेशन २१ दी जाती है। यह आयरन और कैल्शियम का मिश्रण होती है। कैल्शियम दांतों की वृद्धि और आयरन सूजन व खुजली को दूर करता है।
आयुर्वेदिक इलाज :
विशेषज्ञ के अनुसार बच्चे के मसूड़े पर दिन में दो से तीन बार शहद लगाएं। बालचक्रभद्र (पाउडर) दवा को एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में दो बार बच्चे को देने से उसे खुजली की समस्या नहीं होती। हर्विंदासव टॉनिक को दिन में दो से तीन बार दो चम्मच दी जाती है।
कब कराएं ब्रश :
दंत रोग विशेषज्ञ के अनुसार जब बच्चा कम उम्र का हो तो दूध या कुछ भी खाने के बाद उसे कुल्ला कराकर मुंह की सफाई करानी चाहिए। दो साल की उम्र तक बच्चे के दांत पूरी तरह से आ जाते हैं इसलिए इस समय से ही उन्हें ब्रश करवाना शुरू कर देना चाहिए। अगर बच्चे के दांत समय रहते नहीं आएं तो डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि कई बार आनुवांशिक कारणों या कुपोषण के कारण ऐसा होता है।
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आज ही छोड़ दें ये आदतें, नहीं ताे वक्त से पहले खत्म हाे जाएगी आपकी ताकत |
#फैक्ट: सलमान खान की फिल्म 'ट्यूबलाइट'.. ६ बातें जो आप नहीं जानते!
#फैक्ट: सलमान खान की फिल्म 'ट्यूबलाइट'.. ६ बातें जो आप नहीं जानते!
कबीर खान के निर्देशन में बन रही फिल्म 'ट्यूबलाइट' अब धीरे धीरे फिर से सुर्खियों में छा रही है। सलमान खान स्टारर यह फिल्म ईद के मौके पर रिलीज होने वाली है। हाल ही में निर्देशक कबीर खान ने बताया कि फिल्म का ट्रेलर जल्द ही दर्शकों के सामने आने वाली है।
चीन में होगी रिलीज.. भारत के साथ
ट्यूबलाइट में चीनी एक्ट्रेस ज्हू ज्हू सलमान के अपोजिट दिखेंगी। बता दें, यह पहली फिल्म होगी जो भारत के साथ साथ ही चीन में भी रिलीज होगी। इससे पहले बॉलीवुड फिल्में ३ इडियट्स, पीके, बाहुबली, हैप्पी न्यू ईयर भी चीन में रिलीज की गई थीं, लेकिन भारत में रिलीज होने के ६-८ महीने में रिलीज होने के बाद।
वर्ल्डवाइड डिस्ट्रिब्यूशन राइट्स
काफी स्टूडियो अभी से फिल्म के वर्ल्डवाइड डिस्ट्रिब्यूशन राइट्स खरीदने के लिए काफी बड़ी रकम देने को तैयार हैं। हालांकि सलमान खान प्रोडक्शन ने अभी डील फाइनल नहीं की है। |
यू अरे हेरे होम भोपाल नौतपा दिखा रहा नए-नए असर
सुबह से चलने लगीं गर्म हवाएं, शाम होते ही उमस भरी गर्मी
सर्वाधिक ४६ डिग्री सेल्सियस तापमान खजुराहो में दर्ज
भोपाल २९ मई नभासं. राज्य में नौतपा हर दिए नए असर दिखा रहा है. बुधवार को सुबह से ही लू चलती रही और शाम होते ही उमस भरी गर्मी से वातावरण तपता रहा. प्रचंड गर्मी और लू की लपटों से लोग दिनभर बेहाल रहे. सड़कों पर रोज की तरह आवागमन नहीं दिखाई दिया.
राज्य में अनेक स्थानों पर पारा कल के मुकाबले एक एक डिग्री ज्यादा रहा और अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से दो से चार डिग्री अधिक रहा. सर्वाधिक ४६ डिग्री सेल्सियस तापमान खजुराहो में दर्ज किया गया. राजधानी भोपाल का अधिकतम तापमान ४४ और न्यूनतम ३०.३ डिग्री तापमान दर्ज हुआ जो सामान्य से तीन तीन डिग्री अधिक है. मौसम विभाग के अनुसार ग्वालियर में अधिकतम ४५ जबलपुर में ४४.२ रीवा में ४४.८ सतना में ४४.२ और इंदौर में ४१ नौगांव और दतिया में ४५ डिग्री तापमान रहा. जो सामान्य से दो से चार डिग्री अधिक है. विभाग ने अगले २4 घंटों में ग्वालियर, चंबल, जबलपुर, शहडोल, भोपाल, सागर, उज्जैन और इंदौर संभाग के कुछ स्थानों पर लू चलने का अनुमान व्यक्त किया है. जानकारी है कि प्रदेशभर में लू के प्रकोप से लोग बीमार हो रहे हैं. अस्पतालों में मरीजों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं. जिनमें अधिकांश मरीज लू के प्रकोप से पीडि़त बताए जा रहे हैं. राजधानी के जेपी एवं हमीदिया अस्पताल में प्रतिदिन एक हजार से बारह सौ मरीज गर्मी के प्रकोप से पीडि़त बताए जाते हैं.
प्रशिक्षण तभी सफल है जब उसे जीवन में उपयोगी बनाये: निकुंज श्रीवास्तव
सीसीबी की नाव में सवार होंगे एलडीबी कर्मीं
संविदा शिक्षक वर्ग-३ की परीक्षा तिथि आगे बढ़ेगी - ५४,१७४ वियूज |
इराक में नाटो विरोधी धन इस्लामिया बम प्रशिक्षण - थे शियासत डेली
इराक में नाटो विरोधी धन इस्लामिया बम प्रशिक्षण
बरोसेल्स: नाटो ने इराकी सैनिकों प्रशिक्षण शुरू कर दी है ताकि वह धन इस्लामिया सेनानियों स्थापित किए हुए बम को निष्क्रिय बनासके। गठबंधन ने आज कहा कि कार्यक्रम का विस्तार पड़ोसी देश जॉर्डन तक पहले ही की जा चुकी है। ५ सप्ताह लंबे बल में कम से कम तीस सैनिक भाग ले रहे हैं।
उन्हें घातक विकसित विस्फोटक उपकरणों को निष्क्रिय करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। अभी इस क्षेत्र इराकी सेना भूमि सुरंगों से मुक्त करने और विस्फोट उपकरणों को निष्क्रिय करने का प्रशिक्षण जॉर्डन हासिल किया करती थी। इराकी सेना को कुशल बनाने का मतलब इराक सुरक्षित देश बनाना होगा। मध्य पूर्व में यह काफी स्थिर देश होगा। गठबंधन के सदस्यों ने सहमति जताई है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम का विस्तार किया जाए। वारसॉ में आयोजित शिखर सम्मेलन में यह फैसला किया गया। |
खुशखबरी | सेना का बड़ा प्लान- युवाओं को ज्यादा सैलेरी, छुट्टियां और आखिर में ३८ लाख, जानिए सबकुछ | उत्तराखंड पोस्ट
होम देश खुशखबरी | सेना का बड़ा प्लान- युवाओं को ज्यादा सैलेरी, छुट्टियां और...
खुशखबरी | सेना का बड़ा प्लान- युवाओं को ज्यादा सैलेरी, छुट्टियां और आखिर में ३८ लाख, जानिए सबकुछ
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) युवाओं के लिए खुशखबरी है। दरअसल, भारतीय सेनाएं युवाओं को सेना से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इंडियन आर्मी एक नया प्लान लेकर आ रही है जिसके मुताबिक सेना ने तय किया है कि शॉर्ट सर्विस कमिशन में ज्यादा से ज्यादा युवा शामिल हो इसके लिए बढ़िया सैलेरी पैकेज, पेड स्टडी लीव और १० या १४ साल का कार्यकाल ख़त्म होने पर अच्छी-खासी रकम भी दी जाएगी।
बताया गया कि सेना अधिकारियों की कमी से जूझ रही है ऐसे में काडर को पुनर्गठित करने के मकसद से ये नया कदम उठाया जाने वाला है। इस नए पैकेज की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। जानकारी मिली है कि १० साल में सर्विस छोड़ने वाले अधिकारियों को १७ लाख रुपये तक मिलेंगे। जबकि अगर १४ साल की सर्विस पूरी की जाती है तो ३८ लाख रुपए दिए जाएंगे।
नए पैकेज के मुताबिक हर साल की दो महीने की सैलरी उन्हें जोड़कर उन्हें आखिर में दी जानी है। इसके तहत शुरुआती १० सालों तक के लिए प्रति वर्ष दो माह की सैलरी और आखिरी के ४ सालों ४ माह की सैलरी दी जाएगी। साथ ही शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत तैनात अधिकारियों का २० साल का कार्यकाल पूरा हो सके और वे पेंशन के भी हकदार हों, इसके लिए उन्हें डिफेंस सिक्यॉरिटी कॉर्प्स या फिर नैशनल कैडट कॉर्प्स में भेजा जा सकता है। साथ ही प्रफेशनल कोर्स करने के लिए फुली पेड स्टडी लीव और अन्य लाभों पर भी विचार किया जा रहा है।
प्रेवियस आर्टियलज्योतिष प्रोफेसर ने की भविष्यवाणी- बीजेपी को मिलेंगी ३०० सीटें, कर दिया निलंबित
नेक्स्ट आर्टियलदूल्हे को नशे में धुत देखकर दुल्हन ने लौटाई बारात, फिर इसने थामा हाथ
उत्तराखंड | तीन जिलों में नहीं थम रही रफ्तार, सामने आए ५५ नए कोरोना केस
देहरादून में कोरोना का कहर, आज सामने आए ३५ नए केस, अब तक- २५९ |
एनटीपीसी की निरंतर वृद्धि दर्शान वाली रिपोर्ट
०४त जून, २०१४
एनटीपीसी लिमिटेड, जो भारत की सबसे बड़ी विद्युत यूटीलिटी है, ने उच्चं स्तणर के निष्पा।दन को बनाए रखने, कारोबार की संधारणीयता को बढ़ाने, परिवेशीय रूप से संधारणीय विद्युत का उत्पादन करने, ग्रीनर पर्यावरण बनाए रखने, प्राकृतिक संसाधनों, जैसे कि ऊर्जा, जल आदि को संरक्षित करने की दिशा में कंपनी के कदम का उल्लेनख करते हुए ''पावर टू ग्रो रिस्पां सिबली'' दूसरी संधारणीय रिपोर्ट जारी की।
डॉ. अरुप रॉय चौधरी, सीएमडी और एनटीपीसी के निदेशकों द्वारा वर्ष २०१२-१३ के लिए जारी की गई रिपोर्ट एक स्वर-घोषित ए + रिपोर्ट है और जीआरआई जी ३.१ रिपोर्टिंग ढांचे के अनुसार है, जिसमें इलेक्ट्रि क यूटीलिटी क्षेत्र के अनुपूरक (ईयूएसएस) अनुवर्ती सहित रिपोर्टिंग नियम एवं आवश्यंक संकेतकों का उपयुक्त विचारण शामिल है।
रिपोर्ट आश्वाशसन प्रदाता, मैसर्स ब्यूहरो वेरीटास सर्टीफिकेशन (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ए ए १००० २००८ आश्वा सन मानक के अनुसार बाह्य रूप से आश्वा सित है।
शीर्षक : एनटीपीसी लिमिटेड, जो भारत की सबसे बड़ी विद्युत यूटीलिटी है, ने वर्ष २०१२-१३ के लिए ''पावर टू ग्रो रिस्पॉेसिब्लीज'' दूसरी संधारणीय रिपोर्ट जारी की। डॉ. अरुप रॉय चौधरी, अध्यिक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एनटीपीसी ने रिपोर्ट को श्री एन. एन. मिश्रा, निदेशक (प्रचालन), श्री एन. के. झा, निदेशक (तकनीकी), श्री यू. पी. पाणी, निदेशक (मानव संसाधन), और श्री एस. सी. पांडे, निदेशक (परियोजना) के साथ नई दिल्ली. में जारी किया। |
दमोह। उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष सुबोध कुमार जैन ने सदस्य डॉ. सपना जैन व राजेश कुमार ताम्रकार से सहमत होकर ९ परिवादियों द्वारा केबीसीएल इंडिया लिमिटेड में जमा की गई राशि को ९ प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज सहित देने का अवार्ड पारित किय है। इसके अलावा सेवा में कमी में मानते हुए १५ हजार तथा वाद व्यय के ३ हजार रूपए भी देने के आदेश दिया।
परिवादी के अधिवक्ता किशोरी लाल ताम्रकार ने बताया कि परिवादीगण दिनेश दीक्षित, प्रभा दीक्षित, महेश अहिरवार, मोहनी दीक्षित, मोहम्मद अतहर, अशोक विश्वकर्मा, कविता विश्वकर्मा, प्रीति पटेल ने केबीसीएल इंडिया लिमिटेड कल्पतरू आगरा के दमोह स्थित कार्यालय में विभिन्न किश्तों में व एक मुश्त राशि अलग-अलग तारीखों में जमा की थी, ताकि कंपनी द्वारा उन्हें जमीन अथवा राशि परिपक्वता दिनांक पर ब्याज सहित अदा की जाएगी।
लेकिन परिवादीगणों की उक्त राशि का अनावेदक केबीसीएल द्वारा वापस नहीं की गई थी और न ही उन्हें जमीन आवंटित की गई थी। परिवादीगणों द्वारा अनावेदकों को शिकायत एवं अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भी दिए गए थे। इसके बावजूद भी कंपनी ने राशि नहीं दी। तब परिवादियों ने उपभोक्ता फोरम में मामला प्रस्तुत किया था। |
(पौष कृष्ण दशमी, वि.सं.-२०६९, सोमवार)
चित्त की शुद्धि का भले ही किसी को ज्ञान न हो, पर चित्त की अशुद्धि का तो ज्ञान मानव-मात्र को है; क्योंकि यदि ऐसा न होता तो चित्त की शुद्धि का प्रश्न ही उत्पन्न न होता । विचार यह करना है कि हमारी अपनी दृष्टि में अपने में क्या अशुद्धि प्रतीत होती है ?
जब हम अपने चित्त को अपने अधीन नहीं पाते हैं तब यह भास होता है कि चित्त में कोई दोष है । यदि हमारा चित्त हमारे अधीन होता, तो हम चित्त के लगाने और हटाने में अपने को सर्वदा स्वाधीन पाते । पर ऐसा करने में हम अपने को असमर्थ पाते हैं, हमारी असमर्थता ही हमें यह बता देती है कि हमारे चित्त में कोई अशुद्धि है ।
किसी भी अस्वाभाविकता का आ जाना ही अशुद्धि है । इस दृष्टि से हमें अनुभूति के आधार पर यह जान लेना है कि हमारे चित्त में क्या अस्वाभाविकता आ गई है, जिससे हम अपने चित्त को अपने अधीन नहीं रख पाते हैं । संकल्पों की उत्पत्ति तथा पूर्ति को ही हम अपना जीवन मान बैठें हैं ।
यद्यपि संकल्पों की उत्पत्ति से पूर्व भी जीवन है और संकल्प-पूर्ति के पश्चात् भी जीवन है; परन्तु हम उस स्वाभाविक जीवन की ओर ध्यान नहीं देते और संकल्प की उत्पत्ति तथा उसकी पूर्ति की द्वंद्वात्मक परिस्थिति को ही जीवन मान लेते हैं, यही अस्वाभाविकता है । इस अस्वाभाविकता के प्रभाव से ही चित्त अशुद्ध हो गया है । इस दृष्टि से संकल्पों की उत्पत्ति-पूर्ति में ही जीवन-बुद्धि स्वीकार करना और संकल्पों से अतीत के जीवन की जिज्ञासा तथा लालसा जाग्रत न होना ही चित्त की अशुद्धि है ।
- (शेष आगेके ब्लागमें) 'चित्त-शुद्धि भाग-१' पुस्तक से, (पाग नो. १3) । |
निर्देशन सेवाएं क्या है?
#निर्देशन #निर्देशन और परामर्श #निर्देशन सेवाएं
निर्देशन सेवाओं के अन्तर्गत विशिष्ट कियाओं को नियोजित, व्यवस्थित एवं कियान्वित किया जाता है। प्रत्येक प्रकार की निर्देशन सेवा का सम्बन्ध कुछ विशेष प्रकार की कियाओं से होता है तथा इन कियाओं के माध्यम से विशिष्ट उद्धेश्यों की प्राप्ति की जाती है। इस सन्दर्भ में जिन आठ प्रकार की निर्देशन सेवाओं को विकसित किया गया है, वह सेवाएं हैं-
इन समस्त सेवाओं का उद्धेश्य यद्यपि पृथक-पृथक हैं। परन्तु फिर भी निर्देशन प्रदान करने की दृष्टि से इनका समन्वित महत्व है। विशेषकर भारतीय परिस्थितियों के सन्दर्भ में इन सेवाओं के समन्वय की अधिक आवश्यकता है। इसके साथ ही इनके समुचित बोध, विकास एवं उपयोग की भी समान रूप से आवश्यकता है।
सूचनाओं का समस्त प्रकार के निर्देशनों में विशिष्ट महत्व होता है। सूचनाओं की जानकारी छात्र एवं निर्देशन प्रदाताओं दोनों के लिए आवश्यक है। वैयक्तिक निर्देशन के लिए व्यक्ति की पारिवारिक तथा सामाजिक परिस्थितियों तथा उसकी विशेषताओं से सम्बन्धित सूचनाए आवश्यक होती हैं। शैक्षिक निर्देशन हेतु पाठ्यक्रमों, शैक्षिक अवसरों, औपचारिक तथा अनौपचारिक अधिगम व्यवस्थाओं, पद्धतियों के सम्बन्ध में सूचनाए प्राप्त करनी आवश्यक होती हैं। व्यावसायिक निर्देशन के लिए विभिन्न व्यावसायों हेतु आवश्यक योग्यताए एवं संस्थानों में रिक्त स्थानों के बारे में सूचनाए आवश्यक एवं महत्वपूर्ण होती हैं। इन विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त सूचनाओं का स्वरूप सदैव परिवर्तित होता रहता है। इसका कारण यह है कि प्रत्येक मानवीय स्थिति अपने स्वभाव के अनुसार अत्यन्त परिवर्तनशील, विकासशील एवं गतिशील सन्दभो से संयुक्त होती है।
परामर्श का आशय (मिनिंग ऑफ काउन्सलिंग): परामर्श के अन्तर्गत, पारस्परिक सम्बन्ध को विशेष महन्व दिया जाता है। विली एण्ड एण्डूं के अनुसार-फ्परामर्श, पारस्परिक रूप से अधिगम की प्रकिया है। इस प्रकिया में एक सहायता प्राप्त करने वाला सेवार्थी होता है तथा दूसरा सहायता प्रदान करने वाला प्रशिक्षित व्यक्ति। गिबर्ड के मतानुसार-फ्परामर्श सबसे पहले एक व्यक्तिगत सन्दर्भ का सूचक है। इसे सामूहिक रूप में नहीं सम्पादित किया जा सकता। उनके अनुसार सामूहिक परामर्श जैसा पद अनुचित लगता है। इसी प्रकार वैयक्तिक परामर्श जैसा पद पुनरुक्ति दोष से वंचित नहीं है।
उपरोक्त परिभाषा से यह स्पष्ट होता है कि परामर्श का मुख्य उद्धेश्य व्यक्ति की वैयक्तिक रूप में सहायता करना है। परामर्श के अन्तर्गत परामर्शदाता की दी गयी सलाह अथवा सुझाव को दूसरे व्यक्ति अर्थात्, सेवार्थी पर थोपा नहीं जाता, वरन् यह प्रयास किया जाता है कि छात्र ही अपने व्यावसायिक एवं शैक्षिक अवसरों के सम्बन्ध में विचारणीय एवं महत्वपूर्ण तथ्यों को संकलित एवं व्यवस्थित करे तथा स्वयं की योजनाओं के सन्दर्भ में उनका मूल्यांकन कर, सही निर्णय ले। विचारणीय तथ्य दो प्रकार के होते हैं-;१द्ध वे तथ्य जो व्यक्ति की सीमाओं एवं क्षमताओं के परिचायक हैं। इन तथ्यों को सामान्यत: निर्देशन की सेवाओं, जैसे वैयक्तिक सामग्री सेवा, आत्म अनुसूची सेवा, सूचना सेवा इत्यादि के द्वारा संकलित किया जाता है। ;२द्ध वे तथ्य तो व्यावसायिक जगत एवं शैक्षिक अवसरों से सम्बन्धित होते हैं। इन तथ्यों को पूर्णरूप से ज्ञात करना आवश्यक होता है। किशोर अवस्था में सामान्यत: यह अपेक्षित होता है कि परामर्शदाता छात्र को केवल तथ्यों के मूल्यांकन में ही सहायता प्रदान न करें वरन् उनको तथ्यों के आधार पर वास्तविक निर्णय लेने की ओर उन्मुख करें।
आत्म अनुसूची सेवा
व्यक्ति में आत्मबोध की क्षमता का विकास करने की दृष्टि में आत्म-अनुसूची सेवा का विशेष महत्व होता है। इस सेवा के आधार पर व्यक्ति को आन्तरिक विशेषताओं एवं बां सम्बोधितयों के सम्बन्ध में वस्तुनिष्ठ जानकारी प्रदान की जाती है। इस जानकारी को प्राप्त करके भावी योजनाओं का निर्माण करने, अनुकूल अवसरों की दिशा में प्रयास करने तथा अपनी आन्तरिक शक्तियों की दिशा में सम्बद्ध प्रयास करने हेतु महत्वपूर्ण सहायता प्राप्त होती है। इस सेवा के आधार पर सेवार्थी को स्वयं में निहित योग्यताओं, क्षमताओं एवं भावी सम्भावनाओं की जानकारी प्राप्त होती है। इस प्रकार की जानकारी प्रदान करने के लिए व्यक्ति की पूर्व सम्बोधितयों, सम्बन्धित आलेखों एवं पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षिक परिवेश का प्रमुख महत्व होता है। इसके माध्यम से व्यक्ति के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के परीक्षणों का प्रयोग भी, इस उद्धेश्य की प्राप्ति हेतु किया जाता है। इन समस्त माध्यमों से प्राप्त जानकारी का व्यक्ति की शैक्षिक, पारिवारिक एवं व्यावसायिक प्रगति में विशिष्ट योगदान रहता है। इस जानकारी के अभाव में, सतत्, संगत एवं सम्भावित प्रगति सम्भव नहीं है। आत्म अनुसूची सेवा से प्राप्त परिणामों का व्यक्ति जीवन की किसी विशिष्ट परिस्थिति से ही सम्बन्ध नहीं है वरन् यह परिणाम सतत् रूप से जीवन की विभिन्न परिस्थितियों के सन्दर्भ में निर्णय लेने हेतु सहायक सिण् होते हैं इस प्रकार आत्म-अनुसूची सेवा के उपरोक्त महत्व के आधार पर यह कहा जा सकता है कि आत्म अन्वेषण स्वयं को पहचानने अथवा आत्म-बोध की दृष्टि से आत्म-अनुसूची सेवा एक ऐसी प्रकिया है जो जीवन पर्यन्त निरंतर चलती रहती है।
व्यक्तिगत प्रदन संकलन सेवा
शैक्षिक, व्यावसायिक, अथवा व्यक्तिगत निर्देशन हेतु विभिन्न प्रकार की आधार सामग्री को प्रयुक्त किया जाता है। मनोवैज्ञानिक परीक्षण, मूल्यांकन की आत्मनिष्ठ एवं वस्तुनिष्ठ विधिया, इस आधार-सामग्री को उपलब्ध कराने में सर्वाधिक सहायक होती हैं। इस आधार सामग्री का संकलन अथवा उसे व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करना उल्लेखनीय महत्व रखती है, क्योंकि इस समाग्री के वस्तुनिष्ठ एवं समुचित प्रयोग पर ही किसी भी प्रकार के निर्देशन की वस्तुनिष्ठता अथवा प्रभावशीलता आधारित होती है। सेवार्थी के सम्बन्ध में जितने भी आवश्यक तथ्य एवं सूचनाए एकत्रित की जाती हैं उन सभी के व्यवस्थित एवं समन्वित रूप को आधार सामग्री के रूप में सम्बोधित किया जाता है। मायर्स के अनुसार विभिन्न प्रकारों की सेवाओं यथा-स्थानन, उपबोधन, अनुगामी सेवाओं इत्यादि में छ: प्रकार की व्यक्तिगत सामग्रियों का संकलन किया जाता है। इन उधार सामग्रियों के संकलन की प्रकिया को ही व्यक्तिगत सामग्री संकलन सेवा के नाम से जाना जाता है।
सामान्य आकड़े (जनरल डाटा)-सेवार्थी से संपर्क करने में तथा सेवार्थी से सम्बन्धित विशिष्ट व्यक्तियों से सेवार्थी के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने हेतु सामान्य आधार सामग्री के संकलन की आवश्यकता होती है इस आधार सामग्री के अन्तर्गत सेवार्थी का नाम, पता, पिता का नाम, दूरभाष संख्या, विद्यालय का नाम, कक्षा-अध्यापक का नाम, विषय-अध्यापक का नाम, कक्षा, वर्ग, विषय आदि से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त की जाती है।
शारीरिक आकड़े (फिजिकल डाटा)-इस प्रकार की सामग्री के अन्तर्गत सेवार्थी की आयु, प्रजाति, लग, कद, वजन आदि के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की जाती है। विभिन्न प्रकार के जैविक तथ्यों जैसे-शारीरिक बनावट, स्वास्थ्य, स्नायुमण्डल एवं शरीर वफी अन्य प्रणालियों के सम्बन्ध में सूक्ष्म जानकारी प्राप्त करना, इस प्रकार की सामग्री को संचित करने का उद्धेश्य होता है। इसके अतिरिक्त सेवार्थी से सम्बन्धित शारीरिक विकारों, शारीरिक विकलांगताओं एवं रोगों के सम्बन्ध में भी सूचनाएं एकत्रित की जाती हैं।
सामाजिक पर्यावरण आकड़े (सोशियल एन्वायरोनमेंट डाटा)-व्यक्ति से सम्बन्धित समस्त प्रकार की आधार सामग्रियों का वस्तुनिष्ठ रूप से मूल्यांकन करने हेतु सामाजिक पर्यावरण से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करना नितान्त आवश्यक होता है सामाजिक वातावरण से व्यक्ति के समायोजन की सीमा के सन्दर्भ में प्रकाश डालने हेतु भी इस प्रकार की जानकारी अपेक्षित होती है। व्यक्ति के सामाजिक स्तर, सामाजिक व्यवहार, अथवा जीवन-शैली का परिचय प्राप्त करके व्यक्ति की शैक्षिक आकांक्षाओं, व्यावसायिक योजनाओं, व्यक्तिगत जीवन से सम्बन्धित आदर्शो तथा किसी विशिष्ट परिस्थिति में व्यक्ति के व्यवहार एवं सम्बोधितयों की सम्भावनाओं के सन्दर्भ में अन्तदृष्टि का विकास करने की दृष्टि से सहायता प्राप्त होती है।
निष्पत्ति से सम्बन्धित आकड़े (डाटा रिलेटेड तो थे अचीवमेन्ट)-शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर, शिक्षार्थी से सम्बन्धित निष्पत्ति का आलेख, प्रमाण-पत्रों, परीक्षा-कार्डो, संचयी अभिलेखों आदि के माध्यम से सुरक्षित रखा जाता है। शैक्षिक निष्पत्ति से सम्बन्धित ये आलेख ही प्रमुख रूप से निष्पत्ति सम्बन्धी आधार सामग्री के रूप में उपयोगी होते हैं। इन आलेखों के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त हो जाती है कि विभिन्न शैक्षिक स्तरों पर सेवार्थी का सम्बोधित स्तर किस प्रकार का रहा है? पाठ्यक्रम का चयन करने अथवा व्यवसाय का चयन करने की दृष्टि से, इस प्रकार की आधार सामग्री का विशिष्ट महत्व होता है। अत: यह प्रयास किया जाना चाहिए कि इस प्रकार की सूचनाओं को संचित एवं व्यवस्थित करते समय वस्तुनिष्ठता एवं विश्वसनीयता का अनिवार्य रूप से मयान रखा जाए।
शैक्षिक एवं व्यावसायिक योजनाओं से सम्बन्धित आकड़े (डाटा रिलेटेड तो एडउकेशनल एंड वोकेशनल प्लान)-उपरोक्त समस्त प्रकार की आधार सामग्री का संकलन करने के अतिरिक्त व्यक्ति की शैक्षिक एवं व्यावसायिक योजनाओं के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करना भी आवश्यक होता है। सेवार्थी से, उसके अभिभावकों, मित्रों अथवा शिक्षकों से इस सम्बन्ध में आधार सामग्री प्राप्त की जा सकती है। यह सामग्री व्यक्तिनिष्ठ प्रविधियों के आधार पर ही संकलित की जाती है। इस सन्दर्भ में यह ज्ञात किया जा सकता है कि सेवार्थी अपनी शैक्षिक सम्बोधितयों, शैक्षिक प्रगति अथवा व्यावसायिक योजना के सन्दर्भ में किस प्रकार का दृष्टिकोण रखता है अथवा इन दिशाओं में उसने कौन-कौन से निर्णय लिए हैं? शैक्षिक एवं व्यावसायिक योजनाओं से सम्बन्धित आधार सामग्री का संकलन करने की प्रकिया के अन्तर्गत यह मयान रखना चाहिए कि इन योजनाओं पर आधारित सूचनाओं का संचय अधिक प्रामाणिक साक्ष्यों के आधार पर ही किया जाए।
मनोवैज्ञानिक आकड़े (साइकोलॉजिकल डाटा)-व्यक्ति से सम्बन्धित विभिन्न मानसिक विशेषताओं यथा-बुद्धि का स्तर, विशिष्ट बौण्कि क्षमता अभिरूचि एवं व्यक्तित्व से सम्बन्धित विभिन्न गुणों की जानकारी प्राप्त करना मनोवैज्ञानिक आधार प्रदन के संकलन का उद्धेश्य होता है शैक्षिक, व्यावसायिक एवं व्यक्तिगत निर्देशन हेतु इस प्रकार की आधार प्रदन का प्रयोग समान रूप से महत्वपूर्ण होता है। बुद्धि से सम्बन्धित विशिष्ट तथ्यों की जानकारी के लिए बुद्धि परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है। अल्प्रेफड बिने, साइमन, टरमन, राइस, कामथ, एम. जलोटा आदि के द्वारा इस प्रकार से अनेक बुद्धि परीक्षण विकसित किए गए हैं। इन समस्त परीक्षणों के माध्यम से प्राप्त जानकारी के आधार पर ही व्यक्ति को यह निर्देशन प्रदान किया जा सकता है कि उसकी बौद्धिक योग्यता का स्तर क्या है? तथा उसे किस प्रकार के व्यवसाय अथवा विषयों का चयन करना चाहिए।
बुद्धि के अतिरिक्त सेवार्थी की अभिरूचि एवं रूचि के सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी भी विशेषकर शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन प्रदान करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है। इसी प्रकार व्यक्ति के व्यक्तित्व से सम्बन्धित विभिन्न विशेषताए भी उसके व्यावसायिक जीवन, शैक्षिक सम्बोधितयों, सामाजिक समायोजन आदि को प्रभावित करती है। व्यक्तित्व से सम्बन्धित इन विशेषताओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के परीक्षणों का विकास किया गया है, साथ ही विभिन्न प्रकार की अनुसूचियों एव निर्धारण मापनिया भी सेवार्थी की व्यक्तित्व से सम्बन्धित विभिन्न गुणों की जानकारी प्राप्त करने में सहायक होती है।
व्यावसायिक निर्देशन के अन्तर्गत, इस सेवा का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। पूर्व सेवा विद्यालय अथवा शैक्षिक संस्था के कार्य जगत में जाने की तैयारी से सम्बद्ध है। इस सेवा को मूल रूप में स्थानान्तरण की समस्या का एक महत्वपूर्ण अंग माना जा सकता है। इस प्रकार की शिक्षा को विशिष्ट रूप से, अमेरिका के माध्यमिक विद्यालयों में प्रयुक्त किया गया है। हमारे देश के सन्दर्भ में सन् १९७६ ई. से सन् १९८८ ई. तक लगभग दस राज्यों एवं पाच केन्द्रीय शासित प्रदेशों में शिक्षा में व्यावसायीकरण के कार्यक्रमको लागू किया जा चुका है और अनुमानत: इस वर्ष के अन्त तक अन्य अनेक राज्य भी इस कार्यक्रम को लागू कर लेंगे। एन. सी. ई. आर. टी. एवं मानवीय संसामान विकास मन्त्रालय द्वारा अनेक योजनाओं को इस सन्दर्भ में प्रस्तावित किया जा चुका है। लेकिन नवीन शिक्षा नीति (१९८६) ई. को कियान्वित करने के सम्बन्ध में लागू प्रोग्राम ऑफ एक्शन (प्रोग्राम ऑफ एक्शन: नेशनल पॉलिसी ऑफ एडउकेशन (१९८६) में यह उल्लेख किया गया है कि इस दिशा में आशातीत सफलता प्राप्त नहीं हो सकती है या अपेक्षित प्रगति नहीं हो सकती है। इसके अनेक कारकों को वर्णन करते हुए उपरोक्त दस्तावेज में इस स्थिति के लिए उत्तरदायी तत्व बताए गए हैं- ठीक प्रकार की समन्वित प्रबन्ध व्यवस्था का अभाव, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से उत्तीर्ण छात्रों द्वारा रोजगार न प्राप्त कर सकना, माग तथा पूर्ति में असन्तुलन समाज द्वारा व्यवसायीकरण की धारणा को स्वीकार करने में उदासीनता, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को पूरा करने वाले छात्रों के लिए व्यावसायिक विकास तथा वृनिक अवसरों का प्रावधान न होना आदि।
राज्य और केन्द्रीय स्तर पर निर्देशन सेवाएं
अधिकतर देशों में निर्देशन आन्दोलन अभी हुआ है। भारत में तो निर्देशन आन्दोलन अपनी शैशवावस्था में चल ही रहा है। भारत में निर्देशन आन्दोलन चलाने का श्रेय कोलकना विश्वविद्यालय को जाता है। माध्यमिक विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों की बढ़ती हुई संख्या से निर्देशन सेवाओं को मान्यता मिलने लगी है ताकि विद्यार्थियों को उनके पाठ्यक्रमों तथा भविष्य के कार्यक्रमो तथा व्यवसाय के चयन में उनकी सहायता की जा सके। हमारे देश के शिक्षा नियोजकों ने भी निर्देशन सेवाओं के महत्व को पहचानना आरम्भ कर दिया है। माध्यमिक शिक्षा का सफलतापूर्ण आयोजन शैक्षिक और व्यावसायिक निर्देशन के सुव्यवस्थित कार्यक्रमो पर आधारित है। यह सुव्यवस्थित कार्यव्म विद्यार्थियों और उनके माता-पिता की अनुकूल पाठ्यक्रमों के चयन में सहायता करते हैं। बहु-उपेशीय विद्यालयों की असफलता इस प्रकार के सुव्यवस्थित कार्यक्रमो के अभाव के कारण हुई। |
लोक निर्माण विभाग पेटलावद के तत्कालीन एसडीओ उपयंत्री ने किया भारी भ्रष्टाचार, वर्तमान एसडीओ फर्जी जांच प्रतिवेदन बनाकर लगी बचाने में, लोक निर्माण मंत्री कराएंगे उच्च स्तरीय जांच - रिपोर्टर पाग
लोक निर्माण विभाग पेटलावद के तत्कालीन एसडीओ उपयंत्री ने किया भारी भ्रष्टाचार, वर्तमान एसडीओ फर्जी जांच प्रतिवेदन बनाकर लगी बचाने में, लोक निर्माण मंत्री कराएंगे उच्च स्तरीय जांच
बामनिया। झाबुआ जिला आदिवासी जिला होने के कारण इस जिले में अधिकारी आने के लिए बड़ी रकम देकर पदस्थ होते हैं एवं ट्रांसफर की राशि सहित काली कमाई करने के लिए यह अधिकारी बिना बेखोफ केंद्र शासन एवं राज्य शासन द्वारा आदिवासियों की योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार वर्षों से करते चले आ रहे हैं भ्रष्टाचार की राशि के रास्ते ही यह अधिकारी प्रमोशन भी बड़ी आसानी से लेनदेन कर प्राप्त कर लेते हैं इसका ताजा उदाहरण लोक निर्माण विभाग पेटलावद के अंतर्गत गोदडीया से मोवीचारणी मार्ग पर देखने में आया है जहां पर वर्ष २०१३ में इस मार्ग की लागत ३८ लाख ५८ हजार रुपए ३.३0 कीलो मीटर मैं यह रोड का निर्माण होना था जिसमें डीपीआर के अनुसार डब्ल्यूबीएम बीटी कंप्लेक्शन सहित पूरे रोड पर डामर का कार्य होना था लेकिन भ्रष्टाचार की मोटी चमड़ी में लिप्त तत्कालीन एसडीओ गुथरिया (वर्तमान में कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग मंदसौर में पदस्थ है) एवं तत्कालीन कार्यपालन यंत्री की जिसने रोड की सीसी जारी की थी कि मिली भगत से केवल डामर ही बिछाया गया वह भी कुछ ही जगह पर जबकि रोड के दोनों छोर के बीच में ७५ ७५ मीटर के बड़े-बड़े टुकड़े छोड़ दिए गए जिसकी शिकायत वर्षों से ग्रामीण जन करते चले आ रहे थे लेकिन सरकार के भ्रष्ट नुमाइंदों ने इस ओर कभी भी ध्यान नहीं दिया जिसकी शिकायत शिकायतकर्ता द्वारा जिला कलेक्टर झाबुआ को लिखित दस्तावेजों के साथ भी की गई थी लेकिन जिला कलेक्टर झाबुआ द्वारा इसी विभाग को यह जांच सौंप दी गई जिसके हाथ में जांच गई उस अधिकारी को रोड का तकनीकी ज्ञान नहीं होने के कारण या फिर अपने ही अधिकारियों को बचाने के कारण जांच में लीपापोती की गई
सरपंच ने की थी लिखित शिकायत
सरपंच छगन गामड॒ ग्राम पंचायत मोईचारणी द्वारा भी लिखित आवेदन में बताया गया कि वर्ष २०१३ में बनाए जा रहे इस मार्ग पर केवल विभाग द्वारा डामर ही कुछ जगह पर बिछाया गया रोड के बीच में कई जगह पर डामर नहीं बिछाया गया ना ही पुलिया का निर्माण भी नहीं किया गया इस मार्ग की जांच के संबंध में अधिकारी द्वारा मेरे कोई कथन नहीं लिए गए जबकि कई वर्ष पूर्व गोदडीया, मोवीचारणी, करनगढ़, तीनों जगह का सरपंच एक ही हुआ करता था पूर्व सरपंच द्वारा ही गिट्टी जीएसबी मार्ग का पुराने समय में ही निर्माण कार्य करवाया गया जबकि विभाग द्वारा यहां पर केवल डामर ही कुछ जगह पर बिछाया गया आज भी इस मार्ग से निकलने में परेशानी हो रही है।
ग्रामीणों ने स्टाम्प शपथ पत्र दिया कलेक्टर को जिसको जांच में भी नहीं लिया गया
ग्राम पंचायत के ही ग्रामीण कालू डामर सहित अन्य ग्रामीणों ने शपथ पत्र के माध्यम से जिला कलेक्टर झाबुआ को इस रोड में हुए आर्थिक अनियमितताओं को लेकर अवगत कराया था जांच के दौरान अनुविभागीय अधिकारी द्वारा इस शपथ पत्र को शामिल नहीं किया गया और ना ही इनके कथन लिए गए ल
शिकायतकर्ता द्वारा मय दस्तावेजों के साथ में की गई थी शिकायत
शिकायतकर्ता द्वारा मय दस्तावेजों के आधार पर मार्ग के फोटो सहित मापदंड पुस्तिका सहित दस्तावेजों के आधार पर शिकायत की गई थी लेकिन लोक निर्माण विभाग के एसडीओ द्वारा गुपचुप तरीके से फर्जी जांच प्रतिवेदन बनाकर भ्रष्टाचार को दबाने की कोशिश की गई।
कलेक्टर झाबुआ को लिखा था पत्र अन्य विभाग से जांच कराने के लिए-
लोक निर्माण विभाग में हुए भ्रष्टाचार की जांच अन्य विभाग को करने के लिए दिनांक ११ /९/ 201९ को लोक निर्माण विभाग के अधिकारी से नहीं कराते हुए अन्य विभाग से जांच करवाई जाए पत्र लिखा था पत्र में यह बताया गया था कि अगर विभाग यह जांच करता है तो यह जांच प्रभावित होगी और आखिर जांच में लीपापोती की गई।
प्रेवियस प्रेवियस पोस्ट: शरद पूर्णिमा पर होंगे विशेष आयोजन, कालिका माता मंदिर पर कन्याभोज के साथ होंगे रंगारंग गरबे
नेक्स्ट नेक्स्ट पोस्ट: हजारो गुब्बारों से सजाया गया माता का दरबार, आज होगा माता का जगराता |
कैनेडियन डॉलर गिर गया, आज से -०.2० प्रतिशत
कनाडा के डॉलर के दैनिक बंद: अद्यतन के माध्यम से ०६ जुलाई २०१९
कनाडा के डॉलर के वायदा (सामने) माह समाप्त उत्तरी अमेरिकी सत्र आज के साथ एक कम करने के -०.2० प्रतिशत और बंद के आसपास ०.७५८५५ मूल्य स्तर, के अनुसार अनौपचारिक डेटा के लिए न्यूयॉर्क । कैनेडियन डॉलर वायदा में खोला ०.७५८५५ कीमत के स्तर के साथ दिन के लिए किया जा रहा है ०.76०6 और कम दिन के लिए आने में ०.७५८.
कैनेडियन डॉलर आरएसआई के स्तर को वर्तमान में, मंदी की
कनाडा के डॉलर के रुझान:
कनाडा के डॉलर के वायदा (सामने माह) को देखा है एक कमी के द्वारा -०.८४ प्रतिशत पिछले 1० कारोबारी दिनों में जबकि वृद्धि देख के ०.२८ पिछले व्यापार के 3० दिनों के लिए । 9०-दिन बदल रहा है -०.९१, 18०-दिन बदल रहा है -०.२८ और ३६५ दिन की वापसी में आता है -२.६४.
प्रेवियस पोस्ट: ती कच्चे तेल में गिरावट आई है आज से -१.४७ प्रतिशत
नेक्स्ट पोस्ट: मक्का वायदा गिर गया आज से -०.5० प्रतिशत |
एक यूजर ने जब ऋचा चड्ढा द्वारा ब्रश करते हुए वीडियो शेयर करने पर आपत्तिजनक कमेंट लिखा तो इसका करारा जवाब एक्ट्रेस ने दिया.
ऋचा चड्ढा ने पोस्ट किया टूथब्रश करते हुए वीडियो
ऋचा ने वीडियो में बताया कैसे हुई उनके दिन की शुरुआत
वीडियो में ब्रश करती दिखीं एक्ट्रेस
ट्रोल होने पर कर दी यूजर की बोलती बंद
क्या आपने कभी किसी बॉलीवुड एक्ट्रेस को असल जिंदगी में टूथब्रश करते हुए देखा है. जवाब बेशक न होगा.. लेकिन एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा ने अपना एक ऐसा ही वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह ब्रश करती नजर आ रही हैं. वीडियो में ऋचा ने बताया है कि उनके दिन की शुरुआत फिल्म 'फुकरे' के उस सीन के साथ हुई है, जिसमें भोली पंजाबन को गिरफ्तार किया जा रहा है. १८ घंटे पहले पोस्ट किए गए ऋचा के इस वीडियो को फैन्स से अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया मिली है. एक यूजर ने जब उनके ब्रश करते हुए वीडियो शेयर करने पर आपत्तिजनक कमेंट लिखा तो इसका करारा जवाब ऋचा ने दिया.
ऋचा लिखती हैं, "शायद तुम ब्रश नहीं करते. मेरे हिसाब से तुम अपने ही मुंह में उल्टी कर लेते होगे ताकि रात का खाया हुआ खाना बर्बाद न हो."
देखें, कमेंट पर ऋचा का रिएक्शन....
वीडियो पर ऋचा चड्ढा का रिएक्शन.
'फुकरे' सीरीज की दोनों फिल्मों में ऋचा ने बेबाक और बिंदास किरदार निभाया है. भोली पंजाबन के कैरेक्टर की तुलना शेरनी से भी की गई. एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा, "भोली ब्रश भी करती है? सुना है शेर सिर्फ शिकार करते हैं." जवाब में ऋचा लिखती हैं, "हा हा. कभी कभी शेरनी डेट पर जाने से पहले ब्रश कर ही लेती है."
बता दें, ३१ वर्षीय ऋचा चड्ढा ने अपने करियर की शुरुआत 'ओए लकी लकी ओए (२००८)' के जरिए की थी. 'गैंग्स ऑफ वासेपुर (२०१२)', 'फुकरे (२०१३)', 'मसान (२०१५)', 'सरबजीत (२०१६)' जैसी फिल्मों में अहम किरदार निभा चुकी ऋचा आखिरी बार फिल्म 'फुकरे रिटर्न्स (२०१७)' में नजर आई थीं. |
बिज़नस ५००० से कम में विडियोकॉन का ऐंड्रॉयड टैबलेट१ ऑफ ६टैबलेट के मार्केट में बढ़ते कॉम्पिटिशन और यूजर्स की डिमांड को देखते हुए विडियोकॉन ने अपना लो बजट प्रॉडक्ट वीटी ७१ लॉन्च किया है। आगे जानें इसकी खूबियां ...इसमें ७ इंच का कैपैसिटिव डिस्प्ले दिया गया है। टच स्क्रीन वाले इस टैबलेट में ऐंड्रॉयड ४ (आइसक्रीम सैंडविच) प्लेटफॉर्म और १.२ गीगाहर्ट्ज का प्रोसेसर है। इस टैबलेट में ३२00 एएमएच की बैटरी है। इसमें डॉन्गल से ३जी सपोर्ट और म्यूजिक, टीवी चैनल, सोशल नेटवर्किंग वगैरह की फैसिलिटी भी है। इस टैबलेट में बैक कैमरा नहीं है, विडियो चैट के लिए फ्रंट वीजीए कैमरा दिया गया है।इस टैबलेट में 5१२ एमबी रैम है। इसके साथ ही इसमें ४ जीबी की इंटरनल मेमरी है। माइक्रो एसडी कार्ड के जरिए इसे आप ३२ जीबी तक बढ़ा सकते हैं।विडियोकॉन ने इसे ४७99 रुपये के अट्रैक्टिव प्राइस पर लॉन्च किया है।५००० से कम में विडियोकॉन का ऐंड्रॉयड टैबलेट२ फेब, २0१३0१0२0३0४050६फेसबुकप्लस्टविटरआपका स्लाइडशो खत्म हो गया है
स्लाइडशो दोबारा देखें अगला स्लाइडशोअपने दोस्तों से शेयर करेंआगे आने वाले स्लाइडरआसान स्टेप्स में समझें कैसे खोलें ई-इंश्योरेंस अकाउंटहर महीने एक कंपनी खरीदने वाले गूगल की कहानीजानें कार इंश्योरेंस के स्मार्ट तरीकेनिवेश में इन ६ बातों को हमेशा रखें ध्यानमिलिए आपकी एमी तय करने वाली इस त्रिमूर्ति सेएक पोस्ट ऑफिस से दूसरे में ऐसे ट्रांसफर करें प्फ अकाउंट१०० सबसे अमीर भारतीयों की लिस्ट में शामिल हैं ये ४ महिलाएंथोड़ी मेहनत करें, कुबेर का खजाना खोल देगा इंटरनेटवेब तितले: (हिन्दी न्यूज फ्र्म नवभारत टाइम्स , तिल नेटवर्क) स्पॉनसोर्डबिज़नस रिलेटेड गैलरीज़आसान स्टेप्स में समझें कैसे खोलें...हर महीने एक कंपनी खरीदने वाले गूग...जानें कार इंश्योरेंस के स्मार्ट त...निवेश में इन ६ बातों को हमेशा रखे...मिलिए आपकी एमी तय करने वाली इस त्...एक पोस्ट ऑफिस से दूसरे में ऐसे ट्...१०० सबसे अमीर भारतीयों की लिस्ट म...थोड़ी मेहनत करें, कुबेर का खजाना ...चर्चित विडियोडॉक्टर बेटी ने लेनी चाही बूढ़े पिता की जान, सीसीटीवी में कैदकैमरे में क़ैद: २० फुट लंबे अजगर ने नीलगाय के बच्चे को निगलादेखिये: कैसे बेदर्दी से म्ब्ब्स के छात्र ने मस्ती के लिए इस कुत्ते को छत से नीचे फेंका...देखें: जियो ४ग में क्या देगा रिलायंसटैबलेट के मार्केट में बढ़ते कॉम्पिटिशन और यूजर्स की डिमांड को देखते हुए विडियोकॉन ने अपना लो बजट प्रॉडक्ट वीटी ७१ लॉन्च किया है। आगे जानें इसकी खूबियां ...फेब २, २०13, ०१.४3प्म इस्ट |
वीरे दी वेडिंग व्स वीरे की वेडिंग : सुप्रीम कोर्ट ने जिम्मी शेरगिल की कंपनी को जारी किया नोटिस
इंडिया | शुक्रवार नवम्बर ३, २०१७ 0३:५१ प्म इस्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अनिल कपूर की कंपनी ''अनिल कपूर फिल्म कंपनी प्राइवेट लिमिटेड" की याचिका पर जिम्मी शेरगिल की कंपनी मेक माय डे इंटरटेनमेंट को नोटिस जारी किया है.
नए पोस्टर में करीना कपूर खान, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर और शिखा तल्सानिया लहंगों में नहीं बल्कि शेरवानी और पगड़ी पहने नजर आ रही हैं. सोनम कपूर तो भरपूर मस्ती के मूड में हैं.
करीना कपूर, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर और शिखा सुल्तानिया की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'वीरे दी वेडिंग' का दिल्ली शेड्यूल पूरा हो चुका है.
करीना कपूर खान इन दिनों अपनी फिल्म 'वीरे दी वेडिंग' की शूटिंग में काफी बिजी हैं, लेकिन इस बिजी शेड्यूल में भी उनका बेटा तैमूर उनके साथ है. हाल ही में अपनी इस कमबैक फिल्म की शूटिंग के लिए दिल्ली पहुंची करीना अपने बेटे को भी साथ लेकर पहुंचीं.
पिछले कुछ दिनों से करीना नई दिल्ली में फिल्म 'वीरे दी वेडिंग' की शूटिंग कर रही थीं. फिल्म का एक शेड्यूल पूरा कर वे मुंबई लौटीं. शनिवार शाम उन्हें मुंबई एयरपोर्ट पर बेटे तैमूर के साथ देखा गया.
करीना कपूर खान पिछले साल दिसंबर में मम्मी बनीं और मम्मी बनने के कुछ दिनों बाद से ही करीना ने अपने वजन पर काम करना शुरू कर दिया.
करीना कपूर खान मां बनने के बाद फिल्म 'वीरे दी वेडिंग' से कमबैक करने वाली हैं और इस फिल्म की शूटिंग के लिए ही करीना गुरुवार को मुंबई से दिल्ली पहुंच गई हैं. लेकिन यहां करीना अकेले नहीं आई हैं, बल्कि अपने नन्हें नवाब तैमूर को भी लेकर पहुंची हैं.
वीरे दी वेडींग: अनिल कपूर की 'सुपरवुमेन' निकल चुकी हैं अपने नए मिशन पर
फिल्मी | शुक्रवार सितम्बर १, 20१7 ०४:०४ प्म इस्ट
अनिल कपूर की दोनों बेटियां एक बार फिर एक नई फिल्म में साथ काम करने वाली हैं और इस बात को लेकर पापा काफी एक्साइटेड हैं. रिया कपूर द्वारा बनायी जा रही फिल्म 'वीरे दी वेडिंग' करीना कपूर की कमबैक फिल्म तो ही है, साथ ही इस फिल्म में सोनम कपूर भी नजर आने वाली हैं.
करीना कपूर खान और तैमूर अली खान जब भी साथ नजर आते हैं, तो यह मां-बेटे की यह क्यूट जोड़ी सारी नजरें अपनी तरफ मोड़ लेती है.
अभिनेत्री सोनम कपूर राजधानी दिल्ली में अपनी आगामी फिल्म 'वीरे दी वेडिंग' की शूटिंग शुरू करने वाली हैं। उनका कहना है कि यह साल उनके लिए अब तक संतोषजनक रहा है.
करीना कपूर खान पिछले साल दिसंबर में पहली बार मां बनी हैं और तभी से करीना और तैमूर दोनों ही अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं. प्रेग्नेंसी के बाद से ही करीना कपूर अपने बढ़े हुए वजन को कम करने में लगी हुई हैं और इसके लिए उन्हें जिम में पसीने बहाते हुए देखा जा रहा है. |
पदाधिकारी व कर्मचारी राहत सामग्री पहुँचाने में कर रहे कोताही
साहेबगंज, (हि.स.)। केंद्र और राज्य सरकार की नजर बाढ़ पीड़ितों को दी जा रही राहत, पर है संसाधन की कमी । पदाधिकारी और कर्मचारी राहत कैम्पो पर सामग्री पहुचाने में कोताही बरत रहे हैं। ऐसे लोगो की शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुँचायी जाएगी। यह बातें साहेबगंज प्रखण्ड के बंगरा निजामत मध्य विद्यालय स्थित राहत कैम्प का निरीक्षण करने के उपरांत पूर्व मंत्री डॉ महाचन्द्र प्रसाद सिंह ने पत्रकारों से कही ।
पूर्व मुखिया और वर्तमान मुखिया ने शिकायत कि है कि चार दिन से कैम्प चल रहा है करीब १४०० बाढ़ पीड़ित भोजन कर रहे हैं,लेकिन प्रशासन ने सिर्फ एक दिन का राशन दिया है । यह गम्भीर मामला है। उन्होंने कहा कि कैम्प में रह रहे लोगों की सेवा ,भगवान की सेवा है । पीएम की भी नजर बिहार के बाढ़ पर है। राहत में कंही से कोई कमी नही है । स्थानीय पदाधिकारी राहत देने में कोताही नही बरते ।
उन्होंने मौके पर मौजूद बीडीओ मो यूनुस सलीम ,कैम्प प्रभारी बी ई ओ चन्द्रेश्वर दास से भी बात की, जबकि सीओ अनिल कुमार श्रीवास्तव को मोबाइल पर निर्देश दिया | उन्होंने कैम्प में खिलाये जा रहे भोजन की क्वालिटी को भी देखा और सन्तुष्टि जताई ।
मौके पर पैक्स अध्यक्ष वृजकिशोर सिंह ,शम्भू सिंह ,सर्वेश सिंह ,डा ओम प्रकाश भी मौजूद थे । |
५ दिग्गज बल्लेबाज जो करियर के पहले १०० मैच में नहीं हुए जीरो
होम > क्रिकेट > टॉप ५/१० > ५ दिग्गज बल्लेबाज जो करियर के पहले १०0 मैच में नहीं हुए जीरो पर आउट, भारत का दबदबा
विश्व क्रिकेट में ऐसे कई खिलाड़ी हुए हैं, जिन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए रिकॉर्ड बनाए हैं. इस क्रम में भारत के भी कई महान खिलाड़ी शामिल हैं. सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ जैसे कई दिग्गज खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर विश्व क्रिकेट में टीम इंडिया को आगे बढ़ाया.
जीरो पर आउट होना कोई भी खिलाड़ी नहीं चाहता है. लेकिन बहुत कम खिलाड़ी होते हैं जो इस नंबर पर आउट नहीं होते हैं. लेकिन बहुत कम खिलाड़ी होते हैं जो इस नंबर से अपने शुरुआती करियर में बच पाते हैं. लेकिन ५ बड़े दिग्गज बल्लेबाज ऐसे रहे हैं. जिन्होंने शुरुआती करियर में इस नंबर पर आउट नहीं हुए.
सचिन और द्रविड़ हर परिस्थिति में रन बनाने में माहिर थे. ये खिलाड़ी ऐसे थे कि इन्हें आउट करना बेहद मुश्किल होता था. आइये हम आपको बताते हैं विश्व क्रिकेट उन पांच सितारों के बारे में जो १०० से ज्यादा मैच खेलने के बाद भी शून्य पर आउट नहीं हुए थे.
५. जेरेमी कूनी
एक समय था जब न्यूजीलैंड क्रिकेट में जेरमी कूनी की चर्चा जोरों पर होती थी. इस दिग्गज खिलाड़ी ने टीम के लिए कई बार शानदार पारियां खेलीं थी और टीम को जीत दिलाया था. कूनी इस सूची में पांचवें स्थान पर हैं. वो लगातार ११७ इनिंग खेलने के बाद भी शून्य पर आउट नहीं हुए थे.
जेरेमी कूनी ने न्यूजीलैंड की टीम के लिए ५२ टेस्ट मैच में ३७.०६ के औसत से २६६८ रन बनाये है. जिसमें १६ अर्द्धशतक और ३ शतक भी शामिल था. इसी बीच ८८ एकदिवसीय मैच में उन्होंने ३0.७२ के औसत से १८७४ रन बनाये. जिसमें ८ अर्द्धशतक भी शामिल थे.
गेंदबाजी में भी कूनी ने टेस्ट मैच में ३५.७८ के औसत से २७ विकेट लिए. जबकि एकदिवसीय फ़ॉर्मेट में ३७.७६ के औसत से ५४ विकेट भी लिए हैं. बल्ले और गेंद दोनों से उन्होंने अपनी टीम के लिए खुद को उपयोगी बनाया था.
टैग्स #कार्ल हूपर #जेरेमी कूनी #राहुल द्रविड़ #सचिन तेंदुलकर
आईपीएल : पुणे ने कोलकाता को ४ विकेट से दी मात |
दंगल के गाने 'हानिकारक बापू' से महात्मा गांधी की छवि होगी ख़राब, इसे गाने में से हटाया जाए - थे शियासत डेली
दंगल के गाने हानिकारक बापू से महात्मा गांधी की छवि होगी ख़राब, इसे गाने में से हटाया जाए
मुंबई: इस साल दिसंबर महीने में रिलीज़ होने जा रही साल की बहु प्रतीक्षित मूवी दंगल जिसमें बॉलीवुड एक्टर आमिर खान मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। भारत के हरियाणा राज्य के कुश्तीबाज महावीर फोगट की जिंदगी पर निर्धारित इस फिल्म का प्रमोशन जोरों-शोरों से चल रहा है। कुछ दिन पहले ही जारी किया गया एक गाना हानिकारक बापू जिसमें बाप और बेटी के जटिल रिश्ते को दिखाया गया है पर ऐतराज जताया गया है।
आपको बता दें कि विश्वात्मक सामाजिक सेवा ट्रस्ट नाम के एक एनजीओ ने इस गाने पर विरोध दर्ज कराया है और ट्रस्ट के अध्यक्ष ने फिल्म के निर्माताओं से अपील करते हुए कहा है कि वे इस गाने से बापू शब्द हटा दें क्योंकि देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को बापू के नाम से संबोधित किया किया जाता है और इस गाने से उनकी छवि धूमिल हो रही है।
उनका कहना है कि जब भी लोग पहली बार ये गाना सुनेगे तो उन्हें बापू शब्द सुन गांधीजी का ही ख़याल आएगा क्योंकि लोग प्यार से उन्हें बापू बुलाते थे। सूत्रों के मुताबिक इस एनजीओ ने आमिर खान से भी इस मामले में अपील की है लेकिन आमिर ने अभी तक इसका कोई जवाब नहीं दिया है। |
अक्षय खन्ना, आमिर खान और सैफ अली खान स्टारर फिल्म दिल चाहता है अब भी लोगों के दिलों में ताजा है। इस कल्ट फिल्म को दर्शकों के साथ-साथ क्रिटिक्स ने भी काफी पसंद किया था।
फिल्म के सीक्वल को लेकर अक्सर चर्चा होती है। मंगलवार को इस बारे में अक्षय खन्ना से एक मजेदार सवाल किया गया। बता दें, वह अपनी आने वाली फिल्म सेक्शन ३७५ के ट्रेलर लॉन्च पर मौजूद थे।
अक्षय से पूछा गया कि दिल चाहता है के कैरक्टर्स अब किस तरह के होंगे और आज वे कहां होंगे। इसके जवाब में ऐक्टर ने कहा, मैंने फरहान से तब तक इंतजार के लिए कहा है जब तक हम सभी फिल्म के ऐक्टर्स ५० साल के पार हो जाएं और फिर हम दिल चाहता है २ करेंगे। उस वक्त यह मजेदार होगा।
अक्षय ने आगे कहा, अगर आप इसे १० साल, १५ साल बाद बनाते हैं तो वह मजेदार नहीं होगा। मुझे लगता है कि आमिर तो ५० के पार हो ही चुके हैं, सैफ भी जल्द वहां पहुंच जाएंगे, मैं थोड़ा ज्यादा वक्त लूंगा।
बात करें अक्षय की आने वाली फिल्म सेक्शन ३७५ की तो इसमें अक्षय के साथ ऐक्ट्रेस रिचा चड्ढा अहम किरदार में नजर आएंगी। डायरेक्टर अजय बहल की यह फिल्म १३ सितंबर २०१९ को सिनेमाघरों में दस्तक देगी।
सेक्शन ३७५ का ट्रेलर रिलीज
रनी न्यूज :- आने वाला बिजली का बिल आपके बजट को बिगाड़ सकता है
रनी न्यूज :- सब डिवीजन बलाचौर में खाने-पीने की चीजों में बढ़ रही मिलावटखोरी भयानक समस्या का रूप धारण कर रही है |
होम कबीरा खड़ा बाजार सोमनाथ मंदिर पर लिखा रवीश कुमार का ये लेख लंबा है, समय...
रवीश कुमार। १०२६ में सोमनाथ मंदिर पर महमूद ग़ज़नी हमला करता है। इस घटना को लेकर आज तक नई नई व्याख्याएं होती रहती हैं और उस पर धारणाओं की परतें चढ़ाई जाती रहती हैं। उस वक्त भी और उसके बाद की सदियों में सोमनाथ मंदिर को लेकर अलग अलग लिखित ग्रंथों में दर्ज किया जाता है। फ़ारसी, अरबी, संस्कृत, जैन, राजपूत दरबारों की वीर-गाथाएं, ब्रिटिश शासक और इतिहासकार, स्वतंत्रता आंदोलन के दौर के राष्ट्रवादी नेता। ये सब सोमनाथ को लेकर स्मृतियां गढ़ रहे थे। इतिहासकार रोमिला थापर ने इन अलग अलग ग्रंथों, दस्तावेज़ों और इतिहास लेखन में सोमनाथ मंदिर की घटना को कैसे दर्ज किया गया है, उसका अध्ययन किया है। वो पहले ही साफ कर देती हैं कि घटना क्यों हुई, किस मकसद से हुई, इसकी पड़ताल नहीं कर रही हैं बल्कि उसके बाद वो कैसे स्मृतियों और इतिहासलेखन में दर्ज होती है, उसे समझने का प्रयास कर रही हैं।
घटना के ४०० साल बाद के संस्कृत दस्तावेज़ों में इस बात का ज़िक्र है कि सोमनाथ मंदिर सिर्फ मंदिर नहीं था, उस वक्त अपने इलाके का राजनीतिक प्रशासक था जो फारसी व्यापारियों को कारोबार करने का परमिट भी जारी करता था। फारसी व्यापारियों से संबंध बहुत मधुर थे। १९५१ में वहां उत्खनन होता है जिससे कई बार धारणाओं पर विराम लगता है। टूटने के बाद जो निर्माण होता है उससे पता चलता है कि मंदिर कई बार नहीं बल्कि तीन बार टूटा या तोड़ा गया। जबकि धारणाओं में मंदिर का विध्वंस कई बार होता है। उत्खनन से यह भी पता चलता है कि ग्रंथों में जिस तरह से मंदिर को विशाल रूप में दर्ज किया गया है, वास्तविक रूप उससे काफी अलग है। जैन व्यापारियों और दरबारी लेखकों के दस्तावेज़ों में भी मंदिर को लेकर अलग-अलग बातें मिलती हैं। १९ वीं सदी के शुरू में महमूद ग़ज़नी को लेकर जो मौखिक किस्से हैं उनका संग्रह किया जाता है, उन किस्सों से अलग ही इतिहास पता चलता है। आपको यही समझना है हर किस्सा इतिहास नहीं होता मगर वो इतिहास का हिस्सा हो जाता है। इतिहास वहीं तक है जहां तक प्रमाण हैं। बाकी किस्सों का इतिहास है मगर एक वो वास्तविक इतिहास नहीं है। क्योंकि कई किस्सों में पीर, फ़क़ीर, साधु और गुरु महमूद की तारीफ़ भी करते हैं। रोमिला थापर इन अलग अलग किस्सों को आमने-सामने रखकर सोमनाथ मंदिर के विध्वंस और पुनर्निमाण के इतिहास को समझने का प्रयास कर रही हैं। क्या इस घटना को भारत के अलग अलग समुदायों ने अलग-अलग निगाहों से देखा, क्या हमला सिर्फ धार्मिक शत्रुता के कारण हुआ, क्या राजनीतिक कारणों से इस घटना को बढ़ा-चढ़ा कर दर्ज किया जाता रहा है?
प्रेवियस आर्टियलहम्बख के जंगलों में पेड़ों से चिपके हैं लोग, ना जाने दुनिया का क्या होगा
नेक्स्ट आर्टियलआपको हिमालय ने अब तक जिंदा रखा, आप उसे बचा भी लें तो बड़ी मेहरबानी होगी |
लखनऊ मेट्रो ने दी चेतावनी, नौकरी के लिए अगर कोई पैसे की करे मांग तो यहां करें शिकायत
लखनऊ मेट्रो में नौकरी देने के लिए इस समय धोखाधड़ी वाले गैंग सक्रिय हैं। जिसकी शिकायत लगातार लखनऊ मेट्रो को मिल रही है। जिसको लेकर रेल मेट्रो कॉरपोरेशन ने कहा है कि नौकरी के लिए किसी को भी पैसे न दें।...
गाँव कनेक्शन १० मई २०१८ ३:४६ प्म गम्त
दिल्ली: मेट्रो की सेवा से आप कितना संतुष्ट हैं इस वेबसाइड पर जाकर दीजिए अपनी राय
९ अप्रैल से ६ मई तक लंदन का रेलवे एंड ट्रांसपोर्ट स्ट्रेटजी सेंटर मेट्रो सर्विसेस पर ५वां ऑनलाइन कस्टमर सेटिसफेक्शन सर्वे करने जा रहा है। सर्वे का मकसद सिर्फ यह जानना है कि दिल्ली मेट्रो में सफर करने...
गाँव कनेक्शन ९ अप्रैल २०१८ ९:१० आम गम्त
दिवाली की रात दिल्ली में १० बजे तक ही चलेगी मेट्रो
नई दिल्ली (आईएएनएस)। दिवाली की रात दिल्ली वाले गुरुवार को आखिरी मेट्रो रात १० बजे तक पकड़ पाएंगे। बुधवार को दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी।बयान में कहा गया है कि सामान्य तौर...
गाँव कनेक्शन १८ ऑक्ट २०१७ ५:५५ प्म गम्त
अब सूरत में भी चलेगी बिना ड्राइवर के मेट्रो
लखनऊ। गुजरात के सूरत शहर के लोगों का मेट्रो के लिए इंतजार जल्द ही खत्म हो जायेगा। यहां मेट्रो रेल प्रोजेक्ट जनवरी २०१८ से शुरू होने जा रहा है। मेट्रो लिंक फॉर गांधीनगर एंड अहमदाबाद द्वारा अहमदाबाद,...
गाँव कनेक्शन ८ आग २०१७ १:०६ प्म गम्त
अगस्त से इस राज्य की मेट्रो यात्रियों को देगी मोबाइल टिकटिंग की सुविधा
लखनऊ। अब आपको मेट्रो में सफर करने के लिये जेब में स्मार्ट कार्ड या लम्बी लाइन में लगकर टिकट लेने की जरूरत नहीं है अब आप के पास स्मार्टफोन होना चाहिये। मुंबई मेट्रो ने अपने यात्रियों के लिये मोबाइल... |
२६ जुलाई २०१७ | अवनीश कुमार मिश्र (इस आर्टिक्ल को २९० बार पढ़ा जा चुका है)
८ नवंबर, २०१६ की रात प्रधानमंत्री मोदी ने टीवी पर ऐलान किया था कि तत्काल प्रभाव से ५०० और १००० के नोट काग़ज़ के टुकड़े बन गए हैं. वैसा ही अब २००० के नोट के साथ हो सकता है. सरकारी टॉप क्लास अधिकारियों ने इंडिया टुडे को बताया है कि वो २००० रुपए के नोट को २०० रुपये के नोट से रीप्लेस करने का प्लान कर रहे हैं.
ज़िम्मेदार सरकारी महकमा इस कोशिश में लगा हुआ है कि अगस्त तक उन्हें जो डेडलाइन मिली है, उसे वो पूरा कर ले जायें और उससे पहले जितने २०० के नए नोट छपने हैं, छप जायें. जब मार्केट में २००0 का नया नोट आया था, उन नोटों की छपाई में कुछ कमी आ गई थी, जिसकी वजह से आरबीआई और सरकार की प्लानिंग पर सवाल उठे थे. उनकी काफी छीछालेदर हुई थी. यहां सरकार वही गलती दोबारा नहीं दोहराना चाहती है.
नोटों की छपाई चल रही है. रिज़र्व बैंक की मैसूर और सालबोनी (वेस्ट बंगाल) मिंट में ये नोट छप रहे हैं. इस नए नोट में नए सिक्योरिटी फ़ीचर्स होंगे.
मोदी आज के समय के सबसे बड़े नेता के रूप में अपनी छवि बनाया है | मोदी आज पुरे देश में अपने भारत का नामकर रहे है मोदी प्रधानमंत्री बने के बाद कई योजना बनाए लेकिन कुछ योजना सफल हुई कुछ योजनाये बनाई|जिसमे की नोटबंदी योजना काला धन को खत्म करने के लियें किया गया था लेकिन काला धन तो दूर की बात भ्रष्टच
नई दिल्ली : माइक्रोसॉफ्ट (माइक्रोसॉफ्ट) ने अपने एक नए कार्यक्रम के तहत १.६ करोड़ रुपये (२५०००० अमेरिकी डॉलर) का इनाम देने का ऐलान किया है. माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से पहले भी इस तरह के प्रोग्राम आयोजित किए जाते रहे हैं. इसके तहत कंपनी के सॉफ्टवेयर में बग ढूंढना होगा. इससे पहले ग
कोचिंग पढ़ते-पढ़ते गुरु जी से इश्क कर बैठी नाबालिग छात्रा, कर ली शादी, अब... |
धो सकते हैं सुपर नरम पुन: प्रयोज्य कार्बनिक बांस नर्सिंग पैड - बाय नर्सिंग पैड,बांस नर्सिंग पैड,पुन: प्रयोज्य नर्सिंग पैड प्रोडक्ट ऑन अलीबाबा.कॉम
धो सकते हैं सुपर नरम पुन: प्रयोज्य कार्बनिक बांस नर्सिंग पैड
बांस, पुल + एक परत की एक परत माइक्रोफाइबर + एक परत बांस/कस्टम
पुन: प्रयोज्य, धो सकते हैं, नरम
रंगीन नर्सिंग पैड
बांस/बांस टेरी/बांस कपास/बांस वेलोर/सन/कस्टम
१०,१२,१४ पस प्रति ऑप बैग/कस्टम
धो सकते हैं सुपर नरम पुन: प्रयोज्य कार्बनिक बांस नर्सिंग पैड यह ऑप बैग में डाल दिया जाएगा.
धो सकते हैं सुपर नरम पुन: प्रयोज्य बांस नर्सिंग पैड
आइटम ३ परत माइक्रोफाइबर बांस नर्सिंग पैड
ब्रांड अनंबेबी या कस्टम लोगो
निर्माता पूजियांग छुंगसी उद्योग और व्यापार सह, लिमिटेड
सामग्री १ पुल + १माइक्रोफाइबर + १ बांस भीतरी
धो सकते हैं, पुन: प्रयोज्य, सांस, आर्थिक और पर्यावरण संरक्षण
बुले, गुलाबी, सफेद, पीले, काले, हरे एक्ट या कस्टम
पैकिंग एक ऑप बैग के साथ ८पस
कस्टम आदेश हम कर सकते हैं कस्टम प्रिंटों/डिजाइन/लेबल
१.वे प्रदान कर सकते हैं धोने बैग, डिब्बों, यार्न बैग और निर्देश है। हम अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पैक कर सकते हैं
२.आप प्रिंट फ्रील का चयन कर सकते हैंवाई, कोई मोक प्रत्येक पर प्रिंटहै। अगर कोई विशिष्ट आवश्यकताओं या कोई जवाब नहींयादृच्छिक रंग वितरण में
३.इफ अन्य अनुरोध, आदेश देने से पहले कृपया हमसे संपर्क करें है।
बाहरी परत निविड़ अंधकार पुल है, भीतरी बांस है, मध्य माइक्रोफाइबर है.
पुल निविड़ अंधकार लीक रोका जा सकता है।
बांस है प्राकृतिक सामग्री और सुपर नरम
रेशम चिकनी है, शांत और चंगा गले निपल्स.
करने के लिए एकदम सहीगर्मऔर की रक्षासंवेदनशील स्तनों
हम स्वीकार कस्टम सामग्री:बांस भीतरी, बांस की लकड़ी का कोयला, बांस कपास, कपासएक्ट के।
मशीन-धोने और हुई-सूखी सबसे अच्छी देखभाल प्रदान.
सुनिश्चित करने के लिए धोना और प्रेस पर उन्हें कम से कम एक बार पहनने से पहले, पिलिंग को कम कर सकता है जो से बचे हुए
कपास फाइबर और
एक बेहतर अवशोषण को बढ़ावा देने.
एक: हाँ, थोक आदेश के लिए, मोक के २०पस/आदेश, आप प्राप्त करने के लिए हमारे सभी स्टॉक डायपर के साथ मिश्रित कर सकते हैं अप २०पस है। कोई मोक के प्रत्येक प्रिंट.
एक: बेशक, जब डायपर के आदेश ३००पस से अधिक है, हम आप मुफ्त के लिए लेबल कर सकते हैं, अगर कम से कम ३००पस आप लेबल शुल्क का भुगतान की आवश्यकता है।
एक: हमारे स्टॉक नमूना हम २पस नि: शुल्क नमूने कर सकते हैं. अगर कस्टम डिजाइन हम उसड/पस १० चार्ज होगा, आप शिपिंग शुल्क के लिए भुगतान की आवश्यकता है।
प्रिंट:अगर हमारे स्टॉक प्रिंट, इसकी ३०-५०पस/प्रिंट, अगर कस्टम प्रिंटों, हो जाएगा १००पस/प्रिंट
डिजाइन:कस्टम आदेश के लिए मोक के ३००पस कपड़ा डायपर के लिए है, और ३०-५०पस/प्रत्येक प्रिंट.
३००,०००+ फॉर १३२ लेन-देन |
अंगनबाडी सरकारी नौकरी : आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए १०२९ पदोंपर होंगी भर्तियां
लखनऊ। प्रदेश सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों को मजबूत करने के लिए भर्तियां करने जा रही है। सूबे के ४१ जिलों के ४६८ ब्लॉकों में यह भर्तियां की जाएंगी। सरकार ने भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है।
इसमें राज्य स्तरसे लेकर ब्लॉक स्तर के कर्मियों की नियुक्ति की जाएंगी।वाह्य सहायतित आईसीडीएस सिस्टम स्ट्रेंथनिंग एंड न्यूट्रीशियन इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट (स्निप) के लिए होने वाली इन नियुक्तियों के लिए प्रदेश सरकार नेहरी झंडी दे दी है। सरकार ने कुल १०२९ पदों पर भर्तियां करने की इजाजत दी है। यह सभी पद संविदा के आधार पर भरे जाएंगे। इसमें राज्य स्तर पर जहां सलाहकार रखे जाएंगे वहीं ब्लॉक स्तर पर ब्लॉक समन्वयक व परियोजना सहायक की नियुक्तियां की जाएंगी।
इन कर्मियों को प्रतिमाह ८ से ६० हजार रुपये तक का नियत वेतन दिया जाएगा।
इन पदों पर भर्ती के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश विभाग की वेबसाइट ( पर उपलब्ध है। इन पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है। आवेदन १९ जनवरी तक किए जा सकते हैं। निदेशक बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार ने बताया कि इन पदों पर भर्ती के बाद आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन और बेहतर हो जाएगा। |
हां, वायुमंडल में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड पौधों को बढ़ने में मदद करता है, लेकिन यह जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए कोई बहाना नहीं है - जलवायु प्रभाव समाचार | जलवायु प्रभाव समाचार
हां, वायुमंडल में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड पौधों को बढ़ने में मदद करता है, लेकिन यह जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए कोई बहाना नहीं है
वैनेसा हैवरड, एट अल द्वारा लिखित
हमारे वातावरण में बहने वाली कार्बन डाइऑक्साइड की खतरनाक दर पौधे के जीवन को दिलचस्प तरीके से प्रभावित कर रही है - लेकिन शायद उस तरीके से नहीं जिस तरह से आप उम्मीद करेंगे।
भूमि की सफाई, सूखे और जंगल की आग से बड़े नुकसान के बावजूद, कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित किया जाता है और बढ़ती दर पर वनस्पति और मिट्टी में संग्रहीत किया जाता है।
इसे "भूमि कार्बन सिंक" कहा जाता है, यह वर्णन करता है कि दुनिया भर में वनस्पति और मृदा प्रकाश संश्लेषण से कार्बन डाइऑक्साइड को कैसे अवशोषित करती हैं। और पिछले ५० वर्षों में, सिंक (उन पौधों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के तेज और रिलीज के बीच का अंतर) बढ़ रहा है, जो औसत वर्ष में कम से कम एक चौथाई मानव उत्सर्जन को अवशोषित करता है।
नाओमी क्लेन जलवायु परिवर्तन और अदम्य पूंजीवाद के बीच आशा की गुठली पाता है में यह सब कुछ बदलता है
सिंक बड़ा हो रहा है एक की वजह से पादप प्रकाश संश्लेषण में तेजी से वृद्धि, तथा हमारे नए शोध बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता को काफी हद तक बढ़ाता है।
इसलिए, इसे सरलता से कहने के लिए, मानव अधिक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन कर रहे हैं। यह कार्बन डाइऑक्साइड अधिक पौधे के विकास का कारण बन रहा है, और कार्बन डाइऑक्साइड को चूसने की उच्च क्षमता है। इस प्रक्रिया को "कार्बन डाइऑक्साइड निषेचन प्रभाव" कहा जाता है - एक घटना जब कार्बन उत्सर्जन प्रकाश संश्लेषण को बढ़ावा देता है और बदले में, पौधे की वृद्धि होती है।
जब तक हमें यह पता नहीं चला कि हमारे अध्ययन में जमीन पर वैश्विक प्रकाश संश्लेषण में वृद्धि में कार्बन डाइऑक्साइड निषेचन प्रभाव का कितना योगदान है।
लेकिन भ्रमित मत हो, हमारी खोज का मतलब यह नहीं है कि कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करना एक अच्छी बात है और हमें अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को पंप करना चाहिए, या यह कि भूमि-आधारित पारिस्थितिक तंत्र हम पहले से सोचा की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को हटा रहे हैं (हम पहले से ही जानते हैं कि कैसे यह वैज्ञानिक माप से है)।
और निश्चित रूप से इसका मतलब यह नहीं है कि हमें ऐसा करना चाहिए, जैसा कि जलवायु संशयवादियों के पास है किया, जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को कम करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड निषेचन की अवधारणा का उपयोग करें।
बल्कि, हमारे निष्कर्षों से दुनिया भर में वनस्पति का कारण बनता है की तुलना में अधिक कार्बन अवशोषित करने के लिए एक नई और स्पष्ट व्याख्या प्रदान करता है।
क्या अधिक है, हम जलवायु परिवर्तन की दर को धीमा करते हुए, मानव उत्सर्जन के अनुपात को अवशोषित करने के लिए वनस्पति की क्षमता को उजागर करते हैं। यह जंगलों, सवाना और घास के मैदानों की तरह स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने और बहाल करने की तात्कालिकता को रेखांकित करता है और उनके कार्बन शेयरों को सुरक्षित करता है।
और जबकि वातावरण में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड, परिदृश्य को अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की अनुमति देता है, लगभग आधा (४४%) हमारे उत्सर्जन का वातावरण में बना रहता है।
अधिक कार्बन डाइऑक्साइड पौधों को अधिक कुशल बनाता है
पिछली शताब्दी की शुरुआत के बाद से, वैश्विक पैमाने पर प्रकाश संश्लेषण वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि के लगभग निरंतर अनुपात में बढ़ गया है। दोनों हैं अब लगभग ३०% अधिक है १९ वीं सदी की तुलना में, औद्योगीकरण से पहले महत्वपूर्ण उत्सर्जन उत्पन्न करना शुरू कर दिया।
पृथ्वी की जलवायु फ़िंगरप्रिंट के लिए खोज जारी है
कार्बन डाइऑक्साइड निषेचन प्रकाश संश्लेषण में इस वृद्धि के कम से कम ८०% के लिए जिम्मेदार है। बाकी के अधिकांश को तेजी से वार्मिंग में लंबे समय तक बढ़ते मौसम के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है उत्तरी वन और आर्कटिक।
पारिस्थितिक तंत्र जैसे वन वायुमंडल से कार्बन को अवशोषित करके जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक प्राकृतिक हथियार के रूप में कार्य करते हैं। शटरस्टॉक
तो अधिक कार्बन डाइऑक्साइड कैसे अधिक संयंत्र विकास के लिए नेतृत्व करता है?
कार्बन डाइऑक्साइड की उच्च सांद्रता पौधों को अधिक उत्पादक बनाती है क्योंकि प्रकाश संश्लेषण कार्बन डाइऑक्साइड और पानी से चीनी को संश्लेषित करने के लिए सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करने पर निर्भर करता है। पौधों और पारिस्थितिक तंत्र दोनों का उपयोग ऊर्जा स्रोत के रूप में और विकास के लिए बुनियादी निर्माण खंड के रूप में करते हैं।
जब एक पौधे की पत्ती के बाहर हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता बढ़ती है, तो इसे प्रकाश संश्लेषण की दर से अधिक तेजी से लिया जा सकता है।
अधिक कार्बन डाइऑक्साइड का मतलब पौधों के लिए पानी की बचत भी है। अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उपलब्ध होने का मतलब है कि वाष्पीकरण (जिसे स्टोमेटा कहा जाता है) को नियंत्रित करने वाली पौधों की पत्तियों पर छिद्र थोड़ा बंद हो सकता है। वे अभी भी कार्बन डाइऑक्साइड की समान मात्रा या अधिक अवशोषित करते हैं, लेकिन कम पानी खो देते हैं।
परिणामी पानी की बचत अर्ध-शुष्क परिदृश्य में वनस्पति को लाभ पहुंचा सकती है जो ऑस्ट्रेलिया में बहुत अधिक हावी है।
हमने २०१३ के एक अध्ययन में ऐसा देखा, जिसका विश्लेषण किया गया उपग्रह डेटा ऑस्ट्रेलिया की समग्र हरियाली में परिवर्तन को मापना। इसने उन स्थानों में अधिक पत्ती वाला क्षेत्र दिखाया जहां समय के साथ वर्षा की मात्रा नहीं बदली थी। इससे पता चलता है कि कार्बन डाइऑक्साइड-समृद्ध दुनिया में पौधों की जल दक्षता बढ़ जाती है।
युवा वन कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़ने में मदद करते हैं
अन्य में अनुसंधान हाल ही में प्रकाशित, हमने दुनिया भर के विभिन्न युगों के जंगलों के कार्बन अपटेक को मैप किया। हमने वनों को छोड़ी गई कृषि भूमि पर एक बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, और विश्व स्तर पर पुराने विकास वाले जंगलों की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड खींचते हैं। लेकिन क्यों?
युवा वनों को विकसित होने के लिए कार्बन की आवश्यकता होती है, इसलिए वे कार्बन सिंक में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। शटरस्टॉक
एक परिपक्व जंगल में, पुराने पेड़ों की मृत्यु प्रत्येक वर्ष उगाई जाने वाली नई लकड़ी की मात्रा को संतुलित करती है। पुराने पेड़ अपनी लकड़ी को मिट्टी में खो देते हैं और अंततः सड़न के माध्यम से वायुमंडल में पहुंच जाते हैं।
दूसरी ओर एक डूबता हुआ जंगल, अभी भी लकड़ी जमा कर रहा है, और इसका मतलब है कि यह कार्बन के लिए काफी सिंक के रूप में कार्य कर सकता है जब तक कि पेड़ की मृत्यु दर और अपघटन वृद्धि की दर के साथ पकड़ नहीं लेता है।
यह आयु प्रभाव कार्बन डाइऑक्साइड निषेचन प्रभाव पर लागू होता है, जिससे युवा जंगल संभावित रूप से बहुत मजबूत डूब जाते हैं।
वास्तव में, विश्व स्तर पर, हमने पाया है कि कुल मिलाकर वनों द्वारा कुल कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने के लिए लगभग ६०% जिम्मेदार हैं। वनीकरण द्वारा उनके विस्तार को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
इतने सारे कारणों से वन समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं - जैव विविधता, मानसिक स्वास्थ्य, मनोरंजन, जल संसाधन। उत्सर्जन को अवशोषित करके वे जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हमारे उपलब्ध शस्त्रागार का भी हिस्सा हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम उनकी रक्षा करें।
वैनेसा हावर्ड, प्रमुख अनुसंधान वैज्ञानिक, सीएसआईआरओ; बेंजामिन स्मिथ, अनुसंधान निदेशक, हॉक्सबरी पर्यावरण के लिए संस्थान, पश्चिमी सिडनी विश्वविद्यालय; मथायस कुंतज, अनुसंधान निदेशक इनराई, यूनिवर्सिट डे लोरेन, और पेप कैनाडेल, मुख्य अनुसंधान वैज्ञानिक, सीएसआईआरओ महासागरों और वायुमंडल; और ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के कार्यकारी निदेशक, सीएसआईआरओ
संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण घटक छूट गया: जलवायु कार्रवाई
जलवायु कॉर्पोरेट ऑस्ट्रेलिया स्नूजिंग पत्तियां
अध्ययन से पता चलता है कि राइट-विंग थिंक टैंक क्लाइमेट लाइज़ के यूएस मीडिया कवरेज वास्तव में पिछले ५ वर्षों से अधिक है
पुरुष और महिलाएं ग्लोबल वार्मिंग पर असहमत हैं
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु वार्ताकार लीमा में गेंद को गिराते हैं और अब इसे ऊपर लेने के लिए ग्रासरूट्स के पास है
हॉकी रिंक से सबक ओन्टारियो टैकल जलवायु परिवर्तन में मदद कर सकता है
पर्यावरणीय कारणों के लिए समर्थन को कम करने के बारे में बात करें
ट्रम्प का एक वर्ष: कैसे उसकी जमानत शैली शैली जगह जगह ले ली |
मैदानी क्षेत्रों में सात तो पर्वतीय क्षेत्रों में पांच प्रतिशत बढ़ सकता है सर्किल रेट - अमर उजाला हिन्दी न्यूज लाइव
हिन्दी न्यूज उत्तराखंड नैनीताल मैदानी क्षेत्रों में सात तो पर्वतीय क्षेत्रों में पांच प्रतिशत बढ़ सकता है सर्किल रेट
मैदानी क्षेत्रों में सात तो पर्वतीय क्षेत्रों में पांच प्रतिशत बढ़ सकता है सर्किल रेट
वीडीए की लापरवाही से जहां भी, जैसे भी जमीन मिली प्लाटिंग कर दी - फोटो : अमर उजाला
हल्द्वानी। नैनीताल जिले में जमीन खरीदना के लिए अब आपको और अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। मैदानी क्षेत्रों में पांच और पर्वतीय क्षेत्रों में तीन प्रतिशत तक जमीनों के दामों में वृद्धि हो सकती है।
सर्किल रेट एक वर्ष पहले बढ़े थे। जनवरी-२०१८ में सर्किल रेट बढ़ाए गए थे। १५ प्रतिशत की औसत वृद्धि सभी पर्वतीय जिलों में हुई थी जबकि २०८ प्रतिशत जमीन के दाम हल्द्वानी की रामपुर रोड और कालाढूंगी रोड की जमी पर बढ़े थे। साथ ही नैनीताल शहर के पॉश इलाके में जमीन सबसे महंगी हुई थी। नैनीताल शहर के पॉश इलाके में ६० हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर जमीन के दाम थे। प्रदेश सरकार एक बार फिर सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी कर रही है। जिलों ने क्षेत्र के हिसाब से नए सर्किल रेट का प्रस्ताव शासन को भेजे हैं। जल्द ही कैबिनेट में सर्किल रेट को लेकर प्रस्ताव आ सकता है। हल्द्वानी में प्रतिदिन १५ से २० लोग जमीन की रजिस्ट्री कराते हैं।
डीएम विनोद कुमार सुमन ने बताया कि मैदानी क्षेत्रों में चार से पांच प्रतिशत और पर्वतीय क्षेत्रों में दो से तीन प्रतिशत सर्किल रेट बढ़ाने का प्रस्ताव तीन माह पहले शासन को भेजा गया था। सर्किल रेट में बहुत अधिक वृद्धि होने से लोग जमीन की रजिस्ट्री कराना कम कर देंगे।
जिले में महंगा हो जाएगा जमीन खरीदना
मैदानी क्षेत्रों में पांच और पर्वतीय क्षेत्रों में तीन प्रतिशत बढ़ सकती हैं कीमतें
०३ महीने पहले डीएम सर्किल रेट बढ़ाने का शासन को भेजा था प्रस्ताव
१५ से २० लोग जमीन की रजिस्ट्री कराते हैं हल्द्वानी में प्रतिदिन |
महान नहीं होते विदेशी शासक
प्रतापगढ़ में महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण करते हुए गृहमंत्राी राजनाथ सिंह ने हमारे इतिहास लेखन की एक विसंगति की ओर हमारा ध्यान खींचा था कि अगर अकबर को महान कहा जा सकता है तो महाराणा प्रताप को क्यों नहीं? लेकिन हमारे इतिहास लेखन की विसंगति केवल इन दो व्यक्तियों के तुलनात्मक चित्राण में नहीं है। विसंगति मुगल शासन को भारत के राजनैतिक इतिहास की निरंतरता में देखने में है। हमारे इतिहासकारों के लिए मुस्लिम काल के किसी और शासन को गौरवमंडित करना आसान नहीं था। इसलिए उन्होंने अकबर को महानता से मंडित करते हुए विदेशी मुगल शासन को अपवाद समझने की बजाए उसे भारत के राजनैतिक इतिहास की निरंतरता में दिखाने को प्रयत्न किया है।
यह सब जानते हैं कि भारत के इतिहास लेखन की पीठिका अंग्रेजों ने तैयार की थी। मुगल शासन भी उन्हीं की तरह का विदेशी शासन था। अंग्रेज इतिहासकार चाहते थे कि भारत के लोग मुगल काल को सकारात्मक दृष्टि से देखें। क्योंकि तभी वे ब्रिटिश शासन को भी सकारात्मक दृष्टि से देख सकेंगे। उन्हें भारत के बौद्धिक वर्गों में अपने प्रभाव का विस्तार करने में सहायता मिलेगी। उनका यह उद्देश्य अधिकांशतः पूरा हुआ है। क्योंकि यह मान लिया गया है कि विदेशी होने के बावजूद मुगल और अंग्रेज भारत को प्रगति की दिशा में आगे बढ़ाने में सहायक हुए थे। यह कितनी विचित्रा बात है कि मुस्लिम और ब्रिटिश शासन को सकारात्मक रूप से दिखाने का यह अभियान केवल एक अकबर के महिमामंडन पर टिका हुआ है।
मुगलकाल और अकबर के शासन की समीक्षा करने से पहले यह देख लेना चाहिए कि इतिहास लेखन को इस दिशा में मोड़ने से हमारी क्या क्षति हुई है। मुस्लिम काल हमारे इतिहास का एक मोड़ है जहां से हमारी अपनी राजनीतिक व्यवस्थाएं क्षीण होती गईं, और मुगलकाल ने उन पर दृढ़तापूर्वक इरानी और उस्मानी राज्य व्यवस्थाओं को थोप दिया। इस प्रतिरोपण ने ही अंग्रेजों को भारत पर अपनी व्यवस्थाएं लादने में सहायता पहुंचाई। मुसलमानों और अंग्रेजों के शासन का यह पूरा काल केवल इस अर्थ में विदेशी नहीं है कि उस काल के शासक विदेशी थे। बल्कि वह इस गहरे अर्थ में विदेशी है कि उसने भारतीय राज-तंत्रा को विदेशी राज-तंत्रा में बदल दिया और समाज को अपनी नैतिक व्यवस्थाएं चलाने के लिए, जिस कवच की आवश्यकता होती है, वह नष्ट हो गया। यह मामूली मूल नहीं है कि हमारे इतिहासकारों ने यह समझने का ठीक से प्रयत्न ही नहीं किया कि मुस्लिम काल में राजनैतिक ढांचे को किस तरह बदला गया और उसने समाज की व्यवस्थाओं को किस तरह क्षत-विक्षत किया।
मुस्लिम शासन ने कैसे हमें अपने राजनैतिक इतिहास से विच्छिन्न कर दिया, यह समझने के लिए यह याद करना आवश्यक है कि हमारी राज्य-व्यवस्था क्या थी। सबसे पहली बात यह कि भारत में समाज के सभी साधनों पर समाज का ही अधिकार था, राज्य का नहीं। लोग जो भी उत्पादित-अर्जित करते थे उसका एक भाग समाज की सभी व्यवस्थाओं को चलाने के लिए अलग कर लिया जाता था। यह विभाजन परंपरा से होता आ रहा था और समयानुसार उसमें कोई परिवर्तन सबकी सहमति से होता था। राज्य भी समाज की व्यवस्थाओं का एक हिस्सा था। उसका भाग उसे मिले यह दायित्व भी स्थानीय संस्थाओं का ही था, जिनकी प्रतिबद्धता जितनी राज्य से थी, उतनी ही समाज से भी थी। राज्य सैनिक अभियानों में लगे रहते थे, जिनका उद्देश्य गांधीजी के शब्दों में शौर्य की परंपरा को बनाए रखना था। लेकिन उनका प्राथमिक दायित्व समाज के शील, समृद्धि और न्यायशीलता की रक्षा करना था। इस तरह राज्य समाज की व्यवस्थाओं का रक्षक था।
इस्लाम के उदय के कुछ समय बाद आठवीं शताब्दी में भारत पर भी मुस्लिम आक्रमण आरंभ हो गए थे। लेकिन अरब आक्रमणकारियों का उद्देश्य राजधानियों और मंदिरों के धन को लूट कर ले जाने से अधिक नहीं था। लगभग तीन शताब्दी तक भारतीय राजा छिटपुट पराजयों के बाद उन्हें खदेड़ते रहने में सफल रहे। मोहम्मद बिन कासिम को सिंध में पैर जमाने का मौका मिला, पर भारतीय राजाओं के प्रभाव का विस्तार भी बीच-बीच में सुदूर गांधार तक होता रहा। इस बीच तुर्क आए और उन्होंने अरबों से उनकी सत्ता छीन ली। उन्होंने भारत पर आक्रमण किए और ११९२ में पृथ्वीराज चौहान की एक युद्ध में पराजय के बाद दिल्ली में मुस्लिम शासन की नींव पड़ गई। मुगलों के आने से पहले दिल्ली सल्तनत पर पांच राज्यवंशों का अधिकार रहा। ३२० वर्ष की इस अवधि में ३५ सुल्तान गद्दी पर बैठे जिनमें से १९ की उत्तराधिकार की लड़ाई में हत्या हो गई। इन राजवंशों में सबसे कम खिलजी और सबसे अधिक तुगलक राजवंश का शासन रहा और ये दोनों राजवंश अपनी क्रूरता और उत्पीड़न के लिए अधिक प्रसिद्ध हुए। तुगलक वंश की नींव जिस गाजी मलिक ने रखी थी, उसका पिता तुर्क था और मां हिंदू। सत्ता में पहुंचकर उसने अपना नाम गियाजुद्दीन तुगलक रख लिया और गद्दी पर बैठते ही मुस्लिम किसानों का कर घटा दिया और हिंदू किसानों का कर बढ़ा दिया।
यह वह काल था जब मध्य एशिया से अफगानिस्तान तक का सारा क्षेत्रा, सैनिक अभियानों के लिए पेशेवर योद्धा प्रदान करने वाले क्षेत्रा में बदल गया था। इन पेशेवर योद्धाओं का उद्देश्य लूटमार से समृद्ध होना तो था ही, इस्लाम ने उसे एक नया उद्देश्य भी दे दिया था- जेहाद। मुस्लिम शासन ही नहीं हर सैनिक अपने आप को गाजी समझता था और इस्लाम न मानने वालों का कत्लेआम उनके जीवन का दूसरा उद्देश्य हो गया था। इन दोनों उद्देश्यों ने मुस्लिम आक्रांताओं को कभी अपने अभियान के लिए सैनिकों की कमी नहीं होने दी। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि इस्लाम की शक्ति के उदय ने यूरोेप को भी झकझोर दिया था और दोनों के संघर्ष में युद्ध की नई सामग्री विकसित हो रही थी। तोपखाना और तोड़ीदार बंदूकें इस दौर के नये हथियार थे। जिन्हें पाकर मुस्लिम आक्रांताओं की शक्ति बढ़ गई थी, इन्हीं सब कारणों ने तुर्कों-मुगलों को अजेय बना दिया था और भारत इस काल चक्र में फंस गया था।
इस पृष्ठभूमि में मुगल शासन की नींव पड़ी। बाबर उज्बेक था और पिता फरगाना के शासन थे। उनकी मृत्यु के समय बाबर अवयस्क था। इसलिए फरगान की सत्ता पाते ही उसका विरोध शुरू हुआ और उसे वहां से खदेड़ दिया गया। बाबर उलुगबेग के शिशु उत्ताराधिकारी की फौजों को हराकर काबुल का शासक बन बैठा। दिल्ली सल्तनत के निरंतर चलने वाले अंतर्संघर्ष के कारण इब्राहिम लोदी से असंतुष्ट दौलत खां लोदी के निमंत्राण पर उसने दिल्ली पर आक्रमण किया। उसे वास्तविक सफलता तब मिली जब उसने अपने तोप खाने के बल पर उस समय के सबसे शक्तिशाली राजा संग्राम सिंह को हरा दिया।
बाबर के पिता तैमूर के वंशज थे और मां चंगेज। केवल वह ही नहीं बल्कि सभी मुगल सम्राट अपने को मुगल के बजाय तैमूरी कहलाना ही पसंद करते थे तैमूर और चंगेज उस दौर के सबसे क्रूर योद्धा थे। तैमूर ने १३९८ में दिल्ली विजय के बाद उसके एक लाख निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतरवा दिया था। इतिहासकारों का आकलन है कि तैमूर के आक्रमणों में १.७ करोड़ लोगों की जानें गईं थी जो उस समय विश्व की जनसंख्या का ५ प्रतिशत था। तैमूर का वंशज होने के कारण मुगल शासकों को ईरानी शासकों का सहयोग प्राप्त होता रहा। 4७ वर्ष की आयु में बाबर की मृत्यु हो गई और हुमायूं गद्दी पर बैठा। लेकिन कुछ समय बाद अफगान शेरशाह सूरी से पराजित होकर उसे इरान में सफाविद शासकों की शरण लेनी पड़ी। १५4५ में शेरशाह और १५५4 में उसके बेटे की मृत्यु के बाद हुमायूं को फिर दिल्ली पर आक्रमण की हिम्मत हुई। १५५५ में मिली इस सफलता के अगले ही वर्ष उसकी मृत्यु हो गईं। उस समय अकबर केवल १3 वर्ष का था। अकबर की आरंभिक सफलता शिया बैरम खां के कारण हुई। उसे पानीपत की लड़ाई में राजा हेमचन्द्र के अचानक घायल हो जाने के कारण हारते-हारते सफलता हासिल हो गई थी।
वास्तव में अकबर से ही भारत में मुगल शासन का आरंभ माना जाना चाहिए। उसके बाद १७०७ तक लगभग डेढ़ शताब्दी तक मुगल शासन में स्थिरता रही। अकबर को अन्य सब मुस्लिम शासकों से अलग दिखाने के लिए यह कहा जाता है कि वह उदार था, दूसरे धर्मों के प्रति सहिष्णु था और उसने अपने विजय अभियान से भारत के अधिकाशं क्षेत्रों को एक शासन में बांध दिया। हालांकि अचेत हेमचन्द्र के साथ और चितौड़ विजय के बाद किले के ३० हजार निशस्त्रा लोगों के साथ उसने जो किया उससे उसकी वही छवि उभरती है जो सभी मुस्लिम शासकों की छवि थी- गाजी की छवि। लेकिन बाद में उसके व्यक्तित्व में उदारता और सहिष्णुता के लक्षण भी मिलते हैं। राजपूतों के हाथ मिलाना उसके राजनैतिक कौशल का परिचायक था, क्योंकि वे उस समय की एक बड़ी शक्ति थे। वह स्वभाव से कटट्र नहीं था और उसकी बहादुरी और उदारता के बहुत से किस्से उसे अन्य मुस्लिम शासकों से अलग सिद्ध करते हैं। लेकिन उसके नेतृत्व में जिस शासन की नींव पड़ी वह एक विदेशी शासन ही था, भारतीय शासन नहीं।
अकबर को ४९ वर्ष शासन करने का अवसर मिला। औरंगजेब को छोड़कर किसी और शासन को इतना लंबा समय नहीं मिला। लेकिन अन्य सब शासकों की तरह इन दोनों का समूचा शासन काल भी युद्ध करते ही बीता। इतिहासकार शेरशाह सूरी को उसके पांच वर्ष के शासन में ही राजस्व व्यवस्था सुदृढ़ करने और अकबर को मनसबदारी स्थापित करने का श्रेय देते हैं। लेकिन यह दोनों व्यवस्थाएं भारत में एक औपनिवेशिक सत्ता स्थापित करने वाली व्यवस्थाएं ही थीं। इतिहासकारों ने यह तथ्य भुुला दिया है कि मुस्लिम काल सैनिक शासन का काल है। अकबर की मनसबदारी उसी सैनिक शासन को औपचारिक स्वरूप देकर और मजबूत बनाने वाली थी। इसके साथ ही सारे राजस्व पर केन्द्रीय सत्ता का नियंत्राण हो गया था और सुल्तान राजस्व की अधिकांश वसूली सीधे करने लगे थे। इस तरह स्थानीय व्यवस्थाओं को चलाने के लिए राजस्व का जो भाग अलग कर लिया जाता था उसे भी हड़प लिया गया। राज सत्ता का उपयोग सैनिक अभियान के अलावा धर्मांतरण और मस्जिदें, मकबरे बनवाने में हुआ, राजधर्म निभाने में नहीं।
अकबर की मनसबदारी में ईरानी और तूरानी लोगों की भरमार थी। मंत्रिमंडल में जहां इरानी अधिक थे, वहीं मनसबदारी में उज्बेकों का दबदबा था। गिनती के राजपूतों को छोड़कर सभी मनसबदार मुस्लिम थे जिनमें ८७ प्रतिशत विदेशी थे। पैदल सेना में कुछ स्थानीय भर्ती के अलावा सेना में सब जगह विदेशी लोगों की ही भर्ती होती थी। इस रूप में मुस्लिम काल ने भारत को निशस्त्रा कर दिया था। राजस्व के केंद्रीकरण से मुस्लिम शासकों को बड़ी सेनाएं रखने की सुविधा मिल गई थी।
इस तरह स्पष्ट है कि मुस्लिम शासन के आरंभ में स्वशासन की भारतीय व्यवस्था को सैनिक शासन की केंद्रीय व्यवस्था में बदल दिया गया था। ऐसे शासन से साधारण लोगों को कोई अपेक्षा नहीं हो सकती थी। किसानों की आधी उपज सुल्तान की घोषित की गई। लेकिन राजस्व की वसूली की सारी मशीनरी बाहरी और विदेशी थी, इसलिए जबरन कहीं अधिक वसूली होती थी। न्याय की पंचायती व्यवस्था निर्जीव हो गई थी और बहुसंख्यक हिंदुओं के उत्पीड़न को रोकने की किसी से आशा नहीं की जा सकती थी। यह अराजकता की स्थिति थी जिससे केवल वे क्षेत्रा बचे रहे जहा स्थानीय हिन्दू शासन थे। राजपूतों, मराठों, बुंदेलों, दक्षिण के हिंदू राजाओं या मुगल निंयत्राण से बचे रहे पहाड़ी राजाओं के क्षेत्रा ही इस अराजकता से बचे थे।
यह अराजकता अंग्रेजी राज तक तो चली ही, कलेक्टर राज के रूप में आज भी कायम है। आज भी देश की अधिकांश आबादी के लिए शासन का अर्थ पुलिस के बल पर चलने वाला कलेक्टर राज ही है। इसकी नींव अंग्रेजों से भी पहले अकबर के शासन काल में पड़ गई थी, क्योंकि मनसबदारी के द्वारा सारा शासन बाहरी हाथों में चला गया था। जब तक हम अपने इतिहास को इस रूप में नहीं समझते, हम यह नहीं देख पाएंगे कि १३वीं शताब्दी से जो विदेशी शासन आरंभ हुआ उसने हमको अपने इतिहास से विच्छिन्न कर दिया और इस तरह विदेशी शासकों में महानता नहीं देखी जाती है।
नेवर पोस्टतब लुप्त नहीं होगी कोई सरस्वती
ओल्डर पोस्टऐसे उछाला गया जुमला : राम भरोसे हिन्दू होटल |
शहीद के घर का कुछ ऐसा था नजारा, शहीद के फौजी दोस्त की दास्तां सुनकर रो पड़ेंगे आप
कानपुर देहात-कुछ ऐसा अजीब नजारा था डेरापुर में शहीद रोहित के नगर का, चारो तरफ आंसुओ का सैलाब बह रहा था। जुसक घर के लिए कदम बढ़े थे लेकिन कुछ ही दूरी पहले जोर शोर से चीखें व दहाड़े मारती हुई महिलाओं की आवाजें आने लगीं। सुनकर गला रुंध गया, फिर भी आगे बढ़ते हुए घर से ५० कदम पहले ही खड़ा हो गया और वहां का दृश्य देख आंखे खुली रह गयी। घर के बाहर लोगों का तांता लगा था। सभी एक दूसरे को ढांढस बंधा रहे थे। एक तरफ चारपाई पर शहीद के पिता गंगादीन सिर झुकाए मस्तक पर हाँथ रखकर बैठे थे। लोग कुछ बोल रहे थे लेकिन उनके होंठ नहीं हिल पा रहे थे। सिर्फ आंखों में आंसू तैर रहे थे।
देखा तो घर की दहलीज पर मां विमला, पत्नी वैष्णवी, बहन प्रियंका दहाड़े मारकर रो रहे थे। क्योंकि किसी ने भाई, किसी ने पति, किसी ने बेटा तो किसी ने अपना दोस्त यार देश के लिए बलिदान जो कर दिया था। जहाँ में कुछ सवाल उमड़ रहे थे, इसलिए समीप ही खड़े एक सख्श पर नजर पड़ी, जो आंखों में तो गम लिए लेकिन कलेजे पर पत्थर रखकर लोगों से कुछ बता रहा था। जानकारी से पता लगा कि वह सुरजीत यादव है, जो रोहित का भाई और उसका पक्का यार था। जब उससे पूंछा गया तो उसने बताया कि वह और रोहित दोनों सगे भाई की तरह थे लेकिन उससे ज्यादा हम लोग पक्के दोस्त थे। साथ पढ़े लिखे और साथ खेले कूदे।
यहां तक कि हमारा सेना में चयन हुआ। ठीक उसके ७ या ८ माह बाद रोहित भी सेना में भर्ती हो गया। हम दोनों ने हर पल साथ बिताया। जब घर आना होता था तो फोन पर बात करके एक साथ छुट्टी लेने की कोशिश में जुट जाते थे। फिर यहां डेरापुर घर आकर खूब मस्ती करते थे। बोलते हुए अचानक उसकी आवाज़ टूटने लगी, कुछ पल शब्दो को विराम देने के बाद उसने कहा कि ऐसा लग रहा जैसे सब कुछ चला गया। फौजी हूँ तो सभी से कहना है कि मेरे भाई दोस्त के लिए दुआ करना। इतना कहकर वह चुप हो गया। घर से महिलाओं की चीत्कारें सुन सभी का दिल दहल रहा था। डेरापुर के अंबेडकर नगर में पुलवामा के शोपियां में शहीद हुए रोहित के घर का कुछ ऐसा आलम था।
डेरापुर का एक और लाल शहीद, आंखों में आंसुओं को लिए गर्व से पिता बोले |
यूपी में सरकार बनी तो खत्म होगा गुंडा राज, समस्याओं का होगा समाधान: राजनाथ- हरिभूमि, हरिभूमि
यूपी में सरकार बनी तो खत्म होगा गुंडा राज, समस्याओं का होगा समाधान: राजनाथ
राजनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार गन्ना किसानों की पाई-पाई चुकता कराएगी।
कैराना. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो गुंडे बदमाश जेल में होंगे। भाजपा का वादा है कि बहन-बेटी की आन-बान-शान पर आंच नहीं आने देगी। किसी को गुंडों के डर से पलायन नहीं करना पड़ेगा। कानून-व्यवस्था का राज होगा। हर व्यक्ति को सुरक्षा मिलेगी। उन्होंने कहा कि जब तक उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं आएगी तब तक समस्याओं का समाधान नहीं होगा।
राजनाथ ने मोदी सरकार के कामों को गिनाते हुए कहा कि किसानों के लिए बीमा फसल योजना लागू की है। केंद्र सरकार गन्ना किसानों की पाई-पाई चुकता कराएगी। वे सोमवार को यहां परिवर्तन यात्रा पहुंचने पर विजय सिंह पथिक राजकीय महाविद्यालय में आयोजित जनसभा को संबोधित कर रहे थे। पलायन के लिए चर्चित कैराना में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपना संबोधन को किसानों के इर्द-गिर्द फोकस रखा।
फसल बीमा योजना शुरू
उन्होंने कहा कि किसानों का दुख दर्द मैं जानता हूं। मैं भी किसान हूं। उन्होंने किसानों से पूछा-क्या इस साल यूरिया अथवा खाद की कोई दिक्कत हुई। नहीं आवाज आने पर उन्होंने भी कहा नहीं हुई क्योंकि मोदी सरकार ने इतना यूरिया और खाद उपलब्ध करा दिया है कि वह आज गांव-गांव तक में उपलब्ध है। मोदी सरकार ने किसानों के लिए फसल बीमा योजना शुरू की है।
कैराना भाजपा परिवर्तन यात्रा राजनाथ सिंह नरेंद्र मोदी |
कोविड-१९:पुरानी पगड़ियों से १० लाख मास्क बनाकर बच्चों को बांटने में जुटा सिख समाज २३-जून-२०२०
सिखों के सिर की शान पगड़ियां, अब जरूरतमंद बच्चों को कोरोना वायरस से बचाएंगी। घर-घर से पुरानी पगड़ियां लेकर उनसे मास्क बनाकर बच्चों को बांटा जा रहा है। सिख समाज ने पूरे देश में 'टरबन फॉर मास्क' अभियान चलाकर दस लाख मास्क बच्चों को बांटने की तैयारी की है। भारतीय जनता पार्टी के नेशनल सेक्रेटरी सरदार आरपी सिंह और उत्तरी दिल्ली के महापौर अवतार सिंह ने सोमवार को दिल्ली में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता को ५० हजार मास्क उपलब्ध कराकर अभियान की शुरूआत की।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भाजपा कार्यकतार् घर-घर जाकर स्कूली बच्चों के अभिभावकों को पगड़ियों से बने मास्क देंगे। बच्चों को कोरोना से बचाने के इस अभियान में भाजपा, शिरोमणि अकाली दल जैसे राजनीतिक संगठनों के अलावा यूनाइटेड सिंह सभा फाउंडेशन आदि समाजसेवी संगठन जुड़े हैं।
भाजपा के नेशनल सेक्रेटरी सरदार आरपी सिंह ने आईएएनएस को बताया, जम्मू-कश्मीर से लेकर दिल्ली, लखनऊ, हैदराबाद आदि शहरों में पुरानी पगड़ियों से बने मास्क का वितरण शुरू हो गया है। दस लाख मास्क बांटने का लक्ष्य है। फिलहाल ढाई लाख मास्क तैयार हो गए हैं। सिख समाज के लोगों को जब से पता चला कि पुरानी पगड़ियों से बच्चों के लिए मास्क बनाए जा रहे हैं तो हजारों लोग फोन कर अपनी पगड़ियां दे रहे हैं। एक पगड़ी से २५ से ३० मास्क तैयार होते हैं। कपड़े को ठीक से सैनिटाइज करने के बाद ही मास्क तैयार होता है, सिलाई के बाद फिर से सैनिटाइज कर पैक कर उपलब्ध कराते हैं।
सरदार आरपी सिंह ने कहा कि पगड़ी के लिए सिखों ने कई शहादतें दी है और अब जरूरत के समय इसे मास्क बनाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है। उत्तरी दिल्ली के महापौर अवतार सिंह ने कहा कि पगड़ियां सिखों की शान होती हैं। यह मास्क सूती और मलमल की पगड़ियों से तैयार किए गए हैं जिसे धोया भी जा सकता है। मास्क को सिलने में हर धर्म के लोगों ने अपना योगदान दिया और इसे सिलते वक्त साफ-सफाई और सैनिटाइजेशन का विशेष ध्यान रखा गया। |
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राजस्थान की राज्य सरकार ने हर वर्ग के लोगो को ध्यान मे रखते हुए कई प्रकार की योजनाए शुरू कर रखी है। उसी तरह, अब राजस्थान सरकार ने विकलांग पेंशन योजना की भी शुरुआत की हुई है। इस योजना के तहत राज्य के विकलांग लोगो को आर्थिक मदद दी जाएगी। इस विकलांग पेंशन योजना राजस्थान २०१९ के तहत , लाभार्थियो को हर महीने ७५०रुपए दिये जाएंगे। ताकि वह लोग इस राशि से अपने जीवन के निर्वाह के लिए जरूरी चीजे बाजार से खरीद सके।
राजस्थान के सामाजिक एवं न्यायिक और सशक्तिकरण विभाग के द्वारा ही इस विकलांग पेंशन योजना राजस्थान को दिया जाता है। इस पेंशन योजना के तहत, राज्य का हर विकलांग व्यक्ति आवेदन कर सकता है। और हर व्यक्ति को विकलांग पेंशन योजना राजस्थान के तहत हर महीने ७५० रुपए उसके खाता मे दिये जाएंगे। आवेदन करने के बाद, विभाग उन लाभार्थियो की सूची को तैयार करता है, जो इस पेंशन योजना के पात्र होते है। तो हम आपको विकलांग पेंशन योजना राजस्थान २०१९ की लाभार्थी सूची की जानकारी भी देंगे।
विकलांग पेंशन योजना राजस्थान २०१९
राजस्थान मे इस समय कई प्रकार की पेंशन और योजनाए चल रही है। राज्य के हर आम आदमी के लिए उसके वर्ग ने अनुसारा योजनाओ और पेंशन के अधीन लाभ दिया जाता है। इन सभी मे विकलांग लोगो को ध्यान से रखते हुए ही इस विकलांग पेंशन योजना राजस्थान की शुरुआत की है।
विकलांग पेंशन योजना राजस्थान के लिए पात्रता
आप इस योजना की हर जानकारी वैसे तो राजस्थान की सामाजिक सुरक्षा पेंशन की आधिकारिक वैबसाइट पे जाके ले सकते है।
आवेदन करने वाला आवेदन, राजस्थान का स्थायी निवासी होना जरूरी है।
आवेदक के परिवार की सलान आय ६० हज़ार रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।
व्यक्ति की विकलांगता कम से कम ४०% से अधिक होनी चाहिए ।
भामाशाह योजना के तहत पात्र व्यक्ति भी इस योजना के तहत लाभ ले सकता है।
अगर आप भी विकलांग पेंशन योजना राजस्थान २०१९ के तहत लाभ लेना चाहते है तो आपको इस योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के लिए आपके पास अपंगता प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है।
(हैंडीकैप्ड) विकलांग पेंशन योजना राजस्थान २०१९ के लिए ऑनलाइन आवेदन फॉर्म
राजस्थान विकलांग पेंशन योजना के आवेदन के लिए आपको इस योजना से जुड़ी आधिकारिक वैबसाइट पे जाना जरूरी है।
इस वैबसाइट से आपको आवेदन पत्र जोकि हिन्दी भाषा मे होगा को डाऊनलोड करना है।
फिर आपको सही जानकारी देते हुए इस योजना के आवेदन फॉर्म को ध्यान से भरना है।
आपको इस योजना क तहत प्पो नंबर प्राप्त करना होगा, जिसके लिए आपको अधिकारियों के पास आवेदन पत्र जमा करवाना होगा।
आवेदन के बाद, ही आप सभी इस योजना के तहत हर महीने पेंशन का लाभ ले सकते है।
राजस्थान विकलांग पेंशन योजना आवेदन का स्टेटस
जब आप इसके लिए ऑनलाइन आवेदन फॉर्म जमा कर देते है तो उसके बाद आपको कैसे पता चलेगा की आपको पेंशन मिलेगी या नहीं। तो दोस्तो आपको आवेदन के बाद अपने आवेदन फॉर्म की स्थिति जानने के लिए एक बार फिर से आधिकारिक वैबसाइट पे जाना जरूरी है। यहा से आपको पता चलेगा की आपका आवेदन फॉर्म मंजूर हुआ है, पेंडिंग है या फिर रद्द कर दिया गया है। जिसकी जानकारी वहा पर दी होगी।
आवेदन की स्थिति जानने के लिए आपको आधिकारिक वैबसाइट पे जाना होगा।
यहा पर आपको एक रिपोर्ट वाले लिंक पर क्लिक करना है।
यहा पर अपना आवेदन पत्र की संख्या को भरे और शो स्टेट्स पर क्लिक करे।
विकलांग पेंशन योजना २०१९ राजस्थान लाभार्थी सूची
जैसे ही आपका आवेदन फॉर्म मंजूर हो जाता है, इसका मतलब है की आपको हर महीने पेंशन दी जाएगी। पेंशन जिन भी लोगो की मिलेगी, विभाग उनकी एक अलग से सूची तैयार करेगा। इस सूची मे सभी लाभार्थियो के नाम होंगे। आप इस विकलांग पेंशन योजना राजस्थान लाभार्थी सूची को डाऊनलोड कर सकते है। जाने कैसे :-
आधिकारिक वैबसाइट पे जाये और व्हा पर रिपोर्ट वाले लिंक पे क्लिक करे।
आप यहा पर जिला वाइज़ लाभार्थियो की सूची को डाऊनलोड कर सकते है।
हमने आपको विकलांग पेंशन योजना राजस्थान २०१९ लाभार्थी सूची की हर जानकारी दे दी है। अगर आपको किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नजर आ रही है तो हमसे बात करे।
विकलांग पेंशन लाभार्थी लिस्टशारीरिक विकलांग पेंशन योजनाहैंडीकैप्ड पेंशन स्कीम राजस्थान
नेक्स्ट पोस्ट:[पंजीयन] रोजगार मेला राजस्थान २०१९ रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन |
होम स्पेशल दए रानी लक्ष्मीबाई की वीरता व पराक्रम का कोई तोड़ नहीं : सुनील...
खेड़ा कच्छवासा के सरदार पटेल युवा मंडल नेजपुर व सर्व समाज के युवाओं द्वारा रानी लक्ष्मीबाई की जयंती मनाई गई। युवाओं ने मौन रखकर रानी लक्ष्मीबाई को याद किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सुनील पटेल, विशिष्ट अतिथि उज्जवल आमलिया व अध्यक्षता शुभम सुथार ने की। मौके पर युवाओं ने लक्ष्मी बाई के शौर्य, पराक्रम को याद करते हुए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संकल्प लिया। बतौर मुख्य अतिथि सुनील पटेल, नेजपुर ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि रानी लक्ष्मीबाई की वीरता व पराक्रम का प्रतिमान अतुलनीय है। साल १८५८ में जून का १७वां दिन था जब खूब लड़ी मर्दानी, अपनी मातृभूमि के लिए जान देने से भी पीछे नहीं हटी।
छोटी सी उम्र में माँ से बिछोड़ा
मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी अदम्य साहस के साथ बोला गया यह वाक्य बचपन से लेकर अब तक हमारे साथ है। साथ ही विशिष्ट अतिथि उज्जवल आमलिया ने बताया कि रानी लक्ष्मीबाई का जन्म १९ नवंबर, १८२८ को बनारस के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्हें मणिकर्णिका नाम दिया गया और घर में मनु कहकर बुलाया गया। ४ बरस की थीं, जब मां गुज़र गईं। पिता मोरोपंत तांबे बिठूर ज़िले के पेशवा के यहां काम करते थे और पेशवा ने उन्हें अपनी बेटी की तरह पाला।
अध्यक्षता कर रहे शुभम सुथार ने कहा कि लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में १९ नवम्बर १८२८ को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था। उनकी माँ का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मोरोपंत एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान और धर्मनिष्ठ साल की थी तब उनकी माँ की मृत्यु हो गयी। क्योंकि घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नहीं था इसलिए पिता मनु को अपने साथ पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में ले जाने लगे। जहाँ चंचल और सुन्दर मनु ने सब लोग उसे प्यार से छबीली कहकर बुलाने लगे। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्र की शिक्षा भी ली। सन् १८४२ में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ और वे झाँसी की रानी बनीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। सन् १८५१ में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया। परन्तु चार महीने की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गयी। सन् १८५३ में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। पुत्र गोद लेने के बाद २१ नवम्बर १८५३ को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव रखा गया।
ब्रितानी राज ने अपनी राज्य हड़प नीति के तहत बालक दामोदर राव के ख़िलाफ़ अदालत में मुक़दमा दायर कर दिया। हालांकि मुक़दमे में बहुत बहस हुई, परन्तु इसे ख़ारिज कर दिया गया। ब्रितानी अधिकारियों ने राज्य का ख़ज़ाना ज़ब्त कर लिया और उनके पति के कर्ज़ को रानी के सालाना ख़र्च में से काटने का फ़रमान जारी कर दिया। इसके परिणामस्वरूप रानी को झाँसी का क़िला छोड़ कर झाँसी के रानीमहल में जाना पड़ा। पर रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होनें हर हाल में झाँसी राज्य की रक्षा करने का निश्चय किया। भाविक पाटीदार,भूपेंद्र सिंह,हितेश पाटीदार, दर्शन यादव,पंकज यादव,हितेश पाटीदार, दर्शन यादव, हीना सुथार, महावीर सिंह, कोमल तेली, पायल कलाल, दिव्या जोशी, अंजनी भगोरा व आँचल यादव मौजूद थे।
नेक्स्ट आर्टियलऑस्ट्रेलिया की आग दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के लिए जारी कैटास्ट्रॉफिक अलर्ट |
देवस्थान के पास गंदगी के विरोध में सामाजिक संगठनों ने डीएम को भेजा ज्ञापन
अल्हागंज १ अक्टूबर 20१6. नगर के देवस्थान बाराह पत्थर के पास में मैला जमा होने से श्रद्धालुओं तथा भक्तों को काफी तकलीफ हो रही है। इस स्थिति के चलते सामाजिक संगठन परशुराम सेना तथा जय बाबा बर्फ़ानी सेवा समिति ने आज नगर पंचायत चेयरमैन के माध्यम से डीएम को ज्ञापन प्रेषित किया है।
जानकारी के अनुसार चेयरमैन चंद्रेश गुप्ता ने पाँच मैला ढोने वालों को नोटिस जारी कर दिए हैं। सर पर मैला ढोने तथा कच्चे शौचालयों पर शासन द्वारा प्रतिबंध लगाऐ जाने के बावजूद नगर में अभी भी कुछ कच्चे शौचालय हैं जिनको लोग जल प्रवाहित शौचालयों में परिवर्तित नहीं कर रहे हैं। जिसके चलते अभी भी तकरीबन अाधा दर्जन महिलायें मैला ढोने का काम करते हुए उसे मंदिर के पास प्रमुख मार्ग के किनारे डालती हैं। नगर पंचायत प्रशासन ने कई बार उनको आगाह भी किया लेकिन वो अपनी जिद पर अडी हुई हैं। जिसकी वजह से मंदिर आने जाने वालों को गंदगी और बदबू से होकर गुजरना पडता है। इसी के चलते सामाजिक संगठनों में आक्रोश व्याप्त हुआ और आज शनिवार को परशुराम सेना व जय बाबा बर्फ़ानी के सदस्यों ने नगर पंचायत चेयरमैन चंद्रेश गुप्ता की मार्फत जिलाधिकारी को ज्ञापन प्रेषित कर उनसे सर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त कराने तथा इलाके में सफाई कराने की माँग की है।
ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से अमित बाजपेयी, मनोज मिश्रा, उर्जितेश्वर शुक्ला, लाली अग्निहोत्री, कमलेश शुक्ला, चंदन शुक्ला, केशव तिवारी, भानू मिश्रा, अजय गुप्ता, महेश, राधेश्याम सक्सेना, मुंशी लाल, श्याम पाल, धीरेन्द्र सिंह सहित तमाम लोग शामिल थे।
देवस्थान के पास गंदगी के विरोध में सामाजिक संगठनों ने डीएम को भेजा ज्ञापन रेवीव्द बाय पुनीत निगम ऑन ७:४१ प्म रेटिंग: ५ |
हैथवे ने बहुत सफलता मिलने के बारे में कभी नहीं सोचा था | विश्वतिम्स
होम हैथवे ने बहुत सफलता मिलने के बारे में कभी नहीं सोचा था
हैथवे ने 'ईटीऑनलाइन डॉट कॉम' को बताया, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि सबकुछ इतना अच्छा होगा और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अभी भी इतनी कड़ी मेहनत करूंगी जितना मैं कर रही हूं। लेकिन, मैं इसे पसंद करती हूं। मैं सच में ऐसा कर खुद को खुशकिस्मत मानती हूं।"
फिल्म 'ओशंस ८' की अभिनेत्री ने कहा कि अभिनय करना कभी आसान नहीं होता और शोहरत हासिल करने के बाद भी कलाकारों को अलग तरीके से कड़ी मेहनत व काम करना होता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में आपको उतनी ही कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी जितनी कि आप तब करते हैं जब शुरू में आपको कोई नहीं जानता है। |
हांगकांग में प्रदर्शनकारी जिमी शाम पर हथौड़ों से हमला | | संमार्ग
हांगकांगः सबसे बड़े लोकतंत्र समर्थक समूहों में से एक नेता जिमी शाम पर हांगकांग में हथौड़ों से हमला हुआ है। इससे लोग और आक्रोश हो गए। इस हमले को सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया गया है। यह हमला हथौड़ा चलाने वाले एक समूह ने किया था। घायल अवस्था में जिमी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।
यह हमला ऐसे समय हुआ है जब अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने हांगकांग में लोकतंत्र के समर्थन में एक बिल पास किया है। उसमें मानवाधिकार पर चिंता व्यक्त की गई है। अमेरिका के इस कदम से चीन भी बौखला गया है। चार महीने पहले चीन के साथ प्रत्यर्पण संधि के विरोध में शुरू हुआ आंदोलन अब लोकतंत्र की मांग के आंदोलन में तब्दील हो गया है। इसे अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों का समर्थन हासिल है।
बीते सप्ताह सरकार ने जब फेस मास्क पर प्रतिबंध लगाया तो आंदोलनकारी भड़क उठे। इसके बाद दसियों हजार आंदोलनकारी सड़कों पर उतरकर दर्जनों स्थानों पर पुलिस से जूझे। सरकार ने उस रात को स्वायत्त क्षेत्र की काली रात कहा था। |
दिलेर समाचार, नई दिल्ली: अगर आप लॉकडाउन (लॉकडाउन) के बाद की नौकरी और संभावित आर्थिक तंगी के लिए परेशान हो रहे हैं तो चिंता छोड़ दीजिए. आपको अगले तीन महीने भी ज्यादा सैलरी मिलने वाली है. इससे भी अच्छी बात ये है कि मोदी सरकार (मोदी गोवत.) अगले तीन महीने तक आपके प्फ खाते में पैसा डालने वाली है.
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आग १ , २०२० 26१68
बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोप में ७९ वर्षीय व्यक्ति गिरफ्तार
चिंता में रहने वाले लोग कर रहे हैं अपना सबसे बड़ा नुकसान |
- पुलिस के रवैय्ये से लोग खफा, लखीमपुर खेरी न्यूज इन हिन्दी -अमर उजाला बेहतर अनुभव के लिए अपनी सेटिंग्स में जाकर हाई मोड चुनें।
क्रासर करबला की जमीन पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए फोर्स नहीं भेजने का आरोपबिजुआ। पिछले कई सालों से करबला की जमीन पर एक फार्मर के अवैध कब्जे को हटवाने का प्रशासन का आदेश पुलिस फोर्स न भेजे जाने से फुस्स हो गया। थाने में चार घंटे से अधिक समय चली बातचीत में हजारों की तादाद में ग्रामीण थाने को घेरे रहे। भीरा के उत्तर दिशा में करबला की ९.९7 एकड़ जमीन पर नगर के अलावा मगही, गोदाटांडा, सलामत नगर, पसियापुर व चक गांव के ताजिए सालों से दफनाए जाते रहे हैं। इस जमीन के ढाई एकड़ के करीब हिस्से पर इलाके के कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया था, जिसे हटवाने के लिए अंजुमन मुस्लिम तालिमा उत्थान कमेटी, जामा मस्जिद भीरा के सदर रियासत और सेक्रेटरी इश्तियाक खां की अगुवाई में मार्च माह से मुस्लिम समुदाय के लोग अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। पिछले हफ्ते सैकड़ों ग्रामीणों ने एसडीएम पलिया दफ्तर का घेराव करके जमीन की नाप कराके हदबंदी कराए जाने का आदेश करवाया था। जिससे कुछ दिन पहले इस जमीन की नाप में एक एकड़ में दो लोगों का चारा बोया था, जिसे उसी दिन खाली करा लिया गया, लेकिन डेढ़ एकड़ में एक फार्मर का गन्ना बोए होने से कब्जा नही हट सका था, चार दिन पहले फिर से कमेटी के लोग एसडीएम से मिले। एसडीएम पलिया ने करबला की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किए लोगों को बेदखल करने के लिए एसओ भीरा के नाम दस्ती आदेश बनाकर ग्रामीणों को दे दिया। शनिवार को कब्जा दिलाने के लिए कानूनगो रामपाल राजवंशी के भीरा पहुंचने पर ग्रामीण फोर्स मुहैय्या कराने के लिए एसडीएम का आदेश लेकर एसओ राजेश कुमार के पास पहुंचे। आरोप है कि एसओ ने गन्ना कटवाने के लिए फोर्स भेजने से इंकार कर दिया, नाराज ग्रामीण कई घंटे थाने को घेरे जमा रहे। इस बीच कमेटी के प्रतिनिधि एसओ से वार्ता करने पहुंचे। वहीं आरोपी कब्जेदार के थाने न पहुंचने पर एसओ ने ही कमेटी के लोगों से मुआवजा लेने की बात कही। चार घंटे तक चले इस घटनाक्रम में थाने के बाहर सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा रही। ०००००वर्जन...मेरे पास कमेटी के लोग आए थे, इस दौरान भीड़ जमा नहीं हुई थी मैने ही लोगों को वार्ता के लिए बुलाया था। दोनों पक्ष राजी हो गए हैं। करबला की जमीन से कब्जा हटाने के लिए फार्मर गन्ना काटने के बाद खाली करवा देगा। इस मामले में मुझे कब्जा हटवाने का आर्डर नही मिला है।-राजेश कुमार, एसओ भीरा०००० वर्जन....एसडीएम के आदेश की दस्ती कागज लेकर कमेटी के लोगों के साथ गांव के लोग पहुंचे थे, लेकिन एसओ ने कब्जा हटवाने वाला आदेश मानने से इंकार कर दिया था।-इश्तियाक, सेक्रेटरी/मैनेजर, अंजुमन कमेटी भीरा। |
ऑस्ट्रेलिया में चल रहे २१वें कामनवेल्थ गेम्स में श्रेयसी सिंह ने मेजबान ऑस्ट्रेलिया के एम्मा कॉक्स को पीछे छोड़ते हुए डबल ट्रैप शूटिंग में स्वर्ण (गोल्ड मैडल) जीता| इस से पहले श्रेयसी को २०१४ में ग्लासगो कामनवेल्थ में रजत पदक से संतोष करना पड़ा था|
दिल्ली में जन्मी २६ वर्षीय श्रेयसी बिहार के जमुई जिले के गिधौर के राजसी परिवार से आती हैं| हंसराज कॉलेज कि छात्रा श्रेयसी की माता पुतुल सिंह बिहार के बांका की पूर्व सांसद हैं| उनके पिता श्री दिग्विजय सिंह जी, एवं दादा कुमार सुरेन्द्र सिंह जी भारतीय राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं|
श्रेयसी इस से पहले २०१० कामनवेल्थ में भी हिस्सा ले चुकी हैं, जहाँ सिंगल ट्रैप में वो छठे स्थान पर और पेयर ट्रैप में पांचवें स्थान पर रही थी| २०१४ एशियाई गेम्स में उन्होंने डबल ट्रैप टीम इवेंट में शगुन चौधरी और वर्षा वर्मन के साथ कांस्य पदक जीता था|
श्रेयसी को बधाई देते हुए चकाई के विधायक सुमित कुमार सिंह ने फेसबुक पर ये सन्देश दिया
प्रेवियस पोस्ट प्रेवियस पोस्ट: फेस आॅफ पटना में छाएगा मॉडलों का जलवा, बिहार में पहली बार रैंप पर उतरेंगी ट्रांस जेंडर मॉडल्स
नेक्स्ट पोस्ट नेक्स्ट पोस्ट: फेस ऑफ़ पटना आगाज़ से अंजाम तक पहुँचने को तैयार |
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बंदा खरीद केंद्र में दूसरे दिन भी हुआ हंगामा
अतर्रा। कृषि उत्पादन मंडी समिति स्थित विपणन शाखा के गेहूं खरीद केंद्र में दूसरे दिन भी किसानों ने हंगामा काटा। एसडीएम कार्यालय के सामने प्रदर्शन व नारेबाजी की। एडीएम के निर्देश पर तहसीलदार ने केंद्र पहुंचकर खरीद शुरु कराई। बृहस्पतिवार को फिर एक असरदार व्यक्ति ने गेट के सामने अपना गेहूं तौलने को डाल दिया। इससे १० दिन से अपनी बारी का इंतजार कर रहे किसान मारपीट पर उतारू हो गए। हाथापाई की नौबत देख केंद्र प्रभारी लाल प्रताप सिंह ने असरदार व्यक्ति को अपना गेहूं हटाने के लिए समझाया-बुझाया। किसानों ने अपर जिलाधिकारी को घटना की सूचना दी। एसडीएम कार्यालय के सामने हंगामा मचाते हुए नारेबाजी की। एडीएम के आदेश पर तहसीलदार आत्मास्वरूप श्रीवास्तव ने केंद्र पहुंचकर स्थिति संभाली और खरीद शुरू कराई। किसान रामफल (बछेही) ने एसएमआई से रोते हुए बताया कि उसके घर में शुक्रवार को तेरहवीं है। १० दिन से तौल का इंतजार कर रहा है। राजा सिंह, राजाबाबू, संतोष सिंह, रामबहादुर (तेरा ब), बच्चा (महुटा), जग प्रसाद (बछेही), राजबहादुर व रामपाल (लोधौरा) ने अपनी मुसीबत बताई। एसएमआई ने कहा कि स्टाफ की कमी और गेहूं की आवक अधिक होने से मुश्किल हो रही है। कहा कि दबंग व असरदार लोग मुश्किल और बढ़ा रहे हैं। कैसा लगा |
नयी दिल्ली, २ जुलाई (भाषा) लोकसभा ने मंगलवार को भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक २019 को मंजूरी दे दी जिसमें भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) के कार्यो को दो वर्षो के लिये एक शासी बोर्ड को सौंप जाने और इस दौरान परिषद का पुनर्गठन करने का प्रस्ताव किया गया है। निचले सदन में भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (संशोधन) विधेयक-२019 पर चर्चा हुई। यह विधेयक इस संबंध में भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन दूसरा अध्यादेश २019 को प्रतिस्थापित करने के लिये लाया गया है। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि एमसीआई में एक भी सदस्य नहीं होने और रिक्तता की स्थिति बनने के बाद २010 की व्यवस्था का अनुसरण करते हुए शासी बोर्ड बनाया गया जिसने पिछले आठ महीने में देश में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव और काम किये हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठित डॉक्टरों वाले इस बोर्ड ने पिछले करीब आठ महीने में एमबीबीएस की १५ हजार सीटें बढ़ा दीं जो अपने आप में रिकार्ड है। बोर्ड ने ज्यादा मेडिकल कॉलेजों की अनुमति दी और नियामक समयसीमाओं को पूरा किया।हर्षवर्धन ने कहा कि यह एक अस्थाई व्यवस्था है और सरकार जल्द स्थाई समाधान के तौर पर राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक लेकर आएगी।उन्होंने कहा, एनएमसी विधेयक जल्द संसद में आएगा और स्थाई व्यवस्था बनेगी। उन्होंने सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि सरकार का एमसीआई की स्वायत्तता को खत्म करने का कोई इरादा नहीं है। वह बोर्ड के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करती और केवल कामकाज पर निगरानी रखती है।हर्षवर्धन ने शासी बोर्ड के कामकाज का उल्लेख करते हुए कहा कि अध्यापकों की गुणवत्ता और सीटें बढ़ाने में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने अधिकतर राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए सीटों को लागू कर दिया। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर, एन के प्रेमचंद्रन और सौगत राय के इस संबंध में लाये गये एक सांविधिक संकल्प को निरस्त करते हुए विधेयक को मंजूरी दे दी । इससे पहले विधयेक को चर्चा एवं पारित होने के लिये रखते हुए डा. हर्षवर्धन ने कहा कि २010 में संप्रग सरकार के समय ही यह धारणा बन गई थी कि भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) में भ्रष्टाचार का बोलबाला है और यह अपनी उस जिम्मेदारी को निभाने में असफल रहा है जो उसे दी गई थी। उन्होंने कहा कि उसी श्रृंखला में बोर्ड आफ गवर्नर्स (शासी बोर्ड) बनाया गया। पिछले कुछ महीने में इस संचालक मंडल ने बहुत अच्छा काम किया है। मंत्री ने कहा कि इस संबंध में पिछली सरकार के समय विधेयक संसद में पारित नहीं हो सका था। इसलिये अध्यादेश लागू किया गया। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने इस संबंध में लाये गये अध्यादेश को नामंजूर करने के लिए एक सांविधिक संकल्प पेश किया था । इस संबंध में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम विधेयक का नहीं लेकिन इस संबंध में लाये गए अध्यादेश के रास्ते का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य मंत्री अध्यादेश लाने के कारण स्पष्ट नहीं कर सके। चौधरी ने कहा कि सरकार इस संबंध में अध्यादेश पर अध्यादेश लाने के बजाय चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में स्थाई समाधान क्यों नहीं निकालती और एक व्यापक विधेयक लेकर क्यों नहीं आती। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम १९५६ को भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद के पुनर्गठन और भारत के लिये एक चिकित्सक रजिस्टर रखे जाने तथा संबंधित विषयों का उपबंध करने के लिये अधिनियमित किया गया था। इस परिषद के कामकाज की काफी लंबे समय से समीक्षा हो रही थी और उसकी अनेक विशेषज्ञ निकायों द्वारा समीक्षा की गई थी जिसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की विभाग संबंधी संसदीय समिति भी शामिल थी । इस समिति ने मार्च २016 में अपनी रिपोर्ट में परिषद पर गंभीर आरोप लगाये थे । समिति ने यह सिफारिश की थी कि सरकार को यथाशीघ्र एक नया व्यापक विधेयक लाना चाहिए जिससे आयुर्विज्ञान शिक्षा और आयुर्विज्ञान व्यवसाय कर विनियामक प्रणाली की पुन: संरचना और पुनरूद्धार किया जा सके । इसके तहत दिसंबर २017 में लोकसभा में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक २017 पुन:स्थापित किया गया था जो सोलहवीं लोकसभा के विघटन के कारण खत्म हो गया । बहरहाल, उक्त परिषद द्वारा की गई मनमानी को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा उस परिषद के स्थान पर एक वैकल्पिक तंत्र स्थापित करने के लिये तुरंत उपाय करना जरूरी था जिससे देश में आयुर्विज्ञान शिक्षा के प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता लायी जा सके । इस उद्देश्य से यह तय किया गया है कि भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद के कार्यों को दो वर्षों की अवधि या उस समय तक जब तक उक्त परिषद का पुनर्गठन नहीं हो जाता, तब तक एक शासी बोर्ड को कार्यों को सौंपा जाए । इस प्रस्तावित बोर्ड में विख्यात डाक्टर भी शामिल हों । इसमें कहा गया कि चूंकि संसद सत्र में नहीं थी और अत्यावश्यक विधान बनाना जाना जरूरी था, इसलिये राष्ट्रपति ने २6 सितंबर २018 को भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन अध्यादेश २018 प्रख्यापित किया था ।(यह आर्टिकल एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड हुआ है। इसे नवभारतटाइम्स.कॉम की टीम ने एडिट नहीं किया है।) |
नयी दिल्ली, २३ सितंबर (भाषा) वैश्विक बाजार के सकारात्मक संकेतों के बीच सटोरियों के अपने सौदे बढ़ाने से सोमवार को सोना वायदा भाव ०.२९ प्रतिशत बढ़कर ३७,8०5 रुपये प्रति दस ग्राम रहा। एमसीएक्स पर अक्टूबर डिलीवरी के लिए सोना वायदा भाव 1०8 रुपये यानी ०.२९ प्रतिशत बढ़कर ३७,8०5 रुपये प्रति दस ग्राम रहा। इसके लिए २,२74 लॉट का कारोबार हुआ। इसी प्रकार दिसंबर डिलीवरी के लिए यह भाव 5२ रुपये यानी ०.१४ प्रतिशत तेजी के साथ ३८,5२4 रुपये प्रति 1० ग्राम रहा। इसके लिए 7०3 लॉट का कारोबार हुआ। वैश्विक स्तर पर न्यूयॉर्क में सोना भाव ०.५५ प्रतिशत की तेजी के
नयी दिल्ली, २३ सितंबर (भाषा) वैश्विक बाजार के सकारात्मक संकेतों के बीच सटोरियों के अपने सौदे बढ़ाने से सोमवार को सोना वायदा भाव ०.२९ प्रतिशत बढ़कर ३७,8०5 रुपये प्रति दस ग्राम रहा। एमसीएक्स पर अक्टूबर डिलीवरी के लिए सोना वायदा भाव १०8 रुपये यानी ०.२९ प्रतिशत बढ़कर ३७,8०5 रुपये प्रति दस ग्राम रहा। इसके लिए २,२74 लॉट का कारोबार हुआ। इसी प्रकार दिसंबर डिलीवरी के लिए यह भाव 5२ रुपये यानी ०.१४ प्रतिशत तेजी के साथ ३८,5२4 रुपये प्रति १० ग्राम रहा। इसके लिए 7०3 लॉट का कारोबार हुआ। वैश्विक स्तर पर न्यूयॉर्क में सोना भाव ०.५५ प्रतिशत की तेजी के साथ १,5२३.5० डॉलर प्रति औंस रहा। |
संयुक्त राज्य अमेरिका पर ट्रेलर प्रकाश गर्म बिक्री का नेतृत्व किया,यूरोपीय,बिक्री पर ट्रैफिक लाइट का नेतृत्व किया - बाय एलईडी आपातकालीन काम कर रहे प्रकाश,एलईडी काम कर रहे प्रकाश,ऑफ्रोड प्रकाश बार नेतृत्व किया प्रोडक्ट ऑन अलीबाबा.कॉम
संयुक्त राज्य अमेरिका पर ट्रेलर प्रकाश गर्म बिक्री का नेतृत्व किया, यूरोपीय, बिक्री पर ट्रैफिक लाइट का नेतृत्व किया
१२ व, ९-३६ व डीसी
उपयोग ४ क्री ज़्म-एल उ३ एल ई डी
सीएनसी &#३९;ड ६०६३ एल्यूमीनियम मिश्र धातु
(निविड़ अंधकार, पनडुब्बी २.५ म करने के लिए)
संयुक्त राज्य अमेरिका मानक निर्यात पैकेज पर ट्रेलर प्रकाश गर्म बिक्री का नेतृत्व किया, यूरोपीय, बिक्री पर ट्रैफिक लाइट का नेतृत्व किया
निर्दिष्टीकरण (प्रति प्रकाश):
चिप्स:उपयोग ४ क्री ज़्म-एल एल ई डी
वोल्टेज: ९-३६ व डीसी
वाट क्षमता:४० व
आवास:सीएनसी 'ड ६०६३ एल्यूमीनियम मिश्र धातु
हार्डवेयर और ब्रैकेट सामग्री:स्टेनलेस स्टील
एलईडी जीवन प्रत्याशा: ५०,००० घंटे
इप६८ (निविड़ अंधकार, पनडुब्बी २.५ म करने के लिए)
एक एकल प्रकाश में कवरेज अधिकतम निशान. ड्राइविंग/कॉम्बो पैटर्न विस्तृत ड्राइविंग दोनों के साथ सुसज्जित है (४२ डिग्री) और स्पॉट (६ डिग्री) प्रकाशिकी के साथ आप प्रदान करने के लिए प्रकाश की एक चिकनी मिश्रण दोनों निकट क्षेत्र अनुप्रयोगों और दूरीके बारे में ७५% एक ६ डिग्री शंकु में प्रकाश है और एक ४२ डिग्री शंकु में बाकी है है।
प्रयोग ड्राइविंग प्रकाश |
जौनपुर: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष ने अधिकारियों के साथ की बैठक | #आपकिउम्मिद - उम्मीद
होम जौनपुर जौनपुर: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष ने अधिकारियों के साथ की बैठक | #आपकिउम्मिद
जौनपुर: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष ने अधिकारियों के साथ की बैठक | #आपकिउम्मिद
जौनपुर। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष अनुसुइया यू.के. ने सोमवार को कलेक्ट्रेट मीटिंग हाल में जिलाधिकारी अरविन्द मलप्पा बंगारी एवं सम्बंधित जिलास्तरीय अधिकरियों के साथ बैठक की।
जिसमें उन्होंने कहा कि जिले में उनके आने का उद्देश्य है कि यहां पर रह रहे अनुसूचित जनजाति के लोगों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी प्राप्त करना। उन्होंने कहा कि संज्ञान में आया है जिले में जाति प्रमाण पत्र के लिए अनुसूचित जनजाति के लोगों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राजस्व रिकार्ड, फसली रिकार्ड, कुटुंब परिवार एवं टीसी में अगर गोंड जाति नाम रजिस्टर्ड है तो यह तीनों चीजें प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए उपयुक्त है।
लेखपाल द्वारा गलत रिपोर्ट लगाकर आवेदन निरस्त करने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ लोग फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी कर रहे हैं जिस पर अनुसूचित आयोग बहुत ही गंभीर है। कुछ समूह हैं जो नहीं चाहते कि अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र निर्गत हो सके। प्रमाण पत्र निर्गत न होने के कारण अनुसूचित जनजाति के लोगों को नौकरी, छात्रवृत्ति एवं सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की सुविधा प्राप्त करने में असुविधा हो रही है तथा वे लाभ पाने से वंचित भी रह जाते हैं।
उन्होंने कहा कि जाति निर्धारण का कार्य तहसीलदार अथवा लेखपाल द्वारा नहीं किया जा सकता, अगर कोई आपत्ति आती है तो उसे जॉच कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करें। उन्होंने कलेक्ट्रेट परिसर में गोंड समाज के लोगों के चल रहे धरने को भी समाप्त करवाया। आश्वासन दिया कि शासन की अनुसूचित जनजातियों से सम्बन्धित योजनाओं का लाभ अनुसूचित जनजाति के लोगों को प्रदान किया जायेगा।
जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी ने कहा कि उपाध्यक्ष द्वारा जो भी निर्देश दिए गए हैं उनका कड़ाई से अनुपालन कराया जाएगा। उन्होंने समस्त उपजिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि इस सम्बन्ध में समस्त तहसीलदार एवं लेखपालों की बैठक बुलाकर इस समस्या के निस्तारण के लिए आवश्यक कार्यवाही करें। इसमें लापरवाही करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी गौरव वर्मा, अपर जिलाधिकारी (वि./रा.) आरपी मिश्र, अपर जिलाधिकारी (भू.रा.) रामआसरे सिंह, समस्त उपजिलाधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी विपिन यादव, जिला प्रोबेशन अधिकारी संतोष कुमार सोनी, तहसीलदार केराकत, सदर एवं गोंड समाज के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। |
राजेश अग्रवाल अशोक लेलैंड कोल इंडिया टेक महिंद्रा युनाइटेड ब्रेवरीज वेदांत
ओम कैपिटल के रिसर्च प्रमुख राजेश अग्रवाल (राजेश अग्रवाल) ने गुरुवार के एकदिनी कारोबार के लिए टेक महिंद्रा (टेक महिंद्रा), वेदांत (वेदनता) और युनाइटेड ब्रेवरीज (यूनाइटेड ब्रेवरीज) के शेयर बेचने, कोल इंडिया (कोल इंडिया) तथा अशोक लेलैंड (अशोक लीलैंड) के शेयर खरीदने की सलाह दी है।
राजेश अग्रवाल ने टेक महिंद्रा (६०३.१०) को ५८९.०० रुपये के लक्ष्य के साथ बेचने की सलाह दी है और इस सौदे में घाटा काटने का स्तर (स्टॉप लॉस) ६१५.०० रुपये रखने के लिए कहा है। वेदांत (३१५.७०) के लिए उन्होंने सलाह दी है कि इसे ३०७.०० रुपये के लक्ष्य के साथ बेचें। इस खरीदारी सौदे में घाटा काटने का स्तर ३२१.०० रुपये होगा। यूनाइटेड ब्रेवरीज (१०94.४५) को १०60.०० रुपये के लक्ष्य के साथ बेचने के लिए कहा गया है और इसमें घाटा काटने का स्तर ११२५.०० रुपये का है।
राजेश अग्रवाल ने कोल इंडिया (२९७.६०) को ३०७.०० रुपये के लक्ष्य भाव के साथ खरीदने के लिए कहा है, जबकि इस सौदे में घाटा काटने का स्तर २९०.०० रुपये का है। उन्होंने अशोक लेलैंड (१३२.९०) को १४०.०० रुपये के लक्ष्य के साथ बेचने की सलाह दी है और इसमें घाटा काटने का स्तर १२८.०० रुपये पर रखने की सलाह दी है।
(शेयर मंथन, ०८ फरवरी २०१८) |
सभी मनुष्य एक ईश्वर की संतान होने के नाते एक परिवार के सदस्य होते हुए भी विचारों में भिन्नता होने के कारण अनेक संपद्राय, समाज और धर्मों में बंट गए हैं। धर्म के मौलिक तत्व शांति, प्रेम, पवित्रता इन सभी से हम वंचित हो गए हैं ये बात ओड़िशा के संबलपुर में माउंट आबू से आए धार्मिक प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बीके रामनाथ ने पावन सरोवर में आयोजित एक ईश्वर-एक विश्व परिवार विषय पर आयोजित सर्वधर्म सम्मेलन के दौरान कही। इस मौके पर हिंदू धर्म से स्वामिनी विष्णुप्रिया नंदा, मुस्लिम से मौलाना साहाबुद्देन खान, सिक्ख धर्म से सुरजीत सिंह, क्रिश्यन धर्म से फादर आल्फांस टोप्पो, सेवाकेंद्र प्रभारी बीके पार्वती ने भी खुदा को पाने के लिए पहले अपने आप को जानने की जरूरत बताई।
सभी धर्मों के प्रतिनिधियों को सेवाकेंद्र के द्वारा ईश्वरीय सौगात भी भेंट की गई और माउण्ट आबू आने का निमंत्रण दिया गया।
स्व उन्नति के लिए ४ दिनों के लिए विशेष कार्यक्रम भी सेवाकेंद्र पर आयोजित किया गया। जिसमें विधायक डॉ. राजेश्वरी पानीग्रही, विकास ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के मैनेजिंग डायरेक्टर जी भास्कर, स्पेशल लैंड एक्विशन ऑफिसर सीतांशू त्रिपाठी, बीके रामनाथ, सेवाकेंद्र प्रभारी बीके पार्वती समेत अनेक वक्ताओं ने मन जीते जगतजीत पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा कि जितना हमारा मन उत्तेजित होता जा रहा है हम खुद से दूर होते जा रहे हैं जिसके लिए राजयोग के अभ्यास द्वारा मन को कंट्रोल कर सकते हैं।
४ दिनों तक सेवाकेंद्र से जुड़े युवा, महिला और वरिष्ठ लोगों के लिए अलग अलग कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें राजयोग की अनुभूति के साथ प्रश्नोत्तर का भी सेशन रखा गया।
इसके अलावा बुर्ला में बसंतपुर के वीएसएसयूटी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में बीके रामनाथ ने मोटिवेशनल योगा प्रोग्राम के तहत युवाओं को बताया कि मन को कैसे स्थिर और शांत बनाएं तथा एकाग्रता की शक्ति से सफलता हासिल करें। |
अनिल कुंबले ने जताई आशंका, धोनी की दुबारा टीम में वापसी का भरोसा नही | लाटेस्ली हिन्दी
अनिल कुंबले ने जताई आशंका, धोनी की दुबारा टीम में वापसी का भरोसा नही
टीम इंडिया के पूर्व कोच एवं कप्तान अनिल कुंबले (अनिल कुंबले) ने भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (म्स धोनी) की भारतीय टीम में दोबारा वापसी पर संदेह जताया है. कुंबले ने क्रिकेट नेक्स्ट से बातचीत में कहा कि मुझे पक्का यकीन नहीं है कि धोनी वर्तमान टीम इंडिया में जगह पाने के हकदार हैं.
ऐसे में चयनकर्ताओं को उनके भविष्य को लेकर चर्चा करनी चाहिए. फिर भी धोनी एक अच्छी विदाई के हकदार हैं, क्योंकि उन्होंने भारतीय क्रिकेट में अपना बेहतरीन योगदान दिया है. मुझे लगता है कि ऋषभ पंत ने एक विकेटकीपर और बल्लेबाज के रूप में अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है. यह भी पढ़ें- इंड व्स वी २न्द टेस्ट २019: विराट कोहली ने रचा इतिहास, बनें टीम इंडिया को सबसे ज्यादा टेस्ट मैच जीताने वाले कप्तान
बता दें कि धोनी ने इंग्लैंड में खेले गए आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप २०१९ के बाद से अपने आपको क्रिकेट के मैदान से दूर रखा है. वहीं १५ सितंबर से शुरू हो रहे घरेलू सीरीज के लिए भी उनको टीम में जगह नहीं मिली है.
अनिल कुंबले म्स धोनी अनिल कुंबले टीम इंडिया महेंद्र सिंह धोनी |
बौखलाई कांग्रेस, कहा- येद्दियुरप्पा के शपथ लेने की रिपोर्ट अगर सही है तो यह 'लोकतंत्र की ह्त्या' के समान
नई दिल्ली : कांग्रेस ने कर्नाटक भाजपा के प्रवक्ता के इस दावे को चौंकाने वाला बताया कि बी एस येद्दियुरप्पा को कल शपथ दिलायी जाएगी। इसके साथ कांग्रेस ने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या करने, संविधान को कुचलने तथा सभी परंपराओं की अनदेखी किए जाने के समान होगा।कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यह भी कहा कि बहुमत को भाजपा और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की मनमर्जी से नियंत्रित नहीं किया जा सकता।सुरजेवाला ने ट्विटर पर कहा, अगर यह सच है तो चौंकाने वाला है ? यह लोकतंत्र की हत्या, संविधान को कुचलने और सभी परंपराओं की अनेदखी के समान होगा। भाजपा और मोदी सरकार की मनमर्जी से बहुमत को कमजोर नहीं किया जा सकता है। वह सुरेश कुमार द्वारा कन्नड़ में लिखे गए एक ट्वीट पर प्रतिव्रिया व्यक्त कर रहे थे। कुमार ने ट्वीट किया , बी एस येदियुरप्पा कल सुबह ९.३० बजे राज भवन में मुख्यमंत्री के रुप में शपथ लेंगे। हम सभी इस अवसर पर एकत्र हों। कर्नाटक भाजपा ने भी इस बारे में ट्वीट किया लेकिन दोनों पोस्ट को बाद में हटा दिया गया।इस बीच राजभवन से कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है।
मोर इन तीस कैटेगरी: रमजान में कोई अभियान नहीं चलाएगी सेना, लेकिन हमले का देगी पूरा जवाब अगले कुछ घंटे में आ सकता है पूरे हिंदुस्तान में तूफान |
अंतिम जन : क्या पुलिस विश्वविद्यालय/कॉलेज परिसर में बिना अनुमति के प्रवेश कर सकती है?
क्या पुलिस विश्वविद्यालय/कॉलेज परिसर में बिना अनुमति के प्रवेश कर सकती है?
इस बात को लेकर हर कहीं बहस छिड़ी हुई है कि क्या पुलिस को किसी कॉलेज या विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करने से पहले कॉलेज/विश्वविद्यालय प्रशासन या किसी अन्य प्राधिकरण से अनुमति लेने की आवश्यकता होती है? दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी एवं उत्तर प्रदेश के अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पुलिस द्वारा प्रवेश किये जाने के बाद यह सवाल सोशल मीडिया से लेकर आम चर्चा में छाया हुआ है। जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में प्रवेश करने को लेकर पुलिस ने यह कहा है कि वे स्थिति को नियंत्रित करने के लिए ही विश्वविद्यालय परिसर में घुसे थे, जब प्रदर्शनकारियों ने दक्षिणी दिल्ली में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके के पास हिंसा की थी।
इसके अलावा पुलिस सूत्रों की ओर से यह भी बताया गया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ एक प्रदर्शन के दौरान, दक्षिणी दिल्ली में हिंसा भड़कने के तुरंत बाद, पुलिस ने जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर में प्रवेश किया और विश्वविद्यालय के द्वार को बंद कर दिया जिससे कुछ "बाहरी लोगों" को, जो छिपने के लिए परिसर में घुस गए थे, पकड़ा जा सके। इस लेख में हम इस सवाल पर चर्चा करेंगे की क्या पुलिस को ऐसे कॉलेज/यूनिवर्सिटी परिसर में प्रवेश करने के लिए किसी की अनुमति लेने की आवश्यकता होती है अथवा नहीं और क्या हैं इससे सबंधित पुलिस के अन्य अधिकार।
अनुमति लेने की नहीं है कोई आवश्यकता
यदि एक वाक्य में इस सवाल का जवाब दिया जाना हो तो यह कहा जा सकता है कि, 'नहीं, पुलिस को किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में प्रवेश करने के लिए किसी से भी अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।' देश में ऐसा कोई कानून नहीं है जो पुलिस को आवश्यकता पड़ने पर किसी भी स्थान में प्रवेश करने से रोकता हो (इसमें विश्वविद्यालय/कॉलेज परिसर भी शामिल हैं)। कानूनी रूप से, दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ की धारा ४१ के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी, किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए, किसी भी स्थान (कॉलेज और विश्वविद्यालय सहित) में प्रवेश कर सकता है। साथ ही, विश्वविद्यालय प्रशासन को इस प्रक्रिया में पुलिस अधिकारियों की मदद करने की भी आवश्यकता होती है।
इसके अलावा, वर्ष २०१६ की शुरुआत में विश्वविद्यालय परिसरों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (उग्क) द्वारा जारी किये गए सुरक्षा दिशानिर्देश यह कहते हैं कि रात में कैंपस में गश्त करने के लिए पुलिस को आमंत्रित किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (उग्क) के इस दिशा-निर्देश में भी यूनिवर्सिटी कैंपस में प्रवेश करने को लेकर पुलिस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। पुलिस की वर्तमान एसओपी (स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर/मानक सञ्चालन प्रक्रिया) के अंतर्गत भी, कैंपस में प्रवेश करने से पूर्व अनुमति लेना, केवल स्थानीय पुलिस और विश्वविद्यालय के बीच एक समझ भर है और इसको लेकर पुलिस पर कोई बाध्यता नहीं है।
गौरतलब है कि अगर कोई विश्वविद्यालय/कॉलेज प्रशासन, ऐसा कोई नियम बनाता है जिसके अंतर्गत पुलिस को कैंपस में प्रवेश करने से पूर्व अनुमति लेनी होगी, तो ऐसा नियम निरर्थक साबित होगा क्योंकि दंड प्रक्रिया सहित, १९७३ के अंतर्गत पुलिस को किसी भी स्थान में प्रवेश करने का अधिकार है। किन परिस्थितियों में पुलिस ऐसा कर सकती है इसे हम आगे समझेंगे।
दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ के अंतर्गत पुलिस की शक्तियां
गौरतलब है कि विजयकुमार बनाम केरल राज्य २००४ (२) कल्ट 6२7 के मामले में केरल उच्च न्यायालय ने यह माना था कि यदि परिस्थितियां ऐसी बनती हैं तो पुलिस, बिना किसी के अनुरोध या अनुमति के कॉलेज परिसर में प्रवेश कर सकती है, ताकि किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधियों को रोका जा सके या अपराध करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। केरल उच्च न्यायालय का यह निर्णय, दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ की विभिन्न धाराओं के साथ दिखाई पड़ता है।
जैसा कि हम जानते हैं, सामान्य तौर पर, दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (सीआरपीसी) की धारा ४१, पुलिस को गिरफ्तारी करने के लिए अधिकृत करती है। सीआरपीसी, मजिस्ट्रेट से प्राप्त वारंट के साथ या उसके बिना भी, पुलिस को गिरफ्तारी की विस्तृत शक्तियां प्रदान करती है। सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के सम्बन्ध में पुलिस को किसी भी स्थान पर प्रवेश करने से प्रतिबंधित करता हो। इसके विपरीत, सीआरपीसी की धारा ४८, स्पष्ट रूप से यह कहती है कि "एक पुलिस अधिकारी ऐसे किसी व्यक्ति को, जिसे गिरफ्तार करने के लिए वह प्राधिकृत है, वारंट के बिना गिरफ्तार करने के प्रयोजन से भारत के किसी स्थान में उस व्यक्ति का पीछा कर सकता है।" इस प्रकार, यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए अधिकृत है, तो वह ऐसे व्यक्ति का, भारत में किसी भी स्थान तक पीछा कर सकता है, भले ही वह स्थान उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर हो।
यही नहीं, यदि ऐसे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाना है और पुलिस अधिकारी के लिए यह विश्वास करने का कारण मौजूद है कि ऐसा व्यक्ति, किसी स्थान (कॉलेज/यूनिवर्सिटी कैंपस सहित) में प्रवेश कर चुका है तो वह पुलिस अधिकारी उस स्थान में प्रवेश कर सकता है [धारा ४७ (१)]। यही नहीं, उस स्थान का कण्ट्रोल रखने वाले व्यक्ति को, पुलिस को उस स्थान में प्रवेश करने देना होगा और पुलिस द्वारा तलाशी के लिए उचित सुविधाएँ देनी होंगी। इसके अलावा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ४७ (२) भी, पुलिस को उस स्थान के भीतरी द्वार या खिड़की को तोड़कर प्रवेश करने की इजाजत देती है (जहाँ धारा ४७ (१) के अंतर्गत प्रवेश प्राप्त करना संभव नहीं हो सका है)
सीआरपीसी की धारा ४७ (१) यह कहती है कि
"यदि गिरफ्तारी के वारंट के अधीन कार्य करने वाले व्यक्ति को, या गिरफ्तारी करने के लिए प्राधिकृत किसी पुलिस अधिकारी को, यह विश्वास करने का कारण है कि वह व्यक्ति जिसे गिरफ्तार किया जाना है, किसी स्थान में प्रविष्ट हुआ है, या उसके अन्दर है तो ऐसे स्थान में निवास करने वाला, उस स्थान का भारसाधक कोई भी व्यक्ति, पूर्वोक्त रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति द्वारा या ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा मांग किये जाने पर उसमे उसे अबाध प्रवेश करने देगा और उसके अन्दर तलाशी लेने के लिए सब उचित सुविधाएँ देगा।"
इसके अलावा, सीआरपीसी की धारा १६५ और १६६, पुलिस को, बिना किसी तलाशी वारंट के, किसी संज्ञेय अपराध में अन्वेषण के प्रयोजनों के लिए, किसी भी स्थान पर तलाशी के लिए अनुमति देती हैं। इस तरह की तलाशी के संचालन की प्रक्रिया, सीआरपीसी की धारा १०० में अधिनियमित है, और इस धारा की उपधारा (२) में यह प्रावधान है कि धारा ४७ (२) के प्रावधान के अनुसार ही, तलाशी के प्रयोजन के लिए उस स्थान के भीतरी द्वार या खिड़की को तोड़कर प्रवेश किया जा सकता है।
पुलिस के कैंपस में प्रवेश को लेकर उठते रहे हैं सवाल
भले वर्ष २०१५ में पुलिस द्वारा ज्नू में प्रवेश करना रहा हो या वर्ष २०१६-१७ में, सुरक्षाकर्मियों और पुलिस द्वारा पुलवामा विश्वविद्यालय के एक कॉलेज परिसर में प्रवेश करना रहा हो (जहाँ पुलिस द्वारा, भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप में बुक किए गए छात्रों को गिरफ्तार करने के लिए प्रवेश किया गया था), हर बार ऐसी घटनाएँ बहुत सारे सवाल छोड़ जाती हैं।
हमने यह भी देखा है कि पुलिस, आम तौर पर विश्वविद्यालय परिसरों में प्रवेश नहीं करती है, क्योंकि छात्रों के खिलाफ कार्रवाई अक्सर अच्छे रूप में नहीं देखी जाती है, और इसके चलते कानून-व्यवस्था बिगड़ने की काफी सम्भावना रहती है। ड्यूटी पर मौजूद पुलिस अधिकारी, इस बाबत निर्णय लेने के लिए सक्षम हैं कि आखिर कब वे कॉलेज/यूनिवर्सिटी में प्रवेश करने के लिए कानूनी रूप से सशक्त हैं। हालाँकि पुलिस द्वारा इस सम्बन्ध में निर्णय बहुत सोच समझ कर ही लिया जाना चाहिए, और सीआरपीसी के अंतर्गत पुलिस को प्रदत्त शक्तियों की सीमाओं के भीतर ही ऐसे निर्णयों को अंजाम दिया जाना चाहिये|
यह जरुर है कि पुलिस का कर्तव्य, कानून-व्यवस्था को बनाये रखना है, लेकिन पुलिस के लिए इस कर्तव्य के साथ उचित सावधानी बरतनी भी आवश्यक है, और इसलिए कॉलेज/यूनिवर्सिटी परिसर में प्रवेश करने का कोई भी कदम, कभी भी मनमाना नहीं होना चाहिए|
अंत में, मौजूदा कानून में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके चलते पुलिस को किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए, जिसकी गिरफ्तारी का अधिकार पुलिस के पास है, या तलाशी के लिए, विश्वविद्यालय में प्रवेश करने से लिए पहले विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) से औपचारिक रूप से अनुमति लेनी चाहिए। यह केवल एक शिष्टाचार के तौर पर है कि आम तौर पर पुलिस एक शैक्षणिक संस्थान के उच्च अधिकारियों को ऐसा कुछ भी करने से पूर्व विश्वास में लेती है (या तो उसकी अनुमति लेकर या अग्रिम में उसे सूचित करके)।
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केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- युवा राष्ट्र की सबसे बड़ी शक्ति...
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि युवा राष्ट्र की सबसे बड़ी शक्ति होती है और भारत भाग्यशाली है कि उसके पास कौशल से परिपूर्ण अभिलाषी युवा शक्ति है।
अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ अधिकारी ने रूस की वैक्सीन पर संदेह व्यक्त किया
७०१ से १, ४०० किमी के दायरे में कोयला ढुलाई पर छूट दे रेलवे : कोल इंडिया
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समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यकुशलता पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कई बार अस्पतालों में बेड बढ़ाने का निर्देश दे चुके हैं, लेकिन अधिकारी अनसुना कर रहे है।
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अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ ने बुधवार को घोषणा की कि दिल्ली के सुदेवा फुटबॉल क्लब और विशाखापत्तनम के श्रीनिधि फुटबॉल क्लब को हीरो आई लीग में खेलने का अधिकार दिया गया है।
संजू फाइटर है, ये वक्त भी गुजर जाएगा : मान्यता
बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त ने अपने पति को फाइटर बताया और उनलोगों को धन्यवाद दिया है, जिन्होंने उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए दुआ की है।
आलिया की सड़क २ का ट्रेलर रिलीज
कारगिल गर्ल फिल्म पर वायु सेना ने जतायी आपत्ति
गुरुग्राम। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग में देश अच्छे मुकाम पर खड़ा है। शाह ने यहां केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के अखिल भारतीय वृक्षारोपण अभियान में भाग लेते हुए कहा कि यह कार्यक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब पूरी दुनिया एक बड़े संकट (कोविड-१९ महामारी) का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्षों के इतिहास में इस तरह की महामारी का जिक्र नहीं मिलता है और आज पूरे विश्व में कोरोना महामारी व मानव जीवन के अस्तित्व के बीच लड़ाई चल रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत इस जंग को अच्छी तरह से लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में जब बड़े से बड़े विकसित देशों की स्वास्थ्य व्यवस्थाएँ चरमरा गयीं वहीं घनी आबादी वाले देशों में से एक देश (भारत) ने सफलता से यह जंग लड़ी है। उन्होंने कहा कि यहां स्वास्थ्य सेवाओं का आधारभूत ढांचा अन्य विकसित देशों की तुलना में सशक्त भी नहीं था तो सबके मन में आशंकाएं थीं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई भारत जैसा देश कैसे लड़ेगा, किंतु आज पूरी दुनिया देख रही है कि कोरोना के खिलाफ पूरे विश्व में सफलता से जंग यदि कहीं लड़ी गई है तो वह भारत में लड़ी गई है।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में इस जंग से सरकारें लड़ी हैं किंतु भारत में केंद्र सरकार के साथ सभी राज्य सरकारें और एक-एक व्यक्ति इस लड़ाई में साथ खड़ा हुआ है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक जन, एक मन,एक राष्ट्र के सूत्र को चरितार्थ करते हुए कोरोना के खिलाफ जंग में देश अच्छे मुकाम पर खड़ा है। उन्होंने कहा, कहीं डर का माहौल नहीं है, इसके खिलाफ लड़ने का जज्बा है, पराजित करने का हौसला है और मैं कहना चाहता हूं कि इस जंग से लड़ाई में हमारे सुरक्षा बलों का भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।
हरियाणा में १०००० करोड़ रूपये निवेश का लक्ष्य, एक लाख रोजगार पैदा होंगे : दुष्यंत
फिर सेवा का मौका दिया तो जनता की विकास की और ज्यादा इच्छा होगी पूर्ण : नीतीश
राजनाथ करेंगे मनाली में रोहतांग सुरंग का निरीक्षण
कोरोना वैक्सीन के प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह की पहली बैठक |
पहली बार नए केस से ज्यादा ठीक हुए कोरोना के मरीज, घट गए एक्टिव केस | | घमसन
पहली बार नए केस से ज्यादा ठीक हुए कोरोना के मरीज, घट गए एक्टिव केस
नई दिल्ली: कोरोना का संक्रमण हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। देश में लॉकडाउन लगा होने के बाद भी कोरोना के मामले एक लाख ७३ हजार के पार पहुंच गए है। हालांकि रोज मरीज ठीक भी हो रहे है। पिछले २४ घंटे में अब तक के सबसे ज्यादा ७९६४ नए मामले सामने आए है और २६५ लोगों की मौत हुई है। इन बुरी ख़बरों के बीच एक अच्छी खबर भी आई है।
दरअसल, पहली बार एसा हुआ है जब कोरोना के एक्टिव केस बढ़ने की बजाय घट गए है। पिछले २४ घंटे में रिकॉर्ड ११ हजार से ज्यादा मरीज ठीक होकर अपने घर गए है। इतनी बड़ी संख्या में मरीजों के ठीक होने के बाद देश में एक्टिव केस की संख्या घट गई है।
शुक्रवार को जहां एक्टिव केसों की संख्या ८९,९८७ थी, जो अब घटकर ८६,४२२ हो गई है। शुक्रवार को ११२६४ कोरोना के मरीज ठीक हुए, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। अब तक देश भर में ८२३७० मरीज़ ठीक होकर घर वापस लौट गए हैं। देश में कोरोना का अब रिकवरी रेट ४७.४० पर पहुंच गई है। खास बात ये है कि इसमें हर दिन इज़ाफा हो रहा है।
२४ मार्च को जब देश में लॉकडाउन लगा था तब मरीजों के ठीक होने की दर ७.१% थी. दूसरे लॉकडाउन में ये ११.४२% तक पहुंच गया। इसके बाद इसमें और इजाफा हुआ और ये रेट २६.५९ फीसदी पर पहुंच गई। १8 मई को जब लॉकडाउन का चौथा फेज शुरू हुआ तो ये आंकड़ा ३८% पर आ पहुंचा। और अब ये 4७ फीसदी को पार कर गिया है. आने वाले दिनों में इसमें और इजाफे की उम्मीद की जा रही है।
इसके अलावा दूसरे देशों के मुकाबले भारत में मौत की दर भी काफी कम है। यहां कोरोना के २.८६ फीसदी मरीज़ों की मौत हो रही है। कोरोना से होने वाली मौत की दरों में बेल्जियम टॉप पर है। यहां १६.२4% मरीजों की मौत हो रही है। फ्रांस में ये आंकड़ा १५.३७ % है. इटली और ब्रिटेन में मौत की दर १४% से ज्यादा है। जबकि अमेरिका में ५.८३ फीसदी मरीजों की मौत हो रही है।
महाराष्ट्र के रिकवरी रेट में आया उछाल, ३१.२ फीसदी से बढ़कर हुई ४३.३ फीसदी |
शक्ति के पहिए : बिहार साइकल कार्यक्रम के दीर्घकालिक प्रभाव
बिहार सरकार ने २००६ में स्कूल जाने के लिए साइकल खरीदने के लिए कक्षा ९ की लड़कियों को नकद रुपए देने का एक कार्यक्रम शुरू किया था। वर्ष २०१६ में किए गए एक सर्वे के आधार पर इस आलेख में दर्शाया गया है कि इससे लाभार्थियों के लिए अपनी पढ़ाई पूरी करने, कृषि के बाहर अधिक उत्पादक काम खोजने और देर से विवाह करने की संभावना बढ़ गई। हालांकि उनमें से बहुतों को काम करने की अनुमति नहीं दी गई या उन्हें उपयुक्त काम नहीं मिल सका।
मुख्यमंत्री बालिका साइकल योजना का आरंभ बिहार सरकार द्वारा २००६ में किया गया था। योजना के तहत कक्षा ९ में नामांकित हर लड़की को साइकल खरीदने के लिए नकद रकम मिलती है ताकि उसका उपयोग वह स्कूल जाने के लिए करे। इसके पीछे यह विचार था कि क्यूंकि जनसँख्या के अनुपात में स्कूलों की संख्या कम है और लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं इसलिए साइकल होने से दूर-दराज के स्कूलों तक पहुंचने का उनका समय घटेगा। इस तरह बिना अधिक निवेश किए उनके स्कूलों को नजदीक किया जा सकेगा। योजना के आरंभिक रिपोर्ट अत्यंत अनुकूल थे। बिना अधिक दुरुपयोग हुए यह योजना कारगर रही थी : पहले साल में ही नामांकन ३० प्रतिशत से अधिक बढ़ गया था (मुरलीधरन एवं प्रकाश २०१७) जबकि योजना से रकम का रिसाव ५ प्रतिशत से भी कम था (घटक, कुमार एवं मित्रा २०१६)।
ये परिणाम काफी प्रभावशाली हैं। साइकल पर चलने वाली लड़की महज स्कूल जाने वाली लड़की नहीं है : वह समाज में हुए बदलाव और नए सामाजिक प्रचलनों तथा आकांक्षाओं में हुई वृद्धि को भी दर्शाती है। साइकल कार्यक्रम के प्रभाव का महज नामांकन की संख्या बढ़ने के रूप में मूल्यांकन करना योजना की संभावनाओं को सीमित कर देगा। कुल प्रभाव में समाज में लड़कियों और महिलाओं की भूमिका के बारे में पुरुषों और महिलाओं, दोनो के नजरिए में होने वाले बदलाव को शामिल किया जाना चाहिए। इसलिए इस व्यापक परिप्रेक्ष्य में हम साइकल कार्यक्रम के दीर्घकालिक प्रभाव का अध्ययन करते हैं (मित्रा एवं मोइन २०१७)।
इसकी स्थापना के दस साल बाद, योजना के पहले लाभार्थियों की उम्र अब बीस वर्ष से अधिक हो गई होगी। वे अपनी जिंदगी के बारे में अनेक महत्वपूर्ण फैसले लेती होंगी। इनमें ये भी शामिल है कि अध्ययन जारी रखना है या नहीं। कुछ मामलों में विवाह करने और बच्चों का जन्म देने के मामले में फैसले भी शामिल होंगे। हम साइकल कार्यक्रम से लाभान्वित लड़कियों के परिणामों की तुलना उन लड़कियों से करते हैं जो २००६ में कुछ वर्ष बड़ी (१३-१४ वर्ष के बजाय १५-१६ वर्ष की) होने के कारण इसका लाभ नहीं ले सकी थीं। हम बिहार की लड़कियों की तुलना पड़ोसी राज्यों झारखंड और उत्तर प्रदेश की लड़कियों से भी करते हैं जहां ऐसी कोई योजना लागू नहीं हुई थी। यह सब करने के लिए हमने जनवरी से अप्रैल २०१६ के बीच बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के छह जिलों में एक सर्वे किया। उसमें ३,५०० परिवारों का सेंपल लिया गया और २०,००० से भी अधिक लोगों का साक्षात्कार लिया गया।१
पढ़ाई पूरी करने की संभावना
हमारा विश्लेषण दर्शाता है कि इस योजना के तहत साइकल पाने वाली किसी लड़की द्वारा दसवीं कक्षा तक पढ़ाई पूरी करने की संभावना साइकल नहीं पाने वाली लड़कियों से २७.५ प्रतिशत अधिक थी। यह योजना का प्रत्यक्ष इच्छित प्रभाव है। हालांकि आश्चर्य की बात यह है कि साइकल से कोई प्रत्यक्ष मदद नहीं मिलने के बाद भी लड़कियों ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। बिहार में उच्च माध्यमिक विद्यालय और कॉलेज आम तौर पर गांवों से दूर हैं और उनकी संख्या बहुत कम है। इसका अर्थ हुआ कि लड़कियां वहां साइकल से नहीं जा सकती हैं। तब भी हमारे परिणाम दर्शाते हैं कि साइकल योजना शुरू होने के बाद स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए पढ़ाई जारी रखने और अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने की संभावना साइकल नहीं पाने वाली लड़कियों की तुलना में २२.९ प्रतिशत बढ़ गई। अतः साइकल माध्यमिक विद्यालयों तक पहुंचने की बाधा दूर करने में ही मदद नहीं कर रही है। यह परिवर्तन का साधन और नई आकांक्षाओं के लिए माध्यम भी है।
आरेख १. बिहार में साइकल पाने और नहीं पाने वाली लड़कियों के मामले में चुनिंदा परिणामों की तुलनात्मक संभावना कैसी होती है
टिप्पणी : आरेख दर्शाता है कि बिहार में योजना के तहत साइकल पाने वाली किसी लड़की के लिए किसी खास स्तर तक पढ़ाई पूरी करने या विवाह होने अथवा काम करने के मामले में, साइकल नहीं पाने वाली बिहार की लड़की की तुलना में कितनी अधिक संभावना है जबकि दोनो श्रेणी की लड़कियों के लिए अन्य सारी चीजें समान हैं।
साइकल पाने वाली लड़कियों के लिए कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने की संभावना साइकल नहीं पाने वाली बिहार की लड़कियों की तुलना में ५ प्रतिशत अधिक है। हालांकि यह सप्लाई साइड की बाधाओं का संकेत देती है, तब भी बिहार में वास्तव में कॉलेज जाने वाली लड़कियों के निम्न प्रतिशत को देखते हुए यह कोई छोटी संख्या नहीं है। साइकल कार्यक्रम शिक्षा के प्रति मानसिकता बदलने में सक्षम है, जैसा कि स्कूली शिक्षा पूरी करने की उच्च दरों से स्पष्ट होता है। कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के मामले में अचानक गिरावट लड़कियों को आगे पढ़ने देने की अनिच्छा के बजाय उनके क्षेत्रों में कॉलेजों के नहीं होने का सूचक हो सकती है।
अध्ययन करने के लिए लड़कियों के लिए रास्ते खोलने से उनके द्वारा किए जाने वाले अन्य चुनावों पर चक्राकार प्रभाव पड़ता है। हमने दो निर्णयों का अध्ययन किया : काम के प्रति उनकी पसंद और विवाह के संबंध में उनके निर्णय।
काम संबंधी पसंद
काम के संबंध में हमारे परिणाम दर्शाते हैं कि जिन लड़कियों को साइकल मिली, उनके काम करने की संभावना (कृषि में) कम रहती है। यह देखते हुए कि वे अधिक पढ़ रही हैं, यह आश्चर्यजनक लग सकता है। लेकिन गहराई से छानबीन करने पर हमने पाया कि लड़कियों के लिए उपलब्ध प्राथमिक पेशा कृषि में काम करना था। लड़कियों ने जमीन पर काम करने के बजाय अधिक उपयुक्त काम पाने के लिए इंतजार करना पसंद किया। हमारे अध्ययन में पाया गया कि साइकल वाली लड़कियों द्वारा कृषि में काम करने की संभावना ४.१७ प्रतिशत कम थी। जब उनसे पूछा गया कि वे काम क्यों नहीं कर रही हैं, तो ४5 प्रतिशत से भी अधिक ने कहा कि वे काम करना चाहेंगी लेकिन उनके परिवार के लोग उन्हें अनुमति नहीं देते हैं। वहीं १० प्रतिशत से अधिक ने कहा कि उन्हें उपयुक्त काम नहीं मिला है।
अधिक शिक्षा ने लड़कियों की आकांक्षाओं को बदल दिया है और वे अपनी जिंदगी में कुछ अधिक हासिल करने की चाहत रखती हैं। वे कृषि में कम भुगतान वाला काम करने के बजाय कोई उपयुक्त काम पाने के लिए इंतजार करना चाहती हैं। काम की कमी उनके लिए बाधा बनती है। यह भी ऐसी अन्य नीतियों की जरूरत का संकेत देती है जो मुख्यमंत्री साइकल योजना द्वारा किए गए काम के पूरक काम करे। लड़कियों का कई तरीकों से सशक्तिकरण हुआ है, लेकिन अब उन्हें स्वतंत्र होने के साधन उपलब्ध कराने की जरूरत है। इसके लिए अधिक काम उपलब्ध कराने के लिहाज से राज्य द्वारा अधिक प्रयास और नई नीतियों की जरूरत है।
विवाह संबंधी निर्णय
हमने जिस दूसरे निर्णय पर अध्ययन किया वह विवाह संबंधी निर्णय है। भारत में विवाह की उम्र कम रहती है। वर्ष २०११ के जनगणना (सेन्सस) आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के विवाह की औसत उम्र २१.२ वर्ष (ग्रामीण महिलाओं की २0.७ वर्ष) है जो बिहार में २0.७ वर्ष (ग्रामीण महिलाओं के लिए २0.५ वर्ष) है। कम उम्र में विवाह के साथ अनेक जटिलताएं जुड़ी रहती हैं। हालांकि समाज की मानसिकता को बदलना मुश्किल है। हमने यह आश्चर्यजनक बात पाई की साइकल से स्कूल जाने वाली लड़कियां विवाह देर से कर रही हैं। हमने पाया कि साइकल कार्यक्रम से साइकल पाने वाली लड़कियों की शादी के समय उम्र बिना साइकल वाली लड़कियों से औसतन छह महीने अधिक थी। यह लड़कियों के लिए शिक्षा को आसान बनाने के एक अन्य सकारात्मक पक्ष को दर्शाता है।
कुल मिलाकर साइकल कार्यक्रम के चलते लाभार्थियों की आकांक्षाएं बढ़ी हैं और महिलाओं के बारे में मानसिकता में बदलाव आया है। लड़कियों द्वारा स्कूली शिक्षा पूरी करने, कॉलेज जाने और कृषि से बाहर उत्पादक काम खोजने की संभावना बढ़ गई है। सामाजिक परिप्रेक्ष्य में भी, इससे महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। लड़कियों की कम उम्र में शादी की आशंका घटी है और वे बच्चों को जन्म देने में देर कर रही हैं।
हमारे विश्लेषण में उन अन्य अड़चनों और बाधाओं की भी पहचान की गई है जिनका सामना साइकल पाने वाली लड़कियों को अपने नए सपने पूरे करने के मामले में करना पड़ता है। उन्हें काम पाने में कठिनाई होती है और उनके इलाके में पर्याप्त अच्छे कॉलेज नहीं हैं। यह भी एक गंभीर बाधा है कि समाज धीमी गति से बदलता है और अनेक लड़कियों को अपनी आकांक्षाएं पूरी करने के लिए अपने घर में अभी भी विरोध-प्रतिरोध झेलना पड़ता है।
लेखक परिचय : शबाना मित्रा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, बैंगलोर (आइआइएमबी) के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी में असिस्टेंट प्रॉफेसर हैं। कार्ले मोइन ऑस्लो यूनिवर्सिटी के इकनॉमिक्स विभाग में स्टडी ऑफ इक्वौलिटी, सोशल ऑर्गनाइजेशन एंड परफॉर्मेंस में प्रॉफेसर हैं।
यह लेख आइडियाज फॉर इंडिया की अनुमति से पुनर्मुद्रित किया गया है।
प्रविधि (मेथडोलॉजी) संबंधी टिप्पणी : हमारे शोध परिणाम डिफरेंस-इन-डिफरेंस-इन-डिफरेंस (ट्रिपल डिफरेंस) फ्रेमवर्क पर आधारित हैं। हम ने बिहार की साइकल पाने वाली लड़कियों की तुलना कुछ बड़ी (२००६ में १५-१६ वर्ष की) लड़कियों से और इस तरह पात्र लड़कियों से की है (पहला अंतर)। हमने इस अंतर की तुलना बिहार में लड़कों के बीच ऐसे ही अंतर के साथ की है (दूसरा अंतर)। बड़ी और छोटी लड़कियों के बीच तुलना करने का कोई ट्रेंड अफेक्ट हो, तो वह लड़कों और लड़कियों की तुलना करने पर समाप्त हो जाता है। इस डिफरेंस-इन-डिफरेंस की तुलना हम पड़ोसी राज्यों के ऐसे ही डिफरेंस-इन-डिफरेंस के साथ करते हैं (तीसरा अंतर)। ट्रिपल डिफरेंस के गुणांक से हमें बिहार में साइकल पाने वाली लड़कियों पर साइकल नहीं पाने वाली वैसी ही लड़कियों (हाइपोथिटिकल) की तुलना में साइकल के प्रभाव का पता चलता है। इस वीडियो में ट्रिपल डिफरेंस की धारणा को सामान्य शब्दों में स्पष्ट किया गया है :
लिंग मानव विकास
एक महामारी के दौरान खाद्य और कृषि: प्रभावों का प्रबंधन |
कानून मंत्री के बयान पर बोले अंकित लाल, कहा- ब्जप का बस चले तो देश में प्रजातंत्र ही खत्म कर दे | उपखबर
कानून मंत्री के बयान पर बोले अंकित लाल, कहा- ब्जप का बस चले तो देश में प्रजातंत्र ही खत्म कर दे
सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की अनिवार्यता पर अहम फैसला लिया और आधार कार्ड की कानूनी मान्यता को बरकरार रखी है और साथ ही आधार की वैध पर कई शर्ते रख दी हैं ।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कोर्ट के इस फैसले पर कहा कि, सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय शासन को शक्ति देता है और लोकतंत्र को शक्ति देता है ।
केंद्रीय मंत्री के इस बयान का वीडियो साझा करते हुए आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता अंकित लाल मोदी सरकार पर वार करने से पीछे नहीं हटे ।
कानून मंत्री के कहे पर आप कार्यकर्ता अंकित लाल ने सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद ही क्यों प्रजातंत्र मजबूत होता है ?
अंकित ने ट्विटर पर कहा कि, प्रजातंत्र को थोड़ी बहुत मजबूती तो सरकार भी दे सकती है । अपने इस कहे पर चुटकी लेते हुए आप कार्यकर्ता ने लिखा की, ओह, मेरी गलती है, मैं तो भूल ही गया था कि देश में भाजपा की सरकार है और इसका बस चले तो देश में प्रजातंत्र ही खत्म कर दे ।
सुप्रीम कोर्ट की फ़टकार के बाद ही क्यों प्रजातंत्र मज़बूत होता है?
थोड़ी बहुत मजबूती तो सरकार भी दे सकती है प्रजातंत्र को।
ओह, मेरी गलती है, मैं भूल गया कि ये भाजपा की सरकार है। इसका बस चले तो प्रजातंत्र ही खत्म कर दे।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने आधार पर फैसला लिया की आधार को बैंक अकाउंट, मोबाइल से लिंक करने को ज़रूरी नहीं और अब निजी कम्पनियां आधार नहीं मांग सकती है। फैसले पर कोर्ट ने आधार एक्ट में कई प्रावधानों में बदलाव कर दिए है।
आधार कार्ड पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई में ५ जजों की बेंच ने कहा कि सरकार को निर्देश दिए की सरकार बायॉमीट्रिक डेटा को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कोर्ट की इजाजत के बिना किसी और एजेंसी से शेयर नहीं करेगी।
आचार संहिता लागू होते ही दिल्ली के पेट्रोल पंपों ने हटाया पीएम नरेंद्र मोदी के सभी होर्डिंग्स |
शिक्षक दिवस ५ सितम्बर को हर साल मनाया जाता हैं । इस दिन ५ सितम्बर १८८८ को डॉ. राधाकृष्णन जी का जन्म हुआ था । वे लोकप्रिय शिक्षक थे। उनके स्टूडेंट्स उनका जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाने लगें ।
वें अच्छे शिक्षक अच्छे इंसान थे । सभी से बहुत विन्रमता से बोलना व सभी की बातों को सुनना समझना उनके कुछ गुण रहें। देश के प्रथम उपराष्ट्रपति व दूसरे राष्ट्रपति भी रहे । शिक्षा के क्षेत्र में अनेक काम किये व शिक्षा को एक अलग मुकाम तक ले कर के गए । उनके काम समाज के लिये बहुत अच्छे रहें व उन्होंने समाज को एक नई दिशा प्रदान की । शिक्षक दिवस के कई उददेश्य है सच्चाई , अच्छी शिक्षा , सम्मान , आदि ।
यह दिन टीचर्स व स्टूडेंट्स दोनों के लिये सोचने का दिन हैं । आत्मचिंतन का दिन हैं । टीचर्स के कई फ़र्ज़ है और डेंट्स के भी । सभी को अपना काम पूरी लगन सच्चाई मेहनत के साथ करना चाहिये । देश की उन्नति शिक्षा के स्तर से ही होती हैं । टीचर्स का सम्मान करने से खुद का भी सम्मान बढ़ता हैं । शिक्षकों का करना चाहिये सम्मान वो ही देते है समाज को ज्ञान
नेक्स्ट आर्टियलडॉ सुलक्षणा अहलावत को शिक्षक दिवस पर किया सम्मानित
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर-प्रो.शरद नारायण खरे
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के प्रसिद्ध दाऊजी महाराज मेला |
२०१८ में इस वजह से आपको रहना चाहिए प्यार से दूर - एस्ट्रोविधि
२०१८ में इस वजह से आपको रहना चाहिए प्यार से दूर
कर्क राशि की लव लाइफ
इस साल कर्क राशि के लोगों को अपनी लव लाइफ में मुश्किल से ही खुशियां मिल पाएंगीं। इनके खुले विचारों के बावजूद परिस्थिति इनके विपरीत नज़र आएगी।
पंचमेश दसवें भाव का स्वामी है और छठे और पांचवे घर में बैठा है। आमतौर पर मंगल का स्वभाव है कि वो किसी एक रिश्ते में बंधने को प्रेरित नहीं करता है। इसके प्रभाव के कारण जातक के एक से ज्यादा संबंध होते हैं इसलिए इस साल आपके ब्रेकअप की भी संभावना है।
प्रेम संबंधों के मामले में ये साल काफी अच्छा नहीं रहने वाला है। इस साल आपका ब्रेकअप हो सकता है। निजी मामलों को लेकर गंभरी बहस हो सकती है।
गुरु, शनि, मंगल, राहू और केतु, ये सभी ग्रह अशुभ प्रभाव डालने की स्थिति में हैं। इस साल प्रेम संबंधों से ज्यादा अपने काम, बिजनेस और पढ़ाई पर ध्यान देंगें तो बेहतर होगा।
मंगल की दशा, पंचमेश के कारण आपकी लव लाइफ में भूचाल आ सकता है। गलतफहमियां बढ़ेंगी और दोनों के बीच मारपीट भी हो सकती है।
शनि और गुरु दोनों ही आपको प्यार से दूर रखने वाले हैं। आप उदास और अकेलापन महसूस करेंगें। इस साल प्यार के बारे में ना ही सोचें तो बेहतर होगा। अकेले ही रहें।
इस मामले में भी इस साल आपको निराशा ही हाथ लगेगी। धोखे की वजह से आपके प्रेम संबंध का अंत हो सकता है। अपने धर्म से बाहर किसी व्यक्ति के साथ रिश्ता बना सकते हैं।
कर्क राशि लव लाइफ २०१८
इस साल प्रेम संबंधों के लिए अच्छा समय नहीं है।
शनि और गुरु की दशा के कारण आपको ज्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा।
बेहतर होगा कि आप बाकी चीज़ों पर ध्यान दें।
अच्छा समय आने का इंतज़ार करें। |
हादसा ऐसा की हर कोई खबर सुनकर सन्न रह गया,पूरा कस्बा शोक में डूब गया जानिए क्या हुआ इस दर्दनाक हादसे में
हर चेहरे पर उदासी व मायूसी थी। हर कोई सिर्फ इस हादसे का जिक्र करता हुआ यही कह रहा था कि जो भी हुआ वह ठीक नहीं हुआ
बोलेरो-ट्रक के बीच भिडंत, चालक सहित पांच जनों की मौत
बोलेरो में सवार होकर एक ही परिवार के लोग गोवर्धन सवामणी करने जा रहे थे
भरतपुर जिले के नगर कस्बे के निकट हुआ हादसा
गोविंदगढ़. भरतपुर जिले के नगर कस्बे के समीप पीलूकी मंदिर के पास रविवार सुबह ट्रक व बोलेरो की टक्कर में पांच जनों की मौत हो गई और चार जने घायल हो गए। मृतकों में चार जने एक ही परिवार के हैं। गोविंदगढ़ कस्बे के कुंडा वाला मोहल्ला निवासी बाबूलाल गुप्ता परिजनों, रिश्तेदारों तथा परिचितों के साथ सुबह बोलेरो सहित तीन वाहनों में सवार होकर गोवर्धन सवामणी करने जा रहे थे। घना कोहरा होने के कारण नगर थाना क्षेत्र के ग्राम पीलूकी मंदिर के पास सामने से आ रहे ट्रक से बोलेरो टकरा गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बोलेरो के परखच्चे उड़ गए और उसमें बैठे लोग वाहन में ही फंस गए। घटना की सूचना मिलने पर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और वाहन में फंसे लोगों को मुश्किल से बाहर निकाला। इस हादसे में घटनास्थल पर ही बाबूलाल गुप्ता (५५ ),उर्मिला देवी (४५)पत्नी रमेश गुप्ता, अनुराग (१२) व भानू (१३ ) पुत्र रमेश गुप्ता सहित बोलेरो चालक उमरदीन निवासी शाखीपुर की मौत हो गई। वहींं एक ही परिवार के चार लोग घायल हो गए। मृतकों का नगर के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया। इसके बाद परिजन व ग्रामीण मृतकों को गोविंदगढ़ उनके निवास पर ले आए। वहीं घायलों को नगर के सरकारी अस्तपाल से अलवर व जयपुर के लिए रैफर कर दिया गया।
कस्बा की दुकान बंद रही
एक ही घर से निकली चार अर्थियों को देख कस्बे में माहौल गमगीन हो गया। उनकी शव यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए। वहीं शोक में कस्बे का बाजार पूरी तरह बंद रहा। गमगीन परिवार को सांत्वना देने के लिए रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा, पूर्व जिला प्रमुख साफिया खान, जिला पार्षद हरिशंकर रावत पहुंचे ।
ऐसा समागम जहां देश-विदेश से पहुंचते है लोग,फरवरी में होगा आनन्द कारज
भयग्रस्त मतदान के लिए प्रशासन के किए उपाय आप भी जाने क्या किया प्रशासन ने |
केंद्र सरकार ने मानी बिहार और पंजाब की मांग, मजदूरों व छात्रों को घर के लिए चलाएगी स्पेशल ट्रेन
हमने आप को कल एक रिपोर्ट मई बताया था की केंद्र सर्कार जल्द ही फसे हुए मजदुर और छात्रों को घर भेजने की तयारी कर रही है। आज केंद्र सर्कार ने सभी फसे हुए लोगो को उन के घर पहोचने के लिए स्पेशल ट्रैन चलने की अनुमति देदी है।
कोरोना लॉकडाउन के बीच देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए अब केंद्र सरकार ने स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला किया है। इससे पहले कल ही गृह मंत्रालय ने इनकी घर वापसी के लिए नई गाइडलाइंस जारी की थी, जिनमें कई तरह की छूट दी गई थी।
रेलवे ने कहा है कि जिस राज्य से मजदूर घर के लिए रवाना होंगे, वहां की सरकार को उनकी जांच करनी होगी। एसिंप्टोमेटिक को ही यात्रा की इजाजत होगी। राज्य को मजदूरों को समूह में स्टेशन तक सैनिटाइज किए हुए बसों में लाना होगा।
बिहार और पंजाब सहित ४ राज्यों ने की थी स्पेशल ट्रेन की मांग बिहार, पंजाब, तेलंगाना और केरल ने केंद्र सरकार से लोगों को लाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने की मांग की थी। राज्यों ने कहा था कि लोगों की संख्या काफी है। ऐसे में बसों से इन लोगों को घरों तक पहुंचाने में काफी समय लग जाएगा। वहीं, संक्रमण का भी खतरा रहेगा, क्योंकि कई राज्यों से होकर आना होगा।
लॉकडाउन में फंसे १२०० मजदूरों को लेकर तेलंगाना से झारखंड के लिए पहली स्पेशल ट्रेन आज यानी शुक्रवार को रवाना हो गई। बता दें कि लॉकडाउन में फंसे मजदूरों के लिए यह किसी बड़े राहत से कम नहीं है। हालांकि, आगे और कितनी ऐसी ट्रेनें चलेंगी, अभी इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक अरुण कुमार ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि तेलंगाना से खुली इस स्पेशल ट्रेन के २४ डिब्बों में लगभग १२०० प्रवासी हैं। अधिक ट्रेनें चलाई जाएंगी या नहीं, इस पर निर्णय आज लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि ट्रेन आज सुबह ४:५० बजे तेलंगाना के लिंगरपल्ली से खुली है, जो झारखंड के हटिया जा रही है। |
बेहद खास होता है ननद-भाभी का रिश्ता - कुछ इस तरह करें इसे बैलेंस - टीनय्स्टेप
बेहद खास होता है ननद-भाभी का रिश्ता - कुछ इस तरह करें इसे बैलेंस
जब एक लड़की की शादी होती है तो नए घर में वो बहुत से नए रिश्तों में बंधती है। सास-ससुर के साथ रिश्ता, देवर के साथ और इन सबके अलावा जो एक और ख़ास रिश्ता होता है वो है ननद-भाभी का रिश्ता। ननद-भाभी का रिश्ता खट्टे-मीठे भावनाओं से भरा होता है लेकिन फिर भी यह कहा जाता है की ननद की खुशियां और भाभी की खुशियां एकदूसरे से जुड़ी होती है। अगर ननद-भाभी को अपनी दोस्त की तरह समझें और भाभी अपनी ननद को बहन की तरह मानें तो बहुत हद तक यह रिश्ता सुलझ सकता है। जब एक लड़की शादी करके नए घर में जाती है तो एक अच्छी ननद ही अपने भाभी को कम्फर्टेबल महसूस करा सकती है और भाभी को भी अपनी ननद की भावनाओं को समझाना चाहिए तभी यह रिश्ता ज़िंदगीभर मज़बूत बना रहेगा। आज इस ब्लॉग के ज़रिये हम आपको बता रहे हैं की कैसे आप ननद-भाभी के रिश्ते को खुशनुमा और मज़ेदार बना सकती हैं।
१. दोस्ती है ज़रूरी
ननद-भाभी के रिश्ते को दोस्ती के रिश्ते में बदलिए, ननद के साथ वक़्त बिताइए, उन्हें अपने साथ शॉपिंग के लिए ले जाएँ, उनके साथ घूमें इससे आपकी ननद को भी अच्छा लगेगा। उन्हें लगेगा की आप उन्हें महत्व दे रही हैं और वो भी आपके साथ को एन्जॉय करने लगेगी।
२. बहन की तरह समझें
अपनी ननद को उतना ही प्यार दें जितना आप अपनी बहन को देती हैं, उन्हें अपनी बहन की तरह समझें और मानें। उन्हें एहसास दिलाएं की आप उनकी फ़िक्र करती हैं बिलकुल अपनी बहन की तरह।
३. गिफ्ट देकर पैंपर करें
आप अपनी ननद के लिए गिफ्ट ले सकती हैं और ज़रूरी नहीं की इसके लिए आप कोई खास मौका ढूंढें या कोई बहुत महंगी गिफ्ट लें। आप अपनी ननद की पसंदीदा चॉकलेट्स या कुछ पसंदीदा चीज़ें भी दे सकती हैं। इसके अलावा ननद भी अपनी भाभी को गिफ्ट देकर उन्हें खुश कर सकती हैं।
४. बातें शेयर करें
अगर आपको किसी चीज़ से परेशानी है और आप अपनी बात किसी से कह नहीं पा रही है तो आप अपनी बात को ननद से शेयर करें। आप ऐसा करेंगी तो आपकी ननद भी आपसे अपनी स्कूल, कॉलेज या ऑफिस की बातें आपसे शेयर करना शुरू करेंगी और आपदोनों के बीच एक अच्छा तालमेल बनेगा।
५. सलाह भी है ज़रूरी
अगर आपके मन में कोई उलझन हो तो अपनी ननद से बात करें और सलाह लें, इसके अलावा अगर आपको आपकी ननद परेशान दिखें तो उनसे बात करके, उन्हें सलाह दें। इन सबके अलावा अगर आपकी पति के साथ कुछ नोंकझोंक हुई है तो अपनी ननद के साथ बात करें या आपकी ननद की आपके पति के साथ लड़ाई हो गई हो तो आप दोनों के बीच सुलह करवाने की कोशिश करें।
इन सब छोटी-छोटी पर अहम् बातों को ध्यान में रखकर आप अपनी ननद-भाभी के रिश्ते को हमेशा खुशनुमा और मौज-मस्ती से भरपूर बनाएं रख सकती हैं, बस ज़रूरत है तो आपदोनों को मिलकर अपने स्वभाव से इस रिश्ते को निखारने की। |
७३ करोड़ के लाठी... तनकी संभल के... २१ सिप्तंबर २०१० न्यूज डेस्क लखनऊ। अयोध्या विवाद पर २४ सितंबर के आवे वाला हाईकोर्ट के फैसला के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार परिस्थिति से निपटे के पुरी तैयारी कर रहल बिया। चाक चौबंद व्यवस्था के तहत सरकार पूरे प्रदेश भर में पुलिस के सबसे प्रभावी हथियार लाठियन के खरीद में जुट गइल बिया। अउर सरकार का ओर से एकरा खातिर ७२.५ करोड़ रुपया के स्वीकृति मिल चुकल बाटे। अयोध्या में विवादित स्थल के स्वामित्व विवाद पर फैसला २४ सितंबर के आवे वाला बा। आशंका बा कि फैसला जउन भी आये, कुछ जगह पर भीड़ प्रदर्शन कर सकत बिया। एही आशंका के तहत पुलिस खुद के मजबूत कर रहल बिया। हाल ही में कानून व्यवस्था के मुददा पर लखनऊ में भइल बइठक में पुलिस अफसर लोग इ मानलं की फोर्स के पास लाठी के काफी कमी बा। लाठियन के खरीद २४ सितंबर के पहले ही करे के तैयारी बा। एगो पुलिस अधिकारी के अनुसार पुलिस विभाग में एके-४७, इंसास रायफल, बुलेट प्रूफ जैकेट आदि के खरीददारी त होते रहेला, लेकिन लाठी खरीदे पर केहु के ध्यान ना जात रहे, लेकिन जब बइठक में इ मामला उठल त सरकार द्वारा तुरंत कारवाई भइल। लाठियन के अधिकांश खरीददारी उतर प्रदेश के रामपुर जिला से हो रहल बाटे। इहँवा सामान्य लाठी के कीमत ३०० रुपया बा, जबकि पॉलीकार्बोनेटेड लाठी के कीमत करीब ५00-७०० रुपया के बीच बा। विभाग अधिकांश पॉलीकार्बोनेटेड लाठी ही खरीद रहा बाटे, काहें कि एकरा पिटाई से दर्द त काफी होला, लेकिन जख्म ना होला।
वेडनेस्ड्य, २२ सिप्तंबर २०१० २१:३७ नवीन भोजपुरिया दर्द कुछ अईसन दिहा की सहाई ना चोट कुछ की दोसरा के दिखाई ना मार अईसन की केहु के बुझाई ना मर गईल ना तब त कवनो बाते ना बाचि गईल त केहु से बताई ना ==
बुझात बा इहे ध्यान मे राखि के लउर खरीदात बा । जय भोजपुरी |
देश की साझी विरासत सुरक्षित है, आप तो अपनी सीट की चिंता करिए शरद जी ! - नेशनलिस्ट ऑनलाइन
देश की साझी विरासत सुरक्षित है, आप तो अपनी सीट की चिंता करिए शरद जी !
शरद यादव ने यह नहीं बताया कि साझी विरासत को खतरा कहां उत्पन्न हुआ है। भारत की साझी विरासत शरद यादव, राहुल गाँधी, मनमोहन सिंह, लालू यादव, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी आदि की वजह से नहीं है। यह भारतीय सभ्यता-संस्कृति का प्रभाव है। इसे कुछ अराजक तत्व समाप्त नहीं कर सकते। ऐसी कुछेक घटनाएं यदि हुई हैं, तो वे कानून व्यवस्था की समस्या हैं। इससे विरासत पर कोई असर नहीं पड़ा है। हमारा समाज आज भी पहले जैसा है। अतः शरद यादव के लिए ठीक होगा कि वे साझी विरासत की नहीं, अपनी सीट बचाने की चिन्ता करें।
विपक्षी पार्टियों का जमावड़ा बड़े अर्न्तद्वन्द से गुजर रहा है। शरद यादव के साझी विरासत बचाओ सम्मेलन में यही त्रासदी दिखाई दी। नामकरण से लग रहा था कि इसमें कोई बड़ा वैचारिक धमाका होने वाला है। साझी विरासत के रूप देश की गौरवपूर्ण सामाजिक व्यवस्था पर चर्चा होगी। यह भी सोचा गया कि इस विरासत को बचाने के लिए कोई नया प्रस्ताव आयेगा। लेकिन फिर वही ढांक के तीन पात। तीन वर्षों से जो बातें चल रही हैं, वही यहां भी दोहरायी गयीं। लेकिन ये तदवीर भी उनकी कमजोरी को छिपा नहीं सकी।
इससे कई तथ्य उजागर हुए। पहली बात यह कि विपक्ष की हताशा सामने आ गयी। सभी ने एक स्वर में भाजपा के मुकाबले के लिये एकजुटता का राग अलापा। इसका सीधा तात्पर्य है कि इनमें से किसी पार्टी में अब अकेले चलने की क्षमता नहीं रही। दूसरी बात यह है कि जमावडे़ में सर्वमान्य नेतृत्व का अभाव है। सभी नेता अपने-अपने लिये संभावना तलाश रहे हैं। शरद यादव भी इसी कवायद में लगे हैं। शरद के सामने नयी समस्या आ गयी है। उनका अपना जनाधार नहीं है।
संसद में पहुंचने के लिये उन्हें किसी न किसी के सहारे की जरूरत हमेशा रही है। इस समय भी वह नीतीश कुमार की मेहरबानी से राज्यसभा में हैं। शरद अपनी स्थिति देख लें। बिहार में जद(यू) के सभी विधायक नीतीश कुमार के साथ हैं। अभी कुछ दिन पहले शरद बिहार की यात्रा से लौटे तो किसी एक वर्तमान विधायक ने उनसे मिलने की जरूरत नहीं समझी। यहां तक कि जद(यू) के गिने-चुने कार्यकर्ताओं के अलावा कोई उनके साथ नहीं था। राजद के सहयोग से शरद ने लाज बचायी। इसी के साथ शरद यादव के सामने समस्या उत्पन्न हुई है। नीतीश कुमार से अलग स्टैंड लेने के बाद शरद का आधार दरक गया है। लेकिन, उनकी समस्या यहीं तक सीमित नहीं है।
लालू यादव ने अपनी पार्टी की विरासत बेटे तेजस्वी को सौंप दी। कांग्रेस में सोनिया गांधी की सक्रियता कम हुई है। वहां राहुल गांधी अघोषित रूप से अध्यक्ष की भूमिका में हैं। शरद को इसी कारण अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता हो रही है। उन्हें अब अपनी वरिष्ठता को किनारे रखते हुए तेजस्वी और राहुल के पीछे चलना होगा। अपनी अहमियत दिखाने के लिए उन्होंने साझी विरासत बचाओ सम्मेलन आयोजित किया। इसी तरह शरद यादव अपना नेतृत्व आगे करने का प्रयास कर रह रहे थे। इसके लिये वह नया शब्द तलाश करके लाये थे। लेकिन, उनकी साझी विरासत में पश्चिम बंगाल, केरल की घटनाओं का जिक्र नदारद थे।
जिन साथियों के साथ शरद यादव अपनी विरासत बचाने का प्रयास कर रहे हैं, उनमें से कांग्रेस तो पूरी तरह से टूट गयी है। आज कांग्रेस के पास उत्तर भारत में पंजाब और हिमाचल प्रदेश के सिवा कोई राज्य नहीं बचा है, जहां वो सत्ता में हो। जो कांग्रेस अपनी सियासी जमीन बचाने में खुद नाकाम है, वो शरद यादव को कितना मजबूत कर सकती है, यह अपने आप में बड़ा प्रश्न है।
शरद यादव के सम्मेलन में जुटे विपक्षी नेता
शरद ने यह नहीं बताया कि साझी विरासत को खतरा कहां उत्पन्न हुआ है। भारत की साझी विरासत शरद यादव, राहुल, मनमोहन सिंह, लालू यादव, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी आदि की वजह से नहीं है। यह भारतीय सभ्यता-संस्कृति का प्रभाव है। इसे कुछ अराजक तत्व समाप्त नहीं कर सकते। ऐसी घटनाएं कानून व्यवस्था की समस्या है। इससे विरासत पर कोई असर नहीं पड़ा है। हमारा समाज आज भी पहले जैसा है। अतः शरद यादव साझी विरासत की नहीं, अपनी सीट बचाने की चिन्ता करें। साझी विरासत में उनकी भूमिका नहीं हो सकती।
यहां जो भाषण हुए, वह भी विपक्ष की बासी विरासत से ज्यादा नहीं था। राहुल गांधी अपने पुराने अंदाज में थे। कहा कि भाजपा जीत नहीं सकती, इसलिए अपने लोगों को विभिन्न संस्थाओं में तैनात कर रही है। राहुल बतायें कि उनकी सरकार किसे तैनात करती थी। वह इनके बल पर जीत कर क्यो नहीं आ गये।
कुल मिलाकर विपक्ष पूरी तरह से हारा हुआ नजर आ रहा है। इस कार्यक्रम के जरिए शरद ने अपनी सियासी ताकत का प्रदर्शन करने का प्रयास जरूर किया है, लेकिन जिन नेताओं और दलों के सहारे शरद यादव अपनी सियासी ताकत जुटाने को तैयार हैं, उनके पैरों तले से पहले ही सियासी जमीन खिसक चुकी है।
नीतीश कुमार ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था का मखौल बना दिया है ! भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुके हैं लालू यादव बिहार की जनता के लिए जरूरी हो गया था महागठबंधन सरकार का अंत ! भारतीय राजनीति में क्यों अप्रासंगिक होती जा रही है कांग्रेस ? बिहार के सुस्त विकास को फिर गति देगी जदयू-भाजपा सरकार
जेडीयू नीतीश कुमार बिहार शरद यादव साझी विरासत सम्मेलन
ये मुसलमानों का तुष्टिकरण करने वाली नहीं, उनके समग्र विकास के लिए काम करने वाली सरकार है !
अब चीन के हर पैंतरे का माकूल जवाब देने लगा है भारत ! |
नये साल में बाबाधाम मंदिर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम | बन भारत न्यूज
नये साल में बाबाधाम मंदिर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
देवघर: नये वर्ष, २०२० के आगमन पर बाबा बैद्यनाथ मंदिर में विधि व्यवस्था संधारण एवं भीड़ नियंत्रण के लिए उपायुक्त नैन्सी सहाय के द्वारा ३० दिसंबर से ३ जनवरी तक दो पालियों में दण्डाधिकारियों, पुलिस पदाधिकारियों एवं सुरक्षा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है एवं संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिये गए हैं. साथ ही आगामी १ जनवरी को आने वाले श्रद्धालुओं के भीड़ को नियंत्रित करने एवं उन्हें सुरक्षित जलार्पण कराने हेतु मंदिर में प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों को श्रद्धालुओं के सुगमतापूर्वक जलार्पण हेतु कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश भी दिये गये हैं.
मंदिर में श्रद्धालुओं का शांतिपूर्ण जलार्पण कराने के लिए ५५ पोस्ट चिन्हित कर दंडाधिकारियों व पुलिसकर्मियों को प्रतिनियुक्त किया गया है. इसके अलावे मंदिर गर्भ गृह, निकास द्वार, पार्वती मंदिर, संस्कार मंडप, फूट ओवर ब्रिज, क्यू कॉम्लैक्स से लेकर क्यू कॉम्प्लैक्स एवं नेहरू पार्क होते हुए मानसिंघी हनुमान मंदिर, चिल्ड्रेन पार्क, बीएन झा पथ चौक, चिल्ड्रेन पार्क मोड़ से तिवारी चैक, बीएड कॉलेज गेट एवं टेल प्वांइट तक भीड़ व्यस्थापन हेतु इन स्थलों पर दण्डाधिकारियों व पुलिस पदाधिकारियों की ड्यूटी दी गई है, जो अपने-अपने पाली में भ्रमणशील रहकर यह सुनिश्चित करेंगे कि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो और सभी का अच्छे से कतारमय जलार्पण हो जाए.
इसके अलावे यातायात व्यवस्था को दुरूस्त रखने के लिए पुलिस उपाधीक्षक, सीसीआर, देवघर मधु कच्छप को उचित दिशा-निर्देश दिया गया है. साथ हीं बाबा मंदिर के पास एक अग्निशाम वाहन एवं बीएड कॉलेज के पास दो अग्निशाम वाहन को तैनात करने हेतु प्रभारी अग्निशमन पदाधिकारी को निदेशित किया गया है. बाबा मंदिर के सम्पूर्ण प्रभार में सारठ एसडीपीओ अरविंद कुमार सिंह व रूट लाइन के सम्पूर्ण प्रभार में मुख्यालय डीएसपी मंगल सिंह जामुदा रहेंगे.
इसके अलावा सम्पूर्ण विधि व्यवस्था के वरीय प्रभार में अनुमंडल पदाधिकारी, देवघर विशाल सागर एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, देवघर विकास चन्द्र श्रीवास्तव रहेंगे.
साथ हीं नगर आयुक्त को सम्पूर्ण मंदिर परिसर सहित रूट लाइन में सफाई रखने का निर्देश दिया गया है. कार्यपालक अभियंता, विद्युत आपूर्ति प्रमंडल देवघर को निर्देश दिया गया है कि सम्पूर्ण रूट लाईनिंग में अवस्थित बिजली के खंभों की जांच कर यह सुनिश्चित कर लिया जाय कि कहीं करंट, विद्युत प्रवाह तो नहीं हो रहा है, ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना की संभावना न रहे. इसके अलावा प्रभारी पदाधिकारी, बाबा बैद्यनाथ मंदिर को निर्देश दिया गया है कि वे शिवगंगा तालाब पर गोताखोर दल की प्रतिनियुक्ति करना सुनिश्चित करेंगे.
ठंड के मद्देनजर कंबल वितरण का निर्देश
फैक्ट्री में ब्लास्ट, १ की मौत, ४ गंभीर
सुरक्षा और सुविधा को लेकर एनडीआरएफ जवानों की प्रतिनियुक्ति :
संघ प्रमुख मोहन भागवत का पांच दिवसीय रांची प्रवास, आज संघ |
नई दिल्ली जेएनएन। नेशनल राइफल शूटर तारा शाहदेव को शादी के बाद प्रताड़ित करने और धर्म परिवर्तन से जुड़े मामले में दिल्ली सीबीआइ ने सीबीआइ की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। सीबीआइ ने इस यह चार्जशीट मामले की जांच के बाद दाखिल की है।
अधिवक्ता अविनाश कुमार पांडेय ने बताया कि चार्जशीट में तारा शाहदेव के कथित पति रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन, उसकी मां कौशल रानी और हाई कोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार मुश्ताक अहमद के नाम शामिल हैं। हाई कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सीबीआइ टीम को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। रंजीत सिंह कोहली से जुड़े तीन मामलों को दिल्ली सीबीआइ ने टेक ओवर करते हुए २०१५ में जांच शुरू की थी।
सीबीआइ की जांच शुरू होने के पूर्व पुलिसिया केस की सुनवाई के दौरान कोहली को २७ अगस्त, २०१४ को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। २८ अक्टूबर को रांची कोर्ट में पेशी के बाद उसे बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में भेज दिया गया था। गिरफ्तारी के बाद से वह लगातार जेल में बंद है। जबकि उसकी मां कौशल रानी को जेल जाने के बाद जमानत मिल गई थी।
रंजीत सिंह कोहली ने नेशनल राइफल शूटर तारा शाहदेव के साथ शादी की थी। आरोप है कि इसके बाद तारा को धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा। तारा शाहदेव ने रंजीत सिंह कोहली से तलाक की याचिका भी रांची के परिवार न्यायालय में दायर की है। इस मामले पर भी सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है।
नेशनल शूटर तारा शाहदेव को धर्मांतरण के लिए दी गई थीं यातनाएं?,५ / ५ ( १वोटस ) |
लाइव उपकेट्स: राम मंदिर निर्माण के लिए कानून के अलावा विकल्प नहीं, ब्जप अपना संकल्प पूरा करे- र्स
विश्व हिंदू परिषद की बुलाई यह धर्म सभा दिल्ली के रामलीला मैदान में सुबह ११ बजे से शुरू हुई है जो शाम ४ बजे तक चलेगी
उपड़ते ३- भैय्याजी जोशी ने कहा, राम मंदिर निर्माण के लिए कानून के अलावा विकल्प नहीं. बीजेपी राम मंदिर पर अपना किया संकल्प पूरा करे. १९९२ में काम अधूरा रह गया था. उन्होंने कहा, भगवान राम का मंदिर भविष्य में देश में राम राज्य का आधार है.
उपड़ते २- धर्म सभा को संबोधित करते हुए आरएसएस के सर कार्यवाहक भैय्याजी जोशी ने कहा, हम देश के लोगों के बीच संघर्ष नहीं चाहते हैं. उन्होंने कहा कि प्रेम और सद्भाव के साथ अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए. देश राम राज्य चाहता है.
उपड़ते १- दिल्ली के रामलीला मैदान में विश्व हिंदू परिषद की बुलाई धर्म सभा शुरू हो गई है. मंत्रोच्चार के बाद इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई है. रामलीला मैदान में बनाए गए विशेष मंच पर वीएचपी के बड़े पदाधिकारियों के साथ कई साधू और संत मौजूद हैं. इसमें बड़ी संख्या में साधू-संत उमड़े हैं.
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) आज यानी रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में धर्म सभा का आयोजन कर रही है. ११ दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इसे लेकर विधेयक पेश करने की मांग को लेकर वीएचपी यहां विशाल रैली का आयोजन कर रही है.
यह धर्म सभा सुबह ११ बजे से शुरू होकर शाम ४ बजे तक चलेगी.
वीएचपी ने इस संबंध में कहा है कि वो आश्वस्त है कि संसद के आगामी सत्र के दौरान विधेयक पेश किया जाएगा जिससे अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता प्रशस्त होगा.
वीएचपी प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, रामलीला मैदान में धर्म संसद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकारी प्रमुख सुरेश भैय्याजी जोशी संबोधित करेंगे. यह विशाल रैली होगी जो अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए विधेयक लाने का समर्थन नहीं करने वाले सारे लोगों का हृदय परिवर्तन कर देगी.
वीएचपी के महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा कि अगर किसी स्थिति में संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक नहीं लाया गया तो अगली धर्म संसद में आगे के कदम पर फैसला होगा. इसका आयोजन अगले साल ३१ जनवरी और १ फरवरी को महाकुंभ से अलग इलाहाबाद में होगा .
धर्म सभा को देखते हुए रामलीला मैदान और आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. यहां लगभग १५ हजार की संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. रामलीला मैदान के चप्पे-चप्पे की निगरानी की जा रही है. साथ ही इस पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है.
दिल्ली पुलिस ने ट्रैफिक एडवायजरी जारी कर लोगों से रविवार को रामलीला मैदान और इसे जोड़ने वाली सड़क से बचने की सलाह दी है. |
वेतन सब्सिडी की नीति वर्तमान में केन्द्र एवं राज्य स्तरों पर जितनी भी सब्सिडी दी जाती है। सभी पूंजी के रूप में दी जाती हैं-चाहे वह ब्याज पर हो या ऋण पर हो। हमारे सकल घरेलू उत्पाद में सब्सिडी का हिस्सा लगभग ५ प्रतिशत है। ये सब्सिडी पूंजी आधारित उत्पादन के तरीकों को बढ़ावा देती है। इसमें परिवर्तन करके इसे वेतन आधारित बनाया जा सकता है। यानी कोई भी उद्यमी जितनी अधिक नौकरियाँ देगा, उसे उतनी अधिक सब्सिडी मिलेगी।
कौशल विकास कौशल विकास का वर्तमान कार्यक्रम अधिक गति नहीं पकड़ पाया है। कौशल विकास मंत्रालय ने भी ३० करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने के अपने लक्ष्य को त्याग दिया है। जुलाई २०१७ तक जिन ३० लाख लोगों ने किसी प्रकार का व्यावसायिक प्रशिक्षण लिया है, उनमें से १० प्रतिशत से भी कम को रोजगार प्राप्त हुआ है।
इस क्षेत्र में हमें स्थानीय व्यवसायियों को जर्मन मॉडल की तरह काम करने को तैयार करना होगा। जर्मनी में विश्व का सफलतम व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया है। इस मॉडल में जर्मनी के व्यवसायी कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए काफी धन खर्च करते हैं। इससे उन्हें प्रशिक्षु के रूप में ही बहुत अच्छे कर्मचारी मिल जाते हैं। किसी भी स्थिति में रोजगार की गारंटी के बिना व्यावसायिक प्रशिक्षण देना व्यावहारिक नहीं है।
तीसरा मार्ग कृषि क्षेत्र से संबंधित है। आज की युवा पीढ़ी अपने पारंपरिक कृषि व्यवसाय से बाहर निकलने को आतुर है। दरअसल, इस व्यवसाय को अधिक उत्पादक एवं अधिक आय वाला बनाने की आवश्यकता है। अनाज की फसल से अधिक लाभ फल, सब्जी एवं पशुपालन में है। ये उद्यम भी रोजगार के कई अवसर देते हैं। परन्तु इस क्षेत्र को अधिक उत्पादक एवं रोजगारोन्मुख बनाने के लिए कोल्ड स्टोरेज और रेफ्रीजरेटेड परिवहन की संख्या को बढ़ाना होगा।
१९१७ में हुई रूस की अक्टूबर क्रांति की चर्चा के बिना २०वीं शताब्दी का इतिहास लिखा नहीं जा सकता। ७ नवम्बर को रूसी समाजवादी क्रांति की शताब्दी पूर्ण हुई। एक देश के लिए यह ऐसी कहानी है, जिसने उसे बहुत ही कम समय में एक गरीब कृषि प्रधान देश से सैनिक और औद्योगिक ताकत बना दिया। इसे रूसी लोगों के साहस, त्याग और पीड़ा की कथा भी कहा जा सकता है। क्रांति के इस शताब्दी वर्ष में ऐसे भी कई विद्वान हैं, जो इसे विफल मानते हुए, उस दृष्टिकोण से इसका अध्ययन करना चाहते हैं। परन्तु तथ्य कुछ और ही बयां करते हैं।
अक्टूबर क्रांति का विचार इतना शक्तिशाली था कि इसने विश्व के अधिकांश दमित लोगों के दिलों को छू लिया। शोषण एवं गुलामी से मानव मात्र को स्वतंत्र करना ही क्रांति का मुख्य लक्ष्य था। इसने ऐसे पूंजीवाद को नकारकर समाजवाद की स्थापना की, जिसमें एक मानव दूसरे का शोषण करता है। इस क्रांति ने प्रकृति और मानव के बीच के संबंध को सद्भावपूर्ण बनाया एवं हर व्यक्ति को जीवन के प्रत्येक सोपान के लिए तैयार कर दिया।अक्टूबर क्रांति ने पूरे विश्व के ऐतिहासिक एवं वैचारिक परिदृश्य को ही बदलकर रख दिया। इसने न केवल जार के शासन को परिवर्तित किया, बल्कि समस्त विश्व पर दूरगामी प्रभाव डाला।
अक्टूबर क्रांति का एशिया एवं भारत पर प्रभाव
समस्त विश्व के स्वतंत्रता आंदोलनों पर क्रांति का व्यापक प्रभाव पड़ा। इसमें भारत भी शामिल था। भारतीय स्थितियों में आज भी इसका उतना ही प्रभाव है। वर्तमान के समाजवादी एवं माक्र्सवादी दल इसका उदाहरण हैं। हमारे स्वतंत्रता संघर्ष के प्रणेताओं ने भी रूसी क्रांति के विचारों का समर्थन किया था।अक्टूबर क्रांति के नेता लेनिन ने एशियाई देशों के समाजवादियों से अपील की थी कि वे अपने देश के अनुभवों एवं जरूरतों के अनुसार क्रांति की नई विचारधारा बनाएं। यद्यपि रूसी समाजवादी अतिवादी थे, लेकिन उन्होंने बाकी देशों को रूसी क्रांति की नकल न करने की ही सलाह दी। काँक्रीट एनालिसिस ऑफ़ काँक्रीट कंडीशन्स (ठोस परिस्थितियों का यथार्थपूर्ण विवेचन), यही लेनिन के द्वंद्ववाद की परिभाषा थी।
दरअसल, एशियाई देशों की परिस्थितियाँ काफी जटिल रही हैं। इसकी सामाजिक-आर्थिक संरचना की ऐतिहासिक परंपरा है। माक्र्स ने भी कहा था कि एशिया के सामाजिक एवं आर्थिक संबंध एक- दूसरे पर आरोपित हैं। माक्र्स ने इसे एशियाटिक मोड ऑफ़ प्रोडक्शन का नाम दिया था। लेनिन ने इन देशों के माक्र्सवादियों को अपने यहाँ की स्थितियों का विवेचन करके रणनीति बनाने को कहा था। भारत में जातिभेद और लिंगभेद जैसी जटिल संरचना रही है।
लेनिन के साम्राज्यवाद के विचार ने भी एशियाई देशों के समाज को समझने में सहयोग दिया। पूर्वी देशों में पूंजीवाद का स्वरूप जटिल है। पूंजीवाद की पश्चिमी अवधारणा पूर्वी देशा में विध्वंसक साबित हो रही है। इसने इन देशों की जैव विविधता, प्राकृतिक संसाधनों, आदिवासियों, कृषकों एवं पर्यावरण के लिए संवेदनशील तंत्र को नष्ट कर दिया है। पूंजीवाद पर आधारित विकास का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। वायु, जल एवं भूमि प्रदूषण ने किसानों को कंगाल कर दिया है। यही कारण है कि वे आत्महत्या करने को मजबूर हो गए हैं। रासायनिक खाद के अत्याधिक प्रयोग से खाद्यान्न, दूध, सब्जी का दूषित होना प्राणघातक बीमारियाँ तथा आए दिन होने वाले सड़क हादसे भी अन्य ऐसे ही उदाहरण हैं, जो भारत में पूंजीवादी विकास का नमूना पेश करते हैं।
पूंजीवादी-साम्राज्यवादी विकास का ही नया नाम नवउदारवाद है। इसने समाज में बहुत अधिक असमानता उत्पन्न कर दी है। सामाजिक मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। अपनी राजनीतिक शक्ति को सुरक्षित रखने के लिए सत्ताधारी दक्षिणपंथी वर्ग और अधिक फासीवादी होता जा रहा है, और वह प्रजातंत्र तथा उससे संबंद्ध संसद जैसी प्रजातांत्रिक संस्थाओं में सेंध लगा रहा है।अक्टूबर क्रांति पूर्वी देशों में पूंजीवाद को बेहतर समझने में हमारी मदद कर सकती है। भारत में धर्मनिरपेक्ष प्रजातंत्र, सामाजिक न्याय एवं समाजवाद की रक्षा के लिए सभी शोषित एवं दमित वर्गों को एकजुट होना होगा। यह अनिवार्य हो गया है कि भारतीय परिस्थितियों में समाजवादी माक्र्सवाद को वैज्ञानिक विचारधारा के रूप में सामने रखें। अभी मानवता को कई अक्टूबर क्रांतियों की आवश्यकता है।
द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित डी. राजा के लेख पर आधारित। |
सुनिए टेप, समाचार प्लस वाला उमेश कुमार सीएम को फंसाने का तरीका समझा रहा एडिटर इन्वेस्टिगेशन आयुष को | नो. १ इंडियन मीडिया न्यूज पोर्तल
समाचार प्लस का एडिटर इन चीफ और सीईओ उमेश कुमार के दिमाग में हर वक्त स्टिंग चलता रहता था. सीआईएसएफ, यूपी और उत्तराखंड पुलिस के कुल इक्कीस जवानों की सुरक्षा में रहने वाले उमेश कुमार को ये सपने में भी भय नहीं रह गया था कि उसे उसकी जन विरोधी, मीडिया विरोधी और लोकतंत्र विरोधी हरकतों के लिए एक दिन गिरफ्तार भी किया जा सकता है.
उमेश के रिश्ते भाजपा के दिग्गज नेताओं से थे. उसकी फितरत थी, जहां रहो, उसी घर को बर्बाद करो. जिस थाली में खाओ, उसी में छेद करो. कांग्रेस के करीबी रहा तो उसने कांग्रेसी सीएम हरीश रावत का स्टिंग कर लिया. जिन जिन नौकरशाहों को मित्र बनाया, सबका स्टिंग किया. अब जब उसने उत्तराखंड के भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का स्टिंग करने का फैसला किया तो यही निर्णय उसके सलाखों के पीछे जाने का कारण बन गया. भाजपा समेत अब सारी पार्टियां और सारे अफसर-पत्रकार उमेश कुमार व उसकी टीम से दूर रहने में ही भलाई समझते हैं.
भड़ास के पास एक एक्सक्लूसिव आडियो है जिसमें उमेश कुमार अपने एसआईटी हेड और एडिटर इन्वेस्टिगेशन पंडित आयुष उर्फ आयुष गौड़ को सिखा रहा है कि उसे कैसे सीएम को स्टिंग में फंसाना है. उमेश कुमार द्वारा अपने खोजी पत्रकार को फोन पर कम उत्तराखंड को फंसाने का तरीका बताने के आडियो का एक छोटा अंश है जिसे सुनने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि उमेश की मंशा किसी भी तरह सीएम को फंसाने की थी ताकि वह उन्हें बाद में ब्लैकमेल कर अपने अच्छे-बुरे काम करा सके.
बातचीत में उमेश की सीएम को फांसने की उत्सुकता भी साफ नज़र आ रही है. किस तरह नीचे वाले अफसरों को पैसा पकड़ा कर सीएम तक को इस करप्ट चेन में इनवाल्व दिखाकर सीएम को भी करप्ट इस्टैब्लिश करना है, वह इस बातचीत से समझ में आ जाती है. इस आडियो को सुनें और सुनाएं ताकि आजकल की धंधेबाज पत्रकारिता और स्टिंगबाज पत्रकारिता का असली चेहरा सब तक पहुंच पाए.
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गंगा के लगातार बढ़ते जलस्तर के बाद आज पांचवी बार विश्व विख्यात गंगा सेवा निधि की गंगा आरती का स्थान बदल दिया गया है। ये वही आरती है जिसे देखने पीएम मोदी अक्सर वाराणसी आते है। इसके साथ ही पीएम मोदी के साथ भी कई देशों के मेहमान भी यहां शिरकत कर चुके है। ऐसे में बीते २४ घण्टे में तेज़ बारिश के कारण गंगा का जलस्तर काफी बढ़ गया है। अब गंगा सेवा निधि के कार्यालय की छत पर गंगा आरती होना शुरू कर दिया गया है।
वही आज इसकी शुरुआत होने के साथ ही आज ही भीषण बारिश भी हुई। जिसके बाद दैनिक होने वाली गंगा आरती को भीषण बारिश में करना पड़ा। एक तरफ भीषण बारिश हो रही थी तो वही बारिश में भीग कर विदेशी मेहमान आरती में शामिल हुए। यही नही वाराणसी में होने वाली आरती को भारत सहित विदेशो से भी लोग देखने आते हैं।
प्रेवियस उत्तराखंड में रहने वालों सावधान! बाढ़ और ज़मीन खिसकने से इतनी मौत
नेक्स्ट हिमाचल और उत्तराखंड में ज़िंदगी पर भारी पड़ रही है बारिश |
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई प्रकार के शारीरिक, हॉर्मोनल और मानसिक बदलावों से झूझना पड़ता है, जिसमें से उल्टी होना, जी मिचलाना, चक्कर आना सामान्य घटनाएं है, लेकिन प्रेग्नेंसी में अक्सर महिलाओं को खून की कमी भी देखी गयी है जो की मां और बच्चे दोनों के लिए ही खतरनाक साबित हो सकती है। भारत में ज्यादातर महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान हीमोग्लोबिन का लेवल सामान्य से कम ही पाया जाता है और इसलिए डॉक्टर उन्हें दूसरे-तीसरे महीने से ही आयरन की गोलियां लेने की सलाह देते हैं। आयरन शरीर में हिमोग्लोबिन बनाता है,इसलिए गर्भवती महिलाओं को आयरन से भरपूर चीज खाने की भी सलाह डॉक्टर्स द्वारा दी जाती है।
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आइये जानते हैं ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनको अपनी डाइट में शामिल करके आयरन की कमी को पूरा किया जा सकता है :
प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं को नियमित रूप से अपने आहार में खजूर और सूखे मेवों को शामिल करना चाहिए क्योकि इनके सेवन से आयरन की कमी दूर होने के साथ साथ शरीर को ताकत भी मिलती है।
अंजीर में विटमिन ए, बी१, बी२, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, मैगनीज, सोडियम, पोटैशियम और क्लोरीन पाया जाता है। दो अंजीर को रात को पानी में भिगोकर, सुबह उसका पानी पीने और अंजीर खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
पालक में विटामिन ए,बी,सी, लोहा, कैल्शियम, प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट,फाइबर,खनिज पदार्थ, मैग्निशियम, आयरन, अमीनो अम्ल तथा फोलिक अम्ल जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसे आप कच्चा और पक्का कर, दोनों तरीकों से खा सकते हैं। पालक का जूस आपके पाचन तंत्र की अच्छे से सफाई करके आपके शरीर में विषाक्त कीटाणुओं से उत्पन्न होने वाले रोगों से रक्षा करता है। पालक में आयरन काफी अधिक मात्रा में होता है अतः प्रेग्नेंसी में इसके सेवन से खून की कमी को पूरा किया जा सकता है।
चुकुंदर में मौजूद फॉलिक ऐसिड प्रेगनेंसी में स्वास्थ्यवर्धक होता है । साथ ही इसमें कैल्शियम, सल्फर, पौटाशियम,क्लोरीन, आयोडीन एवं आयरन आदि पाए जाते हैं। ये गर्भवती स्त्री के शरीर में खून की कमी नहीं होने देता जिसके कारण वो सुरक्षित प्रसव के लिए तैयार हो पाती है । यह शिशु के संपूर्ण विकास में भी मदद करता है । इसके अलावा इसके नियमित सेवन से गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को थकावट तथा ऊर्जा की कमी महसूस नहीं होती है।
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बेटी जो दमके
नाईक-योगी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जीं को बलिदान दिवस पर अर्पिंत की पुष्पांजलि
२३/०६/२०१८ ३:१५ प्म थे लखन ट्रिब्यून कम्मंट ऑफ ऑन नाईक-योगी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जीं को बलिदान दिवस पर अर्पिंत की पुष्पांजलि |
बॉलीवुड के ये सुपरस्टार्स घूमते हैं इतनी महँगी गाड़ी में, दूसरे नम्बर वाले के बारे में जानकार हो जाएँगे हैरान - न्यूज़ट्रेंड
मुंबई: मायानगरी के नाम से मशहूर मुंबई में कई ऐसी ख़ूबसूरत और अनोखी चीज़ें हैं, जिसके बारे में जानकार लोगों को हैरानी होती है। उन्ही में से एक है चमक-धमक से भरा हुआ बॉलीवुड। जी हाँ बॉलीवुड की दुनिया आम दुनिया से बिलकुल भी अलग है। इस दुनिया में हमारे और आपके जैसे दिखने वाले लोग ही रहते हैं, लेकिन इनका रहन-सहन और ठाठ-बाठ आम लोगों से बिलकुल अलग होता है। बॉलीवुड में कई ऐसे स्टार्स हैं जो अपनी बेहतरीन लाइफ़स्टाइल के लिए जाने जाते हैं।
हर किसी का सपना होता है कि वह अपना जीवन काफ़ी आराम और ठाठ-बाठ से गुज़ारे। लेकिन सभी लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह होती है पैसे की कमी। बॉलीवुड के कई ऐसे स्टार्स हैं जिनके पास पैसे की कोई कमी नहीं है। आम लोग जितने पैसे में अपना पूरा जीवन गुज़ार देते हैं, उतने में ये स्टार्स अपने महीने भर का खाना खाते हैं। बॉलीवुड स्टार्स को आलीशान कार रखने का भी काफ़ी शौक़ है। उनका यह शौक़ पुराने ज़माने से चला आ रहा है।
आज हम आपको बॉलीवुड के कुछ ऐसे स्टार्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके पास इतनी महँगी कारें हैं, जिनकी क़ीमत जानकार आप हैरान हो जाएँगे। आपको यह जानकार और भी हैरानी होगी कि इन सुपरस्टार्स के पास ऐसी महँगी कारें एक नहीं बल्कि कई हैं।
इन बॉलीवुड स्टार्स के पास है इंडस्ट्री की सबसे महँगी कारें
*- अमिताभ बच्चन:
बॉलीवुड के महानायक के बारे में किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है। इसके साथ ही उनके कार प्रेम के बारे में भी बताने की ज़रूरत नहीं है। अमिताभ बच्चन को कारों का बहुत शौक़ है। २०१३ में अमिताभ बच्चन ने रॉल्स रॉयस फैंटम ख़रीदी थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें इस कार की क़ीमत उस समय ३.५ करोड़ रुपए थी। अमिताभ बच्चन के पास इसी तरह की 2५ आलीशान कारें हैं।
*- शाहरुख़ खान:
बॉलीवुड में किंग खान के नाम से मशहूर शाहरुख़ खान को भी कारों का काफ़ी शौक़ है। महँगी गाड़ियाँ रखने के मामले में शाहरुख़ खान पूरे बॉलीवुड में पहले नम्बर पर आते हैं। शाहरुख़ खान के पास बुग़ाती वेरॉन है, जिसकी क़ीमत लगभग १२ करोड़ रुपए है। शाहरुख़ खान के पास इसके साथ ही बीएमडब्ल्यू ६, ऑडी ६, रॉल्स रॉयस फैंटम और बेंटली जैसी महँगी गाड़ियाँ भी हैं।
*- प्रियंका चोपड़ा:
प्रियंका चोपड़ा भी कार के मामले में किसी से पीछे नहीं है। प्रियंका के पास रॉल्स रॉयस घोस्ट है। इसकी क़ीमत २ करोड़ रुपए है। इसके साथ ही प्रियंका के पास मर्सीडिज-बेंज़, पोर्श और बीएमडब्ल्यू जैसी गाड़ियाँ भी है।
*- रणबीर कपूर:
ऋषि कपूर के लाल रणबीर कपूर को भी कारों का काफ़ी शौक़ है। इनके पास ऑडी आर ८ है। इस कार की क़ीमत २ करोड़ रुपए है। रणबीर के पास रेंज रोवर स्पोर्ट, मर्सीडिज बेंज़ जैसी गाड़ियाँ भी है।
*- ऋतिक रोशन:
ऋतिक रोशन को भी महँगी कारों का काफ़ी शौक़ है, ऋतिक रोशन ने अपने जन्मदिन के मौक़े पर २०१६ में रॉल्स रॉयस घोस्ट सीरीज़ २ ख़रीदी थी। इस कार की क़ीमत ७ करोड़ रुपए है। इसके साथ ही रितिक रोशन के पास रॉल्स रॉयस घोस्ट सीरीज़ १, फ़ेरारी ३६० मोडेना और मसराती स्पाइडर जैसी कारें भी हैं।
*- सलमान खान:
बॉलीवुड के दबंग सलमान खान महँगी कार रखने के मामले में किसी से पीछे नहीं हैं। सलमान खान के पास ऑडी आर एस ७ का स्पोर्टियर वर्जन है। इस कार की क़ीमत १.३६ करोड़ रुपए है। इसके साथ ही सलमान खान के पास टोयोटा की लैंड क्रुजर, लेक्सस की एलएक्स 5७0, बीएमडब्ल्यू एक्स ६, मर्सीडिज बेंज़ जैसी कारें भी हैं।
अगर आप भी हैं चावल और सफ़ेद पास्ता की शौक़ीन तो हो जाएँ सावधान, हो सकती है ये गम्भीर समस्या
मिशन गगनयान नए भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा: मन की बात में प्म मोदी |
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सीएम योगी ने कहा-हिंदू शासक के समय कश्मीर में सुरक्षित थे हिंदू और सिख
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उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लखनऊ में आयोजित सिख समागम में कहा कि जब तक कश्मीर में हिंदू शासक था, तब तक वहां सभी धर्मों के लोग सुरक्षित थे। लेकिन बदलते समय में जब हिंदू राजा का पतन हुआ तो वहां हिंदू और सिख समाज के लोगों का भी पतन होना शुरू हो गया। सीएम ने अपने बयान में कहा कि आज कश्मीर की स्थिति क्या है, इसपर विचार होना चाहिए। सवाल यह है कि क्या घाटी में आज कोई भी खुद को सुरक्षित बोल सकता है? जवाब है-नहीं। ऐसे में हमें इतिहास से कुछ सीखना चाहिए।
बता दें कि सीएम योगी से पहले यूपी पहुंचे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी रविवार को कहा था कि कश्मीर घाटी के आतंकवाद को बंदूक के बल पर खत्म नहीं किया जा सकता।
मेरठ के एक कार्यक्रम के दौरान मलिक ने कहा था कि घाटी का आतंकवाद सीमा पार से प्रायोजित है, इसलिए इसे बंदूक की गोली से समाप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर असल में घाटी से आतंकवाद का अंत करना है तो इसके लिए यहां के युवाओं से संवाद स्थापित करना होगा।
मलिक ने कहा था कि घाटी में हिंसा की घटनाओं में कमी आई है। इसके अलावा निकाय चुनाव के दौरान भी हालात सामान्य रहे हैं। ऐसे में हाल में हुए चुनाव घाटी के भविष्य के लिए अच्छा संकेत हैं। उन्होंने कहा कि पहले कश्मीर में चुनाव के दौरान आए दिन हत्या जैसी वारदात होती थी, लेकिन इस बार ऐसी घटनाएं नहीं हुईं।
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- फिर अंबेडकर की मूर्ति टूटी, हाइवे जाम, संत कबीर नागर न्यूज इन हिन्दी -अमर उजाला बेहतर अनुभव के लिए अपनी सेटिंग्स में जाकर हाई मोड चुनें।
संत कबीर नागर फिर अंबेडकर की मूर्ति टूटी, हाइवे जाम
मनियरा/कांटे। कोतवाली खलीलाबाद क्षेत्र के लहुरादेवा गांव में रविवार रात डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को कुछ अराजक तत्वों ने तोड़ दिया। खबर मिलने पर सोमवार को गुस्साई भीड़ ने कांटे पुलिस चौकी का घेराव किया। मांग अनसुनी होने पर लोगों ने भुजैनी चौराहे पर हाइवे जाम कर दिया। एसडीएम, सीओ और कोतवाल फोर्स के साथ पहुंच गए। लोगों को पीएसी के जवानों ने लाठी चलाकर भगाया। सन १९९७ में लहुरादेवा गांव के चौराहे पर भंते अशोक प्रिय ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का शिलान्यास किया था। रविवार रात अंबेडकर की प्रतिमा का दाहिना हाथ अराजक तत्वों ने तोड़ दिया। जानकारी मिलने पर लहुरादेवा, पैली, भुजैनी, कांटे, फुलवरिया, सरौली आदि कई गांवों के लोग सोमवार को मौके पर पहुंच गए। ट्रैक्टर ट्राली से लोग पहले कांटे चौकी पर पहुंचे, यहां अराजक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। मौके पर चौकी इंचार्ज नहीं मिले। नाराज लोगों ने शासन-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बाद में बालकेश्वर बौद्ध के नेतृत्व में भुजैनी चौराहे पर हाइवे जाम कर दिया गया। करीब एक घंटे तक यातायात प्रभावित रहा। सूचना पर एसडीएम विनय सिंह, सीओ आरके शर्मा, कोतवाल अशोक यादव पीएसी के साथ पहुंच गए। लाठी चलाकर पुलिस ने जाम समाप्त करवाया। बताया जा रहा है कि प्राथमिक स्कूल की छत पर मूर्ति का टूटा हाथ मिल गया। कोतवाल ने बताया कि अज्ञात के खिलाफ मूर्ति खंडित करने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जल्द ही अराजक तत्वों का पता लगा लिया जाएगा। इनसेट शहर में प्रदर्शन कर जताया विरोध बुद्धा मानव मानव कल्याण संस्थान के उपाध्यक्ष रामकिशुन के नेतृत्व में २४ लोगों ने कोतवाली खलीलाबाद के पास सड़क पर प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि लहुरादेवा में अंबेडकर की प्रतिमा खंडित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के साथ उनकी गिरफ्तारी की जाए। नई मूर्ति प्रशासन स्थापित कराए। बौद्ध भिक्षुओं, बौद्ध उपासकों की सुरक्षा प्रशासन मुहैया कराए। डीएम को भी अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। |
ऊर्जा संरक्षण के लिए जयपुर जंक्शन को मिला प्रथम पुरस्कार
जयपुर। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर ऊर्जा विभाग द्वारा वाणिज्यिक भवन की श्रेणी में उत्तर-पश्चिम रेलवे के जयपुर जंक्शन को प्रथम स्थान दिया गया। रेलवे की ओर से पुरस्कार जयपुर मंडल के वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता राजेन्द्र कुमार शर्मा ने ग्रहण किया। पिछले दिनों ही उत्तर-पश्चिम रेलवे के जयपुर मंडल में विभिन्न स्थानों पर १२०० केडब्ल्यूपी क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं। जिससे हर साल लगभग १८० करोड़ की हरित उर्जा बनाई जा रही है। जयपुर जंक्शन पर भी हाल ही में ५५० किलोवाट की क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया गया था। साथ ही नए साल में एक और ५०० किलोवाट का सौर ऊर्जा संयंत्र
निकाय निदेशालयजयपुर डिस्कॉम को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण अवार्ड
उत्तर प्रदेश राज्य ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार
प्रदेश को मिलेगा ऊर्जा संरक्षण पर पुरस्कार
स्थानीय निकाय विभाग राजस्थान को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार
ऊर्जा संरक्षण के लिए प्रदेश को मिले चार राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार
मानव जाति के भविष्य के लिए ऊर्जा संरक्षण आवश्यक : मुख्यमंत्री
ऊर्जा बचाने में देश के लिए आदर्श बना जयपुर
पेंटिंग के जरिए ऊर्जा संरक्षण का संदेश |
करोड़ रुपए के करीब ६८८ ग्राम हेरोइन बरामद* *तीन नशा तस्कर काबू, तस्करी मे प्रयुक्त कैन्टर भी जब्त* *कैस्वपुर मन्डी दिल्ली से रोहित नाम के लङके से लेकर आये हेरोइन* | सिटीदर्पण
*करोड़ रुपए के करीब ६८८ ग्राम हेरोइन बरामद*
*तीन नशा तस्कर काबू, तस्करी मे प्रयुक्त कैन्टर भी जब्त*
*कैस्वपुर मन्डी दिल्ली से रोहित नाम के लङके से लेकर आये हेरोइन*
चंडीगढ, ४ मई हरियाणा पुलिस ने नशे के कारोबार पर रोकथाम लगाते हुए कैन्टर मे सवार तीन व्यक्तियों को फतेहाबाद जिला से काबू कर उनके कब्जे से ६८८ ग्राम हेरोइन बरामद कर सफलता हासिल की है।
हरियाणा पुलिस के प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान राकेश उर्फ कालु निवासी माखुसुरानी, विजय निवासी डिग मंडी व तीसरे आरोपी की पहचान रघुवीर सिह निवासी गांव बोदीवाली के रुप मे हुई है। जब्त की गई हेरोइन की कीमत करोड़ रुपए के करीब बताई गई है।
जानकारी के अनुसार पुलिस टीम नैशनल हाईवे नजदीक टी प्वाईट मोहम्दपुर रोही रोङ पर नाकाबंदी कर चैकिंग कर रहे थे। उसी दौरान हिसार की तरफ से आ रही एक कैन्टर को चैकिंग के लिए रुकवाया जिसमे तीन लोग सवार थे। पुछताछ करने पर कैन्टर मे बैठे तीनो व्यक्ति कोई सन्तोषजनक जवाब नही दे सके। पुलिस ने शक के आधार पर उनकी तलाशी लेने पर तीनों के कब्जे से ६८८ ग्राम हेरोइन बरामद की है। पुछताछ पर आरोपियो ने बताया यह हेरोइन हम कैस्वपुर मन्डी दिल्ली से रोहीत नाम के लङके से लेकर आये थे। पुलिस ने आज तीनों आरोपियों को कोर्ट मे पेश किया गया। |
भोपाल: मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में शौच को लेकर दलित मासूमों की हत्या पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने दुखद और अति निंदनिय करार दिया है। मायवती ने इस मामले में दोषियों का फांसी देने की मांग की है। घटना के बाद से ही गांव में तनाव का बना हुआ है। मायावती ने ट्वीट कर मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार और केंद्र सरकार से सवाल किया है कि गरीब दलितों व पिछड़ों आदि के घरों में शौचालय की समुचित व्यवस्था क्यों नहीं की गई है।
मायावती ने ट्वीट कर लिखा है कि देश के करोड़ों दलितों, पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों को सरकारी सुविधाओं से काफी वंचित रखने के साथ-साथ उन्हें हर प्रकार की द्वेषपूर्ण जुल्म-ज्यादतियों का शिकार भी बनाया जाता रहा है और ऐसे में मध्य प्रदेश के शिवपूरी में २ दलित युवकों की नृशंस हत्या अति-दुःखद च अति-निन्दनीय।
उन्होंने ने दूसरे ट्वीट में लिखा कांग्रेस व बीजेपी की सरकार बताए कि गरीब दलितों व पिछड़ों आदि के घरों में शौचालय की समुचित व्यवस्था क्यों नहीं की गई है? यह सच बहुत ही कड़वा है तो फिर खुले में शौच को मजबूर दलित युवकों की पीट-पीट कर हत्या करने वालों को फांसी की सजा अवश्य दिलायी जानी चाहिए।
बता दें, मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के गांव भावखेड़ी में बुधवार की सुबह सड़क पर शौच करने को लेकर गांव के ही दो युवकों ने २ बच्चों की लाठी से पीट पीटकर हत्या कर दी। दोनों बच्चे आपस में बुआ-भतीजे थे। दोनों शौच के लिए घर से निकले थे। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस भवखेड़ी गांव पहुंची और दोनों आरोपियों हाकिम और रामेश्वर को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस आरोपियों को शिवपुरी कोतवाली ले आई है, जहां उनसे पूछताछ की जा रही है। |
समाचार अब तक: लद्दाख में होती है करोड़ों की तस्करी
लद्दाख में होती है करोड़ों की तस्करी
भारत-चीन सीमा पर वास्तवितक नियंत्रण रेखा अब करोड़ों रुपए की तस्करी का जरिया बन गई हैं। जहाँ भारतीय कारोबारी तस्करी के जरिए करोड़ों रुपए मूल्य के रोजमर्रा के उपयोग केसामान तिब्बत में भेज कर वहाँ से चीन के फैंसी उत्पादों को भारत लाते हैं।
यह इलाका है लद्दाख के दक्षिण पश्चिम में स्थित शंगथांग, जो तस्करों के लिए स्वर्ग बन गया है। यहाँ से गेहूँ, चावल, सिगरेट, बीड़ी तथा कुकिंग तेल जैसी दैनिक उपभोग की वस्तुओं का तस्करी होती है।
लद्दाख क्षेत्र के सैन्य तथा प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि भारतीय कारोबारी बदले में पश्मीना शाल, चीनीबर्तन, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद, कंबल आदि लाते हैं।
अधिकारियों के अनुसार पिछले साल के ओलिम्पिक से पहले चीन ने शंगथांग इलाके के दूसरी ओर अपनी भूमि मेंदुमशेले में दो अस्थाई स्थल बनाए। यहाँ दोनों तरह के कारोबारी इकट्ठे होते और सामान की अदला-बदली करते।लेकिन ओलिम्पिक के दौरान तिब्बती विरोध के चलते चीन के अधिकारियों ने इस व्यवस्था को बंद कर दिया।
इसके बाद दोनों तरफ के तस्करों के लिए अदला-बदली के रूप में तस्करी का मार्ग खुल गया।
कुछ अधिकारियों का मानना है कि चीन के अधिकारी इस तस्करी को अनुमति दे रहे हैं क्योंकि उनके लिए मुख्यचीन से पश्चिमी तिब्बत में आवश्यक वस्तुओं की समुचित आपूर्ति बनाए रखना कठिन है।
सूत्रों का कहना है कि हालाँकि भारत तिब्बत सीमा पुलिस तथा सेना इन तस्करों पर काबू करने की कोशिश कररही है लेकिन बड़ी संख्या में पहाड़ी दर्रों के चलते इस पर पूरी तरह नियंत्रण संभव नहीं है।
कुछ अन्य अधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा आरोप लगाया कि इस तरह की गतिविधियों परनियंत्रण कड़ा करने पर लद्दाखी राजनीतिक हस्तक्षेप होता है।
स्थानीय स्तर पर इस तरह के कारोबार की अनुमति का आग्रह किया जाता है क्योंकि अनेक लोगों की आजीविका इससे चल रही है। |
अरविंद केजरीवाल को अन्ना हजारे की आलोचना बंद करनी चाहिए: अठावले
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख रामदास अठावले ने सोमवार को कहा कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को अपने गुरु के प्रति कृतघ्न नहीं होना चाहिए और उन्हें अन्ना हजारे की आलोचना से बचना चाहिए.
मुंबई, १७ दिसंबर २०१३, अपडेटेड ०५:३६ इस्ट
यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान आरपीआई प्रमुख रामदास अठावले ने कहा कि लोकपाल विधेयक पर हजारे की प्रतिक्रिया सही है और अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता की आलोचना बंद करनी चाहिए.
गौरतलब है कि इन दिनों अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं. अन्ना हजारे ने अपने मंच से जहां केजरीवाल के एक साथी को रालेगणसिद्धि गांव छोड़ देने के लिए कहा था तो केजरीवाल ने भी उस लोकपाल पर आपत्ति जाहिर की, जिसे अन्ना सही बता रहे हैं.
ओपीनियन: अन्ना व केजरीवाल के रास्ते जुदा
लोकपाल पर आप करे आंदोलन: अन्ना हजारे |
नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (नप्सी) भर्ती २०१५-१० रिक्ति प्रबंधक / वरिष्ठ प्रबंधक ब.टेक/ब.ए,म.स्क,म्का
अक्टोबर १, 20१5 प्रिया नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एनपीसीआई) भर्ती अधिसूचना के माध्यम से प्रबंधक / वरिष्ठ प्रबंधक की भर्ती के लिए एक भर्ती अधिसूचना जारी की है । पूरा करने वाले उम्मीदवारों को ब.टेक/ब.ए,म.स्क,म्का नेशनल से नई भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एनपीसीआई)।
योग्य उम्मीदवारों को या उससे पहले प्रबंधक / वरिष्ठ प्रबंधक नौकरी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते २८/१०/२०१५ । कैसे आदि लागू करने के लिए नीचे पाया जा सकता आयु सीमा, चयन प्रक्रिया, योग्यता, आवेदन शुल्क, जैसे रिक्ति के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करें।
कंपनी का नाम : नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एनपीसीआई) रिक्ति का नाम : प्रबंधक / वरिष्ठ प्रबंधक शैक्षिक योग्यता : ब.टेक/ब.ए,म.स्क,म्का
रिक्ति की कुल संख्या : १० पद वेतन : एनए नौकरी स्थान : मुंबई की अंतिम तिथि को लागू करने के लिए इस काम के लिए २८/१०/२०१५: नौकरी रिक्ति के लिए पता : नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया, मुंबई
विस्तार नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एनपीसीआई) प्रबंधक / वरिष्ठ प्रबंधक भर्ती:
नौकरी विवरण: अंत का विस्तृत ज्ञान एक संदेश / दोहरी संदेश सिस्टम्स, संदेश संहिताओं और ऑनलाइन / ऑफलाइन प्राधिकरण के मापदंडों के ज्ञान सहित कार्ड भुगतान समाशोधन और निपटान, सुलह प्रक्रियाओं को समाप्त करने के लिए। खड़ी होकर प्रसंस्करण परीक्षण और पैरामीटर सेटअप का ज्ञान।
अन्य नेटवर्क के इंटरचेंज शुल्क गणना और इंटरचेंज शुल्क प्रसंस्करण संरचना प्रभावित करने वाले कारकों का विस्तृत ज्ञान। काम कर क्लियरिंग और निपटान, अनुपालन पर अनुभव और संपादन और पूर्वसंपादित प्रसंस्करण सहित पूरे इंटरचेंज प्रणाली की अस्वीकृति हैंडलिंग। चैनलों में नप्सिस कार्ड भुगतान नेटवर्क के सुचारू संचालन के लिए जिम्मेदार है। डेबिट / प्री के लेन-देन का प्रवाह और वापस कार्यालय के संचालन के अनुभव क्रेडिट कार्ड / इकॉम / मोबाइल / एटीएम / आईवीआर / भुगतान किया। निगरानी और उद्योग के उत्पाद के प्रदर्शन ज्ञान, बाजार के रुझान का मूल्यांकन, और प्राधिकरण शुरुआत पूरा लेन-देन चक्र के संबंध में विभिन्न प्रतियोगियों और लेन-देन के निपटारे।
आवश्यक ज्ञान: कार्ड भुगतान प्रोसेस.अबिलिटी का अच्छा ज्ञान विशेष रूप से कार्ड के क्षेत्र में, नियामक नियमों और भारत और प्रमुख बाजारों की अन्य नियामक दिशा-निर्देशों में कार्ड उद्योग से संबंधित नियमों के साथ कार्ड से भुगतान में मार्केट.फेमिलियार वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संबंधों का प्रबंधन करने के लिए और व्यापारी सेवा फी.कम्पेटेसी उत्कृष्ट मौखिक और लिखित संचार, बातचीत, परियोजना प्रबंधन और मैट्रिक्स प्रबंधन कौशल बातचीत और आंतरिक और बाह्य व्यापार भागीदारों के साथ प्रभावी ढंग से समन्वय स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण क्षमता है। प्रभावी ढंग से प्रत्यक्ष और कई कार्यों का प्रबंधन करने की क्षमता। स्व-प्रेरित एक टीम के वातावरण में अच्छे लोगों को प्रबंधन कौशल, एक टीम का नेतृत्व करने की क्षमता संचालन करते हुए सफलता देने के एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड के साथ
इच्छित प्रोफ़ाइल शिक्षा: स्नातकीय -ब.टेक/बे कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स / दूरसंचार पीजी म.स्क कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स, एमसीए कम्प्यूटर डॉक्टरेट अन्य डॉक्टरेट |
हिन्दी न्यूज: नियम ताक पर रखकर सफाई कर्मियों का नियमितीकरण कर रही नगर पालिका
नियम ताक पर रखकर सफाई कर्मियों का नियमितीकरण कर रही नगर पालिका
नौगांव तहसील के सफाई कर्मचारियों ने एक बैठक का आयोजन किया। जिसमें अखिल भारतीय सफाई मजदूर ट्रेड यूनियन जिला...
नौगांव तहसील के सफाई कर्मचारियों ने एक बैठक का आयोजन किया। जिसमें अखिल भारतीय सफाई मजदूर ट्रेड यूनियन जिला अध्यक्ष आदित्य बाल्मिक व जिला पदाधिकारी बैठक प्रमुख रूप से मौजूद रहे। इस दौरान रवि बालमीक जिला महामंत्री, विष्णु बालमिक संगठन मंत्री, नीरज बालमिक सहित जिला कार्यकारिणी के सदस्यों को सम्मिलित किया गया। इस बैठक में नौगांव सफाई कर्मचारियों के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की गई।
सफाई कर्मचारियों ने बताया कि नियमितिकरण की प्रक्रिया को लेकर प्रदेश में दैनिक वेतन भोगी सफाई कर्मचारी के लिए चलाई जा रही है। वहीं नौगांव नगर पालिका के अधिकारियों द्वारा न तो उसकी कोई वरिष्ठ सूची प्रकाशित की गई और न ही कर्मचारियों को इसके बारे में सूचना दी गई है। बल्कि गोपनीय तरीके से, बगैर वरिष्ठता और सफाई कार्य नहीं करते वालों का विनियमितीकरण कर दिया गया है। इससे वहां के सफाई कर्मचारियों में रोस है। बैठक में सर्व सहमति से यह निर्णय लिया गया कि जल्द ही ट्रेड यूनियन के बेनरतले नौगांव नपा अधिकारी व कलेक्टर को ज्ञापन के माध्यम से इस भ्रष्टाचार से अवगत कराया जाएगा। अगर सफाई कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ तो जिले के साथ सभी तहसील, ब्लाक अौर नौगांव में कर्मचारियों के समर्थन में अनिष्चित कालीन काम बंद हडताल पर की जाएगी। इसी अवसर पर सभी सफाई कर्मचारियों की सहमति से जीतेंद्र बालमिक को अखिल भारतीय सफाई मजदूर ट्रेड यूनियन नौगांव तहसील का अध्यक्ष बनाया गया।
छतरपुर। नियमतीकरण की मांग को लेकर कर्मचारियों की हुई बैठक्।
वेब तितले: नियम ताक पर रखकर सफाई कर्मियों का नियमितीकरण कर रही नगर पालिका |
दिल्ली-एनसीआर को पीएम मोदी ने दिया क्रिसमस का तोहफा, मेजेंटा लाइन मेट्रो का किया उद्घाटन | न्यूज२४
होम नेशन दिल्ली-एनसीआर को पीएम मोदी ने दिया क्रिस...
दिल्ली-एनसीआर को पीएम मोदी ने दिया क्रिसमस का तोहफा, मेजेंटा लाइन मेट्रो का किया उद्घाटन
नई दिल्ली ( २५ दिसंबर ): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली एनसीआर के लोगों को क्रिसमस का तोहफा दिया है। पीएम मोदी ने मेट्रो की नई मेजेंटा लाइन का उद्घाटन किया है। ये लाइन दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी मंदिर को सीधे नोएडा के बॉटनिकल गार्डन स्टेशन से जोड़ेगी।
उद्घाटन कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोएडा के बॉटनिकल मेट्रो स्टेशन पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनकी अगवानी की। इस दौरान वहां यूपी के राज्यपाल राम नाईक भी मौजूद रहे। |
प्रयोगधर्मी नाटककार जगदीशचंद्र माथुर
हिन्दी में कथा साहित्य अकूत संपदा से परिपूर्ण है। कहानी, निबंध, रिपोर्ताज, जीवनी, संस्मरण, नाटक आदि विविध विधाओं के माध्यम से कितने ही रचनाकारों ने हिन्दी को साहित्य-संपदा से आप्लावित कर देने का कार्य किया है। इन्हीं में से एक अनन्य विधा नाटक भी है। नाटक को आधुनिक गद्यकाल के प्रारंभ में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने ही विशिष्ट पहचान दिलाने का कार्य किया।
प्राचीन हिन्दी नाट्य साहित्य में कालिदास से लेकर आधुनिक काल के द्वार पर आकर हम भारतेंदु हरिश्चंद्र से साक्षात्कार करते हैं और उनके कुछ बाद के वर्षों तक हरिकृष्ण प्रेमी, वृंदावनलाल वर्मा, धर्मवीर भारती, मोहन राकेश, लक्ष्मीनारायण लाल, रामकुमार वर्मा, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना आदि का भी नाम ले सकते हैं, जिन्होंने नाटक को अपना विशेष योगदान दिया। इन्हीं गिने-चुने नामों में एक नाम जगदीशचंद्र माथुर का भी आता है। इन्होंने अपनी कई नाट्य रचनाओं से हिन्दी नाट्य साहित्य को समृद्ध करने का कार्य किया।
यशस्वी लेखक, नाटककार एवं संस्कृतिकर्मी जगदीशचंद्र माथुर का ये जन्मशती वर्ष है। इनके जीवन की सबसे बड़ी बात ये है कि इनके जीवन का अधिकांश सरकारी सेवा में बीता। इसके बावजूद ये हिन्दी नाट्य साहित्य के लिए नियमित रूप से अपना समय निकालते रहे। फलत: आज भी इन्हें एक सरकारी सेवक से अधिक एक साहित्यकार के रूप में जाना जाता है।
एक साहित्यकार के रूप में इन्होंने कई लेखों, नाटकों आदि की रचना की। लेकिन नाटकों के लिए इनके उल्लेखनीय योगदान के कारण हिन्दी साहित्य में इनका नाम एक नाटककार के रूप में अधिक शुमार है।
प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर उनके बारे में कहते हैं कि जगदीशचंद्र माथुर एक साथ ही इंडियन सिविल सर्विस के वरिष्ठ प्रशासक, साहित्यकार और संस्कृतिपुरुष थे।
१६ जुलाई १९१७ को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में स्थित एक छोटे से गाँव खुर्जा में जन्मे जगदीशचंद्र माथुर ने सरकारी सेवा में रहते हुए एक ओर जहाँ बिहार के शिक्षा सचिव के पद को सुशोभित किया, वहीं १९५५ से १९६२ तक भारत सरकार के अधीन आकाशवाणी के महासंचालक के रूप में भी रहे। १९६३ से १९६४ तक तिरहुत (उत्तर बिहार) के कमिश्नर रहे, इसी दौरान वे अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय में विजिटिंग फेलो के रूप में नियुक्त हो कर अमेरिका चले गए। इसके अलावा वे दिसंबर १९७१ से कई वर्षों तक भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार भी रहे। और इसी वर्ष वे बैंकाक में भी प्रतिनियोजित किए गए।
सरकारी सेवक के रूप में भी इन्होंने अपने विशिष्टतम प्रयोगों से सब को चौंका दिया। ऑल इंडिया रेडियो को इन्होंने आकाशवाणी का नाम दे दिया और भारत में टीवी को दूरदर्शन का नाम दे दिया। मजे की बात ये हो गई कि कालांतर में आकाशवाणी और दूरदर्शन नाम ही भारत सरकार के द्वारा एवं तमाम भारतीयों के द्वारा स्थायी रूप से स्वीकार कर लिया गया। इस प्रकार कहा जा सकता है कि हिन्दी नाट्य साहित्य के साथ-साथ उन्होंने आकाशवाणी एवं दूरदर्शन को भी अपना विशिष्ट योगदान दिया।
जगदीशचंद्र माथुर का हिन्दी नाट्य प्रेम उनके विद्यालयीय जीवन से ही अपने चरम पर रहा। इसी कारण उन्होंने १९३० के आसपास जहाँ तीन छोटे-छोटे नाटकों की रचना की, वहीं कालांतर में उनके नाटक चाँद, रूपाभ, भारत, माधुरी, सरस्वती जैसी उस समय की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगे।
हिन्दी नाटकों को उन्होंने अपना योगदान अपनी कलम चला कर भी दिया और इसके साथ ही कई नाटकों को कई मंचों पर अभिनीत कर भी दिया। इस कारण से हम कह सकते हैं कि जगदीशचंद्र माथुर ने हिन्दी नाटक को अपना योगदान सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक दोनों ही माध्यम से दिया।
श्री माथुर के नाटकों में किसी खास का नाम नहीं लिया जा सकता है। उनके सारे नाटक अपनी बनावट, बुनावट एवं कसावट की दृष्टि से अप्रतिम है। ओ मेरे सपने, कोणार्क, पहला राजा, रीढ़ की हड्डी, आदि कोई भी नाम लिया जाए, उनके सभी नाटक रंगमंच की दृष्टि से तो सफल हैं ही, नाटक के विभिन्न तत्त्वों, कथावस्तु, देश-काल, पात्र-योजना, कथोपकथन एवं उद्देश्य की दृष्टि से भी अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं।
१९४६ में प्रकाशित एकांकी संग्रह भोर का तारा में स्वदेश प्रेम से परिपूरित पांच एकांकी संकलित हैं। भोर का तारा, कलिंग विजय, मकड़ी का जाला, रीढ़ की हड्डी एवं विजय की बेला। इस संकलन में युद्ध के वर्णन को केंद्र में रखकर कलिंग विजय एवं विजय की बेला की रचना की गई है। जिसमें से १९५० में प्रकाशित विजय की बेला में वीर कुंवर को केंद्र में रखा गया है। जबकि १९५० में प्रकाशित दूसरे एकांकी संग्रह ओ मेरे सपने में भी कुल पाँच एकांकी हैं-ओ मेरे सपने, घोंसले, कबूतरखाना, खिड़की की राह आदि।
जगदीशचंद्र माथुर एक प्रयोगधर्मी नाटककार थे। इनकी प्रयोगधर्मिता का पता इस बात से भी चलता है कि १९५१ में प्रकाशित इनके नाटक कोणार्क में एक भी नारी पात्र नहीं है, फिर भी यह एक सफलतम मंचीय नाटक सिद्ध हुआ। इतिहास, संस्कृति एवं समकालीनता से युक्त इस सर्वोत्तम नाटक में संस्कृति की अनुभूति को समसामयिकता के परिप्रेक्ष्य में प्रामाणिकता प्रदान की गई है।
१९५९ में प्रकाशित इनके नाटक संग्रह शारदीया के सारे नाटकों में समस्याओं को व्यापक परिप्रेक्ष्य में रख कर देखने का आभास है, तो १९७० में प्रकाशित नाटक पहला राजा में व्यवस्था और प्रजाहित के आपसी रिश्तों को मानवीय दृष्टि से व्याख्यायित करने का प्रयास दिखाई देता है। इस नाटक में एक पौराणिक आख्यान के माध्यम से प्रकृति एवं मनुष्य के बीच के संबंधों की महत्ता को बड़े ही सलीके से रेखांकित करने का कार्य किया गया है। बताया गया है कि कैसे मुनियों के द्वारा पृथु को पहला राजा घोषित किया गया और उसके सत्ता क्षेत्र यानी धरती को उसके नाम के कारण से ही पृथ्वी का नाम मिल सका।
१९७३ में प्रकाशित इनके नाटक दशरथ नन्दन में धर्म के प्रति समर्पण की भावानुभूति है। वहीं,रीढ़ की हड्डी नाटक में जगदीशचंद्र माथुर ने लिंग आधारित भेदभाव वाली मानसिकता से ग्रस्त हमारे समाज की विद्रूपता का पर्दाफाश करने का कार्य किया गया है। रघुकुल रीति इनका अंतिम नाटक हैं, जो उनकी मृत्युपरांत १९८५ में प्रकाशित हो सका। बंदी एवं मेरी बाँसुरी भी इनके उल्लेखनीय एकांकी रहे हैं। इन एकांकियों एवं नाटकों के अलावा श्री माथुर ने दो कठपुतली नाटक वीर कुंवर सिंह की टेक एवं गगन सवारी का भी प्रणयन किया।
इसके साथ ही जगदीशचंद्र माथुर ने १९६८ में एक समीक्षा पुस्तक पंचशील नाट्य का भी सृजन किया। इस कृति के माध्यम से उन्होंने लोकनाट्य की परंपरा और उसके सामथ्र्य का विवेचन तो किया ही, नाटक की मूल दृष्टि को भी विवेचित करने का कार्य किया। एकांकियों एवं नाटकों का लेखन करने के अलावा श्री माथुर ने प्राचीन भाषा नाटक संग्रह का संपादन भी किया।
१९६२ में प्रकाशित दस तस्वीरें एवं १९७२ में प्रकाशित जिन्होंने जीना जाना श्री माथुर के दो ऐसे जीवनी संकलन हैं, जिनमें उन्होंने समाज को दशा एवं दिशा देने में अपना अभूतपूर्व योगदान देनेवाले व्यक्तित्वों की जीवनियों को संकलित करने का कार्य किया है। ऐसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व का निधन हृदयगति रुक जाने से १४ मई १९७८ को राममनोहर लोहिया अस्पताल में हो गया। और इस तरह नाटकों के क्षेत्र में रचनात्मकता एवं प्रयोगधर्मिता की निर्बाध गति भी रुक सी गई। हालाँकि, बाद के कुछेक नाटककारों ने फिर से उनके कार्यों को आगे बढ़ाने का कार्य किया है किंतु उनके योगदान को विस्मृत नहींकिया जा सकता।
समग्र रूप से कहा जा सकता है कि हिन्दी नाट्य साहित्य के लिए अपना अप्रतिम योगदान देने में जिन लेखकों ने अपनी महती भूमिका अदा की है, उनमें जगदीशचंद्र माथुर का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
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अलीगढ़ से महागठबंधन का प्रत्याशी बदल सकती है बसपा
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अलीगढ़। सपा-बसपा और रालोद का महागठबंधन भले ही हो गया हो लेकिन अभी भी प्रत्याशी को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। बसपा ने अजीत बालियान को...
अलीगढ़। सपा-बसपा और रालोद का महागठबंधन भले ही हो गया हो लेकिन अभी भी प्रत्याशी को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। बसपा ने अजीत बालियान को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन घोषणा होने वाली सभा से लेकर आज तक वह जनता का उतना समर्थन नहीं जुटा पाएं जितना लोग आशा कर रहे थे।
विगत दिनों नुमाइश के कृष्णाजलि में हुए कार्यक्रम में खाली कुर्सियां रहने के बाद से ही अजीत बालियान के टिकट को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई थी। अब उन चर्चाओं को बल मिलता दिख रहा है। पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय की पत्नी व पूर्व सांसद सीमा उपाध्याय ने अब फतेहपुर सीकरी से दावेदारी खत्म करके अलीगढ़ पर दावेदारी कर दी है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वो कहां से चुनाव लड़ेंगी लेकिन अलीगढ़ में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
सियासी हल्कों में चर्चाएं यह भी हैं कि अजीत बालियान के प्रचार की सुस्त रफ़्तार और अधिक जनसमर्थन न मिलने से रामवीर उपाध्याय परिवार की दावेदारी ज्यादा मजबूत हो गई है। हालांकि रामवीर उपाध्याय ने अभी अलीगढ़ से लड़ने की बात नहीं स्वीकारी है, उन्होंने कहा है कि बहनजी (मायावती) जहां से कहेंगी वहां से चुनाव लडूंगा। अलीगढ़ से चुनाव लड़ने के सवाल पर रामवीर उपाध्याय ने कहा कि बहनजी जहां से लड़ने के लिए कहेंगी वहीं से लडूंगा। उन्होंने कहा कि बसपा से १९९६ में ही मैंने टिकट मांगा था। इसके बाद बहनजी का जो आदेश हुआ उसका पालन किया। अलीगढ़ में बसपा-सपा प्रत्याशी अजीत बालियान हमारे प्रत्याशी हैं, उन्हें लड़ाया जाएगा। भाजपा में जाने की उड़ी खबरों पर कहा कि ऐसा मैं सोच भी नहीं सकता। भाजपा में जाने की बातें कोरी अफवाहे हैं। मैं और मेरा परिवार बसपा के सिपाही हैं।
बताते चलें कि अलीगढ़ में बसपा का एक धड़ा और नगर निगम के कुछ पार्षद अजीत बालियान का खुलकर विरोध कर रहे हैं। बसपा से जुड़े सूत्र कहते हैं कि दो से तीन दिन में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। अब देखना यह है कि अजीत बालियान की टिकट कटता है या नहीं? |
राजधानी को जलजमाव से निजात दिलाने के संजय अग्रवाल ने अधिकारियों के साथ की बैठक, दिए जरूरी निर्देश
पटना: राजधानी में जलजमाव की समस्या से निजात और पटना शहरी क्षेत्र स्थित प्रमुख नालों की सफाई के लिए प्रमंडलीय आयुक्त संजय कुमार अग्रवाल ने बुधवार को परिवहन मुख्यालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष में डीएम, एसएसपी, नगर आयुक्त और अन्य संबंधित पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. जलजमाव की समस्या न बने इसके लिए उन्होंने आवश्यक निर्देश निगम और संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को दिया.
मीठापुर से नंदलाल छपरा तक जहां कहीं भी नाले पर स्थायी या अस्थायी अतिक्रमण है उसे नापी कर हटाया जाएगा. इस संबंध में प्रमंडलीय आयुक्त ने निगम और अन्य संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को संयुक्त निरीक्षण कर नाला उड़ाही के अवरोध को चिन्हित कर उसे हटाने का निर्देश दिया है. उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया है कि नाले पर अतिक्रमण किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं होगा. मरचा-मिर्ची, बादशाही पईन और नंदलाल छपरा आदि इलाकों में नाले पर लगे अतिक्रमण को हटाने के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती की जायेगी.
दीदारगंज से टेढीपुल, रक्षा बांध नहर के पास अतिक्रमण की स्थिति का जायजा लेने के लिए संयुक्त निरीक्षण करने का निर्देश प्रमंडलीय आयुक्त ने जलसंसाधन विभाग के इंजीनियर और अपर नगर आयुक्त को दिया. उन्होंने कहा कि शुक्रवार को स्थल का निरीक्षण कर अतक्रिमण की वस्तुस्थिति का पता लगाएं एवं अतिक्रमण होने पर अतिक्रमण हटाते हुए सफाई का कार्य करें. बाकरगंज नाले की सफाई मैनुअली और मशीन से प्रमंडलीय आयुक्त ने बाकरगंज नाले की सफाई मैनुअली और आवश्यकतानुसार मशीन से कराने का निर्देश दिया. निगम द्वारा बताया गया कि बाकरगंज नाले के दोनों तरफ घर बने होने के कारण नाला उड़ाही के कार्यो में समस्या हो रही है.
प्रेवियस आर्टियललॉकडाउन उल्लंघन मामले में द्म ने इस राजद विधायक पर फिर दर्ज करने का दिया आदेश
नेक्स्ट आर्टियलराज्य में युद्धस्तर पर चल रहा राशनकार्ड बनाने का काम, अब तक बनाए गए ८ लाख ४० हजार कार्ड- अनुपम कुमार |
होशंगाबाद। जिला लोकतंत्र सेनानी संघ की बैठक गुरूवार को भाजपा जिला कार्यालय में हुई। बैठक में आरएसएस की धारा के विचारक रहे वरिष्ठ वकील होम्योपैथिक चिकित्सक, राम नाम संकीर्तन को जन-जन तक पहुंचाने वाले स्व. दादा बि_ल राव हर्णे को पदाधिकारियों व सदस्यों ने श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धाजंली अर्पित की। इस अवसर पर सदस्यों ने आपातकाल के समय व्यतीत किए दादा हर्णे के वृतान्तों के स्मरण भी साझा किए। संघ के जिलाध्यक्ष अनन्तराम साहू ने कहा कि दादा बि_ल ने उन्नीस महीने जेल के भीतर अपने साथियों को कभी इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि वह देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सरफिरे आदेश के कारण अपने जीवन के बहुमूल्य समय को व्यर्थ कर रहे हैं। उन्होंने इन उन्नीस महीनों में जेल के अंदर रहते हुए संघ की विचारधारा को और कैसे मजबूत किया जाए, इस पर सदैव अपने सहयोगी साथियों को मार्गदर्शन देते रहे। बैठक में लोकतंत्र सेनानी संघ के आगामी कार्यक्रमों पर भी विचार विमर्श किया गया। बैठक में पूर्व मंत्री मधुकर हर्णे, संभाग प्रभारी शंभू सोनकिया, डॉ. यूके शुक्ला, राम आसरे वाजपेयी, वीरेन्द्र द्विवेदी, सुरेश राने सहित लोकतंत्र सेनानियों ने दादा बि_ल को श्रद्धांजली अर्पित की। विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मॅट्रिमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें ! इस खबर को व्हाट्सप्प पर शेयर करें, यहां क्लिक करें
केप्टन करैया बर्तन व्यापारी संघ के अध्यक्ष बने
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बारिश खत्म होते ही अस्पताल में मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है। इसके बाद भी तामिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा है।
तामिया . बारिश खत्म होते ही अस्पताल में मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है। इसके बाद भी तामिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा है। इससे यहां मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। इससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां डॉक्टर की समस्या को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। इससे लोगों को मजबूरी मे झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ रहा है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तामिया में तीन डॉ की पदस्थापना है जिसमें डॉ विजय सिंह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सा के अलावा बीएमओ का कार्यभार संभाल रहे हैं वही महिला डॉक्टर हिमांशु श्रीवास्तव १ माह से अनुपस्थित चल रही है इनके अलावा १0 वर्षों से तामिया में पदस्थ डॉ दिलीप मेहरा जिला चिकित्सालय में अटैच हैं इनकी वजह से तामिया में अन्य डॉक्टरों की स्थापना नहीं किया जा रहा है इसके बाद भी यहां सिर्फ एक ही डॉक्टर पदस्थ है। इससे यहां इलाज कराने के लिए मरीजों की लंबी लाइन लगती है।
संविदा महिला डॉक्टर हिमांशु श्रीवास्तव ३१ अगस्त से लगातार अनुपस्थित है मौसम के कारण इन दिनों बुखार, मलेरिया, उल्टी.दस्त, सर्दी-खांसी सहित अन्य तरह की बीमारियां लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही हैं। अस्पताल में डॉक्टर के नहीं होने पर लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ता है।
हेल्थ: रक्तदान के लिए सांसद करेंगे लोगों को प्रेरित, पढ़ें पूरी खबर
हेल्थ: दिल्ली से आई सीआरएम टीम ने खंगाली व्यवस्था, मिली यह स्थिति
स्पोर्ट्स: स्कूल खेल प्रतियोगिता में इंदौर संभाग चैम्पियन, अन्य की रही यह स्थिति
अंत्येष्टि के लिए नहीं मिली राशि
सर्वर डाउन होने से अटके हजारों आवेदन
सरकार का विकास पर है ध्यान
कम विजिट:इस बार यहां दीवाली मनाएंगे सीएम कमलनाथ
वर्षों से अटका इस परियोजना का काम जल्द हो सकता है शुरू
साइड इफेक्ट : सोशल मीडिया ने परिवार में खड़ी कर दी विवाद की दीवार
क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हो रही गोवंश तस्करी |
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मालदा से दिल्ली आ रही न्यू फरक्का एक्सप्रेस के इंजन समेत ९ डिब्बे पटरी से उतरे, ५ यात्रियों की मौत दर्जनों घायल
नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश के रायबरेली में हरचंदपुर के करीब बुधवार की सुबह एक बड़ा रेल हादसा हो गया। पश्चिम बंगाल के मालदा टाउन से दिल्ली आ रही न्यू फरक्का एक्सप्रेस ट्रेन की इंजन समेत ६ बोगियां पटरी से उतर गई। इस भीषण हादसे में ६ लोगांे की मौत हो गई है और कई घायल हो गए हैं। हादसे की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों ने मौके पर पहुंचकर डिब्बों में फंसे लोगों को बाहर निकाला। रेल के पटरी से उतरने की खबर मिलते ही रेलवे के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख जताते हुए अधिकारियों से बात कर हर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को २ लाख और घायलों के परिजनों को ५० हजार रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया गया है।
गौरतलब है कि मालदा टाउन से दिल्ली आ रही न्यू फरक्का एक्सप्रेस सुबह करीब ६ बजे हरचंदपुर के करीब पटरी से उतर गई। दुर्घटना रायबरेली से ६ किलोमीटर दूर हरिचंदपुर रेलवे स्टेशन पर हुआ है। खबरों के अनुसार मरने वालों की संख्या में अभी और इजाफा हो सकता है। घायलों को नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस और प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है।
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यहां बता दें कि दुर्घटना इतना जबर्दस्त था कि डिब्बे एक दूसरे के अंदर पूरी तरह से घुस गए। अब उन्हें गैस कटर की मदद से काटकर लोगों को बाहर निकालने का काम किया जा रहा है। फिलहाल, लखनऊ और वाराणसी से एनडीआरएफ की टीमे मौके के लिए रवाना हो चुकी है। ग्रामीण और रेलवे स्टेशन कर्मचारी यात्रियों को बचाने में जुटे हैं। रेलवे प्रशासन की ओर से दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन की हेल्पलाइन नंबर जारी कर दी गई है।
बीएसएनसएल हेल्पलाइन ०५४१२ २५४१४५
मालदा हेल्पलाइन ०३५१२ २६६०००
पटना हेल्पलाइन ०६१२ २२०२२९०
दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन ०२७७३६७७ |
यमुना प्राधिकरण के सीईओ को अटल सम्मान से सम्मानित किया
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ और नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड की दोहरी जिम्मेदारी...
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ और नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड की दोहरी जिम्मेदारी संभालने वाले आईएएस अधिकारी एयरपोर्ट मैन डॉक्टर अरुण वीर सिंह को भारत विकास परिषद गौतम बुद्ध नगर द्वारा "अटल सम्मान" से विभूषित किया है।
भारत विकास परिषद गौतम बुद्ध नगर शाखा के अध्यक्ष अजेय कुमार गुप्ता ने बताया कि डॉक्टर अरुण वीर सिंह एक जादुई व्यक्तित्व वाले आईएएस अधिकारी है। उन्होंने आवंटियों और स्थानीय किसानों के बहुपक्षीय मुद्दों को संबोधित किया है। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इस क्षेत्र का विकास निर्धारित समय में पूरा हो। उन्होंने अपने समकक्ष आधिकारियो के लिए एक उदाहरण और आने वाले आधिकारियो के लिये एक मापदंड निर्धारित करता है।
शाखा के महासचिव आशुतोष गुप्ता ने बताया कि डॉक्टर अरुण वीर सिंह क्षेत्र के विकास के लिये आवश्यक गतिशीलता को समझते हैं और येईडा & नियाल को आगे ले जाने के लिए सबसे उपयुक्त हैं। भारत विकास परिषद गौतम बुद्ध नगर कामना करता है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डॉक्टर अरुण वीर सिंह को सौंपे गए सभी दाईत्व और परियोजनाओं को समय पर सफलतापूर्वक पूरा कराकर हमारे जिले को पूरे भारत में ही नहीं वरन विश्व में "अतुल्य गौतम बुद्ध नगर" स्वरूप स्थापित करने मे अग्रनी भूमिका निभायेंगे ल |