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nirveda - weeping, sighing,indifference,dicouragement
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glani - guilty
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sanka - doubt (apprehension)
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asuya/irsya - jealousy (envy)
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mada - madness (intoxication)
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srama - fatigue
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alasya/alasata - laziness,sitting idle (unwililng to work)
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dainya - meekness (depression),(despair)
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cinta - contemplation (anxiety/reflection)
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moha - bewilderment,[a feeling of being perplexed and confused] (distraction)
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smrti - rememberance (recollection)
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dhriti - forbearance,indifference abstenance (equanimity)
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vrida - shame
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capalya/capalatha/capala - impudence [rude behavior that does not show respect for others] (unsteadiness)
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harsa - jubiliation,enjoyment (joy)
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avega - intense emotion (agitation/flurry)
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jadya/jadatha - invalidity,looking with steadfast gaze,unable to think properly
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garva - pride
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visada - moroseness, sad [quality of being unhappy, annoyed, and unwilling to speak or smile]
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autsukya - eagerness (impatience/longing)
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nidra - sleep (drowsiness)
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apasmara - forgetfulness (epilepsy/dementedness)
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supti/supta - deep sleep (dreaming)
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prabodha/vibodha - awakening
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amarsa - impatience of opposition
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avahittha - concealment (hiding of true feelings)
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augrya/ugrata - violence,battle (cruelity/sterness)
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mati - attention,instructing pupils (resolve)
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vyadhi - disease (sickness)
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unmada - craziness (insanity/madness)
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mriti/marana - death
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trasa - shock,fear (fright/alarm)
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vitarka - argument (doubt)
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utsuka - restless/anxious
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tarka -deliberation [long and careful consideration or discussion]
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rati - romantic
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lajja - shy
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marsa - patience
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tyaga - sacrifice
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vimochana - releif
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utsaha - hyped/enthused
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shraddhaadaya - confidence,trust
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krodha - anger
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karuna - pity,kind
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veera - royality,valour,greatness
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shanta - serene,peaceful,pleasant
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vismaya - exaggeration/wonder/surprise/pride/doubt
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bhakti - devotion
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no emotion
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प्रसाधिकालम्बितमग्रपादमाक्षिप्यकाचिद्द्रवरागमेव।उत्सृष्टलीलागतिरागवाक्षादलक्तकाङ्काम्पदवीम्ततान
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विलोचनम्दक्षिणमञ्जनेनसंभाव्यतद्वञ्चितवामनेत्रा।तथैववातायनसंनिकर्षम्ययौशलाकामपरावहन्ती
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जालान्तरप्रेषितदृष्टिरन्याप्रस्थानभिन्नाम्नबबन्धनीवीम्।नाभिप्रविष्टाभरणप्रभेनहस्तेनतस्थाववलम्ब्यवासः
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अर्धाञ्चितासत्वरमुत्थितायाःपदेपदेदुर्निमितेगलन्ती।कस्याश्चिदासीद्रशनातदानीमङ्गुष्ठमूलार्पितसूत्रशेषा
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तासाम्मुखैरासवगन्धगर्भैर्व्याप्तान्तराःसान्द्रकुतूहलानाम्।विलोलनेत्रभ्रमरैर्गवाक्षाःसहस्रपत्राभरणाइवासन्
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ताराघवम्दृष्टिभिरापिबन्त्योनार्योनजग्मुर्विषयान्तराणि।तथाहिशेषेन्द्रियवृत्तिरासाम्सर्वात्मनाचक्षुरिवप्रविष्टा
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स्थानेवृताभूपतिभिःपरोक्षैःस्वयंवरम्साधुममंस्तभोज्या।पद्मेवनारायणमन्यथासौलभेतकान्तम्कथमात्मतुल्यम्
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परस्परेणस्पृहणीयशोभम्नचेदिदम्द्वन्द्वमयोजयिष्यत्।अस्मिन्द्वयेरूपविधानयत्नःपत्युःप्रजानाम्वितथोऽभविष्यत्
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रतिस्मरौनूनमिमावभूताम्राज्ञाम्सहस्रेषुतथाहिबाला।गतेयमात्मप्रतिरूपमेवमनोहिजन्मान्तरसंगतिज्ञम्
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इत्युद्गताःपौरवधूमुखेभ्यःशृण्वन्कथाःश्रोत्रसुखाःकुमारः।उद्भासितम्मङ्गलसंविधाभिःसंबन्धिनःसद्मसमाससाद
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ततोऽवतीर्याशुकरेणुकायाःसकामरूपेश्वरदत्तहस्तः।वैदर्भनिर्दिष्टमथोविवेशनारीमनांसीवचतुष्कमन्तः
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महार्हसिंहासनसंस्थितोऽसौसरत्नमर्घ्यम्मधुपर्कमिश्रम्।भोजोपनीतम्चदुकूलयुग्मम्जग्राहसार्धम्वनिताकटाक्षैः
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दुकूलवासाःसवधूसमीपम्निन्येविनीतैरवरोधरक्षैः।वेलासकाशम्स्फुटफेनराजिर्नवैरुदन्वानिवचन्द्रपादैः
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तत्रार्चितोभोजपतेःपुरोधाहुत्वाग्निमाज्यादिभिरग्निकल्पः।तमेवचाधायविवाहसाक्ष्येवधूवरौसंगमयांचकार
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हस्तेनहस्तम्परिगृह्यवध्वाःसराजसूनुःसुतराम्चकासे।अनन्तराशोकलताप्रवालम्प्राप्येवचूतःप्रतिपल्लवेन
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आसीद्वरःकण्टकितप्रकोष्ठःस्विन्नाङ्गुलिःसंववृतेकुमारी।तस्मिन्द्वयेतत्क्षणमात्मवृत्तिःसमम्विभक्तेवमनोभवेन
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तयोरपाङ्गप्रतिसारितानिक्रियासमापत्तिनिवर्तितानि।ह्रीयन्त्रणामानशिरेमनोज्ञामन्योन्यलोलानिविलोचनानि
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प्रदक्षिणप्रक्रमणात्कृशानोरुदर्चिषस्तन्मिथुनम्चकाशे।मेरोरुपान्तेष्विववर्तमानमन्योन्यसंसक्तमहस्त्रियामम्
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नितम्बगुर्वीगुरुणाप्रयुक्तावधूर्विधातृप्रतिमेनतेन।चकारसामत्तचकोरनेत्रालज्जावतीलाजविसर्गमग्नौ
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हविःशमीपल्लवलाजगन्धीपुण्यःकृशानोरुदियायधूमः।कपोलसंसर्पिशिखःसतस्यामुहूर्तकर्णोत्पलताम्प्रपेदे
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तदञ्जनक्लेदसमाकुलाक्षम्प्रम्लानबीजाङ्कुरकर्णपूरम्।वधूमुखम्पाटलगन्धलेखमाचारधूमग्रहणाद्बभूव
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तौस्नातकैर्बन्धुमताचराज्ञापुरंध्रिभिश्चक्रमशःप्रयुक्तम्।कन्याकुमारौकनकासनस्थावार्द्राक्षतारोपणमन्वभूताम्
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इतिस्वसुर्भोजकुलप्रदीपःसंपाद्यपाणिग्रहणम्सराजा।महीपतीनाम्पृथगर्हणार्थम्समादिदेशाधिकृतानधिश्रीः
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लिङ्गैर्मुदःसंवृतविक्रियास्तेह्रदाःप्रसन्नाइवगूढनक्राः।वैदर्भमामन्त्र्यययुस्तदीयाम्प्रत्यर्प्यपूजामुपदाछलेन
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सराजलोकःकृतपूर्वसंविदारम्भसिद्धौसमयोपलभ्यम्।आदास्यमानःप्रमदामिषम्तदावृत्यपन्थानमजस्यतस्थौ
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भर्तापितावत्क्रथकैशिकानामनुष्ठितानन्तरजाविवाहः।सत्त्वानुरूपाहरणीकृतश्रीःप्रास्थापयद्राघवमन्वगाच्च
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तिस्रस्त्रिलोकप्रथितेनसार्धमजेनमार्गेवसतीरुषित्वा।तस्मादपावर्ततकुण्डिनेशःपर्वात्ययेसोमइवोष्णरश्मेः
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प्रमन्यवःप्रागपिकोसलेन्द्रेप्रत्येकमात्तस्वतयाबभ्रुवुः।अतोनृपाश्रक्षमिरेसमेताःस्त्रीरत्नलाभंनतदात्मजस्य
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तमुद्वहन्तम्पथिभोजकन्याम्रुरोधराजन्यगणसदृप्तः।बलिप्रदिष्टाम्श्रियमाददानम्त्रैविक्रमम्पादमिवेन्द्रशत्रुः
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तस्याःसरक्षार्थमनल्पयोधमादिश्यपित्र्यम्सचिवम्कुमारः।प्रत्यग्रहीत्पार्थिववाहिनीम्ताम्भागीरथीम्शोणइवोत्तरङ्गः
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पत्तिःपदातिम्रथिनम्रथेशस्तुरंगसादीतुरगाधिरूढम्।यन्तागजस्याभ्यपतद्गजस्थम्तुल्यप्रतिद्वन्द्विबभूवयुद्धम्
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नदत्सुतूर्येष्वविभाव्यवाचोनोदीरयन्तिस्मकुलोपदेशान्।बाणाक्षरैरेवपरस्परस्यनामोर्जितम्चापभृतःशशंसुः
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मत्स्यध्वजावायुवशाद्विदीर्णैर्मुखैःप्रवृद्धध्वजिनीरजांसि।बभुःपिबन्तःपरमार्थमत्स्याःपर्याविलानीवनवोदकानि
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रथोरथाङ्गध्वनिनाविजज्ञेविलोलघण्टाक्वणितेननागः।स्वभर्तुनामग्रहणाद्बभूवसान्द्रेरजस्यात्मपरावबोधः
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अप्यर्धमार्गेपरबाणलूनाधनुर्भृताम्हस्तवताम्पृषत्काः।संप्रापुरेवात्मजवानुवृत्त्यापूर्वार्धभागैःफलिभिःशरव्यम्
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तनुत्यजाम्वर्मभृताम्विकोशैबृहत्सुदन्तेष्वसिभिःपतद्भिः।उद्यन्तमग्निम्शमयांबभूवुर्गजाविविग्नाःकरशीकरेण
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शिलीमुखोत्कृत्तशिरःफलाढ्याच्युतैःशिरस्त्रैश्चषकोत्तरेव।रणक्षितिःशोणितमद्यकुल्यारराजमृत्योरिवपानभूमिः
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ततःप्रियोपात्तरसेऽधरोष्ठेनिवेश्यदध्मौजलजम्कुमारः।तेनस्वहस्तार्जितमेकवीरःपिबन्यशोमूर्तमिवाबभासे
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तस्याःप्रतिद्वन्द्विभवाद्विषादात्सद्योविमुक्तम्मुखमाबभासे।निःश्वासबाष्पापगमात्प्रपन्नःप्रसादमात्मीयमिवात्मदर्शः
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हृष्टापिसाह्रीविजितानसाक्षाद्वाग्भिःसखीनाम्प्रियमभ्यनन्दत्।स्थलीनवाम्भःपृषताभिवृष्टामयूरकेकाभिरिवाभ्रवृन्दम्
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इतिशिरसिसवामम्पादमाधायराज्ञामुदवहदनवद्याम्तामवद्यादपेतः।रथतुरगरजोभिस्तस्यरूक्षालकाग्रासमरविजयलक्ष्मीःसैवमूर्ताबभूव
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प्रथमपरिगतार्थस्तम्रघुःसंनिवृत्तंविजयिनमभिनन्द्यश्लाघ्यजायासमेतम्।तदुपहितकुटुम्बःशान्तिमार्गोत्सुकोऽभून्नहिसतिकुलधुर्येसूर्यवंश्यागृहाय
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दुरितैरपिकर्तुमात्मसात्प्रयतन्तेनृपसूनवोहियत्|तदुपस्थितमग्रहीदजःपितुराज्ञेतिनभोगतृष्णया
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अनुभूयवसिष्ठसंभृतैःसलिलैस्तेनसहाभिषेचनम्|विशदोच्छ्वसितेनमेदिनी कथयामासकृतार्थतामिव
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सकिलाश्रममन्त्यमाश्रितोनिवसन्नावसथेपुराद्बहिः|समुपास्यतपुत्रभोग्ययास्नुषयेवाविकृतेन्द्रियःश्रिया
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श्रुतदेहविसर्जनःपितुश्चिरमश्रूणिविमुच्यराघवः|विदधेविधिमस्यनैष्ठिकम्यतिभिःसार्धमनग्निरग्निचित्
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सपरार्ध्यगतेरशोच्यताम्पितुरुद्दिश्यसदर्थवेदिभिः|शमिताधिरधिज्यकार्मुकःकृतवानप्रतिशासनम्जगत्
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क्षितिरिन्दुमतीचभामिनीपतिमासाद्यतमग्र्यपौरुषम्|प्रथमाबहुरत्नसूरभूदपरावीरमजीजनत्सुतम्
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दशरश्मिशतोपमद्युतिम्यशसादिक्षुदशस्वपिश्रुतम्|दशपूर्वरथम्यमाख्ययादशकण्ठारिगुरुम्विदुर्बुधाः
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ऋषिदेवगणस्वधाभुजाम्श्रुतयागप्रसवैःसपार्थिवः|अनृणत्वमुपेयिवान्बभौपरिधेर्मुक्तइवोष्णदीधितिः
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बलमार्तभयोपशान्तयेविदुषाम्सत्कृतयेबहुश्रुतम्|वसुतस्यविभोर्नकेवलम्गुणवत्तापिपरप्रयोजना
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सकदाचिदवेक्षितप्रजःसहदेव्याविजहारसुप्रजाः|नगरोपवनेशचीसखोमरुताम्पालयितेवनन्दने
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अथरोधसिदक्षिणोदधेःश्रितगोकर्णनिकेतमीश्वरम्|उपवीणयितुम्ययौरवेरुदयावृत्तिपथेननारदः
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कुसुमैर्ग्रथितामपार्थिवैःस्रजमातोद्यशिरोनिवेशिताम्|अहरत्किलतस्यवेगवानधिवासस्पृहयेवमारुतः
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