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57af06708b2872c169f188f0847aa0dd95f8faeb | हाल ही में भारत ने अपने समग्र अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IIP) स्कोर में 38.4% से 38.6% तक सुधार किया है और इसके परिणामस्वरूप भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक में 55 देशों में से 43वें स्थान पर है।
- अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स द्वारा संकलित एक वार्षिक रिपोर्ट है।
- इस वर्ष (2022) अमेरिका 95.4% के साथ इस सूचकांक में शीर्ष पर है।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांकः
- 2020 यूएस चैंबर 'अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक' जिसका शीर्षक 'आर्ट ऑफ द पॉसिबल' है, उन अर्थव्यवस्थाओं के लिये एक खाका तैयार करता है जो अधिक प्रभावी बौद्धिक संपदा सुरक्षा के माध्यम से 21वीं सदी ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था बनने की इच्छा रखते हैं।
- अपने आठवें संस्करण में सूचकांक 53 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में बौद्धिक संपदा पारिस्थितिकी तंत्र का मानचित्रण करता है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 90% से अधिक का प्रतिनिधित्त्व करता है।
- सूचकांक 50 से अधिक अद्वितीय संकेतकों के साथ प्रत्येक उस अर्थव्यवस्था के लिये बौद्धिक संपदा ढाँचे का मूल्यांकन करता है जो सबसे प्रभावी बौद्धिक संपदा प्रणालियों के माध्यम से अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्त्व करते हैं।
- पेटेंट (Patents)
- कॉपीराइट (Copyrights)
- ट्रेडमार्क (Trademarks)
- डिज़ाइन का अधिकार (Design Rights)
- व्यापार में गोपनीयता (Trade Secrets)
- आईपी संपत्तियों का व्यावसायीकरण (Commercialization of IP Assets)
- प्रवर्तन (Enforcement)
- सर्वांगी दक्षता (Systemic Efficiency)
- सदस्यता और अंतर्राष्ट्रीय संधियों का अनुसमर्थन (Membership and Ratification of International Treaties)
- यह विश्व का सबसे बड़ा व्यापार संघ है जो आकार, क्षेत्रों तथा क्षेत्रों के साथ-साथ राज्य एवं स्थानीय कक्षों व उद्योग संघों के 3 मिलियन से अधिक व्यवसायों के हितों का प्रतिनिधित्त्व करता है।
- इस समूह की स्थापना अप्रैल 1912 में राष्ट्रपति विलियम हॉवर्ड टैफ्ट और उनके वाणिज्य एवं श्रम सचिव 'चार्ल्स नागेल' के आग्रह पर स्थानीय वाणिज्य मंडलों के माध्यम से की गई थी।
- भारत विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) का भी सदस्य है, जो कि आईपीआर से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय संधियों और सम्मेलनों को प्रशासित करता है।
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023d36b49a2ac35b36f2c6951a34ff14fb467ac8 | अमरावती/दि. 23 - चांदूर बाजार में ग्राम पंचायत कर्मचारी यूनियन के राज्यस्तरीय सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए बतौर अध्यक्ष राज्यमंत्री बच्चु कडू ने कहा कि, लोकतंत्र में ग्राम विकास के लिहाज से संसद की तुलना में ग्राम पंचायत सबसे अधिक महत्वपूर्ण है और ग्राम पंचायतों का कामकाज सुचारू रखने में ग्राम पंचायत कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. ऐसे में आगामी तीन माह के भीतर ग्राम पंचायत कर्मचारियों का महामंडल स्थापित करते हुए सभी कर्मचारियो की प्रलंबित मांगों व मसलों को हल किया जायेगा.
राज्यमंत्री बच्चु कडू की अध्यक्षता में आयोजीत इस कार्यक्रम में बतौर प्रमुख अतिथी विधायक राजकुमार पटेल, युवा सेना के जिला प्रमुख प्रकाश मारोटकर, कर्मचारी युनियन के राज्याध्यक्ष विलास कुमारवर, गिरीश दाभाडकर आदि उपस्थित थे. सभी गणमान्यों ने ग्रापं कर्मचारियों की मांगों को लेकर अपने समयोचित विचार व्यक्त किये.
इस आयोजन में संगठन के जिल्हाध्यक्ष मंगेश ढोरे, सभापती वनमाला गणेशकर, काजी अल्लाउद्दीन, धनराज आंबटकर, दिलीप जाधव, संपत तांबे, रामेश्वर गायकी, नारायण होडे, अजय जाधव, दिलीप डिके, माणिक पवार, निलेश कडू, आकाश गुलसुंदरे, गोपाल वानखडे, पांडुरंग लोखंडे आदि उपस्थित थे.
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f1b3529533e35e39d5214054d532e489a5400e3b5e42dc02a38775493913e15e | अमरीकन सैनिक अधिकारी अमरीका की ओर से नियुक्त हैं। उन्हें क्या पाकिस्तान के इन शस्त्रों के दुरुपयोग का ज्ञान नहीं था ? यदि था, तो उन्होंने अपनी सरकार को सूचित किया या नहीं, और यदि किया ( जैसा कि होना चाहिए ) तो अमरीकन सरकार ने इस दुरुपयोग को रोकने के लिए क्या किया ? जलविवाद को निबटाने के लिए संसार बैंक (वर्ल्ड बैंक ) के द्वारा समझौता कराया गया और हमसे पाकिस्तान में नहरें बनाने के लिए करोड़ों रुपये दिलाये गये । इस बैंक का अध्यक्ष अमरीकन है । इच्छोगिल नहर केवल सिंचाई के लिए नहीं, लाहौर की सुरक्षा की दृष्टि से बनायी गयी और उसमें करोड़ों रुपये उसे सैनिक कार्रवाई के लिए उपयुक्त बनाने में लगाये गये । वह बैंक ही उसकी रूपरेखा, व्यय के अनुमान आदि स्वीकृत करता है । क्या यह भारत विरोधी कार्य अमरीकन अधिकारियों की जानकारी में न था ? यदि था तो उसके लिए भारत से रुपया क्यों दिलाया गया ? क्या पाकिस्तान स्थित अमरीकन सैनिक अधिकारियों को यह नहीं मालूम था कि भारतीय सीमा से लाहौर तक खेतों, खलिहानों और गाँवों में असंख्य छिपे हुए सीमेंट कांक्रीट के अत्यन्त सुदृढ़ तोपघर बनाये गये हैं ? ये सब किसके विरुद्ध थे ? मालूम पड़ता है कि पाकिस्तान में अपने अड्डे बनाये रखने के लिए अमरीका ने पाकिस्तान की इन सब भारत विरोधी तैयारियों और अमरीका-प्रदत्त हथियारों के दुरुपयोग की ओर से आँखें मूँद ली हैं । यह भी संभव है कि १९५४ की अमरीकन-पाकिस्तानी सैनिक संधि में कोई ऐसी गोपनीय धाराएँ भी हों जिनसे पाकिस्तान को अमरीका-प्रदत्त हथियारों का भारत के विरुद्ध मनमाना उपयोग करने की छूट हो । अमरीकन इतने भोले नहीं हैं कि वे यह न समझते हों कि पाकिस्तान को दिये गये टैंक आदि स्थलीय हथियार चीन के विरुद्ध काम में नहीं लाये जा सकते । जब भारत ने चीनी आक्रमण के बाद अमरीका से विशेष प्रकार के शक्तिशाली बमवर्षक वायुयान माँगे (जो उसने पाकिस्तान को दे रखे थे) तो अमरीका ने यह कहकर उन्हें देने से इनकार कर दिया कि भारत को उनकी आवश्यकता नहीं है । तब क्या अमरीका को यह विश्वास हो गया था कि पाकिस्तान को चीन के विरुद्ध उपयोग करने के लिए पेटन टैंकों की आवश्यकता है ? बात यह है कि अमरीका पाकिस्तान के गिलगिट, पेशावर, सरगोधा आदि में अपने अड्डे बनाये रखने को इतना उत्सुक है कि वह पाकिस्तान की उचित अनुचित सभी प्रकार की माँगें मानने को विवश है । वह जानता है, और उसे जानना चाहिए कि पाकिस्तान का एकमात्र उद्देश्य भारत पर आक्रमण करने का है, और वह अमरीकन शस्त्रास्त्रों का उपयोग उसीके लिए करेगा । यदि पहिले यह बात संदिग्ध और विवादास्पद रही भी हो, तो आज वह स्पष्ट है । अमरीका अपने को भारत का मित्र और शुभैषी कहता है । उसने भारत की बड़ी आर्थिक सहायता की है और चीन के आक्रमण के अवसर पर उसने जिस तत्परता से भारत की सहायता की, वह हम नहीं भूल सकते । किन्तु अब दो नावों पर एक साथ सवारी नहीं की सकती । अब अमरीका को अपनी नीति स्पष्ट करनी होगी । वह पाकिस्तान का सैनिक बल बढ़ाते हुए भारत का मित्र नहीं रह सकता ।
इस युद्ध में इंगलैण्ड का बर्ताव बड़ा निराशापूर्ण रहा । वहाँ आजकल लेबर दल का शासन है । भारत इस दल को सदैव अपना हितचिन्तक समझता रहा है । शायद इसीलिए उसके व्यवहार से भारत की निराशा और भी तीव्र हो गयी है । कच्छ के रण के युद्ध में इंगलैण्ड के प्रधान मंत्री श्री विलसन ने बीच-बिचाव करके युद्धविराम करा दिया था । उसकी कुछ शर्तों का देश में कड़ा विरोध भी हुआ, किन्तु भारत सरकार ने श्री विलसन की सद्भावना में विश्वास कर उसे मान लिया । इसके बाद जब पाकिस्तान ने छिपाकर अपने सैनिकों और गुर्गों को कश्मीर में उपद्रव और तोड़-फोड़ करने को भेजा तब श्री विलसन चुप रहे । प्रायः एक महीने तक कश्मीर में इन आततायियों के उपद्रव होते रहे किन्तु विलसन साहब चुप रहे । जब पहिली सितम्बर को पाकिस्तानी सेना अंतर्राष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन कर छम्ब में घुस पड़ी तब भी वे चुप रहे ।
अमरीका और इंगलैंड का पाकिस्तानी पोषण :: २११ | pdf |
7580502e5ef47e7dd05d3aa82fa6f44b3fb331a3 | ऐसा नहीं है कि परिवार के सदस्यों और सगे संबंधियों ने ही अतीत में राजाओं के साथ दगाबाजी करते हुए तख्तापलट किया, बल्कि संसदीय लोकतंत्र में भी इस तरह की घटनाएं हुई हैं. महाराष्ट्र में रविवार को हुआ सियासी घटनाक्रम इसका ताजा उदाहरण है. मराठा क्षत्रप शरद पवार भी अब उस सूची में शामिल हो गए हैं जिसमें अभी तक ठाकरे, अब्दुल्ला, मुलायम सिंह यादव, बादल और नंदामुरी तारक राम राव उर्फ एनटीआर का नाम शामिल था. इनमें से अधिकांश ने अपनी मेहनत के दम पर वापसी की. अब देखने वाली बात यह है कि पवार अपने करियर की सबसे कठिन और अपमानजनक चुनौती से कैसे निपटेंगे.
पवार ने 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया था और अपने दम पर पार्टी को आगे बढ़ाया. अब उनके सामने बगावत से निपटने की चुनौती है. पवार के लिए इससे भी अधिक शर्मनाक बात यह है कि यहां अपने विधायकों ने ही उनका साथ छोड़ दिया है. वहीं दूसरी तरफ कई बयानबाजियों के बावजूद भी कांग्रेस में महाराष्ट्र में एकजुट है. पवार अक्सर अपनी पूर्व पार्टी पर कटाक्ष करते रहे हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया था कि कांग्रेस में शामिल लोगों को यह स्वीकार करना चाहिए कि सबसे पुरानी पार्टी का प्रभाव अब 'कश्मीर से कन्याकुमारी' तक वैसा नहीं है जैसा पहले हुआ करता था.
पवार को यूपी के उन जमींदारों के बारे में एक किस्सा सुनाना भी पसंद आया था, जिन्होंने अपनी अधिकांश जमीन खो दी है और अपनी 'हवेली' को मेंटेन करने में असमर्थ रहे. यूपी के जमींदारों से कांग्रेस की तुलना करते हुए एक समय उन्होंने कहा था, 'मैंने उत्तर प्रदेश के जमींदारों के बारे में एक कहानी बताई थी जिनके पास बड़ी 'हवेलियाँ' हुआ करती थीं. भूमि हदबंदी कानून के कारण उनकी जमीनें कम हो गईं. हवेलियाँ बची रहीं लेकिन उनकी देखभाल और मरम्मत करने की उनकी कैपिसिटी नहीं रही. जब जमींदार सुबह उठता है, तो वह आसपास हरा-भरा खेत देखता है और कहता है कि यह सारी जमीन उसकी है. यह कभी उनका था, लेकिन अब उनका नहीं है. ' शायद पवार भी यह नहीं जानते होंगे कि वह खुद जल्द ही उसी तरह के जमींदार बन जाएंगे.
नाम, निशान और वजूद की लड़ाई. . . NCP से अजित की बगावत के बाद अब सुप्रिया के पास क्या बचा?
यह भी कहा जा रहै है कि कम से कम 2024 तक तो पवार दो नावों पर सवार होने का इरादा रखते हैं. वह और उनकी बेटी सुप्रिया महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में रहकर विपक्ष में रहेंगे, जबकि दूसरी तरफ 'अग्रिम पार्टी' होगी जिसमें भतीजे अजीत पवार और भरोसेमंद लेफ्टिनेंट प्रफुल्ल पटेल शामिल हैं जो एनडीए में रहेंगे. हालाँकि, सारा दारोमदार इस बात पर रहेगा कि राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने वाले प्रभावशाली मराठा मतदाता [30 प्रतिशत से अधिक] कैसे अजित पवार के कदम पर प्रतिक्रिया देते हैं.
मराठों का वोटिंग पैटर्न अब तक मिला-जुला रहा है और पश्चिमी महाराष्ट्र में एनसीपी की तुलना में बीजेपी के ख़िलाफ़ ज़्यादा वोटिंग हुई है. भाजपा के प्रति मराठों की नापसंदगी का एकमात्र कारण यह रहा है कि नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव के बावजूद पवार खुद कभी भी भाजपा की तरफ नहीं गए. विश्वासघात का सबसे दुखद हिस्सा यह रहा है कि पवार को धोखा दुश्मनों ने नहीं अपनों ने दिया.
पवार कर रहे थे कोशिश?
यह एक खुला रहस्य है कि पवार पिछले कुछ हफ्तों से राकांपा नेताओं के बीच एकता की भावना बहाल करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली. राकांपा का एक वर्ग कथित तौर पर भाजपा के साथ बातचीत कर रहा था और कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना [उद्धव] वाले महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन से बाहर निकलने का प्रयास कर रहा था. लगातार इनकार के बावजूद यह बात मीडिया में आई थी कि पवार के भतीजे अजित की अमित शाह और अन्य बीजेपी दिग्गजों से मुलाकात हुई थी. एनसीपी प्रमुख के रूप में पवार का इस्तीफा और उसके बाद सुले को एनसीपी प्रमुख के रूप में पदोन्नत करने का उद्देश्य अजीत पवार को रोकना था, लेकिन इसका उलटा असर हुआ.
एनसीपी विभाजन का असर 2024 के लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा. 2019 के लोकसभा में, भाजपा और तत्कालीन संयुक्त शिवसेना सेना ने 48 लोकसभा सीटों में से 42 सीटें हासिल की थीं. 2024 के लिए अजित पवार की मदद से एनडीए के 2019 के प्रदर्शन को दोहराने की स्क्रिप्ट तैयार करने की कोशिश की जा रही है. राकांपा में विभाजन का न केवल एमवीए पर, बल्कि पश्चिमी महाराष्ट्र में कांग्रेस पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जहां वह राकांपा के साथ गठबंधन में है.
अजित पवार का दलबदल काफी हद तक वैसा ही है जैसे चंद्रबाबू नायडू ने अपने ससुर एन टी रामाराव को किनारे कर दिया था या जिस तरह से अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव को मात दे दी थी. अजित पवार ने विधायकों के बीच अपना दबदबा दिखाया है.
82 साल के पवार 50 साल से ज्यादा समय से राजनीति में सक्रिय हैं. उन्होंने राजनीति में कई उतार और चढ़ाव देखे हैं. साल 1967 में वे 27 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने. 32 साल की उम्र में पहली बार सीएम बन गए. 45 साल पहले शरद ने भी सत्ता के लिए बगावत कर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी. उन्होंने अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत कांग्रेस से की, लेकिन दो बार उसके ही खिलाफ गए और सत्ता में आए. पहली बार 1978 में और दूसरी बार 1999 में.
साल 1977 में आम चुनाव के बाद कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई थी. नाम रखा गया कांग्रेस (I) और कांग्रेस (U). शरद पवार भी बगावत का हिस्सा बने. वे कांग्रेस (U) में शामिल हुए. साल 1978 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव आया और दोनों धड़े एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरे. इस बीच, जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और 99 सीटों पर जीत हासिल की. जबकि कांग्रेस (I) ने 62 और कांग्रेस (U) ने 69 सीटें जीतीं. किसी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. राज्य में जनता पार्टी ने सरकार बनाने के लिए संभावनाएं तलाशीं. लेकिन, जनता पार्टी को रोकने के लिए I और U ने गठबंधन कर लिया और सरकार बना ली. यह सरकार डेढ़ साल से ज्यादा चली. बाद में जनता पार्टी में फूट पड़ गई और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया.
हालांकि, कुछ महीने बाद शरद पवार ने कांग्रेस (यू) से भी बगावत की और जनता पार्टी से हाथ मिला लिया. जनता पार्टी के समर्थन से शरद पवार 38 साल की सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बने. तब देश की राजनीति में इंदिरा गांधी सक्रिय थीं. 1977 की इमरजेंसी के बाद कांग्रेस बुरे दौर से गुजर रही थी. हालांकि, साल 1980 में इंदिरा गांधी सरकार की वापसी हुई तो पवार की सरकार बर्खास्त कर दी गई. बाद में 1986 में पवार कांग्रेस में शामिल हो गए. तब कांग्रेस की कमान राजीव गांधी के हाथों में थी और वो देश के प्रधानमंत्री थे. कुछ ही दिनों में पवार फिर गांधी परिवार के करीब आ गए और 26 जून 1988 में शंकर राव चव्हाण की जगह सीएम की कुर्सी मिल गई. पवार 26 जून 1988 से लेकर 25 जून 1991 के बीच दो बार मुख्यमंत्री बने.
NDA में अजित पवार की एंट्री, एकनाथ शिंदे के लिए कैसे साबित हो सकती है बुरी खबर!
जुलाई 1978. एक उमस भरी दोपहरी में शरद पवार महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंत दादा पाटील के घर पर खाने पर गए थे. बुलावा खुद पाटील ने ही भेजा था. वे अपने इस युवा उद्योग मंत्री (शरद पवार) से कुछ चर्चा करना चाहते थे. कहते हैं कि शरद पवार गए, खाना खाया, बातचीत की और चलते हुए. उन्होंने दादा पाटील के आगे हाथ जोड़े, कहा- दादा, मैं चलता हूं, भूल-चूक माफ करना. . . सीएम वसंत दादा तब कुछ समझे नहीं, लेकिन शाम को एक खबर ने महाराष्ट्र समेत दिल्ली की राजनीति को भी हिला दिया था.
साल था 1999. तारीख 15 मई. कांग्रेस की CWC की बैठक थी. शाम को हुई इस बैठक में अचानक ही शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर की तरफ से विरोध के सुर सुनाई दिए. संगमा ने कहा, सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा बीजेपी लगातार उठा रही है. ये सुनना सोनिया के लिए उतना हैरानी भरा नहीं था, जितना वह अगले व्यक्ति की आवाज सुनकर हुईं. यह कोई और नहीं, शरद पवार थे, जिन्होंने तुरंत ही संगमा की बात का समर्थन किया और अपनी हल्की-मुस्कुराती आवाज में पहले तो संगठन में एकता लाने के लिए सोनिया गांधी की तारीफ की और फिर तुरंत ही अगली लाइन में प्रश्नवाचक चिह्न उछाल दिया.
शरद पवार ने कहा, 'कांग्रेस आपके विदेशी मूल के बारे में बीजेपी को जवाब नहीं दे सकी है. इस पर गंभीरता से विचार की जरूरत है. इस तरह, साल 1999 में शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का विरोध किया और उसके बाद तीनों नेताओं को पार्टी से निकाल दिया गया. महज 10 दिन बाद ही तीनों ने मिलकर 25 मई 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन किया.
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ce630deb692ec640edded12890c3663790416339 | न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस/वाशिंगटन।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी वादे के तहत जलवायु परिवर्तन संबंधी नए कार्यकारी आदेश पर दस्तखत करते हुए उनके पूर्ववर्ती बराक ओबामा की नीतियों को खत्म कर दिया। ओबामा ने अंतरराष्ट्रीय अभियान चलाकर गर्म होती धरती पर जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए कई उद्योगों पर प्रतिबंध लगाए थे। आदेश पर दस्तखत करने के बाद ट्रंप ने कहा कि अब कोयला विरोधी और नौकरियां खत्म करने वाली नीतियां खत्म होंगी। इससे उद्योगों में उत्साह है, जबकि पर्यावरणविदों ने इसकी निंदा की है।
ट्रंप ने साफ किया कि अमेरिका का इरादा ऐसे काम करने का नहीं था जो उनके पूर्ववर्ती ने कार्बन डाय-ऑक्साइड के प्रदूषण से गर्म होती धरती को नियंत्रित करने के लिए जलवायु परिवर्तन की राष्ट्रीय नीति बनाकर किया था। नए आदेश के तहत ओबामा के कार्यकाल में लागू हुई करीब आधा दर्जन नीतियां रद कर दी गई हैं। इससे जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को प्रोत्साहन मिलेगा। उद्योग जगत ने ट्रंप के इस आदेश को सराहा है, जबकि पर्यावरण सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियों ने इसकी निंदा की है। पर्यावरण से जुड़े अरबपति कार्यकर्ता टॉम स्टेयर ने इस फैसले को मूल्यों का अपमान बताया है। कुछ एजेंसियां इस आदेश को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारियां भी कर रही हैं।
ट्रंप ने पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी के भवन में इस आदेश पर मुहर लगाई और कहा कि - 'सरकार कोयले पर जारी संघर्ष को खत्म करते हुए मैं अमेरिकी ऊर्जा पर लगे प्रतिबंधों, सरकारी रोक-टोक और नौकरियां के अवसर खत्म करने वाली नीतियों के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठा रहा हूं। ' ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान अमेरिकियों से वादा किया था कि वे 2015 में हुए जलवायु परिवर्तन समझौते से देश को अलग कर देंगे। नए आदेश में ओबामा की स्वच्छ ऊर्जा योजना को भी रद कर दिया गया है, जिसमें पेरिस समझौते के तहत अमरीका के सभी प्रांतों में कार्बन उत्सर्जन की सीमा को घटाना था।
ट्रंप के इस कार्यकारी आदेश का असर पूरी दुनिया पर पड़ना निश्चित है। अमेरिका विश्व का दूसरा सर्वाधिक जलवायु प्रदूषण पैदा करने वाला देश है, जिसके बाहर होने के बाद खालीपन को भरने के लिए कई देशों के कूटनीतिक विशेषज्ञ तिकड़म लगाना शुरू कर दिए हैं। हार्वर्ड में पर्यावरण अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रॉबर्ट स्टेविंस ने कहा कि ट्रंप के फैसले के बाद दुनिया की निगाहें अब भारत, ब्राजील और चीन पर टिक गई हैं, क्योंकि यदि इन देशों ने भी पुराने रवैये को अपनाया तो धरती का तापमान कम रखने की कोशिशें खत्म हो सकती हैं। 2015 के पेरिस समझौते की प्रमुख वार्ताकार लॉरेंस ट्युबियाना ने कहा कि दुनिया के कई देश ट्रंप के आदेश का फायदा उठाना चाहेंगे और जलवायु पर किए उनके वादे तोड़ सकते हैं।
धरती को जलवायु परिवर्तन के खतरे से बचाने और ग्लोबल तापमान दो डिग्री सेंटीग्रेड तक नीचे लाने के लिए यह समझौता किया गया था। इसके तहत ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए पेरिस में 197 देशों ने जलवायु परिवर्तन समझौते को स्वीकार किया था। इसके तहत जलवायु परिवर्तन से निपटने में विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों की मदद के लिए साल 2020 से 100 अरब डॉलर हर साल देने की प्रतिबद्धता जताई गई थी। कई विकासशील देश इस समझौते को अपने खिलाफ भी मानते हैं।
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122da62f65fcffc29319f1079fe77740c58343fb | हरिभूमि न्यूज जींद । मालवी रेलवे फाटक के निकट रेलवे लाइन पार करते समय आर्मी के एजुकेशन हवलदार की मौत हो गई। मृतक फिलहाल छुट्टी पर घर आया हुआ था। रेलवे थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है। मृतक का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया जाएगा।
जुलाना के वार्ड 13 निवासी रोबिन वीरवार को मालवी फाटक के निकट रेलवे लाइन पार कर रहा था। उसी दौरान वह रेलगाड़ी की चपेट में आ गया, जिसमें रोबिन की मौके पर ही मौत हो गई। मृतक की जेब से मिले कागजातों के आधार पर रोबिन की पहचान संभव हो पाई। घटना की सूचना पाकर रेलवे थाना पुलिस तथा परिजन मौके पर पहुंच गए और शव को सामान्य अस्पताल पहुंचाया। मृतक के परिजनों ने बताया कि रोबिन आर्मी में एजुकेशन हवलदार के पद पर कार्यरत था और उसकी डयूटी सिल्लीगुड़ी असम में थी।
गत 9 मार्च को वह एक माह की छुट्टी पर घर आया था। रोबिन की वापसी 9 अप्रैल को होनी थी। किसी कार्यवश लाइनपार जा रहा था तो वह रेलगाड़ी की चपेट में आ गया। मृतक अपने पीछे पत्नी तथा दो बेटे छोड़ गया है। रेलवे थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है। रेलवे थाना प्रभारी स्नेहीराज ने बताया कि मृतक आर्मी में कार्यरत था। फिलहाल वह घर छुट्टी आया हुआ था। मामले की जांच की जा रही है।
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d4ff2cc253c5ce7e8149afbf8af28321a1fb3928 | मुंबई, (एजेंसी)। मुंबई में मोबाइल सेवा देने वाली कंपनी यूनिनॉर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का असर दिखने लगा है। मोबाइल सेवा देने वाली कंपनी यूनिनॉर ने अपनी सेवाएं बंद कर दी हैं। इसके चलते आधी रात से यूनिनॉर के ग्राहकों के मोबाइल से नेटवर्प गायब है। मुंबई में यूनिनॉर के करीब 18 लाख ग्राहक हैं। जिनके मोबाइल फोन ने काम करना बंद कर दिया है। यूनिनॉर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपनी सेवाएं बंद करनी पड़ीं। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2012 में यूनिनॉर के 22 लाइसेंस रद्द कर दिए थे। यूनिनॉर में सबसे बड़ी स्टॉक होल्डर कंपनी टेलीनॉर है। टेलीनॉर ने नवंबर 2012 में टेलीविंग्स नाम की नई कंपनी बनाकर 2जी नीलामी में हिस्सा लिया और टेलीविंग्स ने 6 सर्किल के लाइसेंस हासिल कर लिए। अब यूनिनॉर की कोशिश है कि वो अपनी सेवाओं को टेलीविंग्स कम्युनिकेशन को ट्रांसफर कर दे। लेकिन इसमें वक्त लगेगा तब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया कि यूनिनॉर को तत्काल अपनी सेवाएं बंद करनी पड़ेंगी। अदालत ने कंपनी को मोहलत देने से भी इंकार कर दिया था। लिहाजा देर रात से मुंबई में यूनिनॉर के ग्राहक मुसीबत में फंस गए हैं। यूनिनॉर के मोबाइल काम नहीं कर रहे है। जिससे यूनिनॉर उपभोक्ताओं को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।
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36cb2017928f18a030305668df3c39eedbda0997 | राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा सप्ताह के अंतर्गत ऊना में 20 अप्रैल तक आमजन को आग के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। 14 अप्रैल से शुरू हुए इस कार्यक्रम के उपलक्ष्य में बुधवार को अग्निशमन केंद्र ऊना के कर्मचारियों ने दो मिनट का मौन रखकर अग्निशमन महकमें में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। वहीं, ऊना शहर में जाकर लोगों को आग की जानकारी देने के लिए पंपलेट बांटे। कार्यक्रम के अंतर्गत नागरिकों को अग्नि से बचाव तथा सावधानी बरतनें के संबंध में जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर लगाए जा रहे है। लोगों को पंपलेट वांटे जा रहे हैं।
आग लगने के कारणों व इससे होने वाले नुकसान को लेकर लोगों को बताया जा रहा है। इसके प्रति। अग्निशमन केंद्र ऊना के प्रभारी नितिन धीमान ने इस मौके पर राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा सप्ताह के बारे में बिस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि हर साल 14 अप्रैल से 20 अप्रैल तक राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा सप्ताह मनाया जाता है। 14 अप्रैल 1944 के ही दिन मुंबई में समुद्री जहाज को आग लग गई थी। इस आग को बुझाते हुए 66 फायर फाइटर शहीद हो गए थे। इन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने व आग से बचाव के उपाय व जागरूक करने के लिए यह सप्ताह 20 अप्रैल तक मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आग की घटनाएं न हो इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। अगर फिर भी आग लग जाती है तो फायर ब्रिगेड ऊना के टॉल फ्री नंबर 101, 01975228101 पर संपर्क करके अग्निशमन विभाग की सहायता ली जा सकती है।
चिंतपूर्णी। स्थानीय विधायक बलबीर चौधरी ने बुधवार के दिन लाइन में खड़े होकर माता चिंतपूर्णी के दरबार में पहुंच कर शीश नवाया। उन्होंने लिफ्ट वाली तरफ से न जाकर पोढियों से लाइन में दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि मन में इच्छा थी कि सीधे रास्ते से ही आकर लाइन में लग कर दर्शन कर पाऊं और कुछ समय इस तरह से माता के चरणों में व्यतीत कर पाऊं। मन्दिर में ज्यादा भीड़ नहीं है। इस अवसर पर निरंजन कालिया, रामदेव गुजराल, एसडीओ आर के जसवाल, राजपाल संजीव रतन इत्यादि उपस्थित थे।
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1415e4c53895bcb958ff1edc882babc9fdfdff23 | नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सभी केंद्रीय सशस्त्र बल और केंद्र शासित प्रदेशों से अपनी जरूरत का सामान सरकार के ई-कॉमर्स पोर्टल GEM से प्रतिस्पर्धी मूल्य पर खरीदने को कहा है। गृह मंत्रालय ने इन बलों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस प्लैटफॉर्म से वस्तु और सेवाओं की खरीद करने का निर्देश दिया है। वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन पुलिस बलों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया है कि वे वस्तुओं और सेवाओं की खरीद GEM पोर्टल से करें। अगर वहां कुछ उत्पाद नहीं मिलते हैं, वे इसके बारे में ब्योरा GEM को दे सकते हैं।
अबतक ये बल और केंद्र शासित प्रदेश निविदा प्रक्रिया से इन वस्तुओं और सेवाओं की खरीद कर रहे हैं। इस पहल का मकसद इन बलों और केंद्र शासित प्रदेशों की खरीद में पारदर्शिता लाना और प्रक्रिया को दुरुस्त करना है। इन बलों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल सीआईएसएफ, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल सीआरपीएफ और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस आईटीबीपी शामिल हैं।
वाणिज्य मंत्रालय ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद के लिये पिछले साल जीईएम की शुरुआत की। मंत्रालय GEM पोर्टल को और गतिशील बनाने के लिये आईटी कंपनी इंटिलेक्ट डिजाइन एरेना लि. के साथ काम कर रहा है।
केंद्र और राज्य सरकारों की सार्वजनिक खरीद सालाना दो लाख करोड़ रुपये से अधिक है। ऐसे में GEM पोर्टल को बेहतर बनाना महत्वपूर्ण है। सरकार की ऑनलाइन खरीद पोर्टल के केंद्र एवं राज्यों के विभागों के उपयोग से करदाताओं के धन को बचाने में मदद मिलेगी। अबतक 27,846 विक्रेता पंजीकृत हैं, जो 1,31,839 उत्पाद बेचते हैं। इसके अलावा कर, सुरक्षा, डिजिटिकरण और स्कैनिंग जैसी सेवाएं भी पोर्टल पर मौजूद हैं।
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f17d188c3ebce3cf7e3e2e1b34a633c13f3cde39 | युवाओं के बीच टैटू बनवाने का क्रेज काफी तेजी से बढ़ा है. लेकिन कई बार फैशन के कारण परेशानियां भी सामने आती हैं. एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, दर्जनों युवा एचआईवी पॉजिटिव मिले हैं और इन सभी ने कहीं ना कहीं से टैटू बनवाया है. स्वास्थ्य विभाग को आशंका है कि टैटू बनवाने में यूज की गई सुई के कारण यह संक्रमण फैला है. फिलहाल यह मामले सामने आने से हड़कंप मचा हुआ है.
जानकारी के मुताबिक, वाराणसी में करीब दो दर्जन युवा एचआईवी संक्रमित मिले हैं. संक्रमण मिलने के बाद जब स्वास्थ्य विभाग की ओर से काउंसलिंग और जांच पड़ताल की गई तो सबके होश उड़ गए. सभी युवाओं में एचआईवी संक्रमण के मूल चार बड़े कारण नहीं मिले. जबकि सभी ने कहीं न कहीं अपने शरीर में टैटू बनवाए थे. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को नब्बे फीसदी तक यही आशंका है कि ये सभी मरीज संक्रमित सुई से टैटू बनवाने के कारण एचआईवी की चपेट में आए हैं.
सभी का इलाज पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल के एंटी रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट सेंटर की ओर से शुरू हो गया है. अस्पताल की एंटी रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट सेंटर की डॉ. प्रीति अग्रवाल ने कुल मरीजों की संख्या का आंकड़ा तो नहीं बताया, लेकिन उनके अनुसार, ये सभी युवा हैं और सभी ने कहीं न कहीं से अपने शरीर में टैटू बनवाया है. ऐसे में काउंसलिंग के बाद 90 प्रतिशत तक यही आशंका है कि इनको संक्रमण संक्रमित सुई से टैटू बनवाने के कारण हुआ है.
डॉ. प्रीति अग्रवाल के मुताबिक सावधानीपूर्वक जांच और परामर्श के बाद पता चला कि कई एचआईवी रोगियों ने टैटू बनवाए थे, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. मामले में आगे की जांच जारी है. बीमार पड़ने वाले 14 लोगों में बड़ागांव का 20 वर्षीय व्यक्ति और नगमा की 25 वर्षीय महिला शामिल हैं. वायरल टाइफाइड, मलेरिया सहित कई परीक्षण किए गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. जब बुखार कम नहीं हुआ, तो एचआईवी परीक्षण किया गया जिसमें सभी को एचआईवी पॉजिटिव पाया गया है.
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एंटी रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट सेंटर की काउंसलर सुषमा तिवारी ने बताया कि टैटू बनाने वाली सुई काफी महंगी होती है. इसलिए मेलों आदि में टैटू बनाने वाले अधिकतर खर्चा बचाने के लिए एक ही सुई से कई लोगों का टैटू बनाते हैं. ऐसे में अगर किसी एक व्यक्ति को एचआईवी संक्रमण है तो बाकी सभी दूसरे लोगों को उसी सुई से संक्रमण पहुंच जाता है. ऐसे में युवाओं से अपील है कि टैटू बनवाते वक्त सुई और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
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f3a8557d4d0a22515d31cedc92c9b05d63147d07 | बॉलीवुड के लोकप्रिय अभिनेता ऋषि कपूर जो कि चिंटू जी के नाम से भी लोकप्रिय रहे, बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान के निधन के केवल एक ही दिन के बाद उनका भी निधन हो गया। दोनों के निधन में एक खास तरह का कनेक्शन है। पहले तो दोनों की एक साथ आई फिल्म 'डी डे' की बहुत से लोग चर्चा कर रहे हैं, मगर इससे भी बड़ा कनेक्शन इन दोनों के बीच यह देखने को मिल रहा है कि अपनी मां के अंतिम संस्कार में ये दोनों ही शामिल नहीं हो पाए थे।
इरफान खान के निधन के बाद जिस बात की चर्चा सबसे अधिक हो रही है, वह उनकी मां से जुड़ी हुई ही है। बताया जाता है कि आखिरी लम्हों में वे लगातार कह रहे थे कि मां मुझे बुला रही हैं। मुझे वे लेने के लिए आई हैं। इरफान खान दरअसल अपनी मां के अंतिम दर्शन कर पाने में नाकाम रहे थे। अपनी मां की अंतिम यात्रा में भी वे शामिल नहीं हो पाए थे। ठीक इसी तरह का कनेक्शन ऋषि कपूर से भी जुड़ा हुआ है।
वर्ष 2018 में इलाज के लिए ऋषि कपूर 29 सितंबर को न्यूयॉर्क चले गए थे। वहां पहुंचने के केवल दो दिनों के बाद ही 1 अक्टूबर को ऋषि कपूर के मां के देहांत की खबर सामने आई थी। कपूर परिवार की खासियत रही है कि दुख-सुख में वह अपने परिवार के साथ ही रहता है, मगर ऋषि कपूर अपनी मां कृष्णा के अंतिम संस्कार के लिए अमेरिका से वापस नहीं आ पाए थे। इंडिया टाइम्स को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बारे में कहा था कि मैंने भाई से पूछा था तो उसने कहा था कि जब तक मैं भारत लौट पाऊंगा, तब तक बहुत ही देर हो चुकी होगी। उन्होंने यह भी कहा था कि मेरे अंदर भी वापस जाने की ताकत एकदम नहीं बची थी।
ऋषि कपूर को जब अपनी गंभीर बीमारी के बारे में जानकारी हुई थी, उस वक्त एक फिल्म की शूटिंग वे दिल्ली में कर रहे थे। रणबीर कपूर और परिवार के कुछ सदस्य अचानक वहां पहुंचे थे। ऋषि कपूर को उन्होंने इलाज के लिए तुरंत चलने के लिए कहा था। ऋषि कपूर ने इस बारे में बताया था कि उनके बेटे ने धक्का मारते हुए उन्हें फ्लाइट में चढ़ाया था। जल्द-से-जल्द इलाज के लिए उन्हें न्यूयॉर्क भेज दिया गया था। तभी उनकी मां का निधन हो गया था। ऐसे में उन्होंने भी बिल्कुल इरफान खान की तरह ही अपनी मां के अंतिम दर्शन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किए थे।
इलाज कराने के बाद ऋषि कपूर भारत वापस आ गए थे। मुंबई के एक अस्पताल में उनका निधन हुआ है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाल ही में योग करते हुए भी उन्हें देखा गया था। जनता कर्फ्यू के दिन बाहर आकर कोरोनावायरस के लिए वे ताली बजाते हुए भी देखे गए थे।
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a401ae2d8114d8a86aab93cbfcee1d25ea7ee23c83f9bd86f45e1038fbe63545 | वग्गणाहिं च केवडियं खेत्तं फोसिढं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो सव्वलोगो वा । असं खेज्जपदसियदव्ववग्गण पहुडि जाव सुहुमणिगोदवग्गणे त्ति ताव एदासिं वग्गणाणमेगसेडीहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? अदीदवमाणेण सव्वलोगो । महाखंघदव्ववग्गणाए केवडियं खेत्तं फोसिदं १ वट्टमाणेणं लोगो देमणो । अदीदेण सव्वलोगो । एवं णाणासेडिफोसणं परूत्रेयव्वं । णवरि परमाणुपोग्गलदव्यवग्गणप्पगुडि जाव सुहमणिगोदवग्गणे त्ति ताव एदाहि वग्गणाहि केवडियं खेत्तं फोसिद ? सव्वलोगो । महाखंघदव्ववग्गणाए केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगो दमणो सव्वलोगो वा । एवं पोसणाणुगमो त्ति समत्तमणियोगद्दार ।
एग सेडिकालाणुगमेण परमाणुपोग्गलदव्ववग्गणा केवचिरं कालादो होदि ? वग्गणादेसेण सव्वद्धा । दुपदेसियवग्गणप्प हुडि जात्र धुवखंघदव्ववग्गणे त्ति ताव पत्तेयं पत्तेयं एवं चैव सव्वत्थ वत्तव्वा । अचित्तअद्भुवखंधव्यवग्गणा केवचिरं कालादो होदि ? जहण्णेण एगसमयं, उक्कस्सेण अणंतकालमसंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा । एवं णेयव्वं जाव महाखंघद्रव्ववग्गणे त्ति । पत्तेयसीर-वादरणिगोद-सुहुमणिगांद्वग्गणाणमोरालिय-तेजा- कम्मइयपरमाणुपोग्गले हि तेसि विस्सासुवचयपोग्गलेहि य भेदसंघादं
द्रव्य वर्गकितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है। लोकके असंख्यातवें भाग उमाण और सब लोकनमारण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। असंख्यातप्रदेशी द्रव्यवर्गणा से लेकर सूक्ष्मनिगांद द्रव्यवर्गणा तक इन वर्गणाओकी एक श्रेरिंगने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? अतीत और वर्तमान कालमं सब लोकका स्पर्शन किया है। महास्कन्धद्रव्यवर्गरणाने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? वर्तमान में कुछ कम लोकप्रमाण क्षेत्रका और अतीत काल में सब लोकका स्पर्शन किया है। इसी प्रकार नाना एका स्पर्शन कहना चाहिए । इतनी विशेषता है कि परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणावे लेकर सूक्ष्मनिगांदवर्गरणा तक इन वर्गरणाने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? सब लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। महास्कन्धद्रव्यवर्गरणाने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? कुछ कम लोकप्रमाण क्षेत्रका और सब लोकका स्पर्शन किया है ।
इस प्रकार स्पर्शनानुगम अनुयोगद्वार समाप्त हुआ ।
एकश्रेणिकालानुगमकी अपेक्षा परमाणुपुद्गलद्रव्य वर्गरणाका कितना काल है ? वगणादेशकी अपेक्षा सब काल है। द्विदेशी वर्गणा से लेकर ध्रुवम्कन्धद्रव्यवर्गरणा तक प्रत्येक वर्गणाका सर्वत्र इसी प्रकार काल कहना चाहिए । अचित्तध्रुवस्कन्धद्रव्यवर्गणाका कितना काल है ? जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट अनन्त काल है जो असंख्यात पुद्गल परिवर्तनप्रमाण है। इसीप्रकार महास्कन्धद्रव्यवर्गणा तक जानना चाहिए । प्रत्येकशरीर, बादरनिगांद और सूक्ष्मनिगोद वर्गरणाओ के औदारिकशरीर, तैजसशरीर और कार्मरणशरीरोंके पुद्गलों द्वारा तथा उनके विखसोपचयों
१. प्र०का०प्रत्योः 'महासंघदनवग्गणाए केवडियं खत्तं फोसिदं श्री महास्वंबदव्यवग्गणाए केवडियं वत्तं फॉसिदं माण' इति पाठः । | pdf |
30bf42c9f0dffdb6dfdb2e42fbcf1c729cac76ec | Quick links:
ऑपरेशन बिकाऊ सांसद में रिपब्लिक भारत की टीम आपको वह सच दिखाने जा रहा जिसे देख कर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। लोकतंत्र के मंदिर को पैसा लेकर खोखला करने वाले सांसद का सच। हम दिखाएंगे कि आखिर जनता के भरोसे का खून करने के लिए सांसद किस हद तक गिर सकते हैं।
बिकाउ सांसदों की कलंककथा के दूसरे भाग में रिपब्लिक भारत की एसआईटी टीम की मुलाकात हुई जालंधर से कांग्रेस पार्टी के सांसद संतोख सिंह चौधरी से।
पंजाब में जालंधर की पहचान कपड़ों के साथ साथ खेल से भी जुड़ी है। लेकिन सत्ता के गलियारों में बैठने वाले जिस तरह का खेल खेलते हैं उसकी उम्मीद यहां के लोगों को नहीं होगी । इनसे मिलिए लोकतंत्र की व्यवस्था के हिसाब से ये यहां की जनता के सेवक यानी सांसद है, जनता के मददगार और प्रतिनिधि है। लेकिन उनकी हरकत इससे मेल बिल्कुल नहीं खाती है। क्योंकि उनके दिल में मंसूबे कुछ और हैं.
संतोख सिंह चौधरी, सांसद, कांग्रेस- ऐसा है ये कॉंट्रेक्ट बगैरह है ना ये सारे हो गए है डिजिटल। ये ऑनलाइन हो गया है सब, तो इसमें कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता है। ये रिस्की हो गया है काम।
रिपोर्टर- ऐसे तो बिडिंग में कोई फायदा ही नहीं होता है।
संतोख सिंह चौधरी, सांसद, कांग्रेस- वहीं तो मैं कह रहा हूं। तो मतलब ये थोड़ा मुश्किल है। जो पहले था ना कोटा सिस्टम, कॉन्ट्रेक्ट। ये अब बड़े मुश्किल है।
रिपोर्टर- कैश फ्लो भी खत्म।
रिपोर्टर- नहीं कैश फ्लो तो हो रहा होगा।
कांग्रेसी सांसद संतोख सिंह चौधरी - एक ये डिमोनिटाइजेशन है उसकी वजह से किसी के पास कोई पैसे नहीं है।
रिपोर्टर- क्या बात कर रहे है, ऐसा है क्या।
सांसद संतोख सिंह चौधरी- हां।
रिपोर्टर- तो ये सर सबकी हालत ऐसी है।
सांसद संतोख सिंह चौधरी- सबकी, किसी के पास पैसा नहीं है।
सांसद संतोख सिंह चौधरी- जो बहुत नम्बर दो का काम करते है,उनके पास पैसा होगा कोई। स्मग्लिंग गैंग, जो स्मग्लिग करते है। जो ड्रग की स्मग्लिंग करते है, उनके पास पैसा है।
सांसद संतोख सिंह चौधरी- हां खत्म...जिनके पास पहले इक्ठ्ठा किया हुआ हो।
सांसद संतोख सिंह चौधरी- मोदी के किसी एमपी का कोई काम नहीं होता है। मोदी के....जो बीजेपी के एमपी थे, उनसे ज्यादा हम डरा के काम ले लेते थे। मिनिस्टर को डरा कर, ये करना है। तो उनका कोई काम नहीं हो रहा है। वहां सिर्फ मोदी शाह है।
रिपोर्टर- तो डिमोनिटाइजेशन का फर्क पड़ा।
सांसद संतोख सिंह चौधरी बहुत ज्यादा फर्क पड़ा।
रिपोर्टर- दो-चार लोग जुड़े है मेरे साथ, अगर आप बोलेंगे तो मैं जोड़ता हूं उन्हे आपके साथ। कुछ पोलिटिकल फंडिंग भी हो जाएगी। कुछ उनके काम बगैरह...जब आप सत्ता में आओ तो, आप उनके काम करवा दो।
सांसद संतोख सिंह चौधरी- हां हा। बताओं...मिला दो।
रिपोर्टर- ठीक है सर।
रिपोर्टर- सर हम यहीं चाह रहे थे कि कुछ हम भी कमा ले, कुछ वो भी कमा लेंगे..कुछ फायदा आपका भी हो जाएगा।
सांसद संतोख सिंह चौधरी- कोई बात नहीं। सरकार यूपीए की बननी है।
रिपोर्टर- जैसा आप बता रहे है कैश बगैरह की दिकक्त है। कैश बगैरह भी चाहिए तो मुझकों बता दीजिएगा।
रिपोर्टर- नहीं सर लोग है अपने। दिल्ली में नहीं बाहर है। आप बोलेंग तो एविलेवल करवा देंगे।
सांसद संतोख सिंह चौधरी- ओके चलों ठीक है। इलेक्शन में।
रिपोर्टर- उनका भी क्या है सर, जो हमारे क्लाइंट है उनके लिए भी इनवेस्टमेंट है।
सांसद संतोख सिंह चौधरी- हा वो इनवेस्टमेंट ही होती है।
रिपोर्टर- हां जब आप आएंगे तो वो कहेंगे। उनका फेवर...चार काम हो जाते है।
सांसद संतोख सिंह चौधरी- नेचुरली।
तो आपने देखा पोलिटिकल फंडिंग को इनवेस्टमेंट मानने वाले संतोख सिंह चौधरी, हमारे फायदे के हिसाब से काम करने के लिए तैयार दिखे। यानि की पैसा दो काम करवाओं.... क्या यही है देशहित,, क्या यही है राष्ट्र के लिए काम करना । क्या ही है एक सांसद का कर्तव्य, क्या यही है एक एमपी से अपेक्षा, ...ऐसे बिकाऊ सांसद के साथ क्या हो सलूक.. पूछता है भारत ।
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7528f00e4aa5227810369b1ce9b41b1b109afa08 | गुंतर IV (Gunther VI)
गुंतर IV दुनिया का सबसे अमीर डॉग ही नहीं, बल्कि सबसे महंगे जानवरों की सूची में पहले नंबर पर है। यह जर्मन शेफर्ड डॉग मौजूदा समय में लगभग 500 मिलियन डॉलर की संपत्ति का मालिक है। गुंतर IV को यह जायजाद आज उनके गुंतर III से मिली है, जिसे यह पूरी प्रॉपर्टी उनकी मालकिन कार्लोटा लिबेंस्टीन से मिली थी। हैरानी की बात यह है कि इस डॉग की एक पर्सनल केयर टेकर भी है।
नाला (Nala)
नाला सिर्फ एक इंस्टाग्राम स्टार ही नहीं बल्कि इससे कहीं ज्यादा है। सायमिस पर्शियन मिक्स इस बिल्ली के पास करीब 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है। इतना ही नहीं यह बिल्ली 4. 4 मिलीयन फॉलोअर्स के साथ इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो की जाने वाली कैट है, जिसके लिए इसने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज कराया है।
ओलिविया बेन्सन (Olivia Benson)
पॉप स्टार टेलर स्विफ्ट की पेट बिल्ली ओलिविया बेन्सन दुनिया के सबसे अमीर जानवरों की सूची में तीसरे नंबर पर है। अपनी मालिक टेलर स्विफ्ट के साथ कई म्यूजिक वीडियो और विज्ञापनों में नजर आ चुकी ओलिविया मौजूदा समय में कुल 97 मिलियन डॉलर की संपत्ति की मालकिन है।
सैडी, सनी, ल्यूक,लॉरेन और लैला ओपेरा विनफ्रे के पालतू डॉग्स है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ओपेरा विनफ्रे में अपनी वसीयत में इनके नाम 30 मिलियन डॉलर की संपत्ति की है। इसी के साथ यह डॉग्स दुनिया के सबसे अमीर पालतू जानवरों की सूची में चौथे पायदान पर हैं।
जिफपॉम (Jiffpom)
दुनिया के सबसे अमीर पालतू जानवर की लिस्ट में पांचवें स्थान पर पोमेरेनियन डॉग जिफपॉम है। 9. 5 मिलियन इंस्टाग्राम फॉलोअर्स वाला जिफपॉम इंटरनेट स्टार भी है। वहीं, बात करें इसकी संपत्ति की तो स पेट डॉग के पास लगभग 25 मिलियन डॉलर की संपत्ति है।
श्योपेट (Choupette)
मशहूर फैशन डिजाइनर कार्ल लागरफेल्ड की पालतू बिल्ली श्योपेट (Choupette) दुनिया की छठी सबसे अमीर पालतू जानवर है। अपने मालिक की मृत्यु के बाद इस बिल्ली को विरासत में लाखों की संपत्ति मिली। रिपोर्ट्स की माने तो इस कैट ने अपने मॉडलिंग कॉन्ट्रैक्ट और विज्ञापनों के जरिए 4. 5 मिलियन डॉलर की कमाई की है। आज इस बिल्ली के पास करीब 13 मिलियन डॉलर की संपत्ति है।
पॉन्टियक (Pontiac)
दुनिया के अमीर पालतू जानवरों की लिस्ट में अंतिम और आठवें स्थान पर मशहूर पालतू डॉग डग द पग है। इंस्टाग्राम पर काफी प्रसिद्ध यह डॉग अपने पोस्ट और विज्ञापनों के जरिए 1. 5 मिलियन डॉलर की कमाई कर चुका है।
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1ac72d2bf2458af5ead62c8cd91210706a725c4d | कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी और सख्त एहतियाती कदमों के बीच 1 सितंबर से इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE-Main) की शुरुआत हो चुकी है. कोरोना वायरस से संक्रमित होने की चिंता और आशंका के बीच छात्र दूसरे दिन भी जेईई-मुख्य परीक्षा देने परीक्षा केंद्रों तक पहुंचे. इस दौरान छात्रों को एग्जाम सेंटर तक पहुंचने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो इसके लिए इंडियन रेलवे ने पहल की है.
रेलवे ने कई राज्यों में छात्रों के लिए स्पेशल ट्रेनों को चलाने का ऐलान किया है. ये ट्रेनें 15 सितंबर तक छात्रों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचने में मददगार साबित होंगी. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट करके उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान समेत कई राज्यों में परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों के लिए स्पेशल ट्रेनों को चलाने की जानकारी दी है.
पीयूष गोयल ने बिहार के लिए 56 स्पेशल ट्रेनों को चलाने का ऐलान किया है. उन्होंने बिहार में छात्रों के लिए पहले 20 जोड़ी स्पेशल ट्रेनों को दौड़ाने का फैसला किया था और इसके बाद स्पेशल ट्रेनों की संख्या में और 16 ट्रेनें जोड़ दी गईं. रेल मंत्री ने ट्वीट कर लिखा, 'बिहार में JEE Mains, NEET व NDA में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों को परीक्षा सेंटर तक आने-जाने की सुविधा हेतु भारतीय रेलवे ने 2 से 15 सितंबर तक 20 जोड़ी MEMU/DEMU स्पेशल ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है. '
इस ट्वीट के बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल का एक और ट्वीट आया जिसमें उन्होंने बिहार के लिए और 8 जोड़ी ट्रेनों को चलाने की मांग की. गोयल ने ट्वीट कर बताया कि रेलवे ने बिहार में 4 से 15 सितंबर तक और 8 जोड़ी इंटरसिटी स्पेशल ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है.
बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश में भी छात्रों के लिए 5 जोड़ी स्पेशल ट्रेन चलानी की घोषणा की गई. पीयूष गोयल ने ट्वीट कर बताया कि छात्रों के लिए चलाए जा रहे स्पेशल ट्रेनों में यात्रियों को कोरोना वायरस के सभी प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य होगा. इसमें मास्क पहने रहना, सोशल डिस्टैंसिंग और सैनिटाइजेशन के नियमों का पालन करना होगा. मंत्री की घोषणा के मुताबिक यूपी में छात्रों के लिए स्पेशल ट्रेन 3 सितंबर से लेकर 30 सितंबर तक चलेंगी.
पीयूष गोयल ने बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान में भी छात्र हित के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, JEE Mains, NEET, NDA व अन्य परीक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों की सुविधा के लिए 4 से 15 सितंबर के बीच 4 जोड़ी परीक्षा स्पेशल ट्रेनों को चलाने का निर्णय लिया. उन्होंने ट्रेनों की पूरी जानकारी ट्वीट के माध्यम से साझा की.
इसके अलावा रेलवे ने महाराष्ट्र में भी छात्रों को ट्रेन में यात्रा करने की अनुमति दी है. बता दें कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर छात्रों के लिए ट्रेनों की सुविधा मुहैया कराने की अपील की थी. जिसके बाद सरकार ने महाराष्ट्र में भी ट्रेनों की सर्विस बढ़ाने की बात कही और छात्रों को ट्रेनों में सफर की अनुमति दी.
गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी में जेईई-मेन की परक्षा बडे़ पैमाने पर हो रही परीक्षा है. यह परीक्षा 1 सितंबर से शुरू हो चुकी है और 6 सितंबर तक चलेगी. परीक्षा के लिए 9 लाख उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है.
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71938b3a68bd4da0e9a24b3c6708c53e295742d8 | भागलपुर जिले के सुल्तानगंज थाना क्षेत्र के पेन गांव के समीप NH-80 किनारे एक 35 वर्षीय युवक का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई। मृतक की पहचान तिलकपुर पश्चिमी टोला निवासी दीपक सिंह के रूप में की गई है। दीपक के शरीर पर कई जगह चोट के निशान हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि दीपक के साथ लाठी डंडे के साथ मारपीट की गई है, जिस वजह से उसकी मौत हुई है।
घटना के सम्बन्ध में दीपक के चचेरे भाई अमित सिंह ने बताया कि दीपक पटना में गार्ड का नौकरी करता था। पांच जुलाई को उसके दोस्त विकास की शादी थी, जिसमें बारात नौगछिया के तेतरी गांव जानी थी। इसी शादी समारोह में शामिल होने के लिए वह अपनी पत्नी दीपा और अपने एक 5 वर्षीय पुत्र के साथ 2 दिन पहले ही पटना से गांव तिलकपुर आया था।
अमित ने बताया कि दीपक अपने तीन दोस्तों के साथ 1 दिन पूर्व शाहकुंड गया था। रातभर वापस नहीं लौटा तो परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू कर दी, लेकिन उसका कहीं कुछ अता पता नहीं चला।
ग्रामीण यह बताते हैं कि संजय उर्फ फुकन, गौरव, चंदन और मुन्नी सिंह शराबी टाइप के लोग हैं। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि खाने पीने के क्रम में किसी बात पर झगड़ा हो गया होगा, जिसमें मारपीट के दौरान उसकी मौत हो गई।
थानाध्यक्ष ने बताया कि दीपक की मां के अनुसार, शाम के 3 बजे दीपक की उसकी माँ से बात हुई थी जिसमें उसने फुकन का नाम लेते हुए कहा था कि अभी वो शाहकुंड में है। जब रात तक दीपक घर नहीं लौटा तब दीपक की मां फुकन के घर जाकर फुकन से दीपक के बारे में पूछा। तभी से फुकन घर से फरार है। उसके साथ दीपक के सभी दोस्त अपने अपने घर से फरार हैं।
दीपक का गांव के ही शम्भू के साथ जमीनी विवाद था। एक साल पूर्व उसका शम्भू के साथ मारपीट की घटना हुई थी, जिसमें दीपक का हाथ टूट गया था। लाश मिलने की सूचना मिलते ही सुलतानगंज थाना पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर जांच पड़ताल शुरू कर दिया।
जांच पड़ताल के दौरान दीपक के पास से एक मोबाइल बरामद हुआ, जिस मोबाइल से उनके परिजनों को सूचना दी गई। सूचना मिलने पर परिजन रेफरल अस्पताल सुल्तानगंज पहुंचे।
सुल्तानगंज थानाध्यक्ष लाल बहादुर सिंह ने बताया कि गांव के ही संजय कुमार उर्फ फुकन, गौरव, चंदन और मुन्नी सिंह के साथ वह शुक्रवार को सवेरे में शाहकुंड के पहाड़ पर घूमने गया था। शनिवार को पैन गांव के एक हाई स्कूल के गेट के पास उसका शव बरामद हुआ।
थानाध्यक्ष ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह poisoning का केस लगता है। साथ ही कहा कि यह हत्या ही है क्यों कि उसके शरीर पर चोट के निशान भी हैं। फिलहाल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आने का इंतजार है। फिलहाल पुलिस शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भागलपुर भेज दिया है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।
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24a985b43cafec53008f9a97883284fcc9ec2145 | महासमुंद, (ब्यूरो छत्तीसगढ़)। विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विद्युत बिल की राशि बकाया होने के कारण विच्छेदित बिजली कनेक्शन उपभोक्पाओं को राहत देते हुए वन टाईम सेटलमेंट योजना लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत विद्युत विच्छेदित उपभोक्पा विद्युत बिल की मूल राशि का भुगतान छह किश्तों में कर सकेंगे। इसके तहत निम्न दाब उपभोक्पाओं द्वारा विद्युत बिल की मूल राशि जमा करने पर सरचार्ज की समस्त राशि माफ की जा सकेगी। पाप्त जानकारी के अनुसार 16 अक्टूबर 2010 से 15 जनवरी 2011 तक तीन माह की अवधि के लिए लागू इस योजना में बिजली बिल बकायादार उपभोक्पा संबंधित वितरण केंद में निर्धारित पपत्र में आवेदन पस्तुत कर सकते हैं। इसके परीक्षण पश्चात् उनका पंजीयन किया जाएगा। विद्युत बकाया की पहली किश्त का भुगतान करने पर उनका विच्छेदित कनेक्शन जोड़ दिया जाएगा। साथ ही पूरी मूल राशि के भुगतान के बाद उनके द्वारा देय सरचार्ज की पूरी राशि माफ कर दी जाएगी। गौरतलब है कि उपभोक्पा की मृत्यु अथवा अनुपस्थिति में उनके वारिस अथवा अधिकृत पतिनिधि भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं। महासमुंद संभाग के कार्यपालन यंत्री ए. आन. बुनकर ने बताया है कि योजना के संबंध में सभी वितरण केंदों को सूचित कर दिया गया है। बताया गया कि यह योजना केवल सीमित अवधि के लिए लागू है, जिसका लाभ लेकर बकायादार विद्युत उपभोक्पा बिजली सुविधा का लाभ लेने के अलावा सरचार्ज की छूट भी पाप्त कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि कृषि पंप उपभोक्पाओं के लिए इस योजना के तहत बकाया राशि का भुगतान करने पर भी शासन द्वारा पति पंप दी जाने वाली पति वर्ष छह हजार यूनिट बिजली छूट की सुविधा मिल सकेगी। बकायादारों से योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की गई है।
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e664010286b483e0eb621c7a4278ead870edc652 | कानपुर,(एजेंसी/वार्ता): उत्तर प्रदेश में कानपुर के नवाबगंज क्षेत्र में मंगलवार को फ्रिज का कंप्रेशर फटने से गर्भवती महिला और बच्चे समेत सात लोगल घायल हो गए।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि डायल 112 को सूचना मिली कि पहलवानपुरवा मोहल्ला निवासी वंशराज के मकान में पहली मंजिल पर तेज धमाका हुआ है। मौके पर पहुंची पुलिस को मकान में रहने वाले सुनील सागर उनकी पत्नी अनीता, गर्भवती सोनी उनके पति विष्णु, रामकिशोर उनकी पत्नी ननकी और 12 वर्षीय बच्चा आदर्श घायल अवस्था में मिले।
पुलिस ने तत्काल सभी घायलों को इलाकाई लोगों की मदद से तत्काल गंभीर रूप से झुलसी अनीता सागर और उनके पति सुनील को उर्सला अस्पताल में भर्ती कराया जबकि अन्य को एलएलआर अस्पताल में भर्ती कराया है। उन्होने बताया कि प्रथम दृष्टया विस्फोट का कारण फ्रिज का कंप्रेशर फटना बताया गया है मगर हादसे के सही कारणों की जांच के लिए फॉरेंसिक टीम के साथ अग्निशमन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंच कर जांच पड़ताल की है।
अपर पुलिस आयुक्त मो. अकमल खान ने बताया कि आसपास के लोगों से बातचीत करने से पता चला है कि हादसा कंप्रेशर फटने से हुआ है। फिर भी हादसे के कारणों की सही जांच के लिए फॉरेंसिक टीम और अग्निशमन विभाग संयुक्त रूप से घटना की जांच कर रहे हैं।
-(एजेंसी/वार्ता)
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3ad07a7bf0d4d07fc63dfd9555b87f76ba733d3f | उत्तरप्रदेशः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा युवाओं के रोजगार हेतु प्रयास किए जा रहे हैं एक सरकारी आंकड़े के अनुसार पिछले सालों के मुकाबले वर्तमान सरकार के द्वारा सबसे ज्यादा रोजगार प्रदान किए गए हैं। इसी कड़ी में दीपावली से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बड़ा तोहफा सामने आ रहा है। बता दें कि मुख्यमंत्री ने नवम्बर 2020 से मार्च 2021 तक प्रदेश में 50 लाख युवाओं को सेवायोजित करने का लक्ष्य तय किया है। यह सेवायोजना मनरेगा से अलग होगी। इसमें सरकारी विभागों, परिषद, निगमों में खाली पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया तो पूरी होगी ही, सरकारी प्रयासों से निजी क्षेत्र में अथवा स्वरोजगार के नए अवसर भी सृजित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री के निर्देशन में शुरू होने जा रहा यह महाभियान शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। अब हर वित्तीय वर्ष में विभागवार रोजगार सृजन का लक्ष्य तय होगा। चालू वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक 50 लाख युवाओं को रोजगार, स्वरोजगार, कौशल प्रशिक्षण के माध्यम सक्षम बनाया जाएगा। मिशन रोजगार के अंतर्गत प्रत्येक विभाग, संगठन अथवा प्राधिकरण के कार्यालय में एक रोजगार हेल्प डेस्क बनाया जाएगा। हेल्प डेस्क उस विभाग से सम्बन्धित सेवायोजन कार्यक्रमों का लाभ पाने के इच्छुक युवाओं को जानकारी देगा।
ऐसे विभाग जिनके रोजगार, स्वरोजगार तथा कौशल प्रशिक्षण की योजनाएं ऑनलाइन चलाई जा रही हैं, इन रोजगार हेल्प डेस्क के माध्यम से उन्हें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हेतु प्रेरित किया जाएगा। प्रदेश में अब रोजगार और सेवायोजन का डेटाबेस तैयार होगा। इस लिए निदेशालय प्रशिक्षण एवं रोजगार द्वारा एक ऐप तथा पोर्टल भी विकसित किया जा रहा है। पोर्टल पर हर पाक्षिक आधार पर रोजगार से संबंधित डाटा अपडेट होगा। इसके लिए प्रशासकीय विभागों के अन्तर्गत समस्त निदेशालय निगम बोर्ड आयोग आदि अपने विभाग के लिए एक नोडल अधिकारी नामित करेंगे।
मिशन रोजगार के सम्पूर्ण कार्यक्रम अभियान का संचालन औद्योगिक विकास आयुक्त द्वारा किया जाएगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति मासिक रूप से अभियान का अनुश्रवण करेगी। वहीं हर जनपद में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति होगी, जो रोजगार स्वरोजगार के लिए जनपद स्तर पर कार्ययोजना बनाएगी। प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय द्वारा निजी उद्योगों के साथ मिलकर रोजगार मेलों का आयोजन तो होगा ही, पूर्व में लम्बित भर्ती प्रकरणों का निस्तारण भी कराया जाएगा।
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204ed91485a0d24f74923a64e1daa92a4abd5de4 | हाल ही में Redmi General Manager, Lu Weibing, ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि अपकमिंग Redmi K20 series में यूज़र्स को Dual-Band GPS सपोर्ट मिलेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस फ़ोन को कंपनी 28 मई को लॉन्च करने वाली है। इससे पहले ही इस Redmi K20 स्मार्टफोन को लेकर कई खबरें सामने आ रहीं हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि यह स्मार्टफोन क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 855 प्रोसेसर से लैस हो सकता है। साथ ही एक ताज़ा पोस्टर टीज़ किया गया है जिसमें स्मार्टफोन को gradient blue design के साथ पेश किया गया है। साथ ही इसमें पॉप-अप कैमरा होने की भी उम्मीद की जा रही है।
चीन में आधिकारिक लॉन्च से पहले Redmi अपने आगामी Redmi K20 से संबंधित टीज़र जारी कर रही है। लेटेस्ट टीज़र में कंपनी ने खुलासा किया है कि रेडमी K20 में अल्ट्रा-लाइनर स्पीकर बड़े 0.9 सीसी फिजिकल कैविटी में होगा।
साथ ही हाल ही में आये टीज़र से इस बात का का भी पता चला था कि Redmi K20 बेहतर गेमिंग एक्सपीरियंस के लिए गेम टर्बो 2.0 के साथ आएगा। यह गेम टर्बो फीचर का नया अवतार होगा। आपको बता दें कि इस फीचर को नए मीयूआई ग्लोबल बीटा अपडेट के ज़रिए Poco F1 में शामिल किया गया था।
Weibo पर Redmi ने Redmi K20 में डीसी डिमिंग फीचर दिए जाने की बात कही है और साथ ही डिवाइस को हाइ-रेज़ ऑडियो सपोर्ट के साथ लाने की बात कही गयी है। इसमें 3.5 एमएम हेडफोन जैक होगा। स्मार्टफोन के बारे में एडवांस्ड ऑडियो एक्सपीरियंस देने का दावा है। Redmi K20 को जहां चीन में 28 मई को लॉन्च किया जाएगा, वहीं इसे भारत में कब लाया जाएगा, इस बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है।
लीक रिपोर्ट्स के मुताबिक फोन में 4,000 एमएएच की बैटरी, 48 मेगापिक्सल का प्राइमरी कैमरा और स्नैपड्रैगन 855 प्रोसेसर दिया जा सकता और साथ ही Redmi K20 फुल-एचडी + रिज़ॉल्यूशन के साथ 6.39-इंच के एमोलेड डिस्प्ले के साथ दो रैम वेरिएंट में आ सकता है जिसमें 6 जीबी और 8 जीबी रैम शामिल हैं। वहीँ स्टोरेज में 64 जीबी, 128 जीबी और 256 जीबी स्टोरेज दिया जा सकता है। स्मार्टफोन में 4,000 एमएएच की बैटरी और 48 मेगापिक्सल का कैमरा सेंसर हो सकता है।
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479457bd37494ac793656a4811047f328a32c686 | 3) श्रेयस अय्यर (Shreyas Iyer)
भारतीय क्रिकेट टीम के आक्रामक बल्लेबाज़ और दिल्ली कैपिटल्स के पूर्व कप्तान श्रेयस अय्यर को इस बार आईपीएल मेगा ऑक्शन 2022 (IPL Mega Auction 2022) में अपनी नई आईपीएल टीम मिल गई है और इसी के साथ ये उम्मीद भी की जा रही है कि उनकी नई आईपीएल फ्रेंचाइजी उन्हें कप्तानी की भूमिका भी सौंपना चाहती है.
शाहरुख खान की टीम कोलकाता नाइट राइडर्स ने श्रेयस अय्यर को 12 . 25 करोड़ रूपये में खरीदा, जोकि इस बार के मेगा नीलामी में तीसरे महंगे खिलाड़ी बन गए. अय्यर का बेस प्राइस ऑक्शन (IPL Mega Auction 2022) के लिए 2 करोड़ ही था. इसमें कोई दोहराय नहीं कि इस बार उम्मीद की जा रही थी कि श्रेयस अय्यर पर तगड़ी बोली लगने वाली है. क्योंकि अय्यर ने पिछले कुछ सालों में जो काम दिल्ली कैपिटल्स के लिए किया है, वो तारीफ के काबिल है.
जब इनका नाम बिग स्क्रीन पर आया तो रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने इनमें सबसे ज़्यादा रूचि दिखाई, ग़ौरतलब है कि अय्यर की पूर्व फ्रेंचाइजी भी इनके पीछे 9. 50 करोड़ तक भागी, लेकिन अंत में सबसे बड़ा हाथ श्रेयस पर केकेआर ने ही मारा. जिसके चलते अय्यर आगामी आईपीएल एडिशन में केकेआर की ओर से खेलते और शायद कप्तानी करते हुए भी नज़र आएंगे.
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15062a02ebd6ec2db94940692344c2841438e005 | दो जून को हुए भीषण रेल हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई थी और एक हजार से अधिक यात्री घायल हो गये थे। रेलवे के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जांच के दायरे में पांच रेलकर्मी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि चार अन्य कर्मचारी सिग्नल से संबंधित काम करते हैं और इस महीने की शुरुआत में दुर्घटना के समय ड्यूटी पर थे। पांचों कर्मचारियों पर भविष्य में कोई भी कार्रवाई रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की दुर्घटना जांच रिपोर्ट पर निर्भर करेगी। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) दो जून को बाहानगा बाजार स्टेशन पर कथित आपराधिक लापरवाही के कारण हुई दुर्घटना की अलग से जांच कर रहा है।
रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने इंटरलॉकिंग प्रणाली से संभावित छेड़छाड़ का संकेत दिया है, जिससे कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए सिग्नल हरा हो गया और यह लूप लाइन की ओर निर्देशित हो गई, जहां यह एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। स्वचालित इंटरलाकिंग प्रणाली में गड़बड़ी को इस घटना की बड़ी वजह के तौर पर देखा जा रहा है।
एक वरिष्ठ रेल अधिकारी ने कहा कि फिलहाल पांच रेलकर्मी जांच के केंद्र में हैं। सीआरएस से जल्द ही अंतिम रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि तीन संभावित परिदृश्यों की जांच की जा रही है - क्या प्रणाली से छेड़छाड़ जानबूझ कर की गई थी या यह गलती से हुआ या फिर यह क्षेत्र में चल रहे रखरखाव के काम का परिणाम था। दुर्घटना को लेकर विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना के बीच दो रेल कर्मचारी संघ रेलवे के समर्थन में सामने आए हैं।
एक साझा बयान में, आल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन (एआइआरएफ) और नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमेन (एनएफआइआर) के महासचिवों ने कहा कि वे रेल हादसे का राजनीतिकरण किए जाने से व्यथित हैं। इसमें कहा गया कि हम यह देख कर बहुत दुखी हैं कि कैसे इस रेल हादसे का राजनीतिकरण किया गया और रेलवे के प्रदर्शन पर सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया में हमले किए जा रहे हैं। इस तरह का प्रत्येक हमला हमारी ईमानदारी और कर्तव्य के प्रति समर्पण का निरादर है।
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3a2e63aeaf19925ef8f1378c8b7814994c240a9f | ग्रेटर नोएडा, : चाहे त्वरित मैसेजिंग ऐप, ऑनलाइन बैंकिंग, या सैन्य बलों के लिए, आज के डिजीटल ज़ोन में सुरक्षित संचार को सर्वोच्च महत्व प्राप्त हुआ हैक्रिप्टोलॉजी, सुरक्षित संचार का कला और विज्ञान, मजबूत एन्क्रिप्शन विधियों को डिजाइन करने के लिए जटिल गणित और तर्क को लागू करता है जो जानकारी की सत्यता, प्रमाणीकरण और गोपनीयता की रक्षा करते हैं। दुरुपयोग से डेटा को सुरक्षित रखने और साइबरस्पेस में अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास में, शारदा विश्वविद्यालय केरिसर्च एंड टैक्नोलॉजी डेवलपमेंट सेंटर (आरटीडीसी) ने क्राप्टोलॉजी में 'नेशनल निर्देशात्मक कार्यशाला' एनआईडब्ल्यूसी-2017, 6 से 8 अक्टूबर, 2017 तक। कार्यशाला का भीउद्देश्य छात्रों, शोधकर्ताओं, डिजाइनरों और क्रिप्टो उत्पादों के डेवलपर्स के कार्य कौशल को बढ़ाने के लिए है।
तीन दिवसीय कार्यशाला प्रौद्योगिकी, अभ्यास, प्रबंधन और नीतिगत मुद्दों के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगी जो क्रिप्टोग्राफी उपयोगकर्ताओं औरडेवलपर्स के लिए उचित हैं। सुरक्षा नेटवर्क के नेटवर्क को असुरक्षित चैनलों से संचार की रक्षा के लिए और नियमित अंतराल पर अपडेट करने की आवश्यकता है। उन्हें शक्तिशालीतृतीय-पक्ष विरोधियों से, आधुनिक क्रिप्टोग्राफी की मुख्य चुनौतियों में से एक चर्चा के कुछ व्यापक क्षेत्रों में सममितीय और असममित कुंजी क्रिप्टोग्राफी, बेसिक क्रिप्टानालिसिस, क्रिप्टोग्राफिक प्रोटोकॉल, सुरक्षा विश्लेषण, सुरक्षा ऑडिट और हैकिंग, पब्लिक की एन्क्रिप्शन और डिजिटल हस्ताक्षर में संख्या सिद्धांत और बीजगणित की भूमिका जैसे विषयोंको शामिल किया जाएगा।
कार्यशाला छात्रों, संकाय सदस्यों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और क्रिप्टोग्राफी, साइबर सुरक्षा और संबंधित क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों के लिए लक्षित है। 3 साल से कम अनुभव वालेशोधकर्ता, शोध विद्वान, भौतिक विज्ञान / गणित / इंजीनियरिंग के पीजी छात्र, किसी भी मान्यता प्राप्त भारत में संस्था कार्यशाला में भाग ले सकती है। एनआईडब्ल्यूसी -017 मेंभागीदारी के लिए कोई पंजीकरण शुल्क नहीं है, और सभी चयनित प्रतिभागियों को एसी तृतीय श्रेणी ट्रेन / बस किराया द्वारा यात्रा व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होगा, जोसीआरएसआई द्वारा प्रदान किया जाएगा। आवास और भोजन सहित स्थानीय आतिथ्य शारदा विश्वविद्यालय द्वारा ग्रेटर नोएडा परिसर में प्रदान किया जाएगा। चयनितप्रतिभागियों की अंतिम सूची शारदा विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर देखी जा सकती है।
शारदा विश्वविद्यालय के बारे मेंः
शारदा विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा, दिल्ली एनसीआर से बाहर स्थित एक प्रमुख शैक्षणिक संस्था है। प्रसिद्ध शारदा ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूशंस का एक उपक्रम, विश्वविद्यालय नेउच्च गुणवत्ता वाले शिक्षा प्रदाता के रूप में खुद को समग्र शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने और विद्यार्थियों में प्रतिस्पर्धी क्षमताओं को आत्मसात करने के रूप में स्थापित किया है।विश्वविद्यालय यूजीसी द्वारा अनुमोदित है और एनसीआर में एकमात्र बहु-अनुशासन परिसर में खुद को गर्व करता है, जो 63 एकड़ में फैला है और विश्व स्तर की सुविधाओं सेलैस है। शारदा विश्वविद्यालय, अनुसंधान और शिक्षण में उत्कृष्टता के लिए एक प्रतिष्ठित प्रतिष्ठा वाले भारत के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एक बनने का वादा करता है।अपने उत्कृष्ट संकाय, विश्व स्तर के शिक्षण मानकों और अभिनव शैक्षणिक कार्यक्रमों के साथ, शारदा भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक नया बेंचमार्क स्थापित करने का इरादा रखताहै।
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858899843bb491b820ac1085fc7ed9a0bad158b0 | अब आप उत्तराखंड में ही तेंदुए की सफारी का मजा ले सकेंगे। हरिद्वार वन प्रभाग के चिड़ियापुर क्षेत्र में 5 तेंदुए हैं। ये सभी पहले या तो घायल हालत में वन विभाग को मिले थे या फिर इंसानी संपर्क में आने से घायल हो गए थे। इस इलाके में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वन विभाग इन तेंदुओं को आगे लाएगी। राजधानी देहरादून से चिड़ियापुर की दूरी केवल 2 घंटे की है।
राज्य के वन मंत्री दिनेश अग्रवाल ने कहा, 'हमने कॉर्बेट बाघ अभ्यारण्य में पहले ही बाघ सफारी की घोषणा कर दी है। अब चिड़ियापुर में पहली बार तेंदुआ सफारी शुरू की जाएगी। चिड़ियापुर में कुल 5 तेंदुए हैं। अभी फिलहाल ने पिंजड़ों में बंद हैं। उन्हें बड़े क्षेत्र में आजाद छोड़ दिया जाएगा ताकि पर्यटक जीप से उन्हें उनके प्राकृतिक परिवेश में देखने का आनंद ले सकें। यह कहने की जरूरत नहीं है कि सरकार सुरक्षा के पूरे इंतजाम करेगी। '
ये सभी तेंदुए बड़ी उम्र के हैं और शिकार नहीं कर सकते। उन्हें वन विभाग ने पकड़कर चिड़ियापुर में पिंजड़े में रखा है। इनमें से कुछ तेंदुए पहले आदमखोर भी रहे हैं।
वन विभाग को इन तेंदुओं का ध्यान रखने के लिए पैसे की काफी कमी झेलनी पड़ रही थी। अगर तेंदुआ सफारी की यह योजना कामयाब रहती है तो इससे पैसा आएगा। मंत्री ने बताया कि वन विभाग सभी जरूरी अनुमति लेने व सुरक्षा के इंतजाम करने में व्यस्त है।
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3fb0610277b911c016158b76657a98602cfa0c4e | पश्चिम बंगाल की हिंसा की घटनाओं की भाजपा ने निंदा की है। बुधवार को पार्टी महानगर के सभी 13 मंडलों में अलग-अलग हुई वर्चुअल बैठकों में हिंसा के विरोध में निंदा प्रस्ताव पास किया गया। क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश श्रीवास्तव ने कहा कि दो मई से लेकर अब तक बंगाल में हुई हिंसा की घटनाओं में कई भाजपा कार्यकर्ताओं की जानें चली गई हैं। इन घटनाओं की जितनी निंदा की जाय, वह कम होगी।
महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय ने घटना में शामिल उपद्रवी तत्वों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। अन्य वक्ताओं ने कहा कि लोकतंत्र के इतिहास में ऐसा कार्य देखने को नहीं मिला। केंद्र सरकार को तत्काल इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। कार्यकर्ताओं ने कहा कि यदि हालात में सुधार नहीं हुआ तो हम सब आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
महानगर मीडिया प्रभारी किशोर कुमार सेठ ने बताया कि प्रदेश भाजपा सह संगठन महामंत्री भवानी सिंह के निधन पर सूचना मिलते ही बैठक स्थगित कर दी गई। वर्चुअल बैठकों में काशी क्षेत्र उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह, क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी नवरतन राठी, नवीन कपूर, आलोक श्रीवास्तव, जगदीश त्रिपाठी, अभिषेक मिश्रा, मधुकर चित्रांश, अशोक पटेल, राहुल सिंह, नीरज जायसवाल, डॉ रचना अग्रवाल, साधना वेदांती, इंजीनियर अशोक यादव सहित सभी मंडल अध्यक्ष संदीप चौरसिया, गोपाल जी गुप्ता, नलिन नयन मिश्र, सिद्धनाथ शर्मा, अभिषेक वर्मा गोपाल, अजय सिंह, जगन्नाथ ओझा, राम मनोहर द्विवेदी, जितेंद्र यादव, शत्रुघ्न पटेल, रतन मौर्या, अजीत सिंह, कमलेश सोनकर आदि शामिल रहे। भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश कार्य समिति की सदस्य डॉ. वीणा पांडेय ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हो रही हिंसा पर कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इसे नहीं बर्दाश्त किया जा सकता। केंद्र सरकार से घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाने की मांग की है और स्थिति को भयावह होने के पूर्व रोकने की अपील की है।
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5294488a5db2c03a40f61c29204f04aba490f6d8 | नई दिल्ली । केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (डीबीएचपीएस) के पूर्व अध्यक्ष शिवयोगी आर. निरलकट्टी और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए केंद्र द्वारा जारी धन की हेराफेरी करने और उसका दुरूपयोग करने के आरोप में मामला दर्ज किया। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि आर. एफ. निरलकट्टी (अब मृतक) और उनके बेटे और तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष शिवयोगी निरलकोटी ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और 600 शिक्षकों के माध्यम से हिंदी प्रचार के लिए रखे गए 5,78,91,179 रुपये का कथित रूप से गबन करने के लिए सरकार को झूठा लाभ और हानि विवरण प्रस्तुत किया और इस पैसे का उपयोग अपने बी. एड. कॉलेजों के कर्मचारियों को वेतन के भुगतान के लिए अनाधिकृत रूप से किया।
एसीबी की मदुरै शाखा के डीएसपी, सीबीआई, ए धंदापानी ने 18 जनवरी को प्रारंभिक जांच (पीई) पूरी करने के बाद एक रिपोर्ट प्रस्तुत की और उसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त सचिव नीता प्रसाद की शिकायत के आधार पर सीबीआई ने फरवरी 2022 में प्राथमिकी दर्ज की, और इसमें 2004 और 2005 और 2016 से 2017 के बीच की अवधि के दौरान डीबीएचपीएस, धारवाड़ (कर्नाटक) में धन की हेराफेरी का खुलासा हुआ, जिसमें निरलकट्टी शामिल थे।
इसमें आरोप लगाया गया है कि, मंत्रालय से आवश्यक अनुमति प्राप्त किए बिना निर्धारित डीबीएचपीएस मानदंडों का उल्लंघन करते हुए निरलकट्टी द्वारा आयुर्वेद और होम्योपैथी के साथ-साथ ही लॉ कॉलेजों और अंग्रेजी-माध्यम के स्कूलों में हिंदी को बढ़ावा देने के अलावा अन्य पाठ्यक्रमों को चलाकर अपने वित्तीय हितों को बढ़ावा देने के लिए निरलकट्टी द्वारा संस्थान के नाम का दुरुपयोग किया गया था।
जांच से पता चला कि डीबीएचपीएस की धारवाड़ शाखा ने विभिन्न हिंदी शिक्षकों और हिंदी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों के प्राचार्यों को मानदेय देने के लिए मंत्रालय से अनुदान मांगा था। अनुरोधों के आधार पर, मंत्रालय ने अनुदान के रूप में कुल व्यय का 75 प्रतिशत प्रदान किया था और शेष डीबीएचपीएस द्वारा योगदान दिया जाना था।
एक अधिकारी ने कहा- डीबीएचपीएस, धारवाड़ द्वारा इस प्रकार प्राप्त की गई धनराशि को उनके द्वारा बनाए गए अलग खाते में 25 प्रतिशत के अतिरिक्त योगदान के साथ जमा किया जाना था और मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई सूची और राशि के अनुसार हिंदी शिक्षकों और अन्य को जारी किया जाना था। जांच में पता चला कि शिक्षकों को अनुदान बांटने के नाम पर खाते से 7. 44 करोड़ रुपये की भारी निकासी की गई, जबकि नियमों के अनुसार लाभार्थियों को चेक और डीडी के माध्यम से ही अनुदान का भुगतान किया जाना चाहिए।
जांच में पता चला कि केंद्र से अनुदान प्राप्त करने के बाद, डीबीएचपीएस लाभ और हानि खातों/विवरण के साथ उपयोग प्रमाण पत्र जमा कर रहा था। 2004-05 से 2016-2017 की अवधि के लिए डीबीएचपीएस द्वारा उनके लाभ और हानि खाते में दावा किया गया कुल योगदान 10,68,89,626 रुपये था, जबकि डीबीएचपीएस, धारवाड़ का योगदान केवल 1,85,66,919 रुपये था।
एफआईआर में कहा- अभियुक्तों ने लाभ-हानि खाता/विवरण को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है और केंद्र सरकार को झूठे विवरण प्रस्तुत किए हैं। जांच से पता चला कि केंद्र सरकार ने 2011-12 से 2016-17 की अवधि के दौरान 600 मुफ्त हिंदी कक्षाओं, शिक्षकों को 600 टीए और डीबीएचपीएस, धारवाड़ के लिए पीजी डिप्लोमा अनुवाद के लिए सहायता स्वीकृत की थी। हालांकि, उक्त अवधि के दौरान केवल 400 से 450 शिक्षक उपलब्ध थे, जो कि भारत सरकार को प्रस्तुत रसीद और भुगतान विवरण और उपयोग प्रमाण पत्र से स्पष्ट था।
हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों को मानदेय के भुगतान के लिए केंद्र द्वारा जारी अनुदान डीबीएचपीएस, धारवाड़ द्वारा अपने नियंत्रण में बीएड कॉलेजों के प्रधानाचार्यों, शिक्षकों, क्लर्कों और चपरासी को वेतन के भुगतान के लिए उपयोग किया गया था।
डीबीएचपीएस की स्थापना दक्षिण भारत के गैर-हिंदी भाषी लोगों के बीच हिंदी साक्षरता में सुधार के लिए की गई थी। 1964 में, संस्थान को संसद के एक अधिनियम के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के रूप में मान्यता दी गई थी। डीबीएचपीएस का मुख्य उद्देश्य परीक्षा आयोजित करना और हिंदी में या हिंदी के शिक्षण में प्रवीणता के लिए डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाण पत्र प्रदान करना है। हैदराबाद, धारवाड़, एनार्कुलम और तिरुचिरापल्ली में इसके चार क्षेत्रीय मुख्यालय हैं, और कुड्डालोर, नेवेली, पुडुचेरी, कोयम्बटूर, सलेम, वेल्लोर, ऊटी, कराईकल, तूतीकोरिन, नागरकोइल, मदुरै, करूर, तंजावुर और हैदराबाद में स्थित 14 शाखाएं हैं।
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6f6ea3088103ac761c79a674f7e4c3b91aeae945 | नई दिल्ली. एयर इंडिया में एक सीनियर क्रू मेंबर द्वारा अटेंडेंट को थप्पड़ मारने का मामला सामने आया है. इस मामले को लेकर एयर इंडिया विवादों में आ गया है. बताया जा रहा है कि मामला 17 मार्च का है. एक अटेंडेंट ने बिजनेस क्लास में सफर कर रहे एक यात्री को नॉनवेज खाना परोस दिया था. बाद में उसने यात्री से माफी मांग ली थी. लेकिन जब यह बात क्रू मेंबर्स तक पहुंची तो एक वरिष्ठ कर्मचारी ने अटेंडेंट को इस गलती के लिए थप्पड़ मार दिया.
यह घटना नई दिल्ली से फ्रैंकफर्ट के बीच एयर इंडिया के विमान में हुई है. एयर इंडिया के प्रवक्ता ने बताया कि इस घटना की आंतरिक जांच का आदेश दे दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक, जिस यात्री को नॉनवेज परोसा गया था उसने इसकी जानकारी केबिन सुपरवाइजर को दी. लेकिन उसने शिकायत नहीं की थी. लेकिन बाद में इस घटना के बाद केबिन क्रू के सुपरवाइजर ने फ्लाइट अटेंडेंट को जानकारी देते हुए थप्पड़ मार दिया.
बताया जा रहा है कि थप्पड़ लगने के बाद भी अटेंडेंट ने इस घटना का विरोध फ्लाइट में नहीं किया. लेकिन विमान लैंड करने के बाद उसने अपने सीनियर की शिकायत एयर इंडिया से की. इस मामले पर एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि हमें शिकायत मिली है कि केबिन सुपरवाइजर ने फ्लाइट अटेंडेंट को थप्पड़ मारा था. यह घटना दिल्ली से फ्रेंकफर्ट जा रहे विमान एआई 121 में हुई. इस मामले की आंतरिक जांच के आदेश दे दिये गए हैं. इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है.
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57b5a12b81f28cfe19038e07ef63d01d4136b7b0 | लक्ष्मणगढ़ ग्राम विकास अधिकारी संघ ने 7 सूत्रीय मांग को लेकर लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति विकास अधिकारी रामधन डुडी को ज्ञापन सौंपा। संघ शाखा लक्ष्मणगढ़ के अध्यक्ष महबुब अली के नेतृत्व में आज ग्राम विकास अधिकारियों ने मुख्यमंत्री व राज्य मुख्य सचिव के नाम लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति विकास अधिकारी को एक ज्ञापन सौंपकर बताया कि शासन व संगठन के मध्य 1 अक्टूबर 2021, 11 दिसंबर 2021 व 6 सितंबर 2022 को समझौता व चयनित वेतनमान की मांग पर राज्य मुख्यमंत्री के द्वारा 10 फरवरी 2023 को बजट में घोषणा भी की जा चुकी है। इसके बावजूद भी आदेश जारी नहीं किए जा रहे हैं। जिससे ग्राम विकास अधिकारियों में भारी निराशा व्याप्त है। आज ग्राम विकास अधिकारियों ने लक्ष्मणगढ बीडीओ को ज्ञापन सौंपकर बताया कि गत 2021 में प्रशासन गांवो के संग अभियान के दौरान किए गए समझौते को लागू नहीं किया गया तो 2023 में आगामी आयोजित होने वाले प्रशासन गांवों के संग अभियान में ग्राम विकास अधिकारी असहयोग करते हुए 21 अप्रैल से पंचायत समिति मुख्यालय पर धरना एवं अनिश्चितकालीन असहयोग आंदोलन शुरू किया जाएगा। इस दौरान संघ के अध्यक्ष महबुब अली, सचिव शुभम शर्मा, राजेंद्र कुमार, महेंद्र कुमार, ओमप्रकाश, केसराराम, रामकरण , रामचंद्र, लिखमीचंद, रिछपाल, सुरेंद्र कुमार व रमेश शर्मा सहित अनेक ग्राम विकास अधिकारी मौजूद थे।
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1a8880aef532bd4b83ebd872a85c3de238a844ff | मंत्रालय परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिये वित्तपोषण (वीजीएफ) के साथ केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसयू) द्वारा ग्रिड से जुड़ी सौर फोटोवोल्टिंग बिजली परियोजनाएं लगाने की योजना क्रियान्वित कर रहा है।
योजना के तहत इन परियोजाओं का क्रियान्वयन देश में विनिर्मित सौर सेल और मॉड्यूल के साथ हो रहा है।
योजना के तहत वीजीएफ उपलब्ध कराने के बारे में एमएनआरई ने कहा कि परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिये वित्तपोषण का मकसद घरेलू रूप से विनिर्मित सौर पीवी सेल और मॉड्यूल तथा आयातित उपकरणों की लागत के बीच अंतर को पाटना है।
एमएनआरई ने यह भी कहा कि सीपीएसयू योजना चरण-दो के तहत शुल्क 'कोट' करने की जरूरत नहीं है और बोलीदाताओं को केवल वीजीएफ के बारे में बताना होता है। इसके तहत अधिकतम स्वीकार्य सीमा 70 लाख रुपये प्रति मेगावॉट है।
योजना के पहले चरण के तहत नौ सीपीएसयू ने इसमें भाग लिया। ये कंपनियां हैं, एनटीपीसी, भेल, राष्ट्रीय इस्पात निगम, एनएचपीसी, ओएनजीसी, गेल, स्कूटर्स इंडिया, दादरा एवं नगर हवेली पावर डिस्ट्रिब्यूशन कॉरपोरेशन और एनएलसी इंडिया।
इस योजना के दूसरे चरण में 12,000 मेगावॉट क्षमता सृजित करने के लक्ष्य के तहत सात सीपीएसयू/सरकारी संगठनों ने इसमें भाग लिया। ये कंपनियां हैं. . . एनएचडीसी, सिंगरेनी कोलियरी कंपनी, असम पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी, दिल्ली मेट्रो रेल निगम, नालंदा विश्विविद्यालय, एनटीपीसी और इंदौर नगर निगम।
समिति ने यह भी कहा कि छतों पर लगायी जाने वाली सौर परियोजनाओं का लक्ष्य तबतक हासिल नहीं किया जा सकता जबतक समुचित तरीके से 'नेट/ग्रॉस मीटरिंग' व्यवस्था लागू नहीं की जाती। इसके अलावा नियमन/परिचालन प्रक्रिया आदि के संदर्भ में एकरूपता भी जरूरी है।
ग्रॉस मीटरिंग में उपभोक्ताओं की क्षतिपूर्ति निश्चित दर पर कुल सौर बिजली उत्पादन और ग्रिड से उसे जोड़े जाने के आधार पर की जाती है जबकि नेट मीटरिंग में ग्राहकों की खपत के बाद जो सौर बिजली ग्रिड से जोड़ी जाती है, उसका भुगतान किया जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार सभी राज्य/संयुक्त बिजली नियामक आयोग ने 'नेट मीटरिंग नियमन/शुल्क आदेश जारी किया है लेकिन इस संदर्भ में एकरूपता का अभाव है।
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c57aa988f7150e4409c29a77989fcd13161433c0 | विश्व हिंदू परिषद की फायर ब्रांड नेता साध्वी प्राची गुरुवार को बरेली पहुंचीं. यहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की. कहा कि मुस्लिम लड़कियां हिंदू लड़कों से शादी कर लें तो उनकी जिंदगी स्वर्ग बन जाएगी. इससे उन्हें बुर्का और हलाला से भी छुटकारा मिल जाएगा. इसके अलावा साध्वी ने पश्चिम बंगाल और बिहार में रामनवमी के मौके पर हुए दंगे के लिए सीएम ममता और नीतीश को जिम्मेदार ठहराया. दोनों राज्यों में उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की.
विहिप नेता साध्वी प्राची ने बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की ओर से साईं बाबा पर दिए बयान का समर्थन किया. साध्वी प्राची ने बरेली के सर्किट हाउस में मुस्लिम लड़कियों को खुला ऑफर दिया. कहा कि मुस्लिम लड़कियों को हिंदू लड़कों से शादी कर लेनी चाहिए. शादी करने के बाद उनकी जिंदगी स्वर्ग बन जाएगी. घर वापसी के सवाल पर कहा कि इसके लिए सबसे पहले श्रद्धानंद जी ने शुद्धिकरण आंदोलन चलाया था. कुछ लोग डर से तो कुछ लोगों ने तलवार के डर से काला लिबास पहन लिया था. अब घर वापसी व्यापक रूप में हो रही है.
साध्वी प्राची ने कहा कि मुस्लिम बेटियां काले लिबास में पूरे दिन तपती गर्मी में रहती हैं. वे हिंदू लड़कों से शादी कर लें तो कई सुविधाएं मिलेंगी. इससे किसी ममेरे ,चचेरे और फुफेरे से उनका रिश्ता नहीं हो सकेगा. हिंदुओं में सात जन्मों का बंधन होता है. साध्वी प्राची ने कहा कि बिहार और बंगाल के अंदर जो दंगा हुआ है, उस पर अफसोस है. सीएम नीतीश बाबू खजूर खा रहे हैं, रोजा इफ्तारी कर रहे हैं. दंगे में कौन मर रहा है, कौन घायल हो रहा है, इसकी उन्हें कोई परवाह नहीं है. इन दोनों प्रदेशों में राष्ट्रपति शासन लग जाना चाहिए .
सीएम ममता बनर्जी के बयान पर कहा कि आज तक पथराव किस मुस्लिम के घर पर हुआ है, ममता बनर्जी यह बता दें. पथराव होता है तो हिंदुओं पर होता है , पथराव होता है तो सैनिकों पर होता है. ममता बनर्जी भ्रम में जी रहीं हैं. बंगाल की स्थिति ऐसी बनती जा रही है कि एक दौर ऐसा आएगा जब ममता ही सुरक्षित नहीं रहेंगीं. पंडित धीरेंद्र शास्त्री के 'सभी लोग राम-राम कहेंगे' वाले बयान पर कहा कि हिंदुस्तान हिंदू राष्ट्र है, था और रहेगा. सब श्रीराम के पूर्वज हैं, डीएनए करा लीजिए. साईं बाबा के भगवान न होने के सवाल पर साध्वी ने कहा कि वह पीर-फकीर हो सकते हैं लेकिन भगवान नहीं है. वह चांद मियां थे. उन्होंने साईं बाबा पर दिए बयान पर धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन किया.
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c19bd6d38aece84a98c0d4c80d6a90c2ac8171cc | चंबा - सीटू राज्य कमेटी के नेतृत्व में आउटसोर्स कर्मचारी छह अक्तूबर को पूरे प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे। सीटू ने मांग की है कि आउटसोर्स कर्मचारियों को रेगुलर करने के लिए राज्य सरकार पालिसी बनाए। सीटू ने मांग की कि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सभी तरह के श्रम कानून अमल में लाए जाए। सीटू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार आउटसोर्स कर्मचारियों को रेगुलर कर्मचारियों की तर्ज पर समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए। सीटू ने कहा कि अगर आउटसोर्स कर्मचारियों को न्याय न मिला तो आंदोलन तेज होगा। सीटू ने कहा कि प्रदेश में आउटसोर्स मजदूरों का भारी शोषण हो रहा है। उन्हें बेहद कम वेतन मिलता है। उन्हें महंगाई भत्ता नही मिलता और उनके वेतन को महंगाई सूचकांक के साथ नहीं जोड़ा गया है। प्रदेश में आउटसोर्स मजदूरों की संख्या लगभग 40 हजार का आंकड़ा पार कर चुका है व कई विभागों में उनकी संख्या रेगुलर कर्मचरियों से भी ज्यादा हो गई है परन्तु उसके बावजूद भी उनसे सौतेला व्यवहार जारी है व सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद भी उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा रहा है। सीटू ने भूतपूर्व व वर्तमान सरकार पर आरोप लगाया कि इन दोनों सरकारों ने आउटसोर्स कर्मचारियों से छलावा किया है। सीटू ने इनके लिए वादा करने के बावजूद इनको रेगुलर करने के लिए कोई नीति नहीं बनाई। प्रदेश सरकारों का आउटसोर्स एजेंसियों को भी खुला समर्थन प्राप्त रहा है, जिस कारण ये एजेंसियां एग्रीमेंट व कांट्रैक्ट के फलस्वरूप मजदूरों को न्यूनतम वेतन, छुट्टियां व मेडिकल बेनिफिट आदि नहीं देतीं व आठ घंटे के बजाय बारह घंटे काम करवाती हैं व ओवरटाइम का भुगतान भी नहीं करती हैं। स्वास्थ्य विभाग में 108 व 102 में हर एंबुलेंस में तीन के बजाए दो ड्राइवर व तीन की जगह दो फार्मासिस्ट नियुक्त करके दो मजदूरों का वेतन सीधे रूप में कंपनी द्धारा हजम किया जा रहा है।
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6636065569b43396b31289d3ae5963c233534a2f | रेड क्रॉस एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका मिशन मानवीय जिन्दगी व सेहत को बचाना है। हर साल 8 मई को वर्ल्ड रेड क्रॉस डे मनाया जाता है। इसकी स्थापना 1863 ई. में हेनरी ड्यूनेन्ट ने जेनेवा में की। इसका मुख्यालय जेनेवा (सि्वट्जरलेंड) में है। इसे तीन बार (1917,1944,1963) में नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है।
रेड क्रॉस का मुख्य उद्देश्य युद्ध या विपदा के समय में कठिनाईंयों से राहत दिलाना है। 8 मई रेडक्रास के संस्थापक हेनरी ड्यूनेंट का जन्म हुआ। इसलिए पूरे विश्व में इसे इसी दिन मनाया जाता है।
रेड क्रांस संस्था के उद्देश्य व उसके कार्य की बात की जाये तो इस संस्था का मुख्य उद्देश्य युद्ध के दौरान घायल सैनिकों की मदद और चिकित्सा करना है। भारत में इसकी स्थापना 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के अनुसार की गई। दुनिया के लगभग 210 देश रेड क्रॉस सोसाइटी से जुड़े हुए हैं। रेड क्रॉस के सिद्धांतों को मान्यता 15वें इंटरनेशनल कांफ्रेंस में वर्ष 1934 में मिली, जिसके बाद इसे दुनियाभर में लागू किया गया।
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ द रेड क्रॉस सोसाइटी (IFRC) ने लीग ऑफ द रेड क्रॉस सोसाइटीज से हर वर्ष इसे मनाए जाने की मांग की। जिसके बाद हर साल वर्ल्ड रेड क्रॉस डे मनाने की शुरुआत हुई। 8 मई 1948 को पहला वर्ल्ड रेड क्रॉस डे मनाया गया। वर्ष 1984 में आधिकारिक रूप से इसका नाम वर्ल्ड रेड क्रॉस डे और रेड क्रेसेंट डे रखा गया।
यह संस्था शांति और युद्ध के समय दुनियाभर के विभिन्न देशों की सरकार के बीच समन्वय का कार्य करती हैं। यह होने वाली महामारी बीमारी जैसी प्राकृतिक आपदा में पीड़ितों की सहायता करती है। इसका मुख्य कार्य मानव सेवा है।
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80945c0e928b5216341e8cecf5b3caac6c9e744b | 4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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f637a29bfcd62eb0ae2f4fe99ef7792b828bdf18 | RANCHI : अरगोड़ा थाना क्षेत्र के हरमू हाउसिंग कॉलोनी स्थित नंद नगर में बुधवार की सुबह एक्टिवा स्कूटी सवार दो अपराधियों ने गर्भवती महिला के गले से चेन छीन ली और फरार हो गये। लूट की शिकार महिला सीता कुमारी नंद नगर की ही रहने वाली है। इस घटना पर उसने अरगोड़ा थाने में अज्ञात अपराधियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।
घटना की सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले की जांच की। अपराधियों ने भागने के लिए जिस रास्ते का इस्तेमाल किया है, उस रास्ते में स्थित घरों में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज के सहारे पुलिस अब अपराधियों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। हालांकि पुलिस को ऐसा कोई फुटेज नहीं मिला है जिससे अपराधियों की पहचान हो सके,
वहीं पुलिस को दिए आवेदन में पीडि़त महिला ने बताया है कि वह अपने मां के साथ सुबह 6. 30 बजे घर से निकलकर पटेल पार्क में मॉर्निग वॉक पर गई थी। लौटते समय घर से दस कदम पहले एक अंजान युवक उनके करीब पहुंचा और गले से चेन झपटकर भागने लगा। थोड़ी दूरी पर एक्टिवा स्कूटी सवार दूसरा अपराधी गाड़ी चालू कर खड़ा था। पैदल भाग रहा अपराधी तुरंत स्कूटी पर बैठ गया और दोनों फरार हो गये। पीडि़त महिला ने पुलिस को बताया कि चेन लूटने वाला अपराधी काला पैंट व उजला टीशर्ट पहन रखा था। रंग सांवला था और सर का बाल आगे से खड़ा था। वही उसका साथी जो स्कूटी चला रहा था उसे वह पहचान नहीं पाई। जिसके बाद पुलिस अपराधियों की तलाश में जुट गई है।
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251d0e5ca4197bcc1ff361d9d0c2849e696a239c | श्रीलंका के पूर्व क्रिकेट कप्तान कुमार संगकारा को खेल मंत्रालय की विशेष जांच समिति के समक्ष बयान देने के लिए कहा गया है। यह समिति इन आरोपों की जांच कर रही है कि भारत के खिलाफ विश्व कप 2011 का फाइनल फिक्स था, जिसमें टीम को हार का सामना करना पड़ा था।
स्थानीय मीडिया की खबरों में यह जानकारी दी गई। श्रीलंका के खेल मंत्री ने पिछले महीने पूर्व खेल मंत्री महिंदानंदा अलुथगामगे के इन आरोपों की जांच करने को कहा था कि 2015 विश्व कप फाइनल में भारत के खिलाफ राष्ट्रीय क्रिकेट टीम की हार को 'कुछ पक्षों' ने फिक्स किया था।
संगकारा उस समय श्रीलंकाई टीम के कप्तान थे। स्थानीय समाचार पत्र 'डेली मिरर' ने एसएसपी डब्ल्यूएजेएच फोनसेका के हवाले से कहा कि खेल मंत्रालय के विशेष जांच विभाग ने संगकारा को बयान दर्ज कराने को कहा है।
खबर के अनुसार संगकारा को गुरुवार को सुबह नौ बजे जांच समिति के समक्ष बयान दर्ज कराने को कहा गया है। विशेष जांच समिति ने श्रीलंका के दिग्गज बल्लेबाज अरविंद डिसिल्वा और उस मैच में पारी का आगाज करने वाले उपुल थरंगा के बयान भी दर्ज किए हैं।
डिसिल्वा उस समय चयन समिति के अध्यक्ष थे। जांच इकाई ने 24 जून को अलुथगामगे के बयान दर्ज किए थे, जिन्होंने कहा था कि उनका शुरुआती बयान सिर्फ एक संदेह था जिसकी वह विस्तृत जांच चाहते हैं।
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e93c79d6b76585d8e6869ec817ae3e3ca3221bfc | Meerut । शहर सर्राफा बाजार बंद होने को लेकर सर्राफा व्यापारियों में आक्त्रोश है। सर्राफा व्यापारियों ने डीएम और सिटी मजिस्ट्रेट के साथ मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने बाजार खोलने की मांग की है। मगर प्रशासन ने बाजार बंद करने के स्पष्ट आदेश दे रखे हैं। ऐसे में आज सर्राफा व्यापारी अपना विरोध जताएंगे। वहीं संयुक्त व्यापार संघ नवीन गुप्ता गुट भी आज इस मामले में कूद सकता है।
दरअसल, शहर सर्राफा बाजार में हाल ही में एक कोरोना का मरीज मिला था। जिसके बाद बुधवार को पूरा बाजार बंद करा दिया गया था। सीओ कोतवाली ने सेनेटाइजेशन कराने के लिए बाजार बंद किया था। जिसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट सत्येंद्र सिंह ने आदेश जारी कर दिया था कि अग्रिम आदेशों तक बाजार बंद रहेगा। ऐसे में गुरुवार को एक बार फिर सर्राफा व्यापारियों ने सीओ से बातचीत की और पत्र भी लिखा लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। जिसको लेकर सर्राफा व्यापारियों में आक्त्रोश है। आज व्यापारी एकत्र होकर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं। पहले भी व्यापारी बाजार खुलवाने को लेकर पुलिस और प्रशासन का विरोध कर चुके हैं। व्यापारी नेता विजय आनंद अग्रवाल का कहना है कि जहां पर मरीज मिला है उससे कुछ मीटर का एरिया सील किया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं है कि पूरा बाजार बंद कर दिया जाए। व्यापारी अपने हित की लड़ाई लड़ेगा।
अभी बाजार खोलने की अनुमति नहीं है। अग्रिम आदेशों तक बाजार बंद रहेगा। सिटी मजिस्ट्रेट आउट ऑफ स्टेशन हैं। देर रात या शुक्त्रवार को आएंगे, जिसके बाद ही बाजार के बारे में फैसला लिया जाएगा।
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2b0cadb8d5b3ebdb8837f07ea973e7ca8a61f68d | Indian Premier League 2021, Kolkata Knight Riders vs Chennai Super Kings, Live Score and Updates: आईपीएल-2021 में 21 अप्रैल को दूसरा मैच कोलकाता नाइट राइडर्स (Kolkata Knight Riders) और चेन्नई सुपर किंग्स (Chennai Super Kings) के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम (Wankhede Stadium, Mumbai) में खेला जाना है. सीएसके अब तक 3 में से 2 मैच अपने नाम कर चुकी है, जबकि केकेआर ने 3 में से महज 1 मुकाबला ही अपने नाम किया है. आज चेन्नई की निगाहें जीत की हैट्रिक लगाने पर होंगी.
केकेआर की टीम का वानखेड़े में यह इस सत्र का पहला मैच होगा. वह लगातार दो हार झेलने के बाद यहां पहुंची है और ऐसे में धोनी की अगुवाई वाली सीएसके का पलड़ा भारी लगता है. इयोन मोर्गन की कप्तानी वाला केकेआर अपने अभियान को पटरी पर लाने के लिए टीम में कुछ बदलाव कर सकता है।.
कोलकाता नाइटराइडर्स : इयोन मोर्गन (कप्तान), दिनेश कार्तिक, शुभमन गिल, नितीश राणा, टिम सेफर्ट, रिंकू सिंह, आंद्रे रसेल, सुनील नारायण, कुलदीप यादव, शिवम मावी, लॉकी फर्ग्यूसन, पैट कमिंस, कमलेश नागरकोटी, संदीप वारियर, प्रसिद्ध कृष्णा, राहुल त्रिपाठी, वरुण चक्रवर्ती, शाकिब अल हसन, शेल्डन जैक्सन, वैभव अरोड़ा, हरभजन सिंह, करुण नायर, बेन कटिंग, वेंकटेश अय्यर और पवन नेगी.
चेन्नई सुपर किंग्स : महेंद्र सिंह धोनी (कप्तान), सुरेश रैना, अंबाती रायुडू, केएम आसिफ, दीपक चाहर, ड्वेन ब्रावो, फाफ डु प्लेसिस, इमरान ताहिर, एन जगदीसन, कर्ण शर्मा, लुंगी एंगिडी, मिशेल सेंटनर, रविंद्र जडेजा, रितुराज गायकवाड़, शार्दुल ठाकुर, सैम करन, जोश हेजलवुड, आर साई किशोर, रॉबिन उथप्पा, मोइन अली, कृष्णप्पा गौतम, चेतेश्वर पुजारा, एम हरिशंकर रेड्डी, के भगत वर्मा और सी हरि निशांत.
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864836abaa4974667f02f8e2ee9a7336d02cd632 | निर्देशक राम गोपाल वर्मा अपनी दो टूक बयानबाजी को लेकर मशहूर हैं। अपने बड़बोलेपन के चलते वह विवादों में भी घिर चुके हैं। उन्होंने बॉलीवुड के सिंघम अजय देवगन के साथ यूं तो पहले कई फिल्मों में काम किया लेकिन लंबे समय से उन्होंने अपनी किसी भी फिल्म में अजय को कास्ट नहीं किया है। जब हाल ही में राम गोपाल से इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया। आइए जानते हैं राम गोपाल ने क्या कहा।
बॉलीवुड लाइफ ने फिल्म 'डी कंपनी' में अजय को साइन ना करने पर सवाल उठाया तो राम गोपाल ने कहा, "जब कास्टिंग करते हैं तो कैरेक्टर की विश्वसनीयता को बनाए रखना सबसे जरूरी होता है। दाउद इब्राहिम एक ऐसा शख्स था, जो 25 साल की उम्र में अपने भाई से पीछे था। " उन्होंने कहा, "दाउद कभी सामने नहीं आया। धीरे-धीरे समय 'के साथ उसने खुद को आगे बढ़ाया। कास्टिंग के दौरान मैं इसी भावना को ध्यान में रखता हूं।
राम गोपाल वर्मा ने कहा, "अजय अब 25 साल के नहीं हैं। बतौर एक्टर वह इसे निभाने में पावरफुल हो सकते हैं, लेकिन वह इस फिल्म में बेवकूफ लगते। दर्शक उन्हें पहले शॉट में ही नकार देते। अजय ने पिछले कुछ सालों में अपनी यही छवि बनाई है। इसे ही स्टार कहते हैं। " उन्होंने कहा," मैंने जब 'कंपनी' बनाई थी, अजय एक बड़े स्टार नहीं थे लेकिन सिंघम और अन्य फिल्मों के बाद अब उनका कद बढ़ गया है। "
राम गोपाल वर्मा ने 2002 में अजय देवगन के साथ फिल्म 'कंपनी' बनाई थी। इसके बाद 2003 में उन्होंने अपनी हॉरर फिल्म 'भूत' में भी अजय को लिया और फिर 2007 में फिल्म 'आग' में दोनों ने साथ काम किया। पिछले 14 सालों से दोनों ने एक-दूसरे के साथ काम नहीं किया है। राम गोपाल वर्मा का कहना है कि बड़े स्टार्स को लेने पर काफी दर्शक मिल सकते हैं पर यह फिल्म के प्रति ईमानदारी नहीं होती।
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442e747df7ad2d7aafb3b46aa13b6b7c320723291d17ca28335fe96eed21ab87 | हमारे अन्य श्रेष्ठ प्रकाशन
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विश्वकोश : संदर्भ-ग्रंथ
विश्वकोश-I (पृथ्वी-आकाश-खनिज) डॉ. बालकृष्ण, विश्वकोश-II (आविष्कारखोज) डॉ. बालकृष्ण, विश्वकोश-III (जीव-जंतु : पेड़-पौधे) डॉ. बालकृष्ण, विश्वकोश-IV (विज्ञान-वैज्ञानिक) डॉ. बालकृष्ण, भारतीय संस्कृति कोश लीलाधर शर्मा पर्वतीय, भारतीय चरित कोश लीलाधर शर्मा पर्वतीय, अंतरराष्ट्रीय व्यक्ति कोश विश्वमित्र शर्मा, भारत रत्न विश्वमित्र शर्मा, 20वीं सदी के सौ प्रसिद्ध भारतीय विश्वमित्र शर्मा, नोबेल पुरस्कार कोश विश्वमित्र शर्मा, नोबेल पुरस्कार सम्मानित भारतीय विश्वमित्र शर्मा, भारत के राष्ट्रपति भगवतीशरण मिश्र, भारत के प्रधानमंत्री भगवतीशरण मिश्र, नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार राजबहादुर सिंह, विश्व के महान वैज्ञानिक फिलिप केन, विश्व की महिला अंतरिक्ष यात्री कालीशंकर, भारतीय भाषाओं के पुरस्कृत साहित्यकार आरसू, 50 क्रांतिकारी राजेन्द्र पटोरिया, 100 प्रसिद्ध भारतीय खिलाड़ी चित्रा गर्ग | pdf |
429a8ff0d02558753a4ed272de0c88cf5aa768b8 | भगवान कृष्ण कभी भी किसी रिश्ते को निभाने में विफल नहीं रहें। खास कर प्यार का रिश्ता। राधा से मोहब्बत करना हो या फिर रुक्मिणी और सत्यभामा का पति बनकर उनका ख्याल रखना। हर रिश्ते को उन्होंने ईमानदारी से निभाया।
रिलेशनशिप डेस्क. प्यार हो या परिवार, दिल से जुड़े जज्बात हों या दोस्ती की बात, इन तमाम पैमानों पर एक नाम की चर्चा सबसे ज्यादा होती है। वह नाम है धरती पर नारायण का अवतार माने जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण (lord krishna)का। कहते हैं कि इकलौते कृष्ण ही थे जो इंसानी भावनाओं से जुड़े सभी 16 कलाओं में निपुण थे। धर्म-कर्म और ज्ञान-विज्ञान से लेकर दोस्ती-प्यार और परिवार-समाज तक कृष्ण हर कसौटी पर संपूर्ण साबित हुए।
कुरुक्षेत्र के मैदान में हुए महायुद्ध के महानायक स्वयं भगवान कृष्ण थे। लेकिन यह भी जग-जाहिर है कि उन्होंने अंतिम वक्त तक युद्ध को टालने की हरसंभव कोशिश की थी। दरअसल कृष्ण तो प्रेम के मसीहा थे और उनका मानना था कि दुनिया का हर मतभेद आपसी बातचीत और प्रेमपूर्ण बर्ताव से दूर किया जा सकता है। निजी जिंदगी में कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी भी यही सीख देती है।
आज के दौर में जबकि रिश्तों को संभालने और संवारने की चुनौती बढ़ती जा रही है, ऐसे में हम आपको कृष्ण की कामयाब जिंदगी के वे सात मंत्र बताने जा रहे हैं जिन्हें अपना कर आप अपने प्यार और परिवार को बिखरने से बचा सकते हैं।
गोकुल की तमाम गोपियों के दिलों में बसने वाले कान्हा का दिल सिर्फ राधा के लिए ही धड़कता था। राधा के जीवन में भी कृष्ण से अनमोल कोई नहीं था। इस अमर प्रेम कहानी के सूत्रधार स्वयं कृष्ण ही थे जिन्होंने अवतारी पुरुष होने के बावजूद कभी भी राधा का अनादर नहीं किया। गोपियों को छेड़ने से लेकर उनकी गगरी फोड़ने तक कृष्ण की लीलाओं से जब भी राधा खीझती थी तो उन्हें मनाने के लिए कान्हा दिन-रात एक कर देते थे। जब तक राधा रानी मान नहीं जातीं तब तक कृष्ण हार नहीं मानते थे। प्रेमी-प्रेमिकाओं और पति-पत्नी के रिश्ते को कामयाब बनाने की यह सबसे बड़ी सीख है।
कान्हा को अपने दोस्तों की टोली बहुत पसंद थी। वे अक्सर गाय चराने और माखन चुराने के लिए अपनी टोली के साथ निकल जाया करते थे। राधा रानी को कृष्ण का यह फक्कड़ अंदाज बिल्कुल पसंद नहीं था। पर कृष्ण को दोस्ती के साथ-साथ प्यार निभाना भी खूब आता था। उन्हें जब भी समय मिलता वे अपनी बांसुरी लेकर यमुना के तट पर पहुंच जाते और फिर ऐसी सुरीली तान छेड़ते कि राधा उनके पास खिंची चली आती थीं। निजी जिंदगी में अपने हमसफर का दिल जीतने के लिए ऐसे जतन बेहद जरूरी हैं।
कृष्ण जब बांसुरी बजाते थे तो राधा मदहोश हो जाती थीं। और कृष्ण जब रास रचाते थे तो राधा सुध-बुध खोकर नाच उठती थीं। राधा-कृष्ण का एक दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव इसलिए इतना गहरा था कि क्योंकि दोनों एक दूसरे की कद्र करते थे। जिस तरह राधा रानी कृष्ण की कला की सराहना करती थीं उसी भाव में कृष्ण भी हमेशा उनका हौसला बढ़ाया करते थे। जब समाज ने दोनों के रिश्ते पर उंगली उठाई तब भी कृष्ण पूरी मजबूती से राथा के साथ खड़े रहे। कृष्ण तमाम गोपियों में राधा को ही सर्वश्रेष्ठ मानते थे और उनका कोई भी उत्सव राधा के बिना पूरा नहीं होता था। सीख यह है कि अगर प्यार के रिश्ते में एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहें तो संबंधों की बुनियाद कभी नहीं हिलती।
कहते हैं प्यार में तकरार न हो तो वह अधूरा है। कृष्ण और राधा का प्रेम भी इससे अछूता नहीं था। कई बार कृष्ण की बातें या बर्ताव राधा को चुभ जाया करती थीं। बाल लीला खत्म करने के बाद जब कृष्ण अपने माता-पिता को जेल से रिहा करवाने के लिए मथुरा जाने लगे तो राधा बिल्कुल तैयार नहीं थीं। वह जानती थीं कि कृष्ण को मथुरा में कंस से लड़ना है। ऐसे में कृष्ण ने अपना कर्तव्य याद दिलाते हुए राधा की उलझन दूर की और मथुरा के लिए रवाना हुए। यह प्रसंग सिखाता है कि प्यार और प्रोफेशन के बीच कैसे संतुलन बनाया जा सकता है।
जिस रिश्ते में भरोसा न हो वहां प्यार नहीं टिकता। कृष्ण का प्रेम संबंध भरोसे की बुनियाद पर ही मजबूती से खड़ा रहा। राधा को पता था कि कृष्ण के जीवन का लक्ष्य कितना बड़ा है। यह भी मालूम था कि एक बार कृष्ण गोकुल से चले गए तो लौट कर नहीं आएंगे। बावजूद इसके दोनों के रिश्ते में कभी खटास नहीं आई। बाद में जब कृष्ण ने रुक्मिणी और सत्यभामा से विवाह कर लिया, तब भी दोनों का प्रेम खत्म नहीं हुआ। अपने वैवाहिक जीवन में कृष्ण ने पति और पिता का धर्म भी बखूबी निभाया। प्रेम संबंध से इतर दांपत्य जीवन में प्रवेश करने वालों के लिए कृष्ण का ये संदेश भी काफी मायने रखता है।
प्रेम से भरे जीवन में पास-पास रहने से ज्यादा जरूरी होता है साथ-साथ रहना। कृष्ण का प्रेम दर्शन भी इसी पर आधारित है। मथुरा जाने के बाद कृष्ण भी राधा और अन्य गोपियां की विरह वेदना से अनजान नहीं थे। इसीलिए उन्होंने समझाने-बुझाने के लिए उद्धव को अपना दूत बनाकर गोकुल भेजा। पर राधा और गोपियों ने उद्धव को यह कहकर निरुत्तर कर दिया कि कृष्ण भले उनके साथ नहीं पर उनका प्रेम हमेशा उनके साथ रहेगा।
रिश्ता प्यार का हो या दोस्ती का, उसके प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने में भी कृष्ण का जीवन मिसाल है। जिस भाव से कृष्म ने राधा से प्रेम का रिश्ता निभाया उसी जिम्मेदारी के साथ सुदामा के साथ दोस्ती के रिश्ते का ख्याल रखा। मैया यशोदा और नंद के वात्सल्य का भी मान रखा। साथ ही माता देवकी और पिता वासुदेव के प्रति भी अपना कर्तव्य निभाया। भाई बलराम और बहन सुभद्रा अगाध स्नेह रहा तो अर्जुन और द्रौपदी के प्रति कृष्ण का सखा भाव का भी कोई सानी नहीं। गुरु सांदीपनी के प्रति कृष्ण का शिष्य भाव और भीष्म पितामह के प्रति श्रद्धा भाव का भी पूरी मर्यादा से पालन किया। मथुरा और द्वारिका के राजा बनकर प्रजा का ख्याल रखा और महाभारत युद्ध में गीता का ज्ञान देकर जगत कल्याण के लिए काम किया। जाहिर है, दुनिया को कर्म का अनमोल सिद्धांत देने वाले कृष्ण पथ पर चलकर ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।
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e1053a6378cf8b8eb9759bd14f43929442596874058520f88b0b0c293e1a565b | 10. प्राधिकारी नोट करते हैं कि रॉल अथवा शीट रूप से इतर विनाइल टाइल्स भारतीय बाजार में एक नया उत्पाद है। यह उत्पाद आरंभिक स्तर पर है और संबद्ध सामानों के लिए उत्पादन केवल क्षति की अवधि के दौरान भारत में शुरु हुआ है। भारत में संबद्ध सामानों की मांग भारत में घरेलू उत्पादन शुरु होने से पूर्व विचाराधीन उत्पाद के आयातों द्वारा पूरी की जाती थी।
11. विचाराधीन उत्पाद का विनिर्माण किसी रूप में पीवीसी और कैल्शियम कार्बोनेट का प्रयोग करके किया जाता है। कुछ हितबद्ध पक्षकारों ने इस संबंध में स्पष्टीकरण की मांग की है कि क्या रिसाइकिल पीवीसी का प्रयोग करके विनिर्मित विनाइल टाइलें विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र के अंतर्गत शामिल हैं। प्राधिकारी नोट करते हैं कि यद्यपि घरेलू उद्योग अपने अपशिष्ट के रूप में पीवीसी में रिसाइकिल्ड और वर्जिन पीवीसी का प्रयोग करता है तथापि वह बाजार से रिसाइकिल्ड पीवीसी नहीं लेता है। किसी भी दशा में, यह नोट किया जाता है कि विभिन्न कच्ची सामग्री का प्रयोग इस उत्पाद को भिन्न नहीं बनाता और इसीलिए वर्तमान मामले में रिसाइकिल्ड तथा वर्जिन पीवीसी का प्रयोग करके विनिर्मित सामान विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र के अन्तर्गत शामिल हैं। साफ्ट फ्लोरिंग को विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र से अलग किया गया है क्योंकि इसका विनिर्माण पीवीसी और कैल्शियम कार्बोनेट का प्रयोग करके नहीं किया जाता है।
हितबद्ध पक्षकारों ने दावा किया है कि याचिकाकर्ताओं से उत्पाद में शामिल किए जा रहे नए घटकों को स्पष्ट करने के लिए कहा जाना चाहिए। उत्तर में याचिकाकर्ताओं ने यह स्पष्ट किया है कि यह उत्पाद अभी आरंभिक स्तर पर है जिसके कारण इसके घटक एक समायावधि में विकसित हो रहे हैं। उदाहरण के लिए, यद्यपि पूर्व में इस उत्पाद की बिक्री बिना कुशन के की जा रही थी, तथापि अब कुशनयुक्त उत्पादों की आपूर्ति की जा रही है। प्राधिकारी नोट करते हैं कि हितबद्ध पक्षकारों ने किसी उत्पाद विशिष्ट घटक का दावा नहीं किया है जिसके आधार पर इसे हटाए जाने की मांग की गई है और इस प्रकार उत्पाद के क्षेत्र में इस कारण किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है।
कुछ हितबद्ध पक्षकारों ने इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या विनाइल प्लंक्स विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र के अन्तर्गत शामिल हैं। प्राधिकारी नोट करते हैं कि विनाइल प्लंक्स आयताकार में टाइले हैं और इसीलिए विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र के अन्तर्गत शामिल हैं।
कुछ हितबद्ध पक्षकारों ने यह तर्क दिया है कि लचीली टाइलों को विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र से अलग किया जाना चाहिए। प्राधिकारी नोट करते हैं कि लचीली टाइलों के संबंध में अन्य हितबद्ध पक्षकारों द्वारा कोई सूचना दायर नहीं की गई है। प्राधिकारी नोट करते हैं कि रिजिड टाइलों में भी लचीलेपन का एक घटक है और लचीलापन वह घटक है जो विनाइल टाइलों की मोटाई और लंबाई से आता है। 2.5 एमएम की विनाइल टाइल 8 एमएम की विनाइल टाइल से अधिक लचीली है। रिकॉर्ड में उपलब्ध सूचना यह दर्शाती है कि संबद्ध सामान फोल्डेड अथवा रॉल्ड होने में अक्षमता के कारण बाजार क्षेत्र में रिजिड विनाइल टाइलों के रूप में जाने जाते हैं। इस प्रकार, टाइलों के लचीलेपन के आधार पर इसे हटाया जाना आवश्यक नहीं है ।
किसी भी हितबद्ध पक्षकार ने ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया है कि हटाए जाने के लिए अनुरोध किए गए उत्पाद की तकनीकी विशिष्टताएं घरेलू उद्योग द्वारा उत्पादित नहीं की जा सकती।
इस तर्क के संबंध में कि क्या याचिकाकर्ता रॉल फार्म में उत्पादों का विनिर्माण कर रहे हैं, प्राधिकारी नोट करते हैं कि विचाराधीन उत्पाद रॉल अथवा शीट फार्म में विनाइल टाइलों को अलग करता है। याचिककर्ताओं ने यह अनुरोध किया है कि संबद्ध सामान रॉल्ड फार्म में नहीं हो सकते क्योंकि उत्पाद की रॉलिंग अथवा फोल्डिंग से उत्पाद में दरारें आ जाएंगी। प्राधिकारी यह भी नोट करते हैं कि याचिकाकर्ता केवल रॉल अथवा शीट फार्म से इतर विनाइल टाइलों का उत्पादन करते हैं और इसीलिए इन्हें विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र से अलग रखा गया है।
रिकॉर्ड में उपलब्ध सूचना के आधार पर प्राधिकारी नोट करते हैं कि घरेलू उद्योग द्वारा उत्पादित संबद्ध सामानों और संबद्ध देशों से आयातित संबद्ध उत्पाद में कोई ज्ञात अंतर नहीं है। ये दोनों भौतिक विशेषताओं, विनिर्माण प्रक्रिया, प्रकार्य और प्रयोग, उत्पाद विशिष्टियों, वितरण एवं विपणन तथा सामानों के प्रशुल्क वर्गीकरण के संदर्भ में तुलनीय हैं। ये दोनों तकनीकी और वाणिज्यिक रूप से प्रतिस्थापनीय हैं। उपभोक्ताओं ने इन दोनों का परस्पर परिवर्तनीय रूप से प्रयोग किया है और कर रहे हैं। प्राधिकारी नोट करते हैं कि याचिकाकर्ताओं द्वारा विनिर्मित उत्पाद नियमावली के नियम 2 (घ) के अनुसार संबद्ध देशों से भारत में आयात किए जा रहे विचाराधीन उत्पाद की समान वस्तु हैं।
18. अतः, वर्तमान जांच के लिए विचाराधीन उत्पाद संबद्ध देशों के मूल के अथवा वहां से निर्यातित 0.15 एमएम से 0.7 एमएम की रेंज में मोटाई वाली संरक्षी परत के साथ 8 एमएम की अधिकतम टाइल मोटाई और 2.5 एमएम की
न्यूनतम टाइल मोटाई वाली "रॉल अथवा शीट फार्म से इतर विनाइल टाइल" है । टाइल की मोटाई में कुशन की मोटाई शामिल नहीं है। बाजार क्षेत्र में विचाराधीन उत्पाद लग्जरी विनाइल टाइल, लग्जरी विनाइल फ्लोरिंग, स्टोन प्लास्टिक कम्पोजिट, एसपीसी, पीवीसी फ्लोरिंग टाइल, पीवीसी टाइल्स या रिजिड विनाइल टाइल, रिजिड विनाइल फ्लोरिंग के रूप में जाना जाता है और वर्तमान जांच परिणाम में लग्जरी विनाइल टाइल अथवा एलवीटी के रूप में उल्लिखित किया गया है। लग्जरी विनाइल टाइल क्लिक अथवा लॉक यंत्र के साथ अथवा बिना उसके हो सकती हैं। लग्जरी विनाइल टाइल उस विनाइल की किस्म के लिए आमतौर पर उद्योग द्वारा प्रयुक्त शब्द है जो वास्तव में घिसाई और निष्पादन में सुधार लाने के लिए बढ़ाई गई परत के साथ प्राकृतिक सामग्री की दिखावट बताती है। विचाराधीन उत्पाद का प्रयोग आवासीय और वाणिज्यिक भवनों में फर्शों की कवरिंग के लिए किया जाता है। विचाराधीन उत्पाद शीर्ष 3918 के अंतर्गत सीमा प्रशुल्क अधिनियम के अध्याय 39 के तहत वर्गीकृत है। विचाराधीन उत्पाद का समर्पित सीमाशुल्क वर्गीकरण नहीं है । यद्यपि विचाराधीन उत्पाद 39181090 के तहत वर्गीकरण योग्य है, तथापि, आवेदकों ने दावा किया है कि उत्पाद का आयात कोड 39181010, 39189010, 39189020 और 39189090 के तहत भी हो रहा है । तथापि, सीमाशुल्क वर्गीकरण केवल सांकेतिक है और वर्तमान जांच में विचाराधीन उत्पाद के दायरे पर बाध्यकारी नहीं है।
घरेलू उद्योग का क्षेत्र और आधार
अन्य हितबद्ध पक्षकारों के विचार
घरेलू उद्योग और आधार के संबंध में अन्य हितबद्ध पक्षकारों द्वारा निम्नलिखित अनुरोध किए गए थेः
यह स्पष्ट नहीं है कि नियम 2(ख) के तहत एक व्यापारी के रूप में डब्ल्यूजीबीएल को घरेलू उद्योग के क्षेत्र में कैसे शामिल किया जा सकता है। इस संबंध में, डब्ल्यूजीबीएल के व्यापारिक प्रचालनों के ब्यौरों पर विचार किया जा सकता है कि क्या उनके पास डब्ल्यूएफएल के उत्पाद को बेचने के विशिष्ट अधिकार हैं और क्या वे अन्य उत्पाद बेचते हैं।
यह बात दोहराई जाती है कि पाटनरोधी नियमावली के नियम 2 ( ख ) के अनुसार केवल एक उत्पादक ही घरेलू उद्योग का भाग बनने का पात्र है। चूंकि नियम 2 (ख) में घरेलू उद्योग के भाग के रूप में "व्यापारी" की परिकल्पना नहीं है अतः घरेलू उद्योग के भाग के रूप में उनकी मूल कंपनी (डब्ल्यूआईएल) के व्यापारिक अंग (डब्ल्यूजीबीएल) पर विचार करने के लिए आवेदक उद्योग (डब्ल्यूएफएल) का कोई प्रयास झूठा, गलत माना गया और कानून के समर्थन के बिना है और इसीलिए इसे सीधे ही रद्द किया जाना चाहिए।
घरेलू उद्योग द्वारा उद्धृत मामले के संबंध में यह अनुरोध है कि उद्धृत मामले का इस मामले पर कोई प्रभाव नहीं है क्योंकि नियम 2(ख) घरेलू उद्योग के क्षेत्र से संबंधित है जिसमें उद्धृत मामला एकल आर्थिक कंपनी के तहत किसी निर्यातक से पूरे उत्तर की स्थिति से संबंधित है। अतः, उद्धृत मामले का इस मामले पर कोई प्रभाव नहीं है। इसके विपरीत, घरेलू उद्योग एक भी उदाहरण देने में विफल रहा, जहां प्राधिकारी ने घरेलू उद्योग के भाग के रूप में व्यापारी को माना है अथवा क्षति विश्लेषण या क्षति मार्जिन के लिए उसके खर्चों को शामिल किया है। उपर्युक्त के मद्देनजर यह विनम्र अनुरोध है कि वर्तमान जांच में डब्ल्यूएफएल और डब्ल्यूजीबीएल को एकल आर्थिक कंपनी के रूप में नहीं माना जा सकता। उत्तरदाता माननीय प्राधिकारी से विनम्र अनुरोध करते हैं कि वे कृपया घरेलू उद्योग के अनुरोध को रद्द करें।
उपर्युक्त तथा घरेलू उद्योग के कानूनी रूप से असंधारणीय अनुरोध के पूर्वाग्रह के बिना यह अनुरोध है कि आवेदक उद्योग का यह दावा कि व्यापारिक कंपनी को घरेलू उद्योग माना जाना चाहिए, भी तथ्यों के किसी औचित्य के बिना है। इस संदर्भ में, प्राधिकारी का ध्यान उनकी वार्षिक रिपोर्ट की ओर आकर्षित किया जाता है जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया है कि संबद्ध पक्षकारों के साथ उनके सभी लेन-देन समिपष्ट कीमतों के आधार पर हैं। मामला ऐसा होने पर आवेदक के लिए कानूनी तौर पर और संकल्प मात्र रूप से प्राधिकारी से यह अनुरोध करने का पूर्णतः कोई आधार नहीं है कि वे क्षतिरहित कीमत परिकलन के लिए अथवा क्षति विश्लेषण के लिए डब्ल्यूजीबीएल से संबंधित किसी आंकड़े पर विचार करें।
यह अनुरोध है कि चूंकि डब्ल्यूएफएल अपनी संबद्ध कंपनी को आस-पास (जैसा कि उनकी वार्षिक रिपोर्ट में उल्लिखित है) की कीमतों पर संबद्ध सामानों की बिक्री कर रहा है। अतः, प्राधिकारी को उनकी कीमतों पर विचार करना चाहिए जिन पर डब्ल्यूएफएल ने डब्ल्यूजीबीएल को संबद्ध सामानों की बिक्री की है। | pdf |
a902b6c85412bfc31b8148c59268c982650b69695a772d6dabde31a0129c4a94 | हिन्दी कथामरियागर
[ भारम्भ से तरह ७३३
परिभाषा से यह है कि जो धारा गया यह हारा गया। फिर जीता हुआ कोई किमो को देता मीं, भोभो जो यह मित्र होकर अपनी इच्छा सेना जोता हुआ धन हमें दे रहे हैं तो हमलोग य न ले लेवें। उसका ऐसा कथन मुम और मय जुधारो योस - "यदि यह माग्तत सत्य ( १ ) करके ऐसा करें त तो हमलोग इनका अनुरोध सीकार कर सकते है अन्यथा नहीं।" उनका ऐसा यचन सुन भीमभट मे गामा कि ये सब भी चोर हैं, ऐसा स्थिर कर उन्होंने उनसे
मेथी कर ली और उन्हें वह धन दे दिया।
अव यथा सब लोग मित्र हो गये, तब उम जुभारियों ने यह अनुरोध किया कि आायो चलें किसो उद्यान में भाज विहार किया जाय। अस्तु राजकुमार भीमः भट उनके साथ एक उद्यान में गये जहां उन जुधारियों के कुटुम्बी भी. एकवित हुए, अनेक प्रकार के व्यश्वन और अवपानादि का समाधार हुआ तब भीमभट ने भो उनके आमोद से आनन्दित हो उनके साथ विहार का भानन्द लूटा । इसके उपरान्त चन्चतपण्णक आदि ने उनसे उनका पता पूछा जिसके उत्तर में भोमभट ने अपना वंश, नाम और वृत्तान्त कह मुनाया और तत्पथात् उनका. वृत्तान्त भी पूछा। तब अच्चचपणक उन्हें अपना हाल इस प्रकार सुनाने लगा
हस्तिनापुर में शिवदत्त नामक एक ब्राह्मण था, उसका पुत्र वमुदश ना. मक हूं । पिता मेरे बड़े धनी थे । बाल्य अवस्था में मैंने वेदविद्या और शास्त्रविद्या मोखीं तब प्रिता ने अपने बराबर कुल से मेरा विवाह थारा दिया। माता मेरो बड़ी रौद्रा (२) ऐसी कोपना कि उनका मनाना दुराध्य था। उनके कारण मेरे पिता नितान्त उद्दिन हो गये, में विवाहित तो होहो गया था, भार्थ्या मेरी मेरे पासही रहती थी इसमें पिता को किसी प्रकार की चिन्ता भी न थी सो वह घर छोड़ न जानें कहां चले गये। पिता का ऐसा व्यापार देख मेरे मन में बड़ा भय सपना सो माता जिस प्रकार प्रसन्न रहें वही बात में सोचने लगा। मैंने अपनी भार्थ्यां को जननी की सेवा शुश्रूषा में नियुक्त कर दिया, भार्या भी बहुत डरती ह रहती स्थापि सदा सचेष्ट रहती कि कभी सामु जो चमग्र न हो जायें। माता उससे भो असन्तुष्ट रहतों और मदा कलह करतो हो रहत; अब यह चुपचाप रह
माइवतीनामसम्यक १२ ।
र मित्र मिले। तब वह उनके माथ माना प्रकार को कथा वार्ता करने लगे मानन्द मे विहार करके भय लोगों न वह दिन बिताया। इतन ช धू सब प्रकार से वार किये चन्द्र का टीका लगाये विराजमान हुई तब भीमर म प्रधान से उठकर उन छः पचतकादिकों के साथ उनके घर गये ।
राजकुमार भीमभट उनके साथ रहते थे कि उसी अवमर में वर्षा ऋतु भा राजी जिसके अलवर्षय और थोर गर्जन से उनको मित्रप्राप्ति की सूचना नो हुई। उस समय वहां पर विपाशा मान्यो जो नदी थी सो मार्गी मतवालो गयो क्योंकि उसका जल तो जाकार समुद्र में गिरता है परन्तु एक तो वह (श बाढ़ से स्वयं मर्याद तोड़ चली घो दूसरी उधर से समुद्र के प्यार होने के र वह नदो उलटो बहने लगो । महावारि पुर से जब वह अपने तट के पर बहने लगी इसमें में समुद्र भाटा होने से वह निम्नगा फिर निम्नगाठी । गयी । घसी समय ऐसा हुआ कि तरफ में एक महामस्य यह कर पाया, हाभारो या इससे फिर वह न गया किन्तु नदी किनारे पा लगा । उसे देख
के लोग दौड़े और मामा भावुध से उसे पीटने लगे, पीटते २ सभों ने उस पेट फाड़ डाला इसने में उसमें से एक भीमा जागता युवा ब्राह्मण निकल पड़ा, स पहुत दर्शन से सब लोग कोलाहल करने लगे। कोलाहल सुन राजकुमार मभट उन मिर्चों के साथ वहां गये कि देखें बात क्या क्या है कि न देखते ४ जो महलो के पेट से निकला है मियसुहद् महदा है। दोड़ कर उससे लिपट रोने और अबुधारापों से उमे मींचने लगे, मानों मोन के उदर में रहने से उनके शरीर में मलिनता हग गई यो उसे धोने लगे । महत भारी विपत्ति बारपाय अपने मित्र को गाढ़ आलिङ्गन कर बड़ाही आनन्दित हुधा प उसकेका भन्न था। तब भीमभट से बड़े कोइक से से शहदत इस प्रकार भुनाने लगा।
लय मेंगा की धारा में पड़ आपको दृष्टि से बहुत हम मास्य में मुझे पति निगल लिया, उससे दो में में पैठा, मुझे वह बहुत दिन रहवा पड़ा । मे पाता क्या हम दुर्ग में उमी का माम बाट वर पावर वाडयापन करने समा, पात्र विधाता से
हिन्दो कथासरिकागर ।
धारा से तरह ०५
तब मेरी जननी भांगन में बेद चिक्षा २ रोने लगी। उनका रोना सुन में भीतर गया और बहुतेरे बन्धुवान्धव भी टुर आये और उनसे पूछने लगे कि परेवा क्या हुआ है ? तब वह डाह से इस प्रकार बोलीं,-"क्या कहूं बहू ने भाकर मेरी यह दुर्दशा को है, राम जानें जो मैं कुछ बोली होऊ, बिना कारण उसने हु इतना कष्ट दिया है, अब मरनेहो से मेरा निस्तार है और कोई उपाय नहीं झता।" इतना सुनतेहौ बान्धव लोग कोप से लाल हो गये, माता को लेकर है मेरे साथ वक्षं गये जहां घर के भीतर यह कठपुतली बन्द यो । ताला खोल द्वार उघाड़ जो वे भीतर गये तो वहां के अतिरिक्त और कोई न दोन
पड़ा, तब ती माता को करनी पर वे हँसने लगे और समझ गये कि यह
है । माता तो अपनौ इस चाल से बहुत ही लज्जित हुई। अञ्च वान्यवों को मेरी बात का विखास हो गया। इसके उपरान्त वे अपने २ घर चले गये ।
अब में अपना देश त्याग वहां से निकला। इधर उधर घूमता घामता इस प्रदेश में पहुँचा और देषात् इम द्यूतशाला के भीतर भाया । यहां मैंने इन पांच जनीं को जूभा खेलते देखा, यह चण्डभुजङ्ग है, वह पांसुपट है, यह शमशानवेताद है फिर वह कालवराटक है और यह भारिप्रस्तर है, ये पांचों शूर और सुख पराक्रम हैं । में यहां इनके साथ जूम्रा खेलने लगा, पण यह ठहरा कि जो हारे यह जीतनेवाले का दास होषे, ये पांचों हारकर मरे दास हो गये परन्तु सर पूछिये तो इनके गुणों से मैंही मोहित हो इनका दास हो गया हूं । इनके साथ रहते २ मैं अपना दःख भून गया, जैसी अवस्था होती है पैसाडी नाम भी चाहिये यस इसोसे मेरा नाम अचचपयक है । ये सब भी सरकुलोत्पत्र हैं, पर किये प है, इवों के साथ में भी यहीं पड़ा हूं, अहोभाग्य जो आज चाप मिल गये । अन तो आप हमारे प्रभु है यही समझकर हमने पायका यह धन स्वीकार किया क्योंकि हमलोग गुण के पड़े धनुरागी है ।
इस प्रकार अब अवक्षपचक अपना वृतान्त मुना चुका तब दूसरे मद भी मा नुसार अपना २ वृत्तान्त भोमभट को हुमा गये । पराभोमभट के मन
में यह निषय हो गया कि ये सब के सदर है किन्तु धन पर्जन करने के ऐसा टाँग रथे बैठे रहते हैं, सोहोंने अपना भाग्य अन्य मामा से ए | pdf |
1dd7935553e1ca56094cdf30580622b57ecaff96 | इस आर्टिकल के सहायक लेखक (co-author) हमारी बहुत ही अनुभवी एडिटर और रिसर्चर्स (researchers) टीम से हैं जो इस आर्टिकल में शामिल प्रत्येक जानकारी की सटीकता और व्यापकता की अच्छी तरह से जाँच करते हैं।
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अपने कंप्यूटर में डिस्क स्पेस फ्री करने के लिए सुरक्षित तरीके से टेम्पररी और अनावश्यक फाइल्स को कैसे डिलीट करना है, यह आप इस विकिहाउ आर्टिकल के जरिए सीखेंगे। विंडोज द्वारा क्रिएट किए गए सभी तरह के टेम्पररी फाइल्स हार्ड ड्राइव में मौजूद होते हैं। हालांकि, यह फाइल्स नुकसान नहीं पहुँचाते हैं, लेकिन यह फाइल्स आपके कंप्यूटर के हार्ड ड्राइव में बेशकीमती स्पेस को कम कर देते हैं। आप प्रीफ़ेच फाइल्स को भी डिलीट कर सकते हैं, जो पहली बार कोई एप लॉन्च करने पर ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा क्रिएट हो जाते हैं। यह फाइल्स एप्स को शीघ्रता से ओपन करने में मदद करते हैं और यह बहुत अधिक डिस्क स्पेस आक्यूपाइ नहीं करते हैं, लेकिन यदि आपके कंप्यूटर में डिस्क स्पेस कम दिखाई दे रही हैं, तो बेझिझक आप इन फाइल्स को डिलीट कर सकते हैं।
{"smallUrl":"https:\/\/www2Clean up system files बटन पर क्लिक करेंः यह बटन आपको डायलॉग विंडों में नीचे की तरफ बाएं कोने में दिखाई देगा। विंडोज द्वारा प्राइमरी हार्ड ड्राइव (जहाँ टेम्प फाइल स्टोर होते हैं) स्कैन हो जाने के बाद, आपको एक नया विंडो दिखाई देगा।
- आगे बढ़ने के लिए शायद आपको एडमिनिस्ट्रेटर पासवर्ड को एंटर करने की आवश्यकता होगी।
{"smallUrl":"https:\/\/www4सिलेक्टेड फाइल्स को डिलीट करने के लिए OK बटन पर क्लिक करेंः यदि आप कई GB फाइल्स को एक साथ डिलीट कर रहे हैं, तो इस कार्य में थोड़ा समय लग सकता है। एक बार सारी फाइल्स डिलीट हो जाएंगे, तो आपके हार्ड डिस्क में स्पेस बन जाएगी।
{"smallUrl":"https:\/\/www2"Run" बॉक्स में prefetch टाइप करें और ↵ Enter की दबाएंः एंटर क्लिक करने पर फाइल एक्सप्लोरर में प्रीफ़ेच फोल्डर खुल जाएगा।
- आपके सेक्यूरिटी सेटिंग्ज के आधार पर, आपको फोल्डर में मौजूद कंटेन्टस देखने से पहले एडमिन पासवर्ड एंटर करने की या एक्शन को कन्फर्म करने की आवश्यकता हो सकती है।
{"smallUrl":"https:\/\/www4प्रीफ़ेच फाइल्स सिलेक्ट करने के लिए Ctrl+A की दबाएंः ऐसा करने पर, दाहिनी तरफ के पैनल में फोल्डर में मौजूद सारे फाइल्स हाइलाइट हो जाएंगे। यदि पैनल में आपको फाइल्स दिखाई नहीं दे रहे हैं, तो पैनल को एक्टिवेट करने के लिए सर्वप्रथम फोल्डर के ब्लैंक एरिया पर क्लिक करें।
{"smallUrl":"https:\/\/www.wikihow.com\/images_en\/thumb\/c\/ce\/Delete-Temporary-Files-and-Delete-Prefetch-Files-from-Your-Computer-Step-9-Version-4.jpg\/v4-460px-Delete-Temporary-Files-and-Delete-Prefetch-Files-from-Your-Computer-Step-9-Version-4.jpg","bigUrl":"https:\/\/www.wikihow.com\/images\/thumb\/c\/ce\/Delete-Temporary-Files-and-Delete-Prefetch-Files-from-Your-Computer-Step-9-Version-4.jpg\/v4-728px-Delete-Temporary-Files-and-Delete-Prefetch-Files-from-Your-Computer-Step-9-Version-4.jpg","smallWidth":460,"smallHeight":342,"bigWidth":728,"bigHeight":541,"licensing":"<div class=\"mw-parser-output\"><\/div>"}5Del की दबाएंः ऐसा करने पर सिलेक्ट किए गए फाइल्स फोल्डर से डिलीट हो जाएंगे।
- यदि कोई फाइल्स इस्तेमाल में हैं, और आप उसे डिलीट करना चाहते हैं, तो आपको एरर मैसेज दिखाई देगा जिसमें लिखा होगा कि आप फाइल को डिलीट नहीं कर सकते हैं। ऐसे में केवल Skip ऑप्शन पर क्लिक करें - क्योंकि जब तक आप उस एप को बंद नहीं करते हैं जिसमें इस फाइल का इस्तेमाल हो रहा है, आप फाइल को डिलीट नहीं कर सकते हैं।
- यह फाइल्स तब तक पर्मनेंटली डिलीट नहीं होंगे जब तक आप रीसायकल बिन को एम्प्टी नहीं करते हैं। रीसायकल बिन को एम्प्टी या खाली करने के लिए, रीसायकल बिन एप को खोलें और उसमें ऊपरी-बाईं तरफ मौजूद Empty Recycle Bin बटन पर क्लिक करें।
- जब आप फाइल्स को पर्मनेंटली डिलीट कर लेते हैं, तब रीसायकल बिन को एम्प्टी या खाली करें।
- प्रीफ़ेच फाइल्स को डिलीट करने से आपके कंप्यूटर की स्पीड कम हो जाएगी। यह बेहतर होगा कि आप इन फाइल्स को डिलीट न करें जब तक आपको पता न हो कि आप क्या कर रहे हैं।
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c6bc1451d332808015c0681b5ef781fd5cd34990 | Mahatma Gandhi: सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत को जानकारी दी गई कि लता रामगोबिन ने 'न्यू अफ्रीका अलायंस फुटवेयर डिस्ट्रीब्यूटर्स'के निदेशक महाराज से 2015 के अगस्त में मुलाकात की थी।
नई दिल्ली। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पड़पोती को दक्षिण अफ्रीका में डरबन की एक कोर्ट ने 60 लाख रैंड की धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले में दोषी करार देते हुए सात साल कैद की सजा सुनायी है। बता दें महात्मा गांधी की पड़पोती आशीष लता रामगोबिन (56) को सोमवार को अदालत ने यह सजा सुनाई है। आशीष लता रामगोबिन पर उद्योगपति एसआर महाराज के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगा था। महाराज ने उन्हें कथित रूप से भारत से एक ऐसी खेप के आयात और सीमाशुल्क कर के समाशोधन के लिए 62 लाख रैंड दिये थे जिसका कोई अस्तित्व नहीं था। इस मामले में उन्हें मिलने वाले लाभ का एक हिस्सा देने का वादा किया गया था। गौरतलब है कि लता रामगोबिन जानी मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता इला गांधी और दिवंगत मेवा रामगोबिंद की संतान हैं। साल 2015 में इस मामले में लता रामगोबिन के खिलाफ अदालत में सुनवाई शुरू हुई थी।
उस दौरान राष्ट्रीय अभियोजन प्राधिकरण (NPA) के ब्रिगेडियर हंगवानी मूलौदजी ने कहा था कि उन्होंने संभावित निवेशकों को यकीन दिलाने के लिए कथित रूप से फर्जी चालान और दस्तावेज दिये थे। उस दौरान बताया गया था कि भारत से लिनेन के तीन कंटेनर आ रहे हैं। उस वक्त लता रामगोबिन को 50,000 रैंड की जमानत राशि पर रिहा कर दिया गया था।
सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत को जानकारी दी गई कि लता रामगोबिन ने 'न्यू अफ्रीका अलायंस फुटवेयर डिस्ट्रीब्यूटर्स'के निदेशक महाराज से 2015 के अगस्त में मुलाकात की थी। कंपनी कपड़ों, लिनेन और जूते-चप्पलों का आयात, निर्माण और बिक्री करती है। महाराज की कंपनी को मिलने वाले लाभ के आधार पर ही बाकी दूसरी कंपनियों को आर्थिक मदद भी मुहैया होती है। महाराज से लता रामगोबिन ने कहा था कि उन्होंने 'साउथ अफ्रीकन हॉस्पिटल ग्रुप नेट केयर' के लिए लिनेन के तीन कंटेनर मंगाये हैं।
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cdb28266efcaff3bef30b142b1f0dcf5ef87d73a | फिरोजाबाद में 'पंडित जलपान गृह' नाम से खस्ता कचौड़ी की 7 साल पुरानी दुकान है। यहां के मालिक पंडित जी बड़े ही खुशमिजाज शख्स हैं। रोजाना सुबह दुकान खोलते हैं और चटपटी कचौड़ियां लोगों को परोसते हैं। अपनी लच्छेदार बातों से ग्राहकों को कायल करने वाले पंडित जी की कचौड़ियां खाने लोग दूर-दूर से आते हैं। फूड ब्लॉगर्स और यूट्यूबरों का तो मजमा ही लगा रहता है। 10 रुपए में मसालेदार कचौड़ी और रायते में डूबी हुई खस्ता ग्राहकों को बहुत भांति है।
अखाड़े में बदल गया मंडप, दुल्हन को घसीटने लगे रिश्तेदार, दूल्हे को देख लोग बोले- 'क्या पति बनेगा रे तू? '
पंडित जी गिनाते हैं सभी के 7 बाप!
सोशल मीडिया पर फूड अनलॉक ऑफिशियल इंस्ट्रा आईडी से पंडित जी का वीडियो पोस्ट हुआ। जिसमें पंडित जी ने मजाकिया अंदाज में अपने ग्राहक को लच्छेदार बातों में उलझाया और अपनी कचौड़ी का स्वाद चखाया। साथ ही 7 बाप का ज्ञान दे डाला।
- पहला- सबका बाप ऊपर बैठा (ईश्वर) है।
- दूसरा- जिसने आपको जन्म दिया।
- तीसरा- घरवाली के पिताजी को क्या कहेंगे आप पापाजी।
- चौथा- सबसे बडा समय। सबसे बलवान।
- पांच- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी।
- छठवां- जब गाय हमारी माता है तो. . . बाकी समझदार हैं।
- सातवां- वक्त पड़े तो आदमी गधे को भी बाप बना लेता है।
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6a665751ca974916ac614be6f440ffee27343291 | चुनाव आयोग कोविड प्रोटोकॉल्स लागू करवाने में नाकाम क्यों रहा? उसके 27 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा क्यों ना चलाया जाये?
Lucknow : उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे कोरोना संकट के बीच पंचायत चुनाव ड्यूटी में लगे 135 शिक्षकों की मौत का मामला सामने आया है. शिक्षकों की मौत पर संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. साथ ही हाईकोर्ट ने आयोग से कहा कि पंचायत चुनाव के दौरान कोविड प्रोटोकॉल्स लागू नहीं करवाने पर आपके और आपके अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाये?
हाईकोर्ट ने यूपी चुनाव आयोग को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा कि वो अगली तारीख को बताये कि पंचायत चुनाव के दौरान वो कोविड प्रोटोकॉल्स लागू करवाने में नाकाम क्यों रहा? और उसके 27 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा क्यों ना चलाया जाये? इस मामले में अब अगली सुनवाई तीन मई को होगी.
बता दें कि एक हिंदी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार यूपी पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 135 शिक्षक, शिक्षा मित्र और अनुदेशकों की मौत हो गयी है. साथ ही पंचायत चुनाव में प्रथम चरण के प्रशिक्षण से लेकर तीसरे चरण के मतदान तक हजारों शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशक कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. यूपी में अभी तक जहां-जहां चुनाव हो चुके हैं वहां कोरोना संक्रमण के मामले कई गुना बढ़ने की खबर आयी है.
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पंचायत चुनाव तत्काल स्थगित कर ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुए लोगों का निशुल्क इलाज व मृतकों के परिजनों को 50 लाख की सहायता व अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की है. महासंघ के प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्र ने कहा है कि जिन शिक्षकों व कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी लगी है उनके परिवारों में बेचैनी है. वर्तमान हालात को देखते हुए कोई भी चुनाव ड्यूटी नहीं करना चाहता है.
शैक्षिक महासंघ ने कहा है कि पंचायत चुनाव प्रशिक्षण और ड्यूटी के बाद अब तक हरदोई-लखीमपुर में 10-10, बुलंदशहर, हाथरस, सीतापुर, शाहजहांपुर में 8-8, भदोही, लखनऊ व प्रतापगढ़ में 7-7, सोनभद्र, गाजियाबाद व गोंडा में 6-6, कुशीनगर, जौनपुर, देवरिया, महाराजगंज व मथुरा में 5-5, गोरखपुर, बहराइच, उन्नाव व बलरामपुर में 4-4 तथा श्रावस्ती में तीन शिक्षक, शिक्षा मित्र या अनुदेशक की मौत हो चुकी है.
शिक्षकों की मौत के मामले में संज्ञान लेते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग और यूपी पुलिस ने चुनाव ड्यूटी में लगे लोगों को कोरोना संक्रमण से हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रवैया अपनाते हुए कहा, 2020 के अंत में जब कोरोना संक्रमण कमजोर पड़ा सरकार पंचायत चुनाव कराने में अगर उसने लगातार संक्रमण रोकने के लिए काम किया होता, तो आज सरकार दूसरी लहर का सामना करने के लिए तैयार रहती. अगर हम अब भी लोगों की स्वास्थ्य परेशानियों को नजरअंदाज करेंगे और उन्हें मरने के लिए छोड़ देंगे, तो आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी.
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a3a8871fc7345131553cf7a101b9d43ec730cc3f | 1 कलेक्टर सभाकक्ष में कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा द्वारा साप्ताहिक समीक्षा बैठक ली गई साप्ताहिक समीक्षा बैठक में सप्ताह भर के कार्यों की समीक्षा एवं सीएम हेल्पलाइन में आने वाली शिकायतों को लेकर जल्द से जल्द निपटारा करने के आदेश दिए। बैठक में एडीएम राजेशाही नगर निगम कमिश्नर अक्षित गढ़पाले जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंह एसडीएम सहित सभी विभाग प्रमुख उपस्थित थे । 2 स्थानीय पोला ग्राउंड में रोटरी फेस्टिवल का आयोजन किया गया । रोटरी फेस्टिवल का यह आयोजन विकलांग इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं विभिन्न प्रकार के स्टालों के माध्यम से फेस्टिवल को सुसज्जित किया गया इस कार्यक्रम में नगर निगम कमिश्नर इक्षित गढ़पाले ने शिरकत की कार्यक्रम में रोटरी क्लब के अध्यक्ष सहित सभी सदस्यगण उपस्थित थे । 3 जिला संत गुरु रविदास समिति द्वारा पटेल मंगल भवन में युवक एवं युवती परिचय सम्मेलन का आयोजन किया गया । इस परिचय सम्मेलन का आयोजन सकल रविदास समाज द्वारा आयोजन किया गया था आयोजन में अलग अलग प्रांतों से आए युवक एवं युवतियों शामिल हुए । 4 जिला मुस्लिम समाज द्वारा आज प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से पत्रकारों को जानकारी दी एनआरसी बिल के विरोध में कंट्रोल रूम ज्ञापन सौंपा गया और देश के अमन और चौन की दुआ मांगी गई । 5 सुन्दरकाण्ड ग्रूप छिंदवाड़ा धार्मिकता के साथ-साथ सामाजिक कार्यों को करने को लेकर छिंदवाड़ा जिले के साथ साथ अन्य जिलों में भी में अपनी अलग पहचान बनाये हुए है,ग्रुप द्वारा प्रति शनिवार को कई सालो से आपके के बुलावे निरूशुल्क संगीतमय सुन्दरकाण्ड का महापाठ किया जाता है साथ ही सामाजिक कार्य भो किये जाते है--इसी क्रम मे ग्रुप द्वारा 21 दिसंबर को ग्राम नेर में निःशुल्क नेत्र शिविर, दंत चिकित्सा ,होम्योपैथी,आयोर्दीक शिविर का आयोजन किया गया जिसमें आस-पास के ग्राम से आये हुए मरीजो का इलाज किया गया ।
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4007680976297a09a6cb285414ab8f0d37e6b884 | रायपुर । संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा रविवार 21 जून को शाम 5. 30 बजे विधानसभा रोड स्थित शान्ति सरोवर में राजयोग दिग्दर्शन महासम्मेलन का आयोजन किया गया है।
ब्रह्माकुमारी संस्थान की क्षेत्रीय प्रशासिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने इस संदर्भ में पत्रकारों को बताया कि इस संस्थान द्वारा विगत 30 वर्षों से माह के तीसरे रविवार को विश्व के 140 देशों में एक साथ और एक ही समय पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। कमला दीदी ने कहा कि समारोह में मुख्यमंत्री रमन सिंह मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहेंगे। इंदौर से मीडिया प्रभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्माकुमार ओमप्रकाश भाई कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। सम्मेलन को जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और ब्रह्माकुमारी रश्मि बहन संबोधित करेंगे।
पणजी। हिंदी दिवस के उपलक्ष्य व हिंदी पखवाड़ा के समापन समारोह में भारतीय नौसेना एवम होली ग्रुप के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम कवि सम्मेलन अद्वतीय रहा। रियर एडमिरल, कमोडोर, कैप्टन, कमांडर, लेफ़्टिनेंट कमांडर व कनिष्ठ अधिकारियों/कर्मचारियों ने होली ग्रुप की भूरि-भूरि प्रशंसा किया।
अधिकारियों ने कहा आप सबकी गरिमामय उपस्थिति और होली टीम की मेहनत की वजह से हम लोग एक और मील का पत्थर गाड़ने में सफल रहे। हमारे होली के उन साथियों को कोटि -कोटि धन्यवाद जिन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना-अपना योगदान दिया।
उन्होंने कहा विशेषत सूरज नाईक, जे के सिंह, सरोज राय व बीएम यादव ने टीम वर्क का परिचय देते हुए कामयाबी का झंडा गाड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। हमारे दूसरे होली ग्रुप के मेम्बर, जिन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से उत्साहवर्धन किया और कार्यक्रम में भाग लिया।
इनके अतिरिक्त होली ग्रुप के दूसरे मेम्बर, जिन्होंने पहुँचकर कार्यक्रम में चार चाँद लगाये, उनमे विसन सिंह, प्रेम मिश्रा, सुशील शुक्ला व अभिलाष द्विवेदी की भूमिका सराहनीय रही।
अंततः आप सबको सफल कार्यक्रम की हार्दिक बधाई व उज्जवल भविष्य की अनंत शुभ कामनाएँ प्रेषित। भारतीय नौसेना के जवानों के अनुसार , ऐसा सुंदर कार्यक्रम/आयोजन व होली ग्रुप द्वारा दी गई प्रस्तुति उनके सर्विस जीवन में (25-30 वर्षों में) पहली बार हुआ है एवम सबके चेहरे पर मुस्कान थी व होली ग्रुप के लिए कृतज्ञता।
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d6e312331098a3575921f20f52d30b6935e25f65 | इस आर्टिकल के सहायक लेखक (co-author) हमारी बहुत ही अनुभवी एडिटर और रिसर्चर्स (researchers) टीम से हैं जो इस आर्टिकल में शामिल प्रत्येक जानकारी की सटीकता और व्यापकता की अच्छी तरह से जाँच करते हैं।
wikiHow's Content Management Team बहुत ही सावधानी से हमारे एडिटोरियल स्टाफ (editorial staff) द्वारा किये गए कार्य को मॉनिटर करती है ये सुनिश्चित करने के लिए कि सभी आर्टिकल्स में दी गई जानकारी उच्च गुणवत्ता की है कि नहीं।
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साउंडक्लाउड (SoundCloud) एक ऐसा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है, जहाँ से आप गाने रिकॉर्ड कर सकते हैं, अपलोड कर सकते हैं और डाउनलोड भी कर सकते हैं और यदि कोई यूजर चाहे तो इन्हें अन्य यूजर के साथ बाँट भी सकते हैं। वैसे तो साउंडक्लाउड पर ज़्यादातर गाने वेबसाइट पर सीधे तौर पर डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध होते हैं, लेकिन फिर भी कभी-कभी यूज़र को अपने मनचाहे गानों को पाने के लिए कुछ दूसरी विधियों का उपयोग भी करना पड़ता है। आप क्रोम, फायरफॉक्स या सफ़ारी पर मौजूद (बिल्ट-इन) टूल्स का भी उपयोग कर सकते हैं, या चाहें तो फायरफॉक्स पर एक एक्सटेंशन का भी उपयोग कर सकते हैं। आप बहुत सारी वेबसाइट्स में से अपने काम की किसी भी वेबसाइट को चुन सकते हैं।
{"smallUrl":"https:\/\/www4अपने पसंद के साथ में वेबसाइट को एक बार फिर से लोड करेंः और आप देखेंगे कि किस तरह नेटवर्क टैब रीसेट हो जाएगा और "Timeline" कॉलम के बाद या बार (bar) के रूप में सारी एंट्री दिखना शुरू हो जाएगी।
- आप का गाना सही तरह से चल रहा है या नहीं, इस की पुष्टि ज़रूर कर लें।
{"smallUrl":"https:\/\/www6दी गई एंट्री पर राइट क्लिक करें और "Open in a new tab" को चुनेंः यदि आप ने एक सही एंट्री को चुना है, तो इस एंट्री पर मीडिया प्लेबैक बटन के साथ में एक नया टैब खुलेगा और फ़ौरन आप का गाना चालू हो जाएगा।
- यदि यह गाना एक नई टैब पर नहीं खुलता, तो शायद आप ने उस नेटवर्क पेज से कोई ग़लत एंट्री को चुन लिया है। पेज को रिलोड करें और एक बार फिर कोशिश करें।
{"smallUrl":"https:\/\/www1फायरफॉक्स मेनू बटन पर क्लिक करें और "Add-ons" चुनेंः आप "DownloadHelper" नाम का एक ब्राउज़र एक्सटेंशन भी इनस्टॉल कर सकते हैं, यह आप को साउंडक्लाउड पर से आसानी से फाइल डाउनलोड करने की सुविधा देगा। यह भी आप को 128 kbps की ही एक फाइल डाउनलोड कर के देगा।
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{"smallUrl":"https:\/\/www4डाउनलोड पेज की फील्ड में URL को पेस्ट कर देंः पेज के बीचों-बीच कहीं एक फील्ड मौजूद होगी, जिस पर आप को URL पेस्ट करना होगा।
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6bf2c7f05349e10c52bff175b195ae517fc21be8 | ग्रेट प्लेस टू वर्क इंस्टीट्यूट ने कंपनियों को मुफ्त कर्मचारी सर्वेक्षण सहायता प्रदान करना शुरू कर दिया है। कर्मचारियों पर COVID-19 प्रक्रिया के प्रभावों को कम करने के उद्देश्य से, संस्थान कर्मचारी स्वास्थ्य, लचीले काम और समन्वय में सहायता प्रदान करता है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करने वाली कोविड-19 महामारी ने कर्मचारियों और अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। कंपनियां कर्मचारियों के बीच वर्कफ़्लो और संचार में निरंतरता सुनिश्चित करने के साथ-साथ चिंता को कम करने और विश्वास की भावना को उजागर करने के तरीकों की तलाश कर रही हैं। पाज़रलामास्योन प्राइम की कोविड19 रिपोर्ट के अनुसार, महामारी से व्यापार जगत के 68 प्रतिशत लोग "काफी" चिंतित हैं। 27 प्रतिशत लोग महामारी के प्रभावों को लेकर "कुछ हद तक चिंतित" हैं। रिपोर्ट में दुनिया में उठाए गए कदमों को असरदार मानने वालों की दर 9 फीसदी है, जबकि तुर्की में उठाए गए कदमों को असरदार मानने वालों की दर 2 फीसदी है.
ग्रेट प्लेस टू वर्क® तुर्की के महाप्रबंधक आईयूप टोपराक ने कहा, "हम अनिश्चितताओं से भरे दौर से गुजर रहे हैं। आजकल, जब हम चिंता, असहायता और भय महसूस करते हैं, तो हमें विश्वास, प्रेरणा और निर्बाध संचार की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता होती है। हमें एक-दूसरे को समझना चाहिए और सामान्य ज्ञान वाला होना चाहिए। "हमारे मुफ़्त विश्लेषण हर क्षेत्र के लिए खुले होने के साथ, हमारा लक्ष्य इस संवेदनशील अवधि में कर्मचारियों और प्रबंधकों का समर्थन करना, वर्कफ़्लो में होने वाले जोखिम कारकों को रोकना और नए दृष्टिकोण प्रदान करना है।" उन्होंने एक बयान दिया.
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2143431cbb52025c743751e56c9c91e0d66cc18e | अयोध्याः अयोध्या में राम मंदिर के लिए पांच अगस्त को भूमि पूजन प्रस्तावित है. भूमि पूजन के समारोह के लिए पीएम मोदी भी हिस्सा लेने वाले हैं. ऐसे में भूमि पूजन कार्यक्रम की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं. साथ ही इस कार्यक्रम में आतंकी साजिश की भी ख़ुफ़िया सूचना मिली है. इस कारण, SPG की टीम 1 अगस्त को यहां आकर मोर्चा संभाल लेगी.
SPG की टीम सारी तैयारियों और सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा करेगी. पीएम मोदी की सुरक्षा के लिए थ्री लेयर सिक्योरिटी तैयार की गई है. पीएम मोदी इसी सुरक्षा घेरे के बीच रहेंगे. इसके साथ ही अयोध्या में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबलों को तैनात किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि खुफिया एजेंसियों के इनपुट के बाद उत्तर पदेश के सभी जिलों में हाई अलर्ट जारी किया जा चुका है. 5 अगस्त को होने वाले राम मंदिर भूमि पूजन के कार्यक्रम को लेकर आतंकी हमले का इनपुट है. पीएम मोदी के अयोध्या दौरे के मद्देनज़र राज्य में सभी सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है.
संवेदनशीलता को देखते हुए अयोध्या के आसपास के जिलों में भी बड़े अधिकारीयों को तैनात किया जा रहा है. इनमें ADG प्रॉसीक्यूशन आशुतोष पांडे को अमेठी में तैनात किया गया है। वहीं ADG ट्रैफिक को गोंडा, ADGP पीएसी रामकुमार को बहराइच, IG फायर सर्विस विजय प्रकाश को सुल्तानपुर, IG पीयूष मोरडिया को अंबेडकरनगर, IG एके राय को बस्ती, DIG भर्ती बोर्ड विजय भूषण को बाराबंकी, DIG (प्रशासन) आरके भारद्वाज को सिद्धार्थनगर की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
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ea0a064bf70bb30556b9b995793c2031f06ef25d | पश्चिम बंगाल के साउथ 24 परगना जिले की पीड़िता नर्स बनना चाहती थी।
उसकी दसवीं की परीक्षा मार्च में होने वाली थी जिसकी तैयारियों में वह व्यस्त थी।
इसी साल फरवरी में एक दिन पढ़ाई के बाद थोड़ी देर के लिए घर से वो बाहर निकली तो उसे किडनैप कर लिया गया और दिल्ली लाकर वेश्यालय में बेच दिया गया।
पश्चिम बंगाल पुलिस के पास परिवार वाले 15 फरवरी को रिपोर्ट लिखवाने गए लेकिन दस्तावेजों के मुताबिक एफआईआर दर्ज नहीं की गई। इसे सिर्फ 'मिसिंग कंप्लेंट' के नाम से लिख लिया गया।
लेकिन परिवार वालों ने हार नहीं मानी। पीड़िता के पिता को शक था कि उसकी बेटी को दिल्ली ले जाया गया है। एनजीओ शक्ति वाहिनी से उन्होंने संपर्क किया जिसने उसी जगह से गायब एक और लड़की को बचाया था।
पीड़िता का पिता मजदूरी करके परिवार का पेट पालता है। एक दिन उसके पास एक अजनबी का फोन आया जिसमें उसने बताया कि उसकी बेटी दिल्ली के जीबी रोड स्थित वेश्यालय में हैं और वह घर लौटने को बेचैन है।
उसके बाद एनजीओ शक्ति वाहिनी और दिल्ली पुलिस की मदद से परिवार वाले जीबी रोड पहुंचे और वहां से पीड़िता को बचाया।
पीड़िता के भाई ने कहा कि वेश्यालय की संकरी सीढ़ियों पर चढ़ने के बाद उसने अपनी बहन को एक छोटे से चैंबर में कैद पाया। बगल के एक और चैंबर में कैद नेपाली लड़की को भी बचा लिया गया।
पीड़िता को बचाने के बाद दिल्ली पुलिस ने यह केस दर्ज करने और तहकीकात का जिम्मा पश्चिम बंगाल पुलिस पर छोड़ दिया।
फिलहाल ट्रायल कोर्ट ने पीड़िता को नारी निकेतन भेज दिया है और पुनर्वास के लिए अगले आदेश के बाद ही वह वापस घर लौट पाएगी।
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3fd6c82ca485c15f0ea1e4bdbbd5469cdad22baafe830405bbd03e0d007c5cb7 | रस और सोदर्य
ही पाते है, सीन्दर्य जितना ही देखते हैं, उतनी ही हृदय मे अभावप्रतीति और भी अधिक जाग उठती है। देखकर भी देखने की साध किसी तरह भी मिटती नही, मालूम होता है यह अपूर्ण है। जभी अपूर्ण समझते है तभी सीमा आँखो के सामने दिखाई देती है, तभी अनजाने में हृदय रो उठता है । सोचते हैं और भी - ओर भी आगे जायँ, सभवत सुदूर भविष्य में किसी न किसी दिन उसे आयत्त कर सकेंगे। किन्तु हाय मोह । यह समझ नहीं पाते है कि काल-प्रवाह मे इस आकाङ्क्षा की तृप्ति हो नही सकती । आनन्द चाहे जितना ही क्यो न बढे, सौन्दर्य चाहे जितना ही छल्छला उठे, तृप्ति तत्र भी बहुत दूर की वस्तु है, क्योकि और भी विकास हो सकता है एव कभी भी इस नमविकास की सम्भावना दूर होगी नहीं । इससे ज्ञात हो जायगा कि हृदय जिसकी आकाङ्क्षा करता है वह ससीम सौन्दर्य अथवा परिमित आनन्द नही है । यदि ऐसा होता तो एक न एक दिन क्रमविकास से उसकी तृप्ति हो जाती । वस्तुत. यह असीम सौन्दर्य, अनन्त प्रेम, निरवच्छिन्न आनन्द है। पूर्ण सौन्दर्य का सम्भोग पहले हुआ है, इसी लिये पूर्ण सौन्दर्य की आकाङ्क्षा होती है, विच्छिन्न ( खण्ड ) सौन्दर्य से तृष्णा मिटती नही । जिसका विरह है, उसे पाये विना व्याकुलता का अवसान हो नहीं सकता ।
इसलिये प्रश्न रह गया कि यह पूर्ण सौन्दर्य कब मिला था ? हम पहले देख चुके हैं कि कालनम से इस पूर्ण सकते; करोड़ों कल्पो मे भी हम ऐसा सौन्दर्य पायेंगे नहीं जिससे हो न सके, अर्थात् काल के मध्य मे पूर्ण सौन्दर्य का विकास हो में जो विकास होता है वह क्रमविकास है । इस क्रम का अन्त नहीं है । और भी अधिक, और भी अधिक हो सकता है - किन्तु कभी भी पूर्णता होनी नहीं । यदि यह सत्य है तो यह भी सत्य है कि काल में कभी इसकी अनुभूति भी होती नहीं । अर्थात् हम जिस सौन्दर्य की अनुभूति हुई है, वह कोई सुदूर अतीत में नहीं है, किसी दिगन्तस्थित नक्षत्र में नहीं है अथवा किसी विशिष्ट काल या देश में नहीं है ।
अतएव एक प्रकार से यह प्रश्न ही अनुपपन्न है। किन्तु घूम फिर कर प्रश्न फिर भी होता है । परस्पर विरुद्ध होने पर भी यह सत्य है कि इस सौन्दर्य का आस्वादन जब हमे हुआ था तब काल नहीं था - जहाँ हमने इसका आस्वादन किया था वहाँ देश नहीं था । वह हमारी 'योग' अवस्था अथवा मिल्न था । उसके बाद वर्तमान अवस्था 'योगनश' अथवा विरह है। फिर उस योग में जाने के लिये हम छटपटा रहे हैं, पुनमिल्न चाहते है। अर्थात् हम देश और काल में निर्वासित हुये है । फिर देश काल को छिन्न भिन्न कर, विलीन कर वैसे ही योगयुक्त होना चाहते है । किन्तु यह वियोग क्या अत्यन्त वियोग ह ? पूर्ण ने विच्छेद क्या सचमुच इतना वालविक है? नहीं, यह बात नहीं है। वियोग सत्य दें, विच्छेद त्वीकार्य हैकिन्तु उस वियोग के मूल मे भी नित्य योग खोया नहीं है, वह कभी न्योता नहीं है । यदि सो गया होता, तो यह वियोग चिर वियोग हो जाता, पिर लेटने की सम्भावना नहीं रहती।
यह जो आकाङ्क्षा है, यह जो ससीम अतृप्ति है, यह बतला रही है कि असीम के साथ योग एकदम टूटा नहीं है । स्मृति है - इसी लिये योग है । वह योग, वह अनुभूति अस्पष्ट है, यह हम स्वीकार करते है, किन्तु वह है अवश्य ।
यदि यह अनुभूति - यदि पूर्ण का यह आस्वादन न रहता तो सौन्दर्य का कोई मानदण्ड न रहता । मान के बिना तुलना करना सम्भव न होता । जब हमे दो फूले हुये फूलो को देख कर किसी समय एक दूसरे की अपेक्षा सुन्दर जॅचता है, तब अनजाने मे सौन्दर्य के मानदण्ड का हम प्रयोग करते है । जहाँ तारतम्य का बोध होता है वहाँ निश्चय ही मान के न्यूनाधिक्य की निर्णायक उपाधि रहती है। प्रकृत स्थल में चित्तस्थित पूर्ण सौन्दर्य की अस्पष्ट अनुभूति अथवा अनुभवाभास ही बाह्य सौन्दर्य के तारतम्य का बोधक निमित्त है । अर्थात् बाहर की वस्तुओ को देखकर उनमे जो पूर्ण सौन्दर्य का जितना अधिक निकटवर्ती प्रतीत होता है वह उतना सुन्दर लगता ! सौन्दर्य का विकास जैसे क्रमिक है यह सन्निकर्ष भी वैसे ही क्रमिक है। बाहर में जैसे पूर्ण विकसित सौन्दर्य का कभी सम्भव नही वैसे ही सन्निकर्ष की इस चरमावस्था का अर्थात् एकीमाव का भी सम्भव नहीं है ।
देश और काल मे जब पूर्ण सौन्दर्य प्राप्त नहीं होता एव वृत्तिज्ञान जब देश और काल की सीमा में बॅधा रहता है तब पूर्ण सौन्दर्य वृत्ति के निकट प्रकाशित नहीं हो पाता, यह बात सत्य है । बल्कि वृत्ति पूर्ण सौन्दर्य की प्रतिबन्धक है । सौन्दर्य का जो पूर्ण आस्वाद है, वृत्ति रूप में वही विभक्त हो जाता है। वृत्ति से जिस सौन्दर्य का बोध होता है वह खण्ड सौन्दर्य है, परिच्छिन्न आनन्द है। पूर्ण सौन्दर्य स्वय ही अपने को प्रकट करता है, उसे अन्य कोई प्रकट नहीं कर सकता। वृत्ति के द्वारा जो सौन्दर्य-बोध का आभास प्रस्फुटित होता है वह सापेक्ष, परतन्त्र, क्रम से बढ़ने वाला और काल के अन्तर्गत है । पूर्ण सौन्दर्य उससे विपरीत है । इस पूर्ण सौन्दर्य की छाया लेकर ही खण्ड सौन्दर्य अपने को प्रकट करता है ।
तब क्या पूर्ण सौन्दर्य और खण्ड सौन्दर्य दो पृथक् वस्तुऍ हैं ? नहीं, ऐसा नही । दोनों वास्तव में एक है । लेकिन इस वियोगावस्था मे दोनो को ठीक एक कहना सम्भव नहीं है। मालूम पडता है दो पृथक् हैं। यह जो दो का अनुभव होता है, इसी के भीतर वियोग की व्यथा छिपी हुई है। इसको जोर जबरदस्ती से एक नहीं किया जा सकता ।
किन्तु फिर भी सत्य बात यह है कि दोनो ही एक हैं। जो सौन्दर्य बाहर है वही अन्दर है, जो खण्ड सौन्दर्य होकर इन्द्रिय-द्वार मे वृत्ति रूप से विराजमान होता है, वही पूर्ण सौन्दर्य-रूप में अतीन्द्रिय भाव से नित्य प्रकाशमान है। गुलाब का जो सौन्दर्य है वह भी वही पूर्ण सौन्दर्य है, शिशु के प्रफुल्लित मुखकमल में जो शोभा है, वह भी वही पूर्ण सौन्दर्य है- जिसे जब जहाँ जिस रूप से जिस किसी सौन्दर्य का बोध हुआ है, वह भी वह पूर्ण सौन्दर्य ही है।
यहाॅ प्रश्न उठ सकता है कि सभी यदि पूर्ण सौन्दर्य है एव पूर्ण सौन्दर्य यदि सभी का आस्वादित और आस्वाद्यमान है तो ऐसी स्थिति मे फिर सौन्दर्य के लिये
आकाङ्क्षा क्यों होती है ? बात यह है, पूर्ण सौन्दर्य का बोध अस्पष्टरूप से सभी को है। किन्तु अस्पष्टता ही अतृप्ति की हेतु है । इस अस्पष्ट को स्पष्ट करना ही तो सब चाहते है। जो छाया है उसे काया देने की इच्छा होती है। वृत्ति द्वारा इस अस्पष्ट का स्पष्टीकरण होता है, जो छाया के तुल्य था वह मानो स्पष्ट रूप से भास उठता है । भासित हो उठता है सही, किन्तु खण्डरूप से । इसी लिये वृत्ति की सहायता से स्पष्ट हुए सौन्दर्य का साक्षात्कार होने पर भी, खण्ड होने से, ससीम होने के कारण उससे तृप्ति परिपूर्ण नही होती । वृत्ति तो अखण्ड सौन्दर्य को पकड नही सकती । अखण्ड सौन्दर्य के प्रकाश में वृत्ति कुण्ठित हो जाती है। में
इसी बात को और स्पष्टरूप से कहते हैं। कल्पना कीजिये, एक खिला गुलाब का फूल हमारी दृष्टि के सामने पडा है, उसके सौन्दर्य ने हमे आकृष्ट किया हैउसका सुन्दररूप मे हम अनुभव कर रहे है। इस अनुभव का विश्लेषण करने पर हमारे हाथ क्या लगता है ? यह सौन्दर्य कहाँ है ? यह क्या गुलाब मे है, अथवा हममें है अथवा दोनों में है। इस अनुभव का स्वरूप क्या है ?
आपातत. यही प्रतीत होता है कि यह केवल गुलाब मे नहीं है। यदि वहीं होता तो सभी गुलाब को सुन्दर देखते। किन्तु सब उसे सुन्दर देखते नहीं। और यह केवल हममे अर्थात् द्रष्टा में है यह कहना भी ठीक नहीं है। यदि ऐसा होता तो हम अर्थात् द्रष्टा मत्र वस्तुओं को सुन्दर देखते, किन्तु हम सभी को सुन्दर देखते नही । इसलिये मानना होगा कि इस अनुभव के विश्लेषण से सिद्धान्त होता है कि वर्तमान क्षेत्र में जब वृत्ति द्वारा बोध हो रहा है तत्र सौन्दर्य खण्डित सा हुआ है, एक ओर अस्पष्ट है अथ च पूर्ण सौन्दर्य है, जो हममे है, दूसरी हममे है, दूसरी ओर स्पष्ट अथ च खण्ड सौन्दर्य है, जिसे हम गुलाब मे देख रहे हैं। किन्तु यथार्थ रस- स्फूर्ति के समय ऐसा रहता नहीं। तब सौन्दर्य द्रष्टा में नहीं रहता, गुलाब मे भी नहीं रहता । द्रष्टा और गुलाब तब एकरस साम्या - वस्थापन्न हो जाते हैं, केवल सौन्दर्य ही, स्वप्रकाशमान सौन्दर्य ही तब रहता है। यही पूर्ण सौन्दर्य है, जिसमे भोक्ता और भोग्य दोनों ही नित्यसम्भोगरूप से विराजमान रहते हैं । वृत्ति द्वारा सौन्दर्योपलब्धि किसे कहते है ? जब किसी विशिष्ट वस्तु का हम प्रत्यक्ष करते हैं, तब वह वस्तु हमारे चित्त में स्थित आवरण को धक्का देकर थोडा बहुत हटा देती है। चित्त पूर्ण सौन्दर्यावभासमय है, किन्तु यह अवभास आवरण से ढका होने से अस्पष्ट है। किन्तु सर्वधा ढका नहीं है, न हो ही सकता है। मेघ सूर्य को ढक्ता है, किन्तु एकबारगी टक नहीं सकता। यदि एकबारगी ढकता तो मेघ स्वयं भी प्रकाशित न होता । मेव जो मेघ है, वह भी वह प्रकाशमान होने से है, इसलिये वह सूर्यालोक की अपेक्षा रखता है। उसी प्रकार आवरण चित्त को एकबारगी टक नहीं सकता । चित्त को ढकता है, किन्तु आवरण का भेद करके भी ज्योति का स्फुरण होता है। इसी लिये पूर्ण सौन्दर्य, आवरण के प्रभाव से, अस्पष्ट होने पर भी एक्कारगी अप्रकाशमान नहीं है । जहाँ चित्त है वही यह बात लागू होती है। पर अस्पष्टता का तारतम्य अवस्य है। यह जो आवरण के कारण अस्पष्टता है आवरण के हटने पर वह भी सटता में बदल जाती है। आवरण के तनिक हटने पर जो सता
दिखती हैं वह किञ्चित् मात्र है। घर के झरोखे के छिद्र से अनन्त आकाश का जैसे एकदेशमात्र दिखलायी देता है आशिक रूप से आवरण हटने पर उसी प्रकार पूर्ण सौन्दर्य का एकदेशमात्र ही प्रकाशित होता है । यह प्रकाशमान एकदेश ही खण्ड सौन्दर्य के नाम से प्रसिद्ध है। यह आशिक आवरणनाश ही वृत्तिज्ञान है । इसलिये जो गुलाचे का सौन्दर्य है वह भी पूर्ण सौन्दर्य ही है, पर एक एकदेशमात्र है। इसी प्रकार जगत् का सम्पूर्ण सौन्दर्य ही उस पूर्ण सौन्दर्य का एकदेश है। आवरणभङ्ग के 'तारतम्य वश उद्घाटित सौन्दर्य के तारतम्य अथवा वैशिष्ट्य का निरूपण होता है।
किन्तु आवरणभङ्ग के वैशिष्ट्य का नियामक क्या है ? आपाततः यह बाह्य पदार्थ के स्वरूप में स्थित वैशिष्ट्य के रूप से हीं गृहीत होगा। किन्तु हम आगे देखेंगे कि यही अन्तिम बात नहीं है, इसलिये आवरणभङ्ग का भेद, जो स्वाभाविक है, वह इस अवस्था मे कहा नहीं जा सकता । आपाततः कहना ही होगा कि आगन्तुक कारण के वैचित्र्य वश आवरण के हटने पर भी वैचित्र्य रहता है । स्फटिक के समीप नील वर्ण की स्थिति से स्फटिक नीला प्रतीत होता है और पीत वर्ण की स्थिति से पीला प्रतीत होता है यह आगन्तुक कारणजन्य भेद का दृष्टान्त है । चक्षु के निकटस्थित घट में घटाकार वृत्ति एव पट मे पटाकार वृत्ति चित्त धारण करता है, यह भी आगन्तुक भेद है । ठीक उसी प्रकार फूल के सौन्दर्य और लता के सौन्दर्य दोनो मे अनुभव का भेद जानना होगा। फूल के सौन्दर्यास्वाद की जो वृत्ति है, लता के सौन्दर्यास्वाद की वृत्ति उससे विलक्षण है, इसका कारण आगन्तुक है । फूल और लता का वैशिष्ट्य जैसे सत्तागत है वैसे ही ज्ञानागत भी है, फिर आखादगत भी है। इसलिये स्वीकार करना होगा कि फूल और लता मे ऐसा विशिष्ट कुछ है जिससे एक एक प्रकार की सौन्दर्यानुभूति का उद्दीपक है, दूसरा दूसरी प्रकार की ।
किन्तु यह आपेक्षिक सत्य है । बाह्य पदार्थ यदि परमार्थतः नहीं रहते अथवा जिस अवस्था मे नही रहते तब अथवा उस अवस्था मे बाह्य पदार्थ के स्वरूपगत वैशिष्ट्य के द्वारा रसानुभूति के वैचित्र्य का उपपादन नही किया जाता । सत्ता जैसे एक और अखण्ड होने पर भी फूल और लता खण्डसत्ता है, ज्ञान जैसे एक और अखण्ड होने पर भी फूल का ज्ञान और लता का ज्ञान अर्थात् फूलरूप ज्ञान और लतारूप ज्ञान परस्पर विलक्षण हैं वैसे ही सौन्दर्य एक और अखण्ड होने पर भी फूल का सौन्दर्य और लता का सौन्दर्य अर्थात् फूलरूप सौन्दर्य और लतारूप सौन्दर्य परस्पर भिन्न है। इस जगत् मे दो वस्तुऍ टीक एक नहीं है । प्रत्येक वस्तु का एक स्वभाव है, एक व्यक्तित्व है, एक विशिष्टता है जो दूसरी वस्तु मै नही होती । यदि यह सत्य है, तो खण्ड सत्ता जैसे अनन्त संख्या में तथा प्रकार मे, खण्ड जान भी वैसे ही अनन्त है, खण्ड सौन्दर्य भी वैसे ही अनन्त है । किन्तु जो सत्ता है वही तो ज्ञान है, क्योंकि प्रकाशमान सत्ता ही ज्ञान है और अप्रकाशमान सत्ता आलोक है। फिर जो ज्ञान है वही आनन्द है, क्योंकि अनुकूल ज्ञान हो, भला लगना ही आनन्द या सौन्दर्यबोध है और प्रतिकूल ज्ञान ही दुख या कढर्यता है । सत्ता जब ज्ञान होती है तत्र वह नित्यज्ञान है आर ज्ञान जब आनन्द होता है, तब वह नित्य सवैद्यमान आनन्द है । यह नित्य सवेग्रमान | pdf |
0e99d9c561a852a34053504770b5bca9601162d4 | आदित्य मित्तल आर्सेलरमित्तल के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) के रूप में अपने पिता लक्ष्मी मित्तल का स्थान संभालेंगे। इस इस्पात विनिर्माता कंपनी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। इससे पहले 45 वर्षीय आदित्य मित्तल आर्सेलरमित्तल यूरोप के अध्यक्ष, मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) थे।
वर्ष 1976 में कंपनी की स्थापना करने वाले उनके पिता लक्ष्मी मित्तल, जो कंपनी के चेयरमैन और सीईओ थे, अब कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन हैं। हालांकि 70 वर्षीय लक्ष्मी मित्तल निदेशक मंडल का नेतृत्व करते रहेंगे तथा सीईओ और प्रबंधन टीम के साथ मिलकर काम करेंगे, जबकि आदित्य मित्तल कंपनी का दिन-प्रतिदिन का कार्य करेंगे।
लक्ष्मी मित्तल ने कहा कि कुछ प्रमुख रणनीतिक लक्ष्य हासिल करने के बाद यह कार्यकारी चेयरमैन केरूप में जाने के लिए सही क्षण जैसा लगता है और बोर्ड इस बात पर सर्वसम्मति से सहमत है कि आदित्य मित्तल कंपनी के मुख्य कार्यकारी होने के लिए स्वाभाविक और सही विकल्प हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 1997 में उनके कंपनी में शामिल होने के बाद से हमने साथ मिलकर काम किया है, वास्तव में हाल के वर्षों में हम प्रभावी रूप से एक साथ कंपनी का प्रबंधन करते आ रहे हैं। आदित्य मित्तल को जानने वालों का कहना है कि वह कुछ समय से कंपनी के अधिग्रहणों का नेतृत्व करते रहे हैं, वर्ष 2006 में उन्होंने आर्सेलर के लिए मित्तल स्टील की पेशकश शुरू की थी और इसका नेतृत्व किया था जिससे दुनिया की पहली 10 करोड़ टन से ज्यादा क्षमता वाली इस्पात कंपनी बनी।
वर्ष 2019 में दिवालिया कानून के अंतर्गत निप्पॉन स्टील के साथ संयुक्त रूप से एस्सार स्टील के अधिग्रहण से आर्सेलरमित्तल का भारत में इस्पात विनिर्माण में प्रमुख रूप से प्रवेश हुआ था। इस अधिग्रहण का नेतृत्व मुख्य रूप से उन्होंने ही किया था। यह मित्तल ही थे जिन्होंने कर्मठता के साथ नेतृत्व किया और अब आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) के अध्यक्ष हैं।
आर्सेलरमित्तल ने चौथी तिमाही के दौरान उम्मीद से बेहतर परिणाम दर्ज किया है और एबिटा 1. 7 अरब डॉलर से अधिक रही, जो पिछले वर्ष की चौथी तिमाही से लगभग दोगुनी है।
हालांकि बाजार के चुनौतीपूर्ण हालात में वर्ष 2020 के दौरान इस्पात की खेपों में 18. 2 प्रतिशत तक की गिरावट नजर आई और 0. 7 अरब डॉलर की शुद्ध हानि हुई। कंपनी ने 12. 3 अरब डॉलर के सकल ऋण और 6. 4 अरब डॉलर के शुद्ध ऋण के साथ वर्ष 2020 का समापन किया, जो आर्सेलर के साथ वर्ष 2006 के विलय के बाद का सबसे निचला स्तर है।
आदित्य मित्तल आर्सेलरमित्तल के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) के रूप में अपने पिता लक्ष्मी मित्तल का स्थान संभालेंगे। इस इस्पात विनिर्माता कंपनी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। इससे पहले 45 वर्षीय आदित्य मित्तल आर्सेलरमित्तल यूरोप के अध्यक्ष, मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) थे।
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5aef26a4e017586f961f40e9fc63e09b43a9aec2 | पटना साहिब के सांसद और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को AIIMS पटना में कोविड वैक्सीन लगवाई। उन्होंने इसके लिए अस्पताल प्रशासन को सहयोग राशि भी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल परिषद के सभी सदस्यों ने यह निर्णय किया था कि वे सभी मुफ्त में कोरोना वैक्सीन नही लेंगे, इसके लिए निर्धारित 250 रुपए की सहयोग राशि भुगतान करेंगे। बिहार के पूर्व डिप्टी CM और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने भी कोरोना का टीका लगवाया। साथ ही कह दिया कि राबड़ी देवी भी टीका लगवाएं, विपक्ष कोरोना टीकाकरण को राजनीति से ऊपर रखें।
AIIMS में टीका लगवाने के बाद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत बनी कोरोना वैक्सीन सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अन्य दर्जनों देशों में भी उपयोग में लाई जा रही है। रविशंकर प्रसाद ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस निर्णय का स्वागत किया जिसके अंतर्गत बिहार में सभी को मुफ्त में वैक्सीन लगवाने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। रविशंकर प्रसाद ने बिहार के लोगों से आग्रह किया कि वे बढ़-चढ़कर कोरोना का टीका लगवाएं और एक नई जागरुकता का परिचय दें।
सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अनुसरण करते हुए मैंने भी कोरोना का टीका लिया और अनुभव किया कि इसमें न कोई तकलीफ होती है, न बाद में कोई परेशानी। हम टीके लेकर न केवल स्वयं को सुरक्षित करते हैं, बल्कि भारत में विकसित वैक्सीन के प्रति उन 100 से अधिक देशों का भरोसा बढ़ाते हैं, जिन्हें टीके की खुराक भेजी जा रही है।
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31ad05f642069369dc78c0c0003c33ffa898a508 | शेयर बाजार (Share Market) बेहद उतार-चढ़ाव भरा है. इसमें इन्वेस्ट करने वाले निवेशक कब फर्श से अर्श पर पहुंच जाएं और कब अर्श से फर्श पर आ गिरें कहा नहीं जा सकता. निवेशकों के लिए मार्केट में चवन्नी के शेयरों से लेकर हजारों रुपये कीमत के शेयर हैं, जिन पर वे दांव लगाते हैं. आज हम आपके ऐसे ही हैवी शेयर के बारे में बता रहे हैं, जिसकी कीमत इतनी है कि 10 शेयर खरीदने में खर्च होने वाली रकम से आप लग्जरी कार खरीद सकते हैं.
जिस शेयर की हम बात कर रहे हैं, वो टायर बनाने वाली कंपनी एमआरएफ लिमिटेड (MRF Ltd) की. कंपनी के एक शेयर की कीमत फिलहाल, 83 हजार रुपये के करीब है. गुरुवार को Stock Market में कारोबार के दौरान खबर लिखे जाने तक दोपहर 1 बजे पर यह स्टॉक 1. 03% या 842. 90 रुपये की बढ़त के साथ 82,943. 45 रुपये पर ट्रेड कर रहा था. इस शेयर की बीते एक साल की चाल को देखें तो इसकी कीमत में 21. 31% या 14,571. 60 रुपये की तेजी दर्ज की गई है. इसका ऑल टाइम हाई 96,000 रुपये है.
MRF Ltd का स्टॉक इस मुकाम पर जोरदार तेजी के साथ पहुंचा है. 11 जनवरी 2002 को इस स्टॉक की कीमत महज 703. 50 रुपये थी. पांच साल बाद 5 जनवरी 2007 को इसकी कीमत बढ़कर 4,284. 90 रुपये हो गई. इसके पांच साल बाद 13 जनवरी 2012 को 7,261 रुपये और अगले पांच साल में ये 13 जनवरी 2017 को 53,359. 90 रुपये पर पहुंच गया था. इस शेयर में तेजी का दौर यहीं नहीं थमा. इसके अगले पांच साल में यानी 2022 में इसने 96,000 का ऑल टाइम हाई लेवल छू लिया. हालांकि, बीते छह महीने में इस स्टॉक की कीमत 3. 71% गिरी है.
टायर बनाने वाली इस एमआरएफ कंपनी के शेयर कीमत (MRF Stock Price) इतनी है कि इसके सिर्फ 10 शेयर खरीदने में आपको 8,29,434 रुपये इन्वेस्ट करने होंगे. इस रकम में आप कार मार्केट में मौजूद कई ब्रांड की शानदार कारों में से एक को खरीद सकते हैं. ऐसी ही कुछ कारों की एक्स-शोरूम कीमत पर नजर डालें तो इनमें Maruti Suzuki Ertiga (8. 49 लाख), Tata Tiago EV (8. 69 लाख रुपये), Tata Nexon (7. 79 लाख रुपये), Hyundai Venue (7. 68 लाख रुपये) समेत कई नाम शामिल हैं.
शेयर बाजार (Stock Market) में जोखिम भले ही बहुत हों, लेकिन एमआरएफ लिमिटेड के स्टॉक (MRF Share) की चाल देखकर ये कहना गलत न होगा कि इसने अपने इन्वेस्टर्स को जमीन से आसमान पर पहुंचाने का काम किया है. इस शेयर में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long Term Investment) करने वाले इन्वेस्टर की जमकर कमाई हुई है. लेकिन, जोखिमों के मद्देनजर शेयर बाजार में निवेश से पहले अपने मार्केट एक्सपर्ट्स की सलाह लेना आपके लिए फायदेमंद रहेगा.
MRF के शेयर इतने महंगे क्यों?
अब आपके मन में भी ये सवाल आ रहा होगा कि निवेशकों को करोड़पति बनाने वाले MRF के शेयर की कीमत इतनी ज्यादा क्यों हैं? दरअसल इसके पीछे की वजह है- शेयरों को स्प्लिट (Stock Split) ना करना, यानी बंटवारा नहीं होना. एंजल वन के मुताबिक 1975 के बाद से ही MRF ने आज तक अपने शेयरों को कभी स्प्लिट नहीं किया है. इसके पहले साल 1970 में 1:2 और 1975 में 3:10 के अनुपात में MRF के शेयर इशू किए गए थे.
इसी तरह अगर 1 लाख शेयरों को स्प्लिट करके 10 लाख शेयर बना दिए जाएं तो 1 शेयर की कीमत 100 रुपये हो जाएगी. ये कुछ इसी तरह का है कि जैसे आपके पास एक पिज़्ज़ा है और आपने उसके 4 हिस्से कर दिए. बाद में आपने उसी पिज़्ज़ा के 8 हिस्से कर दिए. ऐसे में पिज़्ज़ा तो एक ही रहेगा लेकिन उसके हिस्सों की संख्या बढ़ जाएगी.
क्या है MRF का बिजनेस?
MRF का पूरा नाम मद्रास रबर फैक्ट्री है. इसकी शुरुआत 1946 में टॉय बैलून बनाने से हुई थी. 1960 के बाद से इन्होंने टायर बनाना शुरू कर दिया. अब यह कंपनी भारत में टायर की सबसे बड़ी निर्माता है. भारत में टायर इंडस्ट्री का मार्केट करीब 60000 करोड़ रुपये का है. JK Tyre, CEAT Tyre इत्यादि MRF की कॉम्पिटिटर हैं.
(नोट- शेयर बाजार में निवेश से पहले अपने मार्केट एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें. )
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5a9d8e58f39ad61c9bac94f59bec9dd6ef302a9d | एक ज़ोंबी, सरल अर्थ में, एक जीवित शव है। सिनेमाई शब्दों में, यह एक पिशाच से अलग है जिसमें इसकी शक्तियां (आकार देने, फेंग) या कमजोरियां (सूरज की रोशनी, पवित्र पानी, लहसुन) नहीं होती हैं और आमतौर पर उन्नत मस्तिष्क कार्य की कमी होती है। शब्द "ज़ोंबी" को 1 9 2 9 में अमेरिकी सार्वजनिक चेतना में एक हाईटियन क्रेओल शब्द के रूप में पेश किया गया था जो वूडू द्वारा पुनर्मिलन किया गया था; इसके तुरंत बाद, मोशन पिक्चर उद्योग द्वारा डरावनी फिल्मों की एक श्रृंखला में इसका शोषण किया गया।
सिनेमाई लाशों का रूप और कार्य पूरे वर्षों में स्थानांतरित हो गया है, लेकिन डरावनी शैली के भीतर ज़ोंबी फिल्म की उपस्थिति शुरुआती '30 के दशक से स्थिर बल बनी हुई है।
प्रारंभिक फिल्म लाशियां हैतीयन परंपरा के लिए अपेक्षाकृत सच रहीं। "जीवित मृत" को एक वूडू जादू द्वारा एनिमेटेड माना जाता था, और आमतौर पर उन्हें "मास्टर" के कर्मचारियों के रूप में उपयोग किया जाता था, जिन्होंने उन्हें उठाया था। उनकी उपस्थिति जीवित रहने के समान थी, सिवाय इसके कि उनकी त्वचा राख थी और उनकी आंखों को अंधेरा कर दिया गया था या कभी-कभी चरम आकार में बग किया जाता था। आम तौर पर, वे मूक और धीमी गति से चल रहे थे, दिमाग में अपने गुरु के घृणित आदेशों का पालन करते थे (हालांकि फिल्म के अंत में, मास्टर अक्सर नियंत्रण खो देते थे)।
1 9 32 का व्हाइट ज़ोंबी , बेला लुगोसी अभिनीत एक खलनायक वूडू मास्टर के रूप में हैती में ज़ोंबी की स्थिरता के प्रभारी के रूप में, फिल्म की इस प्रारंभिक शैली के लिए एक आकृति है। इसे आम तौर पर नाम से ज़ोंबी की विशेषता रखने वाली पहली फिल्म माना जाता है, हालांकि 1 9 20 में डॉ कैलिगारी की कैबिनेट में , शीर्षक चरित्र ने स्लीपवाल्कर, या "सोममबुलिस्ट" को नियंत्रित किया, जिसे सीज़ारे नाम से शुरुआती फिल्म लाश के समान ही रखा गया था।
'30 और 40 के दशक के दौरान, ज़ोंबी और वूडू फिल्में फैलीं, राजाओं के राजा जैसे लाश , लाश के विद्रोह और लाश का बदला सालाना जारी किया जा रहा है। ब्रॉडवे और द घोस्ट ब्रेकर्स पर लाश जैसे कई लोगों ने इस विषय को हल्के ढंग से व्यवहार किया, जबकि अन्य, जैसे मैं एक ज़ोंबी के साथ चलना , बहुत नाटकीय था।
50 के दशक तक, फिल्म निर्माताओं ने स्थापित ज़ोंबी फिल्म मानकों के साथ खेलना शुरू कर दिया। उदाहरण के लिए, उन्होंने लोगों को ज़ोंबी में बदलने की विधि के साथ प्रयोग किया। वूडू की बजाय, किशोर लाश ने तंत्रिका गैस का उपयोग करके पागल वैज्ञानिक को दिखाया, जबकि बाहरी अंतरिक्ष और अदृश्य आक्रमणकारियों से योजना 9 में एलियंस मरे हुओं को उठाए, और पृथ्वी पर द लास्ट मैन (रिचर्ड मैथेसन पुस्तक आई एम लीजेंड के आधार पर), एक वायरस lumbering, ज़ोंबी की तरह "पिशाच" बनाता है। अदृश्य आक्रमणकारियों और पृथ्वी पर लास्ट मैन ने ज़ोंबी को और भी खतरनाक बना दिया, जिससे उन्हें अपहरण और भारी श्रम जैसे पुरुषों के कार्यों से मुक्त किया गया; इसके बजाय, वे सिंगल-दिमागी हत्या मशीन बन गए, एक भूमिका जो अगली पीढ़ी के जीवित मृतकों में खिलाएगी।
द लास्ट मैन ऑन अर्थ एंड इनविज़िबल आक्रमणकारियों (और, हद तक, बॉडी स्नैचर्स के लाल डरावनी प्रेरित आक्रमण और आत्माओं के सपने देखने वाले कार्निवल ) जैसी फिल्मों में हत्यारे लाशों द्वारा ग्रहण किए गए ग्रह का अपोकैल्पिक परिदृश्य एक युवा फिल्म निर्माता को प्रेरित करने में मदद करता है जॉर्ज ए रोमेरो नाम 1 9 68 में, रोमेरो ने अपने निर्देशक पदार्पण, नाइट ऑफ द लिविंग डेड को रिलीज़ किया, जो ज़ोंबी फिल्मों में क्रांतिकारी बदलाव के लिए आगे बढ़ेगा जैसा कि हम उन्हें जानते हैं।
हालांकि उन्होंने पूर्व फिल्मों से कुछ तत्व उधार लिया, रोमेरो ने कुछ व्यवहार और नियम बनाए जो अगले तीन दशकों तक ज़ोंबी फिल्मों के लिए मॉडल को अपने जीवित मृतकों को प्रस्तुत करेंगे।
सबसे पहले, ज़ोंबी जीवित खाने के लिए एक लालसा भूख से प्रेरित थे। दूसरा, ज़ोंबी हमलों को स्पष्ट विस्तार से दिखाया गया था, जो कि बढ़ी हुई सिनेमाई गोर के युग में उभर रहा था। तीसरा, मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाकर लाश को मार दिया जा सकता है। चौथा, ज़ोंबीवाद संक्रामक था और एक काटने से फैल सकता है।
प्रारंभिक, क्लासिक ज़ोंबी लोअर से एक बड़ा अंतर वूडू से दूर शिफ्ट और जीवित मृतकों को नियंत्रित करने वाले मास्टर की अवधारणा थी। अन्य तत्व जो रोमेरो द्वारा जरूरी नहीं थे, लेकिन जो रोमेरो-एस्क्यू ज़ोंबी परंपरा का हिस्सा बन गया, उनमें शामिल थेः धीमी, असंतुलित आंदोलन, एक अपोकैल्पिक शून्यवाद जिसमें केवल अस्तित्व एक जीत है और ज़ोंबीवाद को प्लेग के रूप में उपचार है।
रोमियो 1 9 78 के डॉन ऑफ द डेड के साथ शुरू होने वाले कई अनुक्रमों के साथ अपनी विरासत में शामिल होगा - जिसने स्पष्ट गोर को और भी आगे बढ़ाया - और 1 9 85 के डेड ऑफ द डेड ।
कई तेजी से हिंसक और अंधेरे ज़ोंबी फिल्मों ने रोमेरो के कदमों का अनुसरण किया, जिसमें 1 99 0 के रीमेक और नॉटलॉग सह-लेखक जॉन ए रुसो से फिल्मों की ऑफशॉट रिटर्न ऑफ द लिविंग डेड सीरीज़, साथ ही इटली ( ज़ोंबी ) और स्पेन (अंतर्राष्ट्रीय) अंधेरे मृत )। अन्य - जैसे मैं आपका रक्त पीता हूं , डेविड क्रोनबर्ग के शिवर्स और रबीड और रोमेरो के स्वयं के क्रेज़ीज़ - जबकि लाशों को शामिल नहीं करते हुए, रोमेरो के कामों के homicidal contagion संरचना का उपयोग किया।
21 वीं शताब्दी में, फिल्म निर्माताओं ने ज़ोंबी फिल्म सम्मेलनों के साथ तेजी से खिलवाड़ किया है। कुछ, जैसे निवासी ईविल और मृतकों के घर , को उच्च-ऑक्टेन वीडियो गेम एक्शन में प्रेरणा मिली है। अन्य, जैसे कि 28 दिन बाद और आई एम लीजेंड , ने संक्रामक बीमारियों का उपयोग किया है जो ज़ोंबी जैसी राज्य बनाते हैं। शॉन ऑफ द डेड जैसे लाइटहार्टेड फिल्मों और इस बीच, "ज़ोंबी कॉमेडी" या " ज़ोम कॉम " शब्द का निर्माण हुआ है , जबकि अन्य ने इसे रोमांटिक कोण के साथ एक कदम आगे बढ़ाया है जो उन्हें "रोम ज़ॉम कॉम" क्षेत्र। डॉन ऑफ द डेड के 2004 के रीमेक ने परंपरागत ज़ोंबी व्यवहार को भी बदल दिया, जिससे उन्हें धीमी और लकड़ी की बजाय शारीरिक रूप से त्वरित और चुस्त कर दिया गया। और डायरी ऑफ़ दी डेड एंड द ज़ोंबी डायरीज़ ने अन्य सर्वव्यापी 21 वीं शताब्दी की डरावनी प्रवृत्ति के साथ लाश को विलय कर दिया हैः " पाया फुटेज " प्रारूप।
आज, ज़ोंबी पहले से कहीं अधिक लोकप्रिय हैं, टी-शर्ट, खिलौने, वीडियो गेम और अन्य व्यापार बाजार में बाढ़ और टेलीविजन पर सबसे ज्यादा देखे जाने वाले शो में से एक बनने के साथ।
2013 में, यह भी साबित हुआ कि लाश एक बड़े बजट हॉलीवुड ब्लॉकबस्टर का समर्थन कर सकते हैं - और उस पर एक सफल, अमेरिका में 200 मिलियन डॉलर और दुनिया भर में $ 500 मिलियन से अधिक कमाई।
यदि कोई संदेह है कि ज़ोंबी घटना वैश्विक नहीं है, ऑस्ट्रेलिया ( वार्मवुड ), जर्मनी ( रैमबॉक ), फ्रांस ( द हॉर्डे ), भारत ( ज़ोंबी का उदय) , ग्रेट ब्रिटेन ( कॉकनी बनाम लाश ), जापान से विदेशी प्रविष्टियां ( स्टेसी ), ग्रीस ( एविल ), दक्षिण अफ्रीका ( लास्ट ओन्स आउट ), स्कैंडिनेविया ( डेड स्नो ), हांगकांग ( बायो ज़ोंबी ), न्यूजीलैंड ( ब्लैक भेड़ ), दक्षिण अमेरिका ( प्लागा ज़ोंबी ), चेकोस्लोवाकिया ( चोकिंग हैज़ार्ड ) और यहां तक कि क्यूबा ( मृतकों के जुआन ) को आराम करने के लिए रखना चाहिए (पन इरादा)।
उल्लेखनीय ज़ोंबी सिनेमाः
- व्हाइट ज़ोंबी (1 9 32)
- लाश के विद्रोह (1 9 36)
- द वॉकींग डेड (1 9 36)
- घोस्ट ब्रेकर्स (1 9 41)
- लाश के राजा (1 9 41)
- मध्यरात्रि में बोवेरी (1 9 42)
- मैं एक ज़ोंबी के साथ चलना (1 9 43)
- वूडू मैन (1 9 44)
- ब्रॉडवे पर लाश (1 9 45)
- मोरा ताऊ की लाश (1 9 57)
- द ब्रेन ईटर (1 9 58)
- अदृश्य आक्रमणकारियों (1 9 5 9)
- योजना 9 से बाहरी अंतरिक्ष (1 9 5 9)
- किशोर लाश (1 9 5 9)
- ज़ोंबी का रक्त (1 9 61)
- मैं आपकी त्वचा खाओ (1 9 64)
- अविश्वसनीय रूप से अजीब जीव जो जीवित रह गए और मिश्रित लाश बन गए (1 9 64)
- द लास्ट मैन ऑन अर्थ (1 9 64)
- लाश का प्लेग (1 9 66)
- नाइट ऑफ लिविंग डेड (1 9 68)
- टॉम्ब ऑफ़ द ब्लाइंड डेड (1 9 71)
- बच्चों को मृत चीजों के साथ नहीं खेलना चाहिए (1 9 72)
- चलो स्लीपिंग कॉर्प्स ली (1 9 74)
- शुगर हिल (1 9 74)
- शॉक वेव्स (1 9 77)
- डॉन ऑफ द डेड (1 9 78)
- ज़ोंबी (1 9 7 9)
- दफन ग्राउंड (1 9 81)
- डेड एंड बरीड (1 9 81)
- डे डेड डेड (1 9 85)
- रिटर्न ऑफ लिविंग डेड (1 9 85)
- क्रिप्प्स की नाइट (1 9 86)
- नाइट ऑफ द लिविंग डेड (1 99 0)
- डेड एलीव (2002)
- निवासी ईविल (2002)
- हाउस ऑफ द डेड (2003)
- अंडेड (2003)
- डॉन ऑफ़ द डेड (2004)
- शॉन ऑफ़ द डेड (2004)
- भूमि की भूमि (2005)
- फिडो (2007)
- ग्रह आतंक (2007)
- डेड ऑफ डेड (2008)
- डायरी की डायरी (2008)
- डेड स्नो (200 9)
- Zombieland (200 9)
- गर्म निकाय (2013)
- विश्व युद्ध जेड (2013)
- ज़ोंबी सर्वनाश के लिए स्काउट्स गाइड (2015)
- गौरव और पूर्वाग्रह और लाश (2016)
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a9bbffdf93a58f784ef7813093fce63ad9876c00 | नई दिल्ली. छठ महापर्व कल यानी 31 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. ये पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है. छठ पूजा सूर्य देव की उपासना कर उनकी कृपा पाने के लिए की जाती है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव की पूजा करने से घर में धन-धान्य का भंडार रहता है. इस पर्व को खासतौर पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित पड़ोसी देश नेपाल में देखने को मिलती है. मान्यता है कि छठ पूजा करने से छठी मैया प्रसन्न होकर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं.
हिंदू धर्म में छठी मैया को सूर्य भगवान की बहन भी कहा जाता है. छठ पूजा का ये पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. कल नहाय-खाय के साथ छठ पूजा का आगाज होगा. इसके बाद 1 नवंबर को खरना और 2 नवंबर को सूर्य षष्ठी का मुख्य पर्व होगा. इसी दिन व्रतीजन डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देते हैं. वहीं 3 नवंबर को उदित सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा का समाधान होगा.
खरना में व्रत रखने वाले व्यक्ति प्रसाद ग्रहण करते हैं और उसके बाद अगले दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने और फिर सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा करके ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलते हैं. छठ व्रत को दिवाली के छठे दिन मनाया जाता है. छठ व्रत एक साल में दो बार होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास और कार्तिक मास में. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को बड़े पैमाने पर यह पर्व मनाया जाता है.
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8dfb80613622376f07a31ac8a1c01455c10427b7 | रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल ने इंग्लैंड के स्वीप शॉट पर लगाया 'बैन' (PIC : AP)
नई दिल्ली. भारत और ऑस्ट्रेलिया (India vs Australia) के बीच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) में खेले जा रहे बॉक्सिंग डे टेस्ट में रविचंद्रन अश्विन (Ravichandra Ashwin) और अजिंक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) ने मिलकर मार्नस लाबुशेन (Marnus Labuschagne) को पवेलियन की राह दिखाई. इसी के साथ यह दोनों खिलाड़ी फील्डर-बॉलर के खास क्लब में शामिल हो गए हैं. इस क्लब में उन भारतीय खिलाड़ियों के नाम शामिल हैं, जिनमें गेंदबाज और फील्डर दोनों ने मिलकर सबसे ज्यादा विकेट हासिल किए हैं.
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी (Border Gavaskar Trophy) के दूसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलियाई पारी के 17. 5 ओवर में रविचंद्रन अश्विन की गेंद पर कप्तान अजिंक्य रहाणे ने मार्नस लाबुशेन का शानदार कैच लपका. लाबुशेन 49 गेंदों में 1 चौके के साथ 28 रन की पारी खेलकर पवेलियन लौटे. इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 57. 14 का रहा. रहाणे और अश्विन के इस तरह एक साथ विकेट लेने का यह 27वां मौका था. गेंदबाज और फील्डर के कॉम्बिनेशन के साथ सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में अनिल कुंबले और राहुल द्रविड़ टॉप पर हैं.
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एक फील्डर-गेंदबाज के संयोजन के लिए सबसे अधिक विकेट (भारत)
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इसी के साथ अश्विन ने मार्नस लाबुशेन को आउट कर पाकिस्तान के वकार यूनुस (Waqar Younis) का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया. लाबुशेन को आउट कर उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अपने विकेटों की संख्या 374 पहुंचा दी और वकार यूनुस को पीछे छोड़ दिया. वकार ने टेस्ट क्रिकेट में 373 विकेट झटके हैं. अश्विन का यह 73वां टेस्ट मैच है. वकार ने 87 मैचों में 373 विकेट लिए हैं.
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46d45c8bef99710148e4fbd861b3ec89a8dea82c | "मम्मा ,मुझे नानी ने आज फिंगर में जो रिंग पहनाई थी ;खेलते हुए कहीं गिर गयी । ", चैताली ने घर पर पहुँचते ही अपनी मम्मी छाया से कहा ।
"बेटा ,इसीलिए तो आपको कहा था कि रिंग पहनकर मत जाओ । ",छाया ने धैर्य के साथ कहा । छाया चैताली को अपनी गलतियाँ स्वीकार करना सिखाने की कोशिश करती थी । वह उस पर नाराज़गी दिखाने या गुस्सा करने की जगह पर उसे प्यार से उसकी गल्ती बताती थी।यही कारण था कि चैताली ने घर पर आते ही अपनी मम्मी को सच बताया ।
छाया का मानना था कि अपनी गलती स्वीकार करना एक बहुत बड़ी बात है । बच्चे डाँट या मार के डर से सच नहीं बताते । सच हमेशा कड़वा ही होता है ;जिसे हम लोग पचा भी नहीं पाते ।
छाया जब छोटी थी ;तब एक दिन उसकी दादी ने दोनों हाथों में उसे चाँदी के कड़े पहना दिए थे । 7 वर्षीय छाया अपने 1 वर्षीय छोटे भाई को लेकर घर के बाहर बैठी हुई थी । गांव में उनके घर के सामने ही पीपल का पेड़ लगा हुआ था । आसपास के घरों के लोग ,बच्चे आदि सभी वहीं बैठे रहते थे । छाया को बच्चों के साथ खेलना था और भाई को भी सम्हालना था । भाई रोये नहीं ,इसीलिए उसने अपने हाथों से कड़े निकालकर भाई को खेलने के लिए दे दिए । भाई कड़ों से खेलने लगा और छाया बच्चों के साथ । कुछ देर बाद ,छाया अपने भाई के पास आयी तो देखा कि कड़े नदारद थे । शायद किसी ने बच्चे के हाथ से ले लिए थे ।
छाया बहुत डर गयी थी ;उसकी माँ और दादी दोनों ही उसे खूब डाँटेंगे । फिर साथ ही खेल रही दीदी ने सलाह दी कि ,"तू घर पर कुछ मत बताना । "
छाया ने घर पर किसी को कुछ नहीं बताया । दादी ने सोचा कि छाया ने कड़े अपनी माँ को दे दिए हैं । माँ ने सोचा कि छाया ने कड़े अपनी दादी को दे दिए हैं । दो -तीन बाद दादी ने छाया की माँ से कहा कि ,"छाया की माँ ,चांदी के कड़े तो दे दे । दूसरे गहनों के साथ तिजोरी में सम्हालकर रख दूँ । "
"अम्माजी ,कड़े तो आप ही के पास होंगे । ",छाया की माँ के जवाब से दादी हैरान थी । दादी और माँ दोनों के पास ही कड़े नहीं थे । तब दोनों ने छाया को बुलाकर पूछा ,छाया ने सारी घटना ज्यों की त्यों सुना दी ।
"छोरी ,डाँट तो तुझे अभी भी पड़ेगी । अगर उसी दिन बता देती तो कम से कम कड़े मिल तो जाते । ",दादी ने कहा । छाया को डाँट भी पड़ी ;लेकिन यह घटना छाया के बाल मन प् ऐसी अंकित हुई कि उसे आज तक भी याद है ।
इस घटना से सीख लेते हुए ,उसने अपनी बेटी चैताली को अपनी गलती स्वीकार करना सिखाने के प्रयास किये । आज चैताली ने छाया को सब कुछ सच -सच बताया ।
"सॉरी ,मम्मा । ",चैताली ने नज़रें झुकाते हुए कहा ।
"कोई बात नहीं । चलो ,एक बार जहाँ आप खेल रहे थे ;वहाँ ढूँढकर आ जाते हैं । ",ऐसा कहकर चैताली और छाया दोनों घर से बाहर निकल गए । उनके घर के सामने स्थित पार्क में ही चैताली खेल रही थी ।दोनों ने बहुत ढूँढा ,लेकिन रिंग नहीं मिली ।
"सॉरी ,मम्मा । ",चैताली बार -बार कहे जा रही थी ।
"बेटा आपने गल्ती की है तो पनिशमेंट भी मिलेगा । ",छाया ने घर लौटते हुए रास्ते में चैताली से कहा ।
"क्या पनिशमेंट मम्मा ?",चैताली ने पूछा ।
"आपने नानी का दिया हुआ गिफ्ट खो दिया । अब आपको अपने खिलौनों में से एक खिलौना अंजू को गिफ्ट करना होगा । ",छाया ने सोचने की मुद्रा में कहा । अंजू छाया के यहाँ आने वाली घेरलू सहायिका सुमन की बेटी थी ।
"ठीक है ,मम्मा । ",ऐसा कहकर चैताली वहाँ से चली गयी थी ।
अगले दिन चैताली ने अपना टेडी बीयर सुमन को देते हुए कहा ,"आंटी ,यह आप अंजू के लिए ले जाना । "
चैताली की बात सुनकर छाया मन ही मन मुस्कुरा रही थी । उसकी बेटी गलती स्वीकारना ही नहीं ,बल्कि सुधारना भी सीख रही थी ।
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88e445424eefbb1c21e9da4e2c7550cdc5a70ab8 | डीपीआर और एलपीआर के पीपुल्स मिलिशिया की उन्नति इस तथ्य की ओर ले जाती है कि कई दिशाओं में यूक्रेनी सशस्त्र संरचनाओं ने एक बार में फिर से संगठित होने और आपूर्ति प्राप्त करने का अवसर खो दिया है। यूक्रेनी राष्ट्रवादी बटालियनों के प्रतिनिधियों द्वारा पदों का नुकसान इस तथ्य की ओर जाता है कि वे डोनबास के लोगों के मिलिशिया द्वारा कब्जा करना शुरू कर देते हैं।
उनमें से राष्ट्रीय बटालियन "ऐदार" (* रूस में प्रतिबंधित एक चरमपंथी गठन) का एक आतंकवादी था। यह हमला करने वाली कंपनियों में से एक का 44 वर्षीय शूटर है। खार्कोव का मूल निवासी।
"Aydarovets" * ने प्रारंभिक पूछताछ के दौरान एक उल्लेखनीय विवरण के बारे में बतायाः राष्ट्रीय बटालियन के पास स्थायी तैनाती का बिंदु नहीं है। अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वाले उग्रवादियों को यूक्रेन के सशस्त्र बलों की ब्रिगेड और अन्य इकाइयों के बीच तितर-बितर कर दिया गया। यह एक यूक्रेन के सशस्त्र बलों के 53 वें अलग मशीनीकृत ब्रिगेड को "व्लादिमीर मोनोमख के नाम पर" जोर से नाम के साथ भेजा गया था। ब्रिगेड को लुहान्स्क क्षेत्र में तैनात किया गया है - लिसिचांस्क और सेवेरोडनेत्स्क के क्षेत्र में, परिचालन-सामरिक कमांड "वोस्तोक" को रिपोर्ट करना। एक दिन पहले, इस कमांड के कुछ अधिकारियों को NM LDNR और RF सशस्त्र बलों के संयुक्त हमलों से नष्ट कर दिया गया था। जनरलों के साथ मिलकर ओटीजी "सेवर" की कमान का मुख्यालय पूरी तरह से नष्ट हो गया था।
आतंकवादी के शब्दों को सैन्य कमांडर अलेक्जेंडर द्वारा उद्धृत किया गया है मिठाई आपके टीजी चैनल में। राष्ट्रवादी बटालियन के प्रतिनिधि ने कहा, विशेष रूप से, कि इस समय ऐडार में सेवा के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वालों में से अधिकांश यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्रों के निवासी हैं, जिनमें खार्किव और पोल्टावा शामिल हैं।
यह याद किया जाना चाहिए कि Aidar यूक्रेन में सबसे कुख्यात राष्ट्रीय बटालियनों में से एक है। लुहान्स्क क्षेत्र के क्षेत्र में जांच अधिकारियों द्वारा उसके पास बहुत सारे युद्ध अपराध दर्ज हैं। समय आ गया है जब राष्ट्रीय बटालियन के उग्रवादियों को उनकी हरकतों का जवाब देना होगा।
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98b4bb994adb4d2c70e53a40bc1590c0c8ce521c | 4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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00ee22e22d76db82ca6711349bc050d689d18698 | ताज महल पर चल रहे विवादों के बीच हरियाणा के विज्ञान और तकनीकी मंत्री ने भी इस एतिहासिक स्मारक पर अपनी राय दी है और इसके एक खूबसूरत कब्रिस्तान बताया है। अनिल विज ने ट्वीट कर लिखा, 'ताज महल एक खूबसूरत कब्रिस्तान है। ' अनिल विज का कहना है कि ताज महल चाहे कितना भी सुंदर क्यों ना हो लेकिन लोग ताज महल के मॉडल को घर में रखना अपशगुन मानते हैं क्योंकि यह एक कब्र है। अनिल विज पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं। अनिल विज ने राम रहीम को सजा सुनाने के बाद हिंसा में मारे गये लोगों को मुआवजा देने की पैरवी की थी। इसके अलावा वो करेंसी से गांधी की तस्वीरों को हटाने के भी हिमायती हैं। बता दें कि यूपी से बीजेपी विधायक संगीत सोम ने ताज महल को भारतीय संस्कृति और इतिहास पर एक 'धब्बा' करार दिया था। मेरठ के सधरना से विधायक संगीत सोम ने कहा था, "बहुत सारे लोग इसलिए निराश थे कि ताज महल को उत्तर प्रदेश की पर्यटन पुस्तिका से हटा दिया गया। हम किस इतिहास की बात कर रहे हैं? कौन सा इतिहास? ताज महल बनवाने वाले (शाहजहां) ने अपने पिता को जेल में डाल दिया था। वह भारत से सभी हिंदुओं को मिटा देना चाहता था। अगर ऐसे लोग हमारे इतिहास का हिस्सा हैं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। " उन्होंने यह भी बताया था कि उत्तर प्रदेश सरकार अकबर, बाबर और औरंगजेब जैसे कलंक कथा लिखने वाले बादशाहों को भी इतिहास से निकालने की तैयारी कर रही है।
#ताजमहल एक खूबसूरत कब्रिस्तान है ।
ताज महल विवाद में दखल देते हुए फायर ब्रांड बीजेपी नेता विनय कटियार ने कहा था कि ताज महल हिन्दू देवता भगवान शिव का मंदिर है। इसे सैकड़ों साल पहले तेजो महल के नाम से जाना जाता था लेकिन मुगल राजा शाहजहां ने इसे ताज महल में बदल दिया था। विनय कटियार ने बताया, 'ताजमहल हिन्दू मंदिर है। जिसको तेजो महल कहा जाता था। इतिहासकार पीएन ओक की एक किताब भी ऐसा ही कहती है। शाहजहां ने इस जगह पर अपनी पत्नी को दफनाने के बाद इसे मकबरे में बदल लिया था। ताज महल पर इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसे पर्यटन स्थलों की सूची से बाहर कर दिया था।
बता दें कि ताज महल पर बढ़ते विवाद को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि ये स्मारक भारत माता के सपूतों की खून पसीने की कमाई से बना है और इसका संरक्षण किया जाना चाहिए।
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ffa8a5ec51c2c15dd7c2c4033ae4213644ff4be1 | मालदीव में भारत विरोधी प्रदर्शन (Anti-India Protests in Maldives) की भारी कीमत चुकानी होगी. सत्ताधारी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) एक ऐसा बिल लेकर आ रही है, जिसके कानून बनते ही भारत के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन अपराध बन जाएगा. बता दें कि हाल ही में सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें मालदीव के लोग 'इंडिया आउट' (India Out) की टी-शर्ट पहने भारत सरकार के खिलाफ विरोध जताते नजर आ रहे हैं. MDP का मानना है कि इस तरह के प्रदर्शनों से द्विपक्षीय रिश्ते प्रभावित होते हैं. इसलिए इन पर रोक लगाई जानी चाहिए. पूर्व राष्ट्रपति चला रहे अभियान 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, मालदीव में चीन (China) समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन (Abdulla Yameen) की तरफ से भारत (India) के खिलाफ 'इंडिया आउट' अभियान चलाया जा रहा है. इस तरह के अभियानों को अवैध घोषित करने के लिए सरकार नया विधेयक लाने पर विचार कर रही है. इसका उद्देश्य एक संतुलित विदेशी नीति को अपनाना है, जो बाकी देशों के साथ उसके संबंधों को मजबूत बनाने में असरदार सिद्ध होगी.ऐसा है सजा का प्रावधाननए विधेयक के तहत भारत विरोधी नारे लगाने वालों से 20,000 मालदीवियन रुफिया का जुर्माना वसूला जाएगा. इसके साथ ही 6 माह की जेल या फिर 1 साल के लिए नजरबंद करने का भी प्रावधान है. MDP के एक नेता ने कहा, '87 सदस्यों वाली संसद में हमारे पास स्पष्ट बहुमत है. लिहाजा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन बिल का विरोध कर रहा है. हमें लगता है कि इस तरह का कठोर कानून बनाए जाने की जरूरत है,क्योंकि हमारी और भारत की सुरक्षा आपस में जुड़ी हुई है'.Bill के विरोध में उठी आवाजेंहालांकि, इस बिल के विरोध में भी आवाजें उठ रही हैं. विरोधियों का कहना है कि ये विरोध के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है. बता दें कि जेल से छूटने के बाद पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के 'इंडिया आउट' कैंपेन में और अधिक तेजी आई है. यामीन ने भारत पर देश की आंतरिक राजनीति में दखल देने और मालदीव की मौजूदा सरकार पर भारत के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया है. वैसे यह पहली बार नहीं है जब मालदीव में भारतीय सेना और भारत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं. ऐसा ही विरोध साल 2012 में हुआ था, जिसके बाद भारतीय एयरपोर्ट ऑपरेटर जीएमआर को उस वर्ष मालदीव छोड़ भारत लौटना पड़ा था.
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dd04689816c9f09be4172d89146e6b15d9a38a29 | Don't Miss!
FirstReview: बाहुबली 2, एक ही फिल्म दो बार क्यों बनाना...वो भी धोखा देकर?
बाहुबली 2 इस शुक्रवार को सिनेमाघरों में लगने वाली है लेकिन विदेशी समीक्षकों ने फिल्म को देख भी लिया है और फिल्म का पहला रिव्यू भी दे दिया है। अब आप फिल्म तो कैसे भी देखेंगे पर पढ़ लीजिए ये रिव्यू!
बाहुबली 2 को विदेशी समीक्षकों ने फिल्म देख ली है और इसका रिव्यू भी दे दिया है। और आपका दिल टूट जाएगा लेकिन ये रिव्यू बहुत मिला जुला है। कुछ लोगों को फिल्म बहुत पसंद आई तो कुछ को फिल्म ठीक ठाक लगी है।
फिल्म बिल्कुल पुरानी फिल्मों की तरह हैं जब ये माना जाता था कि ब्लॉकबस्टर बनाने के लिए कुछ चीज़ें काफी है - हीरो, हीरोइन, गाने, विलेन, फाइट और हैप्पी एंडिंग। लेकिन राजामौली ने फिर भी इसे इतनी खूबसूरत तरीके से बनाया है कि कभी भी आप फिल्म से निराश नहीं होंगे। आप बस आंखें फाड़ फाड़ कर फिल्म देखेंगे।
थोड़े कन्फ्यूज़ करने वाले फ्लैशबैक, खराब ग्राफिक्स और राणा दग्गुबाती की ओवरएक्टिंग बाहुबली को हल्का बनाती है। लेकिन फिल्म को संभालता है प्रभास और तमन्ना का शानदार काम। एमएम कीरवानी का संगीत इतना शानदार है कि गाने अच्छे लगते हैं, भले ही वो कामुक हैं। वहीं सेंथिल के कैमरा से जंगल और रेगिस्तान भी इतना शानदार लगता है कि बस देखते रहने का मन करता है।
फिल्म को कुर्नूल, केरल और रामोजी फिल्म सिटी में शूट किया गया है और फिल्म को देखने में मज़ा आता है। कुछ सीन और फाइट शानदार है। आर्ट डायरेक्शन आपका ध्यान रोक देता है। भले ही फिल्म में कुछ खास नहीं है पर फिर भी राजामौली का निर्देशन इसे बहुत खास बनाता है।
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73bb6594d7642f8c969ecbe8545c4c6b938b8463 | विपक्ष की बैठक में हमने बैठे हुए राहुल के कंधे पर ममता की हथेली देखी । कुछ समझाते हुए ममता। राहुल का मान बढ़ रहा है। कल तक जिस राहुल का कोई मान नहीं था, आज वे चाहे अनचाहे सबकी नजरों के तारे हैं । यह कैसे हो गया। यह चमत्कार है ! जीवन में कई चीजें कई बार आपको फंसा देती हैं और कई चीजें और कई बातें ऐसी भी होती हैं जो आपको बांध देती हैं। ऐसा भी होता है कि प्रेम, करुणा, दया जैसे मूल्य आपमें चामत्कारिक रूप से परिवर्तन लाते हैं। ऐसा लगता है कि एक यात्रा ने राहुल गांधी की सारी अकड़ और हेकड़ी निकाल कर फेंक दी है। जब मुहब्बत हावी होती है तो उसकी पहली और अबूझ शर्त ही यह होती है कि या तो मैं या मेरे दुश्मन। मुहब्बत से लबरेज राहुल के पास अन्यत्र कोई चारा नहीं है। परिवर्तन होना ही था, जो हम देख रहे हैं।
मैंने राहुल गांधी को केवल राजनीति की ही नजर से नहीं देखा बल्कि पहले एक इंसान की नजर से देखा। जिसमें न भारत की कोई गहरी समझ, न राजनीति की चतुराई बल्कि हेकड़ी भरा एक लौंडापन ही ज्यादा नजर आया। उस समय राहुल गांधी का मतलब सिर्फ गांधी परिवार का होना मात्र था। आरएसएस के दिग्गज कांग्रेसियों की इसी कमजोरी से वाकिफ थे इसीलिए राहुल गांधी को 'पप्पू' के रूप में टारगेट किया जो देश भर में सफल कार्यक्रम बना। जो राहुल गांधी आज हमें बदले हुए नजर आते हैं वे उस बड़ी जमात में आज भी पप्पू ही हैं जो सोचने समझने में स्वयं से लाचार है। बहरहाल, चार हजार किमी की पैदल यात्रा ने गजब किया और सबसे ज्यादा उथले व्यक्तित्व को धोया उस नारे ने - नफरत के बाजार में मुहब्बत की दुकान। जब आप हर जगह और हर बार यह नारा दोहराएंगे तो आपको यात्रा के दौरान के वे दृश्य तो नजर आएंगे ही जो देश के हर वर्ग ने आपकी छाती से चिपट कर बनाए थे। यहीं से राहुल गांधी में लड़कपन छूटा और व्यक्तित्व व व्यवहार में स्थायित्व आया। 2019 के चुनावों में जब प्रचार के दौरान अपरिपक्व राहुल गांधी की तूती बोल रही थी तब के परिणामों से मिले झटके से पहला सबक यही था कि गांधी परिवार से अलग अध्यक्ष का चुनाव और खुद को पीछे खींचने की जिद । यह परिवर्तन का पहला कदम था, जो सराहनीय था लेकिन जो कांग्रेसियों को शायद पसंद नहीं आया था पर जो राहुल की जिद के आगे बेबस थे । वहां से विपक्ष की अब की बैठक तक राहुल गांधी हमें एक भीतर ही भीतर परिपक्व होते नेता के रूप में दिखते हैं जिसमें फालतू की अकड़ और हठीलापन काफूर है और लचीलापन मौजूद है। यह परिवर्तन कांग्रेस की बेहतर राह मुकम्मल करेगा ऐसा दिखता है। बड़ा दल होने के बावजूद खुद को पीछे करके चलना यह बड़प्पन न केवल कांग्रेस के लिए बल्कि विपक्ष की एकता के लिए जरूरी था जो राहुल और कांग्रेस ने दिखाया है। उम्मीदें इसी नीति से बंधी हैं और आगे भी जारी रहेंगी ही , ऐसा प्रतीत होता है। इस रूप में मान कर चलिए कि राहुल आज के तो नहीं लेकिन भविष्य में भारत के सफल नेता जरूर साबित होंगे। इस बात को दोहराने के बावजूद कि मैं शुरु से राहुल गांधी का कट्टर आलोचक अंत तक रहा हूं अगर यात्रा से गुल न खिलते तो शायद न जाने कब तक रहता ही ।
इस बार अभय दुबे शो इंटरनेट फेल होने की वजह से कब शुरु होकर कब खत्म हो गया पता भी नहीं चला। फिर भी जितना सुना पसंद आया। संतोष भारतीय जी बीच बीच में कुछ और वीडियो भी डालते रहते हैं। कल रात ही वीपी सिंह को याद करते हुए अखिलेंद्र प्रताप सिंह से रोचक बातचीत की । इससे पहले एक वीडियो उन्होंने मोदी की बेवकूफी भरे उद्बोधन पर किया था। मोदी का कहना था कि जब जब भारत पर आफत आई है तब तब अमरीका साथ खड़ा हुआ है। मोदी कब झूठ बोलें, कब बेवकूफी भरी बातें करें और कब किसी के लिए अपशब्द बोल दें कोई नयी बात नहीं। संतोष जी ने अमरीका की मदद वाली बात पर जो वीडियो प्रस्तुत किया वह बड़ा तार्किक था। सत्यता के लिए वह देखा जाना चाहिए।
अमिताभ श्रीवास्तव 'सिनेमा संवाद' में बड़े मौजूं विषय उठाते हैं। इस बार इमरजेंसी को विषय बनाते हुए फिल्मों पर उसके प्रभाव पर बात की । पैनल जोरदार था। लेकिन अंधविश्वासी या कहिए दक्षिण पंथ के रुझान वाले कमलेश पांडेय को इस दौर में किसी भी प्रकार से 'अघोषित इमरजेंसी' नजर नहीं आती, हैरत कर देने वाली बात लगी । एक बार पहले भी अंधविश्वास को बढ़ाने वाली बातें वे कर चुके हैं। वे हिंदी सिनेमा के बड़े राइटर हैं । ? इस पूरी बातचीत में किसी ने भी कंगना रनौत की आने वाली फिल्म 'इमरजेंसी' का जिक्र नहीं किया। वह न भी हो पर किसी ने इस ओर भी किसी ने इशारा नहीं किया कि जो फिल्में बन रही हैं वे समाज को किस तरह प्रभावित कर रही हैं । 'केरला स्टोरी' और 'कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्मों से समाज को कैसे उकसाया जाता है छः प्रबुद्ध विद्वानों ने इस दिशा में कैसी भी बात नहीं की । ये फिल्में बनाई ही इसीलिए जाती हैं। बल्कि इस दौर में खासतौर पर बनाई जा रही हैं। कंगना की 'इमरजेंसी' भी एकदम नयी पीढ़ी को प्रभावित करने वाली फिल्म है। अमिताभ के प्रयास अच्छे हैं। कम से कम रविवार को राजनीति से अलग स्वाद तो मिलता है।
'ताना बाना' इस बार बड़ा धनी कार्यक्रम था। बहस में अपूर्वानंद और ओम थानवी थे । बहस भी रोचक विषय पर थी - 'हिंदी को हिंसक कौन और क्यों बना रहा है' । इस बहस को देखिए। साथ में हिंदी यूनिवर्सिटी की अर्जुमंद आरा भी हैं।
आजकल 'नमस्कार की लंबी तान' नहीं सुनाई पड़ रही है। कानों को बड़ा सुकून है। आशुतोष विदेश में छुट्टी मना रहे हैं। वे पैनलिस्ट ही अच्छे । उनकी एवज में आशुतोष की बात शरत प्रधान अच्छा कर रहे हैं। आलोक जोशी आजकल भड़कने लगे हैं। चिढ़ाने वाले लोग तो हर जगह मिलेंगे आलोक जी। सवाल जवाब वाले कार्यक्रम में आपका अचानक तैश में आ जाना बहुत नहीं भाया। पर सत्य हिंदी में तो सभी गर्म मिजाज़ के हैं ज्यादातर। क्या आशुतोष, क्या आलोक जोशी, क्या अंबरीष। मुकेश जी भी कभी कभी चिढ़ जाते हैं। रवीश कुमार और आरफा खानम शेरवानी को जितना ट्रोल किया जाता है उतना तो शायद किसी और को ट्रोल नहीं किया जाता होगा। फिर भी उनमें 'अपेक्षित' सौम्यता है। खैर अपना अपना मिजाज़ है। हमें तो कुल मिलाकर यह चाहिए कि मोदी को 2024 में रुखसत किया जाए । बाकी बातें बाद में देखी जाएंगी। हिंदुस्तान दसों दिशाओं से न केवल बरबाद हो रहा है बल्कि जीवन निकृष्ट होता जा रहा है।
राहुल और लचीलापन, क्या मायने हैं इसके .... .
विपक्ष की बैठक में हमने बैठे हुए राहुल के कंधे पर ममता की हथेली देखी । कुछ समझाते हुए ममता। राहुल का मान बढ़ रहा है। कल तक जिस राहुल का कोई मान नहीं था, आज वे चाहे अनचाहे सबकी नजरों के तारे हैं । यह कैसे हो गया। यह चमत्कार है ! जीवन में कई चीजें कई बार आपको फंसा देती हैं और कई चीजें और कई बातें ऐसी भी होती हैं जो आपको बांध देती हैं। ऐसा भी होता है कि प्रेम, करुणा, दया जैसे मूल्य आपमें चामत्कारिक रूप से परिवर्तन लाते हैं। ऐसा लगता है कि एक यात्रा ने राहुल गांधी की सारी अकड़ और हेकड़ी निकाल कर फेंक दी है। जब मुहब्बत हावी होती है तो उसकी पहली और अबूझ शर्त ही यह होती है कि या तो मैं या मेरे दुश्मन। मुहब्बत से लबरेज राहुल के पास अन्यत्र कोई चारा नहीं है। परिवर्तन होना ही था, जो हम देख रहे हैं।
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11d238bd9ded0c5e440daa8d126a9947057b56ac | ग्वालियर। शहर के जिस शासकीय गोरखी स्कूल ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व को गढ़ा और निखारा, अब वहीं उनसे जुड़ी यादों को आकार दिया गया है। ग्वालियर स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कार्पोरेशन ने इस स्कूल में अटल संग्रहालय तैयार हो चुका है। लगभग सात करोड़ रुपये की इस परियोजना में स्कूल भवन के जीर्णोद्धार के साथ ही संग्रहालय की छह गैलरियां तैयार की गई हैं। इनमें अटल जी के जीवन से जुड़ी विशेष तस्वीरों के साथ ही उनके द्वारा उपयोग की गईं शेविंग किट, तौलिया जैसी निजी वस्तुओं को भी प्रदर्शित किया गया है। अटलजी ने गोरखी स्कूल में 1935 से 1938 तक कक्षा छह से आठवीं तक अध्ययन किया था।
महाराज बाड़ा स्थित गोरखी स्कूल में तैयार अटल संग्रहालय तैयार हो चुका है। 25 दिसम्बर को अटल संग्रहालय के साथ-साथ डिजिटल संग्रहालय भी सौलानियों के लिए निःशुल्क रहेगा। शहर के अलग-अलग लोगों ने अटलजी द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली निजी वस्तुओं सहित उनसे जुड़ी स्मतृियों को स्मार्ट सिटी के अधिकारियों के सुपुर्द किया था। इन वस्तुओं को संग्रहालय की गैलरी में प्रदर्शन के लिए रखा गया है। इसमें ग्वालियर सहित दिल्ली व अन्य प्रदेशों में भी लगातार लोगों को अटलजी से जुड़ी वस्तुओं को संग्रहालय के लिए दान किया है।
टाइमलाइनः इसमें अटलजी के वर्ष 1924 से लेकर 2016 तक के जीवन के निजी फोटो प्रदर्शित किए गए हैं।
कविता व साहित्यः इसमें अटलजी की हस्तलिखित कविताओं के साथ ही धातुपत्र व ताम्रपत्र पर लिखवाई गई रचनाएं प्रदर्शित की गई हैं।
पुस्तकेंः इसमें अटलजी द्वारा लिखी गई पुस्तकों को प्रदर्शित किया गया है।
अटल फैमिली ट्री- इसमें अटलजी के स्वयं के एवं उनके नाते-रिश्तेदारों के साथ के पुराने फोटोग्राफ प्रदर्शित किए गए हैं।
डार्करूमः इसमें अटलजी के राजनैतिक जीवन को प्रदर्शित किया गया है, जिसमें उनके अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों के साथ के फोटो प्रदर्शित किए गए हैं।
पोखरण 2. 0: इसमें पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षण सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़ी अटलजी की स्मृतियों को दर्शाया गया है।
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63ae8ff08548ae2828dd43bb36563800e320fde11882eebfa7e7636a87ed1080 | शान्ति संस्थापक के रूप में राष्ट्रसंघ
यह एक दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि महत्वपूर्ण कामों में और बडे-बडे राष्ट्रों के विवादों में राष्ट्रसंघ को कोई सफलता नहीं प्राप्त हो सकी । झगड़ा का शान्तिपूर्ण समाधान निकाल कर युद्ध को रोकना राष्ट्रसंघ का एक प्रमुख काम था; लेकिन इस काम में राष्ट्रसंघ असफल रहा। पर यदि राष्ट्रसंघ की महत्त्वपूर्ण विवादों में सफलता नहीं मिली तो इसका अर्थ यह नहीं कि वह पूर्णतया असफल रहा। छोटे-छोटे राज्यों के झगडों को सुलझाने में राष्ट्रसंघ काफी सफल रहा और अपनी बीस वर्ष की छोटी-सी बधि में इसमें चालिम छोटे-बड़े राजनीतिक झगडों की जाँच करके थपना निर्णय दिया। समझौता, मध्यस्थता तथा अनुरोध के रास्ते को अपनाकर राष्ट्रसंघ कुछ छोटे-छोटे झगड़ों को तय करने में सफलीभूत रहा। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र में यह एक उत्साहवर्द्धक लक्षण था।
आलैण्ड विवाद : - राष्ट्रसंघ के सामने सबसे पहले जो अन्तर्राष्ट्रीय विवाद आया वह यालैंड द्वीपों से सम्बन्धित था। लगभग ३०० द्वीपों का यह समूह, जिसकी आवादी १९३० में २७००० थी, स्वेडन थोर फिनलैंड के बीच में स्थित है। प्रारम्भ में यह स्वेडन के कब्जे में था। नेपोलियन के युद्धों के समय (१८८०८६) यह फिनलैंड के साथ-साथ रूसी साम्राज्य के अन्तर्गत चला गया। उस समय से रूसी क्रांति (१९१७) तक फिनलैंड द्वीप समूहों को एक इकाई मानकर रूस का शासन चलता रहा। १६१७ में फिनलैंड स्वतन्त्र हो गया। आलैंड भी उसी के अन्दर रह गया। पर यालैंड के निवासी स्वेडिश थे और राष्ट्रीयता का सिद्धान्त के आधार पर वे स्वायत शासन तथा स्वेडन के साथ मिलने की मांग करने लगे। इसके लिए उनलोगों ने जवरदस्त के आन्दोलन खड़ा किया। फिनलैंड ने आन्दोलन को दवाना शुरू किया। प्रतिक्रियास्वरूप स्वेडन में फिनलैंड के दमन के विरुद्ध घोर विरोध शुरू हुआ। स्वेडन युद्ध की तैयारी करने लगा। उस समय फिनलैंड राष्ट्रमंघ का सदस्य नहीं था । इस मौके पर ब्रिटेन ने राष्ट्र विधान की ११ वी धारा के अन्तर्गत राष्ट्रसंघ का ध्यान इस विवाद की थोर याकृष्ट किया। जुलाई १६२० में यह मामला राष्ट्रसंघ कौमिल के सामने आया। दोनों देशों के प्रतिनिधि कौंमिल के सामने उपस्थित हुए और अपने-अपने विचार प्रकट किये। कौंसिल ने क्षेत्राधिकार के सम्बन्ध में कानून-विशेषठों से परामर्श लिया और फिर एक समिति की नियुक्ति की जिसका काम विवादग्रस्त क्षेत्रों का भ्रमण करके तथ्यों का पता लगाना था। समिति की रिपोर्ट के आधार पर कौंसिल ने २४ जून, १९२१ को निम्नलिखित फेसले दिये - (१) आलैंड द्वीप समूह पर फिनलैंड की प्रभुसवा कायम रहे, (२) आलेंडवासियों की स्वायचता तथा उसके राजनीतिक अधिकारों की रक्षा की गारन्टी दी जाय, (३) उन्हें निजी सम्पत्ति तथा स्वेडिश भाषा का प्रयोग करने का अधिकार मिले, तथा (४) थालैंड का तटस्थीकरण और व्यसैनिककरण हो जाय । ६ अप्रैल, १६२२ को यालैंड द्वीपसमूह को तटस्थीकरण कर दिया और इस तरह प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय विवाद, जो राष्ट्रसंघ के सामने आया, उसका फेमला सर्वमान्य ढंग से हो गया ।
विलना विवाद :- विलना लिथुएनिया की प्राचीन राजधानी और उसकी संस्कृति का केन्द्र था। वर्साय-सधि के द्वारा यह प्रदेश लिथुएनिया को सौंप दिया गया था। १९२० में वोत्शेविको ने विलना पर कब्जा कर लिया। १२ जुलाई, १६२० को सोवियत रूस और | pdf |
87bb54dd45115783d2eb31e88d7db34e0b52ae40 | ।ग्राम क्रमांक :
।ग्राम का नाम :
।तहसील :
।जनपद :
।फसली वर्ष :
।भाग :
।प्रत्येक गाटे का क्षेत्रफल (हे.)
।1 - ऐसी भूमि, जिसमें सरकार अथवा गाँवसभा या अन्य स्थानीय अधिकारिकी जिसे1950 ई. के उ. प्र. ज. वि.एवं भू. व्य. अधि.की धारा 117 - क के अधीन भूमि का प्रबन्ध सौंपा गया हो , खेती करता हो । ( नदारद )
।1क(क) - रिक्त ( नदारद )
।1-ख - ऐसी भूमि जो गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट केअन्तर्गत व्यक्तियों के पास हो । ( नदारद )
।2 - भूमि जो असंक्रमणीय भूमिधरो केअधिकार में हो।
।3 - भूमि जो असामियों के अध्यासन या अधिकारमें हो। ( नदारद )
।4 - भूमि जो उस दशा में बिना आगम केअध्यासीनों के अधिकार में हो जब खसरेके स्तम्भ 4 में पहले से ही किसी व्यक्तिका नाम अभिलिखित न हो। ( नदारद )
।4-क - उ.प्र. अधिकतम जोत सीमा आरोपण.अधि.अन्तर्गत अर्जित की गई अतिरिक्त भूमि -(क)जो उ.प्र.जोत सी.आ.अ.के उपबन्धो केअधीन किसी अन्तरिम अवधि के लिये किसी पट्टेदार द्वारा रखी गयी हो । ( नदारद )
।4-क(ख) - अन्य भूमि । ( नदारद )
।5-1 - कृषि योग्य भूमि - नई परती (परतीजदीद)
।5-2 - कृषि योग्य भूमि - पुरानी परती (परतीकदीम) ( नदारद )
।5-3-क - कृषि योग्य बंजर - इमारती लकड़ी केवन। ( नदारद )
।5-3-ख - कृषि योग्य बंजर - ऐसे वन जिसमें अन्यप्रकर के वृक्ष,झाडि़यों के झुन्ड,झाडि़याँ इत्यादि हों। ( नदारद )
।5-3-ग - कृषि योग्य बंजर - स्थाई पशुचर भूमि तथा अन्य चराई की भूमियाँ । ( नदारद )
।5-3-घ - कृषि योग्य बंजर - छप्पर छाने की घास तथा बाँस की कोठियाँ । ( नदारद )
।5-3-ङ - अन्य कृषि योग्य बंजर भूमि।
।5-क (क) - वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यत्ाा) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - कृषि हेतु ( नदारद )
।5-क (ख) - वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यत्ाा) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - आबादी हेतु ( नदारद )
।5-क (ग) - वन भूमि जिस पर अनु.जन. व अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यत्ाा) अधि. - 2006 के अन्तर्गत वनाधिकार दिये गये हों - सामुदायिक वनाधिकार हेतु ( नदारद )
।6-1 - अकृषिक भूमि - जलमग्न भूमि ।
।6-2 - अकृषिक भूमि - स्थल, सड़कें, रेलवे,भवन और ऐसी दूसरी भूमियां जोअकृषित उपयोगों के काम में लायी जाती हो।
।6-3 - कब्रिस्तान और श्मशान (मरघट) , ऐसेकब्रस्तानों और श्मशानों को छोड़ करजो खातेदारों की भूमि या आबादी क्षेत्र में स्थित हो।
।6-4 - जो अन्य कारणों से अकृषित हो । ( नदारद )
।यह खतौनी इलेक्ट्रोनिक डिलीवरी सिस्टम द्वारा तैयार की गयी है तथा डाटा डिजीटल हस्ताक्षर द्वारा हस्ताक्षरित है।
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1141496940d47092851e0c27e0fa4cb6395a23af | हवाईः आपने सलमान खान द्वारा किया गया थम्सअप का 'आज कुछ तूफानी करते हैं' एड तो देखा ही होगा जिसमें वे थम्सअप के लिए बाइक लेकर कभी पहाड़ों से कूदते दिखाई देते हैं तो कभी समुंद्र के अन्दर जाते दिखाई देते हैं लेकिन हम आपको एक ऐसे एडवेंचर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको सुनकर आप wow कहेंगे और आपकी सांसे भी थम जायेगी। दरअसल, हाल ही में एक लड़की का ऐसा वीडियो सामने आया है जिसमें वे एडवेंचर्स की हदें पार कर गई।
मिली जानकारी के अनुसार, ऐलिसन टील नाम की महिला ने हवाई में सक्रिय ज्वालामुखी 'कीलाऊ' के बहते हुए लावा के पास बिकिनी पहन कर सर्फिंग की। 30 साल की ऐलिसन टील ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि ये मेरी जिंदगी का सपना था।
वो कहती है कि कहा कि जब मैंने पीछे पलट कर देखा तो एक लहर मेरी तरफ आ रही था। मैं अपनी जान बचाने के लिए उस खतरनाक जगह से जल्दी-जल्दी तैरकर पार किया। मैं एक ही वक्त पर बहुत उत्साहित और डरी हुई थी। उस दिन कुछ भी हो सकता था।
उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। youtube पर भी इस वीडियो को खूब पसंद किया जा रहा है। इस वीडियो को अपलोड हुए अभी दो दिन भी नहीं हुए हैं कि इस वीडियो को लाखों लोग देख चुके हैं।
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b314e45dcdf33589de2e565736b1d6d6139e7371 | 4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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ce92af650b985725799a25e03e508fa7eb8b90b36af0a7233ffccc025e04afd7 | माध्यम से एक कार्य प्रणाली को वर्गीकृत किया जा सकता है क्योंकि इसके बीच अपेक्षाकृत उच्च मनोबल है और यह मानव विषयों के बीच अपेक्षाकृत उच्च स्तर की नौकरी की संतुष्टि है। आप यह भी देख सकते हैं कि दूसरी तरफ क्या होता है, जब कार्य या कम मनोबल के साथ सामान्य असंतोष होता है तो हस्ताक्षर क्या जुड़े होते हैं। तो, वे बहुत कम उत्पादकता और उच्च लागत हो सकते हैं जो इंगित करता है कि लोग वास्तव में काम करने या कुछ करने के बारे में खुश नहीं हैं। उत्पादों और सेवाओं की खराब गुणवत्ता यह फिर से एक और बहुत ही दिलचस्प है जिसे आप नौकरी असंतोष का संकेत जानते हैं, या चोट दर या दुर्घटना दर आमतौर पर बढ़ सकती है क्योंकि वे खुश नहीं हैं। इसलिए, वे अपने मन की अच्छी स्थिति में नहीं होंगे और वे कुछ ऐसा करेंगे जो गैरअनुपालन है।
और वे कुछ ऐसा करेंगे जो असुरक्षित है और इससे उच्च स्तर की चोटें या दुर्घटनाएँ हो सकती हैं। आम तौर पर गरीब हाउसकीपिंग (housekeeping) हो सकती है, सभी सामग्री हैंडलिंग (handling) मुद्दों को सही समय पर उपलब्ध नहीं होती है क्योंकि वे कहीं रखे जाते हैं और उस समय का पता नहीं लगाया जा सकता है जब उन्हें जरूरत होती है। तो, ये सभी संकेतक आम तौर पर असंतुष्ट हैं या उनके पास एक निश्चित कार्य संरचना में काम करने का कम मनोबल है। इसके अलावा कभी-कभी जीवन और अंग कानून सहित कंपनी (company) की संपत्ति में तोड़फोड़ के मामले भी हो सकते हैं क्योंकि इस तरह की तोड़फोड़ से लोग चीजों को जला सकते हैं या लोग नाराज़ हो सकते हैं या प्रशासन में लोगों को भीड़ सकते हैं ताकि फिर से मानव विषयों के बीच उच्च असंतोष का संकेत हो । जानते हैं, कार्य प्रणाली से जुड़े। समय-समय पर उच्च श्रम कारोबार या उच्च अनुपस्थिति हो सकती है। बस कार्य प्रणाली के कामकाज के पीछे समग्र नियमित प्रक्रियाओं को खतरे में डालना जो फिर से संकेतक भी हो सकते हैं ।
तो, ये कुछ हस्ताक्षर हैं जो यह इंगित करते हैं कि क्या लोग आमतौर पर संतुष्ट हैं या आम तौर पर एक निश्चित नौकरी के बारे में असंतुष्ट हैं जो वे प्रदर्शन कर रहे हैं। दूसरा मुद्दा जिसका मैं उल्लेख करना चाहूँगा वह है नौकरी विशेषज्ञता । और वास्तव में, यह एक संगठनात्मक सिद्धांत के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है जहां आप देखेंगे कि कुछ कार्यकर्ता हैं जो सीमित कार्यों में
विशेषज्ञता प्राप्त करेंगे।
(स्लाइड (slide) समय देखेंः 08:19 )
Job Specialization
Important organization principle in which workers specialize in a limited range of tasks
• Work content is simple, task time is short
• High efficiency and productivity
Often viewed negatively by workers because tasks tend to be routine, boring, unappealing, and unrewarding
Alternatives to job specialization:
• Job enlargement and job enrichment • Job rotation_
और आम तौर पर फिर से विशेषज्ञता यदि आप संगठन के डिज़ाइन (design) या संरचनात्मक डिज़ाइन (design) के सिद्धांतों को देखते हैं, तो मुझे लगता है कि मैंने इसे कुछ व्याख्यान पहले ही सचित्र कर दिया था। नौकरी की विशेषज्ञता भी एक संगठन संरचना बनाने का एक आधार हो सकती है। आप एक निश्चित अंतिम लक्ष्य या कार्य प्रणाली से जुड़े कार्य के एक निश्चित भाग के लिए समान कौशल सेट (set) या समाजीकरण वाले लोगों को एक साथ समूहित करते हैं।
इसलिए, जब हम नौकरी विशेषज्ञताओं के बारे में बात करते हैं, तो हमें यह पहचानना होगा कि कार्य सामग्री सरल कार्य समय कम है और इसका परिणाम उच्च दक्षता और उत्पादकता में हो सकता है यदि हम कार्य को वर्गीकृत या वर्गीकृत करने के सिद्धांत के रूप में नौकरी विशेषज्ञता का उपयोग करना चाहते हैं। समूहों में। तो, यह नहीं है कि यह अपनी कमियों है; हालांकि, ऐसा नहीं है कि विभिन्न कार्यों में मैन (man) पावर (power) के स्पेशलाइजेशन (specialization) आधारित आवंटन से हमेशा उच्च स्तर की उत्पादकता या दक्षता प्राप्त होती है, क्योंकि इसे हमेशा कुछ श्रमिकों द्वारा नकारात्मक रूप से देखा जा सकता है, जो कहते हैं कि कुछ विशिष्ट जो आपके साथ एक अच्छा संबंध रखते हैं, जानते हैं उच्चतर प्रशासनिक नियंत्रकों के साथ अच्छे संबंध से विशेषज्ञता के आधार पर आसानी से काम मिल जाएगा।
इसलिए, विशेषज्ञता को नकारात्मक रूप से व्यक्त किया जाता है और इसे कुछ चीजों के रूप में देखा जाता है, जो कि व्यक्तियों के समूह के पक्ष में दिया जाता है, यह कहकर कि वे विशेष हैं, इसलिए वे इस तरह के कार्य कर रहे हैं। इसलिए, और फिर विशेषज्ञता के पास कुछ अन्य
कमियाँ भी हैं, अगर यह बहुत विशिष्ट है और संगठन संरचना को विशेषज्ञता के सिद्धांत पर डिज़ाइन (design) किया गया है, तो बहुत अधिक रोज़गार नहीं हो सकते हैं। इसलिए, यदि एक निश्चित कार्यकर्ता या एक मानव विषय को कहने या ऑटोमोटिव (automotive) में पेंट (paint) लगाने में विशेषज्ञता प्राप्त है, तो वह आवश्यक रूप से भागों या घटकों की मरम्मत में एक अच्छा फिट (fit) नहीं हो सकता है। इसलिए, सबसे अधिक जो कुछ कर सकता है, वह इस व्यक्ति को पेंट (paint) की मरम्मत के मुद्दों, या पोस्ट (post) असेंबली (assembly) दोषों से संबंधित मुद्दों के तनाव को हल कर सकता है जो पेंटेरा के छिलके के कारण उत्पन्न होते हैं। लेकिन फिर विधानसभा या वेल्ड (weld) संरचनाओं में पेंट (paint) से पूरी तरह से डोमेन (domain) बदलना बहुत अच्छा विचार नहीं हो सकता है।
इसलिए, कभी-कभी यह बहुत नियमित हो जाता है कि आप जानते हैं कि कोई व्यक्ति या कार्यकर्ता क्या कर रहा है; दिनचर्या निश्चित रूप से अपील की ऊब में कमी लाती है। और फिर यह भी कि यदि नौकरियाँ अत्यधिक विशिष्ट हैं और वे एक क्रिस्क्रॉस (crisscross) खिलाड़ी के लिए सक्षम नहीं हैं, तो यह हमेशा एक ऐसी स्थिति में परिणाम होता है जहां आप इनाम नहीं दे सकते हैं, क्योंकि कुछ ऐसे लोगों के एक निश्चित समूह के लिए योजना बनाई गई है जो एक निश्चित क्षेत्र में विशिष्ट हैं। एक प्रणाली द्वारा उत्पन्न कार्य की आवश्यकता पर उन्हें काम करने के लिए आरंभ किया जाएगा। इसलिए, अगर उस क्षेत्र में आम तौर पर काम नियमित होता है, तो उच्च उत्पादकता या उच्च दक्षता का कोई सवाल ही नहीं था, क्योंकि सब कुछ एक संतुलन में है। और इसलिए, प्रक्रिया में शायद ही कोई कमी हो और सब कुछ बहुत, बहुत नियमित या मानक प्रतीत होता हो; हालाँकि, अगर कोई ऐसा मामला है जहाँ निश्चित रूप से किसी विशेष उत्पाद के कुछ क्षेत्र में कोई चुनौती है या हमें ऐसा संगठन कहना चाहिए जहाँ मैन (man) पावर (power) को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है।
और कुछ लोगों को काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और वे इस विशेषज्ञता डोमेन (domain) को दूसरे क्षेत्र में जाने के लिए छोड़ देते हैं और फिर काम करते हैं जो निश्चित रूप से बहुत उत्पादक और कुशल कर्मचारी माना जाता है। तो, ये संगठनात्मक सिद्धांत, संरचना सिद्धांत के रूप में नौकरी विशेषज्ञता से जुड़े कुछ नकारात्मक संबंध हैं। और इसलिए, वहाँ कुछ विकल्प हैं जो नौकरी विशेषज्ञता के लिए हैं। उदाहरण के लिए, कोई नौकरी में इज़ाफा कर सकता है, और मैं निम्नलिखित स्लाइड्स में व्यक्तिगत रूप से इन विषयों का इलाज करने जा रहा हूं। किसी को निर्णय लेने के कुछ स्तर देकर आप लोगों की नौकरी को समृद्ध कर सकते हैं, एक वाहन के असेंबली (assembly) लाइन (line) पर हमें एक निश्चित घटक के फिट (fit) होने के साथ जुड़े कार्य करने के लिए कहते हैं, और एक कार्यकर्ता के रूप में आप जानते हैं कि इस विधानसभा में है लचीली प्रणाली जहां कई मॉडल होते हैं, और एक मिश्रण मॉडल का उत्पादन होता है।
तो, हो सकता है कि आपके पास सामग्री के नियोजन से संबंधित निर्णय हो सकता है, जो
आपके कार्य केंद्र में और आपके कार्य केंद्र के माध्यम से वाहन के लिए अग्रिम में विभिन्न मॉडलों (models) के लिए होगा। इसलिए, यदि आप जानते हैं कि आज की विशेष पारी में 30 अलग-अलग वेरिएंट (variant) होंगे, तो ऑपरेटर (operator) को मीटर (meter) के पास सामग्री की उपलब्धता पर ध्यान देना बेहतर होगा और योजना बना सकते हैं कि इन वाहनों में विभिन्न प्रकार के तीस अलग-अलग घटक फिट (fit) किए जा रहे हैं । और यदि आप पारी की शुरुआत में सोचते हैं कि आपको लगता है कि वे सामग्री उपलब्ध नहीं हैं, तो वह हमेशा अपनी छाप देने के लिए एक अलार्म (alarm) उठा सकता है कि हां मुझे एक निश्चित प्रकार की नौकरी के लिए एक निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए। इसलिए, आप मूल रूप से अधिक जिम्मेदारियां मान रहे हैं ताकि यह प्रणाली सुचारु रूप से चले, और यह कार्यकर्ता को फिर से प्रेरित करने का सवाल हो सकता है, यह फिर से कार्यकर्ता को पुरस्कृत करने का प्रश्न हो सकता है यदि इस तरह की समस्याएं नियमित आधार पर होती हैं।
तो, आप अधिक से अधिक जिम्मेदारियों को देने या गुल्लक द्वारा ऊर्ध्वाधर स्तर पर नौकरी को समृद्ध कर रहे हैं। एक व्यक्ति जो एक उत्पाद की जांच के बाद असेंबली ( assembly) लाइन (line) पर एक ऑपरेटर (operator) होता है और एक चीज के बारे में निरीक्षण करता है जो उसने किया है और एक रिकॉर्ड (record) का रखरखाव करता है यह एक अतिरिक्त कर्तव्य है जिसे वह उस कार्य में अपनी नौकरी के संवर्धन के संदर्भ में मान रहा है जो वह है अन्यथा बाहर ले जाने, कुछ संगठन और कुछ मामलों में उद्योग के साथ उपलब्ध कठोर गुणवत्ता मानदंडों के कारण, लोगों को विभिन्न प्रकार के कार्यों में इस तरह के संवर्धन रणनीति पर ध्यान दिया जाएगा जो आपको तर्क करने और छह सिग्मा आधारित नियंत्रणों की प्रक्रिया में जाने में मदद करेंगे। उच्च गुणवत्ता।
इसलिए, निश्चित रूप से, लोगों को विभिन्न विशिष्टताओं में घुमाने का एक और विकल्प हो सकता है। तो, यहाँ प्रशिक्षण का सवाल है और मानव कारणों से जुड़े सीखने की अवस्था का सवाल है। क्योंकि जाहिर है, अगर एक इंसान को एक निश्चित कार्य करने के लिए विशेष किया जाता है, और वह मान लेता है कि वह कार्य को बदल देता है और उसे फिर से पूरी दक्षता से एक अलग कार्य करना है। इसलिए, सभी लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए नहीं है कि लोगों को आपके बारे में जानने के लिए, भिन्न सीखने की प्रतिक्रियाएँ या सीखने की अवस्था हो सकती है और एक बार जिनके पास तेजी से प्रतिक्रियाएँ होती हैं, वे ऐसे रोटेशन (rotation) के लिए अधिक अपनाने योग्य हो सकते हैं, जो उनके सीखने के संदर्भ में कम हैं। क्षमताओं। तो, इसलिए, स्क्रीनिंग (screening) का सवाल है कि हर किसी को घुमाया नहीं जा सकता, लेकिन कुछ को घुमाया जा सकता है। लेकिन तब आप जॉब (job) स्पेशलाइजेशन (specialization) के क्षेत्र से बाहर निकलते हैं, जब आप जॉब (job) इज़ाफा जॉब (job) संवर्धन और जॉब (job) रोटेशन (rotation) की ऐसी रणनीति पेश करते हैं। तो आइए हम व्यक्तिगत रूप से देखें कि उनका क्या मतलब है।
(स्लाइड (slide) समय देखेंः 15:25 )
Job Enlargement and Job Enrichment
Job enlargement - horizontal increase in the number of activities included in the work, but the activities
are still of the same type or level
Example: worker assembles entire product module rather than just three parts in the module
Job enrichment - vertical increase in work content, so that scope of responsibility is increased
Example: worker plans, sets up, produces, and inspects parts rather than just produces
इसलिए, जैसा कि मैंने आपको बताया था कि नौकरी में वृद्धि का मतलब आमतौर पर काम में शामिल गतिविधियों की संख्या में क्षैतिज वृद्धि होगी। लेकिन गतिविधियाँ अभी भी उसी प्रकार के स्तर के हैं उदाहरण के लिए, कार्यकर्ता केवल एक घटक या एक भाग को उत्पाद मॉड्यूल (module) में इकट्ठा करने के बजाय, वह उन सभी घटकों को इकट्ठा करने के लिए जिम्मेदार है जो एक निश्चित मॉड्यूल (module) में हैं। इसलिए, एक तरह से वह कार्यों का एक विस्तारित सेट (set) प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वह उस निश्चित विधानसभा के पीछे जिम्मेदार हो रहा है जिसे वह एक निश्चित उत्पाद के लिए बना रहा है। इसलिए, एक बार नौकरी मॉड्यूल (module) को बढ़ाकर उन्हें वह सम्मान या आदेश दें या हमें बताएं कि आप उस उत्पाद के पीछे एक स्वामित्व जानते हैं जो वह पैदा कर रहा है। तो, नौकरी में इज़ाफा आम तौर पर उस उद्देश्य से किया जाता है; जाहिर है, एक समय वितरण होने जा रहा है ऐसा नहीं है कि अगर कार्यकर्ता को उपलब्ध कुल समय एक्स (X) है तो आप उसे कुछ ऐसा दे सकते हैं जो 2 एक्स (X) या 3 एक्स (X) है।
तो, यह समय संतुलित होना चाहिए। लेकिन फिर आप उसे विभिन्न स्तरों पर हिस्सेदारी दे सकते हैं, जहां उसे लगता है कि वह क्या कर रहा है, उसी समय सीमा के भीतर उसे ऐसा लगता है कि वह ऐसा कर रहा है ताकि नौकरी में इज़ाफा हो, वह नौकरी में वृद्धि कर सकता है, जो ऊर्ध्वाधर वृद्धि के बारे में है। कार्य सामग्री मुझे लगता है कि मैंने इस क्षेत्र के बारे में पर्याप्त उल्लेख किया है। कार्य उपकरण वह पर्याप्त मशीनरी (machinery) सेट (set) करता है वह आपको निरीक्षण करता है कि आप जानते हैं, उसके मूल कार्य से जुड़ी ये सभी चीजें उपांग हैं जिनके लिए
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5858d8459aeceef69801777a7858761fa954fc42fb256c2ce7e885343d509dc7 | रोधी (Suppressive) चिकित्सा कहते हैं । (ख) क्लोरोकीन (Chloroquine diphosphate nivaquin M, B, Resochin 'Br') की ग्रा. ००१५ की ३ गोली प्रति सप्ताह दी जाती है । ( ग ) कीनीन ( 9 ) ग्रे. १ ए. याद्वि. प्र. दि. देना चाहिये । (घ ) पैलुड्रीन ( Paludrin ) ग्रा. ० १ की १ गो. प्र. दि. या द्वि. प्र. स. या ग्रा. ० ३ की गो. १ प्र. स. दी जाती है । (ड) प्लास्मोकीन ( Plasmoquine ) अत्यधिक विषाक्त है और इस कार्य के लिये प्रयोग नहीं करना चाहिये । पामाकीन ( Pamaquin ) ग्रॅ. े - 3 प्र. दि. दी जाती है ।
हृ उ
(३) विषम ज्वर के जीवाणु (M.P.) नष्ट करने के लिये तथा उनका स्वस्थ मनुष्यके शरीरमे प्रवेश रोकनेके लिये रोगी तथा संवाहक ( Carriers ) को पृथक कर मसहरीमे सुलाना चाहिये । औषधि द्वारा इनकी उपयुक्त चिकित्सा करनी चाहिये तथा इनके शरीर मे जीवाणुग्रो का नाश करना चाहिये । इसके लिये पामाकीन ( Pamaquine ), पैलू ड्रीन (Paludrin ) तथा •प्लास्मोकीन (Plasmoquine ) का प्रयोग करना चाहिये । विषम ज्वर से पीड़ित जनसमुदाय मे रोग की स्थिति जानने के लिये बालको की प्लीहावृद्धि का पता लगाया जाता है । इसको प्लैहिक देपणा ( Splenic index ) कहते हैं । इसी प्रकार मलेरिया के जीवाणु का प्रकोप समझने के लिये प्रत्येक व्यक्ति की रक्त परीक्षा की जाती है, इसको परोपजीवी देषणा (Parasite index ) कहते है । मच्छरो की लालाग्रथि (Salivary glands ) मे विषम उवर के जीवाणु का पता लगाया जाता है । इसको जीवाणु देशणा (Sporozoite index ) कहते हैं । इन तीनो परीक्षाओं के ज्ञान से मरक की वास्तविक स्थिति का ज्ञान होता है और पता चलता है कि शहर के किस भाग मे मलेरिया का प्रकोप अधिक है । जिस भाग मे रोग का प्रकोप अधिक हो उस भाग के लोगो को बराबर मलेरिया के जीवाणुओं को नाश करने वाली औौषधियों देना चाहिये । इसी प्रकार जब किसी मलेरिया से ग्राकान्त स्थान मे अधिक संख्या में नवागन्तुको को कुछ मास निवास करना हो तब नवागन्तुको को बराबर ये औौषधियाँ देते रहना चाहिये । इस विधि का प्रयोग विशेष कर युद्ध के समय सैनिकों मे तथा नवनिर्माण के लिये एकत्रित मजदूरो मे किया जाता है । नागरिको के आर्थिक स्तर में उन्नति करना भी लाभप्रद है ।
( ख ) चिकित्सा :- मलेरिया के रोगी की चिकित्सा मे क्कोनीन (Q )
का सर्व प्रथम स्थान है । इस रोग की यह सर्वोत्तम औषधि है। उपयुक्त मात्रा में ५ दिन इस श्रौपाध का प्रयोग करने से सब प्रकार के मलेरिया का शमन होना अनिवार्य है। विषम ज्वर की संभावना रहने पर रोग की विशिष्ट श्रौषधि प्रारम्भ कर देनी चाहिये । औषधि प्रारम्भ करने के लिये ज्वर का प्राकृत होना आवश्यक नहीं है । रोग की साधारण अवस्था में क्वीनीन का मुख मार्ग से प्रयोग करना चाहिये । यदि वमन, सन्यास
( Coma ) ग्रादि के कारण रोगी मुख से औषधि न ले सके या रोगी की गभीर हो तब पेशीमार्ग ( I. M. ) से इन्जेक्शन लगा सकते हैं अन्यथा इन्जेक्शन का विशेष महत्व नहीं है और यह मार्ग सर्वदा हानिकारक होता है । सिरामार्ग से इंजेक्शन अत्यन्त हानिकारक हो सकता है और । यथासभव इस मार्ग का प्रयोग नहीं करना चाहिए । गभीर अवस्था मे ही सिरामार्ग का प्रयोग करना चाहिये । हृत्पेशोशोथ (Myocarditis) मे क्वीनीन का इन्जेक्शन विशेषरूप से हानिकर है। गर्भावस्था तथा रोगी की प्रत्यात्मक प्रकृति ( Idiosyncrasy ) में कीनीन का प्रयोग निषिद्ध है । इसकी विषाक्तता ( Cinchonism ) के कारण सिर में दर्द, चक्कर कान मे ग्रावाज, वमन, विस्फोट (Rash), पतले दस्त, श्वास लेने मे कष्ट, आदि लक्षण होते है । मध्यकर्ण ( Middle ear ) में विकृति रहने पर रोगी बहरा हो सकता है। देखनेम भी विकृति हो सकती है। यह
ग्रे. ६ की मात्रा मे त्रि. प्र. दि. दी जाती है । इससे अधिक मात्रा मे देने से औषधि के प्रभाव में वृद्धि नही होती । साधारणतः ज्वर उतरते समय या चढने मे के पूर्व इसको देना है । क्वीनीन की मात्रा ( यो ४ ) देने के एक घटा पूर्व क्षारीय घोल ( यो. १ ) देना अच्छा है । रोग के पुनरावर्तन (Relapse) पर कीनीन का विशेष प्रभाव है । प्रारम्भ मे इसको सात दिन देकर सात दिन के लिये चन्द कर देना चाहिये । लगातार कानान देने से रोगी के शरीर में रोगक्षमता ( Immunity ) नहीं बन पाती और औषधि बन्द करने पर ज्वर के पुनरागमन की संभावना रहती है। राग की तो अवस्था में इसको अकेला ही देना अच्छा है देना अच्छा है । ज्वर के समय तथा ज्वर प्राकृत होने के दो दिन पश्चात तक इसको त्रि. प्र. दि. देना चाहिये, तत्पश्चात् द्वि.प्र. दि. भो.प. देना चाहिये । इस प्रकार ७ दिन श्रौपाध देने के पश्चात् ७ दि. बन्द रखना चाहिये तत्पश्चात पुनः ७ दिन तक द्वि. प्र. दि. भो. प. औषधि देकर एक सप्ताह बन्द
कर देना चाहिये तदुपरात एक सप्ताह तक सोने के पूर्व एक बार प्र. दि. औषधि देना चाहिये । इस औषधि की गालियों का प्रायः प्रचूपण नहीं होता और वे मल द्वारा शरीर से निकल जाती हैं। कैप्सूल में रखकर औषधि देने से उसका प्रचूपण भी होता है और पधि का स्वाद भी प्रतीत नहीं होता । साधारणतः कीनीनखल्फ का ही प्रयोग किया जाता है परन्तु क्वीनीन बर्दास्त न होने पर क्वीनीनहाइड्रोब्रोम (Q. hydrobrom) देना चाहिये। क्वीनीन देने के पूर्व कैलसियम, ( Cal), ब्रोमाइड तथा चेलाडोना आदि ( यो. ६ ) देने से क्वीनीन की विषाक्तता के लक्षण होने की संभावना कम रहती है । क्वीनीन की विषाक्तता के लक्षण होने पर भी ये ग्रोपधियाँ ( यो ६ ) दी जाती हैं । कैफीन साइट्स ( यो. ५१ ) प्र. ४ घ. देने से विषाक्तता में कमी होती है । वमन की वस्था मे भी क्वीनीन देना संभव है । इसके लिये किनीन देने के रेघ पूर्व व. एड्रीनलीन ( Adrenalin ) १ : १००० मि. १० मुख से देना चाहिये । कीनान का दुस्वाद कम करने के लिये भागदार घोल ( यो. २) प्रयोग करना चाहिये । जैतून का तेल ( Ol. Olive), लिक्विड पैरफिन ( Liq: paraffin ), मुलहठी का तग्लसत्य ( Ext:glycyrrhiza liq ), ग्जिसरीन (Glycerine) तथा दुग्ध यादि के साथ भी कीनीन देने से उसका दुसाद कम किया जा सकता है। कितीन पेशोमार्ग ( I. M. ) से प्रयोग क ने के पूर्व पिचकारी ( Syringe ) तथा सूई को अच्छी तरह उबाल कर जावाणुरहित कर लेना चाहिये अन्यथा विद्रधि ( Abscess ), धनुर्वात ( Tetanus ) ग्रादि उपद्रवो की सभावना रहती है। इस मार्ग का उपयोग तभी करना चाहिये जब वमन या दस्त के कारण रोगी किनीन को पचा न सके या रोगी वेहोश हो अथवा उसकी अवस्था त गंभीर हो । इस विधि से विनीन देने पर प्रति ८ घटे पर तबतक इजेक्शन लगाना पडता है जबतक रोगी मुख से ग्रौषधि न ले सके । मुग्ब से औौपधि ले सकने की अवस्था हो जाने पर यौपधि मुख से ही देना अच्छा है । पेशीमार्ग ( I. M ) से इन्जेक्शन लगाने के लिये क्विनीन बाडहाइड्रोक्लोर ( Q: bihydrochlor ) या बाइहाइड्रोब्रोमाइड (Q. bihydrobromide ) की ग्रे ६ की २ सी. सी. की मात्रा को पहले ५ या १० सी सी. प. स. मे मिला लेना चाहिये । यह बात ध्यान रखने योग्य है कि मुख मार्गसे प्रायः विनीन की सम्पूर्ण मात्रा का प्रचूपण होता है और इंजेक्शन द्वारा प्र. दि. श्रौषधि की उतनी ही मात्रा की आवश्यकता | pdf |
ad2c260d6f732270500f1d982fa359b92f22b442 | नई दिल्लीः भारत में कोरोना वायरस (Cornavirus in India) के बढ़ते प्रकोप के बीच न्यूजीलैंड ने 11 अप्रैल से भारत से आने वाले यात्रियों पर अस्थाई रूप से बैन लगा दिया है. बता दें कि भारत में कोरोना वायरस के नए मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई है और पिछले तीन दिनों में दो दिन 1 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न (Jacinda Ardern) ने भारत से आने वाले सभी यात्रियों के लिए प्रवेश पर रोक लगा दी है. इसमें न्यूजीलैंड के नागरिक भी शामिल हैं, जो भारत से अपने देश लौट रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, यह रोक 11 अप्रैल से शुरू होगी और 228 अप्रैल तक लागू रहेगी.
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देश में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और बुधवार को अब के सर्वाधिक 1,15,736 नए मामले सामने आए. नए मामलों में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और केरल की भागीदारी 80.70 प्रतिशत थी. महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 55,469 मामले सामने आए. वहीं छत्तीसगढ़ में 9,921 और कर्नाटक में 6150 मामले आए. देशभर मे एक्टिव मरीजों की संख्या भी 8,43,473 हो गई है, जो संक्रमण के कुल मामलों का 6.59 प्रतिशत है.
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422646c4230f3d9f39ccca0819b9850d4302ca1a | - इस साल फादर्स डे 19 जून 2022 को मनाया जाएगा।
- इस दिन को मनाने की शुरुआत 19 जून 1910 से हुई थी।
Father's Day 2022: कहते है कि दुनिया में मां और बच्चे का रिश्ता हर रिश्ते से बड़ा होता है। मां बच्चे को जन्म देती है, उसे बड़ा करती है। लेकिन मां और बच्चे का रिश्ता जितना अनमोल होता है उतनी ही अनमोल पिता और बच्चे का भी होता है। एक पिता बच्चे को सभ्य बनाने के साथ-साथ उसके भविष्य को संवारने में अहम भूमिका निभाता है।
एक पिता ही है वो जो बच्चे को हर बुराई से बचाता है। उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए खुद संघर्ष करते हैं। उनके भविष्य को सवारने के लिए पिता को कठोर बनना पड़ता है। अक्सर ऐसा होता है कि पिता बच्चे के प्रति उस तरह का प्यार जता नहीं पाते, जैसे मां जताती हैं। लेकिन आपको बता दें कि बिना दिखाए या जताए जीवन भर की खुशियां बच्चे को देने का काम एक पिता ही कर सकता है। पिता के निस्वार्थ प्रेम को सम्मान देने के लिए पूरी दुनिया में फादर्स डे मनाया जाता है।
जानिए कब है फादर्स डे?
हर साल दुनिया भर में सभी पिता को सम्मान देने के लिए जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। इस साल फादर्स डे 19 जून 2022 को मनाया जाएगा। इस दिन को मनाने की शुरुआत 19 जून 1910 से हुई थी।
जानिए कैसे हुई फादर्स डे मनाने की शुरुआत?
वाशिंगटन शहर की रहने वाली 16 साल की सोनोरा लुईस की मां का निधन हो गया था। उनके पांच छोटे भाई बहन थे। पिता ने अकेले ही इन सभी की परवरिश की। पिता ने जहां एक मां की तरह अपनी बेटी को प्यार दिया तो वहीं एक पिता की तरह उसकी सुरक्षा और फिक्र की। सोनोरा को अपने पिता से बहुत प्यार था, जिनके वजह से उन्हें मां की कमी महसूस नहीं हुई।
सोनोरा के मन में ख्याल आया कि जब मां को सम्मान देने के लिए मदर्स डे मनाया जा सकता है तो फिर पिता के प्रेम और स्नेह के सम्मान में फादर्स डे क्यों नहीं मनाया जा सकता है? बस फिर क्या था अपने पिता को सम्मान देने के लिए सोनोरा ने 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया।
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af47cc74ad2dbfd1e1ff183c96038c237945f64e | रोग तो अनेक प्रकार के हैं मानव में,
उनमे से एड्स की समस्या विकराल है।
सुलझी न गुत्थी इस रोग के इलाज़ की,
डॉक्टर और वैद्य सब इससे बेहाल हैं। ।
एक्वायर्ड इम्मुनो डिफीसियंसी सिंड्रोम नाम,
आरएनए विषाणुजनित रोग की मिशाल है।
एचआईवी विषाणु पैदा करता है एड्स को,
रोक सके कौन इसे किसकी मजाल है। ।
दूध, लार, मेरुद्रव्य में निवास करता है,
रक्त, वीर्य, योनिरस में तो मालामाल है।
करे मित्रता ये सीडी-4 रक्त कणिका से,
पंगु प्रतिरक्षा करे ऐसी इसकी चाल है। ।
जब घट जाए प्रतिरोधक शक्ति तन की तो,
कोई भी रोग कर सके बुरा हाल है।
कहने को हमने तो चांद को भी जीत लिया,
खोजे कैसे एड्स का इलाज़ ये सवाल है?
स्त्री, पुरुष, वर्ग, जाति-धर्म कोई हो,
करता न भेद भाव यही तो कमाल है।
सभी सूई, वैक्सीन, टबलेट बेकार हुए,
कोई भी दावा न तोड़ सकी इसका जाल है। ।
जांच करवा के ही खून चढ़वाइएगा,
लगे नई सुई सिरिंज रखना ख्याल है।
किसी अंजाने से संबंध जो बनाइये तो,
उम्दा निरोध का ही करना इस्तेमाल है। ।
रोग लाईलाज न तो टीका न दवाई है,
करिए बचाव एकमात्र यही ढाल है।
रोग लाईलाज न तो टीका न दवाई है,
करिए बचाव एकमात्र यही ढाल है। ।
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287772c107482a224cb5df142352abb987a281036946897c5be3b41b9c8287dd | आयुष्मान् सारिपुत्र और मौद्गल्यायन जहाँ भगवान् थे वहाँ गये ।...। आयुष्मान् सारिपुत्रने भगवान्को कहा"भन्ते ! देवदत्त संघको फोळकर, पाँच सौ भिक्षुओंको लेकर जहाँ गया सी स है, वहाँ चला
"सारिपुत्र ! तुम लोगोंको उन नये भिक्षुओंपर दया भी नहीं आई ? सारिपुत्र ! तुम लोग उन भिक्षुओंके आपमें पळनेसे पूर्वही जाओ । "
उस समय बळी परिषद्के बीच बैठा देवदत्त धर्म-उपदेश कर रहा था । दे व द त्त ने दूरसे सारिपुत्र, मौद्गल्यायनको आते देखा । देखकर भिक्षुओंको आमंत्रित किया ।
"देखो भिक्षुओ ! कितना सु-आख्यात (= सु-उपदिष्ट ) मेरा धर्म है । जो श्रमण गौतमके अग्रश्रावक सारिपुत्र, मौद्गल्यायन हैं, वह भी मेरे पास आ रहे, मेरे धर्मको मानते हैं।" ऐसा कहनेपर कोकालिकने देवदत्तसे कहा"आवुस देवदत्त ! सारिपुत्र, मौद्गल्यायनका विश्वास मत करो । सारिपुत्र, मौद्गल्यायन बदनीयत (=पापेच्छ) है, पापक (= बुरी) इच्छाओंके वशमें हैं । "
"आवुस, नहीं, उनका स्वागत है, क्योंकि वह मेरे धर्मपर विश्वास करते हैं । " तव देवदत्तने आयुष्मान् सारिपुत्रको आधा आसन ( देनेको) निमंत्रित किया -- "आओ आवुस ! सारिपुत्र ! यहाँ बैठो ।"
"आवुस ! नहीं" ( कह ) आयुष्मान सारिपुत्र दूसरा आसन लेकर एक ओर बैठ गये । आयुष्मान् महामौद्गल्यायन भी एक आसन लेकर बैठ गये । तब देवदत्त बहुत रात तक भिक्षुओंको धार्मिक कथा. . . (कहता) आयुष्मान् सारिपुत्रसे वोला --
"आवुस ! सारिपुत्र ! ( इस समय ) भिक्षु आलस-प्रमाद - रहित हैं, तुम आवुस सारिपुत्र ! 'भिक्षुओंको धर्म-देशना करो, मेरी पीठ अगिया रही है, सो मैं लम्बा पळूंगा।'
"अच्छा आवुस
तव देवदत्त चौपेती संघाटीको विछवाकर दाहिनी बगलसे लेट गया । स्मृति-रहित संप्रजन्यरहित (होनेसे) उसे मुहूर्त भरमें ही निद्रा आ गई । तब आयुष्मान् सारिपुत्रने आदेशना-प्रातिहार्य (=व्याख्यानके चमत्कार) और अनुशासनीय-प्रातिहार्यके साथ, तथा आयुष्मान् महामौद्गल्यायनने ऋद्धि-प्रातिहार्य (= योग-चलके चमत्कार) के साथ भिक्षुओंको धर्म-उपदेश किया, अनुशासन किया । नव उन भिक्षुओंको .. .विरज- विमल धर्म-चक्षु उत्पन्न हुआ - जो कुछ समुदय धर्म (= उत्पन्न होनेवाला ) है, वह निरोध-धर्म (= विनाश होनेवाला) है०' ।
आयुष्मान् मारिपुत्रने भिक्षुओंको निमंत्रित किया"आबुसो ! चलो भगवान्के पास चलें, जो उस भगवान्के धर्मको पसंद करता है वह आवे ।" तब मारिपुत्र मौद्गल्यायन उन पाँच सौ भिक्षुओंको लेकर जहाँ वेणुवन था, वहाँ चले गये। तव कोकालिकने देवदत्तको उठाया
"आबुम देवदत्त ! उठो, मैने कहा न था --आबुस देवदत्त ! सारिपुत्र, मौद्गल्यायनका विश्वास मत करो। ०।"
तब देवदनको वहीं मुखने गर्म खून निकल पळा ......
तब सा रि.पु त्र, और मौ द्ग ल्या य न जहाँ भगवान् थे, वहाँ गये । जाकर भगवान्को अभिवादन कर, एक और बैठे। एक ओर बैठे आयुष्मान् सारिपुत्रने भगवान् से यह कहा | pdf |
60cbc17c7f7a46d08ca45011f80a9a37d323d593 | भारत में 30 वर्ष पूर्व वर्ष 1991 में, आर्थिक क्षेत्र में सुधार कार्यक्रम लागू किए गए थे। उस समय देश की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय स्थिति में पहुंच गई थी। देश में विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 15 दिनों के आयात लायक राशि तक का ही बच गया था। ऐसी स्थिति में देश को सोना गिरवी रखकर विदेशी मुद्रा की व्यवस्था करनी पड़ी थी। इस ऐतिहासिक खराब आर्थिक स्थिति से उबरने के लिए आर्थिक एवं बैंकिंग क्षेत्रों में कई तरह के सुधार कार्यक्रम लागू किए गए थे। कुछ वर्षों तक तो देश में आर्थिक सुधार कार्यक्रम ठीक गति से चलते रहे परंतु इसके बाद वर्ष 2004 से वर्ष 2014 तक के कुछ वर्षों के दौरान सुधार कार्यक्रम की गति धीमी हो गई थी। वर्ष 2014 के बाद देश में एक बार पुनः आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को गति देने का प्रयास लगातार किया जा रहा है एवं अब तो आर्थिक क्षेत्र में सुधार कार्यक्रमों ने देश में तेज रफ़्तार पकड़ ली है।
पिछले 30 वर्षों के दौरान मुख्यतः 5 क्षेत्रों में विशेष कार्य हुआ था। देश में राजकोषीय घाटे को कम करने के प्रयास लगातार लगभग सभी केंद्र सरकारों द्वारा किए गए हैं परंतु इस कार्य में भी वर्ष 2014 के बाद से गति आई है। वित्तीय वर्ष 1991 में राजकोषीय घाटा, सकल घरेलू उत्पाद का 8 प्रतिशत की राशि तक पहुंच गया था। यह वित्तीय वर्ष 2019-20 में 5 प्रतिशत से नीचे ले आया गया था। परंतु, कोरोना महामारी के चलते बहुत ही विशेष परिस्थितियों में, यह वर्ष 2020-21 में 9. 5 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इसे पुनः 3 से 4 प्रतिशत तक नीचे लाने का रोडमैप केंद्र सरकार ने तैयार कर लिया है एवं इन नीतियों पर अमल भी प्रारम्भ हो गया है। इस प्रकार राजकोषीय घाटे को कम करना केंद्र सरकार की एक बहुत बड़ी उपलब्धि रही है।
दूसरे, देश में लाइसेन्स राज लगभग समाप्त हो गया है। एक तरह से संरक्षणवाद का खात्मा कर व्यापार की नीतियों को उदार बनाया गया है। भारतीय उद्योग जगत में तो अब, "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस" की नीतियों में लगातार हो रहे सुधार के कारण हर्ष व्याप्त है। विदेशी निवेशक भी अब इस कारण से भारत में अपना निवेश लगातार बढ़ा रहे हैं।
तीसरे, नरसिम्हन समिति के प्रतिवेदन के अनुसार देश में बैंकिंग क्षेत्र में भी सुधार कार्यकर्मों को लागू किया गया है। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा किए गए सुधार कार्यक्रमों को लागू करने के कारण अब न केवल सरकारी क्षेत्र के बैंकों बल्कि निजी क्षेत्र के बैकों में भी गैर निष्पादनकारी आस्तियों का निपटान तेजी से होने लगा है।
चौथे, विदेशों से आयात एवं निर्यात के नियमों को आसान बनाया गया है। साथ ही, विदेशों से आयात की जाने वाली वस्तुओं पर आयात कर में भी कमी की गई है। इससे अन्य देशों की नजरों में भारत की साख में सुधार हुआ है। पहले विदेशी व्यापार में हमारा देश संरक्षणवाद की नीतियों पर चलता था।
पांचवां, देश में मौद्रिक नीतियों में भी सुधार कार्यक्रम लागू करते हुए इसे मुद्रास्फीति नियंत्रण के साथ जोड़ दिया गया है। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक एवं केंद्र सरकार राजकोषीय नीति एवं मौद्रिक नीति में तालमेल बिठाते हुए कार्य करते दिखाई दे रहे हैं, जो देश हित में उचित कदम माना जाना चाहिए।
हाल ही के समय में आर्थिक क्षेत्र में तेजी से किए गए सुधार कार्यक्रमों के कारण देश में न केवल आर्थिक विकास की दर तेज हुई है बल्कि रोजगार के भी कई नए अवसर निर्मित हुए हैं। अन्यथा, कल्पना करें वर्ष 1991 के पूर्व की स्थिति की, जब देश में नौजवान केवल सरकारी क्षेत्र में ही नौकरी की तलाश करते नजर आते थे क्योंकि निजी क्षेत्रों में नौकरियों का नितांत अभाव रहता था। अब स्थितियां बहुत बदल गई हैं एवं अब तो निजी क्षेत्र भी रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित करता दिखाई दे रहा है।
भारत में अभी तक हालांकि कृषि क्षेत्र एवं सोशल क्षेत्र (स्वास्थ्य क्षेत्र, शिक्षा क्षेत्र एवं पीने का जल, आदि क्षेत्रों सहित) में सुधार कार्यक्रम लगभग नहीं के बराबर लागू किए गए थे, इसलिए देश में आज भी लगभग 60 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में रहते हुए हुए अपनी आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र पर निर्भर है एवं गरीबी में अपना जीवन जीने को मजबूर है। दरअसल, इन कारणों से देश में आर्थिक असमानता की दर में भी वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है। परंतु, हाल ही के समय में कृषि क्षेत्र एवं सोशल क्षेत्र में लागू किए गए सुधार कार्यक्रमों के कारण एक बड़ा बदलाव देखने में आ रहा है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़ता दिखाई दे रहा है। यह एक बहुत अच्छा परिवर्तन है क्योंकि आज भी देश की लगभग 60 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में निवास करती है। यदि इस आबादी की आय में वृद्धि होती है तो गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों की संख्या में भी तेज गति से कमी होना दिखाई देगी। दूसरे, कृषि क्षेत्र एवं सोशल क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों के कारण विदेशों में भी भारत की छवि में सुधार हुआ है एवं भारत से कृषि क्षेत्र से निर्यात लगातार बहुत तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही, भारत में विदेशी निवेश भी लगातार नित नई ऊँचाइया छू रहा है।
हमारे देश में आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को लागू करने में कुछ राज्य सरकारों का योगदान बहुत उत्साहवर्धक नहीं रहा है। यदि देश में गरीबी को समूल नष्ट करना है तो राज्य सरकारों को भी अपना योगदान बढ़ाना होगा। आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों को मिलकर ही लागू करना होगा। सोशल क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, पीने का स्वच्छ जल, प्रत्येक परिवार को बिजली की उपलब्धता आदि ऐसी सेवायें हैं जिन्हें राज्य सरकारों को ही उपलब्ध कराना होता है। इन क्षेत्रों में कुछ वर्षों पूर्व तक देश में बहुत अधिक उत्साहजनक कार्य नहीं हुआ था, परंतु वर्ष 2014 से केंद्र सरकार ने इन क्षेत्रों की ओर भी अपना ध्यान देना प्रारम्भ किया है। जैसे एक नए जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया है ताकि ग्रामीण इलाकों में प्रत्येक परिवार को स्वच्छ जल उपलब्ध कराया जा सके। अभी हाल ही में एक अन्य नए सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया है ताकि देश में सहकारिता आंदोलन को सफल बनाया जा सके। सोशल क्षेत्र में सुधार कार्यक्रम लागू कर देश के आर्थिक विकास तो गति दी जा सकती है।
आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को लागू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह भी होता है कि देश में दक्षता का विकास करते हुए उत्पादकता में सुधार किया जा सके ताकि अंततः सभी क्षेत्रों (कृषि, उद्योग एवं सेवा) में उत्पादन बढ़ सके। वर्ष 1991 में भारत में केवल 26,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का सकल घरेलू उत्पाद होता था जो आज बढ़कर 2 लाख 80,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आसपास पहुंच गया है एवं अब केंद्र सरकार ने इसे वर्ष 2025 तक 5 लाख करोड़ अमेरिक डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इन्हीं कारणों के चलते केंद्र सरकार देश में आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को गति देने का प्रयास कर रही है।
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ae59c93bedba803e937737bbb7973ad39fc56c91 | : लोकतंत्र के चौथे खंभे (पत्रकारिता) को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने के संदर्भ में आरटीआई एक्टिविस्ट अफरोज आलम साहिल का एक खुला पत्र : सेवा में, महोदय, मैं अफ़रोज़ आलम साहिल। पत्रकार होने के साथ-साथ एक आरटीआई एक्टिविस्ट भी हूं। मैं कुछ कहना-मांगना चाहता हूं। मेरी मांग है कि लोकतंत्र के चौथे खंभे यानी मीडिया को सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के दायरे में लाया जाए। लोकतंत्र के पहले तीनों खंभे सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के दायरे में आते हैं। यह कानून कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका तीनों पर लागू होता है। इसका मक़सद साफ है कि लोकतंत्र को मज़बूत किया जा सके।
इसी मक़सद की मज़बूती की खातिर मेरी ये मांग है कि लोकतंत्र के चौथे खंभे यानी मीडिया को भी सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के दायरे में लाया जाए, ताकि लोकतंत्र में जवाबदेही और पारदर्शिता को हर स्तर पर लागू किया जा सके। दरअसल, पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे वाक़्यात हुए हैं, जिन्होंने मीडिया में पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे कई मीडिया समूह हैं, जिनकी आमदनी और निवेश संदेह के दायरे में है। ऐसे कई पत्रकार भी हैं जिनकी संपत्ति उनकी आय के ज्ञात स्त्रोतों से कई गुना ज़्यादा है और ये सब उसी मीडिया के हिस्सा हैं, जो समाज के तमाम तबकों से लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करता है।
ये उसी मीडिया के लोग हैं, जो राजनेताओं से लेकर अधिकारियों और न्यायपालिका के प्रतिनिधियों की आय के स्त्रोतों की छानबीन में खासी दिलचस्पी दिखाता है और उस पर तमाम तरह के सवाल खड़े करता है। मीडिया इस बात की वकालत करता है कि समाज और लोकतंत्र के ये तमाम तबके अपनी आय का ब्यौरा सार्वजनिक करें। सार्वजनिक तौर पर अपनी ईमानदारी और पारदर्शिता का सबूत दें। फिर सवाल ये उठता है कि आखिर ये मानक खुद मीडिया पर लागू क्यों न हो। समाज और लोकतंत्र के दूसरे तबकों की खातिर जवाबदेही और पारदर्शिता की वकालत करने वाला मीडिया अपनी जवाबदेही और अपनी पारदर्शिता के सवाल से क्यों बचना चाहता है। आख़िर मीडिया इस बात की मांग क्यों नहीं करता कि ख़ुद उसे भी सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के दायरे में लाया जाए।
1. अगर NDTV 24X7 की ग्रुप एडिटर बरखा दत्त और हिन्दुस्तान टाईम्स ग्रुप के एडिटर वीर सांघवी का नाम टेलीकॉम घोटाले के मामले में सीबीआई के दस्तावेज़ों में बतौर दलाल दर्ज है, तो इन लोगों की आय का ब्यौरा सार्वजनिक क्यों नहीं किया जाना चाहिए या इस घटना (या दुर्घटना) के सामने आने के बाद सभी पत्रकारों और माडिया हाउस को स्वेच्छा से अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक क्यों नहीं कर देना चाहिए?
2. अगर संसद नोटकांड मामले में CNN-IBN के एडिटर-इन-चीफ और मालिक राजदीप सरदेसाई का नाम बतौर सीडी मैनेजर सामने आता है तो उनकी संपत्ति की छानबीन क्यों नहीं की जानी चाहिए? एक पत्रकार के मालिक बनने की राह में लिए गए तमाम फायदों की कलई सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के ज़रिए क्यों नहीं खुलनी चाहिए? क्या पत्रकारों को पत्रकार होने के नाते सूचना के अधिकार का इस्तेमाल सिर्फ दूसरों के खिलाफ करने का कोई विशेषाधिकार हासिल है?
3. अगर इंडिया टुडे के ग्रुप एडिटर रहे प्रभु चावला अमर सिंह की चर्चित सीडी में डिलिंग करते हुए सुनाई दे रहे हैं और उनके बेटे अंकुर चावला का नाम सीबीआई के दस्तावेजों में बतौर वित्तीय घालमेल के दलाल के तौर पर दर्ज है तो क्यों नहीं प्रभु चावला की वित्तीय और ज़मीनी संपत्तियों का ब्यौरा सामने लाया जाए?
ये तीन सवाल तो सिर्फ उदहारण भर हैं। ऐसे न जाने कितने मीडिया हाउस और पत्रकार हैं, जिन्होंने लोकतंत्र के चौथे खंभे की आड़ में भ्रष्टाचार की गंगोत्री बहा रखी है। इन तमाम तथ्यों और लोकतंत्र की प्रतिबद्धता के नाम पर मेरी आपसे ये मांग है कि कृपया मीडिया को भी सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के दायरे में लाने की पहल की जाए। ये लोकतंत्र की आत्मा के हक़ में होगा।
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97b46f871a696279675a493621fdd5432e1316de | कोलकाता : इंसान जितने खिलवाड़ अपने शरीर के साथ करता है, उतने शायद ही किसी दूसरे के साथ कर पाए। ऐसा माना जाता है कि इंसान का जिंदगी भर साथ देने वाली अगर कोई चीज है तो वह उसका शरीर है। लेकिन इंसान अपने शरीर के अंदर खराब खाद्य सामग्री को डालकर उसे विनाश की ओर ले जाता है। हमारे आस पास ऐसे बहुत से उत्पाद हैं जो किसी स्लो पॉइजन से कम नहीं है। लेकिन फिर भी लोग इनका सेवन धड़ल्ले से करते हैं। इन्हीं में से एक है व्हाइट ब्रैड।
भारत समेत दुनियाभर में बहुत से लोग सुबह की शुरुआत व्हाइट ब्रेड के साथ ही करते हैं, जो खाने का एक बहुत खराब विकल्प है। अगर आप भी अपनी रोजाना की डाइट में व्हाइट ब्रेड का सेवन करते हैं, तो इसे आज ही छोड़ने का फैसला कर लें। वरना बहुत देर भी हो सकती है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों व्हाइट ब्रेड का सेवन आपको नहीं करना चाहिए।
सफेद ब्रेड को तैयार करने के लिए गेहूं के आटे का ही उपयोग किया जाता है। लेकिन ब्रेड को बनाते समय इसे बहुत अधिक महीन पीसा जाता है, और इस प्रक्रिया के जरिए सभी विटामिन और पोषक तत्वों को पूरी तरह हटा दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि ब्रेड जैसे उत्पाद को लंबे समय तक ताजा और खाने योग्य रखा जा सके।
आपको बता दें कि ब्रेड में इस्तेमाल होने वाले आटे के सभी पोषक तत्व और ऑयल निकालने के बाद ब्लीच किया जाता है। ताकि यह लंबे समय तक खराब हुए बिना चलता रहे। साथ ही इसमें पोटैशियम ब्रोमेट, एज़ोडिकार्बोनामाइड या क्लोरीन डाइऑक्साइड गैस जैसे रसायनों का भी उपयोग किया जाता है ताकि इसके प्राकृतिक पीले रंग को भी हटाया जा सके।
इसका परिणाम यह होता है कि जो भी लोग व्हाइट ब्रेड का सेवन करते हैं, उन्हें डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापे जैसी समस्या से जूझना पड़ता है। इसके अलावा ब्रेड में मिलाए जाने वाले कई पर्सवेटिव्स भी मिलाए जाते हैं ताकि यह लंबे समय तक ताजी ही रहे।
व्हाइट ब्रेड का सेवन करने से आप यकीनन मोटापे का शिकार हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रेड के निर्माण की प्रक्रिया में ही कई तरह के रसायन, प्रिजर्वेटिव और चीनी का उपयोग किया जाता है। कुल मिलाकर सफेद ब्रेड एक हाईली रिफाइंड उत्पाद है, यह इतनी खतरनाक है कि इसमें मौजूद ग्लाइसेमिक इंडेक्स आपके ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है। यही नहीं सफेद ब्रेड के सेवन से कब्ज, पेट फूलने जैसी समस्याएं भी पैदा होने लगती हैं।
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cac97c959743a536269198e5c7a10104db787a1e | आपको ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल होती है तो हाल में हुआ एक अध्ययन आपके लिये फायदेमंद साबित हो सकता है जिसके मुताबिक रोजाना 10 मिनट ध्यान करने से आपके दिमाग का भटकाव कम हो सकता है और बार-बार बेचैन करने वाले ख्याल आने भी कम हो सकते हैं। कनाडा के वाटरलू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बेचैनी का अनुभव करने वाले 82 प्रतिभागियों पर ध्यान के प्रभाव का अध्ययन किया। प्रतिभागियों को कंप्यूटर पर एक काम करने के लिये कहा गया जिसमें रूकावट के साथ उनके काम पर ध्यान केंद्रित करने की उनकी क्षमता को मापा गया।
इसके बाद शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को दो समूहों में बांट दिया। नियंत्रण वाले समूह को एक आॅडियो कहानी सुनने के लिये दी गयी जबकि दूसरे समूह का आकलन करने से पहले उन्हें कुछ देर के लिये ध्यान का अभ्यास करने को कहा गया। उन्होंने पाया कि मौजूदा वक्त की जागरूकता के चलते दोहराव के मामलों, और काम के इतर सोच में कमी आई जो चिंता का अहम लक्षण है। वाटरलू विश्वविद्यालय के मेनग्रान सू ने कहा, "हमारे नतीजे संकेत देते हैं कि दिमागी प्रशिक्षण से चिंता करने वाले लोगों के दिमाग के भटकने पर सुरक्षात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर इसके अलावा, कई महिलाओं को लेबर पेन और डिलीवरी से जुड़ी अन्य बातों को सोचकर भी तनाव हो जाता है। जबकि कोई और समस्या हो या न हो, ये तनाव ज़रूर ऐसे में अपने आप में एक बड़ी समस्या है। इससे आपके अपने और बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। इसलिए ये ज़रूरी है कि आपको इस बात की जानकारी हो कि ऐसे में होने वाले तनाव को कैसे नियंत्रित करना है।
प्रेगनेंसी में होने वाले तनाव से बचने का सबसे आसान और सुरक्षित तरीका है मेडिटेशन। घर का एक शांत कोना चुनें और 10 मिनट निकालकर मेडिटेशन करें। ऐसा रोज़ करें, ताकि आप अपना तनाव धीरे-धीरे कम करती जाएं।
कई अध्ययनों में भी ये बातें सामने आई हैं कि जो महिलाएं गर्भावस्था में उचित देखभाल के साथ-साथ माइंड-बॉडी थैरेपी जैसे योग व मेडिटेशन करती हैं, उन्हें लेबर कम देर का होता है, डिलिवरी के दौरान कम दवाओं की ज़रूरत पढ़ती है और वो जल्दी रिकवर कर जाती हैं।
जब आप मेडिटेशन करें तो सामान्य रूप से सांस लेती रहें। जब आप ध्यान लगाने की कोशिश करें तो ध्यान भटकाने वाली चीज़ों से बचें। मन के अंदर सकारात्मक विचार आने दें। पूरी प्रेगनेंसी के दौरान मेडिटेशन को अपनी आदत बना लें, इससे आपको ज्यादा से ज्यादा फायदे मिल पाएंगे।
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5d48acfc92a02b7f1f1661827f209a860e2a73418f643165e0e4c792a69db8e9 | सच्चा मित्र
सेठ-मैंने न तो कभी छदाम दो है, नली है। आपके प्रधान होने के नाते और मनुष्यता के नाते उनसे मेरी मित्रता है । मित्रता भी ऐसी है कि उन्होंने मुझसे कोई बात नहीं छिपाई ।
राजा - अच्छा देखो, प्रधान ने इतना हजम कर लिया है । सेठ - ऐसा कहने वालों ने गलती की है । फलां वही मंगवाकर देखिए तो समाधान हो जायगा ।
वही मँगवाकर देखी गई । राजा ने पाया कि वास्तव अभियोग निराधार है । इसी प्रकार और दो-चार बातों की जाँच की गई । सव ठीक पाया गया । सेठजी वीच-बीच में कह देते थेइतनी भूल प्रधानजी से अवश्य हुई है और वे इसके लिए मेरे सामने पश्चाताप भी करते थे । आपसे भी कहना चाहते थे, मगर शायद लिहाज के कारण नहीं कह सके ।
राजा - प्रधान ने पश्चाताप भी किया था ? मगर इतने बड़े काम में भूल हो जाना संभव है । वास्तव में मैंने प्रधान के साथ अनुचित व्यवहार किया है, किन्तु अद तो उसका मिलना कठिन है ? कौन जाने कहाँ चला गया होगा ?
सेठ - अगर आप उनके सम्मान का वचन दें तो मैं ला सकता हूँ । राजा - क्या प्रधान तुम्हारी जानकारी में है ? सेठ - जी हाँ । मगर विना अपराध सिर कटाने के लिए मैं उन्हें नहीं ला सकता । आप न्याय करने का वचन दें तो हाजिर कर सकता हूँ ।
राजा~मैं वचन देता हूँ कि प्रधान के गौरव की रक्षा की जायगी। यही नहीं, वरन् चुगलखोरों का मुँह काला किया जायगा । सेठ --- महाराज अपराध क्षमा करें । प्रधानजी मेरे घर पर हैं । राजा -- सारे नगर में उनकी बदनामी हो गई है । उसका परिमार्जन करने के लिए उनका सत्कार करना चाहिए । मैं स्वयं उन्हें लिवाने चलूंगा और आदर के साथ हाथी पर बिठाकर ले आऊँगा । | pdf |
f62a3f5e1813e9c63e9467fcba801d7f45643f3e | करनालः भारतीय किसान यूनियन (चारुनी) के नेताओं द्वारा राज्य परामर्शित कीमतों (एसएपी) में बढ़ोतरी के लिए शुरू आंदोलन बंद करने के फैसले के एक दिन बाद शुक्रवार को हरियाणा की अधिकांश चीनी मिलों में पेराई फिर से शुरू हो गई। अपनी मांग को लेकर बीकेयू पिछले एक सप्ताह से आंदोलन कर रहा था। पेराई बंद होने से पेराई सत्र में बेरोजगार हो गए हजारों मजदूरों को देखते हुए विरोध को वापस लेने का निर्णय लिया गया।
बीकेयू चारुनी के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चारुनी ने कुरुक्षेत्र में किसानों को संबोधित करते हुए कहा, सरकार द्वारा घोषित 10 रुपये की बढ़ोतरी संतोषजनक नहीं है, लेकिन (बेरोजगार मजदूरों की) स्थिति को देखते हुए, हमने विरोध खत्म करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बुधवार को गन्ना एसएपी में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा की थी, इस प्रकार एसएपी को 372 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था।
गन्ना एसएपी को बढ़ाकर ₹450 प्रति क्विंटल करने की मांग करते हुए, किसानों ने पिछले महीने बार-बार विरोध और रोड शो किया। पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी-जननायक जनता पार्टी की सरकार पर किसानों के जीवन को दयनीय बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि, उन्हें हर जायज मांग के लिए विरोध करने के लिए मजबूर किया जाता है। रोहतक में मीडिया से बातचीत करते हुए हुड्डा ने कहा कि, राज्य सरकार ने गन्ने की राज्य द्वारा सुझाई गई कीमत में महज 10 रुपये की बढ़ोतरी कर गन्ना किसानों के साथ क्रूर मजाक किया है।
हुड्डा ने कहा कि, कांग्रेस के शासन में गन्ने के रेट में 165 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। हमारी सरकार के दौरान, हरियाणा ने पूरे देश में किसानों को सबसे अधिक दर दी। आज हरियाणा के किसानों को पंजाब के बराबर कीमत भी नहीं मिल रही है।
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d5a8805c900ddb628ccd427f635aac7f73860a84 | MP Election 2023 एक BJP नेता का कहना है कि इस चुनाव को कांग्रेस और राहुल गांधी धर्म और राजनीति के आधार पर लड़वाना चाहते हैं जो हम होने नहीं देंगे। भारतीय जनता पार्टी सिर्फ और सिर्फ विकास और सुशासन के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी।
धनंजय प्रताप सिंह, भोपालः 21वीं सदी के मध्य प्रदेश में अब तक चार विधानसभा चुनाव हुए। तीन में कांग्रेस हारी, तो चौथे में अल्पमत की कांग्रेस सरकार बनी। अब पांचवां चुनाव सामने है लेकिन कोई लहर या मुद्दा दिखाई नहीं दे रहा है।
2003 के चुनाव में सड़क, पानी, बिजली और दलित एजेंडा जैसे मुद्दों पर जनता ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंका था। 2008 के चुनाव में कांग्रेस गुटबाजी के चलते हारी। 2013 में कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार के सत्ता विरोधी रुझान और देश में मोदी लहर के चलते कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता से बाहर रहना पड़ा।
2018 में तस्वीर बदली और भाजपा को सत्ता विरोधी रुझान व कांग्रेस के किसान कर्जमाफी के नारे ने चुनाव हरा दिया। 2023 के विधानसभा चुनाव की तस्वीर पिछले चार चुनावों से अलग रहने की संभावना है। इस बार कोई लहर या बिजली, सड़क, पानी जैसे मुद्दे नहीं हैं, जो चुनावी तस्वीर बन रही है उसमें कमल नाथ के 15 महीने बनाम शिवराज के 18 साल पर ही मतदाताओं की मुहर लगेगी।
2003 में जिन मुद्दों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, सरकार बदलने वाले वे सारे मुद्दे खत्म हो गए हैं। उन दिनों की तुलना में चमचमाते राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम हुआ है।
सिंचाई क्षमता सात से बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर हो गई। बिजली 24 घंटे मिल रही है। जलजीवन मिशन से पेयजल संकट में कमी आई है। लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना, संबल जैसी सामाजिक परिवर्तन की योजनाएं लोगों के जीवनस्तर में बदलाव ला रही हैं।
भाजपा के लिए 2008 का चुनाव बेहद चुनौतीपूर्ण था। शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता दांव पर थी, उमा भारती की भारतीय जनशक्ति पार्टी भी मैदान में थी। कांग्रेस की हार का कारण गुटबाजी बनी।
2013 के चुनाव में कांग्रेस को अपनी ही यूपीए गठबंधन की केंद्र सरकार की एंटी इनकंबेंसी का प्रदेश में सामना करना पड़ा। देश में मोदी लहर थी।
पदोन्नति में आरक्षण और एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट का मुद्दा गरमाया हुआ था। यही वजह रही कि भाजपा 2018 के चुनाव में बहुमत नहीं ला पाई थी।
इस चुनाव को कांग्रेस और राहुल गांधी धर्म और राजनीति के आधार पर लड़वाना चाहते हैं, जो हम होने नहीं देंगे। भाजपा सरकार के 18 वर्ष के कार्यकाल में जो विकास हुआ है, भारतीय जनता पार्टी सिर्फ और सिर्फ उसी विकास एवं सुशासन के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी। हम जीतेंगे।
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34443596c4b920f4116024344035b5d78ec55711 | मध्य प्रदेशः एमपी के ग्वालियर में एक हॉस्टल में रह रही महिला टीचर ने प्रेमी से खफा होकर अपनी जान दे दी। खुदकुशी से पहले उसने अपने ब्वॉयफ्रेंड को कई बार फोन किया, लेकिन जब उसने उठाया नहीं तो उसने अपनी अंतिम तस्वीर व्हाट्सएप पर भेज करके अपनी जिंदगी खत्म कर ली। फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है, ब्वॉयफ्रेंड की तलाश की जा रही है।
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दैनिक भास्कर के मुताबिक, ग्वालियर के चना कोठार स्थित अन्नपूर्णा गर्ल्स हॉस्टल में रहकर 27 वर्षीय नीलम अरोरा एसआई की तैयारी भी कर रही थी। तैयारी के साथ ही वह संविदा पर एक स्कूल में पढ़ाने जाती थी। उसका दीप नाम के लड़के से प्रेम संबंध था। उसका ब्वॉयफ्रेंड अक्सर हॉस्टल में आया करता था कुछ दिनों से दोनों के बीच विवाद था।
बताया जा रहा है कि नीलम ने अपने प्रेमी से बात करने की गुजारिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उसने आखिरी मैसेज किया- कॉल रिसीव करो, नहीं तो दीप आज मैं अपने आप को खत्म कर लूंगी। आखिरी सांस तक तुम्हें प्यार किया है उसका यही नतीजा है। अब व्हाट्सएप पर मेरी लटकी लाश देखो, इसके बाद उसने अपनी जिंदगी खत्म कर ली।
हॉस्टल वार्डन मुन्नी ने बताया कि नीलम के साथ एक लड़का अक्सर आता था। कई बार वह अकेले भी आता था। नीलम एसआई की तैयारी के लिए कोच मुख्तयार सिंह से फिजीकल ट्रेनिंग ले रही थी, उसने 4 महीने पहले ही कोचिंग ज्वॉइन की थी, लेकिन पिछले 3-4 दिन से वहां नहीं गई थी नीलम मेहनती थी, उसे कभी तनाव में नहीं देखा गया था।
थाना प्रभारी महेश शर्मा ने बताया कि दीपक ने पहले नीलम के मैसेज का जवाब नहीं दिया, लेकिन व्हाट्सएप देखते ही नीलम की फ्रेंड शिल्पी को फोन किया। उसके बाद शिल्पी अपनी दोस्त रितु के साथ नीलम के कमरे पर पहुंची। नीलम फांसी के फंदे से लटक रही थी दीप अभी भी कॉल नहीं उठा रहा है पुलिस इस मामले की जांच कर रही हैं।
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91bdec3532a809df2ad9c549fb26028d5ffd9acf | एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि इस साल लोग किसी भी प्रकार के बड़े खर्चे से बचने की योजना बना रहे हैं। प्रॉपर्टी खरीदने से लेकर कार खरीदने तक लोग बड़ी रकम खर्च करने से कतरा रहे हैं। सर्वे के मुताबिक, लगभग 80 फीसदी से ज्यादा परिवारों ने इस राय पर सहमति जताई है। हालांकि, सर्वे कंपनी के संस्थापक सचिन टापरिया ने कहा, ओमिक्रॉन वैरिएंट के साथ आई तीसरी लहर का आर्थिक स्थिति पर प्रभाव अस्थायी है।
यह सर्वे लोकल सर्किल द्वारा देश के 47,000 परिवारों पर किया गया और नए साल में खर्च को लेकर उनसे सवाल पूछे। लोगों ने जो राय व्यक्त की वो चौंकाने वाली थी और इससे साफ होता है कि कहीं न कहीं कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने लोगों की खरीदारी की भावना को प्रभावित किया है। सर्वे में सामने आया कि 2022 में हर पांच परिवारों में से चार ने संपत्ति या फिर चार पहिया वाहन खरीदने के लिए मना कर दिया।
इस सर्वे के दौरान इसमें शामिल 78 फीसदी परिवारों ने कहा कि उनकी नए साल में आभूषण खरीदने की कोई योजना नहीं है। यानी एक ओर जहां साल 2021 में भारतीय लोगों ने सोने की खरीदारी करने में बीते दस साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया, तो साल 2022 में आभूषण खरीदारी से कतरा रहे परिवारों को देख ये कहना गलत न होगा कि आभूषण उद्योग परेशानी में पहुंच सकता है।
सर्वे के अनुसार, इसमें शामिल 47 हजार परिवारों में से केवल 15 प्रतिशत परिवार ऐसे थे जो कि किसी प्रकार की संपत्ति, नई कार या फिर अपने लिए आभूषण बनवाने के पर खर्च करना चाह रहे हैं। सात परिवारों में से एक ने आवासीय संपत्ति खरीदने के लिए हां कहा, तो दूसरी ओर हर छह में से एक परिवार चार पहिया वाहन खरीदने की अपनी इच्छा को जाहिर किया।
कोविड-19 के मामलों तेजी के चलते सर्वे में शामिल ज्यादातर परिवार अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य को लेकर जागरूक नजर आए। इस सर्वेक्षण में सामने आया कि भारी बहुमत करीब 67 फीसदी अपने स्वास्थ्य बीमा को बरकरार रखना चाहते थे। हालांकि इनमें से केवल 15 प्रतिशत परिवार ही अपने स्वास्थ्य बीमा की कवरेज की राशि बढ़ाना चाहते थे।
साल 2022 के लिए छह फीसदी परिवार इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की योजना बना रहे है, जो कि पेट्रोल कार खरीदने में दिलचस्पी रखने वालों से थोड़ा पीछे थे। वहीं डीजल कार की बात करें तो महज तीन फीसदी लोगों का कहना है कि वे इस नए साल में डीजल कार खरीदने के इच्छुक थे। सर्वेक्षण के अनुसार,40 फीसदी लोगों ने बचत जमा या सोने में अपना पैसा लगाने के बजाय स्टॉक और म्यूचुअल फंड खरीदने की योजना बनाई। इसकी वजह यह है कि सर्वे में शामिल 20 प्रतिशत लोग टियर-3 और4 शहरों और ग्रामीण स्थानों से थे।
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b782de9271a944b4fc8a7cde46ada6684af65a303372638449e4413860e8718d | सर्वः क्षितिपाल वासरक्रियाकलापः क्रियतां वेच्छया। इति प्रेमो झोक त्वयि स्थिते सचेतनाः के सुझमासते परे ॥३८ पति विद्यामित्यनुविष्य का सभा बिसबिता तेन महानुपाययौ । विवादमुन्युज्य प्रकार महनः क्रियां यथोक्तां सकलाबिनम्बमः ॥३९ बहोमिएस्पेरण मूतनेश्वरो विवेच खेडेन बिना गरीयसा । गुणानुरक्तामकरोडरावधू भयावनग्रामपि शत्रुसंकृतिम् ॥४० तबद्भुतं मो तमुपेत्य नभृतं चापि कक्ष्मीस्त्वचकत्वमाप यत् । इवं तु चित्रं सकले महीतले स्थिरापि कोतिभ्रंमतीति सन्ततम् ॥४१ अनुमसरमेन विमत्सरात्मना गुणेः शरच्चन्द्रमरीचिहारिभिः । न केवलं तेन समाभिमण्डलं प्रसाषितं शत्रुकुलं च लीलया ॥४२ इति स्वशक्तिमयसारसम्पदा कितीहवरे कल्पकतीकृते कितौ । दिने दिने राज्यसुखं वितन्वति म्यषत गर्भ प्रमदाय तरिप्रया ॥४३ असूत कालेन ततः सुतं सती प्रियकुरा प्रीतिकरं महीपतेः । अभिव्यय भन्द इतीह विधुतं मनोहरं इतलतेव पल्लवम् ॥४४ विवर्धयन् शातिकुमुदतीमुवं प्रसारयज्लकान्तिचन्द्रिकाम् । कळाकलापाभिगमाय केवलंबिले दिनेऽवर्धत बालचन्द्रमाः ॥४५
महीपाल ! दिन को समस्त क्रियाओं का समूह पहले के समान इच्छानुसार किया जाय। हे प्रभो ! जब आप ही इस तरह शोक के वशीभूत होकर बैठे हैं तब दूसरे कौन सचेतन-समझदार पुरुष सुख से बैठ सकते हैं ? ।। ३८ । इस प्रकार सभा ने राजा को सम्बोधित किया। सम्बोधन के बाद राजा के द्वारा विसर्जित सभा अपने-अपने घर गई और समस्त याचकों को आनन्दित करनेवाला राजा मन्दम विषाद छोड़ कर समस्त क्रियाओं को यथोक्त रीति से करने लगा ॥ ३९ ॥ तदनन्तर नवीन राजा नम्बन ने थोड़े ही दिनों में किसी भारी खेद के बिना मात्र बुद्धि से ही पृथिवीरूपी स्त्री को अपने गुणों में अनुरक्त कर लिया तथा शत्रुसमूह को भी भय से विनम्र बना दिया ॥ ४० ॥ वह आश्चर्य की बात नहीं थी कि लक्ष्मी चंचल होने पर भी उस राजा को पाकर अचल हो गई थी परन्तु यह आश्चर्य की बात थी कि कीर्ति स्थिर होने पर भी समस्त पृथिवीतल पर निरन्तर घूमती रहती थी ॥ ४१ ॥ विशाल पराक्रमी और ईर्ष्याविहीन हृदयवाले उस राजा ने शरद् ऋतु के चन्द्रमा की किरणों के समान मनोहर गुणों के द्वारा न केवल भाईयों के समूह को वशीभूत किया था किन्तु के शत्रु समूह को भी अनायास वश में कर लिया था ॥ ४२ ॥ इस प्रकार अपना उत्साह, मन्त्र और प्रभुत्व इन तीन शक्ति रूप श्रेष्ठ संपत्ति के द्वारा पृथिवी पर कल्पलता के समान सुशोभित राजा जब प्रतिदिन राज्य सुख को विस्तृत कर रहा था तब उसकी वल्लभा ने हर्ष के लिये गर्भ धारण किया ।। ४३ ॥ तवनन्तर जिस प्रकार आम्रलता मनोहर पल्लव को उत्पन्न करती है उसी प्रकार पतिव्रता रानी प्रियकुरा ने समय होने पर राजा की प्रीति को उत्पन्न करनेवाला वह पुत्र उत्पन्न किया जो कि लोक में अब इस नाम से प्रसिद्ध हुआ ॥ ४४ ॥ जातिरूपी कुमुदिनियों के हर्ष को बढ़ाता और उज्ज्वल कान्तिरूपी चांदनी को फैलाता हुआ वह बालकरूप चन्द्रमा मात्र कलाओं के समूह की
१. प्रमो म० ।
२. नन्दनाम् ३० । | pdf |
95198b448db0f213c7f4e4e0966c6d010dffe6151252982f1b783061435c1a63 | आ गई । लेकिन विवाह होने के बाद ही लड़का बीमार हो गया । उसके बाप ने उसे बचाने का भरसक यत्न किया, लेकिन उसकी बीमारी बढ़ती ही गई और वह मरणासन्न हो गया। उसका बाप रोने लगा तो बेटे ने कहा कि अब क्यों रोता है ? मैं वही ठाकुर हूँ जिसके पाँच हजार रुपये तूने मार लिये थे । जितने रुपये तूने मेरी बीमारी पर लगा दिये हैं उतने छोड़कर शेष रुपये मेरे बच्चों को भेज दे, अन्यथा फिर अगले जन्म में तुझसे शेषरुपये वसूल करूंगा । तब उसके बाप ने कहा कि मैंने तो तुम्हारे रुपये मारे थे, लेकिन इस बेचारी बहू ने तेरा क्या बिगाड़ा था जो इसे यों दुःख देकर जा रहा है । तब लड़का बोला कि यह इसी काबिल है, यह दुष्टा मेरे पिछले जन्म में घोड़ी थी और इसने युद्धक्षेत्र में मुझे जानबूझ कर मरवाया था, इसलिए इसे भी यह दंड भोगना ही पड़ेगा । यों कह कर लड़के ने दम तोड़ दिया ।
@ अब क्युं रोवै ?
एक पंडित बड़ा ज्ञानी था । बड़ी उम्र में जाकर उसके एक लड़का हुआ। पंडित ने अपने ज्ञान के बल से जान लिया कि मैं इस लड़के के पूर्व जन्म के एक लाख रुपये माँगता हूँ । लड़का अपना ऋण चुकाने आया है, वह जिस दिन यह ऋण चुका देगा उसी दिन चला जाएगा ( मर जाएगा ) ।
पंडित का राज दरबार में बहुत मान था, वह राज-पंडित था । उसने अपनी स्त्री को समझा दिया था कि मेरी अनुपस्थिति में लड़के को कहीं मत जाने देना और राज-सभा में तो कदापि न जाने देना ।
एक दिन राजा ने किसी आवश्यक काम से पंडित को बुलवा भेजा । लेकिन पंडित तब बाहर गया हुआ था। राजकर्मचारी ने पंडित के लड़के से कहा कि पंडितजी नहीं हैं तो आप ही चलें, सुना है आप भी बड़े विद्वान् हैं । लड़के की माँ ने उसे दरबार में जाने से बहुत मना किया, लेकिन लड़का नमाना । तब उसकी माँ ने कहा कि यदि जाते हो तो जाओ, लेकिन राजा से कोई उपहार मत लाना । लड़का चला गया। राजा के प्रश्नों का पंडित के लड़के ने समुचित उत्तर दिया । राजा बड़ा प्रसन्न हुआ और उसने लड़के | pdf |
8e93f20443939d35697eb3a974b705e2f7dcb9d4 | Ramayan: रामानंद सागर की रामायण के हर पात्र ने दर्शकों का दिल छुआ। इस शो का एक एक कलाकार बहुत लोकप्रिय हुआ। उनमें से एक थे 'विभीषण'। विभीषण 'रामायण' करने के साथ साथ एक बैंक में नौकरी भी किया करते थे। शो के लिए कई बार वह नौकरी से छुट्टी ले लिया करते थे। बैंक वालों को ये बात रास नहीं आ रही थी। ऐसे में उनके नाम एक नोटिस तक जारी कर दिया गया था।
रामानंद सागर की रामायण में विभीषण का किरदार एक्टर मुकेश रावल ने निभाया था। मुकेश रावल एक गुजराती एक्टर थे। हिंदी सिनेमा के अलावा उन्होंने गुजराती इंडस्ट्री में भी काम किया था। लेकिन जब रामायण की शूटिंग हो रही थी उस वक्त वह मुंबई के एक बैंक में काम करते थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक बैंक की नौकरी करते करते ही रावल रामायण कर रहे थे।
वह कई बार छुट्टी मार लिया करते थे। ऐसे में कंपनी ने उनके नाम एख नोटिस जारी कर दिया था। धीरे धीरे शो की लोकप्रियता बढ़ी तो विभीषण के किरदार में मुकेश रावल को भी जनता ने खूब पसंद किया। देखते ही देखे वह लोगों के बीच पॉपुलर हो गए। ऐसे में ऑफिस वाले भी उनसे इंप्रेस हो गए और उन्हें कंपनी की तरफ से स्पेशल छुट्टियां दी जाने लगीं। सासल 2001 में वह रिटायर हुए थे।
रामायण के अलावा एक्टर न और भी कई फिल्मों में काम किया जैसे लहू के दो रंग, सत्ता, ये मझदार, जिद्द, औजार आदि। मुकेश रावल को लेकर ऐसी खबरें साल 2016 में आई थीं कि उस साल 15 नवंबर को उनकी मौत हो गई थी। मुंबई, कांदिवली रेलवे स्टेशन से कुछ दूर ट्रैक पर उनका शव मिला था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रेन से कट कर उनकी मौत हो गई थी। खबरें थीं कि एक्टर डिप्रेशन में थे। बेटी की अचानक मौत हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने अपनी बेटी की शादी की औऱ खुद मौत को गले लगा लिया।
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996bae5578e99a5b4d0380fb886cf17d4ae9801d | उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की वेबसाइट पर मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी, नूह नारवी, तेग इलाहाबादी, शबनम नकवी और राशिद इलाहाबादी के नाम में 'इलाहाबादी' की जगह 'प्रयागराज' लिखा पाया गया था. आयोग का कहना है कि वेबसाइट को हैकर्स ने निशाना बनाकर इस तरह की छेड़छाड़ की.
फेडरेशन ऑफ रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन द्वारा नवंबर के अंत में ओपीडी सेवाओं को रोकने के साथ यह विरोध बीते 17 दिसंबर से लगातार जारी है. इससे दिल्ली में केंद्र द्वारा संचालित तीन अस्पतालों- सफ़दरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग अस्पतालों के साथ ही दिल्ली सरकार के कुछ अस्पतालों में मरीज़ों का इलाज प्रभावित हुआ है.
सिख धार्मिक प्रतीकों के कथित अपमान को लेकर पंजाब में बीते दिनों दो लोगों की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई. जनभावनाएं लिंचिंग की इन घटनाओं के समर्थन में खड़ी नज़र आती हैं और मुख्यधारा के राजनीतिक दल व सिख स्कॉलर्स उन भावनाओं को आहत करना नहीं चाहते.
हरिद्वार में हुई तथाकथित धर्म संसद में कही गई अधिकांश बातें भारतीय क़ानूनों की धारा के तहत गंभीर अपराध की श्रेणी में आती हैं, लेकिन अब तक इसे लेकर की गई उत्तराखंड पुलिस की कार्रवाई दिखाती है कि वह क़ानून या संविधान नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी के लिए काम कर रही है.
सेना की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद बढ़े तनाव के मद्देनज़र केंद्र ने दशकों से नगालैंड में लागू विवादास्पद आफ़स्पा हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी की अगुवाई ने पांच सदस्यीय समिति गठित की है, जो 45 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी.
सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर दिल्ली और हरिद्वार में हुए हालिया कार्यक्रमों में मुस्लिम समाज के ख़िलाफ़ भड़काऊ बयान देने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के लिए निर्देश देने की मांग की है.
भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने उडुपी में हुए एक कार्यक्रम में कहा था कि हिंदू धर्म छोड़कर गए लोगों का वापस इसी धर्म में परिवर्तन टीपू जयंती पर होना चाहिए और यह 'घर वापसी' हिंदुओं की ज़िम्मेदारी है. सूर्या ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान के मुस्लिमों का हिंदू धर्म में परिवर्तन कराना चाहिए. पाकिस्तान अखंड भारत के विचार में शामिल है.
चंपावत ज़िले के सुखीढांग के एक सरकारी स्कूल की दलित रसोइए द्वारा बनाए गए मध्याह्न भोजन को कथित उच्च जाति के छात्रों द्वारा खाने से इनकार के बाद महिला को काम से हटा दिया गया था. शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने महिला को हटाने की वजह नियुक्ति में प्रक्रियागत चूक को बताया था.
रायपुर में 25-26 दिसंबर को आयोजित दो दिवसीय 'धर्म संसद' में 20 हिंदू धर्मगुरुओं ने शिरकत की थी. इस दौरान 'सनातनी हिंदुओं से हथियार उठाने की' अपील की गई और 'हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए तैयार रहने' को भी कहा गया.
भारत में ओमीक्रॉन स्वरूप के एक दिन में सर्वाधिक 156 मामले सामने आए हैं और इसी के साथ देश में कोरोना वायरस के इस नए स्वरूप से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 578 हो गई है. वहीं, विश्व में अब तक संक्रमण के 27. 99 करोड़ से अधिक मामले सामने आए हैं और 54 लाख से ज़्यादा लोग अब तक दम तोड़ चुके हैं.
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कोंकणी लेखक दामोदर मौउजो के पास वह क्षमता है जो उन्हें तात्कालिक बात से आगे देखने का मौक़ा देती है, जिसने उन्हें इस बात के लिए भी प्रेरित किया है कि वह ताउम्र महज़ कलम और कागज़ तक अपने को सीमित न रखें बल्कि सामाजिक-राजनीतिक तौर पर अहम मुद्दों पर भी बोलें, यहां तक कि समाज में पनप रहे दक्षिणपंथी विचारों, उनकी डरावनी हरकत के बारे में भी मौन न रहें.
सीजेआई के तौर पर जस्टिस रंजन गोगोई के कार्यकाल में तीन गुनाह हुए थे. रिटायर होने के बाद उन्होंने इसमें एक चौथा भी जोड़ दिया. पिछले दिनों आई उनकी किताब का मक़सद इन सभी का बचाव करना है, लेकिन हर मामले में यह ख़राब ही साबित हुआ है.
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि अगर अभिनेत्री सनी लियोनी और संगीतकार साकिब तोशी ने उनके नए गीत 'मधुबन में राधिका नाचे' को लेकर माफ़ी नहीं मांगी तो उनके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की जाएगी.
एम्स के वरिष्ठ महामारी रोग विशेषज्ञ व वयस्कों और बच्चों पर कोवैक्सीन टीके के परीक्षणों के प्रधान जांचकर्ता डॉक्टर संजय के. राय ने कहा कि किशोरों के वैक्सीनेशन के निर्णय पर अमल से पहले बच्चों का टीकाकरण शुरू कर चुके देशों के आंकड़ों का विश्लेषण करना चाहिए.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत द वायर सहित 17 अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने जुलाई में बताया था कि विपक्षी नेताओं, सरकार से असहमति जताने वालों और सरकारी अधिकारियों को संभवतः पेगासस के ज़रिये निशाना बनाया गया.
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58eb5315dec5432ae09a4932534a9c638fbd4651 | 4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है।
विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है।
किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है।
- ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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47e7cfa849b787cc89228194114228a1727be213 | बॉलीवुड मशहूर एक्ट्रेस अमीषा पटेल इन दिनों फिल्मों से तो दूर हैं लेकिन वो अक्सर अपने हॉट फोटोशूट को लेकर सुर्खियों में बन जाती हैं. अमीषा सोशल मीडिया पर हमेशा एक्टिव रहती हैं और हर थोड़े दिन में अपने हॉट फोटोज शेयर करती ही रहती हैं. अमीषा हमेशा अपने हॉट फोटोज को सोशल मीडिया पर शेयर करने के बाद चर्चाओं में आ जाती है.
हाल ही में अमीषा ने एक बार फिर अपनी कुछ बोल्ड तस्वीरें शेयर कर तहलका मचा दिया है. तस्वीरों में आप देख सकते है अमीषा ने रेड कलर की ड्रेस पहनी है जिसमे वो बेहद ही हॉट लग रही है. इस रेड हॉट ड्रेस में अमीषा ने अपने हॉट फिगर को फ्लॉन्ट किया है. उनकी रेड लिपस्टिक लगाई है जो अमीषा की खूबसूरती में चार चाँद लगा रही हैं.
वही दूसरी तस्वीरों में आप देख सकते है अमीषा अपने शर्ट के बटन खोलकर विराट पार्ट्स दिखाती हुई नजर आ रही है. पर्दे पर मासूम-सी दिखने वाली अमीषा असल जिंदगी में बेहद ही बोल्ड है. अमीषा पिछले काफी लम्बे समय से फ़िल्मी पर्दे से दूर है फिर भी वो अपनी हॉट तस्वीरों के कारण लाइमलाइट में बनी ही रहती है. अमीषा सनी देओल व अभिनेत्री प्रीति जिंटा के साथ फिल्म 'भैयाजी सुपरहिट' में नजर आने वाली है.
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8fc22960633440ad0543171c3c243a6f19b066a07290d0ee69e90c9d131e3136 | नियोजन एवं विकास तथा क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करने एवं समतावादी समाज की संरचना के लिए केवल राज्य स्तर पर विश्वसनीय सूचनायें एवं तथ्यों के संकलन की आवश्यकता नहीं है, वरन क्षेत्रीय स्तर एवं जनपदीय स्तर पर इस प्रकार की सूचनायें प्राप्त करना आवश्यक है। 62
अतः प्रस्तुत शोध प्रबन्ध में अध्ययन के क्षेत्र को उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड सम्भाग तक ही सीमित रखा गया है, जिसमें पाँच जिले- झाँसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बाँदा आते हैं। यह सम्भाग 24°20 एन अक्षांस से 26° 30 एन तक तथा 78° 10 बी से 81°31 देशान्तर तक फैला हुआ है। इसके उत्तर पूर्व में यमुना नदी बहती है और इटावा, कानपुर देहात, फतेहपुर, इलाहाबाद जनपदों के द्वारा इसकी उत्तरी सीमा निर्धारित होती है। पश्चिम में मध्य प्रदेश के भिण्ड, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी और गुना जिले हैं। दक्षिण में मध्य प्रदेश के ही सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना और सतना एवं रीवा जिलों के द्वारा इसकी सीमा निर्धारित होती है।
अध्ययन विधि :प्रस्तुत शोध प्रबन्ध के अन्तर्गत बुन्देलखण्ड क्षेत्र में कृषकों की दशा एवं ऋण की आवश्यकता तथा पूर्ति के साधनों में केवल सहकारी संगठन द्वारा कृषि साख में योगदान का अध्ययन किया गया है। यह द्वितीयक समंकों पर आधारित अनुभवजन्य अध्ययन है। अध्ययन के लिए विस्तरीय ढाँचा प्राथमिक स्तर पर सहकारी कृषि ऋण समितियाँ, जिला स्तर पर केन्द्रीय सहकारी बैंक एवं राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंक, जोकि अल्पकालीन तथा मध्यकालीन की आपूर्ति करते हैं एवं दीर्घकालीन साख प्रदान करने के लिए भूमि विकास बैंक का अध्ययन किया गया है। कृषि साख की आवश्यकता, कृषि वित्त में | pdf |
d87e216dd8fb336ef1791cd959aeea3f4f6ca4f7 | देवबंद- मां त्रिपुर बाला सुंदरी मेला प्रांगण में बने महामंत्री रामकरण बौद्ध व मेंविभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने उप जिलाधिकारी को एक पत्र प्रेषित कर मेला शुरू होने से पूर्व अम्बेडकर द्वार निर्माण की मांग की।
उल्लेखनीय है कि पिछले 7 वर्षों से अंबेडकर जागरूक मंच एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोग डॉक्टर अंबेडकर शताब्दी द्वार की निर्माण की मांग कर रहे हैं।
यह द्वार सन 1991 में अंबेडकर जागरुक मंच ने बनवाया था। सड़क चौड़ीकरण को लेकर नगर पालिका परिषद ने उप जिला अधिकारी को अवगत कराते हुए मंच को एक पत्र लिखा था।
मंच ने कुछ मांगे नगरपालिका के सामने रखी थी , उन सभी मांगों को मानते हुए नगर पालिका परिषद ने डॉ आंबेडकर शताब्दी द्वार को अपने खर्चे से त्रिपुर मां बाला सुंदरी मेला प्रांगण में सरकारी जमीन पर पुनः स्थापित करने के हेतु एक स्वीकृति पत्र रामकरण बोध महामंत्री अंबेडकर जागरूक मंच को जारी किया था।
परंतु निरंतर द्वार निर्माण की मांग करने पर भी नगर पालिका परिषद ने द्वारा निर्माण नहीं किया। उप जिला अधिकारी ने अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद को मांगों का निस्तारण करने के लिए आदेशित कर दिया है ।
इस अवसर पर समाजसेवी रजनीश एडवोकेट, दलित सेना जिला अध्यक्ष शिव कुमार, भीम आर्मी से दीपक बौद्ध, शौर्य अंबेडकर, रविकांत,
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0ab6debdaff62e0d4edf3f22fa3f9d419a49fd94 | सुगंधा मिश्रा और कॉमेडियन संकेत भोसले ने इंस्टाग्राम पर अपनी शादी की फोटोज को शेयर किया। तेलुगु स्टार अल्लू अर्जुन भी कोरोना से संक्रमित हो गये हैं। अभिनेता ने इंस्टाग्राम पर अपने स्वास्थ्य की जानकारी देते हुए खुद को घर पर आइसोलेट कर लिया है।
अभिनेत्री सुगंधा मिश्रा और कॉमेडियन संकेत भोसले ने इंस्टाग्राम पर अपनी शादी की फोटोज को शेयर किया। दोनों की शादी 26 अप्रैल को जालंधर में हुई थी। फोटो में संचित सुगंधा को जयमाला पहना रहे है। पिंक लहंगे में सुगंधा बेहद खूबसूरत लग रही है, वहीं साकेत भी शेरवानी में किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहे है।
संकेत को टीज करते हुए सुंगधा ने फोटो के साथ कैप्शन दिया, "इसी के साथ योर लाइफ, माई रूल्स" सुंगधा संकेत की पोस्ट पर उनके दोस्तों ने दोनों ढेर सारी बधाईयां दी।
तेलुगु स्टार अल्लू अर्जुन भी कोरोना से संक्रमित हो गये हैं। अभिनेता ने इंस्टाग्राम पर अपने स्वास्थ्य की जानकारी देते हुए खुद को घर पर आइसोलेट कर लिया है। अर्जुन ने लिखा, "सभी को नमस्कार! मैं कोविड पॉजिटिव हो गया हूं। मैंने खुद को घर पर आइसोलेट कर लिया है और सभी प्रोटोकॉल का पालन कर रहा हूं। "
उन्होंने उन लोगों से भी टेस्ट कराने का आग्रह किया जो उनके संपर्क में आये थे। उन्होंने कहा, "घर पर रहें, सुरक्षित रहें और मौका मिलने पर टीका लगवाएं। " अभिनेता ने साझा किया कि वह ठीक हो रहे हैं और उसके प्रशंसकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।
मंदिरा बेदी जल्द ही अपनी आने वाली मर्डर मिस्ट्री सीरीज में एक पुलिस अधिकारी के किरदार में नजर आएंगी। अपने किरदार के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं रूहाना धुलप का किरदार निभा रही हूं, जो एक तेज तर्रार और शानदार पुलिस अधिकारी है। इसकी कहानी एक युवा व्यवसायी की हत्या के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक काफी पेंचीदा मामला है। इसे सुलझाने के लिए वह अपना पूरा दम लगा देती है। "
उन्होंने आगे कहा, "मैं इससे पहले भी पुलिस ऑफिसर के किरदार में काम कर चुकी हूं, लेकिन रुहाना का किरदार अलग है और मैंने इसे काफी एंज्वॉय भी किया है। उसका सवाल करने और केस को हल करने का अपना एक तरीका है। मैं इस सीरीज को लेकर काफी एक्साइटेड हूं। "
भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार अरविन्द अकेला कल्लू अपने चाहने वालों के मनोरंजन के लिए बहुत ही इंटरटेनिंग वीडियो गाने लेकर आए हैं। कल्लू, ट्रेंडिंग गर्ल नीलम गिरी और पॉपुलर गायिका शिल्पी राज की तिकड़ी का धमाल वीडियो सांग 'बियाह बिना बिगरतारु' वर्ल्डवाइड रिकॉर्डस भोजपुरी के ऑफिसियल यूटयूब चैनल पर रिलीज किया गया है।
इस गाने में कल्लू और नीलम गिरी की गजब केमिस्ट्री नजर आ रही है, जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं। गाने में कल्लू के मधुर सुर में गायिका शिल्पी राज ने भी सुर मिलाया है।
अभिनेत्री सारा खान ने रमजान के महीने के दौरान अपने परिवार के साथ बिताने के लिए हाल ही में लंबे समय बाद अपने गृहनगर भोपाल की यात्रा की। सारा ने कहा कि वह अपने परिवार के साथ कुछ क्वालिटी टाइम (बेहतर समय) बिताने के लिए लगभग 10 साल बाद भोपाल आई। सारा ने कहा, "यह कोविड-19 महामारी बहुत कठिन समय है, लेकिन मैंने सभी आवश्यक सावधानी बरती और सुनिश्चित किया कि मैं रमजान के इस पवित्र महीने के दौरान अपने बड़ों और नानी का आशीर्वाद प्राप्त करूं। "
सारा रसोई में इफ्तार और सेहरी की रेसिपी के साथ प्रयोग भी करती रही हैं। अभिनेत्री का कहना है कि जब आप अपने परिवार के सदस्यों से घिरे होते हैं तो उपवास करना कठिन नहीं होता है।
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e570a57a54b08800c4c55f086c588f2237ed30d6 | ऐसा कभी होता नहीं था।
मम्मी इतनी सुबह उठ कर कभी आगोश को जगाने आती नहीं थीं।
इसीलिए जैसे ही मम्मी ने आगोश की चादर खींच कर उघाड़ी, वो अचकचा कर बोल पड़ीं- छी- छी... ये कैसे सो रहा है?
- बेटा, एसी तो बंद कर दिया कर... कहती हुई मम्मी जल्दी से कमरे से बाहर निकल गईं।
आगोश झटपट उठ कर पहले बाथरूम गया फिर कूदता हुआ मम्मी के पास आया।
- हां, ये तो बताओ जगाया क्यों?
- बेटा, तू दौड़ कर बाहर जा, ज़रा देख कर तो आ, अपने गैरेज के सामने ये पीली गाड़ी किसकी खड़ी है?
- पीली गाड़ी? आगोश ने आश्चर्य से कहा। फ़िर बोला- कोई आया होगा डैडी से मिलने।
... पर गाड़ी यहां क्यों पार्क करेगा? आगोश बाहर की तरफ़ भागा।
- उधर क्लिनिक वाले पार्किंग में जगह नहीं होगी, इसलिए कोई यहां गाड़ी खड़ी कर गया। मैं देखता हूं उधर, कौन है! पर गाड़ी है बड़ी शानदार! एकदम यूनिक।
- अच्छी है? मम्मी ज़ोर से हंसती हुई हाथ में मिठाई की एक प्लेट पकड़े आगोश की तरफ़ आईं।
मम्मी की खिलखिलाहट को आगोश अभी बौखलाया हुआ देख ही रहा था कि मम्मी बोलीं- अच्छी है न? तो ले, मुंह मीठा कर।
आगोश चौंका।
मम्मी ने बताया - ये तेरी है। कल रात को देर से आई। तू कल जल्दी ही सो गया था न, इसलिए मैंने जगाया नहीं। सोचा, सुबह- सुबह तुझे सरप्राइज़ दूंगी।
आगोश कुछ ज़्यादा ख़ुश नहीं दिखा। उसने मम्मी के हाथ से लेकर मीठे का टुकड़ा तो खा लिया पर कुछ विचित्र सी मुद्रा में डायनिंग टेबल पर जा बैठा। उसकी नींद भी अभी पूरी तरह खुली नहीं थी।
मम्मी बोलीं- मैं समझ गई। तुझे पसंद नहीं आई!
आगोश कुछ नहीं बोला।
मम्मी किसी अपराधी की भांति उसके करीब आईं और बोलीं- बेटा, सारी ग़लती मेरी ही है, तेरे डैडी तो कह रहे थे कि आगोश से ही चॉइस कराओ, पर मैंने ही कह दिया कि मुझे आगोश को सरप्राइज़ देना है। वो मेरी पसंद को रिजेक्ट थोड़े ही करेगा।
अब आगोश हंसा। बोला- ओहो मॉम, किसने कहा कि मुझे पसंद नहीं आई। शानदार है!
- कैसे? आगोश ने कुछ अचरज से कहा।
- क्यों, उस दिन तू नहीं कह रहा था कि आर्यन को एक बड़े टीवी सीरियल में काम मिल गया, अब तो वो थोड़े ही दिनों में गोल्डन- येलो कलर की गाड़ी में घूमेगा। मम्मी ने सफ़ाई दी।
मम्मी फ़िर से कुछ सीरियस होकर बोलीं- क्यों, तो क्या तू अपनी दुल्हन मेरी पसंद से नहीं लाएगा?
आगोश हंसने लगा।
- डैडी कहां हैं, उन्हें जाकर थैंक्स तो कह दूं। आगोश उठते हुए कहने लगा।
मम्मी एकदम से ख़ुश होकर बोलीं- हां - हां जा बेटा, कह दे, वो बहुत खुश होंगे, वो तो बेचारे तुझे कुछ गिफ्ट देते हुए भी डरते हैं... फ़ोन कर दे।
- फ़ोन क्यों? डैडी हैं कहां? क्या इतनी जल्दी क्लिनिक में जा बैठे?
मम्मी ने कुछ अचकचा कर धीरे से बताया- अरे बेटा, मैं तो तुझे बताना ही भूल गई। वो तो कल रात की फ्लाइट से एमस्टर्डम गए हैं।
आगोश का मूड एकाएक कुछ उखड़ गया। उसने फ़ोन हाथ में उठाया तो सही पर डैडी को किया नहीं। वह फ़ोन हाथ में पकड़े- पकड़े ही अपना लोअर उतार कर पटकता हुआ अपने कमरे के वाशरूम में घुस गया।
मम्मी भी कुछ मायूस सी होकर अपने कमरे में चली गईं।
आगोश ने लैट्रीन की सीट पर बैठे- बैठे ही आर्यन को फ़ोन मिलाया।
उधर से आर्यन की आवाज़ आई- इतनी सुबह- सुबह कैसे याद फरमाया ?
- हां यार, आज ज़रा जल्दी उठना पड़ा।
- क्यों?
- डॉन का तोहफ़ा कुबूल करना था।
- कैसा तोहफ़ा? कांग्रेचुलेशंस। बधाई हो।
- थैंक्स।
- मिला क्या तोहफ़े में?
- तेरे लिए गाड़ी।
- मेरे लिए? मेरे लिए क्यों? तुझे मिली है तो तेरे लिए होगी न। आर्यन ने कहा।
- मुझे मिली है तो क्या, जा मैंने तुझे दी। अब तेरी हो गई न। बस।
- पर ये तो बता, मिला किस बात के लिए तोहफ़ा? आर्यन ने पूछा।
- अरे यार छोड़ न, फ़िर किया होगा कोई गुल- गपाड़ा। और मुझे मेरा कमीशन दे दिया ताकि मैं मुंह बंद रखूं।
आर्यन हंसने लगा।
आगोश बोला- तू बता, कैसी रही यार तेरी मीटिंग कल वाली?
- स्टोरी- सैशन था। हम सब लोग एक साथ थे। आर्यन ने कहा।
- बाक़ी तो सब ठीक है, बस तू ज़रा उस बिल्ली से बचके रहना। आगोश ने कहा।
- बिल्ली? कौन बिल्ली? मैं कुछ समझा नहीं। आर्यन चौंका।
आर्यन ज़ोर से हंसने लगा। बोला- अबे, मैडम तो कभी अकेले में मिलती तक नहीं हैं किसी से.. सबकी मीटिंग एकसाथ ही लेती हैं, पूरी टीम होती है एकसाथ।
- चल तो मैं धोता हूं अब, बाय!
आर्यन की फ़िर खूब ज़ोर से हंसने की आवाज़ आई। बोला- साले, अंदर भी फ़ोन लेकर बैठा है!
आगोश ने फ्रेश होकर पहले मम्मी के साथ डायनिंग टेबल पर बैठ कर जम कर ज़ोरदार नाश्ता किया फ़िर अपने कमरे में जाकर फ़ोन पर बैठ गया।
उसने सब दोस्तों को फ़ोन पर ही बताया कि उसने नई कार खरीदी है और इस ख़ुशी में शाम को रूफटॉप में हम सब एकसाथ खाना खायेंगे। पार्टी !
केवल मधुरिमा ने थोड़ी ना- नुकर की, बाक़ी सब मान गए। लेकिन थोड़ा ज़ोर देने पर मधुरिमा भी आने के लिए तैयार हो गई।
इस बार की पार्टी की एक ख़ास बात थी। सबको रस ले- लेकर आगोश ने बताया कि आज की पार्टी डिनर- कम- ड्राइव है। इसलिए अपनी नई गाड़ी से आगोश बारी- बारी से सबको उनके घर से लेने आयेगा, फ़िर पहले तो सब एक साथ में एक लॉन्गड्राइव पर जाएंगे और उसके बाद डिनर होगा।
आगोश ने सबको बता दिया कि पार्टी के बाद आगोश सबको उनके घर भी छोड़ेगा। मज़ा आ गया!
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d9cf49fcb5d0814923dd690a48f3a372776a168e | चना तो हर घर में इस्तेमाल होने वाला अनाज है. लोग इसकी सब्जी बहुत पसंद से खाते है. चना कई ड्राई फ्रूड्स से ज्यादा फायदेमंद होता है. वहीं भिगोए हुए चने में प्रोटीन, फाइबर, मिनरल और विटामिन की भरपूर मात्रा होती है, जिनका रोज सुबह सेवन करके कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है.
1-चने में आयरन भरपूर मात्रा में होता है, जिनका रोज सुबह सेवन करने से एनीमिया की प्रॉब्लम दूर होती है.
2-चने में फॉस्फोरस और मैगनीज जैसे मिनरल्स होते है. जो रिंगवार्म और खुजली जैसी स्किन डिजीज में फायदा करते है.
3-चने में पाए जाने वाले अल्फा लिनोलेनिक और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते है, जो बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के लेवन को कम करते है. इसी के साथ हार्ट अटैक से बचाते है.
4-चने में दूध और दही के समान कैल्शियम पाया जाता है, जिसका रोजाना सुबह सेवन करने से हड्डियां मजबूत रहती है.
5-चने में भरपूर मात्रा में फॉस्फोरस होता है, जो हिमोग्लोबिन के लेवल को बढ़ाने का काम करता है और किडनी की सफाई करता है.
6-चने में मिनरल्स और आयरन होते हैं, पीलिया ग्रस्त रोगी को चना खिलाने से काफी राहत मिलती है.
7-चने में अमीनो एसिड, ट्रिप्टोफान और सेरोटोनिन भरपूर होते है, जो तनाव को दूर करके दिमाग को शांत करते है.
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8b5c81aa3e18eeb307baad3998c9a2fbeca4a5cec8e3875d42e6565198c21093 | १ अहिंसा-व्रत
जैसे नदी के प्रवाह को मर्यादित रखने के लिये दो किनारों की आवश्यकता होती है, वैसे ही जीवन के प्रवाह को शुद्ध और सरल बनाने के लिये व्रतों की आवश्यकता है। नदी अगर यह कहे कि 'मुझे दो किनारों का बंधन नहीं चाहिये, मैं तो स्वतंत्र होकर बहूँगी तो उसका पानी इतस्ततः छिन्न-भिन्न हो जायगा । यही हाल मानव जीवन का भी है। मनुष्य पर व्रतों का बंधन नहीं रहेगा, तो उसकी जीवन-शक्ति भी तितर-वितर होकर क्षीण हो जायगी । अतः जीवन-शक्ति को केन्द्रित कर योग्य दिशा में उसका उपयोग करने के लिये व्रतों को अनिवार्य आवश्यकता है।
भगवान् महावीर ने वारह व्रत बताये हैं। उसमें सबसे पहला व्रत अहिंसा का है । दशवकालिक सूत्र में कहा है किसव्वे जीवा वि इच्छन्ति जोविउं न मरिज्जिउं । तम्हा पाणीवह घोरं निग्गंथा वज्जयंति रगं ।।
अर्थात्- सभी प्राणियों को जीवन प्रिय होता है और मरण अप्रिय । अतः साधक पुरुषों द्वारा प्राणी वध नहीं किया जाना चाहिये, क्योंकि यह भयंकर पाप है ।
हिंसा की व्याख्या करते हुए प्राचार्य उमास्वाति कहते हैं कि- 'प्रमत्तयोगात् प्राण-व्यपरोपणं हिंसा' प्रर्थात् प्रमत्तयोग से प्राणों का नाश करना हिंसा है। प्रमत्तयोग अर्थात् राग-द्वेष से की गई प्रवृत्ति हिंसा होती है ।
सब प्राणियों को अपने कर्मानुसार रक्षा करने के लिये नाखून, खाने के लिये दाँत और डाढ़, देखने के लिये नेत्र, सुनने के लिये कान, सूंघने के लिये नाक, चखने के लिये जीभ श्रादि मिले हुए हैं । इन अंगोपांग को छीन लेने का अधिकार मनुष्य को नहीं है । जो मनुष्य एक नाचीज मक्खी की पांख भी नहीं बना सकता है, उसे उसको मारने का क्या अधिकार है ?
परन्तु स्वार्थांध बना हुआ मनुष्य कुछ विचार नहीं कर सकता है। मांसाहार करने वाले कई बार यह दलील करते हैं कि 'ये सभी पशु-पक्षी किसके लिये उत्पन्न किये गये हैं ? ईश्वर ने इन्हें मनुष्यों के लिये ही उत्पन्न किया है ।' ऐसा कहने वालों से अगर सिंह यह कहे कि 'ईश्वर ने मनुष्यों का सृजन मेरी खुराक के लिये ही किया है' तो कहिये लोग इसका क्या जवाब दे सकेंगे ?
इस दलील में और कोई तथ्य नहीं है। उसमें केवल स्वार्थ और स्वादलोलुपता ही है । जैसा जीव मनुष्य में है, वैसा ही जीव पशु पक्षियों में भी है । जैसे मनुष्य यह नहीं चाहता कि सिंह या वाघ उसको अपना आहार बना ले, वैसे ही मनुष्य को भी चाहिये कि वह अपने खाने के लिये पशु-पक्षियों का उपयोग न करें ।
हां, यह सच है कि मनुष्य में एक विशिष्ट प्रकार की बुद्धि है, जो कि पशु-पक्षियों में नहीं है । परन्तु इसका अर्थ यह नहीं,
कि वह इसका उपयोग पशु-पक्षियों को पकड़ने में, मारने में और खाने में करें । ऐसा करना तो बुद्धि का दुरुपयोग ही कहा जायेगा । अतः उसे अपनी बुद्धि का सदुपयोग सब की रक्षा करने में ही करना चाहिये ।
जैसे मानव को अपना जीवन- प्रिय है, वैसे पशु-पक्षियों और छोटे-छोटे जीवों को भी अपना जीवन प्रिय होता है । अतः जीव हिंसा से दूर रहना चाहिये । अहिंसा आध्यात्मिक जीवन की है- नींव है । इसीलिये बारह व्रतों में उसे सर्व प्रथम स्थान दिया गया है । भगवान् महावीर के शब्दों में कहें, तो श्रहिंसा भगवती है । विना भगवती की शरण में प्राये साधक. पुरुष अपना विकास नहीं कर सकता है ।
सब व्रतों में हिंसा व्रत जितना महत्त्वपूर्ण है उतना ही उसका पालन दुष्कर है । महात्माजी के शब्दों में कहें तो 'अहिंसा का मार्ग जितना सीधा है, उतना ही वह सकडा भी है। यह मार्ग खांडे की धार पर चलने जैसा है । नट, जिस रस्सी पर एक नजर रख चलते हैं, उससे भी सत्य-अहिंसा की यह रस्सी पतली है । थोड़ी भी सावधानी रही कि धड़ाम से नीचे जा गिरे । उसके दर्शन तो प्रतिक्षण उसकी साधना करने से ही हो सकते हैं ।'
किसी को भी नहीं मारना - इसका समावेश तो होता ही है, परन्तु कुविचारों को नहीं छोड़ना भी किसी का बुरा चाहना, जो वस्तु दूसरों को चाहिये अपना अधिकार जमाये रखना भी हिंसा है ।
हमें हिंसा है । उस पर
अहिंसा के पालन से ही सच्ची शान्ति प्राप्त की जा सकती है । हिंसा से कभी शान्ति नहीं मिल सकती । अंग्रेज लेखक
ल्युथर ने कहा है कि - Nothing good ever comes of violence अर्थात् - हिंसा में से कभी अच्छा परिणाम निकलने वाला नहीं है। एक दूसरे अनुभवी ने लिखा है कि - The violence done to us by others is often less painful than that which we do to others. अर्थात् हम दूसरों को कष्ट देते हैं, उसके बदले अगर वे हमें कष्ट दें, तो यह उतना दुःखदायी नहीं होता है, जितना कि हम दूसरों को देते हैं । हम दूसरों को अधिक कष्ट देते हैं, जब कि दूसरों की तरफ से हमें बहुत कम कष्ट दिया जाता है । इस वक्रोक्ति में रहस्य यह है कि अपनी तरफ से किसी को दुःख न पहुँचे, इसकी हमें सावधानी रखनी चाहिये । दूसरे शब्दों में कहें, तो खुद सहन करना और दूसरों को न सताना, यही सबका ध्येय होना चाहिये । इसी का नाम हिंसा है ।
दया, करुणा, अनुकम्पा, सेवा, प्रेम, मैत्री आदि सभी अहिंसा के ही स्वरूप हैं । दयालु-हृदय नन्दनवन की तरह होता है । जैसा कि कहा भी है - Paradise is open to all kind hearts. दयालु-हृदय के लिये स्वर्ग के द्वार खुले ही होते हैं । निष्ठुर-हृदय के बादशाह से एक दयालु हृदय का कंगाल वड़ा-चढ़ा होता है । यही बात टेनीसन ने भी कही है कि- Kind hearts are more than coronets. एक दूसरे विद्वान् ने भी कहा है कि Kindness is the golden chain by which society is bound together. ufq çar aîì zavi
जंजीर समाज को संगठित रखने के लिये है। वायरन के शब्दों में कहें तो - The drying up a single tear has more of honest fame than shedding ceas of gore. अर्थात[ ७
युद्ध में खून को नदियाँ बहा देने वाले विजेता से वह साधारण मनुष्य, जो दुखी मानव का ग्रांसू पोंछता है, अधिक प्रशंसा का पात्र है । अतः अहिंसा के साथ-साथ दया और मैत्री की भी आराधना करनी चाहिये ।
दया से जीवन उन्नत बनाया जा सकता है । एक समय की बात है, एक जंगल में आग लग गई। सभी पशु-पक्षी उससे बचने के लिये इधर-उधर दौड़ रहे थे । उस जंगल में एक हाथीभी अपने झुण्ड के साथ रहता था । आग से बचने के लिये उसने अपने झुण्ड के साथ मिल कर एक योजन अर्थात् चार कोस का मैदान साफ कर डाला । जहाँ एक सूखी घास का तिनका भी न रहा, वहाँ अब आग लगने का डर नहीं था । अतः भागे हुए पशु वहाँ आकर इकठ्ठे होने लगे । हाथी ने तो अपने समुदाय की रक्षा के लिये ही यह मैदान साफ किया था, परन्तु फिर भी उदार भाव से उसने अन्य प्राणियों को भी वहाँ आश्रय दिया । मैदान पशुओं से सारा भर गया था । कहीं पांव रखने की भी जगह न रही । इतने में एक खरगोश वहाँ ग्रा पहुँचा । पर जगह कहाँ ? इतने ही में नायक हाथी ने अपना एक पाँव शरीर खुजलाने के लिये ऊपर उठाया । खरगोश ने पाँव के नीचे की जगह खाली देखी, तो तुरन्त वहाँ आकर बैठ गया । हाथी ने पाँव नीचा किया, तो उसे मालूम हुआ कि यहाँ भी कोई प्राणी आकर बैठ गया है । अतः उसने अपना पाँव पुनः ऊपर उठा लिया और तीन पैर से ही खड़ा रहा ।
जंगल की दावाग्नि तीन दिनों बाद शान्त हुई । उस दिन तक हाथी ने अपना पाँव ऊपर ही उठाये रखा । अग्नि के शान्त हो जाने पर वहाँ के सभी प्राणी धीरे-धीरे बाहर निकलने लगे ।
उस खरगोश के चले जाने पर हाथी ने भी अपना पाँव जमीन पर रखने के लिये नीचा किया। परन्तु लगातार तीन रोज तक इस तरह खड़े रहने से उसकी नसें तन गई थीं अतः धड़ाम से नीचे गिर पड़ा और तत्काल ही मृत्यु को प्राप्त हो गया ।
यही हाथी का जीव मगध राजा श्रेणिक के यहाँ मेघकुमार के नाम से उत्पन्न हुआ। अनुकम्पा, करुणा, दया या ग्रहिंसा का ही प्रताप है, 'कि एक हाथी का जीव मर कर राजकुमार
बना ।
हाथी जैसा प्राणी भी अपने जीवन की परवाह न कर इतनी दया पाल सकता है, तो संस्कारी मानव से विशेष प्राशा रखना अस्वाभाविक नहीं कहा जा सकता ।
हाथी का यह प्रदर्श दृष्टान्त ग्राज के श्रीमन्तों को याद रखने जैसा है । हाथी जैसे पशु के पास अन्य कोई ऐसा वाह्य साधन नहीं होता है कि जिससे वह दूसरों की मदद कर सके । फिर भी उसने अपने शरीर बल का उपयोग कर चार कोस की जमीन पशु-पक्षियों के रक्षण के लिये साफ कर दी - उपद्रव रहित बना दी । तब कहिये, ग्राज के श्रीमन्त जिनके पास सूट द्रव्य और आय के भी अनेकों साधन हैं, वे चाहें तो अपने तन, मन, धन और द्रव्य - साधन सामग्रियों का कितना सदुपयोग कर सकते हैं ?
हाथी जितना करुणाभाव भी आज के श्रीमन्तों में श्रा जाय, तो संसार की विषमता दूर होने में देर न लगे । विषमता दूर होने पर सव मनुष्य अपना जीवन सुख से व्यतीत कर सकते
। फिर किसी को भी अपने जीवन निर्वाह के लिये श्रनीति का सहारा न लेना पड़े, न असत्य बोलना पड़े, और न किसी
का शोषण ही करना पड़े। ऐसा करने से ही दोनों को अर्थात् श्रीमतों और गरीबों का श्रेय निहित है।
विशेष भोग देने की बात तो दूर रही, श्रीमन्त अपने मकान की छाया का उपयोग ही गरीबों को करने दें, तो इससे उन्हें काफी राहत मिल सकती है। बचा हुआ अन्न, फटे हुए वस्त्र और काम में न आने वाली अन्य वस्तुएँ गरीबों को दे दी जाय, तो यही उनके लिये रेगिस्तान में पानी की नहर सिद्ध होगी । श्रीमन्तों के लिये तो यह बढ़े हुए नखों और बालों को काट डालने जैसी सामान्य वात ही कही जायगी।
किसी-किसी स्थान पर तो बिल्कुल विपरीत स्थिति दिखाई पड़ती है। अपने कुए में से कोई गरीब पानी भरने प्राता है, तो उसे चौकीदार द्वारा धमकाया जाता है । कुए के पानी का भी यह हाल है, तो नल के पानी की तो बात ही कहाँ रही ? ऐसी संकुचित मनोवृत्ति वालों के लिये मेघकुमार के हाथी के भव की अनुकम्पा उदारता और स्वार्थ त्याग की भावना शिक्षाप्रद है ।
हमारे पूज्य गुरुदेव इन सब व्रतों की बड़ी व्यापक और सुन्दर व्याख्या करते हैं । वे कहते हैं कि 'मन, वचन और काया की कोई भी प्रवृत्ति करने से पूर्व उसके भावी परिणाम का विवेकमय विचार करना अहिंसा है। अहिंसा का उपासक व्यापार करने से पूर्व यह विचार कर लेता है कि मेरा व्यापार शोषक है या पोषक ? जिस व्यापार से दूसरे की आजीविका छिन जाती हो, हिंसा का आधार लेना पड़ता हो, तो ऐसे व्यापार से हिंसक व्यक्ति अलग ही रहता है । वह अपने जीवन की हर एक प्रवृत्ति को इसी कसौटी पर कस कर देखता है । इसका प्राचार, विचार. और उच्चार अहिंसामय ही होता है।'
जैन लोग जलाने के लिये लकड़ी या कंडों का उपयोग भी देन कर करते हैं । चूल्हा, सिगड़ी, चक्की आदि को भी साफ कर उपयोग में लाते हैं । शाक-भाजी को भी बारीकी से देखकर पकाते हैं। इस प्रकार लट, कीड़ी ग्रादि जीवों की रक्षा करने के लिये इतनी सावधानी रखते हैं। वनस्पति के जीवों की रक्षा करने के लिये वे अमुक हरी शाक-भाजी का भी त्याग कर देते हैं । एक लट को मारने के लिये यदि कोई उसे पाँच लाख रुपया भी दे, तो वह उन्हें लेकर लट को मारने के लिये तैयार नहीं होगा । इस प्रकार अहिंसा के पालन में जैन लोग इतनी अधिक सावधानी रखते हैं, फिर भी प्रश्न यह है कि उनकी अहिंसा में तेजस्विता क्यों नहीं है ? इसका उत्तर स्पष्ट है कि वे हिंसा का व्यापक अर्थ समझे नहीं हैं। हिंसा के दो प्रकार हैं - एक विषेधात्मक अहिंसा और दूसरी विधेयात्मक अहिंसा । किसी भी जीव को कष्ट नहीं देना, निषेधात्मक अहिंसा है और पीड़ितों का दुःख दूर करना, यह विधेयात्मक ग्रहा है। जैसे किसी को कष्ट देना हिंसा है, वैसे ही शक्ति होने पर पीड़ितों का दुख दूर न करना भी हिंसा है । एक मनुष्य भूख से तड़फड़ा रहाहो, और आपके पास बचा हुआ भोजन पड़ा हो, फिर भी आप उसकी भूख शान्त न करें, तो अहिंसा का पालन कैसे किया जा सकता है ? एक मनुष्य कपड़े के विना ठंड से थरथर काँप रहा है, आपके पास वस्त्रों की पेटियाँ भरी पड़ी हैं, आप चाहें तो उसे वस्त्र देकर उसका कष्ट निवारण कर सकते हैं, फिर भी आप उसके प्रति उपेक्षा रखें, तो ऐसी हालत में श्राप हिंसक कैसे कहे जा सकते हैं ? एक बीमार मनुष्य की सेवा करने के लिये आपके पास समय और सामर्थ्य भी है, फिर भी आप उसकी सेवा न करें तो
समझ लेना चाहिये, कि अभी आपके जीवन में अहिंसा पूर्ण रूप से प्रकट नहीं हुई है । ज्ञान होने पर दूसरों का
दूर नहीं करते हैं, तो समझ लेना चाहिये कि अभी हम अहिंसा का विधेयात्मक रूप समझे ही नहीं । बिजली के भी दो तार होते हैं - नेगेटिव और पोजेटिव । ये दोनों जब शामिल होते हैं, तभी बिजली प्रकाश देती है । इसी प्रकार जीवन में भी जब अहिंसा के दोनों प्रकाशों का निषेधात्मक और विधेयात्मक रूपों का संगम होता है, तभी वह अहिंसा सजीव होकर तेजस्वी बन सकती है ।
मैत्री, अहिंसा का विधेयात्मक स्वरूप है। मंत्री सुखप्रद है और द्वेष दुःखप्रद । मनुष्यों के परस्पर व्यवहार में मंत्री का प्रभाव होता है, तो दुनिया में दुख बढ़ जाता है । चोर को अपना घर छोड़ कर दूसरा घर प्रिय नहीं होता । इसीसे वह अपने लाभ के खातिर दूसरे के घर से चोरी करने के लिये प्रेरित होता है एक खूनी अपने शरीर को ही चाहता है, दूसरे के शरीर को नहीं । इसीसे वह दूसरे का खून करने के लिये तत्पर हो जाता है। एक श्रीमन्त अपने कुटुम्ब को ही चाहता है, दूसरों के कुटुम्ब को नहीं । इसीसे वह अपने कुटुम्ब की भलाई के लिये दूसरों के कुटुम्बों का शोषण करता है । राजा अपने देश के सिवाय अन्य देशों को नहीं चाहता है । इसीलिये वह दूसरे देशों पर चढ़ाई करता है । अपने घर की तरह ही दूसरों का घर भी समझ लिया जाय, तो फिर कोई किसी के यहाँ चोरी कर सकता है ? सभी अपने शरीर की तरह ही दूसरों का शरीर भी कीमती समझने लग जाय, तो फिर कोई किसी का खून कर सकता है ? सभी अपने कुटुम्ब की तरह ही ग्रन्थ कुटुम्बों को भी चाहने लग जाय,
तो कौन किसका शोषण कर सकता है ? सभी अपने देश की तरह अन्य देशों को भी चाहने लग जाएं, तो कौन किस पर चढ़ाई कर सकता है ? इस प्रकार अगर गहरा विचार किया जाय, तो प्रतीत होगा कि दुनिया के सभी दुःखों की एक दिव्य औषधिमैत्री ही है ।
अहिंसक पुरुप सेवाभावी होता है, उसमें सेवावृत्ति ठूंसठूस कर भरी होती है। अहिंसा के आराधक को अपने घर से सेवा की शुरुआत करनी चाहिये और धीरे धीरे उसे सारी दुनियाँ तक फैला देनी चाहिए । परन्तु उसकी सेवा में स्वार्थ की गंध नहीं
चाहिए । सेवा निष्काम भाव से करनी चाहिये । अन्यथा वह सेवा, सेवा नहीं, कुसेवा हो जायगी । सेवा के क्षेत्र में ऊंचनीच का भेदभाव, गरीब-श्रीमन्त का भेदभाव या स्वजन-परजन का भेदभाव नहीं हो सकता है । ऐसी निःस्वार्थ अहिंसा का प्रभाव हर एक पर पड़ता है । जितने परिमाण में सेवा का विकास हुआ होता है, उतने ही परिमाण में उसका प्रभाव भी पड़ता है। अहिंसक के सामने क्रूर प्राणी भी अपनो हिसक स्वभाव भूल कर नम्र वन जाता है। जैसा कि कहा भी है कि - 'हिंसा प्रतिष्ठायां तत्सन्निधौ वैर-त्यागः' अहिंसा के निकट सव प्राणी अपना वैर छोड़ देते हैं ।
किसी भी क्रूर, दुष्ट या हिंसक मनुष्य को सुधारना होगा, तो आप उसे हिंसा या क्रोध से नहीं सुधार सकेंगे, परन्तु अहिंसा, प्रेम और मैत्री से ही उसका सुधार किया जा सकेगा। अपने नौकर को भी दवाव से, हुक्म से या से नहीं सुधार सकेंगे। आप अपने प्रेमपूर्ण वर्ताव से हो उसे सुधार सकेंगे ।
कई लोग कहते हैं कि दया का बदला कई बार उल्टा मिलता है, दया बताने जाते हैं, तो नौकर भी सिर पर सवार हो जाता है। ऐसा कहना ठीक नहीं है । जो नौकर प्रेमपूर्ण व्यवहार के प्रति भी सावधानी प्रदर्शित करता है, उसके लिये अगर आप कठोर बनेंगे, तो उसका व्यवहार और अधिक कटु हो जायगा । उदार सेठ के प्रति भी जो नौकर असावधानी बर्तता है, वह नौकर अनुदार सेठ को इससे भी अधिक नुकसान पहुंचाता है। कठोर बरताव से उसमें सुधार होने की संभावना बहुत कम रहती है, जब कि बिगड़ने की प्रेमहीन बनने की अधिक निकर्ष यही है कि चाहे जैसी परिस्थति क्यों न हो, मैत्री और प्रेमपूर्ण बर्ताव का परिणाम ही अच्छा निकलता है ।
कोई मनुष्य चाहे जितना बुरा क्यों न हो, पर चंडकौशिक सर्प जितना तो भयंकर नहीं होगा न ? चंडकौशिक सर्प का विष मीलों तक हवा में मिलकर असर पहुँचाता था और कोई भी प्राणी उसके पास नहीं जा सकता था। ऐसे जहरीले सर्प को भी भगवान महावीर ने अपनी मैत्री से सुधारा था । भगवान् महावीर ने अपने आदर्श व्यवहार से जो मार्ग दूसरों को सुधारने का बताया, वही राजमार्ग है। उसी पर चल कर दुनिया का कल्याण हो सकता है ।
गालियाँ देकर किसी का दिल दुखाना, अपमान करना, निन्दा करना, मन से किसी का बुरा सोचना, किसी को लड़नेझगड़ने की सलाह देना आदि सभी हिंसा के भिन्न-भिन्न प्रकार हैं, जो कि अहिंसा के उपासक के लिये त्याज्य हैं ।
हिंसा और अहिंसा का माप निकालना कठिन नहीं है । जितने अंशों में समभाव हो, उतने ही अंशों में हिंसा और
जितने में विषमभाव हो, उतने ही अंशों में हिंसा समझ - लेनी चाहिये । समभावी पुरुष पत्थर का जवाव भी फूल से देता है । विषय-कषाय पर विजय पाना ही है और यही तप भी है । अहंभाव के त्याग का नाम ही अहिंसा है । ऐसी हिंसा का पालन वीर पुरुष ही कर सकता है । कायर का इसमें काम नहीं । ग्रहिंसा के पालन के लिये हमारे गुरुदेव फरमाया करते हैं कि वरसते हुए पानी का प्रहार जैसे किसान अपनी खेती के लिये हर्षित होकर झेलता रहता है, वैसे ही हिंसक को भी अपनी हंस रूपी खेती की प्रगति के लिये सभी तरह के कष्टों और पत्तियों को सहर्प झेलते रहना चाहिये ।
चार - अहिंसा व्रत के पांच प्रतिचार कहे गये हैं । ये अतिचार साधक को जानने योग्य हैं, आचरण के योग्य नहीं । ये पांच अतिचार इस प्रकार हैं बन्धवधच्छविच्छेदातिभारारोपणान्नपाननिरोधाः ।' वन्व, वध, छविच्छेद, अतिभार, और अपाननिरोध ।
बंध-किसी भी प्राणी को गाढ़ बन्धन से बांधना, या उसे अपने इष्ट स्थान पर जाने से रोकना बंध कहलाता है । कई लोग बंध का अर्थ बड़ा मर्यादित कर देते हैं और उसका अर्थ पशु तक ही समझते हैं । मानव को अनेक तरह से वांध लेने में वे व्रतभंग नहीं समझते। उनका यह अर्थ ठीक नहीं है । बंध का अर्थ मानव के व्यवहारों में भी लागू होता है।
नौकरों को अधिक समय स्थानों पर जाने देने में अन्तराय
तक रोक रखना, उन्हें अपने इष्ट डालना, निर्दिष्ट समय के उपरान्त
उनसे इच्छा विरुद्ध काम लेना, इन सबका भी बंध के अतिचार
में समावेश होता है । एक मनुष्य गरीबी की वजह से नौकरी करता है, परन्तु उसकी गरीबो का अनुचित लाभ उठा कर उससे अधिक काम लेना ठीक नहीं है । यह अधर्म है। ऐसा करने से बंध का अतिचार लगता है, औौर व्रत में दूषण लगता है ।
वध - किसी भी त्रस जीव को मारना वध है । स्पष्टतः आज कोई किसी को मारना चाहेगा नहीं, परन्तु आज व्यवहार इस तरह का हो गया है कि उसमें इस प्रतिचार से बचना कठिन-सा हो गया है । बैलों के प्रार लगाना और घोड़ों के चाबुक लगाना वध है। दयाधर्मो अपने हाथों से चाबुक लगाने में हिचकिचा जायेंगे। यह सही वात है, परन्तु जब वे कभी घोड़ागाड़ी या बैलगाड़ी से मुसाफिरी कर रहे हों, उस समय हाँकने वाला बैलों पर आर लगावे या घोड़ों पर चाबुक जमावे तो क्या वे उस समय मना करेंगे या जल्दी पहुंचने की इच्छा से उसके कार्य में अपनी मूक सम्मति प्रकट करेंगे ? बैल या घोड़े को चाबुक लगाने का निमित्त बैठने वाला ही बनता है । अतः वह भी अपनी मूक सम्मति द्वारा चाबुक मारने वाले की तरह ही वध अतिचार का भागी बनता है ।
चमड़े की अधिकांश वस्तुएँ पशुओं की हिंसा करके ही बनाई जाती हैं । सुकोमल चमड़ों की वस्तुओं के लिये नवजात पशु की या गर्भस्थ पशु की हत्या की जाती है और उसके चमड़े से ये चमकीली और कोमल वस्तुएँ तैयार की जाती हैं। ऐसी वस्तुओं का उपयोग करने वाला भी परोक्षतः वध में भागीदार बनता है।
इसी तरह चरवी वाले और रेशमी वस्त्र पहिनने वाले या मोती के गहने धारण करने वाले भी त्रस और पंचेन्द्रिय जीव के वध के भागीदार बनते हैं।
वृत्तिच्छेद का पाप भी बन्ध की तरह ही है। शास्त्रों में कहा गया है कि वृत्तिच्छेद करने वालों को भी वध का ही पाप लगता है । वध में स्पष्ट रूप से प्राणियों का वध होता है, जब कि वृत्तिच्छेद में अस्पष्ट रूप से । अतः वध के अतिचार का विचार करते समय इसका भी विचार करना चाहिये कि कहीं हमारी `क्रिया वृत्तिच्छेद करने वाली तो नहीं है ? गृहोद्योग को नष्ट करने वाले जो व्यवसाय-धन्धे हैं, उनसे कई गरीबों और विधवाओं की ग्राजीविका नष्ट हो जाती है । जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कारखानों, मिलों या यंत्रोद्योग को उत्तेजना देते हैं, पोषण करते हैं, वे इस वृत्तिच्छेद के भागीदार बनते हैं ।
पहले की गरीब विधवाएं चक्की पीस कर अपना भरणपोषण करती थीं, वालकों को वड़ा करती थीं और पढ़ाती थीं । परन्तु जब से अनाज पीसने की चक्की आई, तब से गरीब विधवाओं का यह धन्धा छिन गया है। उनकी आजीविका नष्ट हो गई है। इसमें सूक्ष्म रूप से वध का पाप रहा हुआ है। कपड़े की मिलों से चरखा चलाने वालों का तथा बुनकरों का धन्धा नष्ट हो गया है। इस वृत्तिच्छेद के भागीदार सभी मिल मालिक और शेयर होल्डर ही गिने जायेंगे। इस प्रकार गृहोद्योग बन्द करने वाले जितने भी यंत्रोद्योग हैं, उनमें बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करने से भी वृत्तिच्छेद और वध का भागीदार वनना पड़ता है ।
कई लोग यह तर्क करते हैं कि 'हम तो मिलों के तैयार कपड़े पहनते हैं, इसमें क्या पाप करते हैं ? हम उन्हें बनवाते थोड़े ही हैं ? इसका पाप तो मिल चलाने वालों को लग सकता है, हमको क्यों ! इस पर जरा गहरा विचार करेंगे, तो आपको प्रतीत | pdf |
807af75f95ef8dad54d2a308759feb2c59a4dbab | राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा का रिजल्ट अपडेट हो गया है। प्रदेशभर में 4588 पदों के लिए पर भर्ती के लिए 13 से 16 मई और फिर 2 जुलाई लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था। जिसके बाद 24 अगस्त को घोषित 21 यूनिट/बटालियन का रिजल्ट जारी हुआ था। वहीं, अब भीलवाड़ा, जालोर, झालावाड़, 8वीं बटालियन आरएसी दिल्ली, 11वीं बटालियन आरएसी दिल्ली, 13वीं बटालियन (जेल सुरक्षा) आरएसी जयपुर, पुलिस कमिश्नरेट, जयपुर, पुलिस कमिश्नरेट, जोधपुर, जिला - जोधपुर ग्रामीण, कोटा शहर, दूरसंचार, जीआरपी अजमेर, उदयपुर, बाड़मेर और कोटा ग्रामीण का रिजल्ट जारी किया गया है। जिसे एग्जाम देने वाले कैंडिडेट्स राजस्थान पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट police. rajasthan. gov. in पर अपना रिजल्ट चेक और डाउनलोड कर सकते हैं।
लिखित परीक्षा में चयनित कैंडिडेट्स को अब पीईटी/पीएसटी परीक्षा देनी होगी। इसमें सिलेक्ट होने के बाद मेरिट के आधार पर उनका अंतिम चयन होगा। पीईटी परीक्षा के लिए चयनित कैंडिडेट्स की लिस्ट आधिकारिक वेबसाइट पर दी हुई है। एक बार फिर रिजल्ट को क्रॉस चेक किया जा रहा है। ताकि किसी तरह की गलती या भूल की गुंजाइश न रहे।
दरअसल, 13 से 16 मई तक 3 दिन कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा का रिटन एग्जाम हुआ था। 14 मई का पेपर आउट होने के बाद जुलाई में ढाई लाख अभ्यर्थियों का रिटन दोबारा लिया गया। अब रिटन टेस्ट में शार्ट लिस्ट अभ्यर्थियों को फिजिकल टेस्ट के लिए जल्द ही बुलाया जायगा। यह क्लियर करने वाले अभ्यर्थियों को डॉक्युमेंट वैरिफिकेशन के लिए बुलाया जाएगा। उसके बाद अंतिम मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी।
राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल की परीक्षा में पास होने के लिए कैटेगिरी वाइज कट ऑफ निर्धारित किया गया। रिटन में क्वालिफाई करने के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को 40, ओबीसी को 35, एससी को 30 और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को कम से कम 25 प्रतिशत अंक चाहिए होंगे।
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b91cc96ff4b4f00863e8124b098087e497d80f0f | दुनिया सुंदर, रहस्यमय और आश्चर्य की बात करने में सक्षम हैहर दिन उदाहरण के लिए, कुछ लोग जानते हैं कि दुनिया में कम लोकप्रिय सार्वजनिक शिक्षा है, जो कि प्रशांत महासागर के विशाल विस्तार के बीच खो गई है - नाउरू गणराज्य की दुनिया में सबसे छोटी हैः नक्शे पर इसे भूगोल के हर प्रशंसक नहीं मिलेगा।
यह एक विशिष्ट प्रवाल एटोल है,लाखों साल गहराई से बढ़ती। एक लंबी खोज के परिणाम स्वरूप की खोज, नक्शे पर नाउरू गणराज्य एक मामूली लंबाई अंडाकार तरफ सेंध साथ (4 किमी चौड़ा और 6 किमी लंबी) की तरह लग रहा है - यह ऍनिबरे बे (पूर्वी तट) है।
तिथि करने के लिए, नाउरू का द्वीप बढ़ जाता है30-40 मीटर की औसत से समुद्र के स्तर से। (विभिन्न स्रोतों, कम से कम 60 और 71 से अधिक नहीं मीटर के अनुसार) पर सतह केवल द्वीप के उच्चतम बिंदु होगा - ग्लोबल वार्मिंग के बारे पर्यावरणविदों के निराशावादी भविष्यवाणियों सच हो, तो इसमें से अधिकांश पानी के तहत किया जाएगा।
अपने आप में, नाउरू का द्वीप एक विशाल शब्द में वर्णित किया जा सकता हैः दुःखदायक एक छोटे से राज्य का इतिहास स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अजीब और दुखद दोनों के बीच कितनी दूरी है।
लोग यहां प्राचीन काल में यहां बसने लगेः लगभग 3 हजार साल पहले वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक प्राचीन नृजाज था, जिसकी वजह से बाद में पॉलिनेशियन और माइक्रोनेशिया का गठन किया गया था।
उस समय जब कप्तान द्वारा द्वीप की खोज की गई थीअंग्रेजी जहाज, D.Firn (1798), यह 12 जनजातियों, जो राज्य का दर्जा की बहुत कम विचार था का निवास स्थान था। आसपास के पानी में Nauruans मछली, खेती की अपनी प्रजाति (मिल्कफिश) अंतर्देशीय जल में से एक है, बड़ा हो गया नारियल और pandanus और किसी भी तरह सभ्यता के बिना कामयाब (क्षेत्र में वहाँ एक झील बुआडा कहा जाता है)।
इंग्लैंड के फायरन ने राय में दिलचस्पी नहीं ली हैस्वदेशी लोग, जिसे द्वीप "सुखद" कहा जाता है और न्यूजीलैंड के लिए छोड़ दिया जाता है, जहां वह मूल रूप से चला गया था। इस क्षण से मूल निवासी की जनजातियां शुरू हुईंः भविष्य के नाउरू गणतंत्र को "प्रगतिशील" हमलों के लगभग लगभग लगातार हो रहे थे। शुरू करने के लिए, यूरोपियों ने द्वीप पर दिखाई दिया, और उनके साथ - मजबूत मादक पेय थे। स्थानीय आबादी ने "सभ्यता के उपहार" को बहुत जल्दी से पेश किया। भाग - पिया, हिस्सा एक दूसरे युद्धों में मारे गए, कोई नई बीमारियों (वैतनिक रोगों सहित) से परिचित हो गया।
क्योंकि एक छोटे से देश में संसाधन नहीं थे,खुद को बचाने के लिए, "अच्छा सफेद लोग" उसे अपने संरक्षण में ले गए सबसे पहले, मूल निवासी के मामलों इंग्लैंड में लगे हुए थे, 1888 में, इस द्वीप को बेहिचक जर्मनों द्वारा कब्जा कर लिया गया, जिन्होंने जलगुगा कंपनी के प्रबंधन को इसे दे दिया।
हालांकि, द्वारा और बड़े, कोई भी विशेष रूप से नाउरू में दिलचस्पी थी - खजूर के पेड़ तो प्रशिक्षित पक्षियों के साथ मूल मछली पकड़ने बहुत बड़ा व्यवसाय की शार्क से प्रभावित नहीं हैं।
द्वीप जब नाटकीय रूप से स्थिति बदल गईफॉस्फेट रॉक की खोज की समृद्ध जमा - वे जो उसकी कहानी एक निर्णायक प्रभाव था। जब यह स्पष्ट हो गया पैसा बनाने के लिए कुछ है कि वहाँ, शक्तियों तुरंत नाउरू से अधिक लेने के लिए है किः राज्य किसी की कमजोरी का लाभ लेने के, कभी नहीं बन दुनिया hegemon सक्षम नहीं है। 1906 में, द्वीप की प्रकृति को व्यवस्थित खनन के दौरान नष्ट करना शुरू किया।
जब प्रथम विश्व, एक मिठाई टुकड़ा,खनिजों से भरा हुआ, बहुत से लोग मिलना चाहते हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई लोग आगे बढ़ने वाले पहले थे (जापानी के आगे नहीं, जो शाब्दिक रूप से पहुंचे, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी)। इसलिए भविष्य के नौरू गणराज्य ने वैश्विक युद्ध में भाग लिया, जिसके परिणामस्वरूप ग्रेट ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के "विंग के तहत" लीग ऑफ नेशनल के स्थानांतरण में उन्हें एक साथ द्वीप का प्रबंधन करना पड़ा, लेकिन ज्यादातर इन कार्यों ऑस्ट्रेलिया द्वारा ग्रहण कर लिए गए थे।
खनिज संसाधनों के अवैध खनन थापूर्ण गति, जबकि प्राकृतिक संसाधनों के बहुत मालिक बहुत कम थे मूल निवासी ने अर्ध-सभ्य अस्तित्व को आगे बढ़ाया, जो फास्फोरियों के सक्रिय निष्कर्षण से जटिल था, और फिर युद्ध फिर से टूट गया।
विजेताओं का संकेतपूर्ण क्रूरताः यह क्यों नहीं जाना जाता है, लेकिन वे चुउक द्वीप समूह, जहां उनमें से लगभग आधे की मृत्यु हो गई को 1.2 हजार। स्थानीय लोगों निर्वासित। केवल 1946 Nauruans में जीवित बचे लोगों को अपनी मातृभूमि पर लौटने के लिए सक्षम थे।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, 1 9 46 में,लंबे समय तक रहने के लिए लीग ऑफ नेशंस का आदेश दिया संयुक्त राष्ट्र द्वारा बनाई गई, उसके सभी जनादेश क्षेत्रों को उनकी देखभाल के तहत लिया गया है। द्वीप के संरक्षक, जो अब नाउरू गणराज्य हैं, को पहले के समान ही नियुक्त किया गया था - और जीवन अपनी बारी में प्रवाह शुरू हुआ।
स्वतंत्रता के लिए प्रयास करते हुए, मूल निवासी ने शुरू किया50 के दशक में प्रकट 1 9 27 में गठित, नेताओं की परिषद स्थानीय सरकार की एक इकाई में बदल गई थी जिसका औपनिवेशिक सरकार में एक सलाहकार वोट का अधिकार था। यह विरल है, लेकिन "थोड़ा सा, एक चम्मच - यह अच्छा है।"
तब यह था कि स्थानीय लोगों के लिए खुश दिनों की शुरुआत हुईआबादी काः फास्फोरियों का निष्कर्षण नाउरू के नियंत्रण में था - राज्य जल्दी से समृद्ध हो गया (इसके नागरिकों के साथ)। नेट पर एक अजीब कहानी है कि कैसे द्वीप पुलिस प्रमुख ने लेम्बोर्गिनी को यह साबित करने के लिए खुद को प्राप्त किया कि वह इसमें फिट नहीं होंगे (जाहिरा तौर पर, ओशिनिया में भी, एक स्वाभिमानी कानून प्रवर्तन अधिकारी बहुत अच्छी तरह से खिलाया जाना चाहिए)।
बनाने के द्वारा वित्त में सुधार करने का एक प्रयासअपतटीय क्षेत्र विफल - अमेरिका की अगुआई वाली विश्व समुदाय, संदिग्ध मूल के पैसे को लुभाने के लिए एक स्थानीय परियोजना को बर्दाश्त नहीं करने जा रहा था - इस तरह की एक सम्मानित शक्ति के दबाव में आसान कमाई के विचार को त्यागना पड़ा।
धन प्राप्त करने के प्रयास में, द्वीपवासी नहीं करते हैंघृणित हैंः बुराई बोलते हुए कहते हैं कि रूस ने नाउरू को अबकाज़िया और दक्षिण ओसेशिया को पहचानने का भुगतान किया था। द्वीपियों और राजनीतिक व्यापार के लिए पैसे कमाएं, चीन और ताइवान के बीच संतुलन।
कहा गया है कि 1986 में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में लगे हुए हैं, दुनिया भर में दूसरे, 2014 में 160 वें पर "फिसल", लेकिन सबसे बुरी बात यह है कि स्थिति बिगड़ना जारी है।
द्वीप के डेमोक्रेटिक संगठन व्यक्तित्वसंसद ने एक 18 deputies का "बहुत" का आयोजन किया। यह यारेन जिले में स्थित है - इस "नाउरू की राजधानी" की तरह है, कि आसपास के सरकारी कार्यालयों के बहुमत दिया। राजनीतिक रूप से नागरिकों बहुत (लगभग भी) सक्रिय हैं :. 10 हजार की आबादी पर तीन राजनीतिक दलों - प्रभावशाली की संख्या और दंगों है कि 2003 में राष्ट्रपति पद के चुनाव के साथ के दौरान, द्वीपवासियों शक्तियों और कुछ ही हफ्तों बाहरी दुनिया से संपर्क बिना छोड़ दिया के निवास जला दिया।
सामान्य तौर पर ऑस्ट्रेलिया के साथ संचार बहुत मजबूत है - इस बिंदु पर कि नाउरू का सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम ऑस्ट्रेलियाई न्यायालय है।
लेकिन सबसे दुखद बात पर्यावरण की स्थिति है। लगभग एक सदी फॉस्फेट खनन के लिए लगभग द्वीप का लगभग पूरे क्षेत्र (9 0% तक) का ढंका हुआ था - यह अपनी मिट्टी परत खो गया और तथाकथित में बदल गया। "चंद्र परिदृश्य", जो पर्यावरणविदों ने ग्रह को डरा दिया। चूंकि किसी को भी प्राकृतिक संसाधनों की बहाली के बारे में कोई परवाह नहीं थी, लगभग हर जगह - खानों, चट्टानों, बेकार रॉक के ढेर की जटिलताएं - ये ऐसी प्रभावशाली प्रजातियां हैं पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए एक कार्यक्रम के लिए नाउरू पैसा मांगने का कभी टायर नहीं करता है संयुक्त राष्ट्र, जिसमें 1 999 में युवा छोटे राज्य में प्रवेश किया, हर संभव तरीके से मदद करने की कोशिश कर रहा है। अभी तक, हालांकि, उल्लेखनीय सफलता हासिल की गई है।
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